Saturday, June 5, 2010

भौजी........1

raj sharma stories

भौजी........1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक ओर मस्त भाभी (भौजी ) की कहानी लेकर आपके किए हाजिर हूँ . दोस्तो ये काफ़ी पहले की बात है, तब में कॉलेज
में 1स्‍ट एअर
में था तो जन्वरी के महीने में अपने कज़िन के
वहाँ गया था. वह
लोग विलेज में रहते वहाँ मुझे विलेज के लाइफ
स्टाइल के बारे
में जानने का मौका मिला. शायद उन दिनो कॉलेज में
एलेक्षन का
टाइम था और में कॉलेज पॉलिटिक्स से दूर रहता था.
मेरे कज़िन लोग
4-5 ब्रदर हेँ और वा सब कंबाइन फॅमिली में रहते
हेँ. उस
समय मेरे 3 कज़िन की मॅरेज हो चुकी थी और 2
कुंवारे थे, इस
तरह से करीब 12-14 मेंबर्ज़ की काफ़ी बड़ी फॅमिली थी.
उन लोगों की
करीब 20-25 एकड़ ज़मीन थी, जिसमे से करीब 10-12 एकर
में गन्ना
(शुगरकेन) लगा हुआ था और रेस्ट में सीज़नल क्रॉप्स
लाइक गेहूँ,
विंटर के टाइम में विलेज में सभी लोग
लकड़ी लेने के
लिए जंगल में जाते हेँ. मेरे कज़िन की फॅमिली से
भी लोग उन दीनो
मॉर्निंग में करीब 7:00 अम पर जंगल सुखी लकड़ी लेने
के लिए बैल
गाड़ी (बुलक कार्ट) लेकर जाते थे.

मेरे कज़िन के वहाँ पर भी एक बुलक कार्ट थी जिस
पर जीप के
व्हील और नाइलॉन टाइयर लगे हुए थे जिसे वह लोग
बैलगाड़ी ना कह कर
लोकल लॅंग्वेज में डनलॉप या ऐसा ही कुच्छ कहते थे
बिकॉज़ उसमे
डनलॉप के टाइयर लगे हुए थे. तो दोस्तों मुझे भी
जंगल घूमने का
शौक था और विलेज में घूमने को खेतों और जंगल
के अलावा कुच्छ
था भी नही तो में भी रोज़ उन लोगों के साथ जंगल
जाने लगा.
जंगल विलेज में पड़ोस के लोग भी हमारे साथ साथ
जाते थे और
सही की बैल गाडिया आगे पीछे चलती थी और जंगल
सुरू होते ही
सब डिफरेंट डाइरेक्षन्स में निकल जाते थे और अलग
अलग हो जाते
थे. जब में पहले दिन जंगल गया तो हमारी
गाड़ी(बुलक कार्ट)
में मेरे दो कज़िन, एक भाभी थे. धीरे धीरे हम
सब लोग
विलेज से जंगल की तरफ बढ़ने लगे. हमारी गाड़ी के
साथ ही हमारे
पड़ोस में रहने वाले पड़ोसियों की गाड़ी भी थी जिस
पर पड़ोसी और
उसकी वाइफ थे. जब हम जंगल के पास पहुँचे तो दोनो
ने अपनी
गाड़ियाँ एक साथ कर ली, बिकॉज़ हम लोग ज़्यादा थे और
वह केवक दो
ही थे तो उन लोगो से फ़ैसला हुआ कि एक दो लोग उनको भी
लकड़ी कलेक्ट
करने में मदद करेंगे.

में तो उन लोगों के साथ विज़िटर था मेरे बस की बड़े
बड़े पेड़ो से
सुखी लकड़ी काटना या पेड़ पर चढ़ना करना तो पासिबल
नही था. पर
में भी एक मेंबर तो था ही और मुझे भी कुच्छ करना
तो था ही. जब
जंगल में पहुँचे तो गाड़ी एक जगह खड़ी करके
सभी दो दो के
ग्रूप में इधर उधर हो गये में भी एक ग्रूप में
आ गया और
मेरी पार्ट्नर थी वही मेरे कज़िन की पड़ोसन. बिकॉज़
वह पेड पर
चढ़ सकती थी और लकड़ी काट सकती थी और में जस्ट
कलेक्ट करके
गाड़ी पर रख सकता था तो में एक वीक मेंबर था
इसलिए में पड़ोस
वाली भौजी के साथ हो गया. भौजी का नाम वैसे रमा
था पर मेरे
लिए भौजी बोलना भी मुश्किल था बिकॉज़ टाउन में तो
भाभी कहते
हेँ ना पर वाहा भाभी कहना भी बड़ा अटपटा था
क्यूकी वहाँ की
लॅंग्वेज एकद्ूम अलग थी. पर में जैसे तैसे हूँ हाँ
से ही काम
चला लेता था और कभी कभी भौजी भी कह देता
था. भौजी वाले
भाई साहब भी एक ग्रूप में लकड़ियाँ ढूँढने निकल
पड़े. जंगल
में बड़े बड़े ट्रीस के बीच बहुत उँची ग्रास थी तो
कही जबरदस्त
बुशस और कही पेर बड़े बड़े गढ़े और कही पर बड़े
बड़े बोल्डर
(बिग स्टोन्स) थे.

में और भौजी भी लकड़ी ढूँढते हुए गाड़ी वाली
जगह से करीब 400-
500 मीटर डिस्टेन्स तक निकल आए तो मेने भौजी से
कहा कि हम
बहुत दूर आ गये हाइन कही रास्ता भूल गये तो
भौजी बोली उसकी
चिंता मत करो उसको सारे रास्ते पता है और यह
कोई ज़्यादा दूर
नही हे कभी कभी तो 1-2 कीलोमेटेर तक निकलना
पढ़ता हे. इस
बीच हम लोगों ने थोड़ी बहुत लकड़ी ज़मीन से कलेक्ट
करके एक जगह
पर रखनी सुरू कर दी थी. भौजी मेरे से मेरे बारे
में पुच्छने
लगी कि में क्या करता हूँ तो मेने बताया की कॉलेज
में पढ़ता हूँ
तो वा कॉलेज के बारे में पुच्छने लगी. उन्होने
मुझसे यह भी
पूचछा कि क्या कॉलेज में तुम्हारे साथ लड़कियाँ भी
पढ़ती हेँ तो
में कहा हाँ. बस हम ऐसे ही बातें करते हुए
लकड़िया कलेक्ट
करके एक जगह पर रखने लगे. अचानक हमें एक ट्री
नज़र आया जो
आधा सूखा हुवा था और जिससे सुखी लकड़ी काटी जा
सकती थी.
भौजी ने मुझसे पुचछा कि क्या में पेड पर चढ़
सकता हूँ तो
में मना कर दिया उस ट्री की हाइट करीबन 15-20 मीटर
के करीब थी
और वह काफ़ी मोटा भी था पर उसमे उपेर काफ़ी सुखी
हुई लकड़ी थी.
अब भौजी ने ट्री पर चढ़ने का फ़ैसला किया,
पहले उन्होने अपनी
सारी उपर से उतार कर अच्छि तरह से अपने पेटीकोआट
पर लपेट ली और
उसके बाद पेटीकोआट को थोड़ा ढीला करके उसे उपेर से एक
दो फोल्ड करके
थोड़ा उँचा कर लिया , उसके बाद वह पेड(ट्री) पर
चढ़ने लगी तो
उनक पेटीकोआट और सारी और उपेर हो रही थी जिससे मुझे
उनकी नंगी
गोरी टाँगें एकदम चिकनी दिखाई दे रही थी और उनका
पेटीकोआट करीब
घुटनो तक पहुँच रहा था. थोड़ी देर में ही वह पेड़
पर जाकर सुखी
लकड़ियो को काट कर नीचे गिराने लगी और में नीचे
से उनको
कलेक्ट करने लगा. एक बार जब वह एक डाली को काट
रही थी तो
भौजी ने एक पैर एक डाल पर और दूसरा पैर उपेर
घुटने से मॉड्कर
दूसरी डाल पर रख रक्खा था और वह डाल को काट
रही थी.

में नीचे ज़मीन पर था और उपेर कटी लकड़ी को
पकड़ने के लिए देख
रहा था पर अचानक मेरा ध्यान लकड़ी की बजाय कही
और पहुँच गया.
मेरे ठीक उपेर भौजी की नंगी टाँगे, जंघें, रान
और यहाँ तक
कि चूत का एरिया भी दिखाई दे रहा था. उनकी
टाँगें एकद्ूम गोरी
थी और जैसे जैसे मेने दुबारा उपेर को देखा तो
टाँगों के उपेर
थाइस एकद्ूम गुलाबी थी और उससे उपेर का एरिया लाल
था. पर चूत के
आस पास घनी झाड़ियाँ थी और बालों की वजह से कुछ
सॉफ दिखाई
नही दे रहा था. पर मुझे तो उस समय सब जन्नत का
नज़ारा लग
रहा था, मन कर रहा था कि जाकर पैर से लेकर उपेर
तक सारे एरिया
को चूम लूँ. पर में ऐसा नही कर सकता था,
किसी औरत को नीचे से नंगा
देखने का शायद
मेरा पहला मौका था. मेरा बॉडी मस्त हो रही थी पर
एग्ज़ाइट्मेंट में
मुझे डर भी लग रहा था कि कही भौजी को पता चल
गया तो मेरी
कितनी बेइज़्ज़ती होगी. में कभी उपेर देखता और कभी
शर्म सी आने
पर रुक जाता पेर एक्साइट्मेंट की वजह से फिर उपेर
देखने लगता.

आधे, एक घंटे में भौजी ने उस पेड़ से करीब सारी
सुखी लकड़ियाँ काट
कर नीचे गिरा दी और में उनको एक जगह पर कलेक्ट
कर लिया. फिर
भौजी पेड से नीचे उतरने लगी पर एक प्राब्लम थी
वह उपेर तो चढ़
गयी पर नीचे उतरना मुश्किल लग रहा था बिकॉज़
पेड की डाली
और ग्राउंड में डिस्टेन्स ज़्यादा था और वह उतनी हाइट
से जंप नही
कर सकती थी. भौजी ने मुझसे कहा कि में नीचे
जंप करूँगी तो
तुम मुझको थोड़ा सपोर्ट देना जिससे में सीधा नीचे
ग्राउंड पर ना
गिर पदू. वैसे ग्राउंड पर ग्रास थी पर उतनी हाइट
से डाइरेक्ट गिरने
पर डिसबॅलेन्स होने का ख़तरा था जिससे चोट लग सकती
थी. मैं भी
भौजी को बीच में पकड़ने को तय्यार हो गया आइडिया ये
था कि वह
बीच में मेरे सपोर्ट से डबल जंप करके नीचे
उतर जाएँगी. पर
हुवा कुच्छ उल्टा ही जैसे ही भौजी ने नीचे को जंप
लगाई तो में
उनके वेट और फोर्स को कंट्रोल नही कर पाया और
जैसे ही मेने
उनको थामना चाहा तो हम दोनो धूम से ग्राउंड पर गिर
पड़े.

आक्चुयल में जब भोजी ने नीचे को जंप लगाया तो
भौजी का पेटीकोआट
और सारी हवा के फोर्स से उनकी थाइ तक आ गयी
जिसकी वजह से मेरा
ध्यान चेंज हो गया और घहबराहट की वजह से में उनको
थाम नही पाया
वह डिसबॅलेन्स होकर मेरे उपेर आ गयी. मेने उनको
कमर से पकड़ना
था पर मेरे हाथ पीछे उनकी थाइस और हिप्स पर
फिसल गये बिकॉज़
उनका पेटीकोआट पीछे से उपेर हो गया था. जब हम
नीचे गिरे तो में
पेट के बल नीचे गिरा और भौजी मेरे उपेर चित पड़ी
थी. उनकी रान
मेरे लंड को टच कर रही थी और मेरे दोनो हाथ
उनके मुलायम और
चिकने चूतड़ को टच कर रहे थे. औरत के चूतड़
कितने चिकने
होते हे मुझे पहली बार पता चला. भोजी के चिकने
चूचे मेरी
चेस्ट को रगड़ रहे थे बिकॉज़ भौजी ने अंदर से ब्रा
नही पहन
रखी थी इसलिए उनके पूरे बूब्स की गोलियाँ में
महसूस कर सकता
था. मुझे मज़्ज़ा भी आ रहा था और अपनी बेवकूफी की
वजह से शर्म
भी आ रही थी, पर यह अच्च्छा हुवा कि किसी को भी
चोट नही आई
थी और दोनो ठीक ठाक थे.


क्रमशः........................




--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज






--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj














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