Wednesday, October 6, 2010

चुदाई ही चुदाई

FUN-MAZA-MASTI

चुदाई ही चुदाई
अमित बहुत ही शर्मिला और शहरी लड़का था और 19 साल हो चुका था। इन दिनो वो अपनी छुट्टियाँ मनाने गाँव जा रहा था। यह उसका गाँव जाने का पहला मौका था, उसके गाँव में उसके पापा के भाई थे जिसे वो चाचा जी कहता था। उनके परिवार में करीब 15 लोग थे। गाँव में सभी लोग अधिकतर किसान ही थे, बस अमित के पापा ही शहर जाकर नौकरी करने लगे थे और पिछले 20 साल से वहीं रह रहे थे।

वो अपनी कार से गाँव जा रहा था उसने आज तक अपने किसी भी रिश्तेदार को नहीं देखा था बस प्रताप चाचा ने उसे जरूर देखा था जब वो एक बार शहर में आए थे। जब वो गाँव पहुँचा और कार से उतरा तो उसके स्वागत के लिए वहाँ रामू चाचा और सुनील चाचा भी थे। उसके कज़िन भाई भी थे पर उनका नाम वो नहीं जानता था। घर के द्वार पर पहुँचा तो वहाँ घर की महिलाएँ उसके स्वागत के लिएखड़ी थीं। उसकी तीनों चाचियाँ, रानी चाची जोकि प्रताप की पत्नी थी, नेहा चाची जो की रामू की पत्नी थी और मंजु चाची जो की सुनील की पत्नी थी। रामू और सुनील का घर गाँव के दूसरे छोर पर था। वो लोग तो वहाँ अमित का स्वागत करने और उसके साथ कुछ समय बिताने आए थे। और कार्यक्रम के अनुसार अमित को शहर लौटने से पहले उन लोगों के घर पर भी रुकना था।

और फिर बात चीत का जो दौर शुरू हुआ तो देर रात तक जारी रहा और अमित भी काफी थकान महसूस करने लगा। उसकी थकान देख रानी चाची ने उसे उसका कमरा दिख दिया और उसे आराम से सोने को कहा।

सुबह हुयी। रानी चाची ने अपनी बहिन की बेटी चम्पा को आवाज दी, जोकि रानी के परिवार के साथ ही रहती थी। चम्पा और कावेरी दोनों बहिने थीं और उनके माँ और पिता का कम उम्र में ही देहान्त होने के कारण रानी ने उन्हे पाला पोसा और कावेरी की शादी दीपक से कर दी थी। और चम्पा अभी कॉलेज में बीए की पढ़ाई कर रही थी।

"चम्पा....जाओ ...और देखो अमित उठा की नहीं?"
"अभी जाती हूँ, मौसी।", चम्पा ने कहा।
चम्पा सीडियों ने ऊपर चड़ी और अमित वाले कमरे में गई। अमित अभी तक सोया हुआ था। कमरे की खिड़की खुली हुयी थी सो कुछ सूखी पत्तियां कमरे में आ गईं थी। उसने सोये हुये अमित पर एक निगाह डाली। वो बहुत गहरी नींद में था। वो रूम से बाहर निकाल कर जाने ही वाली थी की अचानक उसने कुछ देखा।

उसने देखा की अमित के नेकर के बीचों बीच एक उठाव सा था.... पर वो उसकी उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा ही लग रहा था। चम्पा भी यह देखकर चकित थी की एक 19 साल के लड़के का इतना हो सकता है क्या? वो अभी ख़यालो में ही थी की अमित ने करवट ली और जागने का उपक्रम करने लगा।

उसे जागता देख चम्पा थोड़ा घबरा गई और तुरंत बोली, "आपको नाश्ते के लिए नीचे बुलाया है।"

"आता हूँ, नहा कर आता हूँ", अमित ने आँखें मलते हुये कहा।अमित जेसे ही निचे उतरा उसे ख़ुशी मिल गयी ,खुशी: क्या सोच रहे हो अमित?

खुशी की प्यारी सी आवाज सुनकर अमित का ध्यान भंग हो गया। उसके सामने खुशी खड़ी थी
अमित: कुछ नहीं....बस ऐसे ही...
खुशी: अच्छा ....आप जरा अपने कमरे का दरवाजा खोल दीजिये... वहाँ टाँड़ पर ताई जी ने शहद की शीशी रखी है, वो लेकर जानी है, नीचे भाभी ने मंगायी है।

यह सुनकर अमित अपने कमरे की तरफ गया और दरवाजा खोल दिया। खुशी अंदर घुसी और टाँड़ की तरफ देखक्ते हुये शहद की शीशी ढूँढने लगी। अमित उसके ठीक पीछे ही खड़ा हुआ था। खुशी ने एक पीले रंग का टॉप और घुटनो तक लंबी स्कर्ट पहन रखी थी। उसकी स्कर्ट थोड़ी कसी हुयी थी जिसके कारण उसके नितंबो का उभार उसमे से साफ झलक रहा था। खुशी ने देखा कि शहद कि शीशी टाँड़ पर रखी है, उसने दीवार में बनी एक स्लैब पर पाँव रखा और टाँड़ तक पहुँचने कि कोशिश करने लगी।

अमित: अरे...आप रहने दीजिये....मैं उतार देता हूँ
खुशी: अरे नहीं... आप तो हमारे मेहमान हैं आपसे कैसे काम करवा सकते हैं?

वो फिर से स्लैब की मदद से ऊपर की तरफ चढ़ने की कोशिश करने लगी। पर उसकी स्कर्ट जोकि घुटनो तक लंबी थी, इसमे रुकावट बन रही थी, उसकी वजह से वो अपनी टाँगों को फैला नहीं पा रही थी और चढ़ने के लिए जरूरी बल नहीं लगा पा रही थी। जब तक अमित कुछ समझ पाता खुशी ने अपने दोनों हाथों से अपनी स्कर्ट के बाएँ और दायें सिरों को पकड़ा और ऊपर की तरफ चड़ा दिया।

अब सब कुछ स्लो मोशन में हो रहा था। खुशी ने स्कर्ट को ऊपर की तरफ लेकर अपनी टाँगें जांघों तक उघाड़ ली और ऊपर की तरफ खींचा हुआ स्कर्ट अपनी कमर में ही ठूँस लिया। अब उसकी स्कर्ट एक मिनी स्कर्ट बन गई थी। अमित की निगाहें सीधे उसकी गोरी गोरी टाँगों पर थी, वहाँ से होती हुयी उसकी चिकनी और सफ़ेद दूध जैसी जांघों पर जाकर टिक गई

खुशी को पता था की इस समय अमित की निगाहें कहाँ होंगी, और क्या देख रहा होगा और उसका क्या हाल हो रहा होगा?

सही था...अमित का हाल बुरा था। सुबह...चम्पा और अब खुशी.....उसे लग रहा था की आज क्या होगा उसका?

अब तक खुशी की स्कर्ट इतनी ऊँची हो चुकी थी की अगर थोड़ी सी और ऊपर हो जाये तो उसके हिप्स भी दिखने को मिल जाएँ। अभी अमित सोच ही रहा था की खुशी ने अपनी एक टाँग ऊपर करके स्लैब पर रखी और ऊपर की तरफ उचकने की कोशिश करने लगी। अमित उसे देख रहा था अभी भी... खुशी के टाँग ऊपर करने से उसकी स्कर्ट थोड़ा सा और ऊपर हो चली और उसका एक तरफ का हिप भी दिखने सा लगा था, वो उसे ही घूरने में लगा था की अचानक खुशी ने पीछे मुड़कर देखा....अमित उसे देखता देख झेंप गया...तो खुशी बोली।

खुशी: अरे....अब देखते ही रहोगे....या कुछ मदद भी करेंगे? यहाँ आइए और मुझे थोड़ा सहारा दीजिये।
अमित: हाँ....मैं....मैं वो....आता हूँ...एक मिनट।

अमित आगे बढ़ा और खुशी के पास जाकर खड़ा हो गया।
खुशी: जैसे ही मैं ऊपर की तरफ उचकूँ, आप थोड़ा मेरी कमर पकड़ कर मुझे सहारा दे देना, मैं फिर तो इस स्लैब पर खड़ी होकर शीशी उतार दूँगी।
अमित: जी ठीक है.
खुशी ने अपनी एक टाँग फिर से स्लैब पर रखी और उसके ऐसा करते ही उसका एक हिप भी थोड़ा सा उघड गया था, अमित ने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे सहारा देने लगा और अमित के सहारा मिलते ही खुशी ने अपने को ऊपर की तरफ धकेल लिया, और इसके साथ ही वो स्लैब और अमित के हाथों के सहारे से खड़ी हो गई। अब उसके हाथ ऊपर वाली टाँड़ तक पहुँच पा रहे थे। अब अमित की आँखों के सामने खुशी की नंगी टाँगे थी। उसके ठीक सामने खुशी की गोरी पिंडलियाँ थी जिनपर एक भी बाल नहीं था। वो मन में सोचने लगा की शायद खुशी वेक्स करती होगी। तभी उसके कानो में खुशी की आवाज गूँजी।

खुशी: अमित, थोड़ा और आगे की तरफ धक्का दो...मुझे अपने हाथ आगे तक पहुँचने हैं।
अमित: हाँ.... मिनट।

अमित ने अपने हाथों से उसकी कमर को थोड़ा और सहारा दिया जिससे वो आसानी से टाँड़ तक पहुँच सके। और ऊपर देखने के लिए सर ऊपर किया.....और जो उसने देखा वो उसने अपनी ज़िंदगी में इतना करीब से कभी नहीं देखा था....

खुशी ने स्कर्ट के नीचे जानभुझकर चड्डी नहीं पहनी थी। जहाँ से अमित देख रहा था, उसे खुशी की दोनों टाँगों के बीच का हरेक कोना साफ दिख रहा था। उसने ज़िंदगी में पहली बार किसी जवान लड़की की बिना बालों वाली चूत देखी थी। उसका लोडा तुरंत तनाव में आ गया। और अमित के दिल की धड़कन मानो राजधानी एक्सप्रेस से भी तेज हो चली।

उसकी आँखों के सामने खुशी की बालरहित , चिकनी और गोरे रंग की चूत थी। एक गुलाबीपन लिए दरार और फिर उसके हिप्स का उठाव... उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी आँखों के सामने यह सब हो रहा हें|
वो लगातार उसकी टाँगो के उस बीच के वर्जित क्षेत्र को देखे जा रहा था, जहाँ कोई भी आम तौर से नहीं देख सकता था। खुशी कि योनि लिप्स से बनी हुयी आकृति को देख कर वो इतना उत्तेजित हो चुका था कि उसका लिंग उसके नेकर में से उभार लेने लगा था।

खुशी अपनी योजना पर मन ही मन खुश हो रही थी, वो तो यह सब जानभूझकर ही कर रही थी। जब उसे लगा कि अमित उसकी टाँगों के बीच ही देख रहा होगा तो उसने अपने प्लान को थोड़ा और आगे बढ़ाने का सोचा।

खुशी: अमित, मैंने शहद की शीशी पकड़ ली है और अब मैं नीचे उतर रही हूँ, अब जरा संभाल कर पकड़ना।
अमित: हाँ....ठीक है।

खुशी ने इतना कहकर नीचे उतरने के लिए अपना एक हाथ छोड़ा तो वो थोड़ा सा डगमगाने लगी, तो उसने फिरसे टाँड़ को पकड़ लिया। अमित को समझ ही नहीं आया की क्या हुआ, तो फिर वो खुशी की तरफ प्रशंवाचक निगाह से देखने लगा। खुशी ने उसे शहद की शीशी हाथ में पकड़ा दी, जिसकी वजह से अमित का एक हाथ खुशी की कमर से हट गया। उसने शहद की शीशी एक तरफ रख दी और खुशी उतरने की कोशिश करने लगी, पर हदबड़ाहट में या यह कहिए की जानबूझकर खुशी ने अमित के ऊपर सारा बोझ डाल दिया जिसे अमित संभाल नहीं पाया और खुशी उसके ही ऊपर गिर गई। अमित ने उसे नीचे गिरने से संभालने की कोशिश की जिसके कारण एक तरह से खुशी अमित को गोद में ही आ गिरी।

खुशी की साँसे तेज तेज चल रही थी और अमित इस अप्रत्याशित घटना ने उबरने की कोशिश कर रहा था की उसकी निगाह खुशी के ऊपर नीचे वक्षस्थल पर पड़ी, उसकी टॉप में से उसके उत्तेजना में कड़े हो चुके निप्पल साफ पता चल रहे थे। जहाँ अमित की निगाह उसके वक्षस्थल पर थी और उधर अमित का लिंग उसके नेकर में से निकल बाहर आने को आतुर हो रहा था और खुशी के हिप्स पर अपनी उपस्थिति का एहसास दे रहा था, जिसके उभार के स्पर्श मात्र से खुशी उत्तेजित हो उठी।

जब अमित को होश आया की उसने खुशी को अपनी गोद में उठा रखा है तो उसने उसे धीरे से उसे अपनी गोद में से हटाकर खड़े होने दिया। खुशी थोड़ा थोड़ा शरमाते हुये खड़ी हो गई। और बोली।

खुशी: अरे....आप की हालत क्या हो गई...?? ही ही ही....

खुशी हँसते हुये शीशी उठाकर कमरे से हँसते हुये बाहर भाग गई। अमित समझ गया की खुशी उसके लिंग के उभार पर व्यंग कर गई है। वो अभी दरवाजा बंद करने ही वाला था की नीचे से रानी चाची ने रात के खाने के लिए आवाज लगा दी।

अमित को करीब 10 मिनट लगे अपने उत्तेजित लिंग को बिना हस्तमैथुन किए शांत करने में.....वो नहीं चाहता था की नीचे सभी की नजर उस पर पड़े....उसने सोचा की जब सब सो जाएँगे तब वो अपने कमरे में अपने लोडे की प्यास शांत करेगा|
|उधर खुशी का हाल भी लगभग कुछ ऐसा ही था। वो बस रात होने का इंतजार कर रही थी। और फिर रात के लगभग 12 बजे जब घर के सभी लोग गहरी नींद में सो चुके थे। तो खुशी चुपचाप उठी और अमित के कमरे के दरवाजे पर खटखटाने लगी, अमित तो जागा हुआ ही था, उसने तुरंत दरवाजा खोला और खुशी को अंदर लेकर दरवाजा बंद कर लिया

अंदर लेते ही उसने खुशी को अपनी बाहों में भर लिया और उसे माथे और गालों पर चूमने लगा।
खुशी: मैं यहाँ सोने आईं हूँ....तुम्हारे साथ...सारी रात....इतनी जल्दी क्या है अमित?
खुशी ने चोली, ओढ़नी और घाघरा पहना हुआ था। उसने अपनी बाहें अमित के गले में डालीं और उससे लिपट गई। अमित उसके कोमल बदन का स्पर्श पाकर मन ही मन अपने को धन्य मान रहा था।
अमित: ओह...खुशी...तुम इतने दिन कहाँ थीं?

खुशी ने अमित का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसे चूमना शुरू कर दिया। अमित भी बीच बीच में उसे चूम रहा था। पर अमित सेक्स के गेम में नया था उसे सिर्फ किताबी ज्ञान था। अमित ने उसे पीछे पलंग की तरफ धक्का दिया और उसके ऊपर की और चढ़ गया |
अमित ने खुशी के घाघरे को उसकी कमर तक ऊँचा कर दिया....और अपने नेकर को एक झटके में उतार डाला। जैसा की उसे किताबी ज्ञान था उसने उसकी दोनों टाँगों को फैलाया और उनके बीच में आ गया और अपने शरीर को खुशी के शरीर के ऊपर लिटा दिया। फिर अपने लोडे को उसकी चूत पर अड़ा दिया पर उसका लिंग खुशी की चिकनी हो चुकी चूत पर से फिसल गया पर वो उसके अंदर नहीं जा पाया। अमित ने अपने हिप्स को ऊपर नीचे हिलाना भी शुरू कर दिया जिससे उसका लोडा बार बार खुशी की चूत के आसपास चोट मारने लगा। और जब खुशी को लगा की अमित वास्तव में इस खेल में नया नया है, तो आश्चर्यजनक रूप से उसने ही अपने हिप्स को थोड़ा ऊपर की तरफ किया और एक हाथ से उसके खड़े हो चुके लोडे को पकड़ कर सही जगह रख दिया। उसके गरम और सख्त लोडे का मुंड का अपनी चूत के छेद पर एहसास पाकर खुशी की उत्तेजना दुगुनी हो चुकी थी। अमित भी अपने को रोक नहीं पा रहा था। एक ज़ोर के झटके से ही उसने अपना पूरा लिंग एक बार में ही पूरी तरह से खुशी की गीली हो चुकी योनि में घुसा दिया। खुशी का मुह खुला हुआ था और उसकी कसी हुयी योनि में अमित का लिंग घुसता चला जा रहा था। अमित बड़ी जल्दबाजी में था, एक बार लोडे के पूरा अंदर जाते ही उसने अपने को आगे पीछे करना शुरू कर दिया और धक्के मारने लगा। खुशी भी कम नहीं थी। वो भी उसके हर झटके का जवाब अपने हिप्स को ऊपर की तरफ उठाकर देती थी।

आनंद की बुँदे अमित के लोडे में से रिसने लगी थी पर अमित अपने लोडे की पूरी लम्बाई से खुशी की योनि को भेदने में लगा था। और तभी अमित को लगा जैसे की समुंदर में तूफान सा आ रहा है और उसका पूरा शरीर थरथराने लगा और फिर सारी हलचल शांत हो गई, सिवाय उसके लिंग के....जो की लगातार अंदर बाहर हो रहा था और उसमे से एक के बाद एक वीर्य की धार निकले जा रही थी। खुशी भी अपनी चूत के अंदर उन गरम वीर्य की धाराओं को महसूस कर पा रही थी।
तूफान शांत हो गया था। दोनों जने अब थोड़ा शांत थे। अमित उसके ऊपर से हटने वाला ही था की अचानक खुशी ने अमित के हिप्स पर अपने हाथ रखते हुये उसे रुकने को कहा। आश्चर्यजनक रूप से अमित का लिंग अभी कड़ा था। अमित ने खुशी को चूमते हुये कहा,'खुशी...तुम्हें अच्छा लगा न?'

खुशी: हाँ अमित, मुझे बहुत अच्छा लगा। कहते हुये खुशी ने अमित के मुह को अपने स्तनो के बीच में दबा लिया।
अमित: मैंने ठीक से चोदा?
खुशी: हाँ...बहुत अच्छी तरह से।
अमित: फिर से करोगी...?
खुशी: हाँ...हाँ...जब भी चाहो...

अमित: ठीक है...मुझे पेशाब जाना है...आकार फिर करेंगे।

कहता हुआ अमित उसके ऊपर से उठा और उसका वीर्य और खुशी के योनि रस से भीगा हुआ लिंग खुशी की योनि में से निकाल आया। पर वो अभी भी कड़ेपन में था। यह देखकर खुशी भी अचंभे में थी।
खुशी: देखो तो इसे...यह तो अभी भी लोहे की रोड की तरह कड़ा है। बहुत मोटा और लंबा....अमित जल्दी जाओ...और इसे धो लो...हमे अभी बहुत मजे करने हैं।

अमित बाथरूम में गया, पेशाब किया और अपने लिंग को अच्छी तरह से धो लिया। यहाँ तक की अमित ने अपने लिंग की खाल को पीछे की तरफ खींच कर उसे भी पानी से धो दिया। लिंग मुंड अभी भी बहुत संवेदनशील था,अमित उसे छू भी नहीं पा रहा था।

जब अमित वापस आया तो उसने पाया की खुशी वहाँ बिल्कुल नंगी होकर लेती हुयी थी। उसके शरीर पर उसके दोनों स्तन ऐसे लग रहे थे मानो दो पहाड़ हों। अमित का लिंग फिर से तनाव में आना शुरू हो गया।

अमित: तुम्हें नींद आ रही है क्या?
खुशी: नहीं , क्यों?
अमित: मैं तुम्हें फिर से चोदूंगा।
खुशी: नहीं....
अमित: हाँ...क्या तुम नहीं चाहती?

खुशी: हाँ....चाहती हूँ...पर तुम मुझे चोदोगे नहीं...बल्कि प्यार करोगे....इसे चोदना मत कहो....बल्कि प्यार करना कहो। बोलो तैयार हो?
अमित ने उसका हाथ उसके लिंग पर रखते हुये कहा : कुछ और प्रूफ चाहिए?
खुशी: नहीं
और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। दोनों जने एक दूसरे को बेतहासा चूमे जा रहे थे और अमित का लिंग फिर से रिसना शुरू हो चुका था। खुशी ने अमित का लिंग अपनी मुट्ठी में पकड़ा और तीन चार बार उसे आगे पीछे हिलाया और बोली,
खुशी: अमित, तुम्हारा लिंग सबसे अलग है। बड़ी किस्मत वाली होगी जो तुम्हारी पत्नी बनेगी।
उसने उसके लिंग को फिर से दो तीन बार हिलाया और एक बार उसका लिंग निचोड़ सा दिया और फिर उसने वो किया जो अमित ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। उसने अपना सर नीचे किया और उसके लिंग के मुह को अपने मुह में दबा लिया। उसने पहले उसे अपनी जीभ से एक दो बार चाटा और फिर उसे चूसने का उपक्रम किया। और साथ ही उसने अपने मुह को ऊपर और नीचे भी करना शुरू कर दिया जिससे उसका लिंग उसके मुह में अंदर और बाहर होने लगा। अमित यह सब कहाँ सहन करने वाला था, उसने अपना लिंग उसके मुह से तुरंत वापस निकाल लिया वरना वो उसी समय स्खलित हो जाता।

अमित: तुमने मेरा लिंग काफी देख लिया, चलो अब जरा तुम्हारे बूब्स और पूसी तो दिखाओ!
खुशी एक साधारण सी दिखने वाली पर आकर्षक और कामुक युवती थी। उसके बूब्स उसकी उम्र के हिसाब से से ज्यादा बड़े थे, दोनों स्तनो पर उसकी दो इंच के घेरे वाले चूचुक उसको और कामुक बनाते थे। हर चूचुक एकदम कड़ी हो चुकी थी। अमित एक नजर उसके स्तनो पर डाली और हटा ही नहीं सका।

अमित ने उसके दोनों स्तनो को चूमा और उन्हे चूसना शुरू कर दिया। और उन्हे चूसने के बाद वो उसके पेट को चूमता हुआ वो उसकी पूसी पर पहुँच गया। उसने इससे पहले किसी युवती की पूसी इतने नजदीक से नहीं देखी थी पर उसे खुशी की पूसी बहुत सुंदर लग रही थी।

गद्देदार योनि प्रदेश के बीच उसके योनि के लिप्स जिस पर एक बाल का भी नामो निशान नहीं था.....और उनके बीच एक अधखुली दरार जिसमे अभी भी गीलापन दिखाई दे रहा था। अमित ने अपनी उंगली से उसकी योनि के बाहरी होंठों को खोला और लगभग तीन इंच लंबी दरार को खोल दिया , सामने उसकी योनि के आंतरिक लिप्स थे, एकदम गुलाबी। उसका योनि छिद्र खुला हुआ था....शायद इसलिए भी की वो कई दिनो से सेक्स करती आ रही थी, पर अमित को यह सब नहीं पता था। उसको क्लिटोरिस (भगांकुर) बड़ी और सख्त थी। अमित ने अपनी उंगली उसकी गीली दरार में एक दो बार फेरी और दो उंगलियान अंदर डाल दी। अपने अंगूठे को खुशी की योनि पर रखते हुये अमित ने उसको योनि को उंगलियों से भेदना शुरू कर दिया। और बड़ी जल्दी ही खुशी के हिप्स भी उछलने शुरू हो गए। अमित की उंगलियान उसकी योनि के अंदर उठ रही फडकनों को महसूस कर पा रहे थे|
अमित की उंगलियाँ जादू करने लगी थी। वो अब रुक नहीं पा रही थी। वो उठी और अमित को बिस्तर पर धक्का दे दिया। अमित के लंड को उसने अपनी मुट्ठी में पकड़ कर 10-15 बार झटके दिये। हर बार वो उसके लंड की खाल को ऊपर की तरफ ज़ोर से खींच देती जिससे अमित चिहुल उठता, शायद दर्द भी, पर वो दर्द उसके लंड के कड़ेपन को और बढ़ा रहा था। अमित के लंड को सीधा तानते हुये वो उसके ठीक ऊपर आ गई और उसके ऊपरी हिस्से को अपनी चूत से सटा दिया। सटाने के बाद उसने लंड को अपनी चूत में जाने दिया और नीचे की तरफ झुकने लगी और अपने स्तनो को अमित के होंठों पर सटा दिया। खुशी अपने हिप्स को इस तरह से ऊपर और नीचे कर रही थी मानो अमित का लिंग एक पिस्टन हो और जिसपर की ऑइल लगा हुआ हो। जब भी पूरी तरह से अपने हिप्स को नीचे दबाती तो उसका योनि प्रदेश अमित के पेट से टकराता और वो थोड़ा सा आगे होकर अपने स्तनो के चुचुको को अमित के मुह में डालने की कोशिश करती। और जहाँ अमित ने उसके चुचुकों को अपने होंठों से दबाते हुये चूमना शुरू किया, उसकी चूत में फड़फड़ाहट होने लगी।

खुशी पहले अपने हिप्स ऊपर की तरफ ले जाती जिससे लगभग उसका लिंग पूरी तरह से उसकी योनि से बाहर ही आ जाता पर उसके बाद वो एकदम से अपने को नीचे करती और हिप्स को नीचे कर देती और जिससे उसका लिंग एक अजीब सी आवाज करता हुआ उसकी योनि में पेवस्त हो जाता।

पाँच , छ बार इस तरह के झटके देने के बाद खुशी थोड़ा थक गई और उसके ऊपर लेट गई पर न तो अमित का लिंग थका था और न ही खुशी की योनि। अमित ने खुशी की कमर पकड़ी और उसे थोड़ा ऊपर की तरफ किया जिससे उसे थोड़ी हिलने डुलने की जगह मिल गई और फिर उसने अपने शरीर को ऊपर की तरफ करते हुये खुद अपने लिंग को उसकी योनि के अंदर डालने की कोशिश शुरू करदी। और तो और, खुशी की योनि में बहते हुये योनि रस ने अमित का काम और आसान कर दिया था। कुछ मिनट के बाद दोनों ने अपनी स्थिति बदल ली। वो पलंग पर सीधे लेट गई और अपने सर के नीचे एक तकिया लगा लिया और अपने दोनों टाँगे हवा में ऊँची कआर दी|
अमित फर्श पर खड़ा हो गया और अपने लिंग को उसकी योनि में फिर से डाल दिया। और एक बाद फिर से स्ट्रोक्स देने शुरू कर दिये। अब तो खुशी की हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो रही थी। वो अपने आप पर से काबू खो रही थी। उसकी क्लिटोरिस इतनी संवेदनशील हो चुकी थी की आज तक उसने कभी भी ऐसा फील नहीं किया था। टूटे फूटे शब्दों में उसने कुछ कहने की कोशिश की पर अमित शायद ठीक से समझ नहीं पाया और खुशी ने उसे हटने के लिए कहा और अमित ने अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और बैठ गया। पर खुशी ने अमित को उसके बालों से उसे पकड़ा और अपने योनि प्रदेश पर झुकती हुयी बोली।
खुशी: 'यहाँ....इधर आओ और चूमो इसे....अपने होंठों से दबा लो। ओह...जल्दी करो...तुम्हें दिख नहीं रहा...'

उसके बाद उसने अमित के होंठों को अपनी क्लिटोरिस पर छु दिया। अमित के लिए यह पहली बार था, उसे गंदा भी लग रहा था पर जब उसको खुशी की योनि की गंध नाक में पड़ी तो वो सब कुछ भूल गया। उसने अपने होंठों के बीचे खुशी की उत्तेजना से भरी क्लिटोरिस को दबा लिया। और उसके ऐसा करते ही खुशी चीख सी पढ़ी।
खुशी: आह....ऊह हाँ....यहीं....ओह भगवान....

अमित अपनी जीभ को उसकी क्लिटोरिस पर फेर रहा था और उसके दो बार ऐसा करने से ही खुशी को शातिशाली ओरगास्म हो गया। वो पागलों की तरह तड़प और उछल रही थी। करीब 20 - 30 सेकण्ड्स तक वो ऐसी ही मचलती रही।

और जब तूफान शांत हो गया तब वो एक दम निढाल हो गई जैसे उसमे से सारी एनर्जि खतम हो गई हो। वो अमित को अपनी तरफ खींची और उसके कान में बोली।,

खुशी: काश....कि मैं तुम्हारी पत्नी बनूँ । आई एम सॉरी कि मैं तुम्हें पहले नहीं मिली। वैसे तुम्हारा निकला कि नहीं?

अमित ने कोई जवाब नहीं दिया बस उसकी टाँगे ऊपर की तरफ की और अपना लिंग फिर से उसकी योनि में डाल के स्ट्रोक्स शुरू कर दिये। अब वो भी ओरगास्म पाना चाहता था। सिर्फ 2 -3 स्टोर्क्स में ही उसका लिंग वीर्य को खुशी की योनि में उड़ेलना शुरू कर दिया। उसे भी ओरगास्म होने लगा था और उस समय खुशी ने उसके हिप्स पकड़ रखे थे और उन्हे सहलाए जा रही थी। थोड़ी देर में वो दोनों झड गए |
ख़ुशी ने अमित को बताया की वो दीपा चाची की भी चुदाई कर सकता हें क्न्योकी वो शादी से पाहिले अपनी शादीशुदा बहन के साथ चुद चुकी हें |
अमित ने ख़ुशी से पूरी बात बताने को कहा |
दीपा उस समय 23 की हुयी ही थी और कॉलेज में पढ़ रही थी। अपने सभी साथियों में सबसे ज्यादा पढ़ाई में तेज थी। और अपनी दीदी और जीजाजी के साथ शहर की एक घनी बस्ती में रहा करती थी। दीपा की दीदी का नाम सविता था और उनकी एक दोस्त थी रेणु जो अपने पति राहुल के साथ रहती थी। राहुल उसी कॉलेज में व्याख्याता (लेक्चरार) था जिस कॉलेज में दीपा पढ़ती थी, बल्कि वो केमिस्ट्री की क्लास भी लेता था।

सविता और रेणु दोनों ही बहुत घुलिमिली सहेलियाँ थी। रेणु और राहुल आठ महीने पहले ही शादी करके वहाँ रहने आए थे। राहुल 25 साल का सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व का व्यक्ति था। कॉलेज में भी उसकी क्लास के लड़कियाँ उस पर फिदा थी। रेणु मध्यम ऊँचाई वाली, चमकदार आँखें, हंसमुख स्वभाव, आकर्षक और भरी हुयी देह की मालकिन थी। रेणु भी 23 साल की थी और दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी जमती थी।

दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। जैसे की अमूमन इंडिया में होता है, माता पिता ही बच्चों की शादी तय करते हैं, तो इनकी भी ऐसी ही तय हुयी थी। दोनों शादी से पहले भी एक या दो बार ही मिले थे, वो भी अपने अपने परिवार के साथ ही। राहुल और रेणु दोनों ही शादी से पहले कुंवारे थे अर्थात दोनों ही किसी के साथ भी संभोग नहीं किया था।

राहुल की सेक्सुयल शक्ति औसत से थोड़ा ज्यादा ही थी पर शादी से पहले वो शांत ही रही। पर शादी के बाद, वो नजर आने लगी। राहुल रेणु के साथ हर रात दो बार और कभी कभी सुबह के समय सेक्स जरूर करता था। इसके अलावा छुट्टी के दिन वो लोग दोपहर में भी सेक्स का आनंद लिया करते थे।

राहुल सेक्स करते समय हर मुमकिन आसान और विधियाँ अपनाने की कोशिश किया करता था, पर रेणु थोड़ी पुराने ख्यालातों की थी और उसे इन सबको करने से रोक भी दिया करती थी। रेणु ने गर्भावस्था से बचने के लिए गोली वागेरह इस्तेमाल करना पसंद नहीं थी और अपनी गर्भवस्था को रोकने के लिए राहुल ही कंडोम इस्तेमाल करता था। फिर भी, एक भारतीय नारी और पत्नी होने के नाते वो अपने पति को कभी भी कोई कमी का एहसास नहीं होने देती थी।

दीपा की दीदी, सविता और नवीन जीजू , राहुल और रेणु के बगल वाले फ्लेट में रहते थे। राहुल के फ्लेट से जो जीना आता था वहीं उनके 2 कमरे के फ्लेट का दरवाजा था। नवीन 30 साल का एक अनुभवी और अपने शहर का प्रसिद्द व्यापारी था। पर अपने व्यवसाय के सिलसिले में अधिकतर वो 10 से 15 दिनो तक के लिए घर से बाहर ही रहा करता था। सविता 26 साल की महिला थी और उसके 6 महीने का एक बच्चा भी था। उसके स्तन हालांकि बड़े थे पर फिर भी अच्छे आकार लिए हुये थे जो उसके ब्लाउज में बमुश्किल ही समा पाते थे। उसका बेबी अभी भी माँ के दूध पर ही था।

नवीन के साथ उसकी 70 वर्षीय दादी माँ भी रहती थी, जीने जिहे सब प्यार से बा कह कर बुलाते थे। वो कानो से कम सुना करती थी और आँखों में मोतियाबिंद की तकलीफ के बादसे देख भी नहीं पाती थी ठीक से।
वो अधिकतर पूजा पाठ में व्यस्त रहा करतीथी|
रेणु और सविता जल्दी ही अच्छी दोस्त बन गईं थी। रेणु सविता की सविता भाभी कहा करती थी। वो लोग अपनी दोपहर साथ ही गुजारती थीं। दीपा कॉलेज जाती थी, नवीन व्यापार के लिए बाहर और राहुल भी कॉलेज में होता था। सो वो दोनों लोग बच्चे के साथ खेलते थे, गप्पें मारते थे। कभी कभी वो दोनों अपनी अपनी सेक्स लाइफ के बारे में एकाध दो बातें भी एक दूसरे से फुसफुसाते हुये और ही ही करते हुये कह डालती थीं।

सविता और नवीन सेक्स के मामले में बहुत ही अडवेंचरस और अनुभवी थे। कभी कभी रेणु, सविता की बताई बातों से चकित रह जाती थी जबकि सविता रेणु के इस चकित रहने पर उसे नया प्रयोग करने के लिए उकसाती रहती थी।
सविता: मुझे पता है, तुम बहुत डरपोक हो, अपने पति को ऐसा करने के लिए नहीं बोल पाओगी। लगता है राहुल को मुझे ही बोलना पड़ेगा।
रेणु: नहीं ....नहीं....आप ऐसा कुछ मत करिएगा।

रेणु लगभग घबराती हुयी सी बोली तो सविता खिलखिलाकर हंस दी। रेणु के कान मारे शर्म के लाल हो गए थे। पर सविता भी कभी कभी असहज महसूस करती थी जब उसे रेणु से पता लगता था की राहुल और रेणु कितनी बार और किन तरीकों से सेक्स करते हैं, जबकि नवीन सेक्स के मामले में अब थोड़ा कम ही ध्यान दे पाता था और न ही उसमे इतनी एनेरजी रही थी।

और फिर एक दिन राहुल का लगाया कंडोम काम नहीं कर पाया और उसका वीर्य रेणु के योनि में आ गया और उसे गर्भ भी ठहर गया। उसका पीरियड मिस हो गया था और गर्भवस्था के पूरे लक्षण दिख रहे थे। अब उसकी देखभाल और अच्छी तरह से हो सके सो उसके तीसरे महीने में उसे उसकी माँ के पास भेजने का फैसला किया गया। मतलब की राहुल को करीब 8-9 महीने बिना रेणु के ही रहना था।

रेणु ने पूरे घर को जाने से पहले एकसा किया और सविता भाभी, दीपा और बा से मिली और राहुल का ख़याल रखने के लिए भी बोल दिया। राहुल भी रेणु के साथ उसे छोडने चला गया और कुछ दिनो के बाद वापस लौट आया। राहुल बहुत ही भारी दिल के साथ शहर लौट कर आया था पर जल्दी ही कॉलेज के कामों में व्यस्त हो गया। खाना या तो वो किसी ढाबे पर या रेस्टोरेंट में खा लेता था।

उधर सविता ने रेणु की बातों को गहरायी से लेते हुये राहुल को डिनर पर भी बुला लिया। थोड़ी न नुकुर के बाद राहुल मान गया और लगभग रोजाना ही सविता के यहाँ डिनर पर आना शुरू कर दिया। आखिर रेस्टोरेंट में खाने से तो अच्छा ही था। पर इस एहसान की भरणपूर्ति के लिए राहुल भी सविता के घर के सामान में शामिल कुछ जरूरी चीजें कॉलेज से लौटते समय ले आता था। और जल्दी ही सविता और राहुल में अच्छी पटने लगी थी।

अब राहुल और सविता दोनों एक दुसरे की चुदाई के लिए सोचने लगे थे|सविता समझ गई की अब उसे ही कुछ करना होगा। समय आ गया था की अब वो ही कुछ फैसला ले।
सविता उठी और दरवाजे की तरफ बढ़ी, उसके होंठ कांप रहे थे। उसने दरवाजा अंदर से बंद किया और राहुल की तरफ बढ़ने लगी। वो सीधी राहुल के पास पहुँची और फिर उसके पाजामे में बन रहे टेंट पर धीमे से हाथ रख दिया। राहुल को जवाब मिल गया था। उसने सविता को अपनी बाहों में भरना चाहा, पर सविता ने उसे जमीन पर बिछी चटाई पर पीछे की तरफ लेटते हुये उसे अपने ऊपर आने दिया।

राहुल उतावला हो चला था, कई महीनो के बाद आज वो किसी स्त्री के साथ शारीरिक सुख भोगने जा रहा था। उसने सविता को चटाई पर लिटा दिया और उसकी साड़ी ऊपर की तरफ खोल दी जैसे ही सविता ने अपनी टाँगे थोड़ी हवा में की, मानो वो भी यही चाहती थी। राहुल ने उसकी बिना धैर्य के उसकी पेंटी जल्दी से नीचे की तरफ निकाल डाली। फिर उसने अपना पायजाम जल्दी से खोल डाला और सविता की खुली हुयी जांघों के बीच में अपने को झुका दिया। वो खुद भी थोड़ा कंपकंपा रहा था की उसका उत्तेजना में खड़ा लिंग सविता की अब तक योनि रस से गीली हो चुकी योनि से टकराने लगा था। उसने एक ज़ोर का धक्का दिया....

'मैं यह सिर्फ दीपा की खातिर कर रही हूँ', सविता अपने मन को मना रही थी। और फिर उसके दिमाग में से सारे विचार आने गायब हो गए जैसे ही राहुल का लिंग उसकी योनि में प्रवेश करने लगा। जो शारीरक आनंद उस समय वो अनुभव कर रही थी। उसके आगे वो सब कुछ भूलने को तैयार हो उठी। राहुल का लिंग उसकी योनि को चीरता हुया अंदर तक चला गया। इतने दिनो की फ्रष्टेशन और उत्तेजना से राहुल पागल सा हो चुका था और बड़ी ही तेजी के साथ उसने अपने लिंग को अंदर बाहर करते हुये सविता को चौदना (पाठकों की माँग पर यह शब्द मैं यहाँ यूज़ कर रही हूँ) शुरू कर दिया। वो अपने पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और लगभग 5 मिनट में ही उसने गाड़े क्रीमी वीर्य की धार पर धार सविता की योनि में छोड़ मारी और सविता के ऊपर गिर के निढाल सा पढ़ गया।

जहाँ तक सविता की बात थी, तो बच्चा होने के बाद से उसने बहुत कम ही सेक्स किया था अपने पति के साथ और जब किया भी था तो उसमे वो बात नहीं थी। नवीन उसे ज्यादा छूता भी नहीं था। या तो नवीन अब उसे पसंद नहीं करता था या फिर कुछ और बात थी... खैर, राहुल के लिंग के स्पर्श और उसके वीर्य के गरम धारों को महसूस करते हुये उसका भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो रखा था। जब से राहुल का लिंग उसकी योनि को चीरता हुआ अंदर बाहर होना शुरू हुआ था तभी से वो कई बार ओरगास्म महसूस कर चुकी थी। वो तो यह भी भूल चुकी थी की उसे इन पिछले पाँच मिनटों में कितनी बार ओरगास्म हुया था?


सविता का जब होश आया तो उसने अपने आप को राहुल के नीचे ही पाया। उसका अर्ध-उत्तेजित लिंग अभी भी उसकी योनि में ही था। तभी उसने इस बात का अंदाजा लगाया की इस समय कितनी बुरी हालत है की अगर किसी ने राहुल के या सविता के घर का दरवाजा खटखटाया तो कितनी बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। और अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो यदि उसका बच्चा जाग गया तो...या फिर बा ने आवाज दे दी तो?

उसने तुरंत राहुल को धक्का देकर अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की, पर राहुल अभी अपना काम पूरा नहीं किया था। उसने तुरंत ही फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। उसका लिंग फिर से तनाव में आ गया था। वो खुद भी उसके लिंग में तनाव महसूस कर पा रही थी। इस बार राहुल तरीके के साथ धक्के लगा रहा था, पहले की तरह जल्दबाजी से नहीं। वो बार बार धक्के लगता रह जब तक की उसका वीर्य फिर से नहीं निकाल गया। जब इस बार उसका वीर्य फिर से निकला तो सविता के मुह से सिसकारी भी साफ सुनी जा सकती थी और साथ ही गीलापन इतना अधिक हो चुका था �















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