हिंदी सेक्सी कहानियाँ घर का दूध पार्ट--6
गाटांक से आगे............ उस लड़की का कोई अंग एकदम मन मे भरता था तो वह
था उसकी विशाल छाती. उसका आँचल ढला हुआ था; शायद उसने जान बूझकर भी
गिराया हो. उसकी चोली इतनी तंग थी कि छातियाँ उसमे से बाहर आने को कर रही
थी. चोली के पतले कपड़े मे से उसके नारियल जैसे मम्मे और उनके सिरे पर
जामुन जैसे निप्पालों का आकार दिख रहा था. निप्पालों पर उसकी चोली थोड़ी
गीली भी थी. मेरा लंड खड़ा होने लगा. मुझे थोड़ा अटपटा लगा पर मैं क्या
करता, उस छ्छोकरी की मस्त जवानी थी ही ऐसी. मंजू आगे बोली. "उसे मैने सब
बता दिया है बाबूजी, इसीलिए आराम से रहो, कुच्छ च्छुपाने की ज़रूरत नही
है" मेरा लंड अब तक तन्ना कर पूरा खड़ा हो गया था. मंजू हँसने लगी "मेरी
बिटिया भा गयी बाबूजी आपको. कहो तो इसे भी यहीं रख लूँ. आप की सेवा
करेगी. हां इसकी तनखुवा अलग होगी" उस मतवाली छ्हॉकरी के लिए मैं कुच्छ भी
करने को तैयार था. "बिल्कुल रख लो बाई, और तनखुवा की चिंता मत करो" "असल
बात तो आप समझे ही नही बाबूजी, गीता पिच्छले साल ही माँ बनी है. बहुत दूध
आता है उसको, बड़ी तकलीफ़ भी होती है बेचारी को. बच्चा एक साल को हो गया,
अब दूध नही पिता, पर इसका दूध बंद नही होता. चून्चि सूज कर दुखने लगती
है. जब आप मेरा दूध पीने की बात बोले तो मुझे ख़याल आया, क्यों ना गीता
को गाँव से बुला लाउ, उसकी भी तकलीफ़ दूर हो जाएगी और आपके मन की बात भी
हो जाएगी? बोलो, जमता है ना बाबूजी?" मैने गीता की चून्चि घुरते हुए कहा
"पर इसका मर्द और बच्चा?" "उसकी फिकर आप मत करो, इसका आदमी काम से च्छेः
महीने को शहर गया है, इसीलिए मैने इसे मायके बुला लिया. इसकी सास अपने
पोते के बिना नही रह सकती, बहुत लगाव है, इसीलिए उसे वहीं छ्चोड़ दिया
है, ये अकेली है इधर" याने मेरी लाइन एकदम क्लियर थी. मैं गीता का जोबन
देखने लगा. लगता था कि पकड़ कर खा जाउ, चढ़ कर मसल डालूं उसके मतवाले रूप
को. गीता भी मस्त हो गयी थी, मेरे खड़े लंड को देख कर. लंड देखते हुए
धीरे धीरे खड़े खड़े अपनी जांघें रगड़ रही थी. "सिर्फ़ दूध पीने की बात
हुई है बाबूजी, ये सम्झ लो." मंजू ने मुझे उलाहना दिया. फिर गीता को मीठी
फटकार लगाई "और सुन री छिनाल लड़की. मेरी इजाज़त के बिना इस लंड को हाथ
भी नही लगाना, ये सिर्फ़ तेरी अम्मा का है" "अम्मा , ये क्या? मेरे को भी
मज़ा करने दे ना & कितना मतवाला लंड है, तू बता रही थी तो भरोसा नही था
मेरा पर ये तो और खूबसूरत निकला" गीता मचल कर बोली. उसकी नज़रें मेरे लंड
पर गढ़ी हुई थीं. बड़ी चालू चीज़ थी, ज़रा भी नही शर्मा रही थी, बल्कि
चुदने को मरी जा रही थी. "बदमाश कहीं की, तू सुधरेगी नही, मैने कहा ना
फिर देखेंगे. अभी चोली निकाल और फटाफट बाबूजी को दूध पीला." मंजू ने अपनी
बेटी को डाँटते हुए कहा. मंजू अब मेरे लंड को पाजामे के बाहर निकाल कर
प्यार से मुठिया रही थी. फिर उसने झुक कर उसे चूसना शुरू कर दिया. उधर
गीता ने अपना ब्लओज़ निकाल दिया. उसकी पपीते जैसे मोटी मोटी चूंचियाँ अब
नंगी थीं. वह एकदम फूली फूली थी जैसे अंदर कुच्छ भरा हो. वजन से वो लटक
रही थी. एक स्तन को हाथ मे उठाकर सहारा देते हुए गीता बोली "अम्मा देख
ना, कैसे भर गये है मम्मे मेरे, आज सुबह से खाली नही हुए, बहुत दुखाते
है" "अरे तो टाइम क्यों बर्बाद कर रही है. आ बैठ बाबूजी के पास और जल्दी
दूध पीला उनको. भूखे होंगे बेचारे" मंजू ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा और
पलंग पर मेरे पास बिठा दिया. मैं सिरहाने से टिक कर बैठा था. गीता मेरे
पास सरकी, उसकी काली आँखों मे मस्ती झलक रही थी. उसके मम्मे मेरे सामने
थे. निप्पालों के चारों ओर तश्तरी जैसे बड़े गोले थे. पास से वी मोटे
मोटे लटके स्तन और भी ज़यादा रसीले लग रहे थे. अब मुझसे नही रहा गया और
झुक कर मैने एक काला जामुन मुँह मे ले लिया और चूसने लगा. मीठा कुनकुना
दूध मेरे मुँह मे भर गया. मेरी उस अवस्था मे मुझे वह अमृत जैसा लग रहा
था. मैने दोनो हाथों मे उसकी चून्चि पकड़ी और चूसने लगा जैसे की बड़े
नारियल का पानी पी रहा हूँ. लगता था मैं फिर छ्होटा हो गया हूँ. आँखें
बंद करके मैं स्तनपान करने लगा. उधर मंजू ने मेरा लंड मुँह मे ले लिया.
अपनी कमर उछाल कर मैं उसका मुँह चोदने की कोशिश करने लगा. वह महा उस्ताद
थी, बिना मुझे झड़ाए प्यार से मेरा लंड चुसती रही. अब तक गीता भी गरमा
गयी थी. मेरा सिर उसने कस कर अपनी चूचियो पर भींच लिया जिससे मैं छ्छूट
ना पाउ और उसका निपल मुँह से ना निकालूं. उसे क्या मालूम था की उसकी उस
मतवाली चून्चि को छ्चोड़ दूँ ऐसा मूरख मैं नही था. उसका मम्मा दबा दबा कर
उसे दुहाते हुए मैं दूध पीने लगा. अब वह प्यार से मेरे बाल चूम रही थी.
सुख की सिसकारियाँ भरती हुई बोली "अम्मा, बाबूजी की क्या जवानी है, देख
क्या मस्त चूस रहे है मेरी चून्चि, एकदम भूखे बच्चे जैसे पी रहे है. और
उनका यह लंड तो देख अम्मा, कितनी ज़ोर से खड़ा है. अम्मा, मुझे भी चूसने
दे ना!" मंजू ने मेरा लंड मुँह से निकाल कर कहा "कल से, आज नही, वो भी
अगर बाबूजी हां कहें तो! पता नही तेरा दूध उन्हें पसंद आया है कि नही"
वैसे गीता के दूध के बारे मे मैं क्या सोचता हूँ, इसका पता उसे मेरे
उच्छालते लंड से ही लग गया होगा. आख़िर गीता का स्तन खाली हो गया. उसे
दबा दबा कर मैने पूरा दूध निचोड़ लिया. फिर भी उसके उस मोटे जामुन से
निपल को मुँह से निकालने का मन नही हो रहा था. पर मैने देखा की उसके
दूसरे निपल से अब दूध टपकने लगा था. शायद ज़्यादा भर गया था. मैने उसे
मुँह मे लिया और उसकी दूसरी चून्चि दूह कर पीने लगा. गीता खुशी से चाहक
उठी. "अम्मा, ये तो दूसरा मम्मा भी खाली कर रहे है. मुझे लगा था कि एक से
इनका मन भर जाएगा." "तो पीने दे ना पगली, उन्हें भूख लगी होगी. अच्च्छा
भी लगा होगा तेरा दूध. अब बकबक मत कर, मुझे बाबूजी का लॉडा चूसने दे ठीक
से, बस मलाई फेकने ही वाला है अब" कह कर मंजू फिर शुरू हो गयी अब दूसरी
चून्चि भी मैने खाली कर दी तब मंजू ने मेरा लंड जड़ तक निगल कर अपने गले
मे ले लिया और ऐसे चूसा की मैं झाड़ गया. मुझे दूध पिलवा कर उस बिल्ली ने
मेरी मलाई निकाल ली थी. मैं लस्त होकर पिछे लुढ़क गया पर गीता अब भी मेरा
सिर अपनी चूची पर भींच कर अपनी चून्चि मेरे मुँह मे ठूँसती हुई वैसे ही
बैठी थी. मैने किसी तरहा से उसे अलग किया. गीता मेरी ओर देख कर बोली
"बाबूजी, पसंद आया मेरा दूध?" वह ज़रा टेंशन मे थी कि मैं क्या कहता हूँ.
मैने खींच कर उसका गाल चूम लिया. "बिल्कुल अमरित था गीता रानी, रोज
पिलाओगी ना?" वह थोड़ी शर्मा गयी पर मुझे आँख मार कर हँसने लगी. मैने
मंजू से पुचछा "कितना दूध निकलता है इसके थनो से रोज बाई? आज तो मेरा ही
पेट भर गया, इसका बच्चा कैसे पीता था इतना दूध" मंजू बोली "अभी ज़्यादा
था बाबूजी, कल से बेचारी की चून्चि खाली नही की थी ना. नही तो करीब इसका
आधा ही निकलता है एक बार मे. वैसे हर चार घंटे मे पीला सकती है ये." मैने
हिसाब लगाया. मैने कम से कम पाव डेढ़ पाव दूध ज़रूर पिया था. अगर दिन मे
चार बार यह आधा पाव दूध भी दे तो आधा पौना लीटर दूध होता था दिन का. दिन
मे दो तीन पाव देने वाली उस मस्त दो पैर की गाय को देख कर मैं बहक गया.
मंजू को पुच्छा "बोलो बाई, कितनी तनखुवा लेगी तेरी बेटी?" वो गीता की ओर
देख कर बोली "पाँच सौ रुपये दे देना बाबूजी. आप हज़ार वैसे ही देते हो,
आप से ज़्यादा नही लूँगी." मैने कहा कि हज़ार रुपये दूँगा गीता को. गीता
तुनक कर बोली "पर काहे को बाबूजी, पाँच सौ बहुत है, और मैं भी तो आपके इस
लाख रुपये के लंड से चुदवंगी रोज . हज़ार ज़्यादा है, मैं कोई कमाने
थोड़े ही आई हूँ आपके पास." मैने गीता की चून्चि प्यार से दबा कर कहा
"मेरी रानी, ज़्यादा नही दे रहा हूँ, पाँच सौ तुम्हारे काम के, और पाँच
सौ दूध के. अब कम से कम मेरे लिए तो बाहर से दूध खरीदने की ज़रूरत नही
है. वैसे तुम्हारा ये दूध तो हज़ारों रुपये मे भी सस्ता है" गीता शर्मा
गयी पर मंजू हँसने लगी "बिल्कुल ठीक है बाबूजी. बीस रुपये लीटर दूध मिलता
है, उस हिसाब से महीने भर मे बीस पचीस लीटर दूध तो मिल ही जाएगा आपको"
गीता ने एक दो बार और ज़िद की पर उस रात मंजू ने मुझे अपनी बेटी नही
चोदने दी. बस उस रात को एक बार और गीता का दूध मुझे पिलवाया. दूध पिलाते
पिलाते गीता बार बार चुदाने की ज़िद कर रही थी पर मंजू आडी रही. "गीता
बेटी, आज रात और सबर कर ले. कल शनिवार है, बाबूजी की छुट्टी है. कल सुबह
दूध पिलाने आएगी ना तू, उसके बाद कर लेना मज़ा" गीता के जाने के बाद मैने
मंजू को ऐसा चोदा की वह एकदम खुश हो गयी. "आज तो बाबूजी, बहुत मस्त चोद
रहे हो हचक हचक कर. लगता है मेरी बेटी बहुत पसंद आई है, उसी की याद आ रही
है, है ना?" क्रमशः........... Ghar Ka Doodh part--6 Gataank se
aage............ us ladki ka koi ang ekdam man mei bharta tha to weh
tha uski vishaal Chhaati. uska aanchal dhalaa hua tha; shaayad usne
jaan bujhkar bhi giraya ho. uski choli itni tang thi ki Chaatiyaan
usme se baahar aane ko kar rahi thi. Choli ke patle kapde mei se uske
naariyal jaise mamme aur unke sire par jaamun jaise nippalon ka aakaar
dikh raha tha. Nippalon par uski choli thodi gili bhi thi. mera land
khada hone laga. mujhe thoda atpata laga par main kya karta, us
chhokri ki mast jawaani thi hi aisi. Manju aage boli. "use maine sab
bata diya hai babuji, isiliye aaraam se raho, kuchh chhupaane ki
jarurat nahi hai" mera land ab tak tanna kar pura khada ho gaya tha.
Manju hansne lagi "meri bitiyaa bhaa gayi babuji aapko. kaho to ise
bhi yahin rakh loon. aap ki sewa karegi. haan iski tankhuwa alag hogi"
us matwaali chhokari ke liye main kuchh bhi karne ko taiyaar tha.
"bilkul rakh lo baayi, aur tankhuwa ki chinta mat karo" "asal baat to
aap samjhe hi nahi babuji, Geeta pichhle saal hi maan bani hai. bahut
Doodh aata hai usko, badi taklif bhi hoti hai bechaari ko. Bachcha ek
saal ko ho gaya, ab Doodh nahi pita, par iska Doodh band nahi hota.
choonchi sooj kar dukhne lagati hai. jab aap mera Doodh pine ki baat
bole to mujhe khayaal aaya, kyon na Geeta ko gaanv se bula laaun, uski
bhi taklif dur ho jaayegi aur aapke man ki baat bhi ho jaayegi? bolo,
jamta hai na babuji?" maine Geeta ki choonchi ghurate hue kaha "par
iska mard aur bachcha?" "uski fikar aap mat karo, iska aadmi kaam se
chheh mahine ko shahar gaya hai, isiliye maine ise maayke bula liya.
iski saas apne pote ke bina nahi reh sakti, bahut lagaav hai, isiliye
use wahin Chhod diya hai, ye akeli hai idhar" yaane meri line ekdam
kliyar thi. main Geeta ka joban dekhane laga. lagta tha ki pakad kar
khaa jaaun, chadh kar masal daalun uske matwaale roop ko. Geeta bhi
mast ho gayi thi, mere khade land ko dekh kar. Land dekhate hue dhire
dhire khade khade apni jaanghen ragad rahi thi. "sirf Doodh pine ki
baat hui hai babuji, ye samjh lo." Manju ne mujhe ulahana diya. fir
Geeta ko mithi fatkaar lagayi "aur sun ri chhinaal ladki. meri ijaajat
ke bina is land ko haath bhi nahi lagana, ye sirf teri amma kaa hai"
"ammaa , ye kya? mere ko bhi maza karne de na & kitna matwaala land
hai, tu bata rahi thi to bharosa nahi tha mera par ye to aur
khoobasurat nikla" Geeta machal kar boli. uski najaren mere land par
gadi hui thim. badi chaalu chiz thi, jara bhi nahi sharma rahi thi,
balki chudaane ko mari jaa rahi thi. "badmaash kahin ki, tu sudaregi
nahi, maine keha na fir dekhenge. abhi choli nikaal aur fatafat babuji
ko Doodh pilaa." Manju ne apni beti ko Daantate hue keha. Manju ab
mere land ko pajaame ke baahar nikaal kar pyaar se muthiyaa rahi thi.
fir usne jhuk kar use chusna shuru kar diya. udhar Geeta ne apna
blaauz nikaal diya. uski papite jaise moti moti chunchiyaan ab nangi
thim. Weh ekdam fuli fuli thi jaise ander kuchh bhara ho. wajan se we
latak rahi thin. ek stan ko haath mei uthakar sahaara dete hue Geeta
boli "ammaa dekh na, kaise bhar gaye hai mamme mere, aaj subah se
khaali nahi hue, bahut dukhate hai" "are to Time kyon barbaad kar rahi
hai. aa baith babuji ke paas aur jaldi Doodh pila unko. bhukhe honge
bechaare" Manju ne uska haath pakad kar khincha aur palang par mere
paas bitha diya. main sirahane se Tik kar baitha tha. Geeta mere paas
saraki, uski kaali aankhon mei masti jhalak rahi thi. uske mamme mere
saamne the. Nippalon ke chaaron or tashtari jaise bade gole the. paas
se we mote mote latke stan aur bhi jayada rasile lag rahe the. Ab
mujhse nahi raha gaya aur jhuk kar maine ek kaala jaamun munh mei le
liya aur chusne laga. Mitha kunkuna Doodh mere munh mei bhar gaya.
Meri us awastha mei mujhe weh amrut jaisa lag raha tha. maine dono
haathon mei uski choonchi pakdi aur chusane laga jaise ki bade
naariyal ka paani pi raha hoon. lagta tha main fir Chhota ho gaya hun.
Aankhen band karke main stanpaan karne laga. Udhar Manju ne mera land
munh mei le liya. Apni kamar uchaal kar main uska munh chodne ki
koshish karne laga. weh maha ustaad thi, bina mujhe jhadaaye pyaar se
mera land chusati rahi. ab tak Geeta bhi garma gayi thi. mera sir usne
kas kar apni Chhaati par bhinch liya jisse main chhoot na paaun aur
uska nipple munh se na nikaalun. use kya maalum tha ki uski us
matwaali choonchi ko Chhod doon aisaa murakh main nahi tha. uska
mammaa daba daba kar use duhate hue main Doodh pine laga. ab weh pyaar
se mere baal chum rahi thi. sukh ki sisakaariyaan bharati hui boli
"ammaa, babuji ki kya jawaani hai, dekh kya mast chus rahe hai meri
choonchi, ekdam bhukhe bachche jaise pi rahe hai. aur unka yeh land to
dekh ammaa, kitani jor se khada hai. ammaa, mujhe bhi chusne de naa!"
Manju ne mera land munh se nikaal kar kaha "kal se, aaj nahi, wo bhi
agar babuji haan kahen to! pata nahi tera Doodh unhein pasand aayaa
hai ki nahi" waise Geeta ke Doodh ke baare mei main kya sochta hun,
iska pata use mere uchhalate land se hi lag gaya hoga. aakhir Geeta ka
stan khaali ho gaya. use daba daba kar maine pura Doodh nichod liya.
fir bhi uske us mote jaamun se nipple ko munh se nikaalne ka man nahi
ho raha tha. par maine dekha ki uske dusre nipple se ab Doodh Tapakne
laga tha. shaayad jyaada bhar gaya tha. maine use munh mei liya aur
uski dusari choonchi duh kar pine laga. Geeta khushi se chahak uthi.
"ammaa, ye to dusra mammaa bhi khaali kar rahe hai. mujhe laga tha ki
ek se inka man bhar jaayega." "to pine de na pagali, unhein bhukh lagi
hogi. achchha bhi laga hoga tera Doodh. ab bakbak mat kar, mujhe
babuji kaa lauua chusne de Thik se, bas malaai fekane hi waala hai ab"
keh kar Manju fir shuru ho gayi ab dusri choonchi bhi maine khaali kar
di tab Manju ne mera land jad tak nigal kar apne gale mei le liya aur
aise chusa ki main jhad gaya. mujhe Doodh pilwaa kar us billi ne meri
malaai nikaal li thi. main last hokar pichhe ludhak gaya par Geeta ab
bhi mera sir apni Chhaati par bhinch kar apni choonchi mere munh mei
thunsati hui waise hi baithi thi. maine kisi tarha se use alag kiya.
Geeta meri or dekh kar boli "babuji, pasand aaya mera Doodh?" weh jara
Tenshan mei thi ki main kya kehta hun. maine khinch kar uska gaal chum
liya. "bilkul amarit tha Geeta raani, roj pilaaogi naa?" weh thodi
sharma gayi par mujhe aankh maar kar hansne lagi. maine Manju se
puchha "kitna Doodh nikalta hai iske thano se roj baayi? aaj to mera
hi pet bhar gaya, iska bachcha kaise pita tha itna Doodh" Manju boli
"abhi jyaada tha babuji, kal se bechaari ki choonchi khaali nahi ki
thi naa. nahi to karib iska aadhaa hi nikalta hai ek baar mei. waise
har chaar ghante mei pila sakti hai ye." maine hisaab lagaya. maine
kam se kam paav Dedh paav Doodh jarur piya tha. agar din mei chaar
baar yeh aadhaa paav Doodh bhi de to aadhaa paunaa litar Doodh hota
tha din kaa. din mei do tin paav dene waali us mast do pair ki gaay ko
dekh kar main bahak gaya. din mei do tin paav dene waali us mast do
pair ki gaay ko dekh kar main bahak gaya. Manju ko puchhaa "bolo
baayi, kitni tankhuwa legi teri beTi?" wo Geeta ki or dekh kar boli
"paanch sau rupaye de dena babuji. aap hajaar waise hi dete ho, aap se
jyaada nahi lungi." maine keha ki hajaar rupaye doonga Geeta ko. Geeta
tunak kar boli "par kaahe ko babuji, paanch sau bahut hai, aur main
bhi to aapke is laakh rupaye ke land se chudwaaungi roj . hajaar
jyaada hai, main koi kamaane thode hi aai hun aapke paas." maine Geeta
ki choonchi pyaar se daba kar kaha "meri raani, jyaada nahi de raha
hun, paanch sau tumhaare kaam ke, aur paanch sau Doodh ke. ab kam se
kam mere liye to baahar se Doodh kharidane ki jarurat nahi hai. waise
tumhaara ye Doodh to hajaaron rupaye mei bhi sasta hai" Geeta sharma
gayi par Manju hansne lagi "bilkul Thik hai babuji. bees rupaye litar
Doodh milta hai, us hisaab se mahine bhar mei bis pachis litar Doodh
to mil hi jaayega aapko" Geeta ne ek do baar aur jid ki par us raat
Manju ne mujhe apni beti nahi chodne di. bas us raat ko ek baar aur
Geeta ka Doodh mujhe pilwaya. Doodh pilaate pilaate Geeta baar baar
chudaane ki jid kar rahi thi par Manju adi rahi. "Geeta beti, aaj raat
aur sabar kar le. kal shaniwaar hai, babuji ki Chhutti hai. kal subah
Doodh pilaane aayegi naa tu, uske baad kar lena maza" Geeta ke jaane
ke baad maine Manju ko aisa choda ki weh ekdam khush ho gayi. "aaj to
babuji, bahut mast chod rahe ho hachak hachak kar. lagta hai meri beti
bahut pasand aayi hai, usi ki yaad aa rahi hai, hai naa?"
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गाटांक से आगे............ उस लड़की का कोई अंग एकदम मन मे भरता था तो वह
था उसकी विशाल छाती. उसका आँचल ढला हुआ था; शायद उसने जान बूझकर भी
गिराया हो. उसकी चोली इतनी तंग थी कि छातियाँ उसमे से बाहर आने को कर रही
थी. चोली के पतले कपड़े मे से उसके नारियल जैसे मम्मे और उनके सिरे पर
जामुन जैसे निप्पालों का आकार दिख रहा था. निप्पालों पर उसकी चोली थोड़ी
गीली भी थी. मेरा लंड खड़ा होने लगा. मुझे थोड़ा अटपटा लगा पर मैं क्या
करता, उस छ्छोकरी की मस्त जवानी थी ही ऐसी. मंजू आगे बोली. "उसे मैने सब
बता दिया है बाबूजी, इसीलिए आराम से रहो, कुच्छ च्छुपाने की ज़रूरत नही
है" मेरा लंड अब तक तन्ना कर पूरा खड़ा हो गया था. मंजू हँसने लगी "मेरी
बिटिया भा गयी बाबूजी आपको. कहो तो इसे भी यहीं रख लूँ. आप की सेवा
करेगी. हां इसकी तनखुवा अलग होगी" उस मतवाली छ्हॉकरी के लिए मैं कुच्छ भी
करने को तैयार था. "बिल्कुल रख लो बाई, और तनखुवा की चिंता मत करो" "असल
बात तो आप समझे ही नही बाबूजी, गीता पिच्छले साल ही माँ बनी है. बहुत दूध
आता है उसको, बड़ी तकलीफ़ भी होती है बेचारी को. बच्चा एक साल को हो गया,
अब दूध नही पिता, पर इसका दूध बंद नही होता. चून्चि सूज कर दुखने लगती
है. जब आप मेरा दूध पीने की बात बोले तो मुझे ख़याल आया, क्यों ना गीता
को गाँव से बुला लाउ, उसकी भी तकलीफ़ दूर हो जाएगी और आपके मन की बात भी
हो जाएगी? बोलो, जमता है ना बाबूजी?" मैने गीता की चून्चि घुरते हुए कहा
"पर इसका मर्द और बच्चा?" "उसकी फिकर आप मत करो, इसका आदमी काम से च्छेः
महीने को शहर गया है, इसीलिए मैने इसे मायके बुला लिया. इसकी सास अपने
पोते के बिना नही रह सकती, बहुत लगाव है, इसीलिए उसे वहीं छ्चोड़ दिया
है, ये अकेली है इधर" याने मेरी लाइन एकदम क्लियर थी. मैं गीता का जोबन
देखने लगा. लगता था कि पकड़ कर खा जाउ, चढ़ कर मसल डालूं उसके मतवाले रूप
को. गीता भी मस्त हो गयी थी, मेरे खड़े लंड को देख कर. लंड देखते हुए
धीरे धीरे खड़े खड़े अपनी जांघें रगड़ रही थी. "सिर्फ़ दूध पीने की बात
हुई है बाबूजी, ये सम्झ लो." मंजू ने मुझे उलाहना दिया. फिर गीता को मीठी
फटकार लगाई "और सुन री छिनाल लड़की. मेरी इजाज़त के बिना इस लंड को हाथ
भी नही लगाना, ये सिर्फ़ तेरी अम्मा का है" "अम्मा , ये क्या? मेरे को भी
मज़ा करने दे ना & कितना मतवाला लंड है, तू बता रही थी तो भरोसा नही था
मेरा पर ये तो और खूबसूरत निकला" गीता मचल कर बोली. उसकी नज़रें मेरे लंड
पर गढ़ी हुई थीं. बड़ी चालू चीज़ थी, ज़रा भी नही शर्मा रही थी, बल्कि
चुदने को मरी जा रही थी. "बदमाश कहीं की, तू सुधरेगी नही, मैने कहा ना
फिर देखेंगे. अभी चोली निकाल और फटाफट बाबूजी को दूध पीला." मंजू ने अपनी
बेटी को डाँटते हुए कहा. मंजू अब मेरे लंड को पाजामे के बाहर निकाल कर
प्यार से मुठिया रही थी. फिर उसने झुक कर उसे चूसना शुरू कर दिया. उधर
गीता ने अपना ब्लओज़ निकाल दिया. उसकी पपीते जैसे मोटी मोटी चूंचियाँ अब
नंगी थीं. वह एकदम फूली फूली थी जैसे अंदर कुच्छ भरा हो. वजन से वो लटक
रही थी. एक स्तन को हाथ मे उठाकर सहारा देते हुए गीता बोली "अम्मा देख
ना, कैसे भर गये है मम्मे मेरे, आज सुबह से खाली नही हुए, बहुत दुखाते
है" "अरे तो टाइम क्यों बर्बाद कर रही है. आ बैठ बाबूजी के पास और जल्दी
दूध पीला उनको. भूखे होंगे बेचारे" मंजू ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा और
पलंग पर मेरे पास बिठा दिया. मैं सिरहाने से टिक कर बैठा था. गीता मेरे
पास सरकी, उसकी काली आँखों मे मस्ती झलक रही थी. उसके मम्मे मेरे सामने
थे. निप्पालों के चारों ओर तश्तरी जैसे बड़े गोले थे. पास से वी मोटे
मोटे लटके स्तन और भी ज़यादा रसीले लग रहे थे. अब मुझसे नही रहा गया और
झुक कर मैने एक काला जामुन मुँह मे ले लिया और चूसने लगा. मीठा कुनकुना
दूध मेरे मुँह मे भर गया. मेरी उस अवस्था मे मुझे वह अमृत जैसा लग रहा
था. मैने दोनो हाथों मे उसकी चून्चि पकड़ी और चूसने लगा जैसे की बड़े
नारियल का पानी पी रहा हूँ. लगता था मैं फिर छ्होटा हो गया हूँ. आँखें
बंद करके मैं स्तनपान करने लगा. उधर मंजू ने मेरा लंड मुँह मे ले लिया.
अपनी कमर उछाल कर मैं उसका मुँह चोदने की कोशिश करने लगा. वह महा उस्ताद
थी, बिना मुझे झड़ाए प्यार से मेरा लंड चुसती रही. अब तक गीता भी गरमा
गयी थी. मेरा सिर उसने कस कर अपनी चूचियो पर भींच लिया जिससे मैं छ्छूट
ना पाउ और उसका निपल मुँह से ना निकालूं. उसे क्या मालूम था की उसकी उस
मतवाली चून्चि को छ्चोड़ दूँ ऐसा मूरख मैं नही था. उसका मम्मा दबा दबा कर
उसे दुहाते हुए मैं दूध पीने लगा. अब वह प्यार से मेरे बाल चूम रही थी.
सुख की सिसकारियाँ भरती हुई बोली "अम्मा, बाबूजी की क्या जवानी है, देख
क्या मस्त चूस रहे है मेरी चून्चि, एकदम भूखे बच्चे जैसे पी रहे है. और
उनका यह लंड तो देख अम्मा, कितनी ज़ोर से खड़ा है. अम्मा, मुझे भी चूसने
दे ना!" मंजू ने मेरा लंड मुँह से निकाल कर कहा "कल से, आज नही, वो भी
अगर बाबूजी हां कहें तो! पता नही तेरा दूध उन्हें पसंद आया है कि नही"
वैसे गीता के दूध के बारे मे मैं क्या सोचता हूँ, इसका पता उसे मेरे
उच्छालते लंड से ही लग गया होगा. आख़िर गीता का स्तन खाली हो गया. उसे
दबा दबा कर मैने पूरा दूध निचोड़ लिया. फिर भी उसके उस मोटे जामुन से
निपल को मुँह से निकालने का मन नही हो रहा था. पर मैने देखा की उसके
दूसरे निपल से अब दूध टपकने लगा था. शायद ज़्यादा भर गया था. मैने उसे
मुँह मे लिया और उसकी दूसरी चून्चि दूह कर पीने लगा. गीता खुशी से चाहक
उठी. "अम्मा, ये तो दूसरा मम्मा भी खाली कर रहे है. मुझे लगा था कि एक से
इनका मन भर जाएगा." "तो पीने दे ना पगली, उन्हें भूख लगी होगी. अच्च्छा
भी लगा होगा तेरा दूध. अब बकबक मत कर, मुझे बाबूजी का लॉडा चूसने दे ठीक
से, बस मलाई फेकने ही वाला है अब" कह कर मंजू फिर शुरू हो गयी अब दूसरी
चून्चि भी मैने खाली कर दी तब मंजू ने मेरा लंड जड़ तक निगल कर अपने गले
मे ले लिया और ऐसे चूसा की मैं झाड़ गया. मुझे दूध पिलवा कर उस बिल्ली ने
मेरी मलाई निकाल ली थी. मैं लस्त होकर पिछे लुढ़क गया पर गीता अब भी मेरा
सिर अपनी चूची पर भींच कर अपनी चून्चि मेरे मुँह मे ठूँसती हुई वैसे ही
बैठी थी. मैने किसी तरहा से उसे अलग किया. गीता मेरी ओर देख कर बोली
"बाबूजी, पसंद आया मेरा दूध?" वह ज़रा टेंशन मे थी कि मैं क्या कहता हूँ.
मैने खींच कर उसका गाल चूम लिया. "बिल्कुल अमरित था गीता रानी, रोज
पिलाओगी ना?" वह थोड़ी शर्मा गयी पर मुझे आँख मार कर हँसने लगी. मैने
मंजू से पुचछा "कितना दूध निकलता है इसके थनो से रोज बाई? आज तो मेरा ही
पेट भर गया, इसका बच्चा कैसे पीता था इतना दूध" मंजू बोली "अभी ज़्यादा
था बाबूजी, कल से बेचारी की चून्चि खाली नही की थी ना. नही तो करीब इसका
आधा ही निकलता है एक बार मे. वैसे हर चार घंटे मे पीला सकती है ये." मैने
हिसाब लगाया. मैने कम से कम पाव डेढ़ पाव दूध ज़रूर पिया था. अगर दिन मे
चार बार यह आधा पाव दूध भी दे तो आधा पौना लीटर दूध होता था दिन का. दिन
मे दो तीन पाव देने वाली उस मस्त दो पैर की गाय को देख कर मैं बहक गया.
मंजू को पुच्छा "बोलो बाई, कितनी तनखुवा लेगी तेरी बेटी?" वो गीता की ओर
देख कर बोली "पाँच सौ रुपये दे देना बाबूजी. आप हज़ार वैसे ही देते हो,
आप से ज़्यादा नही लूँगी." मैने कहा कि हज़ार रुपये दूँगा गीता को. गीता
तुनक कर बोली "पर काहे को बाबूजी, पाँच सौ बहुत है, और मैं भी तो आपके इस
लाख रुपये के लंड से चुदवंगी रोज . हज़ार ज़्यादा है, मैं कोई कमाने
थोड़े ही आई हूँ आपके पास." मैने गीता की चून्चि प्यार से दबा कर कहा
"मेरी रानी, ज़्यादा नही दे रहा हूँ, पाँच सौ तुम्हारे काम के, और पाँच
सौ दूध के. अब कम से कम मेरे लिए तो बाहर से दूध खरीदने की ज़रूरत नही
है. वैसे तुम्हारा ये दूध तो हज़ारों रुपये मे भी सस्ता है" गीता शर्मा
गयी पर मंजू हँसने लगी "बिल्कुल ठीक है बाबूजी. बीस रुपये लीटर दूध मिलता
है, उस हिसाब से महीने भर मे बीस पचीस लीटर दूध तो मिल ही जाएगा आपको"
गीता ने एक दो बार और ज़िद की पर उस रात मंजू ने मुझे अपनी बेटी नही
चोदने दी. बस उस रात को एक बार और गीता का दूध मुझे पिलवाया. दूध पिलाते
पिलाते गीता बार बार चुदाने की ज़िद कर रही थी पर मंजू आडी रही. "गीता
बेटी, आज रात और सबर कर ले. कल शनिवार है, बाबूजी की छुट्टी है. कल सुबह
दूध पिलाने आएगी ना तू, उसके बाद कर लेना मज़ा" गीता के जाने के बाद मैने
मंजू को ऐसा चोदा की वह एकदम खुश हो गयी. "आज तो बाबूजी, बहुत मस्त चोद
रहे हो हचक हचक कर. लगता है मेरी बेटी बहुत पसंद आई है, उसी की याद आ रही
है, है ना?" क्रमशः........... Ghar Ka Doodh part--6 Gataank se
aage............ us ladki ka koi ang ekdam man mei bharta tha to weh
tha uski vishaal Chhaati. uska aanchal dhalaa hua tha; shaayad usne
jaan bujhkar bhi giraya ho. uski choli itni tang thi ki Chaatiyaan
usme se baahar aane ko kar rahi thi. Choli ke patle kapde mei se uske
naariyal jaise mamme aur unke sire par jaamun jaise nippalon ka aakaar
dikh raha tha. Nippalon par uski choli thodi gili bhi thi. mera land
khada hone laga. mujhe thoda atpata laga par main kya karta, us
chhokri ki mast jawaani thi hi aisi. Manju aage boli. "use maine sab
bata diya hai babuji, isiliye aaraam se raho, kuchh chhupaane ki
jarurat nahi hai" mera land ab tak tanna kar pura khada ho gaya tha.
Manju hansne lagi "meri bitiyaa bhaa gayi babuji aapko. kaho to ise
bhi yahin rakh loon. aap ki sewa karegi. haan iski tankhuwa alag hogi"
us matwaali chhokari ke liye main kuchh bhi karne ko taiyaar tha.
"bilkul rakh lo baayi, aur tankhuwa ki chinta mat karo" "asal baat to
aap samjhe hi nahi babuji, Geeta pichhle saal hi maan bani hai. bahut
Doodh aata hai usko, badi taklif bhi hoti hai bechaari ko. Bachcha ek
saal ko ho gaya, ab Doodh nahi pita, par iska Doodh band nahi hota.
choonchi sooj kar dukhne lagati hai. jab aap mera Doodh pine ki baat
bole to mujhe khayaal aaya, kyon na Geeta ko gaanv se bula laaun, uski
bhi taklif dur ho jaayegi aur aapke man ki baat bhi ho jaayegi? bolo,
jamta hai na babuji?" maine Geeta ki choonchi ghurate hue kaha "par
iska mard aur bachcha?" "uski fikar aap mat karo, iska aadmi kaam se
chheh mahine ko shahar gaya hai, isiliye maine ise maayke bula liya.
iski saas apne pote ke bina nahi reh sakti, bahut lagaav hai, isiliye
use wahin Chhod diya hai, ye akeli hai idhar" yaane meri line ekdam
kliyar thi. main Geeta ka joban dekhane laga. lagta tha ki pakad kar
khaa jaaun, chadh kar masal daalun uske matwaale roop ko. Geeta bhi
mast ho gayi thi, mere khade land ko dekh kar. Land dekhate hue dhire
dhire khade khade apni jaanghen ragad rahi thi. "sirf Doodh pine ki
baat hui hai babuji, ye samjh lo." Manju ne mujhe ulahana diya. fir
Geeta ko mithi fatkaar lagayi "aur sun ri chhinaal ladki. meri ijaajat
ke bina is land ko haath bhi nahi lagana, ye sirf teri amma kaa hai"
"ammaa , ye kya? mere ko bhi maza karne de na & kitna matwaala land
hai, tu bata rahi thi to bharosa nahi tha mera par ye to aur
khoobasurat nikla" Geeta machal kar boli. uski najaren mere land par
gadi hui thim. badi chaalu chiz thi, jara bhi nahi sharma rahi thi,
balki chudaane ko mari jaa rahi thi. "badmaash kahin ki, tu sudaregi
nahi, maine keha na fir dekhenge. abhi choli nikaal aur fatafat babuji
ko Doodh pilaa." Manju ne apni beti ko Daantate hue keha. Manju ab
mere land ko pajaame ke baahar nikaal kar pyaar se muthiyaa rahi thi.
fir usne jhuk kar use chusna shuru kar diya. udhar Geeta ne apna
blaauz nikaal diya. uski papite jaise moti moti chunchiyaan ab nangi
thim. Weh ekdam fuli fuli thi jaise ander kuchh bhara ho. wajan se we
latak rahi thin. ek stan ko haath mei uthakar sahaara dete hue Geeta
boli "ammaa dekh na, kaise bhar gaye hai mamme mere, aaj subah se
khaali nahi hue, bahut dukhate hai" "are to Time kyon barbaad kar rahi
hai. aa baith babuji ke paas aur jaldi Doodh pila unko. bhukhe honge
bechaare" Manju ne uska haath pakad kar khincha aur palang par mere
paas bitha diya. main sirahane se Tik kar baitha tha. Geeta mere paas
saraki, uski kaali aankhon mei masti jhalak rahi thi. uske mamme mere
saamne the. Nippalon ke chaaron or tashtari jaise bade gole the. paas
se we mote mote latke stan aur bhi jayada rasile lag rahe the. Ab
mujhse nahi raha gaya aur jhuk kar maine ek kaala jaamun munh mei le
liya aur chusne laga. Mitha kunkuna Doodh mere munh mei bhar gaya.
Meri us awastha mei mujhe weh amrut jaisa lag raha tha. maine dono
haathon mei uski choonchi pakdi aur chusane laga jaise ki bade
naariyal ka paani pi raha hoon. lagta tha main fir Chhota ho gaya hun.
Aankhen band karke main stanpaan karne laga. Udhar Manju ne mera land
munh mei le liya. Apni kamar uchaal kar main uska munh chodne ki
koshish karne laga. weh maha ustaad thi, bina mujhe jhadaaye pyaar se
mera land chusati rahi. ab tak Geeta bhi garma gayi thi. mera sir usne
kas kar apni Chhaati par bhinch liya jisse main chhoot na paaun aur
uska nipple munh se na nikaalun. use kya maalum tha ki uski us
matwaali choonchi ko Chhod doon aisaa murakh main nahi tha. uska
mammaa daba daba kar use duhate hue main Doodh pine laga. ab weh pyaar
se mere baal chum rahi thi. sukh ki sisakaariyaan bharati hui boli
"ammaa, babuji ki kya jawaani hai, dekh kya mast chus rahe hai meri
choonchi, ekdam bhukhe bachche jaise pi rahe hai. aur unka yeh land to
dekh ammaa, kitani jor se khada hai. ammaa, mujhe bhi chusne de naa!"
Manju ne mera land munh se nikaal kar kaha "kal se, aaj nahi, wo bhi
agar babuji haan kahen to! pata nahi tera Doodh unhein pasand aayaa
hai ki nahi" waise Geeta ke Doodh ke baare mei main kya sochta hun,
iska pata use mere uchhalate land se hi lag gaya hoga. aakhir Geeta ka
stan khaali ho gaya. use daba daba kar maine pura Doodh nichod liya.
fir bhi uske us mote jaamun se nipple ko munh se nikaalne ka man nahi
ho raha tha. par maine dekha ki uske dusre nipple se ab Doodh Tapakne
laga tha. shaayad jyaada bhar gaya tha. maine use munh mei liya aur
uski dusari choonchi duh kar pine laga. Geeta khushi se chahak uthi.
"ammaa, ye to dusra mammaa bhi khaali kar rahe hai. mujhe laga tha ki
ek se inka man bhar jaayega." "to pine de na pagali, unhein bhukh lagi
hogi. achchha bhi laga hoga tera Doodh. ab bakbak mat kar, mujhe
babuji kaa lauua chusne de Thik se, bas malaai fekane hi waala hai ab"
keh kar Manju fir shuru ho gayi ab dusri choonchi bhi maine khaali kar
di tab Manju ne mera land jad tak nigal kar apne gale mei le liya aur
aise chusa ki main jhad gaya. mujhe Doodh pilwaa kar us billi ne meri
malaai nikaal li thi. main last hokar pichhe ludhak gaya par Geeta ab
bhi mera sir apni Chhaati par bhinch kar apni choonchi mere munh mei
thunsati hui waise hi baithi thi. maine kisi tarha se use alag kiya.
Geeta meri or dekh kar boli "babuji, pasand aaya mera Doodh?" weh jara
Tenshan mei thi ki main kya kehta hun. maine khinch kar uska gaal chum
liya. "bilkul amarit tha Geeta raani, roj pilaaogi naa?" weh thodi
sharma gayi par mujhe aankh maar kar hansne lagi. maine Manju se
puchha "kitna Doodh nikalta hai iske thano se roj baayi? aaj to mera
hi pet bhar gaya, iska bachcha kaise pita tha itna Doodh" Manju boli
"abhi jyaada tha babuji, kal se bechaari ki choonchi khaali nahi ki
thi naa. nahi to karib iska aadhaa hi nikalta hai ek baar mei. waise
har chaar ghante mei pila sakti hai ye." maine hisaab lagaya. maine
kam se kam paav Dedh paav Doodh jarur piya tha. agar din mei chaar
baar yeh aadhaa paav Doodh bhi de to aadhaa paunaa litar Doodh hota
tha din kaa. din mei do tin paav dene waali us mast do pair ki gaay ko
dekh kar main bahak gaya. din mei do tin paav dene waali us mast do
pair ki gaay ko dekh kar main bahak gaya. Manju ko puchhaa "bolo
baayi, kitni tankhuwa legi teri beTi?" wo Geeta ki or dekh kar boli
"paanch sau rupaye de dena babuji. aap hajaar waise hi dete ho, aap se
jyaada nahi lungi." maine keha ki hajaar rupaye doonga Geeta ko. Geeta
tunak kar boli "par kaahe ko babuji, paanch sau bahut hai, aur main
bhi to aapke is laakh rupaye ke land se chudwaaungi roj . hajaar
jyaada hai, main koi kamaane thode hi aai hun aapke paas." maine Geeta
ki choonchi pyaar se daba kar kaha "meri raani, jyaada nahi de raha
hun, paanch sau tumhaare kaam ke, aur paanch sau Doodh ke. ab kam se
kam mere liye to baahar se Doodh kharidane ki jarurat nahi hai. waise
tumhaara ye Doodh to hajaaron rupaye mei bhi sasta hai" Geeta sharma
gayi par Manju hansne lagi "bilkul Thik hai babuji. bees rupaye litar
Doodh milta hai, us hisaab se mahine bhar mei bis pachis litar Doodh
to mil hi jaayega aapko" Geeta ne ek do baar aur jid ki par us raat
Manju ne mujhe apni beti nahi chodne di. bas us raat ko ek baar aur
Geeta ka Doodh mujhe pilwaya. Doodh pilaate pilaate Geeta baar baar
chudaane ki jid kar rahi thi par Manju adi rahi. "Geeta beti, aaj raat
aur sabar kar le. kal shaniwaar hai, babuji ki Chhutti hai. kal subah
Doodh pilaane aayegi naa tu, uske baad kar lena maza" Geeta ke jaane
ke baad maine Manju ko aisa choda ki weh ekdam khush ho gayi. "aaj to
babuji, bahut mast chod rahe ho hachak hachak kar. lagta hai meri beti
bahut pasand aayi hai, usi ki yaad aa rahi hai, hai naa?"
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