हिंदी सेक्सी कहानियाँ घर का दूध पार्ट--7 गतान्क से आगे............
सुबह जब मंजू चाय लेकर आई तो साथ मे गीता भी थी. दोनो सुबह सुबह नहा कर
आई थी, बाल अब भी गीले थे. मंजू तो मादरजात नंगी थी जैसी उसकी आदत थी,
गीता ने भी बस एक गीली साड़ी ओढ़ रखी थी जिसमे से उसका जोबन झलक रहा था.
"ये क्या, सुबह सुबह पूजा उजा करने निकली हो क्या दोनो?" मैने मज़ाक
किया. गीता बोली "हां बाबूजी, आज आपके लंड की पूजा करूँगी, देखो फूल भी
लाई हूँ" सच मे वह एक डलिया मे फूल और पूजा का समान लिए थी. बड़े प्यार
से उसने मेरे लंड पर एक छ्होटा टीका लगाया और उसे एक मोगरे की छ्होटी
माला पहना दी. उपेर से मेरे लंड पर कुच्छ फूल डाले और फिर उसे पकड़कर
अपने हाथों मे लेकर उस पर उन मुलायम फूलों को रगड़ने लगी. दबाते दबाते
झुक कर अचानक उसने मेरे लंड को चूम लिया. मैं कुच्छ कहता इसके पहले मंजू
हँसती हुई मेरे पास आकर बैठ गयी. मेरा ज़ोर का चुंबन लेकर अपनी चून्चि
मेरी छाति पर रगड़ते हुए बोली. "अरे ये तो बावरी है, कल से आपके गोरे
मतवाले लंड को देख कर पागल हो गयी है. बाबूजी, जल्दी से चाय पियो. मुझे
भी आप से पूजा करवानी है अपनी चूत की. आप मेरी बुर की पूजा करो, गीता
बेटी आपके लंड की पूजा करेगी अपने मुँह से." मेरा लंड कस कर खड़ा था. मैं
चाय की चुस्की लेने लगा तो देखा बिना दूध की चाय थी. मंजू को बोला की दूध
नही है तो वह बदमाश औरत दिखावे के लिए झूठ मूठ अपना माथा थोक कर बोली "
हाय, मैं भूल ही गयी, मैने दूध वाले भैया को कल ही बता दिया कि अब दूध की
ज़रूरत नही है हमारे बाबूजी को. अब क्या करे, चाय के बारे मे तो मैने
सोचा ही नही. वैसे फिकर की बात नही है बाबूजी, अब तो "घर का दूध" है, ये
दो पैरों वाली दो थनो की खूबसूरत गैया है ना यहाँ! ए गीता, इधर आ जल्दी"
गीता से मेरा लंड छ्चोड़ा नही जा रहा था. बड़ी मुश्किल से उठी. पर जब
मंजू ने कहा "चल अब तक वैसे ही साड़ी लपेटे बैठी है, चल नंगी हो और अपना
दूध डाल जल्दी, बाबूजी की चाय में" तो तपाक से उठ कर अपनी साड़ी उतार कर
वह मेरे पास आ गयी. उसके देसी जोबन को मैं देखता रह गया. उसका बदन एकदम
मांसल और गोल मटोल था, चूंचियाँ तो बड़ी थी ही, चूतड़ भी अच्छे ख़ासे
बड़े और चौड़े थे. गर्भावस्था मे चढ़ा माँस अब तक उसके शरीर पर था.
जांघें ये मोटी मोटी और पाव रोटी जैसी फूली बुर, पूरी बालों से भरी हुई.
मैं तो झदाने को आ गया. "जल्दी दूध डाल चाय मे" मंजू ने उसे खींच कर कहा.
गीता ने अपनी चून्चि पकड़ कर चाय के कप के उपेर लाई और दबा कर उसमे से
दूध निकालने लगी. दूध की तेज पतली धार चाय मे गिरने लगी. चाय सफेद होने
तक वह अपनी चून्चि दूहति रही. फिर जाकर मेरी कमर के पास बैठ गयी और मेरे
लंड को चाटने लगी. मैने किसी तरहा चाय ख़तम की. स्वाद अलग था पर मेरी उस
अवस्था मे एकदम मस्त लग रहा था. मेरा सिर घूमने लगा. एक जवान लड़की के
दूध की चाय पी रहा हूँ और वही लड़की मेरा लंड चूस रही है और उसकी माँ इस
इंतजार मे बैठी है की कब मेरी चाय ख़तम हो और कब वह अपनी चूत मुझसे
चुस्वाए. मैने चाय ख़तम करके मंजू को बाँहों मे खींचा और उसके मम्मे
मसल्ते हुए उसका मुँह चूसने लगा. मेरी हालत देख कर मंजू ने कुच्छ देर
मुझे चूमने दिया और फिर मुझे लिटा कर मेरे चेहरे पर चढ़ बैठी और अपनी चूत
मेरे मुँह मे दे दी. "बाबूजी, अब नखरा ना करो, ऐसे नही छ्चोड़ूँगी आपको,
बुर का रस ज़रूर पिलाउन्गि, चलो जीभ निकालो, आज उसीको चोदून्गि" उधर मंजू
ने मुझे अपनी चूत का रस पिलाया और उधर उसकी बेटी ने मेरे लंड की मलाई
निकाल ली. गीता के मुँह मे मैं ऐसा झाड़ा कि लगता था बेहोश हो जाउन्गा.
गीता ने मेरा पूरा विर्य निगला और फिर मुस्कराते हुए आकर माँ के पास बैठ
गयी. मंजू अब भी मुझ पर चढ़ि मेरे होंठों पर अपनी बुर रगड़ रही थी.
"क्यों बेटी, मिला प्रसाद, हो गयी तेरे माँ की?" "अम्मा, एकदम मलाई
निकलती है बाबूजी के लंड से, क्या गाढ़ी है, तार तार टूटते है. तू तो तीन
महीने से खा रही है तभी तेरी ऐसी मस्त तबीयत हो गयी है अम्मा. अब इसके
बाद आधी मैं लूँगी हां!" गीता मंजू से लिपटकर बोली. एक बार और मेरे मुँह
मे झाड़ कर सामने से सी सी करती मंजू उठी. "चल गीता, अब बाबूजी को दूध
पीला दे. फिर आगे का काम करेंगे" गीता मेरे उपेर झुकी और मुझे लिटाए
लिटाए ही अपना दूध पिलाने लगी. रात के आराम के बाद फिर उसके मम्मे भर गये
थे और उन्हें खाली करने मे मुझे दस मिनिट लग गये. तब तक मंजू बाई की
जादुई जीभ ने अपना कमाल दिखाया और मेरे लंड को फिर से तन्ना दिया. गीता
के दूध मे ऐसा जादू था की मेरा ऐसा खड़ा हुआ जैसे झाड़ा ही ना हो. उधर
गीता मुझसे लिपट कर सहसा बोली "बाबूजी, आप को बाबूजी कहना अच्च्छा नही
लगता, आपको भैया कहूँ? आप बस मेरे से तीन चार साल तो बड़े हो" मंजू मेरी
ओर देख रही थी. मैने गीता का गहरा चुंबन लेकर कहा "बिल्कुल कहो गीता
रानी, और मैं तुझे गीता बेहन या बहना कहूँगा. पर ये तो बता तेरी अम्मा को
क्या कहूँ? इस हिसाब से तो उसे अम्मा कहना चाहिए" मंजू मेरा लंड मुँह से
निकाल कर मेरे पास आ कर बैठ गयी. उसकी आँखों मे गहरी वासना थी. "हां,
मुझे अम्मा कहो बाबूजी, मुझे बहुत अच्च्छा लगेगा. आप हो भी तो मेरे बेटे
जैसी उमर के हो, और मैं आपको बेटा कहूँगी. समझूंगी मेरा बेटा मुझे चोद
रहा है. आप कुच्छ भी कहो बाबूजी, बेटे या भाई से चुदवाने मे जो मज़ा है
वो ओर कहीं नही" मुझे भी मज़ा आ रहा था. कल्पना कर रहा था कि सच मे मंजू
मेरी माँ है और गीता बहन. उन नंगी चुदैलो के बारे मे यह सोच कर लंड
उच्छलने लगा. "अम्मा, तो आओ, अब कौन चुदेगा पहले, मेरी बहना या अम्मा?"
"अम्मा, अब मैं चोदु भैया को?" उस लड़की ने अधीर होकर पुचछा. मंजू अब तैश
मे थी "बड़ी आई चोदने वाली, अपनी अम्मा को तो चुदने दे पहले अपने इस
खूबसूरत बेटे से. तब तक तू ऐसा कर, उनको अपनी बुर चटा दे, वो भी तो देखें
की मेरी बेटी की बुर का क्या स्वाद है. तब तक मैं तेरे लिए उनका सोंटा
गरम करती हूँ" मुझे आँख मार कर मंजू बाई हँसने लगी. अब वह पूरी मस्ती मे
आ गयी थी. गीता फटाफट मेरे मुँह पर चढ़ गयी. "ओ नलायक, बैठना मत अभी भैया
के मुँह पर. ज़रा पहले उन्हे ठीक से दर्शन तो करा अपनी जवान गुलाबी चूत
के" गीता घुटनो पर टिक गयी, उसकी चूत मेरे चेहरे के तीन चार इंच उपेर थी.
उसकी बुर मंजू बाई से ज़्यादा गुदाज और मांसल थी. झांतें भी घनी थी. चूत
के गुलाबी पपोते संतरे की फाँक जैसे मोटे थे और लाल छेद खुला हुआ था
जिसमे से घी जैसा चिपचिपा पानी बह रहा था. मैने गीता की कमर पकड़कर नीचे
खींचा और उस मिठाई को चाटने लगा. उधर मंजू ने मेरा लंड अपनी बुर मे लिया
और मुझपर चढ़ कर मुझे हौले हौले मज़े लेकर चोदने लगी. अपनी बेटी का
स्तनपान देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गयी थी, उसकी चूत इतनी गीली थी की
आराम से मेरा लंड उसमे फिसल रहा था. गीता के छ्छूतड़ पकड़कर मैने उसकी
तपती बुर मे मुँह च्छूपा दिया और जो भाग मुँह मे आया वह आम जैसा चूसने
लगा. उसका अनार का कड़ा दाना मैने हल्के से दाँतों मे लिया और उस पर जीभ
रगड़ने लगा. दो मिनिट मे वह छोकरि सुख से सिसकती हुई झाड़ गयी. मेरे मुँह
मे रस टपकने लगा. "अरी अम्मा, भैया कितना अच्च्छा करते है. मैं तो घंटे
भर अपनी चूत चुस्ववँगी आज." मैं एक अजीब मस्ती मे डूबा हुआ उस जवान
छ्छोकरी की चूत चूस रहा था, वह उपेर नीचे होती हुई मेरे सिर को पकड़कर
मेरा मुँह चोद रही थी और उसकी वह अधेड़ अम्मा मुझपर चढ़ कर मेरे लंड को
चोद रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे मैं साइकल हूँ और ये दोनो आगे पिछे बैठकर
मुझपर सवारी कर रही है. मैं सोचने लगा कि अगर यह स्वर्ग नही है तो और
क्या है. गीता हल्के हल्के सीतकारियां भरते मंजू से बोली "अम्मा, चुचियाँ
कैसी हल्की हो गयी है, भैया ने पूरी खाली कर दिन चूस चूस कर. तू देख ना,
अब ज़रा तन भी गयी है नही तो कैसे लटक रही थीं." मेरी नाक और मुँह गीता
की बुर मे क़ैद थे पर आँखें बाहर होने से उसका शरीर दिख रहा था. मैने
देखा की मंजू ने पिछे से अपनी बेटी के स्तन पकड़ लिए थे और प्यार से
उन्हें सहला रही थी. "साची बेटी, एकदम मुलायम हो गये है. चल मैं इनकी
मालिश कर देती हूँ, तुझे सुकून मिल जाएगा." मंजू बोली. मुझे दिखाते हुए
उसके हाथ अब गीता के स्तनो को दबाने और मसल्ने लगे. फिर मुझे चूमने की
आवाज़ आई. शायद माँ ने लाड से अपनी बेटी को चूम लिया था. मुझे लगने लगा
की ये माँ बेटी का सादा प्रेम है या कुच्छ गड़बड़ है? दस मिनिट बाद उन
दोनो ने जगह बदल ली. मैं अब भी तन्नाया हुआ था और झाड़ा नही था. मंजू बाई
एक बार झाड़ चुकी थी और अपनी चूत का रस मुझे पिलाना चाहती थी. गीता दो
तीन बार झड़ी ज़रूर थी पर चुदने के लिए मरी जा रही थी. क्रमशः........
Ghar Ka Doodh part--7 Gataank se aage............ subah jab Manju
chaay lekar aayi to saath mei Geeta bhi thi. dono subah subah naha kar
aayi thi, baal ab bhi gile the. Manju to maadarjaat nangi thi jaisi
uski aadat thi, Geeta ne bhi bas ek gili saadi odh rakhi thi jisme se
uska joban jhalak raha tha. "ye kya, subah subah puja wuja karne
nikali ho kya dono?" maine mazak kiya. Geeta boli "haan babuji, aaj
aapke land ki puja karungi, dekho fool bhi laai hun" sach mei weh ek
Daliya mei fool aur puja ka samaan liye thi. bade pyaar se usne mere
land par ek chhota Tika lagaya aur use ek mogre ki chhoti maalaa pehna
di. Uper se mere land par kuchh fool Daale aur fir use pakadkar apne
haathon mei lekar us per un mulaayam foolon ko ragadne lagi. dabaate
dabaate jhuk kar achaanak usne mere land ko chum liya. main kuchh
kehta iske pahle Manju hansti hui mere paas aakar baith gayi. mera jor
ka chumban lekar apni choonchi meri chhaati par ragadte hue boli. "are
ye to baawari hai, kal se aapke gore matwaale land ko dekh kar paagal
ho gayi hai. babuji, jaldi se chaay piyo. mujhe bhi aap se puja
karwaani hai apni choot ki. aap meri bur ki puja karo, Geeta beti
aapke land ki puja karegi apne munh se." mera land kas kar khada tha.
main chaay ki chuski lene laga to dekha bina Doodh ki chaay thi. Manju
ko bola ki Doodh nahi hai to weh badmaash aurat dikhaawe ke liye jhut
mut apna maatha Thok kar boli " haay, main bhul hi gayi, maine Doodh
waale bhaiya ko kal hi bata diya ki ab Doodh ki jarurat nahi hai
hamaare babuji ko. ab kya kare, chaay ke baare mei to maine socha hi
nahi. waise fikar ki baat nahi hai babuji, ab to "Ghar ka Doodh" hai,
ye do pairon waali do thano ki khoobsurat gaiyaa hai naa yehan! e
Geeta, idhar aa jaldi" Geeta se mera land chhoda nahi jaa raha tha.
badi mushkil se uthi. par jab Manju ne kaha "chal ab tak waise hi
saadi lapete baithi hai, chal nangi ho aur apna Doodh daa jaldi,
babuji ki chaay mein" to tapaak se uth kar apni saadi utar kar weh
mere paas aa gayi. uske desi joban ko main dekhta reh gaya. uska badan
ekdam maansal aur gol matol tha, chunchiyaan to badi thin hi, chootad
bhi achchhe khaase bade aur chaude the. garbhaavastha mei chadha maans
ab tak uske sharir par tha. jaanghen ye moti moti aur paav roti jaisi
fuli bur, puri baalon se bhari hui. main to jhadane ko aa gaya. "jaldi
Doodh Daal chaay mei" Manju ne use khinch kar kaha. Geeta ne apni
choonchi pakad kar chaay ke kap ke uper laai aur daba kar usme se
Doodh nikaalne lagi. Doodh ki tej patli dhaar chaay mei girne lagi.
chaay safed hone tak weh apni choonchi duhti rahi. fir jaakar meri
kamar ke paas baith gayi aur mere land ko chaatne lagi. maine kisi
tarha chaay khatam ki. swaad alag tha par meri us awastha mei ekdam
mast lag raha tha. mera sir ghumne laga. ek jawaan ladki ke Doodh ki
chaay pi raha hun aur wahi ladki mera land chus rahi hai aur uski maan
is intjaar mei baithi hai ki kab meri chaay khatam ho aur kab weh apni
choot mujhse chuswaaye. maine chaay khatam karke Manju ko baanhon mei
khincha aur uske mamme masalte hue uska munh chusane laga. meri haalat
dekh kar Manju ne kuchh der mujhe chumne diya aur fir mujhe lita kar
mere chehare par chadh baithi aur apni choot mere munh mei de di.
"babuji, ab nakhra na karo, aise nahi chhodungi aapko, bur ka ras
jarur pilaaungi, chalo jibh nikaalo, aaj usiko chodoongi" udhar Manju
ne mujhe apni choot ka ras pilaaya aur udhar uski beti ne mere land ki
malaai nikaal li. Geeta ke munh mei main aisa jhada ki lagta tha
behosh ho jaaunga. Geeta ne mera pura virya nigla aur fir muskarate
hue aakar maan ke paas baith gayi. Manju ab bhi mujh par chadhi mere
honthon par apni bur ragad rahi thi. "kyon beti, mila prasaad, ho gayi
tere man ki?" "ammaa, ekdam malaai nikalti hai babuji ke land se, kya
gaadhi hai, taar taar tutate hai. Tu to tin mahine se kha rahi hai
tabhi teri aisi mast tabiyat ho gayi hai ammaa. ab iske baad aadhi
main lungi haan!" Geeta Manju se lipatkar boli. ek baar aur mere munh
mei jhad kar samaadhaan se si si karti Manju uthi. "chal Geeta, ab
babuji ko Doodh pila de. fir aage ka kaam karenge" Geeta mere uper
jhuki aur mujhe litaaye litaaye hi apna Doodh pilaane lagi. raat ke
aaraam ke baad fir uske mamme bhar gaye the aur unhein khaali karne
mei mujhe das minute lag gaye. tab tak Manju baayi ki jaadui jibh ne
apna kamaal dikhaaya aur mere land ko fir se tanna diya. Geeta ke
Doodh mei aisa jaadu tha ki mera aisa khada hua jaise jhada hi na ho.
udhar Geeta mujhse lipat kar sehsa boli "babuji, aap ko babuji kehna
achchha nahi lagta, aapko bhaiya kahun? aap bas mere se tin chaar saal
to bade ho" Manju meri or dekh rahi thi. maine Geeta ka gehra chumban
lekar kaha "bilkul kaho Geeta raani, aur main tujhe Geeta behan ya
behnaa kahunga. par ye to bata teri ammaa ko kya kahun? is hisaab se
to use amma kehna chahiye" Manju mera land munh se nikaal kar mere
paas aa kar baith gayi. uski aankhon mei gahari waasna thi. "haan,
mujhe amma kaho babuji, mujhe bahut achchha lagega. aap ho bhi to mere
bete jaisi umar ke ho, aur main aapko beta kahungi. samjhungi mera
beta mujhe chod raha hai. aap kuchh bhi kaho babuji, bete ya bhaai se
chudwaane mei jo maza hai wo or kahin nahi" mujhe bhi maza aa raha
tha. kalpana kar raha tha ki sach mei Manju meri maan hai aur Geeta
bahan. un nangi chudailon ke baare mei yeh soch kar land uchhalne
laga. "amma, to aao, ab kaun chudegaa pahale, meri behna yaa amma?"
"amma, ab main choodun bhaiya ko?" us ladki ne adhir hokar puchha.
Manju ab taish mei thi "badi aai chodne waali, apni amma ko to chudne
de pahale apne is khoobsurat bete se. tab tak tu aisa kar, unko apni
bur chataa de, wo bhi to dekhen ki meri beti ki bur ka kya swaad hai.
tab tak main tere liye unka sonta garam karti hun" mujhe aankh maar
kar Manju baayi hansne lagi. ab weh puri masti mei aa gayi thi. Geeta
fatafat mere munh par chadh gayi. "o nalaayak, baithna mat abhi bhaiya
ke munh par. jara pehle unhe thik se darshan to kara apni jawaan
gulaabi choot ke" Geeta ghutno par tik gayi, uski choot mere chehare
ke teen chaar inch uper thi. uski bur Manju baayi se jyada gudaaj aur
maansal thi. jhantein bhi ghani thin. choot ke gulaabi papote santare
ki faank jaise mote the aur laal chhed khula hua tha jisme se ghee
jaisa chipchipa paani beh raha tha. maine Geeta ki kamar pakadkar
niche khincha aur us mithai ko chaatne laga. Udhar Manju ne mera land
apni bur mei liya aur mujhpar chadh kar mujhe haule haule maje lekar
chodne lagi. apni beti ka stanpaan dekhkar weh bahut uttejit ho gayi
thi, uski choot itni gili thi ki aaraam se mera land usme fisal raha
tha. Geeta ke chhootad pakadkar maine uski tapti bur mei munh chhupa
diya aur jo bhaag munh mei aaya weh aam jaisa chusne laga. uska anaar
kaa kada daana maine halke se daanton mei liya aur us per jibh ragadne
laga. do minute mei weh chhokri sukh se sisakti hui jhad gayi. mere
munh mei ras tapakne laga. "ari amma, bhaiya kitna achchha karte hai.
main to ghante bhar apni choot chuswaaungi aaj." main ek ajib masti
mei duba hua us jawaan chhokri ki choot chus raha tha, weh uper niche
hoti hui mere sir ko pakadkar mera munh chod rahi thi aur uski weh
adhed amma mujhpar chadh kar mere land ko chod rahi thi. Aisa lag raha
tha jaise main cykal hun aur ye dono aage pichhe baithkar mujhpar
sawaari kar rahi hai. main sochne laga ki agar yeh swarg nahi hai to
aur kya hai. Geeta halke halke sitkaariyaan bharte Manju se boli
"amma, chuchiyaan kaisi halki ho gayi hai, bhaiya ne puri khaali kar
din chus chus kar. tu dekh na, ab jara tan bhi gayi hai nahi to kaise
latak rahi thin." meri naak aur munh Geeta ki bur mei kaid the par
aankhen baahar hone se uska sharir dikh raha tha. maine dekha ki Manju
ne pichhe se apni beti ke stan pakad liye the aur pyaar se unhein
sahala rahi thi. "sachi beti, ekdam mulaayam ho gaye hai. chal main
inki maalish kar deti hun, tujhe sukun mil jaayega." Manju boli. mujhe
dikhate hue uske haath ab Geeta ke stano ko dabaane aur masalne lage.
fir mujhe chumne ki aawaaj aayi. shaayad maan ne laad se apni beti ko
chum liya tha. mujhe lagne laga ki ye maan beti ka saada prem hai yaa
kuchh gadbad hai? das minute baad un dono ne jagah badal li. main ab
bhi tannaaya hua tha aur jhada nahi tha. Manju baayi ek baar jhad
chuki thi aur apni choot ka ras mujhe pilaana chahati thi. Geeta do
tin baar jhadi jarur thi par chudne ke liye mari jaa rahi thi.
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सुबह जब मंजू चाय लेकर आई तो साथ मे गीता भी थी. दोनो सुबह सुबह नहा कर
आई थी, बाल अब भी गीले थे. मंजू तो मादरजात नंगी थी जैसी उसकी आदत थी,
गीता ने भी बस एक गीली साड़ी ओढ़ रखी थी जिसमे से उसका जोबन झलक रहा था.
"ये क्या, सुबह सुबह पूजा उजा करने निकली हो क्या दोनो?" मैने मज़ाक
किया. गीता बोली "हां बाबूजी, आज आपके लंड की पूजा करूँगी, देखो फूल भी
लाई हूँ" सच मे वह एक डलिया मे फूल और पूजा का समान लिए थी. बड़े प्यार
से उसने मेरे लंड पर एक छ्होटा टीका लगाया और उसे एक मोगरे की छ्होटी
माला पहना दी. उपेर से मेरे लंड पर कुच्छ फूल डाले और फिर उसे पकड़कर
अपने हाथों मे लेकर उस पर उन मुलायम फूलों को रगड़ने लगी. दबाते दबाते
झुक कर अचानक उसने मेरे लंड को चूम लिया. मैं कुच्छ कहता इसके पहले मंजू
हँसती हुई मेरे पास आकर बैठ गयी. मेरा ज़ोर का चुंबन लेकर अपनी चून्चि
मेरी छाति पर रगड़ते हुए बोली. "अरे ये तो बावरी है, कल से आपके गोरे
मतवाले लंड को देख कर पागल हो गयी है. बाबूजी, जल्दी से चाय पियो. मुझे
भी आप से पूजा करवानी है अपनी चूत की. आप मेरी बुर की पूजा करो, गीता
बेटी आपके लंड की पूजा करेगी अपने मुँह से." मेरा लंड कस कर खड़ा था. मैं
चाय की चुस्की लेने लगा तो देखा बिना दूध की चाय थी. मंजू को बोला की दूध
नही है तो वह बदमाश औरत दिखावे के लिए झूठ मूठ अपना माथा थोक कर बोली "
हाय, मैं भूल ही गयी, मैने दूध वाले भैया को कल ही बता दिया कि अब दूध की
ज़रूरत नही है हमारे बाबूजी को. अब क्या करे, चाय के बारे मे तो मैने
सोचा ही नही. वैसे फिकर की बात नही है बाबूजी, अब तो "घर का दूध" है, ये
दो पैरों वाली दो थनो की खूबसूरत गैया है ना यहाँ! ए गीता, इधर आ जल्दी"
गीता से मेरा लंड छ्चोड़ा नही जा रहा था. बड़ी मुश्किल से उठी. पर जब
मंजू ने कहा "चल अब तक वैसे ही साड़ी लपेटे बैठी है, चल नंगी हो और अपना
दूध डाल जल्दी, बाबूजी की चाय में" तो तपाक से उठ कर अपनी साड़ी उतार कर
वह मेरे पास आ गयी. उसके देसी जोबन को मैं देखता रह गया. उसका बदन एकदम
मांसल और गोल मटोल था, चूंचियाँ तो बड़ी थी ही, चूतड़ भी अच्छे ख़ासे
बड़े और चौड़े थे. गर्भावस्था मे चढ़ा माँस अब तक उसके शरीर पर था.
जांघें ये मोटी मोटी और पाव रोटी जैसी फूली बुर, पूरी बालों से भरी हुई.
मैं तो झदाने को आ गया. "जल्दी दूध डाल चाय मे" मंजू ने उसे खींच कर कहा.
गीता ने अपनी चून्चि पकड़ कर चाय के कप के उपेर लाई और दबा कर उसमे से
दूध निकालने लगी. दूध की तेज पतली धार चाय मे गिरने लगी. चाय सफेद होने
तक वह अपनी चून्चि दूहति रही. फिर जाकर मेरी कमर के पास बैठ गयी और मेरे
लंड को चाटने लगी. मैने किसी तरहा चाय ख़तम की. स्वाद अलग था पर मेरी उस
अवस्था मे एकदम मस्त लग रहा था. मेरा सिर घूमने लगा. एक जवान लड़की के
दूध की चाय पी रहा हूँ और वही लड़की मेरा लंड चूस रही है और उसकी माँ इस
इंतजार मे बैठी है की कब मेरी चाय ख़तम हो और कब वह अपनी चूत मुझसे
चुस्वाए. मैने चाय ख़तम करके मंजू को बाँहों मे खींचा और उसके मम्मे
मसल्ते हुए उसका मुँह चूसने लगा. मेरी हालत देख कर मंजू ने कुच्छ देर
मुझे चूमने दिया और फिर मुझे लिटा कर मेरे चेहरे पर चढ़ बैठी और अपनी चूत
मेरे मुँह मे दे दी. "बाबूजी, अब नखरा ना करो, ऐसे नही छ्चोड़ूँगी आपको,
बुर का रस ज़रूर पिलाउन्गि, चलो जीभ निकालो, आज उसीको चोदून्गि" उधर मंजू
ने मुझे अपनी चूत का रस पिलाया और उधर उसकी बेटी ने मेरे लंड की मलाई
निकाल ली. गीता के मुँह मे मैं ऐसा झाड़ा कि लगता था बेहोश हो जाउन्गा.
गीता ने मेरा पूरा विर्य निगला और फिर मुस्कराते हुए आकर माँ के पास बैठ
गयी. मंजू अब भी मुझ पर चढ़ि मेरे होंठों पर अपनी बुर रगड़ रही थी.
"क्यों बेटी, मिला प्रसाद, हो गयी तेरे माँ की?" "अम्मा, एकदम मलाई
निकलती है बाबूजी के लंड से, क्या गाढ़ी है, तार तार टूटते है. तू तो तीन
महीने से खा रही है तभी तेरी ऐसी मस्त तबीयत हो गयी है अम्मा. अब इसके
बाद आधी मैं लूँगी हां!" गीता मंजू से लिपटकर बोली. एक बार और मेरे मुँह
मे झाड़ कर सामने से सी सी करती मंजू उठी. "चल गीता, अब बाबूजी को दूध
पीला दे. फिर आगे का काम करेंगे" गीता मेरे उपेर झुकी और मुझे लिटाए
लिटाए ही अपना दूध पिलाने लगी. रात के आराम के बाद फिर उसके मम्मे भर गये
थे और उन्हें खाली करने मे मुझे दस मिनिट लग गये. तब तक मंजू बाई की
जादुई जीभ ने अपना कमाल दिखाया और मेरे लंड को फिर से तन्ना दिया. गीता
के दूध मे ऐसा जादू था की मेरा ऐसा खड़ा हुआ जैसे झाड़ा ही ना हो. उधर
गीता मुझसे लिपट कर सहसा बोली "बाबूजी, आप को बाबूजी कहना अच्च्छा नही
लगता, आपको भैया कहूँ? आप बस मेरे से तीन चार साल तो बड़े हो" मंजू मेरी
ओर देख रही थी. मैने गीता का गहरा चुंबन लेकर कहा "बिल्कुल कहो गीता
रानी, और मैं तुझे गीता बेहन या बहना कहूँगा. पर ये तो बता तेरी अम्मा को
क्या कहूँ? इस हिसाब से तो उसे अम्मा कहना चाहिए" मंजू मेरा लंड मुँह से
निकाल कर मेरे पास आ कर बैठ गयी. उसकी आँखों मे गहरी वासना थी. "हां,
मुझे अम्मा कहो बाबूजी, मुझे बहुत अच्च्छा लगेगा. आप हो भी तो मेरे बेटे
जैसी उमर के हो, और मैं आपको बेटा कहूँगी. समझूंगी मेरा बेटा मुझे चोद
रहा है. आप कुच्छ भी कहो बाबूजी, बेटे या भाई से चुदवाने मे जो मज़ा है
वो ओर कहीं नही" मुझे भी मज़ा आ रहा था. कल्पना कर रहा था कि सच मे मंजू
मेरी माँ है और गीता बहन. उन नंगी चुदैलो के बारे मे यह सोच कर लंड
उच्छलने लगा. "अम्मा, तो आओ, अब कौन चुदेगा पहले, मेरी बहना या अम्मा?"
"अम्मा, अब मैं चोदु भैया को?" उस लड़की ने अधीर होकर पुचछा. मंजू अब तैश
मे थी "बड़ी आई चोदने वाली, अपनी अम्मा को तो चुदने दे पहले अपने इस
खूबसूरत बेटे से. तब तक तू ऐसा कर, उनको अपनी बुर चटा दे, वो भी तो देखें
की मेरी बेटी की बुर का क्या स्वाद है. तब तक मैं तेरे लिए उनका सोंटा
गरम करती हूँ" मुझे आँख मार कर मंजू बाई हँसने लगी. अब वह पूरी मस्ती मे
आ गयी थी. गीता फटाफट मेरे मुँह पर चढ़ गयी. "ओ नलायक, बैठना मत अभी भैया
के मुँह पर. ज़रा पहले उन्हे ठीक से दर्शन तो करा अपनी जवान गुलाबी चूत
के" गीता घुटनो पर टिक गयी, उसकी चूत मेरे चेहरे के तीन चार इंच उपेर थी.
उसकी बुर मंजू बाई से ज़्यादा गुदाज और मांसल थी. झांतें भी घनी थी. चूत
के गुलाबी पपोते संतरे की फाँक जैसे मोटे थे और लाल छेद खुला हुआ था
जिसमे से घी जैसा चिपचिपा पानी बह रहा था. मैने गीता की कमर पकड़कर नीचे
खींचा और उस मिठाई को चाटने लगा. उधर मंजू ने मेरा लंड अपनी बुर मे लिया
और मुझपर चढ़ कर मुझे हौले हौले मज़े लेकर चोदने लगी. अपनी बेटी का
स्तनपान देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गयी थी, उसकी चूत इतनी गीली थी की
आराम से मेरा लंड उसमे फिसल रहा था. गीता के छ्छूतड़ पकड़कर मैने उसकी
तपती बुर मे मुँह च्छूपा दिया और जो भाग मुँह मे आया वह आम जैसा चूसने
लगा. उसका अनार का कड़ा दाना मैने हल्के से दाँतों मे लिया और उस पर जीभ
रगड़ने लगा. दो मिनिट मे वह छोकरि सुख से सिसकती हुई झाड़ गयी. मेरे मुँह
मे रस टपकने लगा. "अरी अम्मा, भैया कितना अच्च्छा करते है. मैं तो घंटे
भर अपनी चूत चुस्ववँगी आज." मैं एक अजीब मस्ती मे डूबा हुआ उस जवान
छ्छोकरी की चूत चूस रहा था, वह उपेर नीचे होती हुई मेरे सिर को पकड़कर
मेरा मुँह चोद रही थी और उसकी वह अधेड़ अम्मा मुझपर चढ़ कर मेरे लंड को
चोद रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे मैं साइकल हूँ और ये दोनो आगे पिछे बैठकर
मुझपर सवारी कर रही है. मैं सोचने लगा कि अगर यह स्वर्ग नही है तो और
क्या है. गीता हल्के हल्के सीतकारियां भरते मंजू से बोली "अम्मा, चुचियाँ
कैसी हल्की हो गयी है, भैया ने पूरी खाली कर दिन चूस चूस कर. तू देख ना,
अब ज़रा तन भी गयी है नही तो कैसे लटक रही थीं." मेरी नाक और मुँह गीता
की बुर मे क़ैद थे पर आँखें बाहर होने से उसका शरीर दिख रहा था. मैने
देखा की मंजू ने पिछे से अपनी बेटी के स्तन पकड़ लिए थे और प्यार से
उन्हें सहला रही थी. "साची बेटी, एकदम मुलायम हो गये है. चल मैं इनकी
मालिश कर देती हूँ, तुझे सुकून मिल जाएगा." मंजू बोली. मुझे दिखाते हुए
उसके हाथ अब गीता के स्तनो को दबाने और मसल्ने लगे. फिर मुझे चूमने की
आवाज़ आई. शायद माँ ने लाड से अपनी बेटी को चूम लिया था. मुझे लगने लगा
की ये माँ बेटी का सादा प्रेम है या कुच्छ गड़बड़ है? दस मिनिट बाद उन
दोनो ने जगह बदल ली. मैं अब भी तन्नाया हुआ था और झाड़ा नही था. मंजू बाई
एक बार झाड़ चुकी थी और अपनी चूत का रस मुझे पिलाना चाहती थी. गीता दो
तीन बार झड़ी ज़रूर थी पर चुदने के लिए मरी जा रही थी. क्रमशः........
Ghar Ka Doodh part--7 Gataank se aage............ subah jab Manju
chaay lekar aayi to saath mei Geeta bhi thi. dono subah subah naha kar
aayi thi, baal ab bhi gile the. Manju to maadarjaat nangi thi jaisi
uski aadat thi, Geeta ne bhi bas ek gili saadi odh rakhi thi jisme se
uska joban jhalak raha tha. "ye kya, subah subah puja wuja karne
nikali ho kya dono?" maine mazak kiya. Geeta boli "haan babuji, aaj
aapke land ki puja karungi, dekho fool bhi laai hun" sach mei weh ek
Daliya mei fool aur puja ka samaan liye thi. bade pyaar se usne mere
land par ek chhota Tika lagaya aur use ek mogre ki chhoti maalaa pehna
di. Uper se mere land par kuchh fool Daale aur fir use pakadkar apne
haathon mei lekar us per un mulaayam foolon ko ragadne lagi. dabaate
dabaate jhuk kar achaanak usne mere land ko chum liya. main kuchh
kehta iske pahle Manju hansti hui mere paas aakar baith gayi. mera jor
ka chumban lekar apni choonchi meri chhaati par ragadte hue boli. "are
ye to baawari hai, kal se aapke gore matwaale land ko dekh kar paagal
ho gayi hai. babuji, jaldi se chaay piyo. mujhe bhi aap se puja
karwaani hai apni choot ki. aap meri bur ki puja karo, Geeta beti
aapke land ki puja karegi apne munh se." mera land kas kar khada tha.
main chaay ki chuski lene laga to dekha bina Doodh ki chaay thi. Manju
ko bola ki Doodh nahi hai to weh badmaash aurat dikhaawe ke liye jhut
mut apna maatha Thok kar boli " haay, main bhul hi gayi, maine Doodh
waale bhaiya ko kal hi bata diya ki ab Doodh ki jarurat nahi hai
hamaare babuji ko. ab kya kare, chaay ke baare mei to maine socha hi
nahi. waise fikar ki baat nahi hai babuji, ab to "Ghar ka Doodh" hai,
ye do pairon waali do thano ki khoobsurat gaiyaa hai naa yehan! e
Geeta, idhar aa jaldi" Geeta se mera land chhoda nahi jaa raha tha.
badi mushkil se uthi. par jab Manju ne kaha "chal ab tak waise hi
saadi lapete baithi hai, chal nangi ho aur apna Doodh daa jaldi,
babuji ki chaay mein" to tapaak se uth kar apni saadi utar kar weh
mere paas aa gayi. uske desi joban ko main dekhta reh gaya. uska badan
ekdam maansal aur gol matol tha, chunchiyaan to badi thin hi, chootad
bhi achchhe khaase bade aur chaude the. garbhaavastha mei chadha maans
ab tak uske sharir par tha. jaanghen ye moti moti aur paav roti jaisi
fuli bur, puri baalon se bhari hui. main to jhadane ko aa gaya. "jaldi
Doodh Daal chaay mei" Manju ne use khinch kar kaha. Geeta ne apni
choonchi pakad kar chaay ke kap ke uper laai aur daba kar usme se
Doodh nikaalne lagi. Doodh ki tej patli dhaar chaay mei girne lagi.
chaay safed hone tak weh apni choonchi duhti rahi. fir jaakar meri
kamar ke paas baith gayi aur mere land ko chaatne lagi. maine kisi
tarha chaay khatam ki. swaad alag tha par meri us awastha mei ekdam
mast lag raha tha. mera sir ghumne laga. ek jawaan ladki ke Doodh ki
chaay pi raha hun aur wahi ladki mera land chus rahi hai aur uski maan
is intjaar mei baithi hai ki kab meri chaay khatam ho aur kab weh apni
choot mujhse chuswaaye. maine chaay khatam karke Manju ko baanhon mei
khincha aur uske mamme masalte hue uska munh chusane laga. meri haalat
dekh kar Manju ne kuchh der mujhe chumne diya aur fir mujhe lita kar
mere chehare par chadh baithi aur apni choot mere munh mei de di.
"babuji, ab nakhra na karo, aise nahi chhodungi aapko, bur ka ras
jarur pilaaungi, chalo jibh nikaalo, aaj usiko chodoongi" udhar Manju
ne mujhe apni choot ka ras pilaaya aur udhar uski beti ne mere land ki
malaai nikaal li. Geeta ke munh mei main aisa jhada ki lagta tha
behosh ho jaaunga. Geeta ne mera pura virya nigla aur fir muskarate
hue aakar maan ke paas baith gayi. Manju ab bhi mujh par chadhi mere
honthon par apni bur ragad rahi thi. "kyon beti, mila prasaad, ho gayi
tere man ki?" "ammaa, ekdam malaai nikalti hai babuji ke land se, kya
gaadhi hai, taar taar tutate hai. Tu to tin mahine se kha rahi hai
tabhi teri aisi mast tabiyat ho gayi hai ammaa. ab iske baad aadhi
main lungi haan!" Geeta Manju se lipatkar boli. ek baar aur mere munh
mei jhad kar samaadhaan se si si karti Manju uthi. "chal Geeta, ab
babuji ko Doodh pila de. fir aage ka kaam karenge" Geeta mere uper
jhuki aur mujhe litaaye litaaye hi apna Doodh pilaane lagi. raat ke
aaraam ke baad fir uske mamme bhar gaye the aur unhein khaali karne
mei mujhe das minute lag gaye. tab tak Manju baayi ki jaadui jibh ne
apna kamaal dikhaaya aur mere land ko fir se tanna diya. Geeta ke
Doodh mei aisa jaadu tha ki mera aisa khada hua jaise jhada hi na ho.
udhar Geeta mujhse lipat kar sehsa boli "babuji, aap ko babuji kehna
achchha nahi lagta, aapko bhaiya kahun? aap bas mere se tin chaar saal
to bade ho" Manju meri or dekh rahi thi. maine Geeta ka gehra chumban
lekar kaha "bilkul kaho Geeta raani, aur main tujhe Geeta behan ya
behnaa kahunga. par ye to bata teri ammaa ko kya kahun? is hisaab se
to use amma kehna chahiye" Manju mera land munh se nikaal kar mere
paas aa kar baith gayi. uski aankhon mei gahari waasna thi. "haan,
mujhe amma kaho babuji, mujhe bahut achchha lagega. aap ho bhi to mere
bete jaisi umar ke ho, aur main aapko beta kahungi. samjhungi mera
beta mujhe chod raha hai. aap kuchh bhi kaho babuji, bete ya bhaai se
chudwaane mei jo maza hai wo or kahin nahi" mujhe bhi maza aa raha
tha. kalpana kar raha tha ki sach mei Manju meri maan hai aur Geeta
bahan. un nangi chudailon ke baare mei yeh soch kar land uchhalne
laga. "amma, to aao, ab kaun chudegaa pahale, meri behna yaa amma?"
"amma, ab main choodun bhaiya ko?" us ladki ne adhir hokar puchha.
Manju ab taish mei thi "badi aai chodne waali, apni amma ko to chudne
de pahale apne is khoobsurat bete se. tab tak tu aisa kar, unko apni
bur chataa de, wo bhi to dekhen ki meri beti ki bur ka kya swaad hai.
tab tak main tere liye unka sonta garam karti hun" mujhe aankh maar
kar Manju baayi hansne lagi. ab weh puri masti mei aa gayi thi. Geeta
fatafat mere munh par chadh gayi. "o nalaayak, baithna mat abhi bhaiya
ke munh par. jara pehle unhe thik se darshan to kara apni jawaan
gulaabi choot ke" Geeta ghutno par tik gayi, uski choot mere chehare
ke teen chaar inch uper thi. uski bur Manju baayi se jyada gudaaj aur
maansal thi. jhantein bhi ghani thin. choot ke gulaabi papote santare
ki faank jaise mote the aur laal chhed khula hua tha jisme se ghee
jaisa chipchipa paani beh raha tha. maine Geeta ki kamar pakadkar
niche khincha aur us mithai ko chaatne laga. Udhar Manju ne mera land
apni bur mei liya aur mujhpar chadh kar mujhe haule haule maje lekar
chodne lagi. apni beti ka stanpaan dekhkar weh bahut uttejit ho gayi
thi, uski choot itni gili thi ki aaraam se mera land usme fisal raha
tha. Geeta ke chhootad pakadkar maine uski tapti bur mei munh chhupa
diya aur jo bhaag munh mei aaya weh aam jaisa chusne laga. uska anaar
kaa kada daana maine halke se daanton mei liya aur us per jibh ragadne
laga. do minute mei weh chhokri sukh se sisakti hui jhad gayi. mere
munh mei ras tapakne laga. "ari amma, bhaiya kitna achchha karte hai.
main to ghante bhar apni choot chuswaaungi aaj." main ek ajib masti
mei duba hua us jawaan chhokri ki choot chus raha tha, weh uper niche
hoti hui mere sir ko pakadkar mera munh chod rahi thi aur uski weh
adhed amma mujhpar chadh kar mere land ko chod rahi thi. Aisa lag raha
tha jaise main cykal hun aur ye dono aage pichhe baithkar mujhpar
sawaari kar rahi hai. main sochne laga ki agar yeh swarg nahi hai to
aur kya hai. Geeta halke halke sitkaariyaan bharte Manju se boli
"amma, chuchiyaan kaisi halki ho gayi hai, bhaiya ne puri khaali kar
din chus chus kar. tu dekh na, ab jara tan bhi gayi hai nahi to kaise
latak rahi thin." meri naak aur munh Geeta ki bur mei kaid the par
aankhen baahar hone se uska sharir dikh raha tha. maine dekha ki Manju
ne pichhe se apni beti ke stan pakad liye the aur pyaar se unhein
sahala rahi thi. "sachi beti, ekdam mulaayam ho gaye hai. chal main
inki maalish kar deti hun, tujhe sukun mil jaayega." Manju boli. mujhe
dikhate hue uske haath ab Geeta ke stano ko dabaane aur masalne lage.
fir mujhe chumne ki aawaaj aayi. shaayad maan ne laad se apni beti ko
chum liya tha. mujhe lagne laga ki ye maan beti ka saada prem hai yaa
kuchh gadbad hai? das minute baad un dono ne jagah badal li. main ab
bhi tannaaya hua tha aur jhada nahi tha. Manju baayi ek baar jhad
chuki thi aur apni choot ka ras mujhe pilaana chahati thi. Geeta do
tin baar jhadi jarur thi par chudne ke liye mari jaa rahi thi.
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