Friday, April 30, 2010

Kamuk kahaaniya -"छोटी सी भूल --25

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"छोटी सी भूल --25 लास्ट

गतान्क से आगे..................


“जतिन तुम मुझे हर वक्त गोदी में उठा कर घूमते हो, थक जाओगे” --- ऋतु ने कहा


“नहीं जान जब बात तुम्हारी है तो मैं कभी नही थ्कुगा, मैं तुम्हे मंज़िल तक ले जा कर ही छ्चोड़ूँगा” --- मैने कहा

“बस बस ऐसी बाते मत करो मैं रो पड़ूँगी, चलो मैं तैयार हूँ तुम्हारे साथ चलने के लिए” ----- ऋतु ने कहा

“ठीक है फिर अब ये ब्रा उतारने दो बेवजह परेशान कर रही है” ----- मैने ऋतु की आँखो में देख कर कहा

“तुम्हे यकीन है हमें यहाँ कोई नही देखेगा” ---- ऋतु ने पूछा

“हां जान तुम खुद देख लो चारो तरफ उँची दीवार है, और मैं क्या अपनी पत्नी की इज़्ज़त से खेलूँगा” ----- मैने कहा

ऋतु ने चारो तरफ नज़रे घुमा कर देखा और बोली, “यकीन नही होता कि इतनी प्यारी चाँदनी रात में हम तन्हा हैं, जतिन ये खवाब है या हक़ीकत”


“यही तो इस घर की ख़ास बात है, वरना और यहाँ कुछ नही है. मैं तो बचपन से गर्मियों में यहीं उपर छत पर ही सोता आया हूँ” ---- मैने कहा

“मुझे भी चाँदनी रात में लेट-ना अछा लगता है, पर ये रात तो कुछ ख़ास ही है” ---- ऋतु ने कहा

“पता है क्यों ख़ास है ये रात ऋतु” ---- मैने पूछा

“क्यों जतिन” ? ---- ऋतु ने पूछा

“क्योंकि मेरी शुनदर पत्नी मेरी बाहों में है” ---- मैने कहा

“तुम एक दम पागल हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

“अब चलें अपने प्यारे सफ़र पर जान” --- मैने पूछा

“मुझे डर लग रहा है जतिन, पता नही मैं ठीक से तुम्हारा साथ दे पाउन्गि या नहीं” ---- ऋतु ने कहा

मुझे ऋतु की बात सुन कर उस पर इतना प्यार आया कि मैने उशके होंटो को चूम लिया और बोला, “डरने की क्या बात है ऋतु, ये तो एक प्यारा सफ़र है, चलो प्यार से चलते है. ये मत सोचो की हमें कहीं पहुँचना है. हम बस चलेंगे और देखेंगे कि ये प्यार का सफ़र कैसा है…ओके… चलो अब थोडा उपर उठो मुझे ये ब्रा उतारने दो”


“तुम कितने बदल गये हो जतिन” ---- ऋतु ने कहा

“सब तुम्हारे प्यार का असर है, मेडिटेशन भी मैने तुम्हारे प्यार में डूब कर ही की थी, अब उठो ना ये ब्रा मुझे परेशान कर रही है”


“ठीक है बाबा ये लो” ---- ऋतु ने कहा और कह कर थोड़ा उपर हो गयी

मैने ऋतु की ब्रा उतार कर एक तरफ रख दी


ऋतु के उभारो को देख कर मेरे मूह से निकल गया, “ओह्ह माइ गॉड, कितने प्यारे लग रहें हैं ये चाँदनी रात में, इनकी शुनदरता के आगे तो चाँद भी शर्मा जाएगा”


“चुप करो, बदमाश कहीं के” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“नहीं ऋतु ये सच है, तुम्हारे उभारो की चमक के आगे चाँद भी फीका पड़ गया है” ----- मैने कहा


मेरे लिए वो पल बहुत ही प्यारा था. मन कर रहा था कि बस ऋतु के उभारो को देखता रहूं.

कब मदहोश हो कर मैने ऋतु के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया पता ही नही चला


जैसे ही मैने निपल को होंटो में दबाया, ऋतु के मूह से हल्की सी आवाज़ निकली, आअहह…. ऐसा लगा मानो मैने सितार के तार छेड़ दियें हों और उसमें से प्यार भरा मीठा सा संगीत निकल पड़ा हो


उस वक्त मुझे विश्वास हो गया कि ऋतु मेरे साथ प्यार के सफ़र पर चलने के लिए तैयार है. फिर मैने ठान लिया कि आज अपनी जान को प्यार की उस गहराई में ले जाउन्गा जो उस ने सपने में भी नही सोची होगी. मैं ऋतु को प्यार का स्पेशल गिफ्ट देना चाहता था


मैने ऋतु के दोनो उभारो को हाथो में थाम लिया और उन्हे थोड़ा ज़ोर से मसालने लगा.


ऋतु की साँसे फूलने लगी

“आआहह जतिन, रुक जाओ…….” ऋतु ने हांपते हुवे कहा

“क्या हुवा जान अछा नही लग रहा क्या” ----- मैने पूछा


“नहीं ऐसी बात नही है, इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहे हो” ----- ऋतु ने हल्की से आवाज़ में पूछा


“इन फूलों पर थोड़ा ज़ोर आजमाना ज़रूरी है, वरना ये खिल नहीं पाएँगे, देखो ज़ोर से मसालने पर कैसे तन गये हैं, पहले से भी बड़े नज़र आ रहें हैं” ----- मैने हंसते हुवे कहा


“तुम क्या कामसुत्रा में एक्सपर्ट हो” --- ऋतु ने पूछा

“नहीं, तुम से प्यार करने में एक्सपर्ट हूँ” ---- मैने कहा

ये कह कर मैने ऋतु के उभारो पर अपने होंटो से प्यार बरसाना शुरू कर दिया. मैं बार बार ऋतु के निपल्स को चूस रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कि ऋतु के उभारो में प्रेम रस भरा हो और मैं ऋतु के निपल्स से प्रेम रस पी रहा हूँ


“क्या तुमने इन उभारो में मेरे लिए प्यार भर लिया है ऋतु” ---- मैने पूछा


“कैसी बात करते हो जतिन, मुझे शरम आ रही है, प्लीज़ ……. मुझे ऐसे मत छेड़ो” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“नहीं ऋतु छेड़ नही रहा हूँ, बस तुम्हारी झीज़ाक दूर कर रहा हूँ, अब तुम मेरी पत्नी हो और हमारा बहुत प्यारा रिस्ता बन गया है. प्यारी प्यारी बाते तो हम कर ही सकते हैं” ---- मैने कहा

“वो तो ठीक है, पर अभी नहीं, अभी मुझे…..” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा


ऋतु के चेहरे पर शरम के साथ साथ जो प्यारी सी हँसी थी उस से ये सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे प्यार में डूब चुकी है. मैं खुद ऐसा ही चाहता था. बड़ी मुश्किल से पाया था मैने वो पल ऋतु के साथ. मेरा प्यार ऋतु पर असर करने लगा था.



उभारो को मसालते हुवे मैं ऋतु के शरीर को किस करता हुवा उसकी नाभि तक पहुँच गया और उशके चारो और उसे चूमने लगा.


ऋतु मेरे नीचे थीरक्ने लगी, जैसे की वो बर्दास्त नही कर पा रही हो. पर मुझे ऋतु को बे-इंतहा प्यार देना था.

ऋतु की नाभि को किस करते करते मैं और नीचे की तरफ सरकने लगा.

अब मेरे होन्ट ऋतु की सलवार के नाडे के उपर थे

मैने नाडे को चूम लिया और उसे दांतो में दबा कर खींचने लगा

“ओह्ह जतिन आअहह…. रुक जाओ” --- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा

“क्या हुवा ऋतु” --- मैने गर्दन उठा कर पूछा

“थोड़ी देर रुक जाओ जतिन, मेरी साँसे फूल रहीं हैं” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा


“नहीं जान यहाँ रुकना ठीक नही है, प्यार की आग बहुत भड़क चुकी है, यहाँ रुके तो ये आग हमें झुलसा देगी. हमें आयेज बढ़ना होगा” ----- मैने कहा


“थोड़ी देर रूको तो जतिन” ----- ऋतु ने फिर कहा


मैने उपर आ कर ऋतु के होंटो को अपने होंटो में ले लिया और एक बहुत गहरी किस की
ऋतु की सांसो की गर्मी मुझे मेरे होंटो पर महसूष हो रही थी.


मैं जल्दी ही नीचे पहुँच गया, अब इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था, ऋतु के चेहरे से लग रहा था कि वो अब खुद को थाम नही पा रही. मैं वक्त बर्बाद नही करना चाहता था.


मैने ऋतु के नाडे को खोल कर सलवार नीचे सरका दी और बोला, “वाउ कितनी प्यारी पॅंटी है, काला रंग मुझे बहुत पसंद है”



“ओह्ह जतिन बाते मत करो….” ---- ऋतु ने कहा


मैने धीरे से पॅंटी नीचे सरका दी

चाँदनी रात में ऋतु की योनि इतनी प्यारी लग रही थी कि मुझ से रहा नही गया और मैने उसकी पंखुड़ियों को चूम लिया और चूम कर उन्हे होंटो में ले कर चूसने लगा.


“आआहह………ऊओह….. जतिन” ---- ऋतु आहें भरते हुवे गर्दन दायें बायें घुमा रही थी


“कैसा लग रहा है जान” ---- मैने पूछा


“आआहह….बर्दास्त नहीं हो रहा जतिन, प्लीज़ थोड़ी देर हट जाओ” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा


मैने ऋतु की योनि को फैला कर अपनी जीभ ऋतु की योनि में डाल दी और जितनी हो सके उतनी अंदर सरका दी


“ओह्ह नो….. तुम आज मुझे मार डालोगे” ---- ऋतु ने अपनी टांगे पटकते हुवे कहा

पर मैने रुकना ठीक नही समझा, क्योंकि मुझे ऋतु को प्यार की और ज़्यादा गहराई में ले जाना था. मैं ऋतु की योनि में अपनी जीभ रगड़ता रहा और ऋतु आआहह..ऊहह करके आहें भरती रही.


चाँदनी रात में हम दोनो का प्यार एक अलग ही उँचाई छू रहा था.


मैने अब और इंतेज़ार करना ठीक नही समझा, ऋतु की साँसे बहुत तेज चल रही थी. हमारे मिलन का सही वक्त आ गया था.


मैं सलवार को उतारने लगा तो ऋतु बोली, “जतिन, रूको इसे उतारना ज़रूरी है क्या, हम खुले आसमान के नीचे हैं”

मैं समझ गया था कि ऋतु झीजक रही है. मैने जल्दी से सलवार उतार कर एक तरफ रख दी और फिर पॅंटी भी धीरे धीरे नीचे सरका कर उतार दी.


मैं खुद इतना बहक चुका था कि एक पल भी रुकना मुश्किल हो रहा था.

मैने जल्दी से अपने कपड़े उतार कर एक तरफ फैंक दिए और ऋतु के उपर आ गया.

जैसे ही मैं ऋतु के उपर आया मेरा लिंग ऋतु की योनि से टकरा गया.

“आआहह….” ---- ऋतु के मूह से निकला


ऋतु ने अपना चेहरा अपने हाथो में ढक लिया


मैने उसके हाथो को हटाया और उशके होंटो को अपने होंटो में ले लिया.


मैने पूछा, “जान अब हम इस सफ़र के आखरी पड़ाव पर हैं. क्या तुम फाइनल राइड के लिए तैयार हो, मैं अपना लिंग तुम्हारी योनि में डालने जा रहा हूँ”


“ओह्ह जतिन,……. प्लीज़ मुझ से कुछ मत पूछो, मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है,…… आइ लव यू. ले चलो मुझे जहाँ ले चलना है, मैं तुम्हारी पत्नी हूँ, हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगी” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे भावुक अंदाज में कहा



“ओके जान फस्तेन यौर सीट बेल्ट आइ आम गोयिंग टू टेक यू टू दा मून” ---- मैने कहा

“ले चलो जतिन जहाँ ले चलना है, मुझे पूरा यकीन है कि तुम मुझे गिरने नही दोगे” ---- ऋतु ने प्यार से कहा



मैने अपने लिंग को अपने दायें हाथ में पकड़ा और ऋतु की योनि पर लगा दिया.


एक पल के लिए मेरे लिंग और ऋतु की योनि के बीच बहुत प्यारी किस हुई. मन कर रहा था कि उसी पोज़िशन में रुका रहूं.


पर किसी अंजान शक्ति ने मुझे आगे ढकैयल दिया और मेरा लिंग लगभज् आधा ऋतु की योनि में समा गया


“आआअहह…… जतिन….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा


“ई लव यू टू जान” ------ मैने कहा

और ये कह कर मैने एक झटके में अपने लिंग को ऋतु की योनि में धकैल दिया. सब कुछ प्यार की मदहोशी में हो रहा था

ऋतु ने मुझे बाहों में भर लिया और अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गढ़ा दिए. मुझे हल्का सा दर्द हुवा पर वो दर्द इतना प्यारा था कि मैं कह नही सकता. इस से सॉफ पता चल रहा था कि ऋतु उस पल को बहुत ज़्यादा एंजाय कर रही है. ये मेरे प्यार की जीत थी


फिर मैने बिना रुके ऋतु की योनि के अंदर अपने प्यार की हलचल शुरू कर दी. मैने प्यार का वो तूफान खड़ा कर दिया कि ऋतु ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी


“आआहह…….. जतिन थोड़ी देर रूको वरना मैं चाँद तक पहुँचने से पहले ही गिर जाउन्गि” ----- ऋतु ने कहा


“आअहह…..नहीं जान, चाँद का सफ़र बीच में रुक कर पूरा नही किया जा सकता. हाँ जान. मैं तुम्हे हारगीज़ गिरने नही दूँगा. अगर तुम गिर भी गयी तो मैं तुम्हे फिर उठा लूँगा. पर ये गाड़ी अब अपनी मंज़िल पर ही रुकेगी” ------ मैने हांपते हुवे कहा


“ऊओ……तुम बहुत बदमाश हो जतिन” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा


“तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नही है कि मैं ये खूबसूरत बदमाशी नही करूँगा” ----- मैने कहा


“आअहह……लगता है, मैने तुमसे शादी करके ग़लती कर ली है, तुम अब मुझे जींदगी भर सताओगे” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा


“आहह…हां सताउन्गा, वो भी पूरे हक़ से, आइ लव यू” ---- मैने कहा


“आइ लव यू टू जतिन, थोड़ी देर रूको ना” ----- ऋतु ने कहा

“क्या तुम्हे दर्द हो रहा है, ऋतु” ------ मैने धक्के मारते हुवे पूछा

“नहीं जतिन दर्द नहीं है, पर बर्दास्त नही हो रहा” ----- ऋतु ने कहा

“चाँद की उँचाई तक पहुँचने के लिए तुम्हे थोड़ी देर और बर्दास्त करना होगा. हम प्यार की ऐसी उँचाई की तरफ बढ़ रहें हैं जहाँ हम खो जाएँगे और परमात्मा में मिल जाएँगे” ----- मैने कहा


“ऊऊहह….तुम्हारी बाते मेरी समझ से बाहर है जातीं, प्लीज़ जल्दी ख़तम करो….आअहह” ---- ऋतु ने कहा

“मुझ पर विश्वास रखो जान, मैं इस मिलन को सेक्स से कहीं आगे ले जा रहा हूँ…..आहह” ---- मैने बिना रुके कहा


“क..क..कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा.


“प्यार के चरम पर, मुझे खुद वहाँ का रास्ता नही पता. सुना है की वहाँ भगवान रहते हैं. शायद ये प्यार हमें वहाँ ले जाए” ---- मैने कहा


मुझे खुद नही पता था कि मैं क्या कह रहा था. अपने आप मेरे दिल से कुछ ना कुछ निकल रहा था.

मैं थोड़ी देर यू ही लगा रहा. ऋतु भी थोड़ी देर कुछ नही बोली. बस पड़ी पड़ी आहें भरती रही


“आअहह……कैसा लग रहा है तुम्हे जान” ----- मैने अपनी स्पीड और बढ़ा कर पूछा


“बहुत अछा…..पर बर्दास्त नही हो रहा, अब रुक भी जाओ” ----- ऋतु ने कहा


मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी. हम दोनो की साँसे अपने चरम पर पहुँच गयी


“बस जान…….. हम पहुँचने… ही वाले हैं, हाँ ” ---- मैने कहा और अपनी स्पीड को तूफान की गति दे दी.


और फिर अचानक मेरा प्रेम रस ऋतु के अंदर बह गया और मैं ऋतु के उपर गिर गया.
वक्त मानो ठहर गया.

अचानक मैने महसूष किया कि ऋतु सूबक रही है. मैने सर उठा कर देखा तो वो रो रही थी.


मैने पूछा, “क्या हुवा जान, मैने कुछ ग़लत किया क्या” ?


“मैं आज फिर ये सोच कर रो रहीं हूँ कि अगर भगवान को हमें ये खूबसूरत रिस्ता देना था तो हमें इतने बदसूरत रस्तो पर क्यों घुमाया. क्या हम पहले नही मिल सकते थे” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा.


“दुखी मत हो जान, सुकर मनाओ कि हम आख़िर में मिल तो गये. इस जींदगी में हम दोनो बहुत नीचे गिरे थे. तुम्हारी ग़लती कम थी. मैं ही तुम्हे नीचे घसीट कर ले गया था. क्या तुम्हे ये बात पता है कि प्रकृति का एक नियम है, ‘जो बहुत नीचे गिरता है उसी की बहुत उँचा उठने की भी संभावना होती है’. न्यूटन का थर्ड लॉ भी तो यही कहता है, ‘टू एवेरी आक्षन देर ईज़ ऑल्वेज़ आन ईक्वल आंड ऑपोसिट रिक्षन’. शायद भगवान को हमें नीचे गिरा कर बहुत उपर उठाना था. देखो आज हम प्यार की एक खूबसूरत उँचाई पर खड़े हैं. यहाँ से ये दुनिया और ये जींदगी बहुत खूबसूरत नज़र आ रही है. दिल छोटा मत करो और भगवान को हमें इस मोड़ पर लाने के लिए सुक्रिया करो” ------ मैने कहा


“तुम सच में बहुत बदल गये हो जतिन” --- ऋतु ने कहा

“सब तुम्हारे प्यार का असर है जान, सब तुम्हारे कारण है”


“वैसे तुम अब बाहर निकलोगे या फिर मैं धकक्का दे कर बाहर निकालूं” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा


“तुम ही निकाल दो धक्का दे कर. मेरा तुमसे दूर जाने का मन नही है” ----- मैने कहा


“तुम एक दम दीवाने हो गये हो” --- ऋतु ने कहा

“जिसे जींदगी में इतना प्यार मिले वो भला दीवाना क्यों नही होगा” ---- मैने कहा

“जतिन तुमने अपनी डाइयरी में लीखा था कि हम बस चिंटू को रखेंगे, और बच्चो की क्या ज़रूरत है. पर क्या हम इस प्यार का फूल नही खीलाएँगे” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा


“तुम चाहती हो कि इस प्यार का फूल खीले” --- मैने ऋतु की आँखो में झाँक कर पूछा


“हां जतिन” ---- ऋतु ने कहा


“ठीक है फिर मैं दिन रात तुम्हारी ज़मीन की सींचाई कर दूँगा, देखना प्यार का बहुत प्यारा फूल खीलेगा” ---- मैने कहा


“दिन रात की ज़रूरत नही है मिस्टर… तुमने क्या मेरी जान लेने की ठान रखी है” ---- ऋतु ने कहा

“तुम्हारी जान में मेरी जान है ऋतु, आइ लव यू. तुम चिंता मत करो मेरा प्यार तुम्हे परेशान नही करेगा” --- मैने कहा


“मैं तो मज़ाक कर रही थी जतिन, तुम्हारा प्यार मेरी जींदगी है, परेशानी नही. दुबारा ऐसा मत बोलना” ---- ऋतु ने कहा


और फिर हम एक दूसरे की बाहों में खो गये और थोड़ी देर चुपचाप पड़े रहे. मैं अभी भी ऋतु के उपर था.


कब नींद आ गयी पता ही नही चला


पर जब में नींद में था तो मेरे दिल में मीठा मीठा अहसाश हो रहा था. हम दोनो का मिलन मुझे मेरी आत्मा तक महसूष हो रहा था.

हमारा मिलन, देल्ही में होगा, वो भी चाँदनी रात में, मैने सोचा भी नही था. मानो कोई सपना सच हो गया हो.





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सुबह चिड़ियों की आवाज़ ने हमें उठाया. पहले मेरी आँख खुल गयी. ऋतु मेरे बाजू में सिकुड कर लटी हुई थी. हम दोनो के उपर एक पतली सी चदडार थी. कब मैं ऋतु के उपर से हटा, कब वो चदडार हमने ओधी मुझे कुछ याद नही. याद है तो बस इतना की चाँदनी रात में मैने अपनी पत्नी को पा लिया


मुंबई जाने के लिए आज शाम 6 बजे की फ्लाइट है. ऋतु कोई 10 बजे कारोल बाग अपने घर चली गयी थी. मैं उसके घर के लिए निकलने वाला हूँ. वाहा से हम दोनो एरपोर्ट के लिए निकल लेंगे


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डेट : 24-09-09

11:30 पीयेम

बहुत दर्द देखा है ऋतु ने अपनी जींदगी में, वो भी इतने कम वक्त में. बहुत हद तक मैं खुद उशके दुखो के लिए ज़िम्मेदार था.


पर आज वो बहुत खुस है. आँखे बंद करके मेरे पास ही लटी हुई है. उसे देखता हूँ तो उस पर बहुत प्यार आता है. हम अभी अभी प्यार करके हटे हैं. आज उसने प्यार करते वक्त खूब शोर मचाया. मुझे बहुत अछा लगा कि वो अब सब कुछ भुला कर इस प्यार में खो जाती है.



पीछले हफ्ते से मैने घर पर ही ऋतु को मेडिटेशन सीखाना शुरू कर दिया है. वो बड़े प्यार से सीख रही है. मेरा मकसद इस रिस्ते को एक अलग ही उँचाई तक ले जाने का है. मुझे ख़ुसी है कि ऋतु मेरा साथ दे रही है. मेडिटेशन हमारे मन को शुद्ध करके हमारे जीवन को एक नयी दिशा देती है. मेरी यही कोशिश है कि हम हर वक्त अपने मन को शुद्ध रखें और अच्छे पॉज़िटिव विचार लेकर जींदगी में आगे बढ़ें. मैने और ऋतु ने बुरे विचारो के परिणाम अपने जीवन में देखे हैं इश्लीए इस बात को अच्छे से समझते हैं


हम हर सनडे को मंदिर जाते हैं, और भगवान का सुक्रिया करते हैं की उन्होने हमें एक हसीन रिस्ता दिया है.


मेरा और ऋतु का बहुत प्यारा रिस्ता चल रहा है. हमारे रिस्ते में प्यार ही प्यार है. तकरार भी है झूठ नही बोलूँगा पर उसमे भी तो प्यार ही होता है. प्यार और तकरार साथ साथ चलते हैं. ऋतु जब रूठ जाती है तो उसे मनाने में बहुत मज़ा आता है. रूठते मनाते अक्सर हम प्यार में डूब जाते हैं.


अभी हमें एक साथ बहुत सारे चॅलेंजस का सामना करना है. चिंटू जब यहाँ आएगा तो पता नही मुझे अपनाएगा कि नही. पर ऋतु ने कल कहा था कि, “जब मैने तुम्हे प्यार कर लिया तो हमारा बेटा भी करने लगेगा”


मुझे पता है कि ये इतना आसान नही है. पर मुझे उम्मीद है कि सब कुछ ठीक होगा


मुझे अभी जींदगी में बहुत कुछ करना है. मैने एम.कॉम करेस्पॉंडेन्स शुरू कर दी है. सिविल सर्वीसज़ का अटेंप्ट भी लेने जा रहा हूँ. इस डिसेंबर में फॉर्म भर दूँगा. जब में बी.कॉम फर्स्ट एअर में था तो मैने सोचा था कि एक बार सिविल सर्वीसज़ ट्राइ करूँगा. ये चान्स लेने का अब वक्त आ गया है.


मैं और ऋतु दिल में ढेर सारा प्यार ले कर प्यार के सफ़र पर चल पड़े हैं. जो भी मुश्किलें होंगी उनका हम साथ साथ मुकाबला करेंगे.


वैसे आज शाम को हमारे बीच एक बहुत प्यारा पल आया.

हम दोनो ने एक दूसरे को सर्प्राइज़ गिफ्ट दिया और फिर कुछ ऐसा हुवा कि हम खुद को रोक नहीं पाए और भावनाओ में बह कर प्यार कर बैठे.



मुझे ऋतु साडी में बहुत प्यारी लगती है. मैं उसे येल्लो साडी में देखना चाहता था. मैने आज दोपहर को एक येल्लो सारी खरीद ली थी.



घर आते ही मैने ऋतु को साड़ी थमा दी. वो सारी देख कर चोंक गयी.

मैने पूछा, “क्या हुवा जान सारी पसंद नही आई क्या”


“नहीं बहुत प्यारी है जतिन, तुम आँखे बंद करो मुझे भी तुम्हे कुछ देना है” ---- ऋतु ने कहा

मैने आँखे बंद कर ली

ऋतु ने थोड़ी देर में कहा, “आँखे खोलो पति देव”


जैसे ही मैने आँखे खोली ऋतु ने मेरे हाथ में एक शर्ट थमा दी. वो येल्लो शर्ट थी.

“अरे तुम भी येल्लो शर्ट ले आई” --- मैने कहा

“हां इशईलिए तो मैं हैरान थी कि ये मॅचिंग कपड़े कैसे खरीद लिए हमने, वो भी बिना बात किए” ---- ऋतु ने कहा


“यही तो प्यार का चमत्कार है जान, वी आर रेआली मेड फॉर ईच अदर” ---- मैने कहा


उस पल में हम इतने मदहोश हो गये कि हमने एक दूसरे को बाहों में जाकड़ लिया और फिर हमारे बीच वो तूफ़ानी प्यार हुवा कि कह नही सकता.


सी तूफान से चकना चूर हो कर ऋतु मेरे बाजू में सो रही है और मैं इस डाइयरी का आखरी पन्ना भरने में लगा हूँ.


हमारा प्यार चाँद की उँचाई से भी कहीं आगे बढ़ गया है. शायद हम भगवान के नज़दीक पहुँच गये हैं


शायद कह रहा हूँ क्योंकि सचाई मुझे भी नही पता. पता है तो बस इतना की मैं ऋतु के प्यार में खुद को भुला चुका हूँ.

दोस्तो मैं हवश के पहाड़ के सीखर पर खड़ा था. मेरे सामने प्यार के पहाड़ का सीखर था. मुझे एक लंबी छलाँग लगानी थी. गिरने का ख़तरा था. पर मैने एक कोशिश की. और जैसी की मुझे उम्मीद थी, मैं पहुँच गया हूँ. और मुझे ख़ुसी है कि मेरे साथ साथ बहुत लोग इस पार, प्यार के सीखर पर आ गये हैं.


पर मुझे ये दुख है की मेरे कुछ दोस्त पीछे छूट गायें हैं. पर मुझे यकीन है कि वो भी जल्दी ही यहा होंगे. उनके लिए मैं स्टोरी को थोड़ा एक्सप्लेन कर रहा हूँ.

सम एक्सप्लनेशन फॉर माइ फ्रेंड्स :-----


मेरे लिए प्यार की इस अनोखी सचाई को दीखाना बहुत मुश्किल था. पर फिर भी मैने जो हो सकता था किया. अपना दिल भी मैने स्टोरी में डाल दिया है.


और मैं समझ सकता हूँ कि कुछ लोगो को ऋतु और जतिन(बिल्लू) का प्यार समझ नही आएगा. यही बात ऋतु जतिन को स्टोरी में कह चुकी है कि , “ये दुनिया इस प्यार को कभी नही समझेगी”.


पर मैने उनका ये प्यार बनाया है इश्लीए कहीं ना कहीं ये ज़िम्मेदारी अब मुझ पर आन पड़ी है कि मैं इस प्यार को थोड़ा सा एक्सप्लेन करूँ. लेकिन ऋतु और जतिन(बिल्लू) की तरह मैं भी उनके प्यार को एक्सप्लेन नही कर सकता. फिर भी एक कोशिश करता हूँ.


ये बात मैने स्टोरी में ही क्लियर कर दी थी कि जींदगी अजीब है और कुछ बातो के कारण हम कभी नही जान सकते. मुझे तो ऋतु और जतिन(बिल्लू) का जन्मो का रिस्ता नज़र आ रहा था. ऋतु और जतिन बार बार इस बारे में बात करते हैं पर समझ नही पाते कि उन्हे प्यार क्यों है.

शायद प्यार ऐसा ही होता है. इश्को समझना मुश्किल है.

और क्या प्यार को एक्सप्लेन किया जा सकता है ??


मेरा मान-ना है,…. बिल्कुल नही.

प्यार वो ताक़त है जो बुरे से बुरे इंशान को बदल कर रख देती है फिर बिल्लू तो बचपन से ही स्पिरिचुयल था. वो बस अपनी दीदी की ट्रॅजिडी के कारण भटक गया था. ये बात स्टोरी से बिल्कुल क्लियर हो रही है. इश्लीए मैने इस बारे में और कुछ कहना ठीक नही समझा.


पर जब उसे ऋतु से प्यार हो गया तो वो सही रास्ते पर आ गया. मैने ये सभी बाते कामन सेन्स समझ कर रीडर्स के लिए छ्चोड़ दी थी. क्योंकि प्यार में बदलते हुवे हमने बहुत लोगो को देखा होगा. बिल्लू तो फिर भी एक अछा इंशान था.





और बिल्लू ने साइकल वाले का खून किया तो वो क्रिमिनल क़ानून के लिए ज़रूर बन गया, पर ऋतु के दिल में उसने अपनी एक जगह बना ली.


रही बात सिधार्थ से शादी की. उसने जो ऋतु का रेप करने की कोशिश की और ऋतु को जो बुरा भला कहा, उसे देख कर ऋतु उस से कभी शादी नही कर सकती थी. जब ऋतु जानती है कि सिधार्थ के मन में उशके लिए कैसे विचार हैं तो वो भला क्यों उस से शादी के बारे में सोचेगी, वो भी तब जब उसे सिधार्थ से प्यार ही नही है.


फ्रेंड्स, मैने 2 आछे इंशानो को छोटी सी भूल के कारण पाप में गिरते हुवे दीखाया है. पूरी कहानी गवाह है कि उन दोनो के कॅरक्टर में इस पाप के अलावा हमने और कोई कमी नही पाई.

ऋतु ने भी अपनी ग़लती स्वीकार की है और बिल्लू ने भी अपनी ग़लती स्वीकार की है और वो अपनी भूल मान कर जींदगी में आम इंशान से काफ़ी उपर उठ गये हैं और एक प्यार के बंधन में बँध गये हैं.

उनके प्यार को समझने के लिए हमें भी एक सच्ची कोशिश करनी होगी. उमीद है कि ये कोशिश हम सभी कर पाएँगे.



दोस्तो मैने आपके आगे ये एक अनोखी प्रेम कहानी रखी है. बात प्यार की है और प्यार को समझना सच में बहुत मुश्किल है. मैने फिर भी प्यार को समझाने की पूरी कोशिश की है.


पर मैं आख़िर में यही कहना चाहूँगा कि इस कहानी में हर वो कमी है जो कि एक इंशान में पाई जा सकती है. ये एक छोटा सा जीवन मैने आपके आगे रखा है. ये इमपर्फेक्ट है, और लूपहोल्स से भरा हुवा है. पर क्या हुवा ह्यूमन लाइफ की यही तो सुंदरता है, वरना तो क्या हम सब भगवान नही बन जाते.


पर इतना कुछ होते हुवे भी प्यार हम इंशानो को भगवान के करीब ले जाता है. दट ईज़ वाइ “लव ईज़ गॉड”.

तो दोस्तो इसी अहसास के साथ कहानी का एंड होता है कहानी कैसी लगी लिखना ना भूल

दोस्तो अगली कहानी प्यासी जवानी मे फिर मिलेंगे

दा एंड
समाप्त

पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्टस जरूर पढ़े

"छोटी सी भूल --01
"छोटी सी भूल --02
"छोटी सी भूल --03
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"छोटी सी भूल --२१

"छोटी सी भूल --22
"छोटी सी भूल --23

"छोटी सी भूल --24







आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj










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Kamuk kahaaniya -"छोटी सी भूल --24

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"छोटी सी भूल --24

गतान्क से आगे..................

“तुम्हे बहुत बुरा लग रहा होगा कि मैने तुम्हे यहाँ दूसरे कमरे में लेटा दिया. जतिन मेरे दिल के ज़ख़्म अभी हरे हैं. मुझे थोड़ा वक्त दो, मैं पूरी कोशिश करूँगी कि मैं एक अची पत्नी बन पाउ. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुम चाहो तो मेरे पास आ जाना, तुम्हे रोकूंगी नहीं. पर मुझे थोड़ा वक्त चाहिए इस नयी जींदगी में अड्जस्ट होने के लिए. सब कुछ इतनी जल्दी हो गया है कि मैं हैरान हूँ. प्लीज़ मुझे समझने की कोशिश करना” ------- ऋतु ने एमोशनल हो कर कहा


“मैं समझ सकता हूँ जान, मेरे कारण ही तो तुम्हे ज़ख़्म मिले हैं. तुम चिंता मत करो. हम प्यार से एक साथ रहेंगे. रही बात तुम्हारे पास आने की तो मुझे कोई जल्दी नही है. तुम अब मेरी पत्नी हो. पूरी जींदगी पड़ी है पास आने के लिए. तुम अब सो जाओ, तुम्हारी आँखे लाल हो रही हैं” ---- मैने कहा



और इस तरह से हमारी शादी शुदा जींदगी की शुरूवात हुई. आज लगभग एक महीना हो गया शादी को. हम हंसते बोलते हैं. अच्छे दोस्त की तरह एक छत के नीचे रहते हैं. बैठ कर घंटो बाते करते रहते हैं. जब ऋतु बोलती है तो मैं प्यार से उशके चेहरे को देखते हुवे उसकी बात सुनता हूँ. जींदगी बहुत प्यारी और हसीन बन गयी है. हां ये और भी ज़्यादा हसीन हो सकती है अगर हम दोनो एक नॉर्मल हज़्बेंड वाइफ की तरह रह पायें तो. पर मुझे इस बात का कोई गम नहीं है.

ऋतु मेरा पूरा ध्यान रखती है. उसे भी अपने ऑफीस जाना होता है पर फिर भी उसे पहले मुझे ब्रेकफास्ट देने की चिंता रहती है. कभी कभी खुद ब्रेकफास्ट करने का टाइम उशके पास नही होता पर मुझे खीला कर ही ऑफीस जाती है. उसकी मेरे प्रति डेडैकेशन देख कर आँखे भर आती हैं.

कभी शाम को वक्त होता है तो हम दोनो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूम आते है और खूब मस्ती करते हैं. आइस-क्रीम खाते खाते हम दूर तक निकल जाते हैं


हमारी जींदगी में सेक्स नही है पर प्यार चारो और बीखरा पड़ा है. हम दोनो अपनी प्यार से भारी दुनिया में बहुत खुस हैं.



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आज ये डाइयरी पढ़ी तो ये अहसाश और गहरा हो गया कि कितना बड़ा पाप किया था मैने. एक मासूम से फूल को मैने बड़ी बेरहमी से कुचला था. सुकर है वो फूल आज मेरी जींदगी में है और मेरे पास मोका है उसे फिर से खीलने देने का. मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा की अब मेरे कारण ऋतु को कोई भी दुख या तकलीफ़ ना हो. जिस प्यार से वो मेरा ध्यान रखती है उतने ही प्यार से मैं भी उसका ध्यान रखूँगा.

आज ये बात समझ में आ रही है कि क्यों ऋतु मुझे उशके शरीर को छूने से माना करती है. जितना ज़ुल्म उसने सहा है, उसकी जगह कोई और होता तो मर जाता. दुख बस इस बात का है की ये सब मेरे कारण हुवा. मन कर रहा है कि ऋतु के कदमो में गिर जाउ और उस से फिर एक बार माफी मांगू. पर वो उठ जाएगी और मुझे यहा अपने पास देख कर परेशान होगी. कुछ कहेगी नही मुझे, हां मन ही मन उदास ज़रूर हो जाएगी और मुझ से सॉरी फील करेगी कि वो मुझ से दूर दूर रहती है.


कल ऋतु ने मुझ से बड़े प्यार से पूछा था


“जतिन तुम मुझ से नाराज़ होंगे ना”


मैने कहा, “क्यों ऐसा क्यों कह रही हो तुम ऋतु”


ऋतु की आँखे भर आई और वो रोते हुवे बोली, “मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और जब से शादी हुई है मैं रोज तुम से अलग सो रहीं हूँ, मैं क्या करूँ जतिन मुझे कुछ समझ नही आता. जब भी तुम्हे अपने पास बुलाने का सोचती हूँ तो वही सब पुरानी बाते मन में घूमने लगती हैं. एक अंधेरा मानो मुझे घेर लेता है. मैं तुम्हारी जींदगी बर्बाद कर रहीं हूँ.. है ना”


“नही ऋतु ऐसा क्यों कह रही हो, जींदगी तो मैने तुम्हारी बर्बाद की थी. तुमने तो मुझे अपना कर मेरी जींदगी पर एक अहसान किया है. मुझे जींदगी भर तुम्हारे शरीर को छूने का मोका ना भी मिले मुझे कोई गम नही होगा. मुझे आज बस ये ख़ुसी है कि मैं तुम्हारा पति बन के तुम्हारे साथ हूँ. मुझे तुमसे कुछ और नही चाहिए जान, तुम मुझे इतना प्यार दे रही हो वो क्या कम है. सेक्स के लिए ये शादी नही की थी मैने, प्यार के लिए की थी. हम बस आराम से अपनी इस शादी शुदा जींदगी में आगे बढ़ते हैं, जो भी होगा अछा होगा. आइ लव यू” ---- मैने ऋतु को समझाते हुवे कहा


“लेकिन फिर भी जतिन मैं बहुत दुखी हूँ कि एक पत्नी के रूप में मैं फैल हो रहीं हूँ, ऐसा नही है कि मैं कोशिश नही कर रही हूँ. बहुत कोशिश कर रही हूँ. पर मेरी आत्मा तक अंधेरा भरा है. आज तुम्हारे लिए दिल में नफ़रत नही है फिर भी मेरा ये शरीर उस सब के लिए तैयार नही है जीशके लिए एक पत्नी को होना चाहिए. उपर से मेरे पापा की डाँट ने मुझे और ज़्यादा असहाय बना दिया है” --- ऋतु ने कहा


“तो ज़म्मेदार कौन है इस सब के लिए. मैं ही तो ज़म्मेदार हूँ ना, मैं तुम्हारी हालत नही समझूंगा तो और कौन समझेगा. तुम ज़बरदस्ती कुछ कोशिश मत करो. हमारी किशमत में एक हसीन हज़्बेंड वाइफ का रिस्ता रहा तो वो ज़रूर आएगा. ये प्यार सेक्स से कहीं ज़्यादा कीमती है जान, किसी बात की चिंता मत करो और सो जाओ” ---- मैने कहा

इस तरह बड़ी मुश्किल से कल मैने ऋतु को समझा बुझा कर सुलाया था

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ऋतु मेरे सामने पड़ी है और मैं उशके सामने बैठा हुवा ये डाइयरी लीख रहा हूँ. पर अब तक मैने या तो उशके चेहरे को देखा है या फिर उशके कदमो को. उशके शरीर का कोई और अंग मुझे जैसे दीखाई नही दे रहा है. इस प्यार ने मेरे अंदर की हवश को ख़तम करके रख दिया है. मैं बस ऋतु को एक बार गले लगा कर प्यार से कहना चाहता हूँ, “ऋतु मैने तुम्हारे हर दुख को महसूष किया है. तुम्हारे सभी दुखो के लिए मैं ज़म्मेदार हूँ. मुझे जो सज़ा देनी हो दे दो पर इस दुख को जल्द से जल्द भुला दो. हसीन प्यार की एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है. मैने ही तुम्हे ये दुख दिए हैं अब मैं ही तुम्हे एक हसीन सफ़र पर ले जाना चाहता हूँ. प्लीज़ मेरे साथ चलो”






डेट : 22-08-09


कल जो हुवा उसकी महक अभी तक फ़ीज़ा में फैली हुई है. चारो और रंग बीरंगे फूल खिल आए हैं. मेरी और ऋतु की जींदगी को जैसे पंख लग गये हैं. हम दोनो बहुत उँचे उड़ रहें हैं. अभी तक कल का अहसाश बाकी है. बहुत दर्दनाक वक्त था कल हम दोनो के लिए पर उशके अहसाश बहुत प्यारे थे.




कल मैं अपना मोबाइल घर ही भूल गया. शाम को कॉल सेंटर में काफ़ी बिज़ी था. मैं कोई 12 बजे फ्री हुवा. में ऋतु को इनफॉर्म भी नही कर पाया कि आने में थोड़ी देर हो जाएगी.


मैने रात के 12 बजे घर की बेल बजाई


ऋतु ने दरवाजा खोला. उशके चेहरे पर चिंता और परेशानी सॉफ दीखाई दे रही थी.


मैने दरवाजा बंद किया और पूछा, “कैसी हो जान”


ऋतु मेरे गले लग गयी और रोते हुवे बोली, “कहाँ रह गये थे तुम, मुझे बहुत चिंता हो रही थी, फोन भी नही किया तुमने”


“ऋतु तुम मेरे गले लग कर खड़ी हुई हो. तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगी, चलो हटो” ---- मैने हंसते हुवे कहा


ऋतु हट गयी और बोली, “सॉरी ग़लती हो गयी, पर तुम क्या एक फोन नही कर सकते थे, मुझे अपनी जान कहते हो पर तुम्हे मेरी कोई चिंता नही है”


“सॉरी जान बहुत बिज़ी था, ध्यान ही नही रहा कि कब 12 बज गये, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो” ---- मैने ऋतु के कंधे की और हाथ बढ़ा कर कहा


पर वो पीछे हट गयी और बोली, “चलो हाथ धो लो मैं खाना लगाती हूँ”


ऋतु किचन में चली गयी. बहुत नाराज़ लग रही थी. जब आपका प्यार नाराज़ हो तो कुछ अछा नही लगता. मैने पहली बार उसे ऐसे नाराज़ होते हुवे देखा था.
ऋतु किचन में मेरे लिए खाना गरम कर रही थी.


मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि कैसे मनाउ मैं ऋतु को. में किचन के डोर में खड़ा खड़ा ऋतु को देखता रहा. उशके नज़दीक जाने की हिम्मत नही हो रही थी


पर फिर भी मुझ से रहा नही गया और मैने ऋतु को पीछे से बाहों में भर लिया और कहा, “सॉरी जान आगे से ऐसा नही होगा. आगे से कभी लेट हुवा तो तुरंत तुम्हे फोन करके बताउन्गा, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो”

“तुम्हारी मर्ज़ी है जतिन, मुझे तो बस तुम्हारी चिंता हो रही थी. बुरे बुरे ख्याल आ रहे थे कि पता नहीं तुम कहाँ रह गये” ---- ऋतु ने कहा


अजीब बात थी ऋतु ने मुझे हटने को नही कहा. मैने फिर मेरी जान को बहुत अच्छे से अपनी बाहों में दबोच लिया


मैने कहा, “ऋतु मैं तुम्हे बाहों में भर कर खड़ा हूँ, तुम मुझे डाँट कर हटा क्यों नही रही हो, मुझे डाँट कर वही डाइलॉग बोलो ना शरीर से खेलने वाला…. प्लीज़”


“तुम मेरे पति हो, अब क्या ये भी बताना पड़ेगा तुम्हे, मैं चाहे चाहूं या ना चाहूं तुम मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो, तुम्हारा मुझ पर पूरा अधिकार है” --- ऋतु ने कहा


मैं तुरंत हट गया और बोला, “तुम्हारी मर्ज़ी के बिना मैं कभी कुछ नही करूँगा जान, अपने प्यार को मैं कभी दुख नही दूँगा”


ऋतु घूम कर मेरे गले लग गयी और बोली, “जतिन आइ लव यू…. मुझे ऐसे मत सताया करो. पता है दिल बहुत भारी हो रहा था. एक फोन भी नही कर सके तुम. इतना बिज़ी कोई नही होता, मैं 6 बजे से आँखे बिछाए बैठी हूँ. एक एक मिनूट बहुत मुश्किल से बीता है मेरा”


शादी के बाद पहली बार हम ऐसे गले लग कर खड़े थे. वक्त मानो ठहर गया था. मुझे बहुत अछा लग रहा था खुद को ऋतु के इतने करीब पा कर. मुझे ये अहसाश हो रहा था की शायद ऋतु अब उस सफ़र पर चलने के लिए तैयार है जो कि एक पति, पत्नी का होता है.


मैने ऋतु के चेहरे को अपने हाथो में थाम लिया

उसने अपनी आँखे बंद कर ली.

मैने आगे बढ़ कर ऋतु के होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए.

और फिर मेरे और ऋतु के होंटो के बीच वो किस हुई जीशकि मैने सपने में भी कल्पना नही की थी.


हमारे होन्ट क्या जुड़े, ऐसा लग रहा था जैसे की हम दोनो की आत्मा जुड़ गयी हो और जुड़ कर एक हो गयी हो. बहुत प्यारा अहसाश हो रहा था मुझे ऋतु को किस करते हुवे. जिस तरह मैं ऋतु के होंटो को अपने होंटो में दबाता था उशी तरह ऋतु भी मेरे होंटो को अपने होंटो में दबाने की कोशिश करती थी. मेरे होंटो की हर एक मूव्मेंट का जवाब ऋतु अपने होंटो की सिमिलर मूव्मेंट से दे रही थी. कोई 15 मिनूट हम यू ही किचन में खड़े खड़े एक दूसरे को बेतहासा किस करते रहे. हमारी साँसे भी तेज तेज चलने लगी थी.

सी किस के बाद मुझे बिल्कुल विश्वास हो गया कि एक आदमी और औरत के बीच किस प्यार का इज़हार करने का सबसे प्यारा तरीका है. एक दूसरे को किस करते करते मैं और ऋतु प्यार की उस गहराई तक पहुँच गये जिसकी हमने कल्पना भी नही की थी.

जिस तरह हम एक दूसरे को किस कर रहे थे, उस से ऐसा लग रहा था कि हम एक दूसरे के लिए जन्मो से प्यासे हैं.

ऋतु अचानक हट गयी और बोली, “चलो खाना खा लो, तुम्हे भूक लगी होगी”

“नहीं आज भूक नहीं है” --- मैने कहा और कह कर फिर से ऋतु के होंटो को अपने होंटो में दबा लिया.

हम फिर से उस प्यारी सी किस में खो गये. मेरे लिए खुद को संभालना मुश्किल हो रहा था.


मैने ऋतु को अपनी गोदी में उठा लिया और उसके बेडरूम की तरफ चल पड़ा


“जतिन ये क्या कर रहे हो, खाना ठंडा हो रहा है” --- ऋतु ने कहा

“हो जाने दो ठंडा, आज हमारी सुहाग्रात है जान, भूल जाओ सब कुछ और इस पल में खो जाओ” ---- मैने कहा

ऋतु ने आँखे बंद कर ली

मैने ऋतु को बेडरूम में ला कर प्यार से बेड पर लेटा दिया.

मैने उशके चेहरे पर सिकन देखी. शायद वो फिर से कुछ बुरा महसूष कर रही थी.

मुझ से देखा नही गया और मैने कहा, “चलो ऋतु खाना खाते हैं”

“नहीं जतिन प्लीज़ मुझे छ्चोड़ कर मत जाओ, मुझे बाहों में भर लो प्लीज़” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा.



मैं बहुत भावुक हो गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया.


“क्या बात है जान रो क्यों रही हो मैं तुम्हारे पास ही तो हूँ” ---- मैने कहा

“जतिन जब भगवान को हमारे दिल में ये प्यार का फूल ही खिलाना था तो हमें इतने लंबे रास्ते से क्यों घुमाया की हम घूम घूम कर थक जायें, और इस प्यार के फूल की खुसबु तक को महसूष ना कर पायें” ---- ऋतु ने पूछा


“पता नही ऋतु, हम दोनो इस विशाल दुनिया के आगे बहुत छ्होटे हैं. हमें बस इतना पता है कि हमें प्यार है. पूरी कहानी तो बस भगवान ही जानते हैं. क्या पता हमारा जन्मो का रिस्ता हो. इस जनम में ग़लती से तुम संजय की पत्नी बन गयी और फिर भगवान ने इस ग़लती को सुधार दिया. कुछ भी हो सकता है जान. ये दुनिया बहुत अनोखी है और रहाशयों से भरी है. हम जानते ही कितना हैं इस दुनिया को” --- मैने कहा



इतने प्यार में जब पति पत्नी एक दूसरे के गले लगे हों तो उनके बीच एक खूबसूरत सेक्स की संभावना बन जाती है. ऐसा ही कुछ मेरे और ऋतु के बीच हो रहा था.


पति होने के नाते मुझे एक कोशिश करने की ज़रूरत थी. पर मुझे बस ऋतु का डर था. मैं उसे कोई दुख नही देना चाहता था. वो बहुत एमोशनल हो कर मुझ से लीपटि हुई थी. मैं उस के इतने करीब होने के कारण बहकता जा रहा था.

और फिर बिना सोचे समझे मैने एक कोशिश की. वैसे भी प्यार सोच समझ कर नही होता.

मैने ऋतु के उभारो को थाम लिया और उन्हे प्यार से दबाते हुवे कहा, “जान तुम्हे प्यार कर रहा हूँ, जब भी कुछ बुरा लगे तो मुझे रोक देना, मैं तुरंत रुक जाउन्गा”


ऋतु ने कुछ नही कहा और अपनी आँखे बंद कर ली


थोड़ी देर तक मैं ऋतु के उभारो को प्यार से मसलता रहा

मैने ऋतु के चेहरे को ध्यान से देखा तो पाया कि वो शांति से आँखे बंद करके उस पल में खोने की कोशिश कर रही है. वो कोशिश ही कर रही थी क्योंकि कभी उशके चेहरे पर सिकन होती थी और कभी शांति. वो किसी कसम-कस में दीख रही थी.


मैने बहुत प्यार से धीरे से ऋतु की कमीज़ को उपर सरका कर उशके उभारो को थाम लिया.

ऋतु ने ब्रा नही पहनी थी. शायद रात को शोते वक्त वो नही पहनती होगी. मुझे अपनी पत्नी के बारे में पता ही कितना है.


मैने ऋतु के एक निपल को मूह में ले लिया और प्यार से चूसने लगा.


मैने नज़रे उठा कर ऋतु के चेहरे को देखा. कुछ क्लियर नही हो रहा था कि उशे कैसा लग रहा है.

मैने पूछा, “ जान क्या मैं हट जाउ”

“नहीं जतिन आज मुझे ये सब फेस करना ही होगा, वरना मैं कभी नही कर पाउन्गि. मैं तुम्हारी पत्नी हूँ. तुम मेरी परवाह किए बिना जो मन में आए करो” --- ऋतु ने कहा

“ये क्या कह रही हो जान, ऐसा नही कर सकता मैं जान, चलो किसी और दिन ट्राइ करेंगे” ---- मैने कहा


“तुम जब मेरे उभारो को चूम रहे थे तो तुम्हारे मन में क्या था जतिन, हवश या प्यार” ----- ऋतु ने पूछा


“प्यार था जान, हवश को तो मैं कब का त्याग चुका हूँ” ---- मैने कहा


“तो फिर ये प्यार जारी रखो जतिन, तुम्हारा प्यार ही मेरे उन घाव को भर सकता है जो तुम्हारी हवश ने कभी मेरे शरीर को दिए थे. आज मुझे तुम्हारी पत्नी होने का वो अहसाश दे दो जो हर पत्नी का सपना होता है. मुझे प्यार करो जतिन….बस प्यार करो” ---- ऋतु ने कहा


मैने ऋतु के दूसरे निपल को होंटो में दबा लिया और उशे बेतहासा चूसने लगा.


पर फिर भी ऋतु के चेहरे के भाव यही जतला रहे थे कि वो किशी कॉन्फ्लिक्ट में है


मैने ऋतु की कमीज़ उतार कर एक तरफ रख दी और उशके दोनो उभारो को थाम कर प्यार से मसालने लगा.


पर ऋतु जैसे एक लाश की तरह मेरे नीचे पड़ी थी. ये सोच कर मेरी आँखे भर आई कि हे भगवान क्या हाल कर दिया है मैने अपनी जान का. मुझ से ये सब देखा नही गया और मैने ऋतु के कदमो को थाम कर कहा, “जान मुझे माफ़ कर दो, मुझे तुमसे कुछ नही चाहिए”


मैने ऋतु को देखा तो वो भी रो रही थी.


मैं उठ कर उशके चेहरे के पास आया और उशके आंशु पुंछ कर बोला, “कोई ज़रूरत नही है ये सब करने की हमें जान, हमारा प्यार काफ़ी है हम दोनो के लिए”

“आइ आम सॉरी जतिन, मैं इस लिए कह रही थी कि मुझे एक मोका दो, मैं एक जींदा लाश बन चुकी हूँ” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा


“बस जान प्लीज़… ऐसी बाते मत करो वरना मैं मर जाउन्गा. तुम्हारी इस हालत के लिए मैं ही ज़म्मेदार हूँ” ---- मैने कहा


“नहीं जतिन, तुम ही नही, मैं खुद भी ज़म्मेदार हूँ. पहले तो जो हुवा सो हुवा, पर मेरा जो रेप करने की कोशिस की गयी और मुझे जिस तरह बार बार जलील किया गया उसने तो मुझे पूरा ख़तम कर दिया है. आइ आम वेरी सॉरी जतिन तुम्हे प्यार तो करती हूँ पर तुम्हे कुछ देने के लिए मेरे पास नही है,वरना तो जिस दिन शादी हुई थी उसी रात खुद को तुम्हारे कदमो में बिछा देती मैं. इश्लीए तुम्हे कहती थी कि मुझे मोका देना, में पत्नी का फ़र्ज़ निभाने की कोशिश करूँगी.” --- ऋतु ने रोते हुवे कहा


“बस ऋतु, प्लीज़ मेरी जान लोगि क्या अब” ---- मैने कहा


मैं ऋतु के साथ बेड पर लेट गया और उशे बाहों में भर लिया. बहुत देर तक हम चुपचाप पड़े रहे और कुछ नही बोले. कब हमें नींद आ गयी पता ही नही चला. जब मेरी आँख खुली तो पाया कि सुबह के 4 बज रहें हैं. कमरे की लाइट जली हुई थी. ऋतु मेरे साथ ही पाँव सिकोड कर लटी हुई थी. बहुत प्यारा अहसाश था वो मेरे लिए. हम शादी के बाद पहली बार एक साथ सो रहे थे और हमें ये पता भी नही था.

ऋतु का मूह मेरी तरफ ही था. वो सिर्फ़ सलवार में थी. उशके उभार मेरी आँखो के बिकलूल सामने थे. वो बिल्कुल एक मासूम बचे की तरह सो रही थी.

मैने ऋतु को बाहों में भर लिया और वो हड़बड़ा कर उठ गयी.


“ओह्ह…. तुमने मुझे डरा दिया” --- ऋतु ने कहा

“तुम बहुत प्यार से सो रही थी, रहा नही गया और तुम्हे बाहों में भर लिया, आइ लव यू जान” ----- मैने कहा


“आइ लव यू टू जतिन, क्या टाइम हुवा है” ---- ऋतु ने पूछा


“पूरे 4 बजे हैं जान, कब नींद आ गयी पता ही नही चला. हम एक साथ सो रहे थे और हमें इस बात का अहसास भी नही था. तुम्हे कैसा लग रहा है जान” ---- मैने पूछा


“अछा लग रहा है जतिन, वो कौन सी पत्नी होगी जो अपने पति के साथ सो कर खुद को ख़ुसनसीब नही समझेगी” ---- ऋतु ने कहा


और हम फिर से गले लग कर सो गये.



डेट : 23-08-09


6:00 पीयेम


कल का पूरा दिन हमारे प्यार की खुसबु से महकता रहा. 21 की रात को मेरे और ऋतु के बीच सेक्स नही हुवा पर सेक्स से बढ़ कर हमारे बीच इतना प्यार हुवा कि उसकी महक हमारे साथ जींदगी भर रहेगी.


कल सुबह जब में उठा तो ऋतु बेड पर नही थी.


मैं फॉरन उठ कर बाहर आ गया. मैने देखा की वो नहा धो कर अपने छोटे से मंदिर में पूजा कर रही थी. मैं भी उशके साथ जा कर आँख मीच कर खड़ा हो गया.


“अरे तुम कब उठे” --- ऋतु ने पूछा



मैने कहा, “अभी अभी उठ कर आया हूँ”


ऋतु ने अचानक नीचे झुक कर मेरे पाँव छू लिए

मैने कहा, “अरे ये क्या कर रही हो तुम”


“कुछ नही ये तो एक पत्नी का धरम है” ---- ऋतु ने कहा


मैने उसे बाहों में भर लिया और कहा, “तुम्हे पा कर मुझे सब कुछ मिल गया जान मुझे और कुछ नही चाहिए. आइ लव यू”

“मैं खुद को तुम्हारे कदमो में बिछा दूँगी जतिन, बस थोड़ा सा वक्त और दो मुझे. मैं पूरी कोशिश कर रहीं हूँ. चलो अब फ्रेश हो जाओ, मैं ब्रेकफास्ट बनाती हूँ” ----- ऋतु ने कहा



ऑफीस में भी हम एक दूसरे से फोन पर बात करते रहे.ऐसा लग रहा था जैसे की नया नया प्यार हुवा है हम दोनो को. और ये था भी सच. जैसा प्यार हम अब देख रहे थे वो बिल्कुल नया था. ये प्यार एक पति पत्नी का था. ऑफीस में कयि बार मेरी आँखे तक भर आई ऋतु को सोच कर



ऋतु ने पूछा, “आज शाम को क्या खाना पसंद करोगे”


मैने कहा, “कल रात हमने क्या खाया था”

“रात तो हम दोनो भूके सो गये थे” ---- ऋतु ने कहा


“भूके नही सोए थे, हमने पेट भर के प्यार खाया था, आज शाम को भी वही खाउन्गा ठीक है… तेयार रहना मेरी बाहों में आने के लिए” ---- मैने कहा


“तुम पागल हो गये हो जतिन” ---- ऋतु ने कहा


“बिल्कुल हो गया हूँ पागल, जीशकि तुम्हारे जैसी पत्नी हो वो ख़ुसी से पागल हो जाएगा” ---- मैने कहा


“बस मस्का मत लगाओ, मैं अब फोन काट रहीं हूँ, इंपॉर्टेंट मीटिंग में जाना है… बाइ शाम को मिलते है” ---- ऋतु ने कहा और फोन काट दिया



मैं ऋतु से पहले घर पहुँच गया


मैने पूरे घर को सज़ा दिया. ऋतु के बेडरूम को जहाँ हम दोनो पिछली रात सोए थे मैने फूलो से सज़ा दिया. उस बेड को फूलो से ढक दिया जहाँ हमारा पिछली रात प्यार महका था.

ऋतु जब घर आई तो हैरान रह गयी


“अरे तुम आज मुझ से पहले आ गये और ये क्या कर रखा है, माइ गॉड कितना प्यारा सजाया है घर को, क्या कोई पार्टी करने वाले हो आज” ---- ऋतु ने हैरानी में कहा


“हाँ आज हम अपने प्यार को सेलेब्रेट करेंगे, प्यार की ही बात करेंगे, प्यार को ही खाएँगे और प्यार को ही पीएँगे. इस पार्टी में हुमारे शिवा और कोई नही आएगा” ---- मैने कहा


“तुम सच में पागल हो गये हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

“तो क्या हुवा इस पागल को तुम प्यार तो करती हो ना” ---- मैने कहा


ऋतु मेरे गले लग गयी और बोली, “आइ लव यू जतिन”

मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और बेडरूम में ले आया.

बेडरूम को देख कर वो बोली, “वाउ, ये फूलो की बरसात किशणे कर दी”

मैने कहा, “मेडम मेरे अलावा यहा कोई और भी है क्या ?, इतनी मेहनत से सजाया है मैने और तुम कह रही हो किशणे कर दी”



“सॉरी जतिन मज़ाक कर रही थी, मुझे पता है, ये पागल पन तुम ही कर सकते हो” --- ऋतु ने कहा


मैने कहा, “जान कल के प्यार की महक आज मुझे हर तरफ महसूस हो रही थी. कल रात तुम्हारे इतने करीब था मैं, मुझे विश्वास ही नही हो रहा. अपने दिल की फीलिंग्स दीखाने के लिए मैने ये रूम फूलो से सज़ा दिया है. फूलो की जो महक इस कमरे में है, वैसी ही महक मेरे दिल में है”


“तुम दीवाने हो गये हो जतिन, अब मुझे यू ही उठाए रखोगे या फिर नीचे भी उतारोगे” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा


मैने ऋतु को प्यार से फूलो की सेज़ पर लेटा दिया और खुद भी उशके साथ लेट गया


मैने पूछा, “अब हम साथ साथ सोएंगे ना जान”


“ह्म्म… तुमसे प्यार करने का ये मतलब नही है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” --- ऋतु ने हंसते हुवे कहा कहा


“जान सच कह रहा हूँ कल बहुत अछा लगा मुझे. तुम्हारे करीब होने का बहुत प्यारा अहसाश था मेरे लिए” ---- मैने कहा

“मुझे भी अछा लगा जतिन, मैं आज पूरा दिन ऑफीस में तुम्हे सोचती रही. मेरा शरीर मेरे बस में नही है, पर मेरा प्यार तुम्हारे कदमो में हर पल हाज़िर है” --- ऋतु ने कहा




“जान एक बात कहूँ” --- मैने पूछा

“हां कहो” ---- ऋतु ने जवाब दिया

“हमारा एक प्यारा सा रिस्ता बन गया है. इस रिस्ते का आधार प्यार है, हम प्यार में खोए रहते हैं जो होगा अछा होगा. तुम किसी बात की चिंता मत करो” --- मैने कहा


“हां जतिन मुझे पता है, मुझे बस ये दुख रहता है कि मैं तुम्हे एक पत्नी का सुख नही दे पा रही” ------ ऋतु ने कहा


“कौन कहता है तुम पत्नी का सुख नही दे रही हो. मेरा इतना ख्याल रखती हो. अछा अछा खाना खिलाती हो. और कल मुझे इतनी प्यारी किस दी थी. अभी तक मेरे होन्ट फदाक रहें हैं” ----- मैने कहा


“वो सिर्फ़ किस नही थी जतिन, वो मेरा प्यार था, काश तुम्हे ये शरीर भी दे पाती, पर ये मेरे बस में नही है” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा


“पता है जान, वो तुम्हारा प्यार था, वरना तो तुम मेरे नज़दीक कहाँ आती हो… तुम्हारा प्यार मुझे मेरी आत्मा तक महसूष हुवा था. ऐसा लग रहा था कि हम एक हो गये हैं” ---- मैने कहा


हम एक दूसरे की आँखो में बड़े प्यार से देख रहे थे. देखते देखते कब हमारे होन्ट मिल गये पता ही नही चला.



बहुत देर तक हम किस करते रहे

अचानक मुझे ऋतु की डाइयरी में लीखी बाते याद आ गयी और मेरे होंटो की मूव्मेंट रुक गयी

ऋतु को शायद कुछ महसूष हुवा और उसने मेरे होंटो से अपने होन्ट हटा कर पूछा, “क्या हुवा जतिन”


“एक बात सोच रहा था जान” ---- मैने कहा

“बोलो क्या बात है, जातीं” ---- ऋतु ने पूछा

मैने ऋतु के चेहरे पर प्यार से हाथ रखा और कहा, “ जान मैने तुम्हारी डाइयरी पढ़ ली है”

“क्या ?? तुमने डाइयरी पढ़ ली, बुरा लगा होगा ना तुम्हे ? मैने तो उस में तुम्हे खूब बुरा भला कह रखा है” ---- ऋतु ने कहा


“कुछ बुरा नही लगा जान, मैं पहले उसी लायक था. बुरा लगा तो बस ये कि मेरे कारण तुम्हे कितना कुछ सहना पड़ा. मुझे ऐसा लगता है कि
तुम खुद को उस पाप के लिए माफ़ नही कर पा रही हो जो कि मैने तुम पर थोपा था” --- मैने कहा









“मैं क्या करूँ जतिन, अब जब तुम डाइयरी पढ़ ही चुके हो तो समझ सकते हो कि सेक्स नाम से मुझे कितनी नफ़रत हो गयी है, पर मेरा यकीन करो मैं एक अछी पत्नी बन-ने की पूरी कोशिश कर रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा


“ऋतु वो सब तो ठीक है, पर जब तक तुम खुद को माफ़ नही करोगी, तब तक यू ही परेशान रहोगी. अपनी ग़लती को मान-ना अलग बात है पर हम हमेशा उस ग़लती को सर पर ढो कर नही चल सकते. आज जींदगी एक खूबसूरत मोड़ पर है. चारो और हमारे प्यार की महक फैली हुई है. सब कुछ भुला कर इस प्यार की महक में खो जाओ. शांति से अपने चारो और देखो एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है” ---- मैने कहा


“मैं समझ रहीं हूँ जतिन. जब से तुमसे शादी हुई है, मैने खुद इस प्यार की महक को अपने चारो और महसूष किया है. मेरा यकीन करो मैं खुद को इस प्यार पर लूटा देना चाहती हूँ. कल जब तुम मुझे गोदी में उठा कर बड़े प्यार से यहा बेडरूम में लाए थे तो मैं मन ही मन खुद को तुम्हारे लिए तैयार कर रही थी. मैं सोच रही थी कि तुम्हारे कदमो में आज अपना प्यार बिछा दूँगी. पर ना जाने क्यों उसी वक्त पापा की कही बाते जो उन्होने शादी वाले दिन फोन पर कही थी मेरे कानो में गूंजने लगी. याद है ना तुम्हे की वो कह रहे थे की वो चिंटू को हम पापियों के पास नही भेजेंगे. इश्लीए मेरा शरीर जाकड़ गया और मैं ज़ींदा लाश बन कर रह गयी. जतिन मैं तुम्हारी पत्नी होने के साथ साथ एक मा भी हूँ. मुझे अपने बेटे की बहुत याद आती है.” ------ ऋतु ने बड़े ही भावुक अंदाज़ में कहा

मैने आगे बढ़ कर ऋतु के माथे को चूम लिया और कहा, “ओह्ह जान, मुझे भी चिंटू की चिंता है. मुझे नही पता था क़ि तुम उसे ले कर इतना परेशान होगी”


ऋतु रोते हुवे मेरे गले लग गयी और भारी मन से बोली, “जतिन, मैं रोज पापा का फोन ट्राइ करती हूँ, पर वो मेरा फोन काट देते हैं. मम्मी और सोनू भी मुझ से कोई बात नही कर रहे. समझ नही आता कि मैं क्या करूँ, क्या नहीं. मैं कैसे अपने बेटे से मिलूं”


“ह्म्म….. ऐसा करते हैं हम देल्ही चलते हैं. उशे खुद यहा ले कर आएँगे” ------- मैने प्यार से कहा


“नहीं जतिन अपने घर वालो का सामना करने की हिम्मत मुझ में नही है, वो मुझे बहुत ग़लत समझ रहें हैं” ----- ऋतु ने कहा



“जींदगी में इस बात से फरक नही पड़ता कि लोग आपको क्या समझते हैं, फरक पड़ता है तो इस बात से कि आप खुद को क्या समझते हैं. इस प्यार की लाज़ रखो जान और सर उँचा रख कर आगे बढ़ो. तुम्हारा ऐसा बिहेवियर इस प्यार का अपमान है” ---- मैने कहा


“तो तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” --- ऋतु ने पूछा


“जाओ और अपने बेटे को अपने साथ ले आओ” ---- मैने कहा


“क्या तुम मेरे साथ चलोगे” ----- ऋतु ने पूछा


“क्यों नही जान, मैने अभी कहा तो था की, देल्ही चलते हैं, चिंटू अब मेरा बेटा है. मैं अभी फ्लाइट बुक क्रा कर आता हूँ ” ---- मैने कहा


“अरे रूको मेरा क्रेडिट कार्ड कब काम आएगा, यही लॅपटॉप से बुक कर लेंगे” ---- ऋतु ने कहा


“नहीं तुम अपना क्रेडिट कार्ड अपने पास रखो अपना घर मैं खुद संभालूँगा, 10 मिनूट लगेंगे अभी टिकेट ले कर आता हूँ” --- मैने कहा

“तुम मेरा कोई खर्चा नही होने देते, मेरा पैसा भी तो तुम्हारा ही है” ---- ऋतु ने कहा

“वो तो ठीक है जान लेकिन मैं अपने परिवार की सारी ज़िम्मेदारी खुद उठाना चाहता हूँ” ---- मैने कहा


“ठीक है मैं डिन्नर तैयार करती हूँ, जल्दी आना, हम खाना खा कर ढेर सारी बाते करेंगे” --- ऋतु ने कहा

मैं टिकेट ले आया. सुबह 7:30 की फ्लाइट थी.

हम दोनो रात भर बाते करते रहे. मन में यही सवाल था कि ऋतु के घर जब हम जाएँगे तो उशके पेरेंट्स कैसे रिक्ट करेंगे. बाते करते करते हम पिछली रात की तरह एक दूसरे की बाहों में सो गये.


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डेट : 23-08-09

अभी शाम के 6 बजे हैं. हम सुबह 10 बजे देल्ही पहुँच गये थे. अभी मैं लक्ष्मीनगर अपने घर पर हूँ. ऋतु को सुबह कारोल बाग उसके घर छ्चोड़ आया था.


जैसे ही हम ऋतु के घर पहुँचे, जैसी की हमें उम्मीद थी, किशी ने हमारा स्वागत नही किया.

हम घर के दरवाजे पर ही रुक गये.

ऋतु के पापा आग बाबूला हो कर हमारे पास आए.

उन्होने ऋतु को कुछ नही कहा और मेरी और देख कर बोले, “कहा था ना मैने कि इस घर में कदम मत रखना, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की, दफ़ा हो जाओ यहाँ से, वरना ज़ूते मार कर यहाँ से निकालूँगा”


मैने कहा, “देखिए, ऋतु अपने बेटे के लिए परेशान है, और मैं इसका पति होने के नाते यहाँ खड़ा हूँ, आप प्लीज़ गुस्सा मत किज़िइ और एक बार ऋतु की बात सुन लिज़िइ, ये आपकी बहुत इज़्ज़त करती है, इश्लीए यहाँ आई है”

इतना सुनते ही ऋतु के पापा ने मेरे मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया और बोले, “बकवास बंद कर और फॉरन यहाँ से दफ़ा हो जा”


तभी ऋतु का छ्होटा भाई भी वहाँ आ गया

उशके आने की तो कोई चिंता नही थी पर वो हाथ में एक हॉकी ले कर आ रहा था. एक वाय्लेंट माहॉल बनता नज़र आ रहा था. यही मैं नही चाहता था. हम तो शांति से बात को सुलझाना चाहते थे.


“साले तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ घुस्सने की” --- उसने हॉकी को मुझे दीखाते हुवे कहा

“देखो भाई, मैं यहाँ कोई लड़ाई झगड़ा करने नही आया हूँ, मेरी पत्नी अपने बेटे के लिए परेशान है और मुझे लगता है कि एक मा को बेटे से जुदा नही करना चाहिए” ---- मैने कहा

लेकिन सोनू(ऋतु का भाई) को जैसे कुछ समझ नही आया और उसने हॉकी घुमा कर मेरे पेट में दे मारी.


वार इतनी ज़ोर का था कि मैं लड़खड़ा कर गिर गया. पर जल्दी ही उठ गया. मुझे हर हाल में ऋतु के साथ रहना था


ऋतु ये सब देख कर रोने लगी और बोली, “पापा प्लीज़ हमारी बात तो सुनो”


“चुप करो तुम ऋतु, तुमसे मैं कोई बात नही करना चाहता” ---- ऋतु के पापा ने कहा

सोनू ने हॉकी मेरे सर पर मारने की कोशिश की पर मैने उसकी हॉकी उशके हाथ से छीन ली

“देखो मुन्ना हॉकी से मैं बहुत खेल चुका हूँ, बात आज प्यार की है और मैने अपनी जींदगी में यही सीखा है कि खून ख़राबे से कुछ हाँसिल नही होता, मेरी बात मत सुनो, मैं जा रहा हूँ, पर एक बार ऋतु की बात सुन लो. एक मा अपने बेटे के लिए यहाँ आई है” --- मैने कहा


सोनू मेरी बात सुन कर चुपचाप वहीं खड़ा हो गया पर वो मेरी और बड़े गुस्से से देख रहा था

मैने ऋतु के कानो में कहा, “जान तुम यहीं रूको, मैं चलता हूँ, मेरे यहाँ रहने से शांति का माहॉल नही बन पाएगा. तुम मेरे जाने के बाद शांति से कॉन्फिडेंट्ली बात करना. मैं लक्ष्मीनगर अपने घर जा रहा हूँ, कोई बात हो तो फोन कर देना”


“नहीं प्लीज़ मुझे अकेला छ्चोड़ कर मत जाओ, मुझे बहुत डर लग रहा है” ----- ऋतु ने कहा


“डरने की क्या बात है जान, तुम्हारे पापा तुम्हे बहुत प्यार करते हैं तभी इतना गुस्सा हो रहे हैं. तुम आराम से अंदर जाओ, मेरे यहाँ रहने से बात चीत का माहॉल नही बन पाएगा. मैं चलता हूँ, ठीक है, डॉन’ट वरी अबौट एनितिंग, कीप फैथ इन गॉड आंड इन दिस लव” ----- मैने कहा

सोनू को हमारी बाते सुन गयी थी वो बोला, “हाँ…हाँ जल्दी से यहाँ से दफ़ा हो जाओ वरना यहाँ से तुम्हारी लाश जाएगी”


“ठीक है जतिन, अपना ख्याल रखना, मैं तुम्हे बाद में फोन करूँगी” ---- ऋतु ने धीरे से कहा


मैं घर से बाहर आ गया और ऋतु अंदर की ओर चल पड़ी. उशके पापा चुपचाप उसे देख रहे थे.


डेट : 24-08-09


2:00 पीयेम



कल शाम को मैं बहुत बेचैन था. ऋतु के करीब रहने की इतनी आदत हो गयी है कि एक एक पल उशके बिना मुश्किल से बीत रहा था. फिर मुझे उसकी चिंता भी हो रही थी कि वो कैसी है. सुबह जब मैं उसे उशके घर छ्चोड़ कर घर से बाहर निकला था तो उसने बड़े प्यार से पीछे मूड कर मेरी ओर देखा था. अभी तक वो मोमेंट मेरी आँखो में घूम रही है. अजीब होता है ये प्यार भी, हर वक्त दिल को बेचैन रखता है.


सुबह से शाम हो गयी पर ऋतु का कोई फोन नही आया. मैं उसका फोन ट्राइ कर रहा था तो बार बार स्विच्ड ऑफ आ रहा था. दिल बहुत बेचैन हो रहा था. मैं उशके घर जाना चाहता था, पर ये सोच कर रुक गया कि कहीं कोई लड़ाई झगड़ा ना हो जाए और बनी बनाई बात बिगड़ जाए.

कोई 8:30 बजे ऋतु का फोन आया


“कहा थी तुम मुझे कितनी चिंता हो रही थी” --- मैने पूछा

“सॉरी जतिन, फोन की बेतटेरी ख़तम हो गयी थी, और मैं यहाँ बातो में उलझी हुई थी, तुम ठीक तो हो. सोनू ने बड़ी ज़ोर से हॉकी मारी थी ना. आइ आम सॉरी फॉर दट जतिन” ----- ऋतु ने कहा


मैने कहा, “मैं अपने घर पर हूँ, जान तुम मेरी चिंता मत करो और बताओ कि क्या हुवा”

“जतिन, सब ठीक है, चिंता की कोई बात नही है, अभी मैं बिज़ी हूँ, कोई एक घंटे मैं तुम्हे फोन करती हूँ, ठीक है, मेरा वेट करना आराम से बात करेंगे….ओके” ----- ऋतु ने कहा

मैने कहा, “ठीक है जान, तुम चिंता मत करो, आराम से फोन करना”

“ठीक है फिर मैं थोड़ी देर में आती हूँ”
----- ऋतु ने कहा

ये कह कर ऋतु ने फोन काट दिया




और फिर जींदगी का वो खूबसूरत लम्हा आया जिसकी याद जींदगी भर मेरे साथ रहेगी. मैं शायद सब कुछ भूल जाउ पर वो लम्हा कभी नही भुला पाउन्गा


कोई 9:30 पर मेरे घर की बेल बाजी


मैने दरवाजा खोला तो, ख़ुसी के मारे मेरी आँखे भर आई


मेरे सामने मेरी दुल्हन खड़ी थी, और बड़े प्यार से मेरी ओर मुश्कुरा रही थी.

“क्या बात है पति देव, अंदर नही आने दोगे क्या” ----- ऋतु ने पूछा


“तुम यहाँ कैसे पहुँच गयी जान, तुम तो कह रही थी कि मैं एक घंटे बाद फोन करूँगी” ---- मैने ख़ुसी में झूम कर पूछा


“सारी बात यही करोगे या फिर अंदर भी बुलाओगे” ---- ऋतु ने पूछा

“रूको तुम पहली बार घर आई हो, और मैं अपनी दुल्हन को पूरे रीति रिवाज़ से घर में परवेश करवँगा”


मैं इतना खुस था कि मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ. मैने पूरा घर छान मारा पर सवागत करने के लिए कुछ नही मिला. बहुत दीनो बाद घर आया था, इश्लीए कुछ मिलना मुश्किल था.


मैं वापस दरवाजे पर आ गया. शायद ऋतु मेरी उलझन समझ गयी और बोली, “क्या बात है जतिन, तुम किशी बात की चिंता मत करो, मैं आ रही हूँ”

मैने कहा,“ नही रूको तो”

मैं ऋतु के पास आ गया और बोला, “जान घर में तुम्हारे स्वागत के लिए कुछ नही है, लेकिन में तुम्हारे कदमो में अपना दिल बिछा रहा हूँ, तुम मेरे दिल पर पाँव रख कर घर में परवेश करो”


ये कह कर मैं ऋतु के कदमो में लेट गया


“जतिन ये क्या कर रहे हो तुम, इस सब की कोई ज़रूरत नही है, चलो उठो यहा से” ---- ऋतु ने झुक कर मुझे उठाते हुवे कहा


“नहीं जान मेरी जींदगी का ये खूबसूरत अहसाश मुझ से मत छीनो, मैं ये दिन यादगार बनाना चाहता हूँ” ----- मैने कहा


“तुम नही मानोगे” ---- ऋतु ने कहा और मुश्कूराते हुवे मेरे दिल पर हल्का सा पाँव रख कर घर में दाखिल हो गयी

“हां तो पति देव अब उठो और ये दरवाजा बंद कर लो” ---- ऋतु ने कहा


“तुम तो बहुत हल्की हो जान, दिल पर कुछ असर ही नही हुवा” ---- मैने कहा


“ये तुम्हे अभी पता चला, रोज मुझे गोदी में उठा कर घूमते हो, तब ये अहसाश नही हुवा क्या” --- ऋतु ने मुश्कुरा कर पूछा


मैने उठ कर दरवाजा बंद किया और ऋतु को बाहों में भर कर कहा, “तुमने आज मुझे बहुत बड़ा गिफ्ट दिया है, यहाँ आकर, पता है मैं तुम्हे बहुत मिस कर रहा था”


“मैं भी तुम्हे मिस कर रही थी जतिन” ---- ऋतु ने कहा


“अछा बताओ तो सही कि क्या हुवा घर पर और चिंटू कहाँ है” ----- मैने पूछा


“जतिन पापा ने मुझ से कोई बात नही की हां मैने मम्मी और सोनू को सब कुछ समझा दिया है. मम्मी कह रही थी कि वो खुद पापा को समझा लेंगी उशके बाद शांति से चिंटू को ले जाना. सोनू ही मुझे अपनी कार में यहाँ तक छ्चोड़ कर गया है, वो सॉरी महसूष कर रहा था, कह रहा था कि बाद में शांति से तुमसे मिलेगा. बस अब पापा की बात है, इश्लीए मैने चिंटू को अभी लाने की ज़िद नहीं की. मैं भी यही चाहती हूँ कि सब शांति से हो जाए. मैं खुस हूँ कि मम्मी और सोनू अब मेरे साथ हैं. पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं, मुझे यकीन है कि वो भी जल्दी ही समझ जाएँगे. अब लगता है कि मेरी जींदगी में शांति है और सब कुछ ठीक होने वाला है”


“ये तो बहुत अछा हुवा जान, बहुत तस्सली मिली है दिल को ये सुन कर, फिर हम कल शाम को वापस चलते हैं” ----- मैने कहा

“हां कल एरपोर्ट पर ही टिकेट ले लेंगे” ---- ऋतु ने कहा

“पर तुम अभी कैसे आ गयी, किसी ने तुम्हे रोका नहीं” ------ मैने पूछा

“मम्मी रोक रही थी. पर मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी. देखना चाहती थी की तुम ठीक तो हो. तुमने कुछ खाया की नहीं” ---- ऋतु ने कहा


“हां जान मैने खा लिया है, अभी बाहर से खा कर आया था” ---- मैने कहा

“जतिन ये घर तो अछा है” ----- ऋतु ने कहा

“हां मम्मी पापा बस यही घर छ्चोड़ गये थे. इशके अलावा मेरे पास कुछ नही है. सोच रहा हूँ इसे बेच कर मुंबई में ही कुछ खरीद लूँ” ---- मैने कहा

“अरे नही बेचने की क्या ज़रूरत है, कभी हम देल्ही आए तो कहाँ ठहरेंगे, मुंबई में है तो हमारा घर” ---- ऋतु ने कहा

“ठीक है बाद में बात करेंगे, पहले ये बताओ कि क्या सेवा करूँ अपनी बीवी की मैं” ---- मैने पूछा


“मुझे लेट-ने का मन हो रहा है जतिन, सुबह से बैठे बैठे थक गयीं हूँ” ---- ऋतु ने कहा

मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और सीढ़ियों की तरफ चल पड़ा

“ये कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा

“छत पर ले जा रहा हूँ जान, आज चाँदनी रात है, मैने छत पर अपना बिस्तर लगा रखा है, हम आज खुले आसमान के नीचे चाँदनी रात में शोएंगे” ---- मैने कहा


“जतिन रूको तो मुझे नीचे उतारो, मुझे ले कर कैसे चढ़ोगे तुम” ---- ऋतु ने कहा

“चढ़ जाउन्गा जान, तुम में बोझ ही कहाँ है” ---- मैने कहा


“मैने ऋतु को ज़मीन पर बीचे बिस्तर पर लेटा दिया और बोला, “तुम आराम से लेटो मैं पानी की बॉटल ले कर आता हूँ, रात को पानी की प्यास लगेगी तो काम आएगा” ----- मैने कहा


“जतिन ये बिस्तर तो छ्होटा है, हम एक साथ इस पर कैसे लटेंगे” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“लेट जाएँगे जान, हम एक दूसरे की बाहों में होंगे तो ये बिस्तर तुम्हे बड़ा लगेगा,” ---- मैने हंसते हुवे कहा


“तुम पागल हो” ---- ऋतु ने कहा

“हां तुम्हारे प्यार में पागल हूँ. वैसे ये बिसतर मैने अपने लिए लगाया था, अब तुम आ गयी हो तो हम दोनो इसी पर शोएंगे ” --- मैने कहा और पानी लेने के लिए चल पड़ा


मैने पीछे मूड कर देखा तो ऋतु मुश्कुरा रही थी


मैं वापस आया तो देखा की ऋतु आँखे बंद करके लटी हुई है


चाँदनी रात में ऋतु इतनी प्यारी लग रही थी कि मन कर रहा था कि उसे बस देखता रहूं. उसकी प्यारी सूरत के आगे चाँदनी फीकी लग रही थी
मैं चुपचाप ऋतु के बाईं ओर लेट गया.

उसकी प्यारी सी सूरत पर हल्की सी मुश्कान उभर आई. उसे पता चल गया था कि मैं उशके पास लेट गया हूँ.

अपनी दुल्हन के साथ चाँदनी रात में कोई भी बहक जाएगा. मेरे लिए खुद को थामना मुश्किल हो रहा था. उपर से ऋतु के चेहरे पर इतनी प्यारी मुश्कान थी कि दिल थामे नही थम रहा था.

मैने अपना दायां हाथ हल्के से ऋतु के उभार पर रख दिया और उसे महसूस करने लगा. ऋतु की साँसे तेज होने लगी.


“जतिन हट जाओ, तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ---- ऋतु ने आँखे बंद रखते हुवे कहा.

ये कह कर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुश्कान उभर आई


“अछा तो तुम्हे प्यार करने का क्या ये मतलब है कि मैं तुमसे हमेशा दूर रहूँगा. वैसे तुम ही बताओ कि तुम्हे प्यार करने का क्या मतलब है” ---- मैने भी हंसते हुवे कहा


“मुझे नही पता” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा



मैने ऋतु के होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए. ऐसा लगा जैसे 2 फड़कते हुवे अंगारे टकरा गये हों

हम थोड़ी देर तक पॅशनेट्ली किस करते रहे

फिर मैने ऋतु की कमीज़ को उपर सरका कर ऋतु के उभारो को थाम लिया

“पागल हो गये हो क्या, कोई देख लेगा यहाँ जतिन” --- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“चारो तरफ उँची दीवार है ऋतु, हम दुनिया की नज़रो से दूर इश् चाँदनी रात में बिल्कुल तन्हा हैं” ---- मैने कहा



ऋतु के उभार उसकी ब्रा में क़ैद पंछी की तरह लग रहे थे. मैने ऋतु के कान में कहा, “जान ये सोते वक्त आज ब्रा क्यों पहन रखी है, उतार दो ना और आज़ाद कर दो इन फूलों को”


ऋतु ने कोई जवाब नही दिया.

मैं समझ रहा था कि ऋतु के लिए ये करना मुश्किल होगा, क्योंकि वो शायद अभी भी पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार नही थी. पर मेरा मकसद प्यार के सागर में सेक्स को इस तरह डुबोना था कि ऋतु नॅचुरली प्यार में सेक्स का आनंद ले पाए.


मैने प्यार से कहा, “ ऋतु आओ हम आज प्यार के एक लंबे सफ़र पर चलते हैं. चाँद तक पहुँचने की कोशिश करेंगे देखते है क्या होता है”


ऋतु ने कहा, “जतिन, अगर मैं ना चल पाई तो और लड़खड़ा कर गिर गयी तो”


“तो मैं तुम्हे अपनी बाहों में थाम लूँगा जान, मैं हूँ ना. मैं तुम्हे अपनी गोदी में ले कर चलूँगा” ----- मैने ऋतु के गाल को छू कर कहा


क्रमशः........................
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Kamuk kahaaniya -"छोटी सी भूल --23

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"छोटी सी भूल --23

गतान्क से आगे.............

डेट : 9-08-09

3:00 पीयेम

आज सनडे है और हम दोनो घर पर ही हैं. अभी अभी लंच किया है. ऋतु बहुत अछा खाना बनाती है. डर लगता है कि कहीं मैं खा खा कर मोटा ना हो जाउ. पर वो इतने प्यार से डाल डाल कर देती है कि मैं खाता चला जाता हूँ.


आज ऋतु ने बहुत सारे आइटम बनाए थे, जीशके कारण बहुत थक गयी थी, इश्लीए बेडरूम में जा कर सो गयी. मुझे कह रही थी कि बस यू ही लेट रहीं हूँ. पर अभी मैने देखा तो पाया कि वो सोई हुई है.

पहली बार आज उशे शोते हुवे देखा है. नही तो वो रात को तो अलग शोती ही है, दोपहर को भी अपने बेडरूम की कुण्डी लगा कर शोती है. आज ग़लती से कुण्डी खुली रह गयी शायद, क्योंकि उशे पता ही नही होगा कि नींद आ जाएगी


जो भी है मुझे उशे शोते हुवे देखना बहुत अछा लग रहा है. बिल्कुल एक मासूम बच्चे की तरह पाँव सिकोड कर शो रही है. उशे बिल्कुल होश नही है की मैं उशके सामने बैठा हूँ वरना अभी उठ जाती. मैं चुपचाप उशके सामने कुर्सी पर बैठ कर ये डाइयरी लीख रहा हूँ. उशके करीब होने का बहुत प्यारा अहसाश हो रहा है मुझे





मुझे बिल्कुल नही पता कि प्यार क्या है. मेरे लिए इश् शब्द को डिफाइन करना बहुत मुश्किल काम है. मेरी जींदगी में ये बहुत अजीब हालात में आया है. हां लोग कहते हैं कि प्यार का दूसरा नाम भगवान है. पता नही कि लोग इस बात पर विश्वास करते है या नही, हां पर मुझे पूरा यकीन है कि भगवान का दूष्रा नाम ऋतु है. वही मेरा सब कुछ है, वही मेरे लिए भगवान है और हमेशा रहेगी.



8 मार्च को मुंबई से बहुत दुखी मन से गया था. पता नही था कि वापिस आउन्गा या नही. मुझे लगने लगा था कि मैं बेवजह ऋतु पर अपना प्यार थोप रहा हूँ. पहले उस पर अपनी हवश थोपी थी अब प्यार भी थोपूँगा तो प्यार और हवश में क्या अन्तेर रह जाएगा.

मुंबई वापिस आने का सोचा नही था, पर ऋतु को एक बार देखने के लिए मैं फिर से मुंबई खींचा चला आया. 28 जून को शाम के कोई 5 बजे मैं मुंबई पहुँच गया.


मुंबई में पाँव रखते ही मेरे तन बदन में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी. जल्द से जल्द ऋतु को देखना चाहता था. पर मैं दुबारा ऋतु को कोई परेशानी भी नही देना चाहता था. इश्लीए सोच रहा था कि कैसे उशे बिना परेशान किए एक बार देखा जाए.


मैं ऋतु के घर के सामने पहुँच गया. थोड़ी देर तक ऋतु की खिड़की को देखता रहा. दिल बस ऋतु को एक बार देखने के लिए तरस रहा था. मैं सोच रहा था कि पता नही कैसी होगी मेरी ऋतु. एक घंटा हो गया. ऋतु खिड़की में नही आई. मैने सोचा चलो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूम आता हूँ. बाद में ट्राइ करूँगा. क्या पता वो कहीं गयी हुई हो.


मैं गेट वे ऑफ इंडिया पहुँच कर उशी जगह खड़ा हो गया जहाँ मैं ऋतु के गले लग कर बेहोश हुवा था.

उस पल को मैं कभी नही भुला पाया. बल्कि वो अहसाश अभी तक मेरे साथ है. ऋतु से शादी हो चुकी है, पर अभी तक हम गले भी नही मिले हैं. बहुत सारे कारण हैं इस बात के.


खैर मैं उशी अहसाश को दुबारा पाना चाहता था, इश्लीए वाहा झुक कर मैने उस ज़मीन को चूम लिया जहाँ ऋतु खड़ी हुई थी.

जी हाँ, प्यार आपसे बहुत कुछ अजीब करवा देता है. सभी लोग देख रहे थे कि मैं क्या कर रहा हूँ. पर मुझे लोगो से कोई मतलब नही था. मुझे तो उस अहसाश को दुबारा जीना था. और फिर मैं खड़ा हो कर समुंदर की तरफ घूम कर बिल्कुल वैसे ही खड़ा हो गया जैसे उस दिन खड़ा था. बिल्कुल उशी दिन की तरह मैं समुंदर को देखते देखते उष्की विशालता में खो गया.


वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था. मुझे बिल्कुल यकीन नही था कि भगवान मुझे ऋतु से बिल्कुल उसी दिन की तरह मिलवाएँगे.


मैं तो समुंदर में खो चुका था, अचानक मुझे मेरे पीछे से आवाज़ आई


“तुम खुद को समझते क्या हो, बिल्लू”


मैं झट से घूम गया और मैने जो देखा उस पर विश्वास करना मुश्किल था.


ऋतु एक छोटे बच्चे की तरह आँखो में आन्शु ले कर मेरे सामने खड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि किशी बच्चे का खिलोना खो गया हो और वो उशके लिए रो रहा हो.

मैं इतना हैरान था कि कुछ नही कह पाया बस आँखे फाड़ कर ऋतु को देखता रहा.


“कहाँ चले गये थे तुम” ---- ऋतु ने रोते हुवे पूछा.


मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ. मैने कभी ऋतु को ऐसी हालत में नही देखा था

मैने ऋतु के कंधे की और हाथ बढ़ाया और कहा, “ऋतु प्लीज़ चुप हो जाओ”


फिर कुछ इस तरीके से ऋतु ने अपने प्यार का इज़हार किया कि मेरी आँखे भर आई.


“मुझे छूने की कोशिश भी मत करना, तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नही है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ऋतु ने कहा… और कह कर पीछे की ओर हट गयी.




“नहीं ऋतु तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मैं तुम्हारे शरीर का भूका नहीं हूँ, वो बिल्लू जो तुम्हारे शरीर का भूका था कब का मर चुका है, आज तुम्हारे सामने जो खड़ा है वो जतिन है. मैं तो बस तुम्हे चुप कराने की कोशिश कर रहा था. देखो चुप हो जाओ, लोग हमें ही देख रहे हैं” --- मैने भावुक हो कर कहा.


“तुम मेरे फ्लॅट के सामने से मुझ से मिले बिना निकल गये, तुम्हे शरम नही आई, कैसा प्यार है तुम्हारा” --- ऋतु ने कहा.


“नहीं ऋतु ऐसी बात नही है, मैं तो तुम्हारे घर के सामने एक घंटा खड़ा रहा था. तुम खिड़की में नही दीखी तो थोड़ी देर यहा घूमने चला आया. उस दिन की याद ताज़ा कर रहा था जिस दिन तुमने मुझे गले लगाया था. मैं अभी थोड़ी देर में वापिस आने वाला था” ---- मैने ऋतु की आँखो में देख कर कहा.


“सच बोल रहे हो” --- ऋतु ने अपनी आँखो से आंशु पोंछते हुवे कहा.

ऋतु के चेहरे पर प्यारी सी मासूमियत थी

“हां ऋतु मैं यहा तुम्हारे लिए ही तो आया हूँ, वरना यहा मेरा और कौन है” --- मैने कहा.

ऋतु थोड़ी शांत हुई और बोली, “मैं जब खिड़की में आई तो तुम्हे बस जाते हुवे देखा. तुम्हे नही पता कि मेरे दिल पर क्या बीती, भाग कर आई हूँ मैं यहा”


“ऋतु मुझे यकीन नही था कि तुम मुझे इतने प्यार से मिलॉगी, मैं तो बस तुम्हे एक बार देखने आया था, डू यू लव मी” ? ----- मैने पूछा.


“बिल्लू पहले तुम ये बताओ कि तुम थे कहाँ, कविता को देखने भी नही आए, क्या मेरी बात इतनी बुरी लग गयी थी. मेरा तो चलो कुछ नही पर कविता ?? कैसे भूल गये अपनी दीदी को तुम. तुम्हारा बहुत इंतज़ार किया,तुम नही आए तो तुम्हारे बिना ही कविता का अंतिम संस्कार करना पड़ा. क्यों किया ये सब ?” ----- ऋतु ने भावुक हो कर पूछा.


“ऋतु सब कुछ बताता हूँ, पर मुझे बिल्लू मत कहो. बिल्लू अब मर चुका है. मेरा नाम जतिन है. शरम आती है मुझे तुम्हारे मूह से बिल्लू शुन कर. तुम मेरी बात समझ सकती हो… हैं ना” --- मैने कहा.


“मुझे पता है तुम्हारा नाम जतिन है, मैने तुम्हारी पूरी इनक़ुआरी करवा रखी है, अछा नाम है. तुम्हे पता है जतिन का मतलब क्या है, जतिन मीन्स सगे ओर मुनि. पर तुम तो कुछ और ही हो” ---- ऋतु ने कहा


“मुझे पता है जतिन का मतलब क्या है ऋतु, और इस नाम के गुण बचपन से मेरे अंदर हैं” --- मैने कहा.


“अछा चलो छ्चोड़ो, मुझे अब ये बताओ की तुम कौन सी दुनिया में चले गये थे कि अपनी दीदी को भी देखने नही आए” --- ऋतु ने गंभीर हो कर कहा.



“ठीक है ऋतु तुम्हे आज सब कुछ बताउन्गा, ये भी बताउन्गा की मैं कहाँ था और अपनी जींदगी के बारे में भी बताउन्गा, चलो किशी रेस्टोरेंट में चलते हैं, बात लंबी है, यहाँ खड़े खड़े थक जाएँगे” --- मैने कहा.



“ठीक है मैं शुन-ना चाहती हूँ बिल्लू….म्म मतलब जातीं…… सॉरी आगे से तुम्हे बस जतिन ही कहूँगी, लेकिन यहीं बात करेंगे, रेस्टोरेंट जाने में वक्त लगेगा, मैं और इंतेज़ार नही कर सकती” --- ऋतु ने कहा.




“पहली बार मेरी जान इतने प्यार से मिली है, रेस्टोरेंट तो तुम्हे ले जाना ही पड़ेगा, चलो ना प्लीज़ आराम से बात करेंगे” --- मैने कहा

“क्या मैं तुम्हारी जान हूँ जतिन” --- ऋतु ने मेरी ओर देख कर पूछा.


“हां ऋतु, यू आर माइ लाइफ, इनफॅक्ट यू आर माइ गॉड, तभी तो मैं आज फिर यहाँ खींचा चला आया, और भगवान का चमत्कार देखो आज तुम मेरे शामने आँखो में प्यार ले कर खड़ी हो. वी आर इन लव, हैं ना ऋतु” ---- मैने कहा


“तुम मुझे पहले ये बताओ कि कहाँ थे तुम? , बाकी की बाते बाद में करेंगे. थोड़ी देर खड़े रह कर तक नही जाएँगे, जल्दी बताओ, कहाँ थे” ---- ऋतु ने कहा.


मैने फिर ऋतु को रेस्टोरेंट के लिए इन्सिस्ट नही किया. हम दोनो वहीं दीवार के साथ एक दूसरे की और मूह करके खड़े हो गये.



“ऋतु मैं 8 मार्च को बहुत दुखी मन से तुम्हारे घर से चला था. अगले दिन की देल्ही की टिकेट बुक करवा रखी थी. पर किशमत को कुछ और ही मंजूर था. मैं देल्ही जाने की बजाए पुणे पहुँच गया” ---- मैने कहा


“पुणे !! पुणे क्या करने गये थे” ---- ऋतु ने पूछा



ये एक अलग ही कहानी है. बचपन से मैं थोड़ा स्पिरिचुयल रहा हूँ. अक्सर शांत जगह देख कर मैं आँखे बंद करके बैठ जाता था. तुम्हे ये बात थोड़ी अजीब लगेगी लेकिन ये सच है.


एक बार स्कूल में हिस्टरी के टीचर ने भगवान बुद्ध की कहानी शुनाई थी. उस कहानी की कुछ ख़ास पंक्तियाँ मुझे आज तक याद हैं.

कहानी के अनुशार भगवान बुद्ध को बोध्वृक्षा के नीचे एंलीगटेनमेंट हुई थी. मेरे मन में बचपन से ये सवाल बार बार आया है कि क्या है ये एनलाइटनमेंट.


पता तो कुछ था नहीं. मैं अक्सर शांत जगह देख कर चुपचाप आँखे बंद करके बैठ जाया करता था. क्योंकि मैने शुना था कि भगवान बुद्ध भी आँखे बंद करके बैठा करते थे. पर कभी कुछ ख़ास अहसाश नही हुवा.

जब भी आँखे बंद करता था तो बस अंधेरा ही दीखता था. वैसे बचपन में इतना कुछ पता भी नही था मेडिटेशन के बारे में. लेकिन पता नहीं क्यों मैं फिर भी कुछ ना कुछ ट्राइ करता रहता था


दीदी जब मुझे कभी ऐसी हालत में देखती थी तो कहती थी, “जतिन क्या कोई झोलाचाप बाबा बन-ने का इरादा है, चलो पढ़ाई करो”

दीदी अक्सर मुझे जतिन कह कर ही बुलाती थी. वैसे हर कोई मुझे बचपन से बिल्लू कह कर ही बुलाता है


मैने ओशो की मॅडिटेशन प्रॅक्टिसस के बारे में काफ़ी शुन रखा था. पर कभी किशी जगह जा कर ट्राइ नही किया था.


जब मैं उस दिन तुम्हारे घर से निकला था तो मन बहुत ज़्यादा उदास था. देल्ही जाने का बिल्कुल मन नही था. और मैं मुंबई में रुक कर तुम्हे और ज़्यादा परेशान नही करना चाहता था.


पुणे में जो ओशो आश्रम है उशके बारे में काफ़ी शुन रखा था. मन में अचानक एक विचार आया की चलो पुणे चलता हूँ और कुछ मॅडिटेशन सीखता हूँ, शायद दुखी मन को कुछ शांति मिल जाए.



मैने जींदगी में तुम्हे बर्बाद करने के अलावा कोई बुरा काम नही किया. पर तुम्हे बर्बाद करना ही मेरा सबसे बड़ा पाप बन गया. अगर उस वक्त तुम मुझे अपना लेती तो मेरे दिल का बोझ हल्का हो जाता, पर ऐसा हो नही पाया. तुम्हे पाने की उम्मीद खो चुका था. ऐसे में मेडिटेशन में मुझे रोशनी की एक किरण नज़र आ रही थी.

मैने शुन रखा था कि मेडिटेशन में इंशान मर कर एक नया जनम लेता है. और इस तरह मैं अपने अंदर के उस बिल्लू को मारने निकल पड़ा जिशे तुम जानती थी

और इस तरह में पुणे पहुँच गया

मेरा एक कॉलेज का फ्रेंड, मदन पुणे में एक कॉल सेंटर में लगा है. मुझे भी उसने वही लगवा दिया. मदन भी ओशो के आश्रम जाता रहता था. मैने 4-5 बार आश्रम जा कर डाइनमिक मेडिटेशन सीख ली. उशके बाद में मदन के घर पर रोज सुबह डाइनमिक मेडिटेशन करने लगा.

डाइनमिक मेडिटेशन का 3 महीने का एक पूरा कंप्लीट साइकल होता है. इशे पूरा कर लिया जाए तो इंशान को कुछ बहुत गहरे अहसाश होते हैं. उनको शब्दो में नही कहा जा सकता.


पूरे 3 महीने मैने ये मेडिटेशन की. कभी मदन के घर पर और कभी आश्रम पर. इस मेडैटेशन ने मेरी जींदगी बदल दी. मैं बिल्लू से जतिन बन गया. पहले बस नाम का जतिन था. इस मेडिटेशन के बाद सच में जतिन बन गया.


“ह्म्म…. तो तुम मेडिटेशन सीख रहे थे, इश्लीए अपनी दीदी को देखने नही आए, मुझे ये सब शुन कर बिल्कुल अछा नही लग रहा जतिन. कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हे आप कभी नही टाल सकते. तुम अपनी दीदी को भुला कर आत्मा परमात्मा के चक्कर में पड़ गये, क्या तुम्हे नही लगता कि तुमने बहुत ग़लत किया है, और तुम मेडिटेशन सीखने भी कहाँ गये,….एक सेक्स गुरु के अशरम में, लगता है तुम खुद को धोका दे रहे हो” ऋतु ने कहा


“ऐसी बात नही है मैं दीदी को उस हालत में टीवी पर ही नही देख पाया तो वाहा जा कर कैसे देख लेता. मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी ऋतु. मैने तो इस बात को ही स्वीकार नही किया कि वो मेरी दीदी ही थी. हां पर आज बात दूसरी है. आज मैं बहुत शांत हूँ. 3 महीने जो मैने मेडिटेशन की है, उसने मेरी जींदगी बदल दी है. वैसे काफ़ी हद तक तो तुम्हारे प्यार में मैं बदल ही चुका था, बाकी का काम इस ने कर दिया और इस तरह बिल्लू मारा गया. और हां ओशो पर सेक्स गुरु का ठप्पा वो लोग लगाते हैं जो सेक्स में उपर से नीचे तक डूबे हुवे हैं, मैने ओशो को खूब पढ़ा है उन्होने कभी सेक्स को प्रमोट नही किया” ---- मैने कहा.

“मुझे लगा संजय ने तुम्हारे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया. वो उस दिन जिस दिन तुम आखरी बार लेटर डालने आए थे, तुम्हारे पीछे ही गया था. उसने मुझे बताया था कि उसने तुम्हारे टुकड़े टुकड़े करके मुंबई के नालो में बहा दिए. मैं ये शुन कर सोच बैठी थी की अब तुम इस दुनिया में नही हो” ---- ऋतु ने कहा


“ऋतु इंशान फ्रस्ट्रेशन में काफ़ी कुछ बोल जाता है. संजय ने यू ही तुम्हे परेशान करने के लिए बोल दिया होगा. दिस ईज़ नॅचुरल टेंडंसी ऑफ फ्रस्टरेटेड पर्सन” ---------- मैने कहा


“पर मुझे लगता है कि तुम्हे एक बार तो कविता के लिए आना चाहिए था” --- ऋतु ने कहा


“ये बात मैं अब समझ रहा हूँ, पर पहले हिम्मत नही थी. मेरे दिल में जो दीदी की एक शुनदर तस्वीर थी उसे हटा कर मैं एक कंकाल वाहा नही बिठाना चाहता था” ---- मैने कहा


फिर हम थोड़ी देर शांत खड़े रहे. मेरी नज़र ऋतु के चेहरे पर गयी तो वहीं जा कर टिक गयी. मैं ऋतु को प्यार से देखने लगा. पहली बार वो दिल में प्यार ले कर मेरे पास खड़ी थी. बहुत प्यारा अहसाश हो रहा था मुझे उस वक्त


“क्या देख रहे हो” ---- ऋतु ने पूछा

“अपनी जान को देख रहा हूँ की कैसी है मेरी जान, बहुत प्यारी लग रही हो, आइ लव यू” --- मैने कहा.


“जतिन मुझे माफ़ करदो मैने उस दिन मंदिर के बाहर तुम्हे ना जाने क्या क्या बोल दिया था” ---- ऋतु ने कहा



“आइ लव यू ऋतु” ----- मैने कहा


“जतिन मैं कह रही थी कि मुझे माफ़ करदो मैने उस दिन मंदिर के बाहर तुम्हे ना जाने क्या क्या बोल दिया था” ----- ऋतु ने कहा

मैं इतना भावुक हो रहा था कि मुझे कुछ नही शुन रहा था. मैने फिर अपने प्यार का इज़हार किया

“आइ लव यू ऋतु, दो यू लव मी” ? ---- मैने पूछा


“तुम्हे मेरी आँखो में क्या नज़र आ रहा है, जतिन” ----- ऋतु ने बड़े प्यार से मेरी आँखो में देख कर पूछा.


“प्यार नज़र आ रहा है, इस समुंदर से भी गहरा प्यार नज़र आ रहा है, जीशके किनारे हम खड़े हैं, ऐसा कैसे हो गया ऋतु” ---- मैने भावुक हो कर पूछा




“पता नही जतिन, मैं खुद हैरान हूँ कि में कैसे तुम्हे प्यार कर सकती हूँ, पर जो भी है ये सच है कि आइ लव यू, क्या तुम्हे पता है कि तुम मुझे क्यों प्यार करते हो” ---- ऋतु ने पूछा



मैने कहा, “नही पता, बस इतना पता है कि तुम्हारे बिना जी नही सकता, मेडिटेशन में बहुत गहरे अहसाश पा कर भी तुम्हे भुला नही पाया. अभी कुछ दीनो पहले मेरे साथ कुछ अजीब हुवा. में डाइनमिक मेडिटेशन करने के बाद शांति से आँख बंद करके बैठ गया, पता है मुझे अपने अंदर क्या दीखाई दिया”



“क्या दीखाई दिया जतिन” ---- ऋतु ने पूछा

“मुझे तुम दीखाई दी ऋतु, बड़े प्यार से मुश्कुरा रही थी. उष दिन मैने डिसाइड किया कि डाइनमिक मेडिटेशन ख़तम करके तुम्हे देखने मुंबई आउन्गा. और देखो आज मैं आ गया. पर आज पता चला कि वो भगवान का संकेत था कि जाओ, तुम्हारा प्यार तुम्हे बुला रहा है. देखो आज तुम आँखो में प्यार ले कर मेरे सामने खड़ी हो, लगता है मुझे सब कुछ मिल गया. आइ लव यू ऋतु, आइ रेआली लव यू आ लॉट” ---- मैने भावुक हो कर कहा


आखरी की लाइन्स बोलते हुवे मेरी आँखो में आंशु उतर आए.


“तुम्हारे इशी प्यार ने मेरे मन में प्यार जगाया है, वरना तो मैं तुमसे बहुत नफ़रत करती थी” ---- ऋतु ने भी भावुक हो कर कहा


मैने देखा की ऋतु की भी बोलते बोलते आँखे भर आई थी.


लव ईज़ रियली आ वेरी वोंडरफुल्ल गिफ्ट ऑफ गॉड. उस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं चाँद पर पहुँच गया हूँ. खुद को बहुत हल्का महसूष कर रहा था.


मैने ऋतु के कंधे की ओर हाथ बढ़ाया


“नहीं, मुझे छूना मत, मैने कहा ना मेरे प्यार का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ----- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा


मैने अपना हाथ वापिस खींच लिया. मैं बस उशे छू कर कहना चाहता था कि तुम मेरी जींदगी हो. पर उसकी बात मुझे बिल्कुल बुरी नही लगी. वैसे भी जो आपकी जान हो उसकी बात क्या कभी बुरी लगती है.



“ऋतु मुझ से शादी करोगी” ------- मैने बहुत भावुक हो कर पूछा


ऋतु थोड़ी देर तक मुझे देखती रही और फिर अपनी नज़रे झुका ली. मैं बड़ी बेसब्री से उशके जवाब का इंतेज़ार कर रहा था.



“जतिन मैं आज तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ, प्यार जो हो गया है तुमसे, पर एक बात से परेशान हूँ कि हमारी शादी का आधार क्या होगा” ---- ऋतु ने पूछा


“क्या इस प्यार के बाद किशी आधार की ज़रूरत रह गयी है ऋतु, ये अपने आप में सबसे बड़ा आधार है” ---- मैने कहा


“क्या लोग ये नही समझेंगे कि हमारी शादी का आधार हवश है” ---- ऋतु ने कहा


“क्या तुम्हे आज भी वो सब कुछ याद है जो हमने हवश में डूब कर किया था” ---- मैने पूछा


“नहीं मैं तो उशे बहुत पहले भुला चुकी हूँ, तभी तो तुम्हे बार बार कह रहीं हूँ कि मुझे छूना मत, मैं उस पाप को एक पल को भी याद नही करना चाहती” ---- ऋतु ने कहा


“मैं भी आज वो सब कुछ भुला चुका हूँ ऋतु. तभी मैने कहा कि वो बिल्लू मर चुका है. आज बस इस दिल में प्यार है.पीछले दीनो मैने कुछ याद किया तो वो दिन था जिस दिन तुमने मुझे यहा गले लगाया था. मैं भी उस पाप को याद नही करना चाहता. हम दोनो इस जींदगी में बहुत नीचे गिरे थे. आज बड़ी मुश्किल से संभलें हैं. यहा से हमें एक नयी शुरूवात करनी है. हमारी शादी का आधार ये प्यार है ऋतु और कुछ नहीं. तुम कहोगी तो मैं तुम्हे जींदगी भर नही छुउंगा, आज मेरे दिल में बस प्यार है, हवश को मैं बहुत पीछे छ्चोड़ चुका हूँ” ------ मैने कहा



“तुम्हारी बाते मेरे दिल को छू रही हैं जतिन, पर बहुत मुश्किलें हैं हमारी शादी में. मैं समझ नही पा रहीं हूँ कि अपने पापा को क्या कहूँगी. मैने आज तक उनकी बात नही टाली है. पापा मुझे सिधार्थ के साथ शादी करने को कह रहे थे. मैने उन्हे कह दिया था कि मैं सिधार्थ से शादी नही करूँगी और अपनी जींदगी का सफ़र अकेले तैय करूँगी. अब उन्हे किस मूह से कहूँगी क़ि मैं शादी करना चाहती हूँ, वो भी उस इंशान से जीशके कारण मेरी पहली शादी टूटी है. वो यही समझेंगे कि मैं हवश में आँधी हो गयी हूँ. उन्हे कैसे समझावँगी ये प्यार जो हमें खुद भी अभी तक समझ नही आया है. चलो हम तो फिर भी समझ ही रहे हैं, ये दुनिया कभी नही समझेगी जतिन. अब तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” ------- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा

ये शुन कर मेरी आँखे नम हो गयी. मैने कहा, “ तो इसका मतलब तुम मुझ से शादी नही करोगी, हैं ना, क्योंकि इस दुनिया को ये प्यार समझ नही आएगा. तुम मुझे ये बताओ कि आज तक किस का प्यार इस दुनिया को समझ आया है, जो हमारा आएगा. अगर सब लोग ऐसा सोचेंगे तो कोई प्यार को अंजाम तक ले जाने की हिम्मत नही करेगा. बड़ा दुख हुवा तुम्हारे मूह से ये सब सुन कर. पर चलो छ्चोड़ो”



“नहीं जतिन तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो, मैने कहा ना कि मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी, तुम्हे प्यार जो किया है, मैं तो बस अपनी दुविधा तुम्हे बता रही थी. प्लीज़ डॉन’ट माइंड. आइ लव यू. मैं तुम्हारी हूँ जतिन. प्लीज़ डॉन’ट टेक मी रॉंग” ----- ऋतु ने कहा

“क्या सच कह रही हो ऋतु ? प्लीज़ मैं तुम्हारे लिए बहुत एमोशनल हूँ, मुझे सॉफ सॉफ कह दो कि क्या तुम मुझ से शादी करोगी. मैं सच जान-ना चाहता हूँ. आइ डॉन’ट वांत टू फोर्स यू इंटो एनी थिंग नाउ. जो भी मन में हो बोल दो” मैने कहा



“बताओ कब करनी है शादी जतिन, मैं तैयार हूँ. मैं बस अपनी क्न्सर्न बता रही थी. मेरे लिए अपने घर वालो को समझाना मुश्किल होगा. ख़ासकर मेरे पापा ये बात नही समझेंगे. पर ये जींदगी मेरी है. तुम्हे अपना दिल दिया है. अब इस प्यार के लिए मैं किशी भी अंजाम तक जाने को तैयार हूँ. पता है तुम यहा नही थे तो मैं हर पल तुम्हे देखने के लिए तरसती थी. हर तरफ मेरी नज़रे तुम्हे ढून्दटी थी. आज भी जब खिड़की से तुम्हे जाते हुवे देखा तो भाग कर तुमसे मिलने यहा चली आई. जीतना तुम मुझे प्यार करते हो उतना ही मैं भी करती हूँ. जल्दी से डेट डिसाइड कर लो मैं तैयार हूँ. पर याद रखना शादी कोई खेल नही है. बहुत बड़ी ज़ीम्मेदारी होती है शादी के बाद. क्या तुम्हे यकीन है कि तुम ये ज़ीम्मेदारी नीभा पाओगे” ---- ऋतु ने कहा.



“बिल्कुल ऋतु मैने तो अपने परिवार के लिए बहुत कुछ सोच रखा है. मैं उमर में तुमसे छ्होटा सही पर तज़ुर्बें में तुमसे कहीं आगे हूँ. बहुत कुछ सीखा है इस छ्होटी से जींदगी में. तुम चिंता मत करो मैं एक पति के सारे फ़र्ज़ निभावँगा.” ---- मैने कहा



“पर जतिन, मुझे खुद पर यकीन नहीं है कि मैं एक पत्नी के सारे फ़र्ज़ निभा पाउन्गि या नही. मुझे एक मोका देना जतिन. मैं पूरी कोशिस करूँगी” ---- ऋतु ने कहा


ऋतु ने ये बात मेरी आँखो में देख कर कुछ इस तरह कही की मैं मदहोश हो गया.


मन कर रहा था कि ऋतु को गले लगा लूँ. पर मैं जानता था की वो ऐसा हारगीज़ नही करने देगी.

कुछ ना कुछ करने का मेरा मन तो था, जिस से की अपने दिल की भावनाओ को दीखा सकूँ.


मैने अपने अंगूठे को दांतो से चीर दिया और उसमें से जो खून निकला उसे झट से ऋतु की माँग में भर दिया

“जतिन ये क्या किया, पागल हो गये हो क्या” ? ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा.


“मिटा दो अगर चाहो तो, पर तुम अब मेरी पत्नी हो, मुझे इस दुनिया से कोई मतलब नही है” ----- मैने कहा



“मैं इसे मिटाने को नही कह रहीं हूँ, मैं तो ये कह रही थी कि ये अंगूठा चीरने की क्या ज़रूरत थी तुम्हे. मैं वैसे भी अब तुम्हारी ही हूँ” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा



“बस तुम्हे गले लगाना चाह रहा था. समझ नही आ रहा था कि कैसे अपने दिल की भावना को तुम्हे दीखाउ. इश्लीए अपने खून से तुम्हारी माँग भर दी” ---- मैने कहा



उस वक्त हम थोड़ी देर बिना कुछ कहे खड़े रहे. हम दोनो की आँखो में आंशु थे. कुछ नही पता था कि हमारे रिस्ते का मतलब क्या है, पर हम दोनो एक दूसरे के साथ चलने को तैयार थे. प्यार भी अजीब चीज़ है. इश्को समझना सच में बहुत मुश्किल काम है.



कब रात के 9 बज गये पता ही नही चला.


“चलें अब जतिन, काफ़ी अंधेरा हो गया है, मुझे अंधेरे से डर लगता है” ----- ऋतु ने कहा

और इस तरह हमारी खामोसी टूटी.

“ठीक है चलते हैं, अब मुझे शादी का इंतज़ाम भी करना है, काफ़ी कुछ सोचना पड़ेगा. चलो सब मॅनेज हो जाएगा, हमारा प्यार हमारे साथ है ना. फिलहाल चलते हैं” ---- मैने कहा


“हां चलो बाकी की बातें बाद में करेंगे” --- ऋतु ने कहा


“रूको पहले इस जगह का धन्यवाद करते हैं. इस जगह ने हमारे प्यार के फूल को खीलते हुवे देखा है. यहा हम चारो तरफ अपने प्यार की खुसबू छ्चोड़ कर जा रहें हैं. चलो आँखे बंद करके इस जगह का सुक्रिया करें और भगवान से दुवा करें की यहा जो भी आए मन में प्यार और शांति ले कर जाए” ---- मैने कहा


“तुम तो कोई फिलॉसफर बन कर लोटे हो. ये क्या मेडिटेशन का असर है, या फिर कुछ और जो मैं नही जानती” ----- ऋतु ने कहा


“मुझे नही पता किशका असर है, हां पर तुम्हारे प्यार का बहुत गहरा असर है मुझ पर. आज बहुत ज़्यादा खुस हूँ. आज तुम्हे आखरी बार देखने आया था और देखो तुम हमेशा के लिए मेरी हो गयी. मेरी जान आज मेरी पत्नी बन गयी” -------- मैने कहा


ऋतु ने कुछ नही कहा और नज़रे झुका कर मुश्कुरा दी. बहुत प्यारी लगती है ऋतु ऐसे नज़रे झुका कर मुश्कूराते हुवे. उस वक्त मैं बहुत खुस था कि ऋतु अब मेरी जींदगी में आ गयी है.


“चलो अब आँखे बंद करके प्रेयर करें, फिर चलते हैं” --- मैने ऋतु से कहा

हम दोनो ने आँखे बंद करके मन ही मन प्रेयर की और फिर साथ साथ ऋतु के घर की ओर चल पड़े.


हम दोनो रास्ते भर अपने खायलो में खोए रहे और एक दूसरे से कुछ नही कहा. बस चलते चलते एक दूसरे की तरफ देख कर मुश्कुरा देते थे.



ऋतु का फ्लॅट कब आ गया पता ही नही चला. मैं मन ही मन दुवा कर रहा था की ऋतु का घर थोड़ी देर और ना आए और हम यू ही साथ साथ चलते रहें. पर घर काफ़ी नज़दीक था. हम बहुत जल्दी वहाँ पहुँच गये.


“ठीक है ऋतु तुम्हारा घर आ गया, अब तुम जाओ, मैं चलता हूँ” ---- मैने कहा


“कहाँ जाओगे, जतिन” ? --- ऋतु ने पूछा


“तुम मेरी चिंता मत करो, मैं चला जाउन्गा, बहुत ठीकाने हैं रुकने के मेरे पास, और फिर होटेल तो है ही” ---- मैने कहा


“क्या तुम होटेल में रुकोगे ?? , ये घर अब तुम्हारा है जतिन, 3 बेडरूम हैं घर में. मुझे अछा लगेगा अगर तुम मेरे साथ रहोगे तो” ---- ऋतु ने कहा


ये शुन कर दिल बहुत भावुक हो गया. इतना प्यार और सम्मान दे रही थी ऋतु कि दिल थामे नही थम रहा था. लग रहा था कि मैं रो पड़ूँगा.

मैने मन ही मन सोचा कि ऋतु का मन वाकाई में उशके शरीर से भी ज़्यादा शुनदर है. वैसे मुझे ये बात हमेशा से पता थी कि वो एक अच्छी इंशान है.


मैने कहा, “नही ऋतु समझा करो, किशी ने देख लिया तो बेवजह बदनामी होगी. अब बस शादी करने के बाद ही इस घर में घुसूंगा. और वैसे भी मैं बहुत भावुक हो रहा हूँ तुम्हारे लिए. तुम्हारे साथ रुक गया तो कहीं बहक ना जाउ”

“तुम्हारी टांगे तोड़ दूँगी तुम बहक कर तो दीखाओ, अब मैं वो ऋतु नहीं हूँ जो तुम्हारे बहकावे में आ जाउन्गि” --- ऋतु ने कहा

“पता है, अब तुम झाँसी की रानी बन चुकी हो. मुझे तो खुद तुमसे डर लगने लगा है….हहहे... पता नही कब तलवार से मुझे काट डालो. एक बात बताओ क्या तुम्हे बंदूक चलानी आती है” ---- मैने पूछा


“नहीं… क्यों क्या हुवा” ---- ऋतु ने पूछा

“सुकर है, वरना तो उस दिन जंगल में तुम मेरा भेजा उड़ा देती. मैने सोचा भी नही था कि तुम पिस्टल ले कर फाइयर भी कर सकती हो. मेरी टाँग से गोली छू कर निकल गयी वरना जींदगी भर लंगड़ा कर चलना पड़ता” ---- मैने कहा

“सॉरी जतिन उस वक्त हालात ही कुछ ऐसे थे. मुझे तुम से इतनी नफ़रत थी की तुम्हे मार देना चाहती थी. हां पर आज तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुम आओ तो सही. हम अलग अलग बेडरूम में शोएंगे. अब तुम मेरे पति हो जतिन. मेरी माँग अपने खून से क्या मज़ाक में भरी थी तुमने” ---- ऋतु ने कहा


“अब ऐसी बाते मत करो मैं रो पड़ूँगा, क्यों इतना प्यार दे रही हो. संभालना मुश्किल हो रहा है. मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हे मेरी चिंता है. डॉन’ट वरी अबौट मी जान, आइ विल बी फाइन. अभी जाने दो. शादी के बारे में भी प्लॅनिंग करनी है. बहुत जल्दी में तुम्हे सब कुछ फाइनल करके बता दूँगा. नाउ यू गो आंड टेक केर. हन अपना मोबाइल नंबर दे दो कुछ काम हुवा तो फोन करूँगा” ---- मैने कहा

“ठीक है जतिन, जैसा तुम ठीक समझो, अपना ख्याल रखना और फिर से कहीं गायब मत हो जाना” ---- ऋतु ने कहा


मैने ऋतु से मोबाइल नंबर ले लिया.

ऋतु गुड नाइट कह कर घर में चली गयी. मैं उशे जाते हुवे देखता रहा.


घर में जाते ही वो खिड़की में आ गयी. मैने उसे बाइ किया और चल पड़ा.

जाते हुवे में बार बार खिड़की की ओर देख रहा था. ऋतु के चेहरे पर बहुत प्यारे भाव थे. मुझे हमारे बीच एक प्यारा सा रिस्ता बनता नज़र आ रहा था


पुणे से चलते वक्त मदन ने मुझे अपने एक फ्रेंड, दिनेश का नंबर दिया था. उस दिन मैं दिनेश से फोन पर बात करके उशके घर की लोकेशन पूछ कर उशके घर चला गया.


3-4 दिन मैं ऋतु से नही मिल पाया. मुझे चिंता हो रही थी कि पहले कुछ काम तो मिल जाए यहा मुंबई में. ऐसे खाली पीली शादी का क्या फ़ायडा. पुणे में कॉल सेंटर का एक्सपीरियेन्स हो गया था. दिनेश ने मुझे कुछ कॉल सेंटर्स के नाम बताए और मैने एक जगह जा कर जाय्न कर लिया. कॉल सेंटर कोलाबा के नज़दीक ही था.


फिर मैने शादी के बारे में सोचना शुरू किया.

28 जून के बाद, एक बार भी ऋतु से मिलने नही जा सका. मैं सब कुछ फाइनल करके ही ऋतु से मिलना चाहता था.


मैने एक पंडित से शादी की डेट निकलवाई. 12 जुलाइ को सूभ महुरत बैठ रहा था.

मैने उशी मंदिर में शादी का इंतज़ाम किया जहाँ ऋतु अक्सर जाया करती थी. पुजारी को मुश्किल से पैसे दे कर पटाया कि चिंता की कोई बात नही है, शादी मंदिर में करने की इच्छा है इश्लीए कर रहे हैं. घर वालो का कोई विरोध नही है.


5 जुलाइ को मैं शाम को ऋतु से मिलने गया.

मैने ऋतु के घर की बेल बजाई


ऋतु ने दरवाजा खोला और एक प्यारी सी हँसी से मेरा स्वागत किया और बोली, “तो मिल गया जनाब को मेरे लिए वक्त, थे कहाँ आप इतने दीनो से?”

मैने कहा, “चलो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूमते हुवे बात करेंगे, बहुत ज़रूरी बात करनी है तुम से”

“तुमने क्या इस घर में ना आने की कसम खा रखी है, तुम्हारी पत्नी हूँ मैं कोई गैर नहीं हूँ, तुम उस खून का मतलब नही जानते शायद पर मुझे पता है. आओ ना मैं कॉफी बना रही थी. आओ दोनो साथ साथ पीएँगे” ---- ऋतु ने कहा


ऋतु ने इतने प्यार से बुलाया कि मैं खुद को रोक नही पाया और घर के अंदर आ गया

मैने चारो और देख कर कहा, “बहुत प्यारा घर है तुम्हारा ऋतु”

“तुम्हारा नही हमारा जतिन, ये हमारा घर है” --- ऋतु ने किचन की ओर जाते हुवे कहा


“तुम बैठो मैं कॉफी ले कर आ रहीं हूँ” --- ऋतु ने किचन के अंदर से आवाज़ लगाई


मैं कुर्सी पर बैठ गया.


ऋतु कॉफी ले कर आई. उशके चेहरे पर अजीब सी चमक थी.


मैने पूछा, “ क्या बात है, इतनी खुस क्यों हो”

“आज तुम पहली बार घर जो आए हो, बहुत खुस हूँ” ---- ऋतु ने कहा


“ऋतु हम 12 जुलाइ को शादी कर रहें हैं” --- मैने कहा


“क्या इतनी जल्दी, कैसे मॅनेज होगा सब कुछ” --- ऋतु ने हैरान हो कर पूछा

“अरे हम मंदिर में शादी कर रहें हैं, इसमें क्या मॅनेज करना है. जहाँ तुम हर सनडे जाती हो ना वहीं शादी करेंगे, मैने सारा इंतज़ाम कर लिया है. और हां मैने एक कॉल सेंटर जाय्न कर लिया है. अब मैं पति बन-ने के लिए तैयार हूँ” ----- मैने कहा


“मैने तो अभी तक घर पर भी बात नहीं की इस बारे में, समझ नही आ रहा कि कैसे बात करूँ मैं” --- ऋतु ने कहा


“कर लो ऋतु, एक बार उन्हे बता दो, फिर देखते हैं कि क्या होता है, और हां में निकलता हूँ, मुझे कॉल सेंटर जाना है” ---- मैने कहा



“क्या आज तुम्हारी छुट्टी नही है जतिन” ---- ऋतु ने पूछा

“छुट्टी थी पर कोई एमर्जेन्सी आ गयी होगी मुझे अभी थोड़ी देर पहले फोन करके बुलाया है. और हां अपने घर बात कर लो. जिसे इन्वाइट करना है कर लो हम हर हाल में 12 को शादी कर रहें हैं.. ओके… बाइ” ---- मैने कहा और चल पड़ा


“तुम कहाँ रुके हो जतिन” --- ऋतु ने पूछा


मैने कहा, “एक दोस्त के यहा रुका हूँ, तुम चिंता मत करो..बाइ”


“तुम अब यहीं आ जाओ, क्यों यहा वाहा रह रहे हो” --- ऋतु ने कहा


“ऋतु 12 के बाद यहीं तुम्हारे साथ ही रहूँगा, मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता, तभी तो इतनी जल्दी की डेट निकलवाई है शादी की मैने” --- मैने कहा

“ओके जी, जैसा आपको सही लगे, बाइ अपना ख्याल रखना” --- ऋतु ने कहा



मैने पीछे मूड कर देखा, ऋतु की आँखो में बहुत ज़्यादा प्यार था. मैं वाहा से जाना नही चाहता था पर फिर भी मुझे जाना पड़ा.


और फिर वो दिन आ गया जिस दिन हमारी शादी हुई.


12 जुलाइ को शादी का शाम 6 बजे का मुहूरत था.


मैं तैयार हो कर 5 बजे ही ऋतु के घर पहुँच गया.



मैने बेल बजाई

दरवाजा खुला तो वाहा किसी दूसरी औरत को पा कर मैं चोंक गया. बाद में पता चला कि वो दीप्ति थी


“आओ जीजा जी, आपका स्वागत है, ऋतु तैयार हो रही है, आओ बैठो” ---- डिप्टी ने कहा



मैं अंदर आ गया.


अंदर घुसते ही एक 31-32 साल के आदमी ने मुझ से हाथ मिलाया और बोला, “वेलकम डियर, तो आज आप से मुलाकात हो ही गयी”

बाद में पता चला कि वो मनीष था


मैं मनीष और दीप्ति को जानता नही था इश्लीए उन से ज़्यादा बात नही की और चुपचाप एक तरफ बैठ गया.


कोई 15 मिनूट बाद दीप्ति ने मुझे कहा, “जीजा जी आप अंदर जाओ, ऋतु आपको बुला रही है”


मैं खड़ा हुवा और ऋतु के बेडरूम में घुस्स गया


अंदर जो देखा वो अन्बिलीवबल था.


ऋतु लाल सारी में लीपटि मेरे सामने खड़ी थी. बहुत ज़्यादा प्यारी लग रही थी. मन कर रहा था की उसे बाहों में भर लूँ


“देख क्या रहे हो, बताओ कैसी लग रहीं हूँ” --- ऋतु ने पूछा


“बहुत प्यारी लग रही हो जान बस पूछो मत” --- मैने ऋतु की ओर बढ़ते हुवे कहा


“मुझे छूना मत….” ---- ऋतु ने कहा


मैने ऋतु को बीच में ही टोक दिया और बोला,“हां हां मुझे याद है तुम मुझे प्यार करती हो तो इश्का मतलब ये नही है कि मैं तुम्हारे शरीर से खेलूँगा. ये मुझे रात गया है. मैं तो बस तुम्हे नज़दीक से देखना चाह रहा था”


“ये सारी कैसी लग रही है” --- ऋतु ने पूछा

“अच्छी लग रही है, बल्कि बहुत अच्छी लग रही है” --- मैने कहा


“अरे ये तुम्हारी लाई हुई सारी है, पहचान क्यों नही रहे हो तुम” --- ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा



“ओह्ह हां ऋतु मुझे लग तो रहा था पर समझ नही आ रहा था कि ये तुम्हारे पास कैसे आई, मुझे लगा तुम भी वैसी ही सारी ले आई हो” ---- मैने कहा


“मैने तुम्हारी टॅक्सी का शीसा तोड़ कर निकाल ली थी. अछा हुवा टाइम से निकाल ली. बाद में तो वो टॅक्सी यहा से गायब ही हो गयी” --- ऋतु ने कहा



“अछा किया ऋतु, आज तुमने दिल को एक और ख़ुसी दे दी. मेरी लाई हुई सारी तुमने पहन ली और मुझे क्या चाहिए. मुझे तो लगता था कि ये सस्ती सारी है” --- मैने कहा


“सस्ती सारी नही है ये, बहुत कीमती है मेरे लिए. दिल से लगा कर रखा है मैने इसे. और देखो कितनी प्यारी लग रही है मुझ पर. लग रहीं हूँ ना तुम्हारी दुल्हन मैं” ---- ऋतु ने कहा


ऋतु की बात शुन कर मेरी आँखो में आंशु भर आए. जब इतना प्यार मिले तो कोई भी रो देगा.


“क्या हुवा जतिन, ये आँखे क्यों भर आई हैं तुम्हारी” --- ऋतु ने पूछा

“कुछ नही बस ख़ुसी के आंशु हैं, तुम जल्दी तैयार हो कर बाहर आ जाओ, हम मंदिर के लिए लेट हो रहे हैं” ----- मैने कहा और दरवाजे की ओर मूड गया


“रूको तो जतिन,…….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने पीछे से कहा


मैने कहा, “आइ लव यू टू ऋतु, जल्दी करो हम लेट हो रहें हैं”


“ठीक है, बस 10 मिनूट में आ रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा


ऋतु के घर से कोई नही आया. मैने पुणे से मदन को भी इन्वाइट कर लिया था. वो सीधा मंदिर पहुँच गया.


बहुत एमोशनल पल था वो मेरे लिए जब मैं ऋतु के साथ 7 फेरे ले रहा था. एक एक कदम मैं बहुत भावुक हो कर रख रहा था. ऋतु खामोसी से चल रही थी. उपर से मंदिर का माहॉल. बहुत पेअसेफुल्ल एन्वाइरन्मेंट में हमारी शादी हो रही थी. भगवान को ये शादी मंजूर थी तभी भगवान के मंदिर में ही उन्ही के सामने ये शादी हो रही थी.


जैसे ही पूरा प्रोसेस ख़तम हुवा, ऋतु ने मेरी ओर देखा और बोली, “अब तो रहोगे ना मेरे साथ हमारे घर में”

मैं बस मुश्कुरा दिया और आँखे झपका कर हां का इशारा किया

तभी ऋतु का मोबाइल बज उठा.


उसने फोन उठाया और मैने देखा कि वो किसी गहरी चिंता में खो गयी.


मैने पूछा, “क्या बात है ऋतु”


“पापा तुमसे बात करना चाहते हैं जतिन, प्लीज़ चुपचाप सब कुछ शुन लेना वो बहुत गुस्से में हैं” ---- ऋतु ने कहा


“ठीक है लाओ फोन मुझे दो” --- मैने कहा

मैने फोन कान पर लगा कर हेलो बोला ही था कि उधर से गुस्से की बोच्चार हो गयी, “मेरी बात कान खोल कर शुन लड़के, शादी तो तूने ऋतु से कर ली पर मैं तुझे कुछ नही दूँगा. ऋतु को भी अपनी जायदाद से बेदखल करता हूँ. तू यहा मेरे घर में घुसने की हिम्मत मत करना. और हां ऋतु को कुछ नुकसान पहुँचाया ना तो तेरी बोटी बोटी करके कुत्तो को खिला दूँगा, नीच कहीं का”


बस इतना कह कर ऋतु के पापा ने फोन काट दिया


“क्या कह रहे थे पापा जतिन” --- ऋतु ने पूछा


“कुछ नही आशीर्वाद दे रहे थे कि तुम दोनो सदा खुस रहना” --- मैने कहा

“झूठ बोल रहे हो…. हैं ना, ये आशीर्वाद उन्होने मुझे भी दिया है” ----- ऋतु ने कहा


“ऋतु बडो के मूह से निकला हर बोल आशीर्वाद ही है, तुम चिंता मत करो वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा. जिस भगवान ने ये रिस्ता बनाया है, वही भगवान इस रिस्ते की लाज़ भी रखेगा. चलो अब चलते हैं” ---- मैने कहा


हम चले ही थे कि सिधार्थ वाहा आ गया

“कंग्रॅजुलेशन टू बोथ ऑफ यू. मुझे लग ही रहा था कि तुम दोनो का गहरा प्यार है. ऑल दा बेस्ट. ऋतु हमेशा खुस रहना” --- सिधार्थ ने कहा


मैने देखा की ऋतु ने सिधार्थ से ठीक से बात नही की. कारण आज डाइयरी पढ़ कर पता चला की ऐसा क्यों था.



मंदिर घर के नज़दीक ही था पर फिर भी मैने एक कार अरेंज कर रखी थी घर तक जाने के लिए.


हम दोनो सभी को बाइ करके कार में बैठ गये. दिल में अजीब सा मीठा मीठा अहसास हो रहा था. मैं अपनी दुल्हन के साथ बैठा था. ऋतु ने मेरी और देखा और मैने उसकी और देखा. हमनें आँखो ही आँखो में अपने प्यार का इज़हार किया. पर ऋतु के चेहरे पर एक दर्द भारी मुश्कान थी


कोई 5 मिनूट में हम घर पहुँच गये.


घर आते ही ऋतु बेडरूम में घुस गयी और बेड पर गिर कर रोने लगी.

मैने दरवाजा खड़काया तो वो झट से उठ गयी और अपने आंशु पूछने लगी

मैं उशके करीब आ गया. ऋतु की आँखे लाल हो रखी थी


“क्या बात है ऋतु, क्या मुझ से कोई ग़लती हुई है” --- मैने पूछा


“नही जतिन तुम्हारी कोई ग़लती नही है, पापा ने मुझे पहली बार इतनी बुरी तरह से डांटा है. ऐसा लग रहा था कि वो मुझे ग़लत समझ रहे हैं. उन्हे शायद लगता है कि मैने ये शादी अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए की है. उन्होने ऐसा कहा नही पर जैसे वो मुझे डाँट रहे थे उस से यही लग रहा था. उन्होने ये तक कह दिया कि चिंटू को अब भूल जाओ, मैं तुम पापियों के पास उसे नहीं भेजूँगा. मैं अपने बेटे से कैसे दूर रहूंगी जतिन, पता नही क्या होगा. मैं बहुत दुखी हूँ. आइ आम वेरी सॉरी जतिन, मैं अभी तुमसे कोई बात नही कर पाउन्गि. मेरा मन था कि हम मंदिर से आ कर ढेर सारी बाते करेंगे पर मेरा दिल अभी बहुत भारी हो रहा है. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं थोड़ी देर लेट रहीं हूँ, तुम भी दूसरे कमरे में आराम कर लो” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा


“ठीक है ऋतु तुम आराम करो, मेरी चिंता मत करो, मैं भी आराम कर लेटा हूँ” --- मैने कहा.


कोई एक घंटे बाद ऋतु मेरे कमरे में आई.


मैं आँखे बंद करके बिस्तर पर लेटा हुवा था.

“शो रहे हो क्या जतिन” ऋतु ने पूछा

मैं झट से उठ गया और उठ कर बैठ गया

मेरी दुल्हन आँखो में प्यार लेकर मेरे सामने खड़ी थी.


“नही जान बस आँखे बंद करके लेटा हुवा था. कैसी हो तुम” ---- मैने कहा

क्रमशः........................
...........








आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj






















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