raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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किरण की कहानी पार्ट--15
लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
यह तो मैं अपनी फ्रेंड के साथ बोहोत टाइम कर चुकी हू और मुझे इस मे बोहोत मज़ा भी आता है तो मुझे फिर अपनी फ्रेंड श्रुति का ख़याल आया और मैं सोचने लगी के शाएद यह सब स्कूल की लड़कियों के लिए नॉर्मल सी बात है और शाएद सभी स्कूल की लड़कियाँ जो एक दूसरे की बेस्ट फ्रेंड्स हो सीक्रेट्ली ऐसे ही करती हैं.
दिन और रात ऐसे ही गुज़रते रहे और मैं कभी एसके, कभी अशोक, कभी आंटी तो कभी डॉली के बीच झूलने लगी पर किसी को भी ऐसे शक्क नही होने दिया के मैं किसी और के साथ भी हू सब यही समझते थे के मैं सिर्फ़ उसके ही साथ हू. एसके और अशोक
का मामला तो अलग था पर आंटी समझती थी के मैं सिर्फ़ आंटी के साथ ही मज़े करती हू ओफ़कौरसे अशोक तो पति है उसको छोड़ के और डॉली समझती थी के शाएद मैं उसके ही साथ हू और किसी को हम दोनो के बारे मे पता नही.
दिन ऐसे ही गुज़रते चले गये. अब मैं कभी कभी ऑफीस भी जाने लगी थी. जो काम घर बैठ के क्या उसकी सीडी बना के और पेपर्स ले के ऑफीस जाती और वाहा से दूसरे इनवाइसस एंट्री के लिए ले के आ जाती. कभी कभी तो एसके अपने ऑफीस मैं ही मुझे चोद देते और मैं ने ऑफीस जाने के टाइम पे ब्रस्सिएर और पॅंटी पहेनना भी छोड़ दिया था कियॉंके एसके कभी बिज़ी होते तो क्विक चुदाई के लिए मैं रेडी रहती बिना ब्रा और पॅंटी के. मुझे बिना ब्रा और पॅंटी के कपड़े पहेनना अब बोहोत अछा लगने लगा कियॉंके शर्ट जब निपल्स से डाइरेक्ट टच करती चलने के टाइम पे तो बोहोत मज़ा आता और निपल्स खड़े हो जाते और सलवार की चूत के पास की सीवान जब चूत के दोनो लिप्स ले बीच मे घुस्स जाती तो क्लाइटॉरिस से रगड़ते रगड़ते मज़ा आता और कभी कभी तो मैं ऐसे ही झाड़ भी जाती जब सलवार चूत मे घुस जाती. कभी ऐसे होता के एसके अपनी चेर पे बैठे होते और मैं अपनी सलवार नीचे कर के या अगर सारी पहनी हुई है तो सारी उठा के उनके दोनो थाइस के दोनो तरफ अपनी टाँगें रख के उनके रॉकेट लंड पे बैठ जाती और वो मेरी शर्ट उठा के मेरी चुचियाँ चूसने लगते और मैं उनके ऊपेर उछल उछल के लंड अंदर बहेर करती मेरे चुचियाँ एसके के मूह के सामने डॅन्स करती और एसके उनको पकड़ के मसल देते और चूसने लगते तो मज़ा आता. ऐसे पोज़िशन मे मुझे बोहोत मज़ा आता और लगता जैसे मूसल जैसा लौदा चूत फाड़ के पेट मे घुस्स गया हो. और कभी तो मुझे अपनी टेबल पे ही लिटा देते और पीछे से डॉगी स्टाइल मे चोद देते. किसी दिन सारी पहेन की जाती तो सारी उठा के मैं उसके ऊपेर बैठ जाती या टेबल पर डॉगी स्टाइल मे चुदाई होती बिना कपड़े निकाले . दिन ऐसे ही गुज़रते रहे और मस्त चुदाई चल रही थी और ज़िंदगी ऐसे ही गुज़र रही है.
मेरे घर से ऑफीस का पैदल (बाइ फुट) रास्ता तकरीबन 20 – 25 मिनिट का होगा. मैं पैदल ही आती जाती हू ता के कुछ वॉकिंग भी हो जाए और अगर घर के लिए कुछ समान की ज़रूरत हो तो बेज़ार से पर्चेस भी कर लेती हू. बोहुत सारी डिफरेंट टाइप की दुकाने घर और ऑफीस के बीचे मे है उन मे एक दुकान लॅडीस टेलर की भी है. दुकान के बोर्ड पे एक बोहोत ही खूबसूरत लड़की की फिगर बनी हुई है जिसके बूब्स मस्त शेप मे दिखाई दे रहे थे और बोर्ड पे लिखा था “म ल लॅडीस टेलर” ऑल काइंड्स ऑफ लॅडीस नीड्स. दूसरी लाइन मे लिखा था “वी सॅटिस्फाइ ऑल और कस्टमर्स और तीसरी लाइन मे लिखा था सटीफ़िएड आंड कस्टमर प्लेषर ईज़ अवर ट्रेषर” और सब से लास्ट
लाइन मे लिखा था “ट्राइ उस टुडे” और सब से नीचे वाली लाइन मे लिखा था प्रोप्राइटर आंड मास्टर टेलर आंड फॅशन डिज़ाइनर रिज़वान ख़ान. बी.कॉम.
यह रिज़वान ख़ान ( आरके ) अछी शकल सूरत का लड़का हैं. बोहुत यंग है आते जाते कभी हम दोनो की नज़र मिल जाती तो दोनो ही एक दूसरे को थोड़ी देर तक घूर के देखते रहते कभी कभी तो मैं उसकी दुकान से आगे जाने के बाद मुस्कुरा देती जिसका मतलब मुझे भी नही समझ मे आता था. थोड़े ही दीनो मे मुझे आरके अछा लगने लगा उस से बात करने को मेरा मॅन करने लगा. अछी ड्रेसिंग करता था. मीडियम हाइट, एक्सर्साइज़्ड बॉडी, रंग गोरा, स्मार्ट और बॉडी भी अछी ख़ासी है. काले बाल जिनको स्टाइल से सेट करता है और लाइट ब्राउन बड़ी बड़ी आँखें. देखने से ही लगता था जैसे किसी आछे घराने का है. मैं ने सोच लिया के किसी दिन आरके से ज़रूर अपने कपड़े सिल्वौगी. उसकी दुकान पे लड़कियाँ बोहोत आती जाती है हमेशा कोई ना कोई लड़की खड़ी होती है कभी कभी तो एक से ज़ियादा भी खड़ी होती और अपने साइज़ के कपड़े ला के देती सिलवाने के लिए. इन जनरल उसकी दुकान खूब चलती थी और मोस्ट ऑफ दा टाइम्स उसकी दुकान पे रश ही रहता था. काफ़ी बिज़ी टेलर था.
एक शाम जब मैं ऑफीस से वापस आ रही थी तो बारिश शुरू हो गई और मैं उसकी दुकान के सामने आ के खड़ी हो गई. बारिश अचानक शुरू हुई थी तो मेरे कपड़े भीग चुके थे और जैसा मैं पहले ही बता चुकी हू के ऑफीस जाने के टाइम पे मैं ने ब्रा और पनटी पहेनना छोड़ दिया है तो बारिश मे भीगने से मेरे कपड़े मेरे बदन से चिपक गये थे और मेरा एक एक अंग अछी तरह से नज़र आ रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं नंगी हो गई हू शरम भी बोहोत आ रही थी पर अब क्या कर सकती थी. वो अकेला ही था दुकान पे और चाइ पी रहा था उसने मुझे भी गरम गरम चाइ ऑफर की तो मैं मना नही कर सकी ठंड बोहोत लग रही थी. मैं उसकी दुकान के अंदर आ गई उसने एक स्टूल दिया मेरे बैठने के लिए. मैं स्टूल पे बैठ के चाइ पीने लगी. ठंड मे गरम गरम चाइ बोहोत अछी लग रही थी. वो चाइ पी रहा था और मुझे देख रहा था हम दोनो कभी इधर उधर की बातें भी कर लेते. उसने मुझे बताया के वो कॉमर्स का ग्रॅजुयेट है और फॅशन डिज़ाइनिंग का कोर्स भी कर रहा है इसी लिए ट्राइयल के तौर पे लॅडीस टेलर की दुकान खोल ली है. उसका घर कही और था लैकिन दुकान हमारे एरिया मे थी डेली आता जाता था अपनी मोटरबाइक पे. उस ने मेरे बारे मे भी पूछा ऐसे ही हम बातें करते रहे थोड़ी देर के बाद बारिश रुक गई तो मैं उसको थॅंक यू कह के जाने लगी तो उसने कहा
इस मे थॅंक यू की क्या बात है मेडम कभी हमे अपनी खिदमत का मौका दें तो हमे खुशी होगी. वाउ जब उसने मेडम कहा तो मुझे आरके एक दम से बोहोत ही अछा लगने लगा. उसकी ज़बान से अपने लिए मेडम का सुन के मुझे बोहोत ही अछा लगा और मैं किसी छोटे बच्चे की तरह खुश हो गई.
उस रात जब मैं बेड मे लेटी सोने के लिए तो मेरे ध्यान मे आरके ही घूमता रहा. उसका चाइ पिलाना और चाइ की कप देते देते मेरे हाथ से अपने हाथ टच करना, मुझे मीठी मीठी नज़रों से देखना और एस्पेशली मेडम कहना और यह कहाँ के हमै भी अपनी खिदमत का मौका दें तो हमै खुशी होगी याद आने लगा तो मैं ऑटोमॅटिकली मुस्कुराने लगी और सोचने लगी के कौनसी खिदमत का मौका देना है आरके को और यह सोचते ही एक दम से मेरी चूत गीली हो गई और मेरी उंगली अपने आप ही चूत के अंदर घुस गई और मैं क्लाइटॉरिस का मसाज करने लगी और उंगली को चूत के सुराख मे घुसेड के अंदर बहेर करना शुरू कर दिया और सोचने लगी के आरके कैसा चोद ता होगा ? ओफ़कौरसे उस से चुदवाने का ऐसा मेरा कोई इरादा तो नही था पर यह ख़याल आते ही मे झाड़ गई और थोड़ी देर मे गहरी नींद सो गई. सुबह उठी तो सब से पहले सोच लिया के आरके से अपने कुछ ब्लाउस और शर्ट सलवार सिल्वौगी.
दिन ऐसे ही गुज़रते रहे. ऑफीस आते जाते आरके मुझे देखता और मैं उसको देखती और हमारी नज़रें एक दूसरे को एक अंजाना इशारा देती रही हम इशारो ही इशारो मे एक दूसरे को भी प्रणाम कर लेते. कभी तो आहिस्ता से हाथ भी उठा के नमस्ते कर लेते जो किसी और को नज़र नही आता ऐसे ही जैसे लवर्स एक दूसरे को इशारा करते है. इसी तरह से हम दोनो के बीच मे एक अंजाना ब्रिड्ज बन गया. किसी दिन वो दुकान के अंदर होता और मुझे दिखाई नही देता तो उस दिन अजीब सा फील होता दिल मे एक बेचैनी रहती. मैं चाहने लगी के मेरे उसकी दुकान के सामने से गुज़रने के टाइम पे वो अपनी जगह पे खड़ा रहे और मैं उसको देख लू तो मुझे इतमीनान हो जाए. ऐसे ही ऑलमोस्ट 3 वीक्स गुज़र गये.
एक दिन मैं घर मे ही थी ऑफीस नही गई थी. एक वीक से एसके भी आउट ऑफ टाउन थे. अशोक भी अपने टूर पे थे. आंटी भी अपनी किसी मौसी के घर गई हुई थी. मैं बोहुत ही बोर हो रही थी. शाम से एसके की भी बोहोत याद आ रही थी. मॅन कर रहा था के कही से एसके आ जाए और मुझे बड़ी बे दरदी से चोद डाले और इतना चोदे के मेरी चूत एक बार फिर से फॅट जाए और खून निकल
आए. एसके से चुदाई का सोच ते ही मेरी चूत गीली होने लगी और सोफे पे बैठे बैठे अपनी टाँगें खोल दी और मेरा हाथ ऑटोमॅटिकली चूत मे चला गया चिकनी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी मेरी आँखें बंद हो गई और मैं अपनी उंगली अंदर बहेर करने लगी और थोड़ी ही देर मे झाड़ गई.
मुझे मार्केट से कुछ खाने का समान भी लेना था सोचा के मार्केट जाउन्गी तो शाएद सेक्सी ख़यालात मेरे मंन से निकल जाएगा. फिर ख़याल आया के चलो कियों ना अपने ब्लाउस और शर्ट सलवार का कपड़ा भी ले लू और सिलाने के लिए दे दू. यह सोचते ही मैं ने अपनी अलमारी से 2 नये ब्लाउस के कपड़े और 2 सलवार सूट के कपड़े निकाले और कॅरी बॅग मे डाल के बहेर निकल गई. लेट ईव्निंग हो चुकी थी. बहेर ठंडी ठंडी हवा भी चलने लगी थी लगता था जैसे बारिश होगी पर हो नही रही थी. आरके टेलर्स की दुकान तो बेज़ार मे जाते हुए पहले पड़ती है तो मैं पहले वही चली गई उस टाइम पे आरके कही बहेर गया हुआ था उसका कोई एंप्लायी बैठा था उसने बताया के आरके अभी 10 मिनिट मे आ जाएगा मार्केट गया है बटन्स और थ्रेड वाघहैरा लेने के लिए तो मैं ने कहा ठीक है यह कपड़े यही रहने दो मैं भी मार्केट जा रही हू वापसी मे आ जाउन्गि आरके से कह देना के किरण मेडम आई थी और यह कपड़े रख के गई है अभी आ जाएगी तो उसने कहा ठीक है और कपड़े एक साइड मे रख दिए.
क्रमशः...............
Kiran Ki Kahani paart-15
Yeh to mai apni friend ke sath bohot time kar chuki hu aur mujhe is mai bohot maza bhi aata hai to mujhe phir apni friend Shruti ka khayal aaya aur mai sochne lagi ke shaed yeh sab school ki ladkiyon ke liye normal si baat hai aur shaed sabhi school ki ladkiyan jo ek doosre ki best friends ho secretly aise hi karti hain.
Din aur raat aise hi guzarte rahe aur mai kabhi SK, Kabhi Ashok, kabhi Aunty to kabhi Dolly ke beech jhulne lagi par kisi ko bhi aise shakk nahi hone dia ke mai kisi aur ke sath bhi hu sab yehi samajhte the ke mai sirf uske hi sath hu. SK aur Ashok
ka mamla to alag tha par aunty samajhti thi ke mai sirf aunty ke sath hi maze karti hu ofcourse Ashok to pati hai usko chor ke aur Dolly samajti thi ke shaed mai uske hi sath hu aur kisi ko ham dono ke bare mai pata nahi.
Din aise hi guzarte chale gaye. Ab mai kabhi kabhi office bhi jaane lagi thi. Jo kaam ghar baith ke kia uski CD bana ke aur papers le ke office jati aur waha se doosre invoices entry ke liye le ke aa jaati. Kabhi kabhi to SK apne office mai hi mujhe chod dete aur mai ne office jaane ke time pe brassier aur panty pehenna bhi chor di tha kiyonke SK kabhi busy hote to quick chudai ke liye mai ready rehti bina bra aur panty ke. Mujhe bina bra aur panty ke kapde pehenna ab bohot acha lagne laga kiyonke shirt jab nipples se direct touch karti chalne ke time pe to bohot maza aata aur nipples khade ho jate aur Salwar ki choot ke paas ki seewan jab choot ke dono lips le beech mai ghuss jati to clitoris se ragadte ragadte maza aata aur kabhi kabhi to mai aise hi jhad bhi jati jab salwar choot mei ghus jati. Kabhi aise hota ke SK apni chair pe baithe hote aur mai apne salwar neeche kar ke ya agar saree pehni hui hai to sari utha ke unke dono thighs ke dono taraf apni tangein rakh ke unke rocket lund pe baith jati aur woh meri shirt utha ke meri chuchian choosne lagte aur mai unke ooper uchal uchal ke lund ander baher karti mere chuchian SK ke muh ke samne dance karti aur SK unko pakad ke masal dete aur chossne lagte to maza aata. Aise position mai mujhe bohot maza aata aur lagta jaise musal jaisa louda choot phaad ke pet mei ghuss gaya ho. Aur kabhi to munje apni table pe hi lita dete aur peeche se doggy style mai chod dete. Kisi din saree pehen ki jati to sari utha ke mai uske ooper baith jati ya table pa doggy style mai chudai hoti bina kapde nikale ke. Din aise hi guzarte rahe aur Mast chudai chal rahi thi aur zindagi aise hi guzar rahi hai.
Mere Ghar se office ka paidal (by foot) raasta takreeban 20 – 25 minute ka hoga. Mai paidal hi aati jaati hu taa ke kuch walking bhi ho jaye aur agar ghar ke liye kuch samaan ki zaroorat ho to bazaar se purchase bhi kar leti hu. Bohot saari different type ki dukaaney ghar aur office ke beeche mei hai un mai ek dukan Ladies Tailor ki bhi hai. Dukan ke board pe ek bohot hi khoobsoorat ladki ki figure bani hui hai jiske boobs mast shape mai dikhai de rahe the aur board pe likha tha “M L Ladies Tailor” All kinds Of Ladies Needs. Doosri line mai likha tha “We satisfy all our customers aur teesri line mai likha tha Satified and Customer Pleasure Is Our Treasure” aur sab se last
line mai likha tha “Try Us Today” aur sab se neeche wali line mai likha tha proprietor and Master Tailor and Fashion Designer Rizwan Khan. B.Com.
Yeh Rizwan Khan ( RK ) achi shakal soorat ka ladka hia. Bohot young hai aate jaate kabhi ham dono ki nazar mil jati to dono hi ek doosre ko thodi dre tak ghoor ke dekhte rehte kabhi kabhi to mai uski dukan se aage jaane ke baad muskura deti jiska matlab mujhe bhi nahi samajh mai aata tha. Thode hi dino mei mujhe RK acha lagne laga uss se baat karne ko mera mann karne laga. Achi dressing karta tha. Medium height, Exercised body, Rang gora, Smart aur body bhi achi khaasi hai. Kaale baal jinko style se set karta hai aur light brown badi badi aankhein. Dekhne se hi lagta tha jaise kisi ache gharaane ka hai. Mai ne soch lia ke kisi din RK se zaroor apne kapde silwaugi. Uski dukaan pe ladkian bohot aati jaati hai hamesha koi na koi ladki khadi hoti hai kabhi kabhi to ek se ziada bhi khadiyan hoti aur apne size ke kapde la ke deti silwane ke liye. In general uski dukan khoob chalti thi aur most of the times uski dukan pe rush hi rehta tha. Kaaf busy tailor tha.
Ek sham jab mai office se wapas aa rahi thi to barish shuru ho gai aur mai uski dukan ke samne aa ke khadi ho gai. Barish achanak shuru hui thi to mere kapde bheeg chuke the aur jaisa mai pehle hi bata chuki hu ke office jane ke time pe mai ne Bra aur Panty pehenna chor dia hai to barish mai bheegne se mere kapde mere badan se chipak gaye the aur mera ek ek ang achi tarah se nazar aa raha tha mujhe aisa lag raha tha jaise mai nangi ho gai hu sharam bhi bohot aa rahi thi par ab kia kar sakti thi. Woh akela hi tha dukan pe aur chai pi raha tha usne mujhe bhi garam garam chai offer ki to mai mana nahi kar saki thand bohot lag rahi thi. Mai uski dukan ke ander aa gai usne ek stool dia mere baithne ke liye. Mai stool pe baith ke chai pine lagi. Thand mai Garam Garam chai bohot achi lag rahi thi. Woh chai pii raha tha aur mujhe dekh raha tha ham dono kabhi idhar udhar ki baatein bhi kar lete. Usne mujhe bataya ke woh Commerce ka Graduate hai aur Fashion Designing ka course bhi kar raha hai isi liye trial ke tour pe Ladies Tailor ki dukan khol li hai. Uska ghar kahi aur tha laikin dukan hamare area mai thi daily aata jaata tha apni motorbike pe. Us ne mere bare mai bhi poocha aise hi ham batein karte rahe thodi der ke bad barish ruk gai to mai usko Thank You keh ke jaane lagi to usne kaha
iss mai thank you ki kia baat hai Madam kabhi hamain apni khidmat ka mouka den to hami khushi hogai. Wow jab usne Madam kaha to mujhe RK ek dum se bohot hi acha lagne laga. Uski zaban se apne liye Madam ka sun ke mujhe bohot hi acha laga aur mai kisi chote bache ki tarah khush ho gai.
Uss Raat jab mai bed mai leti sone ke liye to mere dhayan mai RK hi ghoomta raha. Uska chai pilana aur chai ki cup dete dete mere haath se apne hath touch karna, mujhe meethi meethi nazron se dekhna aur especially Madam kehna aur yeh kehan ke hamai bhi apni khidmat ka mouka den to hamai khushi hogi yaad aane laga to mai automatically muskuraane lagi aur sochne lagi ke kounsi khidmat ka mouka dena hai RK ko aur yeh sochte hi ek dum se meri choot geeli ho gai aur meri ungli apne aap hi choot ke ander ghus gai aur mai clitoris ka massage karne lagi aur ungli ko choot ke surakh mai ghused ke ander baher karna shuru kar dia aur sochne lagi ke RK kaisa chod ta hoga ? Ofcourse us se chudwane ka aisa mera koi irada to nahi tha par yeh khayal aate hi mai jhad gai aur thodi der mai gehri neend so gai. Subah uthi to sab se pehle soch lia ke RK se apne kuch blouse aur shirt salwar silwaugi.
Din aise hi guzarte rahe. Office aate jaate RK mujhe dekhta aur mai usko dekhti aur hamari nazren ek doosre ko ek anjaana ishara deti rahi ham isharo hi isharo mai ek doosre ko bhi pranaam kar lete. Kabhi to aahista se hath bhi utha ke namaste kar lete jo kisi aur ko nazar nahi aata aise hi jaise lovers ek doosre ko ishara karte hai. Isi tarah se ham dono ke beech mai ek anjaana bridge ban gaya. Kisi din woh dukan ke ander hota aur mujhe dikhaii nahi deta to us din ajeeb sa feel hota dil mai ek bechaini rehti. Mai chahne lagi ke mere uski dukan ke samne se guzarne ke time pe woh apni jagah pe khada rahe aur mai usko dekh lu to mujhe itmenan ho jaye. Aise hi almost 3 weeks guzar gaye.
Ek din mai ghar mai hi thi office nahi gai thi. ek week se SK bhi out of town the. Ashok bhi apne tour pe the. Aunty bhi apni kisi mousi ke ghar gai hui thi. Mai bohto hi bore ho rahi thi. Sham se SK ki bhi bohot yaad aa rahi thi. Mann kar raha tha ke kahi se SK aa jaye aur mujhe badi be dardi se chod dale aur itna chode ke meri choot ek baar phir se phat jaye aur khoon nikal
aye. SK se chudai ka soch te hi meri choot geeli hone lagi aur sofe pe baithe baithe apni tangein khol di aur mera hath automatically choot mai chala gaya chikni choot ko apne hath se sehlane lagi meri aankhein band ho gai aur mai apni ungli ander baher karne lagi aur thodi hi der mai jhad gai.
Mujhe market se kuch khaane ka samaan bhi lena tha socha ke market jaugi to shaed sexy khayalat mere mann se nikal jayega. Phir khayal aaya ke chalo kiyon na apne blouse aur shirt salwar ka kapda bhi le lu aur silane ke liye de du. Yeh sochte hi mai ne apni almari se 2 naye blouse ke kapde aur 2 salwar suit ke kapde nikale aur carry bag mei dal ke baher nikal gai. Late evening ho chuki thi. Baher thandi thandi hawa bhi chalne lagi thi lagta tha jaise barish hogi par ho nahi rahi thi. RK Tailors ki dukan to bazaar mai jaate hue pehle padti hai to mai pehle wahi chali gai uss time pe RK kahi baher gaya hua tha uska koi employee baitha tha usne bataya ke RK abhi 10 minute mai aa jayega market gaya hai buttons aur thread waghaira lene ke liye to mai ne kaha theek hai yeh kapde yahi rehne do mai bhi market ja rahi hu wapsi mai aa jaugi RK se keh dena ke Kiran Madam aaee thi aur yeh kapde rakh ke gai hai abhi aa jayegi to usne kaha theek hai aur kapde ek side mai rakh diye.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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