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मर्दों की दुनिया पार्ट--9
माला दीदी एक प्रश्न, " अनु ने कहा, "आपने हमे फोन पर जीजाजी
और सोना के बारे मे क्यों नही बताया?"
"जब मुझे पता चला मेने भी इससे यही पूछा था." सीमा दीदी ने
कहा.
"कैसे बताती में. सोना की चूत विजय की अमानत थी." माला दीदी ने
कहा, "तुम्हे बताने से पहले में विजय से पूछना चाहती थी."
"सही मे जीजाजी बहोत आछे है." अनु ने कहा.
"पर जीजाजी सोना का दिल तोड़ देंगे." मेने हंसते हुए कहा.
"हां वो तो है, अच्छा वो टीना की क्या कहानी है?" मैने फिर पूछा.
सीमा दीदी अपन कहानी सुनाने लगी...................
"थोड़े दिन बाद माला और विजय हमारे यहाँ रात के खाने
"पर आए तो माला ने हमे सोना के बारे मे बताया."
"क्या वो चुदवाने के लिए तय्यार है?" अजय ने पूछा.
"विजय से तो चुदवाने के लिए तय्यार है, पर किसी और से चुदेगि
इसके बारे मे में कुछ कह नही सकती." माला ने कहा.
"अरे इसकी तुम चिंता मत करो, में उसे इतना निराश और इंतेज़ार
करवाउन्गा की वो आख़िर मे कॅनटाल कर किसी भी से चुदवाने को तय्यार
हो जाएगी, अमित से भी." विजय ने कहा.
"टीना के बारे मे क्या ख़याल है, क्या वो तय्यार होगी?" माला ने पूछा.
"मुझे शक है कि वो तय्यार होगी," सीमा दीदी ने कहा, "एक बार अजय
ने उसे पीछे से बाहों मे भरा था तो वो चिल्ला पड़ी थी, "साबजी
अगर आपने मुझे दुबारा छूने की कोशिश की तो में मदन से कह
दूँगी और ये नौकरी भी छोड़ कर चली जाउन्गि. मेरी तो समझ मे
नही आ रहा कि क्या करू और सुमित के लिए कुँवारी चूत का इंतेज़ाम
कहाँ से करूँ." सीमा ने कहा.
"उसे तय्यार करने के सौ रास्ते निकल आएँगे, मुझे सिर्फ़ उसके बारे
मे बताओ?" विजय ने कहा.
"हर गाँव की लड़की की तरह बड़ी धार्मिक है, रोज़ मंदिर जाती है
पूजा पाठ करती है और बड़ी संकीर्ण विचारों की है. उसे पंडित
और ज्योतिषों की बातों पर अंध विश्वास है." मेने बताया.
"इस तरह की लड़कियाँ तो बड़ी भोली होती है," माला दीदी ने
कहा, "और ये पंडित लोग उनके भोलेपन का फ़ायदा उठा उनको बहका
फूसला लेते हैं."
"हाँ लगता तो कुछ ऐसा ही है, हमारे घर पर आने वाले एक पंडित
पर उसे पूरा भरोसा है और मुझे लगता है कि एक दिन वो उसके जाल
मे फँस जाएगी." सीमा ने कहा.
"उनके परिवार मे कौन कौन है?" विजय ने पूछा.
उसके परिवार मे सिर्फ़ माता पिता है जिन्हे वो बहोत प्यार करती है."
सीमा ने बताया.
"क्या उसके शरीर पर कोई जनम का निशान या ऐसा कोई निशान जो
बाहर से सब को नहीं दीखता हो?" विजय ने पूछा.
"उससे क्या होगा?" अजय ने पूछा.
"मेरे दीमाग मे कुछ आ रहा है शायद जिसे हमे मदद मिल जाए,
उसके शरीर पर है या नही सिर्फ़ इतना बताओ." विजय ने कहा.
"मुझे तो कुछ ऐसा याद नही," मैने जवाब दिया, "अरे रूको मुझे
याद आया उसकी चूत के बाईं तरफ एक काला बड़ा तिल है." मैने
कहा
"तुम्हे कैसे पता?" माला ने हंसते हुए पूछा, "क्या तुम हमेशा अपनी
नौकरानी की चूत देखती रहती हो या फिर कुछ चल रहा है तुम दोनो
के बीच."
"काश ऐसा कुछ होता हम दोनो के बीच तो उसे चुदवाने मे आसानी
होती." मेने कहा.
"फिर तुमने उसकी चूत क्यों देखी?" माला ने ज़ोर देते हुए पूछा.
"मुझे देखनी पड़ी." मेने कहा
"डार्लिंग लेकिन तुमने मुझे तो बताया नही." अजय ने शिकायत करते
हुए कहा.
"कोई इतनी बड़ी बात नही थी कि में तुम्हे बताती." मेने सफाई देते
हुए कहा
"ठीक है पहले बताओ फिर हम फ़ैसला करेंगे की बात बड़ी थी या
नही." माला हंसते हुए बोली.
"टीना को काम करते हुए पंद्रह दिन हुए थे, एक सुबह मेने देखा की
वो बार बार अपनी चूत को खुज़ला रही है." मेने कहा.
"टीना तुम अपनी चूत क्यों बार बार खुज़ला रही हो? मेने पूछा.
"मुझे नही पता मेडम, पर सुबह से ही बहोत खुजली हो रही है."
टीना ने शरमाते हुए कहा.
"क्या तुमने देखा उस जगह को कि वहाँ खुजली क्यों मच रही है?"
मेने पूछा.
"देखा! मैं कैसे देख सकती हूँ. शस्त्रों मे लिखा है कि खुद के
नीज़ी अंग देखना पाप है." उसने जवाब दिया.
"तो ठीक है फिर मुझे देखने दो?" मेने उससे कहा.
"ऑश नही मेडम मुझे बहोत शरम आएगी.... प्लीज़ आप मत
देखिए ना." वो आँखों मे आँसू लिए बोली.
"ठीक है में नही देखूँगी, लेकिन फिर मुझे तुम्हे डॉक्टर के पास
लेकर जाना पड़ेगा."
"नहीं मेडम में डॉक्टर के पास नही जाउन्गि, किसी अनाज्ने के सामने
नंगी होने से बेहतर है कि में मर जाउ. कहकर टीना रोने लगी.
"अब बात मेरे बर्दाश के बाहर हो रही थी.
"देखो टीना या तो मुझे देखने दो या फिर डॉक्टर के पास चलो, में
नही चाहती कि तुम साब के सामने और मेहमआनो के सामने हमेशा अपनी
चूत खुजाति रहो....."
टीना समझ गयी कि में क्या कहना चाहती हूँ, उसने कहा, "ठीक है
फिर आप ही देख लीजिए."
"एक काम करो मेरे बेडरूम मे जाओ और कपड़े उतार कर लेट जाओ, में
अभी आती हूँ." मेने उससे कहा.
जब में कमरे मे आई तो मेने देखा कि टीना सारे कपड़े उतार नंगी
बिस्तर पर लेटी थी. सही बड़ा ही सुंदर बदन है उसका. मेने देखा
की आम 17-18 साल की लड़कियों की अपेक्षा उसका बदन ज़्यादा भरा हुआ
था, चूत पर झांते भी काफ़ी उग आई थी ऐसा लग रहा था की
जैसे कोई घना जंगल हो."
"मेने उसकी चूत को चारों तरफ से देखा लेकिन मुझे कुछ दीखाई
नही दिया, "टीना कुछ तो है जिससे तुम्हारी चूत खुजा रही है,
लेकिन ये तुम्हारी झांतो की वजह से में अछी तरह देख नही पा
रही हूँ, मुझे इन्हे काटना पड़ेगा. मेने कहा.
"मेडम ऐसे ही देख लीजिए ना..इन्हे काटने की क्या ज़रूरत है?"
टीना ने कहा.
"टीना में जो कुछ कर रही हूँ तुम्हारे अच्छे के लिए ही कर रही
हूँ, इसलिए तुम चुप चाप लेटी रहो और मुझे आपना काम करने दो."
में उसकी झाँते काटने लगी लेकिन फिर भी मुझे कुछ दीखाई नही
दिया तो में उसकी झाँते एकदम सॉफ करने लगी, एक बार तो विरोध मे
उठ बैठी लेकिन मुझे देखते ही वापस वैसे ही लेट गयी.
उसकी झांते सॉफ करने के बाद में उसकी टाँगे उठा उसकी चूत का
मुआएना करने लगी तभी मुझे वो तिल दीखाई दिया था. फिर मुझे
उसकी चूत की खुजली का भी पता चला उसकी चूत के पास उसे दाद
हो गये थे जिसकी वजह से उसकी चूत खुज़ला रही थी. मेने उसे
दाद की एक क्रीम निकाल कर दी.
"टीना ये क्रीम लो और दी बार आछी तरह दाद वाली जगन पर लगाना,
और भगवान के लिए बराबर अपनी चूत को देखती रहना कि ठीक हो
रहा है की नही, नही तो मुझे तुम्हे डॉक्टर के पास लेकर जाना
पड़ेगा." मेने कहा.
"जी मेडम." उसने धीरे से जवाब दिया.
"तुम्हारी झाँते बहोत घनी है, में तो कहूँगी कि इसे बराबर स्साफ
करती रहा करो जिससे दूबारा दाद ना होवे,"
"जी मालकिन."
अब लोगों को समझ मे आया कि मुझे उस तिल के बारे मे कैसे पता
चला. " मैने सबसे कहा.
"डार्लिंग वो नंगी कैसी दीखाई पड़ती है?" अजय ने पूछा.
"मुझे मालूम था तुम यही पूछने वाले हो." मेने हंसते हुए
कहा, "ओह्ह डार्लिंग क्या बताउ, बहोत ही सुन्दर दीखाई देती है.
उसकी चुचिया बड़ी तो नही है लेकिन गोरा बदन और भरी हुई छोटी
चुचिया किसी नारंगी से कम नही लगती. उसकी चूत भी काफ़ी
सुन्दर है लेकिन उसका छेद बहोत छोटा है, मुझे तो एक उंगली
घुसाने मे ही इतनी तकलीफ़ हुई थी में तो सोच रही हूँ कि वो कौन
खुशनसीब होगा जो उसकी चूत को चोद कर उसके छेद को बड़ा
करेगा."
"अजय उसकी चूत हमारे नसीब मे तो है नही, वो तो उन दोनो जुड़वा
भाई के ही नसीब मे है.' विजय ने थोड़ा दुखी स्वर मे कहा.
"खैर ये सब तो चलता रहता है," अजय ने एक गहरी सांस लेते हुए
कहा, "तुम्हारे दीमाग मे कोई आइडिया आया क्या?" अजय ने विजय से पूछा.
"हां एक प्लान दीमग मे आया तो है."विजय ने जवाब दिया.
"प्लीज़ हमे बताओ न?" माला ने कहा.
"अभी नही बाद मे बताउन्गा पहले मुझे अछी तरह सोच कर तय्यार
तो कर लेने दो, अगर प्लान कामयाब हो गया तो जल्दी ही टीना कुँवारी
नही रहेगी." विजय ने कहा.
जब खाने के बाद वो दोनो जाने लगे तब विजय ने पूछा, "तुम दोनो
रविवार की शाम को क्या कर रहे हो?"
"अभी तक तो कोई प्रोग्राम नही है." अजय ने जवाब दिया.
"ठीक है फिर घर पर ही रहना शायद हम लोग आ जाएँ." विजय ने
कहा.
रविवार की शाम को हम जब हम लिविंग रूम मे चाइ पी रहे थे
तभी दरवाज़े की घंटी बजी, "मुझे लगता है कि माला और विजय
आए होंगे." मेने अजय से कहा.
"तभी टीना कमरे मे दौड़ती हुई आई, वो काफ़ी उत्साहित नज़र आ रही
थी, "मेडम एक साधुजी आए है." उसने कहा.
"उसे वापस भेज दो," मेने कहा, "ये साधु लोग सब ढोंगी होते है,
भगवान के नाम पर सिर्फ़ पैसा ऐंठना आता है उन्हे."
"नही मेडम ये दीखने मे बहोत ज्ञानी और पहुँचे हुए महात्मा लग
रहे है, और फिर मेडम बाहर गर्मी भी तो कितनी है, क्यों ना उन्हे
अंदर बुलाकर एक गलास ठंडा पानी ही पीला दिया जाए?" टीना ने
कहा.
"ठीक है, लेकिन सिर्फ़ दो मिनिट मे उसे पानी पीलकर रफ़ा दफ़ा कर
देना." अजय ने उससे कहा.
"कुछ देर मे ही टीना एक साधु जो गेहुए रंग की धोती और कुर्ता
पहने हुआ था अंदर लेकर आई. उसके सिर के बाल बिल्कुल सफेद हो
चुके थे और दाढ़ी भी काफ़ी बढ़ी हुई थी. हमने उन्हे आदर सहित
बैठने के लिए कहा." माला ने कहा.
"जै श्री राम" कहते हुए साधुजी सोफे पर पालती मार कर बैठ
गये. टीना ने उन्हे एक ग्लास ठंडा पानी लाकर दे दिया.
साधु ने पानी लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया लेकिन तभी अचानक
उन्होने अपना हाथ पीछे खीच लिया.
"क्या बात है महाराज? आपने हाथ क्यों खीच लिया?" अजय ने पूछा.
"महाराज, पानी लीजिए, बिल्कुल सुद्ध है, मैने अपने हाथ से ग्लास
को दो बार धोया है." टीना ने कहा.
"बात ये नही है बच्ची, मुझे इस घर मे किसी प्रेत आत्मा का वास
लगता है." साधु ने जवाब दिया.
"प्रेत आत्मा वो भी हमारे घर मे?" हम दोनो चौंक उठे थे.
"हां एक ऐसी प्रेत आत्मा जो अपने साथ मौत और बर्बादी के सिवा कुछ
नही लाती, अगर मुझे पहले इसका ग्यान हो जाता तो में इस घर मे
कभी अपने चरण नही रखता."
"महाराज इसका कोई तो उपाय होगा? अजय ने पूछा.
"उपाय तो तभी निकल सकता हो जब कि ये पता लगे कि उस प्रेत आत्मा
ने अपना वास कहाँ बना रखा है." महाराज ने जवाब देते हुए
कहा, "पहले मुझे सोचने दो" कहकर महाराज ने अपनी आँखे बंद कर
ली.
"जब मैने इस घर मे पदार्पण किया तब मुझे इसका ज्ञान नही हुआ था
लेकिन जैसे ही मेने पानी के लिए हाथ बढ़ाया मुझे इस आत्मा की
उपस्थिति का ग्यान हो गया." महाराज खुद मे बड़बड़ा रहे थे.
"तो महाराज वो कहाँ है, क्या पानी मे कोई खराबी है या फिर ग्लास
मे." अजय ने पूछा.
"या फिर महाराज इस लड़की मे, मेने सुना है कि ऐसी आत्मा किसी ना
किसी प्राणी के शरीर मे ही वास करती है." साधु ने हमे समझाते
हुए कहा.
अचानक साधु खड़ा होकर टीना की तरफ बढ़ा, एक बार को तो मुझे
लगा कि वो टीना को पकड़ लेगा लेकिन वो उसके पास जाकर उसे देखने
लगा. फिर गहरी नज़रों से वो उसके बदन का निरक्षण करने लगा,
पहले उसकी नज़रें उसकी उभरी हुई चुचियों पर ठहरी फिर उसकी
पीठ पर अपनी हथेली जमा देखने लगा. जब उसका हाथ उसकी कमर
और जाँघो की तरफ बढ़ा तो हमने देखा की उसका हाथ काँपने लगा
था.
"मुझे उस दुष्ट आत्मा का पता चल गया है, "साधु ने पलटते हुए
कहा, "उस आत्मा ने इस लड़की के शरीर के नीचले भाग मे अपना बसेरा
बना रखा है."
"पर ये आत्मा है कौन महाराज?" अजय ने पूछा.
"ये कोई भटकती हुई दुष्ट आत्मा है जो अपना रास्ता भटक चुकी
है, ये हवा मे विचरण करती रहती है और किसी के शरीर मे भी
प्रविष्ट हो जाती हैं. थोड़े दिन अपनी मन मानी कर फिर उसके
शरीर को त्याग किसी नई शरीर की तलाश मे निकल जाती है.' साधु
ने जवाब दिया. "लेकिन ये कभी किसी के शरीर के इतने नीचे तक
नही जाती, ज़रूर कोई ऐसी वस्तु है जिसने इस आत्मा को अपनी तरफ
आकर्षित किया है."
"हां ज़रूर इसकी कुंवरी चूत ने आकर्षित किया होगा," मैने मन ही
मन सोचा "के हम इसे ऐसे ही नही छोड सकते ये खुद बा खुद एक
दिन चली जाएगी." मेने साधु से कहा.
"में इस बात की सलाह नही दे सकता ये इस बालिका को कोई हानि भी
पहुँचा सकती है," साधु ने कहा, "मैने पहले ही बताया की इस
तरह की आत्मा अपने साथ मौत भी लाती है."
"ओह्ह महाराज तो क्या में मर जाउन्गि." टीना कहकर जोरों से रोने
लगी.
"बच्ची रोवो मत,"साधु ने उसे समझाते हुए कहा, "ऐसा बहोत कम
होता है कि जिसके शरीर मे वो प्रवेश करें उसकी मृत्यु हो जाए
लेकिन हां उसके परिवार मे से किसी की भी मृत्यु हो सकती है, जैसे
भाई बेहन या माता पिता...."
"महाराज मेरे परिवार मे मेरे माता पिता के सिवाय कोई नही है." टीना
ने रोते हुए कहा.
"महाराज इस आत्मा को इसके शरीर और इस घर से भागने का कोई तो
उपाय होगा?" अजय ने पूछा.
"हर व्याघना का उपाय होता है बच्चा," साधु ने कहा, "लेकिन मुझे
पहले इस आत्मा की शक्ति का अंदाज़ा लगाना होगा. बालिका क्या तुम्हारे
शरीर के नीचले भाग मे कहीं कोई तिल है?"
टीना थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली, "नही महाराज नही है."
"हां महाराज है एक तिल है जो मेने खुद देखा है." मेने झट से
कहा. मुझे लगा कि सही मे ये साधु तो काफ़ी ज्ञानी जान पड़ता है.
टीना मेरी तरफ गहरी निगाह से देखने लगी, "हां टीना है, मेने खुद
उस दिन देखा था." मैने ज़ोर देते हुए कहा.
"किसी आत्मा की शक्ति की पहचान करने के लिए मुझे उस तिल का
निरक्षण करना होगा जिसने उस दुष्ट आत्मा को अपनी तरफ आकर्षित
किया है." साधु ने कहा, "अगर लड़की मुझे आग्या दे तो क्या में
देख सकता हूँ."
"ढोंगी साला," मेने सोचा, "मुझे तो लगा था कि गयानी होगा लेकिन
ये और साधुओं के जैसे ही बहला फुसला कर इस लड़की को ज़रूर अपने
जाल मे फँसा लेगा."
"महाराज आपको देखने की ज़रूरत नही है," मेने विनम्रता से
कहा, "आप मुझे समझाइये में आपको देख कर बता दूँगी."
"जैसी आपकी इच्छा," साधु ने कहा, "आप मुझे उसका सही स्थान और
सही आकर देख कर बता दीजिए."
जब में टीना की चूत देखने लगी तो मेने उसे एक आईना दिया जिससे
वो खुद भी उस तिल को देख सके.
"हे भगवान ये मेरे जनम से यहाँ है, और मुझे आज तक पता ही
नही था." वो चौंकते हुए बोली.
"तुम कैसे पता चलता तुम तो हमेशा से खुद की चूत को देखना
पाप समझती आ रही हो." मेने उससे कहा.
वापस कमरे मे आकर मेने साधु को उसका सही आकर और सही स्थान
बता दिया.
"ऑश... ये सही लक्षण नही है." साधु अपनी आँखों को बंद कर
ध्यान लगाते हुए बोला.
"ऑश महाराज प्लीज़ मेरे माता पिता की जान बचा लीजिए," टीना
रोने लगी, "आप जो उपाय बताएँगे में करने के लिए तय्यार हूँ."
"ठीक है उपाय जानने के लिए मुझे इस दुष्ट आत्मा से संपर्क करना
होगा," साधु ने उसे अपने पास बुलाया और अपना हाथ उसकी कमर पर
रख दिया, "में सिर्फ़ अपना हाथ लगाकर उस आत्मा से संपर्क बनाने की
कोशिश करूँगा इसलिए तुम घबराना मत." कहकर साधु अपने हाथ को
उसकी जाँघो के बीच रख दिया.
हाथ रखते ही साधु का हाथ एक बार फिर काँपने लगा, और मैने
देखा कि वो अंगूठे से उसकी चूत को भी दबा रहा था.
"उईईई मा......" टीना सिसक पड़ी.
मुझे लगा की साधु सिर्फ़ परिस्थितियों का फ़ायदा उठा रहा है और
इसके पहले कि में उसे रोकती मैने अजय की और देखा जो वहाँ शांति
से बैठा मुक्सुरा रहा था. अजय को मुस्कुराते देख मे चौंक पड़ी,
वो साधु को टीना की चूत दबाते देख अपनी गर्दन हां मे हिला रहा
था.
इसके पहले भी में कुछ कहती साधु अचानक चिल्ला पड़ा, ऑश ये
नही हो सकता ऑश अच्छा."
साधु के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी. वो कुछ बिडबुदा रहा था
जैसे की उस आत्मा से बात कर रहा हो. "अब मुझे सब ज्ञान हो गया
है." साधु ने अपना हाथ टीना की चूत पर से हटाते हुए कहा.
"महाराज उस आत्मा ने क्या कहा?" टीना ने मुस्कुराते हुए कहा.
"वो आत्मा बहोत ही क्रोधित जान पड़ती थी," साधु ने कहा, "उसका
कहना है कि तुमने जान बुझ कर तुमने उसे वहाँ क़ैद कर रखा
है."
"पर महाराज मुझे तो पता भी नही है कि वो वहाँ पर है" टीना ने
भोलेपन से कहा.
"मेने भी यही बात आत्मा को समझाई तो वो थोड़ी शांत पड़
गयी, " साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "पर उसका कहना है कि उसे
बाहर जाने के लिए रास्ता नही मिल रहा है."
"क्या वो जिस रास्ते से अंदर आई थी उसी रास्ते से बाहर नही निकल
सकती?" मेने पूछा.
"मेने भी उसे यहही सलाह दी थी लेकिन उसका कहना है कि ये लड़की
बहुत धार्मिक विचारों की है... क्या तुम पूजा पाठ करती हो." साधु
ने टीना से पूछा.
"हां महाराज में नियम से रोज़ सुबह पूजा करती हूँ और हमेशा
भगवान का जाप करती रहती हूँ." टीना ने गर्व के साथ कहा.
"यही बात मुझे आत्मा ने कही, उसका कहना है कि इन मंत्रों और
जापों की वजह से वा उसी रास्ते से नही निकल सकती..." साधु ने
कहा फिर टीना की और घूमते हुए पूछा, "बालिका क्या तुम्हारी शादी
हो गयी है?"
"नही महाराज." टीना ने कहा.
"क्या किसीने ने तुझे.... क्या तेरा मालिक तुम्हे चोद्ता है?" साधु
ने शंकित नज़रों से अजय की ओर देखते हुए पूछा.
"नही महाराज." टीना ने कहा, शरम के मारे उसका चेहरा टमाटर की
तरह लाल हो गया था, "मेरी चूत बिल्कुल कोरी है महाराज."
"अब मेरी समझ मे आया कि वो आत्मा इस लड़की के नीचे के रास्ते से
क्यों नही निकल पा रही कारण की नीचे का रास्ता बंद है," साधु
ने कहा और फिर टीना की ओर देख कर कहने लगा, "तुम समझ रही हो
ना में क्या कह रह हूँ."
"हां महाराज मेरी समझ मे आ रहा है कि इस बुरी आत्मा को निकालने
के लिए मुझे अपनी चूत फड़वानी पड़ेगी." टीना ने मुँह बनाते हुए
कहा.
"महाराज अगर बात सिर्फ़ नीचे का रास्ता खोलने की है तो वो में
बड़ी आसानी से कर सकता हूँ." अजय ने मुस्कुराते हुए कहा.
"हां महाराज ये ठीक रहेगा साबजी मेरी चूत फाड़ कर रास्ता बना
देंगे." टीना ने कहा.
"ये इतनी आसान बात नही है," साधु ने जवाब दिया, "उस आत्मा के
निकलने के लिए रास्ता किसी खास दिन और ख़ास आदमी से बनवाना
होगा."
"प्लीज़ महाराज मुझे बताइए में अपने माता पिता को बचाने के
लिए आपकी हर आग्या मानने को तय्यार हूँ." टीना ने गिड़गिदते हुए
कहा.
"तो मेरी बात ध्यान से सुनो बालिका, तुम्हे किसी दूसरे सहर मे
जाना होगा, और वहाँ तुम्हे एक लंबा चौड़ा लड़का मिलेगा. तुम उसे
पसंद आओगी और वो तुम्हे अपने कमरे मे बुलाएगा. तुम्हे उसके कमरे
मे जाना है और उससे अपनी चूत फड़वाकर दुष्ट आत्मा के निकलने के
लिए रास्ता खोलना है. याद रहे तुम्हे बिना कोई प्रश्ना किए उस
लड़के की हर आग्या का पालन करना है." साधु ने टीना को समझाते हुए
कहा.
"हां महाराज जैसा आपने कहा है में वैसे ही करूँगी." टीना ने
हाथ जोड़ते हुए कहा.
"किंतु महाराज ये उस लड़के को पहचानेग्गी कैसे?" मेने पूछा.
"जगह और उस इंसान का नाम 'स' से शुरू होगा इसलिए पहचानने मे
कोई परेशानी नही होगी. अगर तुमने कहा नही माना तो उस आत्मा ने
मुझसे कहा कि वो तुम्हे श्राप दे देगी और तुम्हारे माता पिता की
म्रत्यु हो जाएगा." साधु ने टीना से कहा.
जब साधु जाने लगा तो उसने कहा, "एक बात और, उस लड़के को ही
पहल करने देना तुम जल्दबाज़ी मत दीखाना."
"हां महाराज हम सब वैसे ही करेंगे जैसा आपने बताया है."
मेने कहा.
साधु 'जै श्री राम कहते हुए वहाँ से चला गया.
शुक्र है भगवान का ये पाखंडी यहाँ से चला गया. तुमने देख कि
तरह वो टीना क चूत देखना चाहता था और जब मेने उसका प्लान
विफल कर दिया तो बहाने से उसकी चूत को कुरेद रहा था.... ढोंगी
साला." मेने गुस्से मे अजय से कहा.
"तुम्हे उसे गालियाँ देने की बजाय उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए की
टीना चूत फदवाने को तय्यार हो गयी और अब अनुराधा की सब
परेशानी दूर हो जाएगी. महाराज ने कहा है कि 'स' से जिसका नाम
शुरू होगा वही उसकी चूत फड़ेगा और सुमित का नाम भी 'स' से
शुरू होता है. अब हमे इसे सिर्फ़ शिमला लेकर जाना है और सुमित को
वहाँ बुलाना है." अजय ने मुझसे कहा.
"हां अजय तुम सही कह रहे हो." मेने खुश होते हुए कहा, "में
इस महाराज के चक्कर में टीना उलझी हुई थी कि ये बात मेरे दीमाग
मे ही नही आई."
"इतने मे टीना साधु को दरवाज़े तक छोड़ कर वापस लौट के
आई, "में किस तरह आप लोगों का शुक्रिया अदा करूँ कि आपने इस
साधु को घर मे आने दिया नही तो मेरे माता पिता की मृत्यु वक़्त से
पहले ही जाती." उसने कहा, फिर थोड़ा उदास होते हुए बोली, "लेकिन
मुझे अब महाराज की आग्या मानकर अपने माता पिता को बचाना है."
"भगवान पर भोरोसा रखो, सब अच्छा ही होगा, इसीलिए भगवान ने
महाराज को तुम्हारी मदद के लिए भेज दिया," मेने उसे सांत्वना देते
हुए कहा.
शाम को हम दोनो सीमा और अजय के घर गये कि उन्हे ये खुशख़बरी
सुना दें. में इतनी खुश थी कि जैसे ही में उनके घर मे घूसी
मेने कहा, "सीमा तुम्हे पता है आज क्या हुआ?"
"यही ना टीना अपनी चूत फदवाने के लिए तय्यार हो गयी." सीमा ने
मुकुराते हुए कहा.
"ज़रूर तुम्ही ने बताया होगा?' मेने अजय से शिकायत की.
अचानक वो तीनो जोरों से हँसने लगे, "इतना ज़ोर से क्यों हंस रहे
हो तुम लोग." मैने पूछा. मेरी बात सुनकर वो और ज़ोर से हँसने लगे.
"क्या तुम्हे पता नही चला वो साधु विजय ही था जो हमारे घर आया
था" अजय जोरों से हंसते हुए बोला.
"अजय में बहोत नाराज़ हूँ तुमसे," मेने कहा, "अगर तुम्हे पता था
तो मुझे तो बताना चाहिए था."
"मेरी जान गुस्सा मत करो." अजय ने जवाब दिया, "शुरू मे मुझे भी
नही पता था, में भी इसके बहरूप से धोका खा गया था. लेकिन
जब टीना की चूत देखाने उसे लेकर कमरे मे गयी तब इसने मुझे
बताया. हम चाहते थे कि टीना के सामने तुम्हे पता ना चले इसलिए
हम चूप रहे."
"विजय बधाई हो, तुम तो कमाल के कलाकार हो." मेने कहा, "तुमने
मुझे अच्छे से बेवकूफ़ बनाया."
"अगर तुम बेवकूफ़ बन गयी हो, तो में दावे के साथ कह सकता हूँ कि
टीना भी मेरी बातों मे आ गयी है." विजय ने कहा.
"पर सीमा मेरी एक बात समझ मे नही आई, तुमने टीना की चूत
मुझे क्यों नही देखने दी." विजय ने कहा.
"अगर मुझे पता होता कि साधु के भेष मे तुम हो तो शायद ज़रूर
देखने देती," मेने जवाब दिया, "लेकिन तुमने बेचारी की चूत को
अंगूठे से दबा दबा कर उसका पानी छुड़वा दिया."
"मुझे भी ऐसा ही लगा था." विजय ने हंसते हुए कहा.
जब हम घर पहुँचे तो देख की टीना की आँखे रो रो कर लाल हो
गयी थी, और वो अब ही रोए जा रही थी.
"क्या हुआ टीना तुम रो क्यों रही हो?" मेने पूछा.
"ओह मेडम महाराज के अनुसार मुझे अपनी चूत फदवाणी होगी, और अगर
इस दौरान में प्रेग्नेंट हो गयी तो? उसने रोते हुए कहा, "मेरे माता
पिता तो शरम के मारे मर ही जाएँगे. ये तो उनके लिए मौत से
बदतर होगा."
"बस इतनी सी बात है," अजय ने कहा, "सीमा तुम इसे अपनी गर्भ वाली
गोलियाँ दे दो, तुम्हारे लिए में कल और ले आयुंगा."
मेने उसे गोलिया लाकर दे दी और उसे समझा दिया कि किस तरह
लेनी है.
"शुक्रिया मेडम आपने मेरा बहोत बड़ा बोझ हल्का कर दिया." टीना
खुश होते हुए बोली.
जब हमने टीना को बताया कि वो हमारे साथ शिमला छुट्टियों पर आ
रही है तो वो खुशी से उछल पड़ी.
तो इस तरह विजय ने टीना को तय्यार किया अपनी चूत फदवाने के
लिए. सीमा दीदी ने अपनी कहानी ख़तम करते हुए कहा.
mardon ki duniya paart--9
Mala didi ek prashna, " Anu ne kaha, "aapne hame phone par jijaji
aur Sona ke bare me kyon nahi bataya?"
"Jab mujhe pata chala meine bhi isse yahi pucha tha." Seema didi ne
kaha.
"Kaise batati mein. Sona ki choot Vijay ki amanat thi." Mala didi ne
kaha, "tumhe batane se pehle mein Vijay se puchna chahti thi."
"Sahi me jijaji bahot ache hai." Anu ne kaha.
"Par jijaji Sona ka dil tod denge." meine hanste hue kaha.
"Haan wo to hai, accha wo Tina ki kya kahani hai?" miene phir pucha.
Seema didi apn kahani suannae lagi.
"Thode din baad Mala aur Vijay hamare yahan raat ke khane
"par aaye to Mala ne hame Sona ke bare me bataya."
"Kya wo chudwane ke liye tayyar hai?" Ajay ne pucha.
"Vijay se to chudwane ke liye tayyar hai, par kisi aur se chudwaigi
iske bare me mein kuch keh nahi sakti." Mala ne kaha.
"Are iski tum chinta mat karo, mein use itna niraash aur intezar
karaunga ki wo aakhir me kantal kar kisi bhi se chudwane ko tayyar
ho jayegi, Amit se bhi." Vijay ne kaha.
"Tina ke bare me kya khayal hai, kya wo tayyar hogi?" Mala ne pucha.
"Mujhe shak hai ki wo tayyar hogi," Seema didi ne kaha, "ek bar Ajay
ne use peeche se bahon me bhara tha to wo chilla padi thi, "saabji
agar aapne mujhe dubara chune ki koshish ki to mein madan se keh
dungi aur ye naukari bhi chod kar chali jaungi. meri to samajh me
nahi aa raha ki kya karu aur Sumit ke liye kunwari choot ka intezam
kahan se karun." Seema ne kaha.
"Use tayyar karne ke sau raste nikal aayenge, mujhe sirf uske bare
me batao?" Vijay ne kaha.
"Har ganv ki ladki ki tarah badi dharmik hai, roz mandir jaati hai
pooja path karti hai aur badi sankeern vicharon ki hai. Use pandit
aur jyotishon ki baaton par andh vishwas hai." meine bataya.
"Is tarah ki ladkiyan to badi bholi hoti hai," Mala didi ne
kaha, "aur ye pandit log unke bholepan ka faida utha une behka
foosla lete hain."
"Haan lagta to kuch aisa hi hai, hamare ghar par aane wale ek pandit
par use pura bharsa hai aur mujhe lagta hai ki ek din wo uske jaal
me phans jayegi." Seema ne kaha.
"Uakw parivar me kaun kaun hai?" Vijay ne pucha.
Uske parivar me sirf mata pita hai jinhe wo bahot pyaar karti hai."
Seema ne bataya.
"Kya uske sharir par koi janam ka nishaan ya aisa koi nishaan jo
bahar se sab ko nahin deekhta ho?" Vijay ne pucha.
"Usse kya hoga?" Ajay ne pucha.
"Mere deemag me kuch aa raha hai shayad jise hame madad mil jaye,
uske sharir par hai ya nahi sirf itna batao." Vijay ne kaha.
"Mujhe to kuch aisa yaad nahi," meie jawab diya, "are ruko mujhe
yaad aaya uski choot ke bayin taraf ek kala bada teel hai." miene
kaha
"Tumhe kaise pata?" Mala ne hanste hue pucha, "kya tum hamesha apni
naukrani ki chot dekhti rehti ho ya phir kuch chal raha hai tum dono
ke beech."
"Kaash aisa kuch hota hum dono ke beech to use chudwane me asaani
hoti." meine kaha.
"Phir tumne uski choot kyon dekhi?" Mala ne jor dete hue pucha.
"Mujhe dekhni padi." meine kaha
"Darling lekin tumne mujhe to bataya nahi." Ajay ne shikayat karte
hue kaha.
"Koi itni badi baat nahi thi ki mein tumhe batati." meine safai dete
hue kaha
"Thik hai pehle batao phir hum faisla karenge ki baat badi thi ya
nahi." Mala hanste hue boli.
"Tina ko kaam karte hue pandrah din hue the, ek subah meine dekha ki
wo bar bar apni choot ko khujla rahi hai." meine kaha.
"Tina tum apni choot kyon bar bar khujla rahi ho? meine pucha.
"Mujhe nahi pata madam, par subah se hi bahot khujli ho rahi hai."
Tina ne sharmate hue kaha.
"Kya tumne dekha us jagah ko ki wahan khujli kyon mach rahi hai?"
meine pucha.
"Dekha! meien kaise dekh sakti hun. Shastron me likha hai ki khud ke
neezi ang dekhna paap hai." usne jawab diya.
"To thik hai fir mujhe dekhne do?" meine usse kaha.
"Ohhh nahi madam mujhe bahot sharam aayegi.... please aap mat
dekhiye na." wo aankhon me aansu liye boli.
"Thik hai mein nahi dekhungi, lekin phir mujhe tumhe doctor ke apas
lekar jaana padega."
"Nahin madam mein doctor ke paas nahi jayungi, kisi anajne ke samne
nangi hone se behtar hai ki mein mar jaun. Kehkar Tina rone lagi.
"Ab baat mere bardash ke bahar ho rahi thi.
"Dekho Tina ya to mujhe dekhne do ya phir doctor ke paas chalo, mein
nahi chahti ki tum saab ke samne aur mehmano ke samne hamesha apni
choot khujati raho....."
Tina samajh gayi ki mein kya kehna chahti hoon, usne kaha, "Thik hai
phir aap hi dekh lijiye."
"Ek kaam karo mere bedroom me jao aur kapde uttar kar let jao, mein
abhi aati hoon." Meine usse kaha.
Jab mein kamre me aayi to meine dekha ki Tina sare kapde uttar nangi
bistar par leti thi. Sahi bada hi sunder badan hai uska. Meine dekha
ki aam 17-18 saal ki ladkiyon ki apeksha uska badan jyada bhara hua
tha, choot par jhante bhi kafi ug aayi thi aisa lag raha tha ki
jaise koi ghana jungle ho."
"Meine uski choot ko charon taraf se dekha lekin mujhe kuch deekhai
nahi diya, "Tina kuch to hai jisse tumhari choot khuja rahi hai,
lekin ye tumhari jhaanto ki wajah se mein achi tarah dekh nahi paa
rahi hun, mujhe inhe kaatna padega. Meine kaha.
"Madam aise hi dekh lijiye na..inhe kaatne ki kya jaroorat hai?"
Tina ne kaha.
"Tina mein jo kuch kar rahi hun tumhare acche ke liye hi kar rahi
hoon, isliye tum chup chap leti raho aur mujhe aapna kaam karne do."
Mein uski jhaante kaatne lagi lekin phir bhi mujhe kuch deekhai nahi
diya to mein uski jhaante ekdam saaf karne lagi, ek bar to virodh me
uth baithi lekin mujhe dekhte hi wapas waie hi let gayi.
Uski jhante saaf karne ke baad mein uski tange utha ucki choot ka
muayena karne lagi tabhi mujhe wo til deekhai diya tha. Fir mujhe
uski choot ki khujli ka bhi pata chala uski choot ke paas use daad
ho gaye the jiski vajah se ucki choot khujla rahi thi. Meine use
daad ki ek cream nikal kar dee.
"Tina ye cream lo aur di bar aachi tarah daad wali jagan par lagana,
aur bhagwan ke liye barabar apni choot ko dekhti rehna ki thik ho
raha hai ki nahi, nahi to mujhe tumhe doctor ke paas lekar jana
padega." meine kaha.
"Jee madam." Usne dheere se jawab diya.
"Tumhari jhaante bahot ghani hai, mein to khungi ki ise barabar ssaf
karti raha karo jisse doobara daad na hove,"
"Jee Maalkin."
Ab logon ko samajh me aaya ki mujhe us til ke bare me kaise pata
chala. " meien sabse kaha.
"Darling wo nangi kaisi deekhai padti hai?" Ajay ne pucha.
"Mujhe maalum tha tum yahi pucne wale ho." meine hanste hue
kaha, "ohh darling kya bataun, bahot hi sunder deekhai deti hai.
Uski chuchyion badi to nahi hai lekin gora badan aur bhari hui choti
chuichiyan kisi narangi se kam nahi lagti. Uski choot bhi kafi
sunder hai lekin uska ched bahot chota hai, mujhe to ek ungli
ghusane me hi itni takleef hui thi mein to soch rahi hun ki wo kaun
khushnaseeb hoga jo uski choot ko chod kar uske ched ko bada
karega."
"Ajay uski choot hamare naseeb me to hai nahi, wo to un dono judwa
bhai ke hi naseeb me hai.' Vijay ne thoda dukhi swar me kaha.
"Khair ye sab to chalta rehta hai," Ajay ne ek gehri sans lete hue
kaha, "tumhare deemag me koi idea aaya kya?" Ajay ne Vijay se pucha.
"Haan ek plan deemag me aaya to hai."Vijay ne jawab diya.
"Please hame batao n?" Mala ne kaha.
"Abhi nahi baad me bataunga pehle mujhe achi tarah soch kar tayyar
to kar lene do, agar plan kamyaab ho gaya to jaldi hi Tina kunwari
nahi rahegi." Vijay ne kaha.
Jab khane ke bad wo dono jane lage tab Vjay ne pucha, "tum dono
ravivar ki shaam ko kya kar rahe ho?"
"Abhi tak to koi programme nahi hai." Ajay ne jawab diya.
"Thik hai phir ghar par hi rehna shayad hum log aa jayen." Vijay ne
kaha.
Ravivar ki shaam ko hum jab hum living room me chai pee rahe the
tabhi darwaze ki ghanti baji, "mujhe lagta hai ki Mala aur Vijay
aaye honge." Meine Ajay se kaha.
"Tabhi Tina kamre me daudti hui aayi, wo kafi utsahit nazar aa rahi
thi, "Madam ek sadhuji aaye hai." usne kaha.
"Use waapas bhej do," meine kaha, "ye sadhu log sab dohngi hote hai,
bhagwan ke naam par sirf paisa ainthna aata hai unhe."
"Nahi madam ye deekhne me bahot gyani aur pahunche hue Mahatma lag
rahe hai, aur phir madam bahar garmi bhi to kitni hai, kyon na unhe
andar bulakar ek galas thanda pani hi peela diya jaye?" Tina ne
kaha.
"Thik hai, lekin sirf do minute me use pani peelakar rafa dafa kar
dena." Ajay ne usse kaha.
"Kuch der me hi Tina ek sadhu jo gehune rang ki dhoti aur kurta
phene hua tha andar lekar aayi. Uske sir ke bal bilkul safed ho
chuke the aur dadhi bhi kafi badhi hui thi. Hamne unhe aadar sahi
baithne ke liye kaha." Mala ne kaha.
"Jai Shree Ram" kehte hue Sadhuji sofe par palathi mar kar baith
gaye. Tina ne unhe ek glaas thanda pani lakar de diya.
Sadhu ne pani lene ke liye apna hath badhaya lekin tabhi achanak
unhone apna haht peeche kheech liya.
"Kya baat hai Maharaj? aapne hath kyon kheech liya?" Ajay ne pucha.
"Maharaj, paani lijiye, bilkul sudh hai, meien apne haath se glass
ko do bar dhoya hai." Tina ne kaha.
"Baat ye nahi hai bacchi, mujhe is ghar me kisi pret aatma ka vaas
lagta hai." Sadhu ne jawabd diya.
"Pret aatma wo bhi hamare ghar me?" hum dono chaunk uthe the.
"Haan ek aisi pret aatma jo apne sath muat aur barbadi ke siwa kuch
nahi laati, agar mujhe phele iska gyaan ho jaata to mein is ghar me
kabhi apne charan nahi rakhta."
"Maharaj iska koi to upay hoga? Ajay ne pucha.
"Upay to tabhi nikal sakta ho jab ki ye pata lage ki us pret aatma
ne apna vaas kahan bana rakha hai." Maharaj ne jawab dete hue
kaha, "phele mujhe sochne do" kehkar maharaj ne apni aankhe band kar
lee.
"Jab meien is ghar me padarpan kiya tab mujhe iska gyan nahi hua tha
lekin jaise hi meine pani ke liye hath badhaya mujhe is aatma ki
upasthiti ka gyaan ho gaya." Maharaj khud me dadbada rahe the.
"To Maharaj wo kahan hai, kya pani me koi kharabi hai ya phir glass
me." Ajay ne pucha.
"Ya phir Maharaj is ladki me, meine suna hai ki aisi aatma kisi na
kisi prani ke sharir me hi vaas karti hai." Sadhu ne hame samjhate
hue kaha.
Achanak Sadhu khada hokar Tina ki taraf badha, ek bar ko to mujhe
laga ki wo Tina ko pakad lega lekin wo uske paas jaakar use dekhne
laga. Phir gehri nazron se wo uske badan ka nirakshan karne laga,
pehle uski nazrein uski ubhri hui chuchiyon par thehri phir uski
peeth par apni hatheli jama dekhne laga. Jab uska hath uski kamar
aur jangho ki taraf badha to hamne dekha ki uska hath kaanpne laga
tha.
"Mujhe us dusht aatma ka pata chal gaya hai, "Sadhu ne palatte hue
kaha, "Us atma ne is ladki ke sharir ke neechle bhag me apna basera
bana rakha hai."
"Par ye aatma hai kaun Maharaj?" Ajay ne pucha.
"Ye koi bhatakti hui dusht aatma hai jo apna raasta bhatak chuki
hai, ye hawa me vichran karti rehti hai aur kisi ke sharir me bhi
pravisht ho jaati hain. Thode din apni man maani kar phir uske
sharir ko tyag kisi nai sharir ki talash me nikal jaati hai.' Sadhu
ne jawab diya. "Lekin ye kabhi kisi ke sharir ke itne neeche tak
nahi jaati, jaroor koi aisi vastu hai jisne is aatma ko apni taraf
aakarshit kiya hai."
"Haan jaroor iski kunwri choot ne akarshit kiya hoga," meien man hi
man socha "kay hum ise aise hi nahi chod sakte ye khud ba khud ek
din chali jayegi." meine Sadhu se kaha.
"Mein is baat ki salah nahi de sakta ye is balika ko koi hani bhi
pahuncha sakti hai," Sadhu ne kaha, "meiene pehle hi bataya ki is
tarah ki aatma apne sath maut bhi laati hai."
"Ohh Maharaj to kya mein mar jaungi." Tina kehkar joron se rone
lagi.
"Bacchi rovo mat,"Sadhu ne use samjhate hue kaha, "aisa bahot kam
hota hai ki jiske sharir me wo pravesh karein uski mrityu ho jaye
lekin haan uske parivar me se kisi ki bhi mrityu ho sakti hai, jaise
bhai behan ya mata pita...."
"Maharaj mere parvar me mere maata pita ke sivay koi nahi hai." Tina
ne rote hue kaha.
"Maharaj is aatma ko iske sharir aur is ghar se bhagane ka koi to
upay hoga?" Ajay ne pucha.
"Har vyaghna ka upay hota hai baccha," Sadhu ne kaha, "lekin mujhe
pehle is aatma ki shakti ka andaaza lagana hoga. Baalika kya tumhare
sharir ke neechle bhaag me kahin koi til hai?"
Tina thodi der sochti rahi phir boli, "Nahi maharaj nahi hai."
"Haan maharaj hai ek til hai jo meine khud dekha hai." meine jhat se
kaha. Mujhe laga ki sahi me ye sadhu to kafi gyani jaan padta hai.
Tina meraf gehri nigaah se dekhne lagi, "Haan Tina hai, meine khud
us din dekha tha." meiene jor dete hue kaha.
"Kisi aatma ki shakti ki pehchan karne ke liye mujhe us til ka
nirakshan karna hoga jisne us dusht aatam ko apni taraf aakarshit
kiya hai." Sadhu ne kaha, "agar ladki mujhe aagya de to kya mein
dekh sakta hun."
"Dhongi Sala," meine socha, "mujhe to laga tha ki gyaani hoga lekin
ye aur saadhuon ki jaise hi behla phusla kar is ladki ko jaroor apne
jaal me phansa lega."
"Maharaj aako dekhne ki jaroorat nahi hai," meine vinamrata se
kaha, "aap mujhe samjhaiye mein aapko dekh kar bata dungi."
"Jaisi aapki iccha," Sadhu ne kaha, "Aap mujhe uska sahi sthan aur
sahi aakar dekh kar bata dijye."
Jab mein Tina ki choot dekhne lagi to meine use ek aina diya jisse
wo khud bhi us til ko dekh sake.
"Hey bhagwan ye mere janam se yahan hai, aur mujhe aaj tak pata hi
nahi tha." wo chaunkte hue boli.
"Tum kaise pata chalta tum to hamesha se khud ki choot ko dekhna
paap samajhti aa rahi ho." meine usse kaha.
Wapas kamre me aakar meine sadhu ko uska sahi aakar aur sahi sthan
bata diya.
"Ohhh... ye sahi lachan nahi hai." Sadhu apni aankhon ko band kar
dhyan lagate hue bola.
"Ohhh maharaj please mere maata pita ki jaan bacha lijiye," Tina
rone lagegi, "aap jo upay batayenge mein karne ke liye tayyar hun."
"Thik hai upay janne ke liye mujhe is dusht aatma se sampark karna
hoga," Sadhu ne use apne paas bulaya aur apna hath uski kamar par
rakh diya, "mein sirf apna hath lagakar us aatma se ampark banane ki
koshish karunga isliye tum ghabrana mat." kehkar sadhu apne hahth ko
uski jangho ke beech rakh diya.
Hath rakhte hi sadhu ka hath ek bar phir kaanpne laga, aur meien
dekha ki wo anguthe se uski choot ko bhi daba raha tha.
"Uiiiii maa......" Tina sisak padi.
Mujhe laga ki sadhu sirf paristhitiyon ka faida utha raha hai aur
iske pehle ki mein use rokti meien Ajay ki aur dekha jo wahan shanti
se baitha muksura raha tha. Ajay ko muskurate dekh me chaunk padi,
wo sadhu ko Tina ki choot dabate dekh apni gardan haan me hila raha
tha.
Iske pehle bhi mein kuch kehti Sadhu achanak chilla pada, OHHH YE
NAHI HO SAKTA OHHH ACCHA."
Sadhu ke chehre par ek muskan aa gayi thi. Wo kuch bidbuda raha tha
jaise ki us aatma se baat kar raha ho. "ab mujhe sab gyan ho gaya
hai." Sadhu ne apna hath Tina ki choot par se hatate hue kaha.
"Maharaj us aatma ne kya kaha?" Tina ne muskurate hue kaha.
"Wo aatma bahot hi krodhit jaan padti thi," Sadhu ne kaha, "uska
kehna hai ki tumne jaan bujh kar tumne use wahan kaid kar rakha
hai."
"Par maharaj mujhe to pata bhi nahi hai ki wo wahan par hai" Tina ne
bholepan se kaha.
"Meine bhi yahi baat aatma ko samjhayi to wo thodi shaant pad
gayi, " Sadhu ne muskurate hue kaha, "par uska kehna hai ki use
bahar jaane ke liye raasta nahi mil raha hai."
"Kya wo jsi raaste se andar aayi thi usi raaste se bahar nahi nikal
sakti?" mene pucha.
"Meine bhi use yahhi salah di thi lekin uska kehna hai ki ye ladki
bahoy dharmik vicharon ki hai... kya tum pooja path karti ho." Sadhu
ne Tina se pucha.
"Haan maharaj mein niyam se roz subah pooja karti hoon aur hamesha
bhagwan ka jaap karti rehti hoon." Tina ne garv ke sath kaha.
"Yahi baat mujhe aatma ne kahi, uska kehna hai ki in mantron aur
jaapon ki wajah se wah usi raaste se nahi nikal sakti..." sadhu ne
kaha phir Tina ki aur ghoomte hue pucha, "Baalika kya tumhari shaadi
ho gayi hai?"
"Nahi maharaj." Tina ne kaha.
"Kya kisine ne tujhe.... kya tuhara maalik tumhe chodta hai?" Sadhu
ne shankit nazron se Ajay ki aur dekhte hue pucha.
"Nahi maharaj." Tina ne kaha, sharam ke mare uska chehra tamatar ki
tarah laal ho gaya tha, "meri choot bilkul kori hai maharaj."
"Ab meri samajh me aaya ki wo aatma is ladki ke neeche ke raaste se
kyon nahi nikal paa rahi karan ki neeche ka raasta band hai," Sadhu
ne kaha aur fir Tina ki aur dekh kar kehne laga, "tum samajh rahi ho
na mein kya keh rah hoon."
"Haan maharaj meri samajh me aa raha hai ki is buri aatma ko nikalne
ke liye mujhe apni choot phadwani padegi." Tina ne munh banate hue
kaha.
"Maharaj agar baat sirf neeche ka raasta kholne ki hai to wo mein
badi asaani se kar sakta hun." Ajay ne muskurate hue kaha.
"Haan maharaj ye thik rahega saabji meri choot phad kar raasta bana
denge." Tina ne kaha.
"Ye itni asaan baat nahi hai," sadhu ne jawab diya, "us aatma ke
nikalne ke liye raasta kisi khas din aur khaas aadmi se banwana
hoga."
"Please maharaj mujhe bataiye mein apne maata pita ko bachane ke
liye aapki har aagya manne ko tayyar hun." Tina ne gidgidate hue
kaha.
"To meri baat dhyaan se suno baalika, tumhe kisi doosre sehar me
jaana hoga, aur wahan tumhe ek lamba chauda ladka milega. Tum use
pasand aaogi aur wo tumhe apne kamre me bulayega. Tumhe uske kamre
me jana hai aur usse apni choot phadwakar dusht atma ke nikalne ke
liye raasta kholna hai. Yaad rahe tumhe bina koi prashna kiye us
ladke ki har aagya ka palan karna hai." Sadhu neTina ko samjhate hue
kaha.
"Haan maharaj jaisa aapne kaha hai mein waise hi karoongi." Tina ne
hath jodte hue kaha.
"Kintu Maharaj ye us ladke ko pehchaneggi kaise?" meine pucha.
"Jagah aur us insaan ka naam 'S' se shuru hoga isliye pehchanne me
koi pareshani nahi hogi. Agar tumne kaha nahi mana to us aatma ne
mujhse kaha ki wo tumhe shrap de degi aur tuhmhare maata pita ki
mrtiyu ho jayega." Sadhu ne Tina se kaha.
Jab sadhu jaane laga to usne kaha, "ek baat aur, us ladke ko hi
pehal karne dena tum jaldbazi mat deekhana."
"Haan maharaj hum sab waise hi karenge jaisa aapne bataya hai."
meine kaha.
Sadhu 'Jai Shree Ram kehte hue wahan se chala gaya.
Shukra hai bhagwan ka ye pakhandi yahan se chala gaya. Tumne dekh ki
tarah wo Tina k choot dekhna chahta tha aur jab meine uska plan
vifal kar diya to bahane se uski choot ko kured raha tha.... dhongi
saala." meine gusse me Ajay se kaha.
"Tumhe use gaaliyan dene ki bajay uska shukriya ada karna chahiye ki
Tina choot phadwane ko tayyar ho gayi aur ab Anuradha ki sab
pareshani door ho jayegi. Maharaj ne kaha hai ki 'S' se jiska naam
shuru hoga wahi uski choot phadega aur Sumit ka naam bhi 'S' se
shuru hota hai. Ab hame ise sirf Shimla lekar jana hai aur Sumit ko
wahan bulana hai." Ajay ne mujhse kaha.
"Haan Ajay tum sahi keh rahe ho." meine khush hote hue kaha, "mein
is maharaj ke chakkar mein tina uljhi hui thi ki ye baat mere deemag
me hi nahi aayi."
"Itne me Tina sadhu ko darwaze tak chod kar wapas laut ke
aayi, "mein kis tarah aap logon ka shukriya ada karun ki aapne is
sadhu ko ghar me aane diya nahi to mere maata pita ki mrityu waqt se
phele hi jaati." Usne kaha, phir thoda udaas hote hue boli, "lekin
mujhe ab maharaj ki aagya mankar apne mata pita ko bachana hai."
"Bhagwan par bhorosa rakho, Sab accha hi hoga, isiliye bhagwan ne
maharaj ko tumhari madad ke liye bhej diya," meine use santwana dete
hue kaha.
Shaam ko hum dono Seema aurAjay ke ghar gaye ki unhe ye khushkhabri
suna den. Mein itni khush thi ki jaise hi mein unke ghar me ghoosi
meine kaha, "Seema tumhe pata hai aaj kya hua?"
"yahi na Tina apni choot phadwane ke liye tayyar ho gayi." Seema ne
mukurate hue kaha.
"Jaroor tumhi ne bataya hoga?' meine Ajay se shikayat ki.
Achanak wo teeno joron se hansne lage, "itna jor se kyon hans rahe
ho tum log." meien pucha. Meri baat sukar wo aur jor se hansne lage.
"Kya tumhe pata nahi chala wo sadhu Vijay hi tha jo hamare ghar aaya
tha" Ajay jorons e hanste hue bola.
"Ajay mein bahot naraaz hun tumse," meine kaha, "agar tumhe pata tha
to mujhe to batana chahiye tha."
"Meri jaan gussa mat karo." Ajay ne jawab diya, "Shuru me mujhe bhi
nahi pata tha, Mein bhi iske behroop se dhoka kha gaya tha. lekin
jab Tina ki choot dkehne use lekar kamre me gayi tab isne mujhe
bataya. Ham chahte the ki Tina ke samne tumhe pata na chale isliye
hum choop rahe."
"Vjay badhai ho, tum to kamal ke kalakar ho." meine kaha, "tumne
mujhe accha bewkoof banaya."
"Agar tum bewkoof ban gayi ho, to mein dawe ke sath keh sakta hun ki
Tina bhi meri baaton me aa gayi hai." Vijay ne kaha.
"Par Seema meri ek baat samajh me nahi aayi, tumne Tina ki choot
mujhe kyon nahi dekhne dee." Vijay ne kaha.
"Agar mujhe pata hota ki sadhu ke bhesh me tum ho to shayad jaroor
dehkhne deti," meine jawab diya, "lekin tumne bechari ki choot ko
anguthe se daba daba kar uska pani chudwa diya."
"Mujhe bhi aisa hi laga tha." Vijay ne hanste hue kaha.
Jab hum ghar pahunche to dekh ki Tina ki aankhe ro ro kar laal ho
gayi thi, aur wo ab hi roye jaa rahi thi.
"Kya hua Tina tum ro kyon rahi ho?" meine pucha.
"Oh madam maharaj ke anusar muhe apni choot phadwani hogi, aur agar
is dauran mein pregnant ho gayi to? usne rote hue kaha, "mere maata
pita to sharam ke mare mar hi jayenge. Ye to unke liye maub se
badtar hoga."
"Bas itni si baat hai," Ajay ne kaha, "Seema tum ise apni garbh wali
goliyan de do, tumhare liye mein kal aur le aayunga."
Meine use gholiyan laakar de dee aur use samjha diya ki kis tarah
leni hai.
"Shukriya madam aapne mera bahot bada bojh halka kar diya." Tina
khush hote hue boli.
Jab hamne Tina ko bataya ki wo hamare sath Shimla chuttiyon par a
rahi hai to wo khushi se uchal padi.
To is tarah Vijay ne Tina ko tayyar kiya apni choot phadwane ke
liye. Seema didi ne apni kahani khatam karte hue kaha.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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