Wednesday, April 21, 2010

राज शर्मा की कामुक कहानिया रद्दी वाला पार्ट--3

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रद्दी वाला पार्ट--3
गतान्क से आगे...................
आज बिरजू भी नहा धो कर मंजन करके साफ सुथरा हो कर आया था.उसकी चुदाई इक्च्छा,मदहोश,बदमस्त औरत को देख देख कर ज़रूरत से ज़्यादा भड़क उठी.उसकी जगह अगर कोई भी जवान लंड का मालिक इस समय होता तो वो भी बिना चोदे मान ने वाला नहीं था,ज्वाला देवी जैसी अल्लहड़ व चुड़दक़्कड़ औरत को."नाम क्या है रे तेरा?" सिसकते हुए ज्वाला देवी ने पूछा.इस समय नाम-वाम मत पूछो बिविजी ! आ आज अपने लंड की सारी आग निकाल लेने दे मुझे. आ.. आजा."बिरजू लिपट लिपट कर ज्वाला देवी की चूचियो व गाल की मा चोदे जा रहा था.उसकी चौड़ी छाती वा मजबूत हाथों मैं कसी हुई ज्वाला देवी भी बेहद सुख अनुभव कर रही थी. जिस बेरहमी से अपने बदन को रगडवा रगडवा कर वह चुदवाना चाह रही थी आज इसी प्रकार का मर्द उसे छप्पर फाड़ कर उसे मुफ़्त मे ही मिल गया था.बिरजू की हाफ पॅंट मैं हाथ डाल कर उसका 18 साल का ख़ूँख़ार वा तगड़ा लंड मुट्ठी मैं भींच कर ज्वाला देवी अचंभे से बोली, "हाई. हाई.. ये लंड है.. या घिया.. कद्दू. अफ.क्यों.रे.अब तक कितनी को मज़ा दे चुका है तू अपने इस कद्दू से.." "हाई.मेम साहब..क्या पूच्छ लिया ... तुमने .. पुच. पुच. एक बार मौसी की ली थी बस.. वरना अब तक मुट्ठी मार मार कर अपना पानी निकालता आया हूं.. हाँ.. मेरी अब उसी मौसी की लड़की पर ज़रूर नज़र है. उसे भी दो चार रोज़ के अंदर चोद कर ही रहूँगा.है तेरी चूत कैसी है..आ.. इसे तो आज मैं खूब चाटूँगा.. हे.. आ. लिपट जा.." बिरजू ने ज्वाला देवी की सारी ऊपर उठा कर उसकी टाँगों मे टांगे फँसा कर जाँघो से जंघे रगड़ने का काम शुरू कर दिया था.अपनी चिकनी वा गुन्दाज जांघों पर बिरजू की बालों वाली खुरदरी वा मर्दानी जांघों के घस्से खा खा कर ज्वाला देवी की चूत के अंदर जबरदस्त खलबली मच उठी थी.जाँघ से जाँघ टकर'वाने मैं अजीब गुदगुदी वा पूरा मज़ा भी उसे आ रहा था. "अब मेम साहब.. ज़रा नंगी हो जाओ तो मैं चुदाई शुरू करूँ." एक हाथ ज्वाला देवी की भारी गांद पर रख कर बिरजू बोला. "वाहह.. रे.. मर्द..बड़ा गरम है तू तो.मैं.तो उस दिन.रद्दी तुलवाते तुलवाते ही तुझे ताड़.. गयी.. थी.. रे..! आहह. तेरा. लंड... बड़ा.. मज़ा.देगा. आज आहह.. तू रद्दी के पैसे वापिस ले जाना.. प्यारे. आज. से साररीई. रद्दी. तुझे.. मुफ़्त दियाअ... करूंगगीइ मेरी प्यारे आ चल हट परे ज़रा नन्गी हो जाने दे..आ तू भी पॅंट उतार मेरे शेर"ज्वाला देवी उसके गाल से गाल रॅगडाटी हुई बके जा रही थी.अपने बदन को च्छुडा कर पलंग पर ही खड़ी हो गयी ज्वाला देवी और बोली, "मेरी सारी का पल्लू पकड़ और खींच इसे."उसका कहना था कि बिरजू ने सारी का पल्ला पकड़ उसे खींचना शुरू कर दिया. अब ज्वाला देवी घूमती जा रही थी और बिरजू सारी खींचता जा रहा थ. दोस्तो यू लग रहा था मानो दुर्योधन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा हो. राज शर्मा कुछ सेकेंड बाद सारी उसके बदन से पूरी उतर गयी तो बिरजू बोला, "लाओ मैं तुम्हारे पेटिकोट का नाडा खोलूं.""परे हटो, पराए मर्दो से कपड़े नही उतरवाती, बदमाश कहीं का." अदा से मुस्कुराते हुए अपने आप ही पेटिकोट का नाडा खोलते हुए वो बोली. उसकी बात पर बिरजू धीरे से हँसने लगा और अपनी पॅंट उतारने लगा तो पेटिकोट को पकड़े पकड़े ही ज्वाला देवी बोली, "क्यो हंसता है तू,सच सच बता, तुझे मेरी कसम." "अब में साहब, आपसे च्चिपाना ही क्या है? बात दर असल ये है कि वैसे तो तुम मुझसे चूत मरवाने जा रही हो और कपड़े उतरवाते हुए यू बन रही हो,जैसे कभी लंड के दीदार ही तुमने नहीं किए.कसम तेरी ! हो तुम खेली खाई औरत." हीरो की तरह गर्दन फैला कर डाइलॉग सा बोल रहा था बिरजू.उसका जवाब देती हुई ज्वाला देवी बोली,"आबे चुतिये!अगर खेली खाई नही होती तो तुझे पटा कर तेरे सामने चूत खोल कर थोड़े ही पड़ जाती. रही कपड़े उतरवाने की बात तो इसमें एक राज़ है, तू भी सुन'ना चाह'ता है तो बोल. वो पेटिकोट को अपनी टाँगों से अलग करती हुई बोले जा रही थी.पेटिकोट के उतरते ही चूत नंगी हो उठी और बिरजू पॅंट उतार कर खरा लंड पकड़ कर उस पर टूट पड़ा. और उसकी चूत पर ज़ोर ज़ोर से लंड रख कर वो घसे मारता हुआ एक चूची को दबा दबा कर पीने लगा. वो चूत की छटा देख कर आपे से बाहर हो उठा था उस'के लंड मैं तेज़ झट'के लगने चालू होने लगे थे."अर्रे रे इतनी जल्दी मत कर.ऊह रे मान जा.""बात बहुत कर'ती हो मेम्साब, आअहह चोद दूँगा आज."पूरी ताक़त से उसे जाकड़ कर बिरजू उसकी कोली भर कर फिर चूची पीने लगा. शायद चूची पीने मे ज़्यादा ही लुफ्त उसे आ रहा था.चूत पर लंड के यूँ घस्से पड़ने से ज्वाला देवी भी गरमा गयी और उसने लंड हाथ से पकड़ कर चूत के दरवाज़े पर लगा कर कहा,"मार..लफंगे मार.कर दे सारा अंदर... हाय देखूं कितनी जान है तेरे मैं.. आहह खाली बोलता रहता है चोद दूँगा चोद दूँगा.' चल चोद मुझे." "आहह ये ले हाय फाड़ दूँगा."पूरी ताक़त लगा कर जो बिरजू ने चूत मैं लंड घुसाना शुरू किया की ज्वाला देवी की चूत मस्त हो गयी.उसका लंड उसके पति के लंड से किसी भी मायने में कम नहीं था ज्वाला देवी यूँ तड़पने लगी जैसे आज ही उसकी सील तोड़ी जा रही हो. अपनी टाँगों से बिरजू की कमर जाकड़ कर वो गांद बिस्तर पर रगड़ते हुए मचल कर बोली,"हे उउफ्फ फाड़ डालेगा तू. आह ययययून मत्त करर. तेरा.. तो दो के बराबर है...निकाल्ल सल्ल्ले फट गयी अफ मार दिया." इस बार तो बिरजू ने हद ही कर डाली थी. अपने पहलवानी बदन की सारी ताक़त लगा कर उसने इतना दमदार धक्का मारा था कि फुक्ककच की तेज़ आवाज़ ज्वाला देवी की चूत के मूँ'ह से निकल उठी थी. अपनी बलशाली बाँहों से लचकीले और गुद्देदार जिस्म को भी वो पूर्णा ताक़त से भींचे हुए था. गोरे गाल को चूस्ते हुए बड़ी तेज़ी से जब उसने चूत मे लंड पेलना शुरू कर दिया तो एक जबरदस्त मज़े ने ज्वाला देवी को आ घेरा.हेवी लंड से चुद्ते हुए बिरजू से लिपट लिपट कर उसकी नंगी कमर सहलाते हुए ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ छ्चोड़ने लगी थी. चूत मे फँस फँस कर जा रहे लंड ने उसके मज़े मे चार चाँद लगा डाले थे.अपनी भारी गांद को उकचलते हुए तथा जांघों को बिरजू की खुरदरी खाल से रगड़ते हुए वो तबीयत से चुद रही थी.मखमली औरत की चूत मे लंड डाल कर बिरजू को अपनी किस्मत का सितारा बुलंद होता हुआ लग रहा था. ऊँच नीच, जात पात,ग़रीब अमीर के सारे भेद इस मज़ेदार चुदाई ने ख़त्म कर डाले थे."अफ.. मेरा.. गाल नही.. निशान पर जाएँगे.काट डाला उफ़.. सिरफ्फ़ चोदो रद्दी वल्ले गाल चूसने की लिए हैं.. मर गाई,, हरामी बड़े ज़ोरर सी दाँत गाड़ा दिए तूने तो.. उऊफ़ चोद. मन लगा कर. सच मज़ा आ रहा है मुझे.."बिरजू उसके मचलने को देख कर और ज़्यादा भड़क गया,उसने नीचे को मुँह खिसका कर उसकी चूची पर दाँत गाड़ते हुए चुदाई जारी रक्खी और वो भी बक बक करने लगा,"क्या चीज़्ज़ है तेरी.. बॉटल फोड़ दूँगा. उफ़फ्फ़ हाय मैं तो सोच भी नहीं सकता था की तेरी चूत मुझे चोदने को मिलेगी.हाय आजज्ज मैं ज़न्नत मे आ गया हू.. ले.. ले. पूरा.. डाल दूँगा.. हाई फाड़ दूँगा हाई ले.."बुरी तरह चूत को रौंदने पर उतर आया था बिरजू. लंड के भयानक झट'के बड़े मज़े ले ले कर ज्वाला देवी इस समय झेल रही थी. प्रत्येक धक्के मे वो सिसक सिसक कर बोल रही थी, "हाय सारी कमी पूर्री कर ले .उउंम अम्म उउफ्फ तुझे चार किलो रद्दी मुफ़्त दूँगी. मेरे राजा.. आह हाई बना दे रद्दी मेरी चूत को तू.. हाय मार डाल और मार्र सी उम ओआँ" दोनो की उथ्का पटकी, रगड़ा रगडी के कारण बिस्तर पर बिछी चादर की ऐसी तैसी हुई जा रही थी.एक मामूली कबाड़ी का डंडा,आमिर व गद्देदार ज्वाला देवी की हंडी मैं फँस-फँस कर जा रहा था.चाँद लम्हो के अंदर ही उसकी चूत को चोद कर रख दिया था बिरजू ने. जानदार लंड से चूत का बाजा बजवाने मैं स्वर्गीय अनद ज्वाला लूट लूट कर बहाल हुई जा रही थी.चूत की आग ने ज्वाला देवी की शर्मो हया, पतिव्रत धर्म सभी बातों से दूर करके चुदाई के मैदान मैं ला कर खड़ा कर डाला था.लंड का पानी चूत मैं बरस्वाने की वो जी जान की बाज़ी लगाने पर उतर आई थी.इस समय भूल गयी थी ज्वाला देवी कि वो एक जवान लड़की की मा है, भूल गयी थी वो कि एक इज़्ज़तदार पति की पत्नी भी है.उसे याद था तो सिर्फ़ एक चीज़ का नाम और वो चीज़ थी बिरजू का मोटा ताक़तवर और चूत की नस नस तोड़ देने वाला शानदार लंड.इसी लंड ने उसकेरोम रोम को झाँकरीत कर'के रख दिया था.लंड था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. एका एक बिरजू ने जो अत्यंत ज़ोरो से चूत मैं लंड का आवागमन प्रारंभ किया तो मारे मस्ती के ज्वाला देवी उठ उठ कर सिसक उठी."आ र्रीई वाह अम्म मार मार ससीई"तभी उसकी एक चूची की घुंडी मुँह मे भर कर सूपदे तक लंड बाहर खींच जो एक झटके से बिरजू ने धक्का मारा कि सीधा अटॅक बच्चेदानि पर जा कर हुआ."ऐइ ओह्ह फाड़ डाली ओह उफ़ आ रिई मरी ससिईई आई फटते वक्क्कैइ मोटा है.उफ़ फँसा आ ऊ मज़ा ज़ोर से और ज़ोर से शब्बास्स रद्दी वाले." इस बार बिरजू को ज्वाला देवी पर बहुत गुस्सा आया.अपने आपको रद्दी वाला कहलवाना उसे कुछ ज़्यादा ही बुरा लगा था.ज़ोर से उसकी गंद पर अपने हाथो के पंजे गढ़ा कर धक्के मारता हुआ वो भी बड़बड़ाने लगा,"तेरी बहन को चोदु,चुड़क्कड़ लुगाई आहह.साली चुदवा रही है मुझसे, ख़सम की कमी पूरी कर रहा हूँ मैं आहह और.आहह साली कह रही है रद्दी वाला, तेरी चूत को रद्दी ना बना दूँ, तो कबाड़ी की औलाद नहीं,आह हाई शानदार चूत खा जाउन्गा फाड़ दूँगा ले ले और चुद आज"बिरजू के इन ख़ूँख़ार धक्को ने तो हद ही कर डाली थी. चूत की नस नस हिला कर रख दी थी लंड की चोटो से.ज्वाला देवी पसीने मे नहा उठी और बहुत ज़ोरो से अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर तथा बिरजू की कस कर कोली भर कर वो उसे और ज़्यादा ज़ोश मे लाने के लिए सीसीया उठी,"आ रिई ऐस्से हाई हां हां ऐसे ही मेररी चूत फाड़ डाल्लो राज्ज्जा.माफ़ कर दो आब्ब्ब्बबब कॅभी तुम्हे रद्दी वाल्ला नहीं कहूँगी. चोदो ई उऊँ चोदो.." इस बात को सुन कर बिरजू खुशी से फूल उठा था उसकी ताक़त चार गुणी बढ़ कर लंड मे इकट्ठी हो गयी थी. द्रुत गति से चूत का कबाड़ा बनाने पर वो तुल उठा था.उसके हर धक्के पर ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकती हुई गांद को हिला हिला कर लंड के मज़े हासिल कर रही थी.मुक़ाबला ज़ोरो पर ज़ारी था. बुरी तरह बिरजू से चिपेटी हुई ज्वाला देवी बराबर बड़बदाए जा रही थी, "आहह ये मार्रा मार डाला. वाह और जमके उफ़ हद्द कर दी ऑफ मार डाल्लो मुज्ज़े.."और जबरदस्त ख़ूँख़ार धक्के मारता हुआ बिरजू भी उसके गालों को पीते पीते सिसीकिया भर रहा था,"वाहह मेररी औरत आहह हे मक्खन चूत है तेरी तो..ले..चोद दूँगा..ले.आहह."और इसी ताबड़तोड़ चुदाई के बीच दोनो एक दूसरे को जाकड़ कर झाड़'ने लगे थे,ज्वाला देवी लंड का पानी चूत मैं गिरवा कर बेहद त्रिप'ती मह'सूस कर रही थी.बिरजू भी अंतिम बूँद लंड की निकाल कर उसके ऊपर पड़ा हुआ कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. लंड वा चूत पोंच्छ कर दोनो ने जब एक दूसरे की तरफ देखा तो फिर उनकी चुदाई की इक्च्छा भड़क उठी थी,मगर ज्वाला देवी चूत पर काबू करते हुए पेटिकोट पहनते हुए बोली,"जी तो करता है कि तुमसे दिन रात चुदवाति रहू,मगर मोहल्ले क़ा मामला है,हम दोनो की इसी मे भलाई है कि अब कपड़े पहन अपने काम संभाले." "म..मगर. मेम साहब.. मेरा तो फिर खड़ा होता जा रहा है.एक बार और दे दो ना हाय." एक टीस सी उठी थी बिरजू के दिल मैं,ज्वाला देवी का कपड़े पहनना उसके लंड के अरमानो पर कहर ढा रहा था.एकाएक ज्वाला देवी तैश मैं आते हुए बोल पड़ी,"अपनी औकात मे आटु अब,चुपचाप कपड़े पहन और खिसक लेयहा सेवरना वो मज़ा चखाउन्गी कि मोहल्ले तक को भूल जाएगा,चल उठ जल्दी."ज्वाला देवी के इस बदलते हुए रूप को देख बिरजू सहम उठा और फटाफट फुर्ती से उठ कर वो कपड़े पहन'ने लगा. एक डर सा उसकी आँखों मे सॉफ दिखाई दे रहा था.कपड़े पहन कर वो आहिस्ता से बोला, "कभी कभी तो दे दिया करोगी मेमसाहब,मैं अब ऐसे ही तड़प्ता रहूँगा?" बिरजू पर कुछ तरस सा आ गया था इस बार ज्वाला देवी को,उसके लंड के मचलते हुए अरमानो और अपनी चूत की ज्वाला को मद्देनज़र रखते हुए वो मुस्कुरा कर बोली,"घबरा मत हफ्ते दो हफ्ते मे मौका देख कर मैं तुझे बुला लिया करूँगी जी भर कर चोद लिया करना, अब तो खुश? वाकई खुशी के मारे बिरजू का दिल बल्लियों उच्छल पड़ा और चुपचाप बाहर निकल कर अपनी साइकल की तरफ बढ़ गया. थोड़ी देर बाद वो वाहा से चल पड़ा था,वो यहा से जातो रहा था मगर ज्वाला देवी की मखमली चूत का ख़याल उस'के ज़हन से जाने का नाम ही नहीं ले रहा था. 'वाह री चुदाई, कोई ना समझा तेरी खुदाई.' सुदर्शन जी सरकारी काम से 1 हफ्ते के लिए मेरठ जा रहे थे, ये बात जब ज्वाला देवी को पता चली तो उसकी खुशी का ठिकाना ही ना रहा.सबसे ज़्यादा खुशी तो उसे इस की थी की पति की ग़ैरहाज़री मैं बिरजू का लंबा वा जानदार लंड उसे मिलने जा रहा था.जैसे ही सुदर्शन जी जाने के लिए निकले, ज्वाला ने बिरजू को बुलवा भेजा और नहा धो कर बिरजू के आने का इंतेज़ार करने लगी. बिरजू के आते ही वो उससे लिपट गयी.उसके कान मैं धीरे से बोली,"राजा आज रात को मेरे यही रूको और मेरी चूत का बाजा जीभर कर बजाना." ज्वाला देवी बिरजू को ले कर अपने बेडरूम मैं घुस गयी और दरवाजा बंद कर'के उस'के लॉड को सह'लाने लगी. लेकिन उस रात ग़ज़ब हो गया, वो हो गया जो नही होना चाहिए था,यानी उन्दोनो के मध्या हुई सारी चुदाई लीला को रंजना ने जी भर कर देखा और उसी समय उसने निश्चय किया कि वो भी अब जल्द ही किसी जवान लंड से अपनी चूत का उद्घाटन ज़रूर करा कर ही रहेगी.हुआ यू था कि उस दिन भी रंजना हमेशा की तरह रात को अपने कमरे मैं पढ़ रही थी, रात 10 बजे तक तो वो पढ़ती रही और फिर थकान और उऊब से तंग आ कर कुच्छ देर हवा खाने और दिमाग़ हल्का करने के इरादे से अपने कमरे से बाहर आ गयी और बरामदे मे चहल कदमी करती हुई टहलने लगी, मगर सर्दी ज़्यादा थी इसलिए वो बरामदे मे ज़्यादा देर तक खड़ी नहीं रह सकी और कुच्छ देर के बाद अपने कमरे की ओर लौटने लगी कि मम्मी के कमरे से सोडे की बॉटल खुलने की आवाज़ उस'के कानो मैं पड़ी. बॉटल खुलने की आवाज़ सुन कर वो ठिठकि और सोचने लगी, "इतनी सर्दी मैं मम्मी सोडे की बॉटल का आख़िर कर क्या रही है?"अजीब सी उत्सुकता उस्केमन मे पैदा हो उठी और उसने बॉट्ल के बारे में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से ज्वाला देवी के कमरे की तरफ कदम बढ़ा दिए.इस समय ज्वाला देवी के कमरे का दरवाज़ा बंद था इसलिए रंजना कुच्छ सोचती हुई इधर उधर देखने लगी और तभी एक तरकीब उसके दिमाग़ मैं आ ही गयी. तरकीब थी पिच्छ'ला दरवाजा, जी हां पिच्छ'ला दरवाजा. रंजना जानती थी कि मम्मी के कम'रे मैं झाँकने के लिए पिच्छ'ले दरवाजे का की होल.वाहा से वो सुदर्शन जी और ज्वाला देवी के बीच चुदाई लीला भी एक दो बार देख चुकी थी. रंजना पिच्छले दरवाजे पर आई और ज्यो ही उसने के होल से अंदर झाँका कि वो बुरी तरह चौंक पड़ी.जो कुछ उसने देखा उस पर कतई विश्वास उसे नही हो रहा था.उसने सिर को झटका दे कर फिर अन्द्रुनि द्रिश्य देखने शुरू कर दिए.इस बार तो उसके शरीर के कुंवारे रोंगटे झंझणा कर खड़े हो गये,जो कुछ उसने अंदर देखा, उसे देख कर उसकी हालत इतनी खराब हो गयी कि काफ़ी देर तक उसके सोचने समझने की शक्ति गायब सी हो गयी. बड़ी मुश्किल से अपने ऊपर काबू करके वो सही स्तिथि मैं आ सकी. रंजना को लाल बल्ब की हल्की रौशनी मैं कमरे का सारा नज़ारा सॉफ सॉफ दिखाई दे रहा था. उसने देखा कि अंदर उंसकी मम्मी ज्वाला देवी और वो रद्दी वाला बिरजू दोनो शराब पी रहे थे. ज़िंदगी मैं पहली बार अपनी मम्मी को रंजना ने शराब की चुस्कियाँ लेते हुए और गैर मर्द से रंगरेलियाँ मनाते हुए देखा था.बिरजू इस समय ज्वाला देवी को अपनी गोद मैं बिठाए हुए था, दोनो एक दूसरे से लिपट चिपते जा रहे थे. क्रमशः........................
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Raddi Wala paart--3
gataank se aage...................
Aaj Birju bhi naha dho kar manjan karke saf suthra ho karaaya tha.Uski chudai icchha,madhosh,badmas aurat ko dekh dekh kar jaroorat se jyaada bhadak uthee.Uski jagah agar koi bhi jawan lund ka malik is samay hota to wo bhi bina chode man ne wala naheen tha,Jwala Devi jaisi allhad wa chuddakkad aurat ko."Nam kya hai re tera?" sisakte hue Jwala Devi ne pochha.Is samay naam-vaam mat poocho biwijee ! Aah aaj apne lund ki sari aag nikal lene de mujhe. aah.. aajaa."Birju lipat lipat kar Jwala Devi ki chochiyo wa gal ki maa chode jaa raha tha.Uski chaudi chati wa majboot hathon main kasi hui Jwala Devi bhi behad sukh anubhav kar rahi thee. Jis berahmi se apne badan ko ragadva ragadva kar wah chudwana chaah rahi thee aaj isi prakar ka mard use chappar faad kar use muft mai hi mil gaya tha.Birju kee half pant main haath Daal kar uska 18 saal ka khunkhaar wa tagadaa lund mutthee main bheench kar Jwala Devi achambhe se bolee, "Hai. hai.. ye lund hai.. Ya ghiya.. kaddu. uff.kyon.re.ab tak kitni ko maza de chuka hai tu apne is kaddu se.." "Hai.mem saahab..Kya poochh liya ... tumne .. Pucchh. puch. ek baar mausee kee lee thee bas.. warna ab tak mutthee maar maar kar apna paani nikaalta aaya hoon.. haann.. Meri ab usee mausee kee larkee par jaroor nazar hai. Use bhi do chaar roz ke andar chod kar hi rahunga.hai teri choot kaisi hai..aah.. Ise to aaj mai khoob chatunga.. hay.. aa. lipat jaa.." Birju ne Jwala Devi ki saree oopar uthaa kar uski taangon mai taange phansa kar jangho se janghe ragadne ka kaam shuru kar diya tha.Apni chikani wa gundaaj janghon par Birju ki baalon waali khurdari wa mardaani jaanghon ke ghasse khaa khaa kar Jwala Devi ki choot ke andar jabardast khalbali mach uthi thi.Jaangh se jangh takar'waane main ajeeb gudgudi wa poora maza bhi use aa raha tha. "Ab mem saahab.. Zara nangi ho jaao to main chudai shuru karoon." Ek haath Jwala Devi ki bhaari gaand par rakh kar Birju bola. "Waahh.. re.. mard..Bada garam hai tu to.mainn.to us din.raddii tulawate tulwate hi tujhe taad.. Gayee.. thee.. re..! ahh. tera. lund... bada.. Maza.dega. aaj ahh.. tu raddii ke paise wapis le jaana.. Pyare. aaj. se saarrii. radii. tujhe.. Muft diyaaa... karunggii meree pyaare ahh chal hat pare zara nangii ho jane de..aah tu bhii pant utar mere sher"Jwala Devi uske gaal se gaal ragadi hui bake ja rahi thee.Apne badan ko chhuda kar palang par hi kadi ho gayi Jwala Devi aur boli, "meri saree ka pallu pakad aur kheench ise."Uska kahna tha ki Birju ne saree ka palla pakad use kheenchna shuru kar diya. Ab Jwala Devi ghoomti jaa rahi thi aur Birju saree kheenchta ja raha tha.Yu lag raha tha mano duryodhan draupadi ka cheer haran kar raha ho.kuch second bad saree uske badan se poori utar gayee to Birju bola, "Lao mai tumhaare petticoat ka naada kholoon.""Pare hato, paraye mardo se kapade nahe utarwati, badmaash kahin ka." Ada se muskuraate hue apne aap hi petticoat ka naada kholte hue wo boli. Uski bat par Birju dheere se hansne laga aur apni pant utarne laga to petticoat ko pakde pakde hi Jwala Devi boli, "Kyo hansta hai tu,sach sach bata, tujhe meri kasam." "Ab mem saahab, aapse chhipaana hi kya hai? Baat Dar asal ye hai ki waise to tum mujhse choot marwan e ja rahi ho aur kapade utarwate hue yu ban rahi ho,jaise kabhi lund ke dedar hi tumne naheen kiye.kasam teri ! ho tum kheli khayee aurat." Hero ki tarah gardan faila kar dialogue sa bol raha tha Birju.Uska jawab deti huee Jwala Devi boli,"Abe chutiye!agar kheli khaayee nahee hoti to tujhe pata kar tere samne choot khol kar thode hi pad jaati. Rahi kapade utarwaane ki baat to ismen ek raaz hai, tu bhi sun'na chaah'ta hai to bol. Wo petticoat ko apni tangon se alag karti hui bole ja rahi thee.Petticoat ke utarte hi choot nangi ho uthee aur Birju pant utar kar khara lund pakad kar us par toot pada. Aur uski choot par zor zor se lund rakh kar wo ghase maarta hua ek choochi ko daba daba kar peene laga. Wo choot ki chata dekh kar aape se baahar ho uthaa tha us'ke lund main tez jhat'ke lagne chaloo hone lage the."arre re itnii jaldii mat kar.ooh re man jaa.""Baat bahut kar'tee ho memsaab, aaahh chod doonga aaj."Poori taaqat se use jakad kar Birju uski koli bhar kar phir choochi peene laga. shaayad choochi peene mai jyada hi luft use aa raha tha.Choot par lund ke yun ghasse padne se Jwala Devi bhi garmaa gayi aur usne lund hath se pakad kar choot ke darwaze par laga kar kaha,"Mar..Lafange maar.kar de sara andar... haay dekhoon kitni jaan hai tere main.. aahh khalee bolta rahta hai chod doonga chod doonga.' chal chod mujhe." "aahh ye le haay phad doongaa."poori taqat laga kar jo Birju ne choot main lund ghusana shuru kiya ki Jwala Devi ki choot mast ho gayee.Uska lund uske pati ke lund se kisee bhee mayne men kam naheen th Jwala Devi yun tadapne lagi jaise aaj hi uski seal todi jaa rahi ho. Apni taangon se Birju ki kamar jakad kar wo gaand bistar par ragadte hue machal kar boli,"Hay uuff phad Dalega tu. ah yyyyun matt karr. teraa.. to do ke barabar hai...nikaall sallle fat gayee uff mar diya." Is bar to Birju ne had hi kar Daali thee. Apne pehalwaani badan ki saari taqat laga kar usne itna damdaar dhakka maara tha ki fucccch ke tez aawaaz Jwala Devi ki choot ke mun'h se nikal uthee thee. Apni balshaali baanhon se lachkeele aur guddedaar jism ko bhi wo poorna taaqat se bheenche hue tha. Gore gaal ko chooste hue badi tezi se jab usne choot mai lund pelna shuru kar diya to ek jabardast maze ne Jwala Devi ko aa ghera.Heavy lund se chudte hue Birju se lipat lipat kar uski nangi kamar sahlate hue Jwala Devi zor zor se siskaariyaan chhodne lagi thee. Choot mai phans phans kar ja rahe lund ne uske maze mai char chaand laga Dale the.Apni bhari gaand ko ucchalte hue tatha jaanghon ko Birju ki khurdaani khaal se ragadte hue wo tabiyat se chud rahi thi.Makhmali aurat ki choot mai lund Daal kar Birju ko apni kismat ka sitara buland hota hua lag raha tha. Oonch neech, jaat pat,gareeb ameer ke saare bhed is mazedar chudai ne khatm kar Dale the."Uff.. Mera.. gaal nahee.. nishhaan par jaayenge.kat Dalla uf.. sirff chodo raddi walle gaal choosne kee liye hain.. mar gaayee,, harami bade zorr see daant gada diye tune to.. uuf chod. man laga kar. sach maza aa raha hai mujhe.."Birju uske machalne ko dekh kar aur jyada bhadak gaya,usne neeche ko munh khiska kar uski choochi par dant gadate hue chudai jari rakkhi aur wo bhi bak bak karne laga,"Kya cheezz hai teri.. Bottle phod doonga. ufff haay main to soch bhi naheen sakta tha ki teri choot mujhe chodne ko milegii.haay ajjj mai zannat mai aa gaya hoo.. le.. le. poora.. Daal doonga.. Hai faad doonga hai le.."Buri tarah choot ko raundne par utar aaya tha Birju. lund ke bhayanak jhat'ke bade maze le le kar Jwala Devi is samay jhel rahi thee. Pratyek dhakke mai wo sisak sisak kar bol rahi thi, "haay sarii kamii poorri kar le .uumm amm uuff tujhe chaar kilo raddii muft doongi. mere raja.. ah haai bana de raddi meri choot ko tu.. haay mar Dall aur maarr sii um oam" Dono ki uthka patki, ragda ragdi ke kaaran bistar par bichee chadar ki aisi taisi huee jaa rahi thee.Ek mamuli kabadi ka danda,amir wa gaddedar Jwala Devi ki handi main phans-phans kar jaa raha tha.Chand lamho ke andar hi uski choot ko chod kar rakh diya tha Birju ne. jaandaar lund se choot ka baaja bajwaane main swargiy anad Jwala loot loot kar behal hui ja rahi thee.Choot ki aag ne Jwala Devi ki sharmo haya, patiwrat dharm sabhi baton se door karke chudai ke maidaan main laa kar khara kar Daala tha.lund ka pani choot main baraswane ki wo ji jaan ki bazi lagaane par utar aayee thee.Is samay bhool gayi thee Jwala Devi ki wo ek jawaan larki ki maa hai, bhool gayee thee wo ki ek izzatdar pati ki patni bhi hai.Use yad tha to sirf ek cheez ka nam aur wo cheez thi Birju ka mota taqatwar aur choot ki nas nas tor dene wala shandar lund.Isi lund ne uskerom rom ko jhankrit kar'ke rakh diya tha.lund tha ki jhadne kaa naam hi naheen le raha tha. Eka ek Birju ne jo atyant zoro se choot main lund ka aawaagaman prarambh kiya to maare masti ke Jwala Devi uth uth kar sisak uthi."aah rrii waah amm mar maar ssii"Tabhi uski ek chochi ki ghundi munh mai bhar kar supade tak lund bahar khinch jo ek jhatke se Birju ne dhakka maara ki seedha attack bachchedani par jaa kar hua."aii ohh phad Daalii oh uf aah rii marii ssiii aaii fatti wakkkaii mota hai.uf phansa aah ooh maza zor se aur zor se shabbaass raddii waale." Is baar Birju ko Jwala Devi par bahut gussa aaya.Apne apko raddi wala kehalwaana use kuch jyada hi bura laga tha.Zor se uski gand par apne hatho ke panje gada kar dhakke marta hua wo bhi badbadane laga,"teri bahan ko chodu,chudakkad lugayi aahh.sali chudwa rahi hai mujhse, khasam ki kami poori kar raha hoon main aahh aur.aahh sallii kah rahi hai raddi waalaa, teri choot ko raddi na bana doon, to kabadi ki aulaad naheen,ah hai shandar choot kha jaaungaa phad donga le le aur chud aaj"Birju ne in khoonkhar dhakko ne to had hi kar Daali thee. Choot ki nas nas hila kar rakh di thi lund ki choto ne.Jwala Devi paseene mai naha uthee aur bahut zoro se apni gaand uchhaal uchhal kar tatha Birju ki kas kar koli bhar kar wo use aur jyada zosh mai laane ke liye sisiya uthee,"ahh rii aisse hiii haan haan aise hi merri choot phad dalloo raajjjaa.maaf kar do abbbbbb kabhhii tumhe raddii waallaa naheen kahungi. chodo ee uum chodo.." Is baat ko sun kar Birju khushi se phool uthaa tha uski taqat char guni baDh kar lund mai ikatthhi ho gayi thee. Drut gati se choot ka kabada banaane par wo tul uthaa tha.uske har dhakke par Jwala Devi zor zor se sisakti hui gaand ko hilaa hilaa kar lund ke maze hasil kar rahi thee.Muqabala zoro par zaari tha. Buri tarah Birju se chipati huee Jwala Devi barabar badbadaaye jaa rahi thee, "ahh ye maarraa maar dalaa. waah aur jamake uf hadd kar dii off maar Daallo mujjhe.."Aur jabardast khunkhar dhakke marta hua Birju bhi uske galon ko peete peete sisikiya bhar raha tha,"Waahh merri aurat aahh hay makhkhan choot hai teri to..le..chod donga..le.Aahh."Aur isi tabadtod chudai ke beech dono ek dusre ko jakad kar jhad'ne lage the,Jwala Devi lund ka pani choot main girwa kar behad trip'tee mah'soos kar rahi thi.Birju bhi antim boond lund ki nikal kar uske oopar pada huaa kutte ki tarah haanf raha tha. lund wa choot ponchh kar dono ne jab ek doosre ki taraf dekha to phir unki chudai ki icchha bhadak uthee thee,magar Jwala Devi choot par kaabu karte hue petticoat pehante hue boli,"Ji to karta hai ki tumse din raat chudwati rahoo,magar mohalle kaa mamala hai,ham dono ki isi mai bhalai hai ki ab kapade pahan apne kaam sambhale." "M..magar. Mem saahab.. mera to phir khara hota jaa raha hai.ek baar aur de do na haay." ek tees si uthee thee Birju ke dil main,Jwala Devi ka kapde pehnana uske lund ke armaano par kahar dha raha tha.Ekaek Jwala Devi taish main aate hue bol paree,"Apni aukaat mai aatu ab,chupchap kapde pahan aur khisak leyaha sewarna wo maza chakhaungi ki mohalle tak ko bhool jayega,chal uth jaldi."Jwala Devi ke is badalte hue roop ko dekh Birju saham utha aur fatafat furti se uth kar wo kapde pahan'ne laga. Ek Dar sa uski ankhon mai saaf dikhayee de raha tha.Kapde pahan kar wo ahista se bola, "Kabhi kabhi to de diya karogi memsahab,main ab aise hi tadapta rahunga?" Birju par kuch taras sa aa gaya tha is baar Jwala Devi ko,uske lund ke machalte hue armaano aur apni choot ki jwalaa ko maddenazar rakhte hue wo muskura kar boli,"Ghabra mat hafte do hafte mai mauka dekh kar mai tujhe bula liya karungi ji bhar kar chod liya karna, ab to khush? Wakai khushi ke mare Birju ka dil balliyon uchhal pada aur chupchaap bahar nikal kar apni cycle ki taraf baDh gaya. Thodi der bad wo waha se chal pada tha,wo yaha se jato raha tha magar Jwala Devi ki makhkhan choot ka khayaal us'ke zehan se jaane ka naam hi naheen le raha tha. 'Waah ri chudai, koi na samjha teri khudai.' Sudarshan jee sarkaari kaam se 1 hafte ke liye Merrut jaa rahe the, ye bat jab Jwala Devi ko pata chali to uski khushi ka thikana hi na raha.Sabse jyada khushi to use is ki thee ki pati ki gairhaazri main Birju ka lamba wa jandar lund use milne ja raha tha.Jaise hi Sudarshan jee jane ke liye nikle, Jwala ne Birju ko bulwa bheja aur naha dho kar Birju ke aane ka intezar karne lagi. Birju ke aate hi wo usse lipat gayee.uske kaan main dheere se boli,"Raja aaj raat ko mere yahi ruko aur meri choot ka baja jeebhar karbajana." Jwala Devi Birju ko le kar apne bedroom main ghus gayee aur darwaaja band kar'ke us'ke laude ko sah'laane lagi. Lekin us raat gazab ho gaya, wo ho gaya jo nahi hona chahiye tha,yani undono ke Madhya hui sari chudai lela ko Ranjna ne ji bhar kar dekha aur usi par nishchay kiya ki wo bhi ab jald hi kisi jawan lund se apni choot ka udghatan jaroor kara kar hi rahegi.Hua yu tha ki us din bhi Ranjna hamesha ki tarah raat ko apne kamre main padh rahi thee, raat 10 baje tak to wo padhti rahi aur phir thakaan aur uub se tang aa kar kuchh der hawa khaane aur dimaag halka karne ke iraade se apne kamre se bahar aa gayee aur baramde mai chehal kadmi karti huee tahalne lagi, magar sardi jyada thi isliye wo baramde mai jyada der tak khari naheen rah saki aur kuchh der ke baad apne kamre ki aur lautne lagi ki mummy ke kamre se sode ki bottle khulne ki aawaaz us'ke kaano main paree. Bottle khulne ki aawaz sun kar wo thithki aur sochne lagi, "Itni sardi main mummy sode ki bottle ka akhir kar kya rahi hai?"Ajeeb si utsukta uskeman mai paida ho uthee aur usne botlle ke baare men jaankaari praapt karne ke uddeshya se Jwala Devi ke kamre ki taraf kadam badha diye.Is samay Jwala Devi ke kamre ka darwaza band tha isliye Ranjna kuchh sochti huee idhar udhar dekhne lagi aur tabhi ek tarkeeb uske dimaag main aa hi gayee. Tarkeeb thee pichh'la darwaaja, ji haan pichh'la darwaja. Ranjna jaanti thee ki mummy ke kam're main jhaankne ke liye pichh'le darwaaje ka key hole.waha se wo Sudarshan ji aur Jwala Devi ke beech chudai leela bhi ek do bar dekh chuki thi. Ranjna pichhle darwaje par aayi aur jyo hi usne key hole se andar jhanka ki wo buri tarah chaunk paree.Jo kuch usne dekha us par katai vishwas use nahee ho raha tha.Usne sir ko jhatka de kar phir andruni drishya dekhne shuru kar diye.Is bar to uske shareer kekunware rongte jhanjhana kar khare ho gaye,jo kuch usne andar dekha, use dekh kar uski haalat itni kharaab ho gayee ki kaafi der tak uske sochne samajhne ki shakti gaayab si ho gayee. Badi mushkil se apne oopar kaabu karke wo sahi stithi main aa saki. Ranjna ko laal bulb ki halki raushni main kamre ka saara nazaraa saaf saaf dikhayee de raha tha. Usne dekha ki andar unski mummy Jwala Devi aur wo raddi waal Birju dono sharaab pi rahe the. Zindagi main pahalee baar apni mummy ko Ranjna ne sharab ki chuskiyaan lete hue aur gair mard se rangreliyan manate hue dekha tha.Birju is samay Jwala Devi ko apni god main bithaaye hue tha, dono ek doosre se lipat chipat jaa rahe the. kramshah...........................................................
































































































































































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