raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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मर्दों की दुनिया पार्ट--2
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
मज़दूरों को ये बात पसंद नही थी, इसलिए हमारा धांडे मे बहोत नुकसान भी हुआ कारण दादाजी सिर्फ़ दुल्हन को ही नही बल्कि उनके परिवार की हर कुँवारी कन्या को चोद देते थे. जब भी वो खेतों मे जाते तो मज़दूर अपने घर की कुँवारी लड़कियों को छुपा देते., अगर उन्हे शक़ हो जाता तो अपने मुलाज़िमो से उनके घर की तलाशी लेते और उस मज़दूर को मार मार कर उसकी चॅम्डी उधेड़ देते. "फिर ये मज़दूर उन्हे छोड़ कर क्यों नही चले गये?" अनु ने पूछा. "कुछ छोड़ कर चले गये... लेकिन ज़्यादा तर वहीं रुक गये, कारण एक तो उस जमाने मे नौकरियाँ मिलती कहाँ थी, दूसरी बात कि उन्हे पगार इतनी ज़्यादा मिलती थी कि वो छोड़ कर जा ही नही सकते थे. "तुम्हारा कहना का मतलब है कि ये परंपरा अब भी तुम्हारे परिवार मे चली आ रही है." मेने पूछा. "हां चली तो आ रही है, लेकिन अब किसी के साथ ज़बरदस्ती नही की जाती. जब पापा ने दादाजी की जगह ली तो मम्मी ने इस प्रथा को बदल दिया. मम्मी ने पापा को समझाया कि गाओं की दुल्हन को चोदने का हक सिर्फ़ उसके पति का है, उसे ही कुँवारी चूत को चोदने का मौका मिलना चाहिए. इस बात ने मज़दूरों को खुश कर दिया और सब मन लगाकर काम करते है जिससे हमारा धंधा भी काफ़ी बढ़ गया." सुमित ने कहा. मुझे लगा कि बात का विषय एक अंजाने ख़तरे की ओर बढ़ रहा है तो में बात को बदलते हुए कहा, मम्मीजी सही मे बहोत अच्छी है.. कितना प्यार और अपनत्वपन है उनकी बातों मे." "उनके चेहरे पर मत जाना." अमित ने कहा, तुमने कभी उन्हे गुस्सा करते हुए नही देखा, गुस्से मे वो पूरी चंडिका बन जाती है." अमित ने कहा. "में विश्वास नही करती.... मम्मी और चंडिका हो ही नही सकता." मेने कहा. "तुम कभी उमा से मिली हो?" सुमित ने पूछा. "तुम्हारा मतलब है मम्मीजी की पर्शनल नौकरानी जिसके कान पर घाव है?" अनु ने पूछा. "हां वही उमा पर वो उस घाव के साथ पैदा नही हुई थी, ये सब मम्मी की मेहरबानी है." अमित ने कहा. "तुम्हारा कहने का मतलब है कि वो घाव उसे मम्मी ने दिया है...नही में नही मान सकती वो ऐसा कर ही नही सकती." मैने अपनी सास का पक्ष लेते हुए कहा. "अमित इन्हे बताओ कि क्या हुआ था तभी इन्हे विश्वास आएगा हमारी बातों का." सुमित ने अपने भाई से कहा. ये वो कहाँ है जो हमे अमित ने बताई. जिस दिन चाचू ने मोना की मा मीना को चोदा था उसके ठीक तीन महीने बाद की बात है. उमा की उम्र 18 साल थी जब मम्मी ने उसे नौकरानी रखा था. वो मीना जितनी सुन्दर तो नही थी लेकिन उसका बदन बहोत ही आकर्षक था. चाचू को वो पसंद आ गयी थी और वो उसे चोदना चाहते थे. जब भी वो कमरे मे होती थी तो चाचू की नज़र उसपर से हटती ही नही थी, ये बात एक दिन मम्मी ने देख ली. "देवर्जी लगता है कि आपको हमारी उमा पसंद आ गयी है?" मम्मी ने कहा. "हां भाभी, उमा मुझे बहोत अछी लगती है." चाचू ने जवाब दिया. "तो फिर क्या बात है, चोद दे हरमज़ाडी को." मम्मी ने कहा. "भाभी में भी उसे चोदना चाहता हूँ, मेने कई बार उसे रात को मेरे कमरे मे आने के लिए कहा लेकिन वो मानती ही नही" चाचू ने शिकायत करते हुए कहा. "चिंता मत करो, में उससे कहूँगी कि आज कि रात वो तुम्हारे कमरे मे जाए." मम्मी ने चाचू से वादा कर दिया. दूसरे दिन मम्मी चाचू को नाश्ते की टेबल पर देखकर चौंक पड़ी, "देवर्जी आप इतनी सुबह यहाँ क्या कर रहे है? क्या उमा की कोरी चूत पसंद नही आई? मम्मी ने पूछा. "भाभी आप भी ना.... कौन सी चूत?" चाचू ने नाराज़गी भरे स्वर मे कहा. "तुम्हारा कहने का मतलब है कि उमा रात को तुम्हारे कमरे मे नही आई, मेरे आदेश देने के बावजूद नही आई? मम्मी ने गुस्से मे चाचू से पूछा. चाचू ने हां मे गर्दन हिला दी. "चिंता मत करो... तुम आज ही उसकी कुँवारी चूत चोदोगे.. ये तुम्हारी भाभी का वादा है." जब मैं अमित और सोना नाश्ते की टेबल पर पहुँचे तो देखा कि मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था. थोड़ी देर बाद पापा भी आ गये. उस दिन खाने के टेबल पर किसी ने भी बात नही की थी सब मम्मी का गुस्सा भरा चेहरा देख डरे हुए थे. करीब आधे घंटे बाद मम्मी गुस्से मे चिल्ला उठी, "शेरा इस घर मे अगर कोई हमारा कहना ना माने तो उसे क्या सज़ा मिलती है?" "अगर कोई नौकर ऐसा करे तो उसे सख़्त सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए." पापा ने नाश्ता करते हुए कहा. "में चाहती हूँ कि आप मेरी नौकरानी उमा को सज़ा दें, उसने मेरा हुक्म मानने से इनकार किया है." मम्मी ने पापा से कहा. "में तो कहूँगा की तुम उसे सज़ा दो कारण उसने तुम्हारा हुक्म नही माना है." पापा ने जवाब दिया. "हां में ही उसे कड़ी सज़ा दूँगी," कहकर मम्मी नाश्ते की टेबल से खड़ी हो गयी, "बच्चो जल्दी से अपना नाश्ता ख़तम करो और अपने कमरे मे जाओ, और वहीं रहना जब तक कि तुम्हे बुलाया नही जाए." मम्मी ने गुस्से मे हम तीनो से कहा. मम्मी का गुस्सा देख हम तीनो जल्दी जल्दी अपना नाश्ता ख़तम करने लगे. सोना तो एक अछी बच्ची की तरह तुरंत अपने कमरे मे चली गयी, लेकिन सुमित ने मुझे रोक लिया, "अमित लगता है कि कुछ ख़ास होने वाला है, क्यों ना हम चुप चाप देंखे कि मम्मी क्या करती है." हम दोनो चलते हुए एक खुल खिड़की के पास छुप गये और इंतेज़ार करने लगे. मम्मी ने दूसरे नौकर शामऊ को बुलाया जो हमे नाश्ता करा रहा था और उससे बोली, "शामऊ जाकर उमा को यहाँ इस कमरे मे ले आओ, और उसे इस कमरे से तब तक जाने ना देना जब तक में ना कहूँ." थोड़ी देर बाद शामऊ उमा को पकड़े हुए कमरे मे आया. उमा डाइनिंग टेबल की ओर मुँह किए खड़ी हो गयी. "उमा मेने तुमसे देवर्जी के कमरे मे जाने के लिए कहा था क्या तुम वहाँ गयी थी?" मुम्मय्ने पूछा. उमा इतनी डरी हुई थी की उसने कोई जवाब नही दिया सिर्फ़ अपने पैरों को घूरती रही. "उमा में तुमसे बात कर रही हूँ, मुझे जवाब चाहिए?" मम्मी ने धीरे से कहा. उमा ने बिना उपर देखे अपनी गर्दन ना मे हिला दी. "मेने सुना नही, मुँह खोल कर जवाब दो?मम्मी ने उँची आवाज़ मे कहा. उमा ने बड़ी मुश्किल से डरते हुए कहा, "नही मालकिन" "तो तुमने जान बूझ कर मेरा आदेश नही माना." मम्मी उसके पास आते हुए बोली. फिर मम्मी उसके चारों और घूम घूम कर उसे देखती रही, "अब में समझी कि देवर्जी तुम्हे क्यों पसंद करते है." "उमा अपने कपड़े उतारो? मम्मी ने आदेश दिया, लेकिन उमा अपनी जगह से हिली भी नही. उसका चेहरा शरम से लाल हो गया था. "सुना नही अपने कपड़े उतारो?" मम्मी ने फिर से कहा. उमा ने चारों तरफ कमरे मे निगाह दौड़ाई कि शायद कोई उसे इस मुसीबत से बचा ले लेकिन उसे बचाने वाला कोई नही था वहाँ. "शामऊ इसके कपड़े उतार दो?" मम्मी ने शामऊ से कहा. शामऊ उमा की तरफ बढ़ा तो शारदा घबराई हुई नज़रों से शामऊ को देखने लगी, फिर आँखो मे आँसू लिए वो अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी. मम्मी ने उमा को कपड़े उत्तारते देखा तो शामऊ से कहा, "शामऊ रुक जाओ. थोड़ी ही देर मे उमा कमरे मे नंगी खड़ी थी, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे. आज हम पहली बार किसी लड़की को नंगी देख रहे थे, "अमित उसकी जाँघो के बीच उगे हुए बालों को देखो कैसे दिख रहे है," सुमित ने कहा. "हां सुमित लेकिन उसके नूनी तो है ही नही वो पेशाब कैसे करती होगी?" मेने कहा. "ष्ह्ह्ह चुप कोई हमे सुन लेगा, हम इस बात पर बाद मे बात करेंगे," सुमित ने मुझे चुप करते हुए कहा. हमने देखा कि मम्मी उसकी ओर बढ़ रही थी. "बहोत अच्छा बहोत आछा, तभी तो देवर्जी को इतनी पसंद हो." मम्मी उसे घूरते हुए बोली. फिर मम्मी ने अपनी उंगली उसकी टाँगो के बीच रख कर कहा, "तो तूने इस चूत को चुदाई से बचाने के लिए मेरा हुकुम नही माना, क्या तेरी चूत अभी तक कोरी है?" मम्मी की बात सुनकर उमा शर्मा गयी लेकिन बोली कुछ नही. "हरमज़ड़ी जवाब दे." मम्मी ने उसके निपल को जोरों से भींचते हुए कहा. "हां" उमा धीरे से बोली. "शाबाश" इतना कह कर मम्मी वापस अपनी कुर्सी की ओर बढ़ गयी. एक बार कुर्सी पर बैठने के बाद मम्मी ने कहा, "देवर्जी आप इस हरामज़ादी को चोदना चाहते थे ना? ये तय्यार है, चोद दो इसे" मम्मी की बात सुनकर चाचू चौंक पड़े... "याआहां.... आपके सामने?" "हां इस हरामज़ादी की चूत हमारे सामने फाड़ दो. अगर ये चोदने ना दे तो इसे खूब मारना." मम्मी ने कहा. चाचू ने धीरे से अपनी पॅंट और अंडरवेर उतार दी और सिर्फ़ शर्ट पहने उमा की ओर बढ़ने लगे. उनका खड़ा लंड आसमान को सलामी दे रहा था. चाचू ने उमा को अपनी बाहों मे भर लिया और उसे चूमने लगे और उसकी चुचियों को मसल्ने लगे. उमा कोई भी विरोध नही कर रही थी, वो चाचू को अपनी मन मानी करने दे रही थी. उसे पता था कि विरोध कर कुछ होने वाला नही है, थोड़ी ही देर मे चाचू का लंड उसके कौमार्य को भंग कर देने वाला है. "उमा क्या अब तू देवर्जी से चुदवाने के लिए तय्यार है?" मम्मी ने पूछा. "हां मालिकिन." उमा ने जवाब दिया. ज़रा एक मिनिट." अनु ने अमित को बीच मे टोका, "उस दिन तुम दोनो की उम्र क्या थी?" "हमारी यही कोई सात साल की" अमित ने जवाब दिया. "तो तुम ये कहना चाहते हो कि उस दिन जो कुछ हो रहा था वो सब तुम दोनो की समझ मे आ रहा था" अनु ने चौंकते हुए पूछा. "बिल्कुल भी नही..... " अमित ने कहा, "हमे तो ठीक से सुनाई भी नही दे रहा था कि वो लोग क्या कह रहे हैं, हम तो सिर्फ़ इसलिए देख रहे थे क्यों कि मम्मी नही चाहती थी कि हम वो सब देखें." "फिर तुम्हे कैसे पता कि वहाँ उन्होने क्या क्या कहा था?" मेने पूछा. "ओह्ह्ह वो सब... वो तो जब हम बड़े हो गये तो हमने चाचू से पूछा था," अमित ने कहा. "ठीक है, अब बताओ कि आगे क्या हुआ था?" अनु ने पूछा. mardon ki duniya paart--2 Mazdooron ko ye baat pasand nahi thi, isliye hamara dhande me bahot nuksaan bhi hua karan dadaji sirf dulhan ko hi nahi balki unke parivar ki har kunwari kanya ko chod dete the. Jab bhi wo kheton me jaate to mazdoor apne ghar ki kunwari ladkiyon ko chupa dete., agar unhe shaq ho jata to apne mulaazimo se unke ghar ki talashi lete aur us mazdoor ko mar mar kar uski chamdi udhed dete. "Phir ye mazdoor unhe chod kar kyon nahi chale gaye?" Anu ne pucha. "Kuch chod kar chale gaye... lekin jyada tar wahin ruk gaye, karan ek to us jamane me naukriyan milti kahan thi, doosri baat ki unhe pagar itni jyada milti thi ki wo chod kar jaa hi nahi sakte the. "Tumhara kehna ka matlab hai ki ye parampara ab bhi tumhare parivar me chali aa rahi hai." meine pucha. "Haan chali to aa rahi hai, lekin ab kisi ke sath jabardasti nahi ki jaati. Jab papa ne dadaji ki jagah lee to mummy ne is pratha ko badal diya. Mummy ne papa ko samjhaya ki gaon ki dulhan ko chodne ka huq sirf uske pati ka hai, use hi kunwari choot ko chodne ka mauka milna chahiye. Is baat ne mazdooron ko khush kar diya aur sab man lagakar kaam karte hai jisse hamara dhanda bhi kafi badh gaya." Sumit ne kaha. Mujhe laga ki baat ka vishay ek anjane khatre ki aur badh raha hai to mein baat ko badalte hue kaha, mummyji sahi me bahot acchi hai.. kitna pyaar aur apnatvapan hai unki baaton me." "Unke chehre par mat jana." Amit ne kaha, tumne kabhi unhe gussa karte hue nahi dekha, gusse me wo puri chandika ban jaati hai." Amit ne kaha. "Mein vishwaas nahi karti.... mummy aur chandika ho hi nahi sakta." meine kaha. "Tum kabhi Uma se mili ho?" Sumit ne pucha. "Tumhara matlab hai mummyji ki paersonal naukrani jiske kaan par ghav hai?" Anu ne pucha. "Haan wahi Uma par wo us ghav ke sath paida nahi hui thi, ye sab mummy ki meharbani hai." Amit ne kaha. "Tumhara kehne ka matlab hai ki wo ghav use mummy ne diya hai...nahi mein nahi man sakti wo aisa kar hi nahi sakti." miene apni saas ka paksh lete hue kaha. "Amit inhe batao ki kya hua tha tabhi inhe vishwaas aayega hamari baaton ka." Sumit ne apne bhai se kaha. Ye wo kahan hai jo hame Amit ne batayi. Jis din chachu ne Mona ki maa Mina ko choda tha uske thik teen mahine baad ki baat hai. Uma ki umra 18 saal thi jab mummy ne use naukarani rakha tha. Wo Mina jitni sunder to nahi thi lekin uska badan bahot hi akarshit tha. Chachu ko wo pasand aa gayi thi aur wo use chodna chahte the. Jab bhi wo kamre me hoti thi to chachu ki nazar uspar se hatti hi nahi thi, ye baat ek din mummy ne dekh li. "Dewarji lagta hai ki aapko hamari Uma pasand aa gayi hai?" Mummy ne kaha. "Haan bhabhi, Uma mujhe bahot achi lagti hai." Chachu ne jawab diya. "To phir kya baat hai, chod de haramzaadi ko." mummy ne kaha. "Bhabhi mein bhi use chodna chahta hun, meine kai bar use raat ko mere kamre me aane ke liye kaha lekin wo manti hi nahi" Chachu ne shikayat karte hue kaha. "Chinta mat karo, mein usse kahungi ki aj ki raat wo tumhare kamre me jaye." Mummy ne chachu se vada kar diya. Doosre din mummy chachu ko nashte ki table par dekhkar chaunk padi, "Dewarji aap itni subah yahan kya kar rahe hai? kya Uma ki kori choot pasand nahi aayi? Mummy ne pucha. "Bhaabhi aap bhi naa.... kaun si choot?" Chachu ne naraazgi bhare swar me kaha. "Tumhara kehne ka matlab hai ki Uma raat ko tumhare kamre me nahi aayi, mere aadesh dene ke bawjood nahi aayi? mummy ne gusse me chachu se pucha. Chachu ne haan me gardan hila di. "Chinta mat karo... tum aaj hi uski kunwari choot chodoge.. ye tumhari bhabhi ka vada hai." Jab mein Amit aur Sona naashte ki table par pahunche to dekha ki mummy ka chehra gusse se laal ho raha tha. Thodi der baad papa bhi aa gaye. Us din khane ke table par kisi ne bhi baat nahi ki thi sab mummy ka gussa bhara chehra dekh dare hue the. Kareeb aadhe ghante baad mummy gusse me chilla uthi, "Shera is ghar me agar koi hamara kehna na mane to use kya saza milti hai?" "Agar koi naukar aisa kare to use sakht sakht sazaa milni chahiye." Papa ne naashta karte hue kaha. "Mein chahti hun ki aap meri naukarani Uma ko saza den, usne mera hukm manne se inkaar kiya hai." Mummy ne papa se kaha. "Mein to kahunga ki tum use saza do karan usne tumhara hukm nahi mana hai." Papa ne jawab diya. "Haan mein hi use kadi saza doongi," kehkar mummy nashte ki table se khadi ho gayi, "bacchon jaldi se apna nashta khatam karo aur apne kamre me jao, aur wahin rehna jab tak ki tumhe bulaya nahi jaye." mummy ne gusse me hum teeno se kaha. Mummy ka gussa dekh hum teeno jaldi jaldi apna naashta khatam karne lage. Sona to ek achi bachi ki tarah turant apne kamre me chali gayi, lekin Sumit ne mujhe rok liya, "Amit lagta hai ki kuch khaas hone wala hai, kyon na hum chup chap ekhen ki mummy kya karti hai." Hum dono chalte hue ek khuil khidki ke paas chup gaye aur intezar karne lage. Mummy ne doosre naukar Shamu ko bulaya jo hame naashta kara raha tha aur usse boli, "Shamu jaakar Uma ko yahan is kamre me le aao, aur use is kamre se tab tak jaane na dena jab tak mein na kahun." Thodi der baad Shamu Uma ko pakde hue kamre me aaya. Uma dining table ki aur munh kiye khadi ho gayi. "Uma meine tumse dewarji ke kamre me jaane ke liye kaha tha kya tum wahan gayi thi?" mummyne pucha. Uma itni dari hui thi ki usne koi jawab nahi diya sirf apne pairon ko ghoorti rahi. "Uma mein tumse baat kar rahi hun, mujhe jawab chahiye?" mummy ne dheere se kaha. Uma ne bina upar dekhe apni gardan naa me hila di. "Meine suna nahi, munh khol kar jawab do?mummy ne unchi awaaz me kaha. Uma ne badi mushkil se darte hue kaha, "nahi malkin" "To tumne jaan boojh kar mera aadesh nahi mana." mummy uske paas aate hue boli. phir mummy uske charon aur ghoom ghoom kar use dekhti rahi, "ab mein samjhi ki dewarji tumhe kyon pasand karte hai." "Uma apne kapde uttaro? mummy ne aadesh diya, lekin Uma apni jagah se hili bhi nahi. Uska chehra sharam se laal ho gaya tha. "Suna nahi apne kapde uttaro?" mummy ne phir se kaha. Uma ne charon taraf kamre me nigah bachai ki shayad koi use is musibat se bacha le lekin use bachane wala koi nahi tha wahan. "Shamu iske kapde uttar do?" mummy ne Shamu se kaha. Shamu Uma ki taraf badha to sharda ghabrayi hui nazron se Shamu ko dekhne lagi, phir aanhon me aansu liye wo apbe blouse ke button kholne lagi. Mummy ne Uma ko kapde uttarte dekha to Shamu se kaha, "Shamu ruk jao. Thodi hi der me Uma kamre me nangi khadi thi, uski aankhon se aansu beh rahe the. Aan hum pehli bar kisi ladki ko nangi dekh rahe the, "Amit uski jabnghon ke beech uge hue baalon ko dekho kaise dikh rahe hai," Sumit ne kaha. "Haan Sumit lekin uske pepeee to hai hi nahi wo peshab kaise karti hogi?" meine kaha. "Shhhh chp koi hame sun lega, hum is baat par bad me baat karenge," Sumit ne mujhe chup karate hue kaha. Humne dekha ki mummy uski aur badh rahi thi. "bahot accha bahot aacha, tabhi to dewarji o itni pasand ho." mummy use ghoorte hue boli. Phie mummy ne apni ungli uski tango ke beech rakh kar kaha, "To tune is choot ko chudai se bachane ke liye mera hukum nahi mana, kya teri choot abhi tak kori hai?" Mummy ki baat sunkar Uma sharma gayi lekin boli kuch nahi. "Haramzadi jawab de." mummy ne uske nipple ko joron se bheenchte hue kaha. "Haan" Uma dheere se boli. "Shabash" itna keh kar mummy wapas apni kursi ki aur badh gayi. Ek bar kursi par baithne ke baad mummy ne kaha, "Dewarji aap is haramszaadi ko chodna chahte the na? ye tayyar hai, chod do ise" Mummy ki baat sunkar chachu chaunk pade... "yaaahan.... aapke saamne?" "Haan is haramzaadi ki choot hamare saamne phaad do. Agar ye chodne na de to ise khoob marna." mummy ne kaha. Chachu ne dheere se apni pant aur underwear uttar di aur sirf shirt pehne Uma ki aur badhne lage. Unka khada lund aasman ko salami de raha tha. Chahu ne Uma ko apni bahon me bhar liya aur use choomne lage aur uski chuchiyon ko masalne lage. Uma koi bhi virodh nahi kar rahi thi, wo chachu ko apni man maani karne de rahi thi. Use pata tha ki virodh kar kuch hone wala nahi hai, thodi hi der me chachu ka lund uske kaurmaya ko bhang kar dene wala hai. "Uma kya ab tu dewarji se chudwane ke liye tayyar hai?" mummy ne pucha. "Haan maalikin." Uma ne jawab diya. Jara ek minute." Anu ne Amit ko beech me toka, "Us din tum dono ki umra kya thi?" "Hamari yahi koi saat saal ki" Amit ne jawab diya. "To tum ye kehna chahte ho ki us din jo kuch ho raha tha wo sab tum dono ki samajh me aa raha tha" Anu ne chaunkte hue pucha. "Bilkul bhi nahi..... " Amit ne kaha, "hame to thik se sunai bhi nahi de raha tha ki wo log kya keh rahe hain, hum to sirf isliye dekh rahe the kyon ki mummy nahi chahti thi ki hum wo sab dekhen." "Phir tumhe kaise paa ki wahan unhone kya kya kaha tha?" meine pucha. "Ohhh wo sab... wo to jab hum bade ho gaye to hamne chachu se pucha tha," Amit ne kaha. "Thik hai, ab batao ki aage kya hua tha?" Anu ne pucha
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