गतांक से आगे ..............................
छोटी सी भूल --5
वो बोला, मैं आगे होने दू तब ना ऐसा करोगे तुम दोनो.
तुम्हे अभी मेरे साथ डॉक्टर संजय के क्लिनिक चलना है.
बिल्लू बोला, बापू ऐसा मत करो इसका पति इसे घर से निकाल देगा.
वो बड़ी बेशर्मी से बोला, तो अछा होगा इसे तू रख लेना. वैसे भी तू इसका दीवाना है, इशके साथ रह कर अपना मूह काला करना.
मैं सोच रही थी कि हे भगवान मुझे ये क्या, क्या सुनना पड़ रहा है.
बिल्लू आगे कुछ नही बोला.
उसका बापू मेरी तरफ मुड़ा और बोला, तू बता तेरे पति से कब बात करू.
बिल्लू फिर से बोला, बापू जाने दो ना. इसका घर उजड़ जाएगा.
वो बोला, घर तो उशी दिन उजड़ गया था जिश दिन इसने ऐसा काम किया था.
मैने फॉरन कहा, मुझे बिल्लू ने बहकाया था मेरी कोई ग़लती नही.
बिल्लू बोला, अरे वाह, मैने भड़काया था. तेरी मर्ज़ी के बिना नही डाला था मैने.
उसका बापू बोला, चुप करो तुम दोनो.
उसने फिर से मुझसे पूछा कि बता कब मिलू तेरे पति से मैं.
मैने कहा, प्लीज़ ऐसा कुछ मत कीजिए. मैं अब बिल्लू से नही मिलती, हमारे बीच अब कुछ नही है.
पर वो हसने लगा, और बोला, झूठ बोलती है, मुझे यकीन है कि तुम दोनो यहा आने से पहले कुछ कर के आए होंगे.
मैं ज़ोर से बोली, ऐसा कुछ नही है.
तू चाहे कुछ कहे, मैं तेरे पति से मिल कर रहूँगा. अगर उसे अभी नही बताया तो तू फिर से किसी और लड़के की जींदगी बर्बाद करेगी. बिल्लू को तो तूने निक्कमा बना ही दिया है.
बिल्लू बोला, बापू तुम भी कर लो ना ?
मैने चोंक कर उसकी और देखा, तो उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया.
उसका बापू ज़ोर से बोला, दफ़ा हो जाओ यहा से, और बिल्लू को वाहा से भगा दिया.
मैं और भी ज़्यादा घबरा गयी.
अब मैं वाहा अकेली थी.
वो बोला, ऐसा तुम लोग सोच भी कैसे सकते हो. मैं डॉक्टर साहेब की पूजा करता हू. छी….छी
वो बोला, क्या तुम अपने पति से खुस नही हो.
मैने कहा, खुस हू.
वो बोला, फिर ये सब क्यो किया ?
मैने कुछ नही कहा.
वो बोला, मैं आज तेरे घर आ रहा हू. तुम अब जाओ यहा से.
मैं घबरा गयी और बोली की प्लीज़ मुझे माफ़ करदो अब मेरे और बिल्लू के बीच कुछ नही है.
अचानक मेरी नज़र उसकी पॅंट पर गयी. मैने जो देखा उसे देख कर मैं हैरान रह गयी. उसका लिंग पॅंट के अंदर तना हुवा था.
मैने एक पल भी वाहा रुकना ठीक नही समझा और फॉरन बाहर आ गयी.
बिल्लू बाहर ही खड़ा था.
मैने कहा चलो मुझे घर जाना है.
उसने पूछा क्या हुवा.
मैने कहा, कुछ नही मुझे बस घर छोड़ दो.
मैं फॉरन उसके रिक्से में बैठ गयी.
मैने गुस्से में पूछा, ये क्या बदतमीज़ी थी.
वो बोला, क्या हुवा.
मैने कहा, क्या हुवा, तुम अपने बापू को मेरे साथ क्या ?
और मैं पूरा सेंटेन्स नही बोल पाई.
वो बोला, इशके अलावा चारा भी क्या था. तुझे नही पता, औरत मेरे बापू की कमज़ोरी है. मैं सोच रहा था कि अगर वो एक बार तुम्हारे साथ करले तो……………
मैने उसे वही रोक दिया, चुप करो.
वो बोला, ठीक है मैं कुछ नही कहता.
उसने पूछा, क्या तेरे घर मे फोन है.
मैने कहा, हां है.
वो बोला, मुझे नंबर दे दे, कोई बात हुई तो बता दूँगा.
मुझे जाने क्या सूझी मैने उसे नंबर दे दिया और बोली कि, अपने बापू को फिर से समझाना.
वो बोला, क्या मतलब तू भी करने को तैयार है क्या ?
मैने गुस्से में कहा, चुप करो, मैं कह रही हू कि उशे समझना कि मेरे पति से ना मिले.
वो बोला, ठीक है.
मैने देखा कि बिल्लू फिर से अपना रिक्सा ,मेरे घर के पीछे मोड़ना चाहता है
मैने उसे फॉरन रोक लिया और बोली, मुझे घर के सामने उतारो.
वो बोला, पर मुझे लगा हम तेरे घर के पीछे थोड़ी बात कर लेंगे.
मैने कहा बाते बहुत हो गयी, तुम सामने के रास्ते से चलो.
और उसने चुपकहाप मुझे घरके सामने छोड़ दिया.
मैं फॉरन घर के अब्दर आ गयी.
मैं सोच, सोच कर परेशान थी कि आख़िर बिल्लू का बापू चाहता क्या है.
वो बाते तो बड़ी, बड़ी कर रहा था पर उसका लिंग उसकी पॅंट में ताना हुवा था, आख़िर वो कैसा इंसान है.
पूरा दिन मैं परेशान रही.
शाम को किचन मे खाना बनाते वक्त मेरे फोन की घंटी बजी.
मैने फॉरन फोन उठा लिया.
मैने कहा, हेलो, उधर से आवाज़ आई, ऋतु मैं बिल्लू बोल रहा हू.
मैने पूछा हां बताओ, क्या हुवा.
वो बोला, अभी कुछ नही हुवा, मेरा बापू मानने को तैयार नही है.
मैने उशे ये भी कहा कि तू उसके साथ एक बार कर लेगी पर वो नही माना.
वो तेरे पति से मिल कर सब बता देना चाहता है.
मैने कहा, तुम्हे ये सब बोलने की क्या ज़रूरत थी और फोन रख दिया.
मुझे तस्सली थी कि उसका बाप, बिल्लू जैसा नही है. बिल्लू होता तो ऐसा मोका नही छोड़ता. पर मैं हैरान थी कि उसकी पॅंट मे वो क्यो ताना हुवा था.
मैने सोचा मुझे ज़रूर कोई ग़लत फ़हमी हुई है.
मैं सोच रही थी कि अब क्या करू. तभी अचानक डोर बेल बजी और मैं डर गयी, की कही बिल्लू का बापू सच मे तो नही आ गया, वह आज आने के बारे मे बोल रहा था.
संजय के आने का भी वक्त हो गया था.
मैने दरवाजा खोला, मैं चोंक कर बेहोश होने को हो गयी.
सामने बिल्लू का बाप खड़ा था. जिसका डर था वही हो गया.
मैने कहा, आप प्लीज़ यहा से जाओ.
वो बोला डॉक्टर साहेब कहा है.
मैने कहा वो घर पर नही हैं प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैं अब बिल्लू से नही मिलूंगी, अब तो सब ख़तम हो चुका है.
वो बोला, सब ख़तम हो जाने से तेरी ग़लती तो कम नही हो जाती. तेरे पति को पता तो चलना चाहिए कि तू क्या गुल खीलाती है उनके पीछे. मैं आज डॉक्टर से मिल कर ही जाउन्गा.
वक्त बढ़ता जा रहा था, संजय कभी भी आ सकते थे. मेरे पाँव थर, थर काँप रहे थे.
मुझे ना जाने क्या सूझी मैने उसे बोल दिया कि मैं कुछ भी करने को तैयार हू, आप प्लीज़ अभी यहा से चले जाओ.
वो बोला, तू मेरे लिए क्या करेगी ?
मैने गिड़गिदते हुवे कहा आप जो कहेंगे करूँगी, पर प्लीज़ अभी यहा से जाओ.
वो अचानक मुड़ा और वाहा से चला गया.
मैने चैन की साँस ली.
संजय उसके थोड़ी देर बाद घर आ गये. आकर वो फ्रेश होने चले गये.
मैं किचन में खाना बनाने लगी.
तभी अचानक फोन की घंटी बजी.
मैने उठाया तो उधर से बिल्लू की आवाज़ आई, मैने पूछा, बोलो क्या बात है.
वो बोला, मेरे बापू ने तुझे कल सुबह 11 बजे बुलाया है, मैं तुझे लेने आ जाउन्गा.
ये कह कर उसने फोन रख दिया.
मैं सब सुन कर बेचन हो गयी. मैं सोच रही थी कि आख़िर वो क्या चाहता है.
तब मुझे ध्यान आया कि मैं हड़बड़ाहट मे उसके बापू को क्या बोल गयी, थी.
उसे वाहा से भेजने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हो गयी थी.
मैं सोच रही थी कि ये कैसे नरक में फँस गयी हू मैं. मेरी छोटी सी भूल, अब छोटी ना रह कर बहुत बड़ी बन चुकी थी. पता नही अब क्या होगा ?
मैं रात भर बेचन रही कि अब क्या होगा. मन मे बार बार ये ख्याल आ रहा था कि मुझे संजय को सब बता देना चाहिए, शायद वो समझ जाए और मुझे माफ़ कर दे.
संजय करवट लिए दूसरी और लेते हुवे थे, पर मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नही हुई की मैं उन्हे उठा कर उनसे कुछ कह सकु.
मैं चुपचाप लेट कर अपनी किस्मत को रोती रही. मैं सोच रही थी कि आख़िर बिल्लू के बापू ने मुझे कल क्यो बुलाया है ? वो मुझसे क्या चाहता है?
तब मुझे ध्यान आया कि कैसे उसका लिंग उसकी पॅंट में तना हुवा था, और में ये सोच कर घबरा गयी कि कही फिर से तो मुझे वो सब नही करना पड़ेगा.
बड़ी मुस्किल से तो मैने बिल्लू से पीछा छुड़ाया था. कही फिर से वो मुझे अपने जाल में तो नही फसा रहा ?
ऐसे काई सवाल मेरे दीमाग में घूम रहे थे.
सुबह कब हो गयी पता ही नही चला, पर मैं एक पल को भी चैन से नही सो पाई. सारी रात दीमाग यहा वाहा घूमता रहा.
संजय ने ब्रेकफास्ट करते वक्त पूछा, ऋतु क्या हुवा आज ढीली ढीली लग रही हो, तबीयत तो ठीक है ना.
मैने कहा हा ठीक है तुम्हे यू ही लग रहा है.
मन तो कर रहा था कि मैं संजय को सब कुछ बता दू. पर मेरी बिल्कुल हिम्मत नही हुई. मैं ये सोच कर रुक जाती थी कि वो बिल्कुल बर्दास्त नही कर पाएँगे.
संजय और चिंटू के जाने के बाद मैं सर पकड़ कर बैठ गयी.
बड़ी मुस्किल से मैने धीरे, धीरे घर के कामो को निपटाया.
मैं सब काम करके नहाने चली गयी.
मैं नहा कर बाहर निकली ही थी कि डोर बेल बज उठी.
मैं झट से बेडरूम की और भागी.
जल्दी से, कपड़े पहन कर मैं दरवाजा खोलने आ गयी.
जैसा की मुझे लग रहा था, सामने बिल्लू खड़ा था.
वो मुझे देख कर बोला, अरे तू अभी तक तैयार नही हुई 10:30 हो गये है. मेरा बापू गुस्सा हो जाएगा, पता है ना वो बड़ी मुस्किल से माना है.
मैं हैरान थी कि आख़िर ये बिल्लू इतना उतावला क्यो हो रहा है.
मैने उशे कहा तुम रिक्से पर वेट करो यहा किसी ने देख लिया तो परेशानी होगी, वैसे ही परेशानी बहुत है.
वो वाहा से चला गया और मैं अपने बेडरूम मे आ गयी.
मैं फिर से उसके बापू से मिलने नही जाना चाहती थी.
पर मेरे पास कोई चारा भी तो नही था.
मुझे डर था कि कही वो फिर से यहा ना आ जाए. मैं हर हाल में अपने परिवार को बचाए रखना चाहती थी.
दिल मे अजीब सी हलचल हो रही थी.
मुझे ये अहसास हो गया था कि बिल्लू के बापू ने मुझे क्यो बुलाया है. यही मेरी चिंता का सबसे बड़ा कारण था.
मैं खुद को गहरे दलदल में जाते हुवे महसूस कर रही थी.
जैसे दलदल से निकलने की कोशिस में हम और गहरे डूबते जाते है, ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हो रहा था.
मैं तैयार हो कर, घर को लॉक कर के चुपचाप रिक्से में बैठ गयी.
मैने कोई फ़ैसला नही किया था कि मुझे बिल्लू के घर जाना चाहिए या नही. मैं बस चल दी थी. शायद ऐसे फ़ैसले किए भी नही जा सकते.
बिल्लू थोड़ा दूर जा कर पीछे मूड कर बोला, तू बहुत प्यारी लग रही है आज.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. दरअसल मैं उस से कोई बात नही करना चाहती थी. उसी के कारण तो में फीर से नयी मुसीबत में थी.
मैने उसे बोल भी दिया, तुम चुपचाप चलो मुझ से ज़्यादा बकवास करने की ज़रूरत नही है.
पर वो नही माना और बोला, अगर मेरे बस में होता तो मैं ऐसा कभी नही होने देता.
मैने गुस्से में पूछा, पर तुम तो मुझे घर ले जाने के लिए बहुत उतावले (डेस्परेट) हो रहे थे.
वो बोला, तुझे घर ले जाना मेरी मजबूरी है, तुझे नही पता, मेरा बापू बहुत गुस्सल है, अगर वक्त से, घर नही पहुँचे तो हो सकता है कि वो हमे घर में घुसने ना दे.
मैने मन ही मन सोचा, अछा हो ऐसा ही हो जाए.
मेरा मन बहुत डरा हुवा था. मैं चाहती थी कि सब जल्दी जल्दी बीत जाए और मैं वापस घर आ जा-ऊँ.
उसका घर कब आ गया पता ही नही चला. मैं रिक्से से उतर कर घर के बाहर खड़ी हो गयी और सोचने लगी की अंदर जा-ऊँ या ना जा-ऊँ.
बिल्लू बोला, आ ना क्या सोच रही है, बाहर सब लोग देख रहे हैं जल्दी अंदर आजा.
मैं भारी, भारी कदमो से बिल्लू के साथ अंदर आ गयी. आज फिर घर में कोई भी नही दीख रहा था.
बिल्लू मुझे एक कमरे में ले गया और बोला, बैठ जा, बापू का कमरा यही है. कमरा बहुत छोटा था. स्लम एरिया में इस से ज़्यादा हो भी क्या सकता था. उनके घर में कुल मिला कर दो छोटे छोटे कमरे थे.
मैं डरते, डरते वाहा रखी एक कुर्सी पर बैठ गयी.
बिल्लू बोला, बापू कहीं बाहर होगा, अभी आ जाएगा.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि वो ना ही आए तो अछा है.
बिल्लू मुझे वहाँ छोड़ कर चला गया.
अचानक उसके बापू की आवाज़ सुनाई दी.
वो बिल्लू से पूछ रहा था, कहा है वो.
बिल्लू ने कहा, बापू वो अंदर तुम्हारे कमरे में है.
वो बोला, एक ठंडा और थोड़ी नमकीन ले आ, और हा जल्दी आना.
और बिल्लू जी बापू कह कर घर से बाहर चला गया.
मैं खोमोशी से सब सुन रही थी.
जब उसके कदमो की आहट मेरी और बढ़ती हुई महसूस हुई तो मैं और भी ज़्यादा सहम गयी.
उसने बाहर से झँकते हुवे पूछा, तू ठीक है ना कोई तकलीफ़ तो नही ?
मैने कहा, जी
वो बोला, तू डॉक्टर साहेब की बीवी है, मैं तेरा पूरा धयान रखूँगा, तू थोड़ा बैठ मैं अभी आता हूँ.
वो फीर से घर के बाहर चला गया.
मैं सोच रही थी कि आख़िर वो कर क्या रहा है. मैं जल्द से जल्द वाहा से निकलना चाहती थी.
इतने में बिल्लू आ गया, उसने मेरे सामने टेबल रख कर पेप्सी और नमकीन रख दी, और बोला, लो ठंडा पी लो.
मैं कुछ भी पीने, खाने के मूड में नही थी.
तभी अचानक उसका बापू आ गया.
उसने बिल्लू से पूछा, ये क्या घटिया सी नमकीन ले आया है, कुछ और नही था क्या ?
बिल्लू बोला, बापू बस यही थी दुकान पर.
उसका बापू बोला, चल जा यहा से अब, बिल्लू मेरी और देखते हुवे वाहा से चला गया.
मैं चुपचाप सहमे हुवे बैठी रही.
बिल्लू के बापू ने, दरवाजा बंद कर दिया और अंदर से कुण्डी लगा ली.
मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, जैसा मुझे लग रहा था, वही हुवा, वो मुझसे…………..
वो बोला, अरे तूने कुछ लिया ही नही, ये पेप्सी पी ले तेरे लिए ही है.
मैने कहा जी कोई बात नही, मुझे इच्छा नही है.
वो बोला, कुछ और लॉगी ?
और उसने अपनी पॅंट की जेब से देसी दारू की एक छोटी सी बॉटल निकाल ली.
मैने फॉरन गर्दन ना के इशारे में हिला दी.
वो मेरी कुर्सी के साथ लगे बेड पर बैठ गया और अपनी बॉटल खोलने लगा.
वो बोला, आज बहुत दीनो बाद पीने का मन हो रहा है. सब तेरे कारण है. तू बहुत सुंदर है, पता है बाहर लोग हैरान हो रहे है कि इतनी सुंदर लड़की यहा क्या कर रही है, शराब और शबाब दोनो साथ होने चाहिए.
उसने एक गिलास उठाया और उसमे दारू डालने लगा.
मेरी और देखते हुवे वो एक ही झटके में पूरा गिलास सतक गया. मैने आज तक किसी को शराब पीते नही देखा था इश्लीए हैरान और परेशान थी.
अचानक वो खड़ा हुवा और बोला, आ अब तेरी बारी. ये दारू तो फेल हो गयी इसमे कोई नशा नही है, अब तेरे अंदर देखता हू कितना नशा है.
मैं हैरान थी उसके बदले हुवे रूप को देख कर.
कल तो वो बड़ी बड़ी बाते कर रहा था, और आज ये सब.
मुझे सब कुछ नाटक सा लग रहा था, लग रहा था जैसे मुझे बड़ी चालाकी से फसाया गया है.
पर अब मैं क्या कर सकती थी, मैं खामोसी से बैठी रही.
वो ज़ोर से बोला, इधर आ.
मैं डर कर खड़ी हो गयी और चुपचाप उसके सामने आ गयी.
वो बोला, अब बता क्या करेगी तू मेरे लिए.
मैने कहा जी क…..क……..कुछ नही.
वो बोला, क्या कुछ नही, धोका, मैं तुझे देख लूँगा. मुझे कल तेरे घर से नही आना चाहिए था, तेरे पति से मिल कर ही आना चाहिए था.
मैने डरते हुवे कहा,…..आ….आ……आप जो कहे कर दूँगी.
वो हँसने लगा और बोला, तू अपनी मर्ज़ी से करेगी ना.
मैने कहा, जी.
वो बोला, अछा तो घूम जा और अपना नाडा खोल कर अपनी गांद दीखा, देंखु तो सही ऐसी भी क्या बात है तेरी गांद में कि बिल्लू उसका दीवाना हो गया है.
मेरा चेहरा शरम और गिल्ट से लाल हो गया.
बिल्लू का बापू अब बिल्लू जैसी ही बाते कर रहा था. बिल्लू और उसमे कोई फरक नही दिख रहा था.
वो फिर बोला, अरे क्या सोच रही है, अपनी कातिल गांद नही दीखावगी, जिश से तूने मेरे बेटे का कतल कर दिया.
मैं करती भी तो क्या करती, मैं उसके सामने घूम गयी. पर मेरे हाथ नाडा खोलते हुवे काँप रहे थे.
बड़ी मुस्किल से मैने नाडा खोला और अपनी सलवार नीचे सर्काई.
उसने तुरंत कमरे की लाइट जला दी और मेरे और करीब आ गया.
वो बोला, ये कमीज़ उठा.
मैने उसे धीरे से उठा लिया.
वो बोला, ये पॅंटी क्या मैं उतरूँगा, ये भी तो सरका.
मैने कमीज़ छोड़ कर पॅंटी नीचे सरका दी और चुपचाप वाहा खड़ी हो गयी.
वो बोला, ये कमीज़ परेशान कर रही है, और उसे उतारने लगा. मेरा तो बुरा हाल हो गया.
मैं उसे चाहते हुवे भी नही रोक पाई. उसने मेरी कमीज़ उतार कर एक तरफ फेंक दी.
वो मेरे नितंबो को घूरते हुवे बोला, अरे वह कितनी जालिम गांद है तेरी, मेरे बेटे का कोई कसूर नही, इसे देख कर तो कोई भी पागल हो जाएगा.
मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी, मैं चुपचाप सर झुकाए खड़ी रही.
उसने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को छुवा और बोला, सच में मस्त माल है तेरे पास, बहुत मज़ा आएगा आज.
उसने पूछा, क्या बिल्लू के अलावा किसी और ने भी मारी है ये.
मैं सकपका गयी कि क्या काहु अब.
वो फिर बोला, बता ना,
मैने धीरे से कहा, जी मेरे पति ने.
वो बोला, बस, बस उसका नाम मत ले मैं कुछ नही कर पाउन्गा.
वो बोला, उसके अलावा.
मैने कहा, जी बस बिल्लू
वो गुस्से में बोला, तू तो कल कह रही थी कि तेरा बिल्लू से कोई सम्बन्ध नही है.
मैं धीरे से झीजकते हुवे बोली, जी बस एक बार किया था.
वो बोला, बस एक बार दे कर तूने उसे पागल बना कर छोड़ दिया. पता है कितना नुकसान हुवा है मेरा. उसहने कयि दीनो से एक पैसा कमा कर नही दिया. वो सारा दिन तेरे पीछे घूमता है.
मैं खामोसी से सब सुनती रही.
वो बोला, बता अब तेरी क्या सज़ा है.
मैने पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, कुछ नही सीधी हो जा, तेरी गांद तो मस्त है अब तेरी चूत तो देख लू.
मैने हड़बड़ते हुवे कहा, जी बिल्लू ने इतना ही किया था, आप भी इतना ही कर लो.
वो बोला, मैं बिल्लू का बाप हू, थोडा ज़्यादा तो होगा ही, चल घूम जा.
मैं नज़रे झुकाए हुवे उसके सामने घूम गयी.
वो मेरे सामने बैठ गया और बड़े गौर से मेरी योनि को देखने लगा.
वो बोला, अरे वह ये तो तेरी गांद से भी ज़्यादा सुंदर है, कितनी चिकनी है साली, लंड लगते ही फिसल जाएगा.
मैने शर्मिंदगी में अपने चेहरे पर हाथ रख लिए.
वो बहुत ही गंदी बाते कर रहा था. बिल्कुल बिल्लू की तरह.
मुझे अब यकीन हो चला था कि, ये सब इन दोनो की चाल है. बड़ी चालाकी से इन्होने मुझे यहा ये सब करने को बुलाया है. मैं मन ही मन बिल्लू को कोस रही थी.
वो मेरे योनि के द्वार पर उंगली लगा कर बोला, अरे ये तो बिल्कुल सुखी पड़ी है, अभी कुछ करता हूँ.
मेरे शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी.
उसने कहा, चल यहा बेड पर लेट जा.
मैं हैरानी में थी कि वो आख़िर करना क्या चाहता है.
मैने कहा, आप बस जितना बिल्लू ने किया था, उतना ही कर लो और मुझे जाने दो.
वो बोला, बिल्लू ने कितना किया था सब बता.
मैं चुप हो गयी. मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी.
वो बोला, बता ना कितना किया था, बिल्लू ने, मैं भी उतना ही कर लूँगा, मुझे वैसे भी तेरे पति के कारण झीजक हो रही है.
मैने कहा, उसने बस मेरे नितंबो को छुवा था, और बस वही से किया था.
वो बोला, अरे वह ठीक है फीर मैं भी उतना ही करूँगा. पहले ज़रा यहा तो लेट जा.
मैं जीझकते हुवे बेड पर लेट गयी.
वो मेरी टॅंगो के बीच आ गया और मेरी योनि को बड़े गोर से देखने लगा.
मैने अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उसकी बेशर्मी बर्दास्त नही कर पा रही थी.
अचानक मुझे अपनी योनि पर कुछ चुभता हुवा महसूस हुवा.
मैने आँखें खोली तो पाया कि, उसका मूह मेरी योनि के बिल्कुल उपर है.
वो बोला, वह क्या खुसबु है जालिम की.
इस से पहले कि मैं कुछ सोच पाती, उसके होंठ मेरी योनि के उपर थे.
मैं बेचन हो उठी.
उसने मेरी योनि की पंखुड़ियो को अपने होंटो में दबा लिया, और बड़ी बेशर्मी से उन्हे चूसने लगा.
मैं बेचानी में अपनी टाँगे पटाकने लगी.
आज तक मेरे और संजय के बीच ओरल सेक्स नही हुवा था. हम इसके बारे में सोचते तो थे पर कभी कर नही पाए थे.
पहली बार किसी के होंठ मेरी योनि पर थे.
मेरा मन गिल्ट से भरा था, पर मेरी योनि मुझे धोका दे रही थी.
वो मेरी योनि से मूह हटा कर बोला, देख कितनी चिकनी हो गयी है अब, पानी का दरिया बहा रही है.
मैने ग्लानि से अपनी आँखे बंद कर ली.
वो बोला, क्या किसी ने कभी तेरी चूत चूसी है.
मैने कोई जवाब नही दिया.
वो फिर बोला, बता ना चूसी है क्या किसी ने.
मैने कहा, नही.
वो बोला, तेरे पति ने भी नही ?
मैं ये सुन कर हैरान हो गयी. अभीतक तो उसे मेरे पति के नाम से जीझक हो रही थी और अब वो खुद उनके बारे में पूछ रहा था.
मैने गुस्से में पूछा, क्यो ?
वो बोला, कुछ नही जाने दे.
उसने फिर से अपने होंठ मेरी योनि पर टीका दिए और उशे बे-तहासा चूमने लगा.
मेरे ना चाहते हुवे भी होश उड़ गये, और एक पल को मैं खो गयी.
पर जल्दी ही मैने खुद को संभाल लिया.
मैं किसी भी पल को एंजाय नही करना चाहती थी.
वाहा मेरा होना एक सज़ा थी, जितनी जल्दी ये सज़ा ख़तम हो अछा हो.
उसने पूछा, कैसा लग रहा है.
मैने कहा, मुझे नही पता.
उसने फिर से अपना मूह मेरी योनि से सटा दिया और बेशर्मी से चूसने लगा.
ना चाहते हुवे भी मैं, एक अजीब सी बेचैनी में खोने लगी.
वो बोला, अछा लग रहा है ना तुझे ?
मैं खोमोसी से लेटी रही.
वो बोला, बता ना अछा लग रहा है क्या तुझे ? मैं जब तक तू चाहे चूस्ता रहूँगा मुझे तेरी चूत चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है, बहुत मीठा, रस है इसका.
मैं सोच रही थी कि कितना बेशरम है ये कैसी अजीब बाते कर रहा है.
और वो फिर से मेरी योनि को चूसने लगा. मेरी योनि पर उसकी दाढ़ी के बॉल ज़ोर से चुभ रहे थे, और एक अजीब सी सांसटिओं पैदा कर रहे थे.
मेरे मन में ख्याल आया कि ऋतु बस रोक दे इस आदमी को, इतना काफ़ी है इस के लिए, और यहा से फॉरन निकल ले.
मैने उसका सर वाहा से हटा दिया और बोली, बस बहुत हो गया, अब मैं चलती हू.
वो बोला, तूने कहा था, जो मैं चाहूँगा तू करेगी, अभी मैने तुझे जाने को नही कहा.
मैं बोली, कितनी देर से तुम कर तो रहे हो, अब बहुत हो गया.
वो बोला, तुझे मज़ा नही आ रहा क्या ?
मैने कहा मुझे नही पता, मुझे घर जा कर काम भी करना है.
वो बोला, ठीक है हम जल्दी जल्दी करते है और फिर से मेरी योनि पर झुक गया.
मैने फिर से आँखे बंद कर ली और सोचने लगी की, मेरी जींदगी कैसे मोड़ पर आ गयी है, इतना बदसूरत आदमी मेरे सबसे प्राइवेट पार्ट से इतनी बेशर्मी से खेल रहा है.
अचानक मुझे महसूस हुवा कि वह मेरी योनि से हाथ चुका है. मुझे एक पल को सकुन मिला.
मैने आँखे खोल कर देखा तो पाया कि वह अपनी ज़िप खोल रहा है.
मैने अपनी आँखे झट से बंद कर ली. मैं घबरा गयी कि अब ये क्या करेगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और झट से उशे अपने लिंग पर रख दिया. मुझे एक दम करंट सा लगा और मैने अपना हाथ वापस खींच लिया.
वो बोला, अरे पकड़ ना, तुझे बिल्लू के लंड से अछा लगेगा.
मैं क्या कहती चुपचाप वाहा पड़ी रही.
उसने फिर से मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ कर अपने लिंग पर कस के रख दिया.
इस बार उसने अपना हाथ मेरे हाथ के उपर दबा कर रखा.
मैं चाहते हुवे भी अपना हाथ नही खींच पाई.
मैने हल्की सी आँख खोल कर देखा तो काँप गयी. उसका बहुत ही बड़ा लग रहा था.
उसने ये देख लिया और बोला, अरे शर्मा मत पूरी आँख खोल कर देख, तुझे अछा लगेगा.
मैने फॉरन आँखे बंद कर ली.
मेरे हाथ में वो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे की कोई मोटी लकड़ी का टुकड़ा हो.
में चाहते हुवे भी अपना हाथ वाहा से नही खींच पाई. उसने बड़ी मजबूती से मेरा हाथ वाहा टीका रखा था.
वो बोला, चल चूस इसे.
मैने अपनी गर्दन ना के इशारे में हिला दी.
वो बोला, अरे चूस ना, मैने भी तो तेरी चूत चूसी है. तू तो कहती थी जो मैं चाहूँगा तू करेगी, कहा गया तेरा कल का वादा.
उसने मुझे ज़ोर दे कर उठाया और मुझे अपने आगे ज़मीन पर बैठा दिया.
मैने आँखे खोली तो पाया कि उसका लिंग बिल्कुल मेरे मूह के सामने झूल रहा था. बहुत बड़ा लग रहा था वो. उसके चारो तरफ बहुत घने काले बॉल थे. पूरा एक जंगल उगा हुवा था.
मैने ऐसा भयानक लिंग देख कर अपनी आँखे झट से बंद कर ली.
वो मेरे होंटो पर अपना लिंग रगड़ने लगा, और बोला, मूह खोल.
मैने कोई हरकत नही की.
वो बोला, खोल ना, थोड़ा चूस ले, तुझे जल्दी जाना है ना.
मैने झीज़कते हुवे मूह खोला ही था, कि उसने कोई 3 इंच मेरे मूह मे घुसा दिया और बोला, शाबास, ये हुई ना बात.
मेरा मूह फटा जा रहा था, और वो और ज़्यादा अंदर डालने की कोशिस कर रहा था.
मुझे उल्टी आने को हो गयी और मैं वाहा से ज़ोर लगा कर हट गयी.
मैं थोड़ा ठीक महसूस करने लगी ही थी कि उसने फिर से मेरे मूह पर अपना लिंग सटा दिया.
वो बोला, चल अब जल्दी जल्दी चूस, वक्त कम है.
मैने धीरे, धीरे उसका चूसना सुरू कर दिया.
मैं बहुत गिल्ट की भावना से भरी हुई थी और सोच रही थी कि ये मुझे क्या करना पड़ रहा है.
आज तक मैने संजय के साथ भी इस तरह से नही किया था.
मैं प्रे कर रही थी कि ये सब जल्दी ख़तम हो जाए.
थोड़ी देर बाद उसने मुझे घूमने को कहा,
मुझे ये सुन कर सकुन मिला, उसका चूस्ते चूस्ते मेरा मूह दुखने लगा था.
वो बोला, सलवार निकाल दे और घूम जा.
मैने कहा कपड़े रहने दो ऐसे ही कर लो.
वो बोला, निकल ना जल्दी, मुझे गुस्सा मत दिला.
मैने, धीरे धीरे कपड़े उतार दिए और उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गयी.
वो मेरे उभरो को देखते हुवे बोला, ज़रा रुक और मेरे उभरो को चूमने लगा.
मैं चुपचाप तमसा देखती रही.
वो बारी, बारी से मेरे निपल्स को मूह मे लेकर चूस रहा था, उसकी दाढ़ी मेरे उभरो पर कॅंटो की तरह चुभ रही थी.
थोड़ी देर बाद वो बोला, चल अब घूम जा और झुक जा.
मैने पूछा आप क्या करोगे ?
वो बोला, जो बिल्लू ने किया था, तेरी गांद मारूँगा.
ये सुन कर में गिल्ट से मर गयी.
उसने मुझे झुकाया और मेरे नितंबो पर अपना लिंग रगड़ने लगा.
उसने मूज़े फिर अपनी और घुमाया और बोला, चल इसे मूह मे लेकर थोड़ा चिकना कर, डालने में आसानी होगी.
में सब जल्दी ख़तम करना चाहती थी, इस लिए मैं नीचे झुक कर उसके लिंग को मूह में लेकर चूसने लगी.
कोई 5 मिनूट बाद वो बोला, बस ठीक है, वापस घूम जा.
जैसे ही में उसके आगे झुकी उसने मेरे उभरो को दोनो हाथो से थाम लिया, और उन्हे कुचलने लगा.
थोड़ी देर बाद मुझे उसका लिंग अपने योनि द्वार पर महसूस हुवा. मैं डर गयी की कही ये यहा ना डाल दे. पर वो जल्दी ही वाहा से हट गया.
अचानक उसने मेरे कंधो को ज़ोर से थाम लिया और मैं चीन्ख उठी…..आआहह
आआआआयययययययययययीी
प्लीज़ निकालो इसीईईईईईईए.
उसने एक झटके में अपना आधा लिंग मेरी योनि में घुस्सा दिया था.
में चिल्ला कर बोली, तुमने ग़लत जगह डाल दिया, निकाल लो.
वो बोला, बिल्कुल सही जगह डाला है, बहुत चिकनी है तेरी चूत लगते ही फिसल गया, थोडा रुक तुझे मज़ा आने लगेगा.
मैं दर्द से मारी जा रही थी. सूकर है कि वो ज़बरदस्ती अंदर नही धकेल रहा था.
बिल्लू की तरह वो भी धीरे धीरे अंदर सरका रहा था.
उसका, एक, एक इंच मेरे अंदर जाता हुवा महसूस हो रहा था.
जब उसने अपना पूरा अंदर डाल दिया तो बोला, ले चला गया पूरा.
मुझे, उसके वाहा के बॉल अपने नितंबो पर कांतो की तरह चुभते हुवे महसूस हो रहे थे.
मैं उसके लिंग का कोई अहसास महसूस नही करना चाहती थी.
पर ये सच था कि उसका लिंग मेरी योनि में बहुत गहराई तक पहुँच गया था, जहा तक कि आज तक संजय भी नही पहुँच पाए थे.
धीरे, धीरे मेरा दर्द कम, हो गया.
वो बोला, कैसा लग रहा है ?
मैने कोई जवाब नही दिया.
वो बोला, बिल्लू ने अपनी डाइयरी में लिखा था कि तूने खुद उसे गांद मारने को कहा था, क्या ये सच है ?
मैने कहा, जी नही ऐसा कुछ नही है.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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