raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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मर्दों की दुनिया पार्ट--6
"सुमित ये अब कौन सी नई शर्त रखना चाहते हो?" मेने खीजते हुए
पूछा.
"हमारी शर्त सिर्फ़ इतनी सी है कि जिस तरह जीजू और जीजाजी ने तुम
दोनो को चोदा है, वैसे ही में और सुमित भी तुम दोनो को चोदना
चाहेंगे." अमित ने मुस्कुराते हुए कहा.
मेने पहले अमित की ओर देखा वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था, फिर
मेने अनु की ओर देखा की शायद वो कुछ कहना चाहती हो लेकिन उसके
चेहरे से तो ऐसा लग रहा था जैसे की उसे मन माँगी मुराद मिल गयी
हो, फिर में कौन होती थी मना करने वाली, "ठीक है मुझे मंजूर
है," ये तो कभी ना कभी होना ही था, मेने सोचते हुए कहा.
"ओह्ह्ह अनु, में हमेशा सोचा करता था कि क्या में अपने दोनो हाथो
से भी तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचियों को पकड़ पाउन्गा कि नही,"
सुमित ये कहते हुए अनु की ओर बढ़ा, "आज में ज़रूर पकड़ कर
देखना चाहूँगा."
"मेने कब मना किया है, पहले कहते तो पहले पकड़ा देती..." कहकर
अनु ने अपनी नाइटी उतार दी, और सुमित उसकी चुचियों को हाथो मे
पकड़ मसल्ने लगा.
"ओह्ह सुमित ज़रा " अनु सिसक पड़ी.
सुमित ने अपना पयज़ामा उतार दिया और अनु को बिस्तर पर धकेलते हुए
बोला, "ओह्ह क्या मस्त चुचियाँ है... चलो चुदाई करते है.'
"हां सुमित में भी कब से तरस रही थी आज के दिन के लिए," अनु
ने कहा.
अमित चुप चाप बैठा उन दोनो को देख रहा था, में इनसे पीछे
नही रहना चाहती थी.
"अमित मेरी चुचियाँ अनु जितनी बड़ी और भारी नही है, लेकिन फिर
भी अच्छी है तुम्हे मज़ा आएगा.' मेने अपनी नाइटी उतार उसकी ओर
बढ़ते हुए कहा.
"हां सूमी में भी तुम्हारी इन चुचियों से खेलना चाहता था," अमित
ने अपना पयज़ामा उतारते हुए कहा. उसका लंड पूरी तरह तन कर खड़ा
था.
उस रात अमित ने मुझे कई बार चोदा और सोने से पहले तो उसने मेरी
गंद भी मारी.
हमेशा की तरह मोना सुबह की चाइ लेकर कमरे मे आई तो हम
चारों को एक साथ बिस्तर मे देख जोरों से हँसने लगी और ज़ोर से
चिल्लाई, "रीमा चाइ यहीं ले आओ ये चारों यहीं इस कमरे मे है."
रीमा चाइ की ट्रे लिए कमरे मे आई और हमे देख झेंप गयी. वो
दोनो चाइ की ट्रे रख कर जाने लगी, "तुम दोनो कहाँ जा रही हो?"
मेने पूछा.
दोनो रुक कर मेरी तरफ देखने लगी, "कल रात तुम्हारे छोटे मालिक
ने कहा था कि तुम दोनो की चूत बहोत प्यारी है, हम देखना चाहते
है तुम्हारी प्यारी चूत को, अपने कपड़े उतारो?" मेने कहा.
दोनो चुप चाप खड़ी रही, उनकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या
करें.
"तुम दोनो ने सुना नही दीदी क्या कह रही है, चलो कपड़े उतार कर
नंगी हो जाओ." अनु ने कहा.
जब दोनो कपड़े उतार कर नंगी हो गयी तो मेने अनु से कहा, "अनु
क्या ख़याल है अगर हमारी चूत को सुबह का नाश्ता मिल जाए?"
"हां सूमी मज़ा आ जाएगा," कहकर वो बिस्तर पर अपनी टाँगे फैलाते
हुए लेट गयी.
"चलो लड़कियों शुरू हो जाओ.... आज से पहले तुम दोनो ने मलाई से
भरी चूत नही चूसी होगी," मैने अपनी टाँगे फैला चूत को
खोलते हुए कहा.
"मोना आज तुम मेरी चूत चूसो," अनु अपनी चूत की ओर इशारा करते
हुए बोली.
किसी अग्यकारी बच्चो की तरह दोनो हमारी टांगो के बीच आ गयी
और अपने चूतड़ हवा मे उठाते हुए हमारी चूत चूसने लगी.
"ओह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है...." सिसकते हुए मेने अपने बगल
में देखा कि अमित और सुमित आँख फाडे मोना और रीमा को हम दोनो
को चूत चूस्ते हुए देख रहे थे.
"तुम दोनो कल रात मोना और रीमा की चूत चोदना चाहते थे ना तो
इससे बेहतर मौका कहाँ मिलेगा. क्यों ना तुम दोनो अपने लंड को पीछे
से इनकी चूत मे डाल दो? मेने कहा.
"हां अभी लो," खुशी से उछलते हुए दोनो मोना और रीमा की पीछे
आ गये. सुमित ने नीचे से रीमा की चुचियों को पकड़ा और एक ही
धक्के मे अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया. अमित भी पीछे नही
रहा और उसने अपना लंड मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगा.
अमित और सुमित इस तरह रीमा और मोना की चूत मारने लगे जैसे कि
उन्हे फिर कभी उनकी चूत मारने का मौका ही नही मिलेगा.
"ऑश..आआहह" जैसे ही सुमित का लंड रीमा की चूत मे घूसा वो
सिसक पड़ी," ऑश कितना अक्चा लग रहा है"
"तो लड़कियों मज़ा आ रहा है ना?" अनु ने पूछा.
"हां दीदी बहुत मज़ा आ रहा है.... बहुत दीनो के बाद लंड मिला
है ना.......ओह्ह्ह हेयेयन" दोनो सिसकते हुए बोली.
दस मिनिट के बाद हम चारों झाड़ गये. मोना और रीमा ने अपनी
जगह बदल ली, और फिर से चुदाई करने लगी.
"अमित क्या कहते हो फिर से तीन तक गिनती हो जाय?" सुमित ने कहा.
"हां भाई क्यों नही.... ये लो एक.. दो.... तीन."अमित ने गिनती शुरू
की और तीन की गीनती पर दोनो लड़कियाँ चिल्ला उठी.
"अरे क्या हुआ? क्या ये दोनो तुम्हे तकलीफ़ दे रहे है,?" मेने मोना के
बालो मे हाथ फिराते हुए पूछा.
"नही दीदी, सुमित सर ने अपना लंड मेरी गंद मे घुसेड दिया था..."
मोना ने बताया.
"अमित सर भी मेरी गंद मार रहे है," रीमा ने भी कहा.
"लॉडा गंद मे अंदर बाहर होता है तो बहोत अच्छा लगता है हैं
ना?" अनु ने हंसते हुए कहा.
दोनो ने अपनी गर्दन हिलाते हुए हम दोनो की चूत चूसने लगी.
जब हम चारों एक बार फिर झाड़ गये तो अमित ने कहा, "भाई में तो
थक गया हूँ, क्यों ना कुछ चाइ नाश्ता हो जाए"
मोना और रीमा किचन मे जाकर चाइ और नाश्ता ले आए.
"चलो एक बार और हो जाए," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार में रीमा की
चूत चूसोंगी और सूमी मोना की......."
"सॉरी देवियों, आभी नही, अभी हमारी एक ज़रूरी मीटिंग है 10.00
बजे," सुमित अनु की चुचियों को मसल्ते हुए बोला, "रात को फिर
यहीं से शुरुआत करेंगे."
"कोई बात नही चलो साथ मे सब स्नान करते है." अनु ने कहा.
लेकिन हमारे कमरे का शवर इतना बड़ा नही था कि हम छः जने
साथ मे नहा सकते इसलिए दो टीम बनी, सुमित में और मोना एक टीम
मे और अमित अनु और रीमा दूसरी टीम मे.
जब हम तीनो साथ साथ नहा चुके तो मोना बोली, "सर में आपका
लंड चूस्ति हूँ, कितने दिन हो गये लंड चूसे हुए?"
"शौक से मेरी जान," कहकर सुमित ने अपना लंड मोना के मुँह मे दे
दिया.
मोना को तो जैसे मन की मुराद मिल गयी वो जोरों से सुमित के लंड को
अपने मुँह मे ले चूसने लगी.
"ओह्ह्ह हा चूसो और ज़ोर से चूसो," सुमित बड़बड़ाने लगा,
फिर मेरे हाथों को उसकी चूत पर रखते हुए बोला, "इसकी चूत मे
उंगल करो."
मेने अपनी उंगली मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगी तभी सुमित ने
अपनी दो उंगली मेरी गंद मे डाल दी.
'ओह्ह्ह सुमित अयाया हाआँ और अंदर तक डाल दो ओह्ह.' मे भी
सिसक पड़ी.
* * * * * * * * * * * *
उसी दिन सुबह 11.00 बजे के करीब मेने अपनी बेहन सीमा को फोन
किया. थोड़ी देर हाल चाल पूछने के बाद मेने कहा, " दीदी, क्या
माला दीदी आपके साथ है?"
"नही बोलो क्या बात है?" सीमा दीदी ने कहा.
"हमे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है, क्या आप उन्हे बुला सकती
है... में बाद मे फोन करूँगी." मेने कहा.
"हां मे बुला सकती हूँ, लेकिन बात क्या है वो तो बताओ? सीमा दीदी
ज़ोर देते हुए बोली.
"नही, जब आप दोनो साथ मे होंगी तभी बताउन्गि." मेने कहा.
सीमा दीदी ने काफ़ी ज़िद की लेकिन में भी अपनी बात पर आडी रही,
आख़िर उन्होने कहा, "ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी. एक घंटे के बाद
फोन करना तब तक में उसे बुला कर रखती हूँ."
एक घंटे के बाद मेने फोन लगाया, "माला दीदी है," मेने पूछा.
"हां सूमी में माला ही बोल रही हूँ," माला दीदी ने जवाब दिया, "अब
जल्दी से बताओ क्या बात हैहम काफ़ी परेशान है."
"ख़ास बात ये है कि अमित और सुमित हम दोनो को तलाक़ देना चाहते
है." मैने कहा.
"क्या कहा....." दोनो चिल्ला उठी... "पर क्यों?
"उन्हे पता चल गया कि शादी के वक़्त हम दोनो कुँवारी नही थी."
मेने कहा.
"पर शादी के एक महीने बाद क्यों? माला दीदी ने पूछा, उन्हे अब भी
विश्वास नही हो रहा था.
"जैसा हमने बताया था तुम दोनो को सब बातों से इनकार कर देना
चाहिए था." सीमा दीदी ने माला दीदी से फोन लेकर कहा.
"हमने सब वैसे ही किया था लेकिन फिर भी उन्हे पता चल गया."
मेने कहा.
तभी अनु मुझसे फोन माँगने लगी,, लेकिन में जानती थी कि वो क्या
कहेगी इसलिए मेने उसे फोन नही दिया.
"सवाल ही नही उठता कि उन्हे पता चल जाए, ज़रूर तुम दोनो ने
कबूल कर लिया होगा." सीमा दीदी ने कहा
"क्या तुम दोनो ने कबूल किया?" माला दीदी ने पूछा.
इसके पहले कि में कोई जवाब देती अनु ने मेरे हाथों से फोन छीन
लिया और ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली, "हां दीदी मेने सब बता दिया...
मेरा दिमाग़ खराब हो गया था ...." और वो रोने लगी.
"अनु प्लीज़ मत रोव.... इसमे तुम्हारी क्या ग़लती थी.." मेने उसे चुप
करने की कोशिश की.
"अनुराधा अब रोना बंद करो..." माला दीदी ने कहा, "ये कोई रोने का
समय नही है... जो होना था सो हो गया.." माला दीदी ने कहा.
"हां माला सही कह रही है.." सीमा दीदी ने कहा, "अब तो हमे ये
सोचना है कि इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए."
"तलाक़ की करवाही वो दोनो कब शुरू करना चाहते है? माला दीदी ने
पूछा.
"दीदी में कुछ और भी कहना चाहती हूँ आप दोनो से?" मेने थोड़ा
डरते हुए कहा.
"सूमी ये पहेलियाँ मत बुझाओ." माला दीदी थोड़ा झल्लाते हुए
बोली, "जो कुछ कहना है साथ मे कहो ये टुकड़ों मे बाँट कर मत
कहो?"
"उन्होने दो शर्तें रखी है, " मेने कहा, "अगर ये दोनो शर्तें
पूरी हो गयी तो वो हमे तलाक़ नही देंगे."
"ठीक है, और वो शर्तें क्या है? माला दीदी ने शांत रहते हुए
पूछा.
"पहली शर्त तो ये है को वो दोनो आप दोनो को चोदना चाहते है,"
मुझे तो लगा था कि मेरी ये बात सुनकर वो चिल्ला पड़ेंगी लेकिन
ऐसा कुछ नही हुआ और दीदी ने पूछा, "और दूसरी शर्त क्या है?
"वो चाहते है कि जीजू और जीजाजी उनके लिए दो कुँवारी चूत का
इंतेज़ाम करें हमारी चूत के बदले मे जो इनका हक़ था लेकिन उन्होने
ले ली," मेने हिक्किचाते हुए कहा.
थोड़ी देर दूसरे तरफ फोन पर शांति रही.
"पहली शर्त मे तो कोई परेशानी नही है हां लेकिन दूसरी मे
थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है." सीमा दीदी ने कहा.
"थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है लेकिन नामुमकिन नही है." माला दीदी ने
बीच मे बोली.
"हाई दीदी क्या आप उन दोनो से चुद-वाउन्गि?" अनु लगभग चौंकते हुए
बोली.
"भाई, इसमे बुराई भी क्या है? क़ायदे से जब हमारे पति उनकी बीवियों
को चोद सकते है तो वो उनकी बीवियों को क्यों नही चोद सकते? सीमा
दीदी ने कहा.
"दीदी पता है जब हमने उनकी बात का विरोध किया था तो उन्होने भी
हमे यही कहा था." अनु ने कहा.
"समाझधार बच्चे है." माला दीदी हंस दी.
"अब तुम दोनो चुप रहो," सीमा दीदी ने कहा, "मेरे पास एक उपाय है,
उन्हे कुँवारी चूत चोदने के लिए चाहिए ना. तो ठीक है तुम दोनो
उनसे अपनी नौकरानियों मोना और रीमा को चुदवा दो."
"हमने भी यही सोचा था और जब हमने उनसे ये बात कही तो वो
हमारे मुँह पर हँसने लगे." मेने कहा, वो तो उन दोनो की कुँवारी
चूत कई महीने पहले ही चोद चुके है, अब तो और कोई रास्ता ही
निकालना पड़ेगा."
"अभी तो हमारी समझ मे कुछ भी नही आ रहा और हमारा दिमाग़
भी काम नही कर रहा," सीमा दीदी ने कहा, "लेकिन तुम दोनो हिम्मत
मत हारना हम दोनो कुछ ना कुछ करेंगे उनकी दूसरी शर्त पूरी करने
के लिए."
"तुम दोनो घबराना मत, पहले हमे अजय और विजय से बात कर लेने
दो," माला दीदी ने कहा, "हो सकता है कुछ समय लग जाए शायद
महीना भर भी पर हम हल निकाल कर रहेंगे इसलिए परेशान मत
होना."
"थॅंक यू दीदी," मैने कहा, "मुझे पता था कि आप हमारी मदद
ज़रूर करेंगी." कह कर मेने फोन रख दिया.
"ओह्ह्ह सूमी में बहोत खुश हूँ कि हमारी बहने हमारा साथ दे रही
है." अनु मुझसे गले लगाते हुए बोली.
हर रोज़ की तरह शाम को सात बजे अमित और सुमित ऑफीस से घर
आए. चाइ पीते हुए मेने उन्हे अपनी बहनो से हुई बात के बारे मे
बताया."
"हम जानते हैं कि दूसरी शर्त पूरा करना इतना आसान नही है,"
अमित ने कहा, "अगर उन्हे समय चाहये तो ले सकती है लेकिन एक हद
तक."
थोड़ी देर बाद हम खाने के लिए तय्यार थे, "मोना टेबल पर चार
लोगों का खाना लगा दो." मेने मोना को आवाज़ देते हुए कहा.
"हां दीदी" उसने जवाब दिया.
"चार लोगों का खाना समझ ने नही आया?" सुमित ने पूछा.
"क्यों क्या हुआ," मेने कहा, "अगर वो दोनो हमारे साथ बिस्तर मे सो
सकती है, हमारे पति से चुदवा सकती हैं तो क्या साथ बैठ कर
खाना नही खा सकती."
"तुम सही कहती हो, मेने माफी माँगता हूँ." सुमित ने कहा.
"दीदी खाना लग गया है," थोड़ी देर बाद मोना की आवाज़ आई.
"तुम दोनो आगे चलो हम थोड़ी देर मे आते हैं." मेने अमित और
सुमित से कहा.
करीब डूस मिनिट के बाद हम दोनो पूरी तरह नंगी उनके सामने खाने
के टेबल पर थे.
"वुव क्या बात है?" अमित और सुमित दोनो साथ साथ कह उठे.
"अनु तुम यहाँ मेरे पास बैठो." सुमित ने अपनी पास की कुर्सी की
इसरा करते हुए अनु से कहा, जहाँ मे रोज़ बैठा करती थी.
थोड़ी देर मे मोना और रीमा भी बिल्कुल नंगी खाना लेकर आ गयी.
"ओह्ह आज तो लगता है कि ये सब हम पर मेहरबान है," अमित ने मोना
को अपनी और खींचते हुए कहा.
"अमित लगता है कि हमे भी इनके जैसे हो जाना चाहिए." सुमित ने
खड़े हो अपने कपड़े उतारते हुए कहा. थोड़ी देर मे दोनो हमारी तरह
पूरी तरह नंगे हो गये.
"अब हुई मर्दों वाली बात," कहकर मेने अमित का खड़ा लंड अपने हाथ
मे पकड़ लिया.
"इससे अच्छा खाना हमने पहले कभी नही खाया," अमित ने कहा, "अब
खाने के बाद की हमारी मिठाई कहाँ है?'
"मिठाई मे तुम हमारी चूत चूस सकते हो" अनु ने हंसते हुए
कहा. "तुम्हारे सामने चार चार फ्लेवर की चूत है, उनमे से तुम
कोई भी फ्लेवर पसंद कर सकते हो.
"वो तो हम बाद मे भी खा सकते है, फिलहाल मीठे मे क्या है?"
सुमित ने पूछा.
मोना और रीमा उठी और किचन से दो कटोरे लेकर लौटी, "अभी के
लिए खीर है" मेने कहा.
"वाउ खीर तो मुझे बहो पसंद है." सुमित ने खुश होते हुए कहा.
"सर मेने उसी तरह बनाई है जैसे कि आपको पसंद है." मोना ने
कहा.
"बहुत अच्छा." सुमित ने कहा.
"भाई क्यों इन लड़कियों को भी आज खीर एक शाही अंदाज़ मे खिला दी
जाए." अमित ने अपनी कुर्सी पीछे करते हुए कहा.
"हां ये ठीक रहेगा," कहकर सुमित ने भी अपनी कुर्सी पीछे कर
दी, "अनु और मोना तुम दोनो मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठ
जाओ और सूमी और रीमा तुम दोनो अमित की टाँगों के बीच."
फिर वो अपने लंड को खीर के कटोरे मे डुबोते और हमे चूसने के
लिए दे देते. हम चारों खीर मे डूबे उनके लड को चूसने लगे.
थोड़ी देर बाद उनके लंड ने पानी छोड़ दिया जिसे हम चारों पी गये.
"अब हमारी बारी है खीर खाने की" अमित ने खीर के कटोरे उठाते
हुए कहा, "लेकिन हम बेडरूम मे खाएँगे."
जब हम सब बेडरूम मे आ गये तो अमित ने मुझे और मोना को बिस्तर
पर लेटने को कहा, जब में और मोना लेट गये तो बिस्तर की दूसरे
कौने पर अनु और रीमा भी लेट गयी.
फिर अमित और सुमित ने ठंडी खीर की एक चमच भर हम सभी की
चूत के अंदर डाल अपनी जीब निकाल उसे चाटने लगे.
"ओह अनु ठंडी खीर का स्पर्श और उपर से इनकी जीएब, ऑश
कितना अक्चा लग रहा है...." में उन्माद मे सिसक पड़ी.
कमरे मे हम चारों की सिसकियाँ गूँज रही थी.
"ऑश अमित अब नही सहा जाता अपना मुँह हटा लो नही तो इस खीर के
साथ मे कुछ और भी मिला दूँगी," मेने सिसकते हुए कहा.
"मना किसने किया है, मिला दो अछा है एक नई खीर खाने को मिल
जाएगी," कहकर अमित और जोरों से मेरी चूत चूसने लगा.
कटोरे मे खीर ख़तम होने तक हम चारों की चूत कई बार पानी
छोड़ चुकी थी.
"अब हम क्या करें?" सुमित ने अपने होठों को सॉफ करते हुए पूछा.
"वही जो सुबह कर रहे थे," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार हमारी बारी
बीच मे होने की."
क्या रात गुज़री हम लोगों की. शायद इस कदर हमने कभी चुदाई नही
की थी. पहले तो में और अनु, मोना और रीमा की चूत चूस्ते रहे
और दोनो अमित और सुमित हमारी गंद और चूत पीछे से मारते रहे.
फिर पार्ट्नर बदल बदल सारी रात यही चलता रहा.
में और अनु काफ़ी खुश थे. सब कुछ पहले की जैसे ही हो रहा था.
हमारे. कहीं कोई गड़बड़ नही थी. जब हमारे पति ऑफीस चले जाते
तो दिन मोना और रीमा थी हमारे साथ और रात मे हमारे पति हमारी
जमकर चुदाई करते.
हमारी हर रात हर दिन पहले से आक्ची गुज़रती. हम कई आसन से
चुदाई करते. यहाँ तक अमित और सुमित खाम्सुत्र की कीताब भी ले
आए थे जिन्हे देख कर हम सभी आसनो का प्रयोग करते. हमारी
चुदाई मे मोना और रीमा भी शर्ीएक रहती थी.
एक दिन खाना खाने के बाद हम सोने की तय्यरी कर रहे थे तो अमित
ने पूछा, "क्या तुम दोनो मे से किसी ने कभी दो लंड से एक साथ
चुडवाया है?"
"कई बार लिया है," अनु हंसते हुए बोली.
"तो तुम्हे मज़ा आता है?" सुमित मुस्कुराते हुए बोला.
"हां मुझे तो बहोत अक्चा लगता है, जब एक लंड मेरी चूत मे
घुसा हुआ होता है और दूसरे लंड को जब में चूस रही होती हूँ."
अनु ने जवाब दिया.
"अनु डार्लिंग, अमित का कहने का मतलब कुछ और है," सुमित ने
कहा, "इसका मतलब है कि एक लंड चूत मे और एक लंड गंद मे कभी
साथ मे लिया है?"
"तुम्हारा मतलब है दोनो साथ मे वो कैसे हो सकता है?" अनु ने
पूछा.
"हां मेरी जान आज में एक कहानी पढ़ रहा था, जिसमे एक लड़की दो
मर्दों से साथ साथ चुदवाति है और तीनो को बहोत मज़ा आता है."
अमित ने हंसते हुए कहा.
"क्या ऐसा हो सकता है?" मेने पूछा.
"कहानी के हिसाब से हो सकता है, हमने भी फेले कभी ऐसा किया
नही है पर हां करना ज़रूर चाहेंगे," सुमित ने कहा, "अनु क्या
तुम भी इसका मज़ा लेना चाहोगी?"
"एक मिनिट मुझे सोचने दो," अनु ने कहा, फिर मोना रीमा और मेरी
तरफ देख बोली, "में तो सबसे छोटी हूँ तो क्यँ ना किसी बड़े से
शुरआत की जाए और वो मुझे बताए कि दो लंड से चुदवाने मे कैसा
लगता है."
"हम तो तय्यार है," मोना और रीमा साथ साथ बोली.
"सूमी तुम तीनो मे से तुम्हे चूना जाता है." सुमित ने हंसते हुए
कहा.
"अनु तू सही मे छिनाल है, लेकिन चिंता मत कर अगर एक दिन मेने
भी तुझे नही फँसाया तो कहना," मेने कहा, "ठीक है अब बोला तुम
दोनो मुझसे क्या चाहते हो?
"तुम बताओ किसका लंड कहाँ लेना चाहोगी?" सुमित ने पूछा.
"मुझे कोई फरक नही पड़ता जिसका लंड चाहे जहाँ घुसे," मेने
जवाब दिया. "तुम कहो?"
"में इसकी गंद मारूँगा," अमित ने कहा.
"ठीक है," सुमित बिस्तर पर लेटते हुए बोला. फिर उसने मुझे मेरी
टाँगो को उसके बगल मे रख कर उपर आने को कहा. में उसके कहे
अनुसार उसपर लेट गयी, मेरी गंद हवा मे उठ गयी थी.
फिर सुमित ने अपने लंड को नीचे से मेरी चूत पर लगाया और अमित
ने पीछे से अपने लंड को मेरी गंद के छेद पर रख दिया. अब दोनो
अपने लंड को अंदर घुसने लगे.
"आराम से अमित दर्द हो रहा है," मेने कहा.
क्रमशः...............
mardon ki duniya paart--6
"Sumit ye ab kaun si nai shart rakhna chahte ho?" meine khijte hue
pucha.
"Hamari shart sirf itni si hai ki jis tarah jiju aur jijaji ne tum
dono ko choda hai, waise hi mein aur Sumit bhi tum dono ko chodna
chahenge." Amit ne muskurate hue kaha.
Meine pehle Amit ki aur dekha wo mand mand muskura raha tha, phir
meine Anu ki aur dekha ki shayad wo kuch kehna chahti ho lekin uske
chehre se to aisa lag raha tha jaise ki use man mangi murad mil gayi
ho, phir mein kaun hoti thi mana karne wali, "Thik hai mujhe manjoor
hai," ye to kabhi na kabhi hona hi tha, meine sochte hue kaha.
"Ohhh Anu, mein hamesha socha karta tha ki kya mein apne dono hahton
se bhi tumhari ye badi badi chuchiyon ko pakad paunga ki nahi,"
Sumit ye kehte hue Anu ki aur badha, "aaj mein jaroor pakad kar
dekhna chahunga."
"Meine kab mana kiya hai, pehle kehte to pehle pakda deti..." kehkar
Anu ne apni nightee uttar di, aur Sumit uski chuchiyon ko hahton me
pakad masalne laga.
"OHHH SUMIT JARA DHEEERE" Anu sisak padi.
Sumit ne apna payjama uttar diya aur Anu ko bistar par dhakelte hue
bola, "OHH KYA MAST CHUCHIYAN HAI... CHALO CHUDAI KARTE HAI.'
"Haan Sumit mein bhi kab se taras rahi thi aaj ke din ke liye," Anu
ne kaha.
Amit chup chap baitha un dono ko dekh raha tha, mein inse peeche
nahi rehna chahti thi.
"Amit meri chuchiyan Anu jitni badi aur bhari nahi hai, lekin phir
bhi acchi hai tumhe mazaa aayega.' meine apni nithtee uttar uski aur
badhte hue kaha.
"Haan Sumi mein bhi tumhari in chuchiyon se khelna chahta tha," Amit
ne apna payjama uttarte hue kaha. Uska lund puri tarah tan kar khada
tha.
Us raat Amit ne mujhe kai bar choda aur sone se pehle to usne meri
gand bhi mari.
Hamesha ki tarah Mona subah ki chai lekar kamre me aayi to hum
charon ko ek sath bistar me dekh joron se hansne lagi aur jor se
chillayi, "REEMA CHAI YAHIN LE AAO YE CHARON YAHIN IS KAMRE ME HAI."
Reema chai ki tary liye kamre me aayi aur hame dekh jhenp gayi. Wo
dono chai ki tray rakh kar jane lagi, "Tum dono kahan jaa rahi ho?"
meine pucha.
Dono ruk kar meri taraf dekhne lagi, "kal raat tumhari chote maalik
ne kaha tha ki tum dono ki choot bahot pyaari hai, hum dekhna chahte
hai tumhari pyaari choot ko, apne kapde uttaro?" meine kaha.
Dono chup chap khadi rahi, unki samajh me nahi aa raha tha ki kya
karen.
"Tum dono ne suna nahi didi kya keh rahi hai, chalo kapde uttar kar
nangi ho jao." Anu ne kaha.
Jab dono kapde uttar kar nangi ho gayi to meine Anu se kaha, "Anu
kya khayal hai agar hamari choot ko subah ka naashta mil jaye?"
"Haan Sumi mazaa aa jayega," kehkar wo bistar par apni tange failate
hue let gayi.
"Chalo ladkiyon shuru ho jao.... aaj se pehle tum dono ne malai se
bhari choot nahi choosi hogi," meien apni tange faila choot ko
kholte hue kaha.
"Mona aaj tum meri choot chooso," Anu apni choot ki aur ishara karte
hue boli.
Kisi agyakarik bacchon ki tarah dono hamari tango ke beech aa gayi
aur apne chootad hawa me uthate hue hamari choot choosne lagi.
"OHHH KITNA ACCCHA LAG RAHA HAI...." Sisakte hue meine apne bagal
mein dekha ki Amit aur Sumit aankh phade Mona aur Reema ko hum dono
ko choot chooste hue dekh rahe the.
"Tum dono kal raat Mona aur Reema ki choot chodna chahte the na to
isse behtar mauka kahan milega. Kyon na tum dono apne lund ko peeche
se inki choot me dal do? meine kaha.
"Haan abhi lo," khushi se uchalte hue dono Mona aur Reema ki peeche
aa gaye. Sumit ne neeche se Reema ki chuchiyon ko pakda aur ek hi
dhakke me apna lund uski choot me pel diya. Amit bhi peeche nahi
raha aur usne apna lund Mona ki choot me dal use chodne laga.
Amit aur Sumit is tarah Reema aur Mona ki choot marne lage jaise ki
unhe phir kabhi unki choot marne ka mauka hi nahi milega.
"OHHH..AAAAHHHHH" Jaise hi Sumit ka lund Reema ki choot me ghoosa wo
sisak padi," OHHHH KITNA ACCHA LAG RAHA HAI"
"To ladkiyon mazaa aa raha hai na?" Anu ne pucha.
"HAAN DIDI BAHOT MAZAA AA RAAH HAI.... BAHOT DINO KE BAAD LUND MILA
HAI NA.......OHHH HAAAAN" Dono sisakte hue boli.
Dus minute ke baad hum charon jhad gaye. Mona aur Reema ne apni
jagah badal lee, aur fir se chudai karane lagi.
"Amit kya kehte ho phir se teen tak ginti ho jay?" Sumit ne kaha.
"Haan bhai kyon nahi.... ye lo ek.. do.... teen."Amit ne ginti shuru
ki aur teen ki geenti par dono ladkiyan chilla uthi.
"Are kya hua? kya ye dono tumhe takleef de rahe hai,?" meien Mona ke
balon me hath firate hue pucha.
"Nahi didi, Sumit sir ne apna lund meri gand me ghused diya tha..."
Mona ne bataya.
"Amit sir bhi meri gand mar rahe hai," Reema ne bhi kaha.
"Lauda gand me andar bahar hota hai to bahot accha lagta hai hai
na?" Anu ne hanste hue kaha.
Dono ne apni gardan hilate hue hum dono ki choot choosne lagi.
Jab hum charon ek bar fir jhad gaye to Amit ne kaha, "Bhai mein to
thak gaya hun, kyon na kuch chai naashta ho jaye"
Mona aur Reema kitchen me jaakar chai aur naashta le aaye.
"Chalo ek bar aur ho jaye," Anu ne kaha, "lekin is bar mein Reema ki
choot choosongi aur Sumi Mona ki......."
"Sorry deviyon, aabhi nahi, abhi hamari ek jaroori meeting hai 10.00
baje," Sumit Anu ki chuchiyon ko masalte hue bola, "raat ko phir
yahin se shuruat karenge."
"Koi baat nahi chalo saath me sab snan karte hai." Anu ne kaha.
Lekin hamare kamre ka shower itna bada nahi tha ki hum cheh jane
sath me naha sakte isliye do team bani, Sumit mein aur Mona ek team
me aur Amit Anu aur Reema doosri team me.
Jab hum teeno sath sath naha chuke to Mona boli, "Sir kya mein aapka
lund choosti hun, kitne din ho gaye lund choose hue?"
"Shauk se meri jaan," kehkar Sumit ne apna lund Mona ke munh me de
diya.
Mona ko to jaise man ki murad mil gayi wo joron se Sumit ke lund ko
apne munh me le choosne lagi.
"OHHHH HAAAAN CHOOOSO AUR JOOOR SE CHOOOSO," Sumit badbadane laga,
phir mere hathon ko uski choot par rakhte hue bola, "iski choot me
ungal karo."
Meine apni ungli Mona ki choot me dal use chodne lagi tabhi Sumit ne
apni do ungli meri gand me daal di.
'OHHHH SUMIIIIT AAAAH HAAAN AUR ANDAR TAK DAL DOOOO OHHH.' mien bhi
sisak padi.
* * * * * * * * * * * *
Usi din subah 11.00 baje ke kareeb meine apni behan Seema ko phone
kiya. Thodi der haal chaal puchne ke baad meine kaha, " Didi, kya
Mala didi aapke sath hai?"
"Nahi bolo kya baat hai?" Seema didi ne kaha.
"Hame aapse kuch jaroori baat karni hai, kya aap unhe bula sakti
hai... mein baad me phone karungi." meine kaha.
"Haan me bula sakti hun, lekin baat kya hai wo to batao? Seema didi
jor dete hue boli.
"Nahi, jab aap dono sath me hongi tabhi bataungi." meine kaha.
Seema didi ne kafi jeed ki lekin mein bhi apni baat par adi rahi,
aakhir unhone kaha, "Thik hai jaisi teri marzi. Ek ghante ke baad
phone karna tab tak mein use bula kar rakhti hun."
Ek ghante ke bad meine phone lagaya, "Mala didi hai," meine pucha.
"Haan Sumi mein Mala hi bol rahi hun," Mala didi ne jawab diya, "Ab
jaldi se batao kya bat hame kafi pareshan hai."
"Khaas baat ye hai ki Amit aur Sumit hum dono ko talaq dena chahte
hai." meien kaha.
"Kya kaha....." dono chilla uthi... "par kyon?
"Unhe pata chal gaya ki shaadi ke waqt hum dono kunwari nahi thi."
meine kaha.
"Par shaadi ke ek mahine baad kyon? Mala didi ne pucha, unhe ab bhi
vishwas nahi ho raha tha.
"Jaisa humne bataya tha tum dono ko sab baaton se inkaar kar dena
chahiye tha." Seema didi ne Mala didi se phone lekar kaha.
"Hamne sab waise hi kiya tha lekin phir bhi unhe pata chal gaya."
meine kaha.
Tabhi Anu mujhse phone mangne lagi,, lekin mein janti thi ki wo kya
kahegi isliye meine use phone nahi diya.
"Sawal hi nahi uthta ki unhe pata chal jaye, jaroor tum dono ne
kabool kar liya hoga." Seema didi ne kaha
"Kya tum dono ne kabool kiya?" Mala didi ne pucha.
Iske pehle ki mein koi jawab deti Anu ne mere hathon se phone chin
liya aur jor se chillate hue boli, "HAAN DIDI MEINE SAB BATA DIYA...
MERA DEEMAG KHARAB HO GAYA THA ...." aur wo rone lagi.
"Anu pleas mat rovo.... isme tumhari kya galti thi.." meine use chup
karane ki koshish ki.
"Anuradha ab rona band karo..." Mala didi ne kaha, "ye koi rone ka
samay nahi hai... jo hona tha so ho gaya.." Mala didi ne kaha.
"Haan Mala sahi keh rahi hai.." Seema didi ne kaha, "Ab to hame ye
sochna hia ki is samasya ka hal kaise nikala jaye."
"Talaq ki karvahi wo dono kab shuru karna chahte hai? Mala didi ne
pucha.
"Didi mein kuch aur bhi kehna chahti hun aap dono se?" meine thoda
darte hue kaha.
"Sumi ye paheliyan mat bujhao." Mala didi thoda jhallate hue
boli, "Jo kuch kehna hai sath me kaho ye tukdon me bant kar mat
kaho?"
"Unhone do shartein rakhi hai, " meine kaha, "agar ye dono shartein
prui ho gayi to wo hame talaq nahi denge."
"Thik hai, aur wo shartein kya hai? Mala didi ne shant rehte hue
pucha.
"Pehli shart to ye hai ko wo dono aap dono ko chodna chahte hai,"
mujhe to laga tha ki meri ye baat sunkar wo chilla padengi lekin
aisa kuch nahi hua aur didi ne pucha, "aur doosri shart kya hai?
"Wo chahte hai ki jiju aur jijaji unke liye do kunwari choot ka
intezam karen hamari choot ke badle me jo inka haq tha lekin unhone
le li," meine hickichate hue kaha.
Thodi der doosre taraf phone par shanti rahi.
"Pehli shart me to koi pareshani nahi hai haan lekin doosri me
thodi takleef ho sakti hai." Seema didi ne kaha.
"Thodi takleef ho sakti hai lekin namumkin nahi hai." Mala didi ne
beech me boli.
"Hey didi kya aap un dono se cudwaiyngi?" Anu lagbhag chaunkte hue
boli.
"Bhai, isme burai bhi kya hai? kayde se jab hamare pati unki biwiyon
ko chod sakte hai to wo unki biwiyon ko kyon nahi chod sakte? Seema
didi ne kaha.
"Didi pata hai jab hamne unki baat ka virodh kiya tha to unhone bhi
hame yahi kaha tha." Anu ne kaha.
"Samajhdhar bacche hai." Mala didi hans di.
"Ab tum dono chup raho," Seema didi ne kaha, "mere paas ek upay hai,
unhe kunwari choot chodne ke liye chahiye na. To thik hai tum dono
unse apni naukaraniyon Mona aur Reema ko chudwa do."
"Hamne bhi yahi socha tha aur jab humne unse ye baat kahi to wo
hamare munh par hansne lage." meine kaha, wo to un dono ki kunwari
choot kai mahine pehle hi chod chuke hai, ab to aur koi rasta hi
nikalana padega."
"Abhi to hamari samajh me kuch bhi nahi aa raha aur hamara deemag
bhi kaam nahi kar raha," Seema didi ne kaha, "lekin tum dono himmat
mat harna hum dono kuch na kuch karenge unki doosri shart puri karne
ke liye."
"Tum dono ghabrana mat, phele hame Ajay aur Vijay se baat kar lene
do," Mala didi ne kaha, "ho sakta hai kuch samay lag jaye shayad
mahina bhar bhi par hum hal nikal kar rahenge isliye pareshan mat
hona."
"Thank you didi," miene kaha, "mujhe pata tha ki aap hamari madad
jaroor karengi." keh kar meine phone rakh diya.
"Ohhh Sumi mein bahot khush hun ki hamari behene hamara sath de rahi
hai." Anu mujhse gale lagte hue boli.
Har roz ki tarah shaam ko sat baje Amit aur Sumit office se ghar
aaye. Chai peete hue meine unhe apni hehano se hui baat ke bare me
bataya."
"Hum jaante hain ki doosri shart pura karna itna asaan nahi hai,"
Amit ne kaha, "agar unhe samay chahye to le sakti hai lekin ek had
tak."
Thodi der bad hum khane ke liye tayyar the, "Mona table par cheh
logon ka khana laga do." meine Mona ko awaaz dete hue kaha.
"Haan didi" usne jawab diya.
"Cheh logon ka khana samajh ne nahi aaya?" Sumit ne pucha.
"Kyon kya hua," meine kaha, "Agar wo dono hamare sath bistar me so
sakti hai, hamare pati se chudwa sakti hain to kya sath baith kar
khana nahi kha sakti."
"Tum sahi kehti ho, meine maafi mangta hun." Sumit ne kaha.
"Didi khana lag gaya hai," Thodi der bad Moan ki awaaz aayi.
"Tum dono aage chalo hum thodi der me aate hain." meine Amit aur
Sumit se kaha.
Kareeb dus minute ke baad hum dono puri tarah nangi unke samne khane
ke table par the.
"WOOW KYA BAAT HAI?" Amit aur Sumit dono sath sath keh uthe.
"Anu tum yahan mere paas baitho." Sumit ne apni paas ki kursi ki
isara karte hue Anu se kaha, jahan me roz baitha karti thi.
Thodi der me Mona aur Reema bhi bilkul nangi khana lekar aa gayi.
"Ohh aaj to lagta hai ki ye sab hum par meharban hai," Amit ne Mona
ko apni aur kheenchte hue kaha.
"Amit lagata hai ki hame bhi inki jaise ho ajna chahiye." Sumit ne
khade ho apne kapde uttarte hue kaha. Thodi der me dono hamari tarah
puri tarah nange ho gaye.
"Ab hui mardon wali baat," kehkar meine Amit ka khada lund apne hath
me pakad liya.
"Isse accha khana hamne pehle kabhi nahi kahaya," Amit ne kaha, "Ab
khane ke baad ki hamari mithai kahan hai?'
"Mithai me tum hamari choot choos sakte ho" Anu ne hanste hue
kaha. "Tumhare samne chaar char flavour ki choot hai, unme se tum
koi bhi flavour pasand kar sakte ho.
"Wo to hum baad me bhi kha sakte hai, filhaal meethe me kya hai?"
Sumit ne pucha.
Mona aur Reema uthi aur kitchen se do katore lekar lauti, "Abhi ke
liye kheer hai" meine kaha.
"Wow kheer to mujhe baho pasand hai." Sumit ne khush hote hue kaha.
"Sir meine usi tarah banayi hai jaise ki aapko pasand hai." Mona ne
kaha.
"Bahot accha." Sumit ne kaha.
"Bhai kyon in ladkiyon ko bhi aaj kheer ek shahi andaz me khila dee
jaye." Amit ne apni kursi peeche karte hue kaha.
"Haan ye thik rahega," kehkar Sumit ne bhi apni kursi peeche kar
di, "Anu aur Mona tum dono meri tango ke beech ghutno ke bal baith
jao aur Sumi aur Reema tum dono Amit ki tangon ke beech."
Phir wo apne lund ko kheer ke katore me dubote aur hame choosne ke
liye de dete. Hum charon kheer me dube unke lud ko choosne lage.
Thodi der bad unke lund ne pani chod diya jise hum charon pee gaye.
"Ab hamari bari hai kheer khane ki" Amit ne kheer ke katore uthate
hue kaha, "lekin hum bedroom me khayenge."
Jab hum sab bedroom me aa gaye to Amit ne mujhe aur Mona ko bistar
par letne ko kaha, jab mein aur Mona let gaye to bistar ki doosre
kaune par Anu aur Reema bhi let gayi.
Phir Amit aur Sumit ne thandi kheer ki ek chamach bhar hum sabhi ki
choot ke andar daal apni jeeb nikal use chaatne lage.
"Ohhhhhh Anu thandi kheer ka sparsh aur upar se inki jeeeb, ohhhh
kitna accha lag raha hai...." Mein unmad me sisak padi.
Kamre me hum charon ki siskiyan gunj rahi thi.
"OHHH AMIT AB NAHI SAHA JAATA APNA MUNH HATA LO NAHI TO IS KHEER KE
SATH ME KUCH AUR BHI MILA DOONGI," Meine sisakte hue kaha.
"Mana kisne kiya hai, mila do achaa hai ek nai kheer khane ko mil
jayegi," kehkar Amit aur joron se meri choot choosne laga.
Katore me kheer khatam hone tak hum charon ki choot kai bar pani
chod chuki thi.
"Ab hum kya karen?" Sumit ne apne hothon ko saaf karte hue pucha.
"Wahi jo subah kar rahe the," Anu ne kaha, "lekin is bar hamari bari
beech me hone ki."
Kya raat guzri hum logon ki. Shayad is kadar hamne kabhi chudai nahi
ki thi. Pehle to mein aur Anu, Mona aur Reema ki choot chooste rahe
aur dono Amit aur Sumit hamari gand aur choot peeche se marte rahe.
Phir partner badal badal sari raat yahi chalta raha.
Mein aur Anu kafi khush the. Sab kuch pehle ki jaise hi ho raha tha.
Hamare. Kahin koi gadbad nahi thi. Jab hamare pati office chale jate
to din Mona aur Reema thi hamare sath aur raat me hamare pati hamari
jamkar chudai karte.
Hamari har raat har din pehle se acchi guzarti. Hum kai aasan se
chudai karte. Yahan tak Amit aur Sumit Kaamsutra ki keetab bhi le
aaye the jinhe dekh kar hum sabhi aasano ka prayog karte. Hamari
chudai me Mona aur Reema bhi shareeek rehti thi.
Ek din khana khane ke baad hum sone ki tayyari kar rahe the to Amit
ne pucha, "Kya tum dono me se kisi ne kabhi do lund se ek sath
chudwaya hai?"
"Kai bar liya hai," Anu hanste hue boli.
"To tumhe mazaa aata hai?" Sumit muskurate hue bola.
"Haan mujhe to bahot accha lagta hai, jab ek lund meri choot me
ghusa hua hota hai aur doosre lund ko jab mein choos rahi hoti hun."
Anu ne jawab diya.
"Anu darling, Amit ka kehne ka matlab kuch aur hai," Sumit ne
kaha, "iska matlab hai ki ek lund choot me aur ek lund gand me kabhi
sath me liya hai?"
"Tumhara matlab hai dono sath me wo kaise ho sakta hai?" Anu ne
pucha.
"Haan meri jaan aaj mein ek kahani padh raha tha, jisme ek ladki do
mardon se sath sath chudwati hai aur teeno ko bahot mazaa ata hai."
Amit ne hanste hue kaha.
"Kya aisa ho sakta hai?" meine pucha.
"Kahani ke hisab se ho sakta hai, hamne bhi phele kabhi aisa kiya
nahi hai par haan karna jaroor chahenge," Sumit ne kaha, "Anu kya
tum bhi iska maza lena chahogi?"
"Ek minute mujhe sochne do," Anu ne kaha, phir Mona Reema aur meri
taraf dekh boli, "Mein to sabse choti hun to kyan na ksi bade se
shurat ki jaye aur wo mujhe bataye ki do lund se chudwane me kaisa
lagta hai."
"Hum to tayyar hai," Mona aur Reema sath sath boli.
"Sumi tum teeno me se tumhe choona jata hai." Sumit ne hanste hue
kaha.
"Anu tu sahi me chinaal hai, lekin chinta mat kar agar ek din meine
bhi tujhe nahi phansaya to kehna," meine kaha, "thik hai ab bola tum
dono mujhse kya chahte ho?
"Tum batao kiska lund kahan lena chahogi?" Sumit ne pucha.
"Mujhe koi farak nahi padta jiska lund chahe jahan ghuse," meine
jawab diya. "tum kaho?"
"Mein iski gand maroonga," Amit ne kaha.
"Thik hai," Sumit bistar par lette hue bola. Phir usne mujhe meri
tango ko uske bagal me rakh kar upar aane ko kaha. Mein uske kahe
anusar uspar let gayi, meri gand hawa me uth gayi thi.
Phir Sumit ne apne lund ko neeche se meri choot par lagaya aur Amit
ne peeche se apne lund ko meri gand ke ched par rakh diya. Ab dono
apne lund ko andar ghusane lage.
"Araam se Amit dard ho raha hai," meine kaha.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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