Wednesday, April 21, 2010

सेक्स स्लेव्स अंजलि की दास्तान पार्ट--1

raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,

अंजलि की दास्तान पार्ट--1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आप के लिए एक और नई कहानी अंजलि की दास्तान लेकर हाजिर हूँ
मेरा नाम अंजलि सिंग है. मैं एक शादी शुदा महिला हूँ. गुजरात मे सूरत के पास एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री मे हज़्बेंड मिस्टर. ब्रिजभूषण सिंग ( वी कॉल हिम ब्रिज) इंजिनियर के पोस्ट मे काम करते हैं. उनके
टेक्सटाइल मिल मे हमेशा लेबर प्राब्लम रहती है.

मजदूरों का नेता क़य्यूम बहुत ही काइयां टाइप का आदमी है. ऑफीसर लोगों को उस आदमी को हमेशा पटा कर रखना पड़ता है. मेरे पति की उस से बहुत पट ती थी. मुझे उनकी दोस्ती फूटी आँख भी नहीं सुहाति थी
शादी के बाद मैं जब नयी नयी आई थी वो पति के साथ अक्सर आने लगा. उसकी आँखें मेरी बदन पर फिरती रहती थी. मेरा बदन वैसे भी काफ़ी सेक्सी था. वो पूरे बदन पर नज़रें फेरता रहता था. ऐसा लगता था मानो वो कल्पना में मुझे नग्न कर रहा हो. शादी के बाद मुझे किसी को यह बताने के बाद बहुत शर्म आती थी. फिर भी मैने ब्रिज को समझाया कि ऐसे आदमियों से दोस्ती छोड़ दे मगर वो तर्क देता था कि प्राइवेट कंपनी मे नौकरी करने पर थोड़ा बहुत ऐसे लोगों से बना कर रखना पड़ता ही है. उनके तर्क के आगे मैं चुप हो जाती थी. मैने कहा भी कि वो आदमी मुझे बुरी नज़रों से घूरता रहता है. मगर वो मेरी बात पर कोई तवज्जो नहीं देते थे. क़य्यूम कोई 45 साल का भैसे की तरह काला आदमी था. उसका काम हर वक़्त कोई ना कोई खुराफात करना रहता था. उसकी पहुँच उपर तक थी. उसका दबदबा आस पास की कई कंपनी मे चलता था. बाजार के नुक्कड़ पर उसकी कोठी थी जिसमे वो अकेला ही रहता था. कोई फॅमिली नहीं थी मगर लोग बताते हैं कि वो बहुत ही रंगीला आदमी है और अक्सर उसके घर मे लड़कियाँ भेजी जाती थी. हर वक़्त कई चंचों से घिरा
रहता था. वो सब देखने मे गुण्डों से लगते थे. सूरत और इसके
आसपास काफ़ी टेक्सटाइल के छ्होटे मोटे फॅक्टरीस हैं. इन सब मे क़य्यूम
की अग्या के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था. उसकी पहुँच यहाँ के
एमएल ए से भी ज़्यादा है.

ब्रिज के सामने ही कई बार मेरे साथ गंदे मज़ाक भी करता था. मैं
गुस्से से लाल हो जाती थी मगर ब्रिज हंस कर टाल देता था. बाद मे
मेरे शिकायत करने पर मुझे बाहों मे लेकर मेरे होंठों को चूम
कर कहता,
"अंजू तुम हो ही ऐसी की किसी का भी मन डोल जाए तुम पर. अगर कोई
तुम्हें देख कर ही खुश हो जाता हो तो हमे क्या फ़र्क़ पड़ता है."
घर के डोर की च्चितकनी मे कोई नुखस था. दरवाजे को ज़ोर से
धक्का देने पर च्चितकनी अपने आप गिर जाती थी.
होली से दो दिन पहले एक दिन पहले किसी काम से क़य्यूम हमारे घर
पहुँचा. दिन का वक़्त था. मैं उस समय बाथ रूम मे नहा रही थी.
बाहर से काफ़ी आवाज़ लगाने पर भी मुझे सुनाई नहीं दिया था. शायद
उसने घंटी भी बजाई होगी मगर अंदर पानी की आवाज़ मे मुझे कुच्छ
भी सुनाई नहीं दिया. मैं अपने धुन मे गुनगुनाती हुई नहा रही थी.
उसने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो दरवाजे की च्चितकनी गिर
गयी और दरवाजा खुल गया. क़य्यूम ने बाहर से आवाज़ लगाई मगर
कोई जवाब ना पाकर दरवाजा खोल कर झाँका. कमरा खाली पाकर वो
अंदर प्रवेश कर गया. उसे शायद बाथरूम से पानी गिरने की एवं
मेरे गुनगुनाने की आवाज़ आई तो पहले तो वो वापस जाने के लिए मुड़ा
मगर फिर कुच्छ सोच कर धीरे से दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया.
और मूड कर बेड रूम मे प्रवेश कर गया. मैने पूरे घर मे अकेले
होने के कारण कपड़े बाहर बेड पर ही रख रखे थे. उन पर उसकी
नज़र पड़ते ही आँखों मे चमक आगयी. उसने सारे कपड़े समेट कर
अपने पास रख लिए. मैं इन सब से अंजान गुनगुनाती हुई नहा रही
थी. नहाना ख़त्म कर के बदन तौलिए से पोंच्छ कर पूरी तरह नग्न
बाहर निकली. वो दरवाजे के पीछे छुपा हुआ था इसलिए उसपर नज़र
नहीं पड़ी. मैने पहले ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने हुस्न
को निहारा. फिर बदन पर पाउडर च्चिड़क कर कपड़ों की तरफ़ हाथ
बढ़ाए. मगर कपड़ों को बिस्तर पर ना पाकर चोंक गयी. तभी
दरवाजे के पीछे से क़य्यूम लपक कर मेरे पीछे आया और मेरे नग्न
बदन को अपनी बाहों की गिरफ़्त में ले लिया. मैं एक दम सकते मे
आगेई. समझ मे नहीं आरहा था कि क्या करें. उसके हाथ मेरे बदन
पर फिर रहे थे. मेरे एक निपल को अपने मुँह मे ले लिया और दोसरे को
हाथों से मसल रहा था. एक हाथ मेरी योनि पर फिर रहे थे.
अचानक उसकी दो उंगलिया मेरी योनि मे प्रवेश कर गयी. मैं एकद्ूम से
चिहुनक उठी और उसे एक ज़ोर से झटका दिया और उसकी बाहों से निकल
गयी. मैं चीखते हुए मैं डोर की तरफ दौरी मगर कुण्डी खोलने
से पहले फिर उसकी गिरफ़्त मे आगेई. वो मेरे स्तनों को बुरी तरह
मसल रहा था.
"छोड़ कमीने नहीं तो मैं शोर मचाउन्गि" मैने चीखते हुए कहा.
तभी हाथ चितकनी तक पहुँच गये. और दरवाजा खोल दिया. मेरे
इस हरकत की उसे शायद उम्मीद नहीं थी. मैने एक जोरदार झापड़ उसके
गाल पर लगाया और अपने नग्न हालत की परवाह ना करते हुए मैने
दरवाजे को खोल दिया. शेरनी की तरह चीखी,
"निकल जा मेरे घर से." और उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया.
उसकी हालत चोट खाए शेर की तरह हो रही थी. चेहरा गुस्से से लाल
सुर्ख हो रहा था. उसने फुंफ़कार्टे हुए कहा,
"साली बड़ी सती सावित्री बन रही है. अगर तुझे अपने नीचे ना
लिटाया तो मेरा नाम भी क़य्यूम नहीं. देखना एक दिन तू आएगी मेरे
पास मेरे लंड को लेने. उस समय अगर तुझे अपने इस लिंग पर ना
कूदवाया तो देखना.
मैने भड़क से उस के मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया. मैं वहीं
दरवाजे से लग कर रोने लगी.
शाम को जब ब्रिज आया तो उसपर भी फट पड़ी. मैने उसे सारी बात
बताई और ऐसे दोस्त रखने के लिए उसे भी खूब खरी खोटी सुनाई.
पहले तो ब्रिज ने मुझे मनाने की काफ़ी कोशिश की. कहा कि ऐसे बुरे
आदमी से क्या मुँह लगना. मगर मैं तो आज उसकी बातों मे आने वाली
नहीं थी. आख़िर वो उस से भिड़ने निकला. क़य्यूम से झगड़ा करने पर
क़य्यूम ने भी खूब गलियाँ दी. उसने कहा
"तेरी बीवी नंगी होकर दरवाजा खोल कर नहाए तो इसमे सामने वाले की
क्या ग़लती है. अगर इतनी ही सती सावित्री है तो बोला कर कि बुर्क़े में
रहे."
उसके आदमियों ने धक्के देकर ब्रिज को बाहर निकाल दिया. पोलीस मे
कंप्लेन लिखाने गये मगर पोलीस ने कंप्लेन लिखने से मना कर
दिया. सब उससे घबराते थे. खैर खून का घूँट पीकर चुप हो जाना
पड़ा. बदनामी का भी डर था. और ब्रिज की नौकरी का भी सवाल था.
धीरे धीरे समय गुजरने लगा. चौराहे पर अक्सर क़य्यूम अपने
चेले चपटों के साथ बैठा रहता था मैं कभी वहाँ से गुजरती
तो मुझे देख कर अपने साथियों से कहता.
"ब्रिज की बीवी बड़ी कंटीली चीज़ है. उसकी छातियों को मसल मसल
कर मैने लाल कर दिया था. चूत मे भी उंगली डाली थी. नहीं
मानते हो तो पूछ लो."
"क्यों अंजलि जी याद है ना मेरे हाथों का स्पर्श"
"कब आ रही है मेरे बिस्तर पर"
मैं ये सब सुन कर चुपचाप सिर झुकाए वहाँ से गुजर जाती थी.


दो महीने बाद की बात है. अचानक शाम को ब्रिज के फॅक्टरी से
फोन आया,
"मेडम, आप म्र्स. सिंग बोल रही हैं?"
"हां बोलिए" मैने कहा.
" मेडम पोलीस फॅक्टरी आई थी और सिंग साहब को गिरफ्तार कर ले
गयी."
"क्या? क्यों?" मेरी समझ मे ही नहीं आया कि सामने वाला क्या बोल रहा
है.
"मेडम कुच्छ ठीक से समझ मे नहीं आरहा है. आप तुरंत यहाँ
आजाईए."
मैं जैसी थी वैसी ही दौरी गयी ब्रिज के ऑफीस. मैं एक सूती की
साडी पहनी हुई थी.
वहाँ के मलिक कामदार साहब से मिली तो उन्हों ने बताया कि दो दिन
पहले उनके फॅक्टरी मे कोई आक्सिडेंट हुआ था जिसे पोलीस मर्डर का केस
बना कर ब्रिज के खिलाफ चरगेशीट दायर कर दी थी. मैं एकद्ूम
चकित रह गयी. ऐसा कुच्छ भी नहीं हुआ था.
"लेकिन आप तो जानते हैं कि ब्रिज ऐसा आदमी नहीं है. वो आपके के
पास पिच्छले कई सालों से काम कर रहा है. कभी आपको उनके खिलाफ
कोई भी शिकायत मिली है क्या." मैने मिस्टर. कामदार से पूचछा.
" देखिए म्र्स. सिंग मैं भी जानता हूँ की इसमे ब्रिज का कोई भी
हाथ नहीं है मगर मैं कुच्छ भी कहने मे असमर्थ हूँ."
" आख़िर क्यों?"
" क्योंकि उसका एक चस्मदीद गवाह है. क़य्यूम"
मेरे सिर पर जैसे बूम फट पड़ा मेरी आँखों के सामने सारी बातें
सॉफ होती चली गयी.
" वो कहता है कि उसने ब्रिज को जान बूझ कर उस आदमी को मशीन मे
धक्का देते देखा था."
"ये साब सारा सर झूठ है वो कमीना जान बूझ कर ब्रिज को फँसा
रहा है." मैने लगभग रोते हुए कहा.
" देखिए मुझे आपसे हमदर्दी है मगर मैं आपको कोई भी मदद
नहीं कर पा रहा हूँ. इनस्पेक्टर गवलेकर का भी क़य्यूम से अच्छी
दोस्ती है. सारे वर्कर्स ब्रिज के खिलाफ हो रहे हैं. मेरी मानो तो
आप क़य्यूम से मिल लो वो अगर अपना बयान बदल ले तो ही ब्रिज बच
सकता है."
"थूकती हूँ मैं उस कमीने पर" कहकर मैं वहाँ से पैर पटकती
हुई निकल गयी.
मगर मेरे समझ मे नहीं आरहा था कि मैं क्या करूँ. मैं पोलीस
स्टेशन पहुँची. वहाँ काफ़ी देर बाद ब्रिज से मिलने दिया गया. उसकी
हालत देख कर तो मुझे रोना आ गया. बॉल बिखरे हुए थे. आँखों
के नीचे कुच्छ सूजन थी शायद पोलीस वालों ने मारपीट भी की
होगी. मैने उस से बात करने की कोशिश की मगर वो कुच्छ ज़्यादा
नहीं बोल पाया. उसने बस इतना ही कहा,
" अब कुच्छ नहीं हो सकता. अब तो क़य्यूम ही कुच्छ कर सकता है."
मुझे किसी ओर से आशा की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी. आख़िर
कर मैने क़य्यूम से मिलने का निर्णय किया. शायद उसे मुझ पर रहम
अजाए.
शाम के लगभग आठ बज गये थे. मैं क़य्यूम के घर पहुँची. गेट
पर दरवान ने रोका तो मैने कहा,
"साहब को कहना म्र्स. सिंग आई हैं."
गार्ड अंदर चला गया. कुच्छ देर बाद बाहर आकर कहा, "अभी साहब
अभी बिज़ी हैं कुच्छ देर इंतेज़ार कीजिए."
पंद्रह मिनिट बाद मुझे अंदर जाने दिया. मकान काफ़ी बड़ा था.
अंदर ड्रॉयिंग रूम मे क़य्यूम दीवान पर आधा लेटा हुआ था. उसके तीन
चम्चे कुर्सियों पर बैठे हुए थे. सबके हाथों मे शराब के
ग्लास थे. सामने टेबल पर एक बॉटल खुली हुई थी. मैने कमरे की
हालत देखते हुए झिझक्ति हुई अंदर प्रवेश किया.
"आ बैठ." क़य्यूम ने अपने सामने एक खाली कुर्सी की तरफ इशारा किया.
" वो वो मैं आपसे ब्रिज के बारे में बात करना चाहती थी." मैं जल्दी
वाहा से भागना चाहती थी.
" ये अपने सुदर्शन कपड़ा मिल के इंजिनियर की बीवी है. बड़ी सेक्सी
चीज़ है." उसने अपने ग्लास से एक घूँट लेते हुए कहा.
सारे मुझे वासना भारी नज़रों से देखने लगे. उनकी आँखों मे लाल डोरे
तेर रहे थे.
"हाँ बोल क्या चाहिए?"
" ब्रिज ने कुच्छ भी नहीं किया" मैने उससे मिन्नत की.
"मुझे मालूम है"
"पोलीस कहते हैं की आप अपना बयान बाल लेंगे तो वो छूट जाएँगे"
"क्यों? क्यों बदलून मैं अपना बयान?
"प्लीज़, हम पूर..."
"सड़ने दो साले को बीस साल जैल में. आया था मुझसे लड़ने."
"प्लीज़ आप ही एक मात्र आशा हो."
" लेकिन क्यूँ? क्यूँ बदलू मैं अपना बयान? मुझे क्या मिलेगा" क़य्यूम
ने अपने मोटे जीभ पर होंठ फेरते हुए कहा.
" आप कहिए आपको क्या चाहिए. अगर बस मे हुआ तो हम ज़रूर देंगे"
कहते हुए मैने अपनी आँखें झुका ली. मुझे पता था कि अब क्या होने
वाला है.
क़य्यूम अपनी जगह से उठा. अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ
मेरे पीछे अगया. मई आँखें सख्ती से बंद कर उसके पैरों के
पद्चाप सुन रही थी. मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गयी थी जो
अपना सिर झाड़ियों मे डाल कर सोचता है कि भेड़िए से वो बच जाएगा.
उसने मेरे पीछे आकर सारी के आँचल को पकड़ा और उन्हे छातियो पर
से हटा दिया. फिर उसके हाथ आगे आए और सख्ती से मेरी छातियो को
मसल्ने लगे.
"मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक दिन के लिए" उसने मेरे कानों के
पास धीरे से कहा. मैने सहमति मे अपना सिर झुका लिया.
"ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल" उसने मेरे ब्लाउस के अंदर अपने हाथ
डाल कर सख्ती से चूचियो को निचोर्ने लगा. इतने लोगों के सामने
मैं शरम से गढ़ी जा रही थी. मैने सिर हिलाया
"मुँह से बोल"
"हां" मैने धीरे से बुद बुडाया.
"ज़ोर से बोल. कुच्छ सुनाई नहीं दिया. तुझे सुनाई दिया रे चापलू?"
उसने एक से पूचछा.
"नहीं" जवाब आया.
"मुझे मंजूर है." मैने इस बार कुच्छ ज़ोर से कहा.
"क्यों फूलणदेवी जी, मैने कहा था ना तू खुद आएगी मेरे घर और
कहेगी की प्लीज़ मुझे चोदो. कहाँ गयी तेरी अकड़? तू पूरे 24
घंटों के लिए मेरे कब्ज़े में रहेगी. मैं जैसा चाहूँगा तुझे
वैसा ही करना होगा. तुझे अगले 24 घंटे बस अपनी योनि खोल कर
रंडियों की तरह चुदवाना है. उसके बाद तू और तेरा मर्द दोनो आज़ाद
हो जाओगे."उसने कहा" और नहीं तो तेरा मर्द तो 20 साल के लिए अंदर
होगा ही तुझे भी वेश्याव्र्त्ती के लिए अंदर करवा दूँगा. फिर तो तू
वैसे ही वहाँ से पूरी वेश्या बन कर ही बाहर निकलेगी."
"मुझे मंजूर है" मैने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा. वो
जाकर वापस अपनी जगह जाकर बैठ गया.
"चल शुरू हो जा. अपने सारे कपड़े उतार मुझे औरतों के बदन पर
कपड़े अच्छे नहीं लगते" उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया, अब ये
कपड़े कल शाम के दस बजे के बाद ही मिलेंगे. चल इनको भी दिखा
तो सही की तुझे अपने किस हुश्न पर इतना गुरूर है. मैने काँपते
हाथों से ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया. सारे बटन्स
खोलकर ब्लाउस के दोनो हिस्सों को अपनी चूचियो के उपर से हटाया तो
ब्रा मे कसे हुए मेरे दोनो योवन उन भूखी आँखों के सामने आगाए.
मैने ब्लाउस को अपने बदन से अलग कर दिया. चारों की आँखें
चमक उठी. मैने बदन से सारी हटा दिया. फिर मैने झिझकते हुए
पेटिकट की डोरी खींच दी. पेट्कोट स्रसारता हुआ पैरों पर ढेर हो
गया चारों की आँखों मे वासना के सुर्ख डोरे तेर रहे थे. मैं उनके
सामने ब्रा और पॅंटी मे खड़ी होगआई.
"मैने कहा था सारे कपड़े उतारने को" क़य्यूम ने गुर्रते हुए कहा.
"प्लीज़ मुझे और जॅलील मत करो" मैने उससे मिन्नतें की.
"आबे राजे फ़ोन लगा गोवलेकर को. बोल साले ब्रिज को रात भर हवाई
जहाज़ बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे"
"नहीं नहीं, ऐसा मत करना. आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही
करूँगी." कहते हुए मैं अपने हाथ पीछे लेजकर ब्रा का हुक खोल
दिया. ब्रा को आहिस्ता से बदन से अलग कर दिया. आब मैने पूरी तरह
से समरपन का फ़ैसला कर लिया. ब्रा के हटते ही मेरे दूधिया उरोज
रोशनी मे चमक उठे. चारों अपनी अपनी जगह पर कसमसने लगे.
तीनो गरम हो चुके थे. उनके पॅंट पर उभार सॉफ नज़र अरहा था.
क़य्यूम लूँगी के ऊपर से ही अपने लिंग पर हाथ फेर रहा था. लूँगी के
उपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था कि अब मेरी खैर नहीं.
मैने अपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मे फँसैई तो क़य्यूम बोल उठा.
"ठहर जा. यहाँ आ मेरे पास"










आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj































































































































































Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया
Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator