माँ का दुलारा पार्ट--4
सावधान........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक मा बेटे के सेक्स की कहानी है
गतान्क से आगे...............
"अनिल, पहले मुझे तुझ पर पहुत गुस्सा आया था, आख़िर मेरा प्यारा बेटा ऐसी गंदी हरकते कैसे कर सकता है पर फिर मेरी भी हालत बुरी हो गयी थी. लगता था कि तू यहा सब ऐसे ही तो नही करता? क्या सच मे मैं तुझे अच्छी लगती हू? तू भी इतना जवान और सुंदर है, मेरे मन मे भी कैसे कैसे विचार आने लगे थे. खुद पर ही गुस्सा आया जो तुझपर निकाला. तू नही समझ सकता, एक मॉं पर क्या गुजराती होगी, जो इतनी प्यासी है इतने सालों से और खुद उसका जवान लड़का उसे भाने लगे. बार बार मन मे लगता कि कैसी पाप की बाते सोच रही है. फिर सोचा कि आख़िर तुझसे दो टुक बाते करूँ. मुझे यही लगा था कि मेरे शरीर को देखकर तू आख़िर समझ जाएगा और मेरी परेशानी कम से कम एक तरफ से तो कम हो जाएगी" मैंने मोम से पूछा
"मामी, सच बताओ, अगर मैं भी कह देता कि हाँ, मैं अब कुछ नही करूँगा तो तुम क्या करती? तुम्हे अच्छा लगता?" मोम ने मुझे पास खींचते हुए बोला
"नही बेटे, सच बतओं तो इतना संतोष भर होता कि मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया, तुझे सही रास्ते पर ले आई. पर अच्छा नही लगता. एक तो मुझपर पहाड़. टूट पड़ता कि मैं सच मे मोटी और बेडौल हू. दूसरे तुझे मैं बेटे के रूप मे फिर पा लेती पर तेरे जैसे सुंदर जवान से प्यार करने का मौका हमेशा के लिए खो देती." मैंने मोम की छाती मे सिर छिपा कर कहा
"माँ, तुम तो कितने साल से मुझे अच्छा लगती हो, जब से जवान हुआ हू, तभी से तुम्हारे सपने देख रहा हू. होस्टल मे भी तुम्हारे सपने देखा करता. पर आज मुझे गुस्सा आ रहा है, मैं पहले ही तुमसे कहा देता तो तुम्हे कब का पा चुका होता. वैसे मैंने आज बहुत जल्दी की माँ, पाँच मिनिट मे ख़तम हो गया, मुझे और सब्र करना चाहिए था" मों हँस कर बोली
"और क्या करना था अनिल? मन नही भरा"
"नही माँ, तुमने मुझे स्वर्ग मे पहुँचा दिया. माँ, तुम्हे अच्छा लगा? कि मैंने तुम्हे प्यासा छोड़. दिया?" मैंने पूछा.
"तू नही समझेगा मेरे लाल, मुझे कितना अच्छा लगा. तुझे और क्या करना था मेरे साथ, बता तो" मोम ने फिर पूछा. वह मंद मंद मुस्करा रही थी.
"मैं तुम्हारी शरीर को हर जगहा चूमना और उसका रस चूसना चाहता था. कब से इसका सपना है मेरे दिमाग़ में" मैंने आख़िर अपनी इच्छा कह डाली.
मोम मुझे चूमा कर बोली
"कल कर लेना बेटे, जो चाहे वह कर लेना, अब मैं कही भाग थोड़े ही रही हू? कल और परसों छुट्टी है, मैं अपने बेटे को बहुत सा प्यार दूँगी. चल अब सो जा"
मैं उठ बैठा
"इतनी जल्दी थोड़े छोड़ूँगा मोम मैं तुम्हें. इतनी मुश्किल से हाथ आई हो. आज रात भर प्यार करूँगा तुम्हें" अब हमारे बीच की झिझक पूरी समाप्त हो गयी थी. आग दोनों तरफ से लगी थी. अब मोम और मैं ऐसे बाते कर रहे थे जैसे दो प्रेमी करते हैं. मोम शैतानी के लहजे मे मेरी आँखों मे आँखे डाल कर बोली
"प्यार करेगा, याने क्या करेगा बेटे? चूमेगा? बोल ना?" मैं क्या कहता. मोम शरारत पर उतर आई थी. मेरी परीक्षा ले रही थी शायद. मैंने आख़िर कह ही डाला
"हाँ माँ, चुम्मा लूँगा, तुम्हारी जीभ चुसूँगा, तुम्हारे मुँह की इस चाशनी का स्वाद लूँगा और फिर माँ, मैं तुम्हे रात भर चोदुन्गा. इतना सब करने का मन होता है मेरा तुम्हारे साथ" मोम ने मुस्कराते हुए पूछा
"अब बोला ना सॉफ सॉफ, मैं यही सुनना चाहती थी. और क्या क्या मन होता है, मैं भी तो सुनूँ. आख़िर पता तो चले की मेरे इस पागल बेटे को अपनी मोम के साथ क्या क्या करना है" मैंने कहा
"तुम्हाई मम्मों को खूब दबाने और चूसने का मन होता है. उन्हे चबा चबा कर खा जाने का दिल करता है, उनके बीच की खाई मे अपना लंड डाल कर रगड़ने का मन होता है."
"और?" मैं अब मोम की जांघों के बीच मे नज़र लगाए बैठा था. मोम ने अब टांगे आपस मे सटा ली थी इसलिए उसकी चूत पूरी नही दिख रही थी. पर उस शेव की हुई बुर का मांसल उभार और उसके बीच की गहरी लकीर सॉफ दिख रही थी. मेरा वीर्य और मोम की चूत का पानी उसकी जांघों पर बह आया था. मोम की टांगे अलग करने की कोशिश करता हुआ मैं बोला
"तुम्हारी यह रसीली चूत चूसने का मन होता है. लगता है कि इसका चुंबन लूँ, इसमे जीभ डालूं और तुम्हारा सारा रस पी लूँ. ममी, प्लीज़, देखने दो ना" मैं मोम की बुर की गहरी लकीर मे उंगली चलाने लगा. मोम वैसे ही रही, अपनी टांगे और सिमटाकर बोली
अच्छा ये बता तूने इतनी सारी बाते कहाँ से सीखी
मैने कहा मोम नेट पर राज शर्मा का एक हिन्दी सेक्सी कहानियो का ब्लॉग है कामुक-कहानियाँडॉटब्लॉगस्पॉटडॉ
मोम कहा अनिल मैं भी ओफिस मे नेट पर अक्सर कामुक-कहानियाँब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम पर राज शर्मा की कहानिया पढ़ती रहती हू सच मे उस ब्लॉग जितनी सेक्सी कहानिया मैने कही भी नही देखी
मोम एक बार और करने दो ना मैने मोम से कहा
मोम ने कहा बेटा "आज नहीं, सब एक दिन मे कर लेगा क्या? आगे बोल, और क्या करेगा मेरे साथ"
"माँ, तुम्हारे पैर इतने खूबसूरत हैं, उनकी पूजा करूँगा, खूब चुंबन लूँगा उनके, तुम्हारे तलवे चाटूंगा. तुम्हारा चरणामृत पियुंगा" मोम भाव विभोर हो गयी. मुझे पट से चुम लिया.
"मेरे पैर अच्छे लगते है तुझे? तभी बदमाश मेरी चप्पालों से खेलता था, और पिछले साल से बार बार मेरे पैर छूने की फिराक मे रहता था नालायक कही का! वैसे मेरे पैर सुंदर है ये मुझे मालुम है, मेरी सहेलियाँ भी मुझे बचपन मे कहती थी कि रीमा तुझे तो फैशन की सैंडालों का मेनमॉडल होना चाहिए. पर तेरे मुँह से ये सुनकर कितना अच्छा लगता है तू नही समझेगा. बचपन मे भी तुझे मेरी चप्पालों से खेलने का बहुत शौक था, रेंगते हुए पहुँच जाता था जहाँ भी रखी हों" मोम कुछ देर खामोश रही, बस मुझे चूमती रही और मेरी पीठ पर हाथ फेरती रही. फिर मेरे पीछे लग गयी.
"और क्या करेगा, बता ना" अब मैं क्या कहता. बची थी उसके उन भारी भरकामा नितंबों को प्यार करने की बात, पर आख़िर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी. मैं कैसे पहली ही रात को कहता की मोम तुम्हारी गांद भी मारने का मन करता है
मेरे चेहरे पर के भावों से मोम शायद समझ गयी. मुझे चिढ़ाना छोड़. कर मुझे अपने उपर खींच कर फिर लेट गयी. मेरे लंड को पकड़.आकर हौले हौले मुठियाते हुए बोली
"और अनिल, मेरा क्या मन होता है मालुम है? मैं अपने बेटे को बाँहों मे भर लूँ, उसे खूब प्यार दूं, उससे खूब चुदवाउ, उसकी हर इच्छा पूरी करूँ अपने शरीर से, उसे अपना दूध पिलाउ और फिर उसके इस प्यारे शिश्न को चूस कर उसकी गाढ़ी मलाई पी लूँ. जब तू अपने कमरे मे अभी स्खलित हुआ था, मुझे ऐसा लगा था कि उसे मुँहा मे ले लूँ. कितनी मादक सुगंध आ रही थी उसमेंसे. चल, अब तो तू मेरा ही है, कहाँ जाएगा मोम को छोड़कर"
मैं और मोम फिर एक दूसरे को चूमने लगे. मैंने आख़िर अपनी एक इच्छा पूरी कर ही ली, उसकी लाल रसीली जीभ को खूब चूसा. मोम का शहद जैसा गाढ़ा मुखरस मुझे चाशनी की तरह मीठा लग रहा था. मेरा लंड फिर तन गया था. मोम भी बेचैन थी, अपनी जांघे आपस मे घिस रही थी. उन्हे फैलाकर मुझे बोली
"तू फिर तैयार हो गया मेरे राजा! तेरी जवानी को मेरी नज़र ना लग जाए, आ बेटे, आ जा मुझ में, समा जा मेरे शरीर में"
मोम की बुर अब खुल कर मेरे सामने थी. बाल ना होने से उसका हर भाग सॉफ दिख रहा था. उस मोटे भागोष्तों वाली लाल गीली चूत को देखकर पल भर को लगा कि मुँह मार दूं पर फिर सब्र कर लिया. अभी मेरा वीर्य उसमे लगा था, स्वाद नही आएगा ठीक से यहा सोच कर मैंने अपना लंड मोम की बुर पर रख कर पेल दिया. बुर इतनी गीली थी कि आराम से लंड जड़. तक समा गया. मैं मोम पर लेट गया और उसे चूमता हुआ उसे चोदने लगा. इस बार मैं आराम से धीरे धीरे मज़ा लेकर चोद रहा था.
मों ने भी मुझे बाँहों मे भर लिया. वह कभी मेरे होंठ चूमती और कभी गाल, कभी प्यार से मेरे बाल चूमा लेती और कभी मेरा कान मुँह मे लेकर हल्के हल्के काटने लगती. मैं मों के होंठ चूमता हुआ एक मस्त लय मे उसे चोद रहा था. इस बार मेरा काफ़ी कंट्रोल था, मैं यह चाहता था कि मोम को पूरा सुख दूं और फिर ही झाड़ू. धीरे धीरे हमारी चुदाई की रफ़्तार बढ़. गयी. मोम अब कराह करबोली
"अनिल, बहुत अच्छा लग रहा है बेटे, और ज़ोर से कर ना" कहती हुई नीचे से धक्के मार रही थी. मैंने पिछले मज़ाक का बदला लेते हुए चोदना बंद कर दिया और मोम से पूछा
"क्या करूँ माँ, ठीक से बताओ." मों बोली
"अरे वही जो कर रहा है" अब उससे रहा नही जा रहा था. मैं आड़. गया
"नही माँ, बताओ. क्या करूँ" मोम ने मेरी पीठ पर चपत लगाते हुए कहा.
"शैतान, अब तू मुझसे कहलावा रहा है. चल चोद मुझे, ज़ोर से चोदो मुझे अनिल बेटे" मों के मुँह से यहा सुनकर मुझे जो रोमांच हो आया उसका बयान करना मुश्किल है. अब मैं झाड़.आने को आ गया था. झुक कर मैंने मोम की चुचि मुँह मे ली और ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा. गीली बुर से अब फॅक फॅक फॅक आवाज़ आ रही थी. मोम ने मेरे सिर को अपने स्तनों पर दबा लिया और मेरे नितंब सहलाने लगी. अपनी जांघे भी उसने मेरी कमर के इर्द गिर्द जाकड़. ली थीं. नीचे से वह बराबर अपने नितंब उछाल कर मेरा पूरा लंड अपनी बुर मे लेते हुए मन लगाकर चुदवा रही थी. मैं बीच बीच मे मों के नितंबों को पकड़. लेता और उन्हे दबाने लगता.
दस एक मिनिट की चुदाई के बाद जब मैं झाड़ा तो मोम को झदाने के बाद. उसके स्खलन का पता मुझे तब चला जब अचानक उसका शरीर कड़ा हो गया और गहरी साँस भर कर उसने मुझे ज़ोर से जाकड़. लिया. लंड भी एकदमा और गीला हो गया, मोम की बुर ने ढेर सा पानी छोड़. दिया था.
अब मैं एकदमा त्रुप्त था. थक भी गया था. कुछ देर बाद मोम पर से अलग होकर उसके पास लुढ़क गया. मोम ने एक तावेल से अपनी चूत और मेरा लंड पोंचा और फिर टेबल लैंप बुझाकर मुझे बाँहों मे लेकर लेट गयी. मैं बहुत खुश था.
"माँ, आई लव यू. तुम दुनिया की सबसे अच्छा मोम हो, सबसे खूबसूरत और सेक्सी औरत हो" मोम के आगोश मे आते हुए मैं बोला.
"और तू सबसे अच्छा बेटा है. चल अब सो जा. कल छुट्टी है. आराम से उठना" मोम ने कहा. मुझे नींद लग गयी. इतनी गाढ़ी और मीठी नींद बहुत दिनों मे आई थी. सुबहा मेरी नींद देर से खुली. वो भी तब जब मुझे अपने उपर वजन का अहसास हुआ, साथ ही लंड मे बहुत मीठी अनुभूति हो रही थी. जब मैं ठीक से जागा तो देखा कि मोम मुझ पर लेट कर मुझे प्यार से चूमा रही थी. मेरे तने लंड को उसने अपनी चूत मे डाल लिया था और मुझे चूमते हुए वह धीरे धीरे मुझे चोद रही थी. उसकी आँखों मे कामना उमड़. आई थी. मुझे जगा देखकर बोली
gataank se aage...............
"anil, pahale mujhe tujh par pahut gussa aaya thaa, aakhir mera pyaara beta aisi gamdi harakate kaise kar sakata hai par fir meri bhi haalat buri ho gayi thi. lagata tha ki tu yaha sab aise hi to nahi karataa? kya sach me mai tujhe achchi lagati hum? tu bhi itana jawaan aur sumdar hai, mere man me bhi kaise kaise vichaar aane lage the. khud par hi gussa aaya jo tujhapar nikaala. tu nahi samajh sakataa, ek mom par kya gujarati hogi, jo itani pyaasi hai itane saalom se aur khud usaka jawaan lad.aka use bhaane lage. baar baar man me lagata ki kaisi paap ki baate soch rahi hai. fir socha ki aakhir tujhase do tuk baate karum. mujhe yahi laga tha ki mere sharir ko dekhakar tu aakhir samajh jaayega aur meri pareshaani kama se kama ek taraf se to kama ho jaayegi" maimne mom se pucha
"mami, sach bataao, agar mai bhi kaha deta ki haam, mai ab kuch nahi karumga to tuma kya karati? tumhe achcha lagataa?" mom ne mujhe paas khimchate hue bola
"nahi bete, sach bataaum to itana samtosh bhar hota ki maimne apana kartavya pura kiyaa, tujhe sahi raaste par le aayi. par achcha nahi lagata. ek to mujhapar pahaad. tut padata ki mai sach me moti aur bedaul hum. dusare tujhe mai bete ke rup me fir pa leti par tere jaise sumdar jawaan se pyaar karane ka mauka hamesha ke liye kho deti." maimne mom ki chaati me sir chipa kar kaha
"maam, tuma to kitane saal se mujhe achcha lagati ho, jab se jawaan hua hum, tabhi se tumhaare sapane dekh raha hum. hostal me bhi tumhaare sapane dekha karata. par aaj mujhe gussa a raha hai, mai pahale hi tumase kaha deta to tumhe kab ka pa chuka hota. waise maimne aaj bahut jaldi ki maam, paamch minit me khatama ho gayaa, mujhe aur sabra karana chaahiye thaa" mom hams kar boli
"aur kya karana tha anil? man nahi bharaa"
"nahi maam, tumane mujhe swarg me pahumcha diya. maam, tumhe achcha lagaa? ki maimne tumhe pyaasa chod. diyaa?" maimne pucha.
"tu nahi samajhega mere laal, mujhe kitana achcha laga. tujhe aur kya karana tha mere saath, bata to" mom ne fir pucha. wah mamd mamd muskara rahi thi.
"mai tumhaari sharir ko har jagaha chumana aur usaka ras chusana chaahata tha. kab se isaka sapana hai mere dimaag mem" maimne aakhir apani ichcha kaha daali.
mom mujhe chuma kar boli
"kal kar lena bete, jo chaahe wah kar lenaa, ab mai kahi bhaag thod.e hi rahi hum? kal aur parasom chutti hai, mai apane bete ko bahut sa pyaar dumgi. chal ab so jaa"
mai uth baitha
"itani jaldi thod.e chod.umga mom mai tumhem. itani mushkil se haath aayi ho. aaj raat bhar pyaar karumga tumhem" ab hamaare bich ki jhijhak puri samaapt ho gayi thi. aag donom taraf se lagi thi. ab mom aur mai aise baate kar rahe the jaise do premi karate haim. mom shaitaani ke lahaje me meri aamkhom me aamkhe daal kar boli
"pyaar karegaa, yaane kya karega bete? chumegaa? bol naa?" mai kya kahata. mom sharaarat par utar aayi thi. meri pariksha le rahi thi shaayad. maimne aakhir kaha hi daala
"haam maam, chumma lumgaa, tumhaari jibh chusumgaa, tumhaare mumha ki is chaashani ka swaad lumga aur fir maam, mai tumhe raat bhar chodumga. itana sab karane ka man hota hai mera tumhaare saath" mom ne muskaraate hue pucha
"ab bola na saaf saaf, mai yahi sunana chahati thi. aur kya kya man hota hai, mai bhi to sunum. aakhir pata to chale ki mere is paagal bete ko apani mom ke saath kya kya karana hai" maimne kaha
"tumhaai mammom ko khub dabaane aur chusane ka man hota hai. unhe chaba chaba kar kha jaane ka dil karata hai, unake bich ki khaai me apana lund daal kar ragad.ane ka man hota hai."
"aur?" mai ab mom ki jaamghom ke bich me najar lagaaye baitha tha. mom ne ab taamge aapas me sata li thi isaliye usaki chut puri nahi dikh rahi thi. par us shev ki hui bur ka maamsal ubhaar aur usake bich ki gahari lakir saaf dikh rahi thi. mera virya aur mom ki chut ka paani usaki jaamghom par baha aaya tha. mom ki taamge alag karane ki koshish karata hua mai bola
"tumhaare yaha rasili chut chusane ka man hota hai. lagata hai ki isaka chumban lum, isame jibh daalum aur tumhaara saara ras pi lum. mami, pliz, dekhane do naa" mai mom ki bur ki gahari lakir me umgali chalaane laga. mom waise hi rahi, apani taamge aur simataakar boli
"aaj nahim, sab ek din me kar lega kyaa? aage bole, aur kya karega mere saath"
"maam, tumhaare pair itane khubasurat haim, unaki puja karumgaa, khub chumban lumga unake, tumhaare talawe chaatumga. tumhaara charanaamrut piyumgaa" mom bhaav vibhor ho gayi. mujhe pat se chuma liya.
"mere pair achche lagate hai tujhe? tabhi badamaash meri chappalom se khelata thaa, aur pichale saal se baar baar mere pair chune ki firaak me rahata tha naalaayak kahi kaa! waise mere pair sumdar hai ye mujhe maaluma hai, meri saheliyaam bhi mujhe bachapan me kahati thi ki rima tujhe to faishan ki saimdalom ka maa~mdal hona chaahiye. par tere mumha se ye sunakar kitana achcha lagata hai tu nahi samajhega. bachapan me bhi tujhe meri chappalom se khelane ka bahut shauk thaa, remgate hue pahumch jaata tha jahaam we rakhi hom" mom kuch der khaamosh rahi, bas mujhe chumati rahi aur meri pith par haath ferati rahi. fir mere piche lag gayi.
"aur kya karegaa, bata naa" ab mai kya kahata. bachi thi usake un bhaari bharakama nitambom ko pyaar karane ki baat, par aakhir meri himmat jawaab de gayi. mai kaise pahali hi raat ko kahata ki mom tumhaari gaamd bhi maarane ka man karata hai
mere chehare par ke bhaavom se mom shaayad samajh gayi. mujhe chidh.aana chod. kar mujhe apane upar khimch kar fir let gayi. mere lund ko pakad.akar haule haule muthiyaate hue boli
"aur anil, mera kya man hota hai maaluma hai? mai apane bete ko baamhom me bhar lum, use khub pyaar dum, usase khub chudawaaum, usaki har ichcha puri karum apane sharir se, use apana dudh pilaaum aur fir usake is pyaare shishna ko chus kar usaki gaadh.i malaai pi lum. jab tu apane kamare me abhi skhalit hua thaa, mujhe aisa laga tha ki use mumha me le lum. kitani maadak sugamdh a rahi thi usamemse. chal, ab to tu mera hi hai, kahaam jaayega mom ko chod.akar"
mai aur mom fir ek dusare ko chumane lage. maimne aakhir apani ek ichcha puri kar hi i, usaki laal rasili jibh ko khub chusa. mom ka shahad jaisa gaadh.a mukharas mujhe chaashani ki taraha mitha lag raha tha. mera lund fir tan gaya tha. mom bhi bechain thi, apani jaamghe aapas me ghis rahi thi. unhe failaakar mujhe boli
"tu fir taiyaar ho gaya mere raajaa! teri jawaani ko meri najar na lag jaaye, a bete, a ja mujh mem, sama ja mere sharir mem"
mom ki bur ab khul kar mere saamane thi. baal na hone se usaka har bhaag saaf dikh raha tha. us mote bhagoshthom waali laal gili chut ko dekhakar pal bhar ko laga ki mumha maar dum par fir sabra kar liya. abhi mera virya usame laga thaa, swaad nahi aayega thik se yaha soch kar maimne apana lund mom ki bur par rakh kar pel diya. bur itani gili thi ki aaraama se lund jad. tak sama gaya. mai mom par let gaya aur use chumata hua use chodane laga. is baar mai aaraama se dhire dhire maja lekar chod raha tha.
mom ne bhi mujhe baamhom me bhar liya. wah kabhi mere homth chumati aur kabhi gaal, kabhi pyaar se mere baal chuma leti aur kabhi mera kaan mumha me lekar halke halke kaatane lagati. mai mom ke homth chumata hua ek mast laya me use chod raha tha. is baar mera kaafi kamtrol thaa, mai yaha chaahata tha ko mom ko pura sukh dum aur fir hi jhad.um. dhire dhire hamaari chudaai ki raftaar badh. gayi. mom ab karaaha kar
"anil, bahut achcha lag raha hai bete, aur jor se kar naa" kahati hui niche se dhakke maar rahi thi. maimne pichale majaak ka badala lete hue chodana bamd kar diya aur mom se pucha
"kya karum maam, thik se bataao." mom boli
"are wahi jo kar raha hai" ab usase raha nahi ja raha tha. mai ad. gaya
"nahi maam, bataao. kya karum" mom ne meri pith par chapat lagaate hue kaha.
"shaitaan, ab tu mujhase kahalawa raha hai. chal chod mujhe, jor se chodo mujhe anil bete" mom ke mumha se yaha sunakar mujhe jo romaamch ho aaya usaka bayaan karana mushkil hai. ab mai jhad.ane ko a gaya tha. jhuk kar maimne mom ki chuchi mumha me li aur jor jor se use chodane laga. gili bur se ab fach fach fach aawaaj a rahi thi. mom ne mere sir ko apane stanom par daba liya aur mere nitamb sahalaane lagi. apani jaamghe bhi usane meri kamar ke ird gird jakad. li thim. niche se wah baraabar apane nitamb uchaal kar mera pura lund apani bur me lete hue man lagaakar chudawa rahi thi. mai bich bich me mom ke nitambom ko pakad. leta aur unhe dabaane lagata.
das ek minit ki chudaai ke baad jab mai jhad.a to mom ko jhad.aane ke baad. usake skhalan ka pata mujhe tab chala jab achaanak usaka sharir kad.a ho gaya aur gahari saams bhar kar usane mujhe jor se jakad. liya. lund bhi ekadama aur gila ho gayaa, mom ki bur ne dher sa paani chod. diya tha.
ab mai ekadama trupta tha. thak bhi gaya tha. kuch der baad mom par se alag hokar usake paas ludh.ak gaya. mom ne ek taawel se apani chut aur mera lund pomcha aur fir tebal laimp bujhaakar mujhe baamhom me lekar let gayi. mai bahut khush tha.
"maam, aai lav yu. tuma duniya ki sabase achcha mom ho, sabase khubasurat aur seksi aurat ho" mom ke aagosh me aate hue mai bola.
"aur tu sabase achcha beta hai. chal ab so ja. kal chutti hai. aaraama se uthanaa" mom ne kaha. mujhe nimd lag gayi. itani gaadh.i aur mithi nimd bahut dinom me aayi thi. subaha meri nimd der se khuli. wo bhi tab jab mujhe apane upar wajan ka ahasaas huaa, saath hi lund me bahut mithi anubhuti ho rahi thi. jab mai thik se jaaga to dekha ki mom mujha par let kar mujhe pyaar se chuma rahi thi. mere tane lund ko usane apani chut me daal liya tha aur mujhe chumate hue wah dhire dhire mujhe chod rahi thi. usaki aamkhom me kaamana umad. aayi thi. mujhe jaga dekhakar boli
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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