कमसिन कन्या पार्ट--6
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गतांक से आगे......................
कोमल बेतहाशा सिसकार रही थी और मुझे गालों और कंधे पर कई जगह काट लिया और नाखूनों से नोच लिया था, उसकी बेचैनी मुझे मजबूर कर रही थी की सब भूल कर उसके साथ सम्भोग कर बैठूं, मैं होश खो रहा था, पर कही दिमाग रोक रहा था, किसी तरह उससे अपने आप को छुड़ाया और कहा अभी नहीं, शाम को मिलेंगे, उसकी आँखों में गुस्सा था, उसको होठों पर चूम कर किसी तरह मनाया और अलग किया, फिर भी उसकी नाराजगी दिख रही थी , उसने मुझे धक्का देकर कहा "अब मत आना मेरे पास" और कपड़े ठीक कर बाहर निकल गयी, मैंने देखा किचेन में जाकर सुबक रही थी, मुझे दुःख तो था पर मन में विश्वास की वो मेरे किये का सही मकसद समझ जायेगी, मैं घर से निकल कर यूं ही बाज़ार में घूमता रहा, शाम को करीब ६ बजे घर पहुंचा तो देखा की सभी लोग किसी मित्र परिवार से मिलने जाने को तैयार हो रहे थे, पिताजी ने मुझसे भी कहा मैंने इन्कार कर दिया, कोमल भी जा रही थी, मेरा मन था वो रुक जाये, मैंने कोमल को किनारे बुला धीरे से कहा तुम मना कर दो, मत जाओ, उसने बेरुखी से कहा " क्यों रुकूं, तुम्हें मेरी जरूरत नहीं" और मुहं फेर चली गयी. मैं घर में अकेला था, ... कोमल की बहुत याद आ रही थी, मन बेचैन था, बार बार उसके जबरजस्त मादक शरीर का ख्याल आ रहा था, उसका सुबकना वो कितनी भोली थी, पर साथ ही लगा की इतनी कामुक कैसे हो सकती है, क्या इसके पहले भी कभी उसने किसी से से शारीरिक सम्बन्ध बनाये थे ? बार बार मन में ये प्रश्न आता था, लेकिन लगता था की इतनी भोली और मासूम दिखने वाली लड़की ऐसा नहीं कर सकती, यह तो बाद में जाना की इस उम्र की लड़कियों पर वासना का भूत जब सवार होता है तो अच्छों अच्छों को शर्मिन्दा कर सकती हैं, खास कर उनके शुरुआती यौन व्यवहार में तो बेहद गर्म होती हैं. मैंने सोच लिया था रात को आएगी तो छोडूंगा नहीं और उसमे कितना जोश है देखता हूँ और उसका दिमाग भी ठीक करना होगा..... पूरे समय ये ही सब सोचते बीत गया...रोक नहीं पाया तो अपने लिंग से खेलता रहा...रात करीब ११ बजे सभी वापस आये, कोमल ने मुझे देखा भी नहीं...मुहं फुला रक्खा था.... और कुछ ही देर बाद सभी सोने चले गए ...कोमल बाथरूम में गयी तो मैंने बात करने की कोशिस की लेकिन बिना कुछ कहे वो कपड़े बदल अपने कमरे में चली गयी... उसने एक ढीला सा घुटनों तक का पजामा पहना हुआ था और एक छोटी सी ढ़ीली सी कमीज बिना बाँहों की जिसमे उसका यौवन फूट पड़ रहा था, चेहरे पर एक गरूर.... मैं सोच रहा था कैसे इसके घमंड को चूर करूं लेकिन मन ही मन उसपर मर मिट भी रहा था...उसकी कांख के हलके भूरे बाल दिख रहे थे और उरोजों के तनाव से कमीज़ के बटन खिंच रहे थे, स्तनों की घुन्डियाँ कमीज़ पर जोर दे रही थी, साफ़ मालूम हो रहा था की उसने अपनी चोली खोल दी थी और उसके उन्नत स्तन कमीज़ के भीतर आज़ाद थे शायद हमें चिढ़ाने के लिए... एक नज़र हमारी ओर देख कोमल अपने कमरे में भागी... हम देखते रहे, मैंने कमरे में आकर सोने की कोशिश की लेकिन नीद नहीं आई , छोटा भाई बगल में सो रहा था.... कब समय बीत गया मालूम नहीं.. कोमल के कमरे में जाकर कई बार झाँका... वो गहरी नीदं में सोई हुई लगी.... उसकी बगल में उसकी मम्मी थी हिम्मत नहीं हो रही थी उसे छेड़ूँ, कोई जग गया तो क्या होगा .... रात करीब २-२.३० बजे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे कमरे के सामने से निकला ..... अँधेरा था. बहुत धुंधली रोशनी में मैं उठ कर बाहर की ओर लपका, देखा कोमल थी जो बाथरूम जा रही थी.... उसने दरवाज़ा बंद किया .... मैं दरवाज़े के पास आया तो बाथरूम से कोमल के पेशाब करने की आवाज़ आ रही थी जो सुनकर किसी संगीत सा लगा, मेरे लिंग में कुछ हलचल सी हुई, मैंने हल्के से दस्तक देकर पूछा "कौन है " ...."मैं हूँ" कोमल ने धीमे से कहा, मैं दरवाज़े के बाहर खड़ा रहा, वहां अँधेरा था, .... कोमल कुछ क्षण में पैजामा बाँधती हुई बाहर निकली, मैंने झट उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर उसके होठों पर होठ दबा दिया, "छोड़ो मुझे .." उसने हाथ छुड़ाते हुए कहा, " नहीं बात करनी, तुम क्या समझते हो.... " और जाने की कोशिस करने लगी, मैंने जोरों से उसकी कमर पकड़ फिर से उसे चूम लिया, वो मुझे धक्का दे रही थी, मैंने कहा " ठीक है, जाना है तो जाओ...." और उसे छोड़ दिया ...मेरा शरीर आवेश में गर्म हो रहा था , गुदाज़ स्तनों के स्पर्श से लिंग टाईट होकर खड़ा होगया , मन तो हो रहा था की उसे वहीं जमीन पर ही पटक दूं और उसकी सारी गर्मी मिटा दूं पर मैं चाहता था की वो अपनी ओर से पहल करे और खुद मेरी बाँहों में आये.................कोमल देखती रह गयी, कुछ क्षण रुकी, उसे उम्मीद नहीं थी मैं ऐसा कहूँगा, वो अपने कमरे की तरफ लौटने लगी लेकिन तभी कुछ सोच वापस मेरे नजदीक आयी और मेरा हाथ पकड़ अपने कमर पर लपेट लिया और उरोजों को मेरे सीने से दबा मुझे पीछे धकेल मेरे होठों को चूसने लगी, " तुम क्या समझे, मैं छोड़ दूंगी... क्यूं पहले छेड़ा मुझे ..." और लिपट गयी मुझसे.... वो चूम रही थी, मैं अवाक था उसका बदला रूप देख कर... मेरा लिंग उसकी योनी पर दबाव दे रहा था, उसे व्याकुल करने के लिए ये काफी था... उसने हाथ नीचे कर मेरे हाफ पैंट के उपर से लिंग को पकड़ लिया....
"मुझे सताते हो... अब बताती हूँ ..."
अभी भी गर्व था आवाज़ में, मैंने छेड़ते हुए कहा " अभी तक तो बहुत गुस्सा थी अब क्या हुआ..."
"अब तुम्हारी जान मारने आयी हूँ..." और लिंग को पैंट के अन्दर हाथ डाल जोरों से मरोड़ दिया....
"कोई आ जायेगा... चलो बैठक में चलते हैं... मैंने कहा ,
"वहां कोई देख लेगा, यहाँ अँधेरे में कोई नहीं आएगा... " कहते हुए कोमल ने मेरा हाथ अपने स्तनों पर दबा
क्रमशः......................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
कमसिन कन्या पार्ट--1 |
कमसिन कन्या पार्ट--2 |
कमसिन कन्या पार्ट--3 |
कमसिन कन्या पार्ट--4 |
कमसिन कन्या पार्ट--5 |
कमसिन कन्या पार्ट--6 |
कमसिन कन्या पार्ट--7 |
कमसिन कन्या पार्ट--8 |
कमसिन कन्या पार्ट--9 |
कमसिन कन्या पार्ट--10 |
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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