Saturday, April 24, 2010

माँ बेटे की कहानिया -माँ का दुलारा --3

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माँ का दुलारा पार्ट--3

सावधान........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक मा बेटे के सेक्स की कहानी है
गतान्क से आगे...............

"पकडो ना मम्मी, मत छोड़ो" उसने फिर मेरे लंड को पकड़. लिया और तब तक पकड़े रही जब तक पूरा झाड़. कर वह मुरझा नही गया. मोम ने फिर मुझे गाल पर चूमा

"बिलकुल पागला है तू अनिल, मुझे क्या मालूमा था कि मैं तुझे इस कदर अच्छी लगती हू. देख सब पाजामा गीला हो गया है, चादर भी खराब हो गयी है. चल उठ और निकाल दे. चादर भी डाल दे धोने को. मैं अभी आई. तेरी इस हालत का कोई इलाज करना पड़ेगा मुझे ही"

मुझे एक बार और चूमा कर वह वैसे ही गाउन लेकर कमरे से बाहर चली गयी. मैंने पाजामा निकाला और तावेल बाँध कर चादर बदल दी. मेरा दिल खुशी से धड़क रहा था कि कम से कम अब वह मुझसे नाराज़ तो नही थी, यह मेरे लिए बहुत था. पर मैं सोच रहा था कि आगे क्या होगा, मोम अब क्या करेगी.
इसका जवाब दस मिनिट बाद मिला जब मोम फिर मेरे कमरे मे आई. उसकी काया पलट गयी थी. वह काला स्लीवलेस ब्लाउz और काली शिफान की साड़ी पहने हुए थी. मेकअप भी कर लिया था. बालों का जुड़ा बाँध लिया था जैसे वह बाहर जाते समय करती थी. अंदर की ब्रा बदल ली थी क्योंकि पतले ब्लाउz मे से उसकी वही काली मेरी मनपसंद ब्रा अंदर दिख रही थी. मोम इतनी सुंदर दिख रही थी जैसे औरत नही साक्षात अप्सरा हो. मैंने चकराकर पूछा.

"ये क्या मोम, कही जाना है" मों मुझे बाहों मे लेते हुए बोली

"हाँ बेटे, मेरे कमरे मे जाना है, चल आज से तू वही सोएगा." मैंने मोम की आँखों मे देखा, उसमे अब प्यार, दुलार और एक चाहत की मिली जुली असिम भावना थी. इतने पास से मोम के रसीले लिपस्टिक से रंगे होंठ देखकर अब मुझसे नही रहा गया. धीरे से मैंने उसके होंठ चुम लिए. मोम ने मुझे आलिंगन मे लेकर मेरा गहरा चुंबन लिया. उनके फूल जैसे कोमल स्पर्श से और उसके मुँह की मिठास से मैं सिहर उठा.

अपना चुंबन तोड़. कर मोम ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कमरे मे ले गयी. उसने टेबल लैंप जलाया और उपर की बत्ती बुझा दी. वापस आकर दरवाजा बंद किया और फिर चुपचाप मेरे कपड़े उतारने लगी. मेरा कुरता और बनियान उतारकर उसने मेरा तावेल भी निकाल दिया. नीचे मैंने कुछ नही पहना था इसलिए मैं थोड़ा शरमा रहा था.

"अब क्यों शरमाता है? नादान कही का. बचपन मे जैसे मों के सामने कभी नंगा हुआ ही नही था तू" मुझे नग्न करके वह दूर होकर मुझे निहारने लगी. अब तक मेरा लंड फिर से सिर उठाने लगा था.

"कितना हेंडसम और जवान हो गया है रे तू!" मों ने लाड़. से कहा.

"पर माँ, तुझसा नहीं, तुम तो रूप की परी हो" मैंने मोम से कहा.

"हाँ जानती हू की तुझे मैं कितनी अच्छी लगती हू. और तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है बेटे, तू नही जानता इस हफ्ते भर मेरी क्या हालत रही है" मोम ने कहा और और मुझे पलंग पर लिटा दिया. फिर वह मेरे उपर लेट गयी और मुझपर चुम्बनो की वर्षा करने लगी. उसकी साँसे तेज चल रही थी और अपने हाथों से वह मेरा पूरा शरीर सहला रही थी. मुझे बचपन की याद आ गयी. बहुत बार मुझे मोम गोद मे लेकर चूमती थी. पर तब उसमे सिर्फ़ वात्सल्या होता था, आज उसके साथ एक नारी की प्रखर कामना भी उसके स्पर्श और चुंबानों मे थी.

मैं पड़ा पड़ा मोम के प्यार का आनंद ले रहा था. लगता था कि स्वर्ग मे पहुँच गया हू. मोम ने फिर मेरे होंठों का गहरा चुंबन लिया, मैं भी उसके होंठ चूसने लगा. मोम के मधुर मुखरस का पान करके ऐसा लग रहा था जैसे मैं शहद चख रहा हम. मोम चुंबन तोड़कर अचानक उठा बैठी और नीचे खिसककर मेरा लंड हाथ मे लेकर उसे चूमने लगी.

"हाय, कितना प्यारा है! लगता है खा जाउ!" कहकर मोम उसे अपने गालों और होंठों पर रगाडकर फिर मेरे सुपाड़ा मुँह मे लेकर चूसने लगी. मैं स्तब्ध रहा गया. मोम की वासना इतनी प्रखर हो जाएगी यहा मैंने कभी सोचा नही था. मोम के मुँह का गीला तपता मुलायम स्पर्श इतना जानलेवा था कि मुझे लगा कि मैं फिर झाड़. जाउन्गा. लंड एक मिनिट मे फिर कस के खड़ा हो गया. पर मैं अभी झड़ना नही चाहता था. मोम के दमकते रूप को अब मैं ठीक से देखना चाहता था इसलिए मैंने मोम की साड़ी निकालना शुरू की.

"मम्मी, अब तुम भी कपड़े निकाल दो ना, प्लीज़!" मोम उठ बैठी. कामना और थोड़ी लजजासे उसका चेहरा लाल हो गया था.

"निकालती हू बेटे, तू लेटा रहा. मैंने गाउन निकालकर अपना मोटापा तुझे दिखाया था. अब ये कपड़े निकालकर मेरा कंचन सा बदन तुझे दिखाती हू, यह तेरे ही लिए है मेरे लाल" मोम ने उठकर साड़ी निकाली और फिर पेटीकोत खोल दिया. उसकी मदमस्त जांघे फिर से नग्न हो गयीं. पर अब फरक था. उस पुरानी पैंटी के बजाय एक सुंदर लेस वाली काली तंग पैंटी उसने पहनी थी. उसमे से उसके पेट के नीचे का मांसल उभार निखर कर दिख रहा था. पैंटी की पट्टी के सकरे होने के बावजूद आस पास बस मोम की गोरी त्वचा ही दिख रही थी.

"मोम क्या नीचे भी शेव करती है!" मेरे मन मे आया. तंग पैंटी के तलामा कपड़े मे से मोम की योनि के बीच की गहरी लकीर की भी झलक दिख रही थी.
अब तक मोम ने अपना ब्लओज़ भी निकाल दिया था. मेरी पहचान की उस काली ब्रा मे लिपटे मोम के गोरे बदन को देखकर मुझे रोमांच हो आया. कितनी ही बार मैंने उसमे मूठ मारी थी. मोम के मोटे मोटे स्तनों के उपरी भाग उसके कपड़ो मे से दिख रहे थे. ब्रा शायद पुश अप थी क्योंकि अब वह स्तनों को आधार दे कर उन्हे उठाए हुए थी, इसलिए मोम के स्तन और बड़े और फूले हुए लग रहे थे. बड़े गर्व से वो सीना तान कर खड़े थे मानों कहा रहे हों कि देखो, अपनी मोम की ममता की इस निशानी को देखो, एक बेटे के लिए अपनी मोम के सबसे खूबसूरत अंग को देखो. मुझे घुरता देखकर मोम ने हँस कर कहा.

"अरे कुछ बोल, तब तो खूब चहक रहा था, अब मोम सुंदर लग रही है या नहीं, इन्हे निकाल दूं कि रहने दूं?" मैं कुछ ना बोल पाया. मेरी वह हालत देख कर मोम प्यार से मुसकर्ाई और वैसे ही आकर पलंग पर मेरे पास लेट गयी और मैं उससे लिपट गया.

अगले कुछ मिनिट इस मदहोशी की अवस्था मे गुज़रे कि मैं कह भी नही सकता. सोच कर देखें, वह मोम जिससे आप इतना प्यार करते हैं, जिसके आगोश मे आप ने कितने दिन गुज़ारे हुए हैं, उसी मोम के आगोश मे आप फिर से हों, पर इस बार उसके नग्न शरीर का आभास आप को हो रहा हो और वह भी एक प्रेयसी की तरह आप पर प्रेम की वर्षा कर रही हो तो आपकी क्या हालत होगी!

मैं मोम से लिपटकर उसे चूमता हुआ उस पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था. उसके स्तनों को मैने ब्रसियार के उपर से ही हाथ मे भर लिया था. मुलायम स्पंज के गोलों जैसी उन गेंदों को दबाकर जब मुझे संतोष नही हुआ तो मैं हाथ उसकी पीठ के पीछे करके मोम की ब्रा के हुक खोलने की कोशिश करने लगा. मुझ अनाड़ी को वह कुछ जमा नही और दो मिनिट मेरी इस कोशिश का आनंद लेने के बाद प्यार से मोम ने कहा.

"चल दूर हो, अनाड़ी कही का, आज मैं निकाल देती हू. पर सीख ले अब, आगे से तू ही निकालना." मोम ने फिर अपने हाथों से अपनी ब्रा खोली और ब्रा के कप बाजू मे कर दिए. मैं मोम की घुंडी मुँह मे लेकर चूसने लगा. मुझे वह भूरी मोटी घुंडी जानी पहचानी सी लगी. निपल के आजू बाजू बड़ा सा भूरा गोला था, पुराने एक रुपये के सिक्के जैसा. मैं आँखे बंद करके मोम की चुचि चूसने लगा.

मों ने हाथ उपर करके अपनी ब्रा पूरी निकाल दी और फिर मुझे छाती से चिपटा कर मुझे अपनी गोद मे लेकर लेट गयी. मुझे स्तन पान कराती हुई भाव विभोर होकर बोली.

"अनिल, कितने दिन बाद तुझे निपल चुसवा रही हू बेटे, जानता है, तू तीन साल का होने तक मेरा दूध पीता था, छोड़ने को तैयार ही नही था, बड़ी मुश्किल से तेरी यह आदत मैंने छुडवाई थी. मुझे क्या पता था कि बड़ा होकर फिर यही करूँगी? पर अब ये मैं नही बंद होने दूँगी बेटा, तुझे जब चाहे जितना चाहे तू मेरे स्तन चूस सकता है मेरे राजा"

एक हाथ से मोम का उरोज दबाकर मैं उसे चूस रहा था और दूसरे से दूसरा स्तन दबा रहा था. बार बार स्तन बदल बदल कर मैं चूस रहा था. लंड अब तन कर मोम के पेट पर रगड़. रहा था और मैं आगे पीछे होकर उसे चोदने सी हरकत करता हुआ मोम के पेट पर रगड़. रहा था. एक हाथ मोम की पैंटी की इलास्टिक मे डाल कर मैं उसे उतारने की कोशिश करने लगा. मोम का भी हाल बहाल था. वह भी सिसकारियाँ भर भर कर अपनी जांघे रगड़ती हुई मुझे छाती से चिपटा कर पलंग पर लुढ़क रही थी. उसके स्तनों की घुंडियाँ अब कड़ी हो गयी थीं. उन चमदिली मूँगफलियों को चूसने और हल्के हल्के चबाने मे बड़ा आनंद आ रहा था. अगर उनमे दूध बस और होता तो मैं स्वर्ग पहुँच गया होता!

आख़िर उससे ही रहा नही गया. उसने अपनी पैंटी निकाली और टांगे फैलाकर मुझे अपने उपर लेकर लेट गयी. फिर अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सटाकर उसे अंदर डालने लगी.

लंड पर लगती मुलायम टच से ही मैं समझ गया की मोम ने नीचे शेव किया है. मेरी फॅंटेसी मे मैं हमेशा कल्पना करता था की मोम की चूत को पास से देख रहा हू, उसे चूम रहा हू, उसके रस को पी रहा हू और आज जब यह असल मे करने का मौका मिला तो यह सब करने के लिए अब हम दोनों मे सबर नही था. मैने एक हल्का धक्का दिया और मेरा लंड एक ही बार मे पूरा मोम की तपती गीली बुर मे समा गया. मोम की चूत ऐसी गीली थी जैसे अंदर क्रीम भर दी हो. मोम ने मुझे अपनी जांघों और बाँहों मे भर लिया और नीचे से ही धक्के दे देकर चुदवाने लगी.

मुझे इसका विश्वास ही नही हो रहा था कि आख़िर मैं अपनी मोम को चोद रहा हू. मेरा पहला संभोग, पहली बार किसी नारी से काम क्रीड़ा और वह भी मेरी जान से प्यारी ममी के साथ! मैं कुछ कहना चाहता था पर मोम ने अपनी चुचि मेरे मुँह मे ठूंस दी थी और छोड़. ही नही रही थी. मैंने तड़प कर मोम को अपनी बाहों मे कसा और उसे हचक हचक कर चोदने लगा.


हमारा यहा पहला संभोग बिलकुल जानवरों जैसा था. हमा इतने प्यासे थे कि एक दूसरे को बस पूरे ज़ोर से चोद रहे थे, बिना किसी की परवाह के. चार पाँच मिनिट की धुआँधार चुदाई के बाद जब मैं आख़िर झाड़ा तो जान सी निकल गयी. इतनी तृप्ति महसूस हो रही थी जैसी कभी नही हुई. लगता है कि मोम भी झाड़. चुकी थी क्योंकि मुझे बाँहों मे भरके मेरे बालों मे हाथ चलाती हुई बस यही कहा रही थी "मेरे बेटे, मेरे लाल, मेरे बच्चे"

मैंने मोम का निपल मुँह मे से निकाला और उसके स्तनों की खाई को चूमकर मोम से बोला

"सॉरी मम्मी, मैं अपने आप को रोक नही पाया, इसलिए इतनी जल्दी की" मोम ने प्यार से कहा

"जानती हू बेटे, बस कुछ मत बोल, ऐसे ही पड़ा रह. कुछ कहने की ज़रूरत नही है. मेरे दिल का हाल तू जानता है और तेरे दिल की बात मैं जानती हू." हम खामोश अपने स्खलित होने के आनंद मे भिगते पड़े रहे. मुझे विश्वास ही नही हो रहा था कि मैंने अपनी मोम से, अपनी जननी से अभी अभी संभोग किया है, वह भी उसकी इच्छानुसार और उसे वह बहुत अच्छा लगा है. मोम ने कुछ देर बाद कहा

क्रमशः........................
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दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े .................................
आपका दोस्त
राज शर्मा
माँ का दुलारा पार्ट -1
माँ का दुलारा पार्ट -2
माँ का दुलारा पार्ट -3
माँ का दुलारा पार्ट -4
माँ का दुलारा पार्ट -5
माँ का दुलारा पार्ट -6
माँ का दुलारा पार्ट -7
माँ का दुलारा पार्ट -8
माँ का दुलारा पार्ट -9
माँ का दुलारा पार्ट -10


gataank se aage...............

"pakado na mummy, mat chodo" usane fir mere lund ko pakad. liya aur tab tak pakad.e rahi jab tak pura jhad. kara wah murajha nahi gaya. mom ne fir mujhe gaal par chuma

"bilakul pagala hai tu anil, mujhe kya maaluma tha ki mai tujhe is kadar achchi lagati hum. dekh sab paajaama gila ho gaya hai, chaadar bhi kharaab ho gayi hai. chal uth aur nikaal de. chaadar bhi daal de dhone ko. mai abhi aayi. teri is haalat ka koi ilaaj karana pad.ega mujhe hi"

mujhe ek baar aur chuma kar wah waise hi gaaun lekar kamare se baahar chali gayi. maimne paajaama nikaala aur taawel baamdh kar chaadar badal di. mera dil khushi se dhadaka raha tha ki kama se kama ab wah mujhase naaraaj to nahi thi, yaha mere liye bahut tha. par mai soch raha tha ki aage kya hogaa, mom ab kya karegi.
isaka jawaab das minit baad mila jab mom fir mere kamare me aayi. usaki kaaya palat gayi thi. wah kaala slivales blaauz aur kaali shifaan ki saad.i pahane hue thi. mekap bhi kar liya tha. baalom ka jud.a baamdh liya tha jaise wah baahar jaate samaya karati thi. amdar ki bra badal li thi kyomki patale blaauz me se usaki wahi kaali meri manapasamd bra amdar dikh rahi thi. mom itani sumdar dikh rahi thi jaise aurat nahi saakshaat apsara ho. maimne chakaraakar pucha.

"ye kya mom, kahi jaana hai" mom mujhe baahom me lete hue boli

"haam bete, mere kamare me jaana hai, chal aaj se tu wahi soyega." maimne mom ki aamkhom me dekhaa, usame ab pyaar, dulaar aur ek chaahat ki mili juli asima bhaavana thi. itane paas se mom ke rasile lipastik se ramge homth dekhakar ab mujhase nahi raha gaya. dhire se maimne usake homth chuma liye. mom ne mujhe aalimgan me lekar mera gahara chumban liya. unake fule jaise komal sparsh se aur usake mumha ki mithaas se mai sihar utha.

apana chumban tod. kar mom ne mera haath pakad.a aur apane kamare me le gayi. usane tebal laimp jalaaya aur upar ki batti bujha di. waapas aakar darawaaja bamd kiya aur fir chupachaap mere kapade utaarane lagi. mera kurata aur baniyaan utaarakar usane mera taawel bhi nikaal diya. niche maimne kuch nahi pahana tha isaliye mai thoda sharama raha tha.

"ab kyom sharamaata hai? naadaan kahi ka. bachapan me jaise mom ke saamane kabhi namga hua hi nahi tha tu" mujhe nagna karake wah dur hokar mujhe nihaarane lagi. ab tak mera lund fir se sir uthaane laga tha.

"kitana haimdasama aur jawaan ho gaya hai re tu!" mom ne laad. se kaha.

"par maam, tujhasa nahim, tum to rup ki pari ho" maimne mom se kaha.

"haam jaanati hum ki tujhe mai kitani achchi lagati hum. aur tu bhi mujhe bahut achcha lagata hai bete, tu nahi jaanata is hafte bhar meri kya haalat rahi hai" mom ne kaha aur aur mujhe palamg par lita diya. fir wah mere upar let gayi aur mujhapar chumbanom ki warsha karane lagi. usaki saamse tej chal rahi thi aur apane haathom se wah mera pura sharir sahala rahi thi. mujhe bachapan ki yaad a gayi. bahut baar mujhe mom god me lekar chumati thi. par tab usame sirf waatsalya hota thaa, aaj usake saath ek naari ki prakhar kaamana bhi usake sparsh aur chumbanom me thi.

mai pad.a pad.a mom ke pyaar ka aanamd le raha tha. lagata tha ki swarg me pahumch gaya hum. mom ne fir mere homthom ka gahara chumban liyaa, mai bhi usake homth chusane laga. mom ke madhur mukharas ka paan karake aisa lag raha tha jaise mai shahad chakh raha hum. mom chumban todakar achaanak utha baithi aur niche khisakakar mera lund haath me lekar use chumane lagi.

"haaya, kitana pyaara hai! lagata hai kha jaaum!" kahakar mom use apane gaalom aur homthom par ragadakar fir mere supaada mumha me lekar chusane lagi. mai stabdh raha gaya. mom ki waasana itani prakhar ho jaayegi yaha maimne kabhi socha nahi tha. mom ke mumha ka gila tapata mulaayama sparsh itana jaanalewa tha ki mujhe laga ki mai fir jhad. jaaumga. lund ek minit me fir kas ke khada ho gaya. par mai abhi jhadana nahi chaahata tha. mom ke damakate rup ko ab mai thik se dekhana chaahata tha isaliye maimne mom ki saadi nikaalana shuru ki.

"mummy, ab tum bhi kapade nikaal do naa, pleassseee!" mom uth baithi. kaamana aur thodi lajjaase usaka chehara laal ho gaya tha.

"nikaalati hum bete, tu leta raha. maimne gaaun nikaalakar apana motaapa tujhe dikhaaya tha. ab ye kapade nikaalakar mera kanchan sa badan tujhe dikhaati hu, yaha tere hi liye hai mere laal" mom ne uthakar saad.i nikaali aur fir petikot khol diya. usaki madamast jaamghe fir se nagna ho gayim. par ab farak tha. us puraani paimti ke bajaay ek sumdar les waali kaali tamg paimti usane pahani thi. usame se usake pet ke niche ka maamsal ubhaar nikhar kar dikh raha tha. paimti ki patti ke sakare hone ke baawajud aas paas bas mom ki gori twacha hi dikh rahi thi.

"mom kya niche bhi shev karati hai!" mere man me aaya. tamg paimti ke talama kapad.e me se mom ki yoni ke bich ki gahari lakir ki bhi jhalak dikh rahi thi.
ab tak mom ne apana blaauz bhi nikaal diya tha. meri pahachaan ki us kaali bra me lipate mom ke gore badan ko dekhakar mujhe romaamch ho aaya. kitani hi baar maimne usame muththa maari thi. mom ke mote mote stanom ke upari bhaag usake kapom me se dikh rahe the. bra shaayad push ap thi kyomki ab wah stanom ko aadhaar de kar unhme uthaaye hue thi, isaliye mom ke stan aur bade aur fule hue lag rahe the. bade garva se we sina taan kar khade the maanom kaha rahe hom ki dekho, apani mom ki mamata ki is nishaani ko dekho, ek bete ke liye apani mom ke sabase khubasurat amg ko dekho. mujhe ghurata dekhakar mom ne hams kar kaha.

"are kuch bol, tab to khub chahak raha thaa, ab mom sumdar lag rahi hai ya nahim, inhe nikaal dum ki rahane dum?" mai kuch na bol paya. meri wah haalat dekh kar mom pyaar se musakaraai aur waise hi aakar palamg par mere paas let gayi aur mai usase lipat gaya.

agale kuch minit is madahoshi ki awastha me gujare ki mai kaha bhi nahi sakata. soch kar dekhem, wah mom jisase aap itana pyaar karate haim, jisake aagosh me aap ne kitane din gujaare hue haim, usi mom ke aagosh me aap fir se hom, par is baar usake nagna sharir ka aabhaas aap ko ho raha ho aur wah bhi ek preyasi ki taraha aap par prema ki warsha kar rahi ho to aapaki kya haalat hogi!

mai mom se lipatakar use chumata hua us par chadhane ki koshish kar raha tha. usake stanom ko maine brasiyar ke upar se hi haath me bhar liya tha. mulaayama spamj ke golom jaisi un gemdom ko dabaakar jab mujhe samtosh nahi hua to mai haath usaki pith ke piche karake mom ki bra ke huk kholane ki koshish karane laga. mujh anaad.i ko wah kuch jama nahi aur do minit meri is koshish ka aanamd lene ke baad pyaar se mom ne kaha.

"chal dur ho, anaad.i kahi kaa, aaj mai nikaal deti hum. par sikh le ab, aage se tu hi nikaalana." mom ne fir apane haathom se apani bra kholi aur bra ke kap baaju me kar diye. mai mom ki ghumdi mumha me lekar chusane laga. mujhe wah bhuri moti ghumdi jaani pahachaani se lagi. nipal ke aaju baaju bad.a sa bhura gola thaa, puraane ek rupaye ke sikke jaisa. mai aamkhe bamd karake mom ki chuchi chusane laga.

mom ne haath upar karake apani bra puri nikaal di aur fir mujhe chaati se chipata kar mujhe apani god me lekar let gayi. mujhe stan paan karaati hui bhaav vibhor hokar boli.

"anil, kitane din baad tujhe nipal chusawa rahi hum bete, jaanata hai, tu tin saal ka hone tak mera dudh pita thaa, chod.ane ko taiyaar hi nahi thaa, bad.i mushkil se teri yaha aadat maimne chud.awaayi thi. mujhe kya pata tha ki bad.a hokar fir yahi karumgi? par ab ye mai nahi bamd hone dumgi bette, tujhe jab chaahe jitana chaahe tu mere stan chus sakata hai mere raajaa"

ek haath se mom ka uroj dabaakar mai use chus raha tha aur dusare se dusara stan daba raha tha. baar baar stan badal badal kar mai chus raha tha. lund ab tan kar mom ke pet par ragad. raha tha aur mai aage piche hokar use chodane si harakat karata hua mom ke pet par ragad. raha tha. ek haath mom ki paimti ki ilastik me daal kar mai use utaarane ki koshish karane laga. mom ka bhi haal behaal tha. wah bhi sisakaariyaam bhar bhar kar apani jaamghe ragad.ati hui mujhe chaati se chipataakar palamg par ludhak rahi thi. usake stanom ki ghumdiyaam ab kad.i ho gayi thim. un chamadili mumgafaliyom ko chusane aur halke halke chabaane me bad.a aanand a raha tha. agar uname dudh bas aur hota to mai swarg pahunch gaya hotaa!

aakhir usase hi raha nahi gaya. usane apani painti nikaali aur taange failaakar mujhe apane upar lekar let gayi. fir apane haath se mera lund apani choot par sataakar use andar daalane lagi.

lund par lagati mulaayam touch se hi mai samajh gaya ki mom ne niche shev kiya hai. meri fantasy me mai hamesha kalpana karata tha ki mom ki chut ko paas se dekh raha hum, use chum raha hum, usake ras ko pi raha hum aur aaj jab yah asal me karane ka mauka mila to yah sab karane ke liye ab ham donom me sabar nahi tha. maine ek halka dhakka diya aur mera lund ek hi baar me pura mom ki tapati gili bur me sama gaya. mom ki choot aisi gili thi jaise andar krima bhar di ho. mom ne mujhe apani jaamghom aur baamhom me bhar liya aur niche se hi dhakke de dekar chudawaane lagi.

mujhe isaka vishwaas hi nahi ho raha tha ki aakhir mai apani mom ko chod raha hum. mera pahala sambhog, pahali baar kisi naari se kaama krid.a aur wah bhi meri jaan se pyaari mami ke saath! mai kuch kahana chaahata tha par mom ne apani chuchi mere mumha me thums di thi aur chod. hi nahi rahi thi. maimne tadap kar mom ke apani baahom me kasa aur use hachak hachak kar chodane laga.


hamaara yaha pahala sambhog bilakul jaanawarom jaisa tha. hama itane pyaase the ki ek dusare ko bas pure jor se chod rahe the, bina kisi ki parawaaha ke. chaar paamch minit ki dhuaamdhaar chudaai ke baad jab mai aakhir jhad.a to jaan si nikal gayi. itani trupti mahasus ho rahi thi jaisi kabhi nahi hui. lagata hai ki mom bhi jhad. chuki thi kyomki mujhe baamhom me bharake mere baalom me haath chalaati hui bas yahi kaha rahi thi "mere bete, mere laal, mere bachche"

maimne mom ka nipal mumha me se nikaala aur usake stanom ki khaai ko chumakar mom se bola

"sorry mummy, mai apane aap ko rok nahi paayaa, isaliye itani jaldi ki" mom ne pyaar se kaha

"jaanati hu bete, bas kuch mat bol, aise hi pad.a raha. kuch kahane ki jarurat nahi hai. mere dil ka haal tu jaanata hai aur tere dil ki baat mai jaanati hum." hama khaamosh apane skhalit hone ke aanamd me bhigate pade rahe. mujhe vishwaas hi nahi ho raha tha ki maimne apani mom se, apani janani se abhi abhi sambhog kiya hai, wah bhi usaki ichchaanusaar aur use wah bahut achcha laga hai. mom ne kuch der baad kaha












आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj










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