Monday, April 19, 2010

रेप कहानिया मर्दों की दुनिया पार्ट--8

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मर्दों की दुनिया पार्ट--8

अमित ने अपना दबाव बढ़ाया और मुझे ऐसा महसूस हुआ की उसका लंड
मेरी गंद की दीवारों को चीर रहा है.

"ऑश माआआ" में सिसक पड़ी.

"येयी गया," चिल्लाते हुए अमित ने एक ज़ोर का धक्का मारा और पूरा
लंड एक ही झटके मे मेरी गंद मे घुसा दिया.

"ओह मर गयी......." में दर्द के मारे ज़ोर से चिल्ला
उठी, "भगवान के लिए अमित क्या मुझे जान से मार डालने का इरादा
है."

"सॉरी सूमी मेरी जान," अमित ने माफी माँगते हुए कहा, "जोश जोश मे
मुझे ख़याल नही रहा, में भूल गया था कि सुमित का लंड भी
तुम्हारी चूत के अंदर घुसा हुआ है."

फिर दोनो अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे. थोड़ी देर मे मुझे
चूत और गंद दोनो छेदों मे मज़ा आने लगा.

"ऑश अमित जिसने भी वो कहानी लिखी थी सही मे जवाब नही.....
ऑश हाआअँ चोदो दोनो मुझे चूओड़ो हाा ज़ोर से ऑश."
मेरी जान वो कहानी राज शर्मा की है
मेरी सिसकियों को सुन दोनो मे जोश आ गया. सुमित नीचे से ज़ोर ज़ोर
से अपनी गंद उपर कर धक्के मारने लगा और अमित पीछे से ज़ोर के
धक्के मार रहा था.

"हाँ चोदो ऐसे ही चोदो, आअज तो तुम दोनो ने मुझे जन्नत का
मजा दे दिया... हां और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ और तेज श
मेरा तो छूटने वाला है और ज़ोर से.." जोरों से सिसकते हुए मेरी
चूत ने पानी छोड़ दिया.

दो तीन धक्के मार अमित ने अपना वीर्या मेर गंद मे छोड़ दिया और
सुमित ने अपना मेरी चूत मे

'सूमी क्या सही मे बहोत मज़ा आया," जब हमारी साँसे थोड़ी संभली
तो अनु ने पूछा.

"मुझे पता नही," मेने हंसते हुए कहा, "एक बारऔर इस तरह चुदवा
लूँ फिर ही बता सकती हूँ कि कैसा लगा."

"दीदी, लगता है सूमी दीदी को बहोत मज़ा आया है." मोना बोली.

"हाँ मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," अनु ने कहा, "नही सूमी अब
मेरी बारी है और में दो लंड से चुदवाउन्गि."

"सॉरी अनु आज नही हम दोनो ये फ़ैसला किया है कि दोहरी चुदाई दिन
में एक बार ही करेंगे." सुमित ने कहा.

"अब ये तो कोई बात नही हुई.... हम क्या करेंगे?" अनु ने शिकायत
करते हुए कहा.

"हमने तो तुम्हे मौका दिया था लेकिन तुमने फ़ायदा नही उठाया इसमे
हमारी क्या ग़लती है? अब तो तुम्हे कल तक के लिए रूकना पड़ेगा."
अमित ने कहा.

अब हम इसी तरह मस्ती करते हुए दिन गुज़र रहे थे. हफ्ते के आख़िर
हम सब घर पर रह कर आराम करते और साथ ही मज़ा करते. अक्सर
घर मे रहते हुए हम कपड़े नही पहनते थे. ऐसे ही एक रविवार की
शाम हम सब हाथ मे बियर का ग्लास लिए बैठे थे. दोनो
नौकरानिया भी हमारी तरह नंगी ही थी और उन्होने कोक की बॉटल
हाथ मे ले रखी थी.

मेने देखा कि अमित रीमा को देखते हुए अपने लंड को मसल रहा था.
अचानक रीमा नीचे झुक कर ग्लाब की पंखुड़ियों को उठाने लगी जो
नीचे गिर गयी थी.

रीमा की फूली गंद देख कर अमित उछल पड़ा और उसे पीछे से
पकड़ लिया, "अभी तो में इसकी गंद मारूँगा."

अचानक ना जाने रीमा को क्या हुआ उसने अमित को धक्का देते हुए अपने
से दूर कर दिया लौर चिल्लाई, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे
छूने की?"

अमित और हम चारों रीमा का ये व्यवहार देख कर हैरान रह गये
थे, की आज इसे क्या हो गया. हमने उसकी तरफ देखा तो वो थोड़ा दूर
खड़ी मुस्कुरा रही थी.

"भाई ये नाटक कर रही है," सुमित ने कहा, "मुझे लगता है कि तुम
इसे मनाओ."

अमित ने अपनी गर्दन हिलाई और रीमा को अपनी बाहों मे भर
लिया, "डार्लिंग क्यों नखरे दीखा रही हो? चलो मज़ा करते है."

"तुम्हे शरम नही आती इस तरह पराई औरतों को छेड़ते हुए?" रीमा
ने अपने आप को अमित से छुड़ाया और अपने कूल्हे मतकती हुई उससे दूर
चली गयी.

"अमित मुझे लगता है कि ये चाहती है की तुम इसके साथ ज़बरदस्ती
करो." सुमित ने हंसते हुए कहा.

"फिर तो आज इसकी इच्छा पूरी होकर रहेगी." अमित रीमा की ओर बढ़ते
हुए बोला.

रीमा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो जोरों से चिल्लती हुई
कमरे मे भागने लगी, "अरे कोई इस बदमाश से मुझे बचाओ.. कोई तो
मेरी मदद करो.... ये बदमाश मुझे चोदना चाहता है... प्लीज़ कोई
तो मदद कर दो..."

फिर पकड़ा पकड़ी का खेल शुरू हो गया. आख़िर दस मिनिट तक इधर
से उधर भागने के बाद रीमा अमित के हाथ लग ही गयी.

अमित ने जोरों से उसे बाहों मे भींचा और उसकी चुचियों को रगड़ते
हुए बोला, "देख हरमज़ड़ी अब में तुझे कैसे चोदता हूँ, अगर आज
चोद चोद के तेरी चूत और गंद ना फाड़ दी तो कहना, साली कई
दिन तो ठीक से चल भी नही पाएगी."

रीमा किसी जल मे फाँसी मछली की तरह फड़फदाई और जोरों से
चिल्लाने लगी, 'छोड़ दे मुझे बदमाश , अगर चोदना ही तो जा कर
अपन मा बेहन को चोद जाकर."

थोड़ी देर मे हमे लगा कि जिसे हम मज़ाक समझ रहे थे वो मज़ाक
नही था, रीमा सही मे अपने आपको अमित से छुड़ाने की कोशिश कर
रही थी.

और अमित का तो हाल बुरा था, उत्तेजना और जोश मे उसका चेहरा और
लंड दोनो लाल हो चुके थे. लंड था कि और तनता ही जा रहा था.
काफ़ी छीना झपटी के बाद अमित रीमा को ज़मीन पर लीटाने मे सफल
हो गया. लेकिन वो जितना रीमा के उपर आकर उसकी टाँगो को फैलाने की
कोशिश करता रीमा किसी ना क्सि तरह उसे अपने उपर से हटा देती.

लेकिन विरोध करते करते रीमा थक गयी और उसके हाथ पाँव ढीले
पड़ने लगे. आख़िर अमित उसकी टाँगो को फैलाने मे कामयाब हो गया.
उसने उसकी चुचियों को पकड़ा और एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी
चूत मे गुसा दिया.

"ऑश मार गयी..... मुझे जाने दे बादमाअश" रीमा जोरों से दर्द के
मारे कराह उठी.

लेकिन अमित ने उसकी करहों पर कोई ध्यान नही दिया और ज़ोर ज़ोर से
उसकी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर करता रहा. रीमा गिड़गिदने लगी
की वो उसे छोड़ दे.

अमित था की वो उसकी टाँगो को और फैला ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा
था, "ले रांड़ ले मेरे लंड को, क्या कहा था तूने की में अपनी मा
बेहन को चोदु देख अब में तेरी चूत की क्या हालत करता हूँ ले
रंडी मेरे लंड को."

थोड़ी ही देर मे रीमा की हाथ पाँव ढीले पड़ गये और उसकी कमर
अमित का साथ देने लगी. में समाझगाई की उसकी चूत पानी छोड़ने
वाली है. दो तीन धक्कों मे ही वो ज़ोर की सिसकारी भरते ही झाड़
गयी. अमित भी ज़ोर के धक्के मार झाड़ गया.

अमित के झाड़ते ही रीमा ने उसके चेहरे को हाथो मे ले लिया, थॅंक
यू सर, मज़ा आ गया," कहकर वो उसे बेतहाशा चूमने लगी.

"रीमा ये सब क्या था," अनु ने उससे पूहा.

"वो दीदी क्या है ना में हमेशा सोचा करती थी कि कोई मेरे साथ
ज़बरदस्ती करे और बलात्कार के वक़्त कैसा महसूस होता है में ये
जानना चाहती थी, और आज मुझे पता चल गया कि कभी कभी
ज़बरदस्ती मे भी मज़ा आता है." रीमा ने जवाब दिया.

"ऐसा था तो तूने हमे पहले क्यों नही बताया?" मेने पूछा.

"दीदी अगर बता देती तो शायद हक़ीकत वाला मज़ा ना आता." रीमा ने
कहा.

"ये शायद सही कह रही है." मोना ने कहा, "लेकिन रीमा जब अमित
सर ने अपना लंड तेरी चूत मे घुसाया तो तू चीख क्यों पड़ी."

"वो क्या है ना, जब भी कुँवारी चूत मे लॉडा घुसता है तो लड़की
चीख ही पड़ती है ना." रीमा ह्नस्ते हुए बोली.

रीमा ने इस भोले पन से मुँह बनाते हुए कहा था कि हम सभी
हँसने लगे.

"मोना क्या तुम भी चाहोगी रीमा की तरह अपना बलात्कार करवाना? सुमित
ने पूछा.

"नही सर, ये रीमा को ही मुबारक हो." मोना ने जवाब दिया, "हां
अगर आप मुझे चोदना चाहते है तो चोद सकते है."

"वो तो हमेशा में तुम्हे चोदना चाहता हूँ," सुमित उसे बाहों मे
भरते हुए बोला.

"सुमित एक मिनिट रूको," अनु ने कहा, "मोना तुम्हारा कोई सपना या फिर
ऐसा कोई ख्याल जो तुम पूरा करना चाहती हो?"

"हाँ एक सपना है, में बचपन से ही एक सपना देखती आई हू मोना ने
कहा, " कि मुझे दुल्हन की तरह सजाया जाए, मेरी शादी हो रही
है और में अपनी कुँवारी चूत अपने पति से चुदवा रही हूँ, लेकिन
शायद ये सब अब एक सपना ही रह जाएगा."

"नही ये सपना नही रहेगा," मेने कहा, "अमित और सुमित तुम्हारा
कुँवारा पन तो नही लौटा सकते लेकिन हां आज तुम्हारा बाकी का
सपना ज़रूर पूरा होगा."

शाम को हम मोना को एक ब्यूटी पार्लर मे ले गये जो कि दुल्हन के
मेक उप के लिए फाओमौस था. रीमा को हमने ठीक किसी दुल्हन की तरह
सज़ा कर तय्यार कर दिया. नया दुल्हन का जोड़ा, गहने सभी कुछ
हमने उसे पहना दिया. हम बाकी भी ऐसे तय्यार हो गयी जैसे की किसी
शादी मे जा रही हों.

रात के ठीक डूस बजे हम मोना को हमारे पति की पास ले गयी. सुमित
शेरवानी पहन कर ठीक किसी दूल्हे की तरह लग रहा था और अमित ने
शानदार सूट पहना हुआ था.

"कहिए हमारी दुल्हन कैसी लग रही है?" अनु ने मोना का घूँघट
थोड़ा उपर करते हुए पूछा.

"हे भगवान ऐसा लग रहा है जैसे की आसमान से कोई अप्सरा उत्तर
कर आ गयी हो," अपनी साँसे संभाले अमित मोना के पास आया. "मोना
तुम तो बहोत ही सुंदर लग रही हो."

"भाई अपने आप को संभलो." सुमित हंसते हुए बोला, ये मेरी दुल्हन
है, इसे हाथ भी मत लगाना."

फिर मेने और अनु ने मिलकर मोना की शादी सुमित के साथ नकली रूप
मे करा दी. फिर विदाई भी हुई और मोना इस कदर फूट फूट कर
रोई जैसे की सही मे उसकी बिदाई हो रही हो.

फिर हम मोना को उसके सुहागरात के कमरे मे ले गये जिसे हमने फूलों
और गुब्बारों से अछी तरह सजाया था और उसे पलंग पर बिठा दिए
जिसपर गुलाब की पंदखुड़िया बिछी हुई थी.

"सुमित अब तुम जा सकते हो? अनु ने कहा, "तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा
इंतेज़ार कर रही है."

जैसे ही सुमित ने कमरे मे घुस कर दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की
मेने चिल्ला पड़ी, "रुक जाओ, हम भी आ रहे है."

सुमित चौंक कर बोला, "तो क्या तुम हमारी सुहागरात देखना चाहती
हो?"

"और नही तो क्या? अनु ने जवाब दिया, "तुम्हे कोई ऐतराज़ है क्या?

"मुझे तो कोई ऐतराज़ नही है, लेकिन बेहतर होगा कि आप लोग आज रात
की दुल्हन से पूछ लें." सुमित ने कहा

"मोना प्लीज़ क्या हम देख सकते है?" मेने उससे आग्रह करते हुए
कहा, हम तो सिर्फ़ ये देखना चाहते है कि सुहागरात की रात ये तुमसे
ठीक से बर्ताव करता है कि नही और कहीं ये तुम्हारी गंद ना मार
दे."

"लड़किया तुम सब पागल हो गयी हो." अमित ने हमे बीच मे टोकते हुए
कहा, "सुहागरात को लोगों की आपस की और पर्सनल रात होती है,
में तो कहूँगा कि तुम सब इन्हे अकेला छोड़ दो.."

"थॅंक यू सर," मोना ने धीरे से कहा.

हमे अक्चा तो नही लगा लेकिन अमित का तर्क भी सही था, इसलिए हम
सब वहाँ से बाहर आ गये.

दूसरी सुबह हमने अमित से पूछा, "तो रात कैसी गुज़री?"

"ऑश में बता नही सकता, मोना वाकई मे लाजवाब है, नई नवेली
दुल्हन की तरह शरमाती रही. जब मेने उसके कपड़े उतारने चाहे तो
शर्मा कर सिमट गयी. जब उसकी चूत मे लंड घुसना चाहा तो ऐसे
शरमाई जैसे की पहली बार लंड ले रही है. जब लंड घुसा तो दर्द
से चिल्लई नही सिर्फ़ धीरे से फुसफुसा, "धीरे कीजिए ना दर्द हो
रहा है," सच में एक यादगार रात थी." अमित ने हमे बताया.

"और तुम क्या कहना चाहती हो मोना?" अनु ने पूछा.

"दीदी अब में अपनी नकली सुहागरात के बारे मे क्या कहूँ, आप तो सब
पहले से ही जानती है, आप तो सुहागरात मना भी चुकी हो." उसने
धीरे से कहा.

"शुक्रा है भगवान का इसे हक़ीकत का पता नही," मेने मन ही मन
कहा.

"फिर भी बताओ तुम्हे कैसा लगा?" अनु ने पूछा.

"श दीदी सही मे जन्नत का मज़ा आ गया, सुमित सर एक दम दूल्हे की
तरह मुझसे पेश आए. इतने प्यार से और अप्नत्व से इन्होने सब
किया," मोना ने बताया, "काश जिस दिन इन्होने पहली बार हमारी
कुँवारी चूत फाडी थी ऐसा ही प्यार और अप्नत्व दीखया होता."

"सॉरी मोना डार्लिंग," सुमित ने माफी माँगते हुए कहा, "तुम्हे तो पता
था कि उस दिन हालत और महॉल कैसा था."

"मुझे पता है, इसलिए कोई शिकायत नही है," मोना ने जवाब
दिया, "हां और इस बात की खुशी मुझे जिंदगी भर रहेगी कि नकली
ही सही मेने भी सुहागरात मनाई है."

मैं कुछ ज़्यादा ही एमोशनल हो रही थी इसलिए बात को बदलने के
लिए मेने मोना से फिर पूछा, "कहीं इन्होने तेरी गांद तो नही
मारी?

"ये तो मारना चाहते थे लेकिन मेने मना कर दिया." मोना ने हंसते
हुए कहा.

"कल नही मारी तो क्या हुआ, अब तो मार सकता हूँ," सुमित ने उसे बाहों
मे भरते हुए कहा.

"मना किसने किया है, स्वागत है आपका." मोना वहीं कुर्सी के सहारे
घोड़ी बनती हुई बोली.

"भैया इसकी गांद शाम तक का इंतेज़ार कर सकती है लेकिन ऑफीस
मे आने वाले हमारे ग्राहक हमारा इंतेज़ार नही करेंगे." अमित ने
कहा. "हमे तुरंत ऑफीस के लिए रवाना हो जाना चाहिए नही तो
लेट हो जाएँगे."

इसी तरह मस्ती और मज़े करते हुए समय गुज़रता गया. करीब तीन
महीने बाद मुझे सीमा दीदी का फोन आया ये बताने के लिए कि वो
दोनो शर्तें पूरी करने को तय्यार है.

"दीदी क्या कुँवारी चूत का इंतेज़ाम हो गया?" मेने पूछा.

"हां हो गया है." माला दीदी ने जवाब दिया.

"कौन हैं वो?" अनु ने पूछा.

"वो सब हम फोन पर नही बता सकते," सीमा दीदी ने हंसते हुए
अखा, "पर तुम्हारी जल्दी ही उनसे मुलाकात होगी."

उस दिन शाम को हमने ये खुश खबरी हमारे पतियों को सुनाई.

"वाउ क्या बात है, अब जल्दी से बताओ कि कब और कहाँ हमे मिलना
होगा उनसे?" अमित ने पूछा.




'आइ कान'ट टेल यू ऑन दा फोन,' मधु दीदी ने कहा, 'बट यू विल
मीट देम सून एनफ.' दट ईव्निंग, वी गेव दा गुड न्यूज़ टू अवर
हज़्बेंड्स.

'ग्रेट, वेन आंड वेर?' अमित इंक्वाइयर्ड.

"जीजू ने शिमला मे एक बुंगलोव किराए पर लिया है. वो चाहते है कि
हम इस महीने की 30 तारीख को वहाँ पहुँच जाएँ." मैने उन्हे बताया.

"शिमला ही क्यो, वो यहाँ भी आ सकते थे या फिर हमे अपने यहाँ
बुला लेते." सुमित ने कहा.

"मेने पूछा नही." मेने जवाब दिया, "होगा कोई कारण या फिर उनकी
मजबूरी, तुम कहो तो में उनसे पूछ सकती हूँ."

"नही इसकी कोई ज़रूरत नही है, बस उन्हे हमारा धन्यवाद देना और
कहना कि हम ठीक दिन पहुँच जाएँगे." अमित ने कहा

दो हफ्ते बाद जब हम हमारा शिमला जाने के प्रोग्राम की तय्यरी कर
रहे थे, अमित ने कहा, "देखो हमे ऑफीस का कोई ज़रूरी काम आ
गया और हम तुम दोनो के साथ नही जा पाएँगे, लेकिन हां हम ठीक
30 को वहाँ पहुँच जाएँगे सो तुम दोनो पहले चले जाओ और अपने
साथ मोना और रीमा को भी ले जाओ."

"तुम्हे लगता है कि इन्हे हमारे साथ ले जाना ठीक रहेगा." अनु ने
कहा, "वहाँ तुम हमारी बहनो की चुदाई भी करने वाले हो."

"इसमे क्या हर्ज़ है, कभी ना कभी तो इन दोनो को सब कुछ मालूम
पड़ने ही वाला है, तो क्यँ ना आज ही पड़ जाए." सुमित ने कहा, "और
याद है ना कि तुम्हारे प्यारे जीजू और जीजाजी हमे तोहफे मे कुँवारी
चूत देने वाले है तो हम भी इन दोनो को रिटर्न गिफ्ट मे उन्हे दे
देंगे."

"क्या मोना और रीमा को बुरा नही लगेगा कि तुमने अपने ही अंजान
रिश्तेदारों के हाथ मे उन्हे सोंपने दिया चुदवाने के लिए." मेने
अपनी चिंता जताई.

"अरे कुछ बुरा नही लगेगा, बल्कि वो दोनो तो खुश हो जाएँगी की
उन्हे दो नये लंड मिल गये चुद्वने के लिए, लेकिन तुमने फिर भी
अपनी चिंता जताई है इसलिए बेहतर होगा कि हम उसने पहले ही पूछ
लें" अमित ने कहा और उन्हे आवाज़ लगाई.

जब वो दोनो कमरे मे आई तो सुमित ने उन्हे सब कुछ विस्तार से समझा
दिया कि वो क्या और क्यों करना चाहते है.

"हम ये जानना चाहते है कि क्या तुम दोनो तय्यार हो?" अमित ने उन दोनो
से पूछा.

पहले तो दोनो ने शरम के मारे नज़रें झुका ली. "हम वही करेंगी
जो हमे दीदी कहेंगी," वो दोनो धीरे से बदबूदाई. लेकिन उनकी
आँखों की चमक ने बता दिया कि वो दोनो बहोत खुश थी.

"तुम दोनो बहोत शैतान हो?" मेने कहा, "तुम दोनो सब कुछ मुझे
पर ही क्यों डाल देती हो. मैं जानती हूँ कि दोनो नये लंड से
चुदवाने के ख़याल ने ही तुम्हारी चूत को गील कर दिया है, लाओ
में देखती हूँ कि तुम्हारी चूत गीली हुई है कि नही."

"नही दीदी नही....." कहकर वो दोनो वापस किचन मे भाग गयी.

"हम सब सफ़र कैसे करेंगे? क्या ट्रेन से." अनु ने पूछा.

"ट्रेन से सफ़र करने की कोई ज़रूरत नही है." सुमित ने
कहा, "ड्राइवर तुम सभी को क्वायलिस मे ले जाएगा और वहाँ छोड़ कर
वापस आ जाएगा. फिर हम उसके साथ तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे."

"जिस सुबह हमे रवाना होना था सुमित ने हमसे कहा, "देवियों जब
तक हम ना कहे तुम दोनो अपने जीजू और जीजाजी से नही चुद्वओगि.'

"बिल्कुल नही में वादा करती हूँ." मैने कहा.

"में भी वादा करती हूँ." अनु ने पाने सिर पर हाथ रख कर कहा.

"और हां इन लंड की भूकियों पर भी नज़र रखना." अमित ने अखा.

"इसकी तुम चिंता मत करो, हम ध्यान रखेंगे." अनु ने कहा..

हम शाम को 6.00 बजे उस बुंगलोव पर पहुँच गये जो जीजाजी ने
किराए पर लिया था. बुंगलोव सहर से करीब एक घंटे के रास्ते पर
था.

एक दूसरे से मिलने के बाद हमारी बहने हमे बुंगलोव दीखाने लगी.

"ये हमारा बेडरूम है." मेने देखा कि उसमे चार पलंग थे.

"तो अब आप खुले आम सब कोई साथ साथ सोते हो?" मैने हंसते हुए
कहा.

"नही ऐसी कोई बात नही है," माला दीदी ने जवाब दिया, "असल मे इन
बंग्लॉ मे तीन ही बेडरूम है. और हर बेडरूम मे चार चार पलंग
है, तुम चारों को भी एक ही कमरे मे रहना होगा क्यों कि तीसरा
कमरा नौकरानियों का होगा."

"ओह दीदी हमे कोई प्राब्लम नही है" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा.

"ओह... तो तुम लोग भी....." सीमा दीदी ने कहा, "कब से चल रहा
है ये सब?"

"दीदी यही कोई कुछ महीनो से." मेने जवाब दिया.

"चलो पहले कुछ चाइ नाश्ता कर लेते है फिर बात करते है."
माला दीदी ने कहा.

"तुम दोनो खुश तो हो ना?" सीमा दीदी ने कहा.

"हां दीदी," मेने कहा और फिर उन्हे सब कुछ विस्तार से बता दिया.

"तो ये मोना और रीमा है." दीदी ने पूछा.

"हां दीदी." अनु ने जवाब दिया

"तुम्हे इन्हे अपने साथ नही लाना चाहिए था, मुझे तो लगता है कि
तुम दोनो की तकलीफ़ की जड़ ये दोनो ही है." सीमा दीदी ने कहा.

"नही दीदी इसमे इनकी कोई ग़लती नही है, शायद ये तो होना ही था."
मेने जवाब दिया.

"बहुत सुंदर और प्यारी है दोनो." जीजू ने कहा.

"और चोदने मे भी मज़े दार होंगी में दावे से कह सकता हूँ."
जीजाजी ने कहा. "तुम क्या कहते हो अजय?"

"हां इनकी चूत मे लॉडा घुसाने मे मज़ा कुछ ख़ास ही आएगा."

"बहुत मज़ा आएगा." अनु हंसते हुए बोली, "हमारे पति देव ने इन्हे
ख़ास आप लोगों के लिए ही भेजा है. उन्होने कहा कि जब हमारे
आदर्निय जीजाजी लोग हमारे लिए कुँवारी चूत का इंतेआज़म कर
सकते है तो हम कम से कम उन्हे नई चूत तो तोहफे मे दे ही सकते
है."

"वो तो ठीक है, पर क्या ये दोनो तय्यार है?" जीजू ने पूछा.

"हां ये पूरा सहयोग देंगी, लंबा और मोटा लंड इन्हे पसंद है,"
मेने हंसते हुए कहा, "लेकिन आप दोनो को हमारे पति देव के आने का
इंतेज़ार करना होगा."

"बस हमारे बारे मे बहोट हो गया," मैने कहा, "दीदी वो दोनो
कुँवारियाँ कहाँ है?"

मर्दों की दुनिया पार्ट--8

एक मिनिट रूको." सीमा दीदी ने हंसते हुए कहा, फिर उन्होने घंटी
बजाई.

थोड़ी देर बाद एक 18 साल की नेपाली लड़की कमरे मे आई. वो इतनी
सुंदर तो नही थी लेकिन फिर भी उसके नाक नक्श काफ़ी कटीले थे.
रंग गोरा. 5"2 इंच लंबी और छोटी लेकिन नारंगी जैसे चुचियों.

"मेडम आपने बुलाया?" उसने कहा.

"हां सोना, ये मेरी बहने है. अनु और सूमी अपने पति के साथ कुछ
दिन हमारे यहाँ ही रहेंगी. ये दोनो इनकी नौकरणिया है मोना और
रीमा.

नौकरानियों को किचन मे ले जाकर इन्हे चाइ नाश्ता दो फिर इन्हे
अपना कमरा दीखा दो, ये तुम्हारे साथ रहेंगे.

"ठीक है मालकिन." सोना ने कहा.

"ज़रा टीना से कहना कि यहाँ चाइ दे जाए," माला दीदी ने उसे
हुकुम दिया.

"जैसा आप कहें मालकिन." कहकर वो हमारी नौकरानियों को साथ
लेकर कमरे से चली गयी.

"मेने इस लड़की को पहले कहीं देखा है." मेने अपने दीमाग पर ज़ोर
देते हुए कहा, "लेकिन याद नही आ रहा."

"तुमने इसे मेरी शादी मे देखा होगा," अनु ने कहा, "ये माला दीदी की
नौकरानी है."

"ऑश हाँ अब याद आया," मेने कहा, "लेकिन क्या इसे पता है कि इसे
यहाँ क्यों लाया गया है."

"हां इसे पता है कि इसे यहाँ इसकी चूत फादवाने के लिए लाया
गया है," माला दीदी ने कहा, "लेकिन ये समझती है कि इसकी कुँवारी
चूत विजय फड़ेगा."

"लेकिन इसे ऐसा क्यों लग रहा है इसकी चूत जीजाजी फाड़ेंगे." अनु
ने पूछा.

"ये एक लंबी कहानी है." माला दीदी ने कहा.

"दीदी प्लीज़ सुनाए ना." अनु ने कहा.

"अभी नही बाद मे सुनाउन्गि, पहले तुम दोनो टीना से मिल लो," सीमा
दीदी ने कहा, "वो अभी आती ही होगी."

तभी हमे एक मधुर आवाज़ सुनाई दी."मेडम प्लीज़ ज़रा दरवाज़ा खोल
दीजिए मेरे दोनो हाथ भरे हुए है."

"वो टीना ही होगी, ज़रूर चाइ लेकर आई होगी," माला दीदी ने
कहा, "सूमी ज़रा दरवाज़ा तो खोलना."

जब मेने दरवाज़ा खोला तो एक पल के लिए मेरी आँखे पथरा गयी.
टीना इतनी सुन्दर थी कि में क्या बताउ. कमरे मे हम सब मे वही
सबसे सुंदर थी. वो सोना की ही उम्र की होगी पर उससे उमर मे छोटी
दीख रही थी. गोल गोल मासूम आँखे, लंबे काले बाल इतना सुडौल
जिस्म की माँस नाम मात्र का भी उसके बदन पर नही था. बड़ी और
भारी भारी चुचिया, अगर उसे मौका मिले तो ज़रूर वर्ल्ड मिस
कॉंटेस्ट जीत सकती थी.

सीमा दीदी ने उससे हमारा परिचय कराया और उससे कहा की हमारे
पति कल आएँगे. उसने हम सभी को नमस्ते किया और चाइ देने के
बाद कमरे से चली गयी.

"सीमा दीदी तुम्हारी टीना तो बहोत ही सुन्दर है, कहाँ से मिल गयी
ये?" मेने पूछा.

"तुम्हारी शादी के बाद मेने अपनी पुरानी नौकरानी को निकाल दिया
था." सीमा दीदी ने जवाब दिया, "हर समय अपने दर्द के बारे मे ही
कहती रहती थी और सारा समय टी.वी देखती रहती थी."

"ये मिली कहाँ से" मेने फिर पूछा.

"दो दिन के बाद हमारे पड़ोसी ने इसे मेरे पास भेजा. में तो इसे
रखना ही नही चाहती थी कारण इसे कुछ भी नही आता था ना ही
खाना बनाना ना बचों की देखभाल करना," सीमा दीदी ने
कहा, "लेकिन तुम्हारे जीजू ने कहा की अगर कोई इसे काम पर नही
रखेगा तो इसे अनुभव कहाँ से आएगा," "लेकिन मुझे तो लगता है
कि तुम्हारे जीजू को इसकी सूरत और गाओं की कोरी चूत पसंद आ गयी
थी."

"दीदी ये इतनी सुंदर और प्यारी है कि मुझे तो डर लग रहा है कि
हमारे पति इसके लिए आपस मे झगड़ा ना करने लग जाए." अनु ने
खिलखिलते हुए कहा.

"झगड़ा करने से भी कुछ होने वाला नही है, क्योंकि टीना अपनी कोरी
चूत सुमित से ही फदवाएगी." सीमा दीदी ने खुलासा करते हुए कहा.

"सुमित ही क्यों अमित क्यों नही, वो तो दोनो से नही मिली है," अनु ने
थोड़ा जलन भरे स्वर मे कहा.

"इसके पीछे भी एक कहानी है," सीमा दीदी मुकुराते हुए बोली.

"फिर एक कहानी है, अछा चलिए बताइए क्या कहानी है?" मेने
कहा.

"वो तो में बता दूँगी लेकिन पहले माला से तो सुन ले कि सोना विजय
से ही क्यों चुदवाना चाहती है?" सीमा दीदी ने कहा.

"ये तुम्हारी शादी के एक हफ्ते बाद की बात है, जब हम घर
पहुँचे तो मेने देखा कि जब भी सोना कमरे मे होती थी तो विजय
उसे घूरता रहता था." माला दीदी ने कहानी सुनाते हुए कहा.

उस रात जब हम दोनो बिस्तर मे थे तो मेने विजय से कहा, "ये तुम
मर्दों को क्या हो जाता है जहाँ गोरी चॅम्डी देखी नही कि तुम लोगों
का लॉडा खड़ा हो जाता है."

"ऐसा कुछ नही है मेरी जान," विजय ने जवाब दिया, "ये गोरी चॅम्डी
के कारण खड़ा नही हो रहा है, बल्कि कोरी पहाड़ी लड़की की चूत
देख कर खड़ा हो रहा है, उपर से मेने आज तक किसी नेपाली लड़की
को नही चोदा है इसलिए खड़ा हो रहा है."

"क्या तुम उसे चोदना चाहते हो?" मेने विजय से सीधे सीधे पूछा.

"अरे मेरी जान मरा जा रहा हूँ उसे चोदने के लिए." उसने मेरा हाथ
अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा था, "देखो उसका नाम लेने से
लंड महाराज कैसे उछल रहे हैं."

"ठीक है में नही रोकती तुम्हे, जाओ और चोद दो उसे." मेने कहा.

"तुम्हे बुरा नही लगेगा ना," विजय ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा
था. "सच मे जान मे इसी लिए तुम्हे दुनिया की सबसे अच्छी बीवी कहा
करता हूँ."

"बस.... बस अब मस्का लगाना छोड़ो. " मेने मुस्कुराते हुए
कहा, "लेकिन एक ही शर्त पर तुम उसे चोद सकते हो."

"ठीक कहो क्या शर्त है?' विजय ने कहा.

"में देखना चाहती हूँ कि तुम उसकी कोरी चूत को कैसे फाड़ते हो?"
मेने कहा.

"अरे तुम अपनी बात करती हो, तो देख सकती हो." विजय ने कहा, "और
चाहो तो अपनी कुछ सहलेलियों को बुला सकती हो देखने के लिए."

"नही में ही काफ़ी हूँ," मेने उससे कहा, "में नही चाहती कि बाद
मे तुम मेरी सहलेलियों को भी छोड़ो."

"वैसे तुम्हारा ख़याल बुरा नही है, तुम्हारी कुछ सहेलियाँ तो सही
मे पटका है....." विजय ने मेरे उपर चढ़ अपने लंड को मेरी चूत
मे घुसाते हुए कहा था.

ऑश लड़कियों में बता नही सकती की वो रात कैसे थी, कई दीनो के
बाद विजय ने मेरी चूत इतनी कस कर मारी थी, उस रात उनका लॉडा
झड़ने का नाम ही नही ले रहा था. पता नही सोना का ख़याल था या
फिर मेरी सहेलियों का." मेने कहा.

"है दीदी कहीं जीजाजी ने सोना को चोद तो नही दिया?" अनु ने चिंता
करते हुए कहा.

"घबराव मत उन्होने अभी तक उसे चोदा नही है," मैने कहा, "वो
अभी भी कुँवारी है."

दूसरे दिन जब तुम्हारे जीजाजी काम पर से वापस आए तो मेने उन्हे
इशारा करते हुए कहा, "सोना किचन मे बर्तन धो रही है."

मेरा इशारा समझ तुम्हारे जीजाजी किचन मे गये और सोना को पीछे
से बाहों मे भर लिया, "सोना मे घर आ गया हूँ एक कप चाइ बना
दो." कहकर वो उसके गालों को चूमने लगे."

आगे की कहानी तुम्हारे जीजाजी की ज़ुबानी.

"श शाब, प्लीज़ ऐसा मत करिए, मेडम ने देख लिया तो ग़ज़ब हो
जाएगा," उसने फुसफुसते हुए कहा और मेरी पकड़ से छूटने की
कोशिश करने लाती.

"तुम्हारी मेडम कहाँ है?" मेने पूछा.

"अपने बेडरूम मे." सोना ने कहा.

"ठीक है चाइ वहीं लेकर आ जाओ." मेने उससे कहा.

कमरे मे पहुँच कर मेने माला को बताया कि किचन मे क्या हुआ
था. "ह्म्‍म्म तुमने ऐसा किया तो वो ना तो चिल्लाई ना ही तुम पर गुस्सा
हुई, सिर्फ़ तुम्हे मुझसे आगाह किया" माला ने कहा, "इसका मतलब समझते
हो?"

"हां बहोत अछी तरह से समझता हूँ," मेने हंसते हुए कहा, "इसका
मतलब है की तुम्हारी सहेलियों को मुफ़्त का प्राइवेट सेक्स शो देखने
को मिलने वाला है."

"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है," माला भी हंसते हुए बोली.

"डार्लिंग में चाहता हूँ कि कल से में जब काम पर से वापस आयुं
तो तुम घर पर ना हो." मेने कहा.

"कहाँ जाउन्गि में?" माला ने पूछा.

"मुझे नही पता, शॉपिंग के लिए चली जाओ, या फिर सीमा के पास
चली जाओ बस तुम घर पर मत रहना." मैने कहा.

"सुझाव अक्चा है, शायद अजय भी तब ता घर पर आ चुका होगा."
माला ने हंसते हुए कहा.

दूसरे दिन जब में घर पहुँचा तो मेने सोना से पूछा, "माला
कहाँ है?" तो उसने कहा की अभी अभी बाहर गयी है. मेने उसे
तुरंत बाहों मे भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा

"श सहब मत करिए ना.." सोना ने विरोध किया, लेकिन ना तो उसने
अपने आप को मुझसे छुड़ाया और ना ही कुछ कहा.

थोड़ी देर उसे चूमने के बाद मेने कहा, "में हॉल मे बैठा हूँ,
चाइ वहीं ले आना."

सोना ने चाइ हॉल मे लाकर मुझे दे दी. में चाइ की सीप लेने लगा.
की तभी उसने पूछा, "साबजी चाइ कैसी बनी है?"

"बहुत अछी बनी है." मेने कहा और सुबह का अख़बार पढ़ने लगा.
वैसे में चाहता तो उसके साथ और आगे भी बढ़ सकता था लेकिन
कहीं वो डर ना जाए इसलिए मेने धीरे धीरे ही आगे बढ़ना उचित
समझा.

थोड़े दिन टोमें उसके गालों को ही चूमते रहा फिर एक दिन मेने
उसके होठों को चूम लिया, "ऑश साब आपको ऐसा नही करना चाहिए
था?" उसने शरमाते हुए कहा लेकिन विरोध नही किया.

में सिर्फ़ हंस कर रह गया और हॉल मे बैठ कर अपनी चाइ का
इंतेज़ार करने लगा. चाइ का सीप लेते ही उसने पूछा, "साब चाइ कैसी
बनी है?" जैसी कि हर रोज़ पूछती है.

"ह्म्म आज कुछ मीठी ज़्यादा है, कितनी चमच शक्कर डाली थी?'
मेने पूछा.

"एक चमच जैसे हर रोज़ डालती हूँ." उसने जवाब दिया.

"ह्म्म फिर तुम्हारे होठों की मीठास होगी." मेने अपने होठों पर जीभ
फिराते हुए कहा.

"ऑश" कहकर वो शरमाती हुई किचन मे भाग गयी. में भी उसके
पीछे पीछे किचन मे आ गया और उसे बाहों मे भरते हुए
बोला, "सोना एक बार और तुम्हारे होठों की मीठास लेने दो ना?" और
मेने उसके होठों को चूम लिया.

पहले तो उसने हल्का विरोध किया लेकिन फिर उसने मुझे चूमने दिया.
मेने भी इस बार उसके होठों को चूमते हुए अपनी जीब उसके मुँह डाल
दी और वो भी मेरे होठों को चूसने लगी.

थोड़ी देर बाद हम जब अलग हुए तो हमारी साँसे तेज हो गयी
थी. "होठों को चूसना अक्चा लगता है ना?" मेने पूछा.

"हां बहोत अक्चा लगता है." उसने शरमाते हुए कहा.

चूमा चॅटी अब रोज़ ही होने लगी. माला घर मे होती तो भी हम
मौका देख एक दूसरे को चूम लेते. अब मुझे उसकी चुचियों की ओर
बढ़ना था. फिर एक दिन मेने एक प्लान बनाया और माला को अपना प्लान
समझाया.

"अरे मेरे चुड़क्कड़ राजा चिंता मत करो में सब इंतेज़ाम कर
दूँगी," माला ने कहा, "कल तुम्हे सोना की चुचियाँ मिल जाएँगी. "

दूसरे दिन जब सोना ने मुझे चाइ दी तो मेने कहा, "सोना आज चाइ
कुछ ज़्यादा कड़क लग रही है, थोड़ा दूध तो लेकर आना.

"साबजी मेने चाइ तो रोज़ की तरह ही बनाई थी पता नही कैसे
कड़क हो गयी, अब दूध तो और नही है." सोना ने कहा.

"तो क्या हुआ तू अपना दूध ही ले आ." मेने उसकी कड़क चुचियों को
घूरते हुए कहा.

"अपना दूध?" एक बार तो उसकी समझ मे नही आया, लेकिन जब समझ
आया तो शर्मा कर बोली, "धात्ट...... आप मज़ाक कर रहे हैं, मेरे
मे दूध नही आता."

"ऑश. ज़रा देखने दो दूध आता है कि नही." कहकर मेने उसे
खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया.

"ऑश... साबजी प्लीज़ मुझे जाने दो? वो गिड़गिडाई लेकिन मेरी गोद
से उठने की कोशिश नही की.

मेने उसे चूमते हुए उसके ब्लाउस के बटन खोलने शुरू कार दिए.

"ऑश शाआब प्लीज़ ऐसा मत करिए... कोई आ जाएगा," उसने कहा.

मेने उसके ब्लाउस के बटन खोल उसकी ब्रा को उपर करते हुए उसकी
चुचियों को नंगा कर दिया.

"ऑश सोना तुम्हारी चुचि तो बड़ी मस्त है..." कहकर में उन्हे
भींचने और मसल्ने लगा.

"उम्म्म कहाँ आक्ची है... कितनी छोटी है....." उसने मुँह बनाते
हुए कहा,

"अरे छोटी है तो क्या हुआ.... सही मे बड़ी मस्त और मुलायम है..."
में उसकी चुचि को पकड़े उसके निपल को मुँह मे लिया और चूसने
लगा.

'"ऑश साआबजी ये क्या कर रहे हो.... ओह" वो सिसकने लगी, उसे
भी मस्ती आने लगी.

सोना ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और मस्त होकर अपनी चुचि
चोस्वा रही थी, तभी मेने अपना हाथ नीचे बढ़ाते हुए उसकी चूत
को सारी के उपर से सहलाने लगा.

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, "ऑश सब्जी नही मुझे कुछ होता
है...."

"अरे करने दे तुझे अक्चा लगेगा.....ज़रा दबाने दे......" में उसके
कान मे धीरे से बोला.

हिचकिचाते हुए उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और में उसकी चूत को
दबाने लगा. थोड़ी ही देर मे वो मस्त होकर अपनी कमर को उपर कर
अपनी चूत मेरे हाथ पर दबाने लगी.

"ऑश शाआब ओह......शाआबजििइई" वो जोरों से सिसक रही थी.

जब मुझे लगा की उसकी चूत पानी छोड़ने वाली है मेने अपना हाथ
उसकी सारी के अंदर डाल दिया. अब में उसकी नंगी चूत को अपने हाथ
से भींच रहा था और मसल रहा था.

"श आआआआः... साआभी क्या कर र्म हूऊओ." सिसकते हुए उसकी चूत
ने पानी छोड़ दिया.

"क्या मज़ा आया?" मैने पूछा.

"ऑश हा ऑश हाआँ बहोत मज़ा आया."

"लाओ एक बार फिर करने दो..." मेने कहा और एक बार फिर उसकी चूत
का पानी छुड़ा दिया.

कुछ दीनो तक में इसी तरह उसकी चूत को दबा मसल उसका पानी
छुड़ाता रहा, एक दिन मेने उससे पूछा, "सोना क्या और मज़ा लेना
चाहोगी?"

"हां साबजी." उसने कहा.

"फिर तो तुम्हे इन्हे सॉफ करना होगा." मेने उसकी चूत के बालों को
पकड़ते हुए कहा.

"इन बालों से क्या परेशानी है, आअप करना क्या चाहते है? उसने
भोलेपन मे पूछा.

"इसलिए की में तुम्हारी चूत चाटूँगा और उसे मुँह मे भर
चूसुन्गा." मेने कहा, "तुम्हे बहोत मज़ा आएगा."

"छी... वो जगह गंदी उसे भी कोई चूसा जाता है." उसने जवाब
दिया.

"वो सब मुझे सोचने दो... तुम सिर्फ़ मस्ती की चिंता करो जो तुम्हे
मिलने वाली है." मेने उसे समझाते हुए कहा.

"क्या तुम ऐसे ही नही कर सकते?" उसने पूछा.

"कर तो सकता हूँ लेकिन तुम्हे मज़ा नही आएगा. तुम्हारे ये बाल मेरी
नाक मे घुसते रहेंगे और मुझे बार बार छींक आती रहेगी." मेने
कहा.

"आप इसे सॉफ कैसे करेंगे? मैने तो पहले कभी ऐसा किया नही
है." उसने कहा.

"में इन्हे शेव कर दूँगा." मेने जवाब दिया.

"नहिी... आअप ऐसा नही करेंगे." वो ज़ोर से चिल्लाई, उसे लगा कि
इसके लिए में उसे नंगा करूँगा. लेकिन उसे ये नही समझ आया कि
चूत चूस्ते वक्त भी तो में उसकी चूत देख लूँगा.

"नही में खुद ही सॉफ कर लूँगी." उसने कहा.

"नही तुम नही करोगी, कहीं कट कुटा गया तो तकलीफ़ होगी, रूको
मेरे पास दूसरा उपाय है," कहकर मेने उसे माला की अन्न-फ्रेंच क्रीम
दे दी और उसे समझा दिया की कैसे लगाकर सॉफ करना है.

"ठीक है में बाद मे कर लूँगी." उसने मुस्कुराते हुए कहा.

दूसरे दिन मेने उसकी सारी मे हाथ डाल उसकी चूत को छुआ तो लगा
कि जैसे में किसी कामसीँ काली की चूत को पकड़े हुए हूँ. बिना
बालों की मुलायम चूत बहोत ही अच्छी लग रही थी.

"उस रात मेने माला से कहा कि कल चुदाई दिवस है, तो वो
बोली, "ऐसी भी क्या जल्दी है."

"कल में उसकी चूत चूसूंगा," मेने मुस्कुराए हुए कहा.

"और तुम समझते हो की चूत चूसने के बाद वो तुम्हे चोदने देगी."
उसने कहा.

"हमेशा से तो यही होता आया है...." मेने हंसते हुए कहा. फिर
हम प्लान बनाने लगे की माला कैसे वो सब नज़ारा देख सकेगी.

दूसरे दिन में जब में घर पहुँचा तो माला मुझे घर के बाहर
ही मिल गयी. प्लान के अनुसार में सीधा किचन मे गया और माला
चुपके से बेडरूम मे जाकर दरवाज़े के पीछे छिप गयी. उसने
बेडरूम का दरवाज़ा खुला रख छोड़ा था.

दस मिनिट के बाद में सोना को अपनी गोद मे उठाए हॉल मे लाया और
उसे सोफे पर लीटा दिया और उसके कपड्ड़े खोलने लगा.

"आप मेरे कपड़े क्यों उतार रहे है?" वो चिल्लाई.

"अगर तुम कपड़े पहने रहोगी तो में तुम्हारी चूत कैसे चूसूंगा?"
मैने कहा.

"आप मुझे चोदेन्गे?" उसने बड़े भोलेपन से पूछा.

"अगर तू कहेगी तो में तुझे चोद भी दूँगा." मेने अपने खड़े
लंड को बाहर निकालते हुए कहा.

"नही में आपको चोदने नही दूँगी," उसने मेरे खड़े लंड की ओर
देखते हुए कहा, " मुझे डर लगता है कही में प्रेगञेन्ट हो गयी
तो."

"तुम प्रेगञेन्ट नही होवॉगी, में वादा करता हूँ," मेने उसे आश्वासन
देते हुए कहा, "में ध्यान से करूँगा."

"ऐसे ही मोहन ने रानी से कहा था कि वो प्रेग्नानॅट नही होगी लेकिन
रानी प्रेग्नेंट हो गयी." उसने कहा.

"अब ये मोहन और रानी कौन है?" मेने पूछा.

रानी मेरी सबसे प्यारी सहेली है जो गाओं मे रहती है, मोहन गाओं
मे ही रहता है. वो 50 साल का है, वो शादी शुदा है और उसके
तीन बच्चे भी है. उसकी लड़की की शादी पास के गाँव मे हुई है और
उसके दोनो लड़कों की भी शादी हो चुकी है." सोना ने कहा.

"पर हुआ क्या था?" मेने पूछा.

"मोहन ने भी रानी को चोद्ते वक़्त यही कहा था की वो ध्यान रखेगा
और उसे प्रेग्नेंट नही करेगा फिर भी वो हो गयी." सोना ने बताया.

"मुझे ज़रा सब खुल कर बताओ की क्या और कैसे हुआ?" मैने उसे अपनी
गोद मे बिठाकर चूमते हुए कहा.

** जो कुछ उसने बताया वो इस प्रकार था.

"ये करीब दो साल पहले की बात है, एक दिन शाम को मेने रानी को
मोहन के घर से छिपते छिपते देखा तो चौंक गयी. रानी का इस
समय मोहन के घर मे क्या काम, उसकी बीवी तो खेतों मे काम रही
थी. "

"मेने उससे मिली और उससे पूछा कि वो मोहन के घर मे क्या कर रही
थी? पहले तो वो मुझे टालती रही फिर मेरे ज़िद करने पर उसने बता
की वो मोहन से चुदवा रही थी."

"तुम इस बदमाश के चंगुल मे कैसे फँस गयी," मेने कहा, क्योंकि
कई बार मोहन मुझे भी फँसाने की कोशिश कर चुका था.

"छेह महीने पहेले की बात है मा ने मुझे इसकी दुकान से सब्जी
लाने को कहा. में दुकान पर पहुँची तो दुकान बंद थी, में दुकान
के पीछे इसके घर मे चली गयी तो देखा कि ये दारू पिए हुए है
और काफ़ी नशे मे था, बस वहीं उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ
ज़बरदस्ती कर मुझे चोद दिया." रानी कहते हुए रोने लगी.

"अब रोना बंद करो और मुझे बताओ की आगे क्या हुआ?" मैने उसे डाँटते
हुए पूछा.

"कुछ दिन बाद मोहन मुझे बेज़ार मे मिल गया और उसने मुझे उसके
घर चलने को कहा." रानी ने अपनी जारी रखते हुए कहा.

"नही में नही चलूंगी, तुम मुझे फिर से चोदोगे?"

"हां चोदुन्गा तो सही, पर तुम्हे भी तो मज़ा आया था ये तुम्ही ने
कहा था." मोहन ने जवाब दिया.

"हां कहा तह लेकिन में प्रेगणनाट नही होना चाहती." मेने कहा.

"पर मुझे तो लगता है कि तुम प्रेग्नेंट हो चुकी हो." उसने हंसते
हुए कहा.

"हे भगवान! में चौंक गयी, "लेकिन तुम्हे कैसे पता है?"

"जिस तरह से तुम चल रही हो," उसने कहा, "लेकिन सही पता तुम्हारी
चूत देखकर ही लगेगा."

"में इतना डरी हुई थी की मुझे उसकी बात पर विश्वास हो गया और
में उसके साथ उसके घर चली गयी. उसने मुझसे मेरी सलवार उतारने
को कहा जिससे वो मेरी चूत देख सके."

"पहले तो उसने अपन उंगली मेरी चूत के अंदर डाल देखने लगा फिर
उंगली को अंदर बाहर करने लगा. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की
मेने अपनी आँखे बंद कर ली थी पर जब तक मुझे पता चलता उसने
अपनी उंगली की जगह अपने लंड को अंदर घुसा दिया औट मुझे चोदने लगा
था."

"सच कहूँ तो मुझे भी बहोत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने उसे मन
मानी करने दी. जब उसने मुझे चोद लिया तो मेने उससे कहा, "ओह
मोहन तुमने फिर मुझे चोद दिया, अगर में पहले प्रेग्नेंट नही थी
तो इस बार ज़रूर हो जाउन्गि."

"अरे पगली नही होवॉगी," मोहन हंसा और अपने लॉड की ओर इशारा
करते हुए बोला, "देख इसे."

मेने देखा की मोहन ने अपने लंड पर कोई रब्बर जैसे चीज़ चढ़ा
रखी थी, "ये क्या है?" मेने पूछा.

"मेरी जान इसे कॉंडम कहते है," उसने मुझे समझाया, "जब मेरा
वीर्या छूटता है तो वो इसके अंदर ही रह जाता है और तुम्हारी चूत
मे नही जाता. अब हम बिना किसी परेशानी के हमेशा चुदाई कर
सकते है."

"सोना उसके बाद मे मोहन के पास बराबर जाने लगी, सही मे बहोत
मज़ा आता है चुदाई करने मे, में तो कहती हूँ तुम भी चलो
बहोत मज़ा आएगा." रानीने मुझसे कहा और ज़िद करने लगी साथ चलने
के लिए.

"नही मुझे नही जाना तुम्हारे साथ, में जैसी हूँ ठीक हूँ." मेने
कहा, "हां लेकिन एक बात तुम याद रखना अगर कहीं कुछ गड़बड़ हो
गयी तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी."

"सोना में भी कॉंडम लगा के करूँगा" मेने उससे कहा कि शायद वो
तय्यार हो जाएगी.

"शाब्ज्ी तकदीर का कोई भरोसा नही," सोना ने आगे बताते हुए
कहा, "दो महीने बाद रानी प्रेग्नानॅट हो गयी. जब मेने उससे पूछा की
ये सब कैसे हो गया तो उसने बताया की एक दिन कॉंडम फॅट गया और
उनका वीर्या मेरी चूत मे गिर गया." रानी ने रोते हुए बताया था.

"पहले तो रानी ने अपने माता पिता को कुछ नही बताया लेकिन जब उसका
पेट फूलने लगा तो उसे सब कुछ बताना पड़ा. उसके पिता ने गाँव के
मुखिया से बात की और मोहन को उससे शादी करनी पड़ी. लेकिन उसकी
बीवी उससे बहोत नाराज़ है और उसके साथ गुलामो जैसा व्यवहार करती
है. आज वो दो बच्चो की मा हो गयी है पर वो खुश नही है."
सोना ने कहानी पूरी करते हुए कहा.

ये बात तो साफ हो गयी थी सोना मुझे चोदने नही देगी इसलिए मेने
सोचा कि क्यों ना कम से कम उसकी चूत देख ली जाए.

"ठीक है में तुम्हे नही चोदुन्गा लेकिन क्या तुम मुझे तुम्हारी चूत
चूसने दोगि जिससे तुम्हे भी मज़ा मिल सके." मैने कहा.

"सोना थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली, "ठीक है लेकिन पहले आप इसे
अंदर कर ले," उसने मेरे खड़े लंड की ओर इशारा किया.

सोना ने अपने कपड़े उतारे और सोफे पर लेट गयी. मेने अपने लंड को
वापस अपनी पॅंट के अंदर कर लिया था. में उसकी टाँगो के बीच आ
गया और उसकी टाँगो को फैला उसकी चूत को पहेल तो चूमा फिर अपनी
जीब उसपर फिराने लगा.

"ऑश साआबजी कितना अचहाअ लग रहा है..." वो सिसक पड़ी.

उसकी सिसकी सुनकर मेने अपनी जीब उसकी चूत के अंदर घुसा दिया उर
गोल गोल घूमा उसकी चूत को चूसने लगा. वो भी अपनी कमर उठा
अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगी. उसकी सिसकियाँ तेज होने
लगी थी होंठ फड़फड़ने लगे थे.

"ओह साआजी मज़ाअ आगेया ऑश अयाया हां चूसिए और ज़ोर से
चूसिए... रुकियगा मत ऑश हां और तेज़ी से घुसा दीजिए अपनी
जीएब
को ऑश मेरा तो छूटनाआ."

उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी फिर भी में उसकी चूत को चूस्ता
गया और उसकी चूत ने दो बार और पानी छोड़ दिया.

"मज़ाअ आया तुम्हे?" मैने उससे पूछा.

'श साबजी बता नही सकती बहोत मज़ा आया." उसने कहा.

"सोना एक बार चुदवा लो, सही मे तुम्हे इससे भी ज़्यादा मज़ा आएगा."
मेने उससे ये सोच कर कहा कि शायद वो तय्यार हो जाएगी.

"साबजी मुझे आप पर विश्वास है, लेकिन रानी ने भी यही कहा
था," सोना ने कहा, "में भी आपको मज़ा देना चाहती हू और मज़ा
लेना चाहती हूँ. पर मुझे डर लगता है, काश हम बिना किसी डर
के चुदाई कर सकते." सोना ने मुझसे कहा.

तुरंत मेरे दिमाग़ मे एक उपाय आया और में बाथरूम मे जाकर माला
की गर्भ निरोधक गोलियाँ ले आया.

"ये लो और लेबल पर लीखे अनुसार इन्हे बराबर लेती रहना ये पूरी
तरह सुरख़्शिट है." मेने उससे कहा.

"क्या आपको पक्का विश्वास है?" सोना ने पूछा.

"हां तुम्हारी मेडम इन्हे बराबर लेती है और आज तक प्रेग्नानॅट नही
हुई." मेने उससे कहा.

"ठीक है में आप पर विश्वास करके इन्हे बराबर ले लूँगी. मुझे
इन्हे चुदाई के पहले चूत मे डालना है या चुदाई के बाद." उसने
पूछा.

"अरे बेवकूफ़ ये गोलियाँ है इन्हे तुम पानी के साथ निगल लेना. लेबल
पर लीखे अनुसार लेना और एक महीने मे तुम सुरख़्शिट हो जाओगी."
मैने उसे समझाते हुए कहा.

"क्या? हमे एक महीने तक रुकना पड़ेगा." उसने पूछा.

"अब सुरक्षित रहने के लिए इतनी कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी." मेने
कहा.

"क्या मेडम को इन गोलियों की ज़रूरत नही पड़ेगी?" उसने पूछा.

"नही अब वो गोलियाँ नही ले रही है, हम एक और बच्चे की सोच रहे
है," मेने उसे बताया.

उसी समय माला दीदी ने कहना शुरू किया, "उस रात जब हम बिस्तर मे
थे तो मेने विजये से पूछा, तो तुम एक महीने तक रुकोगे?"

"क्या कर सकता हूँ, फिर एक महीना कोई बड़ा तो नही." विजय ने
कहा

"तो हम लोग एक और बच्चे की सोच रहे है." मेने हंसते हुए कहा.

"अब कुछ तो उससे कहना ही था, चिंता मत करो तुम्हारी लिए में कल
दूसरी शीशी ले आयुंगा." विजय ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा
था.

"नही मुहे अब वो गोलियाँ नही लेनी है, अब में बच्चे की ही
सोचूँगी." मेने मज़ाक करते हुए कहा था.

"और संजोग से दूसरे दिन तुम्हारा फोन आ गया." माला दीदी ने
कहा. "और मेने विजय को तुम्हारी समस्या बताई.

"विजय अब अमित के लिए कुँवारी लड़की का इंतेज़ाम कहाँ से करेंगे?"
मेने पूछा था.

"दूसरी लड़की ढूढ़ने की क्या ज़रूरत है, हमारे पास सोना है ना."
विजय ने कहा था.

"लेकिन सोना की चूत तो तुम फाड़ना चाहते हो?" मेने कहा.

"लेकिन ये सब अनु का फोन आने से पहले की बात है. एक बात याद
रखो मेरी एक ही साली है, और उसकी खुशी के लिए में कुछ भी
कर सकता हूँ. ऐसी एक सोना तो क्या में हज़ार सोना भी उसकी खुशी
पर नौछावर कर सकता हूँ." विजय ने कहा था.

"श जीजाजी सच मे आपने ऐसा कहा था? अनु जीजाजी को अपनी बाहों मे
भरती हुई बोली.

"फिर क्या हुआ?" मेने पूछा.

जीजाजी ने कहा, "आने वाले एक महीने तक में उसकी चूत को चूस्ता
रहा. एक महीने के बाद भी जब मेने उसे चोदने की कोशिश नही की
तो एक दिन उसने मुझसे कहा, "साबजी एक महीना पूरा हो गया है."

मैने उससे कहा कि अभी दस दिन और रुक जाते है, लेकिन जब डूस दिन
पूरे हो गये तो उसने मुझे फिर से याद दिलाया.

तब मैने उसे समझाते हुए कहा, "सोना यहाँ पर तुम्हारी मेडम का
डर है. ऐसा ही की अगले हफ्ते हम छुट्टियों के लिए शिमला जा रहे
है वहीं मौका देख कर हम चुदाई करेंगे."

पर सोना ने मेरी बात का दूसरा मतलब निकाला, "साबी मुझे पता है
कि अब में आपको अछी नही लगती." उसने नाराज़ होते हुए कहा.

"नही ऐसी बात नही है." मेने कहा.

"मुझे आप पर विश्वास नही है," उसने मुझे धँकते हुए
कहा, "अगर आपने वहाँ भी कुछ नही किया तो याद रखिएगा किसी
और से चुदवा लूँगी."

"अब मामला यहाँ आ कर अटका हुआ है." विजय जीजाजी ने बात ख़तम
करते हुए कहा.



mardon ki duniya paart--8

Ek minute ruko." Seema didi ne hanste hue kaha, phir unhone ghanti
bajayi.

Thodi der bad ek 18 saal ki Nepali ladki kamre me aayi. Wo itni
sunder to nahi thi lekin phir bhi uske naak naksh kafi kateele the.
Rang gora. 5"2 inch lambi aur choti lekin narangi jaise chuchiyon.

"Madam aapne bulaya?" Usne kaha.

"Haan Sona, ye meri behne hai. Anu aur Sumi apne pati ke sath kuch
din hamare yahan hi rahengi. Ye dono inki naukraniya hai Mona aur
Reema.

Naukraniyon ko kitchen me le jakar inhe chai naashta do phir inhe
apna kamra deekha do, ye tumhare sath rahenge.

"Thik hai malkin." Sona ne kaha.

"Jara Tina se kehna ki yahan chai de jaye," Mala didi ne use
hukum diya.

"Jaisa aap kahen maalkin." kehkar wo hamari naukraniyon ko sath
lekar kamre se chali gayi.

"Meine is ladki ko pehle kahin dekha hai." meine apne deemag par jor
dete hue kaha, "lekin yaad nahi aa raha."

"Tumne ise meri shaadi me dekha hoga," Anu ne kaha, "ye Mala didi ki
naukarani hai."

"Ohhh han ab yaad aaya," meine kaha, "lekin kya ise pata hai ki ise
yahan kyon laya gaya hai."

"Haan ise pata hai ki ise yahan iski choot phadwane ke liye laaya
gaya hai," Mala didi ne kaha, "lekin ye samajhti hai ki iski kunwari
choot Vijay phadega."

"Lekin ise aisa kyon lag raha hai iski choot jijaji phadenge." Anu
ne pucha.

"Ye ek lambi kahani hai." Mala didi ne kaha.

"Didi please sunaiye na." Anu ne kaha.

"Abhi nahi baad me sunaungi, pehle tum dono Tina se mil lo," Seema
didi ne kaha, "wo abhi aati hi hogi."

Tabhi hame ek madhur awaaz sunai di."Madam please jara darwaza khol
dijiye mere dono hath bhare hue hai."

"Wo Tina hi hogi, jaroor chai lekar aayi hogi," Mala didi ne
kaha, "Sumi jara darwaza to kholna."

Jab meine darwaza khola to ek pal ke liye meri aankhe pathra gayi.
Tina itni sunder thi ki mein kya bataun. Kamre me hum sab me wahi
sabse sunder thi. Wo Sona ki hi umra ki hogi par usse umara me choti
deekh rahi thi. Gol gol maasum aankhe, lambe kale bal itna sudaul
jism ki mans naam matra ka bi uske badan par nahi tha. Badi aur
bhari bhari chuchiyon, agar use mauka mile to jaroor World Miss
Contest jeet sakti thi.

Seema didi ne usse hamara parichay karaya aur usse kaha ki hamare
pati kal aayenge. Usne ham sabhi ko namaste kiya aur chai dene ke
bad kamre se chali gayi.

"Seema didi tumhari Tina to bahot hi sunder hai, kahan se mil gayi
ye?" meine pucha.

"Tumhari shaadi ke bad meine apni purani naukarani ko nikaal diya
tha." Seema didi ne jawab diya, "har samay apne dard ke bare me hi
kehti rehti thi aur sara samay T.V dekhti rehti thi."

"Ye mili kahan se" meine phir pucha.

"Do din ke bad hamare padosi ne ise mere pas bheja. Mein to ise
rakhna hi nahi chahti thi karan ise kuch bhi nahi aata tha na hi
khana banana na bachon ki dekhbhal karna," Seema didi ne
kaha, "lekin tumhare jiju ne kaha ki agar koi ise kaam par nahi
rakhega to ise anhubav kahan se aayega," "lekin mujhe to lagta hai
ki tumhare jiju ko iski surat aur gaon ki kori choot pasand aa gayi
thi."

"Didi ye itni sunder aur pyaari hai ki mujhe to dar lag raha hai ki
hamare pati iske liye aapas me jhagada na karne lag jaye." Anu ne
khilkhilate hue kaha.

"Jhagda karne se bhi kuch hone wala nahi hai, kyonki Tina apni kori
choot Sumit se hi phadwayegi." Seema didi ne khulasa karte hue kaha.

"Sumit hi kyon Amit kyon nahi, wo to dono se nahi mili hai," Anu ne
thoda jalan bhare swar me kaha.

"Iske peeche bhi ek kahani hai," Seema didi mukurate hue boli.

"Phir ek kahani hai, acha chaliye batayiye kya kahani hai?" meine
kaha.

"Wo to mein bata dungi lekin pehle Mala se to sun le ki Sona Vijay
se hi kyon chudwana chahti hai?" Seema didi ne kaha.

"Ye tumhari shaadi ke ek hafte baad ki baat hai, jab hum ghar
pahunche to meine dekha ki jab bhi Sona kamre me hoti thi to Vijay
use ghorta rehta tha." Mala didi ne kahani sunate hue kaha.

Us raat jab hum dono bistar me the to meine Vijay se kaha, "Ye tum
mardon ko kya ho jata hai jahan gori chamdi dekhi nahi ki tum logon
ka lauda khada ho jata hai."

"Aisa kuch nahi hai meri jaan," Vijay ne jawab diya, "ye gori chamdi
ke karan khada nahi ho raha hai, balki kori pahadi ladki ki choot
dekh kar khada ho raha hai, upar se meine aaj tak kisi Nepali ladki
ko nahi choda hai isliye khada ho raha hai."

"Kya tum use chodna chahte ho?" meine Vijay se seedhe seedhe pucha.

"Are meri jaan mara jaa raha hun use chodne ke liye." Usne mera hath
apne khade lund par rakhte hue kaha tha, "dekho uska naam lene se
lund maharaj kaise uchal rahe hain."

"Thik hai mein nahi rokti tumhe, jao aur chod do use." meine kaha.

"Tumhe bura nahi lagega na," Vijay ne mujhe bahon me bharte hue kaha
tha. "Sach me jaan me isi liye tumhe duniya ki sabse acchi biwi kaha
karta hun."

"Bas.... bas ab maska lagana chodo. " meine muskurate hue
kaha, "lekin ek hi shart par tum use chod sakte ho."

"Thik kaho kya shart hai?' Vijay ne kaha.

"Mein dekhna chahti hun ki tum uski kori choot ko kaise phadte ho?"
meine kaha.

"Are tum apni baat karti ho, to dekh sakti ho." Vijay ne kaha, "aur
chaho to apni kuch sahleliyon ko bula sakti ho dekhne ke liye."

"Nahi mein hi kafi hun," meine usse kaha, "mein nahi chahti ki baad
me tum meri sahleliyon ko bhi chodo."

"Waise tumhara khayal bura nahi hai, tumhari kuch saheliyan to sahi
me pataka hai....." Vijay ne mere upar chadh apne lund ko meri choot
me ghusate hue kaha tha.

Ohhh ladkiyon mein bata nahi sakti ki wo raat kaise thi, kai dino ke
baad Vijay ne meri choot itni kas kar mari thi, us raat unka lauda
jhadne ka naam hi nahi le raha tha. Pata nahi Sona ka khayal tha ya
phir meri saheliyon ka." meine kaha.

"Hai didi kahin jijaji ne Sona ko chod to nahi diya?" Anu ne chinta
karte hue kaha.

"Ghabrao mat unhone abhi tak use choda nahi hai," meien kaha, "wo
abhi bhi kunwari hai."

Doosre din jab tumhare jijaji kaam par se waapas aaye to meine unhe
ishara karte hue kaha, "Sona kitchen me bartan dho rahi hai."

Mera ishara samajh tumhare jijaji kitchen me gaye aur Sona ko peeche
se bahon me bhar liya, "Sona me ghar aa gaya hun ek cup chai bana
do." kehkar wo uske gaalon ko choomne lage."

Aage ki kahani tumhare jijaji ki jubani.

"Ohh shaab, please aisa mat kariye, madam ne dekh liya to gazab ho
jayega," usne phusphusate hue kaha aur meri pakad se chootne ki
koshish karne lati.

"Tumhari madam kahan hai?" meine pucha.

"Apne bedroom me." Sona ne kaha.

"Thik hai chai wahin lekar aa jao." meine usse kaha.

Kamre me pahunch kar meine Mala ko bataya ki kitchen me kya hua
tha. "Hmmm tumne aisa kiya to wo na to chillayi na hi tum par gussa
hui, sirf tumhe mujhse agah kiya" Mala ne kaha, "iska matlab samjhte
ho?"

"Haan bahot achi tarah se samjhta hun," meine hanste hue kaha, "iska
matlab hai ki tumhari saheliyon ko muft ka private sex shoe deekhne
ko milne wala hai."

"Haan mujhe bhi aisa hi lagta hai," mala bhi hanste hue boli.

"Darling mein chahta hun ki kal se mein jab kaam par se wapas aayun
to tum ghar par na ho." meine kaha.

"Kahan jaungi mein?" Mala ne pucha.

"Mujhe nahi pata, shopping ke liye chali jao, ya phir Seema ke paas
chali jao bas tum ghar par mat rehna." miene kaha.































































































































































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