माँ का दुलारा पार्ट--7
सावधान........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक मा बेटे के सेक्स की कहानी है
गतान्क से आगे...............
"कर क्या करना है, तू मानेगा थोड़े, पर देख हाँ, तूने प्रामिस किया है" मोम की पैंटी निकालकर मैं उसकी चूत की पूजा मे लग गया. मोम बिलकुल गरमाई हुई थी, पाँच मिनिट मे ढेर हो गयी. मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाते हुए बोली "मैं मर गयी अनिल बेटे, बहुत अच्छा लग रहा है, तेरी जीभ तो जादू कर देती है मुझपर" मैंने मोम की जांघों से सिर उठाकर पूछा
"माँ, सच बताओ, सुबहा से तुम्हे चुदासि लगी है ना?"
"हाँ बेटे, तूने तो जादू कर दिया है मुझ पर, तेरी इस जवानी से दूर नही रहा जाता मुझसे, पर क्या करूँ, तेरी तबीयत का भी देखना है" मोम अपनी जांघों मे मुझे क़ैद करते हुए बोली.
"माँ, तुम मज़ा लो, मैं बस तुम्हारी बुर का रस चुसूँगा. मैंने सुना है औरते चाहे जितनी बार झाड़. सकती हैं, तो मेरे कारण तुम क्यों प्यासी रहो, ठीक नही है ये" मैंने फिर मोम की चूत मे जीभ डालते हुए कहा. मोम भी अब मूड मे आ गयी थी. उसने अपनी साड़ी नीचे की और मुझे उसके अंदर छुपा लिया. फिर मेरा सिर पकड़कर अपनी बुर पर कस कर दबाया और जांघों मे मेरे सिर को कैंची जैसा पकड़कर टांगे हिला हिला कर मेरे मुँहा पर हस्तमैथुन करने लगी.
जब मैं आधे घंटे बाद उठा तो मन भर कर मोम की बुर का पानी पी चुका था. मोम एकदमा तृपता हो गयी थी, सोफे मे पीछे लुढ़क गयी थी. मुझे खींच कर पास बिठाते हुए मुझे आलिंगन मे लेकर बोली
"अनिल, तूने मुझे जो सुख दिया है, उसकी मैं कभी कल्पना भी नही कर सकती थी." मेरे तन्नाए लंड को पैंट के उपर से टटोल कर वह बोली "अरे, यहा बेचारा तडप रहा है. बेटे, अभी चोदेगा मुझे? तेरी यहा प्यास मुझसे देखी नही जाती"
"नही माँ, रात को आरामा से बुझावँगा" मैंने कहा. मोम बहुत खुश थी
"आज रात जैसे चाहेगा मैं वैसे तुझे खुश करूँगी मेरे लाल" मेरे दिमाग़ मे एक ही बात घुम रही थी. मोम की गोद मे सिर छपाकर मैंने कहा
"माँ, आज ..."
"बोल ना रुक क्यों गया?"
"माँ, आज ...." उसके नितंबों पर हाथ रखकर मैंने कहा "आज पीछे से करने दो ना प्लीज़"
"अरे कल तो किया था पीछे से मुझे घोड़ी बनाकर" मोम ने कहा.
"हाँ माँ, वैसे ही पर तुम्हारी चूत मे नहीं, यहाँ पर.." मैंने उसके नितंबों के बीच उंगली जमा कर कहा.
"बदमाश, सीधे कहा ना मेरी गांद मारना चाहता है. क्या लड़का है! अभी बित्ते भर का है, अभी अभी जवान हुआ है, दो दिन हुए अपनी मोम को चोद कर और अब चला है उसकी गांद मारने. मैं नही मारने दूँगी जा, मुझे दुखेगा" मोम आज कितने कामुक मूड मे थी यहा उसके इन शब्दों के प्रयोग से सॉफ था. उसने मना ज़रूर किया था पर उसके लहजे मे डाँट नहीं, एक खिलाड़ीपन की भावना थी. याने शायद मान जाए, मैंने यह समझ लिया.
मोम को मनाने मे घंटा लग गया. वह खाना बना रही थी तब भी मैं उससे लिपट कर बार बार उससे इसी बात की मिन्नत कर रहा था. वह बस मंद मंद मुस्करा रही थी. उसे मेरे मनाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. आख़िर तक उसने हाँ नही बोला पर जिस तरह से वह मेरी ओर देख रही थी, मैं समझ गया की मैंने बाजी मार ली है.
रात को बेडरूम मे मोम के आने के पहले मैं कपड़े निकाल कर तैयार हो गया. पलंग पर नंगा पड़ा मोम का इंतजार करता रहा. वेसलिन की शीशी मैंने पहले ही पलंग के पास के टेबल पर रख दी थी.
जब घर के सब लाइट बुझा कर मोम आई तो एकदम नंगी थी. बाथरुम मे ही कपड़े उतार कर आई थी. पूरा नग्न चलते हुए मैंने उसे पहली बार देखा था. उसके गुदाज स्तन चलते समाया डोल रहे थे. वह दरवाजा लगाने को मूडी तो मैं उसके नितंबों को देखता रह गया. उनके भी ठीक से पूरे दर्शन मुझे आज ही हुए थे. एकदमा मोटे भारी भरकम थोड़े लटके नितंब थे उसके, गोरे गोरे, मैदे के दो विशाल गोलों के समान. आज मुझे उनमे जन्नत मिलने वाली थी.
मैं पूरा गरमा हो चुका था, मोम पर कब चॅढू ऐसा मुझे हो गया था. मोम आक़र मेरे पास बैठी. उसने नई स्लीपर पहनी हुई थीं. मेरा खड़ा लंड देखकर बोली
"एकदमा तैयार लगता है मेरा बेटा मेरी सेवा करने के लिए. चल, तू लेटा रहा, मैं तुझे चोदति हू" मैं घबराकर बोला
"माँ, ऐसा जुल्म ना करो, तुमने वायदा किया है कि आज मुझसे गांद मरवाओगि."
"मैंने कब ऐसा कहा" मोम मुझे चिढ़ाते हुए बोली. उसने झुक कर अपने पैरों मे की चप्पले निकाल लीं. फिर मेरे लंड को उनके दो नरम नरम पाटों मे रखकर बेलने लगी. मैं पागल सा हो गया. लगता था कि अभी झाड़. जवँगा. मेरी मोम खुद मुझे अपनी चप्पालों से रिझा रही थी.
"ममी, मई झाड़. जाउम्गा! प्लीज़ मत करो, आज एक ही बार झड़ना है मुझे, मुझे अपनी गांद मारने दो ना" मैं गिड-गिदाने लगा. मोम दुष्टता से बोली
"अच्छा है झाड़. जाएगा. कम से कम मेरी गांद तो बच जाएगी. मैं नही मराती बाबा" मेरी हालत खराब थी. झाड़. ना जाउ इसलिए मैं पलंग से उठ कर भागा और दूर खड़ा हो गया. किसी तरह सनसनाते लंड पर काबू किया. मोम मेरा हाल देखकर पासीज गयी. पलंग पर लेटते हुए बोली "मैं मज़ाक कर रही थी मेरे लाल, देख रही थी कि चप्पालों का तुझ पर क्या असर होता है, तू सच मे इनका शौकीन है. आ कर ले तुझे जो करना है. तेरा यह मूसल मेरी फाड़. देगा शायद पर तेरी खुशी के लिए मैं यह दर्द भी सह लूँगी." मैंने मोम के पास जाकर उसकी बुर का चुंबन लेते हुए कहा.
"नही माँ, मैं कम से कम दर्द होने दूँगा तुझे. बहुत प्यार से लूँगा तेरी. अब पलट कर लेट जाओ" मोम पेट के बल लेट गयी.
"ले मार" उसके फूले विशाल नितंबों को हाथों से सहलाकार मैं बोला
"पहले इन्हे प्यार तो कर लेने दो माँ, कब से तरस रहा हू इनके लिए" और मैं मोम के नितंबों पर भूखे की तरह टूट पड़ा. अगले पाँच मिनिट मेरे लिए ऐसे थे जैसे भूखे के आगे दावत रख दी गयी हो. मैंने मोम के नितंब चाते, उन्हे खूब चूमा, हल्के हल्के दाँत से काटा और फिर उन्हे अलग करके देखने लगा. बीच का भूरा सकरा छेद मुझे आमंत्रित कर रहा था. मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया. जीभ बाहर निकालकर उसे लगाई. मोम बिचक गयी.
"अरे क्या कर रहा है? पागल तो नही है, कहाँ मुँहा लगा रहा है." मैंने मोम का गुदा चूमते हुए कहा
"तुम नही समझोगी माँ, मेरे लिए यहा जन्नत का दरवाजा है" मोम भी अब गरमा गयी थी. नीचे से खुद ही अपनी उंगली से अपनी चूत को रगड़. रही थी.
"अनिल जल्दी कर ना, फिर मैं करती हू मुझे जो करना है"
"माँ, चलो घोड़ी बन जाओ कल जैसी, पर पलंग के छ्होर पर" मेरी बात मान कर मोम घोड़ी बन गयी. पीछे से अब उसकी चूत और गांद का छेद दोनों दिख रहे थे. चूत मे से पानी बह रहा था. पहले मैंने उसके नितंब पकड़.आकर उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया. जब वह और गरम हो गयी और अपने कूल्हे हिलाने लगी तब मैंने वेसलिन की शीशी उठाकर अपने लंड मे खूब सा वेसलिन चुपद. लिया. फिर उंगली पर थोड़ा लेकर मों के गुदा मे उंगली डाल दी. क्या कसा था मोम का छेद!
"उई मों , धीरे से रे" मोम बोली. मैं हँसने लगा
"माँ, अभी तो एक उंगली डाली है, फिर दो डालूँगा और फिर लंड दूँगा अंदर. तू सच मे टाइत है, कुँवारी कन्या जैसी"
"चल बाते ना बना, जल्दी कर" मोम ने परेशान होकर कहा. मैंने एक उंगली अंदर बाहर करके ठीक से अंदर तक वेसलिन चुपद. दिया. फिर दो उंगली मे लेकर वैसा ही किया. इस बार मोम को ज़्यादा दर्द हुआ पर वह बस सिसक कर फिर चुप हो गयी. इस बार मैंने खूब देर मोम की गांद मे दो उंगलियाँ की कि उसे आदत हो जाए.
आख़िर उंगलियाँ निकालकर मैं उसके पीछे खड़ा हो गया. उसके नितंब एक हाथ से पकड़कर दूसरे से सुपाड़ा उसके गुदा पर जमाया
"तैयार हो जा माँ, मैं अंदर आ रहा हम तेरे पीछे के दरवाजे से." मैंने लंड अंदर पेलना शुरू किया. मों ने गांद सिकोडी हुई थी इसलिए अंदर नही जा रहा था. "माँ, ज़रा ढीला छोड़ो ना, रिलैक्स करो"
"ठीक है अनिल, पर तेरी दो उंगली अंदर जाती है तो दर्द होता है, तेरा ये मूसल जाएगा तो क्या होगा" मोम ने चिंतित स्वर मे पूछा.
"मूसल कहाँ है माँ, बिलकुल छोटा है, लोगों के तो कितने बड़े होते हैं, दस दस इंच के" मैने मन ही मन खुश होते हुए कहा. मुझे हमेशा लगता था कि मेरा लंड और थोड़ा बड़ा होता तो मज़ा आता. पर मोम को मेरा लंड बड़ा लगता था यह सुनकर बहुत अच्छा लगा.
मों ने एक साँस ली और अपना गुदा थोड़ा ढीला किया. मैंने तुरंत सुपाड़ा मोम की गांद के छल्ले के अंदर कर दिया. मोम का शरीर कड़ा हो गया और उसके मुँहा से एक हल्की चीख निकल गयी. मैंने लंड पेलना बंद कर दिया. मोम को पूछा
"माँ, बहुत दुख रहा है क्या? निकाल लूँ बाहर"
"नही बेटे, अभी मैं ठीक हो जवँगी. बस एक मिनिट रुक जा" कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि मों के गुदा का छल्ला थोड़ा ढीला हो गया है. उसका शरीर जो तन सा गया था, थोड़ा रिलैक्स हो गया. मैंने फिर लंड पेलना शुरू किया. मोम बीच मे सीत्कार उठती "अनिल, बहुत दुखाता है रे" तब मैं रुक जाता. पर मोम ने मुझे यह नही कहा कि बेटे निकाल लो, मैं नही मरा सकती.
क्या आनंद था, क्या सुख था, मोम की मुलायामा गांद मे जैसे मेरा लंड अंदर धँसाता गया, मुझे ऐसे लगाने लगा कि घच्च से एक बार पेल दूं और ज़ोर से चोद डालूं. पर मैंने खुद पर पूरा नियंत्रणा रखा, आख़िर मेरी प्यारी मोम थी, कोई चुदैल रंडी नहीं. और मोम ने मेरी खुशी के लिए इस दर्द को भी हँसते हँसते स्वीकार कर लिया था तो मेरा भी फ़र्ज़ था कि मैं उसे तकलीफ़ ना होने दूं.
आख़िर मेरा लंड जड़. तक मोम के नितंबों के बीच समा गया और मेरा पेट उनसे सॅट गया. मैं एक मिनिट बस खड़ा रहा. अपने हाथों से मोम की पीठ और नितंब प्यार से सहलाता रहा. आख़िर मोम बोली
क्रमशः.................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
माँ का दुलारा पार्ट -1
माँ का दुलारा पार्ट -2
माँ का दुलारा पार्ट -3
माँ का दुलारा पार्ट -4
माँ का दुलारा पार्ट -5
माँ का दुलारा पार्ट -6
माँ का दुलारा पार्ट -7
माँ का दुलारा पार्ट -8
माँ का दुलारा पार्ट -9
माँ का दुलारा पार्ट -10
gataank se aage...............
"kar kya karana hai, tu maanega thod.e, par dekh haam, tune praamis kiya hai" mom ki paimti nikaalakar mai usaki chut ki puja me lag gaya. mom bilakul garamaayi hui thi, paamch minit me dher ho gayi. mera sir pakad.akar apani chut par dabaate hue boli "mai mar gayi anil bete, bahut achcha lag raha hai, teri jibh to jaadu kar deti hai mujhapar" maimne mom ki jaamghom se sir uthaakar pucha
"maam, sach bataao, subaha se tumhe chudaasi lagi hai naa?"
"haam bete, tune to jaadu kar diya hai mujh par, teri is jawaani se dur nahi raha jaata mujhase, par kya karum, teri tabiyat ka bhi dekhana hai" mom apani jaamghom me mujhe kaid karate hue boli.
"maam, tuma maja lo, mai bas tumhaari bur ka ras chusumga. maimne suna hai aurate chaahe jitani baar jhad. sakati haim, to mere kaaran tuma kyom pyaasi raho, thik nahi hai ye" maimne fir mom ki chut me jibh daalate hue kaha. mom bhi ab mud me a gayi thi. usane apani saad.i niche ki aur mujhe usake amdar chupa liya. fir mera sir pakad.akar apani bur par kas kar dabaaya aur jaamghom me mere sir ko kaimchi jaisa pakad.akar taamge hila hila kar mere mumha par hastamaithun karane lagi.
jab mai aadhe ghamte baad utha to man bhar kar mom ki bur ka paani pi chuka tha. mom ekadama trupta ho gayi thi, sofe me piche ludh.ak gayi thi. mujhe khimch kar paas bithaare hue mujhe aalimgan me lekar boli
"anil, tune mujhe jo sukh diya hai, usaki mai kabhi kalpana bhi nahi kar sakati thi." mere tannaaye lund ko paimt ke upar se tatol kar wah boli "are, yaha bechaara tad.ap raha hai. bete, abhi chodega mujhe? teri yaha pyaas mujhase dekhi nahi jaati"
"nahi maam, raat ko aaraama se bujhaaumgaa" maimne kaha. mom bahut khush thi
"aaj raat jaise chaahega mai waise tujhe khush karumgi mere laal" mere dimaag me ek hi baat ghuma rahi thi. mom ki god me sir chpaakar maimne kaha
"maam, aaj ..."
"bol na ruk kyom gayaa?"
"maam, aaj ...." usake nitambom par haath rakhakar maimne kaha "aaj piche se karane do na pliz"
"are kal to kiya tha piche se mujhe ghod.i banaakar" mom ne kaha.
"haam maam, waise hi par tumhaari chut me nahim, yahaam par.." maimne usake nitambom ke bich umgali jama kar kaha.
"badamaash, sidhe kaha na meri gaamd maarana chaahata hai. kya lad.aka hai! abhi bitte bhar ka hai, abhi abhi jawaan hua hai, do din hue apani mom ko chod kar aur ab chala hai usaki gaamd maarane. mai nahi maarane dumgi jaa, mujhe dukhegaa" mom aaj kitane kaamuk mud me thi yaha usake in shabdom ke prayog se saaf tha. usane mana jarur kiya tha par usake lahaje me daamt nahim, ek khilaad.ipan ki bhaavana thi. yaane shaayad maan jaaye, maimne yaha samajh liya.
mom ko manaane me ghamta lag gaya. wah khaana bana rahi thi tab bhi mai usase lipat kar baar baar usase isi baat ki minnat kar raha tha. wah bas mamd mamd muskara rahi thi. use mere manaane me bahut maja a raha tha. aakhir tak usane haam nahi bola par jis taraha se wah meri or dekh rahi thi, mai samajh gaya ki maimne baaji maar li hai.
raat ko bedaruma me mom ke aane ke pahale mai kapad.e nikaal kar taiyaar ho gaya. palamg par namga pad.a mom ka imtajaar karata raha. vesalin ki shishi maimne pahale hi palamg ke paas ke tebal par rakh di thi.
jab ghar ke sab laait bujha kar mom aai to ekadama namgi thi. baatharuma me hi kapad.e utaar kar aai thi. pura nagna chalate hue maimne use pahali baar dekha tha. usake gudaaj stan chalate samaya dola rahe the. wah darawaaja lagaane ko mud.i to mai usake nitambom ko dekhata raha gaya. unake bhi thik se pure darshan mujhe aaj hi hue the. ekadama mote bhaari bharakama thod.e latake nitamb the usake, gore gore, maide ke do vishaal golom ke samaan. aaj mujhe uname jannat milane waali thi.
mai pura garama ho chuka thaa, mom par kab chadh.um aisa mujhe ho gaya tha. mom aakar mere paas baithi. usane nai slipar pahani hui thim. mera khad.a lund dekhakar boli
"ekadama taiyaar lagata hai mera beta meri sewa karane ke liye. chal, tu leta raha, mai tujhe chodati hum" mai ghabaraakar bola
"maam, aisa julma na karo, tumane waayada kiya hai ki aaj mujhase gaamd marawaaogi."
"maimne kab aisa kahaa" mom mujhe chidh.aate hue boli. usane jhuk kar apane pairom me ki chappale nikaal lim. fir mere lund ko unake do narama narama paatom me rakhakar belane lagi. mai paagal sa ho gaya. lagata tha ki abhi jhad. jaaumga. meri mom khud mujhe apani chappalom se rijha rahi thi.
"mami, mai jhad. jaaumgaa! pliz mat karo, aaj ek hi baar jhad.ana hai mujhe, mujhe apani gaamd maarane do naa" mai gid.agid.aane laga. mom dushtata se boli
"achcha hai jhad. jaayega. kama se kama meri gaamd to bach jaaegi. mai nahi maraati baabaa" meri haalat kharaab thi. jhad. na jaaum isaliye mai palamg se uth kar bhaaga aur dur khad.a ho gaya. kisi taraha sanasanaate lund par kaabu kiya. mom mera haal dekhakar pasij gayi. palamg par letate hue boli "mai majaak kar rahi thi mere laal, dekh rahi thi ki chappalom ka tujh par kya asar hota hai, tu sach me inaka shaukin hai. a kar le tujhe jo karana hai. tera yaha musal meri faad. dega shaayad par teri khushi ke liye mai yaha dard bhi saha lumgi." maimne mom ke paas jaakar usaki bur ka chumban lete hue kaha.
"nahi maam, mai kama se kama dard hone dumga tujhe. bahut pyaar se lumga teri. ab palat kar let jaao" mom pet ke bal let gayi.
"le maar" usake fule vishaal nitambom ko haathom se sahalaakar mai bola
"pahale inhe pyaar to kar lene do maam, kab se taras raha hum inake liye" aur mai mom ke nitambom par bhukhe ki taraha tut pad.a. agale paamch minit mere liye aise the jaise bhukhe ke aage daawat rakh di gayi ho. maimne mom ke nitamb chaate, unhe khub chumaa, halke halke daamt se kaata aur fir unhe alag karake dekhane laga. bich ka bhura sakara ched mujhe aamamtrit kar raha tha. maimne use chumana shuru kar diya. jibh baahar nikaalakar use lagaayi. mom bichak gayi.
"are kya kar raha hai? paagal to nahi hai, kahaam mumha laga raha hai." maimne mom ka guda chumate hue kaha
"tuma nahi samajhogi maam, mere liye yaha jannat ka darawaaja hai" mom bhi ab garama gayi thi. niche se khud hi apani umgali se apani chut ko ragad. rahi thi.
"anil jaldi kar naa, fir mai karati hum mujhe jo karana hai"
"maam, chalo ghod.i ban jaao kal jaisi, par palamg ke chhor par" meri baat maan kar mom ghod.i ban gayi. piche se ab usaki chut aur gaamd ka ched donom dikh rahe the. chut me se paani baha raha tha. pahale maimne usake nitamb pakad.akar usaki bur ko chaatana shuru kar diya. jab wah aur garama ho gayi aur apane kulhe hilaane lagi tab maimne vesalin ki shishi uthaakar apane lund me khub sa vesalin chupad. liya. fir umgali par thod.a lekar mom ke guda me umgali daal di. kya kasa tha mom ka ched!
"ui mom , dhire se re" mom boli. mai hamsane laga
"maam, abhi to ek umgali daali hai, fir do daalumga aur fir lund dumga amdar. tu sach me taait hai, kumwaari kanya jaisi"
"chal baate na banaa, jaldi kar" mom ne pareshaan hokar kaha. maimne ek umgali amdar baahar karake thik se amdar tak vesalin chupad. diya. fir do umgali me lekar waisa hi kiya. is baar mom ko jyaada dard hua par wah bas sisak kar fir chup ho gayi. is baar maimne khub der mom ki gaamd me do umgaliyaam ki ki use aadat ho jaaye.
aakhir umgaliyaam nikaalakar mai usake piche khad.a ho gaya. usake nitamb ek haath se pakad.akar dusare se supaad.a usake guda par jamaaya
"taiyaar ho ja maam, mai amdar a raha hum tere piche ke darawaaje se." maimne lund amdar pelana shuru kiya. mom ne gaamd sikod.i hui thi isaliye amdar nahi ja raha tha. "maam, jara dhila chod.o naa, rilaiks karo"
"thik hai anil, par teri do umgali amdar jaati hai to dard hota hai, tera ye musal jaayega to kya hogaa" mom ne chimtit swar me pucha.
"musal kahaam hai maam, bilakul chota hai, logom ke to kitane bad.e hote haim, das das imch ke" maine man hi man khush hote hue kaha. mujhe hamesha lagata tha ki mera lund aur thod.a bad.a hota to maja aata. par mom ko mera lund bad.a lagata tha yaha sunakar bahut achcha laga.
mom ne ek saams li aur apana guda thod.a dhila kiya. maimne turamt supaad.a mom ki gaamd ke challe ke amdar kar diya. mom ka sharir kad.a ho gaya aur usake mumha se ek halki chikh nikal gayi. maimne lund pelana bamd kar diya. mom ko pucha
"maam, bahut dukh raha hai kyaa? nikaal lum baahar"
"nahi bete, abhi mai thik ho jaaumgi. bas ek minit ruk jaa" kuch der baad maimne mahasus kiya ki mom ke guda ka challa thod.a dhila ho gaya hai. usaka sharir jo tana sa gaya thaa, thod.a rilaiks ho gaya. maimne fir lund pelana shuru kiya. mom bich me sitkaar uthati "anil, bahut dukhata hai re" tab mai ruk jaata. par mom ne mujhe yaha nahi kaha ki bete nikaal lo, mai nahi mara sakati.
kya aanamd thaa, kya sukh thaa, mom ki mulaayama gaamd me jaise mera lund amdar dhamsata gayaa, mujhe aise lagane laga ki ghachcha se ek baar pel dum aur jor se chod daalum. par maimne khud par pura niyamtrana rakhaa, aakhir meri pyaari mom thi, koi chudail ramdi nahim. aur mom ne meri khushi ke liye is dard ko bhi hamsate hamsate swikaar kar liya tha to mera bhi farz tha ki mai use takalif na hone dum.
aakhir mera lund jad. tak mom ke nitambom ke bich sama gaya aur mera pet unase sat gaya. mai ek minit bas khad.a raha. apane haathom se mom ki pith aur nitamb pyaar se sahalaata raha. aakhir mom boli
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
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