गाओं की मस्ती पार्ट--2
गतान्क से आगे............
उस दिन शाम को वह अपने दोस्त देव के घर गया और देव से गपशप करने लगा. उसने देवकी को अपने कन्खेओ से देखा और उसके दिमाग़ उस दिन दोपहर की घटना फिर से घूम गयी. उसे इस समय देवकी की भरा भरा बदन बहुत ही अच्छा लग रहा था और वो उस बदन को अपनी वासना भरी आँखो से नाप तोल रहा था. देवकी को इस सब बातों का एहसास नही था और वो भी जगन से पहले जैसी बातें कर रही थी. जबकि जगन को अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो रहा था और वो एक बहाने के साथ देव के घर से उठ कर अपने घर की तरफ चल दिया. अपने घर आकर अकेले मे भी उसका दिमाग़ शांत नही हुआ. वो सोच रह था कि कैसे वो देवकी को अपने बाहों मे भर कर चोदेगा. उसके दिमाग़ मे अब एक ही बात घूम रहा था की कैसे वो देवकी को अपना बनाएगा, चाहे हमेशा के लिए या फिर चाहे एक बार के लिए.
उसको देवकी की चूत मे अपना लंड पेलने की क्वाहिश थी. वो अपने दोस्त की नकाबलियत जान चुक्का था और रात भर देवकी के बारे में सोचता रहा. इस समय जगन सिर्फ़ देवकी की चूत चाहता था. आख़िर कर वो तक कर चुप चाप सो गया और सुबह जब उसकी आँख खुली तब धूप आसमान पर चढ़ चुकी थी. वो अपने नित्य क्रिया पर जुट गया.
उस दिन रविबार था. जगन के दिमाग़ मे अब देवकी ही देवकी थी और वो सोच रहा था कि कैसे वो देवकी को अपने जाल मे फँसाएगा. जगन अपने सुबहा की सैर पर निकल परा. चलते चलते, अनद अंजाने मे देवकी की आम के बगीचा की तरफ निकल परा. वो देवकी के आम के बगीचा मे घुस कर हरिया के झोपरी की तरफ चल परा. जगन जब हरिया के झोपरी के पास पहुँचा तो उसको देवकी की आवाज़ सुनाई दिया. वह झट अपने आप को एक आम के पेड के पिछे छुपा लिया और छुप कर देखने लगा. उसने देखा कि हरिया अपने आप को एक तौलिया मे लप्पेट कर कुच्छ कपरे और साबुन लिए नहर की तरफ जा रहा है और देवकी उसके पिछे पिछे चल रही है. वो लोग जगन की आँखों के साम'ने निकल कर नहर की तरफ मूर गये, जगन भी अपने च्छूपने के जगह से निकल कर नहर के किनारे जा कर छुप गया और उनकी क्रिया कलाप देखने लगा.
देवकी नहर पर आ कर हरिया से उसके कपरे लेके घुटने तक पानी मे अपनी सारी को उठा कर घुस गयी और हरिया के कपरे नहर के पानी मे धोने लगी. देवकी इस समय घुटने तक पानी मे थी और उसने अपनी सारी को काफ़ी उप्पेर उठा रखी थी और इस समय उसकी गोरी गोरी जाँघ काफ़ी उपेर तक दिख रहा था. हरिया नहर किनारे एक पथर पर बैठा देवकी को देख रहा था और उसका तौलिया उसके गुप्तँग के पास उठ कर एक तंबू की तरफ तना हुआ था. कपड़े धोने के बाद देवकीने हरिया को आवाज़ दी,
"हरिया इन्हा आओ, मैं तुम्हारे पीठ पर साबुन लगा देती हूँ." हरिया अपने तौलिया को तंबू बनाए नहर के पानी की तरफ चल परा. देवकी तौलिया के तंबू को देख कर उस पर हाथ लगाया और हरिया के तौलिया को खींच कर निकाल दिया. अब हरिया बिल्कुल नंगा खरा था और उसका खरा हुआ लंड देवकी के तरफ था. उस'ने बरे प्यार से हरिया का खरा हुआ लंड अपने हाथों मे लेकर सहलाया.
फिर देवकी हरिया को धीरे से पानी मे दखेल दिया. पानी मे दखेल ने से हरिया तीन- चार डुबकी लगा कर फिर से पत्थर पर जा कर खरा हो गया. देवकी उसके पिछे पिछे जा कर हरिया के पास खरी हो गयी. हरिया पत्तर पर नंगा ही बैठ गया. देवकी हरिया के सिर और पीठ पर साबुन लगा कर रगर्ने लगी. हरिया अब खरा हो गया. देवकी तब हरिया की छाती और पेट पर साबुन रगर्ने लगी. वो हरिया के पैरों के पास रुक गयी. हरिया का खरा लंड देवकी के लिए बहुत लुववाना था. लेकिन इस समय देवकी कुच्छ करने की मूड मे नही थी, क्योंकि, थोरी देर पहले ही हरिया अप'नी झोम्पडी में उसकी चूत मे अपना लंड पेल कर देवकी को रगर कर चोद चुक्का था.
"क्या तुम्हारा हथियार कभी सुस्त नही परता?" देवकी मुस्कुरा कर हरिया से पूछी.
"कैसे सुस्त रहा सकता है जब तुम पास मे हो?" हरिया जवाब दिया.
"तुम्हे इसकी मदद करनी चाहिए" हरिया कहा. तब देवकी बोली,
"ज़रूर, मैं भी आप'ने आप को रोक नही पा रही हूँ?" इसके बाद देवकी हरिया का खरा लंड को झुक कर अपने मुँह मे भर लिया और उसको चूसने लगी. थोरी देर के बाद देवकी हरिया का चूतर को पकर कर अपना मुँह उठा उठा कर उस लंड को बरे चाब से ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. हरिया अपनी कमर आगे की तरफ झुका कर के अपनी आँख बंद करके बरे आराम से अपना तननाया हुआ लंड देवकी की मुँह के अंदर पेलने लगा. जगन अपनी फटी फटी आँखों से एह सब कुच्छ देख रहा था. देवकी ज़ोर ज़ोर से हरिया का चूस रही थी और थोरी देर के बाद हरिया अपना पानी देवकी की मुँह पेर छ्होर दिया. देवकी हरिया का पानी बरे इतमीनान के साथ पी गयी और उसका लंड धीरे धीरे अपनी जीव से चाट कर साफ कर दिया. फिर देवकी नहर मे गयी और नहर के पानी से अपना मुह्न धो लिया.
हरिया और देवकी फिर नहा लिए और नहाने के बाद देवकी हरिया से बोली कि मुझे अब घर जाना है. घर पर बहुत से काम बाकी है. एह सुन कर जगन अपने जगह से निकल कर फिर से आम के बगीचे में चला गया. वो देवकी का इन्तिजार करने लगा. उसको देवकी से बात करनी थी, क्योंकी एह देवकी से बात करने का सही समय था. थोरी देर के बाद देवकी उसी रास्ते से धीरे धीरे चल कर आई. जगन तब आम के पेड़ के पिछे से निकल कर देवकी के सामने आकर खरा हो गया.
"जगन भाई शहाब, आप एन्हा क्या कर रहे है?" देवकी रुक कर पूछी. देवकी को डर था की कहीं जगन सब कुच्छ देख तो नही लिया. वह बोला,
"मैं तो हरिया के पास जा रहा था लेकिन मैं तुम को उसके साथ देखा. तुम उसके साथ काफ़ी बिज़ी थी और इसीलिए मैने तुम दोनो को परेशान नही किया."
"अपने सब कुच्छ देखा?" देवकी जगन से पूछी और उसकी चहेरा शरम से लाल हो गया. देवकी अपना सिर झुका लिया. जगन तब देवकी से बोला,
"तुम्हे मालूम है अगर मैं सब कुच्छ देव से बोल दूं तो तुम्हारा क्या हाल होगा?"
"भाई शहाब, प्लीज़ मेरे पति को कुच्छ मत कहिए, मैं अब फिर से एह सब काम नही करूँगी" देवकी बोली.
"प्लीज़ किसी से भी कुच्छ मत कहिए मैं आप को जो भी चीज़ माँगेंगे दूँगी" देवकी जगन के साम'ने गिरगिरने लगी.
"तुम मुझे क्या दे सकती हो?" जगन मौका देख कर देवकी से पूछा.
"कुच्छ भी, आप जो भी मगेंगे मैं देने के लिए तैइय्यार हूँ," देवकी बिना कुच्छ सोचे समझे जगन से बोली.
"ठीक है, तुम मेरे साथ आओ. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है! मैं तुमको हरिया के साथ कल दोपहर और आज सुबहा देख कर बुरी तरह से परेशान हो गया हूँ. मैं इस समय तुमको जम कर चोदना चाहता हूँ," जगन देवकी से बोला.
"एह कैसे हो सकता है, मैं तो तुम्हारे अच्छे दोस्त की बीवी हूँ" देवकी ने विरोध किया.
"तुम मेरे लिया एक भाई समान हो, तुम मेरे साथ एह सब गंदे काम कैसे कर सकते हो" देवकी जगन से बोली.
"तुम अपने वादे के खिलाफ नही जा सकती हो, अगर तुम मेरे साथ नही चलती तो मैं एह सब बात देव को बता दूँगा" जगन देवकी को एह कह कर धमकाया. देवकी चुप चाप जगन की बात सुनती रही और फिर एक ठंडी सांस लेकर बोली,
"ठीक है, जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी," वो जानती थी कि जगन के साथ चुदाई की बात देव को नही मालूम चलेगा, लेकिन अगर उसको हरिया के साथ रोज रोज की चुदाई की बात मालूम चल गयी तो वो उसकी खाल उधेर देगा.
"ठीक है, लेकिन बस सिर्फ़ आज जो करना है कर लो," देवकी जगन से बोली. जगन एह सुन कर मुस्कुरा दिया और देवकी को लेकर एक सुन सान जगह पर ले गया. यह जगह आम की बगीचे से दूर था और रास्ते से भी बहुत दूर, इन्हा पर किसी को भी आने की गुंजाइश नही थी. जगन सुन सान जगह पर पहुँच कर अपनी पॅंट उतार कर ज़मीन पर बिच्छा दिया. उसका लंड इस समय अंडरवेर के अंदर धीरे धीरे खरा हो रहा था. उसने देवकी से कोई बात ना करते हुए उसको अपनी बाहों मे भर लिया और देवकी को चूमने लगा.
देवकी भी मन मार कर अपनी मुँह जगन के लिए खोल दिया जिस'से की जगन अपनी जीव उसकी मुह्न के अंदर डाल सके. जैसे जगन, देवकी को चूमने और चाटने लगा, देवकी भी धीरे धीरे गरमा कर जगन को चूमने लगी. देवकी को अपनी जाँघो के उप्पेर जगन का खरा लंड महसूस होने लगा. जगन तब देवकी की सारी खोल दिया और अब देवकी अपने ब्लाउस और पेटिकोट मे थी. जगन तब अपना मुँह देवकी की चूंची के उपेर रख कर उसकी चूंची को ब्लाउस के उप्पेर से ही चूमने और चाटने लगा. देवकी को तब जगन नीचे अपनी पॅंट पर बैठा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया. अब तक जगन का लंड काफ़ी तन चुक्का था और वो उसके अंडरवेर को तंबू बना चुक्का था. एह देख कर देवकी की आँखें चमक उठी. उसने अंडरवेर के उप्पेर से ही जगन का लंड पकड़ लिया और अपने हाथों मे लेकर उसकी लूम्बई और मोटाई नापने लगी.
"अरे वा, तुम्हारा लंड बहुत तगरा है, है ना?" देवकी खुशी से बोल परी और जगन का लंड धीरे धीरे अंडरवेर से निकालने लगी. देवकी जब जगन का 10" लंबा लंड देखी तो उसकी आँखे फटी की फटी रहा गयी. जगन तब धीरे धीरे अपना अंडरवेर और शर्ट उतार कर देवकी के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया. देवकी तब जगन का लंड को अपने हाथों मे लेकर खिलोने की तरह खेलने लगी. देवकी अपना चहेरा जगन के लंड के पास लाकर उस लंड को घूर घूर कर देखने लगी और उसपर हाथ फेरने लगी. देवकी को जगन के लंड का लाल लाल और फूला हुआ सुपरा निकाल कर देखी और बहुत अस्चर्य से बोली,
"मैं अब तक इतना लंबा लंड और इतना बरा सुपरा नही देखी हूँ." देवकी तब उस सुपरे को धीरे से अपने मुँह मे ले कर चूमने और चूसने लगी. फिर वो उसको अपने मुँह से निकाल देखने लगी और अपनी जीव से उसके छेद तो चाटने लगी. जगन को अपने लंड पर देवकी का जीव की बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी. अब जगन उठ कर बैठ गया और देवकी की ब्लाउस और पेटिकोट खोलने लगा. इस समय जगन देवकी को नगी देखना चाहता था और उसके चूंची से खेलना चाहता था. धीरे धीरे देवकी की ब्लाउस खुलते ही उसकी बरी बरी चूंची बाहर आ गयी और उनको देखते ही जगन उन पर टूट परा. जगन को देवकी की चूंची बहुत सुन्दर दिख रही थी.
"तुम्हे एह पसंद है? एह अक्च्चे है ना? पास आओ और इनको पकरो, शरमाओ मत." देवकी अपने चूंची को एक हाथ से पकर कर जगन को भेंट करते हुए दूसरे हाथ से उसका लंड मुठियाने लगी. जगन पहले तो थोरा हिचकिचाया और फिर हिम्मत करके उन नंगी चूंचियो पर अपना हाथ रखा. उसे उनको छुने के बाद बहुत गरम और नरम लगा. जगन फिर उन चूंचियो को दोनो हाथों से पकर कर मसल्ने लगा, जैसे की कोई आटा गुन्ध्ता है. वो जितना उनको मसलता था देवकी उतनी ही उत्तेजित हो रही थी. देवकी की निपल उत्तेजना से खरी हो गयी और करीब एक इंच के बराबर तन कर खरी हो गयी. जगन अपने आप को रोक नही पाया. वो उन निपल को अपने होठों के बीच ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा. देवकी अब धीरे धीरे ज़मीन पर लेट गयी और जगन को अपने हाथों मे बाँध कर के अपने उपेर खींच लिया.
जगन तब देवकी की पेटिकोट कमर तक उठा दिया और उसकी झटों भरी चूत पर अपना हाथ फेरने लगा. उसने पाया की देवकी की चूत बहुत गीली हो गयी है और उसमे से काम रस चू चू कर बाहर निकल रहा है. उसने तब पहले अपना एक उंगली और फिर दो उंगली देवकी की गरम चूत के अंदर डाल दिया. जगन तब अपने अंगूठे से देवकी की चूत की घुंडी को सहलाने लगा. देवकी बहुत गरमा गयी थी. देवकी अपनी दोनो पैर चिपका लिए और अपनी सुडोल और चिकने जाँघो के बीच जगन का हाथ दबा लिया. देवकी फिर अपनी दूसरी चूंची को पकर कर जगन से उसको चूसने के लिए कहा और जगन देवकी की बात मानते हुए उसकी दूसरी चूंची को अपने हाथों मे लेकर चूसने लगा. हालंकी वे पेड़ के साए के नीचे थे फिर भी उन लोगों को जवानी की गर्मी से पसीना निकल रहा था.
जगन तब धीरे से देवकी की पेटिकोट का नारा खींच कर खोल दिया और उसको शरीर से निकाल दिया. उसे देवकी का नगा जिस्म बहुत पसंद आया और वो उस नंगी जिस्म को घूर घूर कर देखता रहा. देवकी की नगी जिस्म देख कर जगन को लगा कि उसकी बदन भरा भरा है लेकिन उसके बदन बहुत सुडोल और गता हुआ है. जगन देवकी की जाँघो को खोल कर घुटने मोर दिया और वो खुद उनके बीच आ गया. देवकी अपनी जाँघो को पूरा का पूरा फैला दिया जिससे की जगन उनके बीच बैठ सके. देवकी फिर जगन का खरा हुआ लंड को अपने हाथों मे पकर कर अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया.
"जगन भाई शहाब, ज़रा धीरे धीरे करना, मुझे आपका गधे जैसा लंड से डर लग रहा है. मैने आज तक इतना बरा लंड अपनी चूत के अंदर नही लिया है." फिर देवकी अपनी चूतर उच्छाल कर जगन का लंड अपने चूत में लेने की कोशिश करने लगी. थोरी देर के बाद देवकी को अपनी चूत के दरवाजे पर जगन का सुपरा का स्पर्श महसूस हुआ. देवकी ने तब अपने आप को ज़मीन पर बिच्छा दिया और जगन का मोटा ताज़ा लंड अपने चूत मे घुसने का इन्तिजार करने लगी. जगन तब अपने चूतर उठा कर एक्ज़ोर दार झटका मारा और उसका आधा लंड देवकी की चूत मे समा गया. जगन तब दो मिनिट रुक कर एक और झटका मारा और उसका पूरा पूरा 10" लूंबा लंड देवकी की चूत की गहराई मे घुस गया.
देवकी अपनी चूत मे जगन का लंड की लंबाई और मोटाई महसूस कर रही थी और हरिया और देव के छ्होटे लंड से फ़र्क का अंदाज़ा लगा रही थी. देवकी को लग रही थी की उसकी चूत जगन के लंड घुसने से दो फांको मे फॅट रही है. उसको जगन का लंड अपने बcचेदनि मे घुसने का अहसास हो रही थी और जगन का हर धक्का उसकी शरीर को मदहोश कर रहा था. उसे अबतक अपनी चूत की चुदाई में इतना मज़ा कभी नही मिला था. वो जगन का हर धक्के के जवाब अपनी चूतर उच्छाल कर दे रही थी.
"क्यों जगन क्या तुम्हारा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया?" देवकी अपनी चुत्तऱ चलाते हुए बोली. जगन तब देवकी की चूत मे अपन लंड पेलता हुआ बोला,
"हाँ, तुम्हारी चूत मे लंड पेलने का मज़ा ही कुच्छ और है. मुँझे तुम्हारी चूत चोदने मे बहुत मज़ा आ रहा है." जगन तब अपना लंड देवकी की चूत मे जर तक घुसेर कर देवकी को धीरे धीरे चोदने लगा. जगन को देवकी की चूत की गर्मी और रसिल्ला अनदाज बहुत अक्च्छा लग रहा था. जगन तब देवकी की चूतर के दोनो तरफ अपने हाथ रख कर उसकी चूत मे अपना लंड को घुसते और निकलते देख रहा था और वो मारे उत्तेजना से देवकी की दोनो चूंची को पकर मसल्ने लगा. दोनो चुदाई मे मासगुल थे. इस समय दोनो एक दूसरे को कमर चला चला कर धक्का मार रहे थे और जगन का लंड देवकी की चूत को बुरी तारह चोद रहा था. दोनो इस समय पसीने से नहा चुके थे पर फिर भी किसी को होश नही था. देवकी तब अपनी चूतर उछालते हुए जगन को अपने बाहों मे बाँध लिया और बोलने लगी
"जगन और ज़ोर से चोदो, आज फार दो मेरी चूत अपने मोटे लंड के धक्के से, बहुत मज़ा आ रहा है, और चोदो, रुकना मत बस चोद्ते रहो, बस ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत मे अपना लंड डालते रहो." जगन चोदने का रफ़्तार बढ़ा दिया. वो भी इस समय झदाने के कगार पर था. जगन एह सोच कर कि वो देवकी की गुलाबी रसिल्ले चूत मे अपना लंड पेल रहा है बहुत उत्तेजित हो गया. जगन मारे गर्मी के देवकी की चूत मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था और बर्बरा था,
"हाई, देवकी तेरी चूत तो मक्खन के समान चिकना है, तेरी चूत को चोद कर मेरा लंड धन्य हो गया है, अब मैं रोज तेरी चूत मारूँगा, लगता है तुझको भी मेरा लंड पसंद आया है, क्या तू मुझसे रोज अपनी छूट चुद्वगी?" देवकी भी अपनी कमर चलते हुए जगन को चूम कर बोली,
"हाई मेरे राजा, तुम्हारा लंड तो लाखों मे एक है, तुम्हारा लंड खा कर मेरी चूत का भाग्य खुल गया है, अब मैं रोज तुमसे अपनी चूत मे तूहरी प्यारी प्यारी लंड पीलवौनगी." थोरी देर इस तरह चुदाई करते हुए जगन अपना वीर्या उसकी चूत मे छ्होर दिया और हफने लगा.
"जगन भाई शहाब आप वाकई बहुत अक्च्छा चोद्ते हैं. मुझको अगर एह बात पहले ही मालूम चलता कि आप को मेरे लिए प्यार है तो मैं हरिया के पास जा कर उस'से कभी अपनी चूत ना चुड़वती. मुझको अगर पहले से पता चलता कि आपका लंड इतना बरा और मज़बूत है तो बहुत पहले ही आपको अपने बाहों मे बाँध लेती," देवकी धीरे धीरे जगन से बोली.
"अब मेरी चूत तुम्हारे लंड को चख चुकी है, पता नही अब उसको और कोई लंड पसंद आएगा कि नही. अब शायद मेरी चूत को हरिया का लंड भी पसंद ना आए" देवकी जगन को चूमते हुए बोली. जगन तब देवकी को अपने हाथों मे बाँध कर अपने बगल मे बैठा दिया और उससे बोला,
"देवकी आज से एह लंड तुम्हारी चूत का गुलाम हो गया है, तुम्हे जब इसकी ज़रूरत हो तुम मुझे बुला लेना मैं और मेरा लंड हमेशा तुम्हारी सेवा के लिए तैइय्यार रहेंगे."
क्रमशः.....................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
गाओं की मस्ती पार्ट--1
गाओं की मस्ती पार्ट--2
गाओं की मस्ती पार्ट--3
गाओं की मस्ती पार्ट--4
गाओं की मस्ती पार्ट--5
गाओं की मस्ती पार्ट--6
गाओं की मस्ती पार्ट--7
गाओं की मस्ती पार्ट--8
गाओं की मस्ती पार्ट--9
गाओं की मस्ती पार्ट--10
GAON KEE MASTEE paart--2
gataank se aage............
Us din sham ko vah apne dost Deva ke ghar gaya aur Deva se gapshap karne laga. Usne Devkee ko apne kankheon se dekha aur uske dimag us din dopahar ki ghatana phir se ghum gayee. use is samay Devkee ki bhara bhara badan bahut hi achha lag raha tha aur wo us badan ko apnee vasna bharee ankho se nap tol raha tha. Devkee ko is sab baton ka ehsas nahee tha aur wo bhi Jagan se pahale jaisee baten kar rahee thee. Jabki Jagan ko apne aap ko rok pana mushkil ho raha tha aur wo ek bahane ke sath Deva ke ghar se uth kar apne ghar ki taraf chal para. Apne ghar akar akele me bhi uska dimag shant nahee hua. Wo soch rah tha ki kaise wo Devkee ko apne bahon me bhar kar chodega. Uske dimag me ab ek hi baat ghum raha tha ki kaise wo Devkee ko apna banayega, chahe hamesha ke liye ya phir chahe ek bar ke liye.
Usko Devkee ki choot me apna lund pelne ki kwaish thee. Wo apne dost ki nakaabliyat jan chukka tha aur rat bhar Devkee ke baare men sochta raha. Is samay Jagan sirf Devkee ki choot chahata tha. Akhir kar wo thak kar chup chap so gaya aur subah jab uski ankh khulee tab dhup asman par chadh chukee thee. Wo apne nitya kriya par jut gaya.
Us din ravibar tha. Jagan ke dimag me ab Devkee hi Devkee thee aur wo soch raha tha ki kaise wo Devkee ko apne jal me phansayega. Jagan apne subha ki sair par nikal para. Chalte chalet, Anad anjane me Devkee ki aam ke bagicha ki taraf nikal para. Wo Devkee ke aam ke bagicha me ghus kar Haria ke jhopree ki taraf chal para. Jagan jab Haria ke jhopree ke pas pahuncha to usko Devkee ki awaj sunai diya. Vah jhat apne aap ko ek aam ke per ke pichhe chhupa liya aur chhup kar dekhne laga. Usne dekha ki Haria apne aap ko ek tauliya me lappet kar kuchh kapare aur sabun liye nahar ki taraf ja raha hai aur Devkee uske pichhe pichhe chal raheee hai. we log Jagan kee aankhon ke saam'ne nikal kar nahar ki taraf mur gaye, Jagan bhi apne chhupne ke jagah se nikal kar nahar ke kinare ja kar chhup gaya aur unki kriya kalap dekhne laga.
Devkee nahar par aa kar Haria se uske kapare leke ghutne tak pani me apni saree ko utha kar ghus gayee aur Haria ke kapare nahar ke pani me dhone lagee. Devkee is samay ghutne tak pani me thee aur usne apni saree ko kafee upper utha rakhee thee aur is samay uski gori gori jangh kafee uper tak dikh raha tha. Haria nahar kinare ek pathar par baitha Devkee ko dekh raha tha aur uska tauliya uske guptang ke pas uth kar ek tamboo ki taraf tana hua tha. Kapre dhone ke bad Devkee Haria ko awaj diya,
"Haria inha aaoo, mai tumhare pith par sabun laga dentee hun." Haria apne tauliya ko tamboo banaye nahar ke pani ki taraf chal para. Devkee tauliya ke tamboo ko dekh kar us par hath lagaya aur Haria ke tauliya ko kheench kar nikal diya. Ab Haria bilkul nanga khara tha aur uska khara hua lund Devkee ke taraf tha. us'ne bare pyar se Haria ka khara hua lund apne hathon me lekar sahalaya.
Phir Devkee Haria ko dhire se pani me dakhel diya. Pani me dakhel ne se Haria teen- char dubki laga kar phir se patthar par ja kar khara ho gaya. Devkee uske pichhe pichhe ja kar Haria ke pas kharee ho gayee. Haria pattahr par nanga hi baith gaya. Devkee Haria ki sir ur peeth par sabun laga kar ragarne lagee. Haria ab khara ho gaya. Devkee tab Haria ke chhaatee aur pet par sabun ragarne lagee. Wo Haria ke pairon ke pas ruk gayee. Haria ka khara lund Devkee ke liye bahut luvawana tha. Lekin is samay Devkee kuchh karne ki mood me nahee thee, kyonki, thori der pahale hi Haria ap'nee jhompaDee men uski choot me apna lund pel kar Devkee ko ragar kar chod chukka tha.
"Kya tumhara hathiyar kabhi sust nahee parta?" Devkee muskura kar Haria se puchee.
"Kaise sust raha sakta hai jab tum pas me ho?" Haria jawab diya.
"Tumhe iski madad karnee chaheya" Haria kaha. Tab Devkee boli,
"jarur, mai bhi ap'ne ap ko rok nahee pa rahee hun?" Iske bad Devkee Haria ka khara lund ko jhuk kar apne munh me bhar liya aur usko chusne lagee. Thori der ke bad Devkee Haria ka chutar ko pakar kar apna munh utha utha kar us lund ko bare chab se jor jor se chusne lagee. Haria apnee kamar aage ki taraf jhuka kar ke apni ankh band karke bare aaram se apna tannaya hua lund Devkee ki munh ke andar pelne laga. Jagan apni phati phati ankhon se eh sab kuchh dekh raha tha. Devkee jor jor se Haria ka chus rahee thee aur thori der ke bad haria apna pani Devkee ki munh per chhor diya. Devkee Haria ka pani bare itminan ke sath pee gayee aur uska lund dhire dhire apni jeev se chat kar saf kar diya. Phir Devkee nahar me gayee aur nahar ke pani se apna muhn dho liya.
Haria aur Devkee phir naha liye aur nahane ke bad Devkee Haria se boli ki mujhe ab ghar jana hai. Ghar par bahut se kam baki hai. Eh sun kar Jagan apne jagah se nikal kar phir se aam ke bagiche men chala gaya. Wo Devkee ka intijar karne laga. Usko Devkee se baat karni thee, kyonkee eh Devkee se baat karne ka sahee samay tha. Thori der ke bad Devkee usi raste se dhire dhire chal kar aayee. Jagan tab aam ke per ke pichhe se nikal kar Devkee ke samne akar khara ho gaya.
"Jagan bhai shahab, aap enha kya kar rahe hai?" Devkee ruk kar puchee. Devkee ko dar tha ki kaheen Jagan sab kuchh dekh to nahee liya. Vah bola,
"mai to Haria ke pas ja raha tha lekin mai tum ko uske sath dekha. Tum uske sath kafee busy thee aur isiliye mai tum dono ko pareshan nahee kiya."
"Apne sab kuchh dekha?" Devkee Jagan se puchee aur uski chehera sharam se lal ho gaya. Devkee apna sir jhuka liya. Jagan tab Devkee se bola,
"tumhe malum hai agar mai sab kuchh Deva se bol dun to tumhara kya hal hoga?"
"Bhai shahab, please mere pati ko kuchh mat kahiye, mai ab phir se eh sab kam nahee karungee" Devkee boli.
"Please kisi se bhi kuchh mat kahiye mai aap ko jo bhi cheej mangenge dungee" Devkee Jagan ke saam'ne girgirane lagee.
"Tum mujhe kya de saktee ho?" Jagan mauka dekh kar Devkee se pucha.
"kuchh bhi, aap jo bhi magenge mai dene ke liye taiyyaar hun," Devkee bina kuchh soche samajhe Jagan se boli.
"Theek hai, tum mere sath aao. Mujhe tumharee bahut jaroorat hai! Mai tumko Haria ke sath kal dopaha aur aaj subha dekh kar buri tarah se pareshan ho gaya hun. Mai is samay tumko jam kar chodna chahata hun," Jagan Devkee se bola.
"Eh kaise ho sakta hai, mai to tumhare acche dost ki biwi hun" Devkee ne virodh kiya.
"Tum mere liya ek bhai saman ho, tum mere sath eh sab gande kaam kaise kar sakte ho" Devkee Jagan se boli.
"Tum apne waade ke khilaf nahee ja saktee ho, agar tum mere sath nahee chaltee to mai eh sab baat Deva ko bata dunga" Jagan Devkee ko eh kah kar dhamkaya. Devkee chup chap Jagan ki baat suntee rahee aur phir ek thandee sans lekar boli,
"theekh hai, jaisa tum kahoge mai waisa hi karungee," Wo jantee thee ki Jagan ke sath chudai ki baat Deva ko nahi malum chalega, lekin agar usko Haria ke sath roj roj ki chudai ki baat malum chal gayee to wo uski khal udher dega.
"Thek hai, lekin bas sirf aaj jo karna hai kar lo," Devkee Jagan se boli. Jagan eh sun kar muskura diya aur Devkee ko lekar ek sun san jagah par le gaya. yah jagah aam ki bagiche se dur tha aur raste se bhi bahut dur, inha par kisi ko bhi ane ki gunjaish nahee thee. Jagan sun san jagah par pahunch kar apni pant utar kar jameen par bichha diya. Uska lund is samay underwear ke andar dhire dhire khara ho raha tha. Usne Devkee se koi baat na karte hue usko apni bahon me bhar liya aur Devkee ko chumne laga.
Devkee bhi man mar kar apni munh Jagan ke liye khol diya jis'se ki Jagan apni jeev uski muhn ke andar dal sake. Jaise Jagan, Devkee ko chumne aur chatne laga, Devkee bhi dhire dhire garma kar Jagan ko chumne lagee. Devkee ko apni jangho ke upper Jagan ka khara lund mahasus hone laga. Jagan tab Devkee ki saree khol diya aur ab Devkee apne blouse aur petticoat me thee. Jagan tab apna munh Devkee ki chunchee ke uper rakh kar uski chunchee ko blouse ke upper se hi chumne aur chatne laga. Devkee ko tab Jagan neeche apni pant par betha diya aur khud bhi uske pas baith gaya. Ab tak Jagan ka lund kafee tan chukka tha aur wo uske underwear ko tamboo bana chukka tha. Eh dekh kar Devkee ki ankhen chamak uthee. Usne underwear ke upper se hi Jagan ka lund pakar liya aur apne hathon me lekar uski lumbai aur motai napne lagee.
"Are wah, tumhara lund bahut tagara hai, hai na?" Devkee khushi se bol paree aur Jagan ka lund dhire dhire underwear se nikalne lagee. Devkee jab Jagan ka 10" lumba lund dekhi to uski ankhe phatee ki phatee raha gayee. Jagan tab dhire dhire apna underwear aur shirt utar kar Devkee ke samne puree tarah se nanga ho gaya. Devkee tab Jagan ka lund ko apne hathon me lekar khilone ki tarah khelne lagee. Devkee apna chehera Jagan ke lund ke pas lakar us lund ko ghur ghur kar dekhne lagee aur uspar hath pherne lagee. Devkee ko Jagan ke lund ka lal lal aur phula hua supara nikal kar dekhi aur bahut ascharya se boli,
"mai ab tak itna lumba lund aur itna bara supara nahee dekhi hun." Devkee tab us supare ko dhire se apne munh me le kar chumne aur chusne lagee. Phir wo usko apne munh se nikal dekhne lagee aur apni jeev se uske chhed to chatne lagee. Jagan ko apne lund par Devkee ka jeev ki bahut sukhad anubhuti ho rahee thee. Ab Jagan uth kar baith gaya aur Devkee ki blouse aur petticoat kholne laga. Is samay Jagan Devkee ko nagee dekhna chahata tha aur uske chunchee se khelna chahata tha. Dhire dhire Devkee ki blouse khulte hi uski bari bari chunchee bahar aa gayee aur unko dekhte hi Jagan un par tut para. Jagan ko Devkee ki chunchee bahut sunder dikh rahee thee.
"Tumhe eh pasand hai? Eh acchhe hai na? Pas ao aur inko pakaro, sharmao mat." Devkee apne chunchee ko ek hath se pakar kar Jagan ko bhent karte hue dusre hath se uska lund muthiane lagee. Jagan pahale to thora hichkichaya aur phir himmat karke un nangee chuncheon par apna hath rakhha. Use unko chhune ke bad bahut garam aur naram laga. Jagan phir un chuncheon ko dono hathon se pakar kar masalne laga, jaise ki koi ata gundhta hai. Wo jitna unko masalta tha Devkee utne hi uttejit ho rahee thee. Devkee ki nipple uttejana se kharee ho gayee aur kareeb ek inch ke barabar tan kar kharee ho gayee. Jagan apne aap ko rok nahee paya. Wo un nipple ko apne hothon ke beech le liya aur dhire dhire chusne laga. Devkee ab dhire dhire jameen par let gayee aur Jagan ko apne hathon me bandh kar ke apne uper khinch liya.
Jagan tab Devkee ki petticoat kamar tak utha diya aur uski jhaton bharee choot par apna hath pherne laga. usne paya ki Devkee ki choot bahut gili ho gayee hai aur usme se kam ras chu chu kar bahar nikal raha hai. usne tab pahale apna ek unglee aur phir do unglee Devkee ki garam choot ke andar dal diya. Jagan tab apne anguthe se Devkee ki choot ki ghundee ko sahalane laga. Devkee bahut garma gayee thee. Devkee apni dono pair chipka liye aur apni sudol aur chikne jhango ke beech Jagan ka hath daba liya. Devkee phir apni dusree chunchee ko pakar kar Jagan se usko chusne ke liye kaha aur Jagan Devkee ki baat mante hue uski dusri chunchee ko apne hathon me lekar chusne laga. Halankee ve paiR ke saye ke neeche the phir bhi un logon ko jawanee ki garmee se paseena nikal raha tha.
Jagan tab dhire se Devkee ki petticoat ka nara kheench kar khol diya aur usko shareer se nikal diya. use Devkee ka naga jism bahut pasand aya aur wo us nangee jism ko ghur ghur kar dekhta raha. Devkee ki nagee jism dekh kar Jagan ko laga ki uski badan bhara bhara hai lekin uske badan bahut sudol aur gatha hua hai. Jagan Devkee ki jangho ko khol kar ghutne mor diya aur wo khud unke beech a gaya. Devkee apni jangho ko pura ka pura phaila diya jisses ki Jagan unke beech baith sake. Devkee phir Jagan ka khara hua lund ko apne hathon me pakar kar apni choot ke muhane par laga diya.
"Jagan bahi shahab, jara dhire dhire karna, mujhe apka gadhe jaisa lund se dar lag raha hai. Maine aaj tak itna bara lund apni choot ke andar nahee liya hai." Phir Devkee apni chutar uchhaal kar Jagan ka lund apne choot men lene ki koshish karnae lagee. Thori der ke bad Devkee ko apni choot ke darwaje par Jagan ka supara ka sparsh mahasus hua. Devkee ne tab apne aap ko jamen par bichha diya aur Jagan ka mota taja lund apne choot me ghusne ka intijar karne lagee. Jagan tab apne chutar uth kar ekjor dar jhatka mara aur uska adha lund Devkee ki choot me sama gaya. Jagan tab do minute ruk kar ek aur jhatka mara aur uska pura pura 10" lumba lund Devkee ki choot ki gaharaee me ghus gaya.
Devkee apne choot me Jagan ka lund ki lambai aur motai mahasus kar rahee thee aur Haria aur Deva ke chhote lund se fark ka andaza laga rahee thee. Devkee ko lag rahee thee ki uski choot Jagan ke lund ghusne se do phanko me phat rahee hai. Usko Jagan ka lund apne bacchedani me ghusne ka ahsas ho rahee thee aur Jagan ka har dhakka uski sharer ko madhosh kar raha tha. Use abtak apni choot ki chudai men itna maza kabhee nahi mila tha. Wo Jagan ka har dhakke ke jawab apni chutar uchhaal kar de rahee thee.
"Kyon Jagan kya tumhara lund pura ka pura meri choot me sama gaya?" Devkee apni chuttaR chalaate hue boli. Jagan tab Devkee ki choot me apan lund pelta hua bola,
"han, tumharee choot me lund pelne ka maza hi kuchh aur hai. Munjhe tumharee choot chodne me bahut maza aa raha hai." Jagan tab apna lund Devkee ki choot me jar tak ghuser kar Devkee ko dhire dhire chodne laga. Jagan ko Devkee ki choot ki garmee aur rasilla anadaz bahut acchha lag raha tha. Jagan tab Devkee ki chutar ke dono taraf apne hath rakh kar uski choot me apna lund ko ghuste aur nikalte dekh raha tha aur wo mare uttejana se Devkee ki dono chunchee ko pakar masalne laga. Dono chudaee me masgul the. Is samay dono ek dusre ko kamar chala chala kar dhakka mar rahe the aur Jagan ka lund Devkee ki choot ko buree tarh chod raha tha. Dono is samay paseene se naha chuke the par phir bhi kisi ko hosh nahee tha. Devkee tab apni chutar uchaalte hue Jagan ko apne bahon me bandh liya aur bolne lagee
"Jagan bhaishab aur jor se chodo, aaj phar do meri choot apne mote lund ke dhakke se, bahut maza aa raha hai, aur chodo, rukna mat bas chodte raho, bas jor jor se meri choot me apna lund dalte raho." Jagan chodne ka raftar barha diya. Wo bhi is samay jahrne ke kagar par tha. Jagan eh soch kar ki wo Devkee ki gulabee rasille choot me apna lund pel raha hai bahut uttejit ho gaya. Jagan mare garmme ke Devkee ki choot me apna lund jor jor se pel raha tha aur Barbara tha,
"Hai, Devkee teri choot to makkhan ke saman chikna hai, Teri choot ko chod kar mera lund dhanya ho gaya hai, ab mai roj teri choot marunga, lagta hai tujhko bhi mera lund pasand aya hai, kya tu mujhse roj apni choot chudwagee?" Devkee bhi apni kamar chalate hue Jagan ko chum kar boli,
"hai mere raja, tumhara lund to lakhon me ek hai, tumhara lund kha kar meri choot ka bhagya khul gaya hai, ab mai roj tumse apni choot me tuharee pyaree pyaree lund pilwaungee." Thori der is tarah chudai karte hue Jagan apna virya uski choot me chhor diya aur hafne laga.
"Jagan bhai shahab aap wakaee bahut acchha chodte hain. Mujhko agar eh baat pahale hi malum chalta ki aap ko mere liye pyar hai to mai Haria ke pas ja kar us'se kabhi apni choot na chudwatee. Mujhko agar pahale se pata chalta ki aapka lund itna bara aur mazboot hai to bahut pahale hi apko apne bahon me bandh letee," Devkee dhire dhire Jagan se boli.
"Ab meri choot tumhare lund ko chakh chuki hai, pata nahee ab usko aur koi lund pasand ayega ki nahee. Ab shayad meri choot ko Haria ka lund bhi pasand na aaye" Devkee Jagan ko chumte huye boli. Jagan tab Devkee ko apne hathon me bandh kar apne bagal me baitha diya aur usse bola,
"Devkee aaj se eh lund tumharee choot ka gulam ho gaya hai, tumhe jab iski jaroorat ho tum mujhe bula lena mai aur mera lund hamesha tumharee seva ke liye taiyyaar rahenge."
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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