गाओं की मस्ती पार्ट--7
गतान्क से आगे............
देवकी ने जैसे ही देव का लंड खरा हुआ देखा तो झट से देव को ज़मीन पर लेटा कर खुद देव के उपर चढ़ बैठी और देव के लंड को अपने चूत मे ले कर देव को चोदने लगी. कमरे के अंदर फिर से चुदाई का माहौल बन गया और जगन और देव दोनो फिर से अपनी अपनी बीवी की चूत को जम कर चोदना शुरू कर दिया. थोरी देर के बाद चारो लोग हांफ रहे थे लेकिन अपनी अपनी कमर उठा उठा कर धक्के मार रहे थे या धक्को का जवाब दे रहे थे.
थोरी देर के बाद जब जगन और देव अपना अपना पिचकारी अपनी अपनी बीवी की चूत मे छोड चुके तो चारों बिस्तेर पर लुरख गये और सुसताने लगे. उस समय किसी को कुच्छ होश नही था कि कौन कहाँ लेटा हुआ है सब के सब एक ही जगह पर परे हुए थे. जया अपने हाथों के पास झांतों से भरा हुआ लंड को खरा होते हुए पाया और बिना कुच्छ समझे बुझे उसको जगन का लंड समझ कर अपने हाथों मे ले कर उसके साथ खेलने लगी. थोरी देर के बाद जब देवकी तकिया ठीक करने के लिया उठी तो देखा की जया अपने हाथों से देव का लंड मारोर रही है.
"ओह! बह रे मेरी चुड़ककर बहन, तू तो बहोत जल्दी ही सब कुच्छ सीख गयी. तेरे को मेरे पती का लंड कैसा लग रही है? आज तेरी सुहाग रात है और तूने आज ही मेरे पती का लंड अपने हाथों मे लेकर मसलना शुरू कर दिया?" देवकी जया से बनावटी गुस्से मे बोली. तब शर्मा कर जया बोली,
"दीदी इस लंड को मैं अपने पती का लंड समझ रही थी, मेरे मन मे ऐसी कोई ग़लत भावना नही थी."
"ठीक है, कोई बात नही. अब देखते है की तू इस लंड को क्या करती है. मैं तेरे से मज़ाक कर रही थी और कोई गुस्सा नही कर रही थी" देवकी अपने छोटी बहन से बोली. देवकी फिर जया की मदद की और जया को देव का लंड अपने मूह मे लेकर चूसने के लिया कहा. जया शरम के मारे अपनी आँखे झुका कर देव का आधा खरा लंड अपने मूह मे भर लिया और उसको चूसने लगी.
देव अपने जांघों को और फैला दिया जिससे की जया को लंड चूसने मे आसानी हो. देवकी अपने घुटने के बल जया के मूह के पास अपना चहेरा ले कर देखने लगी की कैसे जया उसके पाती का लंड चूस रही है. जगन जब देखा कि देवकी अपने घुटने के बल झुकी है तो फ़ौरन देवकी के पिछे जा कर देवकी की चूत मे अपनी उंगली पेल दिया और उंगली को अंदर बाहर करने लगा.
देवकी भी अपनी गंद हिलाने लगी. इस'से जगन को बहुत मज़ा मिला और अपना दूसरी उंगली देवकी की गंद मे भर दिया और अपना उंगली से देवकी की गंद चोदने लगा. देवकी थोरी देर के बाद जया के साथ मिल कर देव के अंडों को सहलाने लगी. दोनो बहने थोरी देर तक कोशिश की पर कोई फ़ायदा नही मिला. देवकी तब अपनी चूंची देव के सामने कर दिया और देव उन चूंची को पकर मसला और फिर पीना शुरू कर दिया. अपनी चूंची चूसा से देवकी तो गर्म हो गयी लेकिन देव का लंड फिर से खरा नही हुआ.
जगन अब तक तैइय्यार हो गया था. जगन अपने उंगलेओं से देवकी की चूत की होठों को फैला कर उसमे अपना लंड डाल दिया और देवकी की चूतदों को पकर कर अपना कमर चला कर देवकी को चोदना शुरू कर दिया. देव जैसे ही देखा की जगन का लंड देवकी की चूत का पानी झार रहा है, वो बहुत उत्तेजित हो गया और उसका लंड तन कर खरा होने लगा. जया को भी अपने मूह मे देव के लंड का खरा होने का अहसास होने लगा. जब देव का लंड पूरा खरा हो गया तो उसको जया अपने मूह से निकाल दिया और देव जया को अपने उपर उठा लिया और बोला,
"सालीजी अब तुम मुझको अपनी चूत से चोदो." जया को जैसा बताया गया उसने वैसे ही किया. वो देव के उपर चढ़ कर उसके कमर के पास बैठ गयी और उसका अपने हाथों से ले कर अपनी गंद उठा कर चूत से लगा दिया. लंड को चूत से भीरते ही जया उस पर बैठ गयी और अपनी गंद उठा उठा कर देव को चोदने लगी. देव और जया के बगल मे ही जगन और देवकी अपनी चुदाई चालू रखे हुए थे. देवकी इस समय गंद हिला हिला कर जगन का लंड अपने अंदर पिलवा रही थी और मूह से जीव निकाल कर हाफ़ रही थी.
देवकी को अपने पती की चुदाई का ज़ोर देख कर बहुत ताज़्ज़ूब हो रहा था. देवकी सोच रही थी आज क्या बात हो गयी है और कैसे आज देव तीन तीन बार लंड खरा करके हुमारी और जया की चूत को धुन रहा है. देव को जया की चूत बहुत टाइट और कसी कसी लग रही थी. देव जया को नीचे गिरा दिया और उसको पल्ट कर पिछे से जया की चूत मे फिर से अपना लंड घुसेर दिया और दना दान चोदने लगा.
इस समय दोनो बहने अगाल बगल अपने घुटने के बल झुक कर अपनी चूत मे लंड पिलवा रही थी और पिछे से उनकी चूटर पकर कर जगन और देव उनको पेल रहा था. दोनो बहने एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रही थी और अपनी अपनी कमर हिला कर हर धक्के का जवाब दे रही थी. देव अपनी आँख बंद करके बस जया को चोद रहा था और फिर एक ज़ोर दार झटके के साथ अपना पानी जया की चूत के अंदर छोड दिया जिससे जया की चूत फिर से भर गयी. थोरी देर के बाद देव जया से बोला,
"भाई जया सॉरी, मैं बहुत जल्दी झार गया. लेकिन मैं मजबूर था." जया देव से बोली,
"नही भाई साहब, इसमे सॉरी की कोई बात ही नही है. मुझको आपसे अपनी चूत चुदवा कर बहुत मज़ा मिला. जब भी आप को मेरी चूत चोदने की इच्छा हो मुझसे ज़रूर कहिएगा, मैं हुमेशा आपके लंड का इंतेजार करोनगी." दोनो जीजा और साली एक दूसरे के बाहों पर लेट गये और जगन और देवकी की चुदाई देखते रहे. थोरी देर के बाद वे भी झार गये और बिस्तेर पर ढेर हो गये. चारों अब चुदाई करते करते बहुत थक चुके और आपस मे बात करते करते सो गये.
इस तरफ से उन चार लोगों की चुदाई भरी जिंदगी चलने लगी. जगन और देव को पता लग चुक्का था कि दोनो बहने देवकी और जया बहुत ही चुदासी औरत है और यह दोनो बहने कभी भी जगन और देव से अपनी चूत चोदने के लिए कह सकती है. यह तो बहुत अच्छी बात थी की इन लोगों का घर गाओं के बिल्कुल किनारे पर था नही तो कोई भी इन चार लोगों को कभी भी एक साथ सामूहिक चुदाई करते देख लेते. देव की परेशानी अभी भी वहीं थी.
देव का लंड तभी खरा होता जब वो जगन को या तो देवकी के साथ या जया के साथ चुदाई करते देखता था. जब भी देव का लंड खरा हो जाता था तो जो कोई भी बहन खाली रहती उनकी चूत मे अपना लंड डाल उसकी चुदाई शुरू कर देता. दोनो बहनो मे भी इस बात का कोई फरक नही परता था की कौन उनको चोद रहा है, उनको तो बस अपनी हुमेशा भूखी चूत के लिए खरा लंड की ज़रूरत थी, चाहे वो लंड जगन का हो या देव हो, क्या फ़र्क परता, उनकी चूत तो लंड खाती.
क्रमशः............
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
गाओं की मस्ती पार्ट--1
गाओं की मस्ती पार्ट--2
गाओं की मस्ती पार्ट--3
गाओं की मस्ती पार्ट--4
गाओं की मस्ती पार्ट--5
गाओं की मस्ती पार्ट--6
गाओं की मस्ती पार्ट--7
गाओं की मस्ती पार्ट--8
गाओं की मस्ती पार्ट--9
गाओं की मस्ती पार्ट--10
GAON KEE MASTEE paart--7
gataank se aage............
Devkee ne jaise hi Deva ka lund khara hua dekha to jhat se Deva ko jameen par leta kar khud Deva ke upar char baithee aur Deva ke lund ko apne choot me le kar Deva ko chodne lagee. Kamare ke andar phir se chudai ka mahaul ban gaya aur Jagan aur Deva dono phir se apni apni biwi ki choot ko jam kar chodna shuru kar diya. Thori der ke baad charo log hamf rahe the lekin apni apni kamar utha utha kar dhakke mar rahe the ya dhakon ka jawab de rahe the.
Thori der ke bad jab Jagan aur Deva apna pana pichkaree apni apni biwi ki choot me chhoD chuke to charon bister par lurakh gaye aur sustane lage. Us samay kisi ko kuchh hosh nahee tha ki kaun kahan leta hua hai sub ke sub ek hi jagah par pare hue the. Jaya apne hathon ke pas jhanton se bhara hua lund ko khara hote hue paya aur bina kuchh samajhe bujhe usko Jagan ka lund samajh kar apne hathon me le kar uske sath khelne lagee. Thori der ke bad jab Devkee takia theekh karne ke liya uthee to dekha ki Jaya apne hathon se Deva ka lund maror rahee hai.
"Oh! Bah re meri chudakkar bahan, tu to bahot jaldee hi sab kuchh seekh gayee. Tere ko mere patee ka lund kaisa lag rahee hai? Aaj teri suhag rat hai aur tune aaj hi mere patee ka lund apne hathon me lekar masalna shuru kar diya?" Devkee Jaya se banawatee gusse me boli. Tab sharma kar Jaya boli,
"didi is lund ko mai apne patee ka lund samajh rahee thee, mere man me aisee koi galat bhavna nahee thee."
"Theekh hai, koi baat nahee. Ab dekhte hai ki tu is lund ko kya kartee hai. Mai tere se mazak kar rahee thee aur koi gussa nahee kar rahee thee" Devkee apne chhoTee bahan se boli. Devkee phir Jaya ki madad kee aur Jaya ko Deva ka lund apne muh me lekar chusne ke liya kaha. Jaya sharam ke mare apni ankhe jhuka kar Deva ka adha khara lund apne muh me bhar liya aur usko chusne lagee.
Deva apne janghon ko aur phaila diya jisse ki Jaya ko lund chusne me asanee ho. Devkee apne ghutne ke bal Jaya ke muh ke pas apna chehera le kar dekhne lagee ki kaise Jaya uske patee ka lund chus rahee hai. Jagan jab dekha ki Devkee apne ghutne ke bal jhukee hai to fauran Devkee ke pichhe ja kar Devkee ki choot me apni unglee pel diya aur unglee ko andar bahar karne laga.
Devkee bhi apni gand hilane lagee. Is'se Jagan ko bahut maza mila aur apna dusree unglee Devkee ki gand me bhar diya aur apna unglee se Devkee ki gand chodne laga. Devkee thori der ke bad Jaya ke saath mil kar Deva ke andon ko sahalane lagee. Dono bahane thori der tak koshish kee par koi faida nahee mila. Devkee tab apni chunchee Deva ke samne kar diya aur Deva un chunchee ko pakar masla aur phir pina shuru kar diya. Apni chunchee chusai se Devkee to garm ho gayee lekin Deva ka lund phir se khara nahee hua.
Jagan ab tak taiyyaar ho gaya tha. Jagan apne ungleon se Devkee ki choot ki hothon ko faila kar usme apna lund dal diya aur Devkee ki chutadon ko pakar kar apna kamar chala kar Devkee ko chodna shuru kar diya. Deva jaise hi dekha ki Jagan ka lund Devkee ki choot ka paani jhar raha hai, wo bahut uttejit ho gaya aur uska lund tan kar khara hone laga. Jaya ko bhi apne muh me Deva ke lund ka khara hone ka ahsas hone laga. Jab Deva ka lund pura khara ho jaya to usko Jaya apne muh se nikal diya aur Deva Jaya ko apne upar utha liya aur bola,
"Salijee ab tum mujhko apni choot se chodo." Jaya ko jaisa bataya gaya usne waise hi kiya. Wo Deva ke upar char kar uske kamar ke pas baith gayee aur uska apne hathon se le kar apni gand utha kar choot se laga diya. Lund ko choot se bhirate hi Jaya us par baith gayee aur apni gand utha utha kar Deva ko chodne lagee. Deva aur Jaya ke bagal me hi Jagan aur Devkee apni chudai chalu rakhe hue the. Devkee is samay gand hila hila kar Jagan ka lund apne andar pilwa rahee thee aur muh se jeev nikal kar haf rahee thee.
Devkee ko apne patee kee chudai ka jor dekh kar bahut tazzub ho raha tha. Devkee soch rahee thee aaj kya baat ho gayee hai aur kaise aaj Deva teen teen bar lund khara karke humaree aur Jaya ki choot ko dhun raha hai. Deva ko Jaya ki choot bahut tight aur kasee kasee lag rahee thee. Deva Jaya ko neeche gira diya aur usko palt kar pichhe se Jaya ki choot me phir se apna lund ghuser diya aur dana dan chodne laga.
Is samay dono bahane agal bagal apne ghutne ke bal jhuk kar apni choot me lund pilwa rahee thee aur pichhe se unki chutar pakar kar Jagan aur Deva unko pel raha tha. Dono bahane ek dusre ko dekh kar muskura rahee thee aur apni apni kamar hila kar har dhakke ka jawab de rahee thee. Deva apni ankh band karke bas Jaya ko chod raha tha aur phir ek jor dar jhatke ke sath apna pani Jaya ki choot ke andar chhoD diya jisse Jaya ki choot phir se bhar gayee. Thori der ke baad Deva Jaya se bola,
"Bhai Jaya sorry, mai bahut jaldee jhar gaya. Lekin mai majboor tha." Jaya Deva se boli,
"nahee bhai sahab, isme sorry ki koi baat hi nahee hai. Mujhko aapse apni choot chudwa kar bahut maja mila. Jab bhi aap ko meri choot chodne ki ichha ho mujhse jaroor kahiega, mai humesha apke lund ka intejaar karongee." Dono jija aur Sali ek dusre ke bahon par let gaye aur Jagan aur Devkee ki chudai dekhte rahe. Thori der ke bad ve bhi jhar gaye aur bister par dher ho gaye. Charon ab chudai karte karte bahut thak chuke aur apas me baat karte karte so gaye.
Is taraf se un char logon ki chudai bhari jindagee chalne lagee. Jagan aur Deva ko pata lag chukka tha ki dono bahane Devkee aur Jaya bahut hi chudasee aurat hai aur yah dono bahane kabhi bhi Jagan aur Deva se apni choot chodne ke liye kaha saktee hai. yah to bahut acchhe baat thee ki in logon ka ghar gaon ke bilkul kinare par tha nahee to koi bhi in char logon ko kabhi bhi ek saath samuhik chudai karte dekh lete. Deva ki pareshanee abhi bhi waheen thee.
Deva ka lund tabhi khara hota jab wo Jagan ko ya to Devkee ke sath ya Jaya ke sath chudai karte dekhta tha. Jab bhi Deva ka lund khara ho jata tha to jo koi bhi bahan khalee rahtee unki choot me apna lund dal uski chudai shuru kar deta. Dono bahono me bhi is baat ka koi farak nahee parta tha ki kaun unko chod raha hai, unko to bas apnee humesha bhokhee choot ke liye khara lund ki jaroorat thee, Chahe wo lund Jagan ka ho ya Deva ho, kya fark parta, unki choot to lund khatee.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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