गाओं की मस्ती पार्ट--1
जगन शहर से आते वक़्त सदा की भांती देवकी के आम के बगीचे से होकर गुजरा. आज हरिया की झोंपड़ी बंद थी और वहाँ कोई नहीं था. हाँ देवकी का आम का बगीचा, यही नाम मश'हूर हो गया था. देवकी के बाप का यह बगीचा था पर जब देवकी का व्याह देव से हुआ तो उसके बाप ने यह बगीचा देवकी के नाम कर दिया और तब से यह नाम मश'हूर हो गया.
लोग कह'ते देवकी का बगीचा बड़ा प्यारा है बड़ा ही मस्त है. आम के सीज़न में लोग बातें करते देवकी के आम तो बड़े मीठे हैं, बड़े बड़े हैं, पूरे पक गये हैं. लेकिन ऐसी बातें लोग आपस में ही करते और एक दूसरे को देख हंसते. बातें बगीचे और आमों की होती, निशाना कहीं और होता.
जगन थोड़ा सुसताने के लिए झोंपड़ी के पास एक आम के पेड की छान्व में बने चबूतरे पर बैठ गया. वह देवकी के बारे में सोचने लगा:-
देवकी जब बीस साल की थी तब उसकी शादी देव से आज से 4 साल पहले हुई थी. शुरू शुरू मे उसकी सुहागन की जिंदगी और उसकी चूत की चुदाई ठीक ठाक चल रहा था. देव उसकी चूत को हर रोज सुबह और रात को खूब जम कर चोद्ता था और इस'से देवकी को चूत भी संतुष्ट थी. लेकिन कुच्छ सालों के बाद देव कमजोर पड़ने लगा और ठीक से देवकी की चूत को चोद नही पाता. घंटों उसका लंड चूसने पर खड़ा होता था और चूत में डाल'ने के कुच्छ समय बाद ही पानी छ्चोड़ देता था. इस'से देवकी की चूत भूखी रह जाती थी और हमेशा लंड की ठोकर मांगती थी. वो देव के सामने अपनी चूत मे उंगली डाल कर अपनी चूत को शांत करने का नाटक करती थी. देवकी अप'नी जवानी को ऐसे ही बर्बाद नही करना चाहती थी और वो अपनी चूत एक मोटा और लंबा लंड से चुदवाने के लिए तरसती थी.
कुच्छ दीनो तक तो देवकी चुप चाप थी पर उसकी चूत उसे शांत नही रहने देती और एक दिन वो हरिया से मिली. शुरू शुरू मे तो देवकी नही चाहती थी कि वो हरिया के सामने अपनी साड़ी उठाए और उस'से अपनी चूत चुड़वाए, लेकिन देवकी अब बिना चूत मे लंड लिए जी नही सकती थी और इस लिए देवकी हरिया से अपनी चूत चुदवाना शुरू कर दिया और ये बात देव से छुप रखी थी.
देवकी को हरिया से चुदवाना धीरे धीरे पसंद आने लगा और उसके मन मे इस'से कोई ग्लानी नही थी क्योंकि उसके मा और बाप यही करते थे. देवकी के मा बाप अपने एक छ्होटे भाई (बाप का भाई) के साथ रहते थे. अपनी छोटी उमर से ही देवकी और उसकी छ्होटी बहन जया यह जानती थी कि उनकी मा अपने देवर और अपने पति से अपनी चूत मरवाती है. दोनो बहने रोज दोपहर को जब उनके पिताजी खेत पर काम रहे होते, अपने चाचा को मा के बेडरूम मे जाते देखती थी. जब दोनो बहाने कुच्छ बड़ी हुई और समझदार हुई तो उन्होने दरवाजे की झीरी से अंदर झाँकने का सोच लिया. जब वो बहने अंदर झाँकी तो उनको पहली बार यह मालूम हुआ की अंदर क्या चल रहा है.
अंदर उनकी मा और चाचा दोनो नंगे थे और चाचा उनकी मा के उप्पेर उल्टे लेट कर अपना चूतर उपर नीचे कर रहे थे. बाद मे उनको मालूम परा कि वो जो कुच्छ भी देखी थी वो मा और चाचा की चुदाई थी. कभी वो देखती थी कि उनकी मा चाचा का लंड अपने मूह मे ले कर चूस रही है. एह देख कर उन बहनो को बहुत मज़ा आता था. कभी कभी वे देखती की चाचा उनकी मा की चूत को चोदने से पहले अपनी जीव से चट रहा है और अपने होठों मे भर कर चूस रहा है. रात को वो बहने अपनी मा की चूत की चुदाई अपने बाप के लंड से होते देखा करती थी. कभी कभी उनकी मा अपना पति से चुदवा ने के बाद अपनी चूत को धो कर उनके चाचा के कमरे मे चली जाया करती थी और फिर वो दोनो फिर से चुदाई करने लगते थे. चुदाई के बाद उनकी मा फिर से अपनी चूत धो कर उनके पिताजी के पास जा कर सो जाया करती थी.
उन बहनो को अपनी मा, पिताजी और चाचा की चुदाई देख देख कर काफ़ी कुच्छ जानकारी हो गयी थी और कुच्छ दीनो के बाद वो एक दूसरे से खेलने लगी थी. वो अप'ने कंबल के नीचे एक दोसरे की चूंची और चूत से खेला करती थी. वो एक दूसरे की चूत को चटा और चूसा भी करती थी और इस'से उनको बहुत मज़ा मिलता था. लेकिन एक दिन उनकी मा ने उनको ये सब करते देख लिया और उनको सेक्स के बारे मे सब कुच्छ समझा दिया.
उनकी मा ने बताया कि जब वो छ्होटी थी तो वो बहुत चुद्दकर थी. अपनी शादी के बाद से ही उनके ससुरजी बता दिए थे की उनका आदमी चुदाई मे कमजोर है और इसलिए वो अपने देवर से अपनी चूत चुदवा सकती है. इसमे कोई पाप नहीं है क्योंकी उनके पति का लंड कमजोर है और उनकी चूत की गर्मी को पूरी तरह से शांत नही कर सकता है.
"मुझे इस बात पर खुशी है कि तुम दोनो भी हमारे रास्ते पर चल रही हो.मुझको तुम्हारे लिए कोई अक्च्छा सा तगड़ा सा पति ढूँढना परेगा. लेकिन फिलहाल तुम दोनो को अपने आप को शांत करना परेगा. अब से मैं तुम दोनो को मेरी चूत की चुदाई देखने ले लिए अपना दरवाजा थोरा सा खुला रखूँगी. तुम दोनो खुल कर मेरी चूत की चुदाई देख सकती हो और हर काम ठीक से समझ सकती हो," उनकी मा उनसे बोली.
उस दिन के बाद से वो बहने बिना झिझक और डर के खुल्लम खुल्ला अपनी मा की चूत की चुदाई देखा करती थी. उनके मा और पिताजी अपने कमरे मे ऐसे एक दूसरे को चोद्ते थे जैसे कि वो चुदाई का नुमाइश लगा रखा है. अक्सर वो अपने कमरे की लाइट बिना बुझाए ही चुदाई करते थे. दोनो बहने अपनी मा और पिताजी की चुदाई देख देख कर एक दूसरे की चूत मे उंगली डाल कर एक दूसरे की चूत को उंगलेओं से चोदा करती थी और अपनी अपनी मस्ती झारा करती थी. उनके चाचा बहुत चुदक्कर थे और वो उनकी मा को कई तरह से, आगे से पिछे से, अपने गोद मे बैठा कर, लेट कर कुतिया बना कर चोद्ते थे और उनकी चुदाई काफ़ी लूंबे समय तक चलती थी.
उनकी मा अपने देवर से अपनी चूत चुद्वते वक़्त तरह तरह की आवाज़ निकालती थी और बहुत बर्बरती थे. उनकी मा की चूत मे जैसे ही उनके चाचा का लंड घुसता था तो उनकी मा अपने दोनो हाथ और पैरों से अपने देवर को बाँध कर अपनी चूतर उच्छाल उच्छाल कर चूत मे लंड पिलवाती थी, और उनका चाचा उनकी मा की चूंची को पकड़ चूस्ता और अपना चूतर उठा उठा कर अपनी भाभी की चूत मे लंड पेलता था. जब उनका चाचा झार कर अपने वीर्या से उनकी चूत को भर देता था तो उनकी मा भी झार कर शांत हो जाया करती थी. देवकी अपने मन ही मन मे एह जान चुकी थी कि एक औरत एक छोड कई आदमी के लंड से अपनी चूत चुदवा सकती है.
अचानक जगन की तंद्रा टूटी और उसकी आँखों के साम'ने पिच्छले कुच्छ महीनों के सीन एक चलचित्रा की तरह घूम'ने लगे........... आज से 6 महीने पह'ले की बात है जब जगन एक 24 साल का एक गठीले बदन का नौजवान जो बीए करके पिच्छ'ले साल ही शहर से गाओं में वापस आया है. गाओं में आते ही ग्राम पंचायत के ऑफीस में उस'की अच्छी नौकरी लग गयी. एक तो पढ़ा लिखा ऊपर से बात व्यवहार का मीठा, सो जल्द ही गाओं में रुत'बे का आद'मी बन गया. जगन की शादी अभी नही हुई थी और इसी लिए वो गाओं की औरत और लड़कियो को घूर घूर कर देखता था. गाओं के कुँवारी लरकियाँ भी जगन को छुप छुप कर देखती थी क्योंकि वो एक तो अभी कुँवारा था और दूसरी तरफ उसका गाओं मे काफ़ी रुतबा था.
जगन इस बात से वाकिफ़ था और बारे इतमीनान से अपने लिए सुन्दर लड़की की तलाश मे था. जगन को नौकरी से काफ़ी आमदनी हो जाती थी और इसलिए उसको पैसे की कोई कमी नही थी. एक दिन जगन को सहर से सरकारी काम ख़तम करके लौट रहा था. वो जब अपने गाओं मे बस से उतरा तो उस समय दुपहर के करीब 1.00 बजा था. ऊन्दिनो गर्मी बहुत पड़ रही थी और मे का महीना था. उस वक़्त कोई भी आदमी अपने घर के बाहर नही रुकता था. इसलिए उस दोपहर के समय सरक काफ़ी सुनसान था और जगन को कोई सवारी गाओं तक मिलने की आशा नही थी. जगन बहादुरी के साथ आप'ने गाओं, जो कि करीब दो काइलामीटर दूर था, पैदल ही चल पड़ा.
वो काफ़ी ज़ोर-ज़ोर से चल रहा था जिससे कि जल्दी से वो अपने घर को पहुँच जाए. जगन चलते चलते गाओं के किनारे तक पहुँच गया. गाओं के किनारे देवकी का आम का बगीचा था जिसके चारों और एक छोटी सी खाई थी. जगन सोचा कि अगर आम के बगीचा के अनदर से जाया जाए तो थोरी से दूरी कम होगी और धूप से भी बचा जा सकेगा. एह सोच कर जगन ने एक छलान्ग से खाई पार की और आम के बगीचे की एक पग डंडी पर चल पड़ा. वो अभी थोरी दूर ही चला होगा कि सामने बगीचा का रखवाला, हरिया, की झोंपरी तक पहुँच गया. उस'ने सोचा कि वो हरिया के घर थोरी देर आराम कर पानी और छछ पी कर अपने घर जाएगा. जगन सोचा रहा था कि वो पहले नहर मे नहाएगा और पानी पिएगा. जगन जैसे ही हरिया की झोपरी के पास पहुँचा तो उसे बर्तन गिरने की आवाज़ सुनने मे आई.
"अरे , साव'धानी बरत, मेरे बर्तनो को मत तोड़," हरिया की आवाज़ सुनाई दिया.
"मॅफ करना हरिया, बर्तन मेरे हाथ से फिसल गया," एक औरत की आवाज़ सुनाई दिया. एह तो बरी अजीब बात है, जगन. सोचा क्यूंकी हरिया की पत्नी का देहांत कई साल पहले हो चूक्का था. अब एह औरत कॉन हो सकती है? जगन सोचने लगा. जगन बहुत उत्सुक हो गया कि एह औरत हरिया के घर मे कौन आई है. वो धीरे धीरे दबे पावं हरिया के घर की तरफ चल परा. वो एक आम के छोटे से पेड़ के पिछे जा कर खरा हो गया और वहाँ से हरिया के घर मे झाँकने लगा. उसने देखा कि हरिया अपने घर मे एक चबूतरे मे बैठ कर अपने आप को पंखा हांक रहा है.
"ओह! कितनी गर्मी है" एह कहते हुए एक औरत अंदर से बाहर आई. जगन उसको देख कर चौंक उठा. वो जगन का खास दोस्त, देव की पत्नी थी और उसका नाम देवकी था. जगन उनके घर कई बार जा चुक्का था. देवकी एक बहुत ही सुंदर और एक सरीफ़ औरत है. देवकी इस समय सिर्फ़ एक सारी पहन रखी थी और उसके साथ ब्लाउस नही पहन रखी थी और अपनी छाती अपने पल्लू से दाख रखी थी. पल्लू के उप्पेर से देवकी की चूंची साफ साफ दिख रही थी, क्योंकी सारी बहुत ही महीन थी. देवकी हरिया के पास आकर बैठ गयी. देवकी चबूतरे के किनारे पर बैठी थी, उसकी एक टांग चबूतरे के नीचे लटक रही थी और एक टांग उसने अपने नीचे मोर रखी थी. इस तरफ बैठने से उसकी सारी काफ़ी उप्पेर उठ चुकी थी और उसकी एक चूतर साफ साफ दिख रही थी.
"मेरे गोदी मे लेट जाओ हरिया, मैं तुम्हे पंखा से हवा कर देती हूँ. कम से कम आम के पेर के नीचे थोरी बहुत ठंडा है" देवकी बोली.
"इस तरह की गर्मी कई साल के बाद परा है," हरिया कहा और देवकी की गोदी मे अपना सर रख कर लेट गया, जैसे ही देवकी पंखा झलने लगी तो हरिया उप्पेर की तरफ देखा तो देवकी की चूंची अपने चहेरे के उप्पेर पाया. हरिया अपने आप को रोक नही पाया और सारी के उप्पेर से ही वो देवकी की चूंची को धीरे धीरे दबाने लगा.
"देव बहुत किस्मत वाला है, उसे हर रोज इन सुंदर चूंची से खेलने के लिए मिलता है. देव इतनी सुंदर औरत को हर रात चोद्ता है," हरिया बोला रहा था और देवकी की चूंची को धीरे धीरे दबा रहा था.
"तुम अपने आप को और मुझको परेशान मत करो, तुम अच्छी तरफ से जानते हो कि मुझको कितनी देर तक उसका लंड चूस चूस कर खरा करना परता है. फिर उसके बाद वो दो चार धक्के मार कर झार जाता है. अगर वो मुझको अच्छी तरह से चोद पाता तो क्या मैं तुम्हारे पास कभी आती? खैर अब मुझको कोई परेशानी नही है और ना मुझको कोई शिकायत है." इतना कह कर देवकी झुक कर हरिया की धोती के उप्पेर से उसका आधा खरा लंड के उपर हाथसे मसलने लगा और दूसरी चूची को मुँह से चूसने लगा और बाँयी चूंची को मसल्ने लगा.
जगन फटी फटी आँखो से देखने लगा कि देवकी की चूंची मीडियम साइज़ के पपीते के बराबर खरी खरी थी. हरिया अपने दोनो हाथों से देवकी की चूंची को संभाल नही पा रहा था. जगन जब जब देव के घर जाया करता था तब वो देवकी की चूंची को अपनी कन्खेओ से देखा करता था. लेकिन जगन को यह उम्मीद नही थी कि देवकी की चूंची इतनी बरी बरी और सुंदर होगी. देवकी अपने हाथों से हरिया की धोती उतार कर उसका लॉरा बाहर निकाल लिया. फिर उसको अपने होठों मे लेकर धीरे धीरे सहलाने लगी और फिर हरिया के उपर उल्टी लेट कर (69 पोज़िशन) हरिया का लॉरा अपने मूह मे ले लिया.
हरिया तब देवकी की सारी उसके चूतर तक उठा दिया और उसकी झांतों भरी चूत को पूरी तरह से नंगी कर दिया. देवकी की गोरी गोरी जंघे बहुत सुडोल और सुंदर थी और उसके चूतर भी गोल गोल थे. हरिया अब देवकी की चूत की फांको को अपने हाथों से फैला कर उसकी चूत को चाटने लगा. जगन जहाँ खरा था उसको सब कुच्छ साफ साफ दिख रहा था. उसका लंड अब खरा हो चुक्का था, उसने अपने पैंट की ज़िप खोल कर अपना 10" का तननाया हुआ लॉरा बाहर निकाल कर अपने हाथों से सहलाने लगा. जगन देखा कि देवकी की चूत पेर से झांतो का चादर हटाने से चूत के अंदर का लाल लाल हिस्सा साफ साफ दिख रहा था. हरिया अपना जीव निकाल कर के उसकी चूत पर फिराने लगा. देवकी अपनी चूत पर हरिया का जीव पड़ते ही धीमे धीमे आवाज़ निकालने लगी. देवकी अपनी चूत हरिया के मुँह पर रगर्ने लगी और वो हरिया का लॉरा इतने ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी कि जगन को बाहर से उसकी आवाज़ सुनाई देने लगी.
उन्होंने अपनी पोज़िशन बदल लिया और अब हरिया के उप्पेर देवकी पूरी मस्ती से बैठी थी और अपनी चूत हरिया से चुस्वा रही थी. इस समय देवकी की चूंची बहुत ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी और उन चूंची को हरिया अपने दोनो हाथो से पकड़ कर मसल रहा था. इस समय देवकी अपने मूह से तरह तरह की आवाज़ निकल रही थी. जगन एह सब देख कर अपने हाथों से अपना लॉरा ज़ोर ज़ोर से मलने लगा. एका एक देवकी चबूतरे से नीचे उतरी. नीचे उतेर्ते ही उसकी सारी जो की अबतक ढीली पड़ चुकी थी देवकी के बदन से फिसल कर नीचे गिर पड़ी और वो पूरी तरह से नंगी हो गयी. जगन अब देवकी की गोल गोल चूतर साफ साफ देख रहा था और उनको पकर कर मसल्ने के लिए बेताब हो रहा था. अब देवकी चबूतरे को हाथों से पकर कर झुक कर खरी हो गयी और अपने पैर फैला दिया.
हरिया तब देवकी के पिछे जा कर अपना मूसल जैसा खरा लंड देवकी की चूत मे घुसेर दिया और ज़ोर ज़ोर से देवकी को पिछे से चोदने लगा. इस समय हरिया और देवकी दो नो ही गर्मी खा चुके थे और दोनो एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे. जगन भी एह सब देख कर ज़ोर ज़ोर अपने हाथों से मूठ मारने लगा. जल्दी ही उस का पानी निकल परा और उधर हरिया और देवकी दोनो एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे और बाड़ बड़ा रहे थे. जगन अब अपने छुप्ने की जगह से निकल कर चुप चाप दूसरे रास्ते से अपने घर की तरफ चल परा और उधर हरिया और देवकी दोनो झार चुके थे.
क्रमशः.....................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
गाओं की मस्ती पार्ट--1
गाओं की मस्ती पार्ट--2
गाओं की मस्ती पार्ट--3
गाओं की मस्ती पार्ट--4
गाओं की मस्ती पार्ट--5
गाओं की मस्ती पार्ट--6
गाओं की मस्ती पार्ट--7
गाओं की मस्ती पार्ट--8
गाओं की मस्ती पार्ट--9
गाओं की मस्ती पार्ट--10
GAON KEE MASTEE paart--1
Jagan shahar se aate waqt sada kee bhaantee Devkee ke aam ke bagiche se hokar gujra. aaj haria kee jhompdee band thee aur vahan koee naheen tha. Han devkee ka aam ka bagicha, yahee naam mash'hoor ho gaya tha. Devkee ke baap ka yah bagicha tha par jab devkee ka vyaah deva se hua to uske baap ne yah bagicha devkee ke naam kar diya aur tab se yah naam mash'hoor ho gaya.
log kah'te devkee ka bagicha bada pyaara hai bada hee mast hai. aam ke season men log baaten karte Devkee ke aam to bade mithe hain, bade bade hain, poore pak gaye hain. Lekin aisee baten log aapas men hee karte aur ek doosre ko dekh hanste. Baaten bagiche aur aamon kee hotee, nishaana kaheen aur hota.
Jagan thoda sustaane ke liye jhompdee ke paas ek aam ke peR kee chhanv men bane chabootre par baith gaya. Vah Devkee ke baare men sochne laga:-
Devkee jab bees sal ki thee tab uski shadi Deva se aaj se 4 saal pahale huyee thee. Shuru shuru me uski suhagan ki jindagee aur uski choot ki chudai thik thak chal raha tha. Deva uski choot ko har roj subah aur rat ko khub jam kar chodta tha aur is'se Devkee ko choot bhi santushta thee. Lekin kuchh salon ke baad Deva kamjor parne laga aur theek se Devkee ki choot ko chod nahee pata. Ghanton uska lund chusne par khara hota tha aur choot men daal'ne ke kuchh samay baad hee paanee chhod deta tha. Is'se Devkee ki choot bhukhee raha jatee thee aur hamesha lund ki thokar mangtee thee. Wo Deva ke samne apni choot me unglee dal kar apna choot ko shant karne ka natak kartee thee. Devkee ap'nee jawani ko aise hi barbad nahee karna chahatee thee aur wo apne choot ek mota aur lumba lund se chudwane ke liye tarastee thee.
kuchh dino tak to Devkee chup chap thee par uski choot osse shant nahee rahane di aur ek din wo Haria se mili. Shuru shuru me to Devkee nahee chahatee thee ki wo Haria ke samne apni saree uthaye aur us'se apni choot chudwae, lekin Devkee ab bina choot me lund liye jee nahee saktee thee aur is liye Devkee Haria se apni choot chudwana shuru kar diya aur ye baat Deva se chhupa rakhhee.
Devkee ko Haria se chudwana dhire dhire pasand aane laga aur uske man me is'se koi glanee nahee thee kyonki uske maa aur bap yahee karte the. Devkee ke maa bap apne ek chhote bhai (bap ka bhai) ke sath rahate the. Apnee chhoTee umar se hi Devkee aur uski chhotee bahan Jaya yeh jantee thee ki unki maa apne dewar aur apne pati se apni choot marwatee hai. Dono bahane roj dopahar ko Jab unke pitajee khet par kam rahe hote, apne chacha ko ma ke bedroom me jate dekhtee thee. Jab dono bahane kuchh baree huee aur samajhdar huee to unhone darwaje ki jheeri se andar jhankne ka soch liya. Jab wo bahane andar jhankee to unko pahalee bar eh malum hua ki andar kya chal raha hai.
Andar unkee ma aur chacha dono nange the aur chacha unki maa ke upper ulte let kar apna chutar upar neeche kar rahe the. Baad me unko malum para ki wo jo kuchh bhi dekhee thee wo ma aur chacha ki chudai thee. Kabhi wo dekhtee thee ki unki ma chacha ka lund apne muh me le kar chus rahee hai. Eh dekh kar un bahano ko bahut maza aata tha. Kabhi kabhi ve dekhtee ki chacha unki maa ki choot ko chodne se pahale apnee jeev se chat raha hai aur apne hothon me bhar kar chus raha hai. Rat ko wo bahane apnee maa ki choot ki chudai apne bap ke lund se hote dekha kartee thee. Kabhee kabhee unki maa apna pati se chudwa ne ke bad apni choot ko dho kar unke chacha ke kamare me chalee jaya kartee thee aur phir we dono phir se chudai karne lagte the. Chudai ke bad unki maa phir se apni choot dho kar unke pitajee ke pas ja kar so jaya kartee thee.
Un bahano ko apni ma, pitajee aur chacha ki chudai dekh dekh kar kaaphee kuchh jankaaree ho gayee thee aur kuchh dino ke bad we ek dusre se khelne lagee thee. Wo ap'ne kambal ke neeche ek dosre ki chunchee aur choot se khela kartee thee. We ek dusre ki choot ko chata aur chusa bhi kartee thee aur is'se unko bahut maza milta tha. Lekin ek din unki maa ne unko eh sab karte dekh liya aur unko sex ke bare me sab kuchh samjha diya.
Unki maa ne bataya ki jab wo chhotee thee to wo bahut chuddakar thee. Apni shadi ke bad se hi unke sasurjee bata diye the ki unka admi chudai me kamjor hai aur isliye wo apne dewar se apni choot chudwa saktee hai. Isme koi pap naheen hai kyonkee unke pati ka lund kamjoor hai aur unki choot ki garmee ko puri tarah se shant nahee kar sakta hai.
"Mujhe is baat par khushee hai ki tum dono bhi humare raste par chal rahee ho.Mujhko tumhare liye koi acchha sa tagra sa pati dhurna parega. Lekin philhaal tum dono ko apne aap ko shant karna parega. Ab se mai tum dono ko meri choot ki chudai dekhne le liye apna darwaja thora sa khula rakhungee. Tum dono khul kar meri choot ki chudai dekh saktee ho aur har kam theek se samajh saktee ho," unki maa unse boli.
Us din ke baad se wo bahane bina jhijhak aur dar ke khullam khulla apnee maa ki choot ki chudai dekha kartee thee. Unke maa aur pitajee apne kamare me aise ek dusre ko chodte the jaise ki wo chudai ka numaish laga rakha hai. Aksar wo apne kamare ki light bina bujhaye hi chudai karte the. Dono bahane apni maa aur pitajee ki chudai dekh dekh kar ek dusre ki choot me unglee dal kar ek dusre ki choot ko ungleon se choda kartee thee aur apni apni mastee jhaara kartee thee. Unke chacha bahut chudakkar the aur wo unki maa ko kai tarah se, aage se pichhe se, apne god me baitha kar, let kar kutia bana kar chodte the aur unki chudai kafi lumbe samay tak chaltee thee.
Unki maa apne dewar se apni choot chudwate waqt tarah tarah ki awaj nikaltee thee aur bahut barbaratee the. Unki maa ki choot me jaise hi unke chacha ka lund ghusta tha to unki maa apne dono hath aur pairon se apne dewar ko bandh kar apni chutar uchhaal uchhaal kar choot me lund pilwatee thee, aur unka chacha unki maa ki chunchee ko pakar chusta aur apna chutar utha utha kar apnee bhabhi ki choot me lund pelta tha. Jab unka chacha jhar kar apne virya se unki choo ko bhar deta tha to unki maa bhi jhar kar shant ho jaya kartee thee. Devkee apne man hi man me eh jan chuki thee ki ek aurat ek chhoD kai admi ke lund se apni choot chudwa shaktee hai.
Achaanak Jagan kee tandra TooTee aur uskee aankhon ke saam'ne pichhle kuchh mahinon ke scene ek chalchitra kee tarah ghoom'ne lage........... Aaj se 6 mahine pah'le kee baat hai jab Jagan ek 24 saal ka ek gaTheele badan ka naujavaan jo BA karke pichh'le saal hee shahar se gaon men vaapas aaya hai. gaon men aate hee gram panchaayat ke office men us'kee achchhee naukaree lag gayee. ek to padha likha oopar se baat vyavahaar ka miTha, so jald hee gaon men rut'be kaa aad'mee ban gaya. Jagan ki shadee abhi nahee huee thee aur isi liye wo gaon ki aurat aur larkeon ko ghur ghur kar dekhta tha. Gaon ke kumwari larkian bhi Jagan ko chhup chhup kar dekhtee thee kyonki wo ek to abhi kunvaara tha aur dusree taraf uska gaon me kafi rutba tha.
Jagan is baat se wakif tha aur bare itminan se apne liye sunder larkee ki talash me tha. Jagan ko naukare se kafi amdani ho jatee thee aur isliye usko paise ki koi kami nahe thee. Ek din Jagan ko sahar se sarkari kam khatam karke laut raha tha. Wo jab apne gaon me bus se utra to us samay dupahar ke kareeb 1.00 baja tha. Undino garmee bahut par rahee thee aur May ka mahina tha. Us waqt koi bhi admi apne ghar ke bahar nahee rukta tha. Isliye us dopahar ke samay sarak kafee sunsan tha aur Jagan ko koi sawari gaon tak milne ki asaha nahee thee. Jagan bahaduri ke sath ap'ne gaon, jo ki kareeb do kilometer dur tha, paidal hi chal para.
Wo kafee jor-jor se chal raha tha jisse ki jaldi se wo apne ghar ko pahunch jaye. Jagan chalte chalte gaon ke kinare tak pahunch gaya. Gaon ke kinare Devkee ka aam ka bagicha tha jiske chaaron aur ek chhoTee see khaaee thee. Jagan socha ki agar aam ke bagicha ke anadar se jaya jaye to thori se duree kam hogee aur dhoop se bhi bacha ja sakega. Eh soch kar Jagan ne ek chhalaang se khaaee paar kee aur aam ke bagiche kee ek pag dandee par chal pada. Wo abhi thori dur hi chala hoga ki samne bagicha ka rakhwala, Haria, ki jhompree tak pahunch gaya. Us'ne socha ki wo Haria ke ghar thori der aram kar pani aur chhachh pee kar apne ghar jayega. Jagan socha raha tha ki wo pahale nahar me nahayega aur pani piyega. Jagan jaise hi Haria kee jhopree ke pass pahuncha to use bartan girne ki awaj sunne me ayee.
"Are , saav'dhaanee barat, mere bartano ko mat tor," Haria ki awaj sunai diya.
"Maff karana Haria, bartan mere hath se phisal gaya," ek aurat ki awaj sunaee diya. Eh to baree ajeeb baat hai, Jagan. socha kyunkee Haria ki patnee ka dehant kai sal pahale ho chukka tha. Ab eh aurat kaon ho saktee hai? Jagan sochne laga. Jagan bahut utsuk ho gaya ki eh aurat Haria ke ghar me kaun ayee hai. Wo dhire dhire dabe paon Haria ke ghar ki taraf chal para. Wo ek aam ke chote se per ke pichhe ja kar khara ho gaya aur wahan se Haria ke ghar me jhankne laga. Usene dekha ki Haria apne ghar me ek chabutre me baith kar apne aap ko pankha hank raha hai.
"Oh! Kitni garme hai" eh kahate hue ek aurat andar se bahar aaee. Jagan usko dekh kar chaunk utha. Wo Jagan ka khas dost, Deva ki patnee thee aur uska nam Devkee tha. Jagan unke ghr kai bar ja chukka tha. Devkee ek bahut hi sundar aur ek sareef aurat hai. Devkee is samay sirf ek saree pahan rakhee thee aur uske sath blouse nahee pahan rakhee thee aur apni chhaatee apne pallu se dakh rakhee thee. Pallu ke upper se Devkee ki chunchee saf saf dikh rahee thee, kyonkee saree bahut hi maheen thee. Devkee Haria ke pas akar baith gayee. Devkee chabutare ke kinare par baithee thee, uski ek tang chabutare ke neeche latak rahee thee aur ek tang usne apne neeche mor rakhee thee. Is taraf baithne se uski saree kafee upper uth chuki thee aur uski ek chutar saf saf dikh rahe thee.
"Mere godi me let jao Haria, mai tumhe pankha se hawa kar detee hun. Kam se kam aam ke per ke neeche thoree bahut thanda hai" Devkee boli.
"Is tarah ki garmee kai sal ke bad para hai," Haria kaha aur Devkee ki godi me apna sar rakh kar let gaya, Jaise hi Devkee pankha jhalne lagee to Haria upper ki taraf dekha to Devkee ki chunchee apne chehere ke upper paya. Haria apne aap ko rok nahee paya aur saree ke upper se hi wo Devkee ki chunchee ko dhire dhire dabane laga.
"Deva bahut kismat wala hai, use har roj in sundar chunchee se khelne ke liye milta hai. Deva itni sundar aurat ko har rat chodta hai," Haria bola raha tha aur Devkee ki chunchee ko dhire dhire daba raha tha.
"Tum apne aap ko aur mujhko pareshan mat karo, tum achhi taraf se jante ho ki mujhko kitni der tak uska lund chus chus kar khara karna parta hai. Phir uske bad wo do char dhakke mar kar jhar jata hai. Agar wo mujhko acchi tarah se chod pata to kya mai tumhare pas kabhi aatee? Khair ab mujhko koi pareshanee nahee hai aur na mujhko koi shikait hai." Itna kaha kar Devkee jhuk kar Haria ki dhoti ke upper se uska adha khara lund ke upar hath masalne lagee. Aisa karne se Devkee ki chunchee ab Haria ke munh ke sath ragar khane lagee Haria jaldee se Devkee ki patlee saree ki pallu hata kar uski chunchee ko apne hathon me lekar unse khelne laga. Phir Haria Devkee ki danya chunchee apne munh le cusne laga aur banyee chunchee ko masalne laga.
Jagan phatee phatee ankho se dekhne laga ki Devkee ki chunchee medium size ke papite ke barabar kharee kharee thee. Haria apne dono hathon se Devkee ki chunchee ko sambhal nahee pa raha tha. Jagan jab jab Deva ke ghar jaya karta tha tab wo Devkee ki chunchee ko apnee kankheon se dekha karta tha. Lekin Jagan ko yeh ummid nahee thee ki Devkee ki chunchee itni bari bari aur sundar hogi. Devkee apne hathon se Haria ki dhoti utar kar uska laura bahar nikal liya. Phir usko apne hothon me lekar dhire dhire sahalane lagee aur phir Haria ke upar ulti let kar (69 position) Haria ka laura apne muh me le liya.
Haria tab Devkee ki saree uske chutar tak utha diya aur uski jhanton bharee choot ko puri tarah se nangee kar diya. Devkee ki gori gori janghe bahut sudol aur sundar thee aur uske chutar bhi gol gol the. Haria ab Devkee ki choot ki phanko ko apne hathon se phaila kar uski choot ko chatne laga. Jagan jahan khara tha usko sab kuchh saf saf dikh raha tha. uska lund ab khara ho chukka tha, usne apne paint ki zip khol kar apna 10" ka tannaya hua laura bahar nikal kar apne hathon se sahalaane laga. Jagan dekha ki Devkee ki choot per se jhanto ka chaadar hatane se choot ke andar ka lal lal hissa saf saf dikh raha tha. Haria apna jeev nikal kar ke uskee choot par phirane laga. Devkee apni choot par Haria ka jeev parte hi dhime dhime awaj nikalne lagee. Devkee apni choot Haria ke munh par ragarne lagee aur wo Haria ka laura itne jor jor se chusne lagee ki Jagan ko bahar se uski awaj sunaee dene lagee.
Unhonne apni position badal liya aur ab Haria ke upper Devkee puree mastee se baithee thee aur apni choot Haria se chuswa rahee thee. Is samay Devkee ki chunchee bahut jor jor se hil rahee thee aur un chunchee ko Haria apne dono hatho se pakar kar masal raha tha. Is samay Devkee apne muh se tarah tarah ki awaj nikal rahee thee. Jagan eh sab dekh kar apne hathon se apna laura jor jor se malne laga. Eka ek Devkee chabutare se neche uter paree. Neeche uterte hi uski saree jo ki abtak dheele par chukee the Devkee ke badan se phisal kar neeche gir paree aur wo puree tarah se nangee ho gayee. Jagan ab Devkee ki gol gol chutar saf saf dekh raha tha aur unko pakar kar masalne ke liye betab ho raha tha. Ab Devkee chabutare ko hathon se pakar kar jhuk kar kharee ho gayee aur apne pair faila diya.
Haria tab Devkee ke pichhe ja kar apna musal jaisa khara lund Devkee ki choot me ghuser diya aur jor jor se Devkee ko pichhe se chodne laga. Is samay Haria aur Devkee do no hi garmee kha chuke the aur dono ek dusre ko jor jor se chod rahe the. Jagan bhi eh sab dekh kar jor jor apne hathon se muth marne laga. Jaldee hi us ka pani nikal para aur udahar Haria aur Devkee dono ek dusre ko jor jor se chod rahe the aur bar bara rahe the. Jagan ab apne chhupne ki jagah se nikal kar chup chap dusre raste se apne ghar ki taraf chal para aur udahar Haria aur Devkee dono jhar chuke the.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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