raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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रद्दी वाला पार्ट--1
हेलो दोस्तो मैं यानी आपक दोस्त राज शर्मा एक ऑर कहानी रद्दी वाला लेकर हाजिर हूँ . दोस्तो यह कहानी है साक्शेणा परिवार की.इस परिवार के मुखिया, सुदर्शन साक्शेणा, 45 वर्ष के आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक है.आज से 20 साल पहले उनका विवाह ज्वाला से हुवा था. ज्वाला जैसा नाम वैसी ही थी. वह काम की शाक्षात दहक्ती ज्वाला थी.विवाह के समय ज्वाला 20 वर्ष की थी. विवाह के 4 साल बाद उसने एक लड़की को जन्म दिया.आज वह लड़'की, रंजना 16 साल की है और अपनी मा की तरह ही आग का एक शोला बन चुकी है. ज्वाला देवी नहा रही हैं और रंजना सोफे पर बैठी पढ़ रही है और सुदर्शन जी अप'ने ऑफीस जा चुके हैं. तभी वातावरण की शान्ती भंग हुई. कॉपी, किताब, अख़बार वाली रद्दी!! ये आवाज़ जैसे ही ज्वाला देवी के कानो मैं पड़ी तो उसने बाथरूम से ही चिल्ला कर अपनी 16 वर्षीय जवान लड़की,रंजना से कहा,"बेटी रंजना!ज़रा रद्दी वाले को रोक, मैं नहा कर आती हू." "अच्छा मम्मी!"रंजना जवाब दे कर भागती हुई बाहर के दरवाजे पर आ कर चिलाई. "अरे भाई रद्दी वाले! अख़बार की रद्दी क्या भाव लोगे? "जी बीबी जी! ढाई रुपये किलो." कबाड़ी लड़'के बिरजू ने अपनी साइकल कोठी के कॉंपाउंड मे ला कर खड़ी कर दी. "ढाई तो कम है,सही लगाओ." रंजना उससे भाव करती हुई बोली."आप जो कहेंगी, लगा दूँगा." बिरजू होंठो पर जीभ फिरा कर और मुस्कुरा कर बोला. इस दो अरथी डाइलॉग को सुन कर तथा बिरजू के बात करने के लहजे को देख कर रंजना शरम से पानी पानी हो उठी, और नज़रे झुका कर बोली, "तुम ज़रा रूको, मम्मी आती है अभी." बिरजू को बाहर ही खड़ा कर रंजना अंदर आ गयी और अपने कमरे मैं जा कर ज़ोर से बोली, "मम्मी मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है, मैं तैयार होती हूँ, रद्दी वाला बाहर खड़ा है." "बेटा! अभी ठहर तू, मैं नहा कर आती ही हूँ."ज्वाला देवी ने फिर चिल्ला कर कहा था. अपने कमरे मैं बैठी रंजना सोच रही थी कि कितना बदमाश है ये रद्दी वाला, "लगाने" की बात कितनी बेशर्मी से कर रहा था पाजी! वैसे "लगाने" का अर्थ रंजना अच्छी तरह जानती थी, क्योंकि एक दिन उसने अपने डॅडी को मम्मी से बेडरूम मैं ये कह'ते सुना था, "ज्वाला टाँग उठाओ, मैं अब लगाउन्गा." और रंजना ने यह अजीब डाइलॉग सुन कर उत्सुकता से मम्मी के बेडरूम मैं झाँक कर जो कुछ उस दिन अंदर देखा था,उसी दिन से "लगाने" का अर्थ बहुत ही अच्छी तरह उसकी समझ मैं आ गया था. काई बार उस'के मन मैं भी "लगवाने" की इच्च्छा पैदा हुई थी मगर बेचारी मुक़द्दर की मारी खूबसूरत चूत की मालकिन रंजना को "लगाने वाला" अभी तक कोई नहीं मिल पाया था.जल्दी से नहा धो कर ज्वाला देवी सिर्फ़ गाउन पहन कर बाहर आई,उसके बाल इस समय खुले हुए थे,नहाने के कारण गोरा रंग और भी ज़्यादा दमक उठा था.यू लग रहा था मानो काली घटाओं मैं से चाँद निकल आया है.एक ही बच्चा पैदा करने की वजा से 40 वर्ष की उम्र मैं भी ज्वाला देवी 25 साल की जवान लौंडिया को भी मात कर सकती थी.बाहर आते ही वो बिरजू से बोली,"हाँ भाई! ठीक- ठीक बता, क्या भाव लेगा?" "में साहब! 3 रुपये लगा दूँगा, इस'से ऊपर मैं तो क्या कोई भी नहीं लेगा." बिरजू गंभीरता से बोला. "अच्छा! तू बरामदे मैं बैठ मैं लाती हूँ" ज्वाला देवी अंदर आ गयी, और रंजना से बोली, "रंजना बेटा! ज़रा थोड़े थोड़े अख़बार ला कर बरामदे मैं रख."अच्छा मम्मी लाती हूँ" रंजना ने कहा. रंजना ने अख़बार ला कर बरामदे मैं रखने शुरू कर दिए थे,और ज्वाला देवी बाहर बिरजू के सामने उकड़ू बैठ कर बोली,"चल भाई तौल"बिरजू ने अपना तरज़ू निकाला और एक एक किलो के बट्टे से उसने रद्दी तौलनी शुरू करदी.एकाएक तौलते तौलते उसकी निगाह उकड़ू बैठी ज्वाला देवी की धूलि धुलाइचूत पर पड़ी तो उसके हाथ काँप उठे. ज्वाला देवी के यूँ उकड़ू बैठने से टाँगे तो सारी धक रही थी मगर अपने खुले फाटक से वो बिल्कुल ही अन्भिग्य थी.उसे क्या पता था कि उसकी शानदार चूत के दर्शन ये रद्दी वाला तबीयत से कर रहा था. उसका दिमाग़ तो बस तरज़ू की दांडी वा पलड़ो पर ही लगा हुआ था. अचानक वो बोली, "भाई सही तौल" "लो मेम साहब" बिरजू हड़बड़ा कर बोला. और अब आलम ये था कि एक-एक किलो मैं तीन तीन पाव तौल रहा था बिरजू. उस'के चेहरे पर पसीना छलक आया था, हाथ और भी ज़्यादा कॅंप कँपाते जा रहे थे,तथा आँखे फैलती जा रही थी उसकी.उसकी 18 वर्षीय जवानी चूत देख कर धधक उठी थी. मगर ज्वाला देवी अभी तक नहीं समझ पा रही थी कि बिरजू रद्दी कम और चूत ज़्यादा तौल रहा है.और जैसे ही बिरजू के बराबर रंजना आ कर खड़ी हुई और उसे यू काँपते तरज़ू पर कम और सामने ज़्यादा नज़रे गढ़ाए हुए देखा तो उसकी नज़रें भी अपनी मम्मी की खुली चूत पर जा ठहरी. ये दृश्या देख कर रंजना का बुरा हाल हो गया, वो खाँसते हुए बोली,"मम्मी..आप उठिए,मैं तुल्वाति हूँ." "तू चुप कर! मैं ठीक तुलवा रही हूँ." "मम्मी! समझो ना,ऑफ! आप उठिए तो सही." और इस बार रंजना ने ज़िद्द कर'के ज्वाला देवी के कंधे पर चिकोटी काट कर कहा तोवो कुछ-कुछ चौंकी.रंजना कि इस हरकत पर ज्वाला देवी ने सरसरी नज़र से बिरजू को देखा और फिर झुक कर जो उसने अपने नीचे को देखा तो वो हड़बड़ा कर रह गयी.फ़ौरन खड़ी हो कर गुस्से और शरम मे हकलाते हुए वो बोली, "देखो भाई! ज़रा जल्दी तौलो." इस समय ज्वाला देवी की हालत देखने लायक थी, उसके होंठ थरथरा रहे थे,कनपटिया गुलाबी हो उठी थी तथा टाँगों मैं एक कंपकपि सी उठी उसे लग रही थी.बिरजू से नज़र मिलाना उसे अब दुश्वार जान पड़ रहा था.शरम से पानी-पानी हो गयी थी वो.बेचारे बिरजू की हालत भी खराब हुई जा रही थी,उसका लंड हाफ पॅंट मैं खड़ा हो कर उच्छाले मार रहा था, जिसे कनखियों से बार-बार ज्वाला देवी देखे जा रही थी.सारी रद्दी फटाफट तुलवा कर वो रंजना की तरफ देख कर बोली,"तू अंदर जा,यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही है?"मुँह मैं उंगली दबा कर रंजना तो अंदर चली गयी और बिरजू हिसाब लगा कर ज्वाला देवी को पैसे देने लगा.हिसाब मे 10 रुपये फालतू वह घबराहट मे दे गया था.और जैसे ही वो लंड जांघों से दबाता हुआ रद्दी की पोटली बाँधने लगा कि ज्वाला देवी उस'से बोली, "क्यों भाई कुछ खाली बॉटल पड़ी हैं,ले लोगे क्या?""अभी तो मेरी साइकल पर जगह नही है मेम साहब,कल ले जाउन्गा." बिरजू हकलाता हुआ बोला. तो सुन, कल 11 बजे के बाद ही आना.जी आ जाउन्गा.वो मुस्कुरा कर बोला था इस बार.रद्दी की पोटली को साइकल के कॅरियर पर रख कर बिरजू वाहा से चलता बना मगर उसकी आँखों के सामने अभी तक ज्वाला देवी का खुला फाटक यानी की शानदार चूत घूम रही थी. बिरजू के जाते ही ज्वाला देवी रुपये ले कर अंदर आ गयी. ज्वाला देवी जैसे ही रंजना के कमरे मैं पहुँची तो बेटी की बात सुन कर वो और ज़्यादा झेंप उठी थी.रंजना ने आँखे फाड़ कर उस'से कहा, "मम्मी! आपकी पेशाब वाली जगह वो रद्दी वाला बड़ी बेशर्मी से देखे जा रहा था.""चल छोड़! हमारा क्या ले गया वो, तू अपना काम कर, गंदी गंदी बातें नही सोचा करते,जा कॉलेज जा तू." थोड़ी देर बाद रंजना कॉलेज चली गयी और ज्वाला देवी अपनी चूची को मसल्ति हुई फोन की तरफ बढ़ी.अपने पति सुदर्शन साक्शेणा का नंबर डाइयल कर वो दूसरी तरफ से आने वाली आवाज़ का इंतेज़ार करने लगी. अगले पल फोन पर एक आवाज़ उभरी - "यस सुदर्शन हियर" "देखिए!आप फ़ौरन चले आइए, बहुत ज़रूरी काम है मुझे" "अरे ज्वाला ! तुम्हे ये अचानक मुझसे क्या काम आन पड़ा अभी तो आ कर बैठा हू,ऑफीस मे बहुत काम पड़े हैं, आख़िर माजरा क्या है?" "जी. बस आपसे बातें करने को बहुत मन कर आया है, रहा नहीं जा रहा, प्लीज़ आ जाओ ना.""सॉरी ज्वाला ! मैं शाम को ही आ पाउन्गा, जितनी बातें करनी हो शाम को कर लेना, ओ.के." अपने पति के व्यवहार से वह तिलमिला कर रह गयी. एक कमसिन नौजवान लौन्डे के साम'ने अनभीग्यता में ही सही; आप'नी चूत प्रदर्शन से वह बेहद कमतूर हो उठी थी.चूत की ज्वाला मैं वो झुलसी जा रही थी इस समय. वह रसोई घर मैं जा कर एक बड़ा सा बैंगन उठा कर उसे निहारने लगी थी.उसके बाद सीधे बेडरूम मैं आ कर वह बिस्तर पर लेट गयी, गाउन ऊपर उठा कर उसने टाँगों को चौड़ाया और चूत के मुँह पर बैंगन रख कर ज़ोर से उसे दबाया."हाई अफ मर गयी आहह आह ऊहह" आधा बैंगन वो चूत मैं घुसा चुकी थी.मस्ती मे अपने निचले होंठ को चबाते हुए उसने ज़ोर ज़ोर से बैंगन द्वारा अपनी चूत चोदनी शुरू कर ही डाली. 5 मिनट. तक लगातार तेज़ी से वो उसे अपनी चूत मैं पेलती रही,झाड़ते वक़्त वो अनाप शनाप बकने लगी थी. "आहह. मज़ा आ गया हाय रद्दी वाले तू ही चोद जाता तो तेरा क्या बिगड़ जाता उफ़ आह ले आअह क्या लंड था तेरा तुझे कल दूँगी आ साले पति देव मत चोद मुझे आह मैं खुद काम चला लूँगी आहह" ज्वाला देवी इस समय चूत से पानी छ्चोड़ती जा रही थी, अच्छी तरह झाड़ कर उसने बैंगन फेंक दिया और चूत पोंच्छ कर गाउन नीचे कर लिया. मन ही मन वो बुदबुदा उठी थी, "साले पातिदेव,गैरों को चोदने का वक़्त है तेरे पास, मगर मेरे को चोदने के लिए तेरे पास वक़्त नहीं है, शादी के बाद एक लड़की पैदा करने के अलावा तूने किया ही क्या है, तेरी जगह अगर कोई और होता तो अब तक मुझे 6 बच्चो की मा बना चुका होता, मगर तू तो हफ्ते मे दो बार मुझे मुश्किल से चोदता है और ऊपर से गर्भ निरोधक गोली भी खिला देता है, खैर कोई बात नहीं, अब अपनी चूत की खुराक का इंतज़ाम मुझे ही करना पड़ेगा." ज्वाला देवी ने फ़ैसला कर लिया कि वो इस गथीले शरीर वाले रद्दी वाले के लंड से जीभर कर अपनी चूत मरवाएगी. उसने सोचा जब साला चूत के दर्शन कर ही गया है तो फिर चूत मराने मैं ऐतराज़ ही क्या? उधर ऑफीस मैं सुदर्शन जी बैठे हुए अपनी खूबसूरत जवान स्टेनो मिस प्रतिभा के ख़यालो मे डूबे हुए थे.ज्वाला के फोन से वे समझ गये थे कि साली अधेड़ बीवी की चूत में खुज़'ली चल पर्डी होगी.यह सोच ही उनका लंड खड़ा कर देने के लिए काफ़ी थी.
उन्होने घंटी बजा कर चपरासी को बुलाया और बोले,"देखो भजन! जल्दी से प्रतिभा को फाइल ले कर भेजो." "जी बहुत अच्छा साहब!" भजन तेज़ी से पलटा और मिस प्रतिभा के पास आ कर बोला, "बड़े साहब ने फाइल ले कर आपको बुलाया है." मिस प्रतिभा फुर्ती से एक फाइल उठा कर खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट ठीक ठाक कर तेज़ चाल से उस कमरे मैं जा घुसी जिस के बाहर लिखा था "बिना आग्या अंदर आना मना है" कमरे मैं सुदर्शन जी बैठे हुए थे. प्रतिभा 22 साल की मस्त लड़की उनके पूराने स्टाफ्फ शरमाजी की लड़की थी. शर्मा जी की उमर हो गयी और वे रिटाइर हो गये.रिटाइयर्मेंट के वक़्त शर्मा जी ने सुदर्शानजी से विनती की कि वे उनकी लड़की को अपने यहाँ सर्विस पे रख लें. प्रतिभा को देख'ते ही सुदर्शानजी ने फ़ौरन हा कर दी.प्रतिभा बड़ी मनचली लड़की थी.वो सुदर्शानजी की प्रारंभिक छेड़ छाड़ का हंस कर साथ देने लगी. और फिर नतीजा यह हुआ कि वह उनकी एक रखैल बन कर रह गयी."आओ मिस प्रतिभा! थोड़ा दरवाजा लॉक कर आओ,हरी उप." प्रतिभा को देखते ही उचक कर वो बोले.दरवाजा लॉक कर प्रतिभा जैसे ही सामने वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो सुदर्शन जी अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर उसमें हाथ डाल अपना फंफनाता हुआ खूँटे की तरह तना हुआ लंड निकाल कर बोले, "ओह्ह नो प्रतिभा! जल्दी से अपनी पॅंटी उतार कर हमारी गोद मे बैठ कर इसे अपनी चूत मैं ले लो." "सर! आज सुबह सुबह! चक्कर क्या है डियर?" खड़ी हो कर अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा पॅंटी टाँगों से बाहर निकालते हुए प्रतिभा बोली."बस डार्लिंग मूड कर आया!, हरी उप! ओह." सुदर्शन जी भारी गांद वाली बेहद खूबसूरत प्रतिभा की चूत मे लंड डालने को बेताब हुए जा रहे थे."लो आती हूँ माइ लव" प्रतिभा उनके पास आई और उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर कुर्सी पर बैठे सुदर्शन जी की गोद मे कुछ आदी हो कर इस अंदाज़ मैं बैठना शुरू किया कि खरा लंड उसकी चूत के मु'ह पर आ लगा था."अब ज़ोर से बैठो,लंड ठीक जगह लगा है"सुदर्शन जी ने प्रतिभा को आग्या दी. वो उनकी आग्या मान कर इतनी ज़ोर से चूत को दबाते हुए लंड पर बैठने लगी कि सारा लंड उसकी चूत मैं उतरता हुआ फिट हो चुका था. पूरा लंड चूत मैं घुस्वा कर बड़ी इतमीनान से गोद मैं बैठ अपनी गांद को हिलाती हुई दोनो बाँहें सुदर्शन जी के गले मैं डाल कर वो बोली,"आह. बड़ा अच्छा लग रहा है सर ऑफ ओह मुझे भींच लो ज़ोरर से." फिर क्या था,दोनो तने हुए मम्मो को उसके खुले गले के अंदर हाथ डाल कर उन्होने पकड़ लिया और सफाचट खुसबुदार बगलों को चूमते हुए उस'के होंठो से अपने होंठ रगड़ते हुए वो बोले, "डार्लिंग!! तुम्हारी चूत मुझे इतनी अच्छी लगती है कि मैं अपनी बीवी की चूत को भी भूल चुका हूँ, आह. अब . ज़ोर. ज़ोर..उच्छलो डार्लिंग. "सर चूत तो हर औरत के पास एक जैसी ही होती है, बस चुदवाने के अंदाज़ अलग अलग होते हैं, मेरे अंदाज़ आपको पसंद आ गये हैं,क्यों?" "हां हां अब उच्छलो जल्दी से"और फिर गोद मे बैठी प्रतिभा ने जो सिसक सिसक कर लंड अपनी चूत मैं पिलवाना शुरू किया तो सुदर्शन जी मज़े मैं दोहरे हो उठे, उन्होने कुर्सी पर अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर चोदना शुरू कर दिया था. प्रतिभा ज़ोर से उनकी गर्दन मे बाँहें डाले हिला हिला कर झूले पर बैठी झोंटे ले रही थी. हर झोंटे मैं उसकी चूत पूरा पूरा लंड निगल रही थी. सुदर्शन जी ने उसका सारा मुँह चूस चूस कर गीला कर डाला था. अचानक वो बहुत ज़ोर ज़ोर से लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर लेती हुई बोल उठी थी,"अफ आहा बड़ा मज़ा आ रहा है अया मैं गयी सुदर्शन जी मौके की नज़ाकत को ताड़ गये और प्रतिभा की पीछे से कोली भर कर कुर्सी से उठ खड़े हुए और तेज़ तेज़ शॉट मारते हुए बोले,"लो मेरी जान और आह लो मैं भिझड़ने वाला हूँ ऑफ आ लो जान मज़ा आअ गया.और प्रतिभा की चूत से निकलते हुए रज से उनका वीर्या जा टकराया.प्रतिभा पीछे को गंद पटकती हुई दोनो हाथों से अपने कूल्हे भींचती हुई झाड़ रही थी. अच्छी तरह झाड़ कर सुदर्शन जी ने उसकी चूत से लंड निकाल कर कहा, "जल्दी से पेशाब कर पॅंटी पहन लो, स्टाफ के लोग ऐतराज़ कर रहे होंगे, ज़्यादा देर यहाँ तुम्हारा रहना ठीक नहीं है. सुदर्शन जी के कॅबिन मे बने पेशाब घर मे प्रतिभा ने मूत कर अपनी चूत रुमाल से खूब पोंची और कच्च्ची पहन कर बोली, "आपकी दराज मे मेरी लिपस्टिक और पाउडर पड़ा है,ज़रा दे दीजिए प्ल्ज़,सुदर्शन जी ने निकाल कर प्रतिभा को दिया. इस'के बाद प्रतिभा तो सामने लगे शीशे मैं अपना मेकप ठीक करने लगी, और सुदर्शन जी पेशाब घर मैं मूत'ने के लिए उठ खड़े हुए. कुच्छ देर मैं ही प्रतिभा पहले की तरह ताज़ी हो उठी थी,तथा सुदर्शन भी मूत कर लंड पॅंट के अंदर कर ज़िप बंद कर चुके थे.चुदाई इतनी सावधानी से की गयी थी कि ना प्रतिभा की स्कर्ट पर कोई धब्बा पड़ा था और ना सुदर्शन की पॅंट कहीं से खराब हुई. अलर्ट हो कर सुदर्शन जी अपनी कुर्सी पर आ बैठे और प्रतिभा फाइल उठा, दरवाजा खोल उनके कॅबिन से बाहर निकल आई. उसके चेहरे को देख कर स्टाफ का कोई भी आदमी नहीं ताड़ सका कि साली अभी अभी चुदवा कर आ रही है.बड़ी भोली भाली और स्मार्ट वो इस समय दिखाई पड़ रही थी.उधर बिरजू ने आज अपना दिन खराब कर डाला था.घर आ कर वो सीधा बाथरूम मे घुस गया और दो बार ज्वाला देवी की चूत का नाम ले कर मुट्ठी मारी.मुट्ठी मारने के बाद भी वो उस चूत की छवि अपने जेहन से उतारने मैं असमर्थ रहा था.उसे तो असली खाल वाली जवान चूत मारने की इच्च्छा ने आ घेरा था. मगर उस'के चारो तरफ कोई चूत वाली ऐसी नहीं थी जिसे चोद कर वो अपने लंड की आग बुझा सकता. शाम को जब सुदर्शन जी ऑफीस से लौट आए. तो ज्वाला देवी चेहरा फुलाए हुए थी उसे यू गुस्से मैं भरे देख कर वो बोले,"लगता है रानी जी आज कुच्छ नाराज़ है हमसे" "जाइए!मैं आपसे आज हरगिज़ नही बोलूँगी."ज्वाला देवी ने मुँह फूला कर कहा,और काम मे जुट गयी.
रात को सुदर्शन जी डबल बिस्तर पर लेते हुए थे. इस समय भी उन्हे अपनी पत्नी नहीं बल्कि प्रतिभा की चूत की याद सता रही थी.सारे काम निबटा कर ज्वाला देवी ने रंजना के कमरे मैं झाँक कर देखा और उसे गहरी नींद मैं सोए देख कर वो कुच्छ आश्वस्त हो कर सीधी पति के बराबर मे जा लेटी.एक दो बार आँखे मुन्दे पड़े पति को उसने कनखियों से झाँक कर देखा.और अपनी सारी उतार कर एक तरफ रख कर वो चुदने को मचल उठी. दिन भर की भादस वो रात भर मैं निकालने को उतावली हुई जा रही थी. कमरे मैं हल्की रौशनी नाइट लॅंप की थी.सुदर्शन जी की लूँगी की तरफ ज्वाला देवी ने आहिस्ता से हाथ बढ़ा ही दिया और कछे रहित लंड को हाथ मैं पकड़ कर सहलाने लगी.चौंक कर सुदर्शन जी उठ बैठे.यूँ पत्नी की हरकत पर झल्ला कर उन्होने कहा, "ज्वाला अभी मूड नही है,छोड़ो. इसे..""आज आपका मूड मैं ठीक करके ही रहूंगी,मेरी इच्छा का आपको ज़रा भी ख़याल नहीं है लापरवाह कहीं के." ज्वाला देवी सुदर्शन को ज़ोर से दबा कर अपने बदन को और भी आगे कर बोली थी.उसको यू चुदाई केलिए मचलते देख कर सुदर्शन जी का लंड भी सनसना उठा था. टाइट ब्लाउस मैं से झाँकते हुए आधे चूचे देख कर अपने लंड मे खून का दौरा तेज़ होता हुवा जान पड़ रहा था. भावावेश मैं वो उस'से लिपट पड़े और दोनो चूचियों को अपनी छाती पर दबा कर वो बोले, "लगता है आज कुच्छ ज़्यादा ही मूड मैं हो डार्लिंग." "तीन दिन से आपने कौन से तीर मारे हैं, मैं अगर आज भी चुपचाप पड़ जाती तो तुम अपनी मर्ज़ी सेतो कुछ करने वाले थे नही,मज़बूरन मुझे ही बेशर्म बन'ना पड़ रहा है." अपनी दोनो चूचियों को पति के सीने से और भी ज़्यादा दबाते हुए वो बोली, "तुम तो बेकार मैं नाराज़ हो जाती हो,मैं तो तुम्हे रोज़ाना ही चोदना चाह'ता हूँ,मगर सोचता हूँ लड़की जवान हो रही है,अब ये सब हमे शोभा नही देता." सुदर्शन जी उसके पेटिकोट के अंदर हाथ डालते हुए बोले.पेटिकोट का थोड़ा सा ऊपर उठना था की उसकी गदराई हुई गोरी जाँघ नाइट लॅंप की धुंधली रौशनी मैं चमक उठी. चिकनी जाँघ पर मज़े ले ले कर हाथ फिराते हुए वो फिर बोले, "हाई! सच ज्वाला!तुम्हे देखते ही मेरा खड़ा हो जाता है,आहह! क्या ग़ज़ब की जंघें है तुम्हारी पुच्च! इस बार उन्होने जाँघ पर चुंबी काटी थी. मर्दाने होंठ की अपनी चिकनी जाँघ पर यूँ चुंबी पड़ती महसूस कर ज्वाला देवी की चूत मैं सनसनी और ज़्यादा बुलंदी पर पहुँच उठी. चूत की पत्तियाँ अपने आप फड़फड़ा कर खुलती जा रही थी. ये क्या? एका एक सुदर्शन जी का हाथ खिसकता हुआ चूत पर आ ही तो गया,चूत पर यू हाथ के पड़ते ही ज्वाला देवी के मून'ह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ी थी. "है. मेरे . सनम.. ऊहह.. आजज्ज.. मुझे .. एक .. बच्चे . की.. मा. और. बना . दो..और वो मचलती हुई ज्वाला को छ्चोड़ अलग हट कर बोले, "ज्वाला! क्या बहकी बहकी बातें कर रही हो, अब तुम्हारे बच्चे पैदा करने की उम्र नही रही,रंजना के ऊपर क्या असर पड़ेगा इन बातों का, कभी सोचा है तुमने?" "सोचते सोचते तो मेरी उम्र बीत गयी और तुमने ही कभी नहीं सोचा कि रंजना का कोई भाई भी पैदा करना है. "छ्चोड़ो ये सब बेकार की बातें,रंजना हमारी लड़की ही नहीं लड़का भी है.हम उसे ही दोनो का प्यार देंगे." दोबारा ज्वाला देवी की कोली भर कर उसे पूचकारते हुए वो बोले, उन्हे ख़तरा था कि कही इस चुदाई के समय ज्वाला उदास ना हो जाए. अबकी बार वो तुनक कर बोली,"चलो बच्चे पैदा मत करो,मगर मेरी इक्च्छाओ का तो ख़याल रखा करो, बच्चे के डर से तुम मेरे पास सोने तक से घबराने लगे हो.""आइन्दा ऐसा नहीं होगा, मगर वादा करो कि चुदाई के बाद तुम गर्भ निरोधक गोली ज़रूर खा लिया करोगी." "हाँ. मेरे .. मालिक.!
दोस्तो पहला पार्ट यही ख़तम करते है फिर मिलेंगे दूसरे पार्ट साथ
क्रमशः...................................................
Raddi Wala paart--1
hello dosto main yaani aapkadost raj sharma ek or kahaani raddi wala lekar haajir hun . dosto Yah kahani hai Saxena Parivar ki.Is parivaar ke mukhiya, Sudarshan Saxena, 45 varsh ke aakarshak vyaktitwa ke maalik hai.Aaj se 20 sal pahle unka vivah Jwala se huwa tha. Jwala jaisa naam vaisee hee thee. Wah kaam kee shaakshat dahaktee Jwala thee.Vyah ke samay Jwala 20 varsh kee thee. Vyah ke 4 saal baad usne ek larkee ko janm diya.Aaj wah lar'kee, Ranjana 16 saal ki hai aur apnee maa kee tarah hee aag ka ek shola ban chukee hai. Jwala Devi naha rahee hain aur Ranjna sofe par baithee padh rahee hai aur Sudarshan jee ap'ne office ja chuke hain. Tabhee vaataavaran kee shaantee bhang huee. Copy, Kitaab, Akhbaar waali raddi!! Ye awaz jaise hi Jwala Devi ke kaano main paree to usne bathroom se hi chilla kar apni 16 varsheey jawan larki,Ranjna se kaha,"Beti Ranjna!Zara raddi wale ko rok, main naha kar aati hu." "Achcha mummy!"Ranjna jawab de kar bhagti hui bahar ke darwaje par aa kar chillai. "Are bhai raddi wale! akhbaar ki raddi kya bhav loge? "Ji bibi ji! Dhaai rupaye kilo." Kabadi lar'ke Birju ne apni cycle kothi ke compound me laa kar khari kar di. "Dhaai to kam hai,sahi lagao." Ranjna usse bhav karti huee boli."Aap jo kahengi, laga doonga." Birju hontho par jeebh firaa kar aur muskura kar bola. Is do arthi dialogue ko sun kar tatha Birju ke baat karne ke lahje ko dekh kar Ranjna sharam se pani paani ho uthee, aur nazre jhuka kar boli, "tum zara ruko, mummy aati hai abhi." Birju ko baahar hi khara kar Ranjna andar aa gayi aur apne kamre mai jaa kar zor se boli, "Mummy mujhe college ke liye der ho rahi hai, main taiyaar hoti hoon, raddi waala bahar khara hai." "Beta! Abhi thahar tu, main naha kar aati hi hoon."Jwala Devi ne phir chilla kar kaha tha. Apne kamre mai baithi Ranjna soch rahi thee ki kitna badmash hai ye raddi wala, "LAGAANE" ki baat kitni besharmi se kar raha tha paaji! Waise "LAGAANE" ka arth Ranjna achchhee tarah jaanti thee, kyonki ek din usne apne daddy ko mummy se bedroom mai ye kah'te suna tha, "Jwala taang uthaao, main ab lagaunga." Aur Ranjna ne yah ajeeb dialogue sun kar utsukta se mummy ke bedroom main jhaank kar jo kuch us din andar dekha tha,usi din se "LAGAANE" ka arth bahut hi achchhee tarah uski samajh main aa gaya tha. Kayee baar us'ke man main bhi "lagwaane" ki ichchha paida huee thee magar bechaari mukaddar ki maari khoobsurat choot ki maalkin Ranjna ko "lagaane wala" abhi tak koi naheen mil paya tha.Jaldi se naha dho kar Jwala Devi sirf gown pahan kar bahar aayee,uske baal is samay khule hue the,nahaane ke kaaran gora rang aur bhi jyada damak utha tha.Yu lag raha tha maano kaali ghataaon main se chaand nikal aaya hai.Ek hi baccha paida karne ki waja se 40 varsh ki umr mai bhi Jwala Devi 25 sal ki jawan laundiya ko bhi maat kar sakti thee.bahar aate hi wo Birju se boli,"haan bhai! theek- theek bata, kya bhav lega?" "Mem saahab! 3 rupaye laga doonga, is'se oopar main to kya koi bhi naheen lega." Birju gambheerta se bola. "Achcha! tu baramde main baith main laati hoon" Jwala Devi andar aa gayee, aur Ranjna se boli, "Ranjna beta! zara thode thode akhbaar laa kar baramde mai rakh."achcha mummy laati hoon" Ranjna ne kaha. Ranjna ne akhbaar laa kar baramde mai rakhne shuru kar diye the,aur Jwala Devi bahar Birju ke samne ukdubaith kar boli,"chal bhai taul"Birju ne apna tarazu nikala aur ek ek kilo ke batte se usne raddi taulni shuru kardi.Ekaek taulte taulte uski nigah ukdu baithi Jwala Devi ki dhuli dhulaichoot par paree to uske haath kaamp uthe. Jwala Devi ke yun ukdu baithne se tange to sari dhak rahi thee magar apne khule faatak se wo bilkul hi anbhigya thee.Use kya pata tha ki uski shandar choot ke darshan ye raddi wala tabiyat se kar raha tha. Uska dimaag to bas tarazu ki dandi va paldo par hi laga hua tha. Achaanak wo boli, "Bhai sahi taul" "Lo mem saahab" Birju hadbada kar bola. Aur ab aalam ye tha ki ek-ek kilo mai teen teen paav taul raha tha Birju. us'ke chehre par paseena chhalak aaya tha, hath aur bhi jyaada kamp kampaate jaa rahe the,tatha ankhe failti ja rahi thee uski.Uski 18 varshey jawani choot dekh kar dhadhak uthee thee. Magar Jwala Devi abhi tak naheen samajh paa rahi thee ki Birju raddi kam aur choot jyada taul raha hai.Aur jaise hi Birju ke barabar Ranjna aa kar khari huee aur use yu kampte tarazu par kam aur samne jyada nazre gadaaye hue dekha to uski nazren bhi apni mummy ki khuli choot par jaa thehri. Ye drishya dekh kar Ranjna ka bura haal ho gaya, wo khanste hue boli,"Mummy..aap uthiye,main tulwaati hoon." "Tu chup kar! Main theek tulwa rahi hoon." "Mummy! Samjho na,off! Aap uthiye to sahi." Aur is baar Ranjna ne zidd kar'ke Jwala Devi ke kandhe par chikoti kaat kar kaha towo kuch-kuch chaunki.Ranjna ki is harkat par Jwala Devi ne sarsari nazar se Birju ko dekha aur phir jhuk kar jo usne apne neeche ko dekha to wo hadbada kar rah gayi.Fauran khari ho kar gusse aur sharam me haklaate hue wo boli, "Dekho bhai! Zara jaldi taulo." Is samay Jwala Devi ki haalat dekhne laayak thee, uske honth tharthra rahe the,kanpatiya gulabi ho uthi thee tatha tangon main ek kampkapi si uthi use lag rahi thee.Birju se nazar milana use ab dushwar jaan pad raha tha.Sharam se pani-pani ho gayi thi wo.Bechare Birju ki halat bhi kharab huee jaa rahi thee,uska lund half pant mai khara ho kar uchhale mar raha tha, jise kankhiyon se baar-baar Jwala Devi dekhe ja rahi thee.Sari raddi fatafat tulwa kar wo Ranjna ki taraf dekh kar boli,"Tu andar ja,yahan khari khari kya kar rahi hai?"munh main ungli daba kar Ranjna to andar chali gayi aur Birju hisab laga kar Jwala Devi ko paise dene laga.Hisab mai 10 rupaye faltu vah ghabrahat mai de gaya tha.Aur jaise hi wo lund janghon se dabata hua raddi ki potli bandhne laga ki Jwala Devi us'se boli, "Kyon bhai kuch khali bottle paree hain,le loge kya?""Abhi to meri cycle par jagah nahee hai mem sahab,kal le jaaunga." Birju haklata hua bola. To sun, kal 11 baje ke baad hi aana.Ji aa jaunga.Wo muskura kar bola tha is baar.Raddi ki potli ko cycle ke carrier par rakh kar Birju waha se chalta bana magar uski aankhon ke saamne abhi tak Jwala Devi ka khula fatak yani ki shaandar choot ghoom rahi thee. Birju ke jaate hi Jwala Devi rupaye le kar andar aa gayi. Jwala Devi jaise hi Ranjna ke kamre main pahunchi to beti ki baat sun kar wo aur jyada jhemp uthee thi.Ranjna ne aankhe faad kar us'se kaha, "Mummy! Aapki peshab waali jagah wo raddi wala badi besharmi se dekhe ja raha tha.""Chal chod! Hamara kya le gaya wo, tu apna kaam kar, gandi gandi baten nahee socha karte,ja college jaa tu." Thodi der baad Ranjna college chali gayi aur Jwala Devi apni choochi ko masalti hui phone ki taraf badhi.Apne pati Sudarshan Saxena ka number dial kar wo doosri taraf se aane wali aawaaz ka intezaar karne lagi. Agle pal phone par ek aawaaz ubhri - "Yes Sudarshan here" "Dekhiye!aap fauran chale aayiye, bahut jaroori kaam hai mujhe" "Are Jwala ! tumhe ye achanak mujhse kya kaam aan pada abhi to aa kar baitha hoo,office mai bahut kaam pade hain, aakhir maajra kya hai?" "Ji. bas aapse baaten karne ko bahut man kar aaya hai, raha naheen jaa raha, please aa jaao na.""sorry Jwala ! mai shaam ko hi aa paunga, jitni baaten karni ho shaam ko kar lena, O.K." apne pati ke vyavhaar se wah tilmila kar rah gayee. Ek kamsin naujavaan launDe ke saam'ne anbhigyata men hee sahee; ap'nee choot pradarshan se vah behad kamatur ho uthee thee.Choot ki jwaala main wo jhulsi jaa rahi thee is samay. Wah rasoi ghar main jaa kar ek bada sa baingan utha kar use nihaarne lagi thee.uske baad seedhe bedroom main aa kar wah bistar par let gayee, gown oopar uthaa kar usne taangon ko chaudaya aur choot ke munh par baingan rakh kar zor se use dabaya."Hai uff Mar gayee ahh aah oohh" aadha baingan wo choot main ghusa chuki thee.Masti mai apne nichle honth ko chabaate hue usne zor zor se baingan dwara apni choot chodni shuru kar hi Dali. 5 min. tak lagataar tezi se wo use apni choot main pelti rahi,jhadte waqt wo anaap shanaap bakne lagi thee. "Aahh. Mazaa aa gayaa haay raddi waale tu hi chod jaata to tera kya bigad jaata uf aah le Aah Kya lund tha tera tujhe kal dongi ahh sale pati dev mat chod mujhe aah Main khud kaam chala longi ahh" Jwala Devi is samay choot se paani chhodti jaa rahi thi, acchee tarah jhad kar usne baingan phenk diya aur choot ponchh kar gown neeche kar liya. Man hi man wo budbuda uthee thee, "sale patidev,gairon ko chodne ka waqt hai tere paas, magar mere ko chodne ke liye tere paas waqt naheen hai, shaadi ke baad ek larki paida karne ke alaawa tune kiya hi kya hai, teri jagah agar koi aur hota to ab tak mujhe 6 bachcho ki maa bana chuka hota, magar tu to hafte mai do baar mujhe mushkil se chodta hai aur oopar se garbh nirodhak goli bhi khila deta hai, khair koi baat naheen, ab apni choot ki khuraak ka intezaam mujhe hi karna padega." Jwala Devi ne faisala kar liya ki wo is gatheele shareer wale raddi wale ke lund se jeebhar kar apni choot marwaayegi. Usne socha jab saala choot ke darshan kar hi gaya hai to phir choot maraane main aitraaz hi kya? Udhar office main Sudarshan ji baithe hue apni khoobsurat jawan steno miss Pratibha ke khayalo mai doobe hue the.Jwala ke phone se ve samajh gaye the ki saalee adher biwi kee choot men khuj'lee chal paree hogee.Yah soch hee unka lund khara kar dene ke liye kafee thee.
Unhone ghanti baja kar chaprasi ko bulaya aur bole,"Dekho Bhajan! Jaldi se Pratibha ko file le kar bhejo." "Ji bahut achcha sahab!" Bhajan tezi se palta aur miss Pratibha ke paas aa kar bola, "Bade sahab ne file le kar aapko bulaya hai." Miss Pratibha furti se ek file utha kar khari ho gayee aur apni skirt theek thaak kar tez chaal se us kamre main jaa ghusi jis ke baahar likha tha "Bina aagya andar aana mana hai" kamre main Sudarshan jee baithe hue the. Pratibha 22 saal kee mast larkee unke poorane staaff Sharmaji kee larkee thee. Sharmaji kee umar ho gayee aur ve retire ho gaye.Retirement ke waqt Sharmaji ne Sudershanjee se vintee kee ki ve unkee larkee ko apne yahaan service pe rakh len. Pratibha ko dekh'te hee Sudershanjee ne fauran ha kar di.Pratibha baree manchale larkee thee.Vo Sudershanje kee praarambhik chhechar ka hans kar sath dene lagee. Aur phir natija yah hua ki wah unkee ek rakhail ban kar rah gayi."Aao miss Pratibha! thero darwaja lock kar aao,hurry up." Pratibha ko dekhte hi uchak kar wo bole.Darwaja lock kar Pratibha jaise hi saamne waali kursi par baithne lagi to Sudarshan jee apni pant ki zip khol kar usmen haath Daal apna fanfanaata hua khoonte ki tarah tana hua lund nikal kar bole, "ohh no Pratibha! Jaldi se apni panty utar kar hamare god mai baith kar ise apni choot main le lo." "Sir! Aaj subah subah! chakkar kya hai dear?" khari ho kar apni skirt ko oopar utha panty tangon se baahar nikalte hue Pratibha boli."Bas darling mood kar aaya!, hurry up! Oh." Sudarshan jee bhari gaand wali behad khoobsoorat Pratibha ki choot mai lund Dalne ko betab hue jaa rahe the."Lo aati hoon my love" Pratibha unke pas aayee aur usne apni skirt oopar utha kar kursi par baithe Sudarshan ji ki god mai kuch adee ho kar is andaaz main baithna shuru kiya ki khara lund uski choot ke mun'h par aa laga tha."Ab zor se baitho,lund theek jagah laga hai"Sudarshan ji ne Pratibha ko aagya di. Wo unki aagya maan kar itni zor se choot ko dabaate hue lund par baithne lagi ki saara lund uski choot main utarta hua fit ho chuka tha. Poora lund choot main ghuswaa kar badi itminaan se god main baith apni gaand ko hilaati huee dono banhen Sudarshan jee ke gale mai Dal kar wo boli,"ah. Bada accha Lag raha hai sir off oh Mujhe Bheench lo Zorr se." Phir kya tha,dono tane hue mammo ko uske khule gale ke andar hath Dal kar unhone pakad liya aur safachatt khusbudaar baglon ko choomte hue us'ke hontho se apne honth ragadte hue wo bole, "Darling!! tumhaaree choot mujhe itni achchhee lagti hai ki main apni biwi ki choot ko bhi bhool chuka hoon, ah. ab . zor. Zor..uchhlo darling. "Sir choot to har aurat ke paas ek jaisi hi hoti hai, bas chudwaane ke andaaz alag alag hote hain, mere andaaz aapko pasand aa gaye hain,kyon?" "Haan haan ab uchhlo jaldi se"Aur phir god mai baithi Pratibha ne jo sisak sisak kar lund apni choot main pilwana shuru kiya to Sudarshan jee maze main dohre ho uthe, unhone kursi par apni gaand uchhal uchhaal kar chodna shuru kar diya tha. Pratibha zor se unki gardan mai baanhen Daale hila hila kar jhoole par baithi jhonte le rahi thee. Har jhonte main uski choot poora poora lund nigal rahi thee. Sudarshan jee ne uska sara munh choos choos kar geela kar daala tha. achaanak wo bahut zor zor se lund ko apni choot ke andar bahar leti huee bol uthee thee,"uff aahaa bada maza aa raha hai aaah Main gayi Sudarshan jee mauke ki nazakat ko taad gaye aur Pratibha ki peechhe se koli bhar kar kursi se uth khare hue aur tez tez shot marte hue bole,"lo meri jan aur ah lo mai bhijhadne wala hoon of ahh lo Jaan Mazaa aaa gayaa.Aur Pratibha ki choot se nikalte hue raj se unka virya ja takraya.Pratibha peeche ko gand patakti hui dono hathon se apne koolhe bheenchti huee jhad rahi thee. achchhee tarah jhad kar Sudarshan jee ne uski choot se lund nikal kar kaha, "Jaldi se peshaab kar panty pahan lo, staff ke log aitraaz kar rahe honge, jyaada der yahaan tumhaara rahna theek naheen hai. Sudarshan jee ke cabin mai bane peshaab ghar mai Pratibha ne moot kar apni choot rumal se khoob ponchee aur kachchhi pahan kar boli, "Aapki daraj mai meri lipstic aur powder pada hai,zara de dijiye plz,Sudarshan jee ne nikal kar Pratibha ko diya. is'ke baad Pratibha to saamne lage sheeshe main apna makeup theek karne lagi, aur Sudarshan jee peshaab ghar main moot'ne ke liye uth khare hue. Kuchh der main hi Pratibha pahale ki tarah tazi ho uthee thee,tatha Sudarshan bhi moot kar lund pant ke andar kar zip band kar chuke the.Chudai itni saawdhaani se ki gayee thee ki na Pratibha ki skirt par koi dhabba pada tha aur na Sudarshan ki pant kahin se kharaab huee. Alert ho kar Sudarshan jee apni kursi par aa baithe aur Pratibha file utha, darwaaja khol unke cabin se baahar nikal aayee. uske chehre ko dekh kar staff ka koi bhi aadmi naheen taad saka ki sali abhi abhi chudwa kar aa rahi hai.Badi bholi bhali aur smart wo is samay dikhaayee pad rahi thee.Udhar Birju ne aaj apna din kharab kar Dala tha.Ghar aa kar wo sedha bathroom mai ghus gaya aur do bar Jwala Devi ki choot ka naam le kar mutthee mari.muthee marne ke baad bhi wo us choot ki chhavi apne jehan se utaarne main asmarth raha tha.Use to asli khaal waali jawaan choot maarne ki ichchha ne aa ghera tha. Magar us'ke chaaro taraf koi choot waali aisi naheen thee jise chod kar wo apne lund ki aag bujha sakta. Shaam ko jab Sudarshan jee office se laut aaye. To Jwala Devi chehra fulaye hue thee use yu gusse main bhare dekh kar wo bole,"Lagta hai raani ji aaj kuchh naaraz hai hamse" "Jayiye!Main aapse aaj hargiz nahee bolungi."Jwala Devi ne munh fula kar kaha,aur kaam mai jut gayee.
Raat ko Sudarshan jee double bistar par lete hue the. Is samay bhi unhe apni patni naheen balki Pratibha ki choot ki yaad sata rahi thi.Sare kaam nibta kar Jwala devi ne Ranjna ke kamre main jhaank kar dekha aur use gaharee neend main soye dekh kar wo kuchh aashwasth ho kar sedhi pati ke barabar mai ja leti.Ek do baar ankhe munde pade pati ko usne kankhiyon se jhank kar dekha.Aur apni saaree utar kar ek taraf rakh kar wo chudne ko machal uthee. Din bhar ki bhadas wo raat bhar main nikaalne ko utaawali huee jaa rahi thee. Kamre main halki raushni night lamp ki thee.Sudarshan jee ki lungi ki taraf Jwala Devi ne ahista se hath badha hi diya aur kachhe rahit lund ko hath mai pakad kar sahlane lagi.Chaunk kar Sudarshan jee uth baithe.yun patni ki harkat par jhalla kar unhone kaha, "Jwala abhi mood nahee hai,chodo. Ise..""Aaj aapka mood mai theek karke hi rahungi,meri ichchha ka aapko zara bhi khayaal naheen hai laparwaah kahin ke." Jwala Devi Sudarshan ko zor se daba kar apne badan ko aur bhi age kar boli thi.Usko yu chudai keliye machalte dekh kar Sudarshan jee ka lund bhi sansanaa utha tha. Tight blouse main se jhaankte hue aadhe chooche dekh kar apne lund mai khoon ka daura tez hota huwa jaan pad raha tha. Bhaavaavesh main wo us'se lipat pade aur dono choochiyon ko apni chhaatee par daba kar wo bole, "Lagta hai aaj kuchh jyaada hi mood main ho darling." "Teen din se aapne kaun se teer maare hain, main agar aaj bhi chupchap pad jati to tum apni marzi seto kuch karne wale the nahi,mazbooran mujhe hi besharm ban'na pad raha hai." Apni dono choochiyon ko pati ke seene se aur bhi jyaada dabaate hue wo boli, "tum to bekaar main naaraaz ho jati ho,main to tumhe rozana hi chodna chaah'ta hoon,magar sochta hoon larki jawan ho rahi hai,ab ye sab hame shobha nahee deta." Sudarshan jee uske petticoat ke andar hath Dalte hue bole.Petticoat ka thoda sa oopar uthna tha ki uski gadrayee huee gori jaangh night lamp ki dhundhli raushni main chamak uthee. Chikni jaangh par maze le le kar haath firaate hue wo phir bole, "Hai! Sach Jwala!Tumhe dekhte hi mera khara ho jaata hai,aahh! Kya gazab ki janghen hai tumhaaree puchch! Is baar unhone jaangh par chumbi kati thee. Mardaane honth ki apni chikni jaangh par yun chumbi padti mahsoos kar Jwala Devi ki choot main sansani aur jyaada bulandi par pahunch uthee. Choot ki pattiyaan apne aap fadfadaa kar khulti jaa rahi thee. Ye kya? Eka ek Sudarshan jee ka hath khisakta hua choot par aa hi to gaya,choot par yu hath ke padte hi Jwala Devi ke mun'h se tez siskaari nikal paree thee. "Hai. mere . sanam.. oohh.. aajjj.. Mujhe .. Ek .. bachche . ki.. Maa. aur. bana . do..aur wo machalti huee Jwala ko chhod alag hat kar bole, "Jwala! Kya bahki bahki baaten kar rahi ho, ab tumhaare bachche paida karne ki umr nahee rahi,Ranjna ke oopar kya asar padega in baaton ka, kabhi socha hai tumne?" "sochte sochte to meri umr beet gayee aur tumne hi kabhi naheen socha ki Ranjna ka koi bhai bhi paida karna hai. "Chhodo ye sab bekaar ki baten,Ranjna hamaaree larki hi naheen larka bhi hai.Ham use hi dono ka pyar denge." dobara Jwala Devi ki koli bhar kar use puchkarte hue wo bole, unhe khatra tha ki kahi is chudai ke samay Jwala udas na ho jaaye. Abki bar wo tunak kar boli,"chalo bachche paida mat karo,magar meri icchhao ka to khayal rakha karo, bachche ke Dar se tum mere paas sone tak se ghabraane lage ho.""Aainda aisa naheen hoga, magar wada karo ki chudai ke baad tum garbh nirodhak goli jaroor khaa liya karogi." "Haann. mere .. Maalik.!
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