Friday, April 30, 2010

Kamuk kahaaniya -"छोटी सी भूल --24

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"छोटी सी भूल --24

गतान्क से आगे..................

“तुम्हे बहुत बुरा लग रहा होगा कि मैने तुम्हे यहाँ दूसरे कमरे में लेटा दिया. जतिन मेरे दिल के ज़ख़्म अभी हरे हैं. मुझे थोड़ा वक्त दो, मैं पूरी कोशिश करूँगी कि मैं एक अची पत्नी बन पाउ. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुम चाहो तो मेरे पास आ जाना, तुम्हे रोकूंगी नहीं. पर मुझे थोड़ा वक्त चाहिए इस नयी जींदगी में अड्जस्ट होने के लिए. सब कुछ इतनी जल्दी हो गया है कि मैं हैरान हूँ. प्लीज़ मुझे समझने की कोशिश करना” ------- ऋतु ने एमोशनल हो कर कहा


“मैं समझ सकता हूँ जान, मेरे कारण ही तो तुम्हे ज़ख़्म मिले हैं. तुम चिंता मत करो. हम प्यार से एक साथ रहेंगे. रही बात तुम्हारे पास आने की तो मुझे कोई जल्दी नही है. तुम अब मेरी पत्नी हो. पूरी जींदगी पड़ी है पास आने के लिए. तुम अब सो जाओ, तुम्हारी आँखे लाल हो रही हैं” ---- मैने कहा



और इस तरह से हमारी शादी शुदा जींदगी की शुरूवात हुई. आज लगभग एक महीना हो गया शादी को. हम हंसते बोलते हैं. अच्छे दोस्त की तरह एक छत के नीचे रहते हैं. बैठ कर घंटो बाते करते रहते हैं. जब ऋतु बोलती है तो मैं प्यार से उशके चेहरे को देखते हुवे उसकी बात सुनता हूँ. जींदगी बहुत प्यारी और हसीन बन गयी है. हां ये और भी ज़्यादा हसीन हो सकती है अगर हम दोनो एक नॉर्मल हज़्बेंड वाइफ की तरह रह पायें तो. पर मुझे इस बात का कोई गम नहीं है.

ऋतु मेरा पूरा ध्यान रखती है. उसे भी अपने ऑफीस जाना होता है पर फिर भी उसे पहले मुझे ब्रेकफास्ट देने की चिंता रहती है. कभी कभी खुद ब्रेकफास्ट करने का टाइम उशके पास नही होता पर मुझे खीला कर ही ऑफीस जाती है. उसकी मेरे प्रति डेडैकेशन देख कर आँखे भर आती हैं.

कभी शाम को वक्त होता है तो हम दोनो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूम आते है और खूब मस्ती करते हैं. आइस-क्रीम खाते खाते हम दूर तक निकल जाते हैं


हमारी जींदगी में सेक्स नही है पर प्यार चारो और बीखरा पड़ा है. हम दोनो अपनी प्यार से भारी दुनिया में बहुत खुस हैं.



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आज ये डाइयरी पढ़ी तो ये अहसाश और गहरा हो गया कि कितना बड़ा पाप किया था मैने. एक मासूम से फूल को मैने बड़ी बेरहमी से कुचला था. सुकर है वो फूल आज मेरी जींदगी में है और मेरे पास मोका है उसे फिर से खीलने देने का. मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा की अब मेरे कारण ऋतु को कोई भी दुख या तकलीफ़ ना हो. जिस प्यार से वो मेरा ध्यान रखती है उतने ही प्यार से मैं भी उसका ध्यान रखूँगा.

आज ये बात समझ में आ रही है कि क्यों ऋतु मुझे उशके शरीर को छूने से माना करती है. जितना ज़ुल्म उसने सहा है, उसकी जगह कोई और होता तो मर जाता. दुख बस इस बात का है की ये सब मेरे कारण हुवा. मन कर रहा है कि ऋतु के कदमो में गिर जाउ और उस से फिर एक बार माफी मांगू. पर वो उठ जाएगी और मुझे यहा अपने पास देख कर परेशान होगी. कुछ कहेगी नही मुझे, हां मन ही मन उदास ज़रूर हो जाएगी और मुझ से सॉरी फील करेगी कि वो मुझ से दूर दूर रहती है.


कल ऋतु ने मुझ से बड़े प्यार से पूछा था


“जतिन तुम मुझ से नाराज़ होंगे ना”


मैने कहा, “क्यों ऐसा क्यों कह रही हो तुम ऋतु”


ऋतु की आँखे भर आई और वो रोते हुवे बोली, “मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और जब से शादी हुई है मैं रोज तुम से अलग सो रहीं हूँ, मैं क्या करूँ जतिन मुझे कुछ समझ नही आता. जब भी तुम्हे अपने पास बुलाने का सोचती हूँ तो वही सब पुरानी बाते मन में घूमने लगती हैं. एक अंधेरा मानो मुझे घेर लेता है. मैं तुम्हारी जींदगी बर्बाद कर रहीं हूँ.. है ना”


“नही ऋतु ऐसा क्यों कह रही हो, जींदगी तो मैने तुम्हारी बर्बाद की थी. तुमने तो मुझे अपना कर मेरी जींदगी पर एक अहसान किया है. मुझे जींदगी भर तुम्हारे शरीर को छूने का मोका ना भी मिले मुझे कोई गम नही होगा. मुझे आज बस ये ख़ुसी है कि मैं तुम्हारा पति बन के तुम्हारे साथ हूँ. मुझे तुमसे कुछ और नही चाहिए जान, तुम मुझे इतना प्यार दे रही हो वो क्या कम है. सेक्स के लिए ये शादी नही की थी मैने, प्यार के लिए की थी. हम बस आराम से अपनी इस शादी शुदा जींदगी में आगे बढ़ते हैं, जो भी होगा अछा होगा. आइ लव यू” ---- मैने ऋतु को समझाते हुवे कहा


“लेकिन फिर भी जतिन मैं बहुत दुखी हूँ कि एक पत्नी के रूप में मैं फैल हो रहीं हूँ, ऐसा नही है कि मैं कोशिश नही कर रही हूँ. बहुत कोशिश कर रही हूँ. पर मेरी आत्मा तक अंधेरा भरा है. आज तुम्हारे लिए दिल में नफ़रत नही है फिर भी मेरा ये शरीर उस सब के लिए तैयार नही है जीशके लिए एक पत्नी को होना चाहिए. उपर से मेरे पापा की डाँट ने मुझे और ज़्यादा असहाय बना दिया है” --- ऋतु ने कहा


“तो ज़म्मेदार कौन है इस सब के लिए. मैं ही तो ज़म्मेदार हूँ ना, मैं तुम्हारी हालत नही समझूंगा तो और कौन समझेगा. तुम ज़बरदस्ती कुछ कोशिश मत करो. हमारी किशमत में एक हसीन हज़्बेंड वाइफ का रिस्ता रहा तो वो ज़रूर आएगा. ये प्यार सेक्स से कहीं ज़्यादा कीमती है जान, किसी बात की चिंता मत करो और सो जाओ” ---- मैने कहा

इस तरह बड़ी मुश्किल से कल मैने ऋतु को समझा बुझा कर सुलाया था

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ऋतु मेरे सामने पड़ी है और मैं उशके सामने बैठा हुवा ये डाइयरी लीख रहा हूँ. पर अब तक मैने या तो उशके चेहरे को देखा है या फिर उशके कदमो को. उशके शरीर का कोई और अंग मुझे जैसे दीखाई नही दे रहा है. इस प्यार ने मेरे अंदर की हवश को ख़तम करके रख दिया है. मैं बस ऋतु को एक बार गले लगा कर प्यार से कहना चाहता हूँ, “ऋतु मैने तुम्हारे हर दुख को महसूष किया है. तुम्हारे सभी दुखो के लिए मैं ज़म्मेदार हूँ. मुझे जो सज़ा देनी हो दे दो पर इस दुख को जल्द से जल्द भुला दो. हसीन प्यार की एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है. मैने ही तुम्हे ये दुख दिए हैं अब मैं ही तुम्हे एक हसीन सफ़र पर ले जाना चाहता हूँ. प्लीज़ मेरे साथ चलो”






डेट : 22-08-09


कल जो हुवा उसकी महक अभी तक फ़ीज़ा में फैली हुई है. चारो और रंग बीरंगे फूल खिल आए हैं. मेरी और ऋतु की जींदगी को जैसे पंख लग गये हैं. हम दोनो बहुत उँचे उड़ रहें हैं. अभी तक कल का अहसाश बाकी है. बहुत दर्दनाक वक्त था कल हम दोनो के लिए पर उशके अहसाश बहुत प्यारे थे.




कल मैं अपना मोबाइल घर ही भूल गया. शाम को कॉल सेंटर में काफ़ी बिज़ी था. मैं कोई 12 बजे फ्री हुवा. में ऋतु को इनफॉर्म भी नही कर पाया कि आने में थोड़ी देर हो जाएगी.


मैने रात के 12 बजे घर की बेल बजाई


ऋतु ने दरवाजा खोला. उशके चेहरे पर चिंता और परेशानी सॉफ दीखाई दे रही थी.


मैने दरवाजा बंद किया और पूछा, “कैसी हो जान”


ऋतु मेरे गले लग गयी और रोते हुवे बोली, “कहाँ रह गये थे तुम, मुझे बहुत चिंता हो रही थी, फोन भी नही किया तुमने”


“ऋतु तुम मेरे गले लग कर खड़ी हुई हो. तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगी, चलो हटो” ---- मैने हंसते हुवे कहा


ऋतु हट गयी और बोली, “सॉरी ग़लती हो गयी, पर तुम क्या एक फोन नही कर सकते थे, मुझे अपनी जान कहते हो पर तुम्हे मेरी कोई चिंता नही है”


“सॉरी जान बहुत बिज़ी था, ध्यान ही नही रहा कि कब 12 बज गये, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो” ---- मैने ऋतु के कंधे की और हाथ बढ़ा कर कहा


पर वो पीछे हट गयी और बोली, “चलो हाथ धो लो मैं खाना लगाती हूँ”


ऋतु किचन में चली गयी. बहुत नाराज़ लग रही थी. जब आपका प्यार नाराज़ हो तो कुछ अछा नही लगता. मैने पहली बार उसे ऐसे नाराज़ होते हुवे देखा था.
ऋतु किचन में मेरे लिए खाना गरम कर रही थी.


मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि कैसे मनाउ मैं ऋतु को. में किचन के डोर में खड़ा खड़ा ऋतु को देखता रहा. उशके नज़दीक जाने की हिम्मत नही हो रही थी


पर फिर भी मुझ से रहा नही गया और मैने ऋतु को पीछे से बाहों में भर लिया और कहा, “सॉरी जान आगे से ऐसा नही होगा. आगे से कभी लेट हुवा तो तुरंत तुम्हे फोन करके बताउन्गा, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो”

“तुम्हारी मर्ज़ी है जतिन, मुझे तो बस तुम्हारी चिंता हो रही थी. बुरे बुरे ख्याल आ रहे थे कि पता नहीं तुम कहाँ रह गये” ---- ऋतु ने कहा


अजीब बात थी ऋतु ने मुझे हटने को नही कहा. मैने फिर मेरी जान को बहुत अच्छे से अपनी बाहों में दबोच लिया


मैने कहा, “ऋतु मैं तुम्हे बाहों में भर कर खड़ा हूँ, तुम मुझे डाँट कर हटा क्यों नही रही हो, मुझे डाँट कर वही डाइलॉग बोलो ना शरीर से खेलने वाला…. प्लीज़”


“तुम मेरे पति हो, अब क्या ये भी बताना पड़ेगा तुम्हे, मैं चाहे चाहूं या ना चाहूं तुम मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो, तुम्हारा मुझ पर पूरा अधिकार है” --- ऋतु ने कहा


मैं तुरंत हट गया और बोला, “तुम्हारी मर्ज़ी के बिना मैं कभी कुछ नही करूँगा जान, अपने प्यार को मैं कभी दुख नही दूँगा”


ऋतु घूम कर मेरे गले लग गयी और बोली, “जतिन आइ लव यू…. मुझे ऐसे मत सताया करो. पता है दिल बहुत भारी हो रहा था. एक फोन भी नही कर सके तुम. इतना बिज़ी कोई नही होता, मैं 6 बजे से आँखे बिछाए बैठी हूँ. एक एक मिनूट बहुत मुश्किल से बीता है मेरा”


शादी के बाद पहली बार हम ऐसे गले लग कर खड़े थे. वक्त मानो ठहर गया था. मुझे बहुत अछा लग रहा था खुद को ऋतु के इतने करीब पा कर. मुझे ये अहसाश हो रहा था की शायद ऋतु अब उस सफ़र पर चलने के लिए तैयार है जो कि एक पति, पत्नी का होता है.


मैने ऋतु के चेहरे को अपने हाथो में थाम लिया

उसने अपनी आँखे बंद कर ली.

मैने आगे बढ़ कर ऋतु के होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए.

और फिर मेरे और ऋतु के होंटो के बीच वो किस हुई जीशकि मैने सपने में भी कल्पना नही की थी.


हमारे होन्ट क्या जुड़े, ऐसा लग रहा था जैसे की हम दोनो की आत्मा जुड़ गयी हो और जुड़ कर एक हो गयी हो. बहुत प्यारा अहसाश हो रहा था मुझे ऋतु को किस करते हुवे. जिस तरह मैं ऋतु के होंटो को अपने होंटो में दबाता था उशी तरह ऋतु भी मेरे होंटो को अपने होंटो में दबाने की कोशिश करती थी. मेरे होंटो की हर एक मूव्मेंट का जवाब ऋतु अपने होंटो की सिमिलर मूव्मेंट से दे रही थी. कोई 15 मिनूट हम यू ही किचन में खड़े खड़े एक दूसरे को बेतहासा किस करते रहे. हमारी साँसे भी तेज तेज चलने लगी थी.

सी किस के बाद मुझे बिल्कुल विश्वास हो गया कि एक आदमी और औरत के बीच किस प्यार का इज़हार करने का सबसे प्यारा तरीका है. एक दूसरे को किस करते करते मैं और ऋतु प्यार की उस गहराई तक पहुँच गये जिसकी हमने कल्पना भी नही की थी.

जिस तरह हम एक दूसरे को किस कर रहे थे, उस से ऐसा लग रहा था कि हम एक दूसरे के लिए जन्मो से प्यासे हैं.

ऋतु अचानक हट गयी और बोली, “चलो खाना खा लो, तुम्हे भूक लगी होगी”

“नहीं आज भूक नहीं है” --- मैने कहा और कह कर फिर से ऋतु के होंटो को अपने होंटो में दबा लिया.

हम फिर से उस प्यारी सी किस में खो गये. मेरे लिए खुद को संभालना मुश्किल हो रहा था.


मैने ऋतु को अपनी गोदी में उठा लिया और उसके बेडरूम की तरफ चल पड़ा


“जतिन ये क्या कर रहे हो, खाना ठंडा हो रहा है” --- ऋतु ने कहा

“हो जाने दो ठंडा, आज हमारी सुहाग्रात है जान, भूल जाओ सब कुछ और इस पल में खो जाओ” ---- मैने कहा

ऋतु ने आँखे बंद कर ली

मैने ऋतु को बेडरूम में ला कर प्यार से बेड पर लेटा दिया.

मैने उशके चेहरे पर सिकन देखी. शायद वो फिर से कुछ बुरा महसूष कर रही थी.

मुझ से देखा नही गया और मैने कहा, “चलो ऋतु खाना खाते हैं”

“नहीं जतिन प्लीज़ मुझे छ्चोड़ कर मत जाओ, मुझे बाहों में भर लो प्लीज़” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा.



मैं बहुत भावुक हो गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया.


“क्या बात है जान रो क्यों रही हो मैं तुम्हारे पास ही तो हूँ” ---- मैने कहा

“जतिन जब भगवान को हमारे दिल में ये प्यार का फूल ही खिलाना था तो हमें इतने लंबे रास्ते से क्यों घुमाया की हम घूम घूम कर थक जायें, और इस प्यार के फूल की खुसबु तक को महसूष ना कर पायें” ---- ऋतु ने पूछा


“पता नही ऋतु, हम दोनो इस विशाल दुनिया के आगे बहुत छ्होटे हैं. हमें बस इतना पता है कि हमें प्यार है. पूरी कहानी तो बस भगवान ही जानते हैं. क्या पता हमारा जन्मो का रिस्ता हो. इस जनम में ग़लती से तुम संजय की पत्नी बन गयी और फिर भगवान ने इस ग़लती को सुधार दिया. कुछ भी हो सकता है जान. ये दुनिया बहुत अनोखी है और रहाशयों से भरी है. हम जानते ही कितना हैं इस दुनिया को” --- मैने कहा



इतने प्यार में जब पति पत्नी एक दूसरे के गले लगे हों तो उनके बीच एक खूबसूरत सेक्स की संभावना बन जाती है. ऐसा ही कुछ मेरे और ऋतु के बीच हो रहा था.


पति होने के नाते मुझे एक कोशिश करने की ज़रूरत थी. पर मुझे बस ऋतु का डर था. मैं उसे कोई दुख नही देना चाहता था. वो बहुत एमोशनल हो कर मुझ से लीपटि हुई थी. मैं उस के इतने करीब होने के कारण बहकता जा रहा था.

और फिर बिना सोचे समझे मैने एक कोशिश की. वैसे भी प्यार सोच समझ कर नही होता.

मैने ऋतु के उभारो को थाम लिया और उन्हे प्यार से दबाते हुवे कहा, “जान तुम्हे प्यार कर रहा हूँ, जब भी कुछ बुरा लगे तो मुझे रोक देना, मैं तुरंत रुक जाउन्गा”


ऋतु ने कुछ नही कहा और अपनी आँखे बंद कर ली


थोड़ी देर तक मैं ऋतु के उभारो को प्यार से मसलता रहा

मैने ऋतु के चेहरे को ध्यान से देखा तो पाया कि वो शांति से आँखे बंद करके उस पल में खोने की कोशिश कर रही है. वो कोशिश ही कर रही थी क्योंकि कभी उशके चेहरे पर सिकन होती थी और कभी शांति. वो किसी कसम-कस में दीख रही थी.


मैने बहुत प्यार से धीरे से ऋतु की कमीज़ को उपर सरका कर उशके उभारो को थाम लिया.

ऋतु ने ब्रा नही पहनी थी. शायद रात को शोते वक्त वो नही पहनती होगी. मुझे अपनी पत्नी के बारे में पता ही कितना है.


मैने ऋतु के एक निपल को मूह में ले लिया और प्यार से चूसने लगा.


मैने नज़रे उठा कर ऋतु के चेहरे को देखा. कुछ क्लियर नही हो रहा था कि उशे कैसा लग रहा है.

मैने पूछा, “ जान क्या मैं हट जाउ”

“नहीं जतिन आज मुझे ये सब फेस करना ही होगा, वरना मैं कभी नही कर पाउन्गि. मैं तुम्हारी पत्नी हूँ. तुम मेरी परवाह किए बिना जो मन में आए करो” --- ऋतु ने कहा

“ये क्या कह रही हो जान, ऐसा नही कर सकता मैं जान, चलो किसी और दिन ट्राइ करेंगे” ---- मैने कहा


“तुम जब मेरे उभारो को चूम रहे थे तो तुम्हारे मन में क्या था जतिन, हवश या प्यार” ----- ऋतु ने पूछा


“प्यार था जान, हवश को तो मैं कब का त्याग चुका हूँ” ---- मैने कहा


“तो फिर ये प्यार जारी रखो जतिन, तुम्हारा प्यार ही मेरे उन घाव को भर सकता है जो तुम्हारी हवश ने कभी मेरे शरीर को दिए थे. आज मुझे तुम्हारी पत्नी होने का वो अहसाश दे दो जो हर पत्नी का सपना होता है. मुझे प्यार करो जतिन….बस प्यार करो” ---- ऋतु ने कहा


मैने ऋतु के दूसरे निपल को होंटो में दबा लिया और उशे बेतहासा चूसने लगा.


पर फिर भी ऋतु के चेहरे के भाव यही जतला रहे थे कि वो किशी कॉन्फ्लिक्ट में है


मैने ऋतु की कमीज़ उतार कर एक तरफ रख दी और उशके दोनो उभारो को थाम कर प्यार से मसालने लगा.


पर ऋतु जैसे एक लाश की तरह मेरे नीचे पड़ी थी. ये सोच कर मेरी आँखे भर आई कि हे भगवान क्या हाल कर दिया है मैने अपनी जान का. मुझ से ये सब देखा नही गया और मैने ऋतु के कदमो को थाम कर कहा, “जान मुझे माफ़ कर दो, मुझे तुमसे कुछ नही चाहिए”


मैने ऋतु को देखा तो वो भी रो रही थी.


मैं उठ कर उशके चेहरे के पास आया और उशके आंशु पुंछ कर बोला, “कोई ज़रूरत नही है ये सब करने की हमें जान, हमारा प्यार काफ़ी है हम दोनो के लिए”

“आइ आम सॉरी जतिन, मैं इस लिए कह रही थी कि मुझे एक मोका दो, मैं एक जींदा लाश बन चुकी हूँ” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा


“बस जान प्लीज़… ऐसी बाते मत करो वरना मैं मर जाउन्गा. तुम्हारी इस हालत के लिए मैं ही ज़म्मेदार हूँ” ---- मैने कहा


“नहीं जतिन, तुम ही नही, मैं खुद भी ज़म्मेदार हूँ. पहले तो जो हुवा सो हुवा, पर मेरा जो रेप करने की कोशिस की गयी और मुझे जिस तरह बार बार जलील किया गया उसने तो मुझे पूरा ख़तम कर दिया है. आइ आम वेरी सॉरी जतिन तुम्हे प्यार तो करती हूँ पर तुम्हे कुछ देने के लिए मेरे पास नही है,वरना तो जिस दिन शादी हुई थी उसी रात खुद को तुम्हारे कदमो में बिछा देती मैं. इश्लीए तुम्हे कहती थी कि मुझे मोका देना, में पत्नी का फ़र्ज़ निभाने की कोशिश करूँगी.” --- ऋतु ने रोते हुवे कहा


“बस ऋतु, प्लीज़ मेरी जान लोगि क्या अब” ---- मैने कहा


मैं ऋतु के साथ बेड पर लेट गया और उशे बाहों में भर लिया. बहुत देर तक हम चुपचाप पड़े रहे और कुछ नही बोले. कब हमें नींद आ गयी पता ही नही चला. जब मेरी आँख खुली तो पाया कि सुबह के 4 बज रहें हैं. कमरे की लाइट जली हुई थी. ऋतु मेरे साथ ही पाँव सिकोड कर लटी हुई थी. बहुत प्यारा अहसाश था वो मेरे लिए. हम शादी के बाद पहली बार एक साथ सो रहे थे और हमें ये पता भी नही था.

ऋतु का मूह मेरी तरफ ही था. वो सिर्फ़ सलवार में थी. उशके उभार मेरी आँखो के बिकलूल सामने थे. वो बिल्कुल एक मासूम बचे की तरह सो रही थी.

मैने ऋतु को बाहों में भर लिया और वो हड़बड़ा कर उठ गयी.


“ओह्ह…. तुमने मुझे डरा दिया” --- ऋतु ने कहा

“तुम बहुत प्यार से सो रही थी, रहा नही गया और तुम्हे बाहों में भर लिया, आइ लव यू जान” ----- मैने कहा


“आइ लव यू टू जतिन, क्या टाइम हुवा है” ---- ऋतु ने पूछा


“पूरे 4 बजे हैं जान, कब नींद आ गयी पता ही नही चला. हम एक साथ सो रहे थे और हमें इस बात का अहसास भी नही था. तुम्हे कैसा लग रहा है जान” ---- मैने पूछा


“अछा लग रहा है जतिन, वो कौन सी पत्नी होगी जो अपने पति के साथ सो कर खुद को ख़ुसनसीब नही समझेगी” ---- ऋतु ने कहा


और हम फिर से गले लग कर सो गये.



डेट : 23-08-09


6:00 पीयेम


कल का पूरा दिन हमारे प्यार की खुसबु से महकता रहा. 21 की रात को मेरे और ऋतु के बीच सेक्स नही हुवा पर सेक्स से बढ़ कर हमारे बीच इतना प्यार हुवा कि उसकी महक हमारे साथ जींदगी भर रहेगी.


कल सुबह जब में उठा तो ऋतु बेड पर नही थी.


मैं फॉरन उठ कर बाहर आ गया. मैने देखा की वो नहा धो कर अपने छोटे से मंदिर में पूजा कर रही थी. मैं भी उशके साथ जा कर आँख मीच कर खड़ा हो गया.


“अरे तुम कब उठे” --- ऋतु ने पूछा



मैने कहा, “अभी अभी उठ कर आया हूँ”


ऋतु ने अचानक नीचे झुक कर मेरे पाँव छू लिए

मैने कहा, “अरे ये क्या कर रही हो तुम”


“कुछ नही ये तो एक पत्नी का धरम है” ---- ऋतु ने कहा


मैने उसे बाहों में भर लिया और कहा, “तुम्हे पा कर मुझे सब कुछ मिल गया जान मुझे और कुछ नही चाहिए. आइ लव यू”

“मैं खुद को तुम्हारे कदमो में बिछा दूँगी जतिन, बस थोड़ा सा वक्त और दो मुझे. मैं पूरी कोशिश कर रहीं हूँ. चलो अब फ्रेश हो जाओ, मैं ब्रेकफास्ट बनाती हूँ” ----- ऋतु ने कहा



ऑफीस में भी हम एक दूसरे से फोन पर बात करते रहे.ऐसा लग रहा था जैसे की नया नया प्यार हुवा है हम दोनो को. और ये था भी सच. जैसा प्यार हम अब देख रहे थे वो बिल्कुल नया था. ये प्यार एक पति पत्नी का था. ऑफीस में कयि बार मेरी आँखे तक भर आई ऋतु को सोच कर



ऋतु ने पूछा, “आज शाम को क्या खाना पसंद करोगे”


मैने कहा, “कल रात हमने क्या खाया था”

“रात तो हम दोनो भूके सो गये थे” ---- ऋतु ने कहा


“भूके नही सोए थे, हमने पेट भर के प्यार खाया था, आज शाम को भी वही खाउन्गा ठीक है… तेयार रहना मेरी बाहों में आने के लिए” ---- मैने कहा


“तुम पागल हो गये हो जतिन” ---- ऋतु ने कहा


“बिल्कुल हो गया हूँ पागल, जीशकि तुम्हारे जैसी पत्नी हो वो ख़ुसी से पागल हो जाएगा” ---- मैने कहा


“बस मस्का मत लगाओ, मैं अब फोन काट रहीं हूँ, इंपॉर्टेंट मीटिंग में जाना है… बाइ शाम को मिलते है” ---- ऋतु ने कहा और फोन काट दिया



मैं ऋतु से पहले घर पहुँच गया


मैने पूरे घर को सज़ा दिया. ऋतु के बेडरूम को जहाँ हम दोनो पिछली रात सोए थे मैने फूलो से सज़ा दिया. उस बेड को फूलो से ढक दिया जहाँ हमारा पिछली रात प्यार महका था.

ऋतु जब घर आई तो हैरान रह गयी


“अरे तुम आज मुझ से पहले आ गये और ये क्या कर रखा है, माइ गॉड कितना प्यारा सजाया है घर को, क्या कोई पार्टी करने वाले हो आज” ---- ऋतु ने हैरानी में कहा


“हाँ आज हम अपने प्यार को सेलेब्रेट करेंगे, प्यार की ही बात करेंगे, प्यार को ही खाएँगे और प्यार को ही पीएँगे. इस पार्टी में हुमारे शिवा और कोई नही आएगा” ---- मैने कहा


“तुम सच में पागल हो गये हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

“तो क्या हुवा इस पागल को तुम प्यार तो करती हो ना” ---- मैने कहा


ऋतु मेरे गले लग गयी और बोली, “आइ लव यू जतिन”

मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और बेडरूम में ले आया.

बेडरूम को देख कर वो बोली, “वाउ, ये फूलो की बरसात किशणे कर दी”

मैने कहा, “मेडम मेरे अलावा यहा कोई और भी है क्या ?, इतनी मेहनत से सजाया है मैने और तुम कह रही हो किशणे कर दी”



“सॉरी जतिन मज़ाक कर रही थी, मुझे पता है, ये पागल पन तुम ही कर सकते हो” --- ऋतु ने कहा


मैने कहा, “जान कल के प्यार की महक आज मुझे हर तरफ महसूस हो रही थी. कल रात तुम्हारे इतने करीब था मैं, मुझे विश्वास ही नही हो रहा. अपने दिल की फीलिंग्स दीखाने के लिए मैने ये रूम फूलो से सज़ा दिया है. फूलो की जो महक इस कमरे में है, वैसी ही महक मेरे दिल में है”


“तुम दीवाने हो गये हो जतिन, अब मुझे यू ही उठाए रखोगे या फिर नीचे भी उतारोगे” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा


मैने ऋतु को प्यार से फूलो की सेज़ पर लेटा दिया और खुद भी उशके साथ लेट गया


मैने पूछा, “अब हम साथ साथ सोएंगे ना जान”


“ह्म्म… तुमसे प्यार करने का ये मतलब नही है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” --- ऋतु ने हंसते हुवे कहा कहा


“जान सच कह रहा हूँ कल बहुत अछा लगा मुझे. तुम्हारे करीब होने का बहुत प्यारा अहसाश था मेरे लिए” ---- मैने कहा

“मुझे भी अछा लगा जतिन, मैं आज पूरा दिन ऑफीस में तुम्हे सोचती रही. मेरा शरीर मेरे बस में नही है, पर मेरा प्यार तुम्हारे कदमो में हर पल हाज़िर है” --- ऋतु ने कहा




“जान एक बात कहूँ” --- मैने पूछा

“हां कहो” ---- ऋतु ने जवाब दिया

“हमारा एक प्यारा सा रिस्ता बन गया है. इस रिस्ते का आधार प्यार है, हम प्यार में खोए रहते हैं जो होगा अछा होगा. तुम किसी बात की चिंता मत करो” --- मैने कहा


“हां जतिन मुझे पता है, मुझे बस ये दुख रहता है कि मैं तुम्हे एक पत्नी का सुख नही दे पा रही” ------ ऋतु ने कहा


“कौन कहता है तुम पत्नी का सुख नही दे रही हो. मेरा इतना ख्याल रखती हो. अछा अछा खाना खिलाती हो. और कल मुझे इतनी प्यारी किस दी थी. अभी तक मेरे होन्ट फदाक रहें हैं” ----- मैने कहा


“वो सिर्फ़ किस नही थी जतिन, वो मेरा प्यार था, काश तुम्हे ये शरीर भी दे पाती, पर ये मेरे बस में नही है” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा


“पता है जान, वो तुम्हारा प्यार था, वरना तो तुम मेरे नज़दीक कहाँ आती हो… तुम्हारा प्यार मुझे मेरी आत्मा तक महसूष हुवा था. ऐसा लग रहा था कि हम एक हो गये हैं” ---- मैने कहा


हम एक दूसरे की आँखो में बड़े प्यार से देख रहे थे. देखते देखते कब हमारे होन्ट मिल गये पता ही नही चला.



बहुत देर तक हम किस करते रहे

अचानक मुझे ऋतु की डाइयरी में लीखी बाते याद आ गयी और मेरे होंटो की मूव्मेंट रुक गयी

ऋतु को शायद कुछ महसूष हुवा और उसने मेरे होंटो से अपने होन्ट हटा कर पूछा, “क्या हुवा जतिन”


“एक बात सोच रहा था जान” ---- मैने कहा

“बोलो क्या बात है, जातीं” ---- ऋतु ने पूछा

मैने ऋतु के चेहरे पर प्यार से हाथ रखा और कहा, “ जान मैने तुम्हारी डाइयरी पढ़ ली है”

“क्या ?? तुमने डाइयरी पढ़ ली, बुरा लगा होगा ना तुम्हे ? मैने तो उस में तुम्हे खूब बुरा भला कह रखा है” ---- ऋतु ने कहा


“कुछ बुरा नही लगा जान, मैं पहले उसी लायक था. बुरा लगा तो बस ये कि मेरे कारण तुम्हे कितना कुछ सहना पड़ा. मुझे ऐसा लगता है कि
तुम खुद को उस पाप के लिए माफ़ नही कर पा रही हो जो कि मैने तुम पर थोपा था” --- मैने कहा









“मैं क्या करूँ जतिन, अब जब तुम डाइयरी पढ़ ही चुके हो तो समझ सकते हो कि सेक्स नाम से मुझे कितनी नफ़रत हो गयी है, पर मेरा यकीन करो मैं एक अछी पत्नी बन-ने की पूरी कोशिश कर रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा


“ऋतु वो सब तो ठीक है, पर जब तक तुम खुद को माफ़ नही करोगी, तब तक यू ही परेशान रहोगी. अपनी ग़लती को मान-ना अलग बात है पर हम हमेशा उस ग़लती को सर पर ढो कर नही चल सकते. आज जींदगी एक खूबसूरत मोड़ पर है. चारो और हमारे प्यार की महक फैली हुई है. सब कुछ भुला कर इस प्यार की महक में खो जाओ. शांति से अपने चारो और देखो एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है” ---- मैने कहा


“मैं समझ रहीं हूँ जतिन. जब से तुमसे शादी हुई है, मैने खुद इस प्यार की महक को अपने चारो और महसूष किया है. मेरा यकीन करो मैं खुद को इस प्यार पर लूटा देना चाहती हूँ. कल जब तुम मुझे गोदी में उठा कर बड़े प्यार से यहा बेडरूम में लाए थे तो मैं मन ही मन खुद को तुम्हारे लिए तैयार कर रही थी. मैं सोच रही थी कि तुम्हारे कदमो में आज अपना प्यार बिछा दूँगी. पर ना जाने क्यों उसी वक्त पापा की कही बाते जो उन्होने शादी वाले दिन फोन पर कही थी मेरे कानो में गूंजने लगी. याद है ना तुम्हे की वो कह रहे थे की वो चिंटू को हम पापियों के पास नही भेजेंगे. इश्लीए मेरा शरीर जाकड़ गया और मैं ज़ींदा लाश बन कर रह गयी. जतिन मैं तुम्हारी पत्नी होने के साथ साथ एक मा भी हूँ. मुझे अपने बेटे की बहुत याद आती है.” ------ ऋतु ने बड़े ही भावुक अंदाज़ में कहा

मैने आगे बढ़ कर ऋतु के माथे को चूम लिया और कहा, “ओह्ह जान, मुझे भी चिंटू की चिंता है. मुझे नही पता था क़ि तुम उसे ले कर इतना परेशान होगी”


ऋतु रोते हुवे मेरे गले लग गयी और भारी मन से बोली, “जतिन, मैं रोज पापा का फोन ट्राइ करती हूँ, पर वो मेरा फोन काट देते हैं. मम्मी और सोनू भी मुझ से कोई बात नही कर रहे. समझ नही आता कि मैं क्या करूँ, क्या नहीं. मैं कैसे अपने बेटे से मिलूं”


“ह्म्म….. ऐसा करते हैं हम देल्ही चलते हैं. उशे खुद यहा ले कर आएँगे” ------- मैने प्यार से कहा


“नहीं जतिन अपने घर वालो का सामना करने की हिम्मत मुझ में नही है, वो मुझे बहुत ग़लत समझ रहें हैं” ----- ऋतु ने कहा



“जींदगी में इस बात से फरक नही पड़ता कि लोग आपको क्या समझते हैं, फरक पड़ता है तो इस बात से कि आप खुद को क्या समझते हैं. इस प्यार की लाज़ रखो जान और सर उँचा रख कर आगे बढ़ो. तुम्हारा ऐसा बिहेवियर इस प्यार का अपमान है” ---- मैने कहा


“तो तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” --- ऋतु ने पूछा


“जाओ और अपने बेटे को अपने साथ ले आओ” ---- मैने कहा


“क्या तुम मेरे साथ चलोगे” ----- ऋतु ने पूछा


“क्यों नही जान, मैने अभी कहा तो था की, देल्ही चलते हैं, चिंटू अब मेरा बेटा है. मैं अभी फ्लाइट बुक क्रा कर आता हूँ ” ---- मैने कहा


“अरे रूको मेरा क्रेडिट कार्ड कब काम आएगा, यही लॅपटॉप से बुक कर लेंगे” ---- ऋतु ने कहा


“नहीं तुम अपना क्रेडिट कार्ड अपने पास रखो अपना घर मैं खुद संभालूँगा, 10 मिनूट लगेंगे अभी टिकेट ले कर आता हूँ” --- मैने कहा

“तुम मेरा कोई खर्चा नही होने देते, मेरा पैसा भी तो तुम्हारा ही है” ---- ऋतु ने कहा

“वो तो ठीक है जान लेकिन मैं अपने परिवार की सारी ज़िम्मेदारी खुद उठाना चाहता हूँ” ---- मैने कहा


“ठीक है मैं डिन्नर तैयार करती हूँ, जल्दी आना, हम खाना खा कर ढेर सारी बाते करेंगे” --- ऋतु ने कहा

मैं टिकेट ले आया. सुबह 7:30 की फ्लाइट थी.

हम दोनो रात भर बाते करते रहे. मन में यही सवाल था कि ऋतु के घर जब हम जाएँगे तो उशके पेरेंट्स कैसे रिक्ट करेंगे. बाते करते करते हम पिछली रात की तरह एक दूसरे की बाहों में सो गये.


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डेट : 23-08-09

अभी शाम के 6 बजे हैं. हम सुबह 10 बजे देल्ही पहुँच गये थे. अभी मैं लक्ष्मीनगर अपने घर पर हूँ. ऋतु को सुबह कारोल बाग उसके घर छ्चोड़ आया था.


जैसे ही हम ऋतु के घर पहुँचे, जैसी की हमें उम्मीद थी, किशी ने हमारा स्वागत नही किया.

हम घर के दरवाजे पर ही रुक गये.

ऋतु के पापा आग बाबूला हो कर हमारे पास आए.

उन्होने ऋतु को कुछ नही कहा और मेरी और देख कर बोले, “कहा था ना मैने कि इस घर में कदम मत रखना, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की, दफ़ा हो जाओ यहाँ से, वरना ज़ूते मार कर यहाँ से निकालूँगा”


मैने कहा, “देखिए, ऋतु अपने बेटे के लिए परेशान है, और मैं इसका पति होने के नाते यहाँ खड़ा हूँ, आप प्लीज़ गुस्सा मत किज़िइ और एक बार ऋतु की बात सुन लिज़िइ, ये आपकी बहुत इज़्ज़त करती है, इश्लीए यहाँ आई है”

इतना सुनते ही ऋतु के पापा ने मेरे मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया और बोले, “बकवास बंद कर और फॉरन यहाँ से दफ़ा हो जा”


तभी ऋतु का छ्होटा भाई भी वहाँ आ गया

उशके आने की तो कोई चिंता नही थी पर वो हाथ में एक हॉकी ले कर आ रहा था. एक वाय्लेंट माहॉल बनता नज़र आ रहा था. यही मैं नही चाहता था. हम तो शांति से बात को सुलझाना चाहते थे.


“साले तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ घुस्सने की” --- उसने हॉकी को मुझे दीखाते हुवे कहा

“देखो भाई, मैं यहाँ कोई लड़ाई झगड़ा करने नही आया हूँ, मेरी पत्नी अपने बेटे के लिए परेशान है और मुझे लगता है कि एक मा को बेटे से जुदा नही करना चाहिए” ---- मैने कहा

लेकिन सोनू(ऋतु का भाई) को जैसे कुछ समझ नही आया और उसने हॉकी घुमा कर मेरे पेट में दे मारी.


वार इतनी ज़ोर का था कि मैं लड़खड़ा कर गिर गया. पर जल्दी ही उठ गया. मुझे हर हाल में ऋतु के साथ रहना था


ऋतु ये सब देख कर रोने लगी और बोली, “पापा प्लीज़ हमारी बात तो सुनो”


“चुप करो तुम ऋतु, तुमसे मैं कोई बात नही करना चाहता” ---- ऋतु के पापा ने कहा

सोनू ने हॉकी मेरे सर पर मारने की कोशिश की पर मैने उसकी हॉकी उशके हाथ से छीन ली

“देखो मुन्ना हॉकी से मैं बहुत खेल चुका हूँ, बात आज प्यार की है और मैने अपनी जींदगी में यही सीखा है कि खून ख़राबे से कुछ हाँसिल नही होता, मेरी बात मत सुनो, मैं जा रहा हूँ, पर एक बार ऋतु की बात सुन लो. एक मा अपने बेटे के लिए यहाँ आई है” --- मैने कहा


सोनू मेरी बात सुन कर चुपचाप वहीं खड़ा हो गया पर वो मेरी और बड़े गुस्से से देख रहा था

मैने ऋतु के कानो में कहा, “जान तुम यहीं रूको, मैं चलता हूँ, मेरे यहाँ रहने से शांति का माहॉल नही बन पाएगा. तुम मेरे जाने के बाद शांति से कॉन्फिडेंट्ली बात करना. मैं लक्ष्मीनगर अपने घर जा रहा हूँ, कोई बात हो तो फोन कर देना”


“नहीं प्लीज़ मुझे अकेला छ्चोड़ कर मत जाओ, मुझे बहुत डर लग रहा है” ----- ऋतु ने कहा


“डरने की क्या बात है जान, तुम्हारे पापा तुम्हे बहुत प्यार करते हैं तभी इतना गुस्सा हो रहे हैं. तुम आराम से अंदर जाओ, मेरे यहाँ रहने से बात चीत का माहॉल नही बन पाएगा. मैं चलता हूँ, ठीक है, डॉन’ट वरी अबौट एनितिंग, कीप फैथ इन गॉड आंड इन दिस लव” ----- मैने कहा

सोनू को हमारी बाते सुन गयी थी वो बोला, “हाँ…हाँ जल्दी से यहाँ से दफ़ा हो जाओ वरना यहाँ से तुम्हारी लाश जाएगी”


“ठीक है जतिन, अपना ख्याल रखना, मैं तुम्हे बाद में फोन करूँगी” ---- ऋतु ने धीरे से कहा


मैं घर से बाहर आ गया और ऋतु अंदर की ओर चल पड़ी. उशके पापा चुपचाप उसे देख रहे थे.


डेट : 24-08-09


2:00 पीयेम



कल शाम को मैं बहुत बेचैन था. ऋतु के करीब रहने की इतनी आदत हो गयी है कि एक एक पल उशके बिना मुश्किल से बीत रहा था. फिर मुझे उसकी चिंता भी हो रही थी कि वो कैसी है. सुबह जब मैं उसे उशके घर छ्चोड़ कर घर से बाहर निकला था तो उसने बड़े प्यार से पीछे मूड कर मेरी ओर देखा था. अभी तक वो मोमेंट मेरी आँखो में घूम रही है. अजीब होता है ये प्यार भी, हर वक्त दिल को बेचैन रखता है.


सुबह से शाम हो गयी पर ऋतु का कोई फोन नही आया. मैं उसका फोन ट्राइ कर रहा था तो बार बार स्विच्ड ऑफ आ रहा था. दिल बहुत बेचैन हो रहा था. मैं उशके घर जाना चाहता था, पर ये सोच कर रुक गया कि कहीं कोई लड़ाई झगड़ा ना हो जाए और बनी बनाई बात बिगड़ जाए.

कोई 8:30 बजे ऋतु का फोन आया


“कहा थी तुम मुझे कितनी चिंता हो रही थी” --- मैने पूछा

“सॉरी जतिन, फोन की बेतटेरी ख़तम हो गयी थी, और मैं यहाँ बातो में उलझी हुई थी, तुम ठीक तो हो. सोनू ने बड़ी ज़ोर से हॉकी मारी थी ना. आइ आम सॉरी फॉर दट जतिन” ----- ऋतु ने कहा


मैने कहा, “मैं अपने घर पर हूँ, जान तुम मेरी चिंता मत करो और बताओ कि क्या हुवा”

“जतिन, सब ठीक है, चिंता की कोई बात नही है, अभी मैं बिज़ी हूँ, कोई एक घंटे मैं तुम्हे फोन करती हूँ, ठीक है, मेरा वेट करना आराम से बात करेंगे….ओके” ----- ऋतु ने कहा

मैने कहा, “ठीक है जान, तुम चिंता मत करो, आराम से फोन करना”

“ठीक है फिर मैं थोड़ी देर में आती हूँ”
----- ऋतु ने कहा

ये कह कर ऋतु ने फोन काट दिया




और फिर जींदगी का वो खूबसूरत लम्हा आया जिसकी याद जींदगी भर मेरे साथ रहेगी. मैं शायद सब कुछ भूल जाउ पर वो लम्हा कभी नही भुला पाउन्गा


कोई 9:30 पर मेरे घर की बेल बाजी


मैने दरवाजा खोला तो, ख़ुसी के मारे मेरी आँखे भर आई


मेरे सामने मेरी दुल्हन खड़ी थी, और बड़े प्यार से मेरी ओर मुश्कुरा रही थी.

“क्या बात है पति देव, अंदर नही आने दोगे क्या” ----- ऋतु ने पूछा


“तुम यहाँ कैसे पहुँच गयी जान, तुम तो कह रही थी कि मैं एक घंटे बाद फोन करूँगी” ---- मैने ख़ुसी में झूम कर पूछा


“सारी बात यही करोगे या फिर अंदर भी बुलाओगे” ---- ऋतु ने पूछा

“रूको तुम पहली बार घर आई हो, और मैं अपनी दुल्हन को पूरे रीति रिवाज़ से घर में परवेश करवँगा”


मैं इतना खुस था कि मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ. मैने पूरा घर छान मारा पर सवागत करने के लिए कुछ नही मिला. बहुत दीनो बाद घर आया था, इश्लीए कुछ मिलना मुश्किल था.


मैं वापस दरवाजे पर आ गया. शायद ऋतु मेरी उलझन समझ गयी और बोली, “क्या बात है जतिन, तुम किशी बात की चिंता मत करो, मैं आ रही हूँ”

मैने कहा,“ नही रूको तो”

मैं ऋतु के पास आ गया और बोला, “जान घर में तुम्हारे स्वागत के लिए कुछ नही है, लेकिन में तुम्हारे कदमो में अपना दिल बिछा रहा हूँ, तुम मेरे दिल पर पाँव रख कर घर में परवेश करो”


ये कह कर मैं ऋतु के कदमो में लेट गया


“जतिन ये क्या कर रहे हो तुम, इस सब की कोई ज़रूरत नही है, चलो उठो यहा से” ---- ऋतु ने झुक कर मुझे उठाते हुवे कहा


“नहीं जान मेरी जींदगी का ये खूबसूरत अहसाश मुझ से मत छीनो, मैं ये दिन यादगार बनाना चाहता हूँ” ----- मैने कहा


“तुम नही मानोगे” ---- ऋतु ने कहा और मुश्कूराते हुवे मेरे दिल पर हल्का सा पाँव रख कर घर में दाखिल हो गयी

“हां तो पति देव अब उठो और ये दरवाजा बंद कर लो” ---- ऋतु ने कहा


“तुम तो बहुत हल्की हो जान, दिल पर कुछ असर ही नही हुवा” ---- मैने कहा


“ये तुम्हे अभी पता चला, रोज मुझे गोदी में उठा कर घूमते हो, तब ये अहसाश नही हुवा क्या” --- ऋतु ने मुश्कुरा कर पूछा


मैने उठ कर दरवाजा बंद किया और ऋतु को बाहों में भर कर कहा, “तुमने आज मुझे बहुत बड़ा गिफ्ट दिया है, यहाँ आकर, पता है मैं तुम्हे बहुत मिस कर रहा था”


“मैं भी तुम्हे मिस कर रही थी जतिन” ---- ऋतु ने कहा


“अछा बताओ तो सही कि क्या हुवा घर पर और चिंटू कहाँ है” ----- मैने पूछा


“जतिन पापा ने मुझ से कोई बात नही की हां मैने मम्मी और सोनू को सब कुछ समझा दिया है. मम्मी कह रही थी कि वो खुद पापा को समझा लेंगी उशके बाद शांति से चिंटू को ले जाना. सोनू ही मुझे अपनी कार में यहाँ तक छ्चोड़ कर गया है, वो सॉरी महसूष कर रहा था, कह रहा था कि बाद में शांति से तुमसे मिलेगा. बस अब पापा की बात है, इश्लीए मैने चिंटू को अभी लाने की ज़िद नहीं की. मैं भी यही चाहती हूँ कि सब शांति से हो जाए. मैं खुस हूँ कि मम्मी और सोनू अब मेरे साथ हैं. पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं, मुझे यकीन है कि वो भी जल्दी ही समझ जाएँगे. अब लगता है कि मेरी जींदगी में शांति है और सब कुछ ठीक होने वाला है”


“ये तो बहुत अछा हुवा जान, बहुत तस्सली मिली है दिल को ये सुन कर, फिर हम कल शाम को वापस चलते हैं” ----- मैने कहा

“हां कल एरपोर्ट पर ही टिकेट ले लेंगे” ---- ऋतु ने कहा

“पर तुम अभी कैसे आ गयी, किसी ने तुम्हे रोका नहीं” ------ मैने पूछा

“मम्मी रोक रही थी. पर मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी. देखना चाहती थी की तुम ठीक तो हो. तुमने कुछ खाया की नहीं” ---- ऋतु ने कहा


“हां जान मैने खा लिया है, अभी बाहर से खा कर आया था” ---- मैने कहा

“जतिन ये घर तो अछा है” ----- ऋतु ने कहा

“हां मम्मी पापा बस यही घर छ्चोड़ गये थे. इशके अलावा मेरे पास कुछ नही है. सोच रहा हूँ इसे बेच कर मुंबई में ही कुछ खरीद लूँ” ---- मैने कहा

“अरे नही बेचने की क्या ज़रूरत है, कभी हम देल्ही आए तो कहाँ ठहरेंगे, मुंबई में है तो हमारा घर” ---- ऋतु ने कहा

“ठीक है बाद में बात करेंगे, पहले ये बताओ कि क्या सेवा करूँ अपनी बीवी की मैं” ---- मैने पूछा


“मुझे लेट-ने का मन हो रहा है जतिन, सुबह से बैठे बैठे थक गयीं हूँ” ---- ऋतु ने कहा

मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और सीढ़ियों की तरफ चल पड़ा

“ये कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा

“छत पर ले जा रहा हूँ जान, आज चाँदनी रात है, मैने छत पर अपना बिस्तर लगा रखा है, हम आज खुले आसमान के नीचे चाँदनी रात में शोएंगे” ---- मैने कहा


“जतिन रूको तो मुझे नीचे उतारो, मुझे ले कर कैसे चढ़ोगे तुम” ---- ऋतु ने कहा

“चढ़ जाउन्गा जान, तुम में बोझ ही कहाँ है” ---- मैने कहा


“मैने ऋतु को ज़मीन पर बीचे बिस्तर पर लेटा दिया और बोला, “तुम आराम से लेटो मैं पानी की बॉटल ले कर आता हूँ, रात को पानी की प्यास लगेगी तो काम आएगा” ----- मैने कहा


“जतिन ये बिस्तर तो छ्होटा है, हम एक साथ इस पर कैसे लटेंगे” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“लेट जाएँगे जान, हम एक दूसरे की बाहों में होंगे तो ये बिस्तर तुम्हे बड़ा लगेगा,” ---- मैने हंसते हुवे कहा


“तुम पागल हो” ---- ऋतु ने कहा

“हां तुम्हारे प्यार में पागल हूँ. वैसे ये बिसतर मैने अपने लिए लगाया था, अब तुम आ गयी हो तो हम दोनो इसी पर शोएंगे ” --- मैने कहा और पानी लेने के लिए चल पड़ा


मैने पीछे मूड कर देखा तो ऋतु मुश्कुरा रही थी


मैं वापस आया तो देखा की ऋतु आँखे बंद करके लटी हुई है


चाँदनी रात में ऋतु इतनी प्यारी लग रही थी कि मन कर रहा था कि उसे बस देखता रहूं. उसकी प्यारी सूरत के आगे चाँदनी फीकी लग रही थी
मैं चुपचाप ऋतु के बाईं ओर लेट गया.

उसकी प्यारी सी सूरत पर हल्की सी मुश्कान उभर आई. उसे पता चल गया था कि मैं उशके पास लेट गया हूँ.

अपनी दुल्हन के साथ चाँदनी रात में कोई भी बहक जाएगा. मेरे लिए खुद को थामना मुश्किल हो रहा था. उपर से ऋतु के चेहरे पर इतनी प्यारी मुश्कान थी कि दिल थामे नही थम रहा था.

मैने अपना दायां हाथ हल्के से ऋतु के उभार पर रख दिया और उसे महसूस करने लगा. ऋतु की साँसे तेज होने लगी.


“जतिन हट जाओ, तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ---- ऋतु ने आँखे बंद रखते हुवे कहा.

ये कह कर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुश्कान उभर आई


“अछा तो तुम्हे प्यार करने का क्या ये मतलब है कि मैं तुमसे हमेशा दूर रहूँगा. वैसे तुम ही बताओ कि तुम्हे प्यार करने का क्या मतलब है” ---- मैने भी हंसते हुवे कहा


“मुझे नही पता” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा



मैने ऋतु के होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए. ऐसा लगा जैसे 2 फड़कते हुवे अंगारे टकरा गये हों

हम थोड़ी देर तक पॅशनेट्ली किस करते रहे

फिर मैने ऋतु की कमीज़ को उपर सरका कर ऋतु के उभारो को थाम लिया

“पागल हो गये हो क्या, कोई देख लेगा यहाँ जतिन” --- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“चारो तरफ उँची दीवार है ऋतु, हम दुनिया की नज़रो से दूर इश् चाँदनी रात में बिल्कुल तन्हा हैं” ---- मैने कहा



ऋतु के उभार उसकी ब्रा में क़ैद पंछी की तरह लग रहे थे. मैने ऋतु के कान में कहा, “जान ये सोते वक्त आज ब्रा क्यों पहन रखी है, उतार दो ना और आज़ाद कर दो इन फूलों को”


ऋतु ने कोई जवाब नही दिया.

मैं समझ रहा था कि ऋतु के लिए ये करना मुश्किल होगा, क्योंकि वो शायद अभी भी पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार नही थी. पर मेरा मकसद प्यार के सागर में सेक्स को इस तरह डुबोना था कि ऋतु नॅचुरली प्यार में सेक्स का आनंद ले पाए.


मैने प्यार से कहा, “ ऋतु आओ हम आज प्यार के एक लंबे सफ़र पर चलते हैं. चाँद तक पहुँचने की कोशिश करेंगे देखते है क्या होता है”


ऋतु ने कहा, “जतिन, अगर मैं ना चल पाई तो और लड़खड़ा कर गिर गयी तो”


“तो मैं तुम्हे अपनी बाहों में थाम लूँगा जान, मैं हूँ ना. मैं तुम्हे अपनी गोदी में ले कर चलूँगा” ----- मैने ऋतु के गाल को छू कर कहा


क्रमशः........................
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