Monday, April 19, 2010

रेप कहानिया मर्दों की दुनिया पार्ट--10

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मर्दों की दुनिया पार्ट--10

दूसरे दिन शाम तक अमित और सुमित भी शिमला पहुँच गये. सीमा
दीदी ने अमित और सुमित का परिचय सोना और टीना से करवाया.

सोना ने उन्हे नमस्ते की, लेकिन टीना तो जैसे उछल पड़ी, "क्या कहा
दीदी आपने? इनका नाम सुमित है..... ओह पहले 'स' से शिमला अब 'स'
से सुमित..... हे भगवान तू कितना दयालु है.... महाराज की सब
बात पूरी हो रही है" चिल्लाते हुए टीना कमरे से भाग गयी.

अमित और सुमित हैरत से उसे देख रहे थे, सुमित ने झल्लाते हुए
पूछा, "क्या हो गया इस लड़की को? क्या ये पागल है?"

"नही सुमित ये पागल नही है बस थोड़ा खुश हो गयी है.' सीमा
दीदी ने कहा. फिर दीदी ने उन्हे सोना और टीना की कहानी सुना दी.

"सुमित एक बात याद रखना टीना के साथ तुम्हे ही पहल करनी है
वरना वो तुम्हे चोदने नही देगी." विजय ने उसे समझाते हुए कहा.

फिर हम सब बैठ कर सोचने लगे कि आगे क्या करना चाहिए. सबने
मिलकर यही तय किया कि एक दो दिन रुक जाना चाहिए जिससे सब आपस
मे घुल मिल जाएँ.

अगले चौबीस घंटे मे कुछ नही हुआ पर मेने देखा की टीना कुछ
अजीब व्यवहार कर रही थी.

"दीदी ये अचानक टीना को क्या हो गया है," मेने पूछा, "में देख
रही हूँ कि सुमित जहाँ भी जाता है ये उसके पीछे चली जाती है
और अगर वो किसी से प्यार से बात कर लेता है तो ये रोने लग जाती
है."

'हां मेने भी ये महसूस किया है," सीमा दीदी ने जवाब
दिया, "सूमी... अभी टीना मे बचपाना है.... वो समझ रही है कि
भगवान ने सुमित को सिर्फ़ उसके लिए बनाया है...."

"में अभी जाकर उसे सब खुलासा बता देती हूँ." मैने गुस्से मे
कहा.

"सूमी... बच्चो जैसी बात मत करो..." सीमा दीदी ने कहा. "थोड़ा
वक़्त जाने दो सब ठीक हो जाएगा, टीना एक बार चारों से चुदवा लेगी ना
तो सब अपने आप समझ जाएगी."

दो दिन बाद हम सब चाइ पीने बैठे थे. "मुझे लगता है कि अब
हमे अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहिए." मेने कहा.

"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है, वो सोना भी मुझे तीन बार याद
दिला चुकी है." जीजाजी ने कहा.

"क्या कहा तुमने उससे?" माला दीदी ने मुस्कुराते हुए पूछा.

"मेने उसे प्यार से समझा दिया कि में उसे उसकी मालकिन के सामने
छोड़ना चाहता हूँ जिससे घर पहुँच कर हमे चुदाई करने मे कोई
तकलीफ़ ना उठानी पड़े." जीजाजी ने बताया.

"पर अब तुम उसे नही चोदोगे तो वो तुमसे बहोत नाराज़ हो जाएगी."
सीमा दीदी ने हंसते हुए कहा.

"में भी तो यही चाहता हूँ कि वो मुझसे नाराज़ और गुस्सा हो जाए."
जीजाजी ने कहा.

"अब तुम सब बातें ही करते रहेगो या कुछ करोगे भी," सुमित ने
कहा, "में तो अब टीना को चोदे बिना रह नही सकता."

"सुमित तुम्हे तो सिर्फ़ उसे बुलाने की देर है वो खुद तुम्हारे पास अपनी
टाँगे खोले चली आएगी," माला दीदी ने कहा, "तुमसे ज़्यादा वो तुमसे
चुदवाने को बैचैन है."

"मेरे दीमाग मे एक आइडिया आया है," सीमा दीदी ने कहा, "विजय तुम एक
काम करो. सोना के सामने ही हम मे से किसी की चुदाई करो... वो
जलने लगेगी और खुद बा खुद ही अमित के बिस्तर मे घुस जाएगी."

"हो सकता है आप सही कह रही हों" अमित ने कहा, "लेकिन मेने और
सुमित ने तय किया है कि हम दोनो सोना और टीना को सबके सामने
चोदेन्गे जिससे कि बाद मे सब उनकी कसी चूत का मज़ा उठा सके."

"यार तुम दोनो का सोचना सही है." जीजाजी खुश होते हुए
बोले, "हमे कोई दूसरा तरीका ढूंदना होगा."

"मुझे लगता है आज रात को खाने के बाद ही शुरू कर दिया जाए,"
अजय जीजू ने कहा, "लेकिन सवाल ये है कि शुरुआत कैसे करें."

"क्यों ना हम ताश खलेते है." सुमित ने कहा.

"ताश से क्या होगा, क्या ये दोनो लड़कियाँ मान जाएँगी." मेने कहा.

"मेरी मानो, में जो कहने जा रहा हूँ उससे मौका मिलेगा. हम तीन
पत्ती खेलेंगे, पैसे से नही. हम ऐसा गेम खेलेंगे जिसमे हारने
वाले को अपने शरीर का एक कपड़ा उतारना होगा, और जीतने वाला उससे
कुछ भी करने को कह सकता है." सुमित ने कहा.

ओह तो तुम स्ट्रीप पोकर गेम खेलने को कह रहे हो." अनु ने कहा.

"हां उससे क्या होगा कि एक बार वो नंगी हो जाएँगी तो उनकी आधी
शरम तो वैसे ही ख़तम हो जाएगी. और हम चारों को मौका मिल
जाएगा उन्हे चोदने का." सुमित ने कहा.

"हां ये तो है," मेने कहा, "लेकिन उस हालत मे क्या करोगे अगर हम
नंगी हो गयी और सोना और टीना के कपड़े नही उत्तरे तो?" मैने
पूछा.

"अरे तुम अमित को नही जानती इसकी बहोत सी खूबियाँ है, ऐसा हो
नही सकता कि उन दोनो के कपड़े ना उत्तरे." सुमित ने कहा.

"अमित मुझे पता नही था कि तुम पत्तेबाज भी हो." मैने हंसते हुए
कहा.

"इसके अलावा भी मेरी बहोत सी खूबियाँ है जिनके बारे मे तुम्हे नही
पता." अमित मुस्कराते हुए बोला.

"पर नौकरणीयाँ हमारे साथ ताश खलेने को राज़ी हो जाएँगी इसकी
क्या गारंटी है." मेने पूछा.

"मेने उसके बारे मे भी सोच लिया हिया, अगर इसकी नौबत आएगी तो
विजय सोना से कह सकता है कि ये सब उसके प्लान के तहत हो रहा है
और में देखूँगा कि टीना भी शामिल हो जाती है." सुमित ने कहा.

"हां ये ठीक रहेगा, मोना और रीमा को तो पता ही है कि हम सब
यहाँ क्यों इकट्ठा हुए है." अमित ने सुमित की बात का समर्थन
किया.

खाने खाते वक़्त सीमा दीदी ने कहा, "आज सब कोई मेरे कमरे मे
इकट्ठा होंगे. हम सब मिलकर एक गेम खलेंगे, और हां तुम चारों
को भी उसमे शामिल होना है." दीदी ने नौकरानियों को इशारा करते
हुए कहा.

जब हम सब सीमा दीदी के कमरे मे इकट्ठा हो गये तो जीजाजी ने
कहा, "आज हम तीन पत्ती खेलेंगे."

नौकरणीयाँ हमारी बात सुनकर विरोध करने लगी, "ये तो जुआ है और
जुआ खेलने के लिए हमारे पास पैसे कहाँ है?" सोना ने कहा.

"हां ये सही कह रही है," टीना ने कहा, "और मुझे तो ये खेलना
भी नही आता." मोना मेरे और अनु की तरफ देख रही थी जिसे हमने
इशारे मे समझा दिया.

"खेलना तो मुझे भी नही आता और मेरे पास भी पैसे नही है
लेकिन में फिर भी खेलूँगी शायद मज़ा आ जाए." मोना ने कहा.

"फिर तो में भी खेलूँगी." रीमा ने कहा.

"लड़कियो सुनो हम पैसे से नही खेलने वाले," जीजू ने उन्हे समझते
हुए कहा, "हम एक मस्ती वाला खेल खेलेंगे, जिसमे हारने वाले को अपना
एक कपड़ा शरीर से उतारना होगा. और पीसने वाला उससे कुछ भी करने
को कह सकता है लेकिन शरीर के सिर्फ़ उस अंग से जो खुला हो."

में सोना और जीजाजी को देख रही थी. सोना ने नज़रें उठा जीजाजी
की ओर देखा और जीजाजी ने उसे इशारा कर दिया.

"ठीक है में भी खेल कर देखना चाहूँगी." सोना ने कहा.

टीना तुम्हारा क्या ख्याल है?" जीजू ने पूछा. वो अभी भी हिक्किचा
रही थी.

"क्यों घबरा रही हो टीना," सुमित ने कहा, "ऐसा करो तुम तुम्हारी
मालकिन के पास बैठना इससे तुम्हारा हौसला बढ़ेगा."

"अगर आप कह रहे है तो ठीक है में भी खेल लेती हूँ." टीना ने
कहा.

"हमने एक चादर ज़मीन पर बिछा दी और सब कोई उस पर बैठ गये.

"अब दो बातें," जीजाजी ने कहा, "सब कोई बारी बारी से पीसीगा
लेकिन एक ही जना पत्ते बाँटेगा.... सबको मंजूर है."

अब सवाल ये उठा की कौन बाँटेगा, सब कहने लगे... में नही में
नही..... नौकराणीयाँ कहने लगी... हमे तो आता ही नही....

"अमित तुम क्यों नही शुरुआत करते?" सुमित ने कहा.

"पत्ते बाँटने से पहले एक बात, सभी के शरीर पर बराबर के कपड़े
होने चाहिए, जैसे की मेने चार पहन रखे हैं." अमित ने कहा.

बाकी के तीनो मर्दों ने भी चार कपड़े ही पहन रखे थे, जैसे की
अंडरवेर, बनियान, शर्ट और शॉर्ट्स. औरतों मे सोना और टीना को
छोड़ कर जिन्होने पॅंटी नही पहन रखी थी सभी ने पाँच कपड़े
पहन रखे थे जैसे की सारी ब्लाउस पेटीकोआट, ब्रा और पॅंटी.

"या तो तुम चारों औरतें अपनी पॅंटी उतार दो या फिर सोना और टीना
को भी एक पॅंटी दे दो पहनने के लिए," जीजू ने कहा, "जिससे इनके
भी पाँच कपड़े हो जाएँ.

"रीमा दोनो को मेरी पॅंटी दे दो पहनने के लिए." अनु ने कहा.

"नही दीदी में और मोना अपनी पॅंटी दे देंगी इन्हे," कहकर चारों
कमरे से बाहर चली गयी.

"अजय क्यों ना खेल के साथ ड्रिंक हो जाए?" विजय जीजाजी ने
कहा, "नशे से खेल कर और उन्हे तय्यार करने मे आसानी होगी."

"सुझाव अच्छा है, में अभी सब समान लेकर आया." जीजू ने कहा.

जब नौकरणीयाँ आई तो जीजू ने उन्हे उनके ग्लास पकड़ा दिए. मोना और
रीमा के साथ कोई परेशानी नही थी क्यों कि वो पहले भी हमारे
साथ ड्रिंक ले चुकी थी पर स्मास्या थी सोना और टीना के साथ.

"नही में नही लूँगी, मेने पहले कभी शराब नही पी है." टीना
ने कहा.

सोना मेरे और जीजाजी के बीच बैठी थी, "सोना ग्लास ले लो ये सब
मेरे कहने पर ही हो रहा है." जीजाजी उसके कान मे फुसफुसा.

सोना ने बिना कुछ कहे ग्लास उठा लिया.

"टीना देखो ना सोना भी पी रही है." सुमित ने कहा, "इसमे डरने की
कोई बात नही है, ये तो अंगूर का रस ही तो है." टीना सुमित को
मना नही कर पाई और उसने अपना ग्लास उठा लिया.

पहली बार पत्ते बाँटे गये. सीमा दीदी ने टीना के कान मे कुछ कहा.

"क्या कहा आपने? में जीत गयी तो हारा कौन?" टीना खुशी से
उछलती हुए अपने ग्लास एक बड़ा सा घूंठ भरते हुए बोली. रीमा हार
गयी थी.

"हां, अब तुम अपनी सारी निकाल दो." टीना ने हुकुम देते हुए
कहा, "और झुक करो मुझे सलाम करो और कहो, मालकिन में आपके
हुकुम की गुलाम हूँ."

"मुझे ये खेल पसंद आया," टीना चहकते हुए बोली. थोड़ी देर बाद
में हार गयी और जीजू जीत गये.

"मुझसे क्या करवाना चाहते है?" मैने अपनी सारी खोलते हुए पूछा.

"जिसे तुम चाहती हो उसे चूम लो." जीजू ने कहा.

मेने खिसकते हुए सुमित के पास गयी और गहरा चूँबन जड़ डाला,
में तिरछी नज़रो से टीना को देख रही थी. वो गुस्से मे मुझे
घूर कर देख रही थी फिर उसने अपना चेहरा घूमा लिया.

इसी शोर गुल के साथ खेल चल रहा था. फिर सोना हार गयी और
अमित जीत गया. "जिसे तुम प्यार करती हो उसे चूम लो." अमित ने
कहा.

सोना उठी और जीजाजी के होठों को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.
में माला दीदी को देख रही थी लेकिन उनके चेहरे के भाव वैसे ही
थे बल्कि वो ताली बजा कर सोना को उकसा रही थी... "हां सोना और
ज़ोर से चूसो."

दो घंटे और शराब के कई दौर बाद अलाम ये था कि सभी मर्द अपनी
अंडरवेर मे बैठे थे. और हम सभी औरतों अपनी पॅंटी और ब्रा मे
थी सिर्फ़ सोना और टीना को छोड़ कर.

फिर अनु की बारी आई ब्रा उतारने की... अनु ने ब्रा उतारी और सोना
बोल पड़ी.."ऑश दीदी आपकी चुचिया तो बड़ी प्यारी है."

"एम्म्म" अनु ने कोई जवाब नही दिया.

अगली बारी मे सोना हार गयी.."ओह साब क्या मुझे अपनी ब्रा उतारणी
पड़ेगी." उसने जीजाजी से पूछा.

"भाई उतारनी तो पड़ेगी.. नियम तो नियम होते है ना." जीजाजी ने
जवाब दिया.

हिचकिचाते हुए सोना ने अपनी ब्रा उतार दी.. "ओह्ह सोना तुम्हारी चुचि
तो कितनी सुंदर है.. दिल करता है कि इन्हे चूम लूँ भींच
लूँ." सुमित ने कहा और अपना हाथ उसकी चुचि की ओर बढ़ा दिया.

"सुमित रुक जाओ.. तुम नही.. ये बाज़ी रीमा ने जीती है तुमने नही...
तो रीमा तुम सोना से क्या करवाना चाहोगी? जीजू ने बीच मे कहा.

रीमा कुछ देर तक सोचती रही फिर बोली, "ठीक है सोना तुम अपना
कोई नेपाली गाना सुना दो."

सोना की आवाज़ सही मे काफ़ी मधुर थी.. जब वो गाना सुना रही थी तो
सुमित उसकी चुचियों को ही घूरे जा रहा था और उधर ये सब देख
टीना की आख्ने भर आई थी.

अगली दो बाज़ियों मे सुमित और जीजू की अंडरवेर भी उतर गयी. फिर
टीना की बारी आई और वो हार गयी. उसने अपनी ब्रा उतार दी और अपने
प्यारे मम्मे सुमित की ओर बढ़ा दिए पर उसने सिर्फ़ उन्हे देखा और
पूछा ,"जीता कोन है?"

वो बाज़ी अनु जीती थी वो चाहती थी कि टीना कोई गाना गाये, "पर
मुझे तो कोई गाना आता नही हा अगर आप चाहें तो में कोई भजन
सुना सकती हूँ." टीना ने कहा.

"ठीक है वो ही सुना दो." अनु ने कहा.

उसने गाना तो गाया लेकिन सुमित की बेरूख़ी ने उसे रुला दिया था वो
रोने लगी.

"मुझे नींद आ रही है और में आगे नही खेल पयूंगी," कहकर
टीना ने अपना सिर सीमा दीदी की गोद मे रख लेट गयी. वहाँ सोना की
आँखों मे भी नींद भर आई थी.

"लगता है सब को काफ़ी नींद आ रही है," जीजू ने कहा, ऐसा करते
है हम कल यहीं से शुरुआत कर खेल को आगे खेलेंगे."

"जैसा आप कहे." सोना और टीना ने कहा.

"मोना और रीमा तुम दोनो इन्हे अपने कमरे मे लेजाओ, और इन्हे बिस्तर
पर सुला कर वापस यहीं आ जाना." सुमित ने कहा.

"तुमने सोना और टीना को क्यों भेज दिया," सीमा दीदी बोली, "आज तुम
दोनो उनकी कुँवारी चूत चोद सकते थे."

"हां ले तो सकते थे लेकिन वो नींद मे थी और ऐसे मे उनके साथ वो
सब करना अच्छा नही रहता," अमित ने कहा, "हम उनकी कुँवारी चूत
तब फाड़ेंगे जब वो अपने पूरे होश मे हो और उन्हे पता हो कि उनके
साथ क्या हो रहा है." तभी मोना और रीमा लौट कर आ गयी.

"तुम दोनो उन दोनो की चूत को तरोताज़ा रखना हम कल उनकी चूत
फाड़ेंगे." सुमित ने कहा.

"हां सर हमे पता है हमे क्या करना है." कहकर वो दोनो चली
गयी.

"अब हम क्या करेंगे?" अनु ने पूछा.

"आज की रात में और अमित तुम्हारी बहनों की चुदाई करेंगे." सुमित
ने कहा.

"ये तो हमारी ख़ुसनसीबी होगी," सीमा दीदी ने सुमित को बाहों मे
भरते हुए कहा, "पहले किसे चोदना पसंद करोगे?"

"में तो पहले अपनी बीवी की बेहन को चोदना पसंद करूँगा." अमित ने
कहा, "तब तक हमारे जीजा लोग हमारी बीवियों को चोद सकते है."

उस रात हमारे पतिदेव हमारी बहनो को चोद्ते रहे और हमारे जीजाजी
मुझे और अनु को चोद्ते रहे.

सुबह करीब 8.00 बजे मोना और रीमा सुबह की चाइ लेकर हमारे
कमरे मे आई.

जब हम चाइ पी रहे थे तभी सीमा दीदी ने पूछा, "वो दोनो क्या
कर रही है?"

"वो दोनो अभी सोकर उठी है." मोना ने कहा.

"रीमा रात क्या हुआ था?" अमित ने पूछा.

"जब हम कमरे मे पहुँचे तो दोनो सो चुकी थी." रीमा ने
कहा, "तब में सोना की पलंग मे घुस गयी और उसके होठों को
चूसने लगी साथ ही उसकी चुचियों को भी दबाने लगी तभी उसने
सिसकते हुए अपनी आँख खोल दी."

"ओह्ह्ह रीमा कितना अछा लगरहा है ऑश" वो बड़बड़ाई.

"ये तुम्हे और अछा लगेगा." कहकर मेने अपना हाथ उसकी पॅंटी मे डाल
उसकी चूत को मसल्ने लगी.

"ओह रीमा काश तुम मर्द होती." उसने सिसकते हुए कहा था.

"माफ़ करना में तुम्हे चोद तो नही सकती लेकिन तुम्हे अछा लगे तो
में तुम्हारी चूत चूस सकती हूँ." मैने जवाब दिया था.

"क्या सही मे?" उसने असचर्या से पूछा. जब मेने हाँ कहा तो
बोली, 'हां रीएमा मेरी चूत चूस दो."

तब में उसकी चूत चूसी और वो इस दौरान तीन बार झड़ी. फिर हम
दोनो एक दूसरे की बाहों मे लिपट सो गये. मुझे तो लगता है कि वो
चुदवाने के लिए मरी जा रही है.

"और मोना तुम्हारा टीना के साथ कैसा रहा?" सुमित ने पूछा.

जब में उसके बिस्तर मे घुसी तो वो गहरी नींद सोई हुई थी. मोना
अपनी कहानी सुनने लगी. 'फिर मेने रीमा की तरह उसके होठों को
चूसा और उसकी चुचियों को मसला फिर भी वो नही जागी. बस
नींद मे आपका नाम बड़बड़ा रही थी.

'फिर मैने अपना हाथ उसकी पॅंटी के अंदर डाला और उसकी फूली हुई
चूत को दबाने लगी' तभी उसने चौंक कर अपनी आँखे खोल दी.

'ओह तो ये तुम हो,' उसने कहा, 'मोना प्लीज़ रुक जाओ ये ग़लत है.'

"अगर तुम्हे अच्छा लगता है तो करने मे क्या बुराई है?" मेने उसे
चूमते हुए कहा.

"नही मोना ये ग़लत है." उसने कहा, "दो औरतों को आपस मे ये करना
पाप है."

'तभी सोना ज़ोर से सिसक पड़ी. "सोना की तरफ देखो किस तरह वो और
रीमा आपस मे मज़े ले रहे है, क्या तुम भी वो मज़ा नही लेना
चाहोगी?" मेने पूछा.

'हाँ.. ... लेकिन' वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन मेने बीच टोक
दिया, 'अब चुप रहो और मज़े लुटो' कहकर में उसकी चूत चूसने
लगी पर थोड़ी देर बाद वो बोली, 'मोना रुक जाओ मुझसे सहन नही
होता.'फिर हम दोनो भी एक दूसरे से लिपट कर सो गये.

"सर उसकी चूत का छेद बहोत ही छोटा है आपको मज़ा आएगा." मोना
ने हंसते हुए कहा.

"ठीक है अब एक काम करो इन चाइ की ट्रे कोले जाओ." सुमित ने हंसते
हुए कहा. "और जाकर उनसे कहो कि तुम दोनो ने विजय को अनु को
चोद्ते देखा और मुझे सीमा को चोद्ते देखा."

जैसा हमने सोचा था वैसे ही हुआ, थोड़ी देर मे ज़ोर से दरवाज़ा
खुला और सोना और टीना दोनो नंगी मोना और रीमा के साथ कमरे मे
दाखिल हुई. सोना बोली तो कुछ नही लेकिन विजय को देखती रही जो
अनु को चोद रहा था.

वहीं टीना ज़ोर से चीखी, 'श सर ये आप क्या कर रहे है?"

"क्या हुआ तू आँधी है? देख नही सकती वो मेरी बेहन को चोद रहे
है," मेने उसके जख़्मो पर नमक डालते हुए कहा.

टीना मेरी बात पर कुछ कहना चाहती थी लेकिन माला दीदी बीच मे
बोल पड़ी, "क्या तुम चारों को एहसास है कि तुम सब नंगी हो."

"हे भगवान," कहते हुए वो सब अपनी चूत को हाथों से धकते हुए
कमरे से भाग गयी.

"अब जबकि हम जो चाहते थे वो हो चुका तो तुम दोनो अब चोदना बंद
करो." जीजू बोले, "ये ताक़त रात के लिए बचा के रखो."

सीमा और अनु तो खफा हो गयी जब सुमित और विजय ने अपने अपने लंड
उनकी चूत से निकाल उन्हे बीच मझधार मे छोड़ दिया. लेकिन समय की
नज़ाकत को समझते हुए उन्होने कुछ नही कहा.

"अजय हमारी चूत का पानी छूटने तक तो तुम रुक सकते थे." सीमा
दीदी ने शिकायत करते हुए कहा.

"सॉरी डार्लिंग में रात के कार्यक्रम मे इतना खोया हुआ था कि मुझे
याद नही रहा." जीजाजी ने माफी माँगते हुए कहा, "वैसे ये तुम्हारी
चूत चूस्कर तुम दोनो का पानी छुड़ा देंगे."



mardon ki duniya paart--10

Doosre din shaam tak Amit aur Sumit bhi Shimla pahunch gaye. Seema
didi ne Amit aur Sumit ka parichay Sona aur Tina se karwaya.

Sona ne unhe namaste kee, lekin Tina to jaise uchal padi, "Kya kaha
didi aapne? Inka naam Sumit hai..... oh pehle 'S' se Shimla ab 'S'
se Sumit..... hey bhagwan tu kitna daayalu hai.... Maharaj ki sab
baat puri ho rahi hai" Chillate hue Tina kamre se bhaag gayi.

Amit aur Sumit hairat se use dekh rahe the, Sumit ne jhallate hue
pucha, "kya ho gaya is ladki ko? kya ye pagal hai?"

"Nahi Sumit ye pagal nahi hai bas thoda khush ho gayi hai.' Seema
didi ne kaha. Phir didi ne unhe Sona aur Tina ki kahani suna di.

"Sumit ek baat yaad rakhna Tina ke sath tumhe hi pehal karni hai
warna wo tumhe chodne nahi degi." Vijay ne use samjhate hue kaha.

Phir hum sab baith kar sochne lage ki aage kya karna chahiye. Sabne
milkar yahi tay kiya ki ek do din ruk jana chahiye jisse sab aapas
me ghul mil jayen.

Agle chaubis ghante me kuch nahi hua par meine dekha ki Tina kuch
ajeeb vyavhar kar rahi thi.

"Didi ye achanak Tina ko kya ho gaya hai," meine pucha, "mein dekh
rahi hun ki Sumit jahan bhi jata hai ye uske peeche chali jaati hai
aur agar wo kisi se pyaar se baat kar leta hai to ye rone lag jaati
hai."

'Haan meine bhi ye mehsus kiya hai," Seema didi ne jawab
diya, "Sumi... abhi Tina me bachpana hai.... wo samajh rahi hai ki
bhagwan ne Sumit ko sirf uske liye banaya hai...."

"Mein abhi jaakar use sab khulasa bata deti doon." meien gusse me
kaha.

"Sumi... bachon jaisi baat mat karo..." Seema didi ne kaha. "thoda
waqt jane do sab thik ho jayega, Tina ek bar charon se chuda legi na
to sab apne aap samajh jayegi."

Do din baad hum sab chai peene baithe the. "Mujhe lagta hai ki ab
hame apne karyakram ko aage badhana chahiye." meine kaha.

"Haan mujhe bhi aisa hi lagta hai, wo Sona bhi mujhe teen bar yaad
dila chuki hai." Jijaji ne kaha.

"Kya kaha tumne usse?" Mala didi ne muskurate hue pucha.

"Meine use pyaar se samjha diya ki mein use uski maalkin ke samne
chodna chahta hun jisse ghar pahunch kar hame chudai karne me koi
takleef na uthani pade." Jijaji ne bataya.

"Par ab tum use nahi chodoge to wo tumse bahot naaraz ho jayegi."
Seema didi ne hanste hue kaha.

"Mein bhi to yahi chahta hun ki wo mujhse naaraz aur gussa ho jaye."
Jijaji ne kaha.

"Ab tum sab baatein hi karte rahego ya kuch karoge bhi," Sumit ne
kaha, "mein to ab Tina ko chode bina reh nahi sakta."

"Sumit tumhe to sirf use bulane ki der hai wo khud tumhare paas apni
tange khole chali aayegi," Mala didi ne kaha, "Tumse jyada wo tumse
chudane ko baichain hai."

"Mere deemag me ek idea aaya hai," Seema didi ne kaha, "Vijay tum ek
kaam karo. Sona ke samne hi hum me se kisi ki chudai karo... wo
jalane lagegi aur khud ba khud hi Amit ke bistar me ghus jayegi."

"Ho sakta hai aap sahi keh rahi hon" Amit ne kaha, "lekin meine aur
Sumit ne tay kiya hai ki hum dono Sona aur Tina ko sabke samne
chodenge jisse ki baad me sab unki kasi choot ka maza utha sake."

"Yaar tum dono ka sochna sahi hai." Jijaji khush hote hue
bole, "hame koi doosra tareeka dhoondna hoga."

"Mujhe lagta hai aaj raat ko khane ke bad hi shuru kar diya jaye,"
Ajay jiju ne kaha, "lekin sawaal ye hai ki shuruat kaise karen."

"Kyon na hum taash khlete hai." Sumit ne kaha.

"Taash se kya hoga, kya ye dono ladkiyan maan jayengi." Meine kaha.

"Meri mano, mein jo kehne jaa raha hun usse mauka milega. Hum teen
patti khelenge, paise se nahi. Hum aisa gaem khelenge jisme harne
wale ko apne sharir ka ek kapda uttarna hoga, aur jitne wala usse
kuch bhi karne ko keh sakta hai." Sumit ne kaha.

Oh to tum strip poker game khelne ko keh rahe ho." Anu ne kaha.

"Haan usse kya hoga ki ek bar wo nangi ho jayengi to unki aadhi
sharam to waise hi khatam ho jayegi. Aur hum charon ko mauka mil
jayega unhe chodne ka." Sumit ne kaha.

"Haan ye to hai," meine kaha, "lekin us halat me kya karoge agar hum
to nangi ho gayi aur Sona aur Tina ke kapde nahi uttare to?" meien
pucha.

"Are tum Amit ko nahi jaanti iski bahot si khubiyan hai, aisa ho
nahi sakta ki un dono ke kapde na uttare." Sumit ne kaha.

"Amit mujhe pata nahi tha ki tum pattebaz bhi ho." meien hanste hue
kaha.

"Iske alava bhi meri bahot si khubiyan hai jinke bare me tumhe nahi
pata." Amit muksurate hue bola.

"Par naukraniyan hamare sath taash khlene ko razi ho jayengi iski
kya gaurantee hai." meine pucha.

"Meine uske bare me bhi soch liya hia, agar iski naubat aayegi to
Vijay Sona se keh sakta hai ki ye sab uske plan ke tahat ho raha hai
aur mein dekhunga ki Tina bhi shaamil ho jati hai." Sumit ne kaha.

"Haan ye thik rahega, Mona aur Reema ko to pata hi hai ki hum sab
yahan kyon ikattha hue hai." Amit ne Sumit ki baat ka samarthan
kiya.

Khane khate waqt Seema didin ne kaha, "Aaj sab koi mere kamre me
ikattha honge. Ham sab milkar ek game khlenge, aur haan tum charon
ko bhi usme shamil hona hai." didi ne naukraniyon ko ishara karte
hue kaha.

Jab hum sab Seema didi ke kamre me ikatha ho gaye to jijaji ne
kaha, "aaj hum teen patti khelenge."

Naukraniyan hamari baat sunkar virodh karne lagi, "ye to jua hai aur
jua khelne ke liye hamare paas paise kahan hai?" Sona ne kaha.

"Haan ye sahi keh rahi hai," Tina ne kaha, "aur mujhe to ye khelna
bhi nahi aata." Mona mere aur Anu ki taraf dekh rahi thi jise hamne
ishare me samjha diya.

"Khelna to mujhe bhi nahi aata aur mere paas bhi paise nahi hai
lekin mein phir bhi khelungi shayad maza aa jaye." Mona ne kaha.

"Phir to mein bhi khelungi." Reema ne kaha.

"Ldkiyon suno hum paise se nahi khelne wale," jiju ne unhe samjhate
hue kaha, "hum ek masti wala khel kehlenge, jisme harne wale ko apna
ek kapda sharir se uttarna hoga. Aur pisne wala usse kuch bhi karne
ko keh sakta hai lekin sharir ke sirf us ang se jo khula ho."

Mein Sona aur jijaji ko dekh rahi thi. Sona ne nazrein utha jijaji
ki aur dekha aur jijaji ne use ishara kar diya.

"Thik hai mein bhi khel kar dekhna chahungi." Sona ne kaha.

Tina tumhara kya khyal hai?" jiju ne pucha. wo abhi bhi hickicha
rahi thi.

"Kyon ghabra rahi ho Tina," Sumit ne kaha, "aisa karo tum tumhari
malkin ke pas baithna isse tumhara hausala badhega."

"Agar aap keh rahe hai to thik hai mein bhi khel leti hoon." Tina ne
kaha.

"Hamne ek chadar jameen par beecha di aur sab koi us par baith gaye.

"Ab do baatein," Jijaji ne kaha, "sab koi bari bari se peeseega
lekin ek hi jan patte bantega.... sabko manjur hai."

Ab sawal ye utha ki kaun bantega, sab kehne lage... mein nahi mein
nahi..... naukaraniyan kehne lagi... hame to aata hi nahi....

"Amit tum kyon nahi shuruat karte?" Sumit ne kaha.

"Patte bantne se pehle ek baat, sabhi ke sharir par barabar ke kapde
hone chahiye, jaise ki meine char pehan rakhe hain." Amit ne kaha.

Baki ke teeno mardon ne bhi char kapde hi pehan rakhe the, jaise ki
underwear, baniyan, shirt aur shorts. Aurton me Sona aur Tina ko
chod kar jinhone panty nahi pehan rakhi thi sabhi ne paanch kapde
pehan rakhe the jaise ki sari blouse peticoat, bra aur panty.

"Ya to tum charon aurtein apni panty uttar do ya phir Sona aur Tina
ko bhi ek panty de do pehanne ke liye," Jiju ne kaha, "jisse inke
bhi paanch kapde ho jayen.

"Reema dono ko meri panty de do pehanne ke liye." Anu ne kaha.

"Nahi didi mein aur Mona apni panty de dengi inhe," kehkar charon
kamre se bahar chali gayi.

"Ajay kyon na khel ke sath drink ho jaye?" Vijay jijaji ne
kaha, "nashe se khel kar aur unhe tayyar karne me asani hogi."

"Sujhav accha hai, mein abhi sab samaan lekar aaya." Jiju ne kaha.

Jab naukraniyan aayi to jiju ne unhe unke glass pakda diye. Mona aur
Reema ke sath koi pareshani nahi thi kyon ki wo pehle bhi hamare
sath drink le chuki thi par smaasya thi Sona aur Tina ke sath.

"Nahi mein nahi loongi, meine pehle kabhi sharab nahi pee hai." Tina
ne kaha.

Sona mere aur jijaji ke beech baithi thi, "Sona glass le lo ye sab
mere kehne par hi ho raha hai." jijaji uske kan me phusphusai.

Sona ne bina kuch kahe glass utha liya.

"Tina dekho na Sona bhi pee rahi hai." Sumit ne kaha, "isme darne ki
koi baat nahi hai, ye to angoor ka ras hi to hai." Tina Sumit ko
mana nahi kar payi aur usne apna glass utha liya.

Pehli bar patte bante gaye. Seema didi ne Tina ke kan me kuch kaha.

"kya kaha aapne? mein jeet gayi to hara kaun?" Tina khushi se
uchalti hue apne glass ek bada sa ghoonth bharte hue boli. Reema har
gayi thi.

"Haan, ab tum apni saree nikal do." Tina ne hukum dete hue
kaha, "aur jhuk karo mujhe salaam karo aur kaho, maalkin mein aapke
hukum ki gulam hun."

"Mujhe ye khel pasand aaya," Tina chehakte hue boli. Thodi der baad
mein har gayi aur jiju jeet gaye.

"Mujhse kya karwana chahte hai?" meien apni saree kholte hue pucha.

"Jise tum chahti ho use choom lo." Jiju ne kaha.

Meine khisakte hue Sumit ke pas gayi aur gehra choomban jad dala,
mein teechri nasron se Tina ko dekh rahi thi. Wo gusse me mujhe
ghoor kar dekh rahi thi phir usne apna chehra ghooma liya.

Isi shor gul ke sath khle chal raha tha. Phir Sona haar gayi aur
Amit jeet gaya. "jise tum pyaar karti ho use choom lo." Amit ne
kaha.

Sona authi aur Jiaji ke hothon ko apne munh me lekar choosne lagi.
Mein Mala didi ko dekh rahi thi lekin unke chehre ke bhav waise hi
the balki wo tali baja kar Sona ko uksa rahi thi... "HAAN SONA AUR
JOR SE CHOOOSOOO."

Do ghante aur sharab ke kai daur bad alaam ye tha ki sabhi mard apni
underwear me baithe the. Aur hum sabhi aurton apni panty aur bra me
thi sirf Sona aur Tina ko chod kar.

Phir Anu ki bari aayi bra uttarne ki... Anu ne bra uttari aur Sona
bol padi.."ohhh didi aapki chcuhiyan to badi pyaari hai."

"Mmmm" Anu ne koi jawab nahi diya.

Agli bari me Sona har gayi.."oh saab kya mujhe apni bra uttarni
padegi." usne jijaji se pucha.

"Bhai uttarni to padegi.. niyam to niyam hote hai na." Jijaji ne
jawab diya.

Hichkichate hue Sona ne apni bra uttar di.. "Ohh Sona tumhari chuchi
to kitni sunder hai.. dil karta hai ki inhe choom loon bheench
loon." Sumit ne kaha aur apna haht uski chuchi ki aur badha diya.

"Sumit ruk jao.. tum nahi.. ye bazi Reema ne jeeti hai tumne nahi...
to Reema tum Sona se kya karwana chahogi? Jiju ne beech me kaha.

Reema kuch der tak sochti rahi phir boli, "thik hai Sona tum apna
koi Nepali gana suna do."

Sona ki awaaz sahi me kafi madhur thi.. Jab wo gana suna rahi thi to
Sumit uski chuchiyon ko hi ghoore jaa raha tha aur udhar ye sab dekh
Tina ki aakhne bhar aayi thi.

Agli do baaziyon me Sumit aur jiju ki underwear bhi uttar gayi. Phir
Tina ki bari aayi aur wo har gayi. Usne apni bra uttar di aur apne
pyaare mame Sumit ke aur badha diye par usne sirf unhe dekha aur
pucha ,"jeeeta kuan hai?"

Wo bazi Anu jeeti thi wo chahti thi ki Tina koi gane gaye, "par
mujhe to koi gana aata nahi haa agar aap chahen to mein koi bhajan
suna sakti hoon." Tina ne kaha.

"Thik hai wo hi suna do." Anu ne kaha.

Usne gana to gaya lekin Sumit ki berukhi ne use rula diya tha wo
rone lagi.

"Mujhe neend aa rahi hai aur mein aage nahi khel payungi," Kehkar
Tina ne apna sir Seema didi ki god me rakh let gayi. Wahan Sona ki
aankhon me bhi neend bhar aayi thi.

"Lagta hai sab ko kafi neend aa rahi hai," jiju ne kaha, aisa karte
hai hum kal yahin se shuruat kar khel ko aage khelenge."

"Jaisa aap kahe." Sona aur Tina ne kaha.

"Mona aur Reema tum dono inhe apne kamre me lejao, aur inhe bistar
par sula kar wapas yahin aa jana." Sumit ne kaha.

"Tumne Sona aur Tina ko kyon bhej diya," Seema didi boli, "Aaj tum
dono unki kunwari choot chod sakte the."

"Haan le to sakte the lekin wo neend me thi aur aise me unke sath wo
sab karna accha nahi rehta," Amit ne kaha, "hum unki kunwari choot
tab phadenge jab wo apne pure hosh me ho aur unhe pata ho ki unke
sath kya ho raha hai." tabhi Mona aur Reema laut kar aa gayi.

"Tum dono un dono ki choot ko tarotaza rakhna hum kal unki choot
phadenge." Sumit ne kaha.

"Haan Sir hame pata hai hame kya karna hai." kehkar wo dono chali
gayi.

"Ab hum kya karenge?" Anu ne pucha.

"Aaj ki raat mein aur Amit tumhari behnon ki chudai karenge." Sumit
ne kaha.

"Ye to hamari khusnaseebi hogi," Seema didi ne Sumit ko bahon me
bharte hue kaha, "pehle kise chodna pasand karoge?"

"Mein to pehle apni biwi ki behan ko chodna pasand karunga." Amit ne
kaha, "tab tak hamare jija log hamari biwiyon ko chod sakte hai."

Us raat hamare patidev hamari behno ko chodte rahe aur hamare jijaji
mujhe aur Anu ko chodte rahe.

Subah kareeb 8.00 baje Mona aur Reema subah ki chai lekar hamare
kamre me aayi.

Jab hum chai pee rahe the tabhi Seema didi ne pucha, "wo dono kya
kar rahi hai?"

"Wo dono abhi sokar uthi hai." Mona ne kaha.

"Reema rat kya hua tha?" Amit ne pucha.

"Jab hum kamre me pahunche to dono so chuki thi." Reema ne
kaha, "tab mein Sona ki palang me ghus gayi aur uske hothon ko
choosne lagi sath hi uski chuchiyon ko bhi dabane lagi tabhi usne
sisakte hue apni aankh khol di."

"OHHH REEMA KITNA ACHA LAG RHAH HAIII OHHH" Wo badbadayi.

"Ye tumhe aur acha lagega." kehkar meine apna haht uski panty me dal
uski choot ko masalne lagi.

"Oh Reema kash tum mard hoti." Usne sisakte hue kaha tha.

"Maaf karna mein tumhe chod to nahi sakt lekin tumhe acha lage to
mein tumhari choot choos sakti hoon." meien jawab diya tha.

"Kya sahi me?" usne ascharya se pucha. Jab meine haan kaha to
boli, 'HAAN REEEMA MERI CHOOOT CHOOS DOOO."

Tab mein uski choot choosi aur wo is dauran teen bar jhadi. Phir hum
dono ek doosre ki bahon me lipat so gaye. Mujhe to lagta hai ki wo
chudane ke liye mari jaa rahi hai.

"Aur Mona tumhara Tina ke sath kaisa raha?" Sumit ne pucha.

Jab mein uske bistar me ghusi to wo gehri neend soyi hui thi. Mona
apni kahani sunane lagi. 'phir meine Reema ki tarah uske hothon ko
choosa aur uski chuchiyon ko masala phir bhi wo nahi jaagi. Bas
neend me apka naam badbada rahi thi.

'Phir meien apna hath uski panty ke andar dala aur uski phooli hui
choot ko dabane lagi' tabhi usne chaunk kar apni ankhe khol di.

'Oh to ye tum ho,' usne kaha, 'Mona please ruk jao ye galat hai.'

"Agar tumhe accha lagta hai to karne me kya burai hai?" meine use
choomte hue kaha.

"Nahi Mona ye galat hai." usne kaha, "do aurton ko aapas me ye karna
paap hai."

'Tabhi Sona jor se sisak padi. "Sona ki taraf dekho kis tarah wo aur
Reema apas me maze le rahe hai, kya tum bhi wo maza nahi lena
chahogi?" meine pucha.

'Haan.. ... lekin' wo kuch kehna chahti thi lekin meine beech tok
diya, 'ab chup raho aur maze luto' kehkar mein uski choot choosne
lagi par thodi der bad wo boli, 'Mona ruk jao mujhse sehan nahi
hota.'Phir hum dono bhi ek doosre se lipat kar so gaye.

"Sir uski choot ka ched bahot hi chota hai aapko maza aayega." Mona
ne hanste hue kaha.

"Thik hai ab ek kaam karo in chai ki tray le jao." Sumit ne hanste
hue kaha. "aur jaakar unse kaho ki tum dono ne Vijay ko Anu ko
chodte dekha aur mujhe Seema ko chodte dekha."

Jaisa humne socha tha waise hi hua, thodi der me jor se darwaza
khula aur Sona aur Tina dono nangi Mona aur Reema ke sath kamre me
daakhil hui. Sona boli to kuch nahi lekin Vijay ko dekhti rahi jo
Anu ko chod raha tha.

Wahin Tina jor se cheekhi, 'OHH SIR YE AAP KYA KAR RAHE HAI?"

"Kya hua tu andhi hai? Dekh nahi sakti wo meri behan ko chod rahe
hai," meine uske jakhmo par namak dalte hue kaha.

Tina meri baat par kuch kehna chahti thi lekin Mala didi beech me
bol padi, "kya tum charon ko ehsas hai ki tum sab nangi ho."

"Hey bhagwan," kehte hue wo sab apni choot ko hathon se dhakte hue
kamre se bhaag gayi.

"Ab jabki hum jo chahte the wo ho chuka to tum dono ab chodna band
karo." jiju bole, "ye takat raat ke liye bacha ke rakho."

Seema aur Anu to khafa ho gayi jab Sumit aur Vijay ne apne apne lund
unki choot se nikal unhe beech majhdhar me chod diya. Lekin samay ki
nazakat ko samajhte hue unhone kuch nahi kaha.

"Ajay hamari choot ka pani chootne tak to tum ruk sakte the." Seema
didi ne shikayat karte hue kaha.

"Sorry darling mein raak ke karyakram me itna khoya hua tha ki mujhe
yaad nahi raha." jijaji ne mafi mangte hue kaha, "waise ye tumhari
choot chooskar tum dono ka pani chuda denge."










आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj


































































































































































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