Monday, April 19, 2010

रेप कहानिया मर्दों की दुनिया पार्ट--3

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मर्दों की दुनिया पार्ट--3
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
थोड़ी देर उमा की चुचियों से खेलने के बाद चाचू ने उसे ज़मीन पर कार्पेट पर लीटा दिया फिर उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधों पर रख ली और खुद उस पर लेट गये. फिर उन्होने अपना हाथ दोनो के शरीर के बीच कर दिया, वो क्या कर रहे थे ये हम नही देख पाए लेकिन हन उमा अपनी आँख बंद किए वैसे ही लेटी रही.' "देवर्जी देर मत करो, फाड़ दो इस हरामज़ादी की कोरी चूत." चाचू ने उमा को बाहों मे लिया और ज़ोर से अपनी कमर हिलाई. "ओह्ह मार गयी...." हमने उमा की दर्द भरी चीख सुनी, कछु ने फिर ज़ोर से अपनी कमर हिलाई. हम सोच रहे थे कि उमा इतनी ज़ोर से चिल्लाई क्यों? चाचू फिर अपनी कमर हिलाने लगे लेकिन इस बार थोड़ा ज़ोर ज़ोर से. मम्मी पापा और शामऊ की नज़रें चाचू की हिलती गंद पर टिकी हुई थी. हमने पहले कभी ऐसा कुछ देखा नही था इसलिए हम अपनी सांस रोके सब चुप चाप देखते रहे कि आगे क्या होने वाला है? इतने मे चाचू ने ज़ोर से अपनी कमर का झटका मारा और एक हुंकार भर उमा के शरीर पर लेट गये. उमा की आँखे तो बंद थी पर उसका मुँह खुला था. हम सोच ही रहे थे कि क्या हुआ कि हमने देखा की चाचू एक बार फिर अपनी गंद हिला रहे थे. वो ज़ोर ज़ोर से हिला रहे थे कि तभी हम चौंक पड़े, उमा भी अपनी कमर नीचे से हिला चाचू का साथ दे रही थी. थोड़ी देर बाद फिर दोनो शांत हो गये, दोनो की साँसे उखड़ी हुई थी. "देवर्जी बहोत हो गया अब छोड दो इसे." मम्मी ने कहा. "भाभी बस एक बार एक बस एक बार और चोदने दो इसे."चाचू ने कहा. "नही अभी नही, जब ये रात मे तुम्हारे कमरे मे आए तो जितना जी चाहे इसे चोद लेना." मम्मी ने कहा. चाचू खड़े हो गये लेकिन उमा उसी तरह अपनी आँख बंद किए कार्पेट पर लेटी रही. "तुम्हे क्या लगता है, वो रुक क्यों गये," मेने पूछा. "मुझे लगता है कि चाचू को चोट लग गयी है, तुमने उनकी नूनी पर लगे खून को नही देखा." सुमित ने कहा. "भाभी मज़ा आ गया क्या कसी कसी चूत थी इसकी." चाचू अपनी नूनी को नॅपकिन से पोंछते हुए बोले. "मुझे खुशी है कि तुम्हे मज़ा आया देवर्जी," कहकर मम्मी ने अपने पर्स से एक छोटी से कैंची निकाल ली और उमा की ओर बढ़ी जो कार्पेट पर लेटी थी. "अब इसे सज़ा भी तो मिलनी चाहिए?" मम्मी ने कहा. "अमित और सुमित की मम्मी क्या तुम्हे नही लगता कि तुम इसे पहले ही काफ़ी सज़ा दे चुकी हो?" पापा ने कहा. "आप इसे सज़ा कहते हैं? ये तो मज़ा था. अपने देखा नहीं कैसे अपने चूतड़ उछाल उछाल कर देवर्जी से चुदवा रही थी. "उमा उठ कर खड़ी हो जाओ?" मम्मी ने आदेश दिया. उमा ने अपनी आँखे खोली और मम्मी की हाथों मे कैइची देख उनके पैरों मे गिर पड़ी और माफी माँगने लगी, "मालिकिन मुझे माफ़ कर दीजिए, आज के बाद आपका हर हुकुम मानूँगी." "उमा उठ कर खड़ी हो जाओ," मम्मी ने फिर ज़ोर से कहा, लेकिन उमा थी कि रोए जा रही थी और बार बार मम्मी से माफी माँग रही थी. "उमा एक तरफ तो तुम मुझसे कह रही हो कि तुम मेरा हर आदेश मनोगी, और में इतनी देर से तुम्हे खड़ा होने को कह रही हू और तुम हो कि अभी तक ज़मीन पर ही बैठी हो." मम्मी ने कहा. मम्मी की बात सुनकर उमा झट से उठ कर खड़ी हो गयी. "शाबाश, अब ये बताओ तुम्हारे शरीर का कौन सा हिस्सा सुन्दर है जिसे मैं काट कर ले लेती हूँ, मन तो कर रहा है कि तुम्हारी चूत की पंखुड़ियों को ही काट दूं, नही तुम्हारी चुचि बहोत बड़ी और सुन्दर है उसे काट देती हूँ." मम्मी ने उसके निपल को अपने हाथों मे पकड़ा ही था कि चाचू ज़ोर से चिल्ला पड़े, "नही भाभी इसकी चुचि नही मुझे बहुत पसंद है इसकी चुचिया." "उमा शुक्रिया अदा कर देवर्जी का जो तेरी चुचि बच गयी, पर तुम्हे सज़ा तो मिलनी ही चाहिए ना. मेने तुम्हारे कान काट देती हूँ." उमा मम्मी की बात सुनकर चीखने चिल्लाने लगी, लेकिन मम्मी ने उसकी चीखों पर कोई ध्यान नही दियाया और उसके कान काट कर ही मानी. हम दोनो से तो देखा ही नही गया, उमा रोए और चिल्लाए जा रही थी. उसके कानसे काफ़ी खून बह रहा था. "अब आज से मेरा हुकुम मनोगी कि नही?" मम्मी ने उमा से पूछा. उमा इस स्थिति मे नही थी कि वो मम्मी की बात का कोई जवाब दे पाती, वो तो बस दर्द के मारे चिल्ला रहा थी और रोए जा रही थी. "उमा मेने तुमसे कुछ पूछा है, जवाब दो?" मम्मी ने कहा. उमा ने धीरे से कहा, "मुझे सुनाई नही दे रहा ज़रा ज़ोर से बोलो.' मम्मी चिल्लाई. "हाआँ मालकिन आज के बाद में आपका हर हुकुम मानूँगी..." उमा ने रोते हुए कहा. "और अगर इस घर के किसी सदस्य ने तुम्हे अपने कमरे मे बुलाया तो क्या करोगी?" मम्मी ने पूछा. "मालकिन में उसके कमरे मे जाउन्गि और उसे वो सब करने दूँगी वो करना चाहता है." उमा ने जवाब दिया. "बहुत अच्छा!" मम्मी ने कहा, "ये सबक है सबके लिए जो मेरा हुकुम नही मानेंगे, खास तौर पर उन दोनो हरामियो के लिए जो खिड़की से चुप कर सब देख रहे है." मम्मी ने ज़ोर से कहा. मम्मी की बात सुनकर तो हमारा पेशाब निकलते निकलते बचा. में तो वहाँ से अपने कमरे मे भाग जाना चाहता था लेकिन सुमित ने मुझे रोक दिया, "अब सज़ा तो मिलने ही वाली है तो क्यो ना पूरी बात देख कर जाएँ." सुमित ने कहा. "शामऊ इसके पहले कि यह मर जाए, इसे डॉक्टर के पास लेजाकर इसकी दवा करा दो और हां इस कार्पेट को जला दो, सारा कार्पेट इसके खून से भर गया है." मम्मी ने शामऊ से कहा. जब शामऊ उमा को लेकर चला गया तो मम्मी ने कहा, "देवर्जी आज रात जब उमा आपके पास आए तो सबसे पहले इसकी गांद मारना. इसके चूतड़ बड़े सख़्त हैं आपको बहोत मज़ा आएगा." "जैसे आप बोले भाभी." चाचू खुश होते हुए बोले. थोड़ी ही देर मे सब वहाँ से चले गये. "मुझे लगता है कि मम्मी चाचू का कुछ ज़्यादा ही पक्ष लेती है?" मेने कहा. "क्या ऐसा हो सकता है कि मम्मी भी चाचू से चुदवाती हो?" अनु ने हिचकिचाते पूछा. "हां हमे भी यही लगता है कि मम्मी और चाचू और का ज़रूर आपस मे रिश्ता है." सुमित ने कहा. 'तुम्हे ऐसा क्यों लगता है?" मेने पूछा. "हम इसे साबित तो नही कर सकते है, क्यों कि किसी की हिम्मत नही है कुछ कहने की लेकिन हमने सुना है कि आधी रात को मम्मी बराबर चाचू के कमरे मे जाती है." अमित ने कहा. "क्या पापा को पता है इस बारे मे?" अनु ने पूछा. "हमे ऐसा लगता है कि पापा को सब कुछ पता है लेकिन वो कहते कुछ नही.... वैसे भी चोदने के लिए उनके पास चूतो की कमी है क्या?" सुमित ने कहा. "क्या तुम्हे लगता है कि जो कुछ चाचू ने किया वो सब सही था, सिर्फ़ अपनी जिमनी खुशी की लिए उन्होने मीना और उमा का कौमार्य छीन लिया? मैने पूछा. "नही वो सिर्फ़ जिस्मानी खुशी नही थी चाचू के लिए, चाचू सही मे उन्दोनो को पसंद करते है. आज बीस साल बाद भी चाचू उन्हे अपने कमरे मे बूलाते रहते है." सुमित ने कहा. "उमा की कहानी का एक हिस्सा तो अभी बाकी है." अमित ने कहा. उसकी सज़ा की खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गयी एक हफ्ते बाद एक आदमी मम्मी से मिलने के लिए आया. "कौन हो तुम?" मम्मी ने उस आदमी से पूछा. "मालिकिन मेरा नाम रामू है, में उमा का बाप हूँ." उसने झुकते हुए कहा था. "क्या चाहिए तुम्हे?" मम्मी ने पूछा. "में एक विनांती लेकर आपके पास आया हूँ. उमा की सगाई हमारे गाओं के एक नौजवान के साथ पक्की हुई थी. जब उसे ये पता चला कि उमा अब कुँवारी नही रही तो उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया." रामू ने बताया. "तो इस विषय मे तुम मुझसे क्या चाहते हो?" मम्मी थोड़ा नर्मी से बोली. "मालिकिन में चाहता हूँ कि आप उस नौजवान को हुकुम दें कि वो उमा से शादी कर ले नही तो गाओं का कोई भी नौजवान उससे शादी नही करेगा." रामू ने हाथ जोड़ते हुए कहा. मम्मी सोचने लगी. "उस लड़के को भूल जाओ, वो बेवकूफ़ है जो ऐसे हीरे को ठुकरा रहा है." मम्मी ने जवाब दिया, "आज से उमा की ज़िम्मेदारी हमारी है. हम उसकी शादी कराएँगे, साथ मे शादी का हर खर्चा भी करेंगे और उसके ससुराल वालों को दहेज भी देंगे. जब सब कुछ तय हो जाएगा हम तुम्हे सूचित कर देंगे, अब तुम जा सकते हो." "एक महीने के बाद मम्मी ने उमा की शादी शामऊ से करवा दी. शामऊ भी खुश था कारण उसकी बीवी का देहांत छः महीने पहले ही हुआ था. उमा भी काफ़ी खुश थी कारण शामऊ ही एक इंसान था जिसने उस दिन सब कुछ अपनी आँखो से देखा था." अमित ने कहा. "मुझे तो लगता है कि इस परिवार मे सबको चुदाई का बहोत शौक है." मेने हंसते हुए कहा. "हां भगवान ने सेक्स चीज़ ही इतनी सुन्दर बनाई है और हम सब उसका पूरा मज़ा उठाते है, लेकिन खून के रिश्ते छोड़ कर," सुमित ने कहा. "आदि और सूमी अब हमे चलना चाहिए, काफ़ी देर हो चुकी है." अमित ने कहा. "अरे अभी थोड़ी देर रूको, तुम दोनो की कहानी तो बाकी है, तुम दोनो के साथ क्या हुआ?" मेने पूछा. "घर के लिए चलते है, ये कहानी में तुम दोनो को कार के अंदर सुनाउन्गा." सुमित ने कहा. जब हम गाड़ी मे बैठ चुके तो सुमित ने कहना शुरू किया, "जब सब चले गये तो हम भाग कर अपने कमरे मे आ गये. खाने के समय तक हम वहीं अपने बिस्तर मे दुब्के रहे. खाने के समय भी मम्मी ने भी कुछ नही कहा तो हमारी थोड़ी जान मे जान आई." "शाम के समय हम हमारे कमरे मे थेतो शकुंतला हमारी पुरानी नौकरानी हमारे कमरे मे आई, "मालकिन आ रही है." हम घबरा कर पलंग के नीचे छिप गये तभी मम्मी कमरे मे आ गयी, "तुम दोनो मेरे पास आओ." फिर उन्होने हमे अपनी गोद मे बिठा लिया और हमारे बालों मे हाथ फिराते हुए कहा, "मैने तुम दोनो को कमरे मे रहने के लिए कहा था ना." हम दोनो ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी. "फिर तुम दोनो ने हमारा कहना क्यों नही माना?" मम्मी ने हमारे कान ऐन्थ्ते हुए पूछा. "क्या आप हमारे भी कान काट देंगी," मेने रोते हुए पूछा. "नही इस बार तो नही लेकिन में जानना चाहूँगी कि तुमने हमारा कहना क्यों नही माना? मम्मी ने कहा. अब जबकि हमारे कान काटने वाले नही थे हमारी थोड़ी हिम्मत बढ़ गयी, "वो क्या है ना मम्मी हम वो देखना चाहते थे जो आप नही चाहती थी क़ी हम देखें." अमित मुस्कुराते हुए बोला. मम्मी भी ज़ोर से हंस दी. "शकुंतला इन बदमाशों को आज खाना मत देना," मम्मी ने कहा "इस बार तो में तुम दोनो को छोड़ रही हूँ हां अगर अगली बार मेरा कहना नही माना तो याद रखना में तुम्हारी छोटी मुनिया काट दूँगी समझे." मम्मी ने डाँटते हुए कहा. "जी मम्मीजी." हमने कहा. "क्या तुम दोनो ने ऐसी ग़लती की भविष्य मे," मैने सहेजता से पूछा. "अमित ने नही की, इसकी मुनिया सही सलामत है," अनु बोल पड़ी. "और मेने भी नही की, " सुमित हंसते हुए बोला, "और इस बात की गवाह सूमी है." हम चारों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे, मेने तो शरम के मारे अपना चेहरा हाथों मे छुपा लिया. जब दूसरे दिन में और अनु अकेले थे तो मेने कहा, "अनु क्या ससुराल पाई है हमने, यहाँ तो सब एक दूसरे को चोद्ते है." "क्या पापा और चाचू भी हमे चोदेन्गे?"अनु ने पूछा. "ऐसा होगा मुझे लगता तो नही, दोनो हमे बेटियों की तरह मानते है, फिर सुमित ने कहा भी तो वो कि वो खून के रिश्तों को मानते है." मेने कहा. "काश ऐसा हो जाए.... में तो चाचू का बड़ा और मोटा लंड देखना चाहूँगी." अनु ने कहा. "में खुद ऐसा चाहती हूँ पर हम कर भी क्या सकते है?" मेने जवाब दिया. एक हफ़्ता और फार्म हाउस पर बीतने के बाद, पापा ने दोनो जुड़वा भाइयों को सहर जाकर बिज़्नेस संभालने को कहा.. मोना और रीमा हमारे साथ सहर जाएँगी ऐसा मम्मी ने कहा था. दूसरे दिन हमने अपना सामान बाँध लिया और जाने के लिए तय्यार हो गये. "मेरी बच्चियो, मुझे तुम दोनो की बहोत याद आएगी.' मम्मी ने हमे गले लगाते हुए कहा. "पर शादी का सबसे बड़ा सुख यहीहै कि अपने पति की बात मानना और उनकी सेवा करना." "हां मम्मीजी" हमने धीरे से कहा. फिर मम्मी ने दोनो नौकरानियों को अपने पास बुलाया, "में तुम दोनो को कोई सहर घूमने के लिए नही भेज रही हूँ, मेहनत और मन लगाकर अपनी मालकिन की सेवा करना, और इन्हे कोई भी शिकायत का मौका नही देना." हम सब सहर की ओर रवाना हो गये. शाम को तीन बजे हम हम सहर के हमारे बंग्लॉ मे पहुँच गये. फार्म हाउस के मकान की तरहये मकान भी पूर तरह से बना हुआ था और काफ़ी बड़ा और सुन्दर भी था. मकान पर भानु मोना का बाप हमारा फूलों के हार लेकर इंतेज़ार कर रहा था. वो इतना खुश था कि उसे समझ मे ही नही आ रहा था कि वो क्या करे. "मालिकिन आप यहाँ बैठिए... नही यहाँ बैठिए... में आपके लिए चाइ लाउ नही में शरबत लाता हूँ आप थक गयी होंगी... " वो इसी तरह पूछता रहा. आख़िर अमित ने कहा, "भानु हम सब ने रास्ते मे खाना खा लिया है तुम सिर्फ़ स्ट्रॉंग कोफ़ी बना के ले आओ." "जी अभी लाया मालिक." कहकर वो रसोई घर मे चला गया. दस मिनिट बाद वो एक ट्रे मे कोफ़ी और कुछ बुस्कुत लेकर लौटा. "भानु कोफ़ी हम ले लेंगे तुम अपना समान बांधो तुम्हे मम्मी के पास जाना है." सुमित ने कहा. "में फार्म हाउस चला जाउ," भानु ने चौंकते हुए कहा, "फिर आप सबका ख़याल कौन रखेगा?" "मोना और रीमा, वो दोनो पीछे समान के साथ आ रही है." अमित ने कहा. "वो दोनो यहीं रहेंगी," भानु ने पूछा, "क्या मालकिन जानती है." "हां और उन्होने ही तो भेजा है उन्हे हमारी देखभाल के लिए," मेने कहा. भानु बड़बड़ाते हुए वहाँ से चला गया, "मालिकिन पागल हो गयी है जो दोनो को यहाँ भेज दिया.. पहले तो मुझे शक़ था कि वो बुढ़िया पागल है लेकिन आज यकीन हो गया." वो इतनी ज़ोर से बड़बड़ाया था कि हम सभी ने उसकी बड़बड़ाहट सुन ली थी. मेने अमित और सुमित की ओर देखा, "ये बुड्ढे और पुराने लोग भी कभी कभी एक बोझ होते हैं, लेकिन झेलना पड़ता है...." अमित ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा. जब तक हम कोफ़ी ख़तम करते दोनो नौकरानिया समान के साथ आ गयी. हम सब स्मान अंदर कमरे मे ले जाने लगे, "भानु ड्राइवर को कुछ चाइ नाश्ता दे दो. अमित ने कहा. जब भानु जाने के लिए तय्यार हो गया तो बोला, "मालिक क्या में दोनो लड़कियों से बात कर सकता हूँ." "अरे इसमे पूछने की क्या बात है हां कर लो." सुमित ने कहा. थोड़ी देर बाद मेने मोना से पूछा, "वो भानु तुम पर गुस्सा क्यों हो रहा था? मेने पूछा. "नही दीदी वो गुस्सा नही हो रहे थे." मोना ने जवाब दिया. "लेकिन मेने उसे तुम पर चिल्लाते हुए सुना था," मैने कहा. "दीदी वो क्या है ना हर बाप अपनी लड़की को छोड़ कर जाते समय थोड़ा भावक हो जाता है, जाने दीजिए ना अगर उसकी किसी बात से तकलीफ़ हुई हो तो में आपसे माफी मांगती हूँ." मोना ने कहा. वैसे मेने और अनु ने कभी अकेले घर नही संभाला था लेकिन दोनो नौकरानियों की वजह से हमे कोई तकलीफ़ नही हुई. दो हफ्ते बाद एक दिन सुबह जब हमारे पति ऑफीस जाने के लिए तयार थे कि अमित बोला, "आप दोनो ज़रा स्टडी रूम मे आइए हम दोनो को आप दोनो से कुछ कहना है." जब हम सब कुर्सियों पर बैठ गये तो अनु ने पूछा, "ऐसी क्या ज़रूरी बात है कि आप दोनो शाम तक भी नही रुक सके?" "हम दोनो ने आप दोनो को तलाक़ देने का फ़ैसला किया है," दोनो साथ साथ बोले तो में और अनु चौंक पड़े. क्या?" अनु ज़ोर से चिल्लई. "क्या में जान सकती हूँ क्यों?" मेने धीरे से पूछा. "इसलिए कि जब हम दोनो की तुम दोनो से शादी हुई थी तब तुम दोनो कुँवारी नही थी." अमित ने कहा. "हां तुम दोनो की चूत मे झिल्ली का नामो निशान भी नही था, तुम दोनो ने काफ़ी चुदवाया है शादी के पहले." सुमित ने कहा. क्या अमित और सुमित ने अनु और सूमी को तलाक़ दिया अगर नही तो फिर उन दोनो के साथ क्या किया........ ये सब जानने के लिए पढ़िए मर्दों की दुनिया पार्ट--४ mardon ki duniya paart--3 Thodi der Uma ki chuchiyon se khelne ke bad chachu ne use jameen par carpet par leeta diya phir uski tango ko utha kar apne kandhon par rakh lee aur khud us par let gaye. Phir unhone apna hath dono ke sharir ke beech kar diya, wo kya kar rahe the ye hum nahi dekh paye lekin haan Uma apni aankh band kiye waise hi leti rahi.' "Dewarji der mat karo, phad do is haramzaadi ki kori choot." Chachu ne Uma ko bahon me liya aur jor se apni kamar hilayi. "OHHH MAR GAYI...." hamne Uma ki dard bhari cheekh suni, cachu ne phir jor se apni kamar hilayi. Hum soch rahe the ki Uma itni jor se chillayi kyon? Chachu phir apni kamar hilane lage lekin is bar thoda jor jor se. Mummy papa aur Shamu ki nazrein chachu ki hilti gand par tiki hui thi. Humne pehle kabhi aisa kuch dekha nahi tha isliye hum apni sans roke sab chup chap dekhte rahe ki aage kya hone wala hai? Itne me chachu ne jor se apni kamar ka jhatka mara aur ek hunkar bhar Uma ke sharir par let gaye. Uma ki aankhe to band thi par uska munh khula tha. Hum soch hi rahe the ki kya hua ki humne dekha ki chachu ek bar phir apni gand hila rahe the. Wo jor jor se hila rahe the ki tabhi hum chaunk pade, Uma bhi apni kamar neeche se hila chachu ka sath de rahi thi. Thodi der bad phir dono shant ho gaye, dono ki sanse ukhdi hui thi. "Dewarji bahot ho gaya ab chod do ise." mummy ne kaha. "Bhabhi bas ek bar ek bas ek bar aur chodne do ise."Chachu ne kaha. "Nahi abhi nahi, jab ye raat me tumhare kamre me aaye to jitna jee chahe ise chod lena." mummy ne kaha. Chachu khade ho gaye lekin Uma usi tarah apni aankh band kiye carpet par leti rahi. "Tumhe kya lagta hai, wo ruk kyon gaye," meine pucha. "Mujhe lagta hai ki chachu ko chot lag gayi hai, tumne unki peepee par lage khoon ko nahi dekha." Sumit ne kaha. "Bhabhi mazaa aa gay kya kasi kasi choot thi iski." Chachu apni peepee ko napkin se paucnhte hue bole. "Mujhe khushi hai ki tumhe mazaa aya dewarji," kehkar mummy ne apne purse se ek choti se kainchi nikaal li aur Uma ki aur badhi jo carpet par leti thi. "ab ise sazaa bhi t milni chahiye?" mummy ne kaha. "Amit aur Sumit ki mummy kya tumhe nahi lagta ki tum kis phele hi kafi sazaa de chuki ho?" papa ne kaha. "Aap ise sazaa kehte hain? ye to mazaaa tha. Apne dekha nahin kaise apne chootad uchal ucal kar dearji se chudwa rahi thi. "Um uth kar khadi ho jao?" mummy ne aadesh diya. Uma ne apni aankhe kholi aur mummy ki hathon me kainfhi dekh unke pairon me gir padi aur maafi mangne lagi, "maalikin mujhe maaf kar dijiye, aaj ke baad aapka har hukum manungi." "Uma uth kar khadi ho jao," mummy ne phir jor se kaha, lekin Uma thi ki roye jaa rahi thi aur bar bar mummy se maafi mang rahi thi. "Uma ek taraf to tum mujhse keh rahi ho ki tum mera har aadesh manogi, aur mein itni der se tumhe khada hone ko keh rahi huj aur tum ho ki abhi tak jameen par hi baithi ho." Mummy ne kaha. Mummy ki baat sunkar Uma jhat se uth kar khadi ho gayi. "Shaabash, ab ye batao tumhare sharir ka kaun sa hissa sunder hai jise mein kat kar le leti hun, man to kar raha hai ki tumhari choot ki pankhudiyon ko hi kaat dun, nahi tumhari chuchi bahot badi aur sunder hai use kat deti hun." Mummy ne uske nipple ko apne hathon me pakda hi tha ki chachu jor se chilla pade, "NAHI BHAABHI ISKI CHUCHI NAHI MUJHE BAHOT PASAND HAI ISKI CHUHCI." "Uma shukra kar dewarji ki jo teri chuchi bach gayi, par tumhe sazaa to milni hi chahiye na. meine umhare kaan kaat deti hun." Uma mummy ki baat sunkar cheekhne chillane lagi, lekin mummy ne uski cheekhon par koi dhyaan nahi diaya ur uske aan kan kat kar hi mani. Hum dono se to dekha hi nahi gaya, Uma roye aur chillaye jaa rahi thi. Uske kaan kafi khoon beh raha tha. "Ab aaj se mera hukum manogi ki nahi?" Mummy ne Uma se pucha. Uma is sthiti me nahi thi ki wo mummy ki baat ka koi jawab de pati, wo to bas ard ke mare chilla raha thi aur roye jaa rahi thi. "Uma meine tumse kuch puch hai, jawab do?" mummy ne kaha. Uma ne dheere se kaha, "mujhe sunai nahi de raha jara jor se bolo.' mummy chillai. "HAAAN MALKIN AAJ KE BAAD MEIN AAPKA HAR HUKUM MANUNGI..." Uma ne rote hue kaha. "Aur agar is ghar ke kisi sadasya ne tumhe apne kamre me buaya to kya karogi?" mummy ne pucha. "Maalkin mein uske kamre me jaungi aur use wo sab karne dungi wo karna chahta hai." Uma ne jawab diya. "Bahot accha!" mummy ne kaha, "ye sabak hai sabke liye jo mera hukum nahi manenge, khas taur par un dono haramiyon ke liye jo khidki se chup kar sab dekh rahe hai." Mummy ne jor se kaha. Mummy ki baat sunkar to hamara peshab nikale nikalte bacha. Mein to wahan se apne kamre me bhaag jana chahta tha lekin Sumit ne mujhe rok diya, "ab sazaa to milne hi wali hai to kyn na puri baat dekh kar jayen." Sumit ne kaha. "Shamu iske pehle ki yahan mar jaye, ise doctor ke paas lejakar iski dawa kara do aur haan is carpet ko jala do, sara carpet iske khoon se bhar gaya hai." Mummy ne Shamu se kaha. Jab Shamu Uma ko lekar chala gaya to mummy ne kaha, "Dewarji aaj raat jab Uma aapke paas aaye to sabse pehle iski gaand marna. Iske chootad bade sakht hain aapko bahot mazaa ayega." "Jaise aap bole bhabhi." Chchu khush hote hue bole. Thodi hi der me sab wahan se chale gaye. "Mujhe lagta hai ki mummy chachu ka kuch jyada hi paksh leti hai?" meine kaha. "Kya aisa ho sakta hai ki mummy bhi chachu se chudwati ho?" Anu ne hichkichate pucha. "Haan hame bhi yahi lagta hai ki mumyy aur chachu ja kar jaroor aapas me rishta hai." Sumit ne kaha. 'tumhe aisa kyon lagta hai?" meine pucha. "Hum ise saabit to nahi kar sakte hai, kyon ki kisi ki himmat nahi hai kuh kehne ki lekin humne suna hai ki aadhi raat ko mummy barabar chachu ke kamre me jaati hai." Amit ne kaha. "Kya papa ko pata hai is bare me?" Anu ne pucha. "Hame aisa lagta hai ki papa ko sab kuch pata hai lekin wo kehte kuch nahi.... waise bhi chodne ke liye unke pas chooton ki kami hai kya?" Sumit ne kaha. "Kya tumhe lagta hai ki jo kuch chachu ne kiya wo sab sahi tha, sirf apni jimani khushi ki liye unhone Mina aur Uma ka kaurmaya chin liya? miene pucha. "Nahi wo sirf jimani khushi nahi thi chachu ke liye, chachu ssahi me undono ko pasand karte hai. Aaj bees saal bad bhi chachu unhe apne kamre me boolate rehte hai." Sumit ne khaa. "Uma ki kahani ka ek hissa to abhi baki hai." Amit ne kaha. Uski saza ki khabar charon taraf aag ki tarah fail gayi Ek hafte baad ek aadmi mummy se milne ke liye aaya. "Kaun ho tum?" mummy ne us aadmi se pucha. "Maalikin meera naam Ramu hai, mein Uma ka baap hun." Usne jhukte hue kaha tha. "Kya chahiye tumhe?" Mummy ne pucha. "Mein ek vinanti lekar aapke paas aaya hun. Uma ki sagai haamare gaon ke ek naujawan ke sath pakki hui thi. Jab use ye pata chala ki Uma ab kunwari nahi rahi to usne uss shaadi karne se inkar kar diya." Ramu ne bataya. "To is vishay me tum mujhse kya chahte ho?" mummy thoda narmi se boli. "Maalikin mein chahta hun ki aap us naujawan ko hukum den ki wo Uma se shaadi kar le nahi to gaon ka koi bhi naujawan usse shaadi nahi karega." Ramu ne hath jodte hue kaha. Mummy sochne lagi. "Us ladki ko bhool jao, wo bewkoof hai jo aise heere ko thukra raha hai." mummy ne jawab diya, "aaj se Uma ki jimmedari hamari hai. Hum uski shaadi karayenge, sath me shaadi ka har kharcha bhi karenge aur uske sasural walon ko dahej bhi denge. Jab sab kuch tay ho jayega hum tumhe suchit kar denge, ab tum jaa sakte ho." "Ek mahine ke baad mummy ne Uma ki shaadi Shamu se karwa di. Shamu bhi khush tha karan uski biwi ka dehant cheh mahine pehle hi hua tha. Uma bhi kafi khush thi karan Shamu hi ek insaan tha jisne us din sab kuch apni anhon se dekha tha." Amit ne kaha. "Mujhe to lagta hai ki is parivar me sabko chudai ka bahot shauk hai." Meine hanste hue kaha. "Haan bhagwan ne sex cheez hi itni sunder banayi hai aur hum sab uska pura mazaa uthate hai, lekin khoon ke rishte chod kar," Sumit ne kaha. "Adi aur Sumi ab hame chalna chahiye, kafi der ho chuki hai." Amit ne kaha. "Are abhi thodi der ruko, tum dono ki kahani to baki hai, tum dono ke sath kya hua?" meine pucha. "Ghar ke liye chalte hai, ye kahani mein tum dno ko car ke andar sunaunga." Sjumit ne kaha. Jab hum gadi me baith chuke to Sumit ne kehna shuru kiya, "jab sab chale gaye to hum bhag kar apne kamre me aa gaye. Khane ke samay tak hum wahin apne bistar me dubke rahe. Khane ke samay bhi mummy ne bhi kuch nahi kaha to hamari thodi jaan me jaan aayi." "Shaam ke samay hum hamare kamre me to Shakuntala hamar purani naukarani hamare kamre me aayi, "maalkin aa rahi hai." Hum ghabra kar palang ke neeche chip gaye tabhi mummy kamre me aa gayi, "tum dono mere paas aao." Phir unhone hame apni god me bitha liya aur hamare baalon me hath firate hue kaha, "miene tum dono ko kamre me rehne ke liye kaha tha na." Hum dono ne apni gardan haan me hila di. "Phir tum dono ne hamara kehna kyon nahi mana?" Mummy ne haamare kaan ainthte hue pucha. "Kya aap hamare bhi kaan kaat dengi," meine rote hue pucha. "Nahi is baar to nahi lekin men jannna chahungi ki tumne hamare kehna kyon nahi mana? mummy ne kaha. Ab jabki hamare kaan katne wale nahi the hamari thodi himmat badh gayi, "Wo kya hai na mummy hum wo dekhna chahte the jo aap nahi chahti thi ki hum dekhen." Amit muskurate hue bola. Mummy bhi jor se hans dee. "Shakuntala in badmashon ko aaj khana mat dena," mummy ne kaha "is baar to mein tum dono ko chod rahi hun haan agar agli bar mera kehna nahi mana to yaad rakhna mein tumhari choti muniya kaat dungi samjhe." Mummy ne dantte hue kaha. "Ji mummyji." hamne kaha. "kya tum dono ne aisi galti ki havishya me," miene sahejta se pucha. "Amit ne nahi ki, iski muniya sahi salamat hai," Anu bol padi. "Aur meine bhi nahi ki, " Sumit hanste hue bola, "aur is baat ki gavah Sumi hai." Hum charon jor jor se hansne lage, meine to sharam ke mare apna chehra hathon me chupa liya. Jab doosre din mein aur Anu akeyle the to meine kaha, "Anu kya sasural payi hai hamne, yahan to sab ek doosre ko chodte hai." "Kya papa aur chachu bhi hame chodenge?"Anu ne pucha. "Aisa hoga mujhe lagata to nahi, dono hame betiyon ki arah mante hai, fir Sumit ne kaha bhi to wo ki wo khoon ke rishton ko mante hai." Meine kaha. "Kash aisa ho jaye.... mein to chachu ka bada aur mota lund dekhna chahungi." Anu ne kaha. "Mein khud aisa chachti hun par hum kar bhi kya sakte hai?" meine jawab diya. Ek hafta aur farm house par beeetane ke bad, papa ne dono judwa bhaiyon ko sehar jaakar business sambhalne ko kaha.. Mona aur Reema hamare sath sehar jayengi aisa mummy ne kaha tha. Doosre din humne apna saaman bandh liya aur jane ke liye tayyar ho gaye. "Meri bacchiyon, mujhe tum dono ki bahot yaad aayegi.' mummy ne hame gale lagate hue kaha. "Par shaadi ka sabse bada sukh yahi ki apne pati ki baat manna aur unki seva karna." "Haan mummyji" hamne dheere se kaha. Phir mummy ne dono naukraniyon ko apne paas bulaya, "mein tum dono ko koi sehar ghoomne ke liye nahi bhej rahi hun, mehanat aur man lagakar apni maalkin ki sewa karna, aur inhe koi bhi shikayat ka mauka nahi dena." Hum sab sehar ki aur rawana ho gaye. Shaam ko teen baje hum hum sehar ke hamare bunglow me pahunch gaye. Farm house ke makaan ki ye makaan bhi puir tarah saa hua tha aur kafi bada aur sunder bhi tha. Makan par Bhanu Mona ka baap hamara phoolon ke haar lekar intezar kar raha tha. Wo itna khush tha ki use samajh me hi nahi aa raha tha ki wo kya kare. "Maalikin aap yahan baithiye... nahi yahan baithiye... mein aapke liye chai laun nahi mein sharbat laa hun aap thak gayi hongi... " wo isi tarah puchta raha. Aakhir Amit ne khaa, "Bhanu hum sab ne raaste me khana kha liya hai tum sirf strong cofee bana ke le aao." "Ji abhi laya maalik." kehkar wo rasoi ghar me chala gaya. Dus minute baad wo ek tray me cofee aur kuch buiscuit lekar lauta. "Bhanu cofee hum le lenge tum apna saman bandho tumhe mummy ke paas jana hai." Sumit ne kaha. "Mein farm house chala jaun," Bhanu ne chaunkte hue kaha, "phir aap sabka khayal kaun rakhega?" "Mona aur Reema, wo dono peeche samaan ke sath aa rahi hai." Amit ne kaha. "wo dono yahin rahengi," Bhanu ne pucha, "kya malkin jaanti hai." "Haan aur unhone hi to bheja hai unhe hamari dekhbhal ke liye," meine kaha. Bhanu badbadate hue wahan se chala gaya, "maalikin pagal ho gayi hai jo dono ko yahan bhej diya.. Pehle to mujhe shaq tha ki wo budhiya pagal hai lekin aaj yakeen ho gaya." Wo itni jor se badbadaya tha ki ham sabhi ne uski badbadahat sun li thi. Meine Amit aur Smit ki aur dekha, "Ye buddhe aur purane log bhi kabhi kabhi ek bojh hote hain, lekin jhelna padta hai...." Amit ne ane kandhe uchkate hue kaha. Jab tak hum cofee khatam karte dono naukraniya samaan ke sath aa gayi. Hum sab smaan andar kamre me le jane lage, "Bhanu driver ko kuch chai naashta de do. Amit ne kaha. Jab Bhanu jane ke liye tayyar ho gaya to bola, "maalik kya mein dono ladkiyon se baat kar sakta hun." "Are isme puchne ki kya baat hai haan kar lo." Sumit ne kaha. Thodi der baad meine Mona se pucha, "Wo Bhanu tum par gussa kyon ho raha tha? meine pucha. "Nahi didi wo gussa nahi ho rahe the." Mona ne jawab diya. "Lekin meine use tum par chillate hue suna tha," miene kaha. "Didi wo kya hai na har baap apni ladki ko chod kar jaate samay thoda bhavook ho jata hai, jane dijiye na agar uski kisi baat se takleef hui ho to mein aapse maafi mangti hun." Mona ne kaha. Waise meine aur Anu ne kabhi akeyle ghar nahi sambhala tha lekin dono naukraniyon ki wajah se hame koi takleef nahi hui. Do hafte baad ek din subah jab hamare pati offfice jane ke liye tayaar the ki Amit bola, "aap dono jara study room me aaiye hum dono ko aap dono se kuch kehna hai." Jab hum sab kursiyon par baith gaye to Anu ne pucha, "aisi kya jaroori baat hai ki aap dono shaam tak bhi nahi ruk sake?" "Hum dono ne aap dono ko tallak dene ka faisla kiya hai," dono sath sath bole to mein aur Anu chaunk pade. Kya?" Anu jor se chillai. "Kya mein jaan sakti hun kyon?" meine dheere se pucha. "Isliye ki jab hum dono ki tum dono se shaadi hui thi tab tum dono kunwari nahi thi." Amit ne kaha. "Haan tum dono ki choot me jhilli ka namo nishaan bhi nahi tha, tum dono ne kafi chudwaya hai shaadi ke pehle." Sumit ne kaha. To be continued... ...... Kya Amit aur Sumit ne Anu aur Sumi ko talak diya agar nahi to phir un dono ke sath kya kiya........ ye sab janne ke liye padhiye Mardon Ki Duniya Ch - 07 so jaldi hi HILMS par aa raha hai.































































































































































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