Monday, April 26, 2010

Kamuk kahaaniya -"छोटी सी भूल --8

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"छोटी सी भूल --8

गतांक से आगे ............. अगले दिन संजय और चिंटू के जाने के बाद, मैं इस कसम्कश में खो गयी कि अब क्या करना है.

अपने पति को बताने की हिम्मत मुझमे हो नही पा रही थी और मैं दुबारा ग़लत रास्ते पर चलना नही चाहती थी.

एक पल को ख्याल आया कि मैं घर को लॉक करके कही चली जाती हू, पर कहाँ इस बारे में फ़ैसला नही कर पा रही थी.

तभी मुझे ख़याल आया कि मुझे मौसी के घर चले जाना चाहिए.

पर मैं ये सोच कर रुक गयी कि, मुझे हालात का सामना करना चाहिए, ऐसे भागने से बात नही बनेगी.

बिल्लू की बात से लगता था कि वो अब मुझे ब्लॅकमेल करने की कोशिस करेगे. इस लिए मैं तैयार थी कि वो संजय को बताने की धमकी देता है तो देने दो मैं उनके झाँसे में नही आउन्गि. फिर मुझे ये भी ख्याल आया कि अगर वो ब्लॅकमेल करने की कोशिस करता भी है तो भी उसके पास सबूत क्या है. और अगर बात ज़्यादा बढ़ भी गयी तो मैं संजय को बुला कर सब कुछ बता दूँगी.

इस लिए मैने घर पर ही रहने का फ़ैसला किया.

मैं अपने रोजाना के कामो में लग गयी.


11 बजने को थे और मैं बेचन हो रही थी.


मैं खुद को विस्वास दिला रही थी कि मई सब कुछ संभाल सकती हूँ, बस मुझे शांति से काम लेना है.


मैं इशी कसंकश में थी और कब 11:30 बज गये पता ही नही चला.


मेरे मन को शांति मिली कि अछा हुवा वो कमीना नही आया. मुझे लग रहा था कि शायद वो समझ गया है कि मैं अब उसके झाँसे में नही आउन्गि.



मैं चैन से बेडरूम में लेट गयी.

मेरी आँख लगी ही थी कि फोन की घंटी बज उठी,
ये बिल्लू का फोन था, इस से पहले कि मैं फोन रख पाती,

उसहने कहा, सॉरी मैं कल गुस्से में तुझे यू ही कुछ कुछ बोल गया, तू अब चिंता मत कर मैं तेरे घर नही आ रहा, मैं तेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नही करना चाहता. अगर तू मेरे साथ एंजाय करना चाहती है तो मैं तुझे लेने आ जाता हू, सब कुछ तेरी मर्ज़ी पर निर्भर है.



मैने कहा तुम ये सोच भी कैसे सकते हो कि मैं फिर से तुम्हारे साथ चलूंगी. तुम्हारा कोई ब्लॅकमेल नही चलेगा.


वो बोला ब्लॅकमेल मैं करना भी नही चाहता, क्या अब तक मैने तुझे ब्लॅकमेल किया ?

मैने कहा, ब्लॅकमेल तो नही था पर………


वो बोला, पर क्या ?

मैने कहा कुछ नही तुम खुद सब जानते हो, इतने भोले मत बनो.

वो बोला, मैं कुछ नही जानता, मैं तो बस तुझे चाहता हू

मैने गुस्से में पूछा चाहते हो तभी मुझे धोके से उस कामीने अशोक के पास ले गये थे.


वो बोला क्या तुझे नही लगता कि तुझे तेरे किए की सज़ा मिली है.

मैने पूछा ये क्या बकवास कर रहे हो.

वो बोला क्या तुझे नही पता, तूने और तेरे बाप ने मिलकर उसका क्या हाल किया था ?

मैने पूछा मेरे दादी ने क्या किया था ? उसे बस उसके किए की सज़ा ही तो दिलवाई थी. उसे तो पोलीस के हवाले करना चाहिए था, यही हमसे चूक हो गयी.

वो बोला, तो करवा देते, पोलीस के हवाले वैसे भी क़ानून सिर्फ़ ग़रीब के लिए होता है. तुम अमीरो के लिए तो सब माफ़ है

मैने कहा ऐसी बाते कर के तुम लोगो का गुनाह कम नही हो जाता, वैसे भी अब इन बातो का क्या मतलब तुम अब मुझे चैन से जीने दो, मेरा पीछा छोड़ दो.

वो बोला, चल बीती बाते भुला दे. अशोक अब हमारें बीच नही आएगा. जो हो गया सो हो गया, अब बस हम दोनो मज़ा करेंगे

मैने गुस्से में पूछा क्या मतलब, तुम मुझे समझते क्या हो ?

वो बोला, मेरे लिए तो तू सब कुछ है. मैं तुझे जी भर कर पाना चाहता हू. तेरी गांद बस एक बार ली है. सच में रोज तेरे लिए तड़प्ता हू. अगर अशोक का मुझ पर कर्ज़ ना होता तो मैं अशोक की बजाए उस दिन खुद तेरी लेता.

मैने कहा, बंद करो ये बकवास

वो बोला, ये बकवास नही सच है. जिस दिन अशोक तेरी ले रहा था क्या में भी नही ले सकता था? पर मुझे तुझे टाइम से घर पहुचना था ताकि तेरे घर पर कोई समश्या ना हो. वरना तो मैं उस दिन तेरे साथ कुछ भी कर सकता था.


मैने कहा अछा होता तुम मुझे वही जहर दे कर मार देते. मुझे इतनी ज़िल्लत तो ना झेलनी पड़ती.


वो बोला तुझे मार कर मुझे क्या मिल जाएगा. अगर तुझे ये सब इतना बुरा लग रहा है तो मैं अब तुझे परेशान नही करूँगा.


मैने पूछा क्या उस साइकल वाले को तुमने मेरे पीछे नही लगाया ?


वो बोला अरे मैने तुझे बताया तो था मैं उसे नही जानता, क्यो अब क्या हुवा ?


मैने कहा, कल उसने मुझे बस में परेशान किया. मैं बड़ी मुस्किल से जान बचा कर बस से उतर पाई.

मैने उसे सारी बात बता दी.


वो बोला, अछा तूने उसे थप्पड़ नही मारा


मैने कहा मैं डर गयी थी कि कही वो सब लोगो के सामने बकवास ना करने लगे,


वो बोला, पर तूने मुझे तो बड़े आराम से थप्पड़ मार दिया था. तू अगर उसे थप्पड़ मारती तो बस के लोग उसे खूब मारते

मैने कहा पर बस मे सभी लोग आराम से तमाशा देख रहे थे. मुझे किशी पर विस्वास नही था.


वो बोला, तू डर मत मैं उसे सीधा करता हू, उसकी इतनी हिम्मत कैसे हो गयी.


मैने कहा उसकी कोई ज़रूरत नही है. तुम बस मुझे अकेला छोड़ दो. मैं बस इतना चाहती थी कि अगर वो तुम्हारे साथ है तो उसे समझा दो. वरना ?


बिल्लू ने पूछा वरना क्या ?


मैने कहा, वरना मैं तुम सब को पोलीस के हवाले कर दूँगी. तुम्हे पता नही मेरे पाती की पहुँच उपर तक है. अगर तुम लोग सोचते हो कि मुझे ब्लॅकमेल कर सकते हो तो तुम लोग ग़लत हो.


वो बोला, तुझे ब्लॅकमेल ना अब तक किया है ना करूँगा, आख़िर तू समझती क्यो नही ?


मैने पूछा, अछा वो अशोक यहा क्या करने आया था उस दिन ?


वो बोला, अभी तू कुछ नही समझेगी वक्त आने दे तुझे सब पता चल जाएगा.

मैने पूछा किस वक्त का इंतेज़ार कर रहे हो तुम ?

वो बोला, जाने दे वैसे ही बोले दिया.

मैने पूछा, तो बताओ वो अशोक यहा क्यो आया था ?



वो बोला, तुझे अजीब लगेगा, पर वो तेरे पति को सब कुछ बताने ही आया था. पर तूने उस से अपने शरीर का शोदा कर लिया और उसे वाहा से भेज दिया.



मैने कहा, चुप करो तुम. तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे कह सकते हो. ये सब तुम लोगो की चालाकी थी.


वो बोला सच हमेशा कड़वा होता है. तुझे अगर लगता था कि तूने कुछ ग़लत किया है तो अपने पति को सब कुछ बता कर माफी माँग लेती. तेरा पति बहुत अछा इंसान है तुझे माफ़ कर ही देता. पर तू तो अपने किए पर परदा डालना चाहती थी इश्लीए मेरे घर आ गयी.


मैने कहा ऐसा कुछ नही है. ये तुम भी जानते हो.


वो बोला अगर ऐसा नही है तो तूने अशोक को क्यो कहा कि तू जो वो कहेगा करेगी.


मैने कहा मुझे नही पता था कि वो अशोक है वरना ऐसा नही कहती.


वो बोला, अछा कोई और तेरी ले लेता तो ठीक था पर बेचारे अशोक ने ले ली तो तेरा ईमान जाग गया.


मैने कहा, बंद करो ये बकवास तुम क्या जानो कि ईमान क्या होता है.


वो बोला तो ठीक है अगर तेरे अंदर हिम्मत है तो अपने पति को सब कुछ बता दो. उसने तुझे माफ़ कर दिया तो ठीक है वरना मैं तुझे अपना लूँगा.


मैने कहा अपना लूँगा मतलब ? अपनी औकात में रहो.


वो बोला, मेरी औकात क्या बस तेरी गांद मारने तक थी, क्या मैं तुझे अपने साथ नही रख सकता, तुम अमीर लोग एक नंबर के कामीने हो.

मैं उसे कोई जवाब नही दे पाई.


वो बोला, अगर तुम कहो तो मैं तेरे पति को हमारे बारे में सब कुछ बता देता हू, तू तो लगता है कुछ कह नही पाएगी.


मैने पूछा क्या ये ब्लॅकमेल है ?


वो बोला, फिर वही बात, मैने तुझे तेरी मर्ज़ी से पाया था. तुझे ब्लॅकमेल नही किया था, और आगे भी मेरा ऐसा कोई इरादा नही है. मैं कितनी बार तुझे सम्झाउ. तेरी मर्ज़ी होगी तब ही मैं तेरे साथ करूँगा. मैं तो बस ये कह रहा था कि अगर तुझ में हिम्मत ना हो अपने पति को बताने की तो मैं बता देता हू. अगर तू नही चाहती तो ठीक है. वैसे भी उसे ना ही पता चले तो ठीक है, हम आराम से मज़े कर सकते है. तू मेरे साथ रिस्ता मत तोड़. बाकी रही उस साइकल वाले की बात, तू उसकी चिंता मत कर मैं उसकी अकल ठिकाने लगाता हूँ.


मैने कहा, मेरा तुम्हारे साथ कोई रिस्ता नही है.


वो बोला अछा तो क्या बस गांद और लंड तक ही सब कुछ था. मज़े लिए और चलते बने.

मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं उसे क्या जवाब दू.

मैने कहा, तुम अब ऐसी बाते मत करो और मेरा पीछा छोड़ दो.


वो बोला, ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी, मैं अब तुझे परेशान नही करूँगा. तू अपनी जिंदगी में खुस रह. मेरा यकीन कर मैं कोई ब्लॅकमेल नही करूँगा. ज़बरदस्ती नमर्दो का काम है, मैं तो सेडक्षन में विस्वास करता हू.


ये कह कर उसने फोन रख दिया.


मुझे सब कुछ अजीब लग रहा था मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर वो करना क्या चाहता है ?


मेरी समझ से सब कुछ बाहर था. उष्का बर्ताव कुछ बदला बदला सा लग रहा था.


पर मुझे इस बात का सकुन था कि अब वो मुझे परेशान नही करेगा.


मुझे लग रहा था कि मुझे संजय को सब कुछ बता कर उनसे माफी माँग लेनी चाहिए.

पर उन्हे सब कुछ कैसे बताउ समझ नही पा रही थी.

मैं बहुत सोचने के बाद भी कोई फ़ैसला नही कर पाई.

मुझे नही लगता था कि संजय सब कुछ जान-ने के बाद मुझे माफ़ कर पाएँगे.


मुझे पता नही क्यो बिल्लू की बात पर विस्वास था कि वो मुझे ब्लॅकमेल नही करेगा. और ऐसा हुवा भी.

इश्लीए मैने संजय को सब कुछ बताना ठीक नही समझा. मैं अपने परिवार को हर हाल में बचाना चाहती थी.



अगले कुछ दिन शांति से बीत गये. मैं फिर से अपने परिवार में खो गयी.



एक दिन सुबह की बात है मैं अख़बार पढ़ रही थी.

एक खबर देख कर मैं चोंक गयी.

साइकल वाला जो मुझे परेशान करता था उसकी फोटो छपी थी और उसके नीचे लिखा था कि उसकी किसी ने हत्या कर दी, कातिल का अभी पता नही चल पाया है पोलीस की जाँच चल रही है. उसकी लाश एक शुन्सान गली में खून से लत-पथ मिली थी.


एक पल को लगा कि चलो अछा हुवा उस कामीने की यही सज़ा थी. पर फिर ख़याल आया कि कहीं ये सब बिल्लू ने तो नही किया ?


तभी अचानक संजय की आवाज़ सुनाई दी, अरे ऋतु इतने ध्यान से क्या पढ़ रही हो, आज नास्ता मिलेगा कि नही.


मैने कहा, कुछ नही बस यू ही. मैं अभी नास्ता तैयार करती हू.


किचन में, मैं बस यही सोच रही थी की बिल्लू उसकी अकल ठीकने लगाने को बोल तो रहा था, कहीं ये उसी का काम तो नही.

फिर मैने सोचा, जाने दो मुझे इस सब से क्या लेना देना.


संजय और चिंटू के जाने के बाद कोई 10:30 बजे का वक्त था. मैं बेडरूम में थोडा आराम कर रही थी.


अचानक फोन की घंटी बजी. ना जाने क्यो मुझे ख़याल आया कि कहीं ये बिल्लू का तो नही. शायद ये अख़बार की खबर के कारण था.


मैने झट से फोन उठाया, ये बिल्लू का ही था.


वो बोला, अब वो साइकल वाला तुझे परेशान नही करेगा.


मैने जान बुझ कर उस से पूछा, तुमने क्या किया उसके साथ ?


वो बोला, उस से तुझे क्या मतलब बस इतना समझ ले कि वो अब कभी तुझे परेशान करने नही आएगा.


मैने पूछा, आख़िर तुम साब्बित क्या करना चाहते हो ?


वो बोला, कुछ नही बस तेरी एक छोटी सी समशया दूर की है.


मेरे मूह से अचानक निकल गया तो तुमने उसे मार दिया.




वो बोला, चुप कर फोन पर ऐसी बात नही करते.


मैने कहा, पर तुमने ये सब ठीक नही किया.


वो बोला, क्या हम मिल कर बात कर सकते है ?


मैने कहा, नही मैं तुमसे नही मिलना चाहती.

वो बोला, प्लीज़ एक बार मिल ले तुझे देखने का मन कर रहा है, तू कहे तो मैं तेरे घर के पीछे आ जाता हूँ.

मैने कहा, तुम यहा मत आओ,


वो बोला, तो तू मुझ से उसी गार्डेन में मिलने आजा जहाँ हम पहले मिले थे.


मैने कहा, मैं तुम से कहीं भी नही मिलना चाहती.


वो बोला, मैं तेरा इंतेज़ार करूँगा. और फोन रख दिया.


मुझे नही पता कि ऐसा क्यो था पर मैं एक बार बिल्लू से मिलना चाहती थी. शायद ये अख़बार की खबर के कारण ही था.

पर मैं फिर से किसी मुसीबत में नही फँसना चाहती थी, इश्लीए मैने फ़ैसला किया कि मुझे कही नही जाना, वो इंतेज़ार करता है तो करता रहे.


मैं अपने बेडरूम में लेट गयी. पर अख़बार की खबर बार, बार मेरे दीमाग में घूम रही थी. मेरे मन में इस बात का सकुन था कि अब मुझे दुबारा उस आदमी से जॅलील नही होना पड़ेगा. पर मैं ये विश्वास नही कर पा रही थी कि बिल्लू ने उसे मार दिया.

सारा दिन मैं इन्ही विचारो में खोई रही.

अगले दिन संजय और चिंटू के जाने के बाद मैं फिर से इन्ही विचारो में खो गयी.

घर के सभी काम करने के बाद मैं नहाने चली गयी. मैं नहा कर निकली ही थी कि डोर बेल बज उठी.


मैने झट से कपड़े पहने और दरवाजे की और बढ़ गयी.


दरवाजा खोलते ही मैं चोंक गयी.

मेरे सामने बिल्लू खड़ा था.

वो धीरे से बोला, पहली बार तेरे घर आया हू क्या अंदर नही बुलाओगी ?


मैने पूछा, तुम यहा क्या कर रहे हो कोई देख लेगा.

वो बोला, तभी तो कह रहा हू मुझे अंदर आने दो.

ये कह कर वो मुझे एक तरफ हटा कर अंदर आ गया.


मुझे ना जाने क्या हो गया था. मैं वाहा खड़े खड़े तमाशा देखती रही.

मैने हिम्मत जुटा कर कहा, बिल्लू ये क्या मज़ाक है कोई तुम्हे देख लेगा तो मैं मुसीबत में पड़ जाउन्गि, तुमने वादा किया था कि तुम मुझे ब्लॅकमेल नही करोगे.

वो बोला, फिर वही बात मैं बस तुझसे मिलने आया हू. कल मैं सारा दिन गार्डेन में तेरा इंतेज़ार करता रहा पर तू नही आई. मैं बस अभी चला जाउन्गा, रही किसी के देखने की बात मैं एलेकट्रेसियन हू मैं अक्सर लोगो के घर आता जाता रहता हू. किसी को कुछ पता नही चलेगा.


ये कह कर वो दरवाजे की ओर बढ़ा और उसे बंद कर दिया, और बोला, आराम से बैठ कर बात करें.

मैने कहा बिल्लू तुम समझते क्यो नही मैं मुसीबत में फँस जाउन्गि, प्लीज़ अभी यहा से चले जाओ.


वो बोला चला जाउन्गा, जब आ ही गया हू तो थोड़ी देर रुक तो जाने दे. ये कह कर वो सामने पड़े एक सोफे पर बैठ गया.


मैं समझ नही पा रही थी कि क्या करूँ.


वो बोला, आ ना थोड़ी देर बात करते है फिर मैं चला जाउन्गा.

मैने पूछा, तो तुमने उस साइकल वाले को मार दिया ?


वो बोला, यहा पास तो आ फिर बात करते है.


मैं उशके पास वाले सोफे पर जा कर बैठ गयी.


मैने पूछा, हा अब बताओ.

वो बोला, मेरा इरादा उसे मारने का नही था, पर वो तेरे घर और तेरे पति के बारे में जान गया था.


मैं जब उसे समझाने गया था तो वो कह रहा था कि या तो उस परी की मुझे दिला दे वरना उशके पति को सब कुछ बता कर तुम लोगो का खेल ख़तम करवा दूँगा.


ये सब सुन कर मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

मैने पूछा, उसे मेरे घर और पति के बारे में कैसे पता चला.

वो बोला, ये छोटा सा सहर है कोई भी कुछ भी जान सकता है.


मैने पूछा, पर तुम्हे उसे मारने की क्या ज़रूरत थी.

वो बोला, तो क्या करता, मैं उसे तुझे और परेशान करने देता ? वो तुझे ब्लॅकमेल करता तो ?


मैने कहा, अगर तुम पकड़े गये तो.


वो बोला, इस सहर में रोज कुछ ना कुछ होता है, वैसे भी किसी ने मुझे नही देखा, और फिर एक साइकल वाले की कोन परवाह करेगा.


मैने कहा, पर मुझे ये सब ठीक नही लग रहा, तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए था.


वो बोला, क्या तुझे अछा नही लगा कि उसे उसके किए की सज़ा मिली.


मैने पूछा, तो फिर तुम्हारी और अशोक की सज़ा का क्या.

वो बोला, हमने तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती नही की, ना ही तुझे लोगो के सामने जॅलील किया. आख़िर तू समझती क्यो नही ?



मैं खामोश हो गयी.

मैने कहा बस अब तुम यहा से जाओ, बहुत हो गयी बाते.


वो उठा और बोला ठीक है मैं भी लेट हो रहा हू क्या मैं तुम्हारा टाय्लेट यूज़ कर सकता हू.


मैने झीज़कते हुवे कहा, हा उधर सामने है चले जाओ.


वो बोला, तुम भी आ जाओ ना, क्या आज मुझे करते हुवे नही देखोगी.

ना चाहते हुवे भी मैं शर्मा गयी.


मैने कहा, जल्दी करो और जाओ.


वो टाय्लेट चला गया.

मैं वही उसका इंतेज़ार करने लगी.


कोई 2 मिनूट बाद उसने आवाज़ लगाई, अरे ये दरवाजा अटक गया है, ये कैसे खुलेगा.


हमारा दरवाजा कभी नही अटका था, फिर भी मैं वाहा जा कर उसे खोलने की कोशिस करने लगी.


दरवाजा झट से खुल गया.


जो मैने देखा उसे देख कर मेरे होश उड़ गये.


वो मेरे सामने खड़ा था और उसकी ज़ीप खुली थी जिसमे से उसका लिंग मेरी आँखो के सामने झूल रहा था.


वो हंसते हुवे बोला, ओह सॉरी मैं दरवाजे के चक्कर में ज़िप बंद करना भूल ही गया.

मैं फॉरन वाहा से हट गयी और घर के मुख्य दरवाजे पर आ गयी.

मैने उसे आवाज़ लगाई, जल्दी करो.


वो चुपचाप वाहा आ गया.

वो मेरी आँखो में देख कर बोला, सच बता क्या तुझे मेरी याद आती है ?

मैने पूछा, तुम्हे क्या लगता है इतना बड़ा धोका खा कर में तुम्हे याद करूँगी.

वो बोला, शायद तू ठीक कह रही है, क्या तू सब भुला कर फिर से मेरे साथ एंजाय नही कर सकती.


मैने कहा, मैने कभी तुम्हारे साथ एंजाय नही किया.

उसने मेरे नितंबो पर हाथ रखा और बोला, जब मैं उस दिन तेरी गांद मार रहा था, तूने ही कहा था ना कि बहुत मज़ा आ रहा है.


मैने उसका हाथ अपने नितंबो पर से हटाया और हड़बड़ते हुवे बोली, व……व……वो तो मैं बहक गयी थी. पर वो भी तुम्हारी चालाकी के कारण था.


उसने फिर से मेरे नितंबो पर हाथ रख दिया और उन्हे मसल्ते हुवे बोला, तो आज फिर से एक बार बहक जाओ ना.


मैने कहा, बिल्लू प्लीज़ फिर से ये सब सुरू मत करो, मैं तुमसे नफ़रत करती हू.


वो मेरे कदमो में बैठ गया और बोला, मुझे माफ़ कर दो प्लीज़, तुम्हारे जैसीसीना की नफ़रत मेरे लिए जहर है. मैं तो तेरे प्यार का प्यासा हू.

मैने कहा, ये नाटक मत करो अब, प्लीज़ यहा से चले जाओ.


वो बोला, पहले मुझे माफ़ कर दो और बोलो की तुम्हे मुझ से नफ़रत नही है.

मैने कहा, अब इन बातो का क्या मतलब, जो मेरे साथ होना था हो गया. उस कामीने अशोक ने तो मेरे साथ……………..



वो बोला, अशोक को भूल जा वो अब हमारे बीच नही आएगा.

मैने कहा, पर मैं तुम से कोई रिस्ता नही रखना चाहती.

वो बोला, रिस्ता मत रखो पर एक बार मुझे माफ़ तो कर दो.


मैने कहा, ठीक है माफ़ किया अब जाओ यहा से.

वो बोला, मैं कैसे मान लू कि तूने मुझे माफ़ कर दिया.

मैने पूछा, तो क्या अब स्टंप पेपर पर लीख कर दू ?

वो बोला, नही बस एक बार अपनी चूत के होंटो की किस दे दो.


ये सुन कर मेरे शरीर में बीजली की ल़हेर सी दौड़ गयी.

मैने कहा, तुम जाते हो कि नही.


वो बोला, अछा बस एक बार मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर प्यार से छू ले फिर में चला जाउन्गा.


ये कह कर वो खड़ा हो गया.


मैं अजीब सी बेचनि लिए वाहा खड़ी रही, समझ नही पा रही थी कि उसे क्या काहु अब.

वो अपनी ज़िप खोलने लगा और मैने अपनी आँखे बंद कर ली.


उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसमे अपना लिंग थमा दिया, और बोला लो एक बार इसे प्यार से छू तो लो इसने उस दिन तुझे खूब मज़े दिए थे. इतनी भी बेरहम मत बनो.


मैने उसका लिंग थाम लिया, और आँखे बंद किए चुपचाप खड़ी रही.

मैं सोच रही थी कि अब इशे छूने में हर्ज ही क्या है. वैसे भी जब मैं उशे अपने अंदर महसूस कर चुकी थी तो अब हाथ से महसूस करने में क्या जाएगा.


वो बोला, थॅंकआइयू ऋतु, लगता है तूने सच में मुझे माफ़ कर दिया.


मैने कुछ कहना ठीक नही समझा.


उसका लिंग पठार जैसा कठोर महसूस हो रहा था.


मैने कहा, ठीक है अब जाओ.

वो बोला, आँखे खोल कर ठीक से इशके चारो और छू कर देखो ना.

मैने ना जाने क्यो, आँखे खोल कर उसकी ओर देखा.

वो बड़े प्यार से मेरी ओर देख रहा था.


वो बोला, नीचे देखो ना, तुझे तो ये देखना अछा लगता था.

मैने धीरे से नज़रे झुका ली.


अब मेरी नज़र उसके लिंग पर थी. मैने धीरे से अपना हाथ उसके चारो और घुमाया.

वो बोला, थोडा नीचे जाओ ना, मेरे आँड भी छू कर देखो.

मैने शरमाते हुवे हाथ उसके लिंग से नीचे सरका कर उसके आँड को हाथो में थाम लिया. बिल्लू ने सभी बॉल सॉफ कर रखे थे इश्लीए उसके आँड बहुत मुलायम लग रहे थे.


मैने कहा बस ठीक है ?

उसने कहा जैसा तुम कहो.

मैने कहा, ठीक है अब जाओ फिर.

वो कुछ नही बोला और मेरे आगे बैठ गया और मेरी सलवार के उपर से ही मेरी योनि को चूमने लगा.

मेरे ना चाहते हुवे भी होश उड़ गये.

मैने कहा बिल्लू प्लीज़ रुक जाओ.


पर वो नही माना और बेतहासा मेरी योनि को चूमता रहा.


हालाँकि मेरी योनि और उसके होंटो के बीच हल्की सी कपड़ो की दीवार थी पर उसके होंठ मुझे बिल्कुल मेरी योनि पर महसूस हो रहे थे.


मैने कहा बिल्लू ये सब ठीक नही है, तुम अब जाओ यहा से.


वो बोला, बस थोड़ी देर इस जन्नत में रहने दो फिर तो यू ही नरक में भटकना है. और मेरी योनि को बेतहासा चूमता रहा.


मैं मदहोश होती चली गयी. मैं उसे चाहते हुवे भी नही रोक पा रही थी. मुझे अजीब से अहसास हो रहे थे.


वो बोला, तुम अगर बुरा ना मानो तो मैं तुम्हारा नाडा खोल दूं. तेरी चूत और मेरे होंटो के बीच ये सलवार मज़ा खराब कर रही है.


मैं खामोशी से वाहा खड़ी रही.

ना तो मैं उसे माना करना चाहती थी और ना ही हां करना चाहती थी. बहुत ही अजीब सिचुयेशन थी मेरे लिए.


वो शायद मेरी सिचुयेशन समझ गया और मेरा नाडा खोलने लगा. मेरी साँसे तेज हो गयी.


उसने धीरे से सलवार सरका दी और बोला, अरे वाह ये तो एक दम चिकनी है. एक भी बॉल नही है. सच ये तो तेरी सूरत जैसी ही सुंदर है.

मैं शर्मा गयी और अपनी आँखे बंद कर ली.


क्योंकि मैं नहा कर आई थी इश्लीए जल्दी ललदी में दरवाजा खोलने के चक्कर में पॅंटी पहन-ना भूल गयी थी.

बिल्लू ने अपने होंठ मेरी योनि के होंटो पर टीका दिए और एक बहुत गहरी किस की. मैं बेचन हो उठी और मेरे हाथ अपने आप उसके सर पर चले गये.


वो और ज़्यादा गहराई से मेरी योनि को चूमने लगा.


फिर उसने दोनो हाथो से मेरी योनि को फ़ैयालेया और अपनी जीभ मेरी योनि में घुस्सा दी.

मेरी साँसे और ज़्यादा तेज होती चली गयी.

मैं ओरल सेक्स के बारे में तो जानती थी पर ऐसा नही सुना था कि वाहा जीभ भी डाली जा सकती है.

बिल्लू अपनी जीभ को मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगा और मैं उसके सर को थामे हुवे चुपचाप वाहा खड़ी रही.

बिल्लू की मुलायम मुलायम जीभ मेरी योनि में अंदर बाहर फिसल रही थी और मुझे सेक्स का भरपूर आनंद आ रहा था.


ये मेरे लिए बिल्कुल ही नया अहसास था.

संजय तो शायद मेरी योनि पर मूह लगाने से कतराते थे और बिल्लू मेरी योनि में जीभ फिरा रहा था.

मैं ना चाहते हुवे भी संजय से बिल्लू को कंपेर कर रही थी.


मेरी साँसे तेज होती चली गयी और मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.

मुझे लग रहा था की, मेरी योनि किसी भी वक्त बरसात कर सकती है.

मैने बिल्लू से कहा बिल्लू बस रुक जाओ, मैं बहने वाली हू.


वो बोला, तो बहा दो खुद को मैं तेरी एक एक बूँद पीना चाहता हू. ये कह उसने फिर से मेरी योनि में जीब घुस्सा दी और तेज़ी से उसे अंदर बाहर करने लगा.


मैने उशके सर को ज़ोर से पकड़ लिया, और अचानक मेरी योनि ने पानी की नादिया बहा दी.


मैने बिल्लू से कहा बस अब हट जाओ.


पर वो नही हटा और अपने काम में लगा रहा.


थोड़ी देर बाद वो हट गया और बोला, वाह मज़ा आ गया, तेरी चूत तो तेरी गांद से भी ज़्यादा मस्त है.


वो खड़ा हो गया.

मैने आँख खोल कर देखा तो पाया कि उसके मूह पर मेरी योनि के पानी की बूंदे थी.


उसहने पूछा, ऐसे क्यो देख रही हो.


मैने शर्मा के नज़रे झुका ली.


उसहने मुझे बाहो में उठा लिया और पूछा, तेरा बेडरूम कहा है.


मैने कहा प्लीज़ मुझे उतार दो मैं तुम्हारे साथ बेडरूम में नही जा सकती.


वो बोला, मुझ से अब रुका नही जा रहा, मेरा बहुत मन कर रहा है.

मैने कहा, मुझे डर लग रहा है, कोई आ गया तो मैं कहीं की नही रहूंगी, प्लीज़ अब तुम जाओ.




मैने ये कहा ही था कि डोर बेल बज उठी.


बिल्लू ने मुझे नीचे उतार दिया.

मैने झट से नाडा बाँधा और बिल्लू से कहा तुम टाय्लेट में घुस्स जाओ.

वो टाय्लेट में घुस्स गया और मैं दरवाजा खोलने आ गयी.

सामने पोस्ट मॅन खड़ा था. उसे मेरे साइन चाहिए थे इश्लीए बेल बजाई थी.

साइन ले कर उसहने एक लेटर मुझे दे दिया. लेटर संजय के नाम था.

मैने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गयी.


मैं टाय्लेट के पास आ गयी और धीरे से बिल्लू को आवाज़ लगाई.


वो झट से बाहर आ गया.


वो बोला, कोन था ?

मैने कहा, पोस्ट मॅन था.

वह मेरे करीब आया और मेरे होंटो पर अपने होन्ट रख दिए.

मैं भी उसके होंटो की छुवन में खो गयी.


कोई 5 मिनूट बाद उसहने मेरे होंटो को छोड़ा और बोला, चल ना तेरे बेडरूम में.



मैने झीज़कते हुवे कहा मुझे यहा डर लग रहा है. कोई फिर से आ गया तो ?


वो बोला, चल फिर मेरे घर चलते है. वाहा कोई नही आएगा.


मैने पूछा, वो अशोक क्या वाहा नही होगा ?


वो बोला, तू उसकी चिंता मत कर, वो अब हमारे बीच नही आएगा. मुझ पर विश्वास कर. वो मेरा घर है वाहा मेरी मर्ज़ी के बिना कोई नही आ सकता.

मैने टाइम देखा तो पाया कि 1:30 बज चुके थे.

मैने बिल्लू को कहा पर अभी मेरे पास वक्त नही है. मुझे खाना भी बनाना है, चिंटू भी स्कूल से आने वाला है.


वो बोला, तो ठीक है तू कल सुबह मेरे साथ मेरे घर चलना. वाहा किसी बात की कोई चिंता नही होगी.


मैं असमंजस में थी कि क्या करू. पर ये सच था कि उस वक्त मई बिल्लू के साथ हर शीमा लाँघ देना चाहती थी.


वो अपनी ज़िप खोलने लगा.


मैने पूछा अरे अब ये क्या कर रहे हो, अब तुम्हे चलना चाहिए.


वो बोला, चला जाउन्गा बस एक बार इसे अपने होंटो में ले लो.


मैने कहा, नही बाकी सब बाद में देखेंगे तुम प्लीज़ अब जाओ.


उसहने पूछा, तुम कल चलॉगी ना मेरे साथ मेरे घर.


मैने कहा, सोचूँगी, तुम अभी जाओ.


बिल्लू ने अपना लिंग अपनी पॅंट में वापस डाल लिया.
पॅंट में भी वो तना हुवा सॉफ दीखाई दे रहा था.


बिल्लू फिर मेरे पास आया और मुझे बाहों में भर लिया और अपने दोनो हाथ मेरे नितंबो पर रख कर मुझे अपनी और खींचने लगा.


वो बोला, एक बात पूचु ?

मैने कहा, हा.


वो बोला, जब मैने उस दिन तेरी गांद मारी थी तो क्या तुझे अछा नही लगा था क्या ?


मैने कहा, मुझे नही पता.


वो बोला, तो क्या उशके बाद फिर कभी तेरी मुझ से गांद मरवाने की इच्छा हुई ?


मैने शरमाते हुवे कहा, ये कैसी बाते कर रहे हो अब जाओ यहा से.


वो बोला, एक बार बता तो सही कि क्या तुझे वो पल याद आया था जब तू मेरे आगे झुकी हुई थी और मैं तेरी गांद मार रहा था.


मेरे लिए ऐसे सवालो के जवाब देना मुस्किल था.

मैने कहा, छोड़ो मुझे अब तुम्हारा जाने का वक्त हो गया. चिंटू भी घर आने वाला है.



वो बोला, एक बात तो बता दो, क्या तुम्हे आज मज़ा आया.


मैने कहा पता नही.

वो बोला, जैसे तुमने मेरा सर पकड़ रखा था ऐसा लग रहा था की तुझे अपनी छूट चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.

मैने शरम से अपनी नज़रे झुका ली.


वो बोला, तो मैं ठीक ही कह रहा हू है ना, ये तो कुछ भी नही था, तू कल देखना, मैं तुझे कैसा मज़ा देता हू.


मैने कहा, ठीक है, अब जाते हो की नही

वो बोला, तू बाहर झाँक कर देख कोई है तो नही.

मैने दरवाजा खोला तो पाया कि दूर दूर तक कोई भी दीखाई नही दे रहा था.


मैने बिल्लू से कहा कोई नही है तुम जाओ.


वो दरवाजे की तरफ बढ़ा और मेरे नितंबो को दबोच कर बोला मैं आज सो नही पाउन्गा, कल जल्दी तैयार हो जाना, मैं ठीक 10:30 बजे तुझे लेने आ जाउन्गा.


वो बाहर चला गया और मैं दरवाजा बंद कर के अंदर आ गयी.

क्रमशः ..............................
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आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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