"छोटी सी भूल --14
गतांक से आगे .........................
मैने दीप्ति से कहा, प्लीज़ थोड़ा ब्रीफ्ली शुनाओ मुझ से शुना नही जा रहा, मुझे बार बार अपनी कहानी याद आती है.
वो बोली, तभी मैं कह रही थी कि फिर कभी बात करेंगे.
मैने कहा, नही नही ऐसी कोई बात नही है, बस तेरी बाते सुन कर मेरा ध्यान बिल्लू पर जा रहा है, वो कमीना भी ऐसी ही हरकते करता था.
वो बोली, हां ठीक कह रही हो, तभी तो तुम्हारी कहानी सुन कर मैं आज फिर परेशान हो गयी.
मैने पूछा तो फिर क्या हुवा,
दीप्ति के शब्दो में :----
महेश के जाने के बाद में कुर्सी पर बैठी ही थी कि मुझे अपने कॅबिन की खिड़की पर किसी के होने का आभास हुवा.
मुझे ऐसा लगा मानो कोई खिड़की से झाँक रहा हो,
सबसे पहला ख्याल मुझे यही आया कि कहीं किसी ने मुझे ये सब करते देख तो नही लिया.
पर फिर मेरा ध्यान इस बात पर गया कि मेरी खिड़की पर तो किसी का होना नामुमकिन है, फिर वाहा कोई कैसे पहुँच गया
मेरे कॅबिन की खिड़की जहा खुलती थी, वाहा का रास्ता बंद था, इसलये मैं बिना किसी चिंता के अक्सर खिड़की खुली रखती थी.
मैं फॉरन अपनी शीट से उठी और दौड़ कर अपने कॅबिन का दरवाजा खोला.
बाहर सेक्यूरिटी गार्ड घूम रहा था, वो थोड़ा परेशान दिख रहा था.
मैने पूछा, क्या बात है ?
वो बोला, मेडम कोई अजनबी थोड़ी देर पहले ऑफीस में घुस्सा था, पता नही वो कहा गया ?
मैने पूछा, क्या ? तुम क्या कर रहे थे ??
वो बोला, मेडम मैं थोड़ा बीड़ी लेने चला गया था.
मैने कहा, मुझे लगता है, मेरे कॅबिन के पिछली तरफ, बाहर बाल्कनी में कोई है.
वो बोला, पर वाहा का रास्ता तो बंद है.
मैने कहा, मैने अभी किसी को वाहा देखा है ?
वो बोला, अभी चेक करता हूँ मेडम जी, आप चिंता मत करो.
अचानक एक आदमी हमारी और आता हुवा दिखाई दिया, वो उसी रास्ते से आ रहा था, जहा से मेरे कॅबिन के पीछे का रास्ता था.
सेक्यूरिटी गार्ड बोला, यही है वो मेडम जी, मैं अभी इसे पकड़ता हूँ.
गार्ड ने उस से पूछा, कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो ?
वो बोला, पीछे हट मैं तेरे जैसे छोटे लोगो से मूह नही लगता.
तभी मैं भी उन दोनो के पास पहुँच गयी.
मैने उस आदमी से पूछा, हे मिस्टर, तुम यहा क्या कर रहे हो ? बताते क्यो नही.
वो बोला, मेडम मैं यहा अपने दोस्त से मिलने आया था.
मैने पूछा, क्या नाम है तुम्हारे दोस्त का.
वो थोड़ा सोच में पड़ गया और बोला, शायद मैं ग़लत अड्रेस पर आ गया, सॉरी मैं चलता हूँ.
मैने सेक्यूरिटी गार्ड को कहा, पोलीस को बुलाओ ?
वो बोला, मेडम, मेरी बात सुनो आप मुझे ग़लत समझ रहे हो.
मैने पूछा, क्या तुम बाहर मेरे कॅबिन की खिड़की पर थे ?
वो बोला, हां मेडम मैं था.
मेरी रागो में खून दौड़ उठा, मैने उसके गाल पर एक ज़ोर दार थप्पड़ रसीद कर दिया.
वो गिड़गिदा कर बोला, मेडम मेरी पूरी बात तो शुणिए.
मैने गार्ड से कहा, पोलीस को बुलाओ जल्दी.
इस से पहले की हम कुछ कर पाते वो मुझे और गार्ड को एक तरफ धकेल कर वाहा से भाग गया.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है.
पोलीस आई और अपनी खाना पूर्ति कर के चली गयी. उस आदमी का कुछ पता नही चला.
कोई एक हफ्ते बाद मुझे एक लेटर आया, उस पर किसी भेजने वाले का नाम नही था.
मैने उसे खोल कर देखा तो पाया कि उस में एक सीडी है, और एक कागज का टुकड़ा है.
उस कागज पर लिखा था,
बहुत शॉंक है ना थप्पड़ मारने का तुम्हे, मैं तुम्हे बताता हूँ कि थप्पड़ कैसे मारा जाता है. कल शाम को ठीक 6 बजे मुझे होटेल सूर्या के बाहर मिलो. तुम नही आई तो तुम्हारी करतूत का म्म्स बना कर नेट पर डाल दूँगा, और टाइटल दूँगा, “असिस्टेंट मॅनेजर, दीप्ति, अपने कॅबिन में लंड चूस्ति हुई”.
ये पढ़ कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये.
मैने तुरंत काँपते हाथो से सीडी को कंप्यूटर में डाला और सीडी को प्ले कर दिया.
उस में वो पूरा सीन था जब मैं अपनी कुर्सी पर बैठी हुई महेश को सक कर रही थी.
एक पल को मेरा सर घूम गया कि ये क्या हो रहा है. मेरा अंग, अंग किसी अंजान डर से काँप रहा था
मैं बहुत डर गयी थी कि अब क्या करूँ. उस आदमी ने मुझे अगले दिन शाम के 6 बजे बुलाया था. पता नही वो मुझ से क्या चाहता था ?
मैने दीप्ति को वही टोक दिया, रूको, कहीं तुमने मेरे जैसी ग़लती तो नही की ?
दीप्ति बोली, ग़लती ? ह्म्म… पहले तुम पूरी बात सुन लो फिर बताना कि मैं कहा ग़लत थी और कहा सही. मेरे लिए ये डिसाइड करना मुश्किल है, पर शायद तुम पूरी बात सुन कर मुझे कुछ बता पाओ. और , हां, ये सब बाते डिसकस करने का मतलब भी तभी है जब हम अपनी जींदगी से कुछ सीख पाएँ ताकि हम आगे कोई ग़लती ना करें.
मैने गहरी साँस ले कर कहा, आगे अगर कुछ बचा ही ना हो तो सीखने का भी क्या फ़ायडा ?
वो बोली, तू कैसी बात करती है ? अपनी कहानी क्या मैं तुम्हे यू ही शुना रही हूँ ? मैं तुम्हे ये बताना चाहती हूँ कि देखो मेरी जींदगी में भी क्या कुछ नही हुवा ? पर मैने हार नही मानी और आज भी हर हालात का सामना करने के लिए तैयार हूँ. हर दिन एक नया दिन होता है ऋतु और जींदगी का सफ़र चलता रहता है, आइ कॅन से ओन्ली वन थिंग, “नो बॉडी कॅन गो बॅक आंड स्टार्ट ए न्यू बिगिनिंग, बट एनिवन कॅन स्टार्ट टुडे आंड मेक ए न्यू एंडिंग”. सब कुछ तुम्हारे हाथ में है कि अब तुम क्या करोगी.
मैने कहा, ह्म्म…. शायद तुम ठीक कह रही हो, अछा आगे बताओ क्या हुवा ?
दीप्ति के शब्दो में :-------
तुझे तो पता ही है, ऐसे में डर लगना नॅचुरल है. मेरे हाथ पाँव काँप रहे थे, समझ नही आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है ?
मैं यही सोच रही थी कि पता नही ये आदमी कौन है, और मुझ से क्या चाहता है ? क्या वो यहा सिर्फ़ मेरी वीडियो बनाने आया था ? कहीं इस सब में महेश का तो हाथ नही ?
महेश पर शक जाना लाज़मी था, आख़िर जिस दिन वो आया था, उसी दिन तो ये घटना हुई थी.
मैने तुरंत महेश को फोन किया, पर बार बार ट्राइ करने के बाद भी उसका नंबर नही मिला. उसका फोन स्विच्ड ऑफ आ रहा था.
अचानक मेरे मोबाइल पर एक फोन आया, नंबर मेरे कॉंटॅक्ट लिस्ट में नही था,
मैने कहा, हेलो
फोन से आवाज़ आई, हेलो दीप्ति मेडम, पहचाना मुझे ?
मैने पूछा, नही, कौन हो तुम ?
वो बोला, वही जिसने आपकी रंगरलियाँ रेकॉर्ड की थी.
मैने कहा, तुम… आख़िर तुम मुझ से क्या चाहते हो, और ये नंबर तुम्हे किस ने दिया ?
वो बोला, वो सब छोड़ो और मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम्हे अभी मुझ से मिलने आना होगा.
मैने कहा, क्या ?
वो बोला, हां अभी आना होगा, कल मैं कहीं बिज़ी रहूँगा.
मैने उस से फिर पूछा, आख़िर तुम मुझ से चाहते क्या हो.
वो बोला, ये सब मिल कर बताउन्गा, तुम जल्दी सूर्या होटेल के बाहर पहुँचो मैं तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हूँ, अगर तुमने कोई चालाकी की या फिर, ना आने की हिम्मत की तो मैं तुरंत तुम्हारी करतूत दुनिया के सामने ले आउन्गा.
मैने कहा, सुनो मैने कोई ग़लत करतूत नही की…
पर उसका फोन कट चुका था.
अब मेरे पास सोचने का भी वक्त नही था.
मैने फिर से महेश को फोन मिलाया, पर उसका फोन स्विच्ड ऑफ ही आ रहा था.
सब कुछ इतना अचानक हुवा था कि मेरे पास रिक्ट करने का भी वक्त नही था. पर मैं इतना ज़रूर सोच रही थी कि अगर ये टेप मार्केट में आ गयी तो मेरा करियर डूब जाएगा. मार्केट में मेरी रेप्युटेशन खराब हो जाएगी.
मैने अपने ड्राइवर को फोन मिलाया और कहा, गाड़ी निकालो, मैं आ रही हूँ.
मैने ड्राइवर से कहा, मैं खुद चली जाउन्गि, तुम अब जा सकते हो, कल सुबह टाइम से आ जाना.
मैं इतना परेशान थी कि मुझसे ड्राइव करना मुश्किल हो रहा था, और उपर से ट्रॅफिक.
कोई 20 मिनूट में मैं होटेल सूर्या के बाहर पहुँच गयी. मैने कार में बैठे बैठे ही वाहा चारो और नज़र दौड़ाई, वो आदमी वाहा कहीं नज़र नही आ रहा था.
तभी मेरा मोबाइल बज उठा,
ये उसी आदमी का फोन था.
वो बोला, कार पार्क कर दो.
मैने पूछा, तुम कहा हो.
वो बोला, पहले कार पार्क कर दो.
मैने कार पार्क कर दी.
वो बोला, अब होटेल सूर्या के बिल्कुल सामने देखो तुम्हे सम्राट होटेल नज़र आएगा. सीधी रूम नो 113 में आ जाओ.
मैने कहा, तुम मुझे समझते क्या हो, मैं अभी पोलीस को फोन करती हूँ, तुम्हे रूम नो 113 से निकाल कर नही पिट वाया तो मेरा नाम भी दीप्ति नही.
वो बोला, ठीक है फिर बुला लो पोलीस को, मैं भी यहा अपना लॅपटॉप खोल कर तैयार बैठा हूँ, एक मिनूट में तुम्हारी वीडियो दुनिया के सामने होगी.
मैने कहा, देखो ये सब जो तुम कर रहे हो वो ठीक नही है, प्लीज़ ऐसा मत करो, मैं बर्बाद हो जाउन्गि.
वो बोला, तुम इसी लायक हो, तुम्हारे जैसी लड़की की यही सज़ा है. जाओ जो करना है कर लो, मैं तुम्हारी वीडियो उपलोआड कर रहा हूँ.
मैने चील्ला कर कहा, रूको मैं आ रही हूँ.
वो बोला, ठीक है, जल्दी आओ, मेरे पास ज़्यादा वक्त नही है.
मैं तेज़ी से चलते हुवे उशके रूम के बाहर पहुँच गयी.
ऋतु, तुम सोच ही सकती हो की मेरी क्या हालत रही होगी, मेरा पूरा शरीर काँप रहा था, और मेरी साँसे फूल रही थी.
मेरे बेल बजाने से पहले ही दरवाजा खुल गया.
सामने वही आदमी खड़ा था.
मुझे देख कर वो बोला, आओ अंदर आ जाओ.
मैं भारी भारी पाँव रखते हुवे अंदर आ गयी.
उसने बाहर दायें बायें झाँक कर देखा और दरवाजा बंद कर लिया.
मैं मन ही मन सोच रही थी, ओह गॉड, वाइ ईज़ दिस हॅपनिंग टू मी ?
वो बोला, बैठ जाओ
मैने गुस्से में कहा, मैं यहा बैठने नही आई हूँ, जल्दी बताओ, ये सब क्यों कर रहे हो तुम ?
वो बोला, मैं तो कुछ नही कर रहा, तुम कर रही हो जो कर रही हो, मुझे लगता है, तुम्हारे जैसी लड़की की सचाई दुनिया को पता चलनी चाहिए.
मैने कहा, ये क्या बकवास है ?
वो बोला, मुझे बकवास करने की आदत नही है, बकवास तुम्हारे जैसे लोग करते है.
मैने पूछा, तुमने मुझे यहा क्यों बुलाया ?
वो बोला, जब तुम इस रास्ते पर चल ही पड़ी हो तो थोड़ा सा मुझे भी खुस कर दो.
मैने गुस्से मैने कहा, क्या मतलब ?
वो बोला, मतलब कि मुझ से भी मरवा लो एक बार ?
मैने कहा, देखो मैं ऐसी वैसी लड़की नही हूँ, मुझ से ऐसी बाते मत करो, मैं अभी चेक काट कर दे देती हूँ, बताओ कितना अमाउंट भरूं.
वो बोला, पैसे की मुझे कोई कमी नही है, मुझे बस तुम्हारी मारनी है, सौदा मंजूर हो तो बोलो.
मैने कहा, तुम्हे क्या लगता है ? ये मुझे मंजूर होगा, इस से अछा तो मैं बदनाम ही हो जाउ तो ज़्यादा अछा है. कर लो तुम्हे जो करना है, आइ डॉन’ट केर.
वो बोला, हम नेगोशियेट कर सकते है.
मैने पूछा, किश बारे में.
वो बोला, सेक्स के बारे में.
मैने पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, तुम्हे जो पसंद हो वो कर लेते है.
मैने गुस्से में कहा, मुझे कुछ पसंद नही है.
वो बोला, बट यू सक वेरी वेल, आइ गेस यू लाइक डिक इन युवर माउथ, डॉन’ट यू ?
आइ सेड, वॉट नॉनसेन्स ?
वो बोला, सेक्स एक नॉनसेन्स ही है, तभी तो कुछ लोग घर हो या ऑफीस, कहीं भी शुरू हो जाते है, है ना.
मैं क्या कहती, मैने अपनी नज़रे झुका ली.
मैं उसे बताना तो चाहती थी कि वो मेरा फियान्से था, कोई और नही, पर मैं ये सोच कर चुप हो गयी कि मैं इस कामीने को क्यों कुछ एक्सप्लेन करूँ.
ही सेड, सो व्हाट यू से, सक मी डिक आंड टेक युवर वीडियो विथ यू.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझे किसी भी तरह से इसके पास से अपनी वीडियो ले लेनी चाहिए.
मैने पूछा, इश्कि क्या गारंटी है कि इशके बाद भी तुम्हारे पास कोई कॉपी नही होगी.
वो बोला, नही मेरे पास अब एक ही कॉपी है, वो भी मेरे कमेरे के कार्ड में पड़ी है, तुम खुद उसे डेलीट कर देना.
वो मेरे पास आ गया और बोला, बैठ जाओ.
मैने पूछा, तुम कौन हो ? और ये सब क्यों कर रहे हो ?
वो बोला, इन सब बातो का वक्त नही है, जल्दी बताओ सकिंग करोगी कि नही. मैं चाहूं तो तुम्हे बिस्तर पर गिरा के तुम्हारी चूत भी मार सकता हूँ, यहा तुम्हे कोई बचाने नही आएगा. पर मैं ऐसा कुछ नही कर रहा, मैने पूरी बात तुम्हारे उपर छोड़ दी है, जैसा तुम्हे पसंद हो वैसा करो.
मैने कहा ठीक है, सकिंग से ज़्यादा कुछ नही.
वो झट से बोला, हां हां ठीक है, आइ जस्ट लव ओरल सेक्स. वॉन’ट अस्क एनितिंग आफ्टर दट.
मैं उशके आगे बैठ गयी और वो अपनी ज़िप खोलने लगा.
उसने अपने पेनिस को बिल्कुल मेरे होंटो के पास झूला दिया.
मैने अपनी आँखे बंद कर ली.
वो बोला, ओपन युवर माउथ.
आइ वांटेड टू फिनिश इट क्विक्ली सो आइ ओपंड माइ माउथ ए बिट.
जैसे ही मैने मूह खोला उसने मेरे मूह में अपना पेनिस डाल दिया. और मेरे सर को पकड़ के हल्के हल्के धक्के मारने लगा.
धक्के मारते हुवे वो बोला, वाउ………तेरा मूह किसी भी होल से कम नही है, आइ विल फक युवर माउथ टिल आइ कम.
मेरा मूह उशके धक्के नही संभाल पा रहा था, उपर से वो हर धक्के के साथ अपना पेनिस थोड़ा थोड़ा और अंदर सरका रहा था.
मेरे लिए साँस लेना मुश्किल हुवा जा रहा था.
वो बोला, मुझ से रहा नही जाएगा, अब चूत मारने की इच्छा हो रही है. तुम्हे मुझे चूत भी देनी पड़ेगी ?
मैं कुछ कहना चाहती थी पर उसने मेरे सर को ज़ोर से पकड़ रखा था और मेरे मूह में लगातार धक्के मार रहा था.
वो फिर बोला, और हां थोड़ी सी गांद भी मारूँगा. बहुत दिन हो गये गांद में लंड डाले. तूने तो मरवाई होगी ना अपने यार से. मरवाई होगी तो मेरा लेना आसान हो जाएगा.
मैं खुद को रोक नही पाई और मेरी आँखो से अपने आप आंशु बहने लगे, मैने कभी खुद को इतना मजबूर नही पाया था.
वो बोला, तुम रो क्यों रही हो, मैं कोई ज़बरदस्ती नही कर रहा.
मैने ज़ोर लगा कर अपने मूह को उशके पेनिस से हटाया और पूछा, तो क्या मैं यहा अपनी मर्ज़ी से आई हूँ ?
वो बोला, अछा उस सुरेश के साथ तेरी मर्ज़ी होती है, शरम नही आती तुझे किसी का घर बर्बाद करते हुवे ?
मैने कहा, सुरेश नही महेश. और ये क्या बकवास है, मैं किसी का घर बर्बाद नही कर रही.
वो बोला, महेश ?? आर यू स्योर ?
मैने कहा, वो मेरे फियान्से है, मुझे श्योर नही होगा तो किस को होगा ?
वो बोला, क्या फियान्से !!
पता नही उसे क्या हुवा उसने झट से अपने पेनिस को वापस अपनी पॅंट में डाल लिया और बोला, दीप्ति जी लगता है हम दोनो ही किसी ग़लत फ़हमी के शिकार है.
मुझे लग रहा था कि आप कोई चरित्र-हीन लड़की है, इश्लीए मैं आपको ब्लॅकमेल कर रहा था. मैं सोच रहा था कि एक बार आप यहा आ गयी तो खुद भी मज़ा लेंगी और मुझे भी मज़ा देंगी.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या कह रहा है.
वो बोला, जिस आदमी को आप महेश कह रही है, उसका असली नाम सुरेश है और वो शादी शुदा है.
मैने हैरानी भरे शब्दो में कहा, क्या ??? ऐसा नही हो सकता.
वो बोला, ऐसा हुवा है दीप्ति जी, सुरेश की पत्नी संजना ने ही मुझे उसकी जासूसी करने भेजा है. उन्हे शक था कि उनके पति के किसी के साथ नज़ायज़ संबंध है, इश्लीए मैं आपके साथ ऐसा बर्ताव कर रहा था, मुझे माफ़ कर दिजीये. मैं समझ रहा था कि आप ही वो लड़की हो जिसके साथ सुरेश के नज़ायज़ संबंध है.
मैने पूछा, मैं कैसे मान लूँ कि तुम जो कह रहे हो वो सच है ?
वो बोला, ओह हां, मेरे पास सुरेश की शादी की कुछ पिक्चर्स है जिसमे संजना और सुरेश साथ साथ है.
उसने अपने सूटकेस से निकाल कर मुझे कुछ पिक्चर्स दिखाई. पिक्चर्स से ये सॉफ हो गया कि सुरेश/महेश शादी शुदा है.
मैने उस से पूछा, तो तुम कौन हो ?
वो बोला, मेरा नाम मनीष है और मैं प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ. पर आज मुझ से बहुत बड़ी भूल हो गयी, मैने कहीं से भी ये जान-ने की कोशिस नही की, कि आपका सुरेश के साथ क्या रिस्ता है, आपको सुरेश के साथ आपके कॅबिन में देख कर यही लगा कि आप वही लड़की हो जिस के साथ सुरेश के अवैध संबंध है, इसलिए आगे कुछ जान-ने की कोशिस नही की.
मैने कहा, पर फिर भी मुझे कुछ अजीब लग रहा है.
वो बोला, कल सुरेश किसी और लड़की के साथ होटेल सूर्या में रुकने वाला है. तभी मैने आपको आज बुला लिया क्योंकि कल मुझे सुरेश पर नज़र रखनी है. आप खुद कल अपनी आँखो से देख सकते हो.
मैने कहा, ह्म्म्म…….. ठीक है, मैं अपनी आँखो से देखना चाहूँगी.
वो बोला, ठीक है फिर मैं इंतज़ाम करता हूँ, ताकि आप अपने फियान्से की करतूत अपनी आँखो से देख सको.
मैने दीप्ति से पूछा, तो क्या मनीष सच बोल रहा था या फिर ये उसकी कोई साजिश थी.
दीप्ति ने कहा, काश वो कोई साजिश कर रहा होता, पर ये सच था कि सुरेश (महेश) की शादी हो चुकी थी. बाद में मुझे पता चला कि उसने अपनी बीवी संजना से पैसे के लिए शादी कर रखी थी और वो अपनी बीवी की दौलत पर ही ऐश कर रहा था.
मैने कहा, ह्म्म……. फिर तो वाकाई में ये बहुत बड़ी ट्रॅजिडी थी. मैने यू ही तुम्हे कह दिया था कि शादी से पहले फियान्से के साथ थोडा बहुत तो चलता है, मेरा मकसद बस तुम्हारे मन को दिलासा देना था, ये मैं भी आछे से जानती हूँ कि फियान्से के साथ एक हद तक ही हम आगे बढ़ सकते है. आज कल किसी का भरोसा नही है, इंशान की खाल में यहा भेड़िए घूमते है.
दीप्ति बोली, शुक्र है कि वक्त रहते मुझे पता चल गया, वरना मेरे साथ और भी ज़्यादा भयानक हो सकता था. अभी पीछले हफ्ते कोई मुझे बता रहा था कि एक लड़की को उशके फियान्से ने प्रेग्नेंट कर के छ्चोड़ दिया.
मैने कहा, हां तुम सही कह रही हो. भगवान का लाख लाख शुक्र है. मैं अपनी बात बताउ तो, मैने तो संजय से कभी फोन पर भी बात नही की थी और ना ही उन्होने मुझे कभी परेशान किया था. शादी से पहले वो मुझ से मुश्किल से कोई चार या पाँच बार ही मिले होंगे. और उन्होने हमेशा मुझ से शालीनता से बात की थी. अब मुझे और ज़्यादा दुख हो रहा है कि मैने एक देवता जैसे इंशान को धोका दिया है.
दीप्ति ने कहा, पता है, मुझे सबसे ज़्यादा तुम्हारे अंदर क्या अछा लगता है,
मैने पूछा, क्या बताओ ?
वो बोली, यही की तुम हमेशा खुले मन से अपनी ग़लती मान लेती हो. किसने सिखाया तुम्हे ये सब.
मैने कहा, पापा मुझे हमेशा से अछी बाते सिखाते आए है, पर मैं जाने क्यो अछाई का दामन छ्चोड़ कर बुराई के दलदल में फँस गयी.
दीप्ति बोली, एक बात बताओ ?
मैने कहा, हां पूछो ?
तुमने बताया कि जब तुम संजय के क्लिनिक में बिस्तर पर पड़ी थी तो तुमने संजय और क्या नाम था उसका उहह ?
मैने कहा, विवेक.
उसने कहा, हां विवेक, तुमने बताया कि तुमने संजय और विवेक की बाते सुनी थी.
मैने कहा, हाँ, मैं तुम्हे सब कुछ बता चुकी हूँ.
वो बोली, क्या तुम्हे नही लगता कि डाल में कुछ काला है ?
मैने कहा, हैरान तो मैं भी हूँ की संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है, पर जाने दे अब इन बातो का क्या फ़ायदा मेरे साथ जो होना था सो हो चुका.
वो बोली, बात फाय्दे या नुक-सान की नही है, मुझे ये बात परेशान कर रही है कि कहा वो बिल्लू एक रिक्सा चलाने वाला और कहा संजय और विवेक. उन्हे बिल्लू का नाम कैसे पता है ?
मैने कहा, जाने दे यार अब मेरे ज़ख़्मो को मत कुरेदो मैं अभी भी बहुत परेशान हूँ.
वो बोली, ऋतु क्या हो गया है तुम्हे ? तुम तो ऐसी हारगीज़ नही थी. हिम्मत रखो, जिंदगी में वक्त बदलते देर नही लगती.
मैने कहा, वो तो ठीक है यार, पर जिस पर गुजरती है वही जानता है.
दीप्ति ये सुन कर गुस्सा हो गयी और बोली, लगता है अपनी कहानी मैने तुम्हे यू ही शुनाई, ऐसे कह रही हो जैसे मैने अपनी जींदगी में गम देखा ही ना हो. मैं चलती हूँ.
मैने कहा, दीप्ति प्लीज़, रूको यार तुम ही तो मेरा एक मात्र सहारा हो, तुम भी रूठ गयी तो मेरा क्या होगा.
वो बोली ठीक है मैं रुक जाती हूँ पर पहले ये रोना धोना बंद करो और अपनी छोटी सी भूल को एक बार फिर ध्यान से देखो. कोई भी तुम्हारी कहानी सुन कर बता सकता है कि कहीं ना कहीं बहुत भारी गड़बड़ है और तुम हो कि हाथ पर हाथ रख कर बैठी हो. पता है मैने महेश का क्या हाल किया था ?
मैने कहा, पर बिल्लू को उसकी सज़ा मिल चुकी है, वो मर चुका है, और मैं भी अपने पापो की सज़ा भुगत रही हूँ. अब बाकी क्या रह गया है ?
वो बोली, विवेक और संजय की बात पर ध्यान दो, विवेक ने संजय से कहा था कि “मुझे शक है कि तुझे वाहा बिल्लू ने ही बुलाया होगा” और संजय ने कहा था कि “तुझे शक है, मुझे तो पूरा यकीन है कि ये सब उसने जानबूझ कर किया है. पर अब कोई चिंता की बात नही, उसका खेल ख़तम हो चुका है”
मैने कहा, हां ये मैं जानती हूँ.
दीप्ति बोली, उनकी बातो से यही लगता है कि वो दोनो बिल्लू को थोड़ा बहुत नही बल्कि बहुत आछे से जानते है, तुम्हे क्या लगता है ?
मैने कहा, हां लगता तो मुझे भी यही है, पर मुझे समझ नही आ रहा कि तुम गढ़े मुर्दे क्यो उखाड़ रही हो.
दीप्ति बोली, यार क्या करूँ मनीष के साथ रह कर मैं भी डीटेक्टिव टाइप हो गयी हूँ.
मैने पूछा, कहीं तुम्हे उस से प्यार तो नही हो गया.
दीप्ति बोली, ये सब छ्चोड़ और सच-सच बता क्या तुझे कुछ अजीब नही लग रहा.
मैने कहा, अजीब तो लग रहा है, पर मैं कर भी क्या सकती हूँ, सब तेरे सामने है, मैं आज बर्बाद हो चुकी हूँ.
दीप्ति बोली, ऐसा करते है ये काम मनीष को दे देते है, मुझे यकीन है कि वो कहीं ना कहीं से पूरी बात ज़रूर पता कर लेगा.
मैने पूछा, तुम उस ब्लॅकमेलर पर इतना भरोसा कैसे कर सकती हो, क्या तुम भूल गयी की उसने तुम्हारे साथ क्या किया था.
दीप्ति ने कहा, मैं बस इतना जानती हूँ कि अगर मनीष नही होता तो ना जाने वो कमीना महेश मेरे साथ………..
मैने पूछा, पर यार एक बात बता, ऐसा कैसे हो गया कि तुम्हारे घर वालो को ना तो ये पता चला कि महेश का असली नाम सुरेश है और ना ही ये पता चला कि वो शादी शुदा है ???
दीप्ति ने कहा, इसके पीछे भी एक राज है, कहो तो सुनाउ ?
मैने कहा, हां, हां सूनाओ, मैं भी तो देखूं कि आख़िर तुम लोगो को इतना बड़ा धोका कैसे हो गया ?
दीप्ति ने कहा, अगले दिन मनीष ने सूर्या होटेल में मेरे लिए सारा इंतज़ाम कर दिया था, ताकि मैं अपनी आँखो से सुरेश (महेश) की करतूत देख पाउ.
मैने कहा, यार ये क्या सुना रही हो, तुम बस ये बताओ कि तुम लोगो को धोका कैसे हो गया ?
दीप्ति बोली, वही सुना रही हूँ, ऋतु, उस दिन सूर्या होटेल की घटना में ही सारे राज छिपे है.
मैने कहा, ह्म्म….. ठीक है फिर सुनाओ, मैं सुन रही हूँ.
दीप्ति के शब्दो में :----------
अगले दिन मनीष ने मुझे फोन कर के बताया कि महेश किसी लड़की के साथ दोपहर के कोई 2 बजे
होटेल में आएगा.
उसने मुझे कहा कि तुम 1 बजे होटेल सूर्या पहुँच जाना मैं तुम्हे वहीं मिलूँगा.
मैं ठीक 1 बजे होटेल सूर्या के बाहर पहुँच गयी. मनीष वहीं मेरा इंतेज़ार कर रहा था.
मैने पूछा, उसे हम रंगे हाथो कैसे पकड़ेंगे ?
मनीष ने कहा, सुरेश (महेश) रूम नंबर 102 में रुकने वाला है, हम 103 में रहेंगे.
मैने पूछा, तो हमें कैसे पता चलेगा कि 102 में क्या हो रहा है.
मनीष ने कहा, आओ दिखाता हूँ.
मनीष मुझे रूम नो 102 में ले आया. उसने होटेल वालो से कोई अरेंज्मेंट करके 102 की एक चाबी अपने पास रख रखी थी.
102 में आकर उस ने मुझे हर वो जगह दीखाई जहा उस ने कमेरे छुपा रखे थे.
मैने पूछा, ये सब तुमने कैसे किया ?
मनीष ने कहा, ये बंदा डीटेक्टिव है, कुछ भी कर सकता है. हम अब 103 में बैठे बैठे सब कुछ देखते रहेंगे. इस रूम में जो भी होगा वो रेकॉर्ड होता रहेगा.
हम ये बाते कर ही रहे थे कि अचानक 102 के बाहर किसी के कदमो की आहट हुई.
मनीष ने मेरे मूह पर हाथ रखा और मुझे खींच कर कमरे की खिड़की के उपर लगे पर्दो के पीछे ले गया, और मेरे कान में बोला, कुछ भी हो जाए अपना मूह बंद रखना, यहा जो भी होगा, उसकी रेकॉर्डिंग होनी ज़रूरी है. यही रेकॉर्डिंग मुझे संजना को देनी है.
मैने पूछा, तो क्या हम यही छुपे रहेंगे.
वो बोला, इसके अलावा कोई चारा नही है.
अचानक किसी के हँसने की आवाज़ आई
ये सुरेश (महेश) की आवाज़ थी. वो हंसते हंसते बोला, क्या लंड चुस्वाया साली को, मज़ा आ गया.
तभी मुझे किसी लड़की की आवाज़ सुनाई दी, वो कह रही थी, काश मैं भी वाहा होती तो बड़ा मज़ा आता. मैं अपनी आँखो से उस कुतिया को लंड चूस्ते देखना चाहती हूँ ?
मैं हैरान थी कि आख़िर ये कौन है जो ऐसी भद्दी भाषा का इश्तेमाल कर रही है.
मुझे वाहा से दीख तो कुछ नही रहा था, पर सब कुछ सॉफ सॉफ सुनाई दे रहा था.
सुरेश बोला, तू चिंता मत कर अगली बार जब दीप्ति के मूह में लंड डालूँगा तो फोन से एक वीडियो बना लूँगा, तू उसे जी भर कर देखना और चाहो तो उसे नेट पर भी डाल देना.
उस लड़की ने कहा, वो तो ठीक है पर मैं उसे लाइव देखना चाहती हूँ. ऐसा करना, तुम उसे इसी होटेल में ले आना, मैं यही कही पर्दे के पीछे छुप जाउन्गि. तुम मज़े से उशके साथ मस्ती करना, मैं सब देखती रहूंगी. और याद रखना तुम्हे उसको लंड ही नही चुसवाना बल्कि उसकी चूत भी मारनी है.
सुरेश बोला, चिंता मत कर, मेरा तो उसकी गांद मारने का भी प्लान है, तू खुद अपनी आँखो से देखना कि मैं कैसे उसकी गांद में लंड डालूँगा और वो कैसे चील्लयेगि.
इशके साथ ही वो दोनो हँस पड़े,.हे..हे हे हे……..
ये सब सुन कर मेरी रगो में खून दौड़ गया. मन कर रहा था कि मैं अभी जा कर चप्पल से दोनो की धुनाई करूँ पर मनीष ने मुझे आँख का इसारा कर के कहा, डॉन’ट वरी, कीप युवर काम.
उष लड़की की आवाज़ मुझे जानी पहचानी सी लग रही थी पर समझ नही आ रहा था कि वो कौन है.
अचानक वो लोग हंसते हुवे उसी रूम में आ गये जहा हम छुपे हुवे थे.
मैने थोड़ा सा परदा हटा कर देखा तो मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी. उस लड़की को मैं आछे से जानती थी.
क्रमशः ..............................
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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