Saturday, April 3, 2010

गाँव का राजा पार्ट -11

राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
हिंदी सेक्सी कहानिया
चुदाई की कहानियाँ
उत्तेजक कहानिया

Hindi Sex Stories हिंदी सेक्स कहानियाँ
गाँव का राजा पार्ट -11


हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी गाँव का राजा पार्ट -11 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
"अरे मा उसकी कोई ज़रूरत नही है….मैं अभी निकलता हू…" कहते हुए मुन्ना उठ कर लूँगी पहन ने लगा. शीला देवी अपने बेटे के मजबूत बदन को घूरती हुई बोली "ना..ना अकेले तो जाना ही नही है….किसी नौकर को नही ले जाना तो मैं चलती हूँ…" इस धमाके ने मुन्ना के लूँगी की ओर बढ़ते हाथो को रोक दिया. कुच्छ देर तक तो वो शीला देवी का चेहरा असचर्या से देखता रह गया. फिर अपने आप को संभालते हुए बोला "ओह मा तुम वाहा क्या करने जाओगी…मैं अकेला ही…"

"नही मैं भी चलती हू…बहुत टाइम हो गया…बहुत पहले गर्मियों में कई बार चौधरी शहिब के साथ वाहा पर सोई हू….कई बार तो रात में ही हमने आम तोड़ के खाए है…चल मैं चलती हू...". मुन्ना विरोध नही कर पाया.

"ठहर जा ज़रा टॉर्च तो ले लू…."

फिर शीला देवी टॉर्च लेकर मुन्ना के साथ निकल पड़ी. शीला देवी ने अपनी साड़ी बदल ली थी और अपने आप को सवार लिया था. मुन्ना ने अपनी मा को नज़र भर कर देखा एक दम बनी ठनी, बहुत खूबसूरत लग रही थी. मुन्ना की नज़रो को भापते हुए वो हस्ते हुए बोली "क्या देख रहा है…" हस्ते समय शीला देवी की गालो में गड्ढे पड़ते थे.
" कुच्छ नही मैं सोच रहा था तुम्हे कही और तो नही जाना…" शीला देवी के होंठो पर मुस्कुराहट फैल गई. हस्ते हुए बोली "ऐसा क्यों…मैं तो तेरे साथ बगीचे पर चल..."

"नही तुमने साड़ी बदली हुई है तो…"

"वो तो ऐसे ही बदल लिया…क्यों अच्छा नही लग रहा…"

"नही बहुत अच्छा लग….तुम बहुत सुंदर…" बोलते हुए मुन्ना थोड़ासा सरमाया तो शीला देवी हल्के हँस दी. शीला देवी के गालो में पड़ते गड्ढे देख मुन्ना के बदन में सिहरन हो गई. मुन्ना थोड़ा धीरे चल रहा था. मा के पीछे चलते हुए उसके मस्ताने मटकते चूतरो पर नज़र पड़ी तो उसका मन किया की धीरे से पिछे से शीला देवी को पकड़ ले और लंड को गांद की दरार में लगा कर प्यार से उसके गालो को चूसे. उसके गालो के गड्ढे में अपनी जीभ डाल कर चाट ले. पीछे से साड़ी उठा कर उसके अंदर अपना सिर घुसा दे और दोनो चूतरों को मुट्ठी में भर कर मसल्ते हुए गांद की दरार में अपना मुँह घुसा दे. बहुत दिन हो गये थे किसी की गांद चाटे, पर इसके लिए उर्मिला देवी जैसी खूबसूरत गदराई जवानी भी तो चाहिए. मामी के साथ बिताए पल याद आ गये जब वो किचन में काम करती मुन्ना पिछे से गाउन उठा उसके अंदर घुस कर चूत और गांद चाट ता था. मा की तो मामी से भी दो कदम आगे होगी. कितनी गतीली और सुंदर लग रही है. लूँगी के अंदर लंड तो फरफदा रहा था मगर कुच्छ कर नही सकता था. आज तो लाजवंती का भी कोई चान्स नही था. तभी ध्यान आया कि लाजवंती को तो बताया ही नही. डर हुआ कि कही वो मा के सामने आ गई तो क्या करूँगा. और वही हुआ बगीचे पर पहुच कर खलिहान या मकान जो भी कहिए उसका दरवाजा ही खोला था कि बगीचे की बाउंड्री का गेट खोलती हुई लाजवंती और एक और औरत घुसी. अंधेरा तो बहुत ज़यादा था मगर फिर भी किसी बिजली के खंभे की रोशनी बगीचे में आ रही थी. शीला देवी ने देख लिया और बोली "कौन घुस रहा है बगीचे में…" मुन्ना ने भी पलट कर देखा, तुरंत समझ गया की लाजवंती होगी. इस से पहले की कुच्छ बोल पाता शीला देवी की कॅड्क आवाज़ पूरे बगीचे में गूँज गई "कौन है रे….ठहर अभी बताती हू.." इसके साथ ही शीला देवी ने दौड़ लगा दी " साली आम चोर कुतिया….ठहर वही पर…." भागते भागते एक डंडा भी हाथ में उठा लिया था. शीला देवी की कदकती आवाज़ जैसे ही लाजवंती के कानो में पड़ी उसकी तो गांद का पाखाना तक सुख गया. अपने साथ लाई औरत का हाथ पकड़ घसीटती हुई बोली "ये तो चौधरैयन…है….चल भाग…" दोनो औरते बेतहाशा भागी. पीछे शीला देवी हाथ में डंडा लिया गालियो की बौच्हर कर रही थी. दोनो जब बाउंड्री के गेट के बाहर भाग गई तो शीला देवी रुक गई. गेट को ठीक से बंद किया और वापस लौटी. मुन्ना खलिहान के बाहर ही खड़ा था. शीला देवी की साँसे फूल रही थी. डंडे को एक तरफ फेंक कर अंदर जा कर धम से बिस्तर पर बैठ गई और लंबी लंबी साँसे लेते हुए बोली "साली हरमज़ड़िया…देखो तो कितनी हिम्मत है शाम होते ही आ गई चोरी करने…अगर हाथ आ जाती तो सुअरनियों की गांद में डंडा पेल देती…हरम्खोर साली तभी तो इस बगीचे से उतनी कमाई नही होती जितनी पहले होती थी….मदर्चोदिया अपनी चूत में आम भर भर के ले जाती है…रंडियों का चेहरा नही देख पाई…" मुन्ना शीला देवी के मुँह से ऐसी मोटी मोटी भद्दी गालियों को सुन कर सन्न रह गया. हालाँकि वो जानता था की उसकी मा करक स्वाभाव की है और नौकर चाकरो को गालियाँ देती रहती है मगर ऐसी गंदी-गंदी गलियाँ उसके मुँह से पहली बार सुनी थी, हिम्मत करके बोला

"अरे मा छोड़ो ना तुम भी…भगा तो दिया…अब मैं यहा आ रहा हू ना देखना इस बार अच्छी कमाई…"

"ना ना…ऐसे इनकी आदत नही छूटने वाली…जब तक पकड़ के इनकी चूत में मिर्ची नही डालोगे ना बेटा तब तक ये सब भोशर्चोदिया ऐसे ही चोरी करने आती रहेंगी….माल किसी का खा कोई और रहा है…"

मुन्ना ने कभी मा को ऐसे गलियाँ देते नही सुना था. बोल तो कुच्छ सकता नही था मगर उसे उर्मिला देवी यानी अपनी प्यारी छिनाल, चुदक्कर मामी की याद आ गई, जो चुदवाते समय अपने सुंदर मुखरे से जब गंदी गंदी बाते करती थी तब उसका लंड लोहा हो जाता था. शीला देवी के खूबसूरत चेहरे को वो एकटक देखने लगा भरे हुए कमनिदार होंठो को बिचकती हुई जब शीला देवी ने दो चार और मोटी गलियाँ निकाली तो उसके इस छिनल्पन को देख मुन्ना का लंड खड़ा होने लगा.
मन में आया उसके उन भरे हुए होंठो को अपने होंठो में कस ले और ऐसा चुम्मा ले की होंठो का सारा रस चूस ले. खड़े होते लंड को छुपाने के लिए जल्दी से बिस्तर पर अपनी मा के सामने बैठ गया. शीला देवी की साँसे अभी काफ़ी तेज चल रही थी और उसका आँचल नीचे उसकी गोद में गिरा हुआ था. मोटी-मोटी चुचियाँ हर साँस के साथ उपर नीचे हो रही थी. गोरा चिकना मांसल पेट. मुन्ना का लंड पूरा खड़ा हो चुका था. तभी शीला देवी ने पैर पसारे और अपनी साड़ी को खींचते हुए घुटनो से थोड़ा उपर तक चढ़ा एक पैर मोड़ कर एक पैर पसार कर अपने आँचल से माथे का पसीना पोछती हुई बोली "हरम्खोरो के कारण दौड़ना पद गया…बड़ी गर्मी लग रही है खिड़की खोल दे बेटा". जल्दी से उठ कर खिड़की खोलने गया. लंड ने लूँगी के कपड़े को उपर उठा रखा था और मुन्ना के चलने के साथ हिल रहा था. शीला देवी की आँखो में अज़ीब सी चमक उभर आई थी वो एकदम खा जाने वाली निगाहों से लूँगी के अंदर के डोलते हुए हथियार को देख रही थी. मुन्ना जल्दी से खिड़की खोल कर बिस्तर पर बैठ गया, बाहर से सुहानी हवा आने लगी. उठी हुई साड़ी से शीला देवी गोरी मखमली टाँगे दीख रही थी. शीला देवी ने अपने गर्दन के पसीने को पोछ्ते हुए अपनी ब्लाउस के सबसे उपर वाले बटन को खोल दिया और साड़ी के पल्लू को ब्लाउस के भीतर घुसा पसीना पोच्छने लगी. पसीने के कारण ब्लाउस का उपरी भाग भीग चुका था. ब्लाउस के अंदर हाथ घुमाती बोली "बहुत गर्मी है..बहुत पसीना आ गया". मुन्ना मुँह फाडे ब्लाउस में घूमते हाथ को देखता हुआ भौचक्का सा बोल पड़ा "हा..आह पूरा ब्लाउस भीग..गया.."

"तू शर्ट खोल दे…बनियान तो पहन ही रखी होगी…".

साड़ी को और खींचती थोड़ा सा जाँघो के उपर उठाती शीला देवी ने अपने पैर पसारे "साड़ी भी खराब हो….यहा रात में तो कोई आएगा नही…"

"नही मा यहा…रात में कौन…"

"पता नही कही कोई आ जाए….किसी को बुलाया तो नही" मुन्ना ने मन ही मन सोचा जिसको बुलाया था उसको तो भगा दिया, पर बोला "नही..नही…किसी को नही बुलाया"

"तो मैं भी साड़ी उतार देती हू…"
कहती हुई उठ गई और साड़ी खोलने लगी. मुन्ना भी गर्दन हिलाता हुआ बोला "हा मा..फिर पेटिकोट और ब्लाउस…सोने में भी हल्का…"

"हा सही है….पर तू यहा सोने के लिए आता है…सो जाएगा तो फिर रखवाली कौन करेगा…"

"मैं अपने सोने की बात कहा कर रहा हू…तुम सो जाओ…मैं रखवाली करूँगा…"

"मैं भी तेरे साथ रखवाली करूँगी…"

"तब तो हो गया काम…तुम तो सब के पिछे डंडा ले कर दौरोगी…"

"क्यों तू नही दौड़ता डंडा ले कर….मैने तो सुना है गाओं की सारी छ्होरियों को अपने डंडे से धमकाया हुआ है तूने.."

मुन्ना एकदम से झेंप गया "धात मा…क्या बात कर रही हो…"

"इसमे शरमाने की क्या बात है…ठीक तो करता है अपना आम तुझे खुद खाना है….सब चूत्मरानियो को ऐसे ही धमका दिया कर…." मुन्ना की रीढ़ की हद्ढियों में सिहरन दौड़ गई. शीला देवी के मुँह से निकले इस चूत सब्द ने उसे पागल कर दिया. उत्तेजना में अपने लंड को जाँघो के बीच ज़ोर से दबा दिया. चौधरायण ने साड़ी खोल एक ओर फेंक दिया और फिर पेटिकोट को फिर से घुटने के थोड़ा उपर तक खींच कर बैठ गई और खिड़की के तरफ मुँह घुमा कर बोली
"लगता है आज बारिश होगी". मुन्ना कुच्छ नही बोला उसकी नज़रे तो शीला देवी की गोरी गथिलि पिंदलियों का मुआएना कर रही थी. घूमती नज़रे जाँघो तक पहुच गई और वो उसी में खोया रहता अगर अचानक शीला देवी ना बोल पड़ती "बेटे आम खाएगा…" मुन्ना ने चौंक कर नज़र उठा कर देखा तो उसे ब्लाउस के अंदर कसे हुए दो आम नज़र आए, इतने पास की दिल में आया मुँह आगेआ कर चुचियाँ को मुँह में भर ले दूसरे किसी आम के बारे में तो उसका दिमाग़ सोच भी नही पा रहा था हॅडबड़ाते हुए बोला "आम…कहा है आम….अभी कहा से…" शीला देवी उसके और पास आ अपने सांसो की गर्मी उसके चेहरे पर फेंकती हुई बोली "आम के बगीचे मैं बैठ कर…आम ढूँढ रहा है…" कह कर मुस्कुरई…".

"पर रात में…आम.." बोलते हुए मुन्ना के मन में आया की गड्ढे वाले गालो को अपने मुँह भर कर चूस लू.

धीरे से बोली "रात में ही खाने में मज़ा आता है…चल बाहर चलते है…" कहती हुई मुन्ना को एक तरफ धकेलते बिस्तर से उतारने लगी. इतने पास से बिस्तर से उतार रही थी की उसकी नुकीली चुचियों ने अपने चोंच से मुन्ना की बाहों को छु लिया. मुन्ना का बदन गन्गना गया. उठ ते हुए बोला "के मा…तुम भी क्या..क्या सोचती रहती हो…इतनी रात में आम कहा दिखेंगे"

"ये टॉर्च है ना…बारिश आने वाली है…जीतने भी पके हुए आम है गिर कर खराब हो जाएगे…." और टॉर्च उठा बाहर की ओर चल दी. आज उसकी चाल में एक खास बात थी, मुन्ना का ध्यान बरबस उसकी मटकती गुदाज कमर और मांसल हिलते चूतरों की ओर चला गया. गाओं की अनचुदी जवान लौंदीयों को छोड़ने के बाद भी उसको वो मज़ा नही आया था जो उसे उसकी मामी उर्मिला देवी ने दिया था. इतनी कम उम्र में ही मुन्ना को ये बात समझ में आ गई थी की बड़ी उम्र की मांसल गदराई हुई औरतो को चोदने में जो मज़ा है वो मज़ा दुबली पतली अछूती चूतो को चोदने में नही. खेली खाई औरते कुतेव करते हुए लंड डलवाती है और उस समय जब उनकी चूत से फॅक फॅक…गछ गछ आवाज़ निकलती है तो फिर घंटो चोद्ते रहो…उनके मांसल गदराए जिस्म को जितनी मर्ज़ी उतना रागडो. एक दम गदराए गथीले चूतर, पेटिकोट के उपर से देखने से लग रहा था कि हाथ लगा कर अगर पकड़े तो मोटी मांसल चुटटरों को रगड़ने का मज़ा आ जाएगा. ऐसे चूतर की उसके दोनो भागो को अलग करने के लिए भी मेहनत करनी पड़ेगी. फिर उसके बीच गांद का छोटा सा भूरे रंग का छेद बस मज़ा आ जाए. लूँगी के अंदर लंड फनफना रहा था. अगर शीला देवी उसकी मा नही होती तो अब तक तो वो उसे दबोच चुका होता. इतने पास से केवल पेटिकोट-ब्लाउस में पहली बार देखने का मौका मिला था. एक दम मस्त गदराई गथिलि जवानी थी.
हर अंग फेडॅफाडा रहा था. कसकती हुई जवानी थी जिसको रगड़ते हुए बदन के हर हिस्से को चूमते हुए दन्तो से काट ते हुए रस चूसने लायक था. रात में सो जाने पर साड़ी उठा के चूत देखने की कोशिश की जा सकती थी, ज़्यादा परेशानी शायद ना हो क्योंकि उसे पता था कि गाओं की औरते पॅंटी नही पहनती. इसी उधेरबुन में फसा हुआ अपनी मा की हिलती गांद और उसमे फासे हुए पेटिकोट के कपड़े को देखता हुआ पिछे चलते हुए आम के पेड़ो के बीच पहुच गया. वाहा शीला देवी फ्लश लाइट (टॉर्च) जला कर उपर की ओर देखते हुए बारी-बारी से सभी पेड़ो पर रोशनी डाल रही थी.

"इस पेड़ पर तो सारे कच्चे आम है…इस पर एक आध ही पके हुए दिख रहे…"

"इस तरफ टॉर्च दिखाओ तो मा…इस पेड़ पर …पके हुए आम दिख…."

"कहा है…इस पेड़ पर भी नही है पके हुए…तू क्या करता था यहा पर….तुझे तो ये भी नही पता किस पेड़ पर पके हुए आम है…" मुन्ना ने शीला देवी की ओर देखते हुए कहा "पता तो है मगर उस पेड़ से तुम तोड़ने नही दोगि…".
"क्यों नही तोड़ने दूँगी…तू बता तो सही मैं खुद तोड़ कर ख़िलाउंगी...." फिर एक पेड़ के पास रुक गई "हा….देख ये पेड़ तो एकदम लदा हुआ है पके आमो से….चल ले टॉर्च पकड़ के दिखा मैं ज़रा आम तोड़ती हू…." कहते हुए शीला देवी ने मुन्ना को टॉर्च पकड़ा दी. मुन्ना ने उसे रोकते हुए कहा "क्या करती हो…कही गिर गई तो …..तुम रहने दो मैं तोड़ देता हू…."

"चल बड़ा आया…आम तोड़ने वाला…बेटा मैं गाओं में ही बड़ी हुई हू…जब मैं छ्होटी थी तो अपने सहेलियों में मुझ से ज़यादा तेज कोई नही था पेर पर चढ़ने में…देख मैं कैसे चढ़ती हू…"

"अर्रे तब की बात और…" पर मुन्ना की बाते उसके मुँह में ही रह गई और शीला देवी ने अपने पेटिकोट को थोड़ा उपर कर अपनी कमर में खोस लिया और पेड़ पर चढ़ना
शुरू कर दिया. मुन्ना ने भी टॉर्च की रोशनी उसकी तरफ कर दी. थोड़ी ही देर में काफ़ी उपर चढ़ गई और पेड़ के दो डालो के उपर पैर जमा कर खड़ी हो गई और टॉर्च की रोशनी में हाथ बढ़ा कर आम तोड़ने लगी तभी टॉर्च फिसल कर मुन्ना की हाथो से नीचे गिर गयी.
"अर्रे…क्या करता है तू…ठीक से टॉर्च भी नही दिखा सकता क्या". मुन्ना ने जल्दी से नीचे झुक कर टॉर्च उठाया और फिर उपर किया…

"ठीक से दिखा….इधर की तरफ…" टॉर्च की रोशनी शीला देवी जहा आम तोड़ रही थी वाहा ले जाने के क्रम में ही रोशनी शीला देवी के पैरो के पास पड़ी तो मुन्ना के होश ही अर गये. शीला देवी ने अपने दोनो पैरो को दो डालो पर टीका के रखा हुआ था जिसके कारण उसका पेटिकोट दो भागो में बाट गया था और टॉर्च की रोशनी सीधा उसके दोनो पैरो के बीच के अंधेरे को चीरती हुई पेटिकोट अंदर के माल को रोशनी से जगमगा दिया. पेटिकोट के अंदर के नज़ारे ने मुन्ना की तो आँखो को चौंधिया दिया. टॉर्च की रोशनी में पेटिकोट के अंदर क़ैद चमचमाती मखमली टाँगे पूरी तरह से नुमाया हो गई, रोशनी पूरा उपर तक चूत के काले काले झांतो को भी दिखा रही थी. टॉर्च की रोशनी में कन्द्लि के खंभे जैसी चिकनी मोटी जाँघो और चूत की झांतो को देख मुन्ना को लगा कि उसका लंड पानी फेंक देगा, उसका गला सुख गया और हाथ-पैर काँपने लगे. तभी शीला देवी की आवाज़ सुनाई दी "अर्रे कहा दिखा रहा है यहा उपर दिखा ना…". हकलाते हुए बोला "हा..हा अभी दिखाता…वो टॉर्च गिर गया था…" फिर टॉर्च की रोशनी चौधरैयन के हाथो पर फोकस कर दिया. चौधरायण ने दो आम तोड़ लिए फिर बोली "ले कॅच कर तो ज़रा…" और नीचे की तरफ फेंका, मुन्ना ने जल्दी से टॉर्च

को कांख में दबा दोनो आम बारी बारी से कॅच कर लिए और एक तरफ रख कर फिर से टॉर्च उपर की तरफ दिखाने लगा…और इस बार सीधा दोनो टॅंगो बीच में रोशनी फेंकी..इतनी देर में शीला देवी की टाँगे कुच्छ और फैल गई थी पेटिकोट भी थोडा उपर उठ गया था और चूत की झांते और ज़यादा सॉफ दिख रही थी. मुन्ना का ये भ्रम था या सच्चाई पर शीला देवी के हिलने पर उसे ऐसा लगा जैसे चूत के लाल लपलपते होंठो ने हल्का सा अपना मुँह खोला था. लेंड तो लूँगी के अंदर ऐसे खड़ा था जैसे नीचे से ही चौधरायण की चूत में घुस जाएगा. नीचे अंधेरा होने का फ़ायदा उठाते हुए मुन्ना ने एक हाथ से अपना लंड
पकड़ कर हल्के से दबाया. तभी शीला देवी ने "कहा ज़रा इधर दिखा…." मुन्ना ने वैसा ही किया पर बार-बार वो मौका देख टॉर्च की रोशनी को उसके टॅंगो के बीच में फेंक देता था. कुच्छ समय बाद शीला देवी बोली "और तो कोई पका आम नही दिख रहा.…चल मैं नीचे आ जाती हू वैसे भी दो आम तो मिल ही गये….तू खाली इधर उधर लाइट दिखा रहा है ध्यान से मेरे पैरों के पास लाइट दिखना". कहते हुए नीचे उतरने लगी. मुन्ना को अब पूरा मौका मिल गया ठीक पेड़ की जड़ के पास नीचे खड़ा हो कर लाइट दिखाने लगा. नीचे उतरती चुधरायण के पेटिकोट के अंदर रोशनी फेंकते हुए उसकी मस्त मांसल चिकनी जाँघो को अब वो आराम से देख सकता था क्योंकि चौधरैयन का पूरा ध्यान तो नीचे उतरने पर था, हालाँकि चूत की झांतो का दिखना अब बंद हो गया था मगर चौधरैयन का मुँह पेड़ की तरफ होने के कारण पिछे से उसके मोटे मोटे चूतरो का निचला भाग पेटिकोट के अंदर दिख रहा था. मस्त गोरी गांद के निचले भाग को देख लंड अपने आप हिलने लगा था. एक हाथ से लंड पकड़ कस कर दबाते हुए मुन्ना मन ही मन बोला "हाई मा ऐसे ही पेड़ पर चढ़ि रह उफ़फ्फ़…क्या गांद है…किसी ने आज तक नही मारी होगी एक दम अछूती गांद होगी….हाई मा…लंड ले कर खड़ा हू जल्दी से नीचे उतर के इस पर बैठ जा ना…" ये सोचने भर से लंड ने दो चार बूँद पानी टपका दिया. तभी शीला देवी जब एकदम नीचे उतरने वाली थी कि उसका पैर फिसला और हाथ छूट गया. मुन्ना ने हर्बरा कर नीचे गिरती शीला देवी को कमर के पास से पकड़ कर लपक लिया. मुन्ना के दोनो हाथ अब उसकी कमर से लिपटे हुए थे और चौधरैयन के दोनो पैर हवा में और चूतर उसकी कमर के पास. मुन्ना का लंड सीधा चौधरैयन की मोटी गुदाज गांद को छु रहा था. गुदाज मांसल पेट के फोल्ड्स उसकी मुट्ही में आ गये थे. हर्बराहट में दोनो की समझ में कुच्छ नही आ रहा था, कुच्छ पल तक मुन्ना ने भी उसके भारी सरीर को ऐसे ही थामे रखा और शीला देवी भी उसके हाथो को पकड़े अपनी गांद उसके लंड पर टिकाए झूलती रही.

कुच्छ देर बाद धीरे से शरमाई आवाज़ में बोली "हाई…बच गई…अभी गिर जाती..अब छोड़ ऐसे ही उठाए रखेगा क्या…"
मुन्ना उसको ज़मीन पर खड़ा करता हुआ बोला "मैने तो पहले ही कहा था…" शीला देवी का चेहरा लाल पर गया था. हल्के से मुस्कुराती हुई कनखियों से लूँगी में मुन्ना के खड़े लंड को देखने की कोशिश कर रही थी. अंधेरे के कारण देख नही पाई मगर अपनी गांद पर अभी भी उसके लंड की चुभन का अहसास उसको हो रहा था. अपने पेट को सहलाते हुए धीरे से बोली "कितनी ज़ोर से पकड़ता है तू…लगता है निशान पड़ गया…" मुन्ना तुरंत टॉर्च जला कर उसके पेट को देखते हुए बुदबुदाते हुए बोला "…वो अचानक हो….". मुस्कुराती हुई शीला देवी धीरे कदमो से चलती मुन्ना के एकदम पास पहुच गई…इतने पास की उसकी दोनो चुचियों का अगला नुकीला भाग लगभग मुन्ना की छाती को टच कर रहा था और उसकी बनियान में कसी छाती पर हल्के से हाथ मारती बोली "पूरा सांड़ हो गया है…तू…मैं इतनी भारी हू…मुझे ऐसे टाँग लिया….चल आम उठा ले.













--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj














































































































































































Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया
Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator