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गाँव का राजा पार्ट -5
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी गाँव का राजा लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
उर्मिला देवी राजू की आँखो में झाँकते हुए वही पर कोहनी के बल राजू के बगल में अढ़लेटी सी बैठ कर अपने दूसरे हाथ से राजू के ढीले लंड को अपनी मुट्ठी में उसके आंडो समेत कस कर दबाया और बोली "मज़ा आया.....". राजू के चेहरे पर एक थकान भरी मुस्कुराहट फैल गई. पर मुस्कुराहट में हसरत भी थी और चाहत भी थी.
"मज़ा आया" उर्मिला देवी ने पुछा.
"हाँ मामी बहुत………"
"पहले हाथ से करता था"
"कभी कभी"
"इतना मज़ा आया कभी"
"नही मामी इतना मज़ा कभी नही आया,….."
मामी ने राजू के लंड ज़ोर से दबोच कर उसके गालो पर अपना दाँत गढ़ाते हुए एक हल्की सी पुच्चि ली और अपनी टाँगो को उसकी टाँगो पर चढ़ा कर रगड़ते हुए बोली "पूरा मज़ा लेगा". राजू थोड़ा सा शरमाते हुए बोला "हाँ मामी, हा". उर्मिला देवी की गोरी चिकनी टाँगे राजू के पैरो से रगड़ खा रही थी. उर्मिला देवी का पेटिकोट अब जाँघो से उपर तक चढ़ चुका था.
"जानता है पूरे मज़े का मतलब!" राजू ने थोड़ा सकुचाते हुए अपनी गर्दन हा में हिला दी. इस पर उर्मिला देवी ने अपनी नंगी गदराई जाँघो से राजू के लंड को मसल्ते हुए उसके गालो पर फिर से अपने दाँत गढ़ा दिए और हल्की सी एक प्यार भरी चपत लगाते हुए बोली "मुझे पहले से ही शक़ था, तू हमेशा घूरता रहता था".फिर जब तूने बताया था कितू राज शर्मा की सेक्सीकहानियाँ पढ़ता है तो मुझे पूरा यकीन हो गया फिर प्यार से उसके होंठो को चूम लिया और उसके लंड को दबोचा. राजू को थोड़ा सा दर्द हुआ. मामी के हाथ को अपनी हथेली से रोक कर सिसकते हुए बोला "हाई मामी. राजू को ये मीठा दर्द सुहाना लग रहा था. वो सारी दुनिया भूल चुक्का था. उसके दोनो हाथ अपने आप मामी के पीठ से लग गये और उसने उर्मिला देवी को अपनी बाँहो में भर लिया. मामी की दोनो बड़ी बड़ी चुचियाँ अब उसकी छाती से लग कर चिपकी हुई थी. उर्मिला देवी ने फिर से राजू के होंठो को अपने होंठो में भर लिया और अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल कर घूमाते हुए दोनो एक दूसरे को चूमने लगे. औरत के होंठो का ये पहला स्पर्श जहा राजू को मीठे रसगुले से भी ज़यादा मीठा लग रहा था वही उर्मिला देवी एक नौजवान कमसिन लंड के होंठो का रस पी कर अपने होश खो बैठी थी. उर्मिला देवी ने राजू के लंड को अपने हथेलियो में भर कर फिर से मसलना शुरू कर दिया. कुच्छ ही देर में मुरझाए लंड में जान आ गई. दोनो के होंठ जब एक दूसरे से अलग हुए तो दोनो हाँफ रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे मिलो लंबी रेस लगा कर आए है. अलग हट कर राजू के चेहरे को देखते हुए उर्मिला देवी ने राजू के हाथ को पकड़ कर अपने चुचियों पर रखा और कहा "अब तू मज़ा लेने लायक हो गया है" फिर उसके हाथो को अपने चुचियों पर दबाया. राजू इशारा समझ गया.उसने उर्मिला देवी के चुचियों को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. उर्मिला देवी ने भी मुस्कुराते हुए उसके राजू के लेंड को अपने कोमल हाथो में थाम लिया और हल्के हल्के सहलाने लगी. आज मोटे और दस इंच के लंड से चुदवाने की उसकी सालो की तमन्ना पूरी होने वाली थी. उसके लिए सबसे मजेदार बात तो ये थी की लंड एक दम कमसिन उमर का था. जैसे मर्द कमसिन उमर की अनचुदी लरकियों को चोदने की कल्पना से सिहर उठते है शायद उर्मिला जी के साथ भी ऐसा ही हो रहा था, मुन्ना बाबू के लंड को मसालते हुए उनकी चूत पासीज रही थी और इस दस इंच के लंड को अपनी चूत की दीवारो के बीच कसने के लिए बेताब हुई जा रही थी.
राजू भी अब समझ चुका था कि आज उसके लंड की सील तो ज़रूर टूट जाएगी. दोनो हाथो से मामी की नंगी चुचियों को पकड़ कर मसल्ते हुए मामी के होंठो और गालो पर बेतहाशा चुम्मिया काटे जा रहा था. दोनो मामी भानजे जोश में आकर एक दूसरे से लिपट चिपेट रहे थे. तभी उर्मिला जी राजू के लंड को कस कर दबाते हुए अपने होंठ भीच कर राजू को उकसाया "ज़रा कस कर". राजू ने अपनी हथेलियों में दोनो चुचियों को भर कर ज़ोर से मसल्ते हुए निपल को चुटकी में पकड़ कर आगे की तरफ खीचते हुए जब दबाया तो उर्मिला देवी के मुँह से आह निकल गई. दर्द और मज़ा दोनो ही जब एक साथ मिला तो मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी. पैर की एडियो से बिस्तर को रगड़ते हुए अपने चूतरो को हवा में उच्छालने लगी. राजू ने मामी को मस्ती में आते हुए देख और ज़ोर से चुचियों को मसला और अपने दाँत गाल पर गढ़ा दिए. उर्मिला देवी एक्दुम से तिलमिला गई और राजू के लंड को कस कर मरोड़ दिया "उईईईईईई माआआआआआ सीईई धीरे से……". लंड के ज़ोर से मसले जाने के कारण राजू एक दम से दर्द से तड़प गया पर उसने चुचियों को मसलना जारी रखा और मामी की पप्पियाँ लेते हुए बोला "अभी तो बोल रही थी ज़ोर से और अभी चिल्ला रही हो……..ओह मामी". तभी उर्मिला देवी ने राजू के सिर को पकड़ा और उसे अपनी चुचियों पर खींच लिया और अपनी बाई चुचि के निपल को उसके मुँह से सटा दिया और बोली "इतनी सारी राज शर्मा की सेक्सीकहानियाँ पढ़ कर क्या खाली चुचि दबाना ही सीखा है, चूसना नही सिखाया क्या उसमे. राजू ने चुचि के निपल को अपने होंठो के बीच कस लिया. थोड़ी देर तक निपल चुसवाने के बाद मामी ने अपनी चुचि को अपने हाथो से पकड़ कर राजू के मुँह में ठेला, राजू का मुँह अपने आप खुलता चला गया और निपल के साथ जितनी चुचि उसके मुँह में समा सकती थी उतनी चुचि को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. दूसरे हाथ से दूसरी चुचि को मसल्ते हुए राजू अपनी मामी के मुममे चूस रहा था. कभी कभी राजू के दाँत भी उसकी मुम्मो पर गढ़ जाते, पर उर्मिला देवी को यही तो चाहिए था-----एक नौजवान जोश से भरा लौंडा जो उसको नोचे खसोटे और एक जंगली जानवर की तरह उसको चोद कर जवानी का जोश भर दे. चुचि चूसने के तरीके से उर्मिला देवी को पता चल गया था कि लौंडा अभी अनाड़ी है पर अनाड़ी को खिलाड़ी तो उसे ही बनाना था. एक बार लौंडा जब खिलाड़ी बन जाता तो फिर उसकी चूत की चाँदी थी. राजू के सिर के बालो पर हाथ फेरती हुई बोली "………धीरे धीरे चुचि चूस और निपल को रब्बर की तरह से मत खीच आराम से होंठो के बीच दबा के धीरे-धीरे जीभ की मदद से चुँला और देख ये जो निपल के चारो तरफ काला गोल घेरा बना हुआ है ना, उस पर और उसके चारो तरफ अपनी जीभ घूमाते हुए चूसेगा तो मज़ा आएगा". राजू ने मामी के चुचि को अपने मुँह से निकाल
दिया और मामी के चेहरे की ओर देखते हुए अपनी जीभ निकाल कर निपल के उपर रखते हुए पुछा "ऐसे मामी"
"हा इसी तरह से जीभ को चोरो तरफ घूमाते हुए, धीरे धीरे". चुदाई की ये कोचैंग आगे जा कर राजू के बहुत काम आने वाली थी जिसका पता दोनो में से किसी को नही था. जीभ को चुचि पर बड़े आराम से धीरे धीरे चला रहा था निपल के चारो तरफ के काले घेरे पर भी जीभ फिरा रहा था. बीच बीच में दोनो चुचि को पूरा का पूरा मुँह में भर कर भी चूस लेता था. उर्मिला देवी को बड़ा मज़ा आ रहा था और उसके मुँह से सिसकारिया फूटने लगी थी "ऊऊउउउईई....आअहह... ..सस्स्सिईईई... .राजू बेटा... ......आहह..... ऐसे ही मेरे राजा,,,,,,,,,,सीईईईईईईईईईई एक बार में ही सीख गया, हाई मज़ा आ रहा है"
"हाई मामी, बहुत मज़ा है, ओह मामी आपकी चुचि……..सीईई कितनी खूबसूरत, हमेशा सोचता था कैसी होगी आज……
"उफफफ्फ़ सस्स्स्स्स्स्स्सिईईईईई……., आअराआअम से आराम से, उफ्फ साले खा जा तेरी मा का भेजा हुआ लंगड़ा आम है भोसड़ी के…….चूस के सारा रस पी जा ".
मामी की गद्देदार मांसल चुचियों को राजू, सच में शायद लंगड़ा आम समझ रहा था. कभी बाई चुचि मुँह में भरता तो कभी ढहिनी चुचि को मुँह में दबा लेता. कभी दोनो को अपनी मुट्ही में कसते हुए बीच वाली घाटी में पुच...प्यूच करते हुए चुममे लेता, कभी उर्मिला देवी की गोरी सुरहिदार गर्दन को चूमता.
बहुत दीनो के बाद उर्मिला देवी की चुचियों को किसी ने इस तरह से माथा था. उसके मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी, आहे निकल रही थी, चूत पनिया कर पसिज रही थी और अपनी उत्तेजना पर काबू करने के लिए वो बार-बार अपनी जाँघो को भीच भीच कर पैरो को बिस्तेर पर रगड़ते हुए हाथ पैर फेंक रही थी. दोनो चुचिया ऐसे मसले जाने और चूसे जाने के कारण लाल हो गई थी. चुचि चूस्ते-चूस्ते राजू नीचे बढ़ गया था और मामी के गुदाज पेट पर अपने प्यार का इज़हार करते हुए पुच्चिया काट रहा था. उर्मिला देवी की चूत एक दम गीली हो कर चुहने लगी. भगनासा खड़ा होकर लाल हो गया था. इतनी देर से राजू के साथ खिलवाड़ करने के कारण धीरे-धीरे जो उत्तेजना का तूफान उसके अंदर जमा हुआ था वो अब बाहर निकलने के लिए बेताब हो उठा था. एकद्ूम से बेचैन होकर सीस्याते हुए बोली "कितना दूध पिएगा मुए, उई…सीईई…..साले, चुचि देख के चुचि में ही खो गया, इसी में छोड़ेगा क्या भोसड़ी के". राजू मामी के होंठो को चूम कर बोला "ओह मामी बहुत मज़ा आ रहा है सच में, मैने कभी सोचा भी नही था, , मामी आपकी चूची को चोद दू……" उर्मिला देवी ने एक झापड़ उसके चूतर पर मारा और उसके गाल पर दाँत गढ़ाते हुए बोली "साले अबी तक चुचि पर ही अटका हुआ है". राजू बिस्तर पर उठ कर बैठ गया और एक हाथ में अपने तमतमाए हुए लंड को पकड़ उसकी चमड़ी को खींच कर पहाड़ी आलू के जैसे लाल-लाल सुपरे को मामी की चुचियों पर रगड़ने लगा. उत्तेजना के मारे राजू का बुरा हाल हो चुक्का था, उसे कुच्छ भी समझ में नही लग रहा था. खेलने के लिए मिले इस नये खिलौने के साथ वो जी भर के खेल लेना चाहता था. लंड का सुपरा रगड़ते हुए उसके मुँह से मज़े की सिसकारिया फुट रही थी "ओह मामी, सस्स्स्स्स्सीईई मज़ा आ गया मामी, सस्स्स्सीईई और लो मामी.
उर्मिला देवी की चूत में तो आग लगी हुई थी उन्होने झट से राजू को धकेलते हुए बिस्तर पर पटक दिया और उसके उपर चढ़ कर अपने पेटिकोट को उपर किया एक हाथ से लंड को पकड़ा और अपनी झांतदार पनियाई हुई चूत के गुलाबी छेद पर लगा कर बैठ गई. गीली चूत ने सटाक से राजू के पहाड़ी आलू जैसे सुपरे को निगल लिया. राजू का क्यों की ये पहली बार था इसलिए जैसे ही सुपरे पर से चमड़ी खिसक कर नीचे गई राजू थोड़ा सा चिहुनक गया.
"ओह मामी,"
"पहली बार है ना, सुपरे की चमड़ी नीचे जाने से………" और अपनी गांद उठा कर कचक से एक जोरदार धक्का मारा. गीली चूत ने झट से पूरे लंड को निगल लिया. पूरा लंड अपनी चूत में लेकर, पेटिकोट को कमर के पास समेट कर खोस लिया और चूतर उठा कर दो तीन और धक्के लगा दिए. राजू की समझ में खुच्छ नही आ रहा था. बस इतना लग रहा था जैसे उसके लंड को किसी ने गरम भट्टी में डाल दिया है. गर्दन उठा कर उसने देखने की कोशिश की. मामी ने अपने चूतर को पूरा उपर उठाया, चूत के रस से चमचमता हुआ लंड बाहर निकला, फिर तेज़ी के साथ मामी के गांद नीचे करते ही झांतो के जंगल में समा गया.
"सीईए मामी आप ने तो अपनी नीचे वाली ठीक से देखने भी नही………."
"बाद में……अभी तो नीचे आग लगी है"
"हाई मामी…………दिखा देती तूऊऊऊऊ"
"अभी मज़ा आ रहा है……"
"हाँ, हा आ रहा हाईईईईईईईई……."
"तो फिर मज़ा लूट ना भोसड़ी के, देख के अचार डालेगा…………"
"उफ्फ मामी…………..सीईई ओह आपकी नीचे वाली तो एकद्ूम गरम………."
"हा………बहुत गर्मी है इसमे, अभी इसकी सारी गर्मी निकाल दे फिर बाद में……भट्टी देखना…….अभी बहुत खुजली हो रही थी, ऐसे ही चुदाई होती है समझा, पूरा मज़ा इसी को सीईए……….जब चूत में लंड अंदर बाहर होता है तभी……….हाई पहली चुदाई है ना तेरीईईईईई"
"हा मामी………ही सीईईईई"
"क्यों क्या हुआ……….सस्स्स्सीईईई"
"ऐसा लग रहा है जैसे उफफफफफफ्फ़………जैसे ही आप नीचे आती है एकद्ूम से मेरे लंड की चमड़ी नीचे उतर जाती है…………..उफफफफफफफ्फ़ माआआमीईईईई बहुत गुदगुदी हो रही है"
"तेरा बहुत मोटा है ना………इसलिए मेरी में एकदम चिपक कर जा रहा है……"
इतना कह कर उर्मिला देवी ने कचक-कचक धक्के लगाना शुरू कर दिया. चूत में लंड ऐसे फिट हो गया था जैसे बॉटल में कॉर्क. उर्मिला देवी की चूत जो की चुद चुद के भोसड़ी हो गई थी, आज 10 इंच मोटे लंड को खा कर अन्चुदी चूत बनी हुई थी और इठला कर, इतरा कर पानी छोड़ रही थी. लंड चूत की दीवारो से एकद्ूम चिपक कर रगड़ता हुआ पूरा अंदर तक घुस जाता था और फिर उसी तरह से चूत की दीवारो को रगड़ते हुए सुपरे तक सटाक से निकल कर फिर से घुसने के लिए तैय्यार हो जाता था. चूत के पानी छोड़ने के कारण लंड अब सटा-सॅट अंदर बाहर हो रहा था. राजू ने गर्दन उठा कर अपनेलंड देखने की कोशिश की मगर उर्मिला देवी के धक्को की रफ़्तार इतनी तेज और झटकेदार थी की उसकी गर्दन फिर से तकिये पर गिर गई. उर्मिला देवी के मुँह से तेज तेज सिसकारियाँ निकल रही थी और वो गांद उठा उठा के तेज-तेज झटके मार रही थी. लंड सीधा उसकी बछेदानि पर ठोकर मार रहा था और बार बार बस उसके मुँह से चीख निकल जाती थी. आज उसको बहुत दीनो के बाद ऐसा अनोखा मज़ा आ रहा था. दोनो मामी भांजा कुतिया कुत्ते की तरह से हाँफ रहे थे और कमरे में गछ-गछ, फॅक-फॅक की आवाज़ गूँज रही थी.
"ऑश……सस्स्स्सीईई……राजू बहुत मस्त लंड है तेरा तो हाई…….उफफफफफफफफफ्फ़"
"हा……..मामी…….बहुत मज़ा आ रहा है……….चुचीईईईई"
"हा, हा दबा ना, चुचि दबा…………बहुत दीनो के बाद ऐसा मज़ा आ रहा है…"
"सच माआमी……आअज तो आपने स्वर्ग में पहुचा दिया………"
"हाई तेरे इस घोड़े जैसे लंड ने तो…….आआअजजजज मेरी बार्षो की प्यास भुजाआअ…"
कच-कच, करता हुआ लंड, चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. उर्मिला देवी की मोटी-मोटी गांद राजू के लंड पर तेज़ी से उच्छल कूद कर रही थी. मस्तानी मामी की दोनो चुचिया राजू के हाथो में थी, और उनको अपने दोनो हाथो के बीच दबा कर मठ रहा था.
"ओह हो ऱजुउउउउउउउउ बेटॅयायेयीययाया…….मेरा निकलेगा अब सस्स्स्स्स्स्सीईई ही निकल जाएगा…………ऊऊऊऊगगगगगगगगगग………(फॅक-फॅक-फॅक) …….सीईई ही रीईईईईई कहा था त्त्त्त्त्त्त्त्तुउउउउउउ……मज़ा आआआअ गयाआआआ रीईई, गई मैं ……हाई आआआआअज तो चूत फाड़ के पानी निकल दियाआआआ तुनीई…उफफफफ्फ़"
"हाई मामी और तेज मारो….मारो और तेज……और ज़ोर सीईई, उफफफफफ्फ़ बतूत गुद्गुदीईइ हूऊऊओ……."
तभी उर्मिला देवी एक ज़ोर की चीख मारते हुए……सीईईई करते हुए राजू के उपर ढेर हो गई. उसकी चूत ने फॉल्फला कर पानी छोड़ दिया. चूत की छेद पकड़ते हुए लंड को कभी अपनी गिरफ़्त में कस रही थी कभी छोड़ रही थी. राजू भी सयद झरने के करीब था मगर उर्मिला देवी के रुकने के कारण चुदाई रुक गई थी और वो बस कसमसा कर रह गया. उर्मिला देवी के भारी शरीर को अपनी बाँहो में जकड़े हुए नीचे से हल्के हल्के गांद उठा उठा कर अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था. मगर कहते है की थूक चाटने से प्यास नही भुजती. राजू का लंड ऐसे तो झरने वाला नही था. हा अगर वो खुद उपर चढ़ कर चार पाँच धक्के भी ज़ोर से लगा देता तो सयद उसका पानी भी निकल जाता. पर ये तो उसकी पहली चुदाई थी, उसे ना तो इस बात का पता था ना ही उर्मिला देवी ने ऐसा किया. लंड चूत के अंदर ही फूल कर और मोटा हो गया था. दीवारो से और ज़यादा कस गया था. धीरे धीरे जब मामी की साँसे स्थिर हुई तब वो फिर से उठ कर बैठ गई और राजू के बालो में हाथ फेरते हुए उसके होंठो से अपने होंठो को सटा कर एक गहरा चुंबन लिया.
"हाई,………..मामी रुक क्यों गई……..और धक्का लगाओ ना…….."
"मुझे पता है…….तेरा अभी निकला नही………..मेरी तो इतने दीनो से पयासी थी…….ठहर ही नही पाई…………." कहते हुए उर्मिला देवी थोड़ा सा उपर उठ गई. पक की आवाज़ करते हुए राजू का मोटा लंड उर्मिला देवी की बित्ते भर की चूत से बाहर निकल गया. उर्मिला देवी जो की अभी भी पेटिकोट पहने हुई थी ने पेटिकोट को चूत के उपर दबा दिया. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और पेटिकोट को चूत के उपर दबाते हुए उसके उपर कपड़े को हल्के से रगड़ते हुए पानी पोछ रही थी. अपनी दाहिनी जाँघ को उठाते हुए राजू की कमर के उपर से वो उतर गई और धडाम से बिस्तर पर अपनी दोनो जाँघो को फैला कर तकिये पर सर रख कर लेट गई. पेटिकोट तो पूरी तरह से उपर था ही, उसका बस तोड़ा सा भाग उसकी झांतो भरी चूत को ढके हुए था. वो अब झड़ने के बाद सुस्त हो गई थी. आँखे बंद थी और साँसे अब धीरे धीरे स्थिर हो रही थी.
राजू अपनी मामी के बगल में लेटा हुआ उसको देख रहा था. उसका लंड एक दम सीधा तना हुआ छत की ओर देख रहा था. लंड की नसे फूल गई थी और सुपरा एक दम लाल हो गया था. राजू बस दो चार धक्को का ही मेमहमान था लेकिन ठीक उसी समय मामी ने उसके लंड को अपनी चूत से बेदखल कर दिया था. झरने की कगार पर होने के कारण लंड फुफ्कार रहा था मगर मामी तो अपना झाड़ कर उसकी बगल में लेटी थी.
दोस्तो कैसा लगा ये पार्ट लिखना ना भूलें कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त इंतजार करो
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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