Tuesday, April 13, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--10

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खिलोना पार्ट--10

दोनो कार पार्किंग मे आ गये थे.जब हवा रीमा की बिना पनटी की गीली चूत को छुति तो रीमा के बदन मे सिहरन दौड़ जाती.दोनो जैसे ही गाड़ी के अंदर बैठे वीरेन्द्रा जी ने उसे बाहों मे खीच कर चूमना शुरू कर दिया.

"पागल हो गये हैं क्या?!थोड़ी देर मे घर पहुँच जाएँगे फिर जो मर्ज़ी आए करिएगा."

"घर पहुँचने तक कौन सब्र करेगा!",विरेन्द्र जी ने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने उपर खींच लिया.उसकी दाई जाँघ पकड़ उसे उन्होने अपनी गोद मे बैठा लिया.अब रीमा अपने दोनो घुटने विरेन्द्र जी के दोनो तरफ उनकी सीट पे टिकाए उनकी ओर चेहरा किए बैठे थी.

"क्या कर रहे हैं?घर चलिए ना!कोई देख लेगा!",पर वो मन ही मन जानती थी की कार के काले शीशो से किसी को कुच्छ भी नज़र नही आएगा.

जवाब मे खामोश विरेन्द्र जी ने उसकी स्कर्ट उसकी कमर तक उठा उसकी गंद को नंगा कर दिया & उसे मसल दिया.

"ऊव्वव..!,"रीमा चिहुनक के पीछे हुई तो उसकी गंद से दब के हॉर्न बज उठा.वो चौंक के आगे को हुई तो उसका सीना उसके ससुर के मुँह पे दब गया.विरेन्द्र जी ने हाथ उसकी गंद से हटा उसकी शर्ट के बटन खोल दिए & उसके ब्रा कप्स नीचे कर उसकी छातिया नुमाया कर दी.वो अपने होंठो मे उसका निपल लेने ही जा रहे थे की आँखो के कोने से उन्हे कोई गाड़ी की ओर आता दिखा.उन्होने सर घुमाया तो देखा पार्किंग अटेंडेंट शायद हॉर्न सुन कर वाहा आ रहा था,"अब तो जाने दीजिए,वो देख लेगा."

उन्होने रीमा का सर अपने बाए कंधे पे लगा दिया तो उसने शर्म & डर से उनकी गर्दन मे मुँह च्छूपा लिया.विरेन्द्र जी ने कार स्टार्ट कर अपनी बगल का शीशा 1 इंच नीचे सरकया & अपनी जेब से पार्किंग स्लिप निकल कर बाहर कर दी.जैसे ही अटेंडेंट ने स्लिप ली उन्होने शीशा वापस बंद किया & कार गियर मे डाल वाहा से निकल गये.

रीमा उनकी गर्दन से लगी उनके बालो को चूमती उनके कान तक आ गयी & वाहा जीभ फिराने लगी.विरेन्द्र जी का 1 हाथ स्टियरिंग संभाले था & दूसरा उसकी गंद.गंद मसल्ते हुए वो बीच-2 मे अपनी उंगलिया उसकी पहले से ही गीली चूत मे घुसेड उसे और मस्त कर देते.कार 1 लाल बत्ती पे रुकी तो उन्होने उसका सर अपनी गर्दन से उठाया & उसकी गर्दन चूमने लगे & उसकी नंगी छातिया दबाने लगे.अपनी बहू के जिस्म से खेलते वक़्त भी उनकी 1 नज़र ट्रॅफिक सिग्नल पे थी.

जब बत्ती हरी होने 4 सेकेंड बाकी थे उन्होने रीमा को वापस अपने कंधे पे झुका दिया & हाथ स्टियरिंग व्हील पे जमा दिए.थोड़ी देर बाद कार 1 सुनसान रास्ते के किनारे खड़ी थी.अंदर विरेन्द्र जी अपनी पॅंट की ज़िप खोल अपने तने लुंड को आज़ाद कर रहे थे.जैसे ही लंड बाहर आया उन्होने रीमा की कमर पकड़ उसे थोडा उपर उठाया तो रीमा को अपना सर,छत से टकराने से बचाने के लिए,मोड़ना पड़ा.रीमा को इतनी सी जगह मे तकलीफ़ तो हो रही थी पर अब वो इतनी मस्त हो चुकी थी कि उसका भी पूरा ध्यान इसी पे था की लंड जल्द से जल्द उसकी चूत मे उतर जाए.

"ऊवन्न्नह...!",उसकी कमर पकड़ विरेन्द्र जी उसकी चूत को नीचे अपने लंड पे बिठा रहे थे.रीमा आँखे बंद किए जन्नत का मज़ा ले रही थी.धीरे-2 विरेन्द्र जी ने उसकी गीली,कसी चूत मे अपना पूरा लंड घुसा दिया था.जैसे ही लंड उसकी चूत मे उतरा रीमा हौले-2 अपनी कमर हिला अपने ससुर को चोदने लगी.अपनी बाहो मे उनका सर थामे वो उनके चेहरे को चूम रही थी & वो उसकी जाँघो & गंद की फांको को सहला & मसल रहे थे.

"औउईई...."!,विरेन्द्र जी ने उसकी गंद की फांको को पकड़ फैलाया & नीचे से 1 धक्का मार लंड को थोड़ा & अंदर पेल दिया.रीमा ने मज़े मे अपना सर पीएच्छे झुका लिया तो विरेन्द्र जी का मुँह उसकी चूचियो से आ लगा.अपने बड़े-2 हाथो मे उन गोलैईयों को दबाते हुए जब उन्होने उसके निपल्स को चूसना शुरू किया तो रीमा मस्त हो ज़ोर-2 से आँहे भरने लगी.

हॉल मे उसके ससुर की हर्कतो ने तो उसे पहले से ही गरम कर दिया था & अब तो वो बस मस्ती मे सब कुच्छ भूल गयी थी.उसका तो अब 1 ही मक़सद था,ससुर के लंड का पूरा लुत्फ़ उठाते हुए झड़ना.वो झुक कर अपने ससुर का गाल चूमने लगी& उसकी कमर हिलाने की रफ़्तार बढ़ गयी.विरेन्द्र जी ने आखरी बार उसकी चूचियो को चूसा & फिर उसका चेहरा अपनी गर्दन मे च्छूपा दिया.

उन्होने कार स्टार्ट की & अपनी बहू से चुदवाते हुए घर की ओर बढ़ चले.रीमा तो पागल ही हो गयी थी.उसे कोई होश नही था की उसके ससुर ड्राइव कर रहे हैं,वो तो बस पागल हो उनके कभी उनके होंठ चूमती तो कभी गाल,मस्ती मे उसने उनका चेहरा अपने सीने मे दबाना चाहा तो बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे ऐसा करने से रोक रास्ते पे आँखे लगाई.

रीमा अब झड़ने के बहुत करीब थी & उसकी कमर तेज़ी से हिलने लगी थी & उसकी कसी चूत ने सिकुड-2 कर विरेन्द्र जी के लंड को भी बेकाबू कर दिया.कार सिविल लाइन्स मे दाखिल हो चुकी थी & जैसे ही घर के सामने रुकी,रीमा ने अपने ससुर को ज़ोर से अपनी बाहो मे भींच लिया & बेचैनी मे कमर हिलाने लगी.विरेन्द्र जी ने भी उसकी कमर को अपनी बाहो मे जाकड़ लिया & उसकी छातियो बीच अपना चेहरा घुसा अपनी जोश मे सिसकती हुई बहू के साथ झाड़ गये.

उन्होने उसे धीरे से अपनी गोद से उठाया & उसकी सीट पे बिठाया,अपनी पॅंट की ज़िप बंद की & कार से उतर कर गेट खोला & फिर वापस कार मे आ गये.कार घर के अंदर आ गयी तो वो फिर कार से उतरे & घूम कर आए & रीमा की साइड का दरवाज़ा खोला.अंदर रीमा सीट पे ऐसे पड़ी थी जैसे अभी-2 बेहोशी से जागी हो.वो अधखुली आँखो से अपने ससुर की ओर देख कर मुस्कुराइ तो उन्होने झुक कर उसे गोद मे उठा लिया.

थोड़ी ही देर बाद वो अपने ससुर के कमरे मे उन्ही के बिस्तर पे पड़ी थी.वो अपने कपड़े उतार उसकी बगल मे आए & उसे नंगी करने लगे.रीमा ने गर्दन घुमा कर देखा उसकी सास बेख़बर सो रही थी.वो अब पूरी नंगी थी & सुके ससुर उसके जिस्म से खेल रहे थे.उसने अपनी सास से नज़रे हटाई & अपने ससुर को बाहो मे भर उनकी गरम हर्कतो का मज़ा लेने लगी.

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सुबह रीमा की आँख खुली तो वो कल रात ही की तरह अपने ससुर के बिस्तर मे नंगी पड़ी थी पर आज वो वाहा नही थे.बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी,शायद वो नहा रहे थे.रात उसके ससुर ने उसे 2 बार जम के चोद कर उसका बुरा हाल कर दिया था,पर उसे मज़ा भी बहुत आया था.उसे ख़याल आया की कल शायद पहली बार वो चुदाई से इतना संतुष्ट हुई थी.

वो अंगड़ाई लेते हुए उठी,अपने कपड़े समेटे & अपने कमरे मे चली गयी.उस दिन सवेरे दफ़्तर जाने से पहले & दोपहर को खाने के वक़्त उसके ससुर को उसे चोदने को मौका नही मिला क्यूकी गणेश वाहा था.उन्हे बस उसे बाहों मे भर कुच्छ किस्सस से ही संतोष करना पड़ा.

रीमा ने मन ही मन गणेश का शुक्रिया अदा किया,आख़िर उसकी चूत को थोडा आराम भी तो चाहिए था.आज उसने रवि के समान का बक्सा खोला & उन्हे ठीक करने लगी.समान मे उसे 1 आल्बम मिला,ये शेखर की शादी का आल्बम था.उसने आल्बम पलट के देखा तो उसमे उसे मीना & उसके परिवार वालो की भी तस्वीरे दिखी.तभी ड्रॉयिंग रूम मे रखा फोन घनघना उठा.

रीमा को परसो की ब्लॅंक कॉल्स याद आ गयी.वो डरते हुए ड्रॉयिंग रूम मे पहुँची,"हे..हेलो."

उधर से कोई आवाज़ नही आई,बस रोड पे जाते ट्रॅफिक की हल्की आवाज़.

"हेलो,कुच्छ बोलते क्यू नही?"

अभी भी बस किसी की सांसो की आवाज़ & बस ट्रॅफिक का शोर.

"देखो ये फोन करना बंद करो वरना पोलीस मे कंप्लेंट कर दूँगी!",रीमा चीखी& तुरंत फोन काट दिया गया.शायद जो भी था वो डर गया...रीमा के माथे पे पसीने की बूंदे छल्छला आई थी.सारी के पल्लू से उसने उसे पोच्छा & वापस अपने कमरे मे आ गयी & रवि का समान ठीक करने लगी.अभी भी उसका आधा ध्यान फोन पे ही लगा हुआ था.

पर उस रोज़ वो बल्न्क कॉल दुबारा नही आई.रीमा ने चैन की साँस ली,ज़रूर कोई बदतमीज़ इंसान शरारत कर रहा होगा...तभी तो पोलीस की धमकी से डर गया..पर आख़िर था कौन वो?उसने सर झटक कर रवि के समान से खाली बक्सा लॉफ्ट मे डाल & स्टूल से उतार बिस्तर पे रखी उन चीज़ो को देखने लगी जो उसे काम की लगी थी.

पलंग पे रवि की 2 डाइयरीस पड़ी थी जिसमे उसके सैकड़ो फोन नॉस. & ईमेल आइड्स & ऐसे और उसके काम से संबंधित बाते लिखी थी.साथ मे था रवि का मोबाइल फोन & पर्स.ये दोनो चीज़े पोलीस ने नदी से निकली रवि की लाश से बरामद की थी & बाद मे रीमा के हवाले कर दिया था.मोबाइल फोन तो पानी घुसने से बिल्कुल बेकार हो चुका था.

ये चीज़े देख रीमा उदास हो उठी थी.मोबाइल उलटते-पलटते उसे ख़याल आया कि इस छ्होटी सी चीज़ पे दोनो ने कितनी प्यार & शरारत भरी बातें की थी.रवि तो फोन पे ही ऐसी-2 शरीर बातें करता की वो मस्त हो उठती & अपने बदन से खेलने लगती,जब होश आता तो वो शर्म से दोहरी हो जाती & अपने पति पे उसे गुस्सा आता पर गुस्से से कहीं,कहीं ज़्यादा प्यार.

रीमा की आँखो के कोने से आँसू की 2 बूंदे ढालाक गयी.तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा.उस दिन रवि ने किस-2 से बात की थी?रवि शहर से बाहर क्यू गया था वो भी उनकी अन्निवेर्सरि के दिन?क्या इसका सुराग उसे फोन की कॉल डीटेल्स से मिल सकता था?पर ये फोन तो बेकार हो चुका था...तो क्या हुआ..मोबाइल फोन सर्विस प्रवाइडर कंपनी से वो ये डेअतिल्स निकलवा सकती थी.हां!मौका मिलते ही वो ऐसा करेगी & आज..आज वो कैसे भी करके अपने ससुर & जेठ से रवि के बारे मे बात करेगी.

तभी बाहर विरेन्द्र जी के कार रुकने की आवाज़ आई,उसने अपनी आँखे पोन्छि & सारा समान उठा कर अलमारी के अंदर बंद किया & दरवाज़े की ओर बढ़ गयी.तभी 1 और कार के रुकने की आवाज़ आई.वो बाहर आई तो देखा कि उसके ससुर अपनी कार लॉक कर रहे हैं & उनके पीछे टॅक्सी से शेखर उतर रहा है.

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पूरी शाम रात के खाने तक उसके ससुर & जेठ 1 दूसरे की नज़र बचा कर उसे बाहो मे भरने की कोशिश करते रहे पर रीमा भी उनकी हर कोशिश नाकाम करती रही.उसे दोनो को तड़पाने मे बड़ा मज़ा आ रहा था.जब वो देखती की दोनो मे से 1 भी उसे तन्हा पा दबोच सकता है तो वो अपने कमरे मे घुस जाती.वो जानती थी की आज दोनो मे से किसी को,1 दूसरे के कारण,उसके कमरे मे घुसने की हिम्मत नही होगी.पर आख़िरकार दोनो ने उस से 1 दूसरे की मौजूदगी मे थोड़ी च्छेद-च्छाद कर ही ली.

हुआ यूँ की रात तीनो खाने की मेज़ पे बैठे थे.मेज़ के 1 सिरे पे जो अकेली कुर्सी थी,उसपे विरेन्द्र जी बैठे थे.उनके दाए हाथ वाली बगल की कुर्सी पे रीमा & रीमा के बगल वाली कुर्सी पे शेखर बैठा था.

सभी खामोशी से खाना खा रहे थे कि तभी रीमा को अपने बाएँ पैर पे कुच्छ महसूस हुआ-ये उसके ससुर का पाँव था.रीमा की तो हालत खराब हो गयी,अगर शेखर ने ये देख लिया तो क्या होगा?!उसने हल्के से अपना पैर अलग किया & उनके पैर पे उस से चपत लगा कर उनके पाँव को दूर कर दिया.पर विरेन्द्र जी कहा मानने वाले थे,उन्होने वही हरकत दोहराई & इस बार उनका पाँव उसके पाँव को सहलाता हुआ उसकी पिंडली पे आ गया & उसकी सारी मे घुस उसकी मखमली टाँग को सहलाने लगा.

रीमा ने आँख के कोने से देखा की शेखर खाने मे मगन है तो उसने मिन्नत भरी नज़र से अपनी ससुर को देखा & पैर अलग करने की कोशिश की पर उन्होने मज़बूती से उसकी टांग पे अपने पाँव का दबाव बनाए रखा & बहुत हल्के से 1 शरारत भरी मुस्कान उसकी तरफ फेंकी.

घबराई रीमा अभी ससुर के हमले से सहमी हुई थी कि तभी उसे अपनी दाई जाँघ पे अपने जेठ के बाए हाथ का एहसास हुआ.उसेन 1 हाथ हल्के से नीचे ले जा अपने ससुर की नज़र बच उसे हटाना चाहा पर शेखर भी बाप की तरह उसके जिस्म को छेड़ता रहा.बल्कि उसने तो हद ही कर दी.खाना खाते हुए बहुत धीरे से उसने उसकी सारी घुटनो तक खेंची & अपना हाथ घुसा उसकी जाँघ सहलाने लगा.

रीमा का तो घबराहट से बुरा हाल था पर उसके जिस्म को दोनो की च्छेद-च्छाद बहुत पसंद आरहि थी & उसकी चूत मे कुच्छ-कुच्छ होने लगा था.दोनो बाप-बेटे 1 दूसरे से अंजान उसकी टाँगो से खेल रहे थे & वो शर्म & डर से पानी-2 हो रही थी.जैसे-तैसे उसने खाना ख़त्म किया & झटके से उठ खड़ी हुई,उसके खड़े होते ही दोनो ने अपना पाँव & हाथ खींच लिया,"मैं पानी लेकर आती हू.",रीमा ने जग उठाया & किचन मे चली गयी.

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"छ्चोड़िए ना!अभी नही.",अपनी सास का बिस्तर थी करती रीमा को विरेन्द्र जी ने पीछे से दबोचा तो वो छितक कर उनसे अलग हो गयी,"अभी भाय्या हैं घर मे.प्लीज़ आज नही."

"इतना डरती क्यू हो?उसे कुच्छ पता नही चलेगा.",उन्होने उसे गले से लगाया & उसकी गर्दन चूमने लगे.

"नही.आज नही.",रीमा कसमसाई.

"तो तुम्हारे कमरे मे चलते हैं."

"नही.",रीमा ने उन्हे परे धकेल दिया,"पागल हो गये हैं क्या?वाहा तो बिल्कुल नही,अगर भाय्या ने देख लिया तो मैं तो कहीं की ना रहूंगी!"

"तो ठीक है जब वो सो जाएगा तब तुम आ जाना,वरना मैं तुम्हारे कमरे मे आ जाऊँगा.",वो फिर उसके बदन से आ लगे.

"क्यू ज़िद करते हैं?छ्चोड़िए ना."अपनी सास के बिल्कुल बगल मे खड़ी हो अपने ससुर से लिपट कर उनसे किस करवाने मे रीमा को बहुत अजीब सा लग रहा था.

"पहले तुम वादा करो के शेखर के सोने के बाद तुम यहा आ जाओगी."

"ठीक है.पर आप भी वादा करिए की मुझे जितनी भी देर हो आप मेरे कमरे मे नही आएँगे."

"वादा किया.",कह के उन्होने रीमा का गाल चूम लिया.

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अपने कमरे मे आ रीमा ने सारी उतार कर नाइटी पहन ली.उसे प्यास लगी तो देखा की पलंग की साइड टेबल पे रखी बॉटल खाली है.वो बॉटल उठा पानी लेने किचन मे चली गयी.फ्रिड्ज से बॉटल निकाल उसने ग्लास मे पानी डाला & जैसे ही पी कर ग्लास रखा,उसे पीछे से किसी ने बाहो मे भर लिया.

वो चीखने ही वाली थी की 1 हाथ उसके मुँह पे आ गया,"श..!मैं हू,शेखर."

"क्या पागलपन कर रहे हैं?!पिताजी ने देख लिया तो.",शेखर ने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठो से लगा उसे खामोश कर दिया.वो चूमता हुआ उसे किचन से बाहर ले गया.रीमा डर गयी की अगर उसके ससुर अपने कमरे से बाहर आ गये तो.उसने छूटने की कोशिश की पर शेखर के होठ & बाहो की मज़बूर गिरफ़्त से बाहर नही निकल पाई.

शेखर उसे चूमता हुआ अपने कमरे मे ले आया & दरवाज़ा बंद कर उसी दरवाज़े से उसे उसने रीमा की पीठ अड़ा दी & उसके बदन को अपने बदन से दबा उसे पागलो की तरह चूमने लगा.

"प्लीज़...मत करिए...पिताजी हैं घर मे...",रीमा ने मस्ती से उखड़ती सांसो के बीच कहा.

"वो सो गये हैं.मैने खुद देखा है.तुम डरो मत,मैं हू ना.",शेखर ने उसकी नाइटी उठा उसकी बाई जाँघ को उठा लिया.अब वो अपने लंड से उसकी चूत पे धक्के लगा रहा था & उसकी जाँघ सहलाते हुए उसके होंठो का रस पे रहा था.उसकी इस हरकत ने रीमा को भी मस्ती मे ला दिया.वो भी उसके गिर्द बाहे लपेट उसके होंठो को चूमते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से लड़ाने लगी.

रीमा ने शेखर की शर्ट मे हाथ घुसा दिया & उसके हाथ उसकी पीठ पे फिसलने लगे.थोड़ी देर बाद उसने किस तोड़ी & शेखर की शर्ट को निकाल दिया.शेखर ने भी 1 हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोला & उसके कंधे से उसे सरका दिया.नाइटी 1 झटके मे ही नीचे ज़मीन पे पड़ी नज़र आई.

कमरे मे अंधेरा था & खिड़की से आती स्ट्रीट लाइट की रोशनी मे उसका बदन कुच्छ नुमाया & कुच्छ छिप रहा था & कुच्छ ज़्यादा ही नशीला लग रहा था.शेखर ने उसकी जाँघ को उठाए हुए उसे फिर चूमना शुरू कर दिया.दरवाज़े से लगी रीमा भी उसकी नंगी पीठ सहलाती उसका साथ देने लगी.

चूमते हुए शेखर नीचे उसकी गोरी गर्दन पे आया & कुच्छ देर वाहा बिताने के बाद नीचे उसकी छातियो पे झुक गया."ऊहह..!",रीमा ने अपना निचला होंठ अपने दन्तो तले दबा कर अपनी आ को रोका.उसके दिमाग़ के किसी कोने मे अभी भी ये ख़याल था कि कही उसके ससुर को उसके & शेखर के बीच के खेल का पता ना चल जाए.

शेखर की जीभ उसके निपल को छेड़ रही थी,निपल चाटते हुए उसने पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश की पर नाकाम रहा.रीमा ने मस्त हो अपनी कमर हिला उसके लंड मे रगड़ दी & उसके सर को अपनी छाती पे और भींच दिया.काफ़ी देर तक शेखर उसके सीने के उभारो को चूमता,चूस्ता रहा & वाहा अपने मुँह से उसने अपने बाप के बनाए निशानो मे थोड़ा और इज़ाफ़ा कर दिया.

फिर वो अपने घुटनो पे बैठ गया & उसकी बाई जाँघ को अपने हाथ से हटा अपने कंधे पे रख लिया.उसकी जीभ उसके नेवेल रिंग को छेड़ती हुई उसकी नाभि की गहराई मापने लगी.

"ऊन्नह...!",रीमा मस्ती से छट-पटाई & 1 हाथ अपने सर पे रख उसे पीछे झुका कर दूसरे हाथ से शेखर के सर के बालो को भींचती हुई उसके सर को अपने पेट पे दबा दिया.शेखर उसके गोल,सपाट पेट को चूमते हुए नीचे आने लगा.थोड़ी देर तक वो उसके निचले पेट को चूम रीमा को तड़पाता रहा जो चाह रही थी कि जल्द से जल्द वो अपनी लपलपाति जीभ उसकी चूत मे घुसा दे.

रीमा ने परेशान हो उसका सर नीचे अपनी चूत की ओर धकेला तो शेखर ने उसकी बात मानते हुए उसकी गीली चूत मे अपनी जीभ घुसा दी.

"एयाया...अहह...!",रीमा खुशी & जोश से कराही.शेखर उसकी कंधे पे रखी जाँघ को शाहलाते हुए उसकी चूत छ्चोड़ उसकी चूत के पास के हिस्से & उसकी अन्द्रुनि जाँघो को चूमने लगा.चूमते हुए वो अपने होटो से वाहा पे ऐसे काटता जैसे की दांतो से काट रहा हो.रीमा तो बस हवा मे उड़ रही थी.

उसकी जाँघो की सैर करने के बाद शेखर की ज़बान वापस रीमा की चूत मे पहुँची & वाहा उसने उसके दाने के साथ जो छेड़ खानी की रीमा तो बस ये भूल ही गयी कि घर मे उसके ससुर भी मौजूद हैं जो उसके मुँह से निकलती बिंदास आहे सुन सकते हैं.अपने जेठ के सर को अपनी चूत पे भींच अपनी कमर बेचानी से हिलती बड़ी मुश्किल से अपनी टांगो पे खड़ी वो झाड़ गयी.

बैठहुए ही शेखर ने अपने शॉर्ट्स निकाल दिए.रीमा की टाँगो मे तो जैसे जान ही नही थी,वो निढाल हो गिरने ही वाली थी कि शेखर उसके जाँघ को कंधे से उतार खड़ा हुआ.उसने दोनो जंघे अपने हाथो मे उठाई & अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी गीली चूत मे पेल दिया.

"आआ...आहह...!",रीमा ने अपनी बाहें उसके कंधे पे डाल उसकी गर्दन को लपेट लिया & उस से चिपक उस से चुदने लगी.शेखर उसकी जंघे थामे लंबे-2 धक्के लगाने लगा.हर धक्के पे रीमा का बदन दरवाज़े से टकरा रा था & धाप-धाप की आवाज़ हो रही थी.रीमा के दिमाग़ मे फिर ख़याल आया कि कही उसके ससुर ये आवाज़ ना सुन ले पर फिर मस्ती उसके दिमाग़ पे ऐसी हावी हुई की वो बस अपने जेठ की कमर पे टांगे लपेट उसके होंठो को चूमती उसके धक्को का मज़ा लेने लगी.

खड़े हो के चुदने से शेखर का लंड हर धक्के पे उसके दाने को भी बुरी तरह रगड़ रहा था & रीमा का हाल बुरा हो गया था.उसने शेखर की पीठ पे नाख़ून गढ़ा दिए & उसके कंधे पे अपने दाँत & झाड़ गयी.शेखर उसकी इस हरकत से कराह उठा & उसने कुच्छ ज़्यादा तेज़ धक्के मार कर अपने छ्होटे भाई की विधवा की चट को अपने पानी से भर दिया.

अपनी बाहो मे रीमा को वैसे ही उठाए हुए वो बिस्तर पे आ लेट गया.अब रीमा अपने जेठ के दोनो ओर टांगे फैलाए उसके सीने से अपनी छातिया दबाती उसके उपर लेटी थी.लेटते ही शेखर का सिकुदा लंड उसकी चूत से निकल गया.

दोनो 1 दूसरे के चेहरे को सहलाते 1 दूसरे के होटो को हल्के-2 चूम रहे थे,"ओह्ह्ह,रीमा!तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मैने आज तक नही देखी & तुमसे जो सुकून मैने पाया है वो आज तक मुझे कभी नही मिला."

"झूठे!ऐसी बातें कितनी लड़कियो से कही हैं?",रीमा ने उसके गाल पे प्यार से चपत लगाई.

"तुम पहली हो,रीमा.सच मे!"

"अच्छा मीना भाभी को नही कहा था?वो तो इतनी सुंदर थी!मेरी समझ मे नही आता आपने उन्हे क्यू छ्चोड़ दिया?"

"मैने नही,उसने मुझे छ्चोड़ा रीमा.",शेखर उसकी गंद सहला रहा था.

"क्या?मगर क्यू?",रीमा उसके निपल को नाख़ून से छेड़ रही थी.

शेखर उसकी गंद सहलाता हुआ काफ़ी देर तक उसकी आँखो मे देखता रहा.फिर दूसरे हाथ से अपने सीने पे दबी उसकी छातियो मे से 1 को दबाने लगा,"मीना को मैं कॉलेज से जानता था & पसंद करता था पर कभी भी उस से प्यार का इज़हार नही किया था.हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे पर फिर भी मेरी हिम्मत नही होती थी."

रीमा ने महसूस किया कि उसकी गंद & चूची पे उसके जेठ के हाथ का दबाव और सख़्त हो रहा था.उसकी चूत मे फिर से खुजली शुरू होने लगी & निपल्स कड़े होने लगे,"फिर 1 दिन उसी ने मुझ से कहा तो मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी.",शेखर ने उसकी गंद की दरार से होते हुए उसकी चूत मे उंगली डाल दी.

"पर शादी के बाद मुझे असलियत पता चली.",रीमा को अपनी गंद पे शेखर के दोबारा तननाए लंड की दस्तक महसूस हुई.शेखर ने उसकी गंद को उठाया तो रीमा उसका इशारा समझ गयी.अपनी गंद उठा उसने हाथ पीछे ले जा अपने जेठ के खड़े लंड को पकड़ा & उसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया.

"ऊओन्नह...",वो अपने जेठ को पकड़ उसे चूमने लगी & कमर हिला उसे चोदने लगी.

"क्या आस...लिया..त पता च..अली?",आहों के बीच उसने पूचछा.

"मीना लेज़्बीयन थी.उसे लड़किया पसंद थी.",उसने उसके कंधे उठा अपने होंठ उसकी छाती से लगा दिए.



KHILONA paart--10

Dono car parking me aa gaye the.jab hawa Reema ki bina panty ki gili chut ko chhuti to reema ke badan me sihran daud jati.dono jaise hi gadi ke andar baithe Virendra ji ne use baahon me khich kar chumna shuru kar diya.

"pagal ho gaye hain kya?!thodi der me ghar pahunch jayenge fir jo marzi aaye kariyega."

"ghar pahunchne tak kaun sabra karega!",virendra ji ne uski kamar me hath daal kar apne upar khinch liya.uski daayi jangh pakad use unhone apni god me baitha liya.ab reema apne dono ghutne virendra ji ke dono taraf unki seat pe tikaye unki or chehra kiye baithe thi.

"kya kar rahe hain?ghar chaliye na!koi dekh lega!",par vo man hi man janti thi ki car ke kale sheesho se kisi ko kuchh bhi nazar nahi aayega.

jawab me khamosh virendra ji ne uski skirt uski kamar tak utha uski gand ko nanga kar diya & use masal diya.

"oowww..!,"reema chihunk ke peechhe hui to uski gand se dab ke horn baj utha.vo chaunk ke aage ko hui to uska seena uske sasur ke munh pe dab gaya.virendra ji ne hath uski gand se hata uski shirt ke button khol diye & uske bra cups neeche kar uski chhatiyaan numaya kar di.vo apne hotho me uska nipple lene hi ja rahe the ki aankho ke kone se unhe koi gadi ki or aata dikha.unhone sar ghumaya to dekha parking attendant shayad horn sun kar vaha aa raha tha,"ab to jane dijiye,vo dekh lega."

unhone reema ka sar apne baaye kandhe pe laga diya to usne sharm & darr se unki gardan me munh chhupa liya.virendra ji ne car start kar apni bagal ka sheesha 1 inch neeche sarkaya & apni jeb se parking slip nikal kar bahar kar di.jaise hi attendant ne slip li unhone sheesha vapas band kiya & car gear me daal vaha se nikal gaye.

reema unki gardan se lagi unke baalo ko chumti unke kaan tak aa gayi & vaha jibh firane lagi.virendra ji ka 1 hath steering sambhale tha & doosra uski gand.gand masalte hue vo beech-2 me apni ungliya uski pehle se hi gili chut me ghused use aur mast kar dete.car 1 lal batti pe ruki to unhone uska sar apni gardan se uthaya & uski gardan chumne lage & uski nangi chhatiya dabane lage.apni bahu ke jism se khelte waqt bhi unki 1 nazar traffic signal pe thi.

jab batti hari hone 4 second baki the unhone reema ko vapas apne kandhe pe jhuka diya & hath steering wheel pe jama diye.thodi der baad car 1 sunsan raste ke kinare khadi thi.andar virendra ji apni pant ki zip khol apne tane lumd ko aazad kar rahe the.jaise hi lund bahar aaya unhone reema ki kamar pakad use thoda upar uthaya to reema ko apna sar,chhat se takrane se bachane ke liye,modna pada.reema ko itni si jagah me takleef to ho rahi thi par ab vo itni mast ho chuki thi ki uska bhi poora dhyan isi pe tha ki lund jald se jald uski chut me utar jaye.

"ooonnnhhh...!",uski kamar pakad virendra ji uski chut ko neeche apne lund pe bitha rahe the.reema aankhe band kiye jannat ka maza le rahi thi.dheere-2 virendra ji ne uski gili,kasi chut me apna pura lund ghusa diya tha.jaise hi lund uski chut me utra reema haule-2 apni kamar hila apne sasur ko chodne lagi.apni baaho me unka sar thame vo unke chehre ko chum rahi thi & vo uski jangho & gand ki faanko ko sehla & masal rahe the.

"ouuiiiiii...."!,virendra ji ne uski gand ki faanko ko pakad failaya & neeche se 1 dhakka mar lund ko thoda & andar pel diya.reema ne mazae me apna sar peeechhe jhuka liya to virendra ji ka munh uski choochiyo se aa laga.apne bade-2 hatho me un golaiyon ko dabate hue jab unhone uske nipples ko chusna shuru kiya to reema mast ho zor-2 se aanhe bharne lagi.

hall me uske sasur ki harkato ne to use pehle se hi garam kar diya tha & ab to vo bas masti me sab kuchh bhul gayi thi.uska to ab 1 hi maqsad tha,sasur ke lund ka pura lutf uthate hue jhadna.vo jhuk kar apne sasur ka gaal chumne lagi& uski kamar hilane ki raftar badh gayi.virendra ji ne aakhri bar uski choochiyo ko choosa & fir uska chehra apni gardan me chhupa diya.

unhone car start ki & apni bahu se chudwate hue ghar ki or badh chale.reema to pagal hi ho gayi thi.use koi hosh nahi tha ki uske sasur drive kar rahe hain,vo to bas pagal ho unke kabhi unke honth chumti to kabhi gaal,masti me usne unka chehra apne seene me dabana chaha to badi mushkil se unhone use aisa karne se rok raste pe aankhe lagayi.

reema ab jhadne ke bahut kareeb thi & uski kamar tezi se hilne lagi thi & uski kasi chut ne sikud-2 kar virendra ji ke lund ko bhi bekabu kar diya.car civil lines me dakhil ho chuki thi & jaise hi ghar ke samne ruki,reema ne apne sasur ko zor se apni baaho me bheench liya & bechaini me kamar hilane lagi.virendra ji ne bhi uski kamar ko apni baaho me jakad liya & uski chhatiyo beech apna chehra ghusa apni josh me sisakti hui bahu ke sath jhad gaye.

unhone use dheere se apni god se uthaya & uski seat pe bithaya,apni pant ki zip band ki & car se utar kar gate khola & fir vapas car me aa gaye.car ghar ke andar aa gayi to vo fir car se utare & ghum kar aaye & reema ki side ka darwaza khola.andar reema seat pe aise padi thi jasie abhi-2 behoshi se jagi ho.vo adhkhuli aankho se apne sasur ki or dekh kar muskurayi to unhone jhuk kar use god me utha liya.

thodi hi der baad vo apne sasur ke kamre me unhi ke bistar pe padi thi.vo apne kapde utar uski bagal me aaye & use nangi karne lage.reema ne gardan ghuma kar dekha uski saas bekhabar so rahi thi.vo ab puri nangi thi & suke sasur uske jism se khel rahe the.usne apni saas se nazre hatayi & apne sasur ko baaho me bhar unki garam harkato ka maza lene lagi.

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subah reema ki aankh khuli to vo kal raat hi ki tarah apne sasur ke bistar me nangi padi thi par aaj vo vaha nahi the.bathroom se pani girne ki aavaz aa rahi thi,shayad vo naha rahe the.raat uske sasur ne use 2 baar jum ke chod kar uska bura haal kar diya tha,par use maza bhi bahut aaya tha.use khayal aaya ki kal shayad pehli baar vo chudai se itna santusht hui thi.

vo angdai lete hue uthi,apne kapde samete & apne kamre me chali gayi.us din savere daftar jane se pehle & dopahar ko khane ke waqt uske sasur ko use chodne ko mauka nahi mila kyuki ganesh vaha tha.unhe bas use baahon me bhar kuchh kisses se hi santosh karna pada.

reema ne man hi man ganesh ka shukriya ada kiya,aakhir uski chut ko thoda aaram bhi to chahiye tha.aaj usne ravi ke saman ka baksa khola & unhe thik karne lagi.saman me use 1 album mila,ye Shekhar ki shadi ka album tha.usne album palat ke dekha to usme use mina & uske parivar valo ki bhi tasveere dikhi.tabhi drawing room me rakha phone ghanghana utha.

reema ko parso ki blank calls yaad aa gayi.vo darte hue drawing room me pahunchi,"he..hello."

udhar se koi aavaz nahi aayi,bas road pe jate traffic ki halki aavaz.

"hello,kuchh bolte kyu nahi?"

abhi bhi bas kisi ki saanso ki aavaz & bas traffic ka shor.

"dekho ye phone karna band karo varna police me complaint kar dungi!",reema cheekhi& turant phone kaat diya gaya.shayad jo bhi tha vo darr gaya...reema ke mathe pe paseene ki boonde chhalchhala aayi thi.sari ke pallu se usne use pochha & vapas apne kamre me aa gayi & ravi ka saman thik karne lagi.abhi bhi uska aadha dhyan phone pe hi laga hua tha.

par us roz vo balnk call dubare nahi aayi.reema ne chain ki saans li,zarur koi badtamiz insan shararat kar raha hoga...tabhi to police ki dhamki se darr gaya..par aakhir tha kaun vo?usne sar jhatak kar ravi ke saman se khali baksa loft me daal & stool se utar bistar pe rakhi un chizo ko dekhne lagi jo use kaam ki lagi thi.

palang pe ravi ki 2 diaries padi thi jisme uske saikdo phone nos. & email ids & aise aur uske kaam se sambandhit baate likhi thi.sath me tha ravi ka mobile phone & purse.ye dono cheeze police ne nadi se nikli ravi ki lash se baramad ki thi & baad me reema ke hawale kar diya tha.mobile phone to pani ghusne se bilkul bekar ho chuka tha.

ye cheeze dekh reema udas ho uthi thi.mobile ulatate-palatate use khayal aaya ki is chhoti si chiz pe dono ne kitni pyar & shararat bhari baaten ki thi.ravi to phone pe hi aisi-2 sharir baaten karta ki vo mast ho uthati & apne badan se khelne lagti,jab hosh aata to vo sharm se dohri ho jati & apne pati pe use gussa aata par gusse se kahin,kahin zyada pyar.

reema ki aankho ke kone se aanso ki 2 boonde dhalak gayi.tabhi uske dimag me 1 khayal kaundha.us din ravi ne kis-2 se baat ki thi?ravi shahar se bahar kyu gaya tha vo bhi unki anniversary ke din?kya iska surag use phone ki call details se mil sakta tha?par ye phone to bekar ho chuka tha...to kya hua..mobile phone service provider company se vo ye deatils nikalwa sakti thi.haan!mauka milte hi vo aisa karegi & aaj..aaj vo kaise bhi karke apne sasur & jeth se ravi ke bare me baat karegi.

tabhi bahar virendra ji ke car rukne ki aavaz aayi,usne apni aankhe ponchhi & sara saman utha kar almari ke nadar band kiya & darwaze ki or badh gayi.tabhi 1 aur car ke rukne ki aavaz aayi.vo bahar aayi to dekha ki uske sasur apni car lock kar rahe hain & unke peechhe taxi se shekhar utar raha hai.

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puri sham raat ke khane tak uske sasur & jeth 1 dusre ki nazar bacha kar use baaho me bharne ki koshish karte rahe par reema bhi unki har koshish nakaam karti rahi.use dono ko tadpane me bada maza aa raha tha.jab vo dekhti ki dono me se 1 bhi use tanha paa daboch sakta hai to vo apne kamre me ghus jati.vo janti thi ki aaj dono me se kisis ko,1 dusre ke karan,uske kamre me ghusne ki himmat nahi hogi.par aakhirkar dono ne us se 1 dusre ki maujoodgi me thodi chhed-chhad kar hi li.

hua yoon ki raat teeno khane ki mez pe baithe the.mez ke 1 sire pe jo akeli kursi thi,uspe virendra ji baithe the.unke daaye hath vali bagal ki kursi pe reema & reema ke bagal vali kursi pe shekhar baitha tha.

sabhi khamoshi se khana kha raha the ki tabhi reema ko apne baayen pair pe kuchh mehsus hua-ye uske sasur ka paanv tha.reema ki to halat kharab ho gayi,agar shekhar ne ye dekh liya to kya hoga?!usne halke se apna pair alag kiya & unke pair pe us se chapat laga kar unke paanv ko door kar diya.par virendra ji kaha maanane wale the,unhone vahi harkat dohrai & is baar unka paanv uske paanv ko sehlata hua uski pindli pe aa gaya & uski sari me ghus uski makhmali taang ko sehlane laga.

reema ne aankh ke kone se dekha ki shekhar khane me magan hai to usne minnat bhari nazar se apni sasur ko dekha & pair alag karne ki koshish ki par unhone mazbooti se uski tang pe apne paanv ka dabav banaye rakha & bahut halke se 1 shararat bhari muskan uski taraf fenki.

ghabrayi reema abhi sasur ke hamle se sehmi hui thi ki tabhi use apni daayi jangh pe apne jeth ke baaye hath ka ehsas hua.usen 1 hath halke se neeche le ja apne sasur ki nazar bach use hatana chaha par shekhar bhi baap ki tarah uske jism ko chhedta raha.balki usne to had hi kar di.khana khate hue bahut dheere se usne uski sari ghutno tak khenchi & apna hath ghusa uski jangh sehlane laga.

reema ka to ghabrahat se bura haal tha par uske jism ko dono ki chhed-chhad bahut pasand aarahi thi & uski chut me kuchh-kuchh hone laga tha.dono baap-bete 1 dusre se anjan uski taango se khel rahe the & vo sharm & darr se pani-2 ho rahi thi.jaise-taise usne khana khatm kiya & jhatke se uth khadi hu,uske khade hote hi dono ne apna paanv & hath khinch liya,"main pani lekar aati hoo.",reema ne jug uthaya & kitchen me chali gayi.

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"chhodiye na!abhi nahi.",apni saas ka bistar thi karti reema ko virendra ji ne peechhe se dabocha to vo chhitak kar unse alag ho gayi,"abhi bhaiyya hain ghar me.please aaj nahi."

"itna darti kyu ho?use kuchh pata nahi chalega.",unhone use gale se lagaya & uski gardan chumne lage.

"nahi.aaj nahi.",reema kasmasai.

"to tumhare kamre me chalte hain."

"nahi.",reema ne unhe pare dhakel diya,"pagal ho gaye hain kya?vaha to bilkul nahi,agar bhaiyya ne dekh liya to main to kahin ki na rahungi!"

"to thik hai jab vo so jayega tab tum aa jana,varna main tumhare kamre me aa jaoonga.",vo fir uske badan se aa lage.

"kyu zid karte hain?chhodiye na."apni saas ke bilkul bagal me khadi ho apne sasur se lipat kar unse kiss karwane me reema ko bahut ajeeb sa lag raha tha.

"pehle tum vada karo ke shekhar ke sone ke baad tum yaha aa jaogi."

"thik hai.par aap bhi vada kariye ki mujhe jitni bhi der ho aap mere kamre me nahi aayenge."

"vada kiya.",keh ke unhone reema ka gaal chum liya.

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apne kamre me aa reema ne sari utar kar nighty pahan li.use pyas lagi to dekha ki palang ki side table pe rakhi bottle khali hai.vo bottle utha pani lene kitchen me chali gayi.fridge se bottle nikal usne glass me pani dala & jaise hi pi kar glass rakah,use peechhe se kisi ne baaho me bhar liya.

vo cheekhne hi wali thi ki 1 hath uske munh pe aa gaya,"shhh..!main hoo,shekhar."

"kya pagalpan kar rahe hain?!pitaji ne dekh liya to.",shekhar ne apne honth uske gulabi hontho se laga use khamosh kar diya.vo chumta hua use kitchen se bahar le gaya.reema darr gayi ki agar uske sasur apne kamre se bahar aa gaye to.usne chhutne ki koshish ki par shekhar ke hotho & baaho ki mazbur giraft se bahar nahi nikal payi.

shekhar sue chumta hua apne kamre me le aaya & darwaza band kar usi darwaze se use usne reema ki pith adaa di & uske badan ko apne badan se daba use paaglo ki tarah chumne laga.

"please...mat kariye...pitaji hain ghar me...",reema ne masti se ukhadti saanso ke beech kaha.

"vo so gaye hain.maine khud dekha hai.tum daro mat,main hoo na.",shekhar ne uski nighty utha uski baayi jangh ko utha liya.ab vo apne lund se uski chut pe dhakke laga raha tha & uski jangh sehlate hue uske hontho ka ras pe raha tha.uski is harkat ne reema ko bhi masti me laa diya.vo bhi uske gird baahe lapet uske hontho ko chumte hue uske munh me apni jibh ghusa uski jibh se ladaane lagi.

reema ne shekhar ki shirt me hath ghusa diya & uske hath uski pith pe fisalne lage.thodi der baad usne kiss todi & shekhar ki shirt ko nikal diya.shekhar ne bhi 1 hath peechhe le jake uski nighty ka zip khola & uske kandhe se use sarka diya.nighty 1 jhatke me hi neeche zameen pe padi nazar aayi.

kamre me andhera tha & khidki se aati street light ki roshni me uska badan kuchh numaya & kuchh chhip raha tha & kuchh zyada hi nasheela lag raha tha.shekhar ne uski jangh ko uthaye hue use fir chumna shuru kar diya.darwaze se lagi reema bhi uski nangi pith sehlati uska sath dene lagi.

chumte hue shekhar neeche uski gori gardan pe aaya & kuchh der waha bitane ke bad neeche uski chhatiyo pe jhuk gaya."oohhhh..!",reema ne apna nichla honth apne danto tale daba kar apni aah ko roka.uske dimagh ke kisi kone me abhi bhi ye khayal tha ki kahi uske sasur ko uske & shekhar ke beech ke khel ka pata na chal jaye.

shekhar ki jibh uske nipple ko chhed rahi thi,nipple chatate hue usne poori chhati ko apne munh me bharne ki koshish ki par nakamm raha.reema ne mast ho apni kamar hila uske lund me ragad di & uske sar ko apni chhati pe aur bheench diya.kafi der tak shekhar uske seene ke ubharo ko chumta,chusta raha & vaha apne munh se usne apne baap ke banaye nishano me thoda aur izafa kar diya.

phir vo apne ghutno pe baith gaya & uski baayi jangh ko apne hath se hata apne kandhe pe rakh liya.uski jibh uske navel ring ko chhedti hui uski nabhi ki gehrai maapne lagi.

"oonnhhh...!",reema masti se chhatpatayi & 1 hath apne sar pe rakh use peechhe jhuka kar dusre hath se shekhar ke sar ke baalo ko bheenchti hui uske sar ko apne pet pe daba diya.shekhar uske gol,sapat pet ko chumte hue neeche aane laga.thodi der tak vo uske nichle pet ko chum reema ko tadpata raha jo chah rahi thi ki jald se jald vo apni laplapati jibh uski chut me ghusa de.

reema ne pareshan ho uska sar neeche apni chut ki or dhakela to shekahr ne uski baat maante hue uski gili chut me apni jibh ghusa di.

"aaaaa...ahhhhhhhh...!",reema khushi & josh se karahi.shekahr uski kandhe pe rakhi jangh ko shelate hue uski chut chhod uski chut ke paas ke hisse & uski andruni jaangho ko chumne laga.chumte hue vo apne hotho se vaha pe aise kaatata jaise ki daanto se kaat raha ho.reema to bas hawa me ud rahi thi.

uski jangho ki sair karne ke baad shekhar ki zaban vapas reema ki chut me pahunchi & vaha usne uske daane ke sath jo chhedkhani ki reema to bas ye bhul hi gayi ki ghar me uske sasur bhi maujood hain jo uske munh se nikalti bindas aahe sun sakte hain.apne jeth ke sar ko apni chut pe bheench apni kamar bechani se hilati badi mushkil se apni tango pe khadi vo jhad gayi.

baithehue hi shekhar ne apne shorts nikal diye.reema ki taango me to jaise jaan hi nahi thi,vo nidhal ho girne hi wali thi ki shekhar uske jangh ko kandhe se utar khada hua.usne dono janghe apne hatho me uthai & apna lund 1 hi jhatke me uski gili chut me pel diya.

"AAAA...AAHHHHH...!",reema ne apni baahen uske kandhe pe daal uski gardan ko lapet liya & us se chipak us se chudne lagi.shekhar uski janghe thame lambe-2 dhakke lagane laga.har dhakke pe reema ka badan darwaze se takra rha tha & dhap-dhap ki aavaz ho rahi thi.reema ke dimagh me fir khayal aaya ki kahi uske sasur ye aavaz na sun le par fir masti uske dimagh pe aisi havi hui ki vo bas apne jeth ki kamar pe taange lapet uske hontho ko chumti uske dhakko ka maza lene lagi.

khade ho ke chudne se shekhar ka lund har dhakke pe uske dane ko bhi buri tarah ragad raha tha & reema ka haal bure ho gaya tha.usne shekhar ki pith pe nakhun gada diye & uske kandhe pe apne daant & jhad gayi.shekhar uski is harkat se karah utha & usne kuchh zyada tez dhakke mar kar apne chhote bhai ki vidhwa ki chut ko apne pani se bhar diya.

apni baaho me reema ko vaise hi uthaye hue vo bistar pe aa let gaya.ab reema apne jeth ke dono or taange failaye uske seene se apni chhatiya dabati uske upar leti thi.letate hi shekhar ka sikuda lund uski chut se nikal gaya.

dono 1 dusre ke chehre ko sehlate 1 dusre ke hotho ko halke-2 chum rahe the,"ohhh,reema!tumhare jaisi khubsurat ladki maine aaj tak nahi dekhi & tumse jo sukun maine paya hai vo aaj tak mujhe kabhi nahi mila."

"jhuthe!aisi baaten kitni ladkiyo se kahi hain?",reema ne uske gaal pe pyar se chapat lagai.

"tum pehli ho,reema.sach me!"

"achha mina bhabhi ko nahi kaha tha?vo to itni sundar thi!meri samajh me nahi aata aapne unhe kyu chhod diya?"

"maine nahi,usne mujhe chhoda reema.",shekhar uski gand sehla raha tha.

"kya?magar kyu?",reema uske nipple ko nakhun se chhed rahi thi.

shekhar uski gand sehlata hua kafi der tak uski aankho me dekhta raha.fir dusre hath se apne seene pe dabi uski chhatiyo me se 1 ko dabane laga,"mina ko main college se janata tha & pasand karta tha par kabhi bhi us se pyar ka izhar nahi kiya tha.hum dono bahut achhe dost the par fir bhi meri himmat nahi hoti thi."

reema ne mehsus kiya ki uski gand & choochi pe uske jeth ke hath ka dabav aur sakht ho raha tha.uski chut me fir se chhatpat shuru hone lagi & nipples kade hone lage,"fir 1 din usi ne mujh se kaha to mujhe to jaise jannat mil gayi.",shekhar ne uski gand ki darar se hote hue uski chut me ungli daal di.

"par shadi ke baad mujhe asliyat pata chali.",reema ko apni gand pe shekhar ke dobara tannaye lund ki dastak mehsus hui.shekhar ne uski gand ko uthaya to reema uska ishara samajh gayi.apni gand utha usne hath peeche le ja apne jeth ke khade lund ko pakda & use apni chut ka rasta dikhaya.

"ooonnhhhh...",vo apne jeth ko pakad use chumne lagi & kamar hila use chodne lagi.

"kya as...liya..t pata ch..ali?",aahon ke beech usne poochha.

"mina lesbian thi.use ladkiya pasand thi.",usne uske kandhe utha apne honth uski chhatiyo se laga diye.













आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj


































































































































































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