Tuesday, April 13, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--9

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खिलोना पार्ट--9

"मा जी की ऐसी हालत के कारण आप काफ़ी परेशान रहते है ना."

"हा,वो तो है पर मैं उसे बहुत चाहता हू.",उन्होने उसके नर्म होंठो पे अपनी 1 उंगली फिराई,"अभी हम दोनो ने जो किया उसके बाद तुम्हे लग रहा होगा कि मैं यू ही कह रहा हू पर ऐसा नही है,मैं सच मे सुमित्रा को बहुत चाहता हू."

रीमा को होतो मे सिहरन महसूस हुई तो उसने आँखे बंद कर ली,"ऐसा मत सोचिए,मैं समझती हू आपकी बात."उसने वीरेन्द्रा जी की हथेली चूम ली.उन्होने उसे उपर खींच उसका चेहरा अपने चेहरे के करीब कर लिया.अब रीमा की छातिया उसके ससुर के सीने पे दबी थी & वाहा के बालो का गुदगुदाता एहसास उसे बहुत भला लग रहा था.

"मा जी की बीमारी का कारण तो डॉक्टर साहब ने मुझे समझाया था पर उन्हे कोई तनाव भी था क्या जिसकी वजह से बीमारी ने ये रूप इकतियार कर लिया?",वो अपनी उंगलियो से उनके निपल के गिर्द दायरा बना रही थी & विरेन्द्र जी 1 हाथ उसके बदन के गिर्द लपेट उसकी गंद सहला रहे थे & दूसरे से उसके मासूम चेहरे को.

"पता नही,रीमा मेरे सुखी परिवार को किस की नज़र लग गयी!लोग कहते थे कि मेरे 2 बेटे हैं & मैं कितना किस्मतवाला हू.पर तक़दीर का खेल देखो 1 बेटा जो मेरे साथ रहना चाहता था,उसे मैने खुद अपने से दूर कर दिया & दूसरा खुद हमसे दूर चला गया."

"आप शेखर भाय्या की बात कर रहे हैं क्या?पर वो तो यही हैं,कहा दूर हैं आपसे?",उसने अपने ससुर के गाल पे बड़े प्यार से चूमा,उनके हाथ अब उसकी गंद को थोड़ा और ज़ोर से दबा रहे थे.

"मैं दिलो की दूरी की बात कर रहा हू.इस लड़के को हमने इतना प्यार दिया,जहा तक हो सका इसकी हर ख्वाहिश पूरी की पर ना जाने क्यों ये इतना मतलबी हो गया.",उन्होने उसकी गंद की दरार मे 1 उंगली घुसा के फिराया तो रीमा ने चिहुनक के अपनी जाँघ उनके उपर चढ़ा दी.

"1 आम इंसान इंसान के पास गैरत की दौलत होती है & मेरे पास भी वही है,रीमा.बाप-दादा की थोड़ी बहुत दौलत है पर मैने तो सिर्फ़ इज़्ज़त कमाई है जिसे शेखर ने धूल मे मिलाने की पूरी कोशिश की है."

"क्या?!ऐसा क्या किया है भाय्या ने?"

"उसे बिज़्नेस करना था,मैं पैसे देने को तैय्यार था पर उसे केवल पैसा नही मेरे ओहदे का ग़लत इस्तेमाल भी चाहिए था.मैने इस के लिए मना कर दिया तो आए दिन घर मे हम दोनो के बीच बहस होने लगी.शायद इसी बात ने सुमित्रा को तनाव पहुँचाया & वो आज ऐसे पड़ी है."

"भाय्या को देख कर तो ऐसा बिल्कुल नही लगता कि वो इतने मतलबी हैं."

"मैं जानता हू,रीमा.पर तुम्ही बताओ कि अगर शेखर 1 शरीफ लड़का है तो आख़िर मीना ने,जिसने अपनी पसंद से शेखर से शादी की थी,उसे क्यू छ्चोड़ दिया?"

"क्यू छ्चोड़ा?",रीमा फिर से मस्त होने लगी थी,उसके ससुर जितनी संजीदा बातें कर रहे थे उनके हाथ उतनी ही संजीदगी से उसकी भारी गंद को मसल रहे थे.उन्होने ने उसका हाथ अपने चेहरे से हटाया & पकड़ कर अपने लंड पे रख दिया तो शर्मा के रीमा ने अपना हाथ खींच लिया.उन्होने दुबारा उसका हाथ अपने लंड पे दबा दिया & तब तक दबाए रखा जब तक रीमा ने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू नही कर दिया.पहली बार उसने रवि के अलावा किसी और मर्द का लंड अपने हाथो मे लिया था,शर्म से उसने अपना चेहरा विरेन्द्र जी की गर्दन मे च्छूपा लिया.

"मीना & शेखर 1 दूसरे को कॉलेज के दीनो से जानते था.उसके पिता एस.के.आहूजा इस शहर के बहुत जाने-माने बिज़्नेसमॅन हैं.आहूजा साहब ने जब सुना की उनकी लड़की शेखर से शादी करना चाहती है तो वो फ़ौरन तैय्यार हो गये,केवल इसलिए क्यूंकी शेखर मेरा बेटा था,उस इंसान का जिसकी ईमानदारी & ग़ैरतमंदी की लोग मिसाल देते हैं."

"..पर इस नालयक ने शादी के बाद मीना को परेशान करना शुरू कर दिया,उस से कहने लगा कि अपने बाप से उसके लिए पैसे माँग के लाए.मीना 1 खुद्दार लड़की थी,फ़ौरन तलाक़ दे दिया इसे."

"ओह्ह..",तो ये बात थी.उसका जेठ इतना दूध का धुला नही था जितना वो खुद को दिखाता था.

विरेन्द्र जी ने उसका चेहरा अपनी गर्दन से उठाया & अपनी 1 उंगली को अपने होटो से चूम कर पहले उसके होटो पे रखा & फिर उसके हाथो मे क़ैद अपने लंड की नोक पे.रीमा उनका इशारा समझ गयी,वो चाहते थे कि वो उनके लंड को अपने मुँह मे ले.शर्म से 1 बार फिर उसने अपना चेहरा उनके सीने मे दफ़्न कर दिया.विरेन्द्र जी ने उसका चेहरा उपर उठाया & मिन्नत भरी नज़रो से उसे देखा पर रीमा ने शर्म से इनकार मे सर हिला दिया.

विरेन्द्र जी उसे छ्चोड़ उठ के पलंग के हेडबोर्ड से टेक लगा के बैठ गये.अब रीमा उनकी बगल मे लेटी थी,उन्होने उसे उठाया & अपनी टाँगो के बीच लिटा दिया.अब रीमा अपने पेट के बल अपनी कोहनियो पे उनकी टाँगो के बीच लेटी थी & उनका पूरी तरह से तना हुआ लंड उसके गुलाबी होटो से बस कुच्छ इंच की दूरी पे था.रीमा समझ गयी कि आज वो उसके मुँह मे इस राक्षस को घुसाए बिना नही मानेंगे.

विरेन्द्र जी ने उसकी ठुड्डी पकड़ी & अपने लंड की नोक को उसके होटो से सटा दिया,रीमा ने शर्मा के मुँह फेर लिया.उन्होने फिर से उसका चेहरा सीधा किया & वही हरकत दोहराई,रीमा ने फिर मुँह फेरना चाहा तो उन्होने उसके सर को दोनो हाथो मे थाम उसकी कोशिश नाकाम कर दी & लंड फिर होटो से सटा दिया.रीमा समझ गयी थी कि वो उस से बिना लंड चुस्वाए मानेंगे नही.उसने सूपदे को हल्के से चूम लिया.

"आहह..",विरेन्द्र जी की आँखे मज़े मे बंद हो गयी.उसने उनके लंड को पकड़ा & उसके मत्थे को हल्के-2 चूमने लगी.विरेन्द्र जी उसके सर को पकड़ उसके बालो मे उंगलिया फिराने लगे.रीमा ने ज़िंदगी मे पहली बार इतना बड़ा लंड देखा था.उसे उसके साथ खेलने मे काफ़ी मज़ा आ रहा था.वो कभी उसके छेद को अपनी जीभ से छेड़ती तो कभी केवल लंड के मत्थे को अपने मुँह मे भर इतनी ज़ोर से चुस्ती की उसके ससुर की आह निकल जाती.

उसने जीभ की नोक से लंड के सिरे से लेके जड़ तक चॅटा & फिर जड़ से लेके नोक तक.फिर उनके अंदो को पकड़ अपने हाथो से दबा दिया,विरेन्द्र जी आँखे बंद किए बस उसकी हर्कतो का लुत्फ़ उठा रहे थे.आज से पहले इतनी मस्ती से किसी ने उनके लंड को नही चूसा था,सुमित्रा जी ने भी नही.

वो बेताबी से अपनी बहू के सर को अपने लंड पे दबाने लगे तो उसने लंड को मुँह मे भरे हुए उनकी ओर शिकायत भरी निगाहो से देखा.उन्होने माफी माँगते हुए अपनी पकड़ ढीली कर दी.रीमा ने उनके लंड को पकड़ अब उनके अंदो को मुँह मे भर लिया तो वीरेंद्र जी आह भरते हुए अपनी कमर बेचैनी से उचकाने लगे.जब रीमा रवि का लंड मुँह मे लेती तो थोड़ी देर चूसने के बाद वो लंड छ्चोड़ उसके बदन के साथ कोई और मस्ती भरी छेड़-खानी शुरू कर देती.पर आज तो ये लंड छ्चोड़ने का उसका दिल ही नही कर रहा था.उसने सोच लिया था कि जब तक इस लंड को अपने मुँह मे नही झाद्वाएगी तब तक इसे नही छ्चोड़ेगी.

रीमा ने उनके अंडे अपने मुँह से निकाल & उन्हे अपने हाथो मे भर लिया & अपने ससुर की नज़र से नज़र मिलाती हुई 1 बार फिर लंड को अपने मुँह मे भर लिया,उसकी जीभ लंड पे बड़ी तेज़ी से घूम रही थी.विरेन्द्र जी अब खुद को रोक नही पा रहे थे,उन्होने रीमा का सर पकड़ा & उसे अपने लंड पे दबाते हुए नीचे से कमर ऐसे हिलाने लगे मानो उसके मुँह को चोद रहे हो.रीमा ने अपने हाथो से उनके लंड को हिलाते हुए अपने मुँह मे आधा लंड भर लिया & अपनी जीभ उस पे चलते हुए चूसने लगी.

विरेन्द्र जी उसकी इस हरकत से बेकाबू हो गये & उसके सर को पकड़ उसपे झुक,उसके सर को चूमने की कोशिश करते हुए,नीचे से अपनी कमर हिलाते हुए उसके मुँह मे झाड़ गये.रीमा ने फ़ौरन उनके पानी को गटक लिया.लंड मुँह से निकाला तो वो अभी भी अपना गरम लावा उगल रहा था,उसने अपनी जीभ से सारा पानी अपने हलक मे उतार लिया.ससुर के झाडे लंड को हाथो मे ले उसने चाट-2 कर पूरा सॉफ कर दिया & फिर उनकी ओर देखा.

वीरेंद्र जी ने खींच कर उसे उठाया & अपनी बाहों मे भर उसके चेहरे पे किस्सस की झड़ी लगा दी.

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पर्दे से छन कर आती रोशनी रीमा के चेहरे पे पड़ी तो उसकी आँख खुली.उसने देखा कि वो अपने ससुर के बिस्तर पे उनके साथ नंगी पड़ी है.उसके ससुर की बाँह उसके सीने पे & उनकी टांग उसकी कमर के उपर पड़ी थी.कल रात उन्होने उसे 2 बार और चोदा था.अपने ससुर के साथ खुद को इस हाल मे देख उसे शर्म आ गयी.वो उनसे अलग हो उठने लगी तो उनकी आँख खुल गयी & वो उसे अपने आगोश मे खींचने लगे.

"छ्चोड़िए ना.उठिए,जाकर तैय्यार होइए,दफ़्तर नही जाना है?",उसने उन्हे परे धकेला.

"सोचता हू,आज छुट्टी कर लू.",उन्होने उसे खींच उसकी गर्दन चूम ली.

"बिल्कुल नही,उठिए.जाकर नहाइए.गणेश काम करने आता ही होगा.",रीमा उनकी पकड़ से निकल बिस्तर से उतर खड़ी हो गयी.

"अरे ये तो पहेन्ति जाओ.",उसके ससुर ने उसकी कमर मे हाथ डाल उसे खींचा & कल रात उतरी हुई नेवेल रिंग उसकी नाभि मे पहनाने लगे.रीमा ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली & उनका सर पकड़ लिया.रिंग पहना जैसे ही उन्होने उसके पेट को चूमते हुए उसकी गंद दबाई,वो जैसे नींद से जागी,"जाइए जाकर नहाइए.",उसने उन्हे परे धकेला & अपने कपड़े उठा हँसती हुई वाहा से भाग गयी.

दफ़्तर जाने से पहले विरेन्द्र जी ने उसे पकड़ने की काफ़ी कोशिश की पर रीमा ने हर बार उन्हे चकमा दे दिया.दोपहर को जब वो खाना खाने आए तो गणेश फिर वाहा मुजूद था & वो मन मसोसते हुए खा कर वापस दफ़्तर चले गये.

रीमा अपना समान ठीक कर रही थी.जब यहा आई थी तो उसने सोचा था कि दसेक दिन से ज़्यादा वो यहा नही रह पाएगी & उसने अपना सारा समान खोला भी नही था,बस काम लायक कपड़े बाहर निकाले थे.पर अब तो हालात बिल्कुल बदल गये थे.उसने आज अपना सारा समान खोल अलमारी मे रखने का फ़ैसला किया था बस रवि के समान का 1 बक्सा उसने वैसे ही बंद छ्चोड़ दिया था.

उसके बिस्तर पे उसके कपड़े फैले थे.शादी से पहले तो वो बस सारी या सलवार-कमीज़ पहनती थी पर शादी के बाद रवि ने उसे हर तरह के कपड़े खरीद के दिए-स्कर्ट्स,जीन्स,शर्ट्स,टॉप्स,ड्रेसस-वो उसे हर लिबास मे देखना चाहता था.उसने 4-5 मिनी-स्कर्ट्स & शॉर्ट्स को उठा अलमारी के शेल्फ मे रखा.ये स्कर्ट्स & शॉर्ट्स & बाकी छ्होटे कपड़े वो केवल घर मे पहनती थी & रेकॉर्ड था कि अगर रवि घर मे होता तो 15 मिनिट मे ही उतार दी जाती.शुरू मे तो उसे घर मे भी ऐसे कपड़े पहनने मे शर्म आती थी पर बाद मे वो रवि के साथ बाहर जाते वक़्त घुटनो तक की ड्रेसस या स्कर्ट्स पहनने लगी थी.

थोड़ी ही देर मे लगभग सारे कपड़े करीने से अलमारी मे सजे हुए थे.तभी बाहर विरेन्द्र जी की कार रुकने की आवाज़ आई तो उसने आकर दरवाज़ा खोल दिया & फिर अपने कमरे मे लौट कर 1-2 बचे खुचे कपड़े रखने लगी.

"क्या कर रही हो?",उसके ससुर ने उसे पीछे से अपनी मज़बूत बाहो मे भर लिया & उसकी गर्दन चूमने लगे.

"छ्चोड़िए ना.देखते नही कपड़े रख रही हू."

"ये क्या है?",उन्होने पास मे पड़ी 1 स्कर्ट उठा ली,"ये तुम्हारा है?"

रीमा ने हा मे सर हिलाया.

"ह्म्म.चलो ये पहन कर आज घूमने चलो."

"पागल हो गये हैं."

"क्यू?ये तुम पहनती हो ना.तो आज ये स्कर्ट & ये शर्ट पहन घूमने चलो."

"लेकिन-"

"लेकिन-वेकीन कुच्छ नही.तैय्यार हो जाओ.अगर सुमित्रा की चिंता कर रही हो तो ज़्यादा परेशान मत हो.जब तुम यहा नही थी तो कितनी ही बार मुझे उसे अकेले छ्चोड़ कर काम के लिए जाना पड़ा है.उसे खाना खिला दो & दवाएँ दे दो & फिर तैय्यार हो जाओ."

थोड़ी देर बाद रीमा घुटनो तक की गहरी नीली स्कर्ट & आधे बाज़ू की सिल्क की सफेद शर्ट मे अपने ससुर के सामने थी.विरेन्द्र जी कुच्छ देर उसे सर से पाँव तक निहारते रहे & फिर उसे चूम लिया,"बाहर जाना ज़रूरी है क्या?"

"हा,ज़रूरी है.घर मे बैठे बोर नही होती तुम.चलो आज तुम्हे फिल्म दिखा लाऊँ.इसी बहाने आज अरसे बाद मैं भी सिनिमा हॉल की शक्ल देखूँगा.",विरेन्द्र जी ने थोड़े नाटकिया ढंग से ये बात कही तो रीमा को हँसी आ गयी.

थियेटर की सबसे आखरी रो की कोने की सीट्स पे दोनो बैठे थे.हॉल मे कुच्छ ज़्यादा भीड़ नही थी & उनके बगल की 4 सीट्स खाली पड़ी थी & उसके बाद 1 प्रेमी जोड़ा बैठा था जो अपने मे ही मगन था.लाइट्स ऑफ होते ही विरेन्द्र जी ने अपनी बाँह रीमा के कंधे पे डाल दी & उसे अपने पास खींच लिया,"क्या कर रहे हैं?कोई देख लेगा?"

"यहा देखने के लिए नही वाहा देखने के लिए लोगो ने टिकेट खरीदे हैं.",विरेन्द्र जी ने पर्दे की तरफ इशारा किया तो रीमा हंस दी.

"ओवव..."

"क्या हुआ?"

"ये हत्था पेट मे चुभ गया."

"अच्छा.",विरेन्द्र जी ने दोनो के बीच के कुर्सी के हत्थे को उपर उठा दिया,अब रीमा उनसे बिल्कुल सॅट के बैठी थी & वो उसे बाहो मे भर चूम रहे थे.रीमा भी उनकी किस का मज़ा लेते हुए उनके सर & पीठ को सहला रही थी.

चूमते हुए विरेन्द्र जी ने अपना 1 हाथ उसके घुटने पे रख दिया,रीमा समझ गयी की उनका इरादा क्या है & उनका हाथ वाहा से हटाने लगी.उसे डर लग रहा था की कही कोई देख ना ले.पर विरेन्द्र जी ने उसकी नही चलने दी उनका हाथ घुटने को सहलाता हुए उसकी स्कर्ट के नादर घुस उसकी मलाई जैसी चिकनी जंघे सहलाने लगा.

रीमा ने मस्ती मे उनके हाथ को अपनी भरी जाँघो मे भींच लिया.विरेन्द्र जी उसके होटो को छ्चोड़ उसकी गर्दन को चूमने लगे.हाथ अब जाँघो को मसलना छ्चोड़ उसकी पॅंटी तक पहुँच गया था.रीमा की हालत खराब हो गयी,वो जानती थी की थोड़ी देर मे वो झाड़ जाएगी & उस वक़्त उसे कोई होश नही रहता.अगर झाड़ते वक़्त वो चीख़ने लगी तो हॉल मे बैठे लोग क्या सोचेंगे.पर साथ ही साथ इस डर की वजह से उसे ज़्यादा मज़ा भी आ रहा था.

विरेन्द्र जी ने उसकी पॅंटी के बगल से अपनी उंगली अंदर घुसते हुए उसके चूत मे डाल दी.रीमा चिहुनकि & अपनी आह अपने हलक मे ही दफ़्न कर दी.विरेन्द्र जी उसके होंठ चूमते हुए उंगली से उसकी चूत को ऐसे चोदने लगे की साथ ही साथ उसका दाना भी रगड़ खा रहा था.थोड़ी ही देर मे रीमा ने अपना चेहरा उनकी गर्दन मे छुपाया & वाहा पे अपनी आहें दबाती हुई झाड़ गयी.

विरेन्द्र जी ने स्कर्ट से हाथ बाहर निकाला & उसे दिखाकर उसके रस से भीगी अपनी उंगली चाट ली.थोड़ी देर तक दोनो 1 दूसरे से सटे बैठे यूही फिल्म देखते रहे.विरेन्द्र जी उसके बालो को सहलाते हुए उसके अस्र को चूम रहे थे.उन्होने ने रीमा का हाथ उठाया & अपनी पंत मे बंद लंड पे रख दिया.रीमा पॅंट के उपर से ही लंड को मसल्ती रही.

विरेन्द्र जी ने जॅकेट पहन रखी थी,उन्होने उसे उतारा और सामने से ऐसे डाल दिया जैसे कोई कंबल ओढ़ता हो.रीमा ने ज़िप खोल लंड बाहर निकाल लिया & उस से खेलने लगी.विरेन्द्र जी उसकी बाँह के नीचे से हाथ घुसा कर उसकी शर्ट के उपर से ही उसकी चूची दबाने लगे.

रीमा के लंड हिलाने से विरेन्द्र जी झड़ने के करीब पहुँच गये थे,उन्होने आस-पास देखा,उनकी रो वाला जोड़ा 1 दूसरे मे गुम किस्सिंग मे लगा था,उन्होने जॅकेट सर्काई & रीमा का सर अपने लंड पे झुका दिया.लंड मुँह मे जाते ही उन्होने पानी छ्चोड़ दिया जिसे रीमा ने निगल लिया.उसके बाद पॅंट की ज़िप लगा दोनो ऐसे बैठ गये जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो.पूरी फिल्म के दौरान रीमा उनके हाथो दो बार और झड़ी.

"ये क्या कर रहे हैं?",रीमा ने उनका हाथ पकड़ लिया.

"डरो मत.",विरेन्द्र जी ने उसकी स्कर्ट मे हाथ घुसा उसकी गीली पॅंटी को बाहर खींच लिया & उसे मोड़ के अपनी जेब मे डाल दिया.फिल्म ख़त्म हुई तो दोनो हॉल से बाहर निकल आए.रीमा आज तक घर से बाहर बिना पॅंटी के नही आई थी & उसे थोडा अजीब लग रहा था.


KHILONA paart--9

"Maa ji ki aisi halat ke kaaran aap kafi pareshan rahte hai na."

"haa,vo to hai par main use bahut chahta hu.",unhone uske narm hontho pe apni 1 ungli firayi,"abhi hum dono ne jo kiya uske baad tumhe lag raha hoga ki main yu hi kah raha hu par aisa nahi hai,main sach me Sumitra ko bahut chahta hu."

Reema ko hotho me sihran mehsus hui to usne aankhe band kar li,"aisa mat sochiye,main samajhti hu aapki baat."usne Virendra ji ki hatheli chum li.unhone use upar khinch uska chehra apne chehre ke kareeb kar liya.ab reema ki chhatiya uske sasur ke seene pe dabi thi & vaha ke baalo ka gudgudata ehsas use bahut bhala lag raha tha.

"maa ji ki bimari ka karan to doctor sahab ne mujhe samjhaya tha par unhe koi tanav bhi tha kya jiski wajah se bimari ne ye roop ikhtiyar kar liya?",vo apni ungliyo se unke nipple ke gird dayra bana rahi thi & virendra ji 1 hath uske badan ke gird lapet uski gand sehla rahe the & dusre se uske masoom chehre ko.

"pata nahi,reema mere sukhi parivar ko kis ki nazar lag gayi!log kahte the ki mere 2 bete hain & main kitna kismatwar hu.par taqdeer ka khel dekho 1 beta jo mere sath rehna chahta tha,use maine khud apne se dur kar diya & dusra khud humse door chala gaya."

"aap shekhar bhaiyya ki baat kar rahe hain kya?par vo to yahi hain,kaha door hain aapse?",usne apne sasur ke gaal pe bade pyar se chuma,unke hath ab uski gand ko thoda aur zor se daba rahe the.

"main dilo ki duri ki baat kar raha hu.is ladke ko humne itna pyar diya,jaha tak ho saka iski har khwahish puri ki par na jane kyon ye itna matlabi ho gaya.",unhone uski gand ki darar me 1 ungli ghusa ke firaya to reema ne chihunk ke apni jangh unke upar chadha di.

"1 aam insan insan ke paas gairat ki daulat hoti hai & mere paas bhi vahi hai,reema.baap-dada ki thodi bahut daulat hai par maine to sirf izzat kamayi hai jise shekhar ne dhul me milane ki poosri koshish ki hai."

"kya?!aisa kya kiya hai bhaiyya ne?"

"use business karna tha,main paise dene ko taiyyar tha par use kewal paisa nahi mere ohde ka galat istemal bhi chahiye tha.maine is ke liye mana kar diya to aaye din ghar me hum dono ke beech bahas hone lagi.shayad isi baat ne sumitra ko tanav pahunchaya & vo aaj aise padi hai."

"bhaiyya ko dekh kar to aisa bilkul nahi lagta ki vo itne matlabi hain."

"main janta hu,reema.par tumhi batao ki agar shekhar 1 sharif ladka hai to aakhir mina ne,jisne apni pasand se shekhar se shadi ki thi,use kyu chhod diya?"

"kyu chhoda?",reema fir se mast hone lagi thi,uske sasur jitni sanjeeda baaten kar rahe the unke hath utni hi sanjeedgi se uski bhari gand ko masal rahe the.unhone ne uska hath apne chehre se hataya & pakad kar apne lund pe rakh diya to sharma ke reema ne apna hath kheench liya.unhone dubare uska hath apne lund pe daba diya & tab tak dabaye rakha jab tak reema ne apne hath se lund ko pakad kar hilana shuru nahi kar diya.pehli baar usne ravi ke alawa kisi aur mard ka lund apne hatho me liya tha,sharm se usne apna chehra virendra ji ki gardan me chhupa liya.

"mina & shekhar 1 dusre ko college ke dino se jante tha.uske pita S.K.Ahuja is shahar ke bahut jane-mane businessman hain.ahuja sahab ne jab suna ki unki ladki shekhar se shadi karna chahti hai to vo fauran taiyyar ho gaye,kewal isliye kyunki shekhar mera beta tha,us insan ka jiski imandari & gairatmandi ki log misal dete hain."

"..par is nalayak ne shadi ke baad mina ko pareshan karna shuru kar diya,us se kehne laga ki apne baap se uske liye paise maang ke laye.mina 1 khuddar ladki thi,fauran talaq de diya ise."

"ohh..",to ye baat thi.uska jeth itna doodh ka dhula nahi tha jitna vo khud ko dikhata tha.

virendra ji ne uska chehra apni gardan se uthaya & apni 1 ungli ko apne hotho se chum kar pehle uske hotho pe rakha & fir uske hatho me qaid apne lund ki nok pe.reema unka ishara samajh gayi,vo chahte the ki vo unke lund ko apne munh me le.sharm se 1 baar fir usne apna chehra unke seene me dafn kar diya.virendra ji ne uska chehra upar uthaya & minnat bhari nazro se use dekha par reema ne sharm se inkar me sar hila diya.

virendra ji use chhod uth ke palang ke headboard se tek laga ke baith gaye.ab reema unki bagal me leti thi,unhone use uthaya & apni tango ke beech lita diya.ab reema apne pet ke bal apni kohniyo pe unki taango ke beech leti thi & unka poori tarah se tana hua lund uske gulabi hotho se bas kuchh inch ki duri pe tha.reema samajh gayi ki aaj vo uske munh me is rakshas ko ghusaye bina nahi manenge.

virendra ji ne uski thuddi pakdi & apne lund ki nok ko uske hotho se sata diya,reema ne sharma ke munh fer liya.unhone fir se uska chehra seedha kiya & vahi harkat dohrayi,reema ne fir munh ferna chaha to unhone uske sar ko dono hatho me tham uski koshish nakam kar di & lund fir hotho se sata diya.reema samajh gayi thi ki vo us se bina lund chuswaye manenge nahi.usne supade ko halke se chum liya.

"aahhh..",virendra ji ki aankhe maze me band ho gayi.usne unke lund ko pakda & uske matthe ko halke-2 chumne lagi.virendra ji uske sar ko pakad uske baalo me ungliya firane lage.reema ne zindagi me pehli bar itna bada lund dekha tha.use uske sath khelne me kafi maza aa raha tha.vo kabhi uske chhed ko apni jibh se chhedti to kabhi kewal lund ke matthe ko apne munh me bhar itni zor se chusti ki uske sasur ki aah nikal jati.

usne jibh ki nok se lund ke sire se leke jad tak chata & fir jad se leke nok tak.fir unke ando ko pakad apne hatho se daba diya,virendra ji aankhe band kiye bas uski harkato ka lutf utha rahe the.aaj se pehle itni masti se kisi ne unke lund ko nahi choosa tha,sumitra ji ne bhi nahi.

vo betabi se apni bahu ke sar ko apne lund pe dabane lage to usne lund ko munh me bhare hue unki or shikayat bhari nigaho se dekha.unhone mafi mangte hue apni pakad dhili kar di.reema ne unke lund ko pakad ab unke ando ko munh me bhar liya to virendtra ji aah bharte hue apni kamar bechaini se uchkane lage.jab reema ravi ka lund munh me leti to thodi der chusne ke baad vo lund chhod uske badan ke sath koi aur masti bhari chhedkani shuru kar deti.par aaj to ye lund chhodne ka uska dil hi nahi kar raha tha.usne soch liya tha ki jab tak is lund ko apne munh me nahi jhadwayegi tab tak ise nahi chhodegi.

reema ne unke ande apne munh se nikale & unhe apne hatho me bhar liya & apne sasur ki nazar se nazar milati hui 1 bar fir lund ko apne munh me bhar liya,uski jibh lund pe badi tezi se ghum rahi thi.virendra ji ab khud ko rok nahi pa rahe the,unhone reema ka sar pakda & use apne lund pe dabate hue neeche se kamar aise hilane lage mano uske munh ko chod rahe ho.reema ne apne hatho se unke lund ko hilate hue apne munh me aadha lund bhar liya & apni jibh us pe chalate hue chusne lagi.

virendra ji uski is harkat se bekabu ho gaye & uske sar ko pakad uspe jhuk,uske sar ko chumne ki koshish karte hue,neeche se apni kamar hilate hue uske munh me jhad gaye.reema ne fauran unke pani ko gatak liya.lund munh se nikala to vo abhi bhi apna garam lava ugal raha tha,usne apni jibh se sara pani apne halak me utar liya.sasur ke jhade lund ko hatho me le usne chat-2 kar pura saaf kar diya & fir unki or dekha.

virndra ji ne khinch kar use uthaya & apni baahon me bhar uske chehre pe kisses ki jhadi laga di.

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parde se chhan kar aati roshni reema ke chehre pe padi to uski aankh khuli.usne dekha ki vo apne sasur ke bistar pe unke sath nangi padi hai.uske sasur ki baanh uske seene pe & unki tang uski kamar ke upar padi thi.kal raat unhone use 2 baar aur choda tha.apne sasur ke sath khud ko is haal me dekh use sharm aa gayi.vo unse alag ho uthne lagi to unki aankh khul gayi & vo use apne agosh me kheenchne lage.

"chhodiye na.uthiye,jakar taiyyar hoiye,daftar nahi jana hai?",usne unhe pare dhakela.

"sochta hu,aaj chhutti kar lu.",unhone use khinch uski gardan chum li.

"bilkul nahi,uthiye.jakar nahaiye.ganesh kaam karne aata hi hoga.",reema unki pakad se nikal bistar se utar khadi ho gayi.

"are ye to pahenti jao.",uske sasur ne uski kamar me hath daal use khincha & kal raat utari hui navel ring uski nabhi me pehnane lage.reema ne masti me aankhe band kar li & unka sar pakad liya.ring pahna jaise hi unhone uske pet ko chumte hue uski gand dabayi,vo jaise neend se jagi,"jaiye jakar nahaiye.",usne unhe pare dhakela & apne kapde utha hansti hui vaha se bhag gayi.

daftar jane se pehle virendra ji ne use pakadne ki kafi koshish ki par reema ne har bar unhe chakma de diya.dopahar ko jab vo khana khane aaye to ganesh fir waha mujood tha & vo man masoste hue kha kar vapas daftar chale gaye.

reema apna saman thik kar rahi thi.jab yaha aayi thi to usne socha tha ki dasek din se zyada vo yaha nahi rah payegi & usne apna sara saman khola bhi nahi tha,bas kaam layak kapde bahar nikale the.par ab to halaat bilkul badal gaye the.usne aaj apna sara saman khol almari me rakhne ka faisla kiya tha bas ravi ke saman ka 1 baksa usne vaise hi band chhod diya tha.

uske bistar pe uske kapde phaile the.shadi se pehle to vo bas sari ya salwar-kamiz pahanti thi par shadi ke baad ravi ne use har tarah ke kapde kharid ke diye-skirts,jeans,shirts,tops,dresses-vo use har libas me dkhna chahta tha.usne 4-5 mini-skirts & shorts ko utha almari ke shelf me rakha.ye skirts & shorts & baki chhote kapde vo kewal ghar me pehanti thi & record tha ki agar ravi ghar me hota to 15 minute me hi utar di jati.shuru me to use ghar me bhi aise kapde pehanane me sharm aati thi par baad me vo ravi ke sath bahar jate waqt ghutno tak ki dresses ya skirts pehanane lagi thi.

thodi hi der me lagbhag sare kapde kareene se almari me saje hue the.tabhi bahar virendra ji ki car rukne ki aavaz aayi to usne aakar darvaza khol diya & fir apne kamre me laut kar 1-2 bache khuche kapde rakhne lagi.

"kya kar rahi ho?",uske sasur ne use peechhe se apni mazbut baaho me bhar liya & uski gardan chumne lage.

"chhodiye na.dekhte nahi kapde rakh rahi hu."

"ye kya hai?",unhone paas me padi 1 skirt utha li,"ye tumhara hai?"

reema ne haa me sar hilaya.

"hmm.chalo ye pehan kar aaj ghumne chalo."

"pagal ho gaye hain."

"kyu?ye tum pehanti ho na.to aaj ye skirt & ye shirt pahan ghumne chalo."

"lekin-"

"lekin-vekin kuchh nahi.taiyyar ho jao.agar sumitra ki chinta kar rahi ho to zyada pareshan mat ho.jab tum yaha nahi thi to kitni hi bar mujhe use akele chhod kar kaam ke liye jana pada hai.use khana khila do & dawayen de do & fir taiyyar ho jao."

thodi der baad reema ghutno tak ki gehri nili skirt & aadhe bazu ki silk ki safed shirt me apne sasur ke samne thi.virendra ji kuchh der use sar se paanv tak niharte rahe & fir use chum liya,"bahar jana zaruri hai kya?"

"haa,zaruri hai.ghar me baithe bore nahi hoti tum.chalo aaj tumhe film dikha laoon.isi bahane aaj arse baad main bhi cinema hall ki shakl dekhunga.",virendra ji ne thode natkiya dhang se ye baat kahi to reema ko hansi aa gayi.

theater ki sabse aakhri row ki kone ki seats pe dono baithe the.hall me kuchh zyada bheed nahi thi & unke bagal ki 4 seats khali pad thi & uske baad 1 premi joda baitha tha jo apne me hi magan tha.lights off hote hi virendra ji ne apni baanh reema ke kandhe pe daal di & use apne paas khinch liya,"kya kar rahe hain?koi dekh lega?"

"yaha dekhne ke liye nahi vaha dekhne ke liye logo ne ticket kharide hain.",virendra ji ne parde ki taraf ishara kiya to reema hans di.

"oww..."

"kya hua?"

"ye hattha pet me chubh gaya."

"achha.",virendra ji ne dono ke beech ke kursi ke hatthe ko upar utha diya,ab reema unse bilkul sat ke baithi thi & vo use baaho me bhar chum rahe the.reema bhi unki kiss ka maza lete hue unke sar & pith ko sehla rahi thi.

chumte hue virendra ji ne apna 1 hath uske ghutne pe rakh diya,reema samajh gayi ki unka irada kya hai & unka hath vaha se hatane lagi.use darr lag raha tha ki kahi koi dekh na le.par virendra ji ne uski nahi chalne di unka hath ghutne ko sehlata hue uski skirt ke nadar ghus uski malai jaisi chikni janghe sehlane laga.

reema ne masti me unke hath ko apni bhari jaangho me bheench liya.virendra ji uske hotho ko chhod uski gardan ko chumne lage.hath ab jangho ko masalna chhod uski panty tak pahunch gaya tha.reema ki halat kharab ho gayi,vo janti thi ki thodi der me vo jhad jayegi & us waqt use koi hosh nahi rahta.agar jhadte waqt vo chikhe lagi to hall me baithe log kya sochenge.par sath hi sath is darr ki wajah se use zyada maza bhi aa raha tha.

virendra ji ne uski panty ke bagal se apni ungli andar ghusate hue uske chut me dal di.reema chihunki & apni aah apne halak me hi dafn kar di.virendra ji uske honth chumte hue ungli se uski chut ko aise chodne lage ki sath hi sath uska dana bhi ragad kha raha tha.thodi hi der me reema ne apna chehra unki gardan me chhupaya & vaha pe apni aahen dabati hui jhad gayi.

virendra ji ne skirt se hath bahar nikala & use dikhakar uske ras se bheegi apni ungli chat li.thodi der tak dono 1 dusre se sate baithe yuhi film dekhte rahe.virendra j uske baalo ko sehlate hue uske asr ko chum rahe the.unhone ne reema ka hath uthaya & apni pant me band lund pe rakh diya.reema pant ke upar se hi lund ko masalte rahi.

virendra ji ne jacket pahan rakhi thi,unhone use utara aur samne se aise daal diya jaise koi kambal odhta ho.reema ne zip khol lund bahar nikal liya & us se khelne lagi.virendra ji uski banh ke neeche se hath ghusa kar uski shirt ke upar se hi uski choochi dabane lage.

reema ke lund hilane se virendra ji jhadne ke kareeb pahunch gaye the,unhone aas-paas dekha,unki row wala joda 1 dusre me gum kissing me laga tha,unhone jacket sarkai & reema ka sar apne lund pe jhuka diya.lund munh me jaate hi unhone pani chhod diya jise reema ne nigal liya.uske baad pant ki zip laga dono aise baith gaye jaise kuchh hua hi na ho.puri film ke dauran reema unke hatho do baar aur jhadi.

"ye kya kar rahe hain?",reema ne unka hath pakad liya.

"daro mat.",virendra ji ne uski skirt me hath ghusa uski gili panty ko bahar khinch liya & use mod ke apni jeb me dal diya.film khatm hui to dono hall se bahar nikal aaye.reema aaj tak ghar se bahar bina panty ke nahi aayi thi & use thoda ajeeb lag raha tha.











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj

































































































































































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