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चुदाई का सिलसिला पार्ट -11
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक बार फ़ि इस पार्ट को लेकर आपकी अदालत मैं हाजिर हूँ
मन ही मन तो मुस्कान भी दुबारा चुदाई चाह रही थी....उसकी छूट की खुजली भी अभी तक पूरी तरह से नही मिटी थी.....चुदाई का जीयादा समय तो दर्द सहने मैं ही गुजर गया था.........वह मन ही मन चाह रही थी की शास अपना तना हुवा ये लंड एक ही झटके मैं उसकी चूत मैं डाल कर चोद दे....पर शर्म- हया के कारण वह कुछ नही कह पा रही थी....दोस्तो .ये भी अजीब दास्तान है चूत की जब तक चुदी नही थी....तब तक उसे लंड की एच्छा कभी नही हुई....अओर अब चुद चुकी तो लॅंड खाने की एच्छा अओर बढ़ गई......मगर मुस्कान अपने पर काबू रखते हुए बोली .......
मुस्कान...शास अब रहने दो....कोई आ गया तो वास्तव मैं गड़बड़ हो जाएगी....
शास. ओ भी समझा रहा हूँ पर ये तो अभी भी नही मान रहा है....एस्को कैसे सम्झाउ....????
मुस्कान...ये कया कह रहा है.....???
शास ...तुम्हारी चूत का पानी एक बार अओर पीना चाहता है.....
मुस्कान...इसे मेरी चूत का पानी इतना पसंद आ गया कया...???
शास...तभी तो झटके खा रहा है......
एन सब बातों के साथ साथ शास के हाथ अओर मूह अपना काम भी कर रहे थे.....उसके हाथ मुस्कान की चुचियाँ मसल रहे थे अओर उसका मूह उसके होंठ अओर चुचियाँ बारी बारी से पी रहे थे......मुस्कान की चूत भी लगातार पानी छोड़ रही थी.....अओर उसके दरवाजे जल्दी-जल्दी खुल व बंद हो रहे थे......
मुस्कान...शास प्लीज़ अब रहने दो...देखो कितनी देर हो गयी....अब सब लोग आने वाले होंगे....???
शास...अच्छा मुस्कान एक काम करते है...जैसे दारू पीने वालों के लिए , पटियाला पेग, मीडियम पेग, अओर स्माल पेग होता है, जैसे बोतल, अध्धा, अओर क्वॉर्टर होता है, वैसे ही इस बेचारे को बस एक स्माल पेग पीला देते है......???
मुस्कान...मुस्कान जानती थी...कि अब शास उसे दुबारा चोदने की पूरी तय्यारी कर चुक्का है...अओर वह भी तो पूरी तरह से तय्यार हो चुकी थी.....पर फिर भी मुस्कुराते हुवे बोली.....ठीक है जल्दी से स्माल पेग से ही काम चला लो.....उसकी चूत मैं भी तो सुरसूराहट मची हुई थी.....वह भी कहाँ शास को छोड़ना चाहती थी.....मगर हाई रे समय...अगर ये समय यहीं रुक जाता तो कितना अच्छा होता....मगर मजबूरी ये सब उनके हाथ मैं नही था...........
शास...तो एंतजार कर रहा था....उसने तो पूरी तय्यारी कर ली थी...उसका लंड भी मुस्कान की चूत को लगातार छू रहा था...अओर अंदर जाने के लिए झटके खा रहा था.....मुस्कान की चूत भी दरवाजा खोलकर खड़ी थी....अओर उसे अंदर आने के लिए कह रही थी.....पानी पीने अओर पीलाने के लिए.....
शास अओर मुस्कान दोनो ही चाह रहे थे....उनकी गरम साँसें उनके सरीर मैं बहते खून की रफ़्तार तेज हो चुकी थी....उनकी धड़कने बढ़े चुकी थी.....मुस्कान की चूत के मूह को छूता हुवा शास के लंड का सूपड़ा....हल्के से दबाव का एंतजार कर रहा था......दोनो शरीरो की आग भड़क चुकी थी.....रूम मैं वही सिसकारियाँ...कामुक महॉल....थर-थराते होंठ .....
शास...मुस्कान की बोझिल आँखों मैं झाँकते हुवे....कया तय्यार हो...????
मुस्कान...????????????????????
शास...मुस्कान बोलो ना...तय्यार हो कि नही...???
मुस्कान...कया सभी कुछ मूह से ही कहा जाएगा कया???....तुम्हे तो शर्मा आती नही...???? मुस्कान ने आँखें बंद कर ली थी........मुझे भी बेशर्म बनाकर ही छोड़ोगे......शादी भयया- भाभी की है अओर सुहाग-रात मनाने मैं तुम लगे हो................कया पूरी रात ही????????????????
शास ने अपने लंड का सूपड़ा...मुस्कान की चूत पर ठीक से अड्जस्ट किया.....मुस्कान के सरीर मैं सिहरन सी दौड़ गई.....उसकी चूत ने मूह खोल लिया था...जैसे वो जन्मो की पयासी हो...अओर एंतजार था....शास के लंड का अंदर घुसने का......
शास...हैं मुस्कान अगर तुम कहो तो मैं तुम्हे पूरी रात ही चोदना चाहता हूँ.....
मुस्कान...सारी रात को छोड़ो....अब जो करना है...जल्दी से कर लो.....???
शास...जो होकम जाने जा....ए ये लो....अओर शास ने एक जूरदार धड़क्का लगा दिया....
मुस्कान की चीख निकल गयी.....पर शास का पूरा लंड मुस्कान की चूत मैं समा चुक्का था.....आआआआआआआआहह आआआआआआआईईईईईईईसस्स्स्स्स्स्स्
मुस्कान...शास कया मार ही डालोगे...????
शास...कियूं कया हुवा....??? अब तो पूरा रास्ता खुला हुवा था........
मुस्कान...पर तुम्हारा लंड तो मानो अओर मोटा हो गया है.....आआआआआअहह.
शास अओर मुस्कान की ये चुदाई लगभग 24-30 मिनिट्स तक चली....कामुक आवाजो अओर सिसकारियो के बीच दोनो पानी छोड़कर शांत हो गये......अओर एक दूसरे की बाहों मैं लेयटे रहे..................
कुछ देर के बाद मुस्कान ने शास को बाहर भेज दिया कहीं कोई आ ने जाए....अओर स्वयं गद्दे पर फ्रेश होकर लेट गयी....मुस्कान आज बहुत खुस थी....उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे.....उसकी चूत कुछ सूज गयी थी अओर दुख भी रही थी...फिर भी मुस्कान खुस थी....अओर ने जाने कब मुस्कान को नींद आ गयी...........................
शास...मुस्कान के कमरे से धीरे से निकल कर सीधा घर गया, अओर सीमा दीदी जो अब फेरों (मनडेप) मैं बैठ चुकी थी ....की नज़रों से खुद को बचाता हुवा...उपेर के रूम मैं चला गया...अओर बेड पेर लेट गया.....मुस्कान के बारे मैं सोच्चते हुवे ने जाने कब शास को भी नींद आ गयी.........
जब शास की आँखें खुली तो मॉर्निंग के 4 बज चुके थे अओर सीमा दीदी उसे जगा रही थी....
शास ने आँखें खोल कर देखा तो सामने सीमा दीदी खड़ी थी....शास जल्दी से उठ बैठा....
शास...कया हुवा दीदी...????
सीमा...तुम कहाँ थे शास...???? मैं तुम्हें कब से ढूँढ रही थी...???
शास...मैं तो यही था दीदी....उपेर आया अओर लेट गया तो नींद आ गयी...........
सीमा...अओर मुस्कान कहाँ है..???
शास...मुझे कया मालूम दीदी....??? मैं तो आपके पास से आकर लेट गया था...उसके बाद मुझे कुछ नही पता.......
सीमा...तुमने बहुत बड़ी ग़लती की शास....??? तुम्हे तो मुस्कान को भी चोदना चाहिए था....
शास...मगर कियूं दीदी...???
सीमा...बस ये समझ लो की ये मेरी एच्छा थी.....तुम दुबारा मुझे नज़र ही नही आए.....???
शास...दीदी रात भर तो आप के साथ रहा अओर उसके बाद पूजा जी आ गयी...एसलिए थकान से नींद आ गयी थी......
सीमा... वो तो ठीक है...पर मुझे बता तो देते की मैं उप्पेर जा रहा हूँ....मैं तुम्हें किशी के द्वारा बुलवा लेती.....????
शास...मैने समझा कि मैं मुस्कान को टाय्लेट ले गया था एसलिए आप मुझसे नाराज़ है एसीलिए मैं सीधा यहीं चला आया था......
सीमा का चेहरा अभी भी उदास था....उसके मन मैं कया चल रहा है...ये अंदाज़ा लगाने की शास कोशिस कर रहा था.....शायद सीमा के सोचेने का केंद्र अभी मुस्कान ही थी.....
सीमा परेशान थी कि एक अच्छा मौका उसके हाथ से निकल गया है.....अगर आज कहीं शास ने मुस्कान को चोद दिया होता तो......?????? बाजी उसके हाथ मैं होती......अओर वह ससुराल मैं मुस्कान को अपने मर्ज़ी से नचा सकती थी.......मगर अब सब हाथ से निकल चुक्का है.....
सीमा...नही शास मैं तुमसे नाराज़ कियों होती...???? मैने ही तो तुम्हे मुस्कान के साथ टाय्लेट करने के लिए भेजा था.....हां...मैं एसलिए ज़रूर तुमसे नाराज़ हूं की तुमने मुस्कान को चोदने का एक अच्छा मौका खो दिया........
शास...तो कया हुवा दीदी....??? कया मुस्कान को चोदना ज़रूरी था....????
सीमा...हा शास मुस्कान तो चुदना ज़रूरी था.....कया तुम मेरी ये छोटी सी एच्छा भी पूरी नही कर सकते थे....????
शास...मैं कया करता दीदी...??? कया मुस्कान को ज़बरदस्ती चोद देता...???? टाय्लेट जाते-आते हुवे उसने तो कोई बात नही की...????
सीमा...ठीक है उसने कोई बात नही की.....पर तुम्हें तो करनी चाहिए थी.....अओर मैं ये जानती हूँ की वो तुमसे चुदना चाहती थी...जब तुम दोनो टाय्लेट से आए....तुम्हारा ये लंड क्यों खड़ा था....अओर उसका चेहरा कियूं लाल था.....???? मैं जानती हूँ शास तुम भी उसे चोदना चाहते थे अओर वह भी तुमसे चुदना चाहती थी....पर तुम्हारी एक छोटी सी भूल ने सारा काम खराब कर दिया........तुम्हे वहाँ से नही जाना चाहिए था......
शास...हां दीदी मैं तो उसे चोदना चाहता था...पर तुमसे डर लगता था.....कही आप नाराज़ ना हो जाए...आपकी एक्लोति ननद जो थी मुस्कान...??? अओर फिर.आपने भी तो मुझे कोई एशारा नही किया जिससे मैं समझ पाता.....कि मुस्कान को चोदना है....???? पर दीदी मुस्कान के बारे मैं हम कैसे कह सकते है कि वो भी चुदना चाहती थी.....????
सीमा...मैने उसके चेहरे को देखकर ये जान लिया था...आख़िर मैं भी एक लड़की हूँ...??? अओर फिर तुम्हारे जाने के बाद वह काफ़ी उदास थी अओर तुम्हारे बारे मैं ही सोच रही थी......उसने कई बार तुम्हारे बारे मैं बात भी की....उसकी आँखें लगातार तुम्हें ही ढूँढ रही थी....ये मैं जान चुकी थी.....पर तुमने वहाँ से जाकर बड़ी ग़लती की....अओर फिर लौट कर भी नही आए.....एसे भी मैं अनुमान लगा सकती हूँ....कि वो भी तुम्हारे लिए परेशान थी....????
शास...सॉरी दीदी...पर अब मैं कया कर सकता हूँ....???????????
सीमा...कोई बात नही..शास....मैं ही देखती हूँ.....अगर अब मौका मिले तो चूक मत जाना ....अओर हा.....उसे चोद्कर मुझे बताना मत भूलना....मैं अब जाती हूँ नीचे सब मेरा एंतजार कर रहे होंगे....बिदाई का समय हो चुक्का है शास जब तक मैं ससुराल से लौटकर ना आउ तुम यही पर रहना.....मैं फोन कर दूँगी यहाँ पर पूजा तुम्हारा ध्यान रख्खेगि........???? कह कर सीमा जल्दी से रूम से निकल गयी...........................
अओर शास सोच रहा था की ....जिस मुस्कान को चुदवाने के लिए दीदी एत्नि परेशान है.... उनके चेहरे की रोनक गायब है.....वो तो बेचारी चुद भी चुकी है....ये शास भी तो मज़े लूट चुक्का है....पर दीदी सायेद अब इस संबंध मैं तुम्हारी तमन्ना पूरी हो या नही...ये कह नही सकता हूँ......तभी शास के दिमाग़ (मन) मैं बिजली सी कोंध गयी....????
शास उठो चलो एक बार अओर मुस्कान को सावधान कर दो....सीमा दीदी से वो सावधान रहे.....पता नही कब-कहाँ उस बेचारी मुस्कान को दीदी फँसा दे...???? उसे बता दे शास कि वो सीमा दीदी से बचकर ही रहे.........अओर शास तुरंत उठा अपुर कपड़े पहन कर रूम से बाहर निकल गया.......वह जानता था की मुस्कान के पैर की चोट अभी ठीक नही हुवी है.....अओर वह जनवासे के सिवाय अओर कही नही जा सकती है....एसलिए शास के कदम जनवासे की तरफ मूड गये......
शास ने जनवासे मैं आकर देखा....काफ़ी भीड़-भाड़ हो रही थी....सभी बिदाई की तय्यारी मैं लगे थे......अपना अपना समान एकट्ठा कर रहे थे.....कुछ लड़के दूल्हे के साथ घर की अओर किशी आखरी रस्म को पूरी करने के लिए जा रहे थे.....शास एधर उधर देखता हुवा सीधे उसी रूम मैं चला गया जिस मैं मुस्कान थी....उसके पास कुछ लड़कियाँ बैठी थी..........फिर भी शास उसके पास चला गया....
शास....अब कैसी हो मुस्कान जी.....????
मुस्कान...ओह! शास तुम....??? अब पहले से ठीक है...दर्द भी कम है....मुस्कान ने अपनी सहेलियों की अओर मूह करके सभी लड़कियूं को बताया की ये शास....सीमा भाभी की बुआ जी के लड़के है......अओर शास ये मेरी फ्रेंड्स है......सभी लड़कियो ने शास की अओर मुस्कुरकर देखा.....शास ने हाथ जोड़ दिए......मुस्कान ने आगे बताया जब कल मेरे चोट लग गयी थी तो शास ने मेरी एधर उधर जाने मैं काफ़ी मदद की....
मुस्कान...बैठो शास...
शास...जी....अओर शास वही पर बैठ गया....आप लोगो ने चलने की तय्यारी कर ली...???
मुस्कान...जाना तो है ही....
एक लड़की...कहो तो मुस्कान को यही छ्चोड़ दे...??? इस पर साभी बाकी लड़कियाँ ज़ोर से हंस पड़ी...अओर शास झेप गया.....उसने मूह नीचे करके कहा...मेरा ये मतलब नही था....
दूसरी...तो कया मतलब था आपका शास जी...????
शास...जी वो......???? अचानक हुवे इस हमले का कोई उत्तर नही सोच पा रहा था.....फिर धीरे से बोला जी मेरा मतलब था की रात हुई उस घटना के कारण आपलोग शादी को एंजाय नही कर पाए....इसका हमे दुख है.....
मुस्कान...ये सीधा सादा शास...कियूं इसका मज़ाक बनाना चाहती हो....???
लड़कियाँ...अच्छा जी सीधा-साधा शास.....ओह!!!! अब पता चला हमे..........अओर सभी खिल-खिला कर हंस पड़ी मुस्कान अओर शास दोनो ही शर्मा गये....कहते है जहाँ गहर होती है पानी वही भरता है.... शास अओर मुस्कान को लगा जैसे उनकी चोरी पकड़ी गयी हो....एसलिए मुस्कान ने झल्लाकर लड़कियो को डाँट दिया.....अच्छा चलो जाओ यहा से....
लड़कियाँ...हम तो मज़ाक कर रहे थे तुम तो बुरा मान गई....सॉरी यार....
शास...कोई बात नही...मुस्कान जी कया हुवा...करने दो ना एन्हे मज़ाक......इस पर फिर से सभी खिल-खिला कर हंस पड़े......मुस्कान शास से कुछ पर्सनल बात करना चाहती थी पर वो समझ नही पा रही थी कि के करे....याहि हाल तो शास का भी था...वह नही समझ नही पा रहा था कि मुस्कान को कैसे बताए कि सीमा दीदी से सावधान रहे....एशी कसमकास मैं दोनो...कुछ बोल ही नही पा रहे थे....पर जब लगान सच्ची होती है तो कोई ना कोई रास्ता निकल ही आता है.... तभी मुस्कान की मुम्मी ने आकर सभी लड़कियो से कहा....
मूमी...लड़कियूं चलो...दुल्हन की बेदाई के समय तो वहाँ पर रहो....फ़िजूल बाते बाद मैं कर लेना........बेटी मुस्कान कया तुम भी जाओगी...???
मुस्कान...नही मम्मी मैं नही जाओंगी...चलने मैं अभी परेसानी होती है......
मूमी...ठीक है तुम यहहीं बैठो...हम अभी आते है....ये लड़का कौन है...???
मुस्कान..ममी ये शास है....भाभी जी की बूवजि का लड़का...मेरी चोट के बारे मैं पूछने आया था.....
शास...मौसी जी नमेस्ते ....शास ने हाथ जोड़कर कहा....अओर उठने लगा.....
मूमी... जीते रहो... बैठो बेटा तुम यहीं मुस्कान के पास ये अकेली रह जाएगी ....हम सभी अभी आते है.......
अंधे को कया चाहिए दो आखें...शास अओर मुस्कान दोनो तो यही चाहते थे....जैसे ही मम्मी मुड़कर गई दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा अओर मुस्कुरा दिए......
मुस्कान...कैसे हो शास...???
शास...मैं अच्छा हूँ तुम अब कैसी हो....??? रात मैं जीयादा दिक्कत तो नही हुई...???
मुस्कान...मुस्कुरकर आँखों की बिजलियाँ शास पर गिरा दी अओर बोली... दिक्कत तो तुम दूर कर गये थे....उसके बाद तो हम आराम से सोए..........
शास...ने एधर-उधर देखा अओर मुस्कान के होंठ चूम लिए..........कहो तो एक बार अओर दिककात को दूर कर दे..????
मुस्कान...बड़े बेशरम हो मौका मिलते ही..........???? वास्तव मैं दिक्कत दूर करनी है तो हमारे घर आना......मुस्कान ने शास को खुला निमंत्रण दे दिया....????
शास...जानती हो वहाँ दीदी होंगी....???
मुस्कान...तो कया हुवा....????
शास...यही तो बताने आया था...की ज़रा दीदी से सावधान रहना.....उन्हे कोई भी आपनी राज की बात मत बताना.....वेर्ना वे आपको हमेशा ब्लॅकमेल करती रहेगी.....???
मुस्कान...तुम्हें कैसे पता...???
शास...मुझ पर विस्वास है...???
मुस्कान...अपने से जीयादा हो गया है...
शास...तो फिर मेरी बात का धयान रखना...दीदी तुम्हारी किशी भी कमज़ोरी का फायेदा उठाने के लिए हर पर्यत्न करेंगी....बस तुम सावधान रहना.....उन्है कोई भी आपनी बात मत बताना....अओर मेरे बारे मैं उनसे कम ही बात करना....
मुस्कान...कया कह रहे हो शास....भाभी भला एसा कियूं करेंगी....????
शास...तुम कितने भोली हो मुस्कान....तुम नही जानती....वो तुम्हे बस मैं रखने के लिए तुम्हे किशी से भी चुदवा सकती है.....अगर तूने अब भी मेरी बात नही मानी तो बाद मैं पछताॉगी........
मुस्कान...ठीक है शास....मैने तुम्हारी बात मान ली....मैं हमेशा एस बात का ध्यान रकखूँगी कि मेरी हर बात उनसे राज़ ही रहे....
शास...थॅंक्स मुस्कान...अब मैं चलता हूँ....कभी फिर मुलाकात होगी......
मुस्कान...खाली ही चले जाओगे...???
शास...नही तुम्हाई यादें...अओर प्यार है मेरे साथ....अओर एक बार अओर मुस्कान के होंठ चूम लिए....मुस्कान ने भी शास के होंठ चूमकर....ये हमेशा याद रखना....अओर जब भी मेरी याद आए तो हमारे घर चले आना....एसके बाद शास मुस्कान के रूम से बाहर निकल गया.........................
शास जब घर पहुँचा तो बिदाई की सभी तय्यारिया हो चुकी थी.....सीमा दीदी दुल्हन के लिबास मैं लिपटी हुई थी.....ना जाने सीमा ने शास को कैसे देखा लिया...सायेद उसकी आँखें शास को ढूँढ रही हो....सीमा दीदी की एक फ्रेंड शास के पास आकर बोली ....शास तुम्हें सीमा बुला रही हैं....शास सीमा दीदी के पास चला गया.....आपने बुलाया दीदी..???
सीमा...हां शास....कल से देख रही हूँ...तुम मेरे पास कम ही आते हो...कया बात है....???? कहाँ रहते हो...????
शास...नही दीदी ऐसी तो कोई बात नही...बस भीड़-भाड़ मैं सायेद....मैं आपको नज़र ना आता हूँ......मैं तो आपके आसपास ही रहता हूँ.....
सीमा...नही शास....ये बात नही है...मुझे तुम्हारे मैं कुछ बदलाव सा नज़र आ रहा है.....जब से तुम मुस्कान से मिले हो...मुझ से कुछ दूर-दूर रहने लगे...कया ये झूठ है....???
शास....नही दीदी एसा नही है...मैं खुद ही आपको मिस कर रहा हूँ...आप तो भीड़-भाड़ मैं रहती है मैं कुछ मन की बात भी नही कर पाता हूँ....फिर आपको तो जीजाजी का लंड रात मैं मिल जाएगा...लकिन मेरा लंड तो आपने भी प्यासा छोड़ दिया था......बस मैं प्यासा ही एधर उधर घूमता रहता हूँ.....
सीमा...सीमा के चेहरे पेर लालिमा दौड़ गयी...आँखें कुछ पल के लिए झुक गयी...फिर आँखें उठा कर शास की अओर देखा....मुझे बहुत मिस करते हो....???
शास...जी दीदी..............
सीमा...बस दो दिन की ही तो बात है.....उसके बाद तो मैं लौट अवँगी...तुम जिभरकर प्यास बुझा लेना....अओर मुस्कुरा दी......
तभी सीमा के पास बहुत सी लॅडीस आ गयी अओर उनकी बाते बंद हो गयी.....बाहर दुल्हन के लिए गाड़ी सजकर तय्यार खड़ी थी....सभी वहाँ पर अब दुल्हन के आने का एंतजार कर रहे थे....कुछ लड़कियो ने सीमा को पकड़कर उठाया अओर गाड़ी की अओर लेकर चलने लगी....अब सुरू हुवा...रोने-धोने का सिलसिला.....एक दूसरे के गले लगकर सीमा दीदी भी घुघंट मैं रो रही थी....सभी ओरतो (लॅडीस) की आँखें भी गीली हो गयी थी....अओर सीमा को एक दुल्हन की ही तरह सजी हुई गाड़ी मैं बिठा दिया गया....ढेरो आशीर्वाद दूल्हा-दूल्हें के लिए सभी सगे-संबंदियों ने दिए.....फिर दूल्हा भी सीमा की बगल मैं बैठ गया....अओर गाड़ी चल दी......कुछ दूर जाकर गाड़ी रुकी...कुछ बड़े-बाजुर्गो मैं गुफ्तगू हुई...अओर फिर गाड़ी चल दी.....अओर सीमा दीदी बाबुल का घर छोड़ कर चली गयी....ससुराल.....
उसके बाद सभी लौट आए अओर दूसरे कार्यो मैं लग गये.....कुछ मेहमान अपने घर जाने की तय्यारी मैं जुट गये.....दोपेहर होते-होते घर मैं सन्नाटा छा गया था....मेहमान जा चुके थे...अओर घर के लोग....खाना खाकर सोने चले गये थे रात भर के जागे हुवे जो थे.....अब वहाँ पर चालपेहल सब ख़तम हो चुकी थी....रह गया था एक सामान्य सा घर......जहाँ पर कुछ खास घर के मेहमान ही बचे थे...शास जब से आया था....पहले सीमा दीदी अओर बाद मैं मुस्कान से ही जुड़ा रहा उसे मालूम ही नही चला की शादी मैं कॉन-कोन खास मेहमान आए थे....यहाँ तक की वह अपनी मौसी अओर उनकी दो बेटियों अओर एक बेटे से भी नही मिल पाया था....हा शादी मैं देखा ज़रूर था.....हाई-हेलो भी हुई थी......पर उनके लिए समय उस समय नही था शास के पास......
शास की मालती मौससी की दो बेटियाँ.....कंचन अओर पायल सेकेंडरी अओर सीनियर सेकेंडरी की स्टूडेंट थी थी बेटा....अभी छोटा था....जो 4र्थ या 5थ का ही स्टूडेंट था......बच्चे मौससी की ही तरह सुंदर थे.......शास भी उप्पेर के रूम मैं गया जहाँ से उसकी सीमा दीदी अओर पूजा की यादें जुड़ी थी.....उसने देखा.....कि वहाँ शास की मम्मी, मौससी अओर उनके तीनो बच्चे सो रहे थे.......दोनो बेड फुल थे.....शास ने एक चटाई उठाई अओर एक तरफ डालकर वहीं पर लेट गया.....कुछ ही देर मैं उसे भी नींद आ गयी...... नींद आते ही शास के ख़यालों मैं.....मस्त मुस्कान चली आई...अओर उसकी सुगंधित टाइट गुलाबी चूत.......उसके गोल-गोल सॉलिड बूब्स.....शास को नींद मैं भी लुभाने लगे....शास के सरीर मैं......सुरसूरहट सी होने लगी......अओर उसका लंड पेंट मैं ही बॅमबू बन गया....जो पेंट की चेन को तोडने का पारियास कर रहा था....अओर शास नींद मैं भी मस्त मुस्कान के सरीर से खेलता रहा.....अओर उसका लंड झटके ख़ाता रहा........
शाम के लगभत 4 बजे थे कि कंचन टाय्लेट के लिए उठी...अओर बाथरूम की तरफ जाते हुवे उसकी नज़र शास पर पड़ी जो फर्श पर चटाई बिछा कर सो रहा था.....पर जैसे ही उसकी नज़र शास के बॅमबू बने लंड पर पड़ी तो कंचन के सरीर मैं ल़हेर सी दौड़ गयी...शरम से उसका चेहरा लाल हो गया.....अओर वह तुरंत ही बाथरूम मैं चली गयी.....बाथरूम मैं जाकर कंचन ने अपना चेहरा मिरर मैं देखा.....उसकी गालो पर शुर्खी बता रही थी....कि उसे उस चीज़ का अहसास होने लगा था....जो योवेन आने के बाद होता है....कई बार स्कूल जाते हुवे लोकल बस मैं.....कई लंड उसकी गांद को रगड़ चुके थे.....अओर उस समय उसने चूत मैं गीलापन महसूस किया था.....मगर आज का अहसास कुछ अलग ही था....उसके सरीर की शिहरन...उसकी चूत का गीलापन कुछ अओर ही संकेत दे रहे थे......कंचन ने शीशे के सामने ही अपना ट्रोवजेर अओर पॅंटी नीचे खिसकाई.....अओर अपनी कोरी....मुलायम बालों वाली चूत को देखकर खुद ही शर्मा गयी.....अओर अनायास ही उसका एक हाथ उसकी चूत पर घूमने लगा था....उसकी बुर अओर गीली हो चली थी......एक लंड के अहसास ने उसकी बुर मैं हल्की हल्की खुजली कर दी थी.....की उसकी एक उंगली बुर के छेद पर हरकत करने लगी.....मदहोश होती कंचन.....क्लिट को छूकर छेद पर रखी उंगली.....उसकी उत्तेजना अनायास ही बढ़ गयी थी....अओर उंगली बुर के छेद मैं धीरे धीरे अंदर बाहर होने लगी थी....जिंदगी का पहला हस्त-मेथुन......बुर से बहता पानी.......एक अजीब अनुभव.....पूरे सरीर मैं अजीब सी एइन्ठन.....कंचन की उंगली की अचानक स्पीड बढ़ गयी....शुर्ख होता चूत का गुलबीपन.....फिर अचानक कंचन की नज़रे शीशे (मिरर) पर पड़ी तो वो अओर शर्मा गयी....उसकी चूत से गरम गरम लिसलिषा पानी उसकी उंगली को गीला कर चुक्का था.....कंचन ने अपने आप को बड़ी मुस्किल से रोका.....अओर टाय्लेट शीट पर बैठ कर अपनी बुर को ठंडे ठंडे पानी से धोया.....अओर टाय्लेट करके उठी....अपने चेहरे को भी धोया.....तब जाकर कुछ नर्माल महसूस किया.....अओर बाथरूम से बाहर निकल आई.....टवल से चेहरा सॉफ कर वह जाकर फिर से पायल दीदी के पास लेट गयी.....अभी भी बार बार उसकी निगाहें शास के बॅमबू बने लंड की अओर घूम जाती थी......फिर कंचन ने अपना एक पैर पायल दीदी के उप्पेर रख कर उधेर करवेट ले ली......मगर उसके जेहन मैं शास का लंड नाच रहा था......अओर उसका एक हाथ पायल की भारी –भारी गोल-मटोल टाइट चुचि पर आकर अपना हल्का मगर लगातार दबाव बढ़ा रहा था....अओर उसका घुटना पायल की जांघों के बीच एक गुदगुदी उभार को महसूस कर रहा था.........
कंचन एक बड़ी ही सुन्दर लड़की थी, उसकी लंबाई लगभग 5.5 इक-हरे शरीर की मलिक, बड़ी-बड़ी आँखें गुलाबी सुर्ख होत किशी को भी अपनी अओर आकृषित कर लेते थे.....उसके रूप-रंग के कई दीवानो ने उसके एर्दगिर्द मंडराना सुरू कर दिया था....पर कंचन ने आज तक किशी भी लड़के को भाव नही दिया था......वेशे तो स्कूल की कयि सहेलिया थी.....पर उसकी अपनी बड़ी बेहन पायल से ही जीयादा पट ती थी....दोनो साथ साथ स्कूल जाती-आती थी.....रास्ते मैं कई बार कुछ लड़को ने उन पर डोर डालने का पारियास किया.....पर उन्होने कभी किशी लड़के को महत्व नही दिया......एस्की एक वेजह पायल थी....पायल बड़ी ही सोमय लड़की थी....उसकी हाइट भी अच्छी थी....गोरा साफ सुथरा सरीर....नक्श बड़े ही लुभावने थे......पर उनकी मम्मी मालती जो उन्हे शिक्षा देती थी......पायल उसका ही अनुसरण करती थी.....एसीलिए आज तक वे दोनो बहने एस दुनिया की चमक-दमक से दूर ही रहती थी.....वैसे पायल का योवेन पूरे शबाब पर था....उसकी चुचियाँ काफ़ी भारी पर सॉलिड थी....चुचियो पर छोटी-छोटे ब्राउन निप्पेल्स उनकी सोभा मैं चार चाँद लगाते थे....उसके चूतड़ भी कंचन से कुछ भारी थे,,,पर कमर दोनो की ही पतली थी....पायल जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी....अओर कंचन जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी.....पर आज उसके सरीर के वेर्ताव ने उसे भी अहसास करा दिया था कि....वो इतनी जवान हो चुकी थी....कि उसकी चूत लंड के लिए बैचेन होने लगी थी.......
कंचन के हाथों का दबाव.....पायल ने अपनी चुचियो पर महसूस किया....उसकी फूली हुई चूत भी अपने उप्पेर दबाव महसूस कर रही थी......पायल की नींद टूट चुकी थी....पर अभी उसने आखें नही खोली थी......कंचन के हाथ कभी कभी पायल की चुचियो के निपल को छेड़ रही थी.....पायल सोच रही थी कि आज कंचन को कया हुवा...एसा तो उसने पहले कभी नही किया.....वे दोनो बरसों से साथ ही सोती थी....पर आज कंचन का बर्ताव पायल को कुछ अलग ही लग रहा था......उसने कांचेन को रोकने की चेस्टा नही की सायेद उसे कंचन का ये बर्ताव अच्छा लग रहा था.....कुछ ही देर मैं पायल ने भी अपनी चूत मैं गीलापेन महसूस किया.....कंचन के पैर का घुटना उसकी चूत की क्लिट को कभी कभी छू जाता था.....पायल भी आँखें बंद किए हुवे....कंचन के खेल का आनंद ले रही थी....तभी उसे लगा की उसकी बुर से कुछ निकल रहा है......एक खिचाव सा उसके सरीर मैं हुवा....अओर चूत मैं कुछ होने लगा....जैसे उसका टाय्लेट निकलने ही वाला है.....पर एक अजीब आनंद ने उसे रोके रखखा.....तभी उसे उसकी चूत से गरम..गरम पानी निकलता महसूस हुवा.......अओर आँखों पर एक दबाव सा आ गया......अओर अंजाने मैं उसके होंठो की थरथार्हत से उउउउउउम्म्म्म्म्म्म्मु
कंचन...धीरे से ...कया हुवा दीदी...????
पायल..........................
कंचन...पायल दीदी...कया हुआ....???? आप ऐसा कियूं कर रही है....???
पायल...पायल ने आँखें खोली....अओर बड़े प्यार से कंचन को देखती हुई बोली....कया कर रही थी तुम एत्नि देर से .....???
कंचन...कुछ भी तो नही दीदी.....
पायल...अच्छा....तुम कुछ नही कर रही थी...???
कंचन...डरते हुवे....दीदी कुछ नही सोते हुवे कही हाथ लग गया होगा.....
पायल...मुस्कुराते हुवे...अच्छा..सोते हुवे...ये सब हो रहा था..???
कंचन...कया हो रहा था दीदी..????
पायल...तुम्हे नही मालूम...कि कया हो रहा था...???
कंचन...नही दीदी मैं तो सो रही थी....आपकी आवाज़ सुन कर आँखें खुल गयी.....
पायल...अच्छा ठीक है....मम्मी को बताओँगी की कंचन.....????
कंचन....नही दीदी....प्लीज़....मम्मी को कुछ मत बताना.....???
पायल....तो बताओ कया कर रही थी....???
कांचें...कुछ नही दीदी....बस आपकी चुचियाँ अच्छी लगी....इन पर हाथ फेर रही थी......
पायल...अओर पैर का घुटना...कहाँ घुमा रही थी.....????
कांचें...दीदी...आपकी.....आपकी.
पायल...हां बोलो...नही तो मम्मी....
कांचें...प्लीज़ दीदी....आपकी चूत पर....मुझे जाने कियूं अच्छा लग रहा था....
पायल...कंचन सच सच बताओ कया बात है...नही तो मैं ये सब मम्मी को ज़रूर......????
कंचन...पायल को बीच मैं ही रोक कर, प्लीज़ दीदी...मम्मी को कुछ मत बताना.....मैं सब सच सच बता देती हूँ.....
पायल...अच्छा बताओ......???
कंचन...दीदी मैं टाय्लेट के लिए उठी तो शास भाय्या का वो.......???? दीदी प्लीज़ आगे मत पूछो...मुझे शरम आती है.....
पायल...अब बताओ भी..कंचन....मैं तुम्हें कुछ नही कहूँगी....
कंचन...दीदी ज़रा शास भाय्या का वो देखो....कंचन ने सोते हुवे शास की अओर एशारा किया...मगर अब तक...शास करवेट ले चुक्का था....अओर कुछ भी नज़र नही आ रहा था.....????
पायल...कया है शास भैया का....वो तो सो रहा है....???
कांचें...नही दीदी जब मैं उठी थी....तो....उनका वो....????
पायल...कया कंचन उनका वो...उनका वो कर रही है...बता ना....कया था...??? वो तो बेख़बेर सो रहा है...???
कंचन...दीदी शास भाय्या का वो...मेरा मतलब है....दीदी मुझे शरम आती है.....अब रहने भी दो...???
पायल...अच्छा अभी मेरी चुचिया अच्छी लग रही थी...अओर मेरी चूत भी अच्छी लग रही थी......अओर शास भाय्या का कया देखा ये बताते हुवे शरम आ रही है.....अब जल्दी से बता....शास भाय्या कया कर रहे थे....???
कंचन...दीदी...??? कंचन ने मूह पायल की बेगल मैं छुपा लिया....दीदी जब मैं टाय्लेट गयी तो शास भाय्या सो रहे थे अओर उनका लंड बॅमबू बना हुवा था.....
पायल...पगली...तो एसे कया होता है....सोते सोते हो गया होगा.....
कंचन...नही दीदी बहुत बड़ा बॅमबू था...आप देखती तो....????
पायल...मैं देखती तो कया उसके कपड़े उतार फैक्ति...???
कंचन..हो सकता है दीदी...????
पायल...अच्छा...???????????
फिर दोनो धीरे से हंस पड़ी....अओर एक दूसरे की आँखों मैं देखकर....फिर से मुस्कुरा दी....
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
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