Monday, April 19, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--11

raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--11

"क्या?!",हैरत के मारे रीमा शेखर के मुँह से अपनी छाती खींचते हुए उठ बैठी.

"हा ये सुन के मेरी भी ऐसे ही हैरानी से आँखे फॅट गयी थी.",उसने अपने हाथो से रीमा के उभरो को मसलना शुरू कर दिया तो रीमा मस्त हो पीछे को झुक गयी & उसकी जाँघो पे हाथ रख अपनी कमर हिला कर उसे चोदने लगी.

"मुझे शक़ तो शादी के फ़ौरन बाद ही हो गया था,जब भी मैं मीना के साथ हुम्बिस्तर होता तो कभी भी उसके प्यार मे वो शिद्दत,वो गर्मी नही महसूस करता जो अभी मैं तुम्हारे साथ महसूस कर रहा हू.",उसने अपनी उंगलियो & अंगूठो के बीच उसके गुलाबी,कड़े निपल्स को मसला.

"ऊनन्न...न्नह...!",रीमा के मुँह से मस्ती भरी आह निकली,"तो इसीलिए आपने उन्हे छ्चोड़ दिया?"

"नही.उसने छ्चोड़ा मुझे.वो समझती थी कि शादी करने के बाद 1 मर्द के साथ सोने से वो अपनी लेज़्बीयन टेंडेन्सीस से छुट कारा पा जाएगी.",उसके हाथ उसकी चूचियो छ्चोड़ उसके पेट से होते उसकी कमर पे आ गये & वाहा सहलाने लगे,"..पर शादी के बाद उसे पता चला कि वो 1 पक्की लेज़्बीयन थी & 1 लड़की के साथ ही उसे सच्ची खुशी मिल सकती थी.तब उसने मुझे पूरी बात बताई & अलग होने की बात कही."

"ये बात बाहर आ जाती तो उसके पिता की बदनामी तो होती ही& उसका मज़ाक उड़ता सो अलग.",शेखर का 1 हाथ अब उसके चूत के दाने को छेड़ने लगा तो दूसरा उसकी गंद मसालने लगा,"हमने कोर्ट मे ये कहा की हमारी नही बनी & अलग हो गये."

रीमा अपनी चूत पे हो रहे दोहरे हमले से और जोश मे आ गयी.शेखर की जाँघो मे नाख़ून गाड़ते हुए उसकी कमर और तेज़ी से हिलाने लगी.तभी शेखर ने अपना हाथ उसकी गंद से हटा 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी & अंदर-बाहर करने लगा.ये रीमा के लिए बहुत था & आहें भरती हुई अपनी चूत अपने जेठ के लंड पे कस्ति वो झाड़ गयी.

उसके झाड़ते ही शेखर ने उसकी चूचिया पकड़ उसे अपनी ओर खींचा,"औच्च..!",रीमा कराही.शेखर ने उसकी कमर को जाकड़ लिया & उचक कर उसकी चूची चूसने लगा & अपने घुटने मोड़ नीचे से अपनी कमर उचका कर धक्के मार उसकी चूत चोदने लगा.

रीमा अपने जेठ के सर को बाहों मे भरे उसके सर को चूमते उसके धक्के सहने लगी.कोई 5 मिनिट तक ज़ोरदार धक्के लगाने के बाद शेखर उसकी चूत मे झाड़ गया.रीमा प्यार से उसके चेहरे को चूमने लगी.

"आपने सही कहा था,हम दोनो ही तन्हा हैं & जिनसे हमने प्यार किया उन्हे शायद हम ठीक से समझ नयी पाए."

"क्या मतलब?रवि & तुम तो बहुत खुश थे."

"हां,पर उसकी मौत के बाद 1 बात जो सामने आई उसने मुझे भी सोचने पे मजबूर कर दिया."

"कौन सी बात?"

रीमा ने उसे रवि के बॅंक से धोखे से लिए गये लोन से जुड़ी सारी बात बता दी.

"क्या?!और पिता जी ने 4 लाख रुपये चुप-चाप दे दिए?",रीमा अपने जेठ के उपर से उतर उसके बगल मे बैठ उसके सीने & माथे को सहलाने लगी.

"हां."

"हो ना हो,पिताजी कुच्छ जानते हैं.",रीमा उठ कर दरवाज़े तक गयी & वाहा गिरी नाइटी उठा पहनने लगी.

"लगा तो मुझे भी कुच्छ ऐसा ही था पर क्या पुछ्ति उनसे?"

"कोई फयडा भी नही होगा पुच्छने से.वो कुच्छ बताएँगे भी नही.ऐसे ही हैं वो बस खुद से मतलब है.",शेखर 1 अपमान भरी हँसी हंसा.

"आपको नही लगता कि इस बात का & रवि की मौत का कोई ताल्लुक हो सकता है?",रीमा ने नाइटी का ज़िप बंद किया.

"नही रीमा.वो तो 1 हादसा था.अगर ज़रा भी शक़ की गुंजाइश होती तो पोलीस ज़रूर हमे कुच्छ बताती,पर पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट्स &पोलीस के अनुभवी अफसरो का भी यही कहना था कि वो 1 आक्सिडेंट था."

"ओह्ह.",रीमा ने ठंडी आह भरी & शेखर के कमरे से निकल गयी.

बाथरूम मे जा उसने अपनी चूत से अपने & अपने जेठ के मिले-जुले पानी को सॉफ किया & उसके बाद अपने कमरे मे जा अपने बिस्तर पे लेट गयी.रवि की मौत की याद ने उसे थोड़ा उदास कर दिया था.थोड़ी देर के बाद जब वो थोडा बेहतर महसूस करने लगी तो उसे अपने ससुर के कमरे मे जाने का ख़याल आया.

ये ख़याल आते ही उसकी आँखो के सामने उनका विशाल लंड घूम गया & वो उसके लिए मचल उठी.शेखर की चुदाई से उसे मज़ा तो काफ़ी आया था पर उसमे वो बात नही थी जो उसके ससुर के लंड की चुदाई मे थी.

वो उठी & अपने ससुर के कमरे मे पहुँच उसे अंदर से बंद कर दिया.उसने देखा कि उसके ससुर केवल 1 पाजामे मे बाई करवट लिए अपनी बाई बाँह फैलाए सो रहे थे.रीमा उनकी बाँह पे गर्दन रख उनके पेट से अपनी पीठ सटा लेट गयी.

"बड़ी देर कर दी आने मे?",उसके ससुर ने अपने बाए हाथ से उसके पेट को दबाया & बाए हाथ से उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा के चूम लिया.

"पहले पक्का कर लिया कि भाय्या सो गये हैं फिर आई.",वीरेन्द्रा जी उसकी गर्दन & कान को अपनी जीभ से चाट रहे थे.

"आहह..!",रीमा हाथ पीछे ले जा के उनकी जाँघ सहलाने लगी.उसके पेट पे दबाव बढ़ा उसके ससुर ने उसे अपने से और चिपका लिया.उनका तना लंड उसकी गंद को छेड़ रहा था.उसने हाथ उनकी जाँघ से सरका कर उनके पाजामे के अंदर घुसा दिया & उनके लंड को दबोच लिया.विरेन्द्र जी जोश से भर उठे & उसकेगुलाबी होटो को अपने होटो की गिरफ़्त मे ले लिया.अपने दाए हाथ से उन्होने उसकी नाइटी उसके पेट तक उठा दी & ये देख कर उन्हे बहुत खुशी हुई की उनकी बहू ने पॅंटी नही पहनी है.

वो उसके नर्म पेट कोसेहलाने लगे तो रीमा मस्त हो उठी.थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे 1 दूसरे से खेलते रहे.फिर विरेन्द्र जी ने ज़िप खोल उसकी नाइटी निकाल दी & साथ ही अपना पाजामा भी.उसके बाद दोनो फिर पहले की तरह ही करवट से लेट गये.विरेन्द्र जी की बाई बाँह रीमा की गर्दन के नीचे थी & वो उसे मोड़ कर उस से उसकी चूचियो दबा रहे थे.उनका दाया हाथ उसके पेट को सहला कर अब उसकी चूत की दरार के अंदर जा चुका था & उसकी चूत मारते हुए उसके दाने से खेल रहा था.

रीमा की मस्त आहें कमरे मे गूँज रही & वो अपना हाथ पीछे ले जाकर लगातार अपने ससुर के लंड को हिला रही थी.विरेन्द्र जी अपने विर्य को यू ही ज़ाया नही करना चाहते थे.उन्होने फ़ैसला किया कि अब बहू की चूत के अंदर लंड पेलने का वक़्त आ गया है.उन्होने रीमा के हाथ को लंड से अलग किया & उसकी जाँघ उठा कर पीछे से उसकी चूत मे लंड को घुसा दिया.

"ऊव्ववव...!",गीली चूत मे 1 ही झटके आधा लंड घुस गया तो रीमा खुशी से करही.विरेन्द्र जी ने 1 ज़ोर का झटका मार लंड को और अंदर घुसा दिया & फिर उसकी कमर थाम उसके कान मे अपनी जीभ फिरते धक्के लगा उसे चोदने लगे.कोई 10 मिनिट तक दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे.

पर इस पोज़िशन मे विरेंड्रा जी को दो मुश्किलो का सामना करना पद रहा था,पहली तो ये की वो अपनी बहू की रसीली,कसी हुई च्चातियो कोचूँ नही पा रहे थे & दूसरी की उनकी बहू की भारी गंद के कारण पीच्चे से लंड पूरा जड़ तक उसकी छूट मे नही उतार रहा था,कोई 2 इंच लंड अभी भी बाहर ही था.

इस उलझन को सुलझाने के लिए उन्होने 2 कदम उठाए.पहले तो उन्होने ने रीमा की दाई बाँह को उठा अपने गले मे डाल दिया,अब वो बड़ी आसानी से कोहनी पे उचक कर उसकी चूचिया चूम सकते थे.दूसरे उन्होने उसकी दाई जाँघ को भी हवा मे उठा घुटने को उपर की तरफ मोड़ दिया.

"या..अहह..!",अगला धक्का पड़ते ही लंड जड़ तक रीमा की चूत मे धँस गया & उनकी झांते उसकी गंद पे गुदगुदी करने लगी.अब विरेन्द्र जी अपनी बहू की टांग हवा मे उठाए उसकी चूचिया चूस्ते हुए उसे चोद रहे थे.तेज़ धक्को से दोनो के बदन टकरा कर ठप-ठप की आवाज़ पैदा कर रहे थे.

चारो तरफ बस रीमा की गरम आहों,विरेन्द्र जी की भारी सांसो,उनके उसकी चूची को चुस्ती ज़ुबान की छाप-छाप & दोनो की जाँघो के टकराने की ठप-ठप की आवाज़े गूँज रही थी.

उसके ससुर का लंड ना केवल उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ उसकी कोख तक उतर रहा था बल्कि साथ ही साथ रीमा के गुलाबी दाने को भी रगड़ रहा था.रीमा खुशी से पागल हो रही थी.उसने अपने ससुर के चेहरे को अपनी चूची पे दबा दिया,उसकी चूत सिकुड़ने-खुलने लगी & उसका बदन जैसे ऐंठ गया,उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी & वो झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही विरेन्द्र जी ने भी अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया.

वो उसकी चूत मे लंड डाले उसे पीछे से थामे थोड़ी दे पड़े सुबक्ती हुई रीमा के बॉल चूमते रहे.जब वो शांत हुई तो उन्होने उसकी चूत से लंड निकाला & उसे अपनी ओर घुमा उसेआपनी बाहों मे भर लिया.रीमा ने भी उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया & हाथ पीछे ले जा उनकी पीठ पे फेरने लगी.

"क्या किया आज दिन भर?",वो उसके कंधे को सहला रहे थे.

"कुच्छ खास नही.बस रवि की चीज़े ठीक कर रही थी.",उसने उनके निपल को अपने दाँत & जीभ के बीच दबा हल्के से काटा.

"ओह्ह."

"1 बात पूच्छून?",उसने उनके सीने से सर उठा कर उनकी तरफ देखा.

"पूच्छो.",उन्होने उसके मासूम चेहरे को प्यार से सहलाया.

"आपने रवि के बॅंक मॅनेजर को इतनी आसानी से 4 लाख रुपये क्यू दे दिए?"

विरेन्द्र जी ने उसे पीठ के बल लिटा दिया & उसके उपर झुक उसकी आँखो मे झाँकने लगे,"मुझे पता है तुम्हे अजीब लगा होगा.",उन्होने उसकी छातियो को मसल्ते हुए उसकी गर्दन पे चूम लिया.

"उम्म्म...",रीमा को ये बहुत अच्छा लगा.

"याद है मॅनेजर ने सारे पेपर्स दिखाए थे?वो बिल्कुल सही थे.रवि ने धोखाधड़ी की थी.",वो अपनी 1टांग उसकी जाँघो के बीच फँसाए उसकी चूचिया दबा रहे थे,"..मैं 1 सरकारी मुलाज़िम हू रीमा.अब अगर मैं इस बात पे ज़ोर देता कि पोलीस एंक्वाइरी हो तो बिना मतलब का बखेड़ा खड़ा होता & मेरी नौकरी पे भी कोई असर पड़ सकता था."

दोनो फिरसे सुरूर मे आने लगे थे.विरेन्द्र जी उठ कर घुटनो पे बैठ गये & उसकी चूत मे उंगली करने लगे.रीमा ने भी हाथ बढ़ा कर उनके लंड को थाम लिया & उसे हिला-2 कर फिरसे खड़ा करने लगी.

"और फिर यहा है ही कौन मेरे भार को बाँटने वाला.मैं कौन-2 से काम देखु?तुम्ही बताओ.रीमा उठ बैठी &अपने ससुर के होंठ चूमने लगी,दोनो के हाथ अभी भी 1 दूसरे की गोद मे घुसे 1 दूसरे के कोमल अंगो को छेड़ रहे थे.

"पता है तुम्हे यकीन नही होता होगा,पर रवि ने गबन किया था,ये सच है.",उन्होने किस तोड़ उसके गाल सहलाए,"..हा,उसने ऐसा क्यू किया ये मेरी समझ मे भी नही आता."

"आपको नही लगता हमे इसका पता लगाना चाहिए?"

"रीमा,उसकी मौत 1 हादसा थी लेकिन अगर तुम्हारे मन मे कोई स्शुभा है तो उसे दूर करने हमे बॅंगलुर जाना पड़ेगा & तुम्ही बताओ यहा से मैं कैसे जाऊं?",उन्होने उसके होंठ चूम लिए,"..और तुम्हे मैं अकेले जाने नही दूँगा.पर फ़िक्र मत करो अगर तुम्हारे मन मे कोई सवाल है तो उसका जवाब ढूँदने का कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लूँगा."

"अरे मैं तो भूलही गया था.",उन्होने उसकी चूत से हाथ खींच & बिस्तर से उतार पास रखी स्टडी टेबल के पीछे गये & कुर्सी खींच बैठ गये,दराज़ खोली & उसमे से कुच्छ काग़ज़ात निकले.चूत से हाथ हटते ही रीमा बेचैन हो उठी थी & जैसे ही उसके ससुर ने उसे अपने पास आने का इशारा किया वो बिस्तर से कूद कर उनके पास आ गयी.

विरेन्द्र जी का लंड पूरा तना हुआ था उन्होने रीमा की गंद अपने तरफ कर उसके मुँह कोस्टुडे टेबल के सामने कर खड़ा कर दिया.अब रीमा की टाँगे उनकी टांगो के दोनो तरफ थी.फिर उसकी कमर पकड़ वो उसे नीचे बिठाने लगे.

"ऊऊओववववव......!"विरेन्द्र जी उसकी चूत को अपने लंड पे बिठा रहे थे.रीमा आँखे बंद किए अपनी चूत मे उनके लंड को भरता महसूस कर रही थी.थोड़ी ही देर मे वो उनकी गोद मे मेज़ की ओर मुँह कर बैठी थी & उनका लंड उसकी चूत मे पूरा घुसा हुआ था.

"ये कुच्छ पेपर्स हैं,रवि के नाम कुच्छ प्रॉपर्टी थी जोअब तुम्हारी हो जाएगी.इन्पे दस्तख़त कर दो..",उन्होने उसके हाथ मे कलाम थमाई.रीमा का ध्यान तो बस अपनी चूत मे घुसे लंड & उस से मिलने वाले मज़ेपे था.उसने तो हौले-2 कमर हिलाकर उनकेलुँद को चोदना भी शुरू कर दिया था.उसने कलम थम ली.

"..हा यहा पे..& यहा पे..",उन्होने दिखाया & रीमा ने किसी तरह दस्तख़त कर दिए.विरेन्द्र जी ने काग़ज़ात उठा कर वापस दराज़ मे रख दिए तो रीमा मेज़ पकड़ तेज़ी से कमर हिलाते हुए उन्हे चोदने लगी &विरेन्द्र जी आगे कोझुक उसकी संगमरमर जैसी गोरी पीठ चूमने लगे.

सवेरे रीमा की नींद देर से खुली.रात जेठ & ससुर,दोनो से ही 2-2 बार चुदने के बाद वो थक के चूर अपने कमरे मे आकर सो गयी थी.गणेश की मदद से दोनो मर्दो को नाश्ता करा,दफ़्तर भेज वो अपने कमरे मे आ गयी & बाहर जाने के लिए तैय्यर होने लगी.

रात चुदाई के वक़्त हुई दोनो मर्दो से बातें उसके ज़हन मे घूम रही थी.शेखर कहता था कि मीना लेज़्बीयन थी तो दोनो आपसी रज़ामंदी से अलग हो गये,वही वीरेन्द्रा जी कहते थे कि शेखर ने मीना से पैसे माँगे थे.कोई भी बाप अपनी औलाद पे ऐसा इल्ज़ाम क्यू लगाएगा,चाहे वो औलाद कितनी भी नालयक क्यू ना हो.फिर शेखर का कहना था कि रवि के गबन के पीछे की बात विरेन्द्र जी को पता होगी पर विरेन्द्र जी ने जो कारण उसे बताया वो भी वाजिब था.और तो और उन्होने उसे भरोसा भी दिलाया था कि वो उसके सवालो का जवाब ढूँडने मे उसकी मदद ज़रूर करेंगे.

रीमा ने गहरे भूरे रंग की पॅंट पहनी थी & क्रीम कलर की धारियो वाली फॉर्मल शर्ट.उसके बदन के सभी कटाव & गोलाइयाँ इस लिबास मे पूरे उभर रहे थे.रीमा भी जानती थी की उसकी भारी गंद पॅंट मे और भी मस्त लग रही होगी & जब वो चलेगी तो आज सड़क चलते उसकी मटकती गंद कुच्छ ज़्यादा ही घुरि जाएगी.

तैय्यर होने के बाद अपनी सास के कमरे मे आ उसने देखा की वो आँखे खोले दरवाज़े की तरफ ही उसे देख रही थी.रीमा ने उन्हे नाश्ता & दवाई सब दे दिया था.उनके पास बैठ वो प्यार से उनके सर को सहलने लगी.वो चाहती थी कि वो सो जाएँ तो वो घर से बाहर निकले.

सास के माथे पे हाथ फेरते वो सोचने लगी,..कैसा अजीब रिश्ता था दोनो का!वो उनकी बहू भी थी & सौतेन भी.रात को जब वो अपने ससुर का पूरा साथ देते हुए उनसे चुद्ति थी तो क्या उन्हे सच मे कुच्छ नही पता चलता था?उनका दिमाग़ क्या इतना बेकार हो चुका है कि बगल के पलंग पे अपने पति & बहू की शोर भरी रंगरेलियाँ भी उन्हे समझ नही आती थी?

उसने नज़रे नीची कर उन्हे देखा-सुमित्रा जी सो चुकी थी.रीमा ने गहरी साँस ले उनके सर से हाथ हटाया & अपने दिमाग़ से ये सारे सवाल निकाले & उठ खड़ी हुई.

-------------------------------------------------------------------------------

पहले रीमा रवि के मोबाइल सर्विस के कस्टमर केर सेंटर पे गयी तो उन्होने बताया की पिच्छले 2 महीने से बिल नही जमा किए होने & कस्टमर यानी रवि से कोई कॉंटॅक्ट नही होने के कारण ये नंबर डिसकंटिन्यू कर दिया गया था & अगर उसे ये नंबर फिर से शुरू करवाना था तो उसे कंपनी के ऑफीस मे जाके बात करनी पड़ेगी.

रीमा ने घड़ी देखी अभी बस 11 ही बजे थे & ऑफीस भी पास मे ही था,उसने वाहा जाने का फ़ैसला किया.कोई आधे घंटे बाद वो ऑफीस मे खड़ी थी,"..मेडम,मेरी बात समझने की कोशिश कीजिए.1 तो ये नंबर. बॅंगलुर का है उपर से किसी भी अप्लिकेशन के लिए नंबर यूज़र के सिगनेचर्स चाहिए.बिना उसके मैं क्या कर सकता हू?"

"देखिए मेरे पति विदेश गये हैं.हम बॅंगलुर से यहा शिफ्ट हुए तो आपाधापी मे बिल नही पे किया.पर वो नंबर. हम रखना चाहते हैं.प्लीज़ कोई तो रास्ता होगा?",रीमा ने झूठ बोल कर मिन्नत की.

"क्या हुआ,विशाल?",सुनते ही दोनो ने घूम कर देखा.सामने 32-33 साल का 1 स्मार्ट सा इंसान खड़ा था.

"सर,इनका ये नंबर. है..",& उस लड़के ने रीमा की प्राब्लम उसे बताई पर उस इंसान का ध्यान प्राब्लम मे कम रीमा मे ज़्यादा था.उसकी नज़रे उसके पूरे जिस्म का मुआयना कर रही थी.रीमा के बदन मे झुरजुरी सी हुई साथ ही दिल मे ये ख़याल भी आया कि अपने बदन के इस्तेमाल से इस आदमी से काम निकाला जा सकता है.

"एक्सक्यूस मी.क्या सच मे यहा से आपलोग कुच्छ नही कर सकते?",उसने दोनो बात करते मर्दो को जानबूझ के टोका.

"आइ'एम अरुण वेर्मा,मॅनेजर,कस्टमर ग्रीवेन्सस.",उसने अपना हाथ रीमा की तरफ बढ़ाया.

"रीमा साक्शेणा",उसने भी मुस्कुराते हुए उसका हाथ थामा.वेर्मा ने उसके कोमल हाथ को आम हॅंडशेक से कुच्छ ज़्यादा देर तक पकड़े रखा.

"आइए रीमा जी.देखते हैं क्या कर सकते हैं.",वो उसके पीछे-2 चलने लगी.बिल्डिंग के 4थ फ्लोर पे लिफ्ट से बाहर आ दोनो 1 गलियारे के आख़िर के कमरे मे दाखिल हो गये.कमरा बड़ा था,अंदर दाखिल होते ही रीमा को सामने डेस्क & उसके दोनो तरफ चेर्स लगी दिखी.बाई ओर निगाह डाली तो वाहा 1 सोफा & 1 टेबल लगे थे & दाई ओर कोने मे 1 और दरवाज़ा था जोकि शायद अटॅच्ड बाथरूम था.

"बैठिए & ये बताएँ की गरम लेंगी या ठंडा",वेर्मा ने सोफे की तरफ इशारा किया.

"वैसे तो मुझे गरम चीज़े पसंद है पर फिलहाल 1 ग्लास ठंडे पानी से काम चला लूँगी.",रीमा मुस्कुराइ.वो इस आदमी से बिना अपना काम करवाए यहा से जाने वाली नही थी & उसने जानबूझ कर ये दोहरे मतलब वाली बात कही थी.

जवाब मे वेर्मा मुस्कुराया & पास रखे कूलर से पानी निकाल उसकी ओर ग्लास बढ़ाया.ग्लास थामते वक़्त रीमा ने जानबूझ कर उसकी उंगलियो से अपनी उंगलिया च्छुआ दी.वेर्मा उसकी बगल मे बैठ गया,"अब कहिए."

रीमा ने उसे वही झूठी कहानी सुनाई,"देखिए,रीमा जी .._"

"प्लीज़ कॉल मी रीमा."

"ओके.रीमा",वेर्मा थोड़ा उसके और करीब खिसक आया,"आप तो जानती ही हैं कि हम ऐसे आपका ये काम नही कर सकते.आप बिल पे करने को तैय्यार हैं पर नंबर.बंद हो चुका है,दुबारा तो बिना आपके पति के साइन & डॉक्युमेंट्स के नही शुरू करवा सकते ना."

"पर कोई तो रास्ता होगा ना?",रीमा ने मिन्नत करते हुए उसके हाथ को थाम लिया,"ओह..आइ'एम सॉरी.",शरमाने का नाटक कर हाथ फ़ौरन छ्चोड़ भी दिया.

"इट'स ओके.",वेर्मा की दाई जाँघ रीमा की बाई से आ सटी थी.

"पर रीमा तुम्हे वही नंबर. क्यू चाहिए?मैं यही से बॅंगलुर का दूसरा नंबर.दिलवा देता हू."

जवाब मे रीमा सर झुकाए अपने हॅंडबॅग के स्ट्रॅप से खेलने लगी.

"देखो बतओगि नही तो मुश्किल आसान कैसे होगी?",उसका हाथ उसकी कलाई पे आ गया.

रीमा ने परेशान चेहरा बना कर उसकी ओर देखा जैसे कुच्छ कहना चाहती हो & कह ना पा रही हो.बेचैनी का नाटक कर उसने कलाई पे रखे वेर्मा के हाथ को पकड़ लिया,"मैं कैसे बताऊं आपको?"

"रिलॅक्स!टेक युवर टाइम.",वेर्मा ने उसके हाथ को मज़बूती से थाम लिया & दूसरे से उसके कंधे को सहलाने लगा.

"देखिए,मैं आप पे बहुत भरोसा कर के ये बात बता रही हूँ.",रीमा थोड़ा घूम उसकी तरफ हो गयी तो उसकी 1 चूची उसके सीने को 1 पल को छु गयी.इस हरकत ने वेर्मा को बेचैन कर दिया.रीमा को उसकी आँखो मे अब वासना के डोरे सॉफ दिख रहे थे.

"हां,हाँ!बेझिझक होके बोलो.ट्रस्ट मे,ये बात इस कमरे के बाहर नही जाएगी.",वेर्मा के हाथो का दबाव थोडा और बढ़ गया था.रीमा मन ही मन हँसी,वो सब समझती थी कि कौन सी बात कमरे से बाहर नही जाएगी.उसे अब इस खेल मे मज़ा आ रहा था पर रोनी सूरत बनाए हुए उसने आगे कहा.



KHILONA paart--11

"Kya?!",hairat ke mare Reema Shekhar ke munh se apni chhati kheenchte hue uth baithi.

"haa ye sun ke meri bhi aise hi hairani se aankhe phat gayi thi.",usne apne hatho se reema ke ubharo ko masalna shuru kar diya to reema mast ho peechhe ko jhuk gayi & uski jangho pe hath rakh apni kamar hila kar use chodne lagi.

"mujhe shaq to shadi ke fauran baad hi ho gaya tha,jab bhi main mina ke sath humbistar hota to kabhi bhi uske pyar me vo shiddat,vo garmi nahi mehsus karta jo abhi main tumhare sath mehsus kar raha hu.",usne apni ungliyo & angootho ke beech uske gulabi,kade nipples ko masla.

"oonnn...nnhhhh...!",reema ke munh se masti bhari aah nikli,"to isiliye aapne unhe chhod diya?"

"nahi.usne chhoda mujhe.vo samajhti thi ki shadi karne ke baad 1 mard ke sath sone se vo apni lesbian tendencies se chhutkara pa jayegi.",uske hath uski chhatiyan chhod uske pet se hota uski kamar pe aa gaye & vaha sehlane lage,"..par shadi ke baad use pata chala ki vo 1 pakki lesbian thi & 1 ladki ke sath hi use sachhi khushi mil sakti thi.tab usne mujhe puri baat batai & alag hone ki baat kahi."

"ye baat bahar aa jati to uske pita ki badnami to hoti hi& uska mazak udta so alag.",shekhar ka 1 hath ab uske chut ke dane ko chhedne laga to dusra uski gand masalne laga,"humne court me ye kaha ki humari nahi bani & alag ho gaye."

reema apni chut pe ho rahe dohre humle se aur josh me aa gayi.shekhar ki jangho me nakhun gadate hue uski kamar aur tezi se hilne lagi.tabhi shekhar ne apna hath uski gand se hata 1 ungli uski gand ke chhed me daal di & andar-bahar karne laga.ye reema ke liye bahut tha & aahen bharti hui apni chut apne jeth ke lund pe kasti vo jhad gayi.

uske jhadte hi shekhar ne uski choochiya pakad use apni or khincha,"ouchh..!",reema karahi.shekhar ne uski kamar ko jakad liya & uchak kar uski chhati chusne laga & apne ghutne mod neeche se apni kamar uchka kar dhakke mar uski chut chodne laga.

reema apne jeth ke sar ko bahon me bhare uske sar ko chumte uske dhakke sahne lagi.koi 5 minute tak zordar dhakke lagane ke baad shekhar uski chut me jhad gaya.reema pyar se uske chehre ko chumne lagi.

"aapne sahi kaha tha,hum dono hi tanha hain & jinse humne pyar kiya unhe shayad hum thik se samajh nayi paye."

"kya matlab?ravi & tum to bahut khush the."

"haan,par uski maut ke baad 1 baat jo samne aayi usne mujhe bhi sochne pe majboor kar diya."

"kaun si baat?"

reema ne use ravi ke bank se dhokhe se liye gaye loan se judi sari baat bata di.

"kya?!aur pita ji ne 4 lakh rupaye chup-chap de diye?",reema apne jeth ke upar se utar uske bagal me baith uske seene & mathe ko sehlane lagi.

"haan."

"ho na ho,pitaji kuchh jante hain.",reema uth kar darwaze tak gayi & vaha giri nighty utha pehanane lagi.

"laga to mujhe bhi kuchh aisa hi tha par kya puchhti unse?"

"koi fayda bhi nahi hoga puchhne se.vo kuchh batayenge bhi nahi.aise hi hain vo bas khud se matlab hai.",shekhar 1 apman bhari hansi hansa.

"aapko nahi lagta ki is baat ka & ravi ki maut ka koi talluk ho sakta hai?",reema ne nighty ka zip band kiya.

"nahi reema.vo to 1 hadsa tha.agar zara bhi shaq ki gunjaish hoti to police zaroor hume kuchh batati,par post mortem reports &police ke anubhavi afsaro ka bhi yahi kahna tha ki vo 1 accident tha."

"ohh.",reema ne thandi aah bhari & shekhar ke kamre se nikal gayi.

bathroom me ja usne apni chut se apne & apne jeth ke mile-jule pani ko saaf kiya & uske baad apne kamre me ja apne bistar pe let gayi.ravi ki maut ki yaad ne use thoda udas kar diya tha.thodi der ke baad jab vo thoda behtar mehsus karne lagi to use apne sasur ke kamre me jane ka khayal aaya.

ye khayal aate hi uski aankho ke samne unka vishal lund ghum gaya & vo uske liye machal uthi.shekhar ki chudai se use maza to kafi aaya tha par usme vo baat nahi thi jo uske sasur ke lund ki chudai me thi.

vo uthi & apne sasur ke kamre me pahunch use andar se band kar diya.usne dekha ki uske sasur kewal 1 pajame me baayi karwat liye apni baayi banh failaye so rahe the.reema unki banh pe gardan rakh unke pet se apni pith sata let gayi.

"badi der kar di aane me?",uske sasur ne apne baaye hath se uske pet ko dabaya & baaye hath se uske chehre ko apni or ghuma ke chum liya.

"pehle pakka kar liya ki bhaiyya so gaye hain fir aayi.",Virendra ji uski gardan & kaan ko apni jibh se chat rahe the.

"aahhh..!",reema hath peechhe le ja ke unki jangh sehlane lagi.uske pet pe dabav badha uske sasur ne use apne se aur chipka liya.unka tana lund uski gand ko chhed raha tha.usne hath unki jangh se sarka kar unke pajame ke andar ghusa diya & unke lund ko daboch liya.virendra ji josh se bhar uthe & uskegulabi hotho ko apne hotho ki giraft me le liya.apne daaye hath se unhone uski nighty uske pet tak utha di & ye dekh kar unhe bahut khushi hui ki unki bahu ne panty nahi pehnai hai.

vo uske narm pet kosehlane lage to reema mast ho uthi.thodi der tak dono aise hi lete 1 dusre se khelte rahe.fir virendra ji ne zip khol uski nighty nikaldi & sath hi apna pajama bhi.uske baad dono fir pehle ki tarah hi karwat se let gaye.virendra ji ki baayi banh reema ki gardan ke neeche thi & vo use mod kar us se uski chhatiyan daba rahe the.unka daya hath uske pet ko sehla kar ab uski chut ki darar ke andar ja chuka tha & uski chut marte hue uske dane se khel raha tha.

reema ki mast aahen kamre me goonj rahi & vo apna hath peechhe le jakar lagatar apne sasur ke lund ko hila rahi thi.virendra ji apne virya ko yu hi zaya nahi karna chahte the.unhone faisla kiya ki ab bahu ki chut ke andar lund pelne ka waqt aa gaya hai.unhone reema ke hath ko lund se lag kiya & uski jangh utha kar peechhe se uski chut me lund ko ghusa diya.

"oowwww...!",gili chut me 1 hi jhatke aadha lund ghus gaya to reema khushi se karahi.virendra ji ne 1 zor ka jhatka maar lund ko aur andar ghusa diya & fir uski kamar tham uske kaan me apni jibh firate dhakke laga use chodne lage.koi 10 minute tak dono aise hi chudai karte rahe.

par is position me virendra ji ko do mushkilo ka samna karna pad raha tha,pehli to ye ki vo apni bahu ki rasili,kasi hui chhatiyo kochum nahi pa rahe the & dusri ki unki bahu ki bhari gand ke karan peechhe se lund pura jad tak uski chut me nahi utar raha tha,koi 2 inch lund abhi bhi bahar hi tha.

is uljhan ko suljhane ke liye unhone 2 kadam uthaye.pehle to unhone ne reema ki daayi banh ko utha apne gale me dal diya,ab vo badi aasani se kohni pe uchak kar uski chhatiyan chum sakte the.dusre unhone uski daayi jangh ko bhi hawa me utha ghutne ko upar ki taraf mod diya.

"yaa..ahhhhh..!",agla dhakka padte hi lund jad tak reema ki chut me dhans gaya & unki jhante uski gand pe gudgudi karne lagi.ab virendra ji apni bahu ki tang hawa me uthaye uski choochiya chuste hue use chod rahe the.tez dhakko se dono ke badan takra kar thap-thap ki aawaz paida kar rahe the.

charo taraf bas reema ki garam aahon,virendra ji ki bhari saanso,unke uski choochi ko chusti zuban ki chap-chap & dono ki jangho ke takrane ki thap-thap ki aavazae goonj rahi thi.

uske sasur ka lund na kewal uski chut ki deewaro ko ragdat hua uski kokh tak utar raha tha balki sath hi sath reema ke gulabi dane ko bhi ragad raha tha.reema khushi se pagal ho rahi thi.usne apne sasur ke chehre ko apni choochi pe daba diya,uski chut sikudne-khulne lagi & uska badan jaise ainth gaya,uske gale se siskariyaan nikalne lagi & vo jhad gayi.uske jhadte hi virendra ji ne bhi apne lund ka sara pani uski chut me chhod diya.

vo uski chut me lund dale use peechhe se thame thodi de pade subakti hui reema ke baal chumte rahe.jab vo shant hui to unhone uski chut se lund nikala & use apni or ghuma useapni baahon me bhar liya.reema ne bhi unke seene me munh chhupa liya & hath peechhe le ja unki pith pe ferne lagi.

"kya kiya aaj din bhar?",vo uske kandhe ko sehla rahe the.

"kuchh khas nahi.bas ravi ki cheeze thik kar rahi thi.",usne unke nipple ko apne daant & jibh ke beech daba halke se kata.

"ohh."

"1 baat poochhoon?",usne unke seene se sar utha kar unki taraf dekha.

"poochho.",unhone uske masoom chehre ko pyar se sehlaya.

"aapne ravi ke bank manager ko itni aasani se 4 lakh rupaye kyu de diye?"

virendra ji ne use pith ke bal lita diya & uske upar jhuk uski aankho me jhankne lage,"mujhe pata hai tumhe ajeeb laga hoga.",unhone uski chhtiyon ko masalte hue uski gardan pe chum liya.

"ummm...",reema ko ye bahut achha laga.

"yaad hai manager ne sare papers dikhaye the?vo bilkul sahi the.ravi ne dhokhadhadi ki thi.",vo apni 1tang uski jangho ke beech fansaye uski choochiy daba rahe the,"..main 1 sarkari mulazim hu reema.ab agar main is baat pe zor deta ki police enquiry ho to bina matlab ka bakheda khada hota & meri naukri pe bhi koi asar pad sakta tha."

dono firse surur me aane lage the.virendra ji uth kar ghutno pe baith gaye & uski chut me ungli karne lage.reema ne bhi hath badha kar unke lund ko tham liya & use hila-2 kar firse khada karne lagi.

"aur fir yaha hai hi kaun mere bhar ko baantane wala.main kaun-2 se kaam dekhu?tumhi batao.reema uth baithi &apne sasur ke honth chumne lagi,dono ke hath abhi bhi 1 dusre ki god me ghuse 1 dusre ke komal ango ko chhed rahe the.

"pata hai tumhe yakeen nahi hota hoga,par ravi ne gaban kiya tha,ye sach hai.",unhone kiss tod uske gaal sehlaye,"..haa,usne aisa kyu kiya ye meri samajh me bhi nahi aata."

"aapko nahi lagta hume iska pata lagana chahiye?"

"reema,uski maut 1 hadsa thi lekin agar tumhare man me koi sshubha hai to use door karne hume bangalore jana padega & tumhi batao yaha se main kaise jaoon?",unhone uske honth chum liye,"..aur tumhe main akele jane nahi doonga.par fikr mat karo agar tumhare man me koi sawal hai to uska jawab dhoondne ka koi na koi rasta nikal hi loonga."

"are main to bhoolhi gaya tha.",unhone uski chut se hath khinch & bistar se utar paas rakhi study table pechale gaye & kursi khinch baith gaye,daraz kholi & usme se kuchh kagzat nikale.chut se hath hatate hi reema bechain ho uthi thi & jaise hi uske sasur ne use apne paas ane ka ishara kiya vo bistar se kud kar unke paas aa gayi.

virendra ji ka lund pura tana hua tha unhone reema ki gand apne taraf kar uske munh kostuday table ke samne kar khada kar diya.ab reema ki tange unki tango ke dono taraf thi.fir uski kamar pakad vo use neeche bithane lage.

"ooooowwwww......!"virendra ji uski chut ko apne lund pe bitha rahe the.reema aankhe band kiye apni chut me unke lund ko bharta mehsus kar rahi thi.thodi hi der me vo unki god me mez ki or munh kar baithi thi & unka lund uski chut me pura ghusa hua tha.

"ye kuchh papers hain,ravi ke naam kuchh property thi joab tumhari ho jayegi.inpe dastkhat kar do..",unhone uske hath me kalam thamai.reema ka dhyan to bas apni chut me ghuse lund & us se milne vale mazepe tha.usne to haule-2 kamar hilakr unkelund ko chodna bhi shuru kar diya tha.usne kalam tham li.

"..haa yaha pe..& yaha pe..",unhone dikhaya & reema ne kisi tarah dastkhat kar diye.virendra ji ne kagzat utha kar vapas daraz me rakh diye to reema mez pakad tezi se kamar hilate hue unhe chodne lagi &virendra ji aage kojhuk uski sangmarmar jaisi gori pith chumne lage.

Savere Reema ki neend der se khuli.raat jeth & sasur,dono se hi 2-2 bar chudne ke bad vo thak ke chur apne kamre me aakar so gayi thi.Ganesh ki madad se dono mardo ko nashta kara,daftar bhej vo apne kamre me aa gayi & bahar jane ke liye taiyyar hone lagi.

raat chudai ke waqt hui dono mardo se baaten uske zehan me ghum rahi thi.Shekhar kehta tha ki mina lesbian thi to dono aapsi razamandi se alag ho gaye,wahi Virendra ji kehte the ki shekhar ne mina se paise mange the.koi bhi baap apni aulad pe aisa ilzam kyu lagayega,chahe vo aulad kitni bhi nalayak kyu na ho.fir shekhar ka kehna tha ki ravi ke gaban ke peechhe ki baat virendra ji ko pata hogi par virendra ji ne jo karan use bataya vo bhi vaajib tha.aur to aur unhone use bharosa bhi dilaya tha ki vo uske sawalo ka jawab dhundne me uski madad zarur karenge.

reema ne gehre bhure rang ki pant pahni thi & cream color ki dhariyo vali formal shirt.uske badan ke sabhi katav & golaiyan is libas me pure ubhar rahe the.reema bhi janti thi ki uski bhari gand pant me aur bhi mast lag rahi hogi & jab vo chalegi to aaj sadak chalte uski matakti gand kuchh zyada hi ghuri jayegi.

taiyyar hone ke bad apni saas ke kamre me aa usne dekha ki vo aankhe khole darwaze ki taraf hi use dekh rahi thi.reema ne unhe nashta & dawai sab de diya tha.unke paas baith vo pyar se unke sar ko sahlne lagi.vo chahti thi ki vo so jaayen to vo ghar se bahar nikle.

saas ke mathe pe hath ferte vo sochne lagi,..kaisa ajeeb rishta tha dono ka!vo unki bahu bhi thi & sauten bhi.raat ko jab vo apne sasur ka pura sath dete hue unse chudti thi to kya unhe sach me kuchh nahi pata chalta tha?unka dimagh kya itna bekar ho chuka hai ki bagal ke palang pe apne pati & bahu ki shor bhari rangreliyan bhi unhe samajh nahi aati thi?

usne nazre neechi kar unhe dekha-sumitra ji so chuki thi.reema ne gehri saans le unke sar se hath hataya & apne dimagh se ye sare sawal nikale & uth khadi hui.

-------------------------------------------------------------------------------

pehle reema ravi ke mobile service ke customer care centre pe gayi to unhone bataya ki pichhle 2 mahine se bill nahi jama kiye hone & customer yani ravi se koi contact nahi hone ke karan ye number discontinue kar diya gaya tha & agar use ye number fir se shuru karwana tha to use company ke office me jake baat karni padegi.

reema ne ghadi dekhi abhi bas 11 hi baje the & office bhi paas me hi tha,usne vaha jane ka faisla kiya.koi aadhe ghante baad vo office me khadi thi,"..madam,meri baat samajhne ki koshish kijiye.1 to ye no. bangalore ka hai upar se kisi bhi application ke liye number user ke signatures chahiye.bina uske main kya kar sakta hu?"

"dekhiye mere pati videsh gaye hain.hum bangalore se yaha shift hue to aapadhapi me bill nahi pay kiya.par vo no. hum rakhna chahte hain.please koi to rasta hoga?",reema ne jhuth bol kar minnat ki.

"kya hua,vishal?",sunte hi dono ne ghum kar dekha.samne 32-33 saal ka 1 smart sa insan khada tha.

"sir,inka ye no. hai..",& us ladke ne reema ki problem use batayi par us insan ka dhyan problem me kam reema me zyada tha.uski nazre uske pure jism ka muayana kar rahi thi.reema ke badan me jhurjhuri si hui sath hi dil me ye khayal bhi aaya ki apne badan ke istemal se is aadmi se kaam nikala ja sakta hai.

"excuse me.kya sach me yaha se aaplog kuchh nahi kar sakte?",usne dono baat karte mardo ko janbujh ke toka.

"i'm arun verma,manager,customer grievances.",usne apna hath reema ki taraf badhaya.

"reema saxena",usne bhi muskurate hue uska hath thama.verma ne uske komal hath ko aam handshake se kuchh zyada der tak pakde rakha.

"aaiye reema ji.dekhte hain kya kar sakte hain.",vo uske peechhe-2 chalne lagi.building ke 4th floor pe lift se bahar aa dono 1 galiyare ke aakhir ke kamre me dakhil ho gaye.kamra bada tha,andar dakhil hote hi reema ko samne desk & uske dono taraf chairs lagi dikhi.baayi or nigah dali to vaha 1 sofa & 1 table lage the & daayi or kone me 1 aur darwaza tha joki shayad attached bathroom tha.

"baithiye & ye batayen ki garam lengi ya thanda",verma ne sofe ki taraf ishara kiya.

"vaise to mujhe garam chize pasand hai par filhal 1 glass thande pani se kaam chala lungi.",reema muskurayi.vo is aadmi se bina apna kaam karwaye yaha se jane wali nahi thi & usne jaanbujh kar ye dohre matlab vali baat kahi thi.

jawab me verma muskuraya & paas rakhe cooler se pani nikal uski or glass badhaya.glass thamte waqt reema ne jaanbujh kar uski ungliyo se apni ungliya chhua di.verma uski bagal me baith gaya,"ab kahiye."

reema ne use vahi jhuthi kahani sunai,"dekhiye,reema ji .._"

"please call me reema."

"ok.reema",verma thoda uske aur kareeb khisak aaya,"aap to janti hi hain ki hum aise aapka ye kaam nahi kar sakte.aap bill pay karne ko taiyyar hain par no.band ho chuka hai,dubare to bina aapke pati ke sign & documents ke nahi shuru karwa sakte na."

"par koi to rasta hoga na?",reema ne minnat karte hue uske hath ko tham liya,"oh..i'm sorry.",sharmane ka natak kar hath fauran chhod bhi diya.

"it's ok.",verma ki daayi jangh reema ki baayi se aa sati thi.

"par reema tumhe vahi no. kyu chahiye?main yahi se bangalore ka dusra no.dilwa deta hu."

jawab me reema sar jhukaye apne handbag ke strap se khelne lagi.

"dekho bataogi nahi to mushkil aasan kaise hogi?",uska hath uski kalai pe aa gaya.

reema ne pareshan chehra bana kar uski or dekha jaise kuchh kahna chahti ho & kah na pa rahi ho.bechaini ka natak kar usne kalai pe rakhe verma ke hath ko pakad liya,"main kaise bataoon aapko?"

"relax!take your time.",verma ne uske hath ko mazbooti se tham liya & dusre se uske kandhe ko sehlane laga.

"dekhiye,main aap pe bahut bharosa kar ke ye baat bata rahi hoon.",reema thoda ghum uski taraf ho gayi to uski 1 chhati uske seene ko 1 pal ko chhu gayi.is harkat ne verma ko bechain kar diya.reema ko uski aankho me ab vasna ke dore saaf dikh rahe the.

"haan,haan!bejhijhak hoke bolo.trust me,ye baat is kamre ke bahar nahi jayegi.",verma ke hatho ka dabav thoda aur badh gaya tha.reema man hi man hansi,vo sab samajhti thi ki kaun si baat kamre se bahar nahi jayegi.use ab is khel me maza aa raha tha par roni surat banaye hue usne aage kaha.











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
































































































































































Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया
Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator