raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--12
"मेरे पति का किसी और लड़की के साथ अफेर चल रहा है & मुझे उसके बारे मे जानना है.",रीमा सूबकने लगी.
"आइ'एम सॉरी.",वेर्मा ने अब उसे कंधे से पकड़ अपने थोड़ा और पास कर लिया.
"उस लड़की की वजह से मेरे पति तो मुझे भूल ही गये हैं.जब यहा थे तो घंटो फोन पे उसी से ना जाने क्या-2 बाते करते रहते थे.इसीलिए मैने सोचा की फोन कंपनी से उनके कॉल डीटेल्स चेक करू.अपने मोबाइल से तो सब डेलीट कर देते हैं वो.उपर से अब यहा हैं भी नही,पर वो कामिनी इंडिया मे ही है मुझे पता है.बस 1 बार उसका नंबर मिल जाए फिर उसकी वो खबर लूँगी कि याद रखेगी!",रीमा 1 साँस मे बोलती चली गयी & रुकी तो उसकी आँखो से आँसू बहने लगे.उसे खुद पे हैरत हो रही थी कि वो इतनी सफाई से कैसे झूठ बोले जा रही थी.साथ ही उसे शर्म भी आ रही थी कि उस पे जान च्चिड़कने वाले रवि के बारे मे वो ऐसा झूठ बोल रही थी...पर ये झूठ भी तो उसने रवि की मौत के बारे मे जानने के लिए ही बोला था ना.
"तुम बेफ़िक्र रहो.मैं अभी अपने कंप्यूटर से उनकी कॉल डीटेल्स निकाल देता हू.
"थोड़ा पानी और मिलेगा,प्लीज़.",रीमा सिसकियो के बीच बोली.
"हां,हां!ज़रूर.",वेर्मा उठा & कूलर से दूसरा ग्लास भर पानी ले आ रीमा को थमाया.
"थॅंक्स...ऊप्स!",रीमा के हाथ से ग्लास छूट गया & सारा पानी उसकी शर्ट पे गिर गया.
"आइ'एम सॉरी.",रीमा सोफे से उठ खड़ी हुई.
"इट'स ऑलराइट.पर तुम्हारी शर्ट तो पूरी भीग गयी.अब तुम यहा से बाहर कैसे जाओगी?"
"जी.कोई बात नही.मैं मॅनेज कर लूँगी."
वेर्मा की आँखे गीली शर्ट से झाँकते उसकी ब्रा के गले मे से दिख रहे उसके भीगे क्लीवेज से चिपकी हुई थी,"फिर भी इसे पोंच्छ तो लो.",वेर्मा ने अपना रुमाल निकाला & रीमा के सीने पे फिराने लगा.पोंच्छने के बहाने वो उसकी छातियो को हल्के-2 दबा रहा था.
"चलिए ना.डीटेल्स निकाल दीजिए.",रीमा ने उसके रुमाल वाले हाथ को पकड़ अपने सीने से अलग किया & थाम लिया.
"वो तो हो जाएगा,रीमा.पर मुझे इसके लिए कंपनी के रूल्स तोड़ने होंगे.अब तुम्हारा काम तो हो जाएगा पर बाद मैं कही किसी चक्कर मे फँस गया तो?"
"आपको मुझ पे यकीन नही तो ठीक है मैं जाती हू.कुच्छ और रास्ता निकाल लूँगी.",रीमा उसका हाथ छ्चोड़ अपना हॅंडबॅग उठाने लगी.
"अरे..अरे तुम तो बुरा मान गयी.",उसने उसके बॅग को वापस टेबल पे रख दिया.
"देखो,मेरी बात को समझो.मैं तुम्हारी बात का यकीन करता हू पर इस यकीन को थोड़ा पक्का कर ले तो कैसा रहे?",उसने उसकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसा दी.
"मतलब?"
"मतलब की तुम मेरी कोई ज़रूरत पूरी कर दो & मैं तो तुम्हारी मदद कर ही रहा हू."
"क्या ज़रूरत है आपकी?",रीमा ने बड़ी भोली आवाज़ मे पुचछा.1 बार फिर वो खुद पे ही हैरान हो गयी.अपने ससुर & जेठ को अपने रूप के जाल मे फाँसना 1 बात थी & 1 बिल्कुल अंजान मर्द के साथ ऐसी हरकत करना...आख़िर ये कौन सी रीमा छुपि थी उसके अंदर जो आज बाहर आ गयी थी..क्या वो चुदेगि इस वेर्मा से?उसका दिमाग़ उसे ऐसा करने से रोक रहा था पर दिल के किसी कोने मे इस स्मार्ट इंसान का लंड देखने की हसरत भी थी.
"जैसे तुम तन्हा हो,वैसे ही मैं भी.क्यू ना दोनो 1 दूसरे की तन्हाई दूर करे?"
"ये आप क्या कह रहे हैं?मैं शादीशुदा हू,मेरी ससुराल है यहा.किसी को पता चला तो ग़ज़ब हो जाएगा.",रीमा हाथ छुड़ा उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गयी.
"मैं भी शादीशुदा हू.पर क्या मिला है हमे शादी से?!तन्हाई!दुख!!",उसने उसे घुमा उसकी उपरी बाहे थाम ली,"क्या हमे खुश रहने का कोई हक़ नही,रीमा?क्यू नही?",वो आगे झुक उसे चूमने की कोशिश करने लगा.
"नही!प्लीज़..इतनी जल्दी नही..",रीमा कसमसाते हुए उसकी पकड़ से निकल गयी,"आपकी बात सही है पर मुझे समझ नही आ रहा.."
"क्या समझ नही आ रहा,रीमा?बात पानी की तरह सॉफ है.किस्मत ने आज हमे इसलिए मिलाया है कि हम दोनो 1 दूसरे के घाव पे मरहम लगा अपना दुख बाँट ले."
मन ही मन रीमा उसकी इन झूठी बातो पे हँसी पर उपर से परेशान सी सूरत बना कर बोली,"आप मर्द है,आपकी बात और है,पर मैं तो 1 औरत हू.कही किसी को पता चल गया तो.."
"किसी को कुच्छ पता तब चलेगा जब हम चलने देंगे ना."1 बार फिर उसने उसे अपनी बाँहो मे भरा तो रीमा ने उसे रोकने की कोई कोशिश नही की.धीरे-2 वेर्मा ने उसे अपने आगोश मे ले लिया.उसका चेहरा उठा उसने उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो रीमा छितकने लगी.वेर्मा ने उसे फिर थाम लिया.कोई दसेक मिनिट की मान-मनुहार के बाद रीमा ने उसे अपने होटो का रस पीने दिया.
इसके बाद तो वेर्मा उतावला हो उठा.जैसे ही उसने उसके सीने पे हाथ रखा रीमा ने उसे परे धकेल दिया,"आप को बस अपनी पड़ी है.मैं समझ गयी आप मुझ से अपना मतलब निकालेंगे पर मेरा काम नही करेंगे."
"ओफ्फो,रीमा!कैसी बातें कर रही हो!आओ,अभी निकालता हू तुम्हारे पति के फोन के रेकॉर्ड्स.",उसका हाथ थाम वो अपने डेस्क के पीछे अपनी चेर पे बैठ गया & कंप्यूटर ऑन कर काम करने लगा.
"अब मैं बैठा हू & तुम खड़ी,ये अच्छा नही लगता!चलो यहा बैठ जाओ.",उसने अपना हाथ था उसे अपनी गोद मे बिठा लिया.रीमा ने उसकी ये हरकत तो नही भाँपी थी पर बैठते वक़्त जानकार उसने अपनी भारी गंद से उसके लंड को बहुत ज़ोर से दबा दिया.
"आहह!",वेर्मा कराहा.
"क्या हुआ?उठ जाऊं?",रीमा के चेहरे पे बस मासूमियत थी.
"नही,नही!बैठी रहो."
रीमा अपनी गंद से हौले-2 उसके लंड को मसल्ने लगी.वेर्मा तो आसमान मे उड़ रहा था पर बड़ी मुश्किल से मॉनिटर पे नज़र रख पा रहा था.रवि के मोबाइल नंबर. की डीटेल्स खोजने मे वो जानबूझ कर ज़्यादा देर लगा रहा था.रीमा ये जानती थी कि वो ज़्यादा से ज़्यादा देर तक उसे अपने लंड पे बिठाए रखेगा,सो उसने भी अपनी गंद का पूरा भर उसके लंड पे रख बहुत धीरे-2 उसकी गोद मे आगे-पीछे होना शुरू कर दिया.
"ये लो..ये हैं सारी डीटेल्स.2 महीने से नंबर. आक्टिव नही है & उसके पहले की सारी डीटेल्स ये रही.",रीमा मॉनिटर देखने के बहाने थोडा आगे को झुकी & उसके लंड को अपनी गंद तले बेदर्दी से मसल दिया.
वेर्मा का हाल बुरा था.उसका लंड बर्दाश्त नही कर पा रहा था,"ये डीटेल्स मैं लिख लू?",रीमा ऐसे दिखा रही थी जैसे उसे कुच्छ पता ही नही की नीचे क्या हो रहा है.
"अरे नही.अभी प्रिंट आउट्स निकाल देता हू.",वेर्मा ने कमॅंड दी तो रीमा घूम कर उस का चेहरा पकड़ कर उसके गाल को चूम लिया & ऐसा करते हुए उसने उसके लंड को और ज़ोर से दबाया,"थॅंक यू सो मच!"
वेर्मा के बदन ने अचानक झटका खाया,रीमा समझ गयी कि वो पॅंट मे ही झाड़ गया है.रीमा ने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी पे काबू रखा,"क्या हुआ?आपकी तबीयत तो ठीक है?"
"हा-हाँ..मैं बस अभी आया..",वेर्मा उसे गोद से उतार बाथरूम को भागा.रीमा ने हंसते हुए प्रिनटाउट्स उठाए & रूम से निकल गयी.बाथरूम से बाहर आनेपर वेर्मा खाली कॅबिन देख कर बस मन मसोस कर रह गया.वासना के नशे मे उसने रीमा का नंबर.लिया था ना पता...वैसे भी उसे बड़ी शर्म आ रही थी अपने उपर-उस लड़की ने उसे हाथ भी नही लगाया था & वो झाड़ गया..क्या सोचती होगी वो उसके बारे मे की बस यही था उसका अपने मर्दानगी पे काबू!
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कॉल डीटेल्स मे बस नंबर्स थे उनके मालिको का नाम नही.इस मुश्किल को आसान करने के लिए रीमा ने रवि की टेलिफोन डाइयरीस का सहारा लिया जो वो बॅंगलुर से उसके समान मे लाई थी,पर ऐसा करने का वक़्त उसे दूसरे दिन ही मिला.उस दिन फोन कंपनी.के ऑफीस से वापस आकर वो घर के कामो मे उलझ गयी & रात को फिर पहले जेठ के बिस्तर मे & फिर ससुर के बिस्तर मे उनके & अपनी जिस्म की आग बुझाने के बाद अपने कमरे मे आकर निढाल हो सो गयी थी.
डीटेल्स मे रीमा ने देखा की मौत के दिन रवि ने उसे पहला कॉल करने के 20 मिनिट बाद 1 नंबर से आया कॉल रिसीव किए था & बाद मे उसपे 2 बार कॉल किया था यानी ये आख़िरी नंबर.था जिसपे रवि ने आक्सिडेंट से पहले बात की थी.
रीमा ने रवि की टेलिफोन डाइयरीस खोली,रवि ने बड़े करीने से सारे नंबर. को रिलेटिव्स,फ्रेंड्स & ऑफीस कॉंटॅक्ट्स की केटेगरी मे बाँट के लिखा था.कोई 2 घंटे तक वो उनमे सर खपाती रही पर वो नंबर उसे डाइयरी मे नही मिला.कल इतनी मुश्किल से झूठ बोल कर & अपने जिस्म का इस्तेमाल कर जो ये डीटेल्स उसने हासिल की थी वो बेकार थी.वो अभी भी वही खड़ी थी जहा पहले थी.
1 ठंडी आ बिस्तर पर लेट वो यूही डायरी उलटने-पलटने लगी तो उसने देखा की डाइयरी का आख़िरी पन्ना डाइयरी के लेदर कवर के अंदर घुसा हुआ है & ध्यान ना दो तो ऐसा लगता है जैसे की वो गटते के बॅक कवर का ही हिस्सा हो.उसने उस पन्ने को निकाला तो उसके पीछे बस इतना लिखा था:
शंतु-98क्षकशकशकशकशकश12
रीमा खुशी से उच्छल पड़ी,ये वही नंबर था जिसके मलिक से रवि ने आख़िरी बार बात की थी.पर ये शंतु कौन था?उसने अपना मोबाइल उठाया & वो नंबर.मिलाया पर उसे ये मेसेज सुनने को मिला कि ये नंबर अब मुजूद नही है.वो अपना दिमाग़ दौड़ाने लगी पर उसने रवि के मुँह से ये नाम कभी नही सुना था.
तभी ड्रॉयिंग रूम मे फोने की घनी बजी,उसका दिल धड़क उठा..हो ना हो ये वोही ब्लॅंक कॉल था.वाहा जा उसने रिसीवर उठाया,"हेलो."
कोई जवाब नही आया,"हेलो..हेलो..",तभी दरवाज़े की घंटी बजी जिसे शायद उस ब्लॅंक कॉलर ने भी सुन लिया & फोन काट दिया.दरवाज़े पे गणेश था.वो अंदर आकर किचन मे काम करने लगा.
"दीदी,कल हम दोपहर मे नही आ पाएँगे.",गणेश सब्ज़ी काट रहा था.
"क्यू,गणेश?"
"दीदी,वो क्लाइव रोड पे आहूजा साहब रहते है ना,उनके यहा दिन मे कोई दावत है तो हमारा बापू जो वाहा काम करता है उसने हमे वाहा मदद के लिए बुलाया है."
"ठीक है गणेश,कल दोपहर की छुट्टी कर लो.वैसे ये आहूजा साहब कौन हैं?"
"अरे दीदी,ये बहुत बड़े आदमी हैं,और आपको नही पता है ना..पर ये जो भाय्या है ना.."
"कौन शेखर भाय्या?"
"हा,वही..आहूजा साहब की लड़की से ही तो शादी किए थे.."
"अच्छा..तो दोनो अलग क्यू हो गये?"
"पता नही,दीदी.ये बड़े लोग की बात वही जाने,अभी ब्याह किए अभी छ्चोड़ दिए.."
"क्लाइव रोड पे कहा पे है उनका घर?",रीमा के दिमाग़ मे 1 ख़याल पनप रहा था.
"जब नेहरू पार्क के तरफ से क्लाइव रोड मे घुसते है ना दीदी,तो 1 बहुत ही बड़ा,महल जैसा बांग्ला है..55 नंबर. का वही है आहूजा साहब का घर."
"तो कल तुम महल मे दावत उदाओगे?"
"क्या दीदी आप तो हमारा मज़ाक उड़ती हैं!"
रीमा हँसने लगी तो गणेश भी हंसता हुआ कटी हुई सब्ज़िया कड़ाही मे डाल चूल्हे पे चढ़ने लगा.
रीमा के दिमाग़ ने शेखर की तलाक़शुदा बीवी मीना से मिलकर अपने जेठ के बारे मे कुच्छ जानने का फ़ैसला कर लिया था.
KHILONA paart--12
"Mere pati ka kisi aur ladki ke sath affair chal raha hai & mujhe uske bare me jaanana hai.",Reema subakane lagi.
"i'm sorry.",Verma ne ab use kandhe se pakad apne thoda aur paas kar liya.
"us ladki ki vajah se mere pati to mujhe bhul hi gaye hain.jab yaha the to ghanto fone pe usi se na jane kya-2 baate karte rehte the.isiliye maine socha ki fone company se unke call details check karu.apne mobile se to sab delete kar dete hain vo.upar se ab yaha hain bhi nahi,par vo kamini india me hi hai mujhe pata hai.bas 1 bar uska number mil jaye fir uski vo khabar lungi ki yaad rakhegi!",reema 1 saans me bolti chali gayi & ruki to uski aankho se aansoo behne lage.use khud pe hairat ho rahi thi ki vo itni safai se kaise jhuth bole ja rahi thi.sath hi use sharm bhi aa rahi thi ki us pe jaan chhidakne wale ravi ke bare me vo aisa jhuth bol rahi thi...par ye jhuth bhi to usne ravi ki maut ke bare me jaanane ke liye hi bola tha na.
"tum befikr raho.main abhi apne computer se unki call details nikal deta hu.
"thoda pani aur milega,please.",reema siskiyo ke beech boli.
"haan,haan!zarur.",verma utha & cooler se dusra glass bhar pani le aa reema ko thamaya.
"thanx...oops!",reema ke hath se glass chhut gaya & sara pani uski shirt pe gir gaya.
"i'm sorry.",reema sofe se uth khadi hui.
"it's alright.par tumhari shirt to puri bheeg gayi.ab tum yaha se bahar kaise jaogi?"
"ji.koi baat nahi.main manage kar lungi."
verma ki aankhe gili shirt se jhankte uski bra ke gale me se dikh rahe uske bheege cleavage se chipki hui thi,"fir bhi ise ponchh to lo.",verma ne apna rumal nikala & reema ke seene pe firane laga.ponchhne ke bahane vo uski chhatiyo ko halke-2 daba raha tha.
"chaliye na.details nikal dijiye.",reema ne uske rumal vale hath ko pakad apne seene se alag kiya & tham liya.
"vo to ho jayega,reema.par mujhe iske liye company ke rules todne honge.ab tumhara kaam to ho jayega par baad main kahi kisi chakkar me fans gaya to?"
"aapko mujh pe yakeen nahi to thik hai main jati hu.kuchh aur rasta nikal lungi.",reema uska hath chhod apna handbag uthane lagi.
"are..are tum to bura maan gayi.",usne uske bag ko vapas table pe rakh diya.
"dekho,meri baat ko samjho.main tumhari baat ka yakeen karta hu par is yakeen ko thoda pakka kar le to kaisa rahe?",usne uski ungliyo me apni ungliya fansa di.
"matlab?"
"matlab ki tum meri koi zarurat puri kar do & main to tumhari madad kar hi raha hu."
"kya zarurat hai aapki?",reema ne badi bholi aavaz me puchha.1 bar fir vo khud pe hi hairan ho gayi.apne sasur & jeth ko apne roop ke jaal me faansna 1 bat thi & 1 bilkul anjan mard ke sath aisi harkat karna...aakhir ye kaun si reema chhupi thi uske andar jo aaj bahar aa gayi thi..kya vo chudegi is verma se?uska dimagh use aisa karne se rok raha tha par dil ke kisi kone me is smart insan ka lund dekhne ki hasrat bhi thi.
"jaise tum tanha ho,vaise hi main bhi.kyu na dono 1 dusre ki tanhai dur kare?"
"ye aap kya kah rahe hain?main shadishuda hu,meri sasural hai yaha.kisi ko pata chala to gazab ho jayega.",reema hath chhuda uski taraf pith kar khadi ho gayi.
"main bhi shadishuda hu.par kya mila hai hume shadi se?!tanhai!dukh!!",usne use ghuma uski upari baahe tham li,"kya hume khush rehne ka koi haq nahi,reema?kyu nahi?",vo aage jhuk use chumne ki koshish karne laga.
"nahi!please..itni jaldi nahi..",reema kasmasate hue uski pakad se nikal gayi,"aapki baat sahi hai par mujhe samajh nahi aa raha.."
"kya samajh nahi aa raha,reema?baat pani ki tarah saaf hai.kismat ne aaj hume isliye milaya hai ki hum dono 1 dusre ke ghavo pe marham laga apna dukh baant le."
man hi man reema uski in jhuthi baato pe hansi par upar se pareshan si surat bana kar boli,"aap mard hai,aapki baat aur hai,par main to 1 aurat hu.kahi kisi ko pata chal gaya to.."
"kisi ko kuchh pata tab chalega jab hum chalne denge na."1 bar fir usne use apni baho me bhara to reema ne use rokne ki koi koshish nahi ki.dheere-2 verma ne use apne agosh me le liya.uska chehra utha usne uske honth chumne ki koshish ki to reema chhitakane lagi.verma ne use fir tham liya.koi dasek minute ki maan-manuhar ke baad reema ne use apne hotho k ras peene diya.
iske baad to verma utawala ho utha.jaise hi usne uske seene pe hath rakha reema ne use pare dhakel diya,"aap ko bas apni padi hai.main samajh gayi aap mujh se apna matlab nikalenge par mera kaam nahi karenge."
"offoh,reema!kaisi baaten kar rahi ho!aao,abhi nikalta hu tumhare pati ke phone ke records.",uska hath tham vo apne desk ke peechhe apni chair pe baith gaya & computer on kar kaam karne laga.
"ab main baitha hu & tum khadi,ye achha nahi lagta!chalo yaha baith jao.",usne apna hath tha use apni god me bitha liya.reema ne uski ye harkat to nahi bhanpi thi par baithatae waqt jaankar usne apni bhari gand se uske lund ko bahut zor se daba diya.
"aahhh!",verma karaha.
"kya hua?uth jaoon?",reema ke chehre pe bas masoomiyat thi.
"nahi,nahi!baithi raho."
reema apni gand se haule-2 uske lund ko masalne lagi.verma to aasmaan me ud raha tha par badi mushkil se monitor pe nazar rakh pa raha tha.ravi ke mobile no. ki details khojne me vo jaanbujh kar zyada der laga raha tha.reema ye janti thi ki vo zyada se zyada der tak use apne lund pe bithaye rakhega,so usne bhi apni gand ka pura bhar uske lund pe rakh bahut dheere-2 uski god me aage-peechhe hona shuru kar diya.
"ye lo..ye hain sari details.2 mahine se no. active nahi hai & uske pehle ki sari details ye rahi.",reema monitor dekhne ke bahane thoda aage ko jhuki & uske lund ko apni gand tale bedardi se masal diya.
verma ka haal bura tha.uska lund bardasht nahi kar pa raha tha,"ye details main likh lu?",reema aise dikha rahi thi jaise use kuchh pata hi nahi ki neeche kya ho raha hai.
"are nahi.abhi print outs nikal deta hu.",verma ne command di to reema ghum kar us ka chehra pakad kar uske gaal ko chum liya & aisa karte hue usne uske lund ko aur zor se dabaya,"thank you so much!"
verma ke badan ne achanak jhatka khaya,reema samajh gayi ki vo pant me hi jhad gaya hai.reema ne badi mushkil se apni hansi pe kabu rakha,"kya hua?aapki tabiyat to thik hai?"
"ha-haan..main bas abhi aaya..",verma use god se utar bathroom ko bhaga.reema ne hanste hue printouts uthaye & room se nikal gayi.bathroom se bahar aanepar verma khali cabin dekh kar bas man masos kar rah gaya.vasna ke nashe me usne reema ka no.liya tha na pata...vaise bhi use badi sharm aa rahi thi apne upar-us ladki ne use hath bhi nahi lagaya tha & vo jhad gaya..kya sochti hogi vo uske bare me ki bas yahi tha uska apne mardangi pe kabu!
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call details me bas numbers the unke maliko ka naam nahi.is mushkil ko aasan karne ke liye reema ne ravi ki telephone diaries ka sahara liya jo vo bangalore se uske saman me layi thi,par aisa karne ka waqt use dusre din hi mila.us din phone co.ke office se vapas aakar vo ghar ke kamo me ulajh gayi & raat ko fir pehle jeth ke bistar me & fir sasur ke bistar me unke & apni jism ki aag bujhane ke baad apne kamre me aakar nidhal ho so gayi thi.
Details me Reema ne dekha ki maut ke din Ravi ne use pahla call karne ke 20 minute baad 1 number se aaya call receive kiye tha & baad me uspe 2 baar call kiya tha yani ye aakhiri no.tha jispe ravi ne accident se pehle baat ki thi.
Reema ne ravi ki telephone diaries kholi,ravi ne bade kareene se sare nos. ko relatives,friends & office contacts ki category me baant ke likha tha.koi 2 ghante tak vo unme sar khapati rahi par vo number use diary me nahi mila.kal itni mushkil se jhuth bol kar & apne jism ka istemal kar jo ye details usne hasil ki thi vo bekar thi.vo abhi bhi vahi khadi thi jaha pahle thi.
1 thandi aah bistar par let vo yuhi dairies ulatne-palatne lagi to usne dekha ki diary ka aakhiri panna diary ke leather cover ke andar ghusa hua hai & dhyan na do to aisa lagta hai jaise ki vo gatte ke back cover ka hi hissa ho.usne us panne ko nikala to uske peechhe bas itna likha tha:
Shantu-98XXXXXX12
reema khushi se uchhal padi,ye vahi number tha jiske malik se ravi ne aakhiri baar bat ki thi.par ye shantu kaun tha?usne apna mobile uthaya & vo no.milaya par use ye message sunane ko mila ki ye number ab mujood nahi hai.vo apna dimagh daudaane lagi par usne ravi ke munh se ye naam kabhi nahi suna tha.
tabhi drawing room me fone ki ghani baji,uska dil dhadak utha..ho na ho ye vohi blank call tha.vaha ja usne receiver uthaya,"hello."
koi jawab nahi aaya,"hello..hello..",tabhi darwaze ki ghanti baji jise shayad us blank caller ne bhi sun liya & phone kaat diya.darwaze pe ganesh tha.vo andar aakar kitchen me kaam karne laga.
"didi,kal hum dopahar me nahi aa payenge.",ganesh sabzi kaat raha tha.
"kyu,ganesh?"
"didi,vo clive road pe ahuja sahab rahte hai na,unke yaha din me koi dawat hai to humara bapu jo waha kaam karta hai usne hume vaha madad ke liye bulaya hai."
"thik hai ganesh,kal dopahar ki chhutti kar lo.vaise ye ahuja sahab kaun hain?"
"are didi,ye bahut bade aadmi hain,aur aapko nahi pata hai na..par ye jo bhaiyya hai na.."
"kaun shekhar bhaiyya?"
"haa,vahi..ahuja sahab ki ladki se hi to shadi kiye the.."
"achha..to dono alag kyu ho gaye?"
"pata nahi,didi.ye bade log ki baat vahi jane,abhi byah kiye abhi chhod diye.."
"clive road pe kaha pe hai unka ghar?",reema ke dimagh me 1 khayal panap raha tha.
"jab nehru park kei taraf se clive road me ghuste hai na didi,to 1 bahut hi bada,mahal jaisa bangla hai..55 no. ka vahi hai ahuja sahab ka ghar."
"to kal tum mahal me dawat udaoge?"
"kya didi aap to humara majak udati hain!"
reema hansne lagi to ganesh bhi hansta hua kati hui sabziya kadahi me daal chulhe pe chadhane laga.
reema ke dimagh ne shekhar ki talakshuda biwi mina se milkar apne jeth ke bare me kuchh jaanane ka faisla kar liya tha.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
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