Saturday, April 3, 2010

अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति पार्ट -12

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अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति पार्ट -12

शोभा ने जब आंखें खोली तो दीप्ति को अपनी तरफ़ ही देखते पाया. दीप्ति की आंखों में जलन भरी हुई थी. और क्यूं न हो. बेटे ने उनके मुहं में झटके लगाना बन्द कर दिया था. कमर पर लिपटी उसकी टांगें भी जब खुल कर बिस्तर पा आ गयी थी. शोभा और अजय एक दूसरे में ऐसे समा गये थे कि वो बिचारी दीप्ति को तो भूल ही गये. जब शोभा ने सिर उठाया तो उसके चेहरे पर छाई वासना और तन्मयता से दीप्ति का दिल टूटने लगा. एक ही बिस्तर पर दो दो कामुक औरतों में से किसी भी एक का चुनाव करना काफ़ी कठिन काम है.
दोनों ने काफ़ी देर तक एक दूसरे की आंखों मे देखा. शोभा दीप्ति के चेहरे पर अपने लिये ईर्ष्या साफ़ देख सकती थी लेकिन खुद की शारीरिक जरुरत अब इस हद तक बढ़ चुकी थी कि कमरे के अन्दर का उसका बनाया हुआ संतुलन खुद उसके बस से बाहर था. अजय उनके निप्पलों पर अपने होंठों से मालिश कर रहा था और इसी वजफ़ से रह रह कर चाची की चूत में बुलबुले उठ रहे थे. अपने प्लान की कामयाबी के लिये शोभा को अब आगे बढ़ना था.
शोभा ने अजय के सिर के पीछे यन्त्रवत उछलती अपनी कमर को रोका और आगे सरक आई. दीप्ति ने अजय के लन्ड को कस के मुट्ठी में जकड़ लिया और होठों को सिर्फ़ अजय के सुपाड़े पर गोल गोल फ़िराने लगी. शोभा ने भी कुहनियों पर खुद को व्यवस्थित करते हुये पेड़ू को अजय के चेहरे पर जमा दिया. इस समय उआकी गीली टपकती चूत अजय के प्यासे होंठों से काफ़ी दूर थी. उधर अजय उत्तेजना में जीभ को घूमा घूमा कर चाची के तर योनि-प्रदेश तक पहुंचने का प्रयास कर रहा था इधर शोभा चाची ने अजय को उसके हाल पर छोड़ अपना ध्यान जेठानी दीप्ति के ऊपर लगा दिया. दीप्ति के चेहरे के पास जा शोभा ने उनके गालों को चूमा. दीप्ति ने भी जवाब में शोभा के दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया. दोनों औरते फ़िर से एक दूसरे में तल्लीन हो गईं. अजय ने कमर को झटका दे मां की बन्द मुट्ठी को चोदना चाहा परन्तु दीप्ति का हाथ भी उसके लन्ड का साथ छोड़ चुका था. अजय ने सिर उठा कर देखा तो उसकी मां और चाची जैसे किसी दूसरे ही संसार में थी. दीप्ति के मुहं में जीभ फ़िराते हुये शोभा अजय की लार का स्वाद महसूस कर सकती थी उधर दीप्ति भी शोभा की जीभ पर खुद उसका, शोभा का और अजय का मिला जुला रस आराम से चाट पा रही थी. आज की रात तीनों ही प्राणी एकाकार हो गये थे.
शोभा ने दुबारा से समझदारी दिखाते हुये दीप्ति का मुख अजय के उपेक्षित लन्ड की तरफ़ मोड़ा। अजय के लन्ड को साझेदारी में चखने के लिये उन्होनें नई युक्ति निकाली. खड़े मुस्टंडे लट्ठ के एक तरफ़ दीप्ति के होठों को जमा दूसरी तरफ़ से शोभा ने पूरा मुहं खोल गरमा गरम रॉड को जकड़ लिया. अब इस तरीके से वो दोनों एक दूसरे को किस भी कर सकती थीं और अजय का तन्नाया पुरुषांग भी उनके चार गरम होठों के बीच में आराम से फ़िसल सकता था. अजय ने जब ये दृश्य देखा तो मारे जोश के उसने शोभा चाची के दोनों नितम्बों को कस के जकड़ लिया. लेकिन चाची की चूत से बहते झरने को वो अपने प्यासे होठों तक नहीं ला पाया. गांड को नीचे खीचने पर शोभा के होंठ उसके लन्ड का साथ छोड़ दे देते थे और शोभा चाची ये होने नहीं दे रही थीं. खैर अजय ने शोभा की नाभि और कमर को की चूमना चाटना चालू कर दिया.
शोभा पूरी तन्मयता से अजय के मोटे लन्ड पर लार टपका उसे होठों से मल रही थी. दीप्ति भी जल्द ही ये कला सीख गई. दोनों उस कड़कड़ाते औजार को आइसक्रीम की तरह दोनों तरफ़ से एक साथ चूस रही थीं. बीच-बीच में दोनों के होंठ कभी मिलते तो एक दूसरे को किस करने लगते और यकायक लन्ड पर दवाब बढ़ जाता.
इतनी पूजा करने के बाद तो अजय के लन्ड में जैसे नया स्वाद ही पैदा हो गया. या तो ये दूसरी औरत की खूश्बूदार लार है या फ़िर दीप्ति की चूत से रिसने वाले रस की महक जो अजय के लन्ड पर उछलते वक्त बह कर यहां जमा हो गया था या शायद फ़िर ये शोभा के होंठों पर अजय की लार का स्वाद है. हां, पक्के तौर पर लन्ड की खाल पर नमकीन स्वाद अजय के पसीने या सुपाड़े से रिसते चिकने पानी का ही था.
शोभा के हाथों को थामे दीप्ति सोच रही थी कितना ही अच्छा हो अगर अजय अभी छूट जाये. फ़िर दोनों को ही मानसिक तृप्ति मिल जायेगी. लेकिन शोभा के दिमाग में कुछ अलग ही खिचड़ी पक रही थी. अजय के लन्ड से होठों को हटा अपने गाल उससे सटा दिये. दीप्ति ने भी शोभा की देखा देखी अपने गाल को भी अजय के लन्ड से सटा दिय़ा. अजय का हथियार भी इधर उधर झटके खाता हुआ दोनों के ही चेहरों को अपने रस और उनके थूक के मिश्रण से पोतने लगा. इस तरह थोड़ी देर तक तड़पाने के बाद शोभा ने अजय के लन्ड को दीप्ति के हवाले कर दिया. दीप्ति ने झट से उसके फ़ूले हुये गुलाबी सुपाड़े पर होंठों को गोल करके सरका दिया. सुपाड़ा जब उनके गले के भीतरी नरम हिस्से से टकराया और थोड़ा सा गाड़ा तरल भी लन्ड से छूट गया. शायद अजय अब ज्यादा देर तक नहीं टिक पायेगा.
"शोभा? तुम किधर जा रही हो?", अजय जल्दी ही झड़ने वाला था और दीप्ति ये पल उसके साथ बांटना चाहती थी.
"आपके और अपने लिये इसको कुछ सिखाना बाकी है.." शोभा ने जवाब दिया. शोभा का पूरा चेहरा भीग गया था. वो चिकना मिश्रण उनके गालों से बह कर गर्दन से होता हुआ दोनों चूचों के बीच में समा रहा था.
चूत अब पानी से भरकर लबलबा रही थी. उसका छूटना जरुरी था. अजय को आज बल्कि अभी इसी वक्त उनकी चूत को चाटना होगा तब तक जब तक की उन्हें आर्गेज्म नहीं आ जाता.
शोभा ने हथेलिया अजय के सीने पर जमा बाल रहित चूत को उसके मुहं के ठीक ऊपर हवा में व्यवस्थित किया. अजय ने सिर को उठा जीभ की नोंक से चूत की पंखुड़ियों को सहलाया. सामने ही दीप्ति किसी कुशल रन्डी की भांति लन्ड की चूसाई में व्यस्त थी. अब शोभा की चूत अजय के मुहं में समाने के लिये तैयार थी और उसकी आंखों के सामने दीप्ति अजय का लन्ड खाने में जुटी हुई थी.
शोभा ने अपनी टांगें चौड़ा दी ताकि नीचे बैठने में आसानी हो. अजय ने भी फ़ुर्ती दिखाते हुये चाची की नन्गी कमर को जकड़ा और सहारा दे उनकी खुली चूत को अपने मुहं के ठीक ऊपर रखा. शोभा ने धीरे ने एक नाखून पेट में गड़ा उसे इशारा दिया तो अजय ने अपनी जीभ चूत के बीच में घुसेड़ दी. आधी लम्बाई तक चाची की चूत में जीभ सरकाने के बाद अजय ने उसे चूत की फ़ूली दीवारों पर फ़िराया और फ़िर किसी रसीले संतरे के फ़ांक के जैसे शोभा की चूत के होंठों को चाटने लगा. शोभा को तो जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था पर अभी अजय की असली दीक्षा बाकी थी. शोभा ने दो उन्गलियों से चूत के दरवाजे को चौड़ाया और खुद आगे पीछे होते हुये अपनी तनी हुई चिकनी क्लिट को अजय की जीभ पर मसला.
"हांआआआ.. आह", शोभा ने अजय को इशारा करने के लिये आवाज़ निकाली. जब अजय की जीभ क्लिट पर से हटी तो चाची शान्त बैठी रहीं. दुबारा अजय की जीभ ने जब क्लिट को सहलाया तो "हां.." की ध्वनि के साथ शोभा ने नाखून अजय के पेट में गड़ा दिया. कुछ "हां हां" और थोड़े बहुत धक्कों के बाद अजय समझ गया कि उसकी चाची क्या चाहती हैं.
चाची की ट्रैनिंग पा अजय पूरे मनोयोग से उनकी चूत को चाटने चोदने में जुट गया. उसका ध्यान अब अपने लन्ड और दीप्ति से हट गया था.
शोभा चाची हथेलियां अजय के सीने पर जमाये दोनों आंखें बन्द किये उकड़ू अवस्था में बैठी हुई थीं. उनकी पूरी दुनिया इस समय अजय की जीभ और उनकी चूत के दाने में समाई हुई थी. अजय की जीभ में जादू था. दीप्ति की जीभ से कहीं ज्यादा. जब पहली बार आईसक्रीम चाटने की भांति अजय ने अपनी जीभ को क्लिट पर फ़िराय़ा, लम्बे और टाईट स्ट्रोक, तो शोभा की चूत बह निकली. कितनी देर से बिचारी दूसरों के आनन्द के लिये कुर्बानियां दिये जा रही थी. लेकिन अब भी काफ़ी धीरज और सावधानी की जरुरत थी. अजय जैसे कुशल मर्द तक उनकी पहुंच पूरी तरह से दीप्ति के मूड पर ही निर्भर थी.
चूत के दाने से उठी लहरें शोभा के पूरे शरीर में चींटी बन कर रेंगने लगी थीं. बार-बार अजय के सीने में नाखून गड़ा वो उसको रफ़्तार बढ़ाने के लिये उकसा रही थीं. दोनों चाची-भतीजा मुख मैथुन के मामले में अनुभवहीन थे किन्तु शोभा जो थोड़ी देर पहले ही अपनी जेठानी के साथ काम संसार के इस मजेदार रहस्य से परिचित हुई थी, जानती थी कि अगर अजय रफ़्तार के साथ छोटे स्ट्रोक से उसकी क्लिट को सहलायेगा तो वो जल्दी ही आर्गैज्म की चरमसीमा पार कर लेंगी.
"आह..और तेज..तेज!", शोभा अपने नितंबों को अजय के ऊपर थोड़ा हिलाते हुये कराही. दीप्ति के हाथ भी शोभा की आवाज सुन कर रुक गये. जब उन्होनें शोभा के चेहरे की तरफ़ देखा तो आश्चर्यचकित रह गई. दोनों आंखें बन्द किये शोभा पसीने से लथपथ जैसे किसी तपस्या में लीन थी.

शोभा ने अजय के पेट पर उन्गलियों से छोटे घेरे बना जतला दिया कि उसे क्या पसन्द है. अजय भी तुरन्त ही चाची के निर्देश को समझ गया. जैसे ही उसकी जीभ सही जगह पर आती शोभा उसके जवान भरे हुये सीने पर चिकोटी काट लेती. अपनी चूत के मजे में उन्हें अब अजय के दर्द की भी परवाह नहीं थी.
"ऊह.. आह.. आह.. उई मांआआआ... आह", शोभा के मुहं से हर सांस के साथ एक सीत्कार भी छुटती. पागलों की तरह सारे बाल खोल जोर जोर से सिर हिलाने लगी थीं. शर्मो हया से दूर शोर मचाती हुई शोभा को दीन दुनिया की कोई खबर ना थी. अभी तो खुद अगर कमरे में उसका पति भी आ जाता तो भी वो अजय के मुहं को ना छोड़ती थी.
अजय की जीभ इतने परिश्रम से थक गयी थी. क्षण भर के लिये रुका तो चाची ने दोनों हाथों के नाखून उसकी खाल में गहरे घुसा दिये "नहीं बेटा अभी मत रुक.. प्लीज...आह". बेचारा अजय कितनी देर से दोनों औरतों की हवस बुझाने में लगा हुआ था. चाची तो अपनी भारी भरकम गांड लेकर उसके चेहरे के ऊपर ही बैठ गय़ीं थीं. फ़िर भी बिना कुछ बोले पूरी मेहनत से मां और चाची को बराबर खुश कर रहा था. अजय का लन्ड थोड़ा मुरझा सा गया था. पूरा ध्यान जो चाची की चूत के चोंचले पर केन्द्रित था.
दीप्ति बिना पलकें झपकाये एकटक शोभा को अजय के मुहं पर उछलते देख रही थी. शोभा, उसकी देवरानी, इस वक्त पूरी तरह से वासना की मूर्ति बनी हुई थी. सब कुछ पूरी तरह से आदिम और पाशविक था. उसका अधेड़ मादा शरीर जैसे और कुछ नहीं जानता था. ना कोई रिश्ता, ना कोई बंधन और ना कोई मान्यता. कमरे में उपस्थित तीनों लोगों में सिर्फ़ वही अकेली इस वक्त मैथुन क्रिया के चरम बिन्दु पर थीं. उनकी इन स्वभाविक भाव-भंगिमाओं से किसी ब्लू-फ़िल्म की नायिकायें भी शरमा जायेंगी. अजय की समझ में आ गया कि अगर किसी औरत को इस तरीके से इस हद तक गरम कर दिया जाये तो वो सब कुछ भूल कर उसकी गुलाम हो सकती है. अजय के दिल में काफ़ी सालों से शोभा चाची के अलग ही जज्बात थे. चाची ने ही पहली बार उसके लंड को चूसा था और उससे चुद कर उसका कौमार्य भी भंग किया था. आज वही चाची दुबारा से उसे एक नयी काम कला सीखा रही थीं और अगर इस समय उसके कारण शोभा के आनन्द में जरा भी कमी हुई तो ये उसके लिये शर्म की बात होगी. बाद में वो शोभा को अपने दिल की बात बतायेगा कि अब उन्हें किसी और से चुदने की जरुरत नहीं है. चाचा से भी नहीं. उन्हें जो चाहिये जैसे चाहिये वो देगा. चाची की चूत को चाटने का हक अब सिर्फ़ उसका है. नादान अजय, ये भी नहीं जानता था कि चाची आज पहली बार ही मुख मैथुन कर रही है और वो ही उनकी जिन्दगी में ये सब करने वाला पहला पुरुष भी है.
अब शोभा के सब्र का बांध टूटने लगा. दो-चार बार और अजय के जीभ फ़िराने के बाद शोभा चीख पड़ी "ओहहह!.. आहहहह.. मैं झड़ रही हूं अजय.. पी ले मेरे रस को ...बेटा... आह आह.. हां हां हांआआआ" आखिरी हुम्कार के साथ ही उनकी चूत से जोरदार धार निकल कर अजय के गले में समा गई. इतना सारा चूत रस देख अजय भी चकित था और वो भी इतनी तीव्र धार के रुप में. लेकिन ये तो बस शुरुआत भर थी. फ़िर तो शोभा चाची की चूत लन्ड की तरह रस की पिचकारीयां छोड़ने लगी. अजय के मुहं में तो चूत रस की बाढ़ सी ही आ गय़ी. चाची के कीमती आर्गैज्म की एक भी बूंद व्यर्थ ना हो, यही सोच अजय ने उनकी चूत के पपोटों को अपने होंठो के बीच दबा लिया. इस तरह शोभा अपना सारा रस अजय के मुहं में उड़ेल तो रही थी पर रस की तेज धार पर उसका कोई काबू नहीं रह गया था. नाक शोभा चाची की गांड के छेद में घुसी हुई थी और मुहं चूत पर. अजय का दम घुट रहा था. इतना सारा पानी एक साथ पीना मुश्किल था. थोड़ा सा रस उसके खुले मुहं के किनारे से बाहर बहकर उसके गालों पर आ गया था.
"दीदी, दीदी..देखो", शोभा उत्तेजना के मारे चीख सी रही थी. "आपके बेटे ने....आह.. आह...मेरे साथ क्या किया.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. मर गईईईईईईईईईई", शोभा का पूरा शरीर कांप रहा था.
चाची का चूत रस अजय की क्षमता से कहीं ज्यादा था। सांस लेने के लिये अजय ने अपना सिर थोड़ा सा घुमाया तो शोभा की चूत से उसकी जीभ बाहर फ़िसल गई. मारे हवस के चाची ने अपनी गांड को पीछे ढकेला तो अजय की नाक उनकी चूत की फ़ांकों में घुस गई. शोभा ने उस बिचारी नाक को भी नहीं छोड़ा और लगी अपनी तनी हुई क्लिट को नाक की हड्डी पर रगड़ने. थोड़ी पस्त हो चुकी थी सो आगे को झुकते हुये अजय के धड़ पर ही पसर गई चाची. कमर ऊपर नीचे हिलाते हुये भी कुछ बड़बड़ा रही थी. "हमारा अजय अब सब सीख गया दीदी...अब आप भी उससे अपनी चूत चटवा सकती है॥ कभी भी..आह.." हर शब्द के साथ उनकी कमर तालबद्ध होकर अजय के चेहरे पर रगड़ रही थी. आर्गैज्म की तेज धारें अब बहते पानी में बदल गई थी. अजय को भी थोड़ी राहत मिली. अपना चेहरा चाची के चिकने चर्बीयुक्त पेड़ू पर रगड़ने लगा. शोभा को तुरन्त ही चूत में ढेर सारे छोटे किन्तु शक्तिशाली आर्गैज्मों का अहसास हुआ. मानों किसी ने जलती पटाखों की लड़ी घुसेड़ दी हो. शान्त होती शोभा के चेहरे पर असीम शान्ति पसर गई. अजय को गले लगा वो उसका धन्यवाद व्यक्त करना चाहती थी.









साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj

































































































































































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