Monday, April 5, 2010

सेक्सी कहानियाँ मेरी निशा (प्यारी दीदी) --1

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मेरी निशा (प्यारी दीदी)

मुझे कहानी लिखने का बहुत शोख है में ने बहुत सारी कहानी लिखी है वे सभी काल्पनिक है इन में से एक कहानी आपके सामने पेश करता हूँ मेरा नाम यश है में अपने कमरे में लेटा अपने विचारो में खोया हुआ था की अचानक मुझे निशा (मेरी दीदी - पेशे से डॉक्टर) की आवाज सुनाई दी वो अनु (मेरी छोटी बहन) को आवाज दे रही थी घर में मेरे अलावा और कोई नहीं था इस लिए में उनके कमरे में चला गया निशा नहा कर बाथरूम से निकली थी और उसने रेड कलर का तोलिये को अपने नायब जिस्म पर बांधे अपने अनमोल खजाने को छिपाने की नाकामयाब कोशिस कर रही थी एक तो दूधिया रंग और उपर से लाल रंग का तोलिया ऐसा लग रहा था जैसे एक नहीं दो दो सूरज के गोले तोलिये के पीछे छिपे अपनी लाली बिखेर रहे हो और कह रहे हो इन्हें हाथ लगाया तो जल जाओगे, टाँगे इतनी चिकनी की अच्हे अच्हे की नियत फिसल जाए में तो फिर भी २१ साल का जवान लोंडा जिसे अभी तक अपनी जवानी के मजे देने वाली कोई नहीं मिली थी बस आखे सकने का ही काम आता था और ऐसे नजारे को तो देखने का मतलब आप खुद समाज सकते हो निशा ने पुछा अनु कहा है में अपने ख्वाबो की दुनिया से बाहर आया और हदबदाकर हकलाते हुए क क . . . कहा वो बाहर खेलने गयी है आप क्या ढूँढ रही है
अनु ने मेरा कंडीशनर पता नहीं कहा रख दिया है मै निशा को सिर्फ एक नज़र देख के बापस अपने रूम में चला गया. निशा के नंगे कंधे और नंगी टांगे देख कर मेरे अंडर कुछ हुआ था . लकिन मैं चुपचाप कमरे से बaहिर निकल गया था . पीछे से निशा ने फिर आवाज़ दी में वापिस उन के कमरे में गया ओर पुछा की क्या बात है . “तुम कब तक जाओ गे ?” वोह मेरे सामने टॉवेल में ही थी “में बस 20 मिनेट में निकलनेवाला हूँ तुम रुको मुझे भी साथ ले जाना में ओके कहकर उनके कमरे से निकल गया लेकिन निकलने से पहले उनके नायाब जिस्म को एक बार और गौर से देखा और पुरे सरीर में सनसनी फ़ैल गैयी लेकिन यह बात मुझे परेशान कर रही थी की निशा इस माय एल्डर सिस्टर, कुछ देर बाद निशा एक अच्चा सा सुइट पहन कर आ गयी और हम बीके पैर चले गए में ने निशा को हॉस्पिटल ड्राप किया लेकिन उन का वो मदमस्त जिस्म मेरे जहेन से नहीं निकल रहा था और रह रह कर पेंट में तम्बू बन रहा था

आज से एक दिन के लिए मेरी कंपनी ने मेरी एक दिन पे वीक के हिसाब से आउट डोर ड्यूटी अप्प्रोव कर दी . में ने सोचा के में हर wednesday को लेट ही काम पे जाया करूंगा अगले wednesday में फिर से लेट था. और आज निशा को मालूम था की में आज लेट जाऊँगा निशा सुबह नहा के बाहर निकली ही थी की में उनके कमरे के आगे से गुजर रहा था मुझे देख कर निशा दीदी ने आवाज दी उनकी आवाज सुन कर में उनके कमरे में गया और उस अल्हड जवानी को फीर से टावेल में देख कर मेरा जवान अंगडाई लेने लगा निशा दीदी ने मुझे कह की आज वो मेरे साथ ही हॉस्पिटल जायेगी

मैंने निशा दीदी को कहा की आप तैयार हो जाओ (और खवाबो में किसी दूसरी तरह से दीदी को तैयार करने की गुजारिस करने लगा) इतना कह कर में कमरे से बाहर निकल गया, लेकिन उनको देखने की ख्वाइस दिल में अभी भी थी में अपना सामान ले कर दीदी के रूम में वापस आया तो उस समय वह टॉवेल में बैठी बाल बना रही थी में उनके सामने कुर्सी पैर बैठ गया और उनकी अधनंगी चिकनी टांगो को देखने लगा टॉवेल तो जांघो को भी नहीं धक् पा रहा था में उन्हें बड़ी गौर से घूरने लगा बाल बनाने के बाद वह बाथरूम में गयी और चेंज करके आ गयी फिर में निशा दीदी को ड्राप करके में अपने ऑफिस चला गया, लंच टाइम में मैं एक होटल मैं खाना खा रहा था तो मैंने निशा को किसी लड़के के साथ खाना खाते देखा

मैं ने खामोशी से खाना खाया इतने में निशा दीदी उस लड़के के साथ चली गयी में भी खाना खाते खाते सपनो में जाने क्या क्या सोच गया क्या निशा दीदी इस लड़के के साथ सो चुकी है क्या उसने निशा के सेब जैसे उभारो को दबाया होगा क्या उसने निशा दीदी के साथ सब कुछ कर चूका होगा यही सोचते सोचते मैंने खाना खाया और ऑफिस चला गया इस बात को अब एक हफ्ता हो गया था अगले wednesday में खुद निशा दीदी के kamre में चला गया दीदी naha रही थी

में intjaar करने लगा जब दीदी bath कर बहार nikli तो मैंने pucha आपको hospital जाना है क्या दीदी ने कहा जाना तो है तो mene कहा में आपको drop कर dunga ठीक है में taiyaar हो loon दीदी ने कहा दीदी अभी भी tawel में थी में chair पैर baith कर उनकी nangi गोरी गोरी taange jaangho तक dekhne लगा और dekhne ही chota भाई जो अब था aath inch का हो चूका था salaami देने लगा दीदी मेरे saamne hichkicha yoon नहीं रही थी kyoki में suru से ही दीदी के attach था mene दीदी से baate karni suru कर दी दीदी baal bana रही थी और wo जैसे ही अपने हाथ uper ले जाती ऐसा लगता की दोनों kabootar अभी baahar aa jaayenge में uper niche होते हुए दीदी के दोनों kabutar को dekhta रहा

निशा दीदी मेरी पेंट में उबरे हुए टेंट को देखा और मेरी आँखों को उनके कबूतरों दो देखते हुए देखा लेकिन में तो जैसे सपनो में खोया हुआ था निशा दीदी ने बाल बना कर वाशरूम में जाकर कपरे बदले और मेरे साथ चल दी अगले दिन में जानबूझ कर ऑफिस लेट गया दरअसल में आज भी वही खूबसूरत नजारा देखना चाहता था में निशा दीदी के कमरे में गया तो वो अपने बाल बना रही थी मुझे देख कर वो बोली आज तुम लेट क्यों हो मैंने बहाना बनाया की अब मेरा ऑफिस टाइम बदल गया है अब में रोज आपको हॉस्पिटल छोड़ दूंगा और में ऑफिस में पहले ही फ़ोन करके अपने बीमार होने का बहाना बना चूका था और कहा चूका था की कुछ दिन में लेट आया करूंगा
और में दीदी के सामने बैठ गया दीदी ने कहा चलो अछा है मुझे भी आज कल बस में जाने में बड़ी तकलीफ होती है बस में बहुत भीड़ होती है में समझ गया दीदी को बस की भीड़ में क्या तकलीफ होती है बस में चदते ही पीछे वाले का चुतद पे हाथ फेरना और सोरी बोलना आगे वाले का बस के सीट पकड़ने के बहाने गोल गोल अनारो को मसलना पीछे से निकलने वाली सवारी का गांड के साथ खुद को रगड़ना में यही सोच रहा था की निशा दीदी ने कहा चलो में भोचक्का सा उनको देखता रहा कब वो वाश रूम में जा कर तैयार हो आई में उर्नकी तरफ देखता रहा गया दीदी ने फिर बोला कहा हो मेरे मुँह से निकल गया भीड़ वाली बस में दीदी ने कहा क्या में हकीकत में आया और दीदी को बोला कुछ नहीं चलो और में निशा दीदी से नजरे चुराने लगा दीदी भी सायद समझ गयी थी की में क्या सोच रहा था और ऐसा समझते ही दीदी के दूधीया गालो पैर हाला केसर का सा रंग चढ़ गया मेने भी दीदी से कहा कुछ नहीं दीदी में कह रहा था दी में आपको रोज हॉस्पिटल छोड़ दिया करूंगा अब चलो

फिर तो जैसे मेरा यही रूटीन बन गया अगले दिन भी में दीदी के रूम में गया तो आज वो baatroom से बाहर निकली ही थी मुझे देखते ही वह बोली आओ बैठो मुझे अभी १५-२० मिनुट और लगेंगे मैंने कहा कोई बात नहीं और उनके सामने चेयर दाल कर बेथ गया आज वह हल्के आसमानी रंग के टावेल में एक अप्सरा से कम नहीं लग रही थी निशा दीदी बाल बनाने लगी और में उनके नायब कश्मीरी सबो को उपर निचे होते हुए देखने लगा मन कर रहा था की अभी इनको तोड़ के इनका सारा रस पि जाऊ निशा दीदी ने भी सायद मेरी नजरो को पहचान लिया था लेकिन मुझे पता नहीं लगने दिया अब तो कुछ कर gujarne की इच्छा मेरे दिल में बलवंत होती जा रही थी मेरी साँसे तेज चल रही थी और आंखो में लाल डोरे तैर आये थे निशा दीदी ने मुझे पुचा क्या बात है तेरी तबियत तो ठीक है ना मेंने कहा हां दीदी आप जल्दी तियार हो जाओ में अभी आता हूँ में जल्दी से उठ कर वाशरूम में गया और अपनी पेंट में से अपने हतियार को बाहर निलकल और हिलाने लगा सामने ही दीदी के निकले हुए अंडर गारमेंट्स पड़े थे
अब यारो में तो कुछ बोलूँगा नहीं पर आप लोग ही बताओ के एक अल्हड मस्त जवानी अभी अभी इस बाथ रूम से बाहर निकली हो तो उसके मदमस्त jism की क्या mahak aa रही होगी मेरी तो haalat ऐसी हो रही थी जैसे में एक waasna के saagar में तैर रहा हूँ या अभी अभी kaamdev ने काम vaan maara हो और इस kaamvan के lagte ही मेरी jindgi का pahla skhalan हो गया ऐसे लगा जैसे में अपने pairo पे नहीं khada रह paaonga जैसे अभी gir jaaonga मेरी ssanse ऐसे चल रही थी जैसे की दुनिया में kewal एक ही ladki bachi हो और में बिना ruke dodte हुए उसके पास जाना chahata हूँ. उसे paana चाहता हूँ उसे haasil करना चाहता हूँ
और मेरे मुह से जोर से निकला आह दीदी जो सायद बहार दीदी ने सुन लिया और उन्होंने आवाज मारी क्या हुआ मैंने कहा कुछ नहीं दीदी और हदबदाकर अपने लिंग को पेंट में वापस किया और इस दोरान मेरी पेंट भी आगे से कुछ गीली हो गयी में बाहर आया तो दीदी मुझे गौर से देख रही थी में घबरा गया और उन्होंने मेरी पेंट के गीले हिस्से को भी देखा और मंद मंद मुस्कुराने लगी मैंने सँभालते हुए कहा की आप तैयार है क्या वो बोली सिर्फ पाच मिनेट तुम बाहर निकलोगे तभी तो में कपडे पहनूंगी और वो बाथरूम में घुस गयी उसके जाते ही मुझे याद आया मैंने अपने वीर्य को तो साफ़ ही नहीं किया था अब क्या होगा वह तो ऐसे ही दिवार पे और जमींन पे गिरा हुआ था में भगवान् से प्राथना करने लगा की हे भगवान् वो दीदी को दिखाई न दे इतने में दीदी कपडे पहन के बाहर आई और मुझे गुस्से से बोली क्या बात है तुम्हारी तबियत खराब है क्या तुमने सारे में कफ गेरा हुआ है और मंद मंद मुस्कुराने लगी मैंने सोचा दीदी सायद सोच रही है की मुझे खासी आई होगी में भी उनकी बात को आगे बढाते हुए कहा दीदी हा अचानक खासी आ गयी थी दीदी ने कहा तो तुम्हे वो निकलने के लिए कोई जगह नहीं दिखी क्या में दीदी की इस बात पे ध्यान दिए बिना (वो निकलने के लिए ) कहा नहीं दीदी, दीदी ने फिर कहा लगता है तुम्हारा वो निकलने के लिए कुछ न कुछ इंतजाम करना पड़ेगा और दीदी मुस्कुराने लगी इस बार मुझे अहसास हुआ दीदी क्या बोल रही है मैंने कहा चलो चलते है और में उन्हें लेके हॉस्पिटल छोड़ आया


राज शर्मा की कहानियाँ पसंद करने वालों को राज शर्मा का नमस्कार दोस्तों कामुक कहानियाँ डॉट कॉम में आपका स्वागत है। मेरी कोशिश है कि इस साइट के माध्यम से आप इन कहानियों का भरपूर मज़ा ले पायेंगे।
लेकिन दोस्तों आप कहानियाँ तो पढ़ते हैं और पसंद भी करते है इसके साथ अगर आप अपना एक कमेन्ट भी दे दें
तो आपका कया घट जाएगा इसलिए आपसे गुजारिश है एक कमेन्ट कहानी के बारे में जरूर दे
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
































































































































































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