Monday, April 5, 2010

सेक्सी कहानियाँ मेरी निशा (प्यारी दीदी) --2

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मेरी निशा (प्यारी दीदी) पार्ट--2


मुझे निशा दीदी को तोवेल में देखते हुए काफी समय हो गया था और निशा दीदी ने भी नोटिस किया था की में रोज रोज उनके कमरे में किसलिए पहुच जाता हूँ और में उनके जिस्म को घूरता हूँ लेकिन निशा दीदी ने मुझे कभी कुछ नहीं कहा और ना ही उन्होंने अपना रूटीन चेंज किया वो नहा के निकलती तो में उनकी नंगी टांगो को घूरने लगता कभी कभी दीदी इतना नजदीक आके खड़ी होती की उनके बदन की महक मेरे पुरे जिस्म को बेकाबू कर देती लेकिन कभी इस से जयादा कुछ करने की हीम्मत मुझ में नहीं हुई एक दिन निशा दीदी मेरे पास बैठी अपने बाल बना रही थी मैंने दीदी का हाथ पकड़ लिया दीदी ने मेरे तरफ गौर से देखा और पूछ की क्या बात है मुझे कुछ समझ में नहीं आया की क्या कहूं

अचानक मेरे मुँह से निकल गया की दीदी में आपको लंच पे ले के जाना चाहता हूँ दीदी बोली नहीं नहीं लंच नहीं डिनर पर चलते है अनु भी साथ चल लेगी नहीं दीदी सिर्फ आप और में और कोई नहीं दीदी अभी भी टावेल में थी और अभी भी मैंने उनका हाथ अपने हाथ में पकडा हुआ था क्यों अनु को साथ ले चलने पे क्या हो जाएगा दीदी ने पुछा दीदी में अनु को फिर कभी ले जाऊँगा प्लीज क्या में अकेला आप के साथ नहीं जा सकता मैंने दीदी के हाथ को दबाते हुए पुछा, हम लोग देर हो रहे है मुझे तैयार होने दो, तो फिर में आपको ठीक १.०० पि ऍम पर लेने आ जाऊँगा दीदी खड़ी हुई और बोली ओके बाबा अब मेरा हाथ छोडो दीदी वाश रूम में गयी और कपडे पहन के आ गयी मैंने दीदी को हॉस्पिटल छोडा और सीधा अपने ऑफिस चला गया लंच टाइम में में दीदी को लेने हॉस्पिटल पहुच गया

दीदी मेरा ही इंतजार कर रही थी दीदी जब मोटर साईकिल पैर बैठी तो उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पैर रखा मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपनी जांघ पे रख लिया इस तरह दीदी थोडा और आगे आ गयी और उनके सेब जैसे ठोस बूब्स मेरी पीठ पैर गडगए दीदी ने पुछा आज क्या बात है तुम कुछ बदले बदले लग रहे हो मैंने कहा कुछ भी तो नहीं दीदी वैसे ही आप पर प्यार आ रहा है (चोर की दाढ़ी में तिनका ) हम लोग होटल पहुचे और खाना आर्डर किया खाना खाते समय मैंने अपने हाथ में खाना लेकर दीदी के मुह की और बढाया दीदी ने मुस्कुराते हुए खाया और बोली क्या बात है आज अपनी दीदी पैर बड़ा प्यार आ रहा है में केवल मुस्कुराया और आगे बात करने की हिम्मत मुझ में नहीं हुई हमने खाना खाया और वापस दीदी को हॉस्पिटल छोड़ दिया

अगले दिन जब दीदी नहा कर बाहर निकली तो आज उन्होंने मेरा लाया हुआ टावेल लपेटा हुआ था जो की सिर्फ दीदी की गांड को ही ढके हुए था और उपर से अगर दीदी जरा सी भी लापरवाही करती तो सेब के साथ साथ छोटा सा अंगूर का दाना भी दिख जाता मैंने दीदी का हाथ पकडा और अपने पास बिठाते हुए कहा दीदी आज आप बहुत सुंदर लग रही हो और रह रह कर मेरी नजरे दीदी के गोल गोल मुम्मो पैर पहुच जाती दीदी बोली यश क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है इस तरह के सीधे सवाल से में सकपका गया और अपनी नजर नीची कर ली दीदी मेरे सामने खड़ी हुई उनका हाथ अभी भी मेरे हाथ में था दीदी बोली बोल ना शर्मा क्यों रहा है मैंने जैसे ही बोलने के लिए अपना मुह उपर किया उनकी चिकनी जांघे मेरे एकदम सामने थे और टावेल सामने से बंधा होने की वजह से नीचे से थोडा खुला हुआ था उस खुले हिस्से को मैंने गोर से देखा तो हल्का हल्का कुछ गहरा काले रंग का दिख रहा था सायद बाल थे तो क्या दीदी ने चड्डी नहीं पहने हुई थी इतना सोचते ही मेरा चेहरा तपने लगा जैसे किसी आग की भट्टी के सामने खडा हूँ दीदी ने मेरी नजरो की और देखा और अपने टावेल को ढीक करते हुए बोली ठीक है रहने दे में तो तेरी कुछ लगती थोड़े ही हु जो तू मुझे बतायेगा और वाशरूम में कपडे पहनने चली गयी उनके जाने के बाद मेरी थोडी हिम्मत हुई और कहा दीदी ऐसे क्यों बोलती हो आप के सिवाय तो मेरा कोई भी नहीं है ना दोस्त और ना गर्ल, गर्ल बोलते ही मैं रुक गया दीदी बोली क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है मैंने कहा पहले थी कॉलेज में लेकिन अब उसकी शादी हो चुकी है

दीदी तैयार होकर बाहर निकली आज वो बाला की खूबसूरत लग रही थी मानो जैसे आज मेरे लिए ही सजी हो निशा दीदी बाहर आ कर बोली यश क्या तुम ऑफिस से आते समय मुझे हॉस्पिटल से ले लोगे मुझे बाज़ार से कुछ सामान खरीदना है मैंने कहा नो प्रॉब्लम दीदी बन्दा आपकी सेवा में हाजिर हो जाएगा और मैंने दीदी को हॉस्पिटल छोड़ दिया. शाम को दीदी ने घर का जरूरी सामान ख़रीदा और बाईक पैर बैठ कर बोली चलो थोडी दूर जाकर दीदी ने कहा एक बार रोको मैंने बाईक एक दूकान के आगे रोक दी दीदी कुछ असमंजस में थी फिर बोली रहने दो कोई नहीं चलो गोल गप्पे खाते है मैंने दूकान की और देखा वह एक लोंजरी शॉप थी और मुझे सुबह वाली बात याद आ गयी दीदी के घुंगराले बालो का दर्शन और मेरा लोडा अंगडाई लेने लगा सायद दीदी को चड्डी लेनी थी लेकिन वो मेरी झिझक के मारे ले नहीं पायी मैंने बाईक ले जाकर एक गोलगप्पे वाले की दूकान के आगे रोक दी वह काफी भीड़ थी दीदी बोली चलो थोडी देर टहलते है इतने में भीड़ भी छट जायेगी और हम पास में ही टहलने लगे इसी बीच दीदी ने फिर से वही गर्लफ्रेंड वाली बात छेड़ दी दीदी बोली अच्छा एक बात बताओ तुम्हारी गर्लफ्रेंड तुम्हारे साथ कितनी घुली मीली हुई थी मैंने कहा दीदी हम बहुत देर आपस में बात करते थे और एक दुसरे से कुछ भी बात नहीं छुपाते थे इस पर दीदी बोली बुद्धू मेरा मतलब है की क्या तुमने उसके साथ कुछ किया था
में दीदी की बात को समझ तो गया था की को पूछना चाह रही है की मैंने उसकी चुदाई की थी की नहीं लेकिन में अनजान बनते हुए कहा दीदी हम तो रोज़ साथ में ही होमवर्क किया करते थे और दीदी यह सुनते ही जोर जोर से हसने लगी इस समय हस्ते हुए वह ऐसे लग रही थी जैसे मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा आई हो खुसी से उनकी आँखे चमक उठी और चेहरा फूल सा खिल गया मैं कुछ देर उन्हें देखता रहा फिर बोला दीदी आप हस क्यों रही हो दीदी बोली भैया तुम बहुत भोले हो मैं मन ही मन सोचा की दीदी एक बार निचे आ जाओ फिर बताता हूँ मैं कितना भोला हूँ, पूरी रात अगर रगड़ रगड़ के नहीं चोदा तो मेरा नाम भी यश नहीं और जो तुम रोज अपनी गांड छोटे से तोलिये में मुझे दिखाती फिरती हो उसको तो अब भगवन भी मेरे लोडे से नहीं बचा सकता में सोच रहा था की सायद दीदी भी वही चाह रही है जो में दीदी से चाहता हूँ लेकिन नारी को तो अछे अछे ऋषि भी नहीं समझ पाए में तो कुछ भी नहीं था इस बात का पता तो मुझे बाद में चला की दीदी बार बार मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड के बारे में क्यों पूछ रही थी और मैं समझ रहा था की मेरा चांस लगने वाला है
दीदी और मैंने गोलगप्पे खाए और फिर घर आ गए दीदी को घर पैर छोड़ कर में वापस बाज़ार गया और उनके लिए सुंदर से पारदर्शी चड्डी और ब्रा खरीद कर घर वापस लाया अब आप लोग सोचोगे की मेरी दीदी का साइज़ मुझे कैसे पता लगा तो भाई लोगो जिस दिन में बाथरूम में घुसा था और पहली बार दीदी के ब्रा और पेंटी को देख कर झडा था तभी मैं उनका साइज़ देख लिया था वो साइज़ क्या है वो में आप लोगो को बता तो दु लेकिन फिर कुछ को अच्हा लगेगा और कुछ को बड़ा या छोटा तो आप लोगो को जो अच्छा लगे वो ही साइज़ मान लो इस से सब की फंतासी बनी रहेगी अगले दी जब दीदी बाथरूम में थी तो मैंने वह ब्रा और पेंटी दीदी के रूम में रखने गया और जैसे ही रखने लगा बाथरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज हुई और में जल्दी से बाहर की और भागा पर हाय रे मेरी किस्मत बाहर निकलते ही साइड में एक टेबल रक्खी थी और उसमे एक कील निकली हुई थी जो सीधे मेरे लोड़े से करीब छ इंच नीचे मेरी जांघ में घूस गयी और जल्दी में में जब आगे हुआ तो मेरी जांघ को चीरती हुई निकल गई और अचानक से खून निकलने लगा में भागता हुआ अपने रूम में पंहुचा और एक कपडे से खून को बहने से रोकने लगा.

इधर दीदी जब बाहर निकली तो मेरे द्वारा लाये हुए अंडर गारमेंट्स को देखा और फनफनाती हुई मेरे रूम में पहुची में उन्हें देखते ही डर गया वो इस समय ऐसे लग रही थी जैसे की मुझे आँखों से ही भस्म कर देगी लेकिन जैसे ही उन्होंने मेरी जांघ को खून से लटपट देखा तो उनका सारा गुस्सा काफूर हो गया और दौड़ती हुए मेरे पास औई और बोली हे राम ये क्या हुआ में कुछ नहीं बोला वो जल्दी से भागती हुई ड्रेसिंग का सामान लेती हुई आई खून तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था वो बोली जल्दी से अपना पजामा उतारो में नॉर्मली घर में कुरता पजामा पहनता हूँ दीदी ने फिर से मेरा पजामा उतरने के लिए बोला तो में बोला नहीं पहले आप मुझे माफ़ कर दो दीदी को फिर चड्डी ब्रा वाली बात याद आ गयी और उनका चेहरा फिर से गुस्से में लाल हो गया और बोली चुपचाप अपना पजामा उतारो में बोला नहीं पहले आप मुझे माफ़ कर दो दीदी बोली खून बहुत निकल रहा है मुझे ड्रेसिंग करने दो में बोला क्या होगा ज्यादा से ज्यादा मर ही तो जाऊँगा वो तो में वैसे भी अगर आप मुझ से बात नहीं करोगी तो में मर जाऊँगा यह बात सुनकर दीदी की आँखे भर आई और मुझे उनकी आँखों में एक साथ प्यार और अपनापन नजर आ रहा था फिर दीदी बोली मेरे भाई में तुझ से नाराज नहीं हूँ अब तो पट्टी बंध्वाले लेकिन में अभी भी अपना पजामा उतारने को तैयार नहीं हुआ तो दीदी बोली भैया तेरी कसम में तुझ से नाराज नहीं हूँ पट्टी बंध्वाले खून बहुत निकल रहा है लेकिन में दीदी को यह बताने में शर्मा रहा था की मैंने पजामे के निचे चड्डी नहीं पहनी हुई है मेरी और से कोई प्रतिक्रिया न होता देख दीदी ने मुझे धक्का दिया और बेड पर लिटा दिया और मेरे पजामे को खोलने लगी में बोला दीदी प्लीज उपर से ही बाँध दो तो वो बोली पागल बिना जख्म देखे कैसे पट्टी बंद दूं और दीदी पजामे का नाडा खोलने लगी में बोला दीदी मैंने चड्डी नहीं पहनी हुई है दीदी एकबार तो रुकी फिर बोली क्यों नहीं पहनी है तो में बोला में चड्डी नहीं पहनता हूँ और ऐसे बोलते ही मेरे लैंड में तनाव आने लगा दीदी बोली ठीक है तू कुरता नीचे कर लेना और मेरा नाडा खोलने लगी और पजामे को खीच कर निचे कर दिया निचे करते ही मेरे मुह से जोर की चीख निकली जखम बहुत गहरा था और मॉस बहार आ रहा था दीदी जो की डॉक्टर थी एक बार तो वो भी देख कर हिल गयी फिर हिम्मत करके मेरी ड्रेसिंग करने लगी मेरी अंको के आगे अँधेरा सा छाने लगा था पता नहीं दर्द के मारे था या खून ज्यादा निकल जाने के कारण :




राज शर्मा की कहानियाँ पसंद करने वालों को राज शर्मा का नमस्कार दोस्तों कामुक कहानियाँ डॉट कॉम में आपका स्वागत है। मेरी कोशिश है कि इस साइट के माध्यम से आप इन कहानियों का भरपूर मज़ा ले पायेंगे।
लेकिन दोस्तों आप कहानियाँ तो पढ़ते हैं और पसंद भी करते है इसके साथ अगर आप अपना एक कमेन्ट भी दे दें
तो आपका कया घट जाएगा इसलिए आपसे गुजारिश है एक कमेन्ट कहानी के बारे में जरूर दे
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj































































































































































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