Tuesday, April 13, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--6

raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,

खिलोना पार्ट--6

"अरे,बेटी मैं कर लूँगा.तुम क्यू तकलीफ़ कर रही हो!"

"हां,हां,देख रही हू आप कर लेंगे.",रीमा स्टूल पे चढ़ गयी,"इस्पे चढ़ने मे ही आप परेशान हो गये,दद्दा."रीमा ने सारी का पल्लू अपनी कमर मे खोंसा,"लाइए डब्बे दीजिए,मैं रखती हू."

किचन मे उपर बने कॅबिनेट्स मे दर्शन डब्बे रखने जा रहा था जब रीमा आकर उसकी मदद करने लगी.

"वाह,दद्दा.तुमने इन्हे नर्स से अपनी असिस्टेंट बना लिया!",शेखर दफ़्तर से लौट आया था.

"मैं तो कर लेता भाय्या, पर इसके आगे तो मेरी 1 नही चलती.",जवाब मे दर्शन हंसते हुए बोला.तभी बाहर सब्ज़ीवाले की आवाज़ आई,"भाय्या,ज़रा स्टूल थाम लो तो मैं सब्ज़ी ले आऊ,रात के खाने के लिए कोई सब्ज़ी नही है."

"ठीक है,दादा.",शेखर ने स्टूल थाम लिया.उसका चेहरा रीमा की नंगी कमर के पास था.बीच-2 मे वो झुक के डब्बे उठाता & उसे थमा देता.वो इस तरह खड़ा था की उसका चेहरा रीमा की कमर से बस कुच्छ इंच दूर था.उसके बदन से आती मस्त खुश्बू शेखर को मदहोश कर रही थी.रीमा का भी बुरा हाल था,उसके जेठ की गरम साँसे वो अपनी कमर पे महसूस कर रही थी & उसकी चूत मचलने लगी थी.

दोनो मदहोश से ये भूल ही गये थे कि 1 स्टूल के उपर खड़ा था तो दूसरा उसे संभालने के लिए नीचे स्टूल को थामे था.रीमा का पैर फिसला & वो नीचे गिरने लगी कि शेखर ने उसे थाम लिया,अब वो अपने जेठ की गोद मे थी.शेखर ने उसे ऐसे पकड़ा कि उसका 1 हाथ उसकी पीठ को घेरे था तो दूसरा उसकी कमर को.वो एकटक रीमा को घुरे जा रहा था,रीमा ने शर्मा के अपनी नज़रे नीची कर ली,"नीचे उतारिये ना."

शेखर ने बहुत धीरे से उसे नीचे उतारा & ऐसा करने मे उसका जो हाथ पीठ को थामे था,उस से उसने रीमा की बगल से उसकी 1 चूच्ची को दबा दिया & दूसरे से उसकी कमर को.ज़मीन पे खड़ा करते हुए उसने अपने गुज़रे हुए भाई की विधवा को अपने बदन से चिपका कर अपने खड़े लंड का एहसास उसे करा दिया.रीमा के गाल लाल हो गये थे & माथे पे पसीना छलक आया था.

गेट बंद होने की आवाज़ आई तो दोनो अलग हो गये.दर्शन किचन मे आया तो शेखर अपने रूम मे जा चुका था.बचा काम करके रीमा भी अपने कमरे मे चली गयी थी,कितने दीनो बाद किसी मर्द के सीने से लग उसने अपनी चूत पे लंड का & चूची पे हाथ का एहसास किया था.पर अभी अपनी आग बुझाने का वक़्त नही था,सास को दवा जो पिलानी थी.

-------------------------------------------------------------------------------

रात को खाने के बाद वो छत पे गयी जहा शेखर ने बहाने से कई बार उसके बदन को हाथ लगाया.वो जानती थी कि अगर वो थोड़ी देर और वाहा रुकी तो वो आज खुद उस से चुदने को तैय्यार हो जाएगी जोकि उसे बिल्कुल नही करना था.दोनो बाप-बेटे को बिल्कुल नही लगना चाहिए था कि वो खुद उनके साथ सोई थी बल्कि उन्हे तो हमेशा ये लगना चाहिए था कि उन्होने अपनी बहू का फ़ायदा उठाया.वो शेखर को गुड नाइट कह के नीचे आ गयी.

अपनी सास को सुला उसने परदा हटा वो अपने ससुर के पास गयी,वो बिस्तर पे हेडबोर्ड से टेक लगा पैर फैलाए बैठे थे,"अभी सोए नही आप.",वो उनके पैरो के पास बैठ गयी,"लाइए पैर दबा दू."

"ओह्ह..ओह!रीमा तुम फिर परेशान हो रही हो.मैं दर्शन से करवा लेता ना!"

जवाब मे रीमा बस मुस्कुरा के फिर से घुटनो पे बैठ उनके पैर दबाने लगी.अगर उन्हे उसकी परेशानी की इतनी चिंता होती तो वो अभी तक दर्शन को बुला उस से ये काम करवा चुके होते,पर उन्हे तो अपने बहू के जिस्म का दीदार & एहसास जो करना था.रीमा ये सोच मन ही मन मुस्कुराइ.

"आज तेल के साथ मालिश कर देती हू.ज़्यादा आराम मिलेगा.",वो उठी & थोड़ी देर मे तेल लेकर आ गयी & घुटनो पे बैठ गयी.उसके ससुर ने अपना पाजामा घुटनो तक चढ़ा लिया था.रीमा ने उसे थोड़ा & उपर कर उनकी जाँघो को भी पाजामे से बाहर कर दिया.अपनी बहू के कोमल हाथो का एहसास जाँघो पे महसूस करते ही वीरेन्द्रा साक्शेणा का लंड खड़ा होने लगा.

रीमा ने हाथो मे तेल लगा अपने ससुर के पैरो की मालिश शुरू कर दी.कल ही की तरह आज फिर उसका आँचल सीने से नीचे गिर गया.उसके हाथो मे तेल लगा था & छुने से सारी खराब हो जाती.वो पशोपेश मे पड़ी थी कि तभी कुच्छ ऐसा हुआ जो उसने सपने मे भी नही था,विरेन्द्र जी ने हाथ बढ़ा उसका पल्लू उठाया & उसकी कमर मे अटका दिया.ऐसा करने मे उनका हाथ उसकी कमर के शायद सबसे कोमल हिस्से को छु गया &रीमा के बदन मे बिजली सी दौड़ गयी.

उसने उनके पैरो पे तेल मालिश शुरू कर दी &थोड़ी ही देर मे उसे अपने ससुर के पाजामे मे वो जाना-पहचाना तंबू नज़र आ गया.विरेन्द्र जी तो जैसे नज़रो से ही उसके सीने की गोलैईयों का रस पी रहे थे.रीमा की चूत जो शाम को शेखर की हर्कतो से गीली हो गयी थी अब तो बस जैसे बहने लगे थी.अपनी जाँघो को हल्के से रगड़ते हुए वो उनकी टाँगे सहलाने लगी.

दोनो इस खेल का मज़ा ले रहे थे.रीमा का दिल तो कर रहा था की अपने ससुर के उपर चढ़ जाए & उनके बदन से अपने बदन की प्यास बुझा ले पर ऐसा वो कर नही सकती थी.

"आज ज़रा कमर की भी मालिश कर दो.",विरेन्द्र जी ने अपना कुर्ता उतार दिया & पलट के पेट के बल लेट गये.रीमा को उनके बालो भरे चौड़े सीने की बस 1 झलक सी मिली.रवि का सीना बिल्कुल चिकना था & वो हमेशा सोचा करती थी कि कैसा लगता होगा बालो भरे सीने मे हाथ फिराना उसे चूमना...

उसके ससुर लेटे उसका इंतेज़ार कर रहे थे.रीमा ने पहले तो बगल मे बैठे हुए ही मालिश शुरू की पर इस पोज़िशन मे वो ठीक से ये काम कर नही पा रही थी.उसके ससुर शायद उसकी परेशानी समझ गये थे,"मेरे दोनो तरफ घुटने रख के बैठो तो ठीक से कर पओगि."

रीमा ने सारी घुटनो तक उठाई & जैसे उन्होने कहा वैसे बैठ गयी.मालिश शुरू हो गयी.रीमा घुटनो पे खड़े-2 थोडा थक गयी तो अपनेआप उसके घुटने मूड गये & वो अपने ससुर की गंद पे बैठ गयी.विरेन्द्र जी के मुँह से आह निकल गयी तो उसे लगा कि उन्हे दर्द हो रहा है,वो फ़ौरन उठ गयी.

"बैठी रहो,बहू.मुझे कोई परेशानी नही है.वैसे भी ऐसे खड़े हुए तो तुम थक जाओगी."

रीमा वापस उनकी गंद पे बैठ गयी & मालिश करने लगी.चूत को 1 मर्दाना जिस्म का एहसास हुआ तो वो अपने आप बहुत हौले-2 उनकी गंद पे रगड़ खाने लगी.रीमा मस्त हो अपने ससुर की कमर सहला रही थी,"ज़रा पीठ की भी मालिश कर दो.",विरेन्द्र जी की आवाज़ आई.

वो झुक कर उनके पीठ की मालिश करने लगी.अब उसकी कमर हल्के-2 हिल कर उसकी चूत को उसके ससुर की गंद पे रगड़ रही थी & जब भी वो आगे झुकती तो उसकी छातिया उनकी पीठ को च्छू सी जाती.रीमा आँखे बंद किए ये खेल खेल रही थी कि तभी उसके ससुर ने करवट ली.

उनके ऐसा करने से वो अब सीधा उनके लंड पे आ बैठी थी.रीमा की साँस अटक गयी.उसके ससुर की आँखो मे वासना की भूख सॉफ नज़र आ रही थी.उसकी सारी घुटनो से कुच्छ उपर आ गयी थी.उनके हाथ वही घुटनो के उपर उसकी जाँघ से लग गये,"ज़रा सीने पे भी मालिश कर दो."

रीमा ने हाथो मे तेल लिया & उनके बालो भरे सीने की मालिश करने लगी.जब वो झुकती तो रीमा की ब्लाउस के गले मे से झँकति चूचिया विरेन्द्र जी के चेहरे के बिल्कुल सामने आ जाती.उनकी नज़रे तो वही टिकी हुई थी....और रीमा...उसे उनके बालो से खेलने बहुत अच्छा लग रहा था.वो आँखे बंद किए उनके सीने को सहलाने लगी & उनके निपल्स के आस-पास उसके हाथ दायरे मे घूमने लगे.कमर हिलाते हुए उनके लंड पे चूत को रगड़ रही थी.तभी विरेन्द्र जी का हाथ उसे जाँघो से होता हुआ उसकी सारी मे घुसता महसूस हुआ तो वो जैसे नींद से जागी.

वो सीधी हुई & अपनी घुटने सीधे करते हुए पलंग से उतर गयी,"अब आप आराम करिए,पिताजी.मैं भी सोने जाती हू."

वो लड़खड़ते हुए जैसे की नशे मे हो,अपने कमरे मे पहुँची & पिच्छली रात की हितरह अपने कपड़े & गीली पॅंटी को उतार अपने हाथोसे अपनी चूत को रगड़ने लगी.

"मालिक,मैने 127 नंबर. वाली कोठी के रामभाजन को कह दिया है,उसका भतीजा गणेश रोज़ आकर काम कर जाएगा...क्या करू मलिक, बात ही ऐसी है,जाना तो पड़ेगा-.."

"..-क्या बेकार की बातें कर रहे हो, दर्शन!",वीरेन्द्रा जी ने नाश्ते की प्लेट अपनी ओर खींची,"..बेफ़िक्र होकर जाओ & बिटिया की शादी निपताओ.यहा हमे कोई तकलीफ़ नही होगी."

"हा,दद्दा.और मैं भी तो हू.यहा कोई परेशानी नही होगी.",रीमा भी आकर टेबल पे बैठ गयी.दर्शन कल से 3 महीने की छुट्टी पे अपने गाओं जा रहा था,उसकी बेटी की की शादी के लिए.उसी के बारे मे बातें हो रही थी.

वीरेंद्र जी ने देखा कि रीमा कहीं जाने के लिए तैय्यार है,आज उसने सलवार कमीज़ पहनी थी जो की काफ़ी कसी हुई थी & उसके बदन की गोलाइयाँ उसमे से पूरी तरह से उभर रही थी.दुपपते सीने से नीचे था & कमीज़ के गले से 1 इंच क्लीवेज नज़र आ रहा था.उनकी निगाहे वही पे अटक गयी,"कही बाहर जा रही हो क्या?"

"जी.वो जो नये अकाउंट के लिए अप्लाइ किया था ना,आज बॅंक मे उसी के लिए बुलाया था.नाश्ता करके वही जाऊंगी."

"मैं तुम्हे छ्चोड़ दूँगा.",शेखर भी नाश्ता करने आ गया था.रीमा ने आज उसे मना नही किया,जानती थी कि वो मानेगा तो है नही.

थोड़ी देर बाद वो मार्केट मे शेखर की कार से उतर रही थी.आज फिर कार से बॅंक की ओर जाते हुए शेखर का हाथ उसकी कमर पे था.बॅंक मे उसे थोड़ी देर इंतेज़ार करने को कहा गया तो दोनो 1 दीवार से लगी कुर्सियो मे से 2 पे बैठ गयी.शेखर उस से सॅट के यू बैठा था कि उसकी टाँग & जाँघ रीमा की टाँग & जाँघ से बिल्कुल सटे हुए थे.उसका 1 हाथ पीछे से कुर्सी पे टीका रीमा की पीठ सहला रहा था.दोनो इधर-उधर की बाते करने लगे कि तभी किसी आदमी ने 1 फॉर्म फाड़ कर फेंका तो उसके कुच्छ टुकड़े पंखे की हवा से उड़ उनकी तरफ आ गये & 1 टुकड़ा रीमा की क्लीवेज मे अटक गया.

जब तक रीमा कुच्छ करती,शेखर ने बिजली की फुर्ती से अपने हाथ से उस टुकड़े को वाहा से निकाल लिया & ऐसा करने मे उसके सीने की दरार मे 1 उंगली घुसा 1 चूची को हल्के से दबा दिया.रीमा ने घबरा कर देखा कि कही किसी ने उसे ऐसा करते देखा तो नही,उसे शेखर की इस हरकत पे बहुत गुस्सा आया पर साथ ही साथ दिल मे थोड़ी गुदगुदी भी हुई.

तभी क्लर्क ने उसका नाम पुकारा तो दोनो उठ कर काउंटर पे चले गये.रीमा अपने अकाउंट के पेपर्स,पासबुक & कार्ड वग़ैरह लेने लगी & शेखर पिच्छली बार की तरह उस से पीछे से उसकी गंद से अपना लंड सटा कर खड़ा हो गया.

कोई दस-एक मिनिट बाद दोनो बॅंक से बाहर निकल कार की ओर जाने लगे,तभी रीमा को ऐसा लगा जैसे कोई उसे घूर रहा है,उसने बाए घूम देखा तो सड़क के उस पार 1 काले चश्मे लगाए,गर्दन तक लंबे बालो वाले गेंहुए रंग के आदमी को मुँह फेरता पाया.रीमा 1 बहुत खूबसूरत लड़की थी & उसे आदत थी मर्दो की घुरती निगाहो की,पर यहा बात कुच्छ और थी,उस इंसान का मुँह फेरना ऐसा नही था जैसा 1 इंसान तब करता है जब कोई खूबसूरत लड़की खुद को घूरते हुए उसे पकड़ लेती है.उसका मुँह फेरना ऐसा था जैसे वो नही चाहता था कि रीमा की नज़र उसपे पड़े,"क्या देख रही हो,रीमा?बैठो.",शेखर कार का दरवाज़ा पकड़े खड़ा था.

"जी.चलिए.",रीमा कार मे बैठ गयी.

उस दिन उसके दिमाग़ मे उसी अजनबी का चेहरा घूमता रहा.वो तो यहा किसी को जानती भी नही,ऐसा भी तो हो सकता है कि कोई शेखर का पहचँवला हो...वो तो यही पाला-बढ़ा था...या फिर कोई और बात थी..."रीमा!"

"जी..",रीमा अपने ख़यालो से बाहर आई.

"ज़रा मेरे साथ बाज़ार चलो,दर्शन के परिवार वालो के लिए कुच्छ तोहफे ले आते हैं."

"अच्छा.चलिए."

शाम के & बज रहे थे & बाज़ार खचाखच भरा था.सारी खरीदारी कर हाथो मे पॅकेट्स पकड़े दोनो कार पार्किंग की तरफ जाने लगे कि तभी कोई धार्मिक जुलूस वाहा से निकलने लगा.लोगो का हुजूम उसे देखने को आगे बढ़ा तो रीमा अपने को संभाल नही पाई & गिरने लगी की तभी विरेन्द्र जी ने उसे कमर से थाम लिया & उसे ले उस भीड़ से बाहर निकालें.रीमा अपने ससुर से ऐसे चिपकी थी कि उसकी चूचिया उनके सीने मे दबी हुई थी & वो उसकी कमर को थामे हुए थे.

भीड़ का 1 रेला आया तो रीमा फिर लड़खड़ा गयी,मुझे थाम लो,रीमा वरना गिर जाओगी."उसके ससुर ने उसे अपने बगल मे दबाते हुए उसका हाथ अपने पेट पे से होते हुए अपनी कमर पे पकड़ा दिया.अब दोनो जैसे गले से लगे हुए वाहा से निकालने लगे.जब वो भीड़ से बाहर निकल 1 खाली जगह पे खड़े हो साँस लेने लगे तो रीमा ने देखा कि उसकी चूचया उसके ससुर के सीने से ऐसे दबी है कि लग रहा है कि कमीज़ के गले से बाहर ही आ जाएँगी.उनका हाथ उसकी कमर से उसकी गंद पे आ गया था & 1 फाँक को पकड़े हुए था & वो खुद उनकी कमर पे हाथ लपेटे उनसे चिपकी खड़ी थी.

वो धीरे से उनसे अलग हुई & दोनो कार पार्क की ओर चल दिए पर विरेन्द्र जी ने उसे पूरी तरह से अलग नही होने दिया-उनका हाथ उसकी कमर को अभी भी घेरे हुए था.

रात खाना खाने के बाद विरेन्द्र जी फ़ौरन अपने कमरे मे चले गये,रीमा समझ गयी कि उसके ससुर को उसकी मालिश का इंतेज़ार है.वो थोड़ी देर बाद अपनी सास को सुलाने के बहाने वाहा पहुँची तो देखा कि दर्शन वाहा पहले से मौजूद है.

"चलिए,मालिक लेट जाइए.आपके पैर दबा दे."

"अरे नही,दर्शन.हमे दर्द नही हो रहा."

"नही,मालिक.आज बेकार मे हमारे चलते आप बेज़ार गये.इतना चलना पड़ा,ज़रूर दर्द हो रहा होगा.चलिए लेट जाइए.",दर्शन ने उन्हे पलंग पे बिठा दिया.हार कर विरेन्द्र जी को लेटना पड़ा.दर्शन उनके पैर दबाने लगा तो उन्होने अपनी सास को सुलाती रीमा की तरफ देखा,उनके चेहरे का भाव देख रीमा को हँसी आ गयी.अपनी हँसी च्छूपाते हुए वो वाहा से निकल अपने कमरे मे आ गयी.कहा उसके ससुर उसके कोमल बदन के ख़यालो मे डूबे थे & कहा अब दर्शन के खुरदुरे हाथ ज़ोर-2 से उनके पैर दबा रहे होंगे.

हंसते हुए रीमा कपड़े बदलने लगी.सलवार कमीज़ उतार उसने 1 टख़नो तक लंबी,ढीली स्कर्ट & 1 टी-शर्ट पहन ली.थोड़ी गर्मी महसूस हुई तो वो छत पे टहलने चली गयी.

छत पे पहले से ही मौजूद शेखर की आँखे उसे देखते ही चमक उठी.दोनो हल्की-फुल्की बाते करने लगे कि तभी शेखर ने बातो का रुख़ मोड़ दिया,"अजीब बात है ना,रीमा.हम 2 अलग इंसान हैं,फिर भी दोनो की तक़्दीरे 1 जैसी हैं."

रीमा ने सवालिया नज़रो से उसकी ओर देखा.

"तुम भी अकेली हो मैं भी .रवि की मौत ने तुम्हे ये गम दिया तो मेरी बीवी ने तलाक़ देकर मुझे ये चोट पहुँचाई."

"तक़दीर के आगे इंसान कर ही क्या सकता है.",रीमा बोली.

"हां."

"अच्छा चलती हू.गुड नाइट."

"मैं भी चलता हू.कल मुझे 2-3 दीनो के लिए देल्ही जाना है."

दोनो साथ-2 सीढ़िया उतर नीचे आ गया.दर्शन अपने कमरे मे जा चुका था & उसके सास-ससुर भी सो गये लगते थे.

रीमा अपने कमरे की ओर बढ़ने लगी कि शेखर ने उसे आवाज़ दी,"रीमा.तुमने उस दिन उस फोड़े पे मलम लगाया था ना.ज़रा उसे देख लो.अब दवा की ज़रूरत है या नही.",रीमा इस बात को मना नही कर पाई & उसके पीछे उसके कमरे मे आ गयी.शेखर ने दरवाज़ा भिड़ा दिया & अपनी शर्ट उतार उसके सामने खड़ा हो गया.रीमा ने देखा की फोड़े की जगह अब बस छ्होटा सा सूखा घाव जैसा था,उसने उसे जैसे ही च्छुआ की शेखा ने अपनी बाहों मे उसे जाकड़ कर उसे अपने सीने से चिपका लिया & उसका चेहरा चूमने लगा.

"ये..ये...क्या कर रहे हैं..आप?छ्चोड़िए ना!",रीमा छट-पटाने लगी.

"ओह्ह...रीमा मैं तुम्हारे प्यार मे पागल हो चुका हू.प्लीज़ मुझे दूर मत करो.",शेखर ने उसके होंठ चूम लिए.

"ये ग़लत है,भाय्या.....मैं..मैं आपके भाई की बीवी हू."

"बीवी थी,रीमा.प्लीज़,मुझे मत तड़पाव.आइ लव यू.",इस बार शेखर ने अपने होंठ उसके होटो से चिपका दिए & उसे लिए-लिए बिस्तर पे गिर गया.अब रीमा उसके नीचे दबी छॅट्पाटा रही थी & वो उसे बेतहाशा चूम रहा था,"..भाय्या नही..ये..ये ग़लत है.."

मस्ती उस पे भी चढ़ रही थी पर अपने प्लान के मुताबिक सबकुच्छ इस तरह होना चाहिए था कि कही से भी ऐसा ना लगे कि रीमा की भी यही ख्वाहिश थी.शेखर ने उसकी शर्ट मे हाथ घुसा दिया & उसकी कमर को सहलाते हुए उसकी गर्दन चूमने लगा.उसके हाथ उसके ब्रा हुक्स मे जा फँसे & सारे हुक्स पाट-2 करके खुल गये.उसने शर्ट को उपर कर उसके पेट को नंगा कर दिया & नीचे आ वाहा चूमने लगा.

उसकी जीभ उसकी नाभि मे गयी तो रीमा उठ कर उसे अलग करने लगी तो उसने उसे फिर से लिटा दिया.उठा-पटक मे उसकी स्कर्ट घुटनो तक आ गयी थी.शेखर ने 1 झटके मे उसे & उपर कर दिया & झुक कर उसकी भारी जाँघो को चूमने चाटने लगा.रीमा के हाथ उसके बालो मे उलझे उसे अलग करने की कोशिश कर रहे थे.शेखर जाँघो को चूमता उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा तो रीमा की आह निकल गयी & अंजाने मे ही उसके बालो मे फँसे हाथो ने शेखर के सर को खींचने के बजाय उसे और उसकी जाँघो पे दबा दिया.

शेखर समझ गया कि रीमा भी अब अपने जिस्म की गर्मी की गुलाम बन गयी है.उसने जम कर उसकी जाँघो को चूमा & चूसा & ऐसा करते हुए उसके स्कर्ट को निकाल फेंका.उसने अपनी पॅंट उतार दी & अब वो केवल अंडरवेर मे था.उसने कमरे का दरवाज़ा बंद किया & पलंग पे बैठ रीमा को अपनी गोद मे लिटा लिया.रीमा की उठी हुई शर्ट उसके गोरे पेट को नुमाया कर रही थी & नीचे बस आसमैनी रंग की पॅंटी मे उसकी गोरी टाँगे शेखर पे कहर ढा रही र्ही.

शेखर का 1 हाथ उसके सर के नीचे था & दूसरा जाँघो के बीच मे सहला रहा था.उसने रीमा का सर उठाया शर्म से लाल हो रहे रीमा के चेहरे पे किससे की झड़ी लगा दी.

"नही...नही...",रीमा के होंठ अभी भी यही कह रहे थे पर उसकी आवाज़ मे विरोध से ज़्यादा 1 गरम हो चुकी लड़की की मस्ती थी.शेखर ने पॅंटी के नीचे से हाथ घुसा उसकी गंद की 1 फाँक को अपने हाथ मे भर लिया & दबाते हुए उसके होटो को चूमने लगा.जब उसकी जीभ रीमा की जीभ से टकराई तो रीमा फिर से छॅट्पाटा उठी.ज़माने बाद उसके जिस्म मे फिर से वोही हरारत पैदा हो रही थी.

शेखर का हाथ उसकी गर्दन को घेरते हुए उसकी 1 चूची पा आकर उसे दबाने लगा था.वो उसकी जीभ से खेलते उसे चूमता हुआ उसकी गंद अभी भी दबा रहा था.इस तिहरे हमले ने काई दीनो की प्यासी रीमा को झाड़वा दिया.उसके जिस्म मे वोही जाना पहचाना मज़े का सैलाब बाँध तोड़ता आया तो वो सिसक कर शेखर की गोद से छितक कर उतर गयी & 1 तकिये मे मुँह च्छूपा सिसकने लगी.

शेखर पीछे से उस से आ लगा & उसके बालो को चूमते हुआ अपने हाथ उसकी शर्ट मे घुसाने लगा.शर्ट मे हाथ घुसा उसने थोड़ी देर तक उसकी छातिया दबाई & फिर हाथ को शर्ट के गले मे से निकाल कर उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया & प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को चूमने लगा.रीमा पड़ी हुई उसे उसके दिल की करने दे रही थी.

उसने रीमा को सीधा किया & उसकी शर्ट निकाल दी.सामने रीमा का खुला आसमानी रंग का मॅचिंग ब्रा उसकी तेज़ सांसो से उपर-नीचे होती छातियो पे पड़ा हुआ था.शेखर ने हौले से उसे उसकी बाहो से निकाला & पहली बार उसकी हल्के गुलाबी निपल्स से सजी बड़ी-2 कसी चूचियो का दीदार किया.

"वाउ!रीमा,तुम तो हुस्न की देवी हो.",वो झुक कर अपने छ्होटे भाई की विधवा की चूचिया चूसने लगा.उसे लगा कि वो जन्नत की सैर कर रहा है.इस से बड़ी & उतनी ही कसी छातिया उसने पहले कभी नही देखी थी.उसने जी भर के उन गोलो को दबाया,सहलाया,चूसा & चूमा.उसकी हर्कतो से रीमा 1 बार फिर गरम हो गयी & अपने जेठ के बालो मे मस्ती मे उंगलिया फिराने लगी.

शेखर अब रुक नही सकता था,उसे तो अब बस इस खूबसूरत हसीना की जम कर चुदाई करनी थी.वो उसकी चूचिया छ्चोड़ खड़ा हुआ & पहले रीमा की पॅंटी & फिर अपना अंडरवेर निकाल दिया.रीमा तो शर्म से बहाल हो गयी.रवि के अलावा आज वो पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी हुई थी & उसे नंगा देख रही थी & वो मर्द और कोई नही उसका जेठ था.ये तो उसने सपने मे भी नही सोचा था कि वो 1 दिन अपने जेठ से चुदेगि.

शेखर ने थोड़ी देर तक अपनी बहू के नंगे हुस्न को आँखो से पिया.उसी वक़्त रीमा ने भी अधखुली आँखो से अपने जेठ के लंड को देखा.उसे हैरत हुई कि वो बिल्कुल उसके पति के लंड जितना ही लंबा & मोटा था.यहा तक की उसका रंग भी वैसा ही था.

शेखर ने उसकी जंघे फैलाई & उसके उपर लेट गया & उसके होठ चूमने लगा,उसका 1 हाथ नीचे गया & लंड पकड़ कर रीमा की चूत मे घुसा दिया.

"आ..आहह..!",रीमा हल्के से करही.कितने दीनो बाद आज फिर उसकी चूत ने लंड चखा था.कुच्छ तो उसकी बनावट ही ऐसी थी & कुच्छ इतने दीनो तक ना चुदने के कारण शायद रीमा की चूत थोड़ा और कस गयी थी.शेखर ने सपने मे भी नही सोचा था की रीमा इतनी कसी होगी,उसके लंड को ये एहसास हुआ तो उसकी भी आह निकल गयी.

अगले 2-3 धक्को मे उसने अपन पूरा लंड जड़ तक रीमा की चूत मे उतार दिया & ज़ोरदार धक्को के साथ उसकी चुदाई करने लगा.वो तो जोश मे पागल ही हो गया,कभी वो उसके गुलाबी होंठ चूमता तो कभी चूचिया.उसके हाथ कभी रीमा के चेहरे को सहलाते तो कभी उसकी चूचिया दबाते हुए उसके निपल्स को छेड़ते.

थोड़ी देर मे रीमे की चूत भी पानी छ्चोड़ने लगी & वो भी नीचे से कमर हिला-2 कर अपने जेठ के धक्को का जवाब देने लगी.उसने अपने जेठ के जिस्म को अपने बाहों मे भर लिया & आहें भारती हुई अपनी टांगे हवा मे उठा दी.शेखर समझ गया कि वो भी अब झड़ने वाली है.

उसने अपनी रफ़्तार और तेज़ कर दी,"आअ....आ..इयीयैयियी...ईयीई.........एयेए....हह...ढ़ह...ई...र्रररीई.......करीी...ये...नाआअ.....आआ...आअहह..!",रीमा कराह रही थी पर उस से बेपरवाह शेखर बस अपने झड़ने की ओर तेज़ी से बढ़ा चला जा रहा था.

तभी रीमा ने अपने नाख़ून अपने जेठ की पीठ मे गढ़ा दिए & बिस्तर से उठती हुई उसे चूमते हुई उस से कस के चिपेट गयी.वो झाड़ गयी थी.शेखर ने भी 1 आखरी धक्का दिया & उसके बदन ने झटके खाते हुए अपना सारा पानी रीमा की चूत मे छ्चोड़ दिया & उसकी अरसे से प्यासी चूत की प्यास बुझा दी.


थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े रहे फिर शेखर उठ कर बाथरूम चला गया.कुच्छ देर बाद रीमा उठी,तभी उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी तो उसने पास पड़ी चादर खींच कर अपने बदन के गिर्द लपेट ली.शेखर आकर उसकी बगल मे बैठ गया.दोनो बेड के हेडबोर्ड से टेक लगा बैठे थे.शेखर ने अपनी बाँह के घेरे मे उसे लिया तो रीमा मुँह फेर दूर होने लगी.

शेखर ने उसे और मज़बूती से पकड़ लिया & हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया.रीमा की भरी आँखे & चेहरे की परेशानी देख उसे सब समझ मे आ गया,"मुझसे नाराज़ हो?"

"मेरी ऐसी औकात कहा."

"ऐसी बातें क्यू कर रही हो रीमा?"

"1 बेबस लड़की और कैसी बातें करती है.",उसने अपनी आँसू भरी आँखे शेखर की आँखो से मिलाई.

"तुम्हे ये लग रहा है कि मैने तुम्हारा फ़ायदा उठाया?नही,रीमा मैं सच मे तुमसे प्यार करता हू.तुम्हारी कसम ख़ाके कहता हू तुम्हे कभी अपने से दूर नही करूँगा & 1 दिन तुम्हे अपनी बनाऊंगा."

"आप मुझे इतना बेवकूफ़ समझते हैं.छ्चोड़िए मुझे जाने दीजिए.",रीमा उसकी पकड़ से छूटने के लिए कसमसाई लेकिन शेखर ने उसकी कोशिश नाकाम कर दी,"रीमा,देखो मेरी आँखो मे.मैं बाते नही बना रहा.अगर तुम्हारे जिस्म से खेलना ही मेरा मक़सद होता तो क्या मैं ऐसा पहले ही नही कर लेता?शायद आज भी मैं ऐसा नही करता पर अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था.मेरा यकीन मानो,रीमा.आइ लव यू & जल्द से जल्द मैं तुमसे शादी कर तुम्हे अपनी बीवी बनाऊंगा."

रीमा ने उसकी आँखो मे देखा तो उसे कही भी कुच्छ ऐसा नज़र नही आया जो उसे अपने जेठ के झूठा होने का सबूत दे.वैसे भी सबकुच्छ उसके सोचे मुताबिक हो हो रहा था.अगर उसका जेठ केवल उसके जिस्म के ही नही उसके प्यार मे भी फँस गया था तो ये तो और भी अच्छी बात थी.

उसने खामोशी से सर झुका लिया.शेखर ने उसे अपने करीब खींचा तो उसने उसके सीने पे सर रख दिया.शेखर उसके बालो को सहलाने लगा,"रीमा,तुम्हारे जैसी लड़की किस्मतवालो को मिलती है.मैं अव्वल दर्जे का बेवकूफ़ सही पर इतना भी नही की तुम्हारे जैसे हीरे से पत्थर के जैसे पेश आऊँ."

"मेरे पास आपका भरोसा करने के सिवा अब कोई चारा भी नही है.प्लीज़ मेरे यकीन को मत तोड़िएगा."

"जान दे दूँगा पर ऐसा नही करूँगा,मेरी जान.",शेखर ने उसके सर को उठा उसके चेहरे को हाथों मे भर उसे चूम लिया.चूमने के बाद रीमा फिर उसके सीने से लग गयी.शेखर ने उसका हाथ थाम लिया & दोनो की उंगलिया 1 दूसरे से खेलने लगी.

थोड़ी देर दोनो खामोशी से ऐसे ही पड़े रहे.

"जाती हू.मा जी को देखना है.",रीमा ने शेखर के सीने से सर उठाया तो उसके बदन से लिपटी चादर नीचे सरक गयी & उसकी चूचिया शेखर के सामने छल्छला उठी.

"थोड़ी देर मे चली जाना.",उसने उसे खींच कर अपने से लगा लिया & उसके होंठ चूमने लगा,उसके हाथ उसकी छातियो से जा लगे.

"छ्चोड़िए ना.",रीमा ने अलग होना चाहा.

"नही.",शेखर ने टांगे फैला उसे अपनी टाँगो के बीच मे ले लिया,अब वो शेखर के सीने से पीठ लगा बैठी थी & वो उसकी चूचियो को मसलता हुआ उसे चूम रहा था.मस्त हो रीमा ने बाहे पीचे ले जाके अपने जेठ के गले मे डाल दी और उसकी किस का जवाब देने लगी.उसका बदन शेखर की हर्कतो का लुत्फ़ उठा रहा था पर दिमाग़ अपने मक़सद को नही भुला था.उसने सीधे रवि के बारे मे कोई सवाल करना ठीक नही समझा.बात शुरू करने की गरज से उसने सुमित्रा जी के बारे मे पूच्छने की सोचा.

शेखर ने उसके होटो को छ्चोड़ा उसने पूचछा,"1 बात पूच्छू?"

"ह्म्म.",शेखर उसकी गर्दन चूम रहा था.

"मा जी की बीमारी की वजह से ही पिता जी ऐसे गंभीर हो गये हैं क्या?"

"हुन्ह!",शेखर अब उसकी चूत के दाने को सहला रहा था,"..मा की बीमारी का कारण ही वोही है."

"क्या?",शेखर की चूत मे अंदर-बाहर होती उंगली से कमर हिलाती रीमा चौंक गयी.

"हां.",उसने थोड़ा झुक कर रीमा की 1 चूची को चूस लिया.


"ऊओवव......!..मगर कैसे?",रीमा ने उचक कर अपनी चूची उसके मुँह मे थोड़ा और घुसा दी.


"मा की बीमारी तो 1 नुरलॉजिकल डिसॉर्डर से शुरू हुई पर डॉक्टर ने सॉफ ताकीद की थी कि उन्हे कोई भी तनाव ना हो पर उस आदमी की अय्यशिओ ने उन्हे इस हाल मे ही लाके छ्चोड़ा." ,शेखर ने उसकी चूची मुँह से निकाली & उसके दाने को और तेज़ी से रगड़ने लगा.

रीमा बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगी,उसने रवि के हाथ को अपनी जाँघो मे भींच लिया & कसमसाते हुए झाड़ गयी.झाड़ते हुए उसके मन मे बस 1 ही सवाल था क्या शेखर सच कह रहा था विरेन्द्र जी के बारे मे?ऐसा हो भी तो सकता है...आख़िर पिच्छली 2 रातो से मालिश के बहाने वो उसके साथ क्या कर रहे थे..ऐसा कोई शरीफ मर्द तो नही कर सकता अपनी बहू के साथ...या फिर शेखर चिढ़ कर अपने पिता के बारे मे झूठ कह रहा था.

इन्ही सवालो मे उलझी रीमा ने महसूस किया कि वो फिर से बिस्तर पे लेटी हुई है & उसका जेठ 1 बार फिर उसके उपर चढ़ उसकी चूत मे लंड घुसा रहा है.




KHILONA paart--6

"Are,beti main kar lunga.tum kyu takleef kar rahi ho!"

"haan,haan,dekh rahi hu aap kar lenge.",Reema stool pe chadh gayi,"ispe chadhne me hi aap pareshan ho gaye,dadda."reema ne sari ka pallu apni kamar me khonsa,"laiye dabe dijiye,main rakhti hu."

kitchen me upar bane cabinets me darshan dabbe rakhne ja raha tha jab reema aakar uski madad karne lagi.

"vah,dadda.tumne inhe nurse se apni assistant bana liya!",shekhar daftar se laut aaya tha.

"main to kar leta bhaiyya, par iske aage to meri 1 nahi chalti.",jawab me darshan hanste hue bola.tabhi bahar sabziwale ki aavaz aayi,"bhaiyya,zara stool tham lo to main sabzi le aaon,raat ke khane ke liye koi sabzi nahi hai."

"thik hai,dada.",shekhar ne stool tham liya.uska chehra reema ki nangi kamar ke paas tha.beech-2 me vo jhuk ke dabbe uthata & use thama deta.voh is tarah khada tha ki uska chehra reema ki kamar se bas kuchh inch door tha.uske badna se ati mdmati khushbu shekhar ko madhosh kar rahi thi.reema ka bhi bura haal tha,uske jeth ki garam saanse vo apni kamar pe mehsus kar rahi thi & uski chut machalne lagi thi.

dono madhosh se ye bhool hi gaye the ki 1 stool ke upar khada tha to dusra use sambhalne ke liye neeche stool ko thame tha.reema ka pair fisla & vo neeche girne lagi ki shekhar ne use tham liya,ab vo apne jeth ki god me thi.shekhar ne use aise pakda ki uska 1 hath uski pith ko ghere tha to dusra uski kamar ko.vo ektak reema ko ghure ja raha tha,reema ne sharma ke apni nazre neechi kar li,"neeche utariye na."

shekhar ne bahut dheere se use neeche utara & aisa karne me uska jo hath peeth ko thame tha,us se usne reema ki bagal se uski 1 chhati ko daba diya & dusre se uski kamar ko.zamin pe khada karte hue usne apne guzre hue bhai ki vidhva ko apne badan se chipka kar apne khade lund ka ehsas use kara diya.reema ke gaal laal ho gaye the & mathe pe paseena chhalak aya tha.

gate band hone ki aavaz aayi to dono alag ho gaye.darshan kitchen me aaya to shekhar apne room me ja chuka tha.bacha kaam karke reema bhi apne kamre me chali gayi thi,kitne dino baad kisi mard ke seene se lag usne apni chut pe lund ka & chhati pe hath ka ehsas kiya tha.par abhi apni aag bujhane ka waqt nahi tha,saas ko dawa jo pilani thi.

-------------------------------------------------------------------------------

raat ko khane ke baad vo chhat pe gayi jaha shekhar ne bahane se kai baar uske badan ko hath lagaya.vo janti thi ki agar vo thodi der aur vaha ruki to vo aaj khud us se chudne ko taiyyar ho jayegi joki use bilkul nahi karna tha.dono baap-bete ko bilkul nahi lagna chahiye tha ki vo khud unke sath soyi thi balki unhe to hamesha ye lagna chahiye tha ki unhone apni bahu ka fayda uthaya.vo shekhar ko good night kah ke neeche aa gayi.

apni saas ko sula usne parda hata vo apne sasur ke paas gayi,vo bistar pe headboard se tek laga pair failaye baithe the,"abhi soye nahi aap.",vo unke pairo ke paas baith gayi,"laiye pair daba du."

"ohh..oh!reema tum fir pareshan ho rahi ho.main darshan se karwa leta na!"

jawab me reema bas muskura ke fir se ghutno pe baith unke pair dabane lagi.agar unhe uski pareshani ki itni chinta hoti to vo abhi tak darshan ko bula us se ye kaam karwa chuke hote,par unhe to apne bahu ke jism ka deedar & ehsas jo karna tha.reema ye soch man hi man muskurayi.

"aaj tel ke sath malish kar deti hu.zyada aaram milega.",vo uthi & thodi der me tel lekar aa gayi & ghutno pe baith gayi.uske sasur ne apna pajama ghutno tak chadha liya tha.reema ne use thoda & upar kar unki jangho ko bhi pajame se bahar kar diya.apni bahu ke komal hatho ka ehsas jangho pe mehsus karte hi Virendra Saxena ka lund khada hone laga.

reema ne hatho me tel laga apne sasur ke pairo ki malish shuru kar di.kal hi ki tarah aaj fir uska aanchal seene se neeche gir gaya.uske hatho me tel laga tha & chhune se sari kharab ho jati.vo pashopesh me padi thi ki tabhi kuchh aisa hua jo usne sapne me bhi nahi tha,virendra ji ne hath badha uska pallu uthaya & uski kamar me atka diya.aisa karne me unka hath uski kamar ke shayad sabse komal hisse ko chhu gaya &reema ke badan me bijli si daud gayi.

usne unke pairo pe tel malish shuru kar di &thodi hi der me use apne sasur ke pajame me vo jana-pehchana tambu nazar aa gaya.virendra ji to jaise nazro se hi uske seene ki golaiyon ka ras pi rahe the.reema ki chut jo sham ko shekhar ki harkato se gili ho gayi thi ab to bas jaise behne lage thi.apni jangho ko halke se ragadte hue vo unki tange sehlane lagi.

dono is khel ka maza le rahe the.reema ka dil to kar raha tha ki apne sasur ke upar chadh jaye & unke badan se pane badan ki pyas bujha le par aisa vo kar nahi sakti thi.

"aaj zara kamar ki bhi malish kar do.",virendra ji ne apna kurta utar diya & palat ke pet ke bal let gaye.reema ko unke baalo bhare chaude seene ki bas 1 jhalak si mili.ravi ka seena bilkul chikna tha & vo hamesha socha karti thi ki kaisa lagta hoga baalo bhare seene me hath firana use chumna...

uske sasur lete uska intezar kar rahe the.reema ne pehle to bagal me baithe hue hi malish shuru ki par is position me vo thik se ye kaam kar nahi pa rahi thi.uske sasur shayad uski pareshani samajh gaye the,"mere dono taraf ghutne rakh ke baitho to thik se kar paogi."

reema ne sari ghutno tak uthayi & jaise unhone kaha vaise baith gayi.malish shuru ho gayi.reema ghutno pe khade-2 thoda thak gayi to apneaap uske ghutne mud gaye & vo apne sasur ki gand pe baith gayi.virendra ji ke munh se aah nikal gayi to use laga ki unhe dard ho raha hai,vo fauran uth gayi.

"baithi raho,bahu.mujhe koi pareshani nahi hai.vaise bhi aise khade hue to tum thak jaogi."

reema vapas unki gand pe baith gayi & malish karne lagi.chut ko 1 mardana jism ka ehsas hua to vo apne aap bahut haule-2 unki gand pe ragad khane lagi.reema mast ho apne sasur ki kamar sehla rahi thi,"zara pith ki bhi malish kar do.",virendra ji ki aavaz aayi.

vo jhuk kar unke pith ki malish karne lagi.ab uski kamar halke-2 hil kar uski chut ko uske sasur ki gand pe ragad rahi thi & jab bhi vo aage jhukti to uski chhatiyan unki pith ko chhu si jati.reema aankhe band kiye ye khel khel rahi thi ki tabhi uske sasur ne karwat li.

unke aisa karne se vo ab seedha unke lund pe aa baithi thi.reema ki saans atak gayi.uske sasur ki aankho me vasna ki bhukh saaf nazar aa rahi thi.uski sari ghutno se kuchh upar aa gayi thi.unke hath vahi ghutno ke upar uski jangh se lag gaye,"zara seene pe bhi malish kar do."

reema ne hatho me tel liya & unke baalo bhare seene ki malish karne lagi.jab vo jhukti to reema ki blouse ke gale me se jhankti chhatiya virendra ji ke chehre ke bilkul samne aa jati.unki nazre to vahi tiki hui thi....aur reem...use unke baalo se khelne bahut achha lag raha tha.vo aankhe band kiye unke seene ko sehlane lagi & unke nipples ke aas-paas uske hath dayre me ghumne lage.kamar hilte hue unke lund pe chut ko ragad rahi thi.tabhi virendra ji ka hath use jangho se hota hua uski sari me ghusta mehsus hua to vo jaise neend se jagi.

vo seedhi hui & apni ghutne seedhe karte hue palang se utar gayi,"ab aap aaram kariye,pitaji.main bhi sone jati hu."

vo ladkhadate hue jaise ki nashe me ho,apne kamre me pahunchi & pichhli raat ki hitarah apne kapde & gili panty ko utar apne hathose apni chut ko ragadne lagi.

"Malik,maine 127 no. wali kothi ke rambhajan ko keh diya hai,uska bhatija ganesh roz aakar kaam kar jayega...kya karu malik, baat hi aisis hai,jana to padega-.."

"..-kya bekar ki baaten kar rahe ho, darshan!",Virendra ji ne nashte ki plate apni or khinchi,"..befikr hokar jao & bitiya ki shadi niptao.yaha hume koi takleef nahi hogi."

"haa,dadda.aur main bhi to hoo.yaha koi pareshani nahi hogi.",Reema bhi aakar table pe baith gayi.darshan kal se 3 mahine ki chhutti pe apne gaon ja raha tha,uski beti ki ki shadi ke liye.usi ke bare me baaten ho rahi thi.

virendra ji ne dekha ki reema kahin jaane ke liye taiyyar hai,aaj usne salwar kamiz pehni thi jo ki kafi kasi hui thi & uske badan ki golaiyan usme se puri tarah se ubhar rahi thi.duppate seene se neeche tha & kamiz ke gale se 1 inch cleavage nazar aa raha tha.unki nigaheen vahi pe atak gayi,"kahi bahar ja rahi ho kya?"

"ji.vo jo naye account ke liye apply kiya tha na,aaj bank me usi ke liye bulaya tha.nashta karke vahi jaoongi."

"main tumhe chhod dunga.",shekhar bhi nashta karne aa gaya tha.reema ne aaj use mana nahi kiya,janti thi ki vo manega to hai nahi.

thodi der baad vo market me shekhar ki car se utar rahi thi.aaj fir car se bank ki or jate hue shekhar ka hath uski kamar pe tha.bank me use thodi der intezar karne ko kaha gaya to dono 1 deewar se lagi kursiyo me se 2 pe baith gayi.shekhar us se sat ke yu baitha tha ki uski taang & jangh reema ki taang & jangh se bilkul sate hue the.uska 1 hath peechhe se kursi pe tika reema ki pith sehla raha tha.dono idhar-udhar ki baate karne lage ki tabhi kisi aadmi ne 1 form phaad kar fenka to uske kuchh tukde pankhe ki hawa se ud unki taraf aa gaye & 1 tukda reema ki cleavage me atak gaya.

jab tak reem kuchh karti,shekhar ne bijli ki furti se apne hath se us tukde ko vaha se nikal liya & aisa karne me uske seene ki darar me 1 ungli ghusa 1 chhati ko halke se daba diya.reema ne ghabra kar dekha ki kahi kisi ne use aisa karte dekha to nahi,use shekhar ki is harkat pe bahut gussa aya par sath hi sath dil me thodi gudgudi bhi hui.

tabhi clerk ne uska naam pukara to dono uth kar counter pe chale gaye.reema apne account ke papers,passbook & card vagairah lene lagi & shekhar pichhli bar ki tarah us se peechhe se uski gand se apna lund sata kar khada ho gaya.

koi das-ek minute baad dono bank se bahar nikal car ki or jane lage,tabhi reema ko aisa laga jaise koi use ghur raha hai,usne baaye ghum dekha to sadak ke us paar 1 kale chashme lagaye,gardan tak lambe baalo wale genhue rang ke aadmi ko munh ferta paya.reema 1 bahut khubsurat ladki thi & use aadat thi mardo ki ghurti nigaho ki,par yaha baat kuchh aur thi,us insan ka munh ferna aisa nahi tha jaisa 1 insan tab karta hai jab koi khubsurat ladki khud ko ghurte hue use pakad leti hai.uska munh ferna aisa tha jaise vo nahi chahta tha ki reema ki nazar uspe pade,"kya dekh rahi ho,reema?baitho.",shekhar car ka darwaza pakde khada tha.

"ji.chaliye.",reema car me baith gayi.

us din uske dimagh me usi ajnabi ka chehra ghumta raha.vo to yaha kisi ko janti bhi nahi,aisa bhi to ho sakta hai ki koi shekhar ka pehchanwala ho...vo to yahi pala-badha tha...ya fir koi aur baat thi..."reema!"

"ji..",reema apne khayalo se bahar aayi.

"zara mere sath bazar chalo,darshan ke pariwar walo ke liye kuchh tohfe le aate hain."

"achha.chaliye."

sham ke & baj rahe the & bazar khachakhach bhara tha.sari kharidari kar hatho me packets pakde dono car parking ki taraf jane lage ki tabhi koi dharmik julus waha se nikalne laga.logo ka hujum use dekhne ko aage badha to reem apne ko sambhal nahi payi & girne lagi ki tabhi virendra ji ne use kamar se tham liya & use le us bheed se bahar nikalen.reema apne sasyr se aise chipki thi ki uski chhatiya unke seene me dabi hui thi & vo uski kamar ko thame hue the.

bheed ka 1 rela aya to reem fir ladkhada gayi,mujhe tham lo,reema varna gir jaogi."uske sasur ne use apne bagal me dabate hue uska hath apne pet pe se hoe hue apni kamar pe pakda diya.ab dono jaise gale se lage hue waha se nikalne lage.jab vo bheed se bahar nikal 1 khali jagah pe khade ho saans lene lage to reema ne dekha ki uski chhtiya uske sasur ke seene se aise dabi hai ki lag raha hai ki kamiz ke gale se bahar hi aa jayengi.unka hath uski kamar se uski gand pe aa gaya tha & 1 faank ko pakade hue tha & vo khud unki kamar pe hath lapete unse chipki khadi thi.

vo dheere se unse alag hui & dono car park ki or chal diye par virendra ji ne use puri tarah se alag nahi hone diya-unka hath uski kamar ko abhi bhi ghere hue tha.

raat khana khane ke baad virendra ji fauran apne kamre me chale gaye,reema samajh gayi ki uske sasur ko uski malish ka intezar hai.vo thodi der baad apni saas ko sulane ke bahane waha pahunchi to dekha ki darshan waha pehle se maujood hai.

"chaliye,malik let jaiye.aapke pair daba de."

"are nahi,darshan.hume dard nahi ho raha."

"nahi,malik.aaj bekar me humare chalte aap bazaar gaye.itna chalna pada,zarur dard ho raha hoga.chaliye let jaiye.",darshan ne unhe palang pe bitha diya.haar kar virendra ji ko letna pada.darshan unke pair dabane laga to unhone apni saas ko sulati reema ki taraf dekha,unke chehre ka bhav dekh reema ko hansi aa gayi.apni hansi chhupate hue vo vaha se nikal apne kamre me aa gayi.kaha uske sasur uske komal badan ke khayalo me dube the & kaha ab darshan ke khurdure hath zor-2 se unke pair daba rahe honge.

hanste hue reema kapde badalne lagi.salwar kameez utar usne 1 takhno tak lambi,dhili skirt & 1 t-shirt pehan li.thodi garmi mehsus hui to vo chhat pe tahalne chali gayi.

chhat pe pehle se hi maujood shekhar ki aankhe use dekhte hi chamak uthi.dono halki-fulki baate karne lage ki tabhi shekhar ne baato ka rukh mod diya,"ajeeb baat hai na,reema.hum 2 alag insan hain,fir bhi dono ki taqdeere 1 jaisi hain."

reema ne sawaliya nazro se uski or dekha.

"tum bhi akeli ho main bhi .ravi ki maut ne tumhe ye gham diya to meri biwi ne talaq dekar mujhe ye chot pahunchai."

"taqdeer ke aage insan kar hi kya sakta hai.",reema boli.

"haan."

"achha chalti hu.good night."

"main bhi chalta hu.kal mujhe 2-3 dino ke liye delhi jana hai."

dono sath-2 seedhiya utar neeche aa gaya.darshan apne kamre me ja chuka tha & uske saas-sasur bhi so gaye lagte the.

reema apne kamre ki or badhne lagi ki shekhar ne use aavaz di,"reema.tumne us din us phode pe malham lagaya tha na.zara use dekh lo.ab dawa ki zarurat hai ya nahi.",reema is baat ko mana nahi kar payi & uske peechhe uske kamre me aa gayi.shekhar ne darwaza bhida diya & apni shirt utar uske samne kahda ho gaya.reema ne dekha ki phode ki jagah ab bas chhota sa sukha ghav jaisa tha,usne use jaise hi chhua ki shekha ne apni baahon me use jakad kar use apne seene se chipka liya & uska chehra chumne laga.

"ye..ye...kya kar rahe hain..aap?chhodiye na!",reema chhatpatane lagi.

"ohh...reema main tumhare pyar me pagal ho chuka hu.please mujhe dur mat karo.",shekhar ne uske jonth chum liye.

"ye galat hai,bhaiyya.....main..main aapke bhai ki biwi hu."

"biwi thi,reema.please,mujhe mat tadpao.i love you.",is baar shekhar ne apne honth uske hotho se chipka diye & use liye-diye bistar pe gir gaya.ab reema uske neeche dabi chhatpata rahi thi & vo use betahasha chum raha tha,"..bhaiyya nahi..ye..ye galat hai.."

masti us pe bhi chadh rahi thi par apne plan ke mutabik sabkuchh is tarah hona chahiye tha ki kahi se bhi aisa na lage ki reema ki bhi yahi khwahish thi.shekhar ne uski shirt me hath ghusa diya & uski kamar ko sehlate hue uski gardna chumne laga.uske hath uske bra hooks me ja fanse & sare hooks pat-2 karke khul gaye.usne shirt ko upar kar uske pet ko nanga kar diya & neeche aa vaha chumne laga.

uski jibh uski nabhi me gayi to reema uth kar use alag karne lagi to usne use fir se lita diya.utha-patak me uski skirt ghutno tak aa gayi thi.shekhar ne 1 jhatke me use & upar kar diya & jhuk kar uski bhari jangho ko chumne chatne laga.reema ke hath uske baalo me uljhe use alag karne ki koshish kar rahe the.shekhar jangho ko chumta uski chut ki taraf badhne laga to reema ki aah nikal gayi & anjane me hi uske baalo me fanse hatho ne shekhar ke sar ko kheenchne ke bajay use aur uski jangho pe daba diya.

shekhar samajh gaya ki reema bhi ab apne jism ki garmi ki ghulam ban gayi hai.usne jam kar uski jangho ko chuma & chusa & aisa karte hue uske skirt ko nikal fenka.usne apni pant utar di & ab vo kewal underwear me tha.usne kamre ka darwaza band kiya & palang pe baith reema ko apni god me lita liya.reema ki uthi hui shirt uske gore pet ko numaya kar rahi thi & neeche bas aasmaini rang ki panty me uski gori tange shekhar pe kahar dha rahi rhi.

shekhar ka 1 hath uske sar ke neeche tha & dusra jangho ke beech me sehla raha tha.usne reema ka sar uthaya sharm se lal ho rahe reema ke chehre pe kisse ki jhadi laga di.

"nahi...nahi...",reema ke honth abhi bhi yehi keh rahe the par uski aavaz me virodh se zyada 1 garam ho chuki ladki ki masti thi.shekhar ne panty ke neeche se hath ghusa uski gand ki 1 fank ko apne hath me bhar liya & dabate hue uske hotho ko chumne laga.jab uski jibh reema ki jibh se takrayi to reema fir se chhatpata uthi.zamane baad uske jism me fir se vohi hararat paida ho rahi thi.

shekhar ka hath uski gardan ko gherte hue uski 1 choochi pa aakar use dabane laga tha.vo uski jibh se khelte use chumta hua uski gand abhi bhi daba raha tha.is tihre humle ne kayi dino ki pyasi reema ko jhadwa diya.uske jism me vohi jana pehchana maze ka sailaab bandh todata aaya to vo sisak kar shekhar ki god se chhitak kar utar gayi & 1 takiye me munh chhupa sisakane lagi.

shekhar peechhe se us se aa laga & uske baalo ko chumte hua apne hath uski shirt me ghusane laga.shirt me hath ghusa usne thodi der tak uski chhatiya dabayi & fir hath ko shirt ke gale me se nikal kar uske chehre ko apni or ghumaya & pyar se uske khubsurat chehre ko chumne laga.reema padi hui use uske dil ki karne de rahi thi.

usne reema ko seedha kiya & uski shirt nikal di.samne reema ka khula aasmani rang ka matching bra uski tez saanso se upar-neeche hoti chhatiyo pe pada hua tha.shekhar ne haule se use uski baaho se nikala & pehli bar uski halke gulabi nipples se saji badi-2 kasi choochiyo ka deedar kiya.

"wow!reema,tum to husn ki devi ho.",vo jhuk kar apne chhote bhai ki widhwa ki choochiya chusne laga.use laga ki vo jannat ki sair kar raha hai.is se badi & utni hi kasi chhatiya usne pehle kabhi nahi dekhi thi.usne ji bhar ke un golo ko dabaya,sehlaya,chusa & chuma.uski harkato se reema 1 baar fir garam ho gayi & apne jeth ke baalo me masti me ungliya firane lagi.

shekhar ab ruk nahi sakta tha,use to ab bas is khubsurat haseena ki jam kar chudai karni thi.vo uski chhatiya chhod khada hua & pehle reema ki panty & fir apna underwear nikal diya.reema to sharm se behal ho gayi.ravi ke alawa aaj vo pehli baar kisi mard ke samne nangi hui thi & use nanga dekh rahi thi & vo mard aur koi nahi uska jeth tha.ye to usne sapne me bhi nahi socha tha ki vo 1 din apne jeth se chudegi.

shekhar ne thodi der tak apni bahu ke nange husn ko aankho se piya.usi waqt reema ne bhi adhkhuli aankho se apne jeth ke lund ko dekha.use hairat hui ki vo bilkul uske pati ke lund jitna hi lumba & mota tha.yaha tak ki uska rang bhi vaisa hi tha.

shekhar ne uski janghe failayi & uske upar let gaya & uske hoth chumne laga,uska 1 hath neeche gaya & lund pakad kar reema ki chut me ghusa diya.

"aa..aahhh..!",reema halke se karahi.kitne dino baad aaj fir uski chut ne lund chakha tha.kuchh to uski banawat hi aisi thi & kuchh itne dino tak na chudne ke karan shayad reema ki chut thoda aur kas gayi thi.shekhar ne sapne me bhi nahi socha tha ki reema itni kasi hogi,uske lund ko ye ehsas hua to uski bhi aah nikal gayi.

agle 2-3 dhakko me usne apan pura lund jad tak reema ki chut me utar diya & zoradar dhakko ke sath uski chudai karne laga.vo to josh me pagal hi ho gaya,kabhi vo uske gulabi honth chumta to kabhi chhatiya.uske hath kabhi reema ke chehre ko sehlate to kabhi uski chhatiya dabate hue uske nipples ko chhedte.

thodi der me reeme ki chut bhi pani chhodne lagi & vo bhi neeche se kamar hila-2 kar apne jeth ke dhakko ka jawab dene lagi.usne apne jeth ke jism ko apne baahon me bhar liya & aahen bharti hui apni taange hawa me utha di.shekhar samajh gaya ki vo bhi ab jhadne wali hai.

usne apni raftar aur tez kar di,"aaa....aa..iiiyyy...eee.........aaa....hhhhh...dhhh...ee...rrrreeee.......kariii...ye...naaaaa.....AAAA...AAAHHHHHHH..!",reema karah rahi thi par us se beparwah shekhar bas apne jhadne ki or tezi se badha chala ja raha tha.

tabhi reema ne apne nakhun apne jeth ki pith me gada diye & bistar se uthti hui use chumte hui us se kas ke chipat gayi.vo jhad gayi thi.shekhar ne bhi 1 aakhri dhakka diya & uske badan ne jhatke khate hue apna sara pani reema ki chut me chhod diya & uski arse se pyasi chut ki pyas bujha di.


thodi der tak dono vaise hi pade rahe fir shekhar uth kar bathroom chala gaya.kuchh der bad reema uthi,tabhi usne bathroom ka darwaza khulne ki aavaz suni to usne paas padi chadar khinch kar apne badna ke gird lapet li.shekhar aakar uski bagal me baith gaya.dono bed ke headboard se tek laga baithe the.shekhar ne apni banh ke ghere me use liya to reema munh fer dur hone lagi.

shekhar ne use aur mazbooti se pakad liya & hath se uski thuddi pakad uska chehra apni or ghumaya.reema ki bhari aankhe & chehre ki pareshani dekh use sab samajh me aa gaya,"mujhse naraz ho?"

"meri aisi aukat kaha."

"aisi baaten kyu kar rahi ho reema?"

"1 bebas ladki aur kaisi baaten karti hai.",usne apni aansoo bhari aankhe shekhar ki aankho se milayi.

"tumhe ye lag raha hai ki maine tumhara fayda uthaya?nahi,reema main sach me tumse pyar karta hu.tumhari kasam khake kehta hu tumhe kabhi apne se dur nahi karunga & 1 din tumhe apni banaoonga."

"aap mujhe itna bevkuf samajhte hain.chhodiye mujhe jane dijiye.",reema uski pakad se chhutne ke liye kasmasai lekin shekhar ne uski koshish nakaam kar di,"reem,dekho meri aankho me.main baate nahi bana raha.agar tumhare jism se khelna hi mera maqsad hota to kya main aisa pehle hi nahi kar leta?shayad aaj bhi main aisa nahi karta par ab mujhse bardasht karna mushkil ho gaya tha.mera yakeen mano,reema.i love you & jald se jald main tumse shadi kar tumhe apni biwi banaoonga."

reema ne uski aankho me dekha to use kahi bhi kuchh aisa nazar nahi aaya jo use apne jeth ke jhootha hone ka saboot de.vaise bhi sabkuchh uske soche mutabik ho ho raha tha.agar uska jeth kewal uske jism ke hi nahi uske pyar me bhi phans gaya tha to ye to aur bhi achhi baat thai.

usne khamoshi se sar jhuka liya.shekhar ne use apne kareeb khincha to usne uske seene pe sar rakh diya.shekhar uske baalo ko sehlane laga,"reema,tumhare jaisi ladki kismatwalo ko milti hai.main awwal darje ka bevkuf sahi par itna bhi nahi ki tumhare jaise heere se patthar ke jaise pesh aaoon."

"mere paas aapka bharosa karne ke siwa ab koi chara bhi nahi hai.please mere yakeen ko mat todiyega."

"jaan de doonga par aisa nahi karunga,meri jaan.",shekhar ne uske sar ko utha uske chehre ko hathon me bhar use chum liya.chumne ke baad reema fir uske seene se lag gayi.shekhar ne uska hath tham liya & dono ki ungliya 1 dusre se khelne lagi.

thodi der dono khamoshi se aise hi pade rahe.

"jati hu.maa ji ko dekhna hai.",reema ne shekhar ke seene se sar uthaya to uske badan se lipti chadar neeche sarak gayi & uski chhatiyan shekhar ke samne chhalchhala uthi.

"thodi der me chali jana.",usne use khinch kar apne se laga liya & uske honth chumne laga,uske hath uski chhatiyo se ja lage.

"chhodiye na.",reema ne alag hona chaha.

"nahi.",shekhar ne taange faial use apni tango ke beech me le liya,ab vo shekhar ke seene se pith laga bithi thi & vo uski choochiyo ko masalta hua use chum raha tha.mast ho reema ne baahe peechhhe le jake apne jeth ke gale me daal di aur uski kiss ka jawab dene lagi.uska badan shekhar ki harkato ka lutf utha raha tha par dimagh apne maqsad ko nahi bhula tha.usne seedhe ravi ke bare me koi sawal karna thik nahi samjha.baat shuru karne ki garaj se usne sumitra ji ke bare me poochhne ki socha.

shekhar ne uske hotho ko chhoda usne poochha,"1 baat poochhoon?"

"hmm.",shekhar uski gardan chum raha tha.

"maa ji ki bimari ki wajah se hi pita ji aise gambhir ho gaye hain kya?"

"hunhh!",shekhar ab uski chut kue dane ko sehla raha tha,"..maa ki bimari ka kaaran hi vohi hai."

"kya?",shekhar ki chut me andar-bahar hoti ungli se kamar hilati reema chaumk gayi.

"haan.",usne thoda jhuk kar reema ki 1 chhati ko choos liya.


"oooww......!..magar kaise?",reema ne uchak kar apni chhati uske munh me thoda aur ghusa di.


"maa ki bimari to 1 neurological disorder se shuru hui par doctor ne saaf takeed ki thi ki unhe koi bhi tanaav na ho par us aadmi ki ayyashion ne unhe is haal me hi lake chhoda." ,shekhar ne uski chhati munh se nikali & uske dane ko aur tezi se ragadne laga.

reema bechaini se apni kamar hilane lagi,usne ravi ke hath ko apni jangho me bheench liya & kasmasate hue jhad gayi.jhadte hue uske man me bas 1 hi sawal tha kya shekhar sach keh raha tha virendra ji ke bare me?aisa ho bhi to sakta hai...akhir pichhli 2 raato se malish ke bahane vo uske sath kya kar rahe the..aisa koi sharif mard to nahi kar sakta apni bahu ke sath...ya fir shekhar chidh kar apne pita ke bare me jhuth keh raha tha.

inhi sawalo me uljhi reema ne mehsus kiya ki vo fir se bistar pe leti hui hai & uska jeth 1 baar fir uske upar chadh uski chut me lund ghusa raha hai.












आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj


































































































































































Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma
हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया
Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator