Monday, April 5, 2010

सेक्सी कहानियाँ मेरी निशा (प्यारी दीदी) --6

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मेरी निशा (प्यारी दीदी) पार्ट--6

दीदी अपनी राईट साइड को सो रही थी मैं दीदी के पीछे लेट गया और निशा के पेट पर हाथ दाल कर खुद को उससे चिपका लिया निशा ने एक बार पीछे मुद कर देखा और मुझे पा कर फिर से अपने मुह आगे कर लिया मैंने दीदी का सर उठा कर अपने बाजू पर रख लिया इस तरह मेरा राईट हैण्ड उस की चुच्ची के बिलकुल नजदीक था मैं उपर से नीचे तक दीदी के साथ चिपका हुआ था मेरा लैंड तो जैसे पहले से ही अकडा हुआ था मैंने थोडा पीछे हो कर दीदी की गांड से और मेरे लंड से कपडा हटा दिया अब मुझे अपना लंड दीदी की गांड मैं घुसता हुआ महसूस हो रहा था . मैं ने निशा को जांघो से पकड़ लिया और अपनी और दबाया दीदी ने भी रिस्पोंसे दिया और मेरा हाथ अपनी चुच्ची पैर जोर से दबा दिया मैंने दीदी की चुच्ची पैर हाथ रख दिया और दुसरे हाथ से दीदी का हाथ पकड़ कर अपनी गांड पर रख दिया जिस्सेकी वह आगे की और न हो. अब मेरी हिम्मत बाद गयी थी और मैं ने दीदी के मम्मे जोर जोर से दबाने सुरु कर दिए थे और दीदी के मुह से हलकी हलकी सिसकी निकल रही थी मुझे उनके मुह से सिसिकी सुन कर अच्छा लगा और में उनकी चुच्ची और जोर से रगड़ने लगा दीदी ने मेरी और देखा और मैंने उनके गाल पर किस कर दिया और अब अपना हाथ दीदी के कपड़ो के नीचे ले गया और ब्रा के उपर से दीदी की चूची को दबाने लगा दीदी की साँसे और तेज हो रही थी मैंने एक ऊँगली निशा की ब्रा के नीचे दल दी और उनकी चुच्ची के डायरेक्ट स्पर्स को महसूस करने लगा अब सायद दीदी से रहा नहीं जा रहा था और वह करवट ले कर कमर के बल लेट गयी मैंने अपने मुह निशा के मुह के पास किया तो निशा ने मेरे होठ चूम लिया मुझे एक करंट सा लगा उधर से भी जवाब आने लगा था रिस्पोंसे तगादा मिलने लगा था और मैं भी बिना देर किये दीदी के रसीले होठो पर टूट पड़ा और उन्हें चूसने लगा

मैं अपना एक हाथ दीदी की पीठ पर ले जाकर उनकी ब्रा का हूक खोल दिया और फिर अपना हाथ आगे लाकर उनकी ब्रा को हल्के हल्के से उनकी ब्रा उनके मस्त मम्मो पर से हटा दी अब दीदी की चुच्ची मेरे हाथ में थी पूरी तरह मेरे हाथ में एकदम गोल गोल जैसे की टेनिस की बोल पर साइज़ थोडा सा बड़ा हा लेकिन टाइट उससे कही ज्यादा निशा के निप्प्ले एकदम से टाइट हो चुके थे और सिसकारी और जोर जोर से निकल रही थी और वासना में भरी हुई मेरी निशा मुझे एकदम से टाइट पकड़ कर मेरे होठो को चूस रही थी करीब दस मिनट के बाद मैं अपना हाथ धीरे धीरे नीचे ले जाने लगा और दीदी की जान्हो को सहलाने लगा और फिर दीदी के कपड़ो के उपर से ही दीदी की चूत को सहलाने लगा इस बार दीदी ने जैसे झटका खाया हो और एकदम से अपनी टांगो को टाइट बंद कर लिया और मेरे हाथ को अपनी चूत पैर अपनी टांगो से जकड लिया मैंने भी दीदी की चूत को सहलाना छोड़ कर उसे मसलने लगा कपडा थोडा गीला हो गया था और चूत के उपर से ऐसा लग रहा था जैसे की भाप निकल रही हो कुल मिला कर दीदी अब एकदम गरम हो चुकी थी

और सच बताऊँ तो मैं अब निशा को एकदम से नंगी देखना चाहता था और देखना भी क्या बस अब तो उसे ढंग से रगड़ना चाहता था और मुझे डर भी था की कही मैं कपडे उतारने की पहल करून और ये बिदक ना जाए और कही फिर से खड़े लंड पे धोखा न हो जाए और मैं दीदी के होठो को और जोर जोर से चूसने लगा ताकि वह और गरम हो जाए और उलझी रहे और मैं उनके होठो को चूसने के साथ साथ उनके कपड़ो पर अपना कमाल दिखाने लगा दीदी के और दीदी के होठो को चूमते चूमते दो चार बार करवट ली और मैं और मेरी प्यारी दीदी दोनों सिर्फ चड्डी ब्रा/बनियान में और होठ अभी भी जुड़े के जुड़े मैं अपना एक हाथ दीदी की चड्डी के भीतर ले गया और दीदी की चूत को सहलाया दीदी ने अपनी चूत पर डायरेक्ट स्पर्स को पा कर अपने होठ को मेरे होठ पर से हटाया और एक नजर अपने और मेरे सरीर पर डाली और कुछ कहने ही वाली थी की मैंने दौबारा से उनके होठ को अपने होठ में दबा लिया और सायद दीदी भी वासना के नसे में थी और जानती थी की ज्यादा विरोध नहीं कर पाएगी सो होठो पर होठो से जवाब देने लगी और में दीदी की चूत को और प्यार से और आराम से मसलने लगा चूत एकदम से गरम और गीली हो गयी थी फिर थोडी देर बाद मैंने दीदी की ब्रा को हटाने की कौशिश की पर वह उनके नीचे दभी हुई थी और हटा तो में उसे वैसे भी दीदी को एक करवट दिला के कर सकता था लेकिन मैं दीदी को थोडा खोलना चाहता था सो मैं दीदी के कान में धीरे से बोला की दीदी प्लीज थोडा उपर हो जाओ और दीदी मेरे मजे लेते हुए बोली क्यों यश दीदी मुझे आपकी चुच्ची को छूना है इसपर दीदी बोली की अभी थोडी देर पहले ही तो तुमने मेरी ब्रा को हटा कर छुआ था दीदी वैसे मजा नहीं आया था और दीदी उठ गयी और बड़े ही प्यार से अपने हाथ ऊपर उठा दिए और मैंने दीदी की ब्रा को निकाल दिया और दीदी की ब्रा के हटते ही दीदी का गुन्दाज जिस्म मेरे सामने दुधिया रौशनी, दुधिया रौशनी तो नहीं बोल सकता पर ट्यूब लाइट की रौशनी में एकदम से चमक रहा था और जैसे कई फिल्मो में लड़की के पीछे अक्षय कुमार को लार टपकाते हुए देखा होगा वेसे ही मेरी भी लार मेरी प्यारी दीदी की चुच्ची को चूसने के लिए टपकने लगी और मैंने बिना देर किये हुए दीदी को वापस बेड पर लिटा किया और अपने होठो से दीदी की चुच्ची को चाटने लगा, चूमने लगा और वासना की खुमारी में बीच बीच में काटने भी लगा और जैसे ही में काटता दीदी के मुह से हल्की सी कराह निकलती पर मुझे हटाने की वजाय मेरे सर को कसकर पकड़ती और अपनी चुच्ची की और दवाब देती दीदी की आँखे हलकी गुलाबी हो चुकी थी और में एक हाथ से दीदी का हाथ पकडा और अपना लंड पकडा दिया थोडी देर नखरे चोदने के बाद दीदी मेरे लंड को सहलाने लगी और में एक हाथ से दीदी की चूची मसल रहा था और दूसरी चुच्ची को मुह से चूस रहा था बड़ा ही आनंद आ रहा था लंड एकदम से टाइट हो रहा था
इसी तरह मैं दीदी की दोनों चुच्ची को बदल बदल कर चूस रहा था और फिर दीदी ने मेरे मुह को उपर किया और मेरे होठो को चूसने लगी दीदी बहुत गरम हो चुकी थी मैं फिर दीदी की चुच्ची को चूसने लगा दीदी मेरे बालो में हाथ फेर कर बार बार मेरा मुह अपनी चुच्ची पर दबा रही थी मैं अपना एक हाथ फिर से दीदी की चड्डी के भीतर ले जाकर उनकी चूत को सहलाने लगा और दीदी की चुच्ची पैर से अपना होठ फिराते हुए उनके पेट पर लाया और उनकी सुन्दर नाभि को चूम लिया दीदी ने एक आह सी भरी दीदी की चूत एकदम से गीली थी और अपने मुह को दीदी के पेट से रगड़ते हुए दीदी की जांघो के पास लाया और दीदी की जांघो को चाटने लगा मैंने दीदी की चड्डी के एलास्टिक को नीचे की और खीचा पर वह उतरी नहीं मैं फिर से उपर की और आया और दीदी की चूची को चूसने लगा और दीदी को अपनी गांड उठाने का इशारा किया दीदी ने अपने दोनों पैरो को हवा में उठा दिया और मैं दीदी की चड्डी को दीदी की टांगो के उपर से निकल लिया और निकलते ही दीदी के दो गोल गोल सुन्दर चुततड मेरी आँखों के सामने थे और दीदी की चिकनी चूत की फांके रस से भरी हुई मेरी तो जीभ लपलपाने लगी और न चाहते हुए भी दीदी के चुततड को चाटने लगा गोरे गोरे चिकने चिकने और फिर दीदी की चूत पैर अपनी जीभ फिरा दी नमकीन सा कसेला सा स्वाद सा था और जैसे ही मेरी जीभ दीदी की चूत को छुई थी दीदी ने जोर की सिसकी ली और अपने दोनों पाओ को मेरी गर्दन के इर्द गिर्द लपेट लिया और अपने हाथ को मेरे सर पैर रख कर जोर लगाने लगी मैं अपनी दीदी की चूत में अपनी जीभ को घुसेड़ना चाहता था की दीदी ने मुझे टोका की पहले चूत के उपर वाले दाने को जोर जोर से अपनी जीभ से सहलाओ और में जैसे जैसे दीदी की चूत को अपनी जीभ से सहला रहा था वैसे वैसे दीदी की चूत और रस छोड़ रही थी

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
































































































































































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