Monday, April 5, 2010

सेक्सी कहानियाँ मेरी निशा (प्यारी दीदी) --5

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मेरी निशा (प्यारी दीदी) पार्ट--5

दीदी का मुह दूसरी और था और उनकी मस्त गोल गोल गांड मेरी और उभरी हुई थी उनकी गोल गोल गांड देख कर मेरे अंदर एक सनसनी सी दोड़ने लगे मैं थोडा आगे की और झुक कर निशा की गांड को छूते हुए पुछा दीदी सो गयी क्या निशा ने कोई बात नहि की मैने दीदी से से हाल पुछा, दीदी बोली की पूरा बदन टूट रहा है, में बोला की मैं दबा दूं ? मेरा तो सारा जिसम दर्द कर रहा है तुम कहाँ कहाँ से दबाओगे में बोला की दीदी आप जहा जहा से बोलोगी मैं दबा दूंगा दीदी बोली ठीक है दीदी की इजाज़त मिलते ही मैंने उनके सर को हल्के हाथो से दबाया और दबाने के बहाने उनके गोरे गोरे गालो को कई बार छुआ थोडी देर सर दबाने के बाद उनके कंधे और बाजुओ को मसलने लगा दीदी की दोनों पिरामिड मेरी आँखों के सामने थे मन कर रहा था की अभी इन्हें मसल डालूँ और इधर लैंड भी परेशान करने लगा था दीदी की कोहनी से कंधे तक मसलते हुए मैंने कई बार उनको छुआ और उन मुलायम चूँ को महसूस करता रहा कई बार उनको छुते छुते ही दीदी से पूछता की दीदी आराम तो मिल रहा है न दीदी कुछ नहीं बोलती बस हाँ में गर्दन हिला देती फिर थोडी देर बाद मुझे नीचे की भी याद आई और दीदी के पांवों को मसलने लगा और उनकी सलवार को थोडा उपर उठा कर उनकी नरम मुलायम नाजुक पिंडलियों को दबाने लगा फिर उनकी जांघो को दबाने के बहाने बीच बीच में उनकी चूत को भी टच करने लगा कुछ देर बाद दीदी ने कमर दबाने को कहा और उलटी लेट गयी दीदी की मस्त मस्त गांड पूरी की पूरी मेरी आँखों के सामने थी मैं दीदी की गांड को देखते देखते उनकी कमर को दबाने लगा कुछ देर बाद दीदी बोली की कमर ही दबाता रहेगा या नीचे टाँगे भी दबाएगा मैं बोला दीदी दबाता हूँ और मैं हल्के हाथो से दीदी की टांगो को दबाने लगा दीदी बोली यश बहुत तेज़ दर्द हो रहा है ऐसा कर मेरी जांघो पे बैठ जाओ और कमर दबाते रहो और जांघो पे बैठने की वजह से पैरो को भी आराम मिलेगा मैं दीदी की जांघ पैर बैठ गया और आगे को झुक कर दीदी की कमर दबाने को जैसे ही हुआ मेरा ताना हुआ लैंड दीदी की गांड में छेद करने को बेताब होने लगा मैंने सोचा की दीदी डाटेंगी पैर दीदी कुछ नहीं बोली और मैं मेरी जांघो से दीदी की जांघे और मेरे लैंड से दीदी की गांड और हाथोसे दीदी की कमर को दबाने लगा मेरा लैंड की हालत तो ऐसे हो रही थी मानो सलवार को फाड़ कर सीधा उनकी गांड में धस जाएगा थोडी देर बाद मैं दीदी के उपर लेटता हुआ सा दीदी के गाल का एक चुम्बन लिया और जैसे ही मेरे होंठ दीदी के गाल से मिले मुझे अहसास हुआ की दीदी का चेहरा बुखार के कारण तप रहा है और जब मैंने दीदी को गोर से देखा तो पाया की दीदी की आँखों से आँसू निकल रहे है मैंने पुछा दीदी क्या हुआ दीदी बोली मेरा बदन बहुत दुःख रहा है ऐसे लग रहा है जैसे की मुझे किसी बड़े पहाड़ के नीचे दबा दो जो अची तरह से मेरे बदन को दुखने से बचा दे दीदी के आँसू और ऐसी बात सुन कर मेरा सारा नशा काफूर हो गया और मैंने जोर से दीदी को अपनी बाहों में भीच लिया और प्यार से तीन चार बार दीदी को किस किया और मन लगा कर दीदी के पूरे बदन को दबाने लगा मुझे लगा थोडी देर बाद जैसे दीदी सो गयी मैंने दीदी को दो चार बार आवाज मारी पर दीदी नहीं बोली मैं अपने रूम में वापस आ गया और लेट गया और मुझे काफी गलानी सी महसूस होने लगी और जाने कब मैं सो गया

अगली सुबह जब सब लोग चले गए तो मैं निशा दीदी के लिए नास्ता ले के उन के कमरे में गया और दीदी से दीदी का हाल पुछा दीदी की तबियत आज सही लग रही थी लेकिन कमजोरी अभी भी थी मैं दीदी से उ ही इधर उधर दी बाते करता रहा और आज का दिन ऐसे ही निकल गया दीदी का मूड अच्छा होने की वजह से मैं फिर से जोश में आ गया और रात को फिर दीदी का हाल पूछने उनके रूम में चला गया में दीदी को बोला की दीदी अआप्का बदन आज भी दुःख रहा है क्या तो दीदी की आँखों में मैंने एक चमक सी महसूस की और दीदी बोली हां आज भी कल के जैसे ही दबा दे सिर्फ कमर कमर ही दुःख रही है मैं तो जैसे खुसी से झूम उठा दीदी पेट के बल अपने पिछवाडा ऊपर कर के लेट गयी और मैं अपना लगभग खडा हो चुके लोड को हाथ में पकड़ कर पलंग पैर चढ़ गया और दीदी के जांघो के उपर बैठ कर लैंड को दीदी की गांड पर भिदा कर उनकी कमर को दबाने लगा आज मैंने एक नयी चीज महसूस की की दीदी की गांड में मेरा लैंड कुछ ज्यादा ही नरम नरम सा अहसास दे रहा था जब मैंने ध्यान दिया तो मेरा लोडा और टाइट होने लगा क्योकि दीदी ने आज चड्डी नहीं पहनी हुई थी मैं और दबाब बनता हुआ सा दीदी के उपर लेट गया और उनके गालो पे किस करने लगा दीदी ने अपना मुह घूमा कर दूसरी और कर लिया मुझे लगा सायद दीदी नाराज हो गयी है तो फिर मैं पुनः उनकी कमर दबाने लगा और कुछ देर बाद हिम्मत करके फिर से उनके गाल पर किस किया तो दीदी बोली चार बार और किस करो मैं हैरत से दीदी को देखने लगा फिर दीदी बोली तुमने मेरे इस गाल पैर पांच बार किस किया था तो इस गाल पर भी किस करो मैं दीदी के पूरे बदन को अपनी बाहों में कस कर जोर जोर से दीदी के गालो पैर चुम्बन अंकित कर दिए पर यारो होता तो वही है ना जो भगवान् ने लिखा हुआ है मुझे बाहर कुछ कदमो की आहात सी सुनाई दी मई झट से दीदी से अलग हो गया और इतने में ही रूम में अनु ने प्रवेश किया और दीदी से उनका हाल पूछने लगी और बाते करने लगी अनु बोली की दीदी मैं आज आपके पास सो जाऊ उसके मुह से यह सुनते ही मुझे लगा की आज कुछ नहीं होने वाला वह री किस्मत अगर आज छूट नहीं देनी थी तो इससे अच्छा तो दीदी की किस ही ढंग से लेने दिति और किस्मत को कोसता हुआ अपने रूम में आके लेट गया पैर कां कहा था आज लोडे को जो उसको चाहिए ध उसका और नजदीक से चुम्बन जो मिल चूका था मैं जोर जोर से अपने लंड को हिलाने लगा और तब तक हिलाता रहा जब तक की उसमें से पानी की एक एक बूँद तक नहीं निकल गयी

अगले दिन घर में सभी लोग थे तो कुछ बात बनने वाली नहीं थी और शाम तक मैंने रात को दीदी के रूम में ना जाने का फैसला किया अब आप लोग सोच रहे होंगे की कम से कम किस करने को तो मिल रहा था नहीं यारो मैं आज दीदी के दिल की बात जानना चाहता था की उधर भी खुजली हो रही है की नहीं सो मैं दीदी के रूम में नहीं गया क्योकि मुझे यकीन था की अगर उधर भी खुजली होगी तो वो आज जरूर मेरे रूम में आएगी लेकिन घडी में १० बजे, ११ बजे और १२ भी बजा पैर दीदी नहीं आई और में उनका इन्तजार करते करते सो गया क्या हसीं सा सपना आ रहा था की दीदी मेरे रूम में आई है और मेरे माथे को चूम रही है और मेरे गालो को किस कर रही है और मैंने अपनी बाहों का घेरा बना कर उन्हें अपनी बाहों में लिया और उनके उपर आने के लिए मैंने उन्हें बाहों में लिए लिए ही करवट ली करवट लेने पैर मुझे कुछ भारीपन का अहसास हुआ और जब आँख खोल कर देखा तो मैं दीदी के ऊपर चदा हुआ दीदी की छुट से मेरा लंड भिडा हुआ उनकी छाती से मेरी छाती चिपकी हुई थी मैं दीदी को हक्का बक्का सा एकटक उनको घूर रहा था दीदी बोली की यश क्या बात है क्या तुम मुज्झ से नाराज हो क्या मैं बोला नहीतो दीदी तो फिर आज तुम मेरे रूम में क्यों नहीं आये मैं बोला की बस ऐसे ही आज कुछ ठीक नहीं लग रहा था तो दीदी बोली क्या हुआ मेरे राजा भैया को और मेरे गाल को चूमने लगी
दीदी अब तक मेरे गालो पैर तीन चार बार किस कर चुकी थी और मैं इस पल को जैसे रोक लेना चाहता था दीदी मुझे किस कर रही थी और मैं दीदी के बदन को सहला रहा था कुछ नहीं दीदी वैसे ही दिल नहीं कर रहा था तो दीदी बोली की दिल नहीं कर रहा था या कोई और लड़की पसंद आ गयी है मैं बोला नहीं दीदी कोई और लड़की नहीं है बस ऐसे ही तो दीदी बोली की अगर यह बात नहीं है तो तुने मुझे अभी तक एक बार भी किस क्यों नहीं किया और में दीदी के गालो को चूमने लगा और दीदी को थोडा सा टेडा कर के उनकी गांड को अपने हाथ से सहलाने लगा मैंने दीदी को किस किया और उनकी गांड पर हाथ रख दिया ना तो दीदी ही जाने के मूड में लग रही थी और ना ही आज मैं उनको चोदे बिना रहने वाला था मैंने दीदी से पुछा की दीदी एक बार और किस कर लूं सुनो यश मैं तुम्हारी दीदी हूँ तुम्हारे पास हूँ तुम दो बार भी कर सकते हो मैंने दीदी की बात को गोर से सुना और मुस्कुराया और सोचा की दीदी काश इस बात को तुम जरा इस तरह से कहती की सुनो यश मैं तुम्हारी रंडी हूँ तुम्हारे पास हूँ तुम जो भी कर सकते हो कर लो दीदी मुझे सोचता देख के बोली की क्या हूया में बोला कुछ नहीं और अपने होठ उनके कश्मीरी सेब जैसे गालो पर रख दिए और चूसने लगा करीब पाच मीनट के बाद दीदी बोली की दुसरे गाल पर भी करना है मैंने अपने होठ थोड़े पीछे किये तो दीदी ने दूसरा गाल आगे कर दिया मैंने अपने होठ दुसरे गाल से लगा दिए और एक हाथ से दीदी की उभरी हुई गांड पैर हाथ फेरने लगा और बीच बीच में दबाने भी लगा दीदी आज सायद सच में मूड में थी वह कुछ नहीं बोली और मजे लेती और देती रही मैंने दीदी की गांड को और जोर जोर से दबाना सुरु कर दिया मैंने दीदी की गांड पैर से कपडे को थोडा उपर भी सरका दिया और करवट बदल कर दीदी को अपने उपर ले आया इस तरह से मेरे दोनों हाथ दीदी की गांड पैर आजादी से फिरने लगे और फिर कपडे को थोडा और उपर करके उनकी गोरी गोरी चिकनी कमर को भी सहलाने लगा.

मेरा मन दीदी के मम्मो को चूने का किया मैंने धीरे से दीदी को करवट कर के लेटाया और उनकी कमर को सहलाते सहलाते अपना हाथ ऊपर की और बढाता हुआ उनकी चूची की साइड में फिरने लगा और एक दो बार साइड में हात फेरते फेरते उनकी चूची को भी छु लिया नरम मुलायम गर्मागर्म थी दीदी की चूची निशा सुकून से लेटी रही और मैं दीदी की चुच्ची के इर्दगिर्द हाथ फेरता रहा मुझे बहुत मजा आ रहा था सायद दीदी को भी मैं दोबारा अपना हाथ नीचे की और लाया और फिर से उनकी गांड को सहलाने लगा और एक ऊँगली दीदी की गांड की लकीर पर फेरने लगा इस के साथ साथ मैं दीदी के गालो को भी चूम रहा था दीदी थोडी थोडी देर में दूसरा गाल आगे कर देती थी और मैं उस गाल को चूमने लग जाता था कुछ देर तक दीदी की गांड की लकीर पैर ऊँगली फेरने के बाद मैं अपना हाथ उपर की और लाया और दीदी की चुच्ची पर रख दिया अब की बार मेरा हाथ ठीक से उनके मुम्मे पर रख दिया था एक मीनट हाथ फिरवाने के बाद दीदी बोली की यश मैं चलती हूँ कहीं पापा न आ जाए दीदी अभी थोडी देर रुको न दीदी बोली की नहीं यश पापा अभी तक नहीं सोये और दीदी मुझे किस करके चली गयी यारो आप लोगो के साथ तो कुछ भी के अल पी डी नहीं हुई जो की मेरे साथ हो गयी थी नींद तो जैसे मेरी आँखों में थी ही नहीं मैं तो अभी और मज़ा लेना चाहता था और मैं कुछ देर इंतज़ार करने के बाद निशा के रूम में चला गया और अन्दर जा कर रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj






























































































































































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