Tuesday, April 13, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--8

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खिलोना पार्ट--8

रीमा की सारी उसकी कमर तक आ गयी थी & उसकी टाँगो के बीच उसकी चूत पे लंड दबाए उसके ससुर उसके उपर चढ़े उसकी आँखो मे झाँक रहे थे.उसके दोनो हाथ उसके सर के दोनो तरफ तकिये को पकड़े हुए थे.वीरेंद्र जी धीरे-2 अपनी बहू के होठों पे झुकने लगे तो रीमा ने मुँह बाई तरफ फेर लिया पर इस से विरेन्द्र जी को कोई फ़र्क नही पड़ा.वो उसके कान & उसके नीचे उसकी गर्दन को चूमने लगे.

गर्दन चूमते हुए उन्होने रीमा के चेहरे को सीधा किया & 1 बार फिर उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो रीमा ने अबके दाईं ओर मुँह फेर लिया.उसके दाए कान पे & उसके नीचे गर्दन पे भी विरेन्द्र जी ने अपने होंठो की मुहर लगा दी.जब भी वो रीमा के गाल & गले को चूमते हुए उसके होटो के पास आते वो मुँह फेर लेती.वो उन्हे पूरा यकीन दिलाना चाहती थी की वो अपनी अबला बहू का फ़ायदा उठा रहे हैं.

विरेन्द्र जी भी हार मान ने वालों मे से नही थे.वो नीचे आ उसकी गर्दन को चूमने लगे & उसकी ढँकी चूत पे अपने अंडरवेर मे क़ैद लंड से धक्के लगाने लगे.रीमा मस्त होने लगी थी,उसका दिल कर रहा था की तकिये से अपने हाथ हटा अपने ससुर के सर को भींच उनपे किस्सस की झड़ी लगा दे,उसने बड़ी मुश्किल से अपने अरमानो को काबू मे किया.

विरेन्द्र जी उसके ब्लाउस के गले मे से झँकते,तेज़ सांसो से उपर-नीचे होते क्लीवेज पे झुक गये & उसे चूमने,चाटने लगे,"..आअहह..!",रीमा मज़े मे करही.उसकी मस्ती इतनी बढ़ गयी थी कि नीचे उसकी कमर अपनेआप हिलने लगी.विरेन्द्र जी वैसे ही उसके सीने को चूमते चूत पे चोट करते रहे & आख़िरकार रीमा अपने बदन को कमान की तरह मोदते & अपनी आहो को तेज़ करते हुए झाड़ गयी.झाड़ते हुए वो सब भूल गयी बस उसे ये याद था कि ये गतीले बदन वाला मर्द जो उसके उपर सवार था उसके जिस्म को सुकून पहुँचा रहा है.

उसने तकिये से हाथ हटाए & अपने ससुर के सर को उनमे भर लिया & अपने सीने पे दबा दिया.विरेन्द्र जी समझ गये की उन्होने बाज़ी जीत ली है.उन्होने अपना सर उसके सीने से उपर उठाया & अपनी बहू की मस्त आँखो मे झाँकते हुए उसके हाथ अपने सर से अलग किए & अपनी उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसाकर उन्हे फिर से तकिये की दोनो तरफ बिस्तर पे दबा दिया.

वो 1 बार फिर उसके गुलाबी होटो पे झुकने लगे,रीमा भी अब और इंतेज़ार नही कर सकती थी,जवाब मे उसके होंठ भी खुल गये.विरेन्द्र जी के होठ उसके लबो के बिल्कुल करीब पहुँच गये & रीमा ने जैसे ही उन्हे अपने लबो मे क़ैद करना चाहा,विरेन्द्र जी ने अपने होंठ वापस खींच लिए.रीमा ने हैरत से उन्हे देखतो उनकी आँखो मे शरारत नज़र आई.

1 बार फिर उन्होने वही हरकत दोहराई तो रीमा पागल हो बिस्तर से उठ उन्हे चूमने की कोशिश करने लगी पर उसके हाथ विरेन्द्र जी के हाथो मे दबे होने के कारण नाकाम रही.रीमा अपने ससुर के होटो के लिए पागल हो रही थी,इस बार विरेन्द्र जी फिर झुके & जान बुझ कर उन्होने अपने हाथो की पकड़ भी थोड़ी ढीली कर दी.इस बार उसे छेड़ने के मक़सद से जब उन्होने अपने होंठ वापस खींचे तो रीमा ने अपने हाथ च्छुडा,बिस्तर से उठ कर उनके सर को पकड़ लिया & अपने प्यासे होंठ उनके होटो से मिला दिए.

विरेन्द्र जी ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया & उसपे चढ़ अपना बालो भरा सीना उसके सीने पे & अपना लंड उसकी चूत पे दबाते हुए उसकी जीभ को अपनी जीभ से छेड़ने लगे.अपने ससुर को बाहों & टांगो मे जकड़े रीमा बड़ी देर तक उन्हे चूमती रही.साँस लेने को दोनो 1 पल के लिए अलग हुए & फिर से चूमने मे जुट गये.

विरेन्द्र जी ने अपनी बहू को अपनी बाहों मे भर लिया& थोडा करवट लेते हुए हाथ पीछे ले जा उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए & उसकी पीठ को सहलाने लगे.रीमा मस्ती मे उन्हे चूमे जा रही थी & अपने बदन पे उनके हाथो का मज़ा ले रही थी.

करीब 15 मिनिट तक दोनो 1 दूसरे के होटो,चेहरे & गले को चूमते रहे.फिर विरेन्द्र जी ब्लाउस मे हाथ घुसा उसकी चूचिया दबाने लगे & रीमा उनके सीने के बालो मे उंगलिया फिराती उनके निपल्स को अपनी उंगली & अंगूठे मे दबा मसल्ने लगी.

विरेन्द्र जी ने उसके ब्लाउस को उसके बदन से अलग कर दिया तो बहुत ही पतले स्ट्रॅप्स वाले गुलाबी ब्रा मे कसी रीमा की छातिया उनकी नज़रो के सामने आ गयी.ब्रा का हुक वाला स्ट्रॅप भी बहुत पतला था & उसमे बस 1 ही हुक था.विरेन्द्र जी अपनी बहू की टाँगो के बीच लेते हुए उसे लिए बाई करवट पे हो गये & उसे अपने सीने मे भींच उसकी मखमली पीठ का जायज़ा लेने लगे.

उसके कंधे को चूमते हुए उन्होने उसकी पीठ सहलाई & थोड़ी देर सहलाने के बाद उंगलियो की 1 हरकत से उसके ब्रा का हुक खोल दिया.रीमा उनकी गर्दन मे मुँह च्छुपाए उनके गालो को चूमते हुए अपने ब्रा के उतरने का इंतेज़ार कर रही थी.उसके ससुर ने उसे फिर से बिस्तर पे लिटा दिया & उसके दोनो कंधो को चूमते हुए उसके ब्रा को उतारने लगे.जैसे-2 स्ट्रॅप्स उसके कंधो से नीचे उसकी बाँह से नीचे जाते उनके होंठ भी स्ट्रॅप्स के पीछे-2 वही रास्ता तय करने लगे.

रीमा ने अपनी बाहें उचका के ब्रा निकालने मे विरेन्द्र जी की मदद की.अब उसकी छातिया उसके ससुर के सामने नंगी थी."वाह..!",उन्हे देखते ही विरेन्द्र जी के मुँह से तारीफ निकली.रीमा के गुलाबी निपल्स जोश मे बिल्कुल कड़े हो गये थे.विरेन्द्र जी ने अपनी जीभ के सिरे से उन्हे छेड़ना शुरू कर दिया.वो ना तो उसकी चूचियो को च्छू रहे थे ना ही पूरा मुँह मे ले रहे थे,बस अपनी ज़ुबान से रीमा के निपल्स को छेड़ रहे थे.

रीमा तो चाह रही थी कि वो बस उसकी गोलाईओं को अपने हाथो & होंठो तले मसल दे पर वो तो बस उसे तडपा रहे थे.तड़प के उसने उनका सर पकड़ा & उचक कर अपनी बाई चुचि उनके मुँह मे घुसा दी.विरेन्द्र जी ने उसे मुँह मे भर इतनी ज़ोर से चूसा कि रीमा की आह निकल गयी.उसके दाएँ उरोज़ को दबाते हुए वो उसके बाए उरोज़ को चूसने लगे.रीमा 1 बार फिर मस्त होने लगी.

बड़ी देर तक विरेन्द्र जी अपनी बहू की छतियो को सहलाते,मसल्ते & दबाने के साथ चूमते & चूस्ते रहे.जब उन्होने ने उनको छ्चोड़ा तो वो उनके ज़बान के बनाए निशानो से भरी थी.विरेन्द्र जी नीचे उसके पेट पे आए & थोड़ी देर तक उसे वाहा पे प्यार करते रहे.जब उन्होने अपनी जीभ उसकी नाभि मे उतारी तो रीमा बस पागल ही हो गयी.


अब विरेन्द्र जी उसकी टाँगो के बीच घुटनो पे बैठ गये & उसकी दाई टांग को हवा मे उठा लिया & अपने गाल उसपे रगड़ने लगे,उनका 1 हाथ टांग थामे था तो दूसरा रीमा की जाँघ सहला रहा था.रीमा उनकी इस हरकत से और मस्त हो गयी & उसका बदन मछ्लि की तरह तड़पने लगा.विरेन्द्र जी उसकी टाँग को चूमते उसके घुटने से होते हुए नीचे उसकी भारी,मांसल जाँघ तक पहुँच गये.

वाहा पहुँच कर उन्होने वाहा पे ना केवल चूमा बल्कि ज़ोर-2 से चूस कर रीमा की जाँघो पे भी लव बाइट्स छ्चोड़े & उसकी मस्ती को और बढ़ा दिया.चूमते हुए वो उसकी चूत तक आए तो वाहा पे इतने सारे कपड़े देख वो झल्ला गये.उन्होने 1 ही झटके मे रीमा की सारी & पेटिकोट निकाल दिया.अब उनके सामने उनकी बहू की पॅंटी पूरी तरह से गीली हो उसकी चूत से चिपकी थी.जब वो हाथ बढ़ा उसकी पॅंटी उतारने लगे तो रीमा ने तकिये मे मुँह च्छूपा लिया.

अब वो अपने ससुर के सामने पूरी तरह से नंगी थी.विरेन्द्र जी ने उसकी गंद की फांको के नीचे अपने हाथ लगाए & उसकी गंद को हवा मे उठा दिया & घुटनो पे बैठ अपने होंठ उसकी उसी के रस से सराबोर चूत पे लगा दिए.

"आनन्न...न्नह...",रीमा की आह निकल गयी & वो फिर कसमसने लगी.उसने अपने ससुर के सर को पकड़ उसे अपनी चूत पे भींच दिया,उसकी कमर अपने आप हिलने लगी थी.विरेन्द्र जी की जीभ उसकी चूत की गहराइयाँ नापने लगी.उन्होने जम के उसकी चूत को चटा,उसके दाने को कभी वो अपनी उंगली से छेड़ते तो कभी जीभ से.रीमा को होश भी नही था कि वो अब तक कितनी बार झड़ी थी.1 लंबे समय के बाद उसे महसूस हुआ कि उसके ससुर अब उसकी चूत से नही खेल रहे हैं.

उसने अपनी नशे से भारी पलके आधी खोली तो देखा की वो अपना अंडरवेर उतार रहे हैं.अंडरवेर उतरते ही उसकी आँखे हैरत से फैल गयी.उसकी टाँगो के बीच उसके ससुर अपना लंड निकाले बैठे थे.इतना बड़ा लंड & इतना मोटा!रीमा ने अंदाज़ा लगाया कि उसके ससुर का लंड 9 इंच लंबा होगा & मोटा भी कितना था.लंड का मट्ठा प्रेकुं से गीला था.उसके नीचे 2 बड़े-2 झांतो से ढके अंडे लटक रहे थे.

रीमा सोचने लगी कि आख़िर ये हैवान उसकी नाज़ुक,कसी चूत मे जाएगा कैसे.उसे डर लगा कि आज तो उसकी चूत ज़रूर फॅट जाएगी.उसका हलक सुख गया & उसने थूक गटका.विरेन्द्र जी शायद उसकी घबराहट भाँप गये थे.उन्होने बड़े प्यार से उसके गालो & बालो को सहलाया & फिर उसकी टाँगे उठा अपने कंधो पे लगा ली.

अब वो घुटनो पे बैठे उसके पैर चूम रहे थे.रीमा अपना डर भूल फिर से मस्त होने लगी.विरेन्द्र जी ने देखा की उनकी बहू फिर से मज़े मे आने लगी है तो उन्होने उसकी बाई टांग को तो कंधे पे ही रहने दिया पर दाई को उतार अपनी कमर पे लपेट लिया.फिर अपना लंड लिया & उसकी चूत पे लगा दिया.जहा 1 तरफ रीमा को डर लग रहा था वही दूसरी तरफ उसके दिल मे ख्वाहिश भी थी कि वो अपने ससुर का ये लंबा,मोटा लंड पूरा का पूरा अपनी चूत मे ले.

विरेन्द्र जी ने हल्के से लंड को उसकी गीली चूत मे धकेला तो लंड का सूपड़ा आधा अंदर चला गया.रीमा ने 1 हाथ से तकिया पकड़ लिया & दूसरा उनके पेट पे लगा दिया जैसे उन्हे रोक रही हो.विरेन्द्र जी उसकी दाई जाँघ & बाई टाँग थामे लंड अंदर पेलने लगे.

"ऊवन्न...न्नह...",जैसे ही पूरा सूपड़ा अंदर गया,रीमा अपना बदन उपर उठाते हुए करही.थोड़ी देर तक विरेन्द्र जीशांत पड़े उसकी चूचियो को दबाते & उसकी टांगे सहलाते रहे.फिर उन्होने 1 हल्का धक्का दिया तो लंड 1 इंच और अंदर चला गया.रीमा को अभी उतनी तकलीफ़ नही हुई थी.

पर जैसे ही विरेन्द्र जी ने थोड़े धक्के दिए & 2 तिहाई लंड अंदर गया कि उसकी चीख निकल गयी & विरेन्द्र जी की आह ,उन्होने नही सोचा था कि उनकी विधवा बहू किचूत इतनी कसी होगी,उन्हे लग रहा था जैसे किसी बहुत नाज़ुक हाथ ने उनके लंड को बड़ी मज़बूत गिरफ़्त मे लिया हो.रीमा तो बेचैन थी,इस से ज़्यादा आगे उसकी चूत मे कभी कोई लंड नही गया था & उसे दर्द होने लगा था.

"आहह...पिताजी...दर्द हो रहा है.इसे निकाल लीजिए ना!"

"अभी सब ठीक हो जाएगा,बहू.मुझपे भरोसा रखो.",विरेन्द्र जी उसके चेहरे को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर बाद बिना लंड को और अंदर घुसाए वो रीमा को बहुत धीरे-2 चोदने लगे.शुरू मे तो रीमा को तकलीफ़ हुई पर कुच्छ मिनिट के बाद उसे मज़ा आने लगा.वो आहें भरती हुई कमर हिलाने लगी.

विरेन्द्र जी ने अब उसकी दाई टाँग को भी अपने कंधे पे ले लिया & उसके पैरो की उंगलिया चूमने लगे.वो 1-1 उंगली को मुँह मे भर के चूसने लगे.रीमा को उसके पति या उसके जेठ ने कभी ऐसे प्यार नही किया था.उसे बहुत अच्छा लग रहा था,पैरो मे जैसे गुदगुदी हो रही थी.

दोनो पैरो को बारी-2 से चूमने के बाद विरेन्द्र जी ने उसकी कंधो पे रखी टांगे पकड़ी & 1 ज़ोर का धक्का दिया.


"ऊओ...उउउक्चह...!",रीमा चीखी,विरेन्द्र जी ने सोचा था कि लंड पूरा अंदर चला जाएगा पर वो तो बस आधा इंच ही और गया था,"...और मत घुसाइए पिताजी,प्लीज़.......आआआअ...ईईईईययययी....ययइईई...!",रीमा की गुज़ारिश को अनसुना करते हुए विरेन्द्र जी ने ज़ोर के 2-3 धक्के लगा लंड को जड़ तक उसकी चूत मे उतार दिया था.

रीमा दर्द से छत्पताने लगी तो विरेन्द्र जी उसके होंठो पे झुक आए.ऐसा करने मे उसकी कंधो पे लगी टाँगे मूड गयी & उसकी जांघे उसकी चूचियो पे दब गयी,गंद भी बिस्तर से उठी हुई थी & लंड जितना अंदर जा सकता था उतनी गहराई मे उतरा हुआ था.

रीमा को अपनी चूत बहुत फैली हुई महसूस हो रही थी & लग रहा था जैसे लंड उसकी कोख को छु रहा है.दर्द से उसका बुरा हाल था & उसके ससुर उसके चेहरे पे प्यार कर उसे दिलासा दे रहे थे,"बस थोड़ी देर और रीमा.फिर दर्द नही होगा.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए & बालो मे प्यार से उंगलिया फिराई.

थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही पड़े रहे.रीमा को अब चूत मे उतना दर्द महसूस नही हो रहा था.ससुर ने जब उसे चूमा तो उसने भी उनका जवाब दिया.विरेन्द्र जी समझ गये कि उनकी बहू अब तैय्यार है.उन्होने उसके होटो को छ्चोड़ा & अपने शरीर का वज़न अपने हाथो पे लिया & अपनी बहू की चुदाई शुरू कर दी.पहले उन्होने तेज़-2 धक्के लगाए जिसमे लंड को बस 1-2 इंच निकालते & वापस अंदर घुसेड़ते.रीमा को धीरे-2 मज़ा आने लगा.वो अपने ससुर के चेहरे & बालो को सहलाती आहें भरने लगी.

तभी विरेन्द्र जी ने अपना पूरा लंड बाहर खींच लिया,रीमा ने बेचैन होकर उन्हे देखा तो उन्होने 1 ही झटके मे पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे पेल दिया,"ययय्याअ...अहह.....!"

वो अब वैसे ही उसकी चुदाई करने लगे.लंड पूरा बाहर निकलता & फिर उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता पूरा अंदर उसकी कोख पे चोट करता.रीमा को आज चुदाई मे 1 अलग ही मज़ा आ रहा था,उसकी चूचिया उसी की जाँघो से दबी थी & उसकी गंद हवा मे उठी थी,उसकी चूत पूरी तरह से भरी हुई थी & उसके ससुर के लंड ने आज वाहा की अंजनी गहरआीओं की भी थाह पा ली थी.कमरे मे उसकी मस्त आहों & दोनो बदनो के टकराने से होने वाली ठप-ठप का शोर भर गया था.

उसे उनपे बहुत प्यार आ रहा था,उसने उनके कंधे से अपनी टांगे उतारी &उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया.विरेन्द्र जी उसके सीने पे आ गिरे & उसकी छातियो को 1-1 कर चूमने,चूसने लगे.रीमा ने उन्हे बाँहो मे भर लिया,उसकी चूत मे फिर से सैलाब आने वाला था.नीचे से कमर हिला के अपने ससुर के धक्को की ताल से ताल मिलाती हुई रीमा ने अपनी टांगे अपने ससुर की कमर पे लपेट दी & उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.

उसकी इस हरकत से विरेन्द्र जी की कराह निकल गयी & जवाब मे उन्होने उसके निपल पे हल्के से काट लिया,"..आउच.."रीमा ने 1 हाथ से उनके सर को पकड़ा & उनके बालो को चूमने लगी.उसके अंदर का सैलाब अब बाँध तोड़ने वाला था,वो अपने ससुर से चिपेट गयी & उसकी टांगे भी उनकी कमर पे और कस गयी.विरेन्द्र जी समझ गये कि रीमा झड़ने वाली है.उन्होने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.उनके झांतो भरे अंदो हर धक्के के अंत मे उनकी बहू की गंद से टकराते हुए उसे गुदगुदी का एहसास करा रहे थे.


रीमा ने अपनी कोख पे उनके लंड की 2-3 चोटे & और बर्दाश्त की और उसके अंदर उस सैलाब ने बाँध तोड़ दिया,उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया & वो अपने ससुर के बदन से चिपकी बिस्तर से उठाते हुए उनके कानो मे पागलो की तरह जीभ फिराती हुई सिसकते हुए झाड़ गयी.ठीक उसी वक़्त विरेन्द्र जी ने भी अपने उपर से काबू हटाया & 2-3 ज़ोर के गहरे झटको के साथ अपनी बहू की चूत को अपने गाढ़े पानी से भर दिया.

थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े अपनी साँसे संभालते रहे.फिर वीरेंद्र जी ने बड़े प्यार से अपनी बहू के होटो को चूम लिया.वासना का तूफान थम गया था & अब रीमा फिर से होश मे आ गयी थी.उसके ससुर ने उसके होंठ छ्चोड़े तो उसने शरमे से चेहरा घुमा लिया & उसकी नज़र कमरे के दूसरी ओर सो रही अपनी सास पे पड़ी.

रीमा तो शर्म से पानी-2 हो गयी.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि वो 1 दिन अपनी सास के उसी कमरे मे होते हुए अपने ससुर से चूड़ेगी.विरेंड्रा जी का लंड सिकुड चुका था पर उनका सिकुदा लंड भी उनके बिटो के खड़े लंड के बराबर था & रीमा को कहीं से भी ये महसूस नही हो रहा था कि उसकी चूत के अंदर 1 झाड़ा हुआ लंड पड़ा है.उन्होने अपना लंड बाहर खींचा तो रीमा को लगा जैसे उसके अंदर कुच्छ खाली सा हो गया है.

विरेन्द्र जी अपनी बहू के बगल मे लेट गये.रीमा उनसे नज़रे नही मिला पा रही थी.उन्होने उसे पशोपेश मे पड़ा देख करवट ली & अपनी कोहनी के बल अढ़लेते हो उसका चेहरा पानी ओर घुमाया,"मैं तुम्हारी मन की हालत समझ रहा हू,रीमा."

उन्होने प्यार से उसके चेहरे पे हाथ फेरा,"हम सब तक़दीर के हाथ के खिलोने हैं, रीमा.अगर सुमित्रा ठीक होती तो शायद आज हम दोनो 1 दूसरे की बाहों मे सुकून नही ढूँढ रहे होते.",वो उसके थोड़ा और करीब आ गये & उसके चेहरे को हाथ मे भर लिया,"तुमने कोई ग़लती नही की है.हम दोनो को सुकून चाहिए था,प्यार चाहिए था जो आज हमने पा लिया है."

उन्होने उसे अपने सीने से लगा लिया.रीमा ने उनके सीने मे मुँह च्छूपौंके बालो से खेलने लगी,"फिर भी मुझे अजीब लग रहा है.मा जी भी इसी कमरे मे हैं & हम दोनो.."

"तुमने सुना था ना आज सवेरे डॉक्टर ने क्या कहा.तुम्हे लगता है उसे कुच्छ पता भी चलता है.",उन्होने उसके चेहरे को अपने सीने से उठाया & उसे उसकी सास की ओर घुमा दिया,"खुद ही देखो & समझो.वो बेख़बर सो रही है.तुम बेकार मे ही इतना सोच रही हो."

उन्होने फिर से उसका चेहरा अपनी ओर घुमा लिया,"मैं तुम्हारे जिस्म के लालच मे ऐसी बातें नही करा रहा,रीमा.अब तो जब तक ज़िंदा रहूँगा तुम्हे खुद से अलग नही करूँगा.",सुनते ही रीमा ने 1 बार फिर उनके सीने मे सर छुपा लिया & अपनी बाहें उनके गिर्द लपेट दी.

कल जेठ ने उस से ऐसा ही वादा किया था.उसे यकीन हो गया कि दोनो बाप-बेटे अब उसके दीवाने हो चुके हैं.अब बस उनसे रवि के बारे मे पुच्छना था पर सीधे रवि के मुद्दे पे पहुँचना ठीक नही था.

विरेन्द्र जी पीठ के बाल लेट गये तो वो उनके सीने पे ठुड्डी रख उनके सीने के बालो मे हाथ फिरते उन्हे देखने लगी,वो भी 1 हाथ से उसकी पीठ सहला रहे थे & दूसरे से उसका चेहरा.



KHILONA paart--8

Reema ki sari uski kamar tak aa gayi thi & uski tango ke beech uski chut pe lund dabaye uske sasur uske upar chadhe uski aankho me jhank rahe the.uske dono hath uske sar ke dono taraf takiye ko pakde hue the.Virendra ji dheere-2 apni bahu ke hothon pe jhukne lage to reema ne munh baayi taraf fer liya par is se virendra ji ko koi fark nahi pada.vo uske kaan & uske neeche uski gardan ko chumne lage.

gardan chumte hue unhone reeme ke chehre ko seedha kiya & 1 baar fir uske honth chumne ki koshish ki to reema ne abke daayin or munh fer liya.uske daaye kaan pe & uske neeche gardan pe bhi virendra ji ne apne hontho ki muhar laga di.jab bhi vo reema ke gaal & gale ko chumte hue uske hotho ke paas aate vo munh fer leti.vo unhe pura yakeen dilana chahti thi ki vo apni abla bahu ka fayda utha rahe hain.

virendra ji bhi haar maan ne vaalon me se nahi the.vo neeche aa uski gardan ko chumne lage & uski dhanki chut pe apne underwear me qaid lund se dhakke lagane lage.reema mast hone lagi thi,uska dil kar raha tha ki takiye se apne hath hata apne sasur ke sar ko bheench unpe kisses ki jhadi laga de,usne badi mushkil se apne armano ko kabu me kiya.

virendra ji uske blouse ke gale me se jhankte,tez saanso se upar-neeche hote cleavage pe jhuk gaye & use chumne,chatne lage,"..aaahhh..!",reema maze me karahi.uski masti itni badh gayi thi ki neeche uski kamar apneaap hilne lagi.virendra ji vaise hi uske seene ko chumte chut pe chot karte rahe & aakhirkaar reema apne badan ko kaman ki tarah modte & apni aaho ko tez karte hue jhad gayi.jhadte hue vo sab bhul gayi bas use ye yad tha ki ye gathile badan wala mard jo uske upar sawar tha uske jism ko sukun pahuncha raha hai.

usne takiye se hath hataye & apne sasur ke sar ko unme bhar liya & apne seene pe daba diya.virendra ji samajh gaye ki unhone bazi jeet li hai.unhone apna sar uske seene se upar uthaya & apni bahu ki mast aankho me jhankte hue uske hath apne sar se alag kiye & apni ungliya uski ungliyo me phansakar unhe fir se takiye ki dono taraf bistar pe daba diya.

vo 1 baar fir uske gulabi hotho pe jhukne lage,reema bhi ab aur intezar nahi kar sakti thi,jawab me uske honth bhi khul gaye.virendra ji ke hoth uske labo ke bilkul kareeb pahunch gaye & reema ne jaise hi unhe apne labo me qaid karna chaha,virendra ji ne apne honth vaapas khinch liye.reema ne hairat se unhe dekhato unki aankho me shararat nazar aayi.

1 bar fir unhone vahi harkat dohrayi to reema pagal ho bistar se uth unhe chumne ki koshish karne lagi par uske hath virendra ji ke hatho me dabe hone ke karan nakaam rahi.reema apne sasur ke hotho ke liye pagal ho rahi thi,is bar virendra ji fir jhuke & jaan bujh kar unhone apne hatho ki pakad bhi thodi dheeli kar di.is baar use chhedne ke maqsad se jab unhone apne honth vapas kheenche to reema ne apne hath chhuda,bistar se utha kar unke sar ko pakad liya & apne pyase honth unke hotho se mila diye.

virendra ji ne use bistar pe lita diya & uspe chadh apna baalo bhara seena uske seene pe & apna lund uski chut pe dabate hue uski jibh ko apni jibh se chhedne lage.apne sasur ko baahon & tango me jakde reema badi der tak unhe chumti rahi.saans lene ko dono 1 pal ke liye alag hue & fir se chumne me jut gaye.

virendra ji ne apni bahu ko apni baahon me bhar liya& thoda karwat lete hue hath peechhe le ja uske blouse ke button khol diye & uski pith ko sehlane lage.reema masti me unhe chume ja rahi thi & apne badan pe unke hatho ka maza le rahi thi.

kareeb 15 minute tak dono 1 dusre ke hotho,chehre & gale ko chumte rahe.fir virendra ji blouse me hath ghusa uski chhatiyan dabane lage & reema unke seene ke baalo me ungliya firati unke nipples ko apni ungli & anguthe me daba masalne lagi.

virendra ji ne uske blouse ko uske badan se alag kar diya to bahut hi patle straps vale gulabi bra me kasi reema ki chhatiyan unki nazro ke samne aa gayi.bra ka hook vala strap bhi bahut patla tha & usme bas 1 hi hook tha.virendra ji apni bahu ki taango ke beech lete hue use liye diye baayi karwat pe ho gaye & use apne seene me bheench uski makhmali pith ka jaayza lene lage.

uske kandhe ko chumte hue unhone uski pith sehlayi & thodi der sehlane ke bad ungliyo ki 1 harkat se uske bra ka hook khol diya.reema unki gardan me munh chhupaye unke gaalo ko chumte hue apne bra ke utarne ka intezar kar rahi thi.uske sasur ne use fir se bistar pe lita diya & uske dono kandho ko chumte hue uske bra ko utarne lage.jaise-2 straps uske kandho se neeche uski baanh se neeche jate unke honth bhi straps ke peechhe-2 vahi rasta tay karne lage.

reema ne apni baahen uchka ke bra nikalne me virendra ji ki madad ki.ab uski chhatiyan uske sasur ke samne nangi thi."vaah..!",unhe dekhte hi virendra ji ke munh se tareef nikli.reema ke gulabi nipples josh me bilkul kade ho gaye the.virendra ji ne apni jibh ke sire se unhe chhedna shuru kar diya.vo na to uski choochiyo ko chhu rahe the na hi pura munh me le rahe the,bas apni zuban se reema ke nipples ko chhed rahe the.

reema to chah rahi thi ki vo bas uski golaion ko apne haatho & hontho tale masala de par vo to bas use tadpa rahe the.tadap ke usne unka sar pakda & uchak kar apni baayi chuchi unke munh me ghusa di.virendra ji ne use munh me bhar itni zor se choosa ki reema ki aah nikal gayi.uske dayen uroz ko dabate hue vo uske baaye uroz ko chusne lage.reema 1 baar fir mast hone lagi.

badi der tak virendra ji apni bahu ki chhatiyon ko sehlate,masalte & dabane ke sath chumte & chuste rahe.jab unhone ne unko chhoda to vo unke zaban ke banaye nishano se bhari thi.virendra ji neeche uske pet pe aye & thodi der tak use vaha pe pyar karte rahe.jab unhone apni jibh uski nabhi me utari to reema bas pagal hi ho gayi.


ab virendra ji uski taango ke beech ghutno pe baith gaye & uski daayi tang ko hawa me utha liya & apne gaal uspe ragadne lage,unka 1 hath tang thame tha to dusra reema ki jangh sehla raha tha.reema unki is harkat se aur mast ho gayi & uska badan machhli ki tarah tadapne laga.virendra ji uski taang ko chumte uske ghutne se hote hue neeche uski bhari,mansal jangh tak pahunch gaye.

vaha pahunch kar unhone vaha pe na kewal chuma balki zor-2 se chus kar reema ki jaangho pe bhi love bites chhode & uski masti ko aur badha diya.chumte hue vo uski chut tak aaye to vaha pe itne sare kapde dekh vo jhalla gaye.unhone 1 hi jhatke me reema ki sari & petticoat nikal diya.ab unke samne unki bahu ki panty puri tarah se gili ho uski chut se chipki thi.jab vo hath badha uski panty utarne lage to reema ne takiye me munh chhupa liya.

ab vo apne sasur ke samne puri tarah se nangi thi.virendra ji ne uski gand ki fanko ke neeche apne hath lagaye & uski gand ko hawa me utha diya & ghutno pe baith apne honth uski usi ke ras se sarabor chut pe laga diye.

"aannn...nnhhhhh...",reema ki aah nikal gayi & vo fir kasmasane lagi.usne apne sasur ke sar ko pakad use apni chut pe bheench diya,uski kamar apne aap hilne lagi thi.virendra ji ki jibh uski chut ki gehraaiyan naapne lagi.unhone jam ke uski chut ko chata,uske dane ko kabhi vo apni ungli se chhedte to kabhi jibh se.reema ko hosh bhi nahi tha ki vo ab tak kitni baar jhadi thi.1 lambe samay ke baad use mehsus hua ki uske sasur ab uski chut se nahi khel rahe hain.

usne apni nashe se bhari palke aadhi kholi to dekha ki vo apna underwear utar rahe hain.underwear utarte hi uski aankhe hairat se phail gayi.uski taango ke beech uske sasur apna lund nikale baithe the.itna bada lund & itna mota!reema ne andaza lagaya ki uske sasur ka lund 9 inch lamba hoga & mota bhi kitna tha.lund ka mattha precum se gila tha.uske neeche 2 bade-2 jhanto se dhake ande latak rahe the.

reema sochne lagi ki aakhir ye haivan uski nazuk,kasi chut me jayega kaise.use darr laga ki aaj to uski chut zarur phat jayegi.uska halak sukh gaya & usne thook gatka.virendra ji shayad uski ghabrahat bhaanp gaye the.unhone bade pyar se uske gaalo & baalo ko sehlaya & fir uski tange utha apne kandho pe laga li.

ab vo ghutno pe baithe uske pair chum rahe the.reema apna darr bhul fir se mast hone lagi.virendra ji ne dekha ki unki bahu fir se maze me aane lagfi hai to unhone uski baayi tang ko to kandhe pe hi rehne diya par daayi ko utar apni kamar pe lapet liya.fir apna lund liya & uski chut pe laga diya.jaha 1 taraf reema ko darr lag raha tha vahi dusri taraf uske dil me khwahish bhi thi ki vo apne sasur ka ye lamba,mota lund pura ka pura apni chut me le.

virendra ji ne halke se lund ko uski gili chut me dhakela to lund ka supada aadha andar chala gaya.reema ne 1 hath se takiya pakad liya & dusra unke pet pe laga diya jaise unhe rok rahi ho.virendra ji uski daayi jangh & baayi taang thaame lund andar pelne lage.

"ooonn...nnhhhh...",jaise hi pura supada andar gaya,reema apna badan upar uthate hue karahi.thodider tak virendra jishant pade uski choochiyo kodabate & uski taange sehlate rahe.fir unhone 1 halka dhakka diya to lund 1 inch aur andar chala gaya.reema ko abhi utni takleef nahi hui thi.

par jaise hi virendra ji ne thodeaur dhakke diye & 2 tihai lund andar gaya ki uski cheekh nikal gayi & virendra ji ki aah,unhone nahi socha tha ki unki vidhava bahu kichut itni kasi hogi,unhe lag raha tha jaise kisi bahut nazuk hath ne unke lund ko badi mazbut giraft me liya ho.reema to bechain thi,is se zyada age uski chut me kabhi koi lund nahi gaya tha & use dard hone laga tha.

"aahh...pitaji...dard ho raha hai.ise nikal lijiye na!"

"abhi sab thik ho jayega,bahu.mujhpe bharosa rakho.",virendra ji uske chehre ko pyar se sehlane lage.thodi der baad bina lund ko aur andar ghusaye vo reema ko bahut dheere-2 chodne lage.shuru me to reema ko takleef hui par kuchh minute ke baad use maza aane laga.vo aahen bharti hui kamar hilane lagi.

virendra ji ne ab uski daayi taang ko bhi apne kandhe pe le liya & uske pairo ki ungliya chumne lage.vo 1-1 ungli ko munh me bhar ke chusne lage.reema ko uske pati ya uske jeth ne kabhi aise pyar nahi kiya tha.use bahut achha lag raha tha,pairo me jaise gudgudi ho rahi thi.

dono pairo ko bari-2 se chumne ke baad virendra ji ne uski kandho pe rakhi taange pakdi & 1 zor ka dhakka diya.


"OOO...UUUCCHHHH...!",reema cheekhi,virendra ji ne socha tha ki lund pura andar chala jayega par vo to bas aadha inch hi aur gaya tha,"...aur mat ghusaiye pitaji,please.......AAAa...IIIIYYYYY....YYYEEEEEEE...!",reema ki guzarish ko ansuna karte hue virendra ji ne zor ke 2-3 dhakke laga lund ko jad tak uski chut me utar diya tha.

reema dard se chhatpatane lagi to virendra ji uske hontho pe jhuk aaye.aisa karne me uski kandho pe lagi tange mud gayi & uski jaanghe uski choochiyo pe dab gayi,gand bhi bistar se uthi hui thi & lund jitna andar ja sakta tha utni gehrai me utra hua tha.

reema ko apni chut bahut phaili hui mehsus ho rahi thi & lag raha tha jaise lund uski kokh ko chhu raha hai.dard se uska bura haal tha & uske sasur uske chehre pe pyar kar use dilasa de rahe the,"bas thodi der aur reema.fir dard nahi hoga.",unhone uske honth chum liye & baalo me pyar se ungliya firayi.

thodi der tak dono aise hi pade rahe.reema ko ab chut me utna dard mehsus nahi ho raha tha.sasur ne jab use chuma to usne bhi unka jawab diya.virendra ji samajh gaye ki unki bahu ab taiyyar hai.unhone uske hotho ko chhoda & apne sharir ka vazan apne hatho pe liya & apni bahu ki chudai shuru kar di.pehle unhone tez-2 dhakke lagaye jisme lund ko bas 1-2 inch nikalte & vapas andar ghusedte.reema ko dheere-2 maza aane laga.vo apne sasur ke chehre & baalo ko sehlati aahen bharne lagi.

tabhi virendra ji ne apna pura lund bahar kheench liya,reema ne bechain hokar unhe dekha to unhone 1 hi jhatke me pura lund jad tak uski chut me pel diya,"YYYYAAA...AHHHHHHH.....!"

vo ab vaise hi uski chudai karne lage.lund pura bahar nikalta & fir uski chut ki deewaro ko ragadta pura andar uski kokh pe chot karta.reema ko aaj chudai me 1 alag hi maza a raha tha,uski choochiya usi ki jangho se dabi thi & uski gand hawa me uthi thi,uski chut puri tarah se bhari hui thi & uske sasur ke lund ne aaj vaha ki anjani gehraaion ki bhi thaah paa li thi.kamre me uski mast aahon & dono badno ke takrane se hone wali thap-thap ka shor bhar gaya tha.

use unpe bahut pyar aa raha tha,usne unke kandhe se apni taange utari &unhe apni baaho me bhar liya.virendra ji uske seene pe a gire & uski chhtiyon ko 1-1 kar chumne,chusne lage.reema ne unhe baho me bhar liya,uski chut me fir se sailaab aane wala tha.neeche se kamar hila ke apne sasur ke dhako ki taal se taal milati hui reema ne apni taange apne sasur ki kamar pe lapet di & unki pith pe apne nakhun gada diye.

uski is harkat se virendra ji ki karah nikal gayi & jawab me unhone uske nipple pe halke se kaat liya,"..ouch.."reema ne 1 hath se unke sar ko pakda & unke baalo ko chumne lagi.uske andar ka sailaab ab bandh todne wala tha,vo apne sasur se chipat gayi & uski taange bhi unki kamar pe aur kas gayi.virendra ji samajh gaye ki reema jhadne wali hai.unhone bhi apni raftar badha di.unke jhanto bhare ando har dhake ke ant me unki bahu ki gand se takrate hue use gudgudi ka ehsas kara rahe the.


reema ne apni kokh pe unke lund ki 2-3 chote & aur bardasht ki aur uske andar us sailab ne bandh tod diya,uski chut ne pani chhodna shuru kar diya & vo apne sasur ke badan se chipki bistar se uthate hue unke kaano me paaglo ki tarah jibh phirati hui sisakte hue jhad gayi.thik usi waqt virendra ji ne bhi apne upar se kabu hataya & 2-3 zor ke gehre jhatko ke sath apni bahu ki chut ko apne gaadhe pani se bhar diya.

Thodi der tak dono vaise hi pade apni saanse sambhalte rahe.fir Virendra ji ne bade pyar se apni bahu ke hotho ko chum liya.vasana ka toofan tham gaya tha & ab Reema fir se hosh me aa gayi thi.uske sasur ne uske honth chhode to usne sharme se chehra ghuma liya & uski nazar kamre ke dusri or so rahi apni saas pe padi.

reema to sharm se pani-2 ho gayi.usne sapne me bhi nahi socha tha ki vo 1 din apni saas ke usi kamre me hote hue apne sasur se chudegi.virendra ji ka lund sikud chuka tha par unka sikuda lund bhi unke beto ke khade lund ke barabar tha & reema ko kahin se bhi ye mehsus nahi ho raha tha ki uski chut ke andar 1 jhada hua lund pada hai.unhone apna lund bahar kheencha to reema ko laga jaise uske andar kuchh khaali sa ho gaya hai.

virendra ji apni bahu ke bagal me let gaye.reema unse nazare nahi mila pa rahi thi.unhone use pashopesh me pada dekh karwat li & apni kohni ke bal adhlete ho uska chehra pani or ghumaya,"main tumhari man ki halat samajh raha hu,reema."

unhone pyar se uske chehre pe hath fera,"hum sab taqdeer ke hath ke khilone hain, reema.agar Sumitra thik hoti to shayad aaj hum dono 1 dusre ki baahon me sukun nahi dhoondh rahe hote.",vo uske thoda aur kareeb aa gaye & uske chehre ko hath me bhar liya,"tumne koi galti nahi ki hai.hum dono ko sukun chahiye tha,pyar chaiye tha jo aaj humne pa liya hai."

unhone use apne seene se laga liya.reema ne unke seene me munh chhupaunke baalo se khelne lagi,"fir bhi mujhe ajeeb lag raha hai.maa ji bhi isi kamre me hain & hum dono.."

"tumne suna tha na aaj savere doctor ne kya kaha.tumhe lagta hai use kuchh pata bhi chalta hai.",unhone uske chehre ko apne seene se uthaya & use uski saas ki or ghuma diya,"khud hi dekho & samjho.vo bekhabar so rahi hai.tum bekar me hi itna soch rahi ho."

unhone fir se uska chehra apni or ghuma liya,"main tumhare jism ke lalach me aisi baaten nahi kara raha,reema.ab to jab tak zinda rahunga tumhe khud se alag nahi karunga.",sunte hi reema ne 1 bar fir unke seene me sar chhupa liya & apni baahen unke gird lapet di.

kal jeth ne us se aisa hi vada kiya tha.use yakeen ho gaya kidonobaap-bete ab uske deewane ho chuke hain.ab bas unse ravi ke bare me puchhna tha par seedhe ravi ke mudde pe pahunchna thik nahi tha.

virendra ji pith ke bal let gaye to vo unke seene pe thuddi rakh unke seene ke baalo me hath firate unhe dekhne lagi,vo bhi 1 hath se uski pith sehla rahe the & dusre se uska chehra.











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj


































































































































































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