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चुदाई का सिलसिला पार्ट -9
पेयेस्स्सवूऊवूऊवूऊयूयुवयन्न्
शास...कया मैं बैठ कर आपको संभालू मुस्कान जी....??????????
मुस्कान...कियूं......कया खड़े रहने मैं दिक्कत हो रही है...???
शास...हा....तुम्हारी इस पीईईई सीईईईईजइसी आवाज़ ने धड़कन बढ़ा दी है...
मुस्कान...कया मतलब...????
शास...मैं देखना चाहता हूँ तुम्हारी सूसू से ये आवाज़ कैसे निकल रही है हमारे तो निकलती नही.....????
मुस्कान...कया.....????????????
शास...कयूं कया हुवा....मैने कुछ ग़लत कहा कया...???????
मुस्कान...हा..किसी कुँवारी लड़की की सुसू नही देखनी चाहिए....
शास....क्यू....????
मुस्कान...बस यू हीं...नही देखनी नही चाहिए....मुस्कान हल्के से मुस्कुरा रही थी...उसे कोई जबाब नही सूझ रहा था......
शास...तुम्हारी प्प्प्प्पीईईकककककककककक्सीईईईईई तो रुक रुक कर लंबी होती जा रही है....??????????????
मुस्कान...तो कया हुवा....ऐसे तो सभी की होती है......
शास...आपको कैसे पता...कि सबकी होती है....?
मुस्कान बस पता है......हम लड़कियाँ आपेस मैं बात कर लेते है....
शास...जब आप आपस मैं बात कर लेती है...तो कया मैं नही देख सकता हूँ????
मुस्कान...शास की बाते मुस्कान को भी रोमांचित कर रही थी...फिर भी उसने अपने को संभालते हुवे कहा....नही शास...ऐसे नही देखते है.....
शास...तो फिर कैसे देखते है....????????
तभी मुस्कान की नज़र शास के बॅमबू हुवे लंड पर पड़ी...जो पेंट दो फड़कर बाहर निकलना चाह रहा था......मुस्कान की नज़रे वही पर ठहर गयी.......तभी शास ने मुस्कान का ध्यान भंग किया....आपने बताया नही मुस्कान जी कैसे देखते है..???
मुस्कान...शर्मकार रह गई....उसके मूह से शिरफ़ इतना ही निकला...मुझे नही मालूम..???
शास...कया मैं सीमा दीदी से पुच्छू....????
मुस्कान...नही शास...दीदी से नही..पूछते है ऐसी बाते....
शास...तो फिर आप ही बताओ ना...???? नही तो मैं दीदी से पूछ लूँगा की मुस्कान जी ने मुझे सुसू मैं पीईईईकककक़स्स्स्स्स्सीईईईईई कैसे होती है नही देखने दी.....
मुस्कान...शर्माकर फिर बोली नही शास ये बताईं दीदी से नही पूछते है...कभी समय मिला तो मैं ही बता दूँगी......
शास...कया मैं एक बार देख लू...????
मुस्कान...एक शर्त पर...ये बात तुम किसी से नही कहोगे...
शास... नही कहूँगा...???
मुस्कान...पक्का वादा करो....
शास...वादा है नही बताउन्गा.....
मुस्कान...पर पहले ये बताओ...मुस्कान ने शास की पेंट मैं बॅमबू बने लंड पर हाथ रखकर कहा...ये कया है......????????????
मुस्कान का हाथ टच होते ही शास के लंड ने ठुमका मार दिया.....अओर मुस्कान हंस पड़ी.....अर्रे..???? बड़ा करंट मारता है.....????....कया खिलाते हो इसे शास...???
शास...मुस्कान जी ये तो बस............................
मुस्कान...बस कया...???????????????
शास...आप बुरा मान जाएँगी....????
मुस्कान...नही....मानूँगी बुरा...बताओ...???
शास....ये तो बस चूत का पानी पीकर ही रहता है...............
शास के मूह से सीधे चूत जैसा सब्द सुनकर मुस्कान एक पल के लिए झेप सी गयी....पर अगले ही पल....अपने को सामान्य बनाकर....किसकी उसका पानी पीता है.....???????????
शास...मुस्कान जी मैने बताया ने ये उसका नही...शिरफ़ चूत का पानी ही पीता है.....
मुस्कान...मगर किसका...????
शास...मेड्म चूत का.........
मुस्कान...ओह! तुम समझ ही नही रहे हो...मैं पुंछ रही हूँ किसका....????
शास...मैने बताया ने मुस्कान जी...शिरफ़ चूत का....इसका.उसका..नही........
अब मुस्कान शास से काफ़ी खुल चुकी तो सीधे ही पूछना उचित समझा....मुस्कान ने कहा...शास मैं पूछ रही हूँ कि ये किसकी चूत का पानी पिता है.....????
शास...जो भी पीला दे....उसीकि चूत का पानी पी लेता है.....आपकी पीयेस्सियेयूयूवूऊवूऊवूयूवक्ज़ सस्स्स्स्स्स्सस्स की आवाज़ से इसलिए तो ये चोंक गया....अओर पेंट से बाहर निकलने की कोशिस कर रहा है......
मुस्कान...अच्छा...तो मैरी प्प्प्पीईसस्स्स्सीई की आवाज़ से सावधान हो गया है...???
शास...जी मुस्कान जी...
मुस्कान...च्चा शास इसे पेंट से बाहर निकाल कर दिखाओ तो ????
शास...नही मेड्म मुस्कान....अगर ये बाहर आ गया तो फिर अंदर नही जाएगा.....बड़ी मुस्किल हो जाएगी.....फिर इसका शांत होना बहुत मुस्किल है.....
मुस्कान... अच्छा................???? मुस्कान ने कातिल मुस्कान के साथ कहा...अस्ल बात तो ये थी कि अब मुस्कान भी मज़ा ले रही थी....अपने पैर के दर्द को भूलकर.....उसे बड़ा मज़ा आ रहा था.....उसके शरीर मैं अजीब सी लहरे दौड़ने लगी थी....उसके मन मैं शास के लंड को देखने की इच्छा बढ गई थी......
शास...मुस्कान जी कया मैं अब आपकी पीईईईईईस्स्स्स्स्सीईईएस्स्स्स्
मुस्कान...अच्छा मैं आँखें बंद करती हूँ तुम जल्दी से एक पल के लिए देखलो....देर मत लगाना.....अब मेरा पैर भी जीयादा दर्द कर रहा है....
शास..नीचे बैठ गया अओर नीचे झाँककर मुस्कान की चूत को देखा...बिल्कुल चिकनी...चूत...दोनो दरवाजो के उपरी भाग पर एक लाल रंग का उभरा हुवा दाना....नीचे खुलती..बंद होती गुलाबी...गुलाबी चूत का बंद मूह.....अभी भी कोई कोई बूँद पैसाब की गिर रही थी....अओर चूत खुल अओर बंद हो रही थी......ना चाहते हुवे भी शास की एक उंगली चूत को छू गयी......उउंमाआआआआअहह......
मुस्कान...शास कया करते हो...तुमने शिरफ़ देखने के लिए कहा था...छूने के लिए नही....
शास...कया करूँ मुस्कान जी रुका ही नही गया....छू कर चूमने की एच्छा हो गयी थी....
मुस्कान...अच्छा बस अब रहने दो.....अओर उसने...अपने पेंटी ओर शलवार ठीक किया.....शास अब सहारा देकर मुझे उठाओ....शास ने धीरे से आगे होकेर मुस्कान की बगलों मैं हाथ दिया...अओर जैसे ही मुस्कान को उठाने लगा उसके हाथों का दबाव उसकी चुचियो पर पड़ा......शास धीरे से मेरी ये दबा दी तुमने.......
शास...कया दबा दी मैने मेडम....???????
मुस्कान...आररी ये...उसने अपनी चुचियो की तरफ इशारा किया.......
शास...ओह! तो कया हुवा मेडम मुस्कान....कया दर्द हुवा....????
मुस्कान...नही दारद तो नही...कुछ अओर होता है....????
शास...कुछ अओर कया होता है...????
मुस्कान...कुछ नही....चलो मुझे सम्भालो.....जैसे ही शास ने मुस्कान को पकड़ कर शीधा खड़ा किया उसका पेंट मैं बॅमबू बना लंड शलवार के अप्पर से उसकी चूत के द्वार को रगड़ का गया............मुस्कान के सरीर मैं जुर्झुरि सी आ गयी.....
शास...कया हुवा मेड्म...??????
मुस्कान...कुछ नही....तुम्हारे इसने........
शास...इसने-किसने कया किया.....???
मुस्कान...तुम बड़े ही बेशरम हो शास.....सारी बाते ही ओपन करते हो....
शास...तो कैसे करूँ, आप ही बता दो ????????
मुस्कान...कुच्छ बताईं कही नही जाती....बस समझी जाती हैं.......
शास ने एक आग्या-कारी शिस्य की तरह गर्देन हिला दी.....जिस पर मुस्कान हंस पड़ी....शास ने मुस्कान की अओर प्रस्न्वाचक? आँखों से देखा.......मुस्कान ने शास की गाल पर एक किस दे दिया.....अब समझे या नही...बुध्धु कही के....कह कर मुस्कान ने शास की आँखों मैं देख कर मुस्कुरादिया...साथ मैं शास भी मुस्कुरा दिया.......
शास का सहारा लेकर चलते हुवे मुस्कान की चुचि शास से रगड़ खा रही थी...अओर उसकी एक चुचि पर शास के हाथ का दबाव.....अओर शास से हुए बाते.....मुस्कान के मन अओर सरीर मैं एक अजीब सा अहसास पैदा कर रहे थे...मुस्कान कुछ जानबूझ कर भी शास के साथ चिपकी हुई थी.....उसके साँसों की गर्मी शास भी महसूस कर रहा था.....उसका लंड अभी तक तंबू की तरह तना हुवा था......मुस्कान भी इस नये अनुभव को अपने अंदर महसूस कर उत्तेजित हो रही थी....ये पहलिबार ही हुवा था कि किशी मर्द ने मुस्कान को छुवा हो....उसकी चुचि कड़ी हो रही थी...उनके निपल्स खड़े थे अओर कुर्ते के बाहर निपल्स के उभार नज़र आ रहे थे.....आँखों मैं एक अजीब सा नशा.....इस परिवेर्तन से मुस्कान खुस थी...वह अओर शास के करीब...अपनी चुचियो को शास के करीब कर रही थी.....
जैसे ही मुस्कान की नज़र नीचे शास के उभेरे हुवे लंड पर पड़ी.....उसका चेहरा शर्म अओर उत्तेजना से शुर्ख हो गया था.....
जब वे सीमा के रूम मैं उसके पास पहुँचे....सीमा को समझते देर नही लगी....कि कुछ दाल मैं काला है....मुस्कान का शुर्ख चेहरा, अओर शास का ताना हुवा लंड जो पेंट से झाँकने की कोशिस मैं था.....
सीमा...कोई दिक्कत तो नही हुई मुस्कान दीदी....?????????
मुस्कान... भाभी दर्द तो बहुत हुवा...पर शास ने सहारा देकर संभाले रखखा ,
सीमा...मेरा भाई शास ध्यान रखने मैं तो माहिर हो चुक्का है दीदी....ये सब्द सीमा ने जिस अंदाज से कहे.....मुस्कान अओर शास ने एक साथ सीमा की अओर देखा...????????...अरेरे
तुम लोग ग़लत ना समझो...मेरा मतलब है शास मेहमान का पूरा ध्यान रखता है, अओर फिर मुस्कान तुम तो मेरी एक मात्र प्यारी ननद हो.....अओए सीमा मुस्कुरा दी....
शास ने मुस्कान को सीमा के पास चेर पर बैठाया...अओर बिना कुछ कहे ही बाहर निकल गया...........................
मुस्कान... भाभी लगता है शास को कुछ बुरा लग गया है..?????
सीमा.....दीदी....ऐसी कोई बात नही है...वो मेरा छोटा भाई है मैं उसे अच्छी तरह से जानती हूँ....उसने बुरा नही माना....फिर मेरा मतलब ग़लत नही था....कया मैं तुम्हारे बारे मैं कुछ ग़लत कह सकती हूँ...???????
मुस्कान...नही ये तो ठीक है पर वो बिना बोले ही बाहर चला गया एसलिए मुझे लगा.....
सीमा....तुम परेशान ना हो मैं देख लूँगी.......
अओर मुस्कान चुप हो गयी...उसके जेहन मैं बार बार शास का चेहरा घूम रहा था.....इस छोटी से उमर मैं ही कितना बलिश्त है उसका बदन,,गठा हुवा,, चेहरे पर तेज अओर लालिमा,सुंदर आँखें,, गुलाबी होंठ....जिन्हे चूमने को मन करता है....अओर पेंट के अंदर झाँकता हुवा लंड भारी मजबूत नज़र आ रहा था....भले ही उसने आज तक किसी मरद को नही छुवा था...ना ही किसी का लंड देखा था.....पर उसकी सहेलियाँ इस तरह की बाते तो करती ही रहती थी......मुस्कान आज पहली बार अपने को किशी के बंधन मैं बँधा महसूस कर रही थी.....शास मानो उसकी दुनिया बन चुक्का था....कुछ ही लम्हों मैं....शास मुस्कान के रोम रोम मैं बस चुक्का था.....उसी की कल्पना....उसी का ख़याल....
उधर सीमा....मुस्कान की मनोदसा अच्छी तरह से समझ रही थी....,वो भी तो सायेद यही चाहती थी......उसकी एक ही तो ननद थी...उसको बस मैं करने....उसकी किशी कम-ज़ोरी को पकड़े रखना.....उसकी किशी भूल के सहारे उस पर राज करना....आदि...आदि.....सीमा खुस थी....भगवान ने बिना माँगे ही उसको मानो सब कुछ दे दिया हो.....सीमा मौके का फायेदा उठना खूब जानती थी.....
सीमा...कया सोच रही हो दीदी...???
मुसकन...कुछ नही भाभी....बस सोच रही थी....कि पैर मैं चोट/मौच के कारण मैं आपकी शादी को फुल्ली एंजाय नही कर पा रही हूँ.......
सीमा....तो कया हुवा दीदी....मैं तो आपके साथ ही हूँ ना...शादी के बाद भी एंजाय कर लेंगे.....अगर जीयादा दर्द है तो आप उप्पेर के रूम मैं आराम कर ले......
मुस्कान...मैं तो चल ही नही पा रही हूँ....अगर शास ना होता तो सायेद मैं टाय्लेट भी ना जा पाती.......
सीमा... तो चिंता कयूं करती हो दीदी....शास को आपके साथ ही छोड़ दूँगी....ताकि आपका ध्यान रख सके.....?????????
मुस्कान...भी तो यही चाहती थी....पर फिर भी बोली, नही भाभी....अभी नही...आपकी वर-माला के बाद ही सोचूँगी.....हो सकता है तबतक दर्द कुछ कम हो जाए......
पर सीमा तो जान चुकी थी की अब ये दर्द कम होने वाला नही है.....अब इस दर्द को तो केवल शास ही कम कर सकता है.....अओर इस दर्द के कम होने के बाद मुस्कान कभी भाभी के सामने बोल ही नही पाएगी........सीमा इसी एंतजार मैं थी...कि कैसे उसे शास के सुपुर्द किया जाए...???????????? अओर शास रात भर उसे चोद-चोद कर उसकी चूत का भोसड़ा बना दे.......जिससे मुस्कान के मुँह पर हमेशा के लिए ताला (लॉक) लग जाए......
सीमा...अओर...मुस्कान दोनो अपने अपने ख़यालों मैं खोई हुई थी......सीमा मुस्कान को शास के ज़रिए अपने बस मैं करना चाहती थी तो दूसरी तरफ मुस्कान को शास इतना भा (पसंद) आ गया था कि उसने शास को पाने की पूरी तय्यारी कर ली थी.......बारात बारह-द्वारी के लिए पहुचने ही वाली थी......सीमा बैचेन थी कि शास कहाँ चला गया....वह चाहती थी कि मुस्कान को शास के साथ....उपेर के रूम मैं भेज दे....अओर शास को समझा दे कि इसे चोद चोद कर रात भर कुतिया बना दे.....पर शास है कहाँ.....मुस्कान सोच रही थी कि भाभी वर-माला के लिए चली जाए अओर शास यहाँ आ जाए.....
तभी...मुस्कान की मम्मी उस रूम मैं आई.....सीमा ने उठाकर उनके पैर छू लिए....मम्मी ने सीमा को ढेरसारा असिर्वाद दिया.....
मम्मी... अब कैसी ही मुस्कान बेटे...??????
मुस्कान ... ठीक हूँ मम्मी....यहाँ भाभी ने पूरा ध्यान रखखा है....
मम्मी ने सीमा की अओर देखकर अओर आशीर्वाद दिया.....अओर मुस्कान से बोली चलो बेटा....तुम्हारे भैया बुला रहे है....वर-माला के समय तुम्हें वहाँ होना चाहिए....
मुस्कान...जी मम्मी....पर मैं चलूंगी कैसे....मेरे पैर मैं तो काफ़ी दर्द होता है....???
मम्मी...कोई बात नही...मैं सहारा देकर ले चलती हूँ....भाई के लिए थोड़ा दर्द तो से लेना.....उसके बाद तुम्हारी बाकी सहेलियाँ जेनवासे मैं जाएगी....तुम उनके साथ जनवासे मैं चली जाना....????
मुस्कान...ठीक है मम्मी...ना चाहते हुवे भी मुस्कान ने कहा....अओर मम्मी ने मुस्कान को सहारा देकर उठा लिया....मुस्कान मम्मी के कंधे का सहारा लेकर वर-माला के लिए बनाए गये स्थान की अओर चल दी.........................
सीमा के उप्पेर तो मानो बिजली गिर गयी थी.....उसके अरमानो पर तो पानी फिर गया था.....उसकी तो सारी प्लान धरा का धरा रह गया था.....उसका गला सूखने लगा था.....उसे रह रह कर शास पर गुस्सा आ रहा था , ना जाने कहा गायब हो गया था.....वह अब चाह कर भी कुछ नही कर पा रही थी......बस मुस्कान को जाते हुवे देखती रह गयी.........
तभी सीमा की मम्मी...उसकी सहेलियाँ अओर भाभियाँ, उसके पास आ गयी....चलो बन्नो...अब तुम्हारा दूल्हा...स्टेज पर आ चुक्का है...किशी ने छेड़ा.....कया खूब लग रही हो....कहीं बिजली ना गिर जाए, किशी दूसरी ने कहा.....बिजली तो बेचारे दूल्हे पर ही गिरेगी आज...किशी अन्य ने कहा...किशी ने चुटकी काटी...वेग़ैरह...वेग़ैरह...के साथ उन्होने सीमा को दोनो अओर से पकड़ लिया अओर ले चली.....दूल्हे राजा के पास......
मुस्कान अपनी मम्मी के साथ अपने भाई के पास पहुँची....भाई...मुस्कान को देखकर स्टेज से उठ कर मुस्कान के पास आया....कैसी हो मुस्कान.....????
मुस्कान...ठीक हूँ भाय्या...आप कैसे हो जीयादा चोट तो नही आई आपको...?????
भाई ने आपनी लाडली बेहन को देखा अओर मुस्कुरा दिया, नही मुस्कान मैं ठीक हूँ मुझे कोई चोट नही लगी.....जिसकी तुम्हारी जैसी बेहन हो उसके भला चोट कैसे लग सकती है..?????
मुस्कान खुस होकर भाई के गले लग गयी....अओर मम्मी दोनो भाई -_बहन का प्यार देख कर गदगद हो गयी..........
मुस्कान को एक चेर पर बैठा कर उसका भाई वापेस स्टेज पर जाकर बैठ गया....सारा पंडाल मह-मानो से भरा था.....तभी सीमा अपनी सहेलियो के साथ स्टेज पर आई अओर सभी लाइट चमक उठी....विडिया फ्लश....मुस्कान का भाई (दूल्हा ) भी स्टेज से खड़ा हो गया....अओर विडैया, फ्लश,फोटो सेस्शेन के बाद सीमा ने दूल्हे के गले मैं वर-माला डाल दी उसका चेहरा नीचे झुका हुवा था अओर आँखें भी नीचे थी....... उसके बाद दूल्हे ने भी सीमा के गले मैं वर-माला डाल दी...सारा पंडाल तालियों से गूँज उठा...फूलो की वर्सा हुई ....अओर दूल्हा-दूल्हें स्टेज पर बैठ गये.....उसके बाद हुवा फोटो सेसेन...सभी ने दूल्हा-दुल्हन के साथ पोटो खिचवाए........अओर अपनी अपनी जगह पर जाकर बैठ गये.......
सीमा ने धीरे से आँखें उठा कर मुस्कान की अओर देखा जो सामने ही चेर पर अपनी मम्मी के साथ बैठी थी....अओर उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी....सीमा को लगा जैसे वे सीमा का मज़ाक बना रही हो..????...वैसे तो सीमा भी मुस्कुरा दी....पर अंदर ही अंदर वो झूलेस रही थी....वह जिस प्रकार अपनी विजय चाहती थी....उसमे वो फैल हो चुकी थी.....शास कही भी उसे नज़र नही आ रहा था....सीमा परेशान थी आख़िर शास कहाँ चला गया...?????
मुस्कान मम्मी आप कहे तो मैं जनवासे मैं जाकर लेट जाउ....मेरी तबीयत ठीक नही लग रही है...?????
मम्मी...पर कैसे जाओगी....वो तो कुछ दूर है....???
मुस्कान ...किशी का सहारा लेकर चली जाती हूँ....
मम्मी...दूल्हे के पास जाकर धीरे से बोली की मुस्कान जनवासे मैं जाना चाहती है.....उसकी तबीयत खराब है अओर उसके पैर मैं दरद भी काफ़ी है....कया मैं ही उसे सहारा देकर छोड़ आउ ....????
दूल्हा...ठीक है मम्मी....आप ही छोड़ आओ....सीमा का ध्यान तो वही था...उसे अपनी पूरी प्लान पूरी तरह से ख़तम होता नज़र आई...जो थोड़ी- बहुत उम्मीद थी अब वो भी टूट गयी.......अओर मम्मी मुस्कान को सहारा देकर जनवासे की अओर ले गयी.....
जनवासे मैं पहुँच कर उन्होने देखा वहाँ पर कोई भी नही था.....सभी इधर उधर...या पंडाल मैं थे.....
मम्मी...मुस्कान तुम यहाँ अकेली कैसे रहोगी....????
मुस्कान...कोई बात नही मम्मी......मैं अंदर वाले कमरे मैं लेट जाती हूँ.....अओर अंदर से बंद कर लेती हूँ....आप जाओ...यहाँ मैं बिल्कुल सुरक्षित हूँ....अओर मुस्कान ने अंदर के रूम मैं जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.......जिससे मम्मी की चिंता कम हो गयी ......
मम्मी मुस्कान को रूम मैं छोड़कर वापिस पंडाल मैं दूल्हे के पास चली गयी.....अओर मुस्कान,. एक गद्दे पर पिल्लो के सहारे लेट गयी....उसने आँखें बंद कर ली.....रह रह कर उसे अब शास की याद आ रही थी.......मुस्कान आँखें बंद करके लेटी हुई थी.....तभी किसी ने बाहर से दरवाजा कटखटाया....मुस्कान...मुस्कान..
मैं शास हूँ मुस्कान......दरवाजा खोलो......
मुस्कान के चेहरे पेर मुस्कान लौट आई...अओर उसने दरवाजा खोल दिया.....सामने शास को देखकर मुस्कान मुस्कुरा दी.....शास तुम...????
शास...है मैं...कया मुझे नही आना चाहिए था...????
मुस्कान...नही शास...ये बात नही...मुस्कान ने मुस्कुरा कर कहा...वास्तव मैं मैं तुम्हे ही याद कर रही थी.....?????
शास...अच्छा जी...आप हमें ही याद कर रही थी...????
मुस्कान...कियूं कोई सक है...आपको...???
शास...नही...मैं पिछले एक घंटे से याहि बैठा हूँ....अओर आपका एंतजार कर रहा हूँ....आप इतनी देर से कयूं आई...???
मुस्कान...कया...??? आप तब से यहीं बैठे है...???
शास... जी हां.....पर आपने इतनी देर कयूं लगाई....????
मुस्कान...मुझे कया मालूम था कि आप यहाँ एंतजार कर रहे हैं....आप तो मुझे सीमा भाभी के पास बैठा कर चले गये थे......कुछ कहा भी नही था.....???
शास...मुझे सीमा दीदी का अंदाज मालूम नही कियूं कुछ अटपटा सा लगा था...मैं उनके सामने आपसे कोई बात नही करना चटा था.....एसीलिए मैं आपको उप्पेर के रूम मैं नही ले गया था......
मुस्कान...लगा तो मुझे भी कुछ अजीब सा था....पर मैं कुछ बोली नही.....भाभी बार बार...उपेर वाले रूम मैं आराम करने की बात कर रही थी....????
शास...मुझे पता नही ये कयूं लगा कि सीमा दीदी आपको बाद मैं ब्लॅक मैल कर सकती है.....एसीलिए मैं यहाँ आ गया....अओर आपका एंतजार करने लगा.....
मुस्कान...शास ये तो मैने सोचा भी नही था.....कि एसा भी हो सकता है......???
शास...मुस्कान इस दुनियाँ मैं कुछ भी हो सकता है....मुझे आपकी एज़्जत अपने से प्यारी है....एसलिए मैं चाह कर भी वहा नही गया......
मुस्कान...ने दरवाजा बंद किया अओर अंदर से लॉक कर दिया....अओर शास के होंठ चूम लिए...तुम कितने अच्छे अओर समझदार हो शास.....??????
शास अओर मुस्कान ने एक दूसरे की आँखों मैं देखा अओर मुस्कुरा दिए.....मानो उन्हे उनकी मंज़िल मिल गयी थी.....शास ने मुस्कान को सहारा दिया अओर फर्श पर बिछे गद्दे पर लेजा कर बैठा दिया.....अओर समुंदर सी गहरी मुस्कान की आँखों मैं देखता हुवा बोला.....मुस्कान तुम जितनी सुन्दर हो तुम्हारा मन भी उतना ही सुंदर है......तुम्हारी सुंदरता पर मैं कोई सबध कहकर उस पर दाग नही लगाना चाहता हूँ......मुस्कान ने शास की अओर देखा.....शास की आँखों मैं प्यार ही प्यार नज़र आया.....उसकी आँखें मानो बहुत कुछ कहना चाह रही हो पर उसे वर्ड्स नही मिल पा रहे हो......शास की एक टॅक मुस्कान को देखती आँखें....उसके रूप को निहारती आँखें......मुस्कान ने शर्मा कर आँखें नीचे कर ली.....शास ने अपने दोनो हाथ बढ़ाकर मुस्कान का चेहरा अपने हाथों मैं ले लिया.......अओर उसे निहारता गया.....मुस्कान ने आँखें उठाकर देखा.....शास मुस्कुरा दिया....मुस्कान ने फिर आँखें झुका ली.....उसकी गालो की लालिमा उसकी शर्म जो अओरत का गहना होता है को बता रही थी.......अओर शास ने बड़े ही भाव,प्यार अओर अपने पन से मुस्कान के होंठो की गुलाबी महकती पंखु-डियो को अपने होंठो मैं दबा लिया.......कुछ देर ऐसे ही शास मुस्कान के होंठो को चूमता चूस्ता रहा.....
शास ने मुस्कान के सरीर मैं दबी बरसों की आग को जगा दिया था...कुछ घंटे पहले तक सोई हुई आग....धीरे धीरे अब सोला बनने को तय्यार थी...चिगारी तो शास ने बाथरूम मैं ही सुलगा थी......अब तो उस आग से लपटें उठना ही बाकी था.....अओर इससे बचने का प्रयास ना ही मुस्कान अओर ना ही शास कर रहा था....दोनो जल जाना चाहते थे इस आग की जवाला मैं........
शास मुस्कान के होंठ,, उसकी गर्देन, उसके कान, उसकी गालो को चूम चूम कर उसने आने वाले तूफान की चेतावनी....तो...मुस्कान को दे ही दी थी....पर सायेड मुस्कान भी अपने को तय्यार कर चुकी थी.....इस तूफान मैं बह जाने के लिए.....काम (सेक्स) की उस ज्वाला मैं जल जाने के लिए......जो उसके मन मैं देस्तक दे चुकी थी..... शास मुस्कान को चूमता जा रहा था उसके हाथ मुस्कान की चुचियो को दबा दबा कर मसल्ने मे लगे थे...... अओर कोई विरोध नही था मुस्कान का.......आज वो भी जल जाना चाहती थी इस आग मैं.........धीरे धीरे उनकी सांसो की रफ़्तार तेज होने लगी थी....अओर होंठ थरथराने लगे थे....शास के हाथ अब मुस्कान के पूरे सरीर पर घूम रहे थे........
शास ने मुस्कान का कुर्ता उप्पेर को खिसकाया अओर अपने हाथ सीधे मुस्कान की चुचियों पर पहुचा दिए थे...... मुस्कान के होंठो की थरथराहट अब अंजाने मैं ही -स्पेस्ट बुद-बुदाने....अओर कामुक...धुन मैं बदेलने लगी थी.......उउउउउउउउम्म्म्म्म्म्
शास...ने धीरे धीरे मुस्कान के कपड़े उतारने सुरू कर दिए....मुस्कान भी अपने कपड़े उतारने मैं सहयोग करने लगी थी.......सभी शर्म लिहाज छोड़कर...शास चूमता चाटता जा रहा था....अओर मुस्कान के कपड़े उतरता जा रहा था......मुस्कान का गोरा....सुडोल सरीर शास को अओर उत्तेजित कर रहा था......अओर अब मुस्कान एक ब्लॅक...ब्रा....अओर एक ब्लॅक पॅंटी मैं ही रह गयी थी....मुस्कान की मांसल जांघे देख कर शास मस्त हो मुस्कान की जांघों को चाटने लगा था....उसके हाथ मुस्कान के पूरे सरीर को टटोल रहे थे.....इसी बीच शास ने अपने कपड़े भी उतार दिए......शास का डन-दानाता हुवा लंड झटके मार रहा था......मुस्कान ने शास के लंड को हाथों मैं ले लिया.....अओर उसके साथ खेलने लगी थी......जिससे शास की उत्तेजना अओर बढ़ रही थी......उउउउउउउउउउउउउउउउउउउम्
शास...मुस्कान ज़रा इसका (लंड का ) रस तो पीकर देखो....मगर मुस्कान ने मना कर दिया...नही शास मुझे नही मालूम कैसा लगेगा.....कभी बाद मैं......शास ने भी इसके लिए ज़ोर नही दिया.....अब शास ने मुस्कान की ब्रा अओर पॅंटी भी मुस्कान के सरीर से अलग कर दी....अओर मुस्कान के पैरों के बीच आकर उसकी चिकनी.....छोटी..छोटी फांकों के उभार वाली चूत को सहलाने लगा ......उसकी चूत का रंग....उसकी महक....ने शास को मद-होश सा कर दिया....अओर शास ने अपना मूह मुस्कान की चूत मैं दे दिया......उसकी जीभ कभी चूत की दीवारों को, कभी....उसकी जांघों को,,...अओर कभी.....चूत की क्लिट को चाट रही थी........फिर शास ने अपनी जिभा को मुस्कान की चूत मैं डालकर घुमाना शुरू कर दिया.....अओर मुस्कान की सिसकारिया रूम मैं गूंजने लगी थी......शास का फूँकारता लंड बेकाबू होता जा रहा था.....एसा लगता था जैसे उसका लंड इन तीन दीनो मैं अपना साइज़ बढ़ा चुक्का था.....शास ने मुस्कान की चूत को चाट चाट कर मुस्कान को इस कदर उत्तेजित कर दिया था.....कि मुस्कान आपे से बाहर होकर ना जाने कया..कया...बद्ब्ड़ाने लगी थी......अओर उसकी सिसकारियाँ अओर तेज हो गयी थी......शियी....उउउउउउउउम्म्म्
मुस्कान की चूत से चिकना—लावा बह कर बाहर निकल रहा था....शास दबा दबा कर चूत को चाट रहा था.......पी जाना चाहता था......इस प्यारी सी सुन्दर छोटी से चूत को..........अब शास के भी बर्दास्त से बाहर हो चला था........अओर उसने मुस्कान के दोनो पैरों के बीच पोज़िशन ली..........अओर डॅन्स कर रहे लंड को मुस्कान की चूत के छेद पर ठीक प्रकार से अड्जस्ट किया.......मुस्कान की चूत पर गरम गरम लंड का सूपड़ा टच होते ही उसकी मद-होश आवाज़...सिसकियो मैं बदल गयी......थी.........
मगर शास अभी अओर दूध पीकर लंड को अओर मजबूती देना चाहता था....शास का मूह.....मुस्कान की चुचियो को चूम चूम कर पीने लगा....कभी कभी उन्हे बेरहमी से दबा देता तो मुस्कान की चीख निकल जाती....जानू...मेरे शास ज़रा धीरे से यूवयहूवूऊवूऊवूऊवम्म्म्म्म्मम्
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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