Monday, April 19, 2010

Kamuk kahaaniya-किरण की कहानी पार्ट--4

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किरण की कहानी पार्ट--4
लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
अशोक ने अपने कपड़े भी निकाल दिए और नंगा हो गया. मैं ने एक तिरछी नज़र उसके लंड पे डाली तो दिल धाक्क से रह गया. उसका लंड बॅस ऐसे ही था कोई ख़ास नही था टोटल एरेक्ट होने के बाद शाएद 4 इंच या 5 इंच का ही होगा. मैं ने सोचा के शाएद थोड़ी देर के बाद वो और अकड़ के बड़ा हो जाएगा. खैर अब वो मेरे चुचिओ को चूस रहा था और हाथ से मेरी चूत का मसाज कर रहा था. कभी कभी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल देता तो मैं सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्
स्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कर के सिसकारी ले लेती. अब उसने मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के अपने लंड पे रख दिया. मैं कुछ देर तक ऐसे ही अपना हाथ उसके लंड पे रखी रही तो उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ के दबाया तो मैं समझ गई के शाएद वो चाहता है के मैं उसका लंड अपनी मुट्ठी मे ले के दबौउ.
मैं उसके लंड को एक या दो बार ही दबाया था के उसने मेरा हाथ हटा दिया और सीधा मेरे ऊपेर चढ़ आया और मेरी टाँगों को फैला के मेरे ऊपेर लेट गया. लंड को मेरे चूत के लिप्स के अंदर सुराख पे सटाया और झुक के मुझे किस करने लगा और एक ही झटके मे उसका लंड मेरी समंदर जैसे गीली चूत के अंदर घुस चुका था और वो सडन्ली ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और बॅस 4 या 5 ही धक्के लगाया था के उसके मूह से ऊऊऊगगगगगघह की आवाज़ निकली और उसकी मलाई मेरी चूत मे गिर गई. मुझे तो उसका लंड अपनी चूत के
अंदर सही तरीके से महसूस भी नही हुआ और उसकी चुदाई कंप्लीट हो चुकी थी. मेरी कुछ फ्रेंड्स ने बताया था के कभी कभी एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से और कभी चूत की गरमी से लंड से मलाई जल्दी ही निकल जाती है पर कुछ दीनो मे जब चुदाई डेली करते रहते है तो फिर ठीक हो जाता है और अछी तरह से चोदने लगता है और यह के ऐसा अगर कभी हो तो कोई फिकर की बात नही है यही सोच के मैं खामोश हो गई के हो सकता है के एग्ज़ाइट्मेंट या चूत की गर्मी से वो जल्दी ही झाड़ गया हो पर बाद मे अछी तरह से चोद डालेगा.
मैं ने भी सोचा के शाएद एग्ज़ाइट्मेंट मे उसकी क्रीम जल्दी निकाल गई होगी और यह कोई नई बात नही होगी. वो गहरी गहरी साँसें लेता हुआ मेरे बदन पे पड़ा रहा और मेरी चूत मे पहले से ज़ियादा तूफान उठ रहा था और मेरा मन कर रहा था के किसी तरह से सुनील आ जाए और मुझे इतना चोदे के मेरी चूत फॅट जाए पर ऐसा हो नही सकता था ना. मैं कुछ नही कर सकती थी. इंतेज़ार किया के शाएद अशोक के लंड मे फिर से जान पड़ेगी और वो कुछ सही ढंग से चुदाई करेगा पर ऐसा कुछ नही हुआ और वो मेरे बाज़ू मे लेट के गहरी नींद सो गया और एक ही मिनिट मे उसके खर्राटे निकलने लगे.
सुबह हुई तो उसकी बहेन रेणुका कमरे मे आई और मुस्कुराते हुए एक आँख बंद कर के पूछा कियों भाभी रात सोई या भयया ने सारी रात जगाया ?. मैं उस पगली से क्या बताती के उसका भाई मेरी चूत मे आग लगा के सो गया और मैं सारी रात जागती रही और इंतेज़ार करती रही के हो सकता है के उसका लंड फिर से जाग जाए पर ऐसा कुछ हुआ नही और रेणुका से कैसे बताती के उसके भाई को आग लगाना तो आता है पर उस आग को बुझाना नही आता. मैं ने बनावटी शर्म से नज़र नीचे कर ली और मुस्कुरा दी और दिल मे सोचा पता नही इसे कैसा पति मिलेगा पहली रात को चोद चोद के चूत का भोसड़ा बना देगा या मेरी तरह चूत मे आग लगा के सो जाएगा तब मैं पूछुगी उस से के रात कैसी गुज़री रात भर चुदाई होती रही या खुद मलाई निकाल के सो गया और तुम्हारी चूत मे आग लगा के तुम्है सोने नही दिया या लैकिन अभी इस सवाल को पूछने के लिए तो टाइम है.
इसी तरह से एक वीक हो गया और मुझे कोई ख़ास मज़ा नही आया. बस वो अपने हिसाब से चोद्ता रहा और हर बार चोद के मुझ से पूछता “मज़ा आया किरण” तो मैं मूह नीचे कर के चुप हो जाती तो वो समझता के शाएद मैं उंसकी चुदाई को एंजाय कर रही हू. पता नही क्या प्राब्लम था उसको के उसका लंड अकड़ता तो था चुदाई से पहले लैकिन चूत की गर्मी से उसकी मलाई दूध बन के निकल जाती थी. ऐसा लगता था के लंड चूत
के अंदर सिर्फ़ मलाई छोड़ने के लिए ही जाता है हार्ड्ली 2 या 3 ही धक्को मे उसका काम तमाम हो जाता था. शुरू शुरू मे तो मैं समझी के शाएद एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से होगा पर वक़्त के साथ ठीक हो जाएगा पर ऐसा कुछ नही हुआ. शादी के बाद टोटल 2 वीक उसके घर रह के हम सिटी मे चले आए जहा उसका बिज़्नेस था.
अशोक के घर वाले सिटी के आउटस्कर्ट्स मे रहते हैं और अशोक एक बिज़्नेसमॅन है उसका रेडी मेड गारमेंट्स का बिज़्नेस ठीक ठाक ही चलता है तो वो अपने बिज़्नेस के लिए डेली औत्स्किर्ट से सिटी मे नही आ सकता था इसी लिए उसने एक घर सिटी मे ले रखा था जिस्मै हम दोनो ही रहते हैं. कभी कभी उसके माता और पिता आजाते या कभी उसकी बहेन रेणुका आ जाती तो एक या दो दिन रह के चले जाते.
घर मे मैं अकेली ही रहती हू. वक़्त ऐसे ही गुज़रता रहा. मेरी चूत मे सारी रात आग लगता रहता और खुद सुबह सुबह उठ के चला जाता और मैं जलती चूत के साथ सारा दिन गुज़ारती रहती. करती भी तो क्या करती इसी तरह से 3 महीने गुज़र गये. बहुत बोर होती रहती थी घर मे बैठे बैठे सब नये नये लोग थे किसी से भी कोई जान पहचान नही थी. हमारे घर के करीब ही एक लेडी रहती थी उनका नाम था उषा. वो होगी कोई 36 या 37 साल की वो अक्सर हमारे घर आ जाया करती है और इधर उधर की बातें करती रहती है. मैं उन्हाई आंटी कहने लगी. वो जब आती तो 2 या 3 घंटे गुज़ार के ही जाती मेरे साथ सब्ज़ी भी बना देती और कभी खाना पकाने मे भी मदद कर देती और कभी कभी तो हम दोनो मिल के खाना भी खा लेते.
अशोक तो बिज़्नेस के सील सिले मे सिटी से बाहर जाते ही रहते हैं और जब कभी किसी दूर के शहेर को जाना होता तो वो 2 या 3 दिन के लिए जाते और मैं घर मे अकेली ही रहती हू. कई बार आंटी ने कहा के किरण तुम अकेली रहती हो अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे पास आ के सो जाया करू. मैं ने हस्ते हुए उनके इस इरादे को टाल दिया और अब वो मेरे साथ सोने की बात नही करती कभी कभी अगर बातें करते करते रात को देर भी हो जाती तो वो अपने घर को ही चली जाती थी. उनके पति सिटी से दूर किसी विलेज मे टीचर थे और वो विलेज मे कोई सहूलियतें नही थी इसी लिए आंटी को वाहा नही ले जाते थे और हर वीक सिटी मे आ जाते थे आंटी के पास और थके हुए होते थे तो ज़ियादा तर वक़्त उनका सोने मे ही गुज़र जाता था और वो फिर स्कूल खुलने से पहले ही वापस चले जाते और आंटी फिर से अकेली रह जाती थी. स्कूल के जब आन्यूयल वाकेशन होते तभी वो कुछ ज़ियादा दीनो के लिए घर आते थे.
एक दिन आंटी लंच के बाद आ गई मैं उस टाइम लंच कर के लेटी थी के थोड़ी देर सो जाउन्गी कियॉंके आज मोसाम बोहोत क्लाउडी था और कभी भी बारिश हो सकती थी ठंडी हवा चल रही थी आक्च्युयली मोसाम सुहाना हो रहा था पर मुझे रात के अनसेटिसफॅक्टरी सेक्स से सारा बदन टूटा जा रहा था और सोने का मन कर रहा था ठीक उसी टाइम पे आंटी आ गई तो मैं उठ के बैठ गई. आंटी ने पूछा के क्या तबीयत खराब है तो मैने कहा नही तबीयत खराब तो नही पर बदन मे थोड़ा सा दरद हो रहा है तो आंटी ने पूछा के क्या मैं तुम्हारा बदन दबा दू तो मैं ने हंस के कहा के नही आंटी ऐसे कोई बात नही. इतने देर मे एक दम से बोहोत ज़ोरों की बारिश शुरू हो गई. मेरे इस घर मे आने के बाद यह पहली बारिश थी तो मेरा जी चाह रहा था के मैं उप्पेर जा के बाल्कनी से बारिश देखु इसी लिए मैं ने आंटी से कहा के चलिए ऊपेर चल के बैठ ते है और बारिश का मज़ा लेते हैं.
हम दोनो ऊपेर आ गये. हमारी बाल्कनी के सामने सड़क थी और दोनो तरफ शॉप्स थे जहा सब्ज़ी, चिकन मीट और मिसिलेनीयियस आइटम्स मिल जाया करती थी एक छोटा मोटा सा बाज़ार था तकरीबन डेली इस्तेमाल की सभी चीज़ें मिल जाया करती थी. इतनी बारिश की वजह से सारा मार्केट सूना पड़ा हुआ था कभी कभी कोई इक्का दुक्का साइकल वाला या कोई आदमी बरसाती ओढ़े गुज़र जाता था. हम दोनो बाल्कनी मे नीचे फ्लोर पे ही बैठ गये और जाली मे से बाहर का सीन देखने लगे. कभी कभी बारिश का थोडा सा पानी हमारे ऊपेर भी गिर जाता था. मौसम ठंडा हो गया था शाम के 5 बजे ही ऐसा लग रहा था जैसे रात के 8 या 9 बज रहे हो ऐसा अंधेरा था. मैं जा के 2 कप गरम गरम चाइ बना का ले आई और हम चाइ पीते पीते बाहर का सीन देख रहे और इधर उधर की बातें करते करते बारिश के मज़े लेने लगे.
चाइ पीने से बदन मे थोड़ी सी गर्मी आ गई. वो मेरे लेफ्ट साइड मे बैठी थी और इधर उधर के बात करते करते पता नही आंटी को क्या सूझा के मुझ से मेरी सेक्स लाइफ के बारे मे पूछने लगी. मेरी समझ मे नही आ रहा था के क्या बताउ. आंटी एक्सपीरियेन्स्ड थी शाएद मेरी खामोशी को ताड़ गैइ और धीरे से पूछा रात को मज़ा नही आता ना ?? मैं ने ना मे सर हिलाया लैकिन कुछ ज़बान से बोला नही.
उन्हो ने मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और धीरे से दबाया और कहा के मुझे भी नही आता मैं भी ऐसे ही तड़पति रहती हू और मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के उसका मसाज करने लगी. मैं हक्का बक्का उनकी कहानी सुन रही थी उन्हो ने अपनी सुहाग रात के
बारे मे बताया जो मेरी सुहाग रात की ही तरह हुई थी और फिर बताया के कैसे वो अपनी सेक्स की प्यास को बुझाती है और उनका भी एक दूर का कोई रिलेटिव है जो सिटी मे ही रहता है आंटी के घर से ज़ियादा दूर नही है उसका घर और वो कभी कभी आंटी की चुदाई कर के उनकी प्यासी चूत की प्यास को बुझा देता है. मैं आंटी की कहानी सुन के हैरत मे पड़ गई और सोचने लगी के मैं अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिए क्या करू.
अब ठंड थोड़ी सी बढ़ गई तो मैं एक बड़ी ब्लंकेट ले के आ गई और हम दोनो एक ही ब्लंकेट को ओढ़ के बैठे बारिश के मज़े ले रहे थे और अपनी अपनी चुदाई की कहानिया एक दूसरे को सुना रहे थे. आंटी मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के मसल रही थी ब्लंकेट के अंदर और मेरे बदन मे गर्मी आ रही थी. हम दोनो अपें टाँगें मोड़ के बैठी थी कभी कभी लेग्स को क्रॉस कर के बैठ जाते कभी नीस को फोल्ड कर के. एक तो उनके हाथ का स्पर्श और बाहर का ठंडा मौसम और फिर आंटी ने सुहाग रात की और अपनी चुदाई की दास्तान स्टार्ट कर के मेरे बदन मे फिर से आग लगा दी थी मुझे सुनील से चुड़वाई हुई वो रातें याद आ रही थी जब मेरी चूत मे सुनील का लंबा मोटा लंड घुस के धूम मचा देता था और चूत फाड़ झटके मार मार के मेरी चूत को निचोड़ के अपने लंड का सारा रस मेरी चूत के अंदर छोड़ के कैसे मज़ा देता था. मेरा पूरा दिल और दिमाग़ सुनील की चुदाई मे था मुझे पता ही नही चला के कब आंटी का हाथ मेरे थाइस पे फिसलने लगा और मेरे सारे बदन मे एक मस्ती का एहसास छाने लगा और ऑटोमॅटिकली मेरी टाँगें खुल गई और मैं ने महसूस किया के आंटी का हाथ मेरे थाइ से फिसल के चूत पे टिक गया और वो चूत की धीरे धीरे मसाज करने लगी और मुझे मज़ा आने लगा.
मेरी प्यासी चूत पे आंटी के हाथ का स्पर्श और मसाज से मुझे अपने स्कूल का एक किस्सा याद आ गया. हम उन दीनो 9थ क्लास मे थे. हुआ यह था के मेरी क्लासमेट श्रुति नाम था उसका वो मेरे पड़ोस मे ही रहती थी और कभी वो मेरे घर आजाती और हम दोनो मिल के रात मे पढ़ाई करते और एक ही बेड पर सो जाते कभी मैं उसके घर चली जाती और कंबाइंड स्टडी करते वही उसके साथ उसके बेड पर ही सो जाती. एक रात वो मेरे घर मे आई हुई थी और हम रात को पढ़ाई कर के हम दोनो मेरे बेड पे लेट गये. . मेरे रूम घर मे ऊपेर के फ्लोर पे था और मोम आंड डॅड नीचे. मैं ऊपेर अकेली ही रहती थी तो हमै अछी ख़ासी प्राइवसी मिल जाती थी. दोनो पढ़ाई ख़तम कर के सोने के लिए लेट गये. श्रुति बोहोत ही शरारती थी उसने अपने मम्मी
पापा को चोद्ते हुए भी कई बार देखा था. कभी सोने का बहाना कर के कभी विंडो मे से झाँक के और फिर मुझे बता ती थी के कैसे उसके डॅड नंगे हो के उसकी मोम को नंगा कर के चोद्ते है कभी लाइट खुली रख के तो कभी लाइट बंद कर के वो चुदाई देखती रहती थी और मुझे बता देती कि उसके पापा ने आज उसकी मम्मी को कैसे चोदा और यह भी बता ती के उसकी मम्मी ने कैसे उसके पापा के लंड को चूसा और सारी मलाई खा गई.
हा तो वो मेरे साथ थी बेड पर. हम ऐसे ही बातें कर रहे थे वो अपने मम्मी और पापा के चुदाई के क़िस्से सुना रही थी और अचानक उसको क्या हुआ उसने पूछा किरण तेरा साइज़ क्या है मैं ने पूछा कौनसा साइज़ तो उसने मेरी चुचिओ को हाथ मे पकड़ लिया और पूछा अरे पागल इसका और हँसने लगी उसका हाथ मेरे बूब्स पे अछा लग रहा था और उसने भी अपना हाथ नही हटाया और मैं ने भी उस से हाथ निकाल ने को नही कहा और वो ऐसे ही मेरी चुचिओ को दबाने लगी.
रात तो थी ही और हम ब्लंकेट ओढ़े हुए थे और लाइट बंद थी ऐसे मे मुझे उसका मेरी चुचिओ को दबाना अछा लग रहा था मैं ने उसका हाथ नही हटाया. उन दीनो हम ब्रा नही पेहेन्ते थे तो हमै साइज़ का पता नही था मैं ने बोला के मुझे क्या मालूम तो उसने कहा ठहर मैं बता ती हू तेरा क्या साइज़ है मैं ने बोला तेरे कू कैसे मालूम तो वो हँसने लगी और बोली मुझे सब पता है और मेरे ऊपेर उछल के बैठ गई. मैं सीधे ही लेटी थी और वो मेरे ऊपेर बैठ के मेरे बूब्स को मसल रही थी अब उसने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डाल के मसलना शुरू कर्दिआ तो मुझे और मज़ा आने लगा. मैं ने बोला हे श्रुति यह क्या कर रही है तो वो बोली के मेरे पापा भी तो ऐसे ही करते है मेरे मम्मी के साथ मैं ने देखा है जब पापा ऐसे करते हैं तो मम्मी को बोहोत मज़ा आता है बोल तुझे भी आ रहा है मज़ा या नही तो मैं ने कहा हा मज़ा तो आ रहा है तो उस ने कहा के बॅस तो ठीक है ऐसे ही लेती रह ना मज़ा ले बॅस और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चुचिओ को मसल्ने लगी.
मेरे ऊपेर बैठे ही बैठे उसने अपनी शर्ट भी उतार दी और मुझ से बोली के मैं भी उसके बूब्स को दबौउ तो मैं भी हाथ बढ़ा के उसके बूब्स को अपने हाथ मे ले के मसल्ने लगी. श्रुति की चुचियाँ मेरे चुचिओ से थोड़ी सी बड़ी थी. लाइट बंद होने से कुछ दिखाई नही दे रहा था बॅस दोनो एक दूसरे के चुचिओ को दबा रहे थे. ऐसे हे दबा ते दबा ते वो मेरी टांगो पे आगे पीछे होने लगी. हमारी चूते एक दूसरे से मिल रही थी और एक अजीब सा मज़ा चूत मे आने लगा. अब वो मेरे ऊपेर लेट गई और मेरी चुचि को चूसने लगी मेरे मूह
से आआआआआआआहह निकल गई और मैं उसके सर को पकड़ के अपनी चुचिओ मे घुसाने लगी थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद वो थोड़ा आगे हटी और अपनी चुचि मेरे मूह मे घुसेड डाली और मैं चूसने लगी वो भी आआहह की आवाज़ें निकाल निकाल के मज़े लेने लगी.
अब हम दोनो मस्त हो चुके थे वो थोडा सा पीछे खिसक गई और मेरी चूत पे हाथ रख दिया तो मेरी गंद अपने आप ही ऊपेर उठ गई. हम अब कोई बात नही कर रहे थे बॅस एक दूसरे से मज़े ले रहे थे. उसने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और साथ मे अपना भी और खुद अपने घुटनो पे खड़ी हो के अपनी सलवार निकाल दिया और नंगी हो गई और मेरी सलवार को पकड़ के नीचे खिसका दिया और मैं ने भी अपनी गंद उठा के उसको निकालने मे सहयोग किया. अब हम दोनो नंगे थे अभी हमारी चूतो पे बॉल आने भी नही शुरू हुए थे एक दम से चिकनी चूते थी हम दोनो की.
अब फिर से वो ऐसे बैठ गई जैसे हम दोनो की चूते टच हो रही थी और आगे पीछे होने लगी और बताया के मेरी मम्मी जब पापा के ऊपेर बैठ ती है तो ऐसे ही हिलती रहती है. हमारी चूते एक दूसरे से रगड़ खा रही थी और हमे बोहोत ही मज़ा आ रहा था दोनो की चिकनी चिकनी बिना बालो वाली मसके जैसे चूते आपस मे रगड़ रही थी. फिर वो थोड़ा सा नीचे को हो गई और मेरी चूत पे किस कर दिया तो मानो मैं पागल जैसी हो गई और मैं ने उसका सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा दिया और वो किस करते करते अब मेरी चूत के अंदर जीभ डालके चूसने लगी तो मेरे बदन मे ब्लड तेज़ी से सर्क्युलेट होने लगा और दिमाग़ मे सायँ सायँ होने लगी. मुझे लगा जैसे कोई चीज़ मेरी चूत के अंदर से बहेर आने को बे-ताब है पर नही आ रही है और मुझे लगा जैसे सारा कमरा गोल गोल घूम रहा हो इतना मज़ा आ गया मैं अपनी चूत उसके मूह मे रगार्डती रही थोड़ी देर मे यह कंडीशन ख़तम हो गई तो वो बाज़ू मे आ के लेट गई और मुझे अपनी टाँगों के बीच मे लिटा लिया और मेरा सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा दिया. उसकी मक्खन जैसे चिकनी चूत को किस करना बोहोत अछा लग रहा था और अब उस ने मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत मे घुसाना शुरू कर दिया और मेरे मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी उसकी चूत का टेस्ट मुझे कुछ सॉल्टी लगा पर वो टाइम ऐसा था के हम दोनो मज़े ले रहे थे और फिर उसने मेरे मूह मे अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया और मूह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी और फिर वो शांत हो गई. मेरा ख़याल है के स्कूल के दीनो मे ऐसे फ्रेंड्स जो एक दूसरे के घर रात बिता ती है यह चुचिओ को दबाना या चूत की मसाज करना या किस करना सब नॉर्मल सी बात हो गी क्योंकि
श्रुति ने मुझे और अपनी 2 फ्रेंड्स के बारे मे बताया के वो भी ऐसे ही करते हैं शाएद यह उमर ही ऐसी होती है.
खैर तो मैं कह रही थी के आंटी का हाथ मेरी चूत पे लगने से मेरे तन बदन मे एक आग जैसे लग रही थी मेरा दिल ओ दिमाग़ अब श्रुति और मेरी गुज़री हुई पुरानी हर्कतो से हट कर आंटी के तरफ आ गया था. पता नही आंटी ने अब तक क्या बोला मैं तो अपनी और श्रुति की गुज़री हुई बातें ही याद कर रही थी उस दिन के बाद आज किसी फीमेल का स्पर्श मेरी चूत मे महसूस हो रहा था. आक्च्युयली मुझे यह फीमेल वर्सस फीमेल यानी लेज़्बियेनिज़्म पसंद नही है पर वो टाइम ऐसा ही था के मैं फिर से बहेक गई और आंटी के हाथ मे अपनी चूत दे बैठी. अंधेरा बढ़ता जा रहा था सामने की रोड पूरी तरह से खाली हो चुकी थी अब कोई भी नही चल फिर रहे थे रोड पे और हम दोनो बाल्कनी मे बैठे थे. अब आंटी की फिंगर मेरी चूत के लिप्स को खोल के ऊपेर नीचे हो रही थी कभी चूत के सुराख मे उंगली डाल देती तो कभी क्लाइटॉरिस को मसल देती तो मेरा मस्ती के मारे बुरा हाल हो जाता चूत मे से कंटिन्यू जूस निकल रहा थे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मुझे पता भी नही चला के कब आंटी ने मेरा हाथ ले के अपनी चूत पे रख दिया और जब मेरा हाथ उनकी चूत पर लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चूल्‍हे (ओवेन) मैं लगा दिया हो इतनी गरम थी आंटी की चूत. मैं ने भी आंटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और अपनी उंगली अंदर डाल के कभी सुराख मे घुसेड देती तो कभी क्लाइटॉरिस को मसल देती तो आंटी के मूह से आआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई जैसी आवाज़ें निकल जाती. दोनो ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे की चूतो की मसाज कर रहे थे मज़े से दोनो की आँखें बंद हो चुकी थी.
उषा आंटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरो के बीचे मे बैठ गई और झुक के मेरी चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल के चाटना शुरू किया तो मेरी मूह से आआआआआआआआआहह की आवाज़ निकल गयी और मैं ने आंटी का सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसेड दिया और उसी समय मेरी अंगारे जैसे गरम चूत झड़ने लगी मेरी आँखें बंद हो चुकी थी मस्ती मे गहरी गहरी साँसें ले रही थी और फिर आंटी मेरे ऊपेर 69 की पोज़िशन मे आ गई और मेरे मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मूह खुल गया और उषा आंटी की चूत को वेलकम किया. उनकी गरम चूत मे से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा. मैं ने आंटी की पूरी चूत को अपने मूह मे लेके दांतो से काट डाला तो उनके मूह से चीख निकल गई आआआआआआअहह
और आआआआआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊओह और उनकी चूत मे से जूस निकलने लगा और वो झंडणे लगी. . बहुत देर तक हम बिना कोई बात किए ऐसे ही 69 की पोज़िशन मे लेटे रहे फिर थोड़ी देर के बाद आंटी ने कहा के आज मैं बोहोत दीनो बाद इतना झड़ी हू और बोहोत मज़ा आया. मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था अशोक तो मेरी चूत मे आग लगा के खुद झाड़ के सो जाते और मैं रातों मे तड़प ती रहती ऐसे मैं आंटी के चूत को चूसने से बोहोत सुकून मिला. जब कभी आंटी को झड़ना होता तो वो अपनी चूत को अछी तरह से शेव कर के मेरे पास आती और फिर हम दोनो एक दूसरे को चाट के खल्लास कर ते. आक्च्युयली मेरी चुदाई होने लगी थी अपने बॉस के साथ लैकिन मैं आंटी को इस बात का पता नही चलने देना चाहती थी मैं अपना हर सीक्रेट दूसरे से नही बता ना चाहती इसी लिए आंटी से नही कहा और उनके सामने ऐसी बनी रहती जैसे मेरी चूत बरसों की प्यासी हो और उनके साथ मुझे बोहोत ही मज़ा आता है.
क्रमशः......................


Kiran Ki Kahani paart--4
Ashko ne apne kapde bhi nikal diye aur nanga ho gaya. Mai ne ek tirchi nazar uske Lund pe dali to dil dhakk se reh gaya. Uska Lund bass aise hi tha koi khaas nahi tha total erect hone ke bad shaed 4 inch ya 5 inch ka hi hoga. Mai ne socha ke shaed thodi der ke bad woh aur akad ke bada ho jayega. Khair ab woh mere chuchion ko choos raha tha aur hath se meri choot ka massage kar raha tha. kabhi kabhi choot ke ander apni ungli dal deta to mai sssssssssssssssssiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii kar ke siskari le leti. Ab usne mera hath apne hath mai le ke apne Lund pe rakh dia. Mai kuch der tak aise hi apna hath uske lund pe rakhi rahi to usne mere hath ko apne hath se pakad ke dabaya to mai samajh gai ke shaed woh chahta hai ke mai uska lund apni muthi mai le ke dabau.
Mai uske Lund ko ek ya do baar hi dabaya tha ke usne mera hath hata dia aur seedha mere ooper chad aaya aur meri tangon ko phaila ke mere ooper let gaya. Lund ko mere choot ke lips ke ander surakh pe sataya aur jhuk ke mujhe kiss karne laga aur ek hi jhatke mai uska lund meri samandar jaise geeli choot ke ander ghus chuka tha aur woh suddenly zor zor se dhakke maarne laga aur bass 4 ya 5 hi dhakke lagaya tha ke uske muh se oooooogggggghhhhhhh ki awaz nikli aur uski malai meri choot mai gir gai. Mujhe to uska Lund apni choot ke
ander sahi tareeke se mehsoos bhi nahi hua aur uski chudai complete ho chuki thi. Meri kuch friends ne bataya tha ke kabhi kabhi excitement ki wajah se aur kabhi choot ki grami se Lund se malai jaldi hi nikal jati hai par kuch dino mai jab chudai daily karte rehte hai to phir theek ho jata hai aur achi tarah se chodne lagta hai aur yeh ke aisa agar kabhi ho to koi fikar ki bat nahi hai yehi soch ke mai khamosh ho gai ke ho sakta hai ke excitement ya choot ki garmi se woh jaldi hi jhad gaya ho par baad mai achi tarah se chod dalega.
Mai ne bhi socha ke shaed excitement mei uski cream jaldi niikal gai hogi aur yeh koi nai baat nahi hogi. Woh gehri gehri saansein leta hua mere badan pe pada raha aur meri choot mai pehle se ziada toofaan uth raha tha aur mera mann kar raha tha ke kisi tarah se Sunil aa jaye aur mujhe itna chode ke meri choot phatt jaye par aisa ho nahi sakta tha na. Mai kuch nahi kar sakti thi. Intezar kia ke shaed Ashok ke lund mai phir se jaan padegi aur woh kuch sahi dhang se chudai karega par aisa kuch nahi hua aur woh mere bazu me let ke gehri neend so gaya aur ek hi minute mai uske kharrate nikalne lage.
Subah hui to uski behen Renuka kamre mai ai aur muskuraate hue ek aankh band kar ke poocha kiyon bhabhi raat soi ya bhayya ne sari raat jagaya ?. Mai us pagli se kia batati ke uska bhai meri choot mai aag laga ke so gaya aur mai saari raat jaagti rahi aur intezar karti rahi ke ho sakta hai ke uska lund phir se jaag jaye par aisa kuch hua nahi aur Renuka se kaise bataati ke uske bhai ko aaga lagana to aata hai par uss aag ko bujhaana nahi aata. Mai ne banawati sharm se nazar neeche kar li aur muskura di aur dil mai socha pata nahi ise kaisa pati milega pehli rat ko chod chod ke choot ka bhosda banadega ya meri tarah choot mai aag laga ke so jayega tab mai puchugi us se ke raat kaisi guzri raat bhar chudai hoti rahi ya khud malai nikal ke so gaya aur tumhari choot mai aag laga ke tumhai sone nahi dia ya laikin abhi iss sawal ko poochne ke liye to time hai.
Isi tarah se ek week ho gaya aur mujhe koi khaas maza nahi aaya. Bass woh apne hisab se chodta raha aur har baar chod ke mujh se poochta “Maza aaya kiran” to mai muh neeche kar ke chup ho jati to wo samajhta ke shaed mai unski chudai ko enjoy kar rahi hu. Pata nahi kia problem tha usko ke uska lund akadta to tha chudai se pehle laikin choot ki garmi se uski malai doodh ban ke nikal jati thi. Aisa lagta tha ke Lund choot
ke ander sirf malai chodne ke liye hi jata hai hardly 2 ya 3 hi dhakko mai uska kaam tamaam ho jata tha. Shuru shuru mai to mai samjhi ke shaed excitement ki wajah se hoga par waqt ke sath theek ho jayega par aisa kuch nahi hua. Shadi ke baad total 2 week uske ghar reh ke ham city mai chale aye jaha uska business tha.
Ashok ke ghar wale city ke outskirts mai rehte hain aur Ashok ek businessman hai uska ready made garments ka business theek thaak hi chalta hai to woh apne business ke liye daily outskirt se city mai nahi aa sakta tha isi liye usne ek ghar city mai le rakha tha jismai ham dono hi rehte hain. Kabhi kabhi uske mata aur pita aajate ya kabhi uski behen Renuka aa jati to ek ya do din reh ke chale jate.
Ghar mai main akeli hi rehti hu. Waqt aise hi guzarta raha. Meri choot mai saari raat aag lagata rehta aur khud subah subah uth ke chala jata aur mai jalti choot ke sath sara din guzarti rehti. Karti bhi to kia karti isi tarah se 3 mahine guzar gaye. Bohot bore hoti rehti thi ghar mai baithe baithe sab naye naye log they kisi se bhi koi jaan pehchaan nahi thi. Hamare ghar ke kareeb hi ek lady rehti thi unka naam tha Usha. Woh hogi koi 36 ya 37 saal ki woh aksar hamare ghar aa jaya karti hai aur idhar udhar ki baatein karti rehti hai. Mai unhai Aunty Kehne lagi. Woh jab aati to 2 ya 3 ghante guzar ke hi jaati mere sath sabzi bhi bana deti aur kabhi khana pakaane mai bhi madad kar deti aur kabhi kabhi to ham dono mil ke khana bhi kha lete.
Ashok to business ke sil siley mai city se baher jate hi rehte hain aur jab kabhi kisi dooor ke sheher ko jana hota to wo 2 ya 3 din ke liye jaate aur mai ghar mai akeli hi rehti hu. Kai baar aunty ne kaha ke Kiran tum akeli rehti ho agar tum kaho to mai tumhare pas aa ke so jaya karu. Mai ne haste hue unke iss irade ko taal dia aur ab wo mere sath sone ki baat nahi karti kabhi kabhi agar batein karte karte raat ko der bhi ho jati to woh apne ghar ko hi chali jati thi. Unke pati city se dooor kisi village mai teacher the aur woh village mai koi sahuliatein nahi thi isi liye aunty ko waha nahi le jate the aur har week city mai aa jate the aunty ke pas aur thake hue hote the to ziada tar waqt unka sone mai hi guzar jata tha aur wo phir school khulne se pehle hi wapas chale jate aur aunty phir se akeli reh jati thi. School ke jab annual vacation hote tabhi wo kuch ziada dino ke liye ghar ate the.
Ek din aunty lunch ke bad aa gai mai us time lunch kar ke leti thi ke thodi der so jaugi kiyonke aaj mosal bohot cloudy tha aur kabhi bhi barish ho sakti thi thandi hawa chal rahi thi actually mosam sohana ho raha tha par mujhe raat ke unsatisfactory sex se sara badan toota ja raha tha aur sone ka mann kar raha tha theek usi time pe aunty aa gai to mai uth ke baith gai. Aunty ne pucha ke kia tabiat kharab hai to maine kaha nahi tabiat kharab to nahi par badan mai thoda sa darad ho raha hai to aunty ne poocha ke kia mai tumhara badan daba du to mai ne hans ke kaha ke nahi aunty aise koi bat nahi. Itne der mai ek dum se bohot zoron ki barish shuru ho gai. Mere iss ghar mai aane ke baad yeh pehli barish thi to mera ji chah raha tha ke mai upper ja ke balcony se barish dekhu isi liye mai ne aunty se kaha ke chaliye ooper chal ke baith te hai aur barish ka maza lete hain.
Ham dono ooper aa gaye. Hamari balcony ke saamne sadak thi aur dono taraf shops the jaha sabzi, chicken meat aur miscellaneous items mil jaya karti thi ek chota mota sa bazaar tha takreeban daily istemal ki sabhi cheezein mil jaya karti thi. Itni barish ki wajah se sara market soona pada hua tha kabhi kabhi koi ikka dukka cycle wala ya koi aadmi barsaati odhe guzar jata tha. Ham dono balcony mai neeche floor pe hi baith gaye aur jaali mai se baher ka scene dekhne lage. Kabhi kabhi barish ka thoda sa pani hamare ooper bhi gir jata tha. Mousam thanda ho gaya tha sham ke 5 baje hi aisa lag raha tha jaise rat ke 8 ya 9 baj rahe ho aisa andhera tha. Mai ja ke 2 cup garam garam chai bana ka le ai aur ham chai peete peete baher ka scene dekh rahe aur idhar udhar ki baatein karte karte barish ke maze lene lage.
Chai peene se badan mai thodi si garmi aa gai. Woh mere left side mai baithi thi aur Idhar udhar ke baat karte karte pata nahi aunty ko kia soojha ke mujh se meri sex life ke bare mai poochne lagi. Meri samajh mai nahi aaa rha tha ke kia batun. Aunty experienced thi shaed meri khamoshi ko tadd gaii aur dheere se poocha raat ko maza nahi aata na ?? mai ne na mai sar hilaya laikin kuch zaban se bola nahi.
Unho ne mera hath apne hath mai lia aur dheere se dabaya aur kaha ke mujhe bhi nahi aata mai bhi aise hi tadapti rehti hu aur mera hath apne hath mei le ke uska massage karne lagi. Mai hakka bakka unki kahani sun rahi thi unho ne apni suhag rat ke
bare mai bataya jo meri suhag rat ki hi tarah hui thi aur phir bataya ke kaise wo apni sex ki pyaas ko bujhaati hai aur unka bhi ek door ka koi relative hai jo city mai hi rehta hai aunty ke ghar se ziada door nahi hai uska ghar aur woh kabhi kabhi aunty ki chudai kar ke unki pyasi choot ki pyaas ko bujhaa deta hai. Mai aunty ki kahani sun ke hairat mai pad gai aur sochne lagi ke mai apni pyaasi choot ki pyaas bujhaane ke liye kia karu.
Ab thand thodi si badh gai to mai ek badi blanket le ke aa gai aur ham dono ek hi blanket ko odh ke baithe barish ke maze le rahe the aur apni apni chudai ki kahaniya ek doosre ko suna rahe the. Aunty mera hath apne hath mai le ke masal rahi thi blanket ke ander aur mere badan mai garmi aa rahi thi. Ham dono apen tangein mod ke baithi thi kabhi kabhi legs ko cross kar ke baith jate kabhi knees ko fold kar ke. Ek to unke hath ka sparsh aur baher ka thanda mousam aur phir aunty ne suhag raat ki aur apni chudai ki dastaan start kar ke mere badan mai phir se aag laga di thi mujhe sunil se chudwaayi hui woh raatein yaad aa rahi thi jab meri choot mai sunil ka lamba mota lund ghuss ke dhoom macha deta tha aur choot phaad jhatke maar maar ke meri choot ko nichod ke apne lund ka sara rass meri choot ke ander chor ke kaise maza deta tha. Mera poora dil aur dimagh Sunil ki chudai mai tha mujhe pata hi nachi chala ke kab aunty ke hath mere thighs pe phisalne laga aur mere sare badan mai ek masti ka ehsaas chaane laga aur automatically meri tangein khul gai aur mai ne mehsoos kia ke aunty ka hath mere thigh se phisal ke choot pe tik gaya aur wo choot ka dheere dheere massage karne lagi aur mujhe maza aane laga.
Meri pyasi choot pe aunty ke hath ka sparsh aur massage se mujhe apne school ka ek kissa yaad aa gaya. Ham un dino 9th class mai the. Hua yeh tha ke Meri classmate Shruti naam tha uska woh mere pados mai hi rehti thi aur kabhi woh mere ghar aajati aur ham dono mil ke rat mai padhati karte aur ek hi bed mai so jate kabhi mai uske ghar chali jati aur combined study karte wahi uske sath uske bed mai hi so jati. Ek rat wo mere ghar mai aaii hui thi aur ham raat ko padhai kar ke ham dono mere bed pe let gaye. Mere room ghar mai ooper ke floor pe tha aur mom and dad neeche. Mai ooper akeli hi rehti thi to hamai achi khaasi privacy mil jati thi. Dono padhai khatam kar ke sone ke liy let gaye. Shruti bohot hi shararati thi usne apne mummy
papa ko chodta hue bhi kai baar dekha tha. Kabhi sone ka bahaana kar ke kabhi window mai se jhank ke aur phir mujhe bata ti thi ke kaise uske dad nange ho ke uski mom ko nanga kar ke chodte hai kabhi light khuli rakh ke to kabhi light band kar ke woh chudai dekhti rehti thi aur mujhe bata deti kai uske papa ne aaj uski mummy ko kaise choda aur yeh bhi bata ti ke uski mummy ne kaise uske papa ke lund ko choosa aur sari malai kha gai.
Haa to wo mere sath thi bed mai. ham aise hi batein kar rahe the woh apne mummy aur papa ke chudai ke kisse suna rahi thi aur achanak usko kia hua usne poocha kiran tera size kia hai mai ne pucha kounsa size to usne meri chuchion ko hath mai pakad lia aur pucha arey pagal iska aur hansne lagi uska hath mere boobs pe acha lag raha tha aur usne bhi apna hath nahi hataya aur mai ne bhi us se hath nikal ne ko nahi kaha aur woh aise hi meri chuchion ko dabane lagi.
Rat to thi hi aur ham blanket odhe hue the aur light band thi aise mai mujhe uska mere chuchion ko dabana acha lag raha tha mai ne uska hath nahi hataya. Un dino ham bra nahi pehente the to hamai size ka pata nahi tha mai ne bola ke mujhe kia malum to usne kaha thair mai bata ti hut tera kia size hai mai ne bola tere ku kaise malum to wo hansne lagi aur boli mujhe sab pata hai aur mere ooper uchal ke baith gai. Mai seedhe hi leti thi aur woh mere ooper baithe ke mere boobs ko masal rahi thi ab usne meri shirt ke ander hath dal ke masalna shuru kardia to mjhe aur maza aane laga. mai ne bola hey Shruti yeh kia kar rahi hai to wo boli ke mere papa bhi to aise hi karte hai mere mummy ke sath mai ne dekha hai jab papa aise karte hain to mummy ko bohot maza aata hai bol tujhe bhi aa raha hai maza ya nahi to mai ne kaha haa maza to aa raha hai to us ne kaha ke bass to theek hai aise hi leti reh na maza le bass aur woh zor zor se meri chuchion ko masalne lagi.
Mere ooper baithe hi baithe usne apni shirt bhi utar di aur mujh se boli ke mai bhi uske boobs ko dabau to mai bhi hath badha ke uske boobs ko apne hath mai le ke masalne lagi. Shruti ke chuchian mere chuchion se thode se bade the. Light band hone se kuch dikhai nahi de raha tha bass dono ek doosre ke chuchion ko daba rahe the. Aise he daba te daba te woh meri tango pe aage peeche hone lagi. Hamari chootein ek doosre se mil rahi thi aur ek ajeeb sa maza choot mai aane laga. Ab woh mere ooper let gai aur meri chuchi ko choosne lagi mere muh
se aaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh nikal gai aur mai uske sar ko pakad ke apne chuchion mai ghusane lagi thodi der aise hi choosne ke bad woh thoda aage hati aur apni chuchi mere muh mai ghused dali aur mai choosne lagi woh bhi aaaahhhhhhhhhh ki awazein nikal nikal ke maze lene lagi.
Ab ham dono mast ho chuke the woh thoda sa peeche khisak gai aur meri choot pe hath rakh dia to meri gand apne aap hi ooper uth gai. Ham ab koi baat nahi kar rahe the bass ek doosre se maze le rahe the. Usne meri salwar ka nada khol dia aur sath mai apna bhi aur khud apne ghutno pe khadi ho ke apni salwar nikal dia aur nangi ho gai aur meri salwar ko pakad ke neeche khiska dia aur mai ne bhi apni gand utha ke usko nikalne mai sahyog kia. Ab ham dono nange the abhi hamari chooton pe baal aane bhi nahi shuru hue the ek dum se chikni chootein thi ham dono ki.
Ab phir se woh aise baith gai jaise ham dono ki chootein touch ho rahi thi aur aage peeche hone lagi aur bataya ke meri mummy jab papa ke ooper baith ti hai to aise hi nilti rehti hai. Hamari chootein ek doosre se ragad kha rahi thi aur hamain bohot hi maza aa raha tha dono ki chikni chikni bina balo wali maske jaise choote aapas mai ragad rahi thi. phir wo thoda sa neeche ko ho gai aur meri choot pe kiss kar dia to mano mai pagal jaise ho gai aur main ne uska sar pakad ke apni choot mai ghusa dia aur woh kiss karte karte ab meri choot ke ander jeeb dalke choosne lagi to mere badan mai blood tezi se circulate hone laga aur dimagh mai saayen saayen hone laga. mujhe laga jaise koi cheez meri choot ke ander se baher aane ko be-taab hai par nahi aa rahi hai aur mujhe laga jaise sara kamra gol gol ghoom raha ho itna maza aa gaya mai apni choot uske muh mai ragardti rahi thodi der mai yeh condition khatam ho gai to woh bazu mai aa ke let gai aur mujhe apne tangon ke beech mai lita lia aur mera sar pakad ke apni choot mai ghusa dia. uski makkhan jaise chikni choot ko kiss karna bohot acha lag raha tha aur ab us ne mere sar ko pakad ke apni choot mai ghusana shuru kar di aur mere muh mai apni choot ko ragadne lagi uski choot ka taste mujhe kuch salty laga par woh time aisa tha ke ham dono maze le rahe the aur phir usne mere muh mai apni choot ko tezi se ragadna shuru kar dia aur muh se ajeeb awazein nikalne lagi aur phir woh shant ho gai. Mera khayal hai ke school ke dino mai aise friends jo ek doosre ke ghar raat bita ti hai yeh chuchion ko dabana ya choot ko massage karna ya kiss karna sab normal si baat ho gi kiyonke
shruti ne mujhe aur apni 2 friends ke bare mai bataya ke woh bhi aise hi karte hain shaed yeh umar hi aisi hoti hai.
Khair to mai keh rahi thi ke aunty ka hath meri choot pe lagne se mere tan badan mai ek aag jaise lag rahi thi mera dil o dimagh ab shruti aur meri guzri hui purani harkato se hat kar aunty ke taraf aa gaya tha. Pata nahi aunty ne ab tak kia bola mai to apni aur shruti ki guzri hui baatein hi yaad kar rahi thi uss din ke baad aaj kisi female ka sparsh meri choot me mehsoos ho raha tha. Actually mujhe yah female versus female yani lesbianism pasand nahi hai par woh time aisa hi tha ke mai phir se behek gai aur aunty ke hath mai apni choot de baithi. Andhera badhta ja raha tha saamne ki road poori tarah se khali ho chuki thi ab koi bhi nahi chal phir rahe the road pe aur ham dono balcony mai baithe the. Ab aunty ki finger meri choot ke lips ko khol ke ooper neeche ho rahi thi kabhi choot ke surakh mai ungli dal deti to kabhi clitoris ko masal deti to mera masti ke mare bura haal ho jata choot mai se continue juice nikal raha the poori tarah se geeli ho chuki thi aur mujhe pata bhi nahi chala ke kab aunty ne mera hath le ke apni choot pe rakh dia aur jab mera hath unki choot mei mai laga to mujhe aisa laga jaise mere hath kisi jalti hui bhatti ya garam chulhe (oven) mai laga dia ho itni garam thi aunty ki choot. Mai ne bhi aunty ki choot ka massage shuru kar dia aur apni ungli ander dal ke kabhi surakh mei ghused deti to kabhi clitoris ko masal deti to aunty ke muh se aaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhh oooooooooooooooiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii jaisi awazein nikal jati. Dono zor zor se ek doosre ki chooton ka massage kar rahe the maze se dono ki aankhein band ho chuki thi.
Usha aunty ne mujhe lita dia aur mere pairo ke beeche me baith gai aur jhuk ke meri choot pe kiss kia aur apni jeebh meri choot ke ander dal ke chaatna shuru kia to meri muh se aaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhh ki awaz nikal gayi aur mai ne aunty ka sar pakad ke apni choot mai ghused dia aur usi samay meri angaare jaise garam choot jhadne lagi meri aankhein band ho chuki thi masti mai gehri gehri saansein le rahi thi aur phir aunty mere ooper 69 ki position mai aa gai aur mere muh pe apni choot ko ragadne lagi to mera muh khul gaya aur Usha aunty ki choot ko welcome kia. Unki garam choot mai se namkeen gadha juice nikalne laga. mai ne aunty ki poori choot ko apne muh mei leke daton se kaat dala to unke muh se cheekh nikal gai aaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhh
aur aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii ooooooooooooooooohhhhhhhhhhhhhhhhhhhh aur unki choot mai se juice nikalne laga aur wo jhande lagi. Bohot der tak ham bina koi baat kiye aise hi 69 ki position mei lete rahe phir thodi der ke baad aunty ne kaha ke aaj mai bohot dino baad itna jhadi hu aur bohot maza aaya. Mera bhi kuch aisa hi haal tha Ashok to meri choot mai aag laga ke khud jhad ke so jate aur mai raaton mai tadap ti rehti aise mai aunty ke choot ko choosne se bohot sukoon mila. Jab kabhi aunty ko jhadna hota to woh apni choot ko achi tarah se shave kar ke mere paas aati aur phir ham dono ek doosre ko chaat ke khallas kar te. Actually meri chudai hone lagi thi apne boss ke sath laikin mai aunty ko iss baat ka pata nahi chalne dena chahti thi mai apna har secret doosre se nahi bata na chahti isi liye aunty se nahi kaha aur unke samne aisi bani rehti jaise meri choot barson ki pyasi ho aur unke sath mujhe bohot hi maza aata hai.
kramashah........................












आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj

































































































































































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