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किरण की कहानी पार्ट--5
लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
मैं घर मे अकेले रहते रहते बोर होने लगी थी. सिवाए खाना पकाने के और कोई काम ही नही था. हर दूसरे दिन एक धोबन आ के हमारे कपड़े धो जाया करती थी. बोर होने की वजह से मैं ने अशोक से कहा के अगर वो कोई माइंड ना करे तो मैं कोई जॉब करलू ता के मैं बिज़ी रह सकु. अशोक को भी अपने बिज़्नेस से फ़ुर्सत नही मिलती थी और अब तक तो उसको पता चल ही गया था के मेरी चूत उसके लंड से और उसकी चुदाई से सॅटिस्फाइ नही है तो उसने कहा ठीक है मेरा एक फ्रेंड है अपनी खुद की कंपनी चलाता है मैं उस से बात कर लूँगा तुम घर बैठे ही उसका काम कर देना ता के तुम बिज़ी भी रहो और तुम्हारा भी दिल लगा रहे. और एक दिन अशोक ने बताया के उसने अपने दोस्त को डिन्नर पे बुलाया है और साथ मैं काम की भी बात कर लेते हैं तो मैं खुश हो गई और आछे से अछा खाना बना के अपने होने वाले बॉस को खिलाना चाहती थी तो मैं किचन मे डिन्नर की तय्यारी मे बिज़ी हो गई.
रात के खाने के टाइम से पहले ही अशोक का दोस्त आ गया बेल बजा के खड़ा हो गया तो अशोक ने दरवाज़ा खोला और हेलो हाई हाउ आर यू कह के अंदर बुला लिया. मैं देख के दंग रह गई वो तो एक अछा ख़ासा स्मार्ट आदमी था. तकरीबन 6 फीट के करीब उसकी हाइट होगी गोरा रंग ब्रॉड शोल्डर्स हॅटा कॅटा मज़बूत जवान लग रहा था उसे देखते ही मेरी चूत मे एक अजीब एग्ज़ाइट्मेंट सी होने लगी और मुझे लगा के मेरी चूत गीली हो रही है. अशोक ने इंट्रोड्यूस करवाया और कहा के यह मेरे बचपन का दोस्त और क्लास मेट सलीम ख़ान सनई है और वो एक मुस्लिम है जो अपनी फाइनान्स कंपनी चलाता है.
दोनो स्कूल से कॉलेज ख़तम होने तक क्लास मेट रहे हैं और एक दूसरे से बोहोत ही फ्री हैं.
ऑफीस मे वो एसके के नाम से फेमस है. और फिर कहा एसके !! यह मेरी वाइफ है किरण. हम दोनो ने एक दूसरे को नमस्ते कहा और हम सब अंदर ड्रॉयिंग रूम मे आ के सोफे पे बैठ गये. अशोक और एसके बैठ के बातें करने लगे और मैं खाना टेबल पे रखने के लिए चली गई.
टेबल रेडी हो गई तो मैं ने दोनो से कहा के चलिए डिन्नर रेडी है. वॉश बेसिन पे हाथ धो के आ गये और रेक्टॅंगल टेबल के स्माल पोर्षन पे एसके बैठे थे और मैं और अशोक टेबल के बड़े वाले पोर्षन पे टेबल के दोनो तरफ आमने सामने (ऑपोसिट टू ईच अदर) बैठे थे. सब मिल के खाना खाने लगे एसके मेरे बनाए हुए खाने की बोहोत तारीफ कर रहे थे. खाने मे पराठे, दम का चिकेन, आलू गोश्त का खोरमा, कबाब, टोमॅटो की चटनी, पुलाव बना के उस पे बाय्ल्ड एग्स को हाफ कर के डेकरेट कर के रखा था और कस्टर्ड और आइस क्रीम थी. खाना सच मे बोहोत टेस्टी था. एसके कभी मुझे कुछ देता तो कभी मेरे पति की प्लेट मे कुछ डाल देता. खाना खा ने के बाद फिर से वो दोनो ड्रॉयिंग रूम मे जा के सोफे पे बैठे गये और मैं टेबल सॉफ कर के कॉफी बना के वही आ गई और हम सब साथ बैठ के कॉफी पीने लगे और बातें करने लगे.
अशोक ने कहा यार एसके देखो तो किरण घर मे अकेली रहती है और अकेले रहते रहते बोर हो गई है वो अपने आप को बिज़ी रखने के लिए कोई काम करना चाहती है तुम्हारे पास अगर कोई ऐसा काम हो तो बताना. एसके ने कहा यह तो बोहोत अछी बात है मेरे पास डाटा एंट्री करने का काम पड़ा हुआ है. मेरे पास का डाटा एंट्री का जो क्लर्क था वो चला गया. किरण ऑफीस से इनवाइसस और वाउचर्स घर ला सकती है और घर बैठे बैठे ही मेरा काम कर सकती है. ऑफीस तो तुम्हारे घर के करीब ही है किरण ऑफीस आ के डेली या वीक्ली काम ले के आ सकती है और घर बैठे ही काम कर सकती है मैं डेली आ के चेक करता रहूँगा और उसको गाइड करता रहूँगा. मेरे पास ऑफीस मे एक एक्सट्रा कंप्यूटर भी है मैं वो भी किरण के पास भेज दूँगा यही किसी रूम मे रख लेना और वो आराम से घर बैठे ही काम कर लेगी. अशोक ने कहा यह तो बोहोत अछी बात है किरण कल ही तुम्हारे ऑफीस आजाएगी और काम भी देख लेगी.
दूसरे दिन मैं एसके के ऑफीस को गई. ऑफीस अछा ख़ासा बड़ा था नीट और क्लीन थे सारे ऑफीस मे कार्पेट बिछी हुई है और एसके का
ऑफीस तो एक दम से शानदार एक बोहोत बड़ी सेमी सर्क्युलर टेबल जिसके एक साइड मे छोटी सी कंप्यूटर टेबल जिसपे कंप्यूटर, एलसिडी मॉनिटर और नीचे प्रिंटर भी रखा हुआ था. डोर को अंदर से लॉक करने ये खोलने के लिए उसके पास ऑटोमॅटिक बटन है. उसके रूम के बाहर एक छोटा सा कॅमरा है जिस से उसको पता चल जाता है के बाहर कौन वेट कर रहा है और उसको मिलना हो तो वो ऑटोमॅटिक लॉक का बटन प्रेस कर देता है जिस से डोर खुल जाता है और फिर अंदर से ऑटोमॅटिकली बंद भी हो जाता है. ऑफीस सेंट्रली एर कंडीशंड है. इन शॉर्ट बोहोत शानदार ऑफीस है. ऑफीस का सारा स्टाफ अपने अपने काम मे बिज़ी था. मैं ऑफीस गई तो एसके ने मुझे फॉरन अंदर बुला लिया और अपनी कुर्सी से खड़ा हो के मुझ से शेक हॅंड किया तो उसका गरम हाथ मेरे हाथ मे आते ही मेरे बदन मे बिजली दौड़ने लगी और मैं गीली होने लगी. मैं ने कहा के सर आपका ऑफीस तो वंडरफुल है एक दम से शानदार तो उसने कहा के देखो किरण मुझे यह सर वाघहैरा कहने की ज़रूरत नही है.
तुम मेरे लिए किरण हो और मैं तुम्हारे लिए सलीम ख़ान तुम मुझे सब की तरह एसके भी कह सकती हो लैकिन नेक्स्ट टाइम से सर नही कहना ठीक है ? मैं ने मुस्कुराते हुआ कहा ठीक है सर और हम दोनो हंस पड़े. एसके ने कॉफी के लिए ऑर्डर दे दिया जो थोड़ी ही देर मे आ गई. कप्पूसिनो की फर्स्ट क्लास खुसबू से सारा ऑफीस महेक उठा. दोनो कॉफी पीने लगे. उसके बाद उसने किसी को बुला के एक कंप्यूटर, मॉनिटर और प्रिंटर अपनी कार मे रखने के लिए कहा और थोड़ी देर के बाद वो मुझे अपनी कार मे ले के मेरे घर आ गया.
हमारे घर मे एक स्पेर रूम भी है जिस्मै कंप्यूटर रख दिया गया. कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नही है लैकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एसके ने कंप्यूटर के कनेक्षन्स लगा दिए और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया. कॉंनेकटिनोस लगा ने के बाद वो बाथरूम मे चला गया हाथ धोने के लिए तो मैं कॉफी बना ने लगी. हम दोनो ड्रॉयिंग रूम मे आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे. एसके और मैं इधर उधर की बातें करने लगे वो अपने स्कूल और कॉलेज के किससे सुना ने लगे के कैसे वो कॉलेज मे बदमाशियाँ किया करते थे लड़कियों को छेड़ते रहते थे. मैं ने कहा के आप पर तो लड़कियाँ मरती होगी तो वो हंस पड़ा और कहा नही ऐसी बात नही बस हमारे कुछ क्लास मेट्स और कुछ जूनियर्स लड़कियाँ थी हम ( एक आँख दबा के बोला ) मस्ती करते थे. इतनी देर मे लंच का टाइम हो गया तो मैं ने कहा के यही रुक जाए और साथमे खाना खा के ही जाना तो उसने कहा के किरण तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिन्नर करना पसंद ना होगा पर सच मे मुझे थोड़ा सा काम है हम
किसी और दिन लंच या डिन्नर ले लेंगे साथ मे. जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया. उसने कहा के मैं कल ऑफीस आ जाउ तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिए.
दूसरे दिन मैं ऑफीस गई तो उस ने मुझे अपने कंप्यूटर के प्रोग्राम पे ही बता दिया के कैसे एंट्रीस करनी है और कहा के यह प्रोग्राम मेरे पास जो कंप्यूटर भेजा है उस पे भी है. काम उतना मुश्किल नही था जल्दी ही समझ मैं आ गयी. हा कुछ चीज़ें ऐसी थी जो के समझ मे नही आ रही थी कुछ कॅल्क्युलेशन्स थे कुछ अडिशन्स आंड सुबस्टरक्टिओन्स थे उसने कहा के जो भी मैं कर सकती हू करू वो लंच टाइम पे मेरे पास आ के जो मेरे समझ मे नही आ रहा है वो मुझे समझा देगा. मैं इनवाइसस का बंड्ल उठा के घर चली आई. ऑफीस से घर तकरीबन 15 – 20 मिनिट की वॉक है. घर आने के बाद सारे इनवाइसस और वाउचर्स को अपने सामने रख के पहले तो ऐसे ही समझने की कोशिश करती रही और थोड़ी देर के बाद एंट्री करना शुरू किया. नया नया काम शुरू किया था तो काम करने मे मज़ा आ रहा था और जोश के साथ काम कर रही थी मुझे टाइम का पता ही नही चला शाम के 3:30 हो गये और जब एसके ने बेल मारी तो मैं ने टाइम देखा उफ्फ यह तो 3:30 हो गये. मैं ने डोर खोला एसके अंदर आ गया और हम दोनो कंप्यूटर वाले रूम मे चले आए. पता नही एसके की पर्सनॅलिटी मे क्या है के मैं उसको देखते ही अपने होश खो बैठती हू और गीली होना शुरू हो जाती हू. उसने काम देखना शुरू किया. कुछ मैं ने ग़लत किया था कुछ सही किया था उस ने बताया कॅल्क्युलेशन्स वग़ैरा करना सिखाया और कुछ देर बैठ के कॉफी पी के चला गया. जितनी देर वो मेरे पास बैठा रहा उसके बदन से हल्की उठ ती हुई पर्फ्यूम की स्मेल से मैं मस्त होती रही. उसके साथ बैठना मुझे बोहोत अछा लग रहा था. मैं तो यह सोचने लगी के एसके यही मेरे साथ ही रहे तो कितना अच्छा होता और यह सोच उस टाइम ज़ियादा हो जाती जब अशोक मेरी चूत मे आग लगा देता और बुझा नही पता तो सोचती के एसके यही रहे और मेरी गरम और प्यासी चूत को चोद चोद के अपनी क्रीम चूत के अंदर डाल के उसकी प्यास बुझा दे और मेरी गरम चूत को ठंडा कर दे पर यह पासिबल नही था एक तो वो मॅरीड था और रात मेरे साथ नही रह सकता था दूसरे यह के ऑफीस के दूसरे काम भी तो देखने होते हैं और मैं एसके को अपने दिल की बात ना कह सकी पर मेरा दिल चाह रहा था के वो मेरे साथी ही रहे. वो मेरा काम देख के और कुछ काम समझा के अपने घर चला गया और मैं पता नही कियों उदास हो गई.
इसी तरह से एक वीक गुज़र गया कोई ख़ास बात नही हुई बॅस यह के जितनी देर वो मेरे करीब रहता मैं मस्त रहती और फुल मूड मे रहती पर उसके चले जाने के बाद मैं उदास हो जाती. मैं तकरीबन 2 वीक्स का काम ले आई थी ऑफीस से तो ऑफीस को भी नही जाना था. सुबह उठ के नाश्ता कर के कॉफी पी के काम शुरू करती और काम के बीच बीच मे अपने काम भी करती रहती खाना बना ना या और भी छोटे मोटे काम. धोबन तो एवेरी आल्टरनेट डे आ के कपड़े धो जाया करती थी इसी तरह से रुटीन चलने लगी. उषा आंटी को भी पता चल गया था के मैं दिन मे बिज़ी रहती हू तो वो भी मुझे दिन के टाइम पे उतना डिस्टर्ब नही करती और कभी उनका मन करता तो वो शाम मे या रात मे किसी टाइम पे आ जाती और गप्पे लगा ने लगती और साथ मे वोही करते जो बाल्कनी मे किया था और फिर आंटी चली जाती और मैं मस्त हो के सो जाती.
क्रमशः...............
Kiran Ki Kahani paart--5
Mai ghar mai akele rehte rehte bore hone lagi thi. Siwaye khana pakaane ke aur koi kaam hi nahi tha. Har doosre din ek dhoban aa ke hamare kapde dho jaya karti thi. Bore hone ki wajah se mai ne Ashok se kaha ke agar woh koi mind na kare to mai koi job karlu taa ke mai busy reh saku. Ashok ko bhi apne business se fursat nahi milti thi aur ab tak to usko pata chal hi gaya tha ke meri choot uske lund se aur uski chudai se satisfy nahi hai to usne kaha theek hai mera ek friend hai apni khud ki company chalata hai mai us se baat kar lunga tum ghar baithe hi uska kaam kar dena taa ke tum busy bhi raho aur tumhara bhi dil laga rahe. Aur ek din Ashok ne bataya ke usne apne dost ko dinner pe bulaya hai aur sath mai kaam ki bhi baat kar lete hain to mai khush ho gai aur ache se acha khana bana ke apne hone wale boss ko khilana chahti thi to mai kitchen mai dinner ki tayyari mai busy ho gai.
Raat ke khane ke time se pehle hi Ashok ka dost aa gaya bell mar ke khada ho gaya to Ashok ne darwaza khola aur hello hi how are you keh ke ander bula lia. Mai dekh ke dang reh gai woh to ek acha khaasa smart aadmi tha. Takreeban 6 feet ke kareeb uski height hogi gora rang broad shoulders Hatta Katta mazboot jawan lag raha tha usey dekhte hi meri choot mai ek ajeeb excitement si hone lagi aur mujhe laga ke meri choot geeli ho rahi hai. Ashok ne introduce karwaya aur kaha ke yeh mere bachpan ka dost aur class mate Saleem Khan Sanai hai aur woh ek Muslim hai jo apni finance company chalata hai.
Dono school se college khatam hone tak class mate rahe hain aur ek doosre se bohot hi free hain.
Office mai woh SK ke naam se famous hai. Aur phir kaha SK !! Yeh meri wife hai Kiran. Ham dono ne ek doosre ko Namaste kaha aur ham sab ander drawing room mai aa ke sofe pe batih gaye. Ashok aur SK baith ke baatein karne lage aur mai khaana table pe rakhne ke liye chali gai.
Table ready ho gai to mei ne dono se kaha ke chaliye dinner ready hai. Wash basin pe hath dho ke aa gaye aur rectangle table ke small portion pe SK baithe the aur mai aur Ashok table ke bade wale portion pe table ke dono taraf aamne saamne (opposite to each other) baithe the. Sab mil ke khana khaane lage SK mere banaye hue khaane ki bohot tareef kar rahe the. Khaane mai Paraathe, Dam ka Chiken, Alu Gosht ka Khorma, Kabaab, Tomato ki Chatni, Pulav bana ke us pe boiled eggs ko half kar ke decorate kar ke rakha tha aur Custard aur Ice cram thi. Khana sach mai bohot tasty tha. SK kabhi mujhe kuch deta to kabhi mere pati ki plate mai kuch dal deta. Khana khaa ne ke bad phir se woh dono drawing room mai ja ke sofe pe baithe gaye aur mai table saaf kar ke coffee bana ke wahi aa gai aur ham sab sath baith ke coffee peene lage aur baatein karne lage.
Ashok ne kaha yaar SK dekho to Kiran ghar mai akeli rehti hai aur akele rehte rehte bore ho gai hai woh apne aap ko busy rakhne ke liye koi kaam karna chahti hai tumhare pas agar koi aisa kaam ho to batana. SK ne kaha yeh to bohot achi baat hai mere pas data entry karne ka kaam pada hua hai. Mere pas ka data entry ka jo clerk tha wo chala gaya. Kiran office se invoices aur vouchers ghar la sakti hai aur ghar baithe baithe hi mera kaam kar sakti hai. Office to tumhare ghar ke kareeb hi hai Kiran office aa ke daily ya weekly kaam le ke aa sakti hai aur ghar baithe hi kaam kar sakti hai mai daily aa ke check karta rahunga aur usko guide karta rahunga. Mere paas office mai ek extra computer bhi hai mai wo bhi Kiran ke pas bhej dunga yahi kisi room mai rakh lena aur wo aaraam se ghar baithe hi kaam kar legi. Ashok ne kaha yeh to bohot achi baat hai Kiran kal hi tumhare office aajayegi aru kaam bhi dekh legi.
Doosre din mai SK ke office ko gai. Office acha khaasa bada tha neat aur clean the sare office mai carpet bichi hui hai aur SK ka
office to ek dum se shaandaar ek bohot badi semi circular table jiske ek side mei choti si computer table jispe computer, LCD Monitor aur neeche printer bhi rakha hua tha. Door ko ander se lock karne ye kholne ke liye uske pas automatic button hai. Uske room ke baher ek chota sa camera hai jis se usko pata chal jata hai ke baher koun wait kar raha hai aur usko milna ho to woh automatic lock ka button press kar deta hai jis se door khul jata hai aur phir ander se automatically band bhi ho jata hai. Office centrally Air conditioned hai. In short bohot shandaar office hai. Office ka sara staff apne apne kaam mai busy tha. Mai office gai to SK ne mujhe foran ander bula lia aur apni chair se khada ho ke mujh se shake hand kia to uska garam hath mere hath mai aate hi mere badan mai bijli doudne lagi aur mai geeli hone lagi. Mai ne kaha ke Sir aapka office to wonderful hai ek dum se shandaar to usne kaha ke dekho Kiran mujhe yeh Sir waghaira kehne ki zaroorat nahi hai.
Tum mere liye Kiran ho aur mai tumhare liye Saleem Khan tum mujhe sab ki tarah SK bhi keh sakti ho laikin next time se Sir nahi kehna theek hai ? Mai ne muskurate hua kaha theek hai Sir aur ham dono hans pade. SK ne coffee ke liye order de dia jo thodi hi der mai aa gai. Cappucino ki first class khusboo se sara office mehek utha. Dono coffee peene lage. Uske bad usne kisi ko bula ke ek Computer, Monitor aur Printer apni car mai rakhne ke liye kaha aur thodi der ke bad wo mujhe apni car mai le ke mere ghar aa gaya.
Hamare ghar mai ek spare room bhi hai jismai computer rakh dia gaya. Computer ki special table to nahi hai laikin ghar ki hi ek table pe rakh dia gaya aur SK ne computer ke connections laga diye aur computer start kar ke mujhe bata dia. Connectinos laga ne ke baad woh bathroom mai chala gaya hath dhone ke liye to mai coffee bana ne lagi. Ham dono drawing room mai aa ke baith gaye aur coffee peene lage. SK aur mai idhar udhar ki baatein karne lage woh apne school aur college ke kisse suna ne lage ke kaise woh college mai badmashian kia karte the ladkiyon ko chedte rehte the. Mai ne kaha ke aap par to ladkiyan marti hogi to woh hans pada aur kaha nahi aisi baat nahi bas hamare kuch class mates aur kuch juniors ladkian thi ham ( ek aankh daba ke bola ) masti karte the. Itni der mai lunch ka time ho gaya to mai ne kaha ke yahi ruk jaye aur sath mai khana kha ke hi jana to usne kaha ke Kiran tum jaise cute ladki ke sath kise lunch ya dinner karna pasand na hoga par sach mai mujhe thuda sa kaam hai ham
kisi aur din lunch ya dinner le lenge sath mai. Jab usne mujhe cute ladki kaha to mera chehra sharam se laaal ho gay jisko usne bhi note kia. Usne kaha ke mai kal office aa jau tab takey wo sari cheezein ready rakhega mere liye.
Doosre din mai office gai to us ne mujhe apne computer ke programme pe hi bata dia ke kaise entries karni hai aur kaha ke yeh programme mere pas jo computer bheja hai us pe bhi hai. Kaam utna mushkil nahi tha jaldi hi samajh mai aa gay. Haa kuch cheezein aisi thi jo ke samajh mai nahi aa rahi thi kuch calculations the kuch additions and substractions the usne kaha ke jo bhi mai kar sakti hu karu woh lunch time pe mere pas aa ke jo mere samajh mai nahi aa raha hai woh mujhe samjha dega. Mai invoices ka bundle utha ke ghar chali aaii. Office se ghar takreeban 15 – 20 minute ki walk hai. Ghar aane ke baad sare invoices aur vouchers ko apne samne rakh ke pehle to aise hi samajhne ki koshish karti rahi aur thodi der ke baad entry karna shuru kia. Naya naya kaam shuru kia tha to kaam karne mai maza aa raha tha aur josh ke sath kaam kar rahi thi mujhe time ka pata hi nahi chala sham ke 3:30 ho gaye aur jab SK ne bell mari to mai ne time dekha uff yeh to 3:30 ho gaye. Mai ne door khola SK ander aa gaya aur ham dono computer wale room mai chale aaye. Pata nahi SK ki personality mai kia hai ke mai usko dekhte hi apne hosh kho baithti hu aur geeli hona shuru ho jati hu. Usne kaam dekhna shuru kia. Kuch mai ne ghalat kia tha kuch sahi kia tha us ne bataya calculations waghaira karna sikhaya aur kuch der baith ke coffee pi ke chala gaya. Jitni der woh mere pas baitha raha uske badan se halki uth ti hui perfume ki smell se mai mast hoti rahi. Uske sath baithna mujhe bohot acha lag raha tha. Mai to yeh sochne lagi ke SK yahi mere sath hi rahe to kitna ahca hota aur yeh soch us time ziada ho jati jab Ashok meri choot mai aag laga deta aur bujha nahi pata to sochti ke SK yahi rahe aur meri garam aur pyaasi choot ko chod chod ke apni cream choot ke ander dal ke uski pyas bujha de aur meri garam choot ko thanda kar de par yah possible nahi tha ek to woh married tha aur raat mere sath nahi reh sakta tha doosre yeh ke office ke doosre kaam bhi to dekhne hote hain aur mai SK ko apne dil ki bat na keh saki par mera dil chah raha tha ke wo mere sathi hi rahe. Woh mera kaam dekh ke aur kuch kaam samjha ke apne ghar chala gaya aur mai pata nahi kiyon udas ho gai.
Isi tarah se ek week guzar gaya koi khaas baat nahi hui bass yeh ke jitni der woh mere kareeb rehta mai mast rehti aur full mood mai rehti par uske chale jaane ke baad mai udaas ho jati. Mai takreeban 2 weeks ka kaam le aaii thi office se to office ko bhi nahi jana tha. Subah uthe ke nashta kar ke coffee pii ke kaam shuru karti aur kaam ke beech beech mai apne kaam bhi karti rehti khana bana na ya aur bhi chote mote kaam. Dhoban to every alternate day aa ke kapde dho jaya karti thi isi tarah se routine chalne lagi. Usha aunty ko bhi pata chal gaya tha ke mai din mai busy rehti hu to wo bhi mujhe din ke time pe utna disturb nahi karti aur kabhi unka mann karta to woh sham mai ya raat mai kisi time pe aa jati aur gappe laga ne lagti aur sath mai wohi karte jo balcony mai kia tha aur phir aunty chali jati aur mai mast ho ke so jati.
kramashah.............
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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