Monday, April 19, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--14

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सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--14

"आननह...आननह..आननह...!",रीमा अपने ससुर के बिस्तर पे उनके नीचे पड़ी,उनके तेज़ धक्को का मज़ा ले रही थी,"हा..आन..हा..अन्न..ऐसे ही कर...इए..आहह.....पी..ताआआजीी..!",अपनी बाहो मे उन्हे भीच,उनसे चिपक कर वो झाड़ गयी & उसके साथ ही तेज़ साँसे भरते हुए वीरेन्द्रा जी ने भी उसकी चूत मे अपने लंड को खाली कर दिया. थोड़ी देर बाद अपनी बही की चूत से लंड निकाल उन्होने पलंग से उतार उसकी बगल मे रखी साइड टेबल से पानी की बॉटल उठा का अपने मुँह से लगा ली. रीमा करवट लेकर उनकी ओर देखने लगी,उस से कुच्छ ही दूरी पे उसके & उसके ससुर के रस से गीला विरेन्द्र जी का सिकुदा लंड लटक रहा था,उसने हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया & झांतो मे अपनी उंगलिया फ़िराने लगी,"आप रवि के जान-पहचान के किसी शंतु नाम के आदमी को जानते थे. "हा,क्यू?",विरेंड्रा जी अपनी बहू की इस गरम हरकत पे मुस्कुराए. "बस यू ही.रवि की टेलिफोन डाइयरी मे उसका नाम दिखा तो आपसे पुच्छ लिया.कौन है वो?",उसने उनके अंदो को अपने हाथो मे दबा लिया. "प्रशांत चौधरी.",विरेन्द्र जी पलंग पे चढ़ घुटनो के बल खड़े हो गये तो रीमा भी कोहनी पे उचक कर उठी & अपनी जीभ से लंड पे लगे पानी को सॉफ करने लगी.विरेन्द्र जी उसके बालो मे प्यार से हाथ फिराने लगा,"..रवि का सबसे अच्छा दोस्त.बचपन से ही शंतु बड़ा कमज़ोर & चुप-2 रहने वाला लड़का था.",रीमा ने लंड को मुँह मे भर उसे हिलाते हुए चूसना शुरू कर दिया,"..इस वजह से बाकी बच्चे उसे शांति कह के चिढ़ाते थे...उसकी कुच्छ हरकते भी लड़कियो जैसी थी." वीरेंद्र जी ने बिना लंड मुँह से निकाले रीमा को लिटाया & उसके उपर चढ़ 69 पोज़िशन मे आके,उसकी टाँगो के बीच अपना चेहरा दबा दिया,"उम्म्म...!",चूत पे ससुर की जीभ महसूस करते ही रीमा ने मस्ती मे अपने ससुर की गंद को भींच लिया & अपनी टाँगो मे उनके चेहरे को. "..पता नही कैसे रवि & उसकी दोस्ती हो गयी & उसके बाद रवि ने किसी को भी उसे शांति कह के नही चिढ़ाने दिया.शंतु नाम भी रवि ने ही उसे दिया था.",उसकी चूत से जीभ हटा वो उसकी अन्द्रुनि जाँघो को चूमने लगे तो रीमा बेचैन हो उनकी जीभ फिर से चूत के अंदर लेने के लिए अपनी कमर हिलने लगी. "..यही पार्क के कोने वाला मकान मे रहता था वो & अक्सर रवि & शेखर के साथ खेलने आया करता था.",वो अपनी बहू का इशारा समझ फिर से उसकी चूत मे अपनी ज़ुबानफिराने लगे,"..रवि और शंतु तो हमेशा साथ-2 नज़र आते थे,जब रवि पुणे गया तभी उनकी जोड़ी टूटी.",जीभ की जगह अब उंगली ने ले ली थी,"..फिर तो पता नही वो कहा गायब हो गया.मैने तो उसे पता नही कब्से नही देखा." अपने ससुर के साथ जिस्म का खेल खेलती रीमा अब पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी पर उस मदहोशी मे भी उसके दिमाग़ मे सवाल घूम रहे थे कि अभी थोड़ी देर पहले शेखर ने उस से झूठ क्यू बोला?..और ये शंतु आख़िर कौन था? पर उस रात वो इन सवालो के बारे मे और नही सोच पाई क्यूकी उसके ससुर अब 1 बार फिर उसके उपर चढ़ कर उसकी चूत मे अपना लंड घुसा रहे थे. "क्या कर रहे हैं?!छ्चोड़िए नही तो आपकी फ्लाइट छूट जाएगी.",ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठी रीमा शेखर की बाहो मे कसमसा रही थी.सुबह के 10 बज रहे थे & कोई आधे घंटे पहले वीरेंद्र जी दफ़्तर जा चुके थे & थोड़ी देर मे शेखर को भी दिल्ली की फ्लाइट पकड़नी थी. "छूट जाने दो,अगली पकड़ लूँगा.",शेखर ने उसकी कमर को भींचते हुए उसके नर्म होटो पे अप[ने होंठ रख दिए.रीमा जानती थी कि उसके जिस्म की हवस मे अँधा हो शेखर बड़े आराम से ऐसा कर सकता है,पर इस से उसका मीना से मिलने का प्लान खटाई मे पड़ जाता & वो ये बिल्कुल नही चाहती थी. "पागल मत बानिए.चलिए छ्चोड़िए.",रीमा ने किस तोड़ उसकी छाती पे हाथ रख उसे परे धकेलने की कोशिश की. "इसके शांत हुए बिना कैसे जाऊं?",शेखर ने उसका हाथ पकड़ पॅंट मे क़ैद अपने लंड पे रख दिया.रीमा उसकी आँखो मे झाँक बड़ी अदा से मुस्कुराइ,उसे शेखर को भागने का रास्ता मिल गया था.उसने उसकी आँखो मे देखते हुए उसकी पॅंट की ज़िप खोली & उसका लंड निकाल अपने हाथ मे जाकड़ लिया. "आहह..!",शेखर ने आँखे बंद कर सोफे पे अपना सर टीका दिया.रीमा झुकी & उसके सूपदे को हौले से चूम लिया,शेखर के हाथ उसके बालो से खेलने लगे.कुच्छ देर तक वो सूपदे को हल्के-2 चूमते रही,फिर लंड को चूमते हुए उसकी जड़ तक आ गयी.उसने बारी-2 से उसके अंदो को अपने मुँह मे ले चूसना शुरू किया,साथ ही साथ वो अपने हाथ से लंड को हिला रही थी. शेखर तो पागल सा हो गया,रीमा का सर पकड़ उसने अपनी गोद मे दबा दिया & बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगा.रीमा ने उसके आंडो को आज़ाद किया & फिर जड़ से चूमते हुई सूपदे तक पहुँची & अपनी जीभ से लंड के छेद को छेड़ने लगी.शेखर का तो जोश से बुरा हाल था.उसने कमर उचका कर रीमा को लंड मुँह मे लेने का इशारा किया. रीमा ने नज़रे उठा कर शेखर की नज़रो से मिलाई & अपने होटो को लंड के गिर्द कस दिया.उसके मुँह के अंदर क़ैद शेखर के लंड पे कभी वो अपनी जीभ से वार करती तो कभी चुस्ती,उसकी उंगलिया उसकी झांतो मे घुस उसके आंडो को मसल रही थी.वो जानती थी की शेखर अब ज़्यादा नही रुक सकता,उसने 1 हाथ को आंडो पे बनाए रखा & दूसरे को लंड पे ला उसे हिलाते हुए चूसने लगी.शेखर इस तिहरे हमले को नही झेल पाया & उसके सर को जाकड़ अपनी कमर हिलाता हुआ उसके मुँह मे अपना विर्य छ्चोड़ने लगा.रीमा ने तुरंत उसका सारा पानी पी लिया & फिर लंड को मुँह से निकाल बचे हुए पानी को उसके सूपदे को चाट कर सॉफ कर दिया. शेखर उसे देखा मुस्कुराया & उठ कर बाथरूम चला गया.रीमा भी सोफे से टेक लगा के बैठ गयी.अपने जेठ के साथ खेले इस वासना के खेल ने उसे भी गरम कर दिया था पर उसने अपने जज़्बातो पे किसी तरह काबू किया हुआ था.तभी उसकी नज़र पास रखे शेखर के मोबाइल पे गयी,वो उसे उठा यू ही उलटने-पलटने लगी कि तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा. उसने मोबाइल ऑन कर कॉंटॅक्ट्स लिस्ट मे जा सर्च ऑप्षन खोला & नाम एंटर किया 'प्रशांत चौधरी'-पर इस नाम से कोई भी नंबर सेव्ड नही था.उसने फिर कोशिश की & नाम डाला 'शंतु'.इस बार वो चौंक कर सोफे से खड़ी हो गयी.उसकी आँखो के सामने मोबाइल स्क्रीन पे शंतु का नाम & नंबर दिख रहे थे.तभी बाथरूम फ्लश करने की आवाज़ आई,रीमा जैसे नींद से जागी.उसने दौड़ के लॅंडलाइन फोन के बगल मे रखे पॅड पे कलाम से वो नंबर लिखा & उसे उल्टा रख दिया ताकि किसी की नज़र उस पे ना पड़े.फिर मोबाइल बंद किया & भाग कर सोफे पे आके अपनी जगह पे बैठ गयी & मोबाइल भी उसकी जगह पे रख दिया. ------------------------------------------------------------------------------- "मीना मेडम तो बाहर गयी हैं.",क्लाइव रोड की 55 नंबर. की कोठी के बाहर खड़े गार्ड ने उस से कहा तो रीमा परेशान सी हो गयी. "वैसे आपको उनसे क्या काम था मेडम?" "मैं उसकी सहेली हू.कई सालो से मिली नही थी,आज मौका लगा था तो सोचा था कि मिल लू." "आप 1 मिनिट रुकिये मैं बड़ी मेडम,उनकी मा से पुचहता हू.",वो इनेटरकों पे नंबर मिलाने लगा. "मा जी आपको अंदर बुला रही हैं.जाइए मिल लीजिए." रीमा ने टॅक्सी वाले को रुकने को कह गेट के अंदर कदमा रखा तो दंग रह गयी-बंग्लॉ सच मे किसी महल की तरह आलीशान था.गेट से 1 नौकर उसे अंदर ले जा रहा था.रीमा को ये डर भी था की गणेश उसे यहा ना देख ले,वो अपना काम कर यहा से तुरंत निकल जाना चाहती थी. "आओ बेटी,यहा बैठो.",ड्रॉयिंग हॉल के सोफे पे बैठी उस भले चेहरे वाली बहुत मोटी औरत ने अपने बगल के सोफे की ओर इशारा किया,"माफ़ करना मैने तुम्हे पहचाना नही.वैसे भी इस लड़की की इतनी सहेलिया हैं,मैं बूढ़ी कहा तक सबको याद रखू!" "नमस्ते आंटी,मेरा नाम रीमा है.बहुत दीनो बाद यहा आई हू.मीना बाहर गयी है क्या?" "हां,बेटा देखो ना आज घर मे किटी पार्टी है,इतने सारे काम पड़े हैं & ये लड़की ऑफीस देखने चली गयी है." "अंकल के ऑफीस?" "अरे नही.काश ऐसा होता तो तुम्हारे अंकल तो खुशी से पागल हो जाते.इस लड़की को इंटीरियर डेकरेटर बनने का भूत सवार हुआ है तो सूरी साहब के लड़के के साथ उसका बिज़्नेस शुरू कर रही है." "ये तो बहुत अच्छी खबर आपने सुनाई आंटी.तो कहा खोल रही है ऑफीस?",ये बतुनी औरत तो खुद ही रीमा का काम आसान कर रही थी. "वो अंगद टॉवेर है ना,वो हमारी ही बिल्डिंग है,उसके 4थ फ्लोर पे थोड़ी जगह खाली थी,वही तुम्हारे अंकल ने उसे दे दी है.वही गयी है,अभी ऑफीस मे काम चल रहा है ना,अगले हफ्ते ही इनएग्रेशन है." "तो मैं वही जाके उस से मिल लेती हू,आंटी?,रीमा खड़ी हो गयी. "अरे नही बेटा,तुम बैठो ना.मीना भी थोड़ी देर मे आ जाएगी फिर हमारी पार्टी के बाद जाना." "थॅंक्स,आंटी पर बहुत देर हो जाएगी...और ऑफीस जाऊंगी तो मीना भी चौंक उठेगी.अच्छा आंटी,नमस्ते." ------------------------------------------------------------------------------- थोड़ी देर बाद रीमा की टॅक्सी अंगद टॉवेर की पार्किंग मे खड़ी थी & वो लिफ्ट की ओर जा रही थी.वो तो अच्छा हुआ की आज वीरेंद्र जी लंच करने घर नही आ रहे थे & उसके पास पूरा वक़्त था.घर से निकलते वक़्त शेखर की कार पे नज़र पड़ी तो 1 ख़याल आया की उसे ही लेकर निकले पर फिर लगा की टॅक्सी ही बेहतर होगी.रीमा ने बॅंगलुर मे ही ड्राइविंग सीखी थी,रवि ने कहा था कि कुच्छ ही दीनो बाद वो कार खरीदेगा तो उसे भी वो चलाना आना चाहिए. तभी लिफ्ट का दरवाज़ा खुला तो वो ख़यालो से बाहर आई.चौथा माला खाली पड़ा हुआ था,कुच्छ दुकानो के शटर गिरे हुए थे बस लिफ्ट के बाई ओर 1 ऑफीस खुला था.उसने दोनो तरफ झाँका तो पाया की उसके दाएँ हाथ की तरफ गलियारे के अंत मे रोशनी जल रही है.वो उधर जाने लगी. यही था मीना का ऑफीस पर यहा तो कोई नही था.वो अंदर गयी तो देखा की ऑफीस तो लगभग तय्यार था बस सफाई का काम बाकी था.1 बड़े से हॉल मे कुच्छ वर्कस्टॅशन्स बने थे & दाई तरफ 2 कॅबिन्स थे,उसने दोनो को देखा तो पाया कि दोनो बंद थे.तभी उसके कानो मे किसी के हँसने की आवाज़ आई.आवाज़ ऑफीस के दूसरे कोने से आई थी,वो उस दिशा मे चली गयी. ऑफीस की बाई दीवार की पूरी लंबाई मे 1 हॉल बना था,उस हॉल मे घुसने का दरवाज़ा ऑफीस के मेन दरवाज़े के बाई ओर थोड़ी दूरी पे था.रीमा उसपे खटखटाने ही जा रही थी कि तभी अंदर से हँसने की आवाज़ आई पर ये पहले वाली आवाज़ से अलग थी,वो समझ गयी कि अंदर 2 लोग हैं-1 मर्द & 1 औरत-उनकी आवाज़ो से उसे ये अनदज़ा हो गया था की अंदर दोनो वही खेल खेल रहे हैं जिसकी वो खुद बहुत बड़ी दीवानी थी. कही मीना तो अंदर किसी के साथ नही है?रीमा ने सोचा की क्यू ना छुप के दोनो को देखा जाए,मगर कैसे?दरवाज़ा तो बंद था.उसने देखा की हॉल की बाहरी दीवार के दूसरी छ्होर पे भी 1 दरवाज़ा है.उस तक जा उसे खोला तो वो खुल गया.रीमा अंदर दाखिल हुई तो देखा कि वो कोई स्टोर रूम है पर उसमे 1 दरवाज़ा और है जिसमे आइ लेवेल पे 4इन्चX4इंच का छेद कटा है,शायद उसमे शीशा लगाना बाकी था. रीमा ने दबे पाँव जाकर उस छेद से झाँका.अंदर 1 डेस्क पे 1 खूबसूरत लड़की बैठी थी,उसने 1 टॉप पहन रखा था & 1 शायद घुटनो तक की स्कर्ट.स्कर्ट की लंबाई उसे इसलिए नही पता चल पाई क्यूकी उस लड़की की जाँघो के बीच 1 लंबा चौड़ा जवान मर्द उस से इस कदर चिपका खड़ा था कि स्कर्ट लड़की की कमर तक आ गयी थी & बस दोनो के जिस्मो के बीच फँस के रह गयी थी. दोनो 1 दूसरे को बाहों मे भरे बड़ी गर्मजोशी से 1 दूसरे को चूम रहे थे.रीमा ने गौर से देखा तो पाया कि वो लड़की और कोई नही मीना थी.मीना बहुत गरम हो चुकी थी,उसने उस लड़के की शर्ट को पॅंट से निकाला & हाथ अंदर घुसा उसकी पीठ सहलाने लगी.अपनी टाँगो को उसके गिर्द लपेट जैसे वो उस से ऐसे लिपटी थी जैसे की अलग होने से उसकी जान चली जाएगी. उस लड़के ने चूमते हुए उसका टॉप उठा दिया & उसकी ब्रा मे क़ैद चूचिया मसल्ने लगा,फिर उसके ब्रा के कप्स उपर कर उनको आज़ाद कर दिया.बड़ी मस्त चूचिया थी मीना कि!रीमा भी मन ही मन उनक तारीफ किए बिना नही रह सकी,वो उसके जितनी बड़ी नही थी पर इतनी छ्होटी भी नही थी,चूचियो के सिरे पे 2 भूरे रंग के कड़े निपल्स चमक रहे थे.वो लड़का मीना को चूमते हुए उसके उभारो को अपने हाथो मे भर दबा रहा था. मीना ने अपने हाथ उसकी पीठ से हटा दिए & उन्हे अपने जिस्मो के बीच ला लड़के के पेट पे ले गयी.रीमा समझ गयी की अब वो उसकी पॅंट खोलेगी & ऐसा ही हुआ.पॅंट लड़के के टख़नो के गिर्द पड़ी थी.मीना किस तोड़ डेस्क से उतरी & ज़मीन पे अपने घुटनो पे बैठ उसके लंड को थाम लिया.दोनो ऐसे खड़े थे कि रीमा उन्हे साइड से देख रही थी.लड़के का लंड 6 इंच का तो होगा ही..उसने अंदाज़ा लगा..पर कितना मोटा था!उफ़फ्फ़!..और उसके आस-पास 1 भी बॉल नही था,रीमा ने बिना झांट का लंड पहली बार देखा था. अब तो रीमा की चूत भी गीली होने लगी थी.रीमा ने अपनी जीन्स के बटन को ढीला किया & अपना हाथ अंदर अपनी पॅंटी मे घुसा अपनी चूत को समझाने की कोशिश करने लगी.मीना तो लंड पे किसी भूखे की तरह टूट पड़ी थी.पहले उसने लंड के आस-पास की चिकनी जगह को चूमा & फिर उसके लुन्द को मुँह मे भर अपनी जीभ उस पे चलाने लगी.वो लड़का उसके सर को था,उसका नाम लेते हुए आहें भरने लगा. मीना काफ़ी देर तक उसके लंड & आंडो को चूमती,चुस्ती & चाटती रही.रीमा ने अपनी चूत मे उंगली करते हुए लड़के के चेहरे को देखा,साफ ज़ाहिर था कि लड़का अब झाड़ जाएगा.उसने 1 झटके मे मीना को पकड़ कर उठाया & फिर से डेस्क पे बैठा दिया.1 पल को दोनो बस 1 दूसरे की आँखो मे झाँकते रहे,फिर लड़के ने उसकी स्कर्ट को कमर तक उठाया & खींच कर उसकी पॅंटी निकाल दी.रीमा ने देखा कि मीना की चूत भी उसकी तरह गुलाबी & बिना बालो के थी.लड़के ने 2 उंगलिया उसमे डाल के थोड़ी देर रगडी तो मीना आहें भरने लगी,चूत पूरी तरह से गीली थी.लड़के ने उंगलिया बाहर निकाली & मीना को देखते हुए मुस्कुरा के चाट ली.रीमा भी मुस्कुराइ & उसे अपनी ओर खींचा. लड़के उसकी टाँगो के बीच आया & उसकी जाँघो को उठा के अपनी बाहों मे फँसा लिया. "आऐईयईए....!",मीना चीखी क्यूकी लड़के ने 1 ही झटके मे उसकी चूत मे अपना पूरा लंड घुसा दिया था.दोनो 1 बार फिर 1 दूसरे से लिपट गये & चूमते हुए 1 दूसरे को चुदाई करने लगे.लड़का पूरा लंड बाहर निकलता & फिर पूरा का पूरा मीना की नाज़ुक चूत मे पेल देता.मीना तो बस उस से चिपकी उसे चूमती हुई धक्को का मज़ा ले रही थी. थोड़ी देर बाद लड़के ने रफ़्तार बढ़ा दी & मीना भी अपनी कमर कुच्छ ज़्यादा ही हिलाने लगी,रीमा समझ गयी कि अब दोनो झड़ने वाले हैं तो उसने अभी अपनी उंगली की रफ़्तार तेज़ कर दी.दोनो चिपते हुए थे & लड़का पागलो की तरह धक्के मार रहा था कि तभी मीना का बदन जैसे ऐंठने लगा.उसने लड़के होंठ छ्चोड़ दिए & उसकी गर्दन मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी,लड़का भी अचानक जैसे झटके खाने लगा & उसका नाम लेता हुए उसकी चूत मे झड़ने लगा.ठीक उसी वक़्त रीमा की उंगकी ने भी 1 आख़िरी बार उसके दाने को रगड़ & वो भी उन दोनो के साथ झाड़ गयी. रीमा ने अपनी जीन्स के बटन को वापस बंद किया & उस वक़्त उसके दिमाग़ मे बस 1 ही बात घूम रही थी कि अगर भगवान भी कहे कि मीना लेज़्बीयन है तो विश्वास नही करेगी.अभी जिस ग्रंजोशी & शिद्दत से उसने उसे उस लड़के के लंड के साथ खेलते & उस से चुद्ते देखा था-वो किसी ऐसी लड़की के बस की बात नही थी जो लड़को का नापसंद करती हो.उसने दोनो को संभालने का कुच्छ वक़्त दिया फिर स्टोर रूम से निकल वापस ऑफीस के मैं दरवाज़े पे आ गयी & वाहा नॉक कर थोडा ज़ोर से बोली,"कोई है?" थोड़ी देर बाद हॉल का दरवाज़ा खुला & वो लड़का बाहर निकला,"यस?" "हाई!मेरा नाम रीमा है & मैं मीना जी से मिलने आई हू." तभी हॉल के दरवाज़े से निकल उस लड़के के पीछे से मीना आ गयी. "हाई..तुम रीमा हो..रवि की-.." "हां,मैं वही हू." वो आगे आई & रीमा के दोनो हाथ पकड़ लिए,"आइ'एम सॉरी अबौट रवि...तुम यहा कैसे आ गयी...आओ बैठो ना?",हाथ पकड़ उसे 1 वर्कस्टेशन की कुर्सी खींच कर उसे बिठाया,जिसपे अभी तक पॅकिंग्स हीट लगी थी. "ओह्ह,मैने तुम दोनो का इंट्रोडक्षन नही कराया..ये करण सूरी हैं मेरे बिज़्नेस पार्ट्नर & ये रीमा है..रवि की वाइफ..",उसने रीमा की ओर देखा,"करण मेरे बारे मे सब जानता है,रीमा." "आप दोनो बाते कीजिए,मैं ज़रा कुच्छ काम देख कर आता हू.और हां अभी नीचे से कॉफी भी भिजवा रहा हू",कारण वहा से निकल गया. KHILONA --paart--14 "AANNHHH...AANNHHHHHHH..AANNHHHHHHH...!",Reema apne sasur ke bistar pe unke neeche padi,unke tez dhakko ka maza le rahi thi,"ha..aan..ha..ann..aise hi kar...iye..AAHHHHHHH.....PI..TAAAAAAJII..!",apni baaho me unhe bheech,unse chipak kar vo jhad gayi & uske sath hi tez saanse bharte hue Virendra ji ne bhi uski chut me apne lund ko khali kar diya. thodi der baad apni bahi ki chut se lund nikal unhone palang se utar uski bagal me rakhi side table se pani ki bottle utha ka apne munh se laga li. reema karwat lekar unki or dekhne lagi,us se kuchh hi duri pe uske & uske sasur ke ras se gila virendra ji ka sikuda lund latak raha tha,usne hath badha kar use tham liya & jhanto me apni ungliya firane lagi,"aap ravi ke jaan-pehchan ke kisi shantu naam ke aadmi ko jante the. "haa,kyu?",virendra ji apni bahu ki is garam harkat pe muskuraye. "bas yu hi.ravi ki telephone diary me uska naam dikha to aapse puchh liya.kaun hai vo?",usne unke ando ko apne hatho me daba liya. "Prashant Chaudhry.",virendra ji palang pe chadh ghutno ke bal khade ho gaye to reema bhi kohni pe uchak kar uthi & apni jibh se lund pe lage pani ko saaf karne lagi.virendra ji uske baalo me pyar se hath firane laga,"..ravi ka sabse achha dost.bachpan se hi shantu bada kamzor & chup-2 rehne vala ladka tha.",reema ne lund ko munh me bhar use hilate hue chusna shuru kar diya,"..is wajah se baki bachche use shanti keh ke chidhate the...uski kuchh harkate bhi ladkiyo jaisi thi." viendra ji ne bina lund munh se nikale reema ko litaya & uske upar chadh 69 position me aake,uski taango ke beech apna chehra daba diya,"ummm...!",chut pe sasur ki jibh mehsus karte hi reema ne masti me apne sasur ki gand ko bheench liya & apni tango me unke chehre ko. "..pata nahi kaise ravi & uski dosti ho gayi & uske baad ravi ne kisi ko bhi use shanti kah ke nahi chidhane diya.shantu naam bhi ravi ne hi use diya tha.",uski chut se jibh hata vo uski andruni jangho ko chumne lage to reema bechain ho unki jibh fir se chut ke andar lene ke liye apni kamar hilane lagi. "..yahi park ke kone wala makan me rahta tha vo & aksar ravi & shekhar ke sath khelne aaya karta tha.",vo apni bahu ka ishara samajh fir se uski chut me apni zuban firane lage,"..ravi aur shantu to hamesha sath-2 nazar aate the,jab ravi pune gaya tabhi unki jodi tuti.",jibh ki jagah ab ungli ne le li thi,"..fir to pata nahi vo kaha gayab ho gaya.maine to use pata nahi kabse nahi dekha." apne sasur ke sath jism ka khel khelti reema ab puri tarah se madhosh ho chuki thi par us madhoshi me bhi uske dimagh me sawal ghum rahe the ki abhi thodi der pehle Shekhar ne us se jhuth kyu bola?..aur ye shantu aakhir kaun tha? par us raat vo in sawalo ke bare me aur nahi soch payi kyuki uske sasur ab 1 baar fir uske upar chadh kar uski chut me apna lund ghusa rahe the. "Kya kar rahe hain?!chhodiye nahi to aapki flight chhut jayegi.",drawing room ke sofe pe baithi Reema Shekhar ki baaho me kasmasa rahi thi.subah ke 10 baj rahe the & koi aadhe ghante pehle Virendra ji daftar ja chuke the & thodi der me shekhar ko bhi dilli ki flight pakadni thi. "chhut jane do,agli pakad lunga.",shekhar ne uski kamar ko bheenchte hue uske narm hotho pe ap[ne honth rakh diye.reema janti thi ki uske jism ki hawas me andha ho shekhar bade aaram se aisa kar sakta hai,par is se uska mina se milne ka plan khatai me pad jata & vo ye bilkul nahi chahti thi. "pagal mat baniye.chaliye chhodiye.",reema ne kiss tod uski chhati pe hath rakh use pare dhakelne ki koshish ki. "iske shant hue bina kaise jaoon?",shekhar ne uska hath pakad pant me qaid apne lund pe rakh diya.reema uski aankho me jhank badi ada se muskurayi,use shekhar ko bhagane ka rasta mil gaya tha.usne uski aankho me dekhte hue uski pant ki zip kholi & uska lund nikal apne hath me jakad liya. "aahhh..!",shekhar ne aankhe band kar sofe pe apna sar tika diya.reema jhuki & uske supade ko haule se chum liya,shekhar ke hath uske baalo se khelne lage.kuchh der tak vo supade ko halke-2 chumte rahi,fir lund ko chumte hue uski jad tak aa gayi.usne bari-2 se uske ando ko apne munh me le chusna shuru kiya,sath hi sath vo apne hath se lund ko hila rahi thi. shekhar to pagal sa ho gaya,reema ka sar pakad usne apni god me daba diya & bechaini se apni kamar hilane laga.reema ne uske ando ko azad kiya & fir jad se chumte hui supade tak pahunchi & apni jibh se lund ke chhed ko chhedne lagi.shekhar ka to josh se bura haal tha.usne kamar uchka kar reema ko lund munh me lene ka ishara kiya. reema ne nazre utha kar shekhar ki nazro se milayi & apne hotho ko lund ke gird kas diya.uske munh ke andar qaid shekhar ke lund pe kabhi vo apni jibh se vaar karti to kabhi chusti,uski ungliya uski jhanto me ghus uske ando ko masal rahi thi.vo janti thi ki shekhar ab zyada nahi ruk sakta,usne 1 hath ko ando pe banaye rakha & dusre ko lund pe la use hilate hue chusne lagi.shekhar is tihre humle ko nahi jhel paya & uske sar ko jakad apni kamar hilata hua uske munh me apna virya chhodne laga.reema ne turant uska sara pani pi liya & fir lund ko munh se nikal bache hue pani ko uske supade ko chat kar saaf kar diya. shekhar use dekha muskuraya & uth kar bathroom chala gaya.reema bhi sofe se tek laga ke baith gayi.apne jeth ke sath khele is vasna ke khel ne use bhi garam kar diya tha par usne apne jazbato pe kisi tarah kabu kiya hua tha.tabhi uski nazar paas rakhe shekhar ke mobile pe gayi,vo use utha yu hi ulatne-palatne lagi ki tabhi uske dimagh me 1 khayal kaundha. usne mobile on kar contacts list me ja search option khola & naam enter kiya 'prashant chaudhry'-par is naam se koi bhi number saved nahi tha.usne fir koshish ki & naam dala 'shantu'.is baar vo chaunk kar sofe se khadi ho gayi.uski aankho ke samne mobile screen pe shantu ka naam & number dikh rahe the.tabhi bathroom flush karne ki aavaz aayi,reema jaise neend se jaagi.usne daud ke landline phone ke bagal me rakhe pad pe kalam se vo number likha & use ulta rakh diya taki kisi ki nazar us pe na pade.fir mobile band kiya & bhag kar sofe pe aake apni jagah pe baith gayi & mobile bhi uski jagah pe rakh diya. ------------------------------------------------------------------------------- "mina madam to bahar gayi hain.",clive road ki 55 no. ki kothi ke bahar khade guard ne us se kaha to reema pareshan si ho gayi. "vaise aapko unse kya kaam tha madam?" "main uski saheli hu.kai saalo se mili nahi thi,aaj mauka laga tha to socha tha ki mil lu." "aap 1 minute rukiye main badi madam,unki maa se puchhta hu.",vo inetrcom pe number milane laga. "maa ji aapko andar bula rahi hain.jaiye mil lijiye." reema ne taxi vale ko rukne ko kah gate ke andar kadma rakha to dang rah gayi-bunglow sach me kisi mahal ki tarah aalishan tha.gate se 1 naukar use andar le ja raha tha.reema ko ye darr bhi tha ki ganesh use yaha na dekh le,vo apna kaam kar yaha se turant nikal jana chahti thi. "aao beti,yaha baitho.",drawing hall ke sofe pe bathi us bhale chehre vali bahut moti aurat ne apne bagal ke sofe ki or ishara kiya,"maaf karna maine tumhe pehchana nahi.vaise bhi is ladki ki itni saheliya hain,main budhi kaha tak sabko yaad rakhu!" "namste aunty,mera naam reema hai.bahut dino baad yaha aayi hu.mina bahar gayi hai kya?" "haan,beta dekho na aaj ghar me kitty party hai,itne sare kaam pade hain & ye ladki office dekhne chali gayi hai." "uncle ke office?" "are nahi.kash aisa hota to tumhare uncle to khushi se pagal ho jate.is ladki ko interior decorator banane ka bhut savar hua hai to suri sahab ke ladke ke sath uska business shuru kar rahi hai." "ye to bahut achhi khabar aapne sunayi aunty.to kaha khol rahi hai office?",ye batuni aurat to khud hi reema ka kaam aasan kar rahi thi. "vo angad tower hai na,vo humari hi building hai,uske 4th floor pe thodi jagah khali thi,vahi tumhare uncle ne use de di hai.vahi gayi hai,abhi office me kaam chal raha hai na,agle hafte hi inaugration hai." "to main vahi jake us se mil leti hu,aunty?,reema khadi ho gayi. "are nahi beta,tum baitho na.mina bahi thodi der me aa jayegi fir humari party ke baad jana." "thanx,aunty par bahut der ho jayegi...aur office jaoongi to mina bhi chaunk uthegi.achha aunty,namaste." ------------------------------------------------------------------------------- thodi der baad reema ki taxi angad tower ki parking me khadi thi & vo lift ki or ja rahi thi.vo to achha hua ki aaj Virendra ji lunch karne ghar nahi aa rahe the & uske paas pura waqt tha.ghar se nikalte waqt shekhar ki car pe nazar padi to 1 khayal aaya ki use hi lekar nikale par fir laga ki taxi hi behtar hogi.reema ne bangalore me hi driving sikhi thi,ravi ne kaha tha ki kuchh hi dino baad vo car kharidega to use bhi vo chalan aana chahiye. tabhi lift ka darwaza khula to vo khayalo se bahar aayi.chautha mala khali pada hua tha,kuchh dukano ke shutter gire hue the bas lift ke baayi or 1 office khula tha.usne dono taraf jhanka to paya ki uske daayen hath ki taraf galiyare ke ant me roshni jal rahi hai.vo udhar jane lagi. yehi tha mina ka office par yaha to koi nahi tha.vo andar gayi to dekha ki office to lagbhag tayyar tha bas safai ka kaam baki tha.1 bade se hall me kuchh workstations bane the & dayi taraf 2 cabins the,usne dono ko dekha to paya ki dono band the.tabhi uske kano me kisi ke hansne ki aavaz aayi.aavaz office ke dusre kone se aayi thi,vo us disha me chali gayi. office ki baayi deewar ki puri lambai me 1 hall bana tha,us hall me ghusne ka darwaza office ke main darwaze ke baayi or thodi duri pe tha.reema uspe khatkhatane hi ja rahi thi ki tabhi andar se hansne ki aavaz aayi par ye pehle vali aavaz se alag thi,vo samajh gayi ki andar 2 log hain-1 mard & 1 aurat-unki aavazo se use ye anadza ho gaya tha ki anadr dono vahi khel khel rahe hain jiski vo khud bahut badi deewani thi. kahi mina to andar kisi ke sath nahi hai?reema ne socha ki kyu na chhup ke dono ko dekha jaye,magar kaise?darwaza to band tha.usne dekha ki hall ki bahri deewar ke dusri chhor pe bhi 1 darwaza hai.us tak ja use khola to vo khul gaya.reema andar dakhil hui to dekha ki vo koi store room hai par usme 1 darwaza aur hai jisme eye level pe 4inchX4inch ka chhed kata hai,shayad usme sheesha lagana baki tha. reema ne dabe paanv jakar us chhed se jhanka.andar 1 desk pe 1 khubsurat ladki baithi thi,usne 1 top pahan rakha tha & 1 shayad ghutno tak ki skirt.skirt ki lambai use isliye nahi pata chal payi kyuki us ladki ki jangho ke beech 1 lamba chauda jawan mard us se is kadar chipka khada tha ki skirt ladki ki kamar tak aa gayi thi & bas dono ke jismo ke beech phans ke rah gayi thi. dono 1 dusre ko baahon me bhare badi garmjoshi se 1 dusre ko chum rahe the.reema ne gaur se dekha to paya ki vo ladki aur koi nahi mina thi.mina bahut garam ho chuki thi,usne us ladke ki shirt ko pant se nikala & hath andar ghusa uski pith sehlane lagi.apni taango ko uske gird lapet jaise vo us se aise lipati thi jaise ki alag hone se uski jaan chali jayegi. us ladke ne chumte hue uska top utha diya & uski bra me qaid choochiya masalne laga,fir uske bra ke cups upar kar unko aazad kar diya.badi mast chhatiyan thi mina ki!reema bhi man hi man unk tareef kiye bina nahi reh saki,vo uske jitni badi nahi thi par itni chhoti bhi nahi thi,chhatiyo ke sire pe 2 bhure rang ke kade nipples chamak rahe the.vo ladka mina ko chumte hue uske ubharo ko apne hatho me bhar daba raha tha. mina ne apne hath uski pith se hata diye & unhe apne jismo ke beech la ladke ke pet pe le gayi.reema samajh gayi ki ab vo uski pant kholegi & aisa hi hua.pant ladke ke takhno ke gird padi thi.mina kiss tod desk se utari & zameen pe apne ghutno pe baith uske lund ko tham liya.dono aise khade the ki reema unhe side se dekh rahi thi.ladke ka lund 6 inch ka to hoga hi..usne andaza laga..par kitna mota tha!ufff!..aur uske aas-paas 1 bhi baal nahi tha,reema ne bina jhant ka lund pehli baar dekha tha. ab to reema ki chut bhi gili hone lagi thi.reema ne apni jeans ke button ko dheela kiya & apna hath andar apni panty me ghusa apni chut ko samjhane ki koshish karne lagi.mina to lund pe kisi bhookhe ki tarah toot padi thi.pehle usne lund ke aas-paas ki chikni jagah ko chuma & fir uske luind ko munh me bhar apni jibh us pe chalane lagi.vo ladka uske sar ko tha,uska naam lete hue aahen bharne laga. mina kafi der tak uske lund & ando ko chumti,chusti & chaatati rahi.reema ne apni chut me ungli karte hue ladke ke chehre ko dekha,saaf zahir tha ki ladka ab jhad jayega.usne 1 jhatke me mina ko pakad kar uthaya & fir se desk pe biotha diya.1 pal ko dono bas 1 dusre ki aankho me jhankte rahe,fir ladke ne uski skirt ko kamar tak uthaya & khinch kar uski panty nikal di.reema ne dekha ki mina ki chut bhi uski tarah gulabi & bina baalo ke thi.ladke ne 2 ungliya usme daal ke thodi der ragdi to mina aahen bharne lagi,chut puri tarah se gili thi.ladke ne ungliya bahar nikali & mina ko dekhte hue muskura ke chat li.reema bhi muskurayi & use apni or kheencha. ladke uski taango ke beech aaya & uski jangho ko utha ke apni baahon me phansa liya. "AAAIYYEEE....!",mina chikhi kyuki ladke ne 1 hi jhatke me uski chut me apna pura lund ghusa diya tha.dono 1 baar fir 1 dusre se lipat gaye & chumte hue 1 dusre ko chudai karne lage.ladka pura lund bahar nikalta & fir pura ka pura mina ki nazuk chut me pel deta.mina to bas us se chipki use chumti hui dhakko ka maa le rahi thi. thodi der baad ladke ne raftar badha di & mina bhi apni kamar kuchh zyada hi hilane lagi,reema samajh gayi ki ab dono jhadne wale hain to usne abhi apni ungli ki raftar tez kar di.dono chipte hue the & ladka ba pagalo ki tarah dhakke maar raha tha ki tabhi mina ka badna jaise ainthne laga.usne ladke honth chhod diye & uski gardan me munh chhupa subakne lagi,ladka bhi achanak jaise jhatke khane laga & uska naam leta hue uski chut me jhadne laga.thik usi waqt reema ki ungki ne bhi 1 aakhiri baar uske dane ko ragad & vo bhi un dono ke sath jhad gayi. reema ne apni jeans ke button ko vapas band kiya & us waqt uske dimagh me bas 1 hi baat ghum rahi thi ki agar bhagwan bhi kahe ki mina lesbian hai to vishwas nahi karegi.abhi jis gramjoshi & shiddat se usne use us ladke ke lund ke sath khelte & us se chudte dekha tha-vo kisi aisi ladki ke bas ki baat nahi thi jo ladko ka napasand karti ho.usne dono ko sambhalne ka kuchh waqt diya fir store room se nikal vapas office ke main darwaze pe aa gayi & vaha knock kar thoda zor se boli,"koi hai?" thodi der baad hall ka darwaza khula & vo ladka bahar nikla,"yes?" "hi!mera naam reema hai & main mina ji se milne aayi hu." tabhi hall ke darwaze se nikal us ladke ke peechhe se mina aa gayi. "hi..tum reema ho..ravi ki-.." "haan,main vahi hu." vo aage aayi & reema ke dono hath pakad liye,"i'm sorry about ravi...tum yaha kaise aa gayi...aao baitho na?",hath pakad use 1 workstation ki kursi khinch kar use bithaya,jispe abhi tak packings heet lagi thi. "ohh,maine tum dono ka introduction nahi karaya..ye karan suri hain mere business partner & ye reema hai..ravi ki wife..",usne reema ki or dekha,"karan mere bare me sab janta hai,reema." "aap dono baate kijiye,main zara kuchh kaam dekh kar aata hu.aur haan abhi neeche se coffe bhi bhijwa raha hu",karan vaha se nikal gaya.






























































































































































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