raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--15
"हां,अब बोलो.तुम पंचमहल कब आई?..& कब तक हो यहा? "कुच्छ ही दिन हुए हैं यहा आए हुए.मा जी को देखने आई थी.अब देखिए कितने दीनो तक यहा हू.",रीमा ने 1 गहरी साँस भरी,"रवि हमेशा आपकी बातें किया करता था,पिच्छले 1 साल मे कभी मौका ही नही लगा आपसे मिलने का & यहा आई तो आपके & शेखर भाय्या के बारे मे पता चला...पर 1 बार आपसे मिलने को खुद को रोक नही पाई." "कोई बात नही!वैसे भी तुमसे मुझे क्या शिकायत हो सकती है",उसने रीमा का हाथ पकड़ लिया,"..बल्कि अच्छा किया जो आ गयी,मैं भी तुम्हे देखना चाहती थी..रवि ने तुम्हारी तस्वीर दिखाई थी..तुम तो उस से कही ज़्यादा सुंदर हो." "क्या आप भी1",रीमा ने शर्मा के आँखे नीची कर ली,"मैं यहा आने से पहले आपके घर गयी थी,वाहा आंटी-आपकी मा ने यहा का पता दिया.मैने उनसे कहा कि मैं आपकी सहेली हू क्यूकी मुझे पता नही था कि मेरी असलियत जानने पे उन्हे अच्छा लगेगा या नही." "कोई बात नही,रीमा",मीना हँसी,1 लड़का 2 कप कॉफी रख गया था,उसने 1 रीमा को दिया & दूसरे से खुद 1 घूँट भरा,"देखो,हमे अगर किसी से कोई शिकायत है तो शेखर से,और किसी से नही.मेरा भी दिल करता है कि कभी घर आके आंटी को देखु,अंकल से मिलू..मैं बचपन से उस परिवार को जानती हू,रीमा.तुमने आंटी को बस बिस्तर पे पड़े देखा है,मैने उनका वो ख़ुशदील,हँसमुख चेहरा देखा है." "शेखर से शादी के बाद मैने खुद को दुनिया की सबसे किस्मतवाली लड़की समझा था पर उसने मेरा ये गुमान बस 1 महीने मे तोड़ दिया..बहुत ही घटिया & मतलबी इंसान है वो..कहते हैं ना 1 मछ्लि सारे तालाब को गंदा करती है-तो समझ लो शेखर वो मछ्लि है." अपने दिल की भादस निकाल मीना शांत हो गयी. "ये कारण.." "तुम ठीक समझ रही हो.बस दुआ करो कि इस बार मैं ग़लत नही हू." "कैसी बात करती हैं!अब सब कुच्छ ठीक रहेगा.",उसने अपनी घड़ी पे 1 नज़र डाली,"अब मैं चलती हू,बहुत देर हो गयी है.",कॉफी का कप रख वो खड़ी हो गयी. "अरे,मेरे साथ घर चलो ना,वाहा पार्टी है,बड़ा मज़ा आएगा!" "थॅंक्स,पर फिर कभी आऊँगी.आज सच मे देर हो गयी है." "ओके.",मीना खड़ी हुई & रीमा को गले लगा लिया,"पर आना ज़रूर.खूब बातें करेंगे." "ओके,बाइ!" "बाइ!" ------------------------------------------------------------------------------- वापस आ रीमा ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठ गयी,वो थोडा तक गयी थी.आज दिन भर की बातें उसके दिमाग़ मे घूम रही थी..शेखर तो पक्का झूठा था!उसेन मीना के बारे मे झूठ बोला था..वो तो 1 आम लड़की थी जिसे मर्द & मर्द के साथ चुदाई पसंद थी...& शंतु..अरे उसका नंबर निकाला था शेखर के मोबाइल से.ख़याल आते ही उसने फोन के पास रखे पॅड को उठाया. ये उस इंसान का नंबर था जिसने रवि से मौत के पहले आख़िरी बार बात की थी.आज वक़्त आ गया था कि वो इस इंसान से सवाल कर पुच्छे कि आख़िर वो उसके पति के बारे मे क्या जानता था.अपना मोबाइल उठा उसने वो नंबर डाइयल किया,घंटी काफ़ी देर तक बजती रही पर फिर किसी ने फोन उठाया. "हेलो." "हेलो,मिस्टर.प्रशांत चौधरी?" "यस,स्पीकिंग." "हेलो,शंतु जी कैसे हैं आप?" "कौन बोल रहा है?",आवाज़ चौकन्नि हो गयी थी. "शंतु जी,आज आप सवाल नही करेंगे सिर्फ़ जवाब देंगे.आख़िर ऐसी क्या बात थी की अपने सबसे जिगरी दोस्त कि मौत पे आप 1 बार भी अफ़सोस जताने नही आए जबकि मौत के दिन आप ही वो शख्स थे जिसने उस से आख़िरी बार बात की थी?" शंतु खामोश था,पर लग रहा था कि वो किसी भीड़ भरे इलाक़े मे है & रीमा के कानो मे वाहा का शोर सुनाई दे रहा था. "क्या हुआ?चुप क्यू हो गये?जवाब दीजिए." "आप रीमा बोल रही हैं ना?" "तो आप मुझे पहचान गये?" "जी.और आपके सभी सवालो का जवाब भी देने को तैय्यार हू.कल 11 बजे दिन मे मेरे घर आ जाइए." "कल क्यू?आज क्यू नही?" "क्यूकी आज मैं दिल्ली मे हू.मेरा यकीन कीजिए,कल मेरे घर..मेरा पता लिखिए..212,पांचल अपार्टमेंट्स,एम.जी.रोड..यहा पे 11 बजे आइए,मैं जो जानता हू आपको बताऊँगा." "ठीक है.",& फोन कट गया.कही शंतु कोई चाल तो नही चल रहा था?कही इसमे रीमा को कोई ख़तरा तो नही था?जो भी हो अब कल वो इस पते ज़रूर जाएगी.रीमा ने पॅड से वो काग़ज़ फाड़ कर अपने हॅंडबॅग मे डाला & अपने कमरे मे चली गयी. ------------------------------------------------------------------------------- उस शाम वीरेंद्र जी आठ बजे तक घर आ गये & उसके बाद उन्होने सुबह 7 बजे तक उसे कपड़े नही पहनने दिए.पूरे वक़्त वो उनकी बाहो मे क़ैद या तो उनसे चुद्ति रही या उनकी गरम हर्कतो का लुत्फ़ उठाती रही.विरेन्द्र जी ने उसकी चूत मे 3 बार अपना विर्य गिराया & वो तो ना जाने कितनी बार झड़ी-3 के बाद उसने गिनना छ्चोड़ दिया था.कल रात उसने भी पहले से कही ज़्यादा जोश के साथ अपने ससुर का चुदाई मे साथ दिया था.इसकी वजह थी कि कल उसे ये यकीन हो गया थी कि जहा उसका जेठ 1 झूठा इंसान है वही उसके ससुर 1 भरोसेमंद,नेक्दिल शख्स हैं. उनके दफ़्तर जाने के बाद नहा कर रीमा तैय्यार हो घर से निकली.1 बार फिर शेखर की कार निकालने का ख़याल उसे आया पर फिर उसने टॅक्सी करना ही बेहतर समझा.आज उसने हल्के नीले रंग की टाइट जींस & उसके उपर पूरे बाज़ुओं वाली काले रंग की शॉर्ट कुरती पहनी थी & आँखो पे काला चश्मा भी था.कोई 10:45 पे वो पांचाल अपार्टमेंट के गेट पे टॅक्सी से उतर रही थी. चश्मे को अपनी आँखो से उपर अपने सर पे अटका कर उसने गेट पे खड़े गार्ड से कहा,"212 नंबर फ्लॅट की-.." "सीधे जाके दाहिने मूड जाइएएगा & लिफ्ट से दूसरा मंज़िल पे चले जाइए,ओही पे है..आपके बाकी सन्गि-साथी भी वही आपको मिल जावेंगे..",गार्ड ने उसके सवाल को बीच मे ही काटते हुए,खैनि मसल्ते हुए जवाब दिया. रीमा थोड़ा हैरान हो उसके बताए रास्ते पे चल पड़ी,दाए मुड़ते ही उसने देखा कि पोलीस की 2 क़ार्स & टीवी चॅनेल्स की 3-4 अब वॅन्स खड़ी हैं.अपार्टमेंट के कुच्छ लोग भी नीचे खड़े उपर बिल्डिंग की तरफ देखते हुए बाते कर रहे थे. रीमा ने लिफ्ट ली,उसके साथ कुच्छ टीवी कॅमरमेन & उनके साथी भी लिफ्ट मे थे.सारे लोग दूसरी मंज़िल पे उतर गये.रीमा उनके पीछे चल रही थी.इस फ्लोर पे तो बस पोलीस वाले & चॅनेल्स वाले घूम रहे थे & सभी जिस फ्लॅट मे जा रहे थे उसका नंबर था 212. रीमा ने देखा की वाहा 2-3 लड़किया उसी के जैसे कपड़ो मे टीवी न्यूज़ के लिए बाइट रेकॉर्ड करने की तैय्यरी मे थी..तो गार्ड ने उसे रिपोर्टर समझा था.किसी चॅनेल का रिपोर्टर & कॅमरमन 212 नंबर मे घुस रहे थे,रीमा भी धड़कते दिल से उनके पीछे हो ली. अंदर घुसते ही रीमा के मुँह से चीख निकलते-2 रह गयी,उसने बड़ी मुश्किल से अपनी घबराहट पे काबू किया,सामने का नज़ारा था ही ऐसा-पंखे से 1 जवान लड़के की लाश झूल रही थी.कमरे मे चारो तरफ पोलीस वाले फैले हुए थे,"बाहर चलो भाई..आप लोग यहा नही आओ..हमे काम करने दो.",1 हवलदार उनकी तरफ आ रहा था. रीमा बाहर निकल आई,उसकी कुच्छ समझ मे नही आ रहा था क्या यही शंतु था?अगर हा तो उसके साथ ये कैसे हो गया? "सर,प्लीज़.पहले हमे बाइट दीजिए.",शायद इनस्पेक्टर आ गया था. "ओके.आप लोग सब 1 लाइन से खड़े हो जाओ..चलो..हां..अब साहब से पुछो.",उस हवलदार ने सारे रिपोर्टर्स से कहा.रीमा कुच्छ दूर पे खड़ी सब देख रही थी. "सर,हादसे के बारे मे कैसे पता चला & ये आदमी कौन है?",सवालो का सिलसिला शुरू हो गया. "इसका नाम प्रशांत चौधरी है,ये अभी कुच्छ दीनो पहले दुबई से यहा आया था,वाहा ये 1 प्राइवेट कंपनी मे काम करता था & उसी कंपनी ने इसे यहा भेजा था.आज सुबह इसने ना नौकरानी के लिए दरवाज़ा खोला, ना ही दूधवाले से दूध लिया तो उन दोनो ने पड़ोसियो को कहा.फिर हमे खबर दी गयी.हमने ताला तोड़ा तो अंदर इस आदमी की लाश पंखे से लटक रही थी." "सर,आपको क्या लगता है,मौत कैसे हुई है?" "देखो,प्रीमा फेसी तो स्यूयिसाइड का केस लगता है,लाश के पास टेबल पे 1 स्यूयिसाइड नोट भी पड़ा था जिसे पढ़ के हमे लगता है ये डिप्रेशन का मरीज़ था.आगे तो हम पोस्ट मॉर्टेम के बाद ही कुच्छ कह सकते हैं." "सर,मरनेवाला कैसा शख्स था?उसके परिवार को खबर हो गयी है?" "सर..सर,वो यहा अकेला रहता था क्या?" "हां,वो यहा अकेला रहता था,किसी से ज़्यादा बात भी नही करता था,उस से मिलने भी बहुत कम लोग आते थे.उसकी फॅमिली के बारे मे हम पता लगा रहे हैं ,एप्र इसके माता-पिता तो काफ़ी पहले मर चुके हैं,हम इसके किसी और रिश्तेदार का पता ढूंड रहे हैं." रीमा से अब वाहा खड़ा होना मुश्किल था,वो किसी तरह नीचे आई & टॅक्सी मे बैठ घर चली गयी.घर मे घुसते ही उसने फ्रिड्ज खोला & पानी की बॉटल निकल उसे मुँह से लगा लिया & 1 ही साँस मे उसे खाली कर दिया.बाथरूम मे जा उसने अपने मुँह पे पानी के छ्चीनटे मारे-अब भी उसकी आँखो के सामने शंतु की लटकती लाश घूम रही थी & साथ ही ये ख़याल की कही इसके पीछे उसके जेठ का हाथ तो नही.उसने तय कर लिया कि आज वो अपने ससुर को सब बताएगी सिवाय इसके की अपने जेठ से उसके दिल के राज़ जानने के लिए वो उसके साथ भी चुदाई करती रही है. जब वो थोडा शांत हुई तो उसे अपनी सास का ख़याल आया.कमरे मे गयी तो वो सोई हुई थी,उसने उन्हे जगाने की कोशिश की-उनके खाने का वक़्त हो गया था,पर वो नही उठी. "मा जी..मा जी!",रीमा उन्हे हिलाने लगी पर वो वैसे ही पड़ी रही.रीमा ने उनकी साँस,धड़कन & नब्ज़ चेक की-सब चल रहे थे.उसने उन्हे झकझोर दिया पर सुमित्रा जी ने आँखे नही खोली.उसे डॉक्टर साहब की कही बात याद आ गयी-कही सुमित्रा जी कोमा मे तो नही चली गयी.चिंतित हो उसने अपने ससुर को फोन करने की सोची पर तभी उसे बाहर उनकी कार के रुकने की आवाज़ आई. वो भागती हुई बाहर पहुँची & दरवाज़ा खोला,उसके ससुर उसे देख मुस्कुराए पर उसके चेहरे की उड़ी रंगत देख उनके माथे पे शिकन पड़ गयी,"क्या हुआ रीमा?" "मा जी.." ------------------------------------------------------------------------------- सुमित्रा जी कोमा मे चली गयी थी & डॉक्टर साहब के कहने पे उन्हे हॉस्पिटल मे भरती करना पड़ा.शाम के 8 बजे थे जब विरेन्द्र जी ने डॉक्टर साहब से रात मे हॉस्पिटल मे रुकने के बारे मे पुचछा. "कोई फयडा नही है,विरेन्द्र जी.देखिए,कोमा से पेशेंट अभी भी निकल सकता है या फिर कुच्छ साल बाद.आप देख ही रहे हैं उन्हे कुच्छ होश भी नही है.उनकी देखभाल के लिए हम यहा हैं,आप जब मर्ज़ी हो यहा आएँ & जितनी देर दिल करे उनके पास बैठें,मैं आपको मना नही करूँगा पर आज मुझे लगता है कि आपको घर जाके आराम करना चाहिए,दोपहर से आप यहा खड़े हैं.ओके." "ओके.डॉक्टर." ------------------------------------------------------------------------------- विरेन्द्र जी &रीमा कोई 1 घंटे बाद घर पहुँचे. "मुझे आपसे कुच्छ कहना है.",रीमा ने उन्हे पानी का ग्लास थमाया. "हां,कहो." "वो शंतु है ना." "हां?" "वो मर गया." "क्या?!" और रीमा ने उन्हे शंतु के बारे मे सब बता दिया,बस ये बातें च्छूपा गयी कि जब शेखर ने उस से शंतु के बारे मे जब झूठ बोला था & जब उसने उसके मोबाइल से उसका नंबर निकाला था तो या तो उसका लंड उसकी चूत मे था,या फिर उसके हाथो मे या फिर उसके मुँह मे. विरेन्द्र जी के चेहरे पे कोई भाव नही था,मानो वो पत्थर के हो गये थे. "आप चुप क्यू हैं?कुच्छ बोलिए ना!आपको नही लगता कि शंतु की मौत के पीछे शेखर भाय्या का हाथ है & हमे पोलीस को खबर करना चाहिए." "अभी नही." "मगर क्यू?माना वो आपका बेटा है पर उसने शायद आपके 1 और बेटे को भी मौत के मुँह पहुँचाया है.हम यहा बाते कर रहहैं & वो ना जाने कहा निकल जाए?",रीमा गुस्से & डर से लगभग चीखती हुई बोली. "मैं तुम्हारी बात समझ रहा हू & यकीन करो,अगर शेखर मुजरिम है तो सबसे पहले मैं उसे क़ानून के हवाले करूँगा.",उन्होने उसकी बाँह थाम प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा,"तुम बहुत थक गयी हो.जाओ जाके नहा लो,फिर खाना खाते हैं.मुझे तुम्हे कुच्छ बहुत ज़रूरी बात बतानी है. KHILONA --paart--15 "haan,ab bolo.tum Panchmahal kab aayi?..& kab tak ho yaha? "kuchh hi din hue hain yaha aaye hue.maa ji ko dekhne aayi thi.ab dekhiye kitne dino tak yaha hu.",Reema ne 1 gehri saans bhari,"Ravi humesha aapki baaten kiya karta tha,pichhle 1 saal me kabhi mauka hi nahi laga aapse milne ka & yaha aayi to aapke & Shekhar bhaiyya ke bare me pata chala...par 1 bar aapse milne ko khud ko rok nahi payi." "koi baat nahi!vaise bhi tumse mujhe kya shikayat ho sakti hai",usne reema ka hath pakad liya,"..balki achha kiya jo aa gayi,main bhi tumhe dekhna chahti thi..ravi ne tumhari tasveer dikhayi thi..tum to us se kahi zyada sundar ho." "kya aap bhi1",reema ne sharma ke aankhe neechi kar li,"main yaha aane se pehle aapke ghar gayi thi,vaha aunty-aapki maa ne yaha ka pata diya.maine unse kaha ki main aapki saheli hu kyuki mujhe pata nahi tha ki meri asliyat jaanane pe unhe achha lagega ya nahi." "koi baat nahi,reema",Mina hansi,1 ladka 2 cup coffee rakh gaya tha,usne 1 reema ko diya & dusre se khud 1 ghunt bhara,"dekho,hume agar kisi se koi shikayat hai to shekhar se,aur kisi se nahi.mera bhi dil karta hai ki kabhi ghar aake aunty ko dekhu,uncle se milu..main bachpan se us parivar ko janti hu,reema.tumne aunty ko bas bistar pe pade dekha hai,maine unka vo khushdil,hansmukh chehra dekha hai." "shekhar se shadi ke baad maine khud ko duniya ki sabse kismatwali ladki samjha tha par usne mera ye guman bas 1 mahine me tod diya..bahut hi ghatiya & matlabi insan hai vo..kehte hain na 1 machhli sare talab ko ganda karti hai-to samajh lo shekhar vo machhli hai." apne dil ki bhadas nikal mina shant ho gayi. "ye karan.." "tum thik samajh rahi ho.bas dua karo ki is baar main galat nahi hu." "kaisi baat karti hain!ab sab kuchh thik rahega.",usne apni ghadi pe 1 nazar dali,"ab main chalti hu,bahut der ho gayi hai.",coffe ka cup rakh vo khadi ho gayi. "are,mere sath ghar chalo na,vaha party hai,bada maza aayega!" "thanx,par fir kabhi aaoongi.aaj sach me der ho gayi hai." "ok.",mina khadi hui & reema ko gale laga liya,"par aana zaroor.khub baaten karenge." "ok,bye!" "bye!" ------------------------------------------------------------------------------- vapas aa reema drawing room ke sofe pe baith gayi,vo thoda thak gayi thi.aaj din bhar ki baaten uske dimagh me ghum rahi thi..shekhar to pakka jhutha tha!usen mina ke bare me jhuth bola tha..vo to 1 aam ladki thi jise mard & mard ke sath chudai pasand thi...& Shantu..are uska number nikala tha shekhar ke mobile se.khayal aate hi usne phone ke paas rakhe pad ko uthaya. ye us insan ka number tha jisne ravi se maut ke pehle aakhiri baar baat ki thi.aaj waqt aa gaya tha kmi vo is insan se saval kar puchhe ki aakhir vo uske pati ke bare me kya janta tha.apna mobile utha usne vo number dial kiya,ghanti kafi der tak bajti rahi par fir kisi ne fone uthaya. "hello." "hello,mr.Prashant Chaudhary?" "yes,speaking." "hello,shantu ji kaise hain aap?" "kaun bol raha hai?",aavaz chaukanni ho gayi thi. "shantu ji,aaj aap saval nahi karenge sirf jawab denge.aakhir aisi kya baat thi ki apne sabse jigri dost ki maut pe aap 1 bar bhi afsos jatane nahi aaye jabki maut ke din aap hi vo shakhs the jisne us se aakhiri baar baat ki thi?" shantu khamosh tha,par lag raha tha ki vo kisi bheed bhare ilake me hai & reema ke kano me vaha ka shor sunai de raha tha. "kya hua?chup kyu ho gaye?jawab dijiye." "aap reema bol rahi hain na?" "to aap mujhe pehchan gaye?" "ji.aur aapke sabhi sawalo ka jawab bhi dene ko taiyyar hu.kal 11 baje din me mere ghar aa jaiye." "kal kyu?aaj kyu nahi?" "kyuki aaj main dilli me hu.mera yakeen kijiye,kal mere ghar..mera pata likhiye..212,Panchal Apartments,M.G.Road..yaha pe 11 baje aaiye,main jo janta hu aapko bataoonga." "thik hai.",& fone cut gaya.kahi shantu koi chal to nahi chal raha tha?kahi isme reema ko koi khatra to nahi tha?jo bhi ho ab kal vo is pate zarur jayegi.reema ne pad se vo kagaz phaad kar apne handbag me dala & apne kamre me chali gayi. ------------------------------------------------------------------------------- us sham Virendra ji & baje tak ghar aa gaye & uske baad unhone subah 7 baje tak use kapde nahi pahanane diye.pure waqt vo unki baaho me qaid ya to unse chudti rahi ya unki garam harkato ka lutf uthati rahi.virendra ji ne uski chut me 3 bar apna virya giraya & vo to na jane kitni baar jhadi-3 ke baad usne ginana chhod diya tha.kal raat usne bhi pehle se kahi zyada josh ke sath apne sasur ka chudai me sath diya tha.iski wajah thi ki kal use ye yakeen ho gaya thi ki jaha uska jeth 1 jhutha insan hai vahi uske sasur 1 bharosemand,nekdil shakhs hain. unke daftar jane ke baad naha kar reema taiyyar ho ghar se nikli.1 bar fir shekhar ki car nikalne ka khayal use aaya par fir usne taxi karna hi behtar samjha.aaj usne halke neele rang ki tight jenas & uske upar pure bazuon wali kale rang ki short kurti pahni thi & aankho pe kala chashma bhi tha.koi 10:45 pe vo panchal apartment ke gate pe taxi se utar rahi thi. chashme ko apni aankho se upar apne sar pe atka kar usne gate pe khade guard se kaha,"212 number flat ki-.." "seedhe jake dahine mud jaiyega & lift se dusra manjil pe chale jaiye,ohi pe hai..aapke baki sangi-sathi bhi ohi aapko mil javenge..",guard ne uske sawal ko beech me hi kaatate hue,khaini masalte hue jawab diya. reema thoda hairaan ho uske bataye raste pe chal padi,daaye mudte hi usne dekha ki police ki 2 cars & tv channels ki 3-4 ob vans khadi hain.apartment ke kuchh log bhi neeche khade upar building ki taraf dekhte hue baate kar rahe the. reema ne lift li,uske sath kuchh tv cameramen & unke sathi bhi lift me the.sare log dusri manzil pe utar gaye.reema unke peechhe chal rahi thi.is floor pe to bas police wale & channels wale ghum rahe the & sabhi jis flat me ja rahe the uska number tha 212. reema ne dekha ki vaha 2-3 ladkiya usi ke jaise kapdo me tv news ke liye byte record karne ki taiyyari me thi..to guard ne use reporter samjha tha.kisi channel ka reporter & cameraman 212 number me ghus rahe the,reema bhi dhadakte dil se unke peechhe ho li. andar ghuste hi reema ke munh se cheekh nikalte-2 rah gayi,usne badi mushkil se apni ghabrahaht pe kabu kiya,samne ka nazara tha hi aisa-pankhe se 1 jawan ladke ki lash jhul rahi thi.kamre me charo taraf police wale phaile hue the,"bahar chalo bhai..ap log yaha nahi aao..hume kaam karne do.",1 hawaldar unki taraf aa raha tha. reema bahar nikal aayi,uski kuchh samajh me nahi aa raha tha kya yahi shantu tha?agar haa to uske sath ye kaise ho gaya? "sir,please.pehle hume byte dijiye.",shayad inspector aa gaya tha. "ok.aap log sab 1 line se khade ho jao..chalo..haan..ab sahab se puchho.",us hawaldar ne sare reporters se kaha.reema kuchh door pe khadi sab dekh rahi thi. "sir,hadse ke bare me kaise pata chala & ye aadmi kaun hai?",sawalo ka silsila shuru ho gaya. "iska naam prashant chaudhry hai,ye abhi kuchh dino pehle dubai se yaha aaya tha,vaha ye 1 private company me kaam karta tha & usi company ne ise yaha bheja tha.aaj subah isne na naukarani ke liye darwaza khola, na hi doodhwale se doodh liya to un dono ne padosiyo ko kaha.fir hume khabar di gayi.humne tala toda to andar is aadmi ki lash pankhe se latak rahi thi." "sir,aapko kya lagta hai,maut kaise hui hai?" "dekho,prima facie to suicide ka case lagta hai,lash ke paas table pe 1 suicide note bhi pada tha jise padh ke hume lagta hai ye depression ka mariz tha.aage to hum post mortem ke bad hi kuchh kah sakte hain." "sir,marnewala kaisa shakhs tha?uske parivar ko khabar ho gayi hai?" "sir..sir,vo yaha akela rahta tha kya?" "haan,vo yaha akela rahta tha,kisi se zyada baat bhi nahi karta tha,us se milne bhi bahut kam log aate the.uski family ke bare me hum pata laga rahe hain ,apr iske mata-pita to kafi pehle mar chuke hain,hum iske kisi aur rishtedar ka pata dhund rahe hain." reema se ab vaha khada hona mushkil tha,vo kisi tarah neeche aayi & taxi me baith ghar chali gayi.ghar me ghuste hi usne fridge khola & pani ki bottle nikal use munh se laga liya & 1 hi saans me use khali kar diya.bathroom me ja usne apne munh pe pani ke chheente mare-ab bhi uski aankho ke samne shantu ki latakti lash ghum rahi thi & sath hi ye khayal ki kahi iske peechhe uske jeth ka hath to nahi.usne tay kar liya ki aaj vo apne sasur ko sab batayegi siway iske ki apne jeth se uske dil ke raaz jaanane ke liye vo uske sath bhi chudai karti rahi hai. jab vo thoda shant hui to use apni saas ka khayal aaya.kamre me gayi to vo soyi hui thi,usne unhe jagane ki koshish ki-unke khane ka waqt ho gaya tha,par vo nahi uthi. "maa ji..maa ji!",reema unhe hilane lagi par vo vaise hi padi rahi.reema ne unki saans,dhadkan & nabz check ki-sab chal rahe the.usne unhe jhakjhor diya par Sumitra ji ne aankhe nahi kholi.use doctor sahab ki kahi baat yaad aa gayi-kahi sumitra ji coma me to nahi chali gayi.chintit ho usne apne sasur ko phone karne ki sochi par tabhi use bahar unki car ke rukne ki aavaz aayi. vo bhagti hui bahar pahunchi & darwaza khola,uske sasur use dekhg muskuraye par uske chehre ki udi rangat dekh unke mathe pe shikan pad gayi,"kya hua reema?" "maa ji.." ------------------------------------------------------------------------------- sumitra ji coma me chali gayi thi & doctor sahab ke kehne pe unhe hospital me bharti karna pada.sham ke 8 baje the jab virendra ji ne doctor sahab se raat me hospital me rukne ke bare me puchha. "koi fayda nahi hai,virendra ji.dekhiye,coma se patient abhi bhi nikal sakta hai ya fir kuchh saal baad.aap dekh hi rahe hain unhe kuchh hosh bhi nahi hai.unki dekhbhal ke liye hum yaha hain,aap jab marzi ho yaha aayen & jitni der dil kare unke paas baithen,main aapko mana nahi karunga par aaj mujhe lagta hai ki aapko ghar jake aaram karna chahiye,dopahar se aap yaha khade hain.ok." "ok.doctor." ------------------------------------------------------------------------------- virendra ji &reema koi 1 ghante baad ghar pahunche. "mujhe aapse kuchh kahna hai.",reema ne unhe pani ka glass thamaya. "haan,kaho." "vo shantu hai na." "haan?" "vo mar gaya." "kya?!" aur reema ne unhe shantu ke bare me sab bata diya,bas ye baaten chhupa gayi ki jab shekhar ne us se shantu ke bare me jab jhuth bola tha & jab usne uske mobile se uska number nikala tha to ya to uska lund uski chut me tha,ya fir uske hatho me ya fir uske munh me. virendra ji ke chehre pe koi bhav nahi tha,mano vo patthar ke ho gaye the. "aap chup kyu hain?kuchh boliye na!aapko nahi lagta ki shantu ki maut ke peechhe shekhar bhaiyya ka hath hai & hume police ko khabar karna chahiye." "abhi nahi." "magar kyu?mana vo aapka beta hai par usne shayad aapke 1 aur bete ko bhi maut ke munh pahunchaya hai.hum yaha baate kar rahehain & vo na jane kaha nikal jaye?",reema gusse & darr se lagbhag cheekhti hui boli. "main tumhari baat samajh raha hu & yakeen karo,agar shekhar mujrim hai to sabse pehle main use kanoon ke hawale karunga.",unhone uski banh tham pyar se uske sar pe hath fera,"tum bahut thak gayi ho.jao jake naha lo,fir khana khate hain.mujhe tumhe kuchh bahut zaruri baat batani hai.
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