Monday, April 19, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--16

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सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--16


रीमा नहा कर केवल 1 टवल मे बातरूम से बाहर निकली तो देखा कि वीरेंद्र जी भी केवल 1 टवल कमर पे लपेटे उसके पलंग पे बैठे हैं,ज़ाहिर था कि वो भी बस थोड़ी अर पहले नहाए थे.उन्होने सर से पावं तक अपनी बहू के हुस्न को निहारा & फिर उठ कर उसके पास आ गये.उन्होने उसे अपनी बाहों मे लिए तो रीमा ने अपने होंठ उनके होटो से सटा दिए.थोड़ी ही देर मे दोनो 1 दूसरे को बाहों मे कसे पूरे जोश मे किस्सिंग कर रहे थे.बदनो की रगड़ाहट से दोनो के तौलिए ढीले हो गये & जब साँस लेने को दोनो ने किस तोड़ी तो वो ज़मीन पे गिर गये.अब दोनो नंगे थे,रीमा को लगा कि अब उसके ससुर उसे उसके ही बिस्तर पे चोदेन्गे पर उन्होने ऐसा नही किया. "चलो,पहले खाना खाते हैं.",उसका हाथ थाम वो उसे डाइनिंग टेबल पे ले गये जहा उन्होने पहले ही खाना लगा के रखा था.कुर्सी पे बैठ उन्होने रीमा को अपनी गोद मे बिठा लिया & दोनो 1 दूसरे के हाथो से खाना खाने लगे. "आप जाकर लेटो मैं ये सब सॉफ कर के आती हू.",खाना ख़त्म होते ही रीमा उनकी गोद से उतर गयी. "ठीक है.",विरेन्द्र जी रीमा के कमरे मे चले गये. थोड़ी देर बाद रीमा अपने कमरे मे आई तो लॅंप की बहुत मद्धम रोशनी मे उसने देखा की उसके ससुर बिस्तर पे लेटे गहरी सोच मे डूबे हैं.रीमा उनकी बाई बाँह पे सर रख करवट ले उनसे सॅट कर लेट गयी.काफ़ी देर से बिना कपड़ो के रहने की वजह से उसे थोड़ी ठंड महसूस हुई तो उसने चादर उठा कर दोनो के बदन पे डाल दी & उनके सीने के बालो से खेलने लगी,"अब बताइए क्या बताने वाले थे?" "रीमा,आज मैं तुम्हे मेरी ज़िंदगी का वो राज़ बताउन्गा जो मुझे मिलकर केवल 4 लोगो को पता था & उसमे से 2 अब दुनिया मे नही हैं.ये वो राज़ है जो बाद मे शेखर को भी पता चल गया & शायद उसी वजह से मेरी & मेरे परिवार की पूरी ज़िंदगी बदल गयी.",उनका 1 हाथ अपनी बहू के बालो मे था & दूसरा उसकी गोरी बाँह पे. "कॉलेज पास करते ही मुझे ये सरकारी नौकरी मिल गयी & मेरे माता-पिता मेरी शादी के लिए परेशान हो उठे.कोई 6 महीने बाद सुमित्रा के पिता,जोकि खुद 1 ऊँचे सरकारी ओहदे पे थे,हमारे घर रिश्ता लेके आए.फिर क्या था!बस कुच्छ ही दीनो मे हुमारी शादी हो गयी.",रीमा ने अपनी बाई जाँघ अपने ससुर के उपर चढ़ा दी & दाई कोहनी पे उचक उनकी दास्तान सुनने लगी. "तुमने सुमित्रा को बस 1 बीमार & लचर के रूप मे देखा है,रीमा पर तुम उस वक़्त उसे देखती!कितनी खूबसूरत थी वो..गोरी-चित्ति,भरे बदन की मालकिन..मैं तो उसके रूप का दीवाना हो गया था & वो भिमुझे बहुत प्यार करती थी.शादी के बाद जब भी मौका मिलता हम दोनो बस 1 दूसरे मे खो जाते.शायद ही कोई ऐसी रात हो जब हमने चुदाई ना की हो.",रीमा का हाथ ससुर के सीने से सरक अब पेट पे आ गया था & विरेन्द्र जी भी उसकी अपने उपर रखी मखमली जाँघ सहला रहे थे. "..ऐसे ही 2 बरस बीते गये.हम बहुत खुश थे पर 1 मसला था जो हम दोनो के माता-पिता को परेशान कर रहा था & जिसके बारे मे नाते-रिश्तेदार भी दबी ज़बान मे बात करने लगे थे.सुमित्रा अभी तक मा नही बनी थी.जब उसकी मा ने इस बारे मे उस से पुचछा तो हम दोनो को भी ख़याल आया कि हम कोई सावधानी तो बरत नही रहे थे फिर तो सुमित्रा को इन 2 सालो मे कम से कम 1 बच्चे की मा तो बन ही जाना चाहिए था." "हम दोनो ने अपनी डॉक्टोरी जाँच कराई तो पता चला कि मैं तो ठीक था पर सुमित्रा मे कुच्छ कमी थी & उसके मा बनने के चान्सस किसी भी सूरत मे बस 5% थे.उसके लिए ये बहुत दुख की बात थी,मैने उसे बहुत समझाया कि हम कोशिश करते रहे तो वो प्रेग्नेंट हो जाएगी पर वो मायूस हो गयी थी.फिर मैने उसे कहा कि हम बच्चा गोद ले लेंगे पर वो इसके लिए भी नही मानी." "..माहौल बदलने के लिए मैने अपना तबादला अंबाला करवा लिया.ये जगह नयी थी & पंचमहल से दूर.वाहा जाके सुमित्रा लगभग पहले जैसे ही हो गयी पर मैं जानता था कि बच्चे की चाह उसके अंदर बढ़ती ही जा रही है.",विरेन्द्र जी ने रीमा को पकड़ उसे थोडा अपने उपर कर लिया,अब वो कभी उसकी जाँघ सहलाते तो कभी चूचिया. "..फिर 1 दिन उसने 1 नयी नौकरानी रख ली-कजरी.कजरी 1 अच्छे मगर ग़रीब परिवार की थी.बाप था नही & मा ने किसी तरह उसकी शादी करा दी,कुच्छ दिन तो सब ठीक चला,उसका पति 1 अच्छा इंसान था & मा-बेटी दोनो की ज़िम्मेदारी उसने उठा ली थी.पर 1 दिन उसे विदेश मे नौकरी का मौका मिला तो वो बाहर चला गया.6 महीने तक वो कजरी को नियम से पैसे भेजता रहा पर फिर उसके बाद उसके पैसे आने बंद हो गये & उसके खत भी." "..मा-बेटी ने उसका पता लगाने की बहुत कोशिश की पर यहा बैठे-2 कोई क्या कर सकता था!धीरे-2 करके उनके पैसे भी खर्च हो गये.इन्ही मुसीबत के दीनो मे पता नही कैसे सुमित्रा उसकी मा से मिली & कजरी को वो हमारे यहा ले आई.पर उनकी मदद करना सुमित्रा का मक़सद नही था.उसके असली मक़सद का पता मुझे तब चला जब मैने छुट्टियो मे छैल जाने का प्रोग्राम बनाया & सुमित्रा ने कहा कि कजरी भी हमारे साथ जाएगी.",रीमा गौर से उनके निपल्स को अपने नखुनो से खरोंछती हुई उनकी कहानी सुन रही थी,अपनी जाँघ के नीचे उनके लंड को तड़फ़दता वो सॉफ महसूस कर रही थी. "..तब सुमित्रा ने मुझे बाते की उसने कजरी की मा के साथ क्या सौदा किया था.उसने पैसो के बदले मे कजरी को मेरे बच्चे की मा बनने के लिए तैय्यार कर लिया था & वो चाहती थी छैल मे मैं उसे जम के चोदु & अपना बीज उसकी कोख मे डाल दू." "..शायद हमारी शादीशुदा ज़िंदगी मे पहली बार हमारा ज़ोरदार झगड़ा हुआ,मैं सुमित्रा के अलावा किसी और के साथ सोने की बात सोच भी नही सकता था.पर सुमित्रा अपनी ज़िद पे आडी रही & आख़िर मुझे ही झुकना पड़ा.मैं कजरी को हम दोनो के साथ छैल ले जाने को तैइय्यार हो गया.मैने सोचा था कि वाहा जाके मैं किसी तरह सुमित्रा को मना लूँगा & उसके दिमाग़ से ये वाहियात ख़याल भी निकाल दूँगा.",विरेन्द्र जी का हाथ रीमा की पीठ से होता हुआ अब उसकी गंद तक पहुँच गया था & जब भी वो उसकी फांको को दबाते तो जवाब मे रीमा अपनी जाँघ से उनके लंड को दबा देती. "छैल मे हम 1 कॉटेज मे रुके थे,पहले दिन घूमे-फिरने के बाद रात को जब मैं कमरे मे सोने गया तो सुमित्रा ने कजरी को कमरे मे धकेल दिया & बाहर से कुण्डी लगा दी.कजरी सहमी सी बिस्तर पे बैठी थी.मैने उसे बिस्तर पे सोने को कहा & खुद कमरे मे पड़े कार्पेट पे रज़ाई डाल कर सो गया.सुबह उठने पे मुझे लगा कि सुमित्रा आज फिर मुझ से झगदेगी.रात की खबर उसने कजरी से ले ली थी पर उसने मुझ से ज़रा भी नाराज़गी नही जताई.मैने सोचा कि अब उसके दिमाग़ से ये बेवकुफ़ाना ख़याल निकल चुका है.वो पूरा दिन हमने कुद्रत की खूबसूरती का लुत्फ़ उठाने मे बिताया." "उस रात सुमित्रा ने कजरी को मेरे पास नही भेजा बल्कि खुद कमरे मे आई.दरवाज़ा लगा मुस्कुराते हुए वो बिस्तर पे मेरे करीब आई तो मैने उसे अपने आगोश मे खींच लिया.वो भी मुझसे लिपट मुझे चूमने लगी.मेरे हाथ उसकी नाइटी मे घुसने लगे तो वो छितक कर मूह से दूर हो गयी & शरारत से मुस्कुराइ,'आज तुम पहले अपने कपड़े उतारो.'..मैने फ़ौरन उसकी बात मानते हुए अपने कपड़े निकाल दिए.",ससुर की कहानी अब मस्त मोड़ ले रही थी & रीमा भी गरम होने लगी थी.वो उनकी गर्दन चूमने लगी. "..मुझे लिटा सुमित्रा हौले-2 मेर होठ चूमने लगी.धीरे-2 उसके होठ मेरे होंठो से नीचे मेरी गर्दन पे आ गये,मैने हाथ बढ़ा उसे अपनी बाहो मे भींचना चाहा तो उसने मुझे रोक दिया,'ना,अभी नही,जब तक मैं ना काहु मुझे हाथ मत लगाना.',मैं तो बस मस्ती मे उसकी हर्कतो का मज़ा ले रहा था.और नीचे आ उसने मेरी छाती चूमि & फिर मेरे पेट से होते हुए मेरी नाभि मे जीभ फिराने लगी.मैं मस्ती मे कराहने लगा.सुमित्रा की जीभ ने और नीचे का रास्ता तय किया & मेरे लंड तक पहुँच गयी.जी तो कर रहा था कि उसे पकड़ कर लिटा दू & अपनी बाहो मे भींच उसकी चूत मे पाने लंड को पेल सवेरे तक उसे चोदु.",अब विरेन्द्र जी भी रीमा के बदन को कस के मसल रहे थे.रीमा अब बहुत जोश मे आगाई थी,उसने अपने ससुर को चूम लिया तो उन्होने उसे पूरा क पूरा अपने उपर कर लिया & उसकी कमर को भींच उसकी जीभ से अपनी जीभ लड़ा दी. "आगे बताइए.",रीमा ने किस तोड़ के उनका चेहरा अपने हाथो मे भर लिया.विरेन्द्र जी उसकी गंद को दबाने लगे,"..सुमित्रा ने मेरे सूपदे पे हल्के से चूमा & फिर बिस्तर से उतर कर खड़ी हो गयी...'क्या हुआ?रुक क्यू गयी,सूमी?',जवाब मे उसने अपनी नाइट का ज़िप खोल दिया तो वो ज़मीने पे सरक गयी.नीचे उसने कुच्छ भी नही पहना था & अब मेरी प्यारी बीवी मुझे अपने कातिल हुस्न का दीदार करा रही थी.मुझे लगा कि अब वो मेरे करीब आएगी पर ऐसा ना करते हुए,वो मूडी & कमरे का दरवाज़ा खोल दिया.वाहा डरी सहमी कजरी खड़ी थी.सुमित्रा ने हाथ बढ़ा उसे अंदर खींच कर कमरा फिर बंद कर लिया.",अपने ससुर के उपर लेटी रीमा अब और मस्त हो गयी.उनका लंड दोनो जिस्मो के बीच दबा हुआ था,रीमा घुटनो पे बैठ गयी & ससुर के सीने को खरोंछती उनके पेट पे दबे लंड को अपनी चूत से उसकी लंबाई पे रगड़ने लगी. "-ये क्या मज़ाक है,सुमित्रा!",मैं चीखा & चादर खींच कर अपने नंगेपन को ढँक लिया. -'क्यू?ये तुम्हे सुंदर नही लगती?विरेन्द्र क्या कमी है इसमे?'कजरी खूबसूरत थी पर सुमित्रा से अलग किस्म से.जहा सुमित्रा 1 ऊँचे कद की भरे बदन वाली गदराई जवान लड़की थी.वही कजरी छ्होटे कद की बड़ी मासूम दिखने वाली लड़की थी.वो हमेशा घाघरा-चोली पहनती थी & उस वक़्त भी वही पहने थी.सुमित्रा ने हाथ बढ़ा 1 झटके मे उसकी चोली की डोरिया खींच दी & उसे उतारने लगी.. -'मुझे शरम आती है,दीदी.' -'चल,पगली!ये तुझे अच्छे नही लगते क्या & वैसे भी तू कितने दीनो से नही चूदी है.',सुमित्रा ने उसकी चोली उतार दी & मेरी आँखो के सामने कजरी की छातिया चमक उठी.उसकी छातिया सुमित्रा जितनी बड़ी नही थी पर उतनी छ्होटी भी नही थी.सुमित्रा की छातिया अब तोड़ा ढीली हो गयी थी पर उसकी बिल्कुल कसी हुई थी ठीक तुम्हारी तरह.",उन्होने रीमा की चूचिया अपने हाथो मे भर ज़ोर से दबाई. "उम्मह..!",रीमा अपनी तारीफ से खुश हो मुस्कुराइ. "..& उसके निपल्स बिल्कुल काले रंग के थे & उसके भूरे अरेवला का घेरा तो बहुत बड़ा था..कम से कम इतना बड़ा..",उन्होने अपनी उंगलियो से रीमा के अरेवला के बाहर 1 दायरा बनाया तो रीमा ने उनका हाथ पकड़ के चूमा & फिर अपने गाल से लगा उनके लंड को रगड़ते हुए,उन्हे गाल सहलाने का इशारा करने लगी. "..मेरी नज़रे उसके सीने पे चिपक गयी.. -'देखो,विरेन्द्र.कितनी मस्त हैं ये.. ',सुमित्रा ने अपने हाथो मे उसकी छातिया ले दबाई,"तुम्हे इन्हे चूमने का दिल नही करता?",उसने उसकी चूचिया चूम ली. -'आहह.मत करो ना दीदी.अच्छा नही लगता!' सुमित्रा ने उसके घाघरे का नाडा खींच दिया,-'देखो तो झूठी को,विरेन्द्र!चूत पानी छ्चोड़ रही है & ये कह रही है कि अच्छा नही लगता.' उसने उसकी गंद पे 1 ज़ोर की चपत लगाई,-'मस्त है ना गंद!उसने उसकी पीठ मेरी तरफ कर दी.सच मे गंद भी उतनी चूदी नही थी पर क्या मस्त थी.सुमित्रा के थप्पड़ पड़ते तो फांके सिहर जाती.ये देख मेरा लंड खड़ा हो गया था & चादर मे तंबू बना रहा था. -'& ये देखो इसकी चूत.झांते भरी हैं पर कितनी कसी है.',उसने 1 उंगली उसके अंदर डाली तो कजरी कराहने लगी,'अफ!उंगली भी बड़ी मुश्किल से अंदर जा रही है तुम्हारा राक्षस कैसे जाएगा इसके अंदर?!' -'वैसे उसका भी हाल बुरा है.दिखाओ ना कजरी को अपना लंड.मैने बाते तो इसे यकीन नही आ रहा था कि इतना बड़ा भी किसी का हो सकता है.',वो कजरी का हाथ पकड़ बिस्तर पे ले आई & मेरी चादर खींच दी. -'हाअ!है राम...',कजरी की आँखे हैरत से फैल गयी & उसने अपना हाथ मुँह पे रख लिया.उसकी नज़रे मेरे लंड से चिपक गयी.मुझे भी अपनी मर्दानगी पे गर्व महसूस हुआ.",रीमा आँखे बंद किए अपने ससुर की मस्त दास्तान से बस पागल हो गयी थी.कमर हिलाते हुए वो झाड़ गयी & उनके सीने पे गिर गयी,"..ये है ही इतना मस्त.कोई भी लड़की आपकी दीवानी हो जाए.उसने हाथ नीचे ले जाके लंड को च्छुआ,"फिर क्या हुआ?" "-'क्यू विरेन्द्र?अब भी नही चोदोगे इसे?',सुमित्रा ने मुझ से पुचछा तो मैने नज़रे फेर ली.सुमित्रा ने उसे मेरी बगल मे लिटा दिया & उसके उपर सवार हो गयी,-'देखो तो सही मेरे नीचे दबी ये कितनी हसीन लग रही है.',उसने उसकी छातिया दबाते हुए उसके होंठ चूम लिए,नीचे कजरी की फैली टाँगो के बीच उसकी झांतो भरी चूत पे वो अपनी चूत से धक्के लगा रही थी.कजरी भी गरम हो गयी थी & उसे पकड़ दीदी-2 करते हुए उसके साथ अपना बदन रगड़ रही थी.",विरेन्द्र जी ने अपनी बहू के होंठ चूमे & उसका 1 हाथ पकड़ उसे पीछे ले जाके अपने लंड पे रख दिया,"ज़रा इसको इसकी सही जगह तो दिखाओ." रीमा ने मुस्कुराते हुए लंड को थाम अपनी चूत मे ले लिया.2 धक्को मे लंड जड़ तक उसकी चूत मे धंसा था,"अब आगे बताइए." "उन दोनो का ये गरम खेल देख कब मेरा हाथ लंड पे पहुँच गया & मैं उसे हिलाने लगा मुझे पता ही ना चला.सुमित्रा ने मुझे ऐसा करते देखा तो कजरी के बदन से अलग हो गयी,-'शर्म आनी चाहिए तुझे कजरी!तेरे होते तेरे साहब को हाथ से काम लेना पड़ रहा है.' -'पर दीदी,मुझे डर लगता है.ये इतना बड़ा है मेरी ज़रा सी चूत मे कैसे जाएगा.' -'मेरी मे कैसे जाता है?',उसने उसकी गांद पे 1 थप्पड़ जड़ दिया,-'चल,पहले इस से दोस्ती कर फिर देख ये कैसे तेरी प्यासी चूत को अपने पानी से शांत करता है.चल उठ.' सुमित्रा ने उसे उठा कर मेरे लंड को थमा दिया.ये पहली बार था जब उसके अलावा किसी और औरत ने मेरा लंड थामा था.कजरी के छ्होटे से हाथ मे लंड कुच्छ और बड़ा लग रहा था,-'देखती ही रहेगी,हिला ना.',कजरी ने पहले धीरे-2 फिर तेज़ी से मेरे लंड को हिलाना शुरू किया.थोड़ी देर बाद सुमित्रा ने उसका हाथ हटाया,-'चल अब मुँह मे ले.'कजरी ने ऐसे देखा जैसे मना कर रही हो,-'अरे गीला नही करेगी तो अंदर कैसे जाएगा.चल चूस.' कजरी ने होठ कस दिए मेरे लंड पे तो मैने आँखे बंद कर ली और हवा मे उड़ने लगा.",रीमा भी हवा मे उड़ रही थी,1 बार फिर अपने घुटनो पे बैठ वो अपने ससुर के लंड पे कूदने लगी थी. "कजरी नौसीखिया थी पर उसके दिल मे चुदने का & मुझे खुश करने का जज़्बा था & इसी कारण मुझे उसके ज़ुबान की हरकते बहुत मज़ेदार लग रही थी.सुमित्रा उसकी पीठ सहलाते मुझे देख रही थी,वो समझ गयी कि मैं झड़ने वाला हू,-'चल अब उठ & लेट जा.अब चुदने का वक़्त आ गया है..रुक ज़रा तेरी चूत को भी गीला कर दू..',& वो उसकी चूत पेझूक कोई 2-3 मिनिट तक उसे चाटती रही.कजरी अब जोश मे पागल हो चुकी थी. -'ऑफ ओह!लंड तो फिर सुख गया.',अपन1 ज़ुबान से उसने उसे गीला किया,-'चलो विरेन्द्र अब तो चोदो इस मासूम कली को.',उसने मेरा लंड पकड़ कर खींच कर मुझे कजरी की टाँगो के बीच आने पे मजबूर कर दिया.सुमित्रा ने मुझे चूमा,-'चलो अब धीरे-2 घुसाओ.बहुत दीनो से नही चूदी है,ज़रा आराम से करना.तू घबरा मत कजरी मैं हू ना!ज़्यादा तकलीफ़ नही होगी.' उसने मेरा लंड पकड़ उसकी चूत पे रखा तो मैने 1 धक्के मे ही पूरा सूपड़ा अंदर पेल दिया. -'आईीययईए..!'मैने 1-2 धक्के & दिए & आधा लंड अंदर घुसा दिया.सुमित्रा ने बाहर बचे लंड को पकड़ मुझे अब चोदने को कहा,अब मैं आधे लंड से कजरी को चोदने लगा.थोड़ी देर मे उसे मज़ा आने लगा तो सुमित्रा ने अपना हाथ खींच लिया.उसकी चूत कुच्छ ज़्यादा ही कसी हुई थी & मैं अपना पूरा लंड अंदर घुसाने को बेताब था.मैने 1 ही झटके उसकी चूत मे लंड धंसा दिया & उसकी चीखो से बेपरवाह उसे चोदने लगा.सुमित्रा उसपे झुक उसे चूमते हुए उसकी चूचिया सहलाते हुए उसे संभालने लगी. थोड़ी देर मे कजरी की चूत को मेरे लंड की आदत पड़ गयी & वो भी कमर हिला कर मेरा साथ देने लगी.-'देखो तो कैसे कमर उच्छल कर मज़ा ले रही है.अब मैं घुटनो पे बैठा उसकी टांगे पकड़ उसे चोद रहा था & सुमित्रा अपने घुटनो पे मेरी तरफ चेहरा कर उसके मुँह के उपर बैठ गयी,-'चल अब ज़रा मेरी चूत को भी कुच्छ आराम दे.',कजरी उसकी चूत चाटने लगी तो मैने हाथ बढ़ा कर अपनी बीवी की चूचिया थाम ली & उन्हे मसल्ने लगा,-'आह...विरेन्द्र...ऐसे ही करो...हा..आनन्न..'.अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था,मैने अपनी धक्को की रफ़्तार तेज़ कर दी & सुमित्रा की चूचिया मसल्ते हुए उसे खींच कर चूमने लगा नीचे कजरी सुमित्रा की जंघे पकड़ उसकी चूत पे अपनी जीभ फिरा रही थी.हम तीनो अपनी-2 मंज़िल की ओर पहुँच रहे थे कि कजरी की चूत ने मेरे लंड को कस लिया & उसका बदन जैसे ऐंठ गया,वो झाड़ गयी थी & उसके झड़ते ही मैने भी सुमित्रा की चूचिया मसल्ते हुए & उसे चूमते हुए अपना पानी कजरी की चूत मे छ्चोड़ा & साथ ही सुमित्रा की चूत ने भी कजरी की जीभ से परेशान हो पानी छ्चोड़ा 7 वो आगे गिरती हुई मुझे चूमते हुई मुझसे लिपट गयी." ठीक उसी वक़्त अपने ससुर की बातो & लंड से मदहोश हो रीमा 1 बार फिर झाड़ गयी. KHILONA --paart--16 Reema naha kar kewal 1 towel me bathroom se bahar nikli to dekha ki Virendra ji bhi kewal 1 towel kamar pe lapete uske palang pe baithe hain,zahir tha ki vo bhi bas thodi er pehle nahaye the.unhone sar se paon tak apni bahu ke husn ko nihara & fir uth kar uske paas aa gaye.unhone use apni baahon me liye to reema ne apne honth unke hotho se sata diye.thodi hi der me dono 1 dusre ko baahon me kase pure josh me kissing kar rahe the.badano ki ragdahat se dono ke tauliye dheele ho gaye & jab saans lene ko dono ne kiss todi to vo zameen pe gir gaye.ab dono nange the,reema ko laga ki ab uske sasur use uske hi bistar pe chodenge par unhone aisa nahi kiya. "chalo,pehle khana khate hain.",uska hath tham vo use dining table pe le gaye jaha unhone pehle hi khana laga ke rakha tha.kursi pe baith unhone reema ko apni god me bitha liya & dono 1 dusre ke hatho se khana khane lage. "aap jakar letiye main ye sab saaf kar ke aati hu.",khana khatm hote hi reema unki god se utar gayi. "theek hai.",virendra ji reema ke kamre me chale gaye. thodi der baad reema apne kamre me aayi to lamp ki bahut maddham roshni me usne dekha ki uske sasur bistar pe lete gehri soch me doobe hain.reema unki baayi banh pe sar rakh karwat le unse sat kar let gayi.kafi der se bina kapdo ke rehne ki wajah se use thodi thand mehsus hui to usne chadar utha kar dono ke badan pe daal di & unke seene ke baalo se khelne lagi,"ab bataiye kya batane wale the?" "reema,aaj main tumhe meri zindagi ka vo raaz bataunga jo mujhe milakar kewal 4 logo ko pata tha & usme se 2 ab duniya me nahi hain.ye vo raaz hai jo baad me shekhar ko bhi pata chal gaya & shayad usi wajah se meri & mere parivar ki puri zindagi badal gayi.",unka 1 hath apni bahu ke baalo me tha & dusra uski gori baanh pe. "college pass karte hi mujhe ye sarkari naukri mil gayi & mere mata-pita meri shadi ke liye pareshan ho uthe.koi 6 mahine baad Sumitra ke pita,joki khud 1 oonche sarkari ohde pe the,hamare ghar rishta leke aaye.fir kya tha!bas kuchh hi dino me humari shadi ho gayi.",reema ne apni baayi jangh apne sasur ke upar chadha di & daayi kohni pe uchak unki dastan sunanae lagi. "tumne sumitra ko bas 1 bimar & lachar ke roop me dekha hai,reema par tum us waqt use dekhti!kitni khubsurat thi vo..gori-chitti,bhare badan ki malkin..main to uske roop ka deewana ho gaya tha & vo bhimujhe bahut pyar karti thi.shadi ke baad jab bhi mauka milta hum dono bas 1 dusre me kho jate.shayad hi koi aisi raat ho jab humne chudai na ki ho.",reema ka hath sasur ke seene se sarak ab pet pe aa gaya tha & virendra ji bhi uski apne upar rakhi makhmali jangh sehla rahe the. "..aise hi 2 baras beete gaye.hum bahut khush the par 1 masla tha jo hum dono ke mata-pita ko pareshan kar raha tha & jiske bare me nate-rishtedar bhi dabi zaban me baat karne lage the.sumitra abhi tak maa nahi bani thi.jab uski maa ne is bare me us se puchha to hum dono ko bhi khayal aaya ki hum koi savdhani to barat nahi rahe the fir to sumitra ko in 2 saalo me kam se kam 1 bachche ki maa to ban hi jana chahiye tha." "hum dono ne apni doctori jaanch karayi to pata chala ki main to theek tha par sumitra me kuchh kami thi & uske maa banane ke chances kisi bhi surat me bas 5% the.uske liye ye bahut dukh ki baat thi,maine use bahut samjhaya ki hum koshish karte rahe to vo pregnant ho jayegi par vo mayoos ho gayi thi.fir maine use kaha ki hum bachcha god le lenge par vo iske liye bhi nahi maani." "..mahaul badalne ke liye maine apna tabadala Ambala karwa liya.ye jagah nayi thi & Panchmahal se dur.vaha jake sumitra lagbhag pehle jaise hi ho gayi par main janta tha ki bachche ki chah uske andar badhti hi ja rahi hai.",virendra ji ne reema ko pakad use thoda apne upar kar liya,ab vo kabhi uski jangh sehlate to kabhi chhatiyan. "..fir 1 din usne 1 nayi naukrani rakh li-Kajri.kajri 1 achhe magar gareeb parivar ki thi.baap tha nahi & maa ne kisi tarah uski shadi kara di,kuchh din to sab theek chala,uska pati 1 achha insan tha & maa-beti dono ki zimmedari usne utha li thi.par 1 din use videsh me naukri ka mauka mila to vo bahar chala gaya.6 mahine tak vo kajri ko niyam se paise bhejta raha par fir uske baad uske paise aane band ho gaye & uske khat bhi." "..maa-beti ne uska pata lagane ki bahut koshish ki par yaha baithe-2 koi kya kar sakta tha!dheere-2 karke unke paise bhi kharch ho gaye.inhi musibat ke dino me pata nahi kaise sumitra uski maa se mili & kajri ko vo humare yaha le aayi.par unki madad karna sumitra ka maqsad nahi tha.uske asli maqsad ka pata mujhe tab chala jab maine chhutiyo me Chail jane ka program banaya & sumitra ne kaha ki kajri bhi humare sath jayegi.",reema gaur se unke nipples ko apne nakhuno se kharonchti hui unki kahani sun rahi thi,apni jangh ke neeche unke lund ko tadphadata vo saaf mehsus kar rahi thi. "..tab sumitra ne mujhe batay ki usne kajri ki maa ke sath kya sauda kiya tha.usne paiso ke badle me kajri ko mere bachche ki maa banane ke liye taiyyar kar liya tha & vo chahti thi chail me main use jam ke chodu & apna beej uski kokh me daal du." "..shayad humari shadishuda zindagi me pehli baar humara zordar jhagda hua,main sumitra ke alaw kisi aur ke sath sone ki baat soch bhi nahi sakta tha.par sumitra apni zid pe adi rahi & aakhir mujhe hi jhukna pada.main kajri ko hum dono ke sath chail le jane ko taiyyar ho gaya.maine socha tha ki waha jake main kisi tarah sumitra ko mana lunga & uske dimagh se ye vahiyat khayal bhi nikal dunga.",virendra ji ka hath reema ki pith se hota hua ab uski gand tak pahunch gaya tha & jab bhi vo uski faanko ko dabate to jawab me reema apni jangh se unke lund ko daba deti. "chail me hum 1 cottage me ruke the,pehle din ghume-firne ke baad raat ko jab main kamre me sone gaya to sumitra ne kajri ko kamre me dhakel diya & bahar se kundi laga di.kajri sehmi si bistar pe baithi thi.maine use biostar pe sone ko kaha & khud kamre me pade carpet pe rajai daal kar so gaya.subah uthne pe mujhe laga ki sumitra aaj fir mujh se jhagdegi.raat ki khabar usne kajri se le li thi par usne mujh se zara bhi narazgi nahi jatayi.maine socha ki ab uske dimagh se ye bevkufana khayal nikal chuka hai.vo pura din humne kudrat ki khubsurati ka lutf uthane me bitaya." "us raat sumitra ne kajri ko mere paas nahi bheja balki khud kamre me aayi.darwaza laga muskurate hue vo bistar pe mere kareeb aayi to maine use apne agosh me kheench liya.vo bhi mujhse lipat mujhe chumne lagi.mere hath uski nighty me ghusne lage to vo chhitak kar muh se dur ho gayi & shararat se muskurayi,'aaj tum pehle apne kapde utaro.'..maine fauran uski baat maante hue apne kapde nikal diye.",sasur ki kahani ab mast mod le rahi thi & reema bhi garam hone lagi thi.vo unki gardan chumne lagi. "..mujhe lite sumitra haule-2 mer hoth chumne lagi.dheere-2 uske hoth mere hotho se neeche meri gardan pe aa gaye,maine hath badha use apni baaho me bheenchna chaha to usne mujhe rok diya,'na,abhi nahi,jab tak main na kahu mujhe hath mat lagana.',main to bas masti me uski harkato ka maza le raha tha.aur neeche aa usne meri chhati chumi & fir mere pet se hote hue meri nabhi me jibh firane lagi.main masti me karahne laga.sumitra ki jibh ne aur neeche ka rasta tay kiya & mere lund tak pahunch gayi.ji to kar raha tha ki use pakad kar lita du & apni baaho me bheench uski chut me pane lund ko pel savere tak use chodu.",ab virendra ji bhi reema ke badan ko kas ke masala rahe the.reema ab bahut josh me aagayi thi,usne apne sasur ko chum liya to unhone use pura k pura apne upar kar liya & uski kamar ko bheench uski jibh se apni jibh lada di. "aage bataiye.",reema ne kiss tod ke unka chehra apne hatho me bhar liya.virendra ji uski gand ko dabane lage,"..sumitra ne mere supade pe halke se chuma & fir bistar se utar kar khadi ho gayi...'kya hua?ruk kyu gayi,sumi?',jawab me usne apni night ka zip khol diya to vo zameene pe sarak gayi.neeche usne kuchh bhi nahi pahna tha & ab meri pyari biwi mujhe apne kaatil husn ka deedar kar rahi thi.mujhe laga ki ab vo mere kareeb aayegi par aisa na karte hue,vo mudi & kamre ka darwaza khol diya.vaha dari sahmi kajri khadi thi.sumitra ne hath badha use andar kheench kar kamra fir band kar liya.",apne sasur ke upar leti reema ab aur mast ho gayi.unka lund dono jismo ke beech daba hua tha,reema ghutno pe baith gayi & sasur ke seene ko kharonchti unke pet pe dabe lund ko apni chut se uski lambai pe ragadne lagi. "-ye kya mazak hai,sumitra!",main cheekha & chadar kheench kar apne nangepan ko dhank liya. -'kyu?ye tumhe sundar nahi lagti?virendra kya kami hai isme?'kajri khubsurat thi par sumitra se alag kism se.jaha sumitra 1 oonche kad ki bhare badan vali gadrayi jawan ladki thi.vahi kajri chhote kad ki badi masoom dikhne vali ladki thi.vo humesha ghaghra-choli pehanti thi & us waqt bhi vahi pehne thi.sumitra ne hath badha 1 jhatke me uski choli ki doriya kheench di & use utarne lagi.. -'mujhe sharam aati hai,didi.' -'chal,pagli!ye tujhe achhe nahi lagte kya & vaise bhi tu kitne dino se nahi chudi hai.',sumitra ne uski choli utar di & meri aankho ke samne kajri ki chhatiya chamak uthi.uski chhatiya sumitra jitni badi nahi thi par utni chhoti bhi nahi thi.sumitra ki chhatiya ab thoda dheeli ho gayi thi par uski bilkul kasi hui thi theek tumhari tarah.",unhone reema ki choochiya apne hatho me bhar zor se dabayi. "ummhhhh..!",reema apni tareef se khush ho muskurayi. "..& uske nipples bilkul kale rang ke the & uske bhure areola ka ghera to bahut bada tha..kam se kam itna bada..",unhone apni ungliyo se reema ke areola ke bahar 1 dayra banaya to reema ne unka hath pakad ke chuma & fir apne gaal se laga unke lund ko ragadte hue,unhe gaal sehlane ka ishara karne lagi. "..meri nazre uske seene pe chipak gayi.. -'dekho,virendra.kitni mast hain ye.. ',sumitra ne apne hatho me uski chhatiya le dabayi,"tumhe inhe chumne ka dil nahi karta?",usne uski choochiya chum li. -'aahhh.mat karo na didi.achha nahi lagta!' sumitra ne uske ghaghre ka nada kheench diya,-'dekho to jhuthi ko,virendra!chut pani chhod rahi hai & ye kehrahi ki achha nahi lagta.' usne uski gand pe 1 zor ki chapat lagai,-'mast hai na gand!usne uski pith meri taraf kar di.sach me gand bhi utni chudi nahi thi par kya mast thi.sumitra ke thappad padte to faanke sihar jati.ye dekh mera lund khada ho gaya tha & chadar me tambu bana raha tha. -'& ye dekho iski chut.jhante bhari hain par kitni kasi hai.',usne 1 ungli uske andar dali to kajri karahane lagi,'uff!ungli bhi badi mushkil se andar ja rahi hai tumhara rakshas kaise jayega iske andar?!' -'vaise uska bhi haal bura hai.dikhao na kajri ko apna lund.maine batay to ise yakeen nahi aa raha tha ki itna bada bhi kisi ka ho sakta hai.',vo kajri ka hath pakad bistar pe le aayi & meri chadar kheench di. -'haaa!hai raam...',kajri ki aankhe hairat se fail gayi & usne apna hath munh pe rakh liya.uski nazre mere lund se chipak gayi.mujhe bhi apni mardangi pe garv mehsus hua.",reema aankhe band kiye apne sasur ki mast dastaan se bas pagal ho gayi thi.kamar hilate hue vo jhad gayi & unke seene pe gir gayi,"..ye hai hi itna mast.koi bhi ladki aapki deewani ho jaye.usne hath neeche le jake lund ko chhua,"fir kya hua?" "-'kyu virendra?ab bhi nahi chodoge ise?',sumitra ne mujh se puchha to maine nazre fer li.sumitra ne use meri bagal me lita diya & uske upar sawar ho gayi,-'dekho to sahi mere neeche dabi ye kitni haseen lag rahi hai.',usne uski chhatiya dabate hue uske honth chum liye,neeche kajri ki faili taango ke beech uski jhanto bhari chut pe vo apni chut se dhakke laga rahi thi.kajri bhi garam ho gayi thi & use pakad didi-2 karte hue uske sath apna badan ragad rahi thi.",virendra ji ne apni bahu ke honth chume & uska 1 hath pakad use peechhe le jake apne lund pe rakh diya,"zara isko iski sahi jagah to dikhao." reema ne muskurate hue lund ko tham apni chut me le liya.2 dhakko me lund jad tak uski chut me dhansa tha,"ab aage bataiye." "un dono ka ye garam khel dekh kab mera hath lund pe pahunch gaya & main use hilane laga mujhe pata hi na chala.sumitra ne mujhe aisa karte dekha to kajri ke badan se alag ho gayi,-'sharm aani chahiye tujhe kajri!tere hote tere sahab ko hath se kaam lena pad raha hai.' -'par didi,mujhe dar lagta hai.ye itna bada hai meri zara si chut me kaise jayega.' -'meri me kaise jata hai?',usne uski gaand pe 1 thappad jad diya,-'chal,pehle is se dosti kar fir dekh ye kaise teri pyasi chut ko apne pani se shant kart hai.chal uth.' sumitra ne use utha kar mere lund ko thama diya.ye pehli baar tha jab uske alawa kisi aur aurat ne mera lund thama tha.kajri ke chhote se hath me lund kuchh aur bada lag raha tha,-'dekhti hi rahegi,hila na.',kajri ne pehle dheere-2 fir tezi se mere lund ko hilana shuru kiya.thodi der baad sumitra ne uska hath hataya,-'chal ab munh me le.'kajri ne aise dekha jaise mana kar rahi ho,-'are gila nahi karegi to andar kaise jayega.chal chus.' kajri ne hoth kas diye mere lund pe to maine aankhe band kar li aur hawa me udne laga.",reema bhi hawa me ud rahi thi,1 bar fir apne ghutno pe baith vo apne sasur ke lund pe kudne lagi thi. "kajri nausikhiya thi par uske dil me chudne ka & mujhe khush karne ka jazba tha & isi karan mujhe uske zuban ki harkate bahut mazedar klag rahi thi.sumitra uski pith sehlate mujhe dekh rahi thi,vo samajh gayi ki main jhadne wala hu,-'chal ab uth & let ja.ab chudne ka waqt aa gaya hai..ruk zara teri chut ko bhi gila kar du..',& vo uski chut pejhuk koi 2-3 minute tak use chatati rahi.kajri ab joah me pagal ho chuki thi. -'off oh!lund to fir sukh gaya.',apn1 zuban se usne sue gila kiya,-'chalo virendra ab to chodo is masoom kali ko.',usne mera lund pakad kar kheench kar mujhe kajri ki taango ke beech aane pe majboor kar diya.sumitra ne mujhe chuma,-'chalo ab dheere-2 ghusao.bahut dino se nahi chudi hai,zara aaram se karna.tu ghabra mat kajri main hu na!zyada takleef nahi hogi.' usne mera lund pakad uski chut pe rakah to maine 1 dhakke me hi pura supada andar pel diya. -'aaiiyyyeee..!'maine 1-2 dhakke & diye & aadha lund andar ghusa diya.sumitra ne bahar bache lund ko pakad mujhe ab chodne ko kaha,ab main aadhe lund se kajri ko chodne laga.thodi der me use maza aane laga to sumitra ne apna hath kheench liya.uski chut kuchh zyada hi kasi hui thi & main apna pura lund andar ghusane ko betab tha.maine 1 hi jhatke uski chut me lund dhansa diya & uski cheekho se beparwah use chodne laga.sumitra uspe jhuk use chumte hue uski choochiya sehlate hue use sambhalne lagi. thodi der me kajri ki chut ko mere lund ki aadat pad gayi & vo bhi kamar hila kar mera sath dene lagi.-'dekho to kaise kamar uchhal kar maza le rahi hai.ab main ghutno pe baitha uski taange pakad use chod raha tha & sumitra apne ghutno pe meri taraf chehra kar uske munh ke upar naith gayi,-'chal ab zara meri chut ko bhi kuchh aaram de.',kajri uski chut chatne lagi to maine hath badha kar apni biwi ki choochiya tham li & unhe masalne laga,-'aah...virendra...aise hi karo...ha..aannn..'.ab mujhse bardasht nahi ho raha tha,maine apni dhakko ki raftar tez kar di & sumitra ki choochiy masalte hue use kheench kar chumne laga neeche kajri sumitra ki janghe pakad udki chut pe apni jibh fira rahi thi.hum teeno apni-2 manzil ki or pahunch rahe the ki kajri ki chut ne mere lund ko kas liya & uska badan jaise ainth gaya,vo jhad gayi thi & uske jhadte hi maine bhi sumitra ki chhatiya masalte hue & use chumte hue apna pani kajri ki chut me chhoda & sath hi sumitra ki chut ne bhi kajri ki jibh se pareshan ho pani chhoda 7 vo aage girti hui mujhe chumte hui mujhse lipat gayi." theek usi waqt apne sasur ki baato & lund se madhosh ho reema 1 baar fir jhad gayi.




























































































































































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