Monday, April 19, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--17

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सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--17

"ये तो शुरुआत थी,छैल मे उन 4 दीनो मे हम तीनो ने जिस्मो का ये मदहोश खेल जम के खेला.उन 4 दीनो मे पता नही कितनी बार मैने कजरी की चूत को अपने पानी से भरा.सुमित्रा भी यही चाहती थी की मैं कजरी के अंदर ज़्यादा से ज़्यादा झाड़ू.उसने मुझे उसकी चूत मे बस 2 ही बार झड़ने दिया.",रीमा झाड़ के वीरेंद्र जी के सीने पे गिर अपनी साँसे संभाल रही थी & वो उसके बालो & पीठ को सहला रहे थे.

"सुमित्रा अपने मक़सद मे कामयाब हो गयी,छैल से आते ही हमे पता चल की कजरी प्रेग्नेंट हो गयी है.हमने सारे परिवार वालो को ये बात दिया की सुमित्रा प्रेग्नेंट है.उसके बाद 9 महीने तक हमने कजरी को दुनिया की नज़रो से च्छुपाए रखा.साथ ही ये ख़याल रखा कि सुमित्रा भी किसी जान-पहचान वाले की नज़र मे ना आए.",विरेन्द्र जी ने करवट लेटे हुए,बिना चूत से लंड निकाले,अपनी बहू को लिटा दिया & उसके उपर आ गये.

"..9 महीने बाद कजरी की कोख से शेखर का जन्म हुआ.उसके बाद 3-4 महीने तक वो हमारे साथ रही & उसके बाद सुमित्रा & उसकी मा के बीच हुए सौदे के मुताबिक वो पैसे ले के ये वादा करके चली गयी कि अब कभी भी हमसे ना मिलेगी या ये राज़ खोलेगी.",विरेन्द्र जी रीमा की दोनो छातियो को हाथो मे भर दबा रहे थे &.

"फिर रवि किसका बेटा है?",रीमा ने अपने ससुर के मुँह को अपनी छाती पे दबा दिया.

"उपरवाले के भी अजीब लीला है!अगले साल सुमित्रा भी प्रेग्नेंट हुई & रवि को जनम दिया.",उसके कड़े निपल्स को चूसने के बीच उन्होने कहा.

"..पर कजरी ने अपना वादा नही निभाया.उसे कोई बीमारी हो गयी थी & वो बस कुछ ही दीनो की मेहमान थी.उस वक़्त शेखर कॉलेज मे गया ही था.कजरी ने किसी तरह हमारा पता लगा लिया & हमे 1 खत लिखा.इत्तेफ़ाक़ देखो उन दीनो हम सब किसी शादी मे पंचमहल से बाहर गये थे & केवल शेखर ही घर पे था.खत उसके हाथ लग गया & उसे ये राज़ पता चल गया.",विरेन्द्र जी अब उसकी चूचियो से खेलने के साथ हल्के-2 धक्के भी लगा रहे थे.

"..बस उसी दिन से वो हमसे नाराज़ हो गया कि हमने उस से ये बात क्यू च्छुपाई.समझ मे नही आता कि जिस मा-बाप ने उसे इतना प्यार दिया,उसमे & रवि मे कभी कैसा भी फ़र्क़ नही किया वो हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यू करने लगा..उसी के चलते आज सुमित्रा का ये हाल है.",रीमा उनके बालो को सहला रही थी,अब वो फिर से मस्ती मे आने लगी थी & उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी थी.

"..तो ये है वो राज़..लेकिन फिर भी रीमा मुझे नही लगता कि शेखर का रवि & शंतु की मौत से कुच्छ लेना-देना है.पर फिर उसने तुमसे शंतु के बारे मे झूठ क्यू बोला?तुम बेफ़िक्र रहो,जो भी हो अब तो मैं इस मामले की तह तक पहुँच के ही रहूँगा.",लेकिन इस वक़्त विरेन्द्र जी के लिए अपनी बहू की चूत की तह तक पहुँचना ज़्याद ज़रूरी था.उन्होने उसके चेहरे को हाथो मे भर उसके रसीले होठ चूमते हुए उसकी चूत की गहराइयों मे अपने लंड को पेलना शुरू कर दिया.

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सवेरे रीमा की नींद खुली तो उसने देखा कि विरेन्द्र जी उसकी बाई छाती को दबाते हुए दाई को मुँह मे भर चूस रहे हैं,उसने अपनी उंगलिया उनके बालो मे फँसा दी.विरेन्द्र जी ने देखा कि वो जाग गयी है तो उसके सीने से सर उठा उपर आ अपने होठ उसके होंठो पे रख दिए पर उन्हे उसके जवाब मे वो गर्मी महसूस नही हुई,"क्या हुआ रीमा?कोई परेशानी है क्या?"

"देखिए,मा जी हॉस्पिटल मे हैं & यहा कोई भी ये नही जानता की मैं आपकी बहू हू.सब समझते हैं कि मैं 1 नर्स हू जो मा जी की देखभाल के लिए यहा आई थी.तो ऐसे मे मेरा यहा रहना अब ठीक नही होगा.कही लोग आप पे उंगलिया ना उठाएँ?",रीमा ने नज़रे नीची कर ली.

"बात तो तुम ठीक कह रही हो.तुम्हे यहा नही रहना चाहिए.",विरेन्द्र जी उसके दोनो निपल्स को अपनी उंगलियो के बीच मसल रहे थे.रीमा ने हैरानी & दुख से उनकी तरफ देखा.

"..मगर उस वजह से नही जो तुम्हारे दिल मे है.देखो,मुझे यकीन नही है कि शेखर ने कोई जुर्म किया है मगर फिर भी मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता.",वो अब उसके पेट को सहला रहे थे,"..मान लो वो दोषी है तो वो तुम्हे कोई नुकसान पहुचाने की कोशिश ज़रूर करेगा क्यूकी तुमने शंतु के बारे मे पुचछा था & उसे डर होगा कि कही तुम उसपे शक़ ना करो.और तुमपे आँच आए,ये मुझे बर्दाश्त नही होगा,इसीलिए मैं तुम्हे यहा से किसी महफूज़ जगह पे ले जाऊँगा.",उनका हाथ उसकी चूत पे आ गया था & थोड़ी देर उसे सहलाने के बाद उसकी 2 उंगलिया अंदर घुस उसके दाने को मसल्ने लगी.

"उउम्म्म्मम....!..मगर ऐसी महफूज़ जगह है कहा & हम वह जाएँगे कब?.....ऊओफफफफ्फ़..!",उनकी उंगलियो की शरारत & उनकी आँखो से झलकती उसके लिए फ़िक्र से खुश हो वो कमर हिलाति हुई मुस्कुराइ.

"हाई 1 जगह & हम वाहा आज ही जाएँगे..",वो उसकी जंघे फैला उनके बीच मे आ गये & उसके उपर चढ़ अपना लंड उसकी गीली चूत मे पूरा घुसा दिया.."..मगर इसके बाद.",विरेन्द्र जी 1 बार फिर अपनी खूबसूरत बहू की चुदाइ मे जुट गये.

2 घंटे बाद वीरेंद्र जी की कार दोनो को लिए पंचमहल से बाहर जाने वाली सड़क पे भागी जा रही थी.कार 1 पोलीस पोस्ट के पास से गुज़री तो रीमा के दिल मे ख़याल आया कि अगर विरेन्द्र जी शेखर के बारे मे पोलीस को बता देते तो शायद होता.पर उनका दिल तो शायद ये मानने को तैय्यार ही नही था कि उसका अपने भाई & शंतु की मौतों से कोई लेना-देना था..आख़िर था तो वो उनका बेटा ही ना!..ये भी तो हो सकता है की शेखर ने किसी और वजह से शंतु के बारे मे झूठ बोला हो & सचमुच उसका इन मौतों से कोई वास्ता ना हो...लेकिन फिर उसने मीना के बारे मे इतना बड़ा झूठ क्यू बोला?

रीमा खिड़की के बाहर देख रही थी...उसने अपने जिस्म के सहारे इन दोनो मर्दो के दिल की असलियत तो जान ही ली थी & उसे अब पूरा यकीन था कि जहा उसका जेठ 1 धोखेबाज़ इंसान है,वही उसके ससुर 1 भरोसेमंद शख्स हैं.उन्होने उस से अपने शुरुआती रवैय्ये के लिए माफी भी माँग ली थी & अब तो वो उसे बेइंतहा चाहने लगे थे.रीमा के दिल मे 1 कसक पैदा हुई..अगर उन्हे पता चल गया कि वो केवल उनके साथ ही नही,शेखर के साथ भी चुदाई करती थी तो क्या होगा?..और मान लो पता ना भी चले तो उसके दिल के किसी कोने मे ये बात हमेशा फाँस की तरह अटकी रहेगी कि उसे अपने उपर जान च्चिड़कने वाले इस शख्स से मरते दम तक ये राज़ च्चिपाए रखना होगा.

कार अब हाइवे से उतर 1 सुनसान से रास्ते पे दौड़ रही थी,सामने 1 पुराना सा पुल नज़र आ रहा था जिसके नीचे बहुत शोर करती 1 नदी का पानी काफ़ी तेज़ी से बह रहा था,”ये कौन सी नदी है?”

“नदी नही बरसाती नाला है.बारिश की वजह से पूरा भर गया है,यहा से कुच्छ 5-6 किमी बाद ये जाके नदी मे मिल जाता है.गर्मी मे तो बिल्कुल सच जाता है ये.”

रास्ते के दोनो तरफ काफ़ी हरियाली थी पर यहा उतना ट्रॅफिक नही था,बीच-2 मे इक्का-दुक्का सवारिया दिख रही थी,तभी विरेन्द्र जी ने कार को बाए मोड़ा & सामने 1 फार्महाउस नज़र आया.उसके गेट पे पहुँच उन्होने हॉर्न बजाया.रीमा ने आस-पास देखा तो पाया कि अगला फार्महाउस थोड़ा दूरी पे था-लगता था जैसे की जंगल के बीच लोगो ने थोड़े घर बना रखे है.गेट खुलने की आवाज़ आई तो उसने देखा कि 1 देहाती सा इंसान विरेन्द्र जी को हाथ जोड़ नमस्ते करता गेट खोल रहा है.कार फार्महाउस के पोर्च मे खड़ी हुई तो विरेन्द्र जी ने उसे समान उतारने को कहा.उसका नाम भूलवा था & वो यहा फार्महाउस के आउटहाउस मे अपनी पत्नी मुनिया के साथ रहता था.

“अच्छा अब मुझे जाना है,शाम को आ जाऊँगा.किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो भूलवा या मुनिया से कहना & कोई भी बात हो तो मुझे फ़ौरन फोन करना.”,अपनी बहू को बाहो मे भर उन्होने चूम लिया,”..डरना मत.भूलवा को मैने ताक़ीद कर दी है की बिना मेरी इजाज़त यहा कोई बाहरी आदमी नही घुसेगा.”,उन्होने रीमा के कुर्ते मे हाथ घुसा उसकी कमर को सहलाया.

“ये किसका फार्महाउस है?..उम्म......& आपने इन दोनो के मेरे बारे मे क्या बताया है?”,शर्ट के गले मे से झाँकते अपने ससुर के बालो भरे सीने को रीमा ने चूम लिया.

“ये मेरे 1 दोस्त का था,इसे मैने कुछ दीनो पहले ही खरीदा है...शेखर को इसके बारे मे कुच्छ नही पता..”,उसकी कमर को दबाते हुए उन्होने उसकी गर्देन चूम ली,”..& तुम्हारे बारे मे ये कहा है कि तुम मेरी खास मेहमान हो.”

अच्छा अब जाता हू,शाम को जल्दी आओंगा.”,अपनी बहू को 1 आखरी बार चूम कर विरेन्द्र जी चले गये.

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अगले 4 दिन रीमा ने काफ़ी मज़े मे बिताए.शाम ढले विरेन्द्र जी आ जाते थे फिर वो उनके साथ सुबह तक तरह-2 से चुदाई करती थी.विरेन्द्र जी आते ही उसके & खुद के कपड़े उतार देते & फिर दोनो जो भी काम हो-खाना,टीवी देखना या फिर यू ही बाते करना,नंगे ही करते.दिन भर उसे कोई भी काम करने की ज़रूरत नही पड़ती.दोनो पति-पत्नी उसका पूरा ख़याल रखते.दोनो ठेठ देहाती थे.रीमा को तो उनकी बोली बड़ी मुश्किल से समझ मे आती थी पर वो उसकी बाते समझ लेते थे.दोनो वैसे भी ज़्यादा बाते नही करते थे & अपना काम ख़तम कर अपने आउटहाउस मे चले जाते थे.

फिर विरेन्द्र जी का फोन आया कि वो 4 दिन तक नही आ पाएँगे.पहली रात तो रीमा को अकेले सोने मे काफ़ी डर लगा & उसकी चूत ने भी उसे काफ़ी परेशान किया,उसे तो रोज़ भरपूर चुदाई की आदत पड़ गयी थी,बिना लंड के उसका बुरा हाल हो गया.

पाँचवे दिन उन्होने फोन किया की आज शाम 7 बजे तक वो ज़रूर आ जाएँगे लेकिन भूलवा & मुनिया 4 बजे वाहा से अपने गाँव के लिए निकल जाएँगे तो उसे 3 घंटे बिल्कुल अकेली रहना पड़ेगा.

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घड़ी 8 बजा रही थी & अभी तक वीरेंद्र जी का कोई पता नही था.2-3 दीनो से बारिश नही हुई थी,तो थोड़ी गर्मी हो गयी थी & उमस भी.रीमा ने सोचा था कि ससुर के आते ही पहले वो उनके साथ नहाएगी & फिर उनसे 1 बार चुदने के बाद उनके साथ खाना खाएगी.पर अब गर्मी के साथ-2 उनका इंतेज़ार करते -2 उसे थोड़ी खीज भी होने लगी थी.उसने अकेले ही नहाने का फ़ैसला किया.

नहाने के बाद उसने डेनिम शॉर्ट्स जोकि बस उसकी गंद की फांको को ढँके हुए थे पहने & उपर 1 लाल रंग की स्लीव्ले वेस्ट डाल ली,जिसके गले मे से उसका बड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था.तभी उसे 1 आवाज़ सुनाई दी,जैसे कि हॉल मे कोई चल रहा हो.डर से वो जैसे जम सी गयी.उसने किसी कार की आवाज़ नही सुनी थी तो उसके ससुर तो हो नही सकते थे,भूलवा तो मुनिया के साथ 4 बजे ही निकल गया था तो कही शेखर तो नही था?

दबे पाँव वो कमरे से निकल हॉल मे आई-वाहा कोई नही था.उसके कमरे & हॉल के अलावा वाहा 4 कमरे और थे जिसमे से 3 मे ताला लगा हुआ था.तभी उस दूसरे खुले कमरे से फिर कुच्छ आवाज़ आई.डर से रीमा के माथे पे पसीना छल्छला आया था.वो किसी तरह अपने धधकते दिल पे काबू रख उस कमरे के पास गये & धीरे से उसका दरवाज़ा खोला,अंदर कोई नही था.

वो कमरे के अंदर दाखिल हुई,बेड की बगल मे रखे साइड-टेबल पे कुच्छ पेपर्स रखे थे..पहले तो वाहा कुच्छ भी नही था!वो टेबल की तरफ बढ़ने लगी कि तभी उसे पीछे से किसी ने जाकड़ लिया.रीमा की चीख निकल गयी तो वो इंसान हँसने लगा.हँसी की आवाज़ सुन रीमा का डर काफूर हो गया-ये विरेन्द्र जी थे.

उसने गुस्से से उनकी तरफ देखा & उनके हाथ झटक कर कमरे से बाहर निकल हॉल मे चली आई.

“अरे भाई,इतना नाराज़ क्यू हो रही हो?मैने तो बस मज़ाक किया था?”

रीमा कुच्छ नही बोली बस मुँह फेरे खड़ी रही.

“अच्छा बाबा,सॉरी!”,उन्होने उसे फिर से पीछे से बाहो मे लेने की कोशिश की तो रीमा फिर से छितक गयी.

“अब मान भी जाओ.”,इस बार उन्होने काफ़ी मज़बूती से उसे पीछे से थाम लिया & उसके कान को चूमने लगे,रीमा भी भी छूटने के लिए कसमसा रही थी,”..अरे भाई!नाराज़गी की वजह भी तो बताओ!”,उन्होने उसके गाल को चूम लिया

“पहले तो 4 दीनो से गायब थे,आज भी 7 बजे कहके अब आ रहे हैं & उपर से डरा के मेरी जान निकाल दी..& मुझ से वजह पुच्छ रहे हैं!”

“बहुत डर गयी थी क्या?”,उन्होने उसका माथा चूम लिया.

“हां.देखिए अभी तक दिल कैसे ज़ोर से धड़क रहा है.”,उसने उनका हाथ अपने पेट से उठा अपने क्लीवेज पे रख दिया.

“अभी शांत कर देते है इसे.”,उन्होने उसके कान मे अपनी जीभ फिराते हुए उस हाथ से उसके क्लीवेज को दबाना शुरू कर दिया & दूसरे हाथ को नीचे से उसकी वेस्ट मे घुसा उसके पेट को सहलाने लगे.

“उम्म्म.....कहा रहे 4 दिन?”,उसने दोनो हाथ पीछे ले जाके उनके गले मे डाल दिए.
“बस कुच्छ ज़्यादा काम आ गया था.”,वो अब उसकी गर्देन चूम रहे थे.

“मेरा तो बुरा हाल हो गया आपके बिना,आपको मेरी ज़रा भी याद नही आई?”,रीमा आँखे बंद कर अपनी गंद पीछे ले जा उनके पॅंट मे क़ैद लंड पे रगड़ने लगी.

“मत पुछो.मैने कैसे ये 4 दिन गुज़ारे हैं!”,उन्होने वेस्ट की स्ट्रॅप्स को 1-1 करके नीचे कर दिया,रीमा ने नहाने के बाद ब्रा नही पहनी थी & उसकी छातिया स्ट्रॅप्स उसकी बाँहो से सरकते ही दोनो छलक के विरेन्द्र जी के हाथो के नीचे आ गयी.थोड़ी देर तक वैसे ही वो उसकी गर्देन चूमते हुए उसकी चूचियो को अपने हाथो से दबाते,मसल्ते रहे.फिर रीमा ने मस्त हो चेहरा घुमा उन्हे चूमना शुरू कर दिया तो उन्होने उसकी वेस्ट को पूरा उसकी कमर तक नीचे कर दिया.अब वो कभी उसकी चूचिया मसल्ते तो कभी उसके नर्म गोल पेट को सहलाते हुए उसकी नाभि पे लगे नेवेल रिंग को छेड़ते.

रीमा मस्ती मे अपनी गंद उनके लंड पे रगडे ही जा रही थी.विरेन्द्र जी ने हाथ नीचे ला उसके शॉर्ट्स के बटन को खोला & उसे नीचे सरका दिया.फिर अपनी 1 टांग उठा घुटनो से उपर फाँसी शॉर्ट्स को पूरा नीचे कर उसके जिस्म से अलग कर दिया.उन्होने उसकी वेस्ट को भी कमर से नीचे सरकया तो वो उसकी टाँगो के गिर्द घेरा बनके ज़मीन पे गिर गयी.

रीमा ने पॅंटी भी नही पहनी थी & अब वो पूरी नगी थी.विरेन्द्र जी अब उसके पीछे से उसे थाम 1 हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ रहे थे & दूसरे से उसकी चूचिया मसल रहे थे.रीमा ने हाथ पीछे ले जा पॅंट की ज़िप खोली तो वो उसका इशारा समझ गये.वो उस से अलग हुए & आनन-फानन अपने कपड़े उतार फिर से उसे पीछे से दबोच लिया.रीमा ने हाथ पीछे ले जाके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.विरेन्द्र जी उसके गुलाबी होठ चूमते हुए फिर से उसकी चूत को रगड़ने लगे.रीमा 4 दीनो से अपने ससुर का इंतेज़ार कर रही थी & विरेन्द्र जी की उंगली की रगड़ाहट वो अपने दाने पे ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई & झाड़ गयी.

झाड़ कर उसने पास पड़े डाइनिंग टेबल को थाम लिया & अपनी साँसे संभालने लगी.झुकी हुई रीमा की कमर थाम विरेन्द्र जी ने पीछे से उसकी चूत पे लंड को रख 1 धक्का दिया.चूत पूरी तरह से गीली थी & लंड 1 ही झटके मे पूरा का पूरा अंदर चला गया.वो वैसे ही उसकी कमर थाम धक्के लगाने लगे.

थोड़ी देर बाद रीमा फिर से मस्ती मे आने लगी तो वो सीधी खड़ी हो गयी ,सहारे के लिए 1 हाथ टेबल पे रखा & दूसरे को पीछे ले जा अपने ससुर की गर्देन थाम ली & उनके धक्को का मज़ा ले आहे भरने लगी.थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे.काफ़ी देर से खड़े रहने के कारण रीमा को थकान सी महसूस हुई,”बिस्तर पे चलिए ना.”

जवाब मे विरेन्द्र जी ने उसकी दाई बाँह उठा कर अपनी गर्देन मे डाली,फिर नीचे से उसकी दाई जाँघ उठा कर पास पड़ी डाइनिंग चेर पे रखा .फिर अपने बाए हाथ मे उसकी बाई जाँघ थाम हवा मे उठा ली & उसी वक़्त उसकी दाई जाँघ को भी थाम वैसे ही उठा दिया.अब रीमा को वो उसकी जाँघो से हवा मे उठाए हुए थे & लंड अभी भी चूत मे था.रीमा उनके गले मे बाँह डाले उन्हे चूमने लगी तो वो चलते हुए उसे उसके कमरे मे नही बल्कि उस दूसरे कमरे मे ले गये.

वाहा उन्होने उसे बिस्तर पे घुटनो के बल बिठा दिया & फिर खड़े-2 ही उसकी चूत मे 4-5 गहरे धक्के लगाए.फिर बिस्तर पे चढ़ उसे डॉगी स्टाइल मे चोदने लगे.रीमा ने सर झुका कर तकिये मे छुपा लिया.उसे चोद्ते हुए वो कभी उसकी चूचिया मसल्ते तो कभी चूत के दाने को रगड़ते.

उन्होने अचानक धक्के लगाना रोका & उसे पेट के बल पूरा बिस्तर पे लिटा दिया.अब रीमा अपनी कोहनियो पे अपना उपरी बदन उठाए हुए अपने ससुर से चुद रही थी.विरेन्द्र जी उसकी चूचियो से खेलते हुए पीछे से उसके गर्देन को चूम रहे थे तो रीमा ने मुँह घुमा उनके होंठो को अपने होंठो की जाकड़ मे ले लिया.वो अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी & कभी भी झाड़ सकती थी की तभी विरेन्द्र जी ने हाथ बढ़ा कर साइड-टेबल पे पड़े काग़ज़ & कलम को उठाया & उसके सामने रख दिया,”ज़रा इन्पे साइन कर दो,रीमा.”

“ह्म्‍म्म........”.रीमा ने कलाम उठाई,उसे तो बस अपने ससुर की चुदाई का होश था.उन्होने उसे कलम पकड़ाई & पीछे से धक्के लगाते हुए,उसके गाल से गाल सटा,उसे पेपर्स पे साइन करने की जगहे दिखाई.रीमा ने कुच्छ 4 जगहो पे साइन किया तो उन्होने पेपर्स को वापस टेबल पे रखा & उसके होंठो को चूमते हुए,उसकी चूचियो को मसलना शुरू कर दिया & वो कातिल धक्के लगाए कि रीमा बस आहें भरते हुए झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही उन्होने भी उसकी चूत को अपने पानी से भर दिया & उसके उपर गिर कर उसके बालो को चूमने लगे.

थोड़ी देर बाद उन्होने अपना लंड निकाला & उसकी पीठ पे से उठ सीधे हो लेट गये तो रीमा भी पलट कर उनकी बाहो मे आ गयी.थोड़ी देर तक दोनो लेटे हुए इधर-उधर की बाते करते रहे.रीमा का हाथ उनके सीने के बालो से खेलते हुए उनके लंड तक जा पहुँचा था,उसे अपनी उंगलियो पे गीलापन महसूस हुआ तो उसने देखा कि उसके & उसके ससुर का मिला जुला रस उसकी उंगलियो पे लग गया है.उसने मुस्कुराते हुए अपने ससुर की ओर देखा & अपनी उंगलिया चाट कर सॉफ की.फिर उठी & उनके लंड को अपने हाथो मे ले अपने मुँह मे भर लिया.आँखे बंद किए वो उनका लंड चाटने लगी.

"वाह!क्या बात है!क्या नज़ारा है!बहू किस लगन से अपने ससुर का लंड चूस रही है!,"आवाज़ सुन रीमा चौंक कर उठ बैठी-कमरे के दरवाज़े पे ताली बजा कर ये बात कहता हुआ शेखर खड़ा था.

क्रमशः...................



KHILONA --paart--17

"Ye to shuruat thi,Chail me un 4 dino me hum teeno ne jismo ka ye madhosh khel jam ke khela.un 4 dino me pata nahi kitni baar maine Kajri ki chut ko apne pani se bhara.Sumitra bhi yahi chahti thi ki main kajri ke andar zyada se zyada jhadu.usne mujhe uski chut me bas 2 hi bar jhadne diya.",Reema jhad ke Virendra ji ke seene pe gir apni sanse sambhal rahi thi & vo uske baalo & pith ko sehla rahe the.

"sumitra apne maqsad me kamyab ho gayi,chail se ate hi hume pata chal ki kajri pregnant ho gayi hai.humne sare parivar valo ko ye bat diya ki sumitra pregnant hai.uske bad 9 mahine tak humne kajri ko duniya ki nazro se chhupaye rakha.sath hi ye khayl rakha ki sumitra bhi kisi jaan-pehchan vale ki nazar me na aaye.",virendra ji ne karwat lete hue,bina chut se lund nikale,apni bahu ko lita diya & uske upar aa gaye.

"..9 mahine bad kajri ki kokh se Shekhar ka janm hua.uske bad 3-4 mahine tak vo humare sath rahi & uske baad sumitra & uski ma ke beech hue saude ke mutabik vo paise le ke ye vad karke chali gayi ki ab kabhi bhi humse na milegi ya ye raz kholegi.",virendra ji reema ki dono chhatiyo ko hatho me bhar daba rahe the &.

"fir Ravi kiska beta hai?",reema ne apne sasur ke munh ko apni chhati pe daba diya.

"uparwale ke bhi ajeeb lila hai!agle sal sumitra bhi pregnant hui & ravi ko janam diya.",uske kade nipples ko chusne ke beech unhone kaha.

"..par kajri ne apna vada nahi nibhaya.use koi bimari ho gayi thi & vo bas kuch hi dino ki mehman thi.us waqt shekhar college me gaya hi tha.kajri ne kisi tarah humara pat laga liya & hume 1 khat likha.ittefaq dekho un dino hum sab kisi shadi me Panchmahal se bahar gaye the & kewal shekhar hi ghar pe thas.khat uske hath lag gaya & use ye raaz pata chal gaya.",virendra ji ab uski choochiyo se khelne ke sath halke-2 dhakke bhi laga rahe the.

"..bas usi din se vo humse naraz ho gay ki humne us se ye baat kyu chhupayi.samajh me nahi at ki jis maa-bap ne use itna pyar diya,usme & ravi me kabhi kaisa bhi farq nahi kiya vo humare sath aisa bartav kyu karne laga..usi ke chalte aaj sumitra ka ye hal hai.",reem unke baalo ko sehla rahi thi,ab vo fir se masti me ane lagi thi & uski kamar khud ba khud hilne lagi thi.

"..to ye hai vo raaz..lekin fir bhi reema mujhe nahi lagta ki shekhar ka ravi & shantu ki maut se kuchh lena-dena hai.par fir usne tumse shantu ke bare me jhuth kyu bola?tum befikr raho,jo bhi ho ab to main is mamle ki teh tak pahunch ke hi rahunga.",lekin is waqt virendra ji ke liye apni bahu ki chut ki teh tak pahunchana zyad zaruri tha.unhone uske chehre ko haatho me bhar uske rasile hoth chumte hue uski chut ki gehraiyon me apne lund ko pelna shuru kar diya.

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savere reema ki neend khuli to usne dekha ki virendra ji uski baayi chati ko dabate hue dayi ko munh me bhar chus rahe hain,usne apni ungliya unke baalo me fansa di.virendra ji ne dekha ki vo jag gayi hai to uske seene se sar utha upar aa apne hoth uske hotho pe rakh diye par unhe uske jawab me vo garmi mehsus nahi hui,"kya hua reema?koi pareshani hai kya?"

"dekhiye,maa ji hospital me hain & yaha koi bhi ye nahi janta ki main apki bahu hu.sab samajhte hain ki main 1 nurse hu jo maa ji ki dekhbhal ke liye yaha aayi thi.to aise me mera yaha rahna ab theek nahi hoga.kahi log aap pe ungliya na uthayen?",reema ne nazre neechi kar li.

"baat to tum thi kah rahi ho.tumhe yah nahi rahna chahiye.",virendra ji uske dono nipples ko apni ungliyo ke beech masal rahe the.reema ne hairani & dukh se unki taraf dekha.

"..magar us wajah se nahi jo tumhare dil me hai.dekho,mujhe yakeen nahi hai ki shekhar ne koi jurm kiya hai magar fir bhi main koi risk nahi lena chahta.",vo ab uske pet ko sehla rahe the,"..man lo vo doshi hai to vo tumhe koi nuksan pahuchane ki koshish zarur karega kyuki tumne shantu ke bare me puchha tha & use darr hoga ki kahi tum uspe shaq na karo.aur tumpe aanch aaye,ye mujhe bardasht nahi hoga,isiliye main tumhe yaha se kisi mehfuz jagh pe le jaoonga.",unka hath uski chut pe aa gaya tha & thodi der use sehlane ke bad uski 2 ungliya andar ghus uske dane ko masalne lagi.

"uummmmm....!..magar aisi mehfuz jagah hai kaha & hum vah jayenge kab?.....ooofffff..!",unki ungliyo ki shararat & unki aankho se jhalakti uske liye fikr se khush ho vo kamar hilati hui muskurayi.

"hai 1 jagah & hum vaha aaj hi jayenge..",vo uski janghe faila unke beech me a gaye & uske upar chadh apna lund uski gili chut me pura ghusa diya.."..magar iske bad.",virendra ji 1 baar fir apni khubsurat bahu ki chudaai me jut gaye.

2 ghante baad Virendra ji ki car dono ko liye Panchmahal se bahar jane wali sadak pe bhagi ja rahi thi.car 1 police post ke pass se guzari to Reema ke dil me khayal aaya ki agar virendra ji Shwekhar ke bare me police ko bata dete to shayad hota.par unka dil to shayad ye maanane ko taiyyar hi nahi tha ki uska apne bhai & Shantu ki mauton se koi lena-dena tha..aakhir tha to vo unka beta hi na!..ye bhi to ho sakta hai ki shekhar ne kisi aur vajah se shantu ke bare me jhuth bola ho & sachmuch uska in mauton se koi vasta na ho...lekin fir usne mina ke bare me itna bada jhuth kyu bola?

Reema khidki ke bahar dekh rahi thi...usne apne jism ke sahare in dono mardo ke dil ki asliyat to jaan hi lit hi & use ab pura yakeen tha ki jaha uska jeth 1 dhokhebaz insane hai,vahi uske sasur 1 bharosemand shakhs hain.unhone us se apne shuruati ravaiyye ke liye mafi bhi mang lit hi & ab to vo use beintaha chahane lage the.reema ke dil me 1 kasak paira hui..agar unhe pata chal gaya ki vo kewal unke sath hi nahi,shekhar ke sath bhi chudai karti thi to kya hoga?..aur maan lo pata nab hi chale to uske dil ke kisi kone me ye baat humesha faans ki tarah atki rahegi ki use apne upar jaan chhidakne vale is shakhs se marte dum tak ye raaz chhipaye rakhna hoga.

Car ab highway se utar 1 sunsan se raste pe daud rahi thi,samne 1 purana sa pul nazar aa raha tha jiske neeche bahut shor karti 1 nadi ka pani kafi tezi se bah raha tha,”ye kaun si nadi hai?”

“nadi nahi barsati nala hai.barish ki wajah se pura bhar gaya hai,yaha se kuchh 5-6 km baad ye jake nadi me mil jata hai.garmi me to bilkul such jata hai ye.”

Raste ke dono taraf kafi hariyali thi par yaha utna traffic nahi tha,beech-2 me ikka-dukka sawariya dikh rahi thi,tabhi virendra ji ne car ko baaye moda & samne 1 farmhouse nazar aaya.uske gate pe pahunch unhone horn bajaya.reema ne aas-paas dekha to paya ki agla farmhouse thoda duri pet ha-lagta tha jaise ki jungle ke beech logo ne thode ghar bana rakhe hai.gate khulne ki aavaz aayi to usne dekha ki 1 dehati sa insan virendra ji ko hath jod namaste karta gate khol raha hai.car farmhouse ke porch me khadi hui to virendra ji ne use saman utarne ko kaha.uska naam bhulwa tha & vo yaha farmhouse ke outhouse me apni patni muniya ke sath rehta tha.

“achha ab mujhe jana hai,sham ko aa jaoonga.kisi bhi chiz ki zarurat ho to bhulwa ya muniya se kehna & koi bhi baat ho to mujhe fauran fone karna.”,apni bahu ko baaho me bhar unhone chum liya,”..darna mat.bhulwa ko maine taqeed kar di hai ki bina meri ijazat yaha koi bahari aadmi nahi ghusega.”,unhone reema ke kurte me hath ghusa uski kamar ko sehlaya.

“ye kiska farmhouse hai?..umm......& aapne in dono ke mere bare me kya bataya hai?”,shirt ke gale me se jhankte apne sasur ke baalo bhare seene ko reema ne chum liya.

“ye mere 1 dost ka tha,ise maine kuch dino pehle hi kharida hai...shekhar ko iske bare me kuchh nahi pata..”,uski kamar ko dabate hue unhone uskii garden chum li,”..& tumhare bare me ye kaha hai ki tum meri khas mehman ho.”

Achha ab jata hu,sham ko jaldi aaonga.”,apni bahu ko 1 aakhri baar chum kar virendra ji chale gaye.

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agle 4 din reema ne kafi maze me bitaye.sham dhale virendra ji aa jate the fir vo unke sath subah tak tarah-2 se chudai karti thi.virendra ji aate hi uske & khud ke kapde utar dete & fir dono jo bhi kaam ho-khana,tv dekhna ya fir yu hi baate karna,nange hi karte.din bhar use koi bhi kaam karne ki zarurat nahi padti.dono pati-patni uska pura khayal rakhte.dono theth dehati the.reema ko to unki boli badi mushkil se samajh me aati thi par vo uski baate samajh lete the.dono vaise bhi zyada baate nahi karte the & apna kaam khatam kar apne outhouse me chale jate the.

Fir virendra ji ka fone aaya ki vo 4 din tak nahi aa payenge.pehli raat to reema ko akele sone me kafi darr laga & uski chut ne bhi use kafi pareshan kiya,use to roz bharpur chudai ki aadat pad gayi thi,bina lund ke uska bura haal ho gaya.

Paanchve din unhone fone kiya ki aaj sham 7 baje tak vo zarur aa jayenge lekin bhulwa & muniya 4 baje vaha se apne gaanv ke liye nikal jayenge to use 3 ghante bilkul akeli rehna padega.

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Ghadi 8 baja rahi thi & abhi tak Virendra ji kakoi pata nahi tha.2-3 dino se barish nahi hui thi,to thodi garmi ho gayi thi & umas bhi.reema ne socha tha ki sasur ke aate hi pehle vo unke sath nahayegi & fir unse 1 baar chudne ke baad unke sath khana khayegi.par ab garmi ke sath-2 unka intezar karte -2 use thodi kheej bhi hone lagi thi.usne akele hi nahane ka faisla kiya.

Nahane ke baad usne denim shorts joki bas uski gand ki faanko ko dhanke hue the pehne & upar 1 laal rang ki sleeveless vest daal li,jiske gale me se uska bada sa cleavage dikh raha tha.tabhi use 1 aavaz sunai di,jaise ki hall me koi chal raha ho.darr se vo jaise jam si gayi.usne kisi car ki aavaz nahi suni thi to uske sasur to ho nahi sakte the,bhulwa to muniya ke sath 4 baje hi nikal gaya tha to kahi shekhar to nahi tha?

Dabe paanv vo kamre se nikal hall me aayi-vaha koi nahi tha.uske kamre & hall ke alava vaha 4 kamre aur the jisme se 3 me tala laga hua tha.tabhi us dusre khule kamre se fir kuchh aavaz aayi.darr se reema ke mathe pe paseena chhalchhala aaya tha.vo kisi tarah apne dhadhakte dil pe kabu rakh us kamre ke paas gay & dheere se uska darvaza khola,andar koi nahi tha.

Vo kamre ke andar dakhil hui,bed ki bagal me rakhe side-table pe kuchh papers rakhe the..pehle to vaha kuchh bhi nahi tha!vo table ki taraf badhne lagi ki tabhi use peechhe se kisi ne jakad liya.reema ki cheekh nikal gayi to vo insane hansne laga.hansi ki aavaz sun reema ka darr kafoor ho gaya-ye virendra ji the.

Usne gusse se unki taraf dekha & unke hath jhatak kar kamre se bahar nikal hall me chali aayi.

“are bhai,itna naraz kyu ho rahi ho?maine to bas mazak kiya tha?”

Reema kuchh nahi boli bas munh fere khadi rahi.

“achha baba,sorry!”,unhone use fir se peechhe se baaho me lene ki koshish ki to reema fir se chhitak gayi.

“ab maan bhi jao.”,is baar unhone kafi mazbooti se use peechhe se tham liya & uske kaan ko chumne lage,reema bhi bhi chhutne ke liye kasmasa rahi thi,”..are bhai!narazgi ki vajah bhi to batao!”,unhone uske gaal ko chum liya

“pehle to 4 dino se gayab the,aaj bhi 7 baje kehke ab aa rahe hain & upar se dara ke meri jaan nikal di..& mujh se vajah puchh rahe hain!”

“bahut darr gayi thi kya?”,unhone uska matha chum liya.

“haan.dekhiye abhi tak dil kaise zor se dhadak raha hai.”,usne unka hath apne pet se utha apne cleavage pe rakh diya.

“abhi shant kar dete hai ise.”,unhone uske kaan me apni jibh firate hue us hath se uske cleavage ko dabana shuru kar diya & dusre hath ko neeche se uski vest me ghusa uske pet ko sehlane lage.

“ummm.....kaha rahe 4 din?”,usne dono hath peechhe le jake unke gale me daal diye.
“bas kuchh zyada kaam aa gaya tha.”,vo ab uski garden chum rahe the.

“mera to bura haal ho gaya aapke bina,aapko meri zara bhi yaad nahi aayi?”,reema aankhe band kar apni gand peechhe le ja unke pant me qaid lund pe ragadne lagi.

“mat puchho.maine kaise ye 4 din guzare hain!”,unhone vest ki straps ko 1-1 karke neeche kar diya,reema ne nahane ke baad bra nahi pahni thi & uski chhatiya straps uski banho se sarakte hi dono chhalak ke virendra ji ke hatho ke neeche aa gayi.thodi der tak vaise hi vo uski garden chumte hue uski choochiyo ko apne hatho se dabate,masalte rahe.fir reema ne mast ho chehra ghuma unhe chumna shuru kar diya to unhone uski vest ko pura uski kamar tak neeche kar diya.ab vo kabhi uski choochiya masalte to kabhi uske narm gol pet ko sehlate hue uski nabhi pe lage navel ring ko chhedte.

Reema masti me apni gand unke lund pe ragde hi ja rahi thi.virendra ji ne hath neeche la uske shorts ke button ko khola & use neeche sarka diya.fir apni 1 tang utha ghutno se upar phansi shorts ko pura neeche kar uske jism se alag kar diya.unhone uski vest ko bhi kamar se neeche sarkaya to vo uski tango ke gird ghera banake zamin pe gir gayi.

Reema ne panty bhi nahi pehni thi & ab vo puri nagi thi.virendra ji ab uske peeche se use tham 1 hath se uski chut ke dane ko ragad rahe the & dusre se uski chhatiya masal rahe the.reema ne hath peechhe le ja pant ki zip kholi to vo usk ishara samajh gaye.vo us se alag hue & aanan-fanan apne kapde utar fir se use peechhe se daboch liya.reema ne hath peechhe le jake lund ko pakad liya & hilane lagi.virendra ji uske gulabi hoth chumte hue fir se uski chut ko ragadne lage.reema 4 dino se apne sasur ka intezar kar rahi thi & virendra ji ki ungli ki ragdahat vo apne dane pe zyada der tak bardasht nahi kar payi & jhad gayi.

Jhad kar usne paas pade dining table ko tham liya & apni saanse sambhalne lagi.jhuki hui reema ki kamar tham virendra ji ne peechhe se uski chut pe lund ko rakh 1 dhakka diya.chut puri tarah se gili thi & lund 1 hi jhatke me pura ka pura andar chala gaya.vo vaise hi uski kamar tham dhakke lagane lage.

Thodi der baad reema fir se masti me aane lagi to vo seedhi khadi ho gayi ,sahare ke liye 1 hath table pe rakha & dusre ko peechhe le ja apne sasur ki garden tham li & unke dhakko ka maza le aahe bharne lagi.thodi der tak dono aise hi chudai karte rahe.kafi der se khade rahne ke karan reema ko thakan si mehsus hui,”bistar pe chaliye na.”

Jawab me virendra ji ne uski daayi banh utha kar apni garden me dali,fir neeche se uski daayi jangh utha kar paas padi dining chair pe rakha .fir apne baaye hath me uski baayi jangh tham hawa me utha li & usi waqt uski daayi jangh ko bhi tham vaise hi utha diya.ab reema ko vo uski jangho se hawa me uthaye hue the & lund abhi bhi chut me tha.reema unke gale me banh dale unhe chumne lagi to vo chalte hue use uske kamre me nahi balki us dusre kamre me le gaye.

Vaha unhone use bistar pe ghutno ke bal bitha diya & fir khade-2 hi uski chut me 4-5 gehre dhakke lagaye.fir bistar pe chadh use doggie style me chodne lage.reema ne sar jhuka kar takiye me chhupa liya.use chodte hue vo kabhi uski choochiya masalte to kabhi chut ke dane ko ragadte.

Unhone achanak dhakke lagane roka & use pet ke bal pura bistar pe lita diya.ab reema apni kohniyo pe apna upari badan uthaye hue apne sasur se chud rahi thi.virendra ji uski chhatiyo se khelte hue peechhe se uske garden ko chum rahe the to reema ne munh ghuma unke hotho ko apne hotho ki jakad me le liya.vo ab puri tarah se mast ho chuki thi & kabhi bhi jhad sakti thi ki tabhi virendra ji ne hath badha kar side-table pe pade kagaz & kalam ko uthaya & uske samne rakh diya,”zara inpe sign kar do,reema.”

“hmmm........”.reema ne kalam uthai,use to bas apne sasur ki chudai ka hosh tha.unhone use kalam pakdai & peechhe se dhakke lagate hue,uske gaal se gaal sataye,use papers pe sign karne ki jagahe dikhayi.reema ne kuchh 4 jagaho pe sign kiya to unhone papers ko vapas table pe rakha & uske hotho ko chumte hue,uski chhtiyo ko masalna shuru kar diya & vo katil dhakke lagaye ki reema bas aahen bharte hue jhad gayi.uske jhadte hi unhone bhi uski chut ko apne pani se bhar diya & uske upar gir kar uske baalo ko chumne lage.

thodi der baad unhone apna lund nikala & uski pith pe se uth seedhe ho let gaye to reema bhi palat kar unki baaho me aa gayi.thodi der tak dono lete hue idhar-udhar ki baate karte rahe.reema ka hath unke seene ke baalo se khelte hua unke lund tak ja phuncha tha,use apni ungliyo pe gilapan mehsus hua to usne dekha ki uske & uske sasur ka mila jula ras uski ungliyo pe lag gaya hai.usne muskurate hue apne sasur ki or dekha & apni ungliya chat kar saaf ki.fir uthi & unke lund ko apne hatho me le apne munh me bhar liya.aankhe band kiye vo unka lund chatne lagi.

"Vaah!kya baat hai!kya nazara hai!bahu kis lagan se apne sasur ka lund chus rahi hai!,"aavaz sun reema chaunk kar uth baithi-kamre ke darvaze pe taali baja kar ye baat kahata hua shekhar khada tha.

kramashah...................











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj































































































































































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