Monday, April 19, 2010

सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--19

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सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--19

"कौन सा राज़?",रीमा का दिल ज़ोरो से धड़कने लगा.

"बताता हू.",शेखर अब उसके पैरो की तरफ सर करके लेट गया,"..जिन दीनो मे कजरी राइ & पिताजी की आवंतिपुर मे मुलाकात हुई,उसी वक़्त पंचमहल के 1 पब मे मैं शंतु से टकराया.मैने तो उसे पहचाना ही नही,बढ़ी दाढ़ी,बिखरे बाल,नशे मे धुत...उसकी फॅमिली कॅल्कटा शिफ्ट हो गयी थी पर वो यही रह गया था.रवि के पुणे जाने के बाद से मैने उसे नही देखा था.जब उसके ऐसे हाल के बारे मे पुचछा तो वो टाल गया."

"..पर मैने भी 2 दीनो मे 2 बॉटल वोडका के सहारे उस से ये राज़ उगलवा ही लिया जिसे सुन के मैं हैरान रह गया.सुनोगी?",शेखर उसके पैरो को सहला रहा था & वीरेन्द्र जी उसकी चूचियो को दबा & चूस रहे थे.

"हन."

"तुम्हारा पति & शंतु लवर्स थे."

"क्या बकवास है!रवि गे नही था."

"जानेमन!मैने कब कहा कि वो गे था,वो तो बाइसेक्षुयल था-उसे औरत & मर्द दोनो के साथ सेक्स करने का शौक था.जब तुम्हारे प्यार मे दीवाना हो वो तुमसे शादी कर बैठा तो शंतु-जो कि गे था,उसका दिल टूट गया & वो डिप्रेशन का शिकार हो गया.वो पागल समझता था कि रवि उसके साथ पूरी ज़िंदगी बिताएगा.पर रवि ने तो तुम्हारे उसकी ज़िंदगी मे आने के बाद से ही उस से कन्नी काटना शुरू कर दिया था.",शेखर उसके पैरो की उंगलियो को चूम रहा था.

"..बस यही मौका हमे मिल गया.मेरे खुरापाति दिमाग़ ने शंतु के ज़रिए रवि को ब्लॅकमेल करने का प्लान बनाया.मैने शंतु को एमोशनली यूज़ करना शुरू किया.उस से झूठ कहा कि रवि ने तुमसे शादी करने के बाद हमसे भी नाता तोड़ लिया था & वो मुझे भी अपने बॅंक से लोन नही दिलवा रहा था."

"..मैने शंतु को इस बात के लिए तैय्यार कर लिया कि वो बॅंगलुर जाकर रवि से मिले & उसे डराए कि अगर उसने उसे .6 लाख रुपये नही दिए तो वो तुम्हे उसके & रवि के रिश्ते के बारे मे सब बता देगा.पहले तो वो झिझका पर जब मैने उसे कहा कि उन पैसो से मैं उसे दुबई मे नौकरी दिलवा दूँगा तो वो तैय्यार हो गया."

"..तो इसीलिए रवि उन दीनो परेशान था?",रीमा ने सोचा.

"..उसके बाद तो तुम जानती ही हो,कि रवि ने कैसे पैसो का इंतेज़ाम किया-कुच्छ अपने पास से,कुच्छ फ़र्ज़ी लोन से.तुम्हे खोना नही चाहता था वो-आख़िर तुम हो ही ऐसी चीज़!",शेखर उसके पैर के अंगूठे को चूस्ते हुए उसकी जंघे सहला रहा था.

"..मैने शंतु को बॅंगलुर के बाहर 1 सरॅमिक फॅक्टरी के गेस्ट हाउस मे ठहराया था.उस दिन रवि ने उसे जब पैसे दिए तो मैं वही छुपा था.जैसे ही रवि पैसे दे के निकला मैने शंतु से पैसे ले लिए & उसे एरपोर्ट भेज दिया.हम दोनो 1 ही फ्लाइट से 1 साथ वापस यहा आने वाले थे,उसके बाद शंतु दुबई चला जाता & मुझे 1 हथ्यार मिल जाता रवि को आगे भी ब्लेकमेल करने के लिए."

"..पर रवि की बदक़िस्मती देखो,पैसे देने के वक़्त उसकी जेब से उसका वॉलेट वाहा गिर गया था & जब 45 मिनिट बाद वो उसे लेने वाहा आया तो उसने कमरे मे मुझे पाया.मैं पैसे गिनना ख़त्म कर वाहा से निकलने ही वाला था कि वो कमरे मे दाखिल हुआ & 1 पल मे ही सब समझ गया.मैं उसकी ओर लपका पर उसने मुझे धक्का दे कर गिरा दिया & वाहा से निकल भागा."

"..वो अपनी बाइक से भाग रहा था & मैं 1 कार से उसका पीचछा कर रहा था.जब वो पुल पे पहुँचा तो बाइक थोड़ी स्लो हुई,मैं सही टाइम पे ब्रेक नही लगा पाया & पीछे से कार उसकी बाइक से जा भिड़ी.टक्कर के चलते बाइक उस पुराने पुल की कमज़ोर रेलिंग को तोड़ उसमे अटक गयी.बाइक आधी हवा मे & आधी पुल पे थी & रवि उच्छल कर रेलिंग के उस पार गिर गया था.पर उसने गिरते हुए किसी तरह पुल को पकड़ लिया था & अब उस से लटका हुआ था."

"..अगर वो बच जाता तो मेरा भंडा फूट जाता & साथ ही साथ इनका भी,",उसने अपने पिता की ओर इशारा किया.उसके होठ अब उसके पैरो को छ्चोड़ उपर उसकी गोरी टांग पे आ गये थे,"..मैने इधर-उधर देखा,जगह बिल्कुल वीरान थी.मैने अपना हाथ नीचे बढ़ाया तो उसने सोचा कि मैं उसे उपर खींचुँगा & मेरा हाथ थाम लिया.ऐसा करते ही मैने हाथ छ्चोड़ दिया & वो नीचे नदी मे जा गिरा.1 धक्के के बाद बाइक भी नदी मे थी & थोड़ी देर बाद मैं & इस हादसे से अंजान शंतु प्लेन मे बैठे थे."

रीमा बुत की तरह बैठी थी & दोनो उस से खिलोने की तरह खेल रहे थे,"..तो इस कमीने ने उसके रवि का खून किया था!कैसे घिनोने लोग हैं ये!इन्ही बाप & भाई से बिछदने का गम था बेचारे रवि को!"

"..कजरी राइ रवि की मौत के 2 हफ्ते पहले ही चल बसी थी & उसके वकील ने उसकी वसीयत के मुताबिक उसी दिन सवेरे-जिस दिन रवि की मौत हुई-बॅंगलुर आके सवेरे काग़ज़ात पे उसके दस्तख़त लिए थे & रवि से 1 इंसान को अपना नॉमिनी बनाने के लिए कहा था ताकि अगर रवि की मौत हो जाए तो उसके हिस्से की सारी दौलत उस इंसान को मिल जाए.रवि ने तुम्हे अपना नॉमिनी बनाया था.",शेखर उठ कर बैठ गया था & उसका हाथ रीमा की जाँघो से फिसलता हुआ उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.

"..हमे ये बात पता चली तो तुम्हारा हमारे करीब होना ज़रूरी हो गया & फिर पिताजी तुम्हे यहा ले आए.वकील ने हमे पेपर्स दिखाए,उनमे सॉफ-2 लिखा था कि अगर रवि की अन्नॅचुरल डेथ होती है तो 3 महीने बाद ही तुम्हे सारी दौलत मिलेगी.उन 3 महीनो तक ये ज़रूरी था कि रवि की मौत के पीछे साज़िश होने की बात ना खुले बल्कि सबको ये लगे कि वो 1 रोड आक्सिडेंट था वरना वकील मामले को पोलीस के पास ले जाता.आख़िर करोड़ो रुपयो का सवाल था!"

"..तो ये थी असली बात!ये सारा खेल उसे पोलीस के पास जाने से रोकने & दौलत हड़पने के लिए इन दोनो बाप-बेटे ने खेला था!",रीमा ने सोचा.

"...फिर तुम्हारी जिस्म की भूख ने भी हमारा साथ दिया.हमने तो सोचा भी नही था की तुम खुद हम दोनो के बिस्तर गरम करोगी!",शेखर & विरेन्द्र जी दोनो उसकी चूचिया मसल रहे थे,शेखर 1 हाथ से उसकी चूत भी रगड़ रहा था.

"..वकील ने तुमसे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की पर तुम बंगलोर मे नही मिली तो वो पिताजी के पास आया.पिताजी ने वकील को ये कहा कि तुम अभी भी बहुत दुखी हो & इन सब चीज़ो से तुम्हे कोई मतलब नही है,तो उसने पिताजी को 1 काग़ज़ दिया जिसमे ये लिखा था कि तुम ही रवि की पत्नी हो & उसकी वसीयत के मुताबिक अब सारी दौलत तुम्हे मिलेगी पर इसके लिए तुम्हे 2 महीनो तक इंतेज़ार करना पड़ेगा...& कल 2 महीने पूरे हो रहे हैं.आज जिन काग़ज़ो पे तुमने साइन किया है,उनमे यही लिखा कि तुम्हे रवि की दौलत मिल रही है."

"..पर उसके नीचे 1 पेपर और भी है जिसपे तुमने साइन करके उस दौलत को जैसे चाहे इस्तेमाल करने की पॉवेर ऑफ अटर्नी हम दोनो को दे दी है.",शेखर ने उसकी चूत मारते हुए उसके होठ चूम लिए.

"..फिर शंतु का क्या हुआ?",रीमा ने उसके होठ से अपने होठ अलग किए.

"तुमने वो ब्लॅंक कॉल्स वाली बात बताई तो पता नही क्यू मेरा माथा ठनका कि हो ना हो ये शंतु ही है.बस मैने पता लगाना शुरू किया तो मालूम हुआ कि उसने दुबई के बाद अपनी पोस्टिंग यहा करा ली थी.मैने उस से मुलाकात की & उसे जम के दारू पिलाई.नशे मे धुत शंतु को मैने उसके घर पहुँचाया,जहा वो बेसूध सोने लगा & मैने उसका फ्लॅट छानना शुरू किया.शंतु को 1 गंदी आदत थी-जर्नल लिखने की.दिल मे जो भी ख़याल आते या कोई ऐसी बात सुनता जो उसे अच्छी लगती तो वो उसे उसमे लिख लेता."

"..शुरू के पन्नो मे तो इधर-उधर की बाते थी,फिर 1 पन्ने पे उसने बस अपना दर्द लिखा था कि कैसे उसके माता-पिता उसे नही समझते थे-उसने उन्हे अपने गे होने के बारे मे बताया था & वो भड़क गये थे...& आगे के पन्नो मे उसने लिखा था कि उसे शक़ था कि रवि की मौत से मेरा कुच्छ लेना-देना है.उसने ये भी लिखा था कि वो तुमसे बात करना चाहता है पर हिम्मत नही जुटा पा रहा है.मेरे लिए इतना काफ़ी था.1 रस्सी को उसके गले मे बाँध मैने पंखे से लटका कर 1 टेबल पे खड़ा किया & फिर टेबल को लात मार दी.थोड़ी देर तक लटका तड़प्ता रहा & फिर शंतु हुमेशा के लिए शांत हो गया.मैने उस पन्ने को फाडा जिसमे उसने मा-बाप & अपने डिप्रेशन के बारे मे लिखा था...आख़िरी लाइन्स मे सॉफ लिखा था कि वो अब और जीना नही चाहता.उसके नीचे मैने उसके नकली दस्तख़त किए & उसकी मौत को ख़ुदकुशी की शक्ल दे दी."

रीमा के चेहरे से तो लग रहा था कि जैसे उसे कुच्छ समझ नही आ रहा,पर उसका दिमाग़ बहुत तेज़ी से काम कर रहा था.उसे कैसे भी करके यहा से निकलना था.ये दोनो अभी उसे चोदेन्गे,ये वो जानती थी & उसने चुदाई को ही अपना हथ्यार बनाने की सोची.उसने तय किया कि वो उनके साथ इतनी बार & इतनी जम के चुदाई करेगी कि उन्हे थक कर सोना ही पड़ेगा & जैसे ही दोनो नींद के आगोश मे गये वो यहा से निकल भागेगी!
क्रमशः........................
...
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
...
आपका दोस्त
राज शर्मा
खिलोना पार्ट--1
खिलोना पार्ट--2
खिलोना पार्ट--3
खिलोना पार्ट--4
खिलोना पार्ट--5
खिलोना पार्ट--6
खिलोना पार्ट--7
खिलोना पार्ट--8
खिलोना पार्ट--9
खिलोना पार्ट--10
खिलोना पार्ट--11
खिलोना पार्ट--12
खिलोना पार्ट--13
खिलोना पार्ट--14
खिलोना पार्ट--15
खिलोना पार्ट--16
खिलोना पार्ट--17
खिलोना पार्ट--18
खिलोना पार्ट--19
खिलोना पार्ट--20

KHILONA --paart--19

"Kaun sa raaz?",Reema ka dil zoro se dhadakne laga.

"batata hu.",Shekhar ab uske pairo ki taraf sar karke let gaya,"..jin dino me Kajri Rai & pitaji ki Avantipur me mulakat hui,usi waqt Panchmahal ke 1 pub me main Shantu se takraya.maine to use pehchana hi nahi,badhi dadhi,bikhre baal,nashe me dhut...uski family calcutta shift ho gayi thi par vo yahi rah gaya tha.Ravi ke Pune jane ke baad se maine use nahi dekha tha.jab uske aise haal ke bare me puchha to vo taal gaya."

"..par maine bhi 2 dino me 2 bottle vodka ke sahare us se ye raaz ugalwa hi liya jise sun ke main hairan rah gaya.sunogi?",shekhar uske pairo ko sehla raha tha & Virendra ji uski chhatiyo ko daba & chus rahe the.

"haan."

"tumhara pati & shantu lovers the."

"kya bakwas hai!ravi gay nahi tha."

"janeman!maine kab kaha ki vo gay tha,vo to bisexual tha-use aurat & mard dono ke sath sex karne ka shauk tha.jab tumhare pyar me deewana ho vo tumse shadi kar baitha to shantu-jo ki gay tha,uska dil toot gaya & vo depression ka shikar ho gaya.vo pagal samajhta tha ki ravi uske sath puri zindagi bitayega.par ravi ne to tumhare uski zindagi me aane ke baad se hi us se kanni kaatna shuru kar diya tha.",shekhar uske pairo ki ungliyo ko chum raha tha.

"..bas yahi mauka hume mil gaya.mere khurapati dimagh ne shantu ke zariye ravi ko blackmail karne ka plan banaya.maine shantu ko emotionally use karna shuru kiya.us se jhuth kaha ki ravi ne tumse shadi karne ke baad humse bhi nata tod liya tha & vo mujhe bhi apne bank se loan nahi dilwa raha tha."

"..maine shantu ko is baat ke liye taiyyar kar liya ki vo bangalore jakar ravi se mile & use daraye ki agar usne use Rs.6 lakh rupaye nahi diye to vo tumhe uske & ravi ke rishte ke bare me sab bata dega.pehle to vo jhijhka par jab maine use kaha ki un paiso se main use Dubai me naukri dilwa dunga to vo taiyyar ho gaya."

"..to isiliye ravi un dino pareshan tha?",reema ne socha.

"..uske baad to tum janti hi ho,ki ravi ne kaise paiso ka intezam kiya-kuchh apne paas se,kuchh farzi loan se.tumhe khona nahi chahta tha vo-aakhir tum ho hi aisi cheez!",shekhar uske pair ke anguthe ko chuste hue uski janghe sehla raha tha.

"..maine shantu ko bangalore ke bahar 1 ceramic factory ke guest house me theraya tha.us din ravi ne use jab paise diye to main vahi chhupa tha.jaise hi ravi paise de ke nikla maine shantu se paise le liye & use airport bhej diya.hum dono 1 hi flight se 1 sath vapas yaha aane wale the,uske baad shantu dubai chala jata & mujhe 1 hathyar mil jata ravi ko aage bhi balckmail karne ke liye."

"..par ravi ki badkismati dekho,paise dene ke waqt uski jeb se uska wallet vaha gir gaya tha & jab 45 minute baad vo use lene vaha aaya to usne kamre me mujhe paya.main paise ginana khatm kar vaha se nikalne hi wala tha ki vo kamre me dakhil hua & 1 pal me hi sab samajh gaya.main uski or lapka par usne mujhe dhakka de kar gira diya & vaha se nikal bhaga."

"..vo apni bike se bhag raha tha & main 1 car se uska peechha kar raha tha.jab vo pul pe pahuncha to bike thodi slow hui,main sahi time pe brake nahi laga paya & peechhe se car uski bike se ja bhidi.takkar ke chalte bike us purane pul ki kamzor railing ko tod usme atak gayi.bike aadhi hawa me & aadi pul pe thi & ravi uchhal kar railing ke us par gir gaya tha.par usne girte hue kisi tarah pul ko pakad liya tha & ab us se latka hua tha."

"..agar vo bach jata to mera bhanda phut jata & sath hi sath inka bhi,",usne apne pita ki or ishar kiya.uske hoth ab uske pairo ko chhod upar uski gori tang pe aa gaye the,"..maine idhar-udhar dekha,jagah bilkul veeran thi.maine apna hath neeche badhaya to usne socha ki main use upar khinchunga & mera hath tham liya.aisa karte hi maine hath chhod diya & vo neeche nadi me ja gira.1 dhakke ke bad bike bhi nadi me thi & thodi der baad main & is hadse se anjan shantu plane me baithe the."

reema but ki tarah baithi thi & dono us se khilone ki tarah khel rahe the,"..to is kameene ne uske ravi ka khun kiya tha!kaise ghinone log hain ye!inhi baap & bhai se bichhadne ka gham tha bechare ravi ko!"

"..kajri rai ravi ki maut ke 2 hafte pehle hi chal basi thi & uske vakil ne uski vasiyat ke mutabik usi din savere-jis din ravi ki maut hui-bangalore aake savere kagzat pe uske dastkhat liye the & ravi se 1 insan ko apna nominee banane ke liye kaha tha taki agar ravi ki maut ho jaye to uske hisse ki sari daulat us insan ko mil jaye.ravi ne tumhe apna nominee banaya tha.",shekhar uth kar baith gaya tha & uska hath reema ki jangho se fisalta hua uski chut ki or badh raha tha.

"..hume ye baat pata chali to tumhara humare kareeb hona zaruri ho gaya & fir pitaji tumhe yaha le aaye.vakil ne hume papers dikhaye,unme saaf-2 likha tha ki agar ravi ki unnatural death hoti hai to 3 mahine baad hi tumhe sari daulat milegi.un 3 mahino tak ye zaruri tha ki ravi ki maut ke peechhe sazish hone ki baat na khule balki sabko ye lage ki vo 1 road accident tha varna vakil mamle ko police ke paas le jata.aakhir karodo rupayo ka sawal tha!"

"..to ye thi asali baat!ye sara khel use police ke paas jane se rokne & daulat hadapne ke liye in dono baap-bete ne khela tha!",reema ne socha.

"...fir tumhari jism ki bhukh ne bhi humara sath diya.humne to socha bhi nahi tha ki tum khud hum dono ke bistar garam karogi!",shekhar & virendra ji dono uski choochiya masal rahe the,shekhar 1 hath se uski chut bhi ragad raha tha.

"..vakil ne tumse contact karne ki koshish ki par tum banaglore me nahi mili to vo pitaji ke paas aaya.pitaji ne vakil ko ye kaha ki tum abhi bhi bahut dukhi ho & in sab chizo se tumhe koi matlab nahi hai,to usne pitaji ko 1 kagaz diya jisme ye likha tha ki tum hi ravi ki patni ho & uski vasiyat ke mutabik ab sari daulat tumhe milegi par iske liye tumhe 2 mahino tak intezar karna padega...& kal 2 mahine pure ho rahe hain.aaj jin kagazo pe tumne sign kiya hai,unme yahi likha ki tumhe ravi ki daulat mil rahi hai."

"..par uske neeche 1 paper aur bhi hai jispe tumne sign karke us daulat ko jaise chahe istemal karne ki power of attorney hum dono ko de di hai.",shekhar ne uski chut marte hue uske hoth chum liye.

"..fir shantu ka kya hua?",reema ne uske hoth se apne hoth alag kiye.

"tumne vo blank calls vali baat batayi to pata nahi kyu mera matha thanka ki ho na ho ye shantu hi hai.bas maine pata lagana shuru kiya to maloom hua ki usne dubai ke bad apni posting yaha kara li thi.maine us se mulakat ki & use jam ke daru pilai.nashe me dhut shantu ko maine uske ghar pahunchaya,jaha vo besudh sone laga & maine uska flat chhanana shuru kiya.shantu ko 1 gandi aadat thi-journal likhne ki.dil me jo bhi khayal aate ya koi aisi baat sunta jo use achhi lagti to vo use usme likh leta."

"..shuru ke panno me to idhar-udhar ki baate thi,fir 1 panne pe usne bas apna dard likha tha ki kaise uske mata-pita use nahi samajhte the-usne unhe apne gay hone ke bare me bataya tha & vo bhadak gaye the...& aage ke panno me usne likha tha ki use shaq tha ki ravi ki maut se mera kuchh lena-dena hai.usne ye bhi likha tha ki vo tumse baat karna chahta hai par himmat nahi juta pa raha hai.mere liye itna kafi tha.1 rassi ko uske gale me bandh maine pankhe se latka kar 1 table pe khada kiya & fir table ko laat mar di.thodi der tak latka tadfadata raha & fir shantu humesha ke liye shant ho gaya.maine us panne ko fada jisme usne maa-baap & apne depression ke bare me likha tha...aakhiri lines me saaf likha tha ki vo ab aur jeena nahi chahta.uske neeche maine uske nakli dastkhat kiye & uski maut ko khudkushi ki shakl de di."

reema ke chehre se to lag raha tha ki jaise use kuchh samajh nahi aa raha,apr uska dimagh bahut tezi se kaam kar raha tha.use kaise bhi karke yaha se nikalna tha.ye dono abhi use chodenge,ye vo janti thi & usne chudai ko hi apna hathyar banane ki sochi.usne tay kiya ki vo unke sath itni bar & itni jam ke chudai karegi ki unhe thak kar sona hi padega & jaise hi dono neend ke agosh me gaye vo yaha se nikal bhagegi!










आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj






























































































































































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