raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ
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सेक्सी कहानियाँ खिलोना पार्ट--20
रीमा ने अपने मन के जज़्बातों को चेहरे पे नही आने दिया,"फिर तो शंतु बेवजह मारा गया."
"ऐसे क्यू कह रही हो?",शेखर की उंगली चूत मे कुच्छ ज़्यादा तेज़ होने लगी थी.
"ये सारा खेल किस लिए खेला आप दोनो ने-पैसों के लिए ही ना?मुझे आप दोनो के साथ चुदाई करके कितना मज़ा मिला है,वो तो मैं लफ़ज़ो मे बयान नही कर सकती.रवि की मौत के बारे मे तो मुझे शुरू से ही कुच्छ खटक रहा था,इसीलिए सवाल करती रहती थी...पर अब मुझे बस इनसे मतलब है.",शोखी से मुस्कुराते हुए उसने दोनो के लंड को अपने हाथो मे पकड़ कर मसल दिया.
शेखर के लिए अब सब्र करना नामुमकिन हो गया,उसने रीमा को पकड़ कर लिटा दिया & उसकी टांगे फैला कर 1 ही झतके मे अपना लंड उसकी चूत मे उतार दिया.फिर उसके उपर लेट उसे चूमते हुए धक्के लगाने लगा.
"..आअहह...!उफफफ्फ़.....कितना मज़ा आ रहा है....इस से बड़ी कोई दौलत हो सकती है दुनिया मे?..आहह...मैं तो बस पूरी ज़िंदगी आपलोगो के साथ बस ऐसे ही चुद्ते हुए गुज़रना चाहती हू...",शेखर के धक्को से रीमा का सर पलंग के किनारे से नीचे लटक गया था & उसके लंबे बाल नीचे ज़मीने को छुते झूल रहे थे.उसने उसे अपनी बाहो मे भर लिया था & उसके बालो मे हाथ घुसाए उसके सर को अपनी चूचियो पे दबा रही थी.उसने देखा कि उसके ससुर दोनो को चुदाई करते देख अपना लंड हिला रहे हैं.
"..आप भी आइए ना...",उसने उनकी तरफ हाथ बढ़ाया तो वीरेंद्र जी फ़ौरन उठ कर उसके पास आ गये.
"इधर नीचे खड़े हो जाइए..",विरेन्द्र जी उसके सर के पीछे खड़े हो गये तो रीमा ने हाथ शेखर के सर से हटा कर अपने पीछे ले जाके अपने ससुर की कमर को पकड़ अपनी ओर खींच उनके लंड को अपने मुँह मे ले लिया.अपनी टांगे उठा के उसने शेखर की कमर को लपेट लिया & नीचे से कमर उचका कर उसके धक्को का जवाब देने लगी.
शेखर काफ़ी देर से गरम था & अब उसकी चूत मे जल्द से जल्द झड़ना चाहता था.रीमा की चूचियो को दबोच उसने उसके निपल्स को अपनी उंगलियो मे मसल्ते हुए अपने मुँह मे भरा & गहरे धक्के लगाने लगा.रीमा का भी बुरा हाल था,ससुर का लंड मुँह मे होने के कारण वो आहे नही भर सकती थी पर उसकी चूत अब कुच्छ ही देर मे पानी छ्चोड़ कर झड़ने वाली थी.उसने विरेन्द्र जी की गंद को खरोंछते हुए उसकी फांको को फैलाया & अपनी 1 उंगली उनके गंद के छेद मे डाल दी.
विरेन्द्र जी कराह उठे & कमर हिलाकर अपनी बहू के मुँह को चोदने लगे.तीनो तेज़ी से अपनी-2 मंज़िल की ओर बढ़े चले जा रहे थे.तभी शेखर का बदन झटके खाने लगा & वो रीमा की छाती मे अपने दाँत गढ़ाता हुआ उसकी चूत को अपने पानी से भरने लगा.उसके इन आख़िरी धक्को ने रीमा की चूत को भी पस्त कर दिया & उसने भी अपने जेठ की कमर को अपनी टांगो मे कस के जाकड़ लिया & झाड़ गयी.झाड़ते वक़्त उसकी उंगली विरेन्द्र जी की गंद मे कुच्छ ज़्यादा ही अंदर चली गयी & 1 तेज़ आह के साथ वो भी अपने लंड को उसके मुँह मे खाली करने लगे.रीमा ने गतगत उनका सारा पानी पी लिया.
शेखर उसके सेनए पे सर रखे हाँफ रहा था & विरेन्द्र जी अपना सिक्युडा लंड उसके मुँह से खींच अब उसके बगल मे लेट गये.शेखर भी उसके उपर से उतर उसकी दूसरी तरफ लेट गया.थोड़ी देर तक तीनो बस ऐसे ही आँखे बंद किए लेटे रहे.
फिर रीमा ने करवट बदली & शेखर के सीने से जा लगी & उसके निपल्स को अपने नखुनो से हल्क-2 कुरेदने लगी & उसके चेहरे को चूमने लगी.शेखर उसकी पीठ सहलाने लगा.रीमा ने सोच लिया था कि वो इन दोनो बाप-बेटे को आज 1 पल भी आराम नही करने देगी जिस से कि वो जल्द से जल्द तक कर सो जाएँ.
अब वो अपना चेहरा उठा शेखर के सीने पे झुक उसके निपल्स को चूस रही थी & उसका हाथ उसकी छाती & पेट पे घूम रहा था.हाथ घूमते-2 शेखर के सिकुदे,गीले लंड पे पहुँच गया,"..ओह्ह..ये तो अभी भी गीला है..इसे साफ कर देती हू.",और रीमा शेखर के सीने को चूमती हुई नीचे जाने लगी.जब वो उसकी नाभि के पास पहुँची तो उसने उसमे अपनी जीभ फिरा दी.शेखर के मुँह से मस्ती भरी आह निकल गयी.
उसकी नाभि को चाटने के बाद रीमा और नीचे पहुँची & उसकी झांतो को चूमते हुए उसकी लंड की जड़ तक आके उसे वाहा पे चूम लिया.शेखर 1 बार फिर गरम होने लगा था.रीमा ने लंड को हाथ मे लिया & चाट कर उसका गीलापन साफ करने लगी.उसके सूपदे को उसने बिना मुँह मे लिए बस अपनी जीभ फिरा के पूरा चॅटा.शेखर का लंड उसकी इस हरकत से फिर खड़ा हो गया.रीमा ने उसके आंडो को दबाया & आधे लंड को मुँह मे लिया & आधे को हाथ से हिलाने लगी.
उसने आँखो के कोने से देखा की विरेन्द्र जी कमरे से बाहर जा रहे हैं...कही दूसरे कमरे मे सोने तो नही जा रहे...इसका मतलब उसे पहले शेखर को थकाना हो गा & बाद मे उन्हे.वो आँखे बंद कर उसके लंड से खेलने लगी.शेखर मस्ती मे आहे भरता हुआ उसके सर को पकड़ अपने लंड पे दबाने लगा.तभी रीमा ने लंड छ्चोड़ दिया & अपने घुटने उसके बदन के दोनो तरफ रख उसके उपर आ गयी.शेखर ने हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ना चाहा तो उसने उसके हाथो को पकड़ उसके सर के दोनो तरफ पलंग पे दबा दिया.
अब वो उसके उपर झुकी थी पर उसका बदन शेखर को बिल्कुल भी नही च्छू रहा था.रीमा नीचे झुकने लगी तो शेखर ने सोचा कि वो उसे चूमेगी पर रीमा उसके होंठो तक अपने होठ लाई & जैसे ही शेखर ने उन्हे अपने होंठो मे दबाना चाहा वो हंसते हुए फिर उपर हो गयी.शेखर हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा,"..नही..हाथ नही छुड़ाना है..",रीमा शरारत से बोली.
1 बार फिर उसने झुक के शेखर को ललचाया & फिर उसे प्यासा छ्चोड़ दिया.शेखर का खड़ा लंड भी बेकाबू हो रहा था & वो कमर उचका कर उसकी चूत मे उसे घुसाना चाह रहा था.रीमा ने ये देखा तो बहुत धीरे से अपनी कमर नीचे करने लगी & जैसे ही लंड के सूपदे ने उसकी चूत को छुआ वो 1 झटके मे वापस उपर हो गयी.शेखर तो बस पागल ही हो गया.
अपना मुँह उठा कर उसने रीमा की 1 चूची को मुँह मे भरना चाहा तो रीमा ने अपनी चूचियो को उपर खींच लिया & उसे तड़पाने के लिए हंसते हुए उन्हे उसकी आँखो के आगे हिलाने लगी.फिर कमर नीचे लाई & जैसे ही चूत ने लंड को छुआ,फिर से उपर उठ गयी.शेखर अब बुरी तरह तड़प रहा था नीचे से अपनी कमर उचका रहा था,"..अब आ भी जाओ,जान.बैठ जाओ मेरे लंड पे & चूसने दो ये रसीली चूचिया.."
"इतनी भी क्या जल्दी है?बस थोड़ी देर पहले ही तो आपने मेरी चुदाई की थी.",रीमा ने हंस कर उसे और तडपाया तो शेखर हाथ छुड़ाने लगा.इस पे रीमा नीचे झुकी & अपनी छाती उसके मुँह मे दे दी,"..बड़े बेसबरे हैं आप!...ओईइ...!...अफ...काटिए मत ना!दर्द होता है.."
फिर वो झुकी & बाद धीरे से उसके लंड को अपनी शेखर के ही पानी से गीली चूत मे घुसाने लगी.जब लंड आधा घुस गया तो वो रुक गयी.इस पर शेखर तड़प उठा & नीचे से कमर उचका कर लंड पूरा अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा पर रीमा बार-2 उठ कर उसकी ये कोशिश नाकाम कर देती.
कुच्छ आहट हुई तो उसने मूड के देखा कि उसके ससुर फिर से कमरे मे आ गये थे & उनके हाथो मे कोई डिबिया थी.रीमा वापस सर घुमाके अपने जेठ को देखने लगी & वैसे ही उसका आधा लंड लिए झुक कर उसके हाथो को आकड़े उसे चूमने लगी.
"ऊओवव्व..!",वो चिहुन्क उठी,विरेन्द्र जी ने उस डिबिया से क्रीम अपनी उंगली मे ले उसे,उसकी गंद की छेद मे घुसा दिया था.रीमा समझ गयी कि ज़िंदगी मे पहली बार आज उसकी गंद भी मारी जाएगी.उंगली के घुसते ही वो खुद ही शेखर के लंड पे बैठ गयी थी & उसे पूरा अपने अंदर ले लिया था.विरेन्द्र जी थोड़ी देर तक उसकी गंद के छेद मे वैसे ही उंगली करते रहे .
शेखर के हाथो पे रीमा की पकड़ ढीली होते ही उसने हाथ छुड़ा रीमा की कमर को जाकड़ लिया & उचक कर उसकी चूचिया चूसने लगा.विरेन्द्र जी ने उंगली निकाली & बिस्तर पे चढ़ अपने बाए घुटने & दाए पैर पे अपना वज़न रख 1 हाथ से अपनी बहू की गंद की फांको को फैला कर उसके छेद को थोडा और खोला & दूसरे से अपने क्रीम से गीले लंड को उसकी गंद मे घुस दिया.
"ऊओउउइईईईई....म्माआआआआआअ.......!",रीमा सूपदे के अंदर जाते ही चीखी.विरेन्द्र जी उसकी कमर को पकड़े दूसरे हाथ से उसकी गोरी पीठ सहलाते हुए लंड को और अंदर पेलने लगे,"..ना..ना...गंद को कसो मत,रीमा..उसे ढीला छ्चोड़ो..बस थोड़ी देर दर्द होगा...फिर तो इतना मज़ा आएगा कि पुछो मत.",रीमा की हालत खराब थी.नीचे से शेखर धक्के लगाता तो वो अपने ससुर के लंड को अपनेआप थोड़ा और अपनी गंद मे ले लेती.वो बहुत धीरे-2 अपने लंड को अंदर घुसा रहे थे.जब आधा लंड अंदर घुस गया तो रीमा को लगा कि अब अगर उसके ससुर ने लंड को और पेला तो उसकी गंद फट जाएगी.
"...आअहह...आईय्य्यीए...बस इतने से ही करिए,पिता..जी.....इस से ज़्यादा मैं नही ले पाऊँगी..बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है.."
"ठीक है.",विरेन्द्र जी ने लंड घुसाना छ्चोड़ दिया & बस स्थिर हो वैसे ही उसकी गंद मे बस लंड डाले खड़े रहे.
नीचे से शेखर उसकी 1 चूची मसल्ते हुए उसकी गर्दन चूम धक्के लगा रहा था.थोड़ी देर बाद रीमा के गंद का दर्द शांत हुआ तो वो भी अपनी कमर हिलाने लगी,विरेन्द्र जी समझ गये कि उनकी बहू अब तैय्यार है.अपने आधे लंड से ही उन्होने उसकी गंद मारना शुरू किया.
जब शेखर कमर उचका कर उसकी चूत चोद्ता ठीक उसी वक़्त विरेन्द्र जी अपनी कमर हिला उसकी गंद मारते.इन दोहरे धक्को से परेशान रीमा ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.उसे बहुत मज़ा आ रहा था,उस वक़्त जैसे वो भूल गयी थी कि यही दोनो दरिंदे उसकी जान लेने का मंसूबा भी रखते हैं.वो तो बस अपने दोनो छेदो मे भरे लुंडो से मस्तानी हो हवा मे उड़ रही थी.
उसकी चूत अब तक 2 बार झाड़ चुकी थी & इस बार जो तूफान उसके बदन मे उठ रहा था वो शायद उसे अब तक सबसे गहरा मज़ा देने वाला था.शेखर अब ज़ोर से कमर उचका रहा था & रीमा की बाई चूची को तो मुँह से निकालने का नाम ही नही ले रहा था.विरेन्द्र जी भी 1 हाथ से उसकी कमर & दूसरे से उसकी दाई चूची को दबा तेज़ी से उसकी गंद मारे जा रहे थे.
"ऊऊऊऊओह...........माआआआ.........!",रीमा चिल्लाते हुए झाड़ गयी.झाड़ते वक़्त उसकी गंद & चूत उसके ससुर & जेठ के लुंडो पे ऐसे सिक्डी की वो दोनो भी खुद को संभाल नही पाए & अपना पानी उसके बदन के अंदर गिराने लगे.रीमा हाँफती हुई शेखर के सीने पे गिर गयी & उसकी पीठ पे विरेन्द्र जी गिर गये.थोड़ी देर तक वो दोनो के बीच दबी रही.जब लंड बिल्कुल सिकुड गया तो विरेन्द्र जी ने लंड को धीरे से उसकी गंद से निकाला & उसके उपर से उतर बिस्तर पे निढाल हो गये.
शेखर का लंड सिकुड कर अपनेआप उसकी चूत से निकल गया था,रीमा उसके उपर से उतर बगल मे लेटे अपने ससुर के सीने से लग गयी & उनके सीने पे प्यार से2-3 मुक्के मारे,"कितने बदमाश हैं आप!मुझे भनक भी नही लगने दी & पीच से आके मेरी गंद का कुँवारापन लूट लिया!"
"ये बताओ की मज़ा आया या नही?",विरेन्द्र जी ने उबासी लेते हुए पूचछा.उनकी आवाज़ से सॉफ झलक रहा था कि वो थक गये हैं.
"ह्म्म..",रीमा ने उनके सीने के बालो मे अपना चेहरा दफ़न कर लिया & हौले-2 चूमने लगी.बगल मे पड़ा शेखर भी अपनी तेज़ साँसे सायंत कर रहा था.रीमा जानती थी कि अभी उसका काम पूरा नही हुआ है.उसे इन दोनो को और थकाना था.
रीमा उनके सीने को चूमती हुई अपना हाथ उनके पेट पे फिराती हुई नीचे ले गयी & लंड से लगा दिया,"इसी शैतान ने मुझे तडपया था अभी!",वो उनके सीने से उठी & घुटनो पे झुक उनके लंड को हाथ मे था लिया,"..देखो तो अब कैसे शांत पड़ा है,बदमाश!",उसने लंड पे अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया.विरेन्द्र जी ने आँखे बंद कर ली.वो अब तक 3 बार झाड़ चुके थे,उन्हे नींद भी आ रही थी पर अपनी बहू की मस्त हर्कतो ने उन्हे जागने पे मजबूर किया हुआ था.
रीमा अब तेज़ी से उनकी लंड की लंबाई पे जीभ फिरा रही थी.उसने जान बुझ कर अपनी गंद को शेखर की तरफ कर हवा मे उठा लिया था & लंड चूस्ते हुए मुँह से ऊहह-आँह की आवाज़े निकालते हुए उसे लहरा रही थी.शेखर ने हाथ बढ़ा कर उसकी गंद को दबाया तो रीमा ने ससुर के लंड को हिलाते हुए उस से मुँह हटा के पीछे देखा & अपने होंठो को गोल कर शेखर को चूमने का इशारा किया.
फिर वापस घूम कर विरेन्द्र जी के लंड को अपने मुँह की गहराइयो मे उतार उसे चूसने लगी.शेखर भी थक गया था पर रीमा को 1 बार और चोदने का मोह वो छ्चोड़ नही पाया.अपने पिता को उसकी गंद मारता देख उसे भी ऐसा करने का दिल हो आया था.वो उठा & रीमा की मस्त गंद को सहलाते हुए अपना लंड हिलाने लगा.
थोड़ी देर मे लंड फिर से तन गया.उसने उसकी कमर पकड़ी & लंड को थाम उसे उसकी गंद के छेद पे रख दिया,"हाई राम!अब आप भी वाहा करेंगे...मैं तो मर ही जाऊंगो..छ्चोड़िए ना!",पर वो छूटने की कोई कोशिश नही कर रही थी बल्कि अपनी गांद को और मादक तरीके से लहरा रही थी.
"बस 1 बार,जानेमन!प्लीज़!",शेखर अपने लंड से उसके गंद के छेद पे मार रहा था.
"मना करने से भी आप मानेंगे थोड़े ही!चलिए बस 1 बार पर धीरे-2 करिएगा..ज़्यादा दर्द मत पहुँचाइएएगा."
"कोई दर्द नही होगा,जानेमन!",& शेखर ने अपना लंड उसकी गंद मे डालने लगा.गंद पहले ही उसके पिता के पानी से भरी थी,इसीलिए लंड तुरंत अंदर चला गया.फिर उसका लंड विरेन्द्र जी जितना बड़ा भी नही था सो वो जड़ तक रीमा की गंद मे उतरा हुआ था & उसकी झांते रीमा की गंद की फांको पे गुदगुदी कर रही थी.
रीमा अब गंद हवा मे उठाए,उसमे शेखर का लंड भरे,झुक के अपने ससुर के लंड के बस सूपदे को अपने मुँह मे लिए हुए थी.जैसे ही शेखर ने धक्का मारा वो ससुर के लंड पे और झुक गयी & वो पूरा मुँह मे भर गया.जब शेखर अपना लंड बाहर खींचता तो वो भी विरेन्द्र जी के लंड से उठ जाती.
उसने उनके लंड को हाथ मे रखा बस सूपदे को मुँह मे रखा & शेखर के धक्के का इंतेज़ार करने लगी.बस अब तो वो धक्के मारता तो विरेन्द्र जी का लंड अपने आप उसके मुँह मे घुस जाता & जब वो लंड को खींचता तो ससुर का लंड भी अपनेआप उसके मुँह से बाहर आ जाता.
काफ़ी देर तक तीनो ऐसे ही मस्ती भरा खेल खेलते रहे & फिर रीमा ने अपनी जीभ कुच्छ इस शिद्दत & गर्मी के साथ अपने ससुर के लंड पे फिराई कि वो पागलो की तरह अपनी कमर उचकाने लगे.रीमा की मस्ती भरी ऊन्ह-आँह सुन शेखर भी गरम हो गया & उसके उपर झुक उसकी चूचियो को पीछे से 1 हाथ मे दबोच & दूसरे से उसके चूत के दाने को रगड़ता हुआ कातिल धक्के लगाने लगा.अचानक रीमा ने अपने होंठो मे कसे विरेन्द्र जी के लंड को,उनके नडे दबाते हुए,इतनी ज़ोर से चूसा कि वो आह भरते हुए अपनी कमर उच्छाल उसके सर को पकड़ उसके मुँह मे झाड़ गये.
ठीक उसी वक़्त उसने अपनी गंद के छेद को भी सिकोड कर शेखर के लंड पे कस दिया & वो भी उसकी इस हरकत से बहाल हो उसकी गंद मे अपना पानी छ्चोड़ने लगा.झड़ने के बाद वो निढाल हो रीमा के उपर गिरा गया तो रीमा का चेहरा उसके ससुर के झांतो भरे लंड पे जा लगा.उसने पीठ को झटका दे शेखर को अपने उपर से गिराया & अपने ससुर की कमर को अपनी बाहो के घेरे मे ले उनकी झांतो मे अपना चेहरा छुपा लिया.शेखर ने भी उसे पीछे से थाम लिया.
विरेन्द्र जी अब बहुत थक चुके थे,उन्होने रीमा के सर पे हाथ रखा पर अब वो नींद से बहाल हो चुके थे & थोड़ी ही देर मे उसके सर को सहलाते हुए सो गये.रीमा भी आँखे बंद किए सोने का नाटक करने लगी.उसकी पीठ से लगा शेखर जगा हुआ था पर अब उसे छेड़ नही रहा था,शायद तीन बार की मस्त चुदाई अब उसपे भी असर दिखा रही थी.
थोड़ी देर बाद रीमा ने महसूस किया कि शेखर भी नींद मे चला गया था.वो बहुत धीरे से दोनो के बीच से उठी & पलंग से उतर गयी.दोनो मर्द थक के चूर हो बेख़बर सो रहे थे.
रीमा कमरे से निकलने लगी तो शेखर की पॅंट पे उसका पैर पड़ा & उसमे कुच्छ चुबा,उसने पॅंट उठाई तो देखा कि उसकी जेब मे कुच्छ था.हाथ डाला तो वो उसकी कार की चाभी थी.रीमा ने उसे ले लिया,फिर कुच्छ ध्यान आया तो पलटी & दबे पाँव साइड-टेबल से वो रवि की जयदाद वाले पेपर्स उठाए.
हॉल मे देखा कि डाइनिंग टेबल के पास विरेन्द्र जी की पॅंट पड़ी थी,उसकी तलाशी मे उसे फार्महाउस की चाभीया मिल गयी.
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2-3 बार की कोशिसो के बाद वो कार को रिवर्स कार फार्महाउस से बाहर ले आई पर उसी वक़्त उसे 1 खिड़की मे लाइट जलती दिखी,अंदर कोई जाग गया था.गियर बदलते वक़्त घबराहट मे फिर वही ग़लती दोहराई & कार फिर बंद हो गयी.उसने देखा कि हॉल की 1 खिड़की खुली रह गयी थी & उसमे से कूद के शेखर बाहर आ रहा था & उसके पीछे उसके ससुर.
घबराहट के मारे रीमा काँपने लगी,जैसे-तैसे उसने कार स्टार्ट की & गियर मे डाल भाग निकली.थोड़ी देर बाद उसने देखा कि विरेन्द्र जी की कार मे दोनो बड़ी तेज़ी से उसके पीछे आ रहे हैं.रीमा का पूरा बदन पसीने से भीगे गया,उपर से रास्ते मे भी बारिश की वजह से काफ़ी फिसलन थी.उसे याद आया कि पुराना पुल पार करते ही पोलीस पोस्ट है,वो बस 1 बार वाहा पहुँच जाए.
उसके दुश्मन बड़ी तेज़ी से उसके नज़दीक आ रहे थे पर तभी उसे पुल दिखा...बस 1 बार वो इसे पार करले.उसकी कार पुल पे आई & उसने अककलेराटोर पे पैर दबाते हुए कार को टॉप गियर मे डाल दिया.वो बस आगे देखते हुए कार भगा रही थी की तभी पीछे 1 धमाके जैसी आवाज़ आई,उसने पीछे घूम के देखा तो उसके ससुर की कार अब वाहा नही थी & पुल की रेलिंग के पास धूल का गुबार उठ रहा था.तभी उसने वापस सामने देखा उसकी खुद की कार भी रेलिंग की तरफ जा रही थी...उसने जल्दी से ब्रेक लगाया पर कार स्किड करने लगी.ब्रेक दबाए हुए रीमा ने ख़ौफ़ से आँखे बींच ली & कार रुकने पे खोली.
कार रेलिंग से बस2 इंच की दूरी पे रुकी.काँपते हुए कार खोल वो बाहर आई & पीछे गयी,उसके ससुर & जेठ की कार रेलिंग तोड़ते हुए नीचे नाले मे गिर गयी थी.
भगवान ने दोनो हत्यारो कितनी सही सज़ा दी थी!जैसे उन्होने उसके पति को मारा था उन्हे भी ठीक वैसी ही मौत मिली.अब उसकी जान को भी कोई ख़तरा नही था...ये ख़याल आते ही सुकून के मारे उसके अंदर का तनाव आँखो से आँसुओं की शक्ल मे निक्ल पड़ा.थोड़ी देर बाद रीमा ने खुद को संभाला & कार को उस पोलीस पोस्ट पे ले गयी.
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सुबह के 7 बज रहे थे & थाने मे वो इनस्पेक्टर रीमा का बयान सुन रहा था.
"..तो आप इतनी बड़ी जायदाद लेने अवंती पुर जा रही थी?"
"जी.मेरे ससुर को डर था कि कोई इन पैसो के चक्कर मे मुझे नुकसान पहुँचा सकता है,इसलिए मुझे फार्महाउस मे रखा था & पंचमहल मे भी किसी को नही बताया कि मैं असल मे उनके परिवार से मेरा क्या रिश्ता है."
"ठीक है.पर इतनी सुबह फार्महाउस से क्यू निकले आप लोग & दूसरी कार आप क्यू ड्राइव कर रही थी?"
"जी,भाय्या..आइ मीन मेरे जेठ के पैर मे चोट लगी थी & वो दर्द के कारण ड्राइव नही कर पा रहे थे,इसीलिए मैं ड्राइव कर रही थी 7 हमे वकील ने ठीक 9 बजे आवंतिपुर बुलाया था इसलिए हम,यानी मेरे ससुर जी & मैं जेठ जी को पहले घर छ्चोड़ते & फिर वाहा से नाश्ता कर आवंतिपुर चले जाते.",रीमा ने पुल से पोलीस पोस्ट तक आते-2 ये फ़ैसला कर लिया था कि अगर वो अपने ससुर & जेठ की असली कहानी बताती तो कोई भी उसपे विश्वास नही करता-उन्होने अपनी ईमानदारी & नएक्दिली का ऐसा बढ़िया जाल जो फैलाया हुआ था.इसीलिए उसने ये झूठी कहानी इनस्पेक्टर को सुनाई.
"आपके पास क्या सबूत है कि आप सेक्स्ना परिवार की बहू हैं?"
"ये मॅरेज सर्टिफिकेट & ये फोटोग्रॅफ्स",उसने अपने बॅग से वो दस्तावेज़ निकाले जिन्हे वो हमेशा 1 फाइल मे रखती थी & आज फार्महाउस से भागने के पहले भी उसने उन्हे अपने हॅंडबॅग मे डाल लिया था,"..& मेरे ससुर ने वकील को खुद हलफ़नामा दिया था कि मैं उनकी बहू हू."
"ह्म्म."
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आवंतिपुर मे कजरी राइ के वकील के पास पहुँचते ही सारी बाते साफ हो गयी & 1 ही झटके मे रीमा .100 करोड़ टर्नोवर वाले ग्रूप की 5% शेरहोल्डर,उसकी बोर्ड मेंबर & सालाना प्रॉफिट की हिस्सेदार बन गयी.कजरी राइ की सारी प्रॉपर्टी & चीज़े भी उसी को मिली.इसके अलावा हर साल उसके अकाउंट मे टॅक्स देने के बाद .5 करोड़ जमा होते सो अलग.
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1 महीने बाद
आवंतिपुर के उस सबसे पॉश इलाक़े की वो सबसे शानदार इमारत थी,जिसके बाहर खड़ा वो बूढ़ा गार्ड से बहस कर रहा था.उस विशाल,आलीशान बंगल के नेम प्लेट पे राइ विला के नीचे 1 नाम चमक रहा था-रीमा सेक्स्ना.
"..पर बाबा,मेरा यकीन करो,मेडम अभी घर पे नही हैं,बाहर गयी हैं."
"मैं कुच्छ नही जानता.बिना मिले मैं नही जाऊँगा.",तभी हॉर्न की आवाज़ आई तो दोनो ने घूम के देखा,1 बड़ी सी चमचमाती कार खड़ी थी,"..किनारे हो,बाबा.देखो,मेडम अब आई हैं"
कार अंदर दाखिल हुई तो उस बूढ़े ने देखा कि जिस से वो मिलना चाहता था वो कार के अंदर ही है.जब तक वो उसे आवाज़ देता कार गेट के अंदर जा चुकी थी.बूढ़ा वैसे ही खड़ा था,"बाबा.अरे ओ बाबा!पहले तो मिलने की रट लगाए थे अब क्या हो गया?चलो मेडम ने तुम्हे देख लिया था,बुला रही हैं."
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"दद्दा!",रीमा दौड़ कर गयी & भूषण के पैर छु लिए,"कैसे हैं आप?शादी ठीक से निपट गयी?"
"तडाक...!",भूषण ने रीमा को 1 करारा तमाचा जड़ दिया,"तुम्हे पैसो की इतनी हवस थी.बोलो क्यू मारा मेरे मालिक को & झूठ क्यू कहा कि तुम उनकी बहू हो जबकि रवि भाय्या की तो शादी ही नही हुई थी?"
रीमा ने गाल पे हाथ रखे 1 फीकी हँसी हँसी,"..दद्दा!आप मुझे धोखेबाज़ समझते हैं ना?तो सुनिए मैं बताती हू आपको आपके मलिक की असलियत...
कोई 2 घंटे बाद रीमा की दास्तान ख़तम हुई तो भूषण बस मुँह खोले उसकी तरफ देख रहा था.रीमा ने उस से कुच्छ भी नही छिपाया-अपना अनाथ होना.रवि के जनम की कहानी,उसका & रवि का प्यार & शादी,उसके ससुर & जेठ की मक्कारी भरी साज़िशें & वो बात जो उसे पिता समान दद्दा को बताते हुए बहुत शर्म आई-अपने जेठ & ससुर से जिस्मानी ताल्लुक़ात बनाने की बात.
थोड़ी देर तक कमरे मे सन्नाटा छाया रहा.फिर भूषण उठ खड़ा हुआ,"..मुझे माफ़ कर दो बेटी,मैने..मैने तुम पे हाथ उठाया..",वो हाथ जोड़े खड़ा था.
"नही,दद्दा.ये थप्पड़ आपकी वफ़ादारी & ईमानदारी का सबूत था.."
"फिर भी,बेटी मुझे माफ़ करदो..अच्छा...अब मैं चलता हू..",भूषण घूम कर जाने लगा.
"दद्दा.मैने आपके सामने अपनी पूरी ज़िंदगी की कहानी कह दी.कुच्छ भी नही च्छुपाया.दद्दा,मेरे पास सब कुच्छ है.कुच्छ दीनो के लिए ही सही 1 बहुत ही अच्छे इंसान के प्यार का भी एहसास किया है,उसकी पत्नी बनके..पर कभी भी मुझे पिता का प्यार नही मिला....",उसका गला भर आया था & आँखे छलछला आई थी,"..दद्दा,क्या आप..मुझे वो प्यार देंगे?"
"बेटी...",भूषण बस इतना ही कह पाया क्यूकी आगे उसकी भी आँखो से आँसू बहने लगे थे.रीमा दौड़ के उसके गले लग गयी & दोनो फूट-2 के रोने लगे पर इस बार दुख के नही खुशी के आँसू थे.
दा एंड
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
...
आपका दोस्त
राज शर्मा
खिलोना पार्ट--1
खिलोना पार्ट--2
खिलोना पार्ट--3
खिलोना पार्ट--4
खिलोना पार्ट--5
खिलोना पार्ट--6
खिलोना पार्ट--7
खिलोना पार्ट--8
खिलोना पार्ट--9
खिलोना पार्ट--10
खिलोना पार्ट--11
खिलोना पार्ट--12
खिलोना पार्ट--13
खिलोना पार्ट--14
खिलोना पार्ट--15
खिलोना पार्ट--16
खिलोना पार्ट--17
खिलोना पार्ट--18
खिलोना पार्ट--19
खिलोना पार्ट--20
KHILONA --paart--20
Reema ne apne man ke jazbaton ko chehre pe nahi aane diya,"fir to shantu bevajah mara gaya."
"aise kyu kah rahi ho?",Shekhar ki ungli chut me kuchh zyada tez hone lagi thi.
"ye sara khel kis liye khela aap dono ne-paison ke liye hi na?mujhe aap dono ke sath chudai karke kitna maza mila hai,vo to main lafzo me bayan nahi kar sakti.ravi ki maut ke bare me to mujhe shuru se hi kuchh khatak raha tha,isiliye sawal karti rahti thi...par ab mujhe bas inse matlab hai.",shokhi se muskurate hue usne dono ke lundo ko apne hatho me pakad kar masal diya.
shekhar ke liye ab sabra karna namumkin ho gaya,usne reema ko pakad kar lita diya & uski taange faila kar 1 hi jhtke me apna lund uski chut me utar diya.fir uske upar let use chumte hue dhakke lagane laga.
"..aaahhhh...!uffff.....kitna maza aa raha hai....is se badi koi daulat ho sakti hai duniya me?..aahhhhh...main to bas puri zindagi aaplogo ke sath bas aise hi chudte hue guzarna chahti hu...",shekhar ke dhakko se reema ka sar palang ke kinare se neeche latak gaya tha & uske lambe baal neeche zameene ko chhute jhul rahe the.usne use apni baaho me bhar liya tha & uske baalo me hath ghusaye uske sar ko apni chhatiyo pe daba rahi thi.usne dekha ki uske sasur dono ko chudai karte dekh apna lund hila rahe hain.
"..aap bhi aaiye na...",usne unki taraf hath badhaya to Virendra ji fauran utha kar uske paas aa gaye.
"idhar neeche khade ho jaiye..",virendra ji uske sar ke peechhe khade ho gaye to reema ne hath shekhar ke sar se hata kar apne peechhe le jake apne sasur ki kamar ko pakad apni or kheench unke lund ko apne munh me le liya.apni taange utha ke usne shekhar ki kamar ko lapet liya & neeche se kamar uchka kar uske dhakko ka jawab dene lagi.
shekhar kafi der se garam tha & ab uski chut me jald se jald jhadna chahta tha.reema ki chhatiyo ko daboch usne uske nipples ko apni ungliyo me masalte hue apne munh me bhara & gehre dhakke lagane laga.reema ka bhi bura haal tha,sasur ka lund munh me hone ke karan vo aahe nahi bhar sakti thi par uski chut ab kuchh hi der me pani chhod kar jhadne wali thi.usne virendra ji ki gand ko kharonchte hue uski faanko ko failaya & apni 1 ungli unke gand ke chhed me daal di.
virendra ji karah utha & kamar hilakar apni bahu ke munh ko chodne lage.teeno tezi se apni-2 manzil ki or badhe chale ja rahe the.tabhi shekhar ka badan jhatke khane laga & vo reema ki chhati me apne dant gadata hua uski chut ko apne pani se bharne laga.uske in aakhiri dhakko ne reema ki chut ko bhi past kar diya & usne bhi apne jeth ki kamar ko apni tango me kas ke jakad liya & jhad gayi.jhadte waqt uski ungli virendra ji ki gand me kuchh zyada hi andar chali gayi & 1 tez aah ke sath vo bhi apne lund ko uske munh me khali karne lage.reema ne gatagat unka sara pani pi liya.
shekhar uske sene pe sar rakhe haanf raha tha & virendra ji apna sikuda lund uske munh se kheench ab uske bagal me let gaye.shekhar bhi uske upar se utar uski dusri taraf let gaya.thodi der tak teeno bas aise hi aankhe band kiye lete rahe.
fir reema ne karwat badli & ahekhar ke seene se ja lagi & uske nipples ko apne nakhuno se halk-2 kuredne lagi & uske chehre ko chumne lagi.shekhar uski pith sehlane laga.reema ne soch liya tha ki vo in dono baap-bete ko aaj 1 pal bhi aaram nahi karne degi jis se ki vo jald se jald thak kar so jaayen.
ab vo apna chehra utha shekhar ke seene pe jhuk uske nipples ko chus rahi thi & uska hath uske chhati & pet pe ghum raha tha.haath ghumte-2 shekhar ke sikude,gile lund pe pahunch gaya,"..ohh..ye to abhi bhi gila hai..ise saaf kar deti hu.",aur reema shekhar ke seene ko chumti hui neeche jane lagi.jab vo uski nabhi ke paas pahunchi to usne usme apni jibh fira di.shekhar ke munh se masti bhari aah nikal gayi.
uski nabhi ko chatne ke baad reema aur neeche pahunchi & uski jhanto ko chumte hue uski lund ki jad tak aake use vaha pe chum liya.shekhar 1 bar fir garam hone laga tha.reema ne lund ko hath me liya & chat kar uska gilapan saaf karne lagi.uske supade ko usne bina munh me liye bas apni jibh fira ke pura chata.shekhar ka lund uski is harkat se fir khada ho gaya.reema ne uske ando ko dabaya & aadhe lund ko munh me liya & aadhe ko hath se hilane lagi.
usne aankho ke kone se dekha ki virendra ji kamre se bahar ja rahe hain...kahi dusre kamre me sone to nahi ja rahe...iska matlab use pehle shekhar ko thakan ho ga & baad me unhe.vo aankhe band kar uske lund se khelne lagi.shekhar masti me aahe bharta hua uske sar ko pakad apne lund pe dabane laga.tabhi reema ne lund chhod diya & apne ghutne uske badan ki dono taraf rakh uske upar aa gay.shekhar ne hath badha kar use pakadna chaha to usne uske hatho ko pakad uske sar ke dono taraf palang pe daba diya.
ab vo uske upar jhuki thi par uska badan shekhar ko bilkul bhi nahi chhu raha tha.reema neeche jhukne lagi to shekhar ne socha ki vo use chumegi par reema uske hotho tak apne hoth layi & jaise hi shekhar ne unhe apne hotho me dabana chaha vo hanste hue fir upar ho gayi.shekhar hath chhudane ki koshish karne laga,"..nahi..hath nahi chhudana hai..",reema shararat se boli.
1 bar fir usne jhuk ke shekhar ko lalchaya & fir use pyasa chhod diya.shekhar ka khada lund bhi bekabu ho raha tha & vo kamar uchka kar uski chut me use ghusana chah raha tha.reema ne ye dekha to bahut dheere se apni kamar neeche karne lagi & jaise hi lund ke supade ne uski chut ko chhua vo 1 jhatke me vapas upar ho gayi.shekhar to bas pagal hi ho gaya.
apna munh utha kar usne reema ki 1 choochi ko munh me bharna chaha to reema ne apni chhatiyo ko upar kheench liya & use tadpane ke liye hanste hue unhe uski aankho ke aage hilane lagi.fir kamar neeche layi & jaise hi chut ne lund ko chhua,fir se upar uth gayi.shekhar ab buri tarah tadap raha tha neeche se apni kamar uchka raha tha,"..ab aa bhi jao,jaan.baith jao mere lund pe & chusne do ye rasili chhatiya.."
"itni bhi kya jaldi hai?bas thodi der pehle hi to aapne meri chudai ki thi.",reema ne hans kar use aur tadpaya to shekhar hath chhudane laga.is pe reema neeche jhuki & apni chhati uske munh me de di,"..bade besabr hain aap!...ouiiii...!...uff...katiye mat na!dard hota hai.."
fir vo jhuki & bad dheere se uske lund ko apni shekhar ke hi pani se gili chut me ghusane lagi.jab lund aadha ghus gaya to vo ruk gayi.is par shekhar tadap utha & neeche se kamar uchka kar lund pura andar ghusane ki koshish karne laga par reema baar-2 uth kar uski ye koshish nakam kar deti.
kuchh aahat hui to usne mud ke dekha ki uske sasur fir se kamre me aa gaye the & unke hatho me koi dibiya thi.reema vapas sar ghum ake apne jeth ko dekhne lagi & vaise hi uska aadha lund liye jhuk kar uske hatho ko akde use chumne lagi.
"ooowww..!",vo chihunk uthi,virendra ji ne us dibiya se cream apni ungli me le use,uski gand ki chhed me ghusa diya tha.reema samajh gayi ki zindagi me pehli bar aaj uski gand bhi meri jayegi.ungli ke ghuste hi vo khud hi shekhar ke lund pe baith gayi thi & use pura apne andar le liya tha.virendra ji thodi der tak uski gand ke chhed me vaise hi ungli karte rahe .
shekhar ke hatho pe reema ki pakad dheeli hote hi usne hath chhuda reema ki kamar ko jakd liya & uchak kar uski choochiya chusne laga.virendra ji ne ungli nikali & bistar pe chadh apne baye ghutne & daaye pair pe apna vazan rakh 1 hath se apni bahu ki gand ki faanko ko faila kar uske chhed ko thoda aur khola & dusre se apne cream se gile lund ko uski gand me ghus diya.
"OOOUUUIIIIIIII....MMAAAAAAAAAAAAA.......!",reema supade ke andar jate hi chikhi.virendra ji uski kamar ko pakde dusre hath se uski gori pith sehlate hue lund ko aur andar pelne lage,"..na..na...gand ko kaso mat,reema..use dheela chhodo..bas thodi der dard hoga...fir to itna maza aayega ki puchho mat.",reema ki halat kharab thi.neeche se shekhar dhakke lagata to vo apne sasur ke lund ko apneaap thoda aur apni gand me le leti.vo bahut dheere-2 apne lund ko andar ghusa rahe the.jab aadha lund andar ghus gaya to reema ko laga ki ab agar uske sasur ne lund ko aur pela to uski gand fat jayegi.
"...aaahhh...aaiiyyyeee...bas itne se hi kariye,pit..ji.....is se zyada main nahi le paoongi..bahut zyada dard ho raha hai.."
"thik hai.",virendra ji ne lund ghusana chhod diya & bas sthir ho vaise hi uski gand me bas lund dale khad rahe.
neeche se shekhar uski 1 chhati masalte hue uskei gardan chum dhakke laga raha tha.thodi der baad reema ke gand ka dard shant hua to vo bhi apni kamar hilane lagi,virendra ji samajh gaye ki unki bahu ab taiyyar hai.apne aadhe lund se hi unhone uski gand marna shuru kiya.
jab shekhar kamar uchka kar uski chut chodta thik usi waqt virendra ji apni kamar hila uski gand marte.in dohre dhakko se pareshan reema zor-2 se aahe bharne lagi.use bahut maza aa raha tha,us waqt jaise vo bhul gayi thi ki yahi dono darinde uski jaan lene ka mansooba bhi rakhte hain.vo to bas apne dono chhedo me bhare lundo se mastani ho hawa me ud rahi thi.
uski chut ab tak 2 baar jhad chuki thi & is baar jo toofan uske badan me uth raha tha vo shayad use ab tak sabse gahra maza dene wala tha.shekhar ab zor se kamar uchka raha tha & reema ki baayi chhati ko to munh se niklane ka naam hi nahi le raha tha.virendra ji bhi 1 hath se uski kamar & dusre se uski daayi chhati ko daba tezi se uski gand mare ja rahe the.
"OOOOOOOOOHHHHHHHHHHH...........MAAAAAAAA.........!",reema chillate hue jhad gayi.jhadte waqt uski gand & chut uske sasur & jeth ke lundo pe aise sikude ki vo dono bhi khud ko sambhal nahi paye & apna pani uske badan ke andar girane lage.reema haanfti hui shekhar ke seene pe gir gayi & uski pith pe virendra ji gir gaye.thodi der tak vo dono ke beech dabi rahi.jab lund bilkul sikud gaya to virendra ji ne lund ko dheere se uski gand se nikala & uske upar se utar bistar pe nidhal ho gaye.
shekhar ka lund sikud kar apneaap uski chut se nikal gaya tha,reema uske upar se utar bagal me lete apne sasur ke seene se lag gayi & unke seene pe pyar se2-3 mukke marer,"kitne badmash hain aap!mujhe bhanak bhi nahi lagne di & peechhe se aake meri gand ka kunwarapan lut liya!"
"ye batao ki maza aaya ya nahi?",virendra ji ne ubasi lete hue poochha.unki aavaz se saaf jhalak raha tha ki vo thak gaye hain.
"hmm..",reema ne unke seene ke baalo me apna chehra dafan kar liya & haule-2 chumne lagi.bagal me pada shekhar bhi apni tez saanse sayant kar raha tha.reema janti thi ki abhi uska kaam pura nahi hua hai.use in dono ko aur thakana tha.
reema unke seene ko chumti hui apna hath unke pet pe firati hui neeche le gayi & lund se laga diya,"isi shaitan ne mujhe tadpaya tha abh!",vo unke seene se uthi & ghutno pe jhuk unke lund ko hath me tha liya,"..dekho to ab kaise shant pada hai,badmash!",usne lund pe apni jibh chalana shuru kar diya.virendra ji ne aankhe band kar li.vo ab tak 3 bar jhad chuke the,unhe neend bhi aa rahi thi par apni bahu ki mast harkato ne unhe jagne pe majboor kiya hua tha.
reema ab tezi se unki lund ki lambai pe jibh fira rahi thi.usne jaan bujh kar apni gand ko shekhar ki taraf kar hawa me utha liya tha & lund chuste hue munh soonh-aanh ki aavaze niklate hue use lehra rahi thi.shekhar ne hath badha kar uski gand ko dabaya to reema ne sasur ke lund ko hilate hue us se munh hata ke peechhe dekha & apne hotho ko gol kar shekhar ko chumne ka ishara kiya.
fir vaps ghum kar virendra ji ke lund ko apne munh ki gahraiyo me utar use chusne lagi.shekhar bhi thak gaya tha par reema ko 1 bar aur chodne ka moh vo chhod nahi paya.apne pita ko uski gand marta dekh use bhi aisa karne ka dil ho aaya tha.vo utha & reema ki mast gand ko sehlate hue apna lund hilane laga.
thodi der me lund fir se tan gaya.usne uski kamar pakdi & lund ko tham use uski gand ke chhed pe rakh diya,"hai raam!ab aap bhi vaha karenge...main to mar hi jaoongo..chhodiye na!",par vo chhutne ki koi koshish nahi kar rahi thi balki apni gaand ko aur maadak tarike se lehra rahi thi.
"bas 1 baar,janeman!please!",shekhar apne lund se uske gand ke chhed pe maar raha tha.
"mana karne se bhi aap maanenge thode hi!chaliye bas 1 baar par dheere-2 kariyega..zyada dard mat pahunchaiyega."
"koi dard nahi hoga,janeman!",& shekhar ne apna lund uski gand me dalne laga.gand pehle hi uske pita ke pani se bhari thi,isiliye lund turant andar chala gaya.fir uska lund virendra ji jitna bada bhi nahi tha so vo jad tak reema ki gand me utra hua tha & uski jhante reema ki gand ki faanko pe gudgudi kar rahi thi.
reema ab gand hawa me uthaye,usme shekhar ka lund bhare,jhuk ke apne sasur ke lund ke bas supade ko apne munh me liye hue thi.jaise hi shekhar ne dhakka mara vo sasur ke lund pe aur jhuk gayi & vo pura munh me bhar gaya.jab shekhar apna lund bahar kheenchta to vo bhi virendra ji ke lund se uth jati.
usne unke lund ko hath me tha bas supade ko munh me rakha & shekhar ke dhakke ka intezar karne lagi.bas ab to vo dhakke marta to virendra ji ka lund apne aap uske munh me ghus jata & jab vo lund ko khinchta to sasur ka lund bhi apneaap uske munh se bahar aa jata.
kafi der tak teeno aise hi masti bhara khel khelte rahe & fir reema ne apni jibh kuchh is shiddat & garmi ke sath apne sasur ke lund pe firayi ki vo pagalo ki tarah apni kamar uchkane lage.reema ki masti bhari oonh-aanh sun shekhjar bhi garam ho gaya & uske upar jhuk uski choochiyo ko peechhe se 1 hath me daboch & dusre se uske chut ke dane ko ragadta hua kaatil dhakke lagane laga.achanak reema ne apne hotho me kase virendra ji ke lund ko,unke nade dabate hue,itni zor se chusa ki vo aah bharte hue apni kamar uchhal uske sar ko pakad uske munh me jhad gaye.
thik usi waqt usne apni gand ke chhed ko bhi sikod kar shekhar ke lund pe kas diya & vo bhi uski is harkat se behal ho uski gand me apna pani chhodne laga.jhadne ke baad vo nidhal ho reema ke upar gira gaya to reema ka chehara uske sasur ke jhanto bhare lund pe ja laga.usne pith ko jhatka de shekhar ko apne upar se giraya & apne sasur ki kamar ko apni baaho ke ghere me le unki jhanto me apna chehra chhupa liya.shekhar ne bhi use peechhe se tham liya.
virendra ji ab bahut thak chuke the,unhone reema ke sar pe hath rakha par ab vo neend se behal ho chuke the & thodi hi der me uske sar ko sehlate hue so gaye.reema bhi aankhe band kiye sone ka natak akrne lagi.uski pth se laga shekhar jaga hua tha par ab use chhed nahi raha tha,shayad teen baar ki mast chudai ab uspe bhi asar dikha rahi thi.
thodi der baad reema ne mehsus kiya ki shekhar bhi neend me chala gaya tha.vo bahut dheere se dono ke beech s uthi & palang se utar gayi.dono mard thak ke chur ho bekhabar so rahe the.
reema kamre se nikalne lagi to shekhar ki pant pe uska pair pada & usme kuchh chubha,usne pant uthai to dekha ki uski jeb me kuchh tha.hath dala to vo uski car ki chabhi thi.reema ne use le liya,fir kuchh dhyan aaya to palti & dabe paanv side-table se vo Ravi ki jaydad vale papers uthaye.
hall me dekha ki dining table ke paas virendra ji ki pant padi thi,uski talashi me use farmhouse ki chabhiya mil gayi.
-------------------------------------------------------------------------------barish ruk chuki thi & savere ke 4 baj rahe the.reema kapde pahan apne handbag me papers le farmhouse ke darwaze pe tala laga rahi thi.fir usne bahut dheere se main gate khola & fir shekhar ki car me baith use reverse karne lagi.kai din baad car chala rahi thi & is vajah se usne car gear me daal kuchh zyada jaldi se clutch chhod diya,car jhatka khake ruk gayi.
2-3 bar ki koshiso ke baad vo car ko reverse car farmhouse se bahar le aayi par usi waqt use 1 khidki me light jalte dikhi,andar koi jag gaya tha.gear badalte waqt ghabrahat me fir vahi galti dohrayi & car fir band ho gayi.usne dekha ki hall ki 1 khidki khuli reh gayi thi & usme se kud ke shekhar bahar aa raha tha & uske peechhe uske sasur.
ghabrahat ke nmare reema kaanpne lagi,jaise-taise usne car start jim & gear me daal bhag nikli.thodi der baad usne dekha ki virendra ji ki car me dono badi tezi se uske peechhe aa rahe hain.reema ka pura badan paseene se bheege gaya,upar se raste me bhi barish ki wajah se kafi phislan thi.use yaad aaya ki purana pul par karte hi police post hai,vo bas 1 bar vaha pahunch jaye.
usek dushman badi tezi se uske nazdeek aa rahe the par tabhi use pul dikha...bas 1 bar vo ise par karle.uski car pul pe aayi & usne acclerator pe pair dabate hue car ko top gear me daal diya.vo bas aage dekhte hue car bhaga rahi thi ki tabhi peechhe 1 dhamke jaisi aavaz aayi,usne peechhe ghum ke dekha to uske sasur ki car ab vaha nahi thi & pul ki railing ke paas dhool ka gubar uth raha tha.tabhi usne vapas samne dekha uski khud ki car bhi railing ki taraf ja rahi thi...usne jaldi se brake lagaya par car skid karne lagi.brake dabaye hue reema ne khauf se aankhe beench li & car rukne pe kholi.
car railing se bas2 inch ki doori pe ruki.kaanpte hue car khol vo bahar aayi & peechhe gayi,uske sasur & jeth ki car railing todte hue neeche nale me gir gayi thi.
bhagwan ne dono hatyaro kitni sahi saza di thi!jaise unhone uske pati ko mara tha unhe bhi thik vaisi hi maut mili.ab uski jaan ko bhi koi khatra nahi tha...ye khayal aate hi sukun ke mare uske andar ka tanav aankho se aansuon ki shakl me nikla pada.thodi er baad reema ne khud ko sambhala & car ko us police post pe le gayi.
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subah ke 7 baj rahe the & thane me vo inspector reema ka bayan sun raha tha.
"..to aap itni badi jayda lene avanti pur ja rahi thi?"
"ji.mere sasur ko darr tha ki koi in paiso ke chakkar me mujhe nuksan pahuncha sakta hai,isliye mujhe farmhouse me rakha tha & panchmahal me bhi kisi ko nahi bataya ki main asal me unke parivar se mera kya rishta hai."
"thik hai.par itni subah farmhouse se kyu nikle aap log & dusri car aap kyu drive kar rahi thi?"
"ji,bhaiyya..i mean mere jeth ke pair me chot lagi thi & vo dard ke karan drive nahi kar pa rahe the,isiliye main drive kar rahi thi 7 hume vakil ne thik 9 baje avantipur bulaya tha isliye hum,yani mere sasur ji & main jeth ji ko pehle ghar chhodte & fir vaha se nashta kar avantipur chale jate.",reema ne pul se police post tak aate-2 ye faisla kar liya tha ki agar vo apne ssur & jeth ki asli kahani batati to koi bhi uspe vishvas nahi karta-unhone apni imandari & nekdili ka aisa badhiya jaal jo failaya hua tha.isiliye usne ye jhuthi kahani inspector ko sunai.
"aapke paas kya sabut hai ki aap saxena parivar ki bahu hain?"
"ye marriage certificate & ye photographs",usne apne bag se vo dastavez nikale jinhe vo hamesha 1 file me rakhti thi & aaj farmhouse se bhagne ke pehle bhi usne unhe apne handbag me daal liya tha,"..& mere sasur ne vakil ko khud halafnama diya tha ki main unki nahu hu."
"hmm."
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avantipur me kajri rai ke vakil ke paas pahunchte hi sari baate saaf ho gayi & 1 hi jhatke me reema Rs.100 cr turnover vale group ki 5% shareholder,uski board member & salana profit ki hissedar ban gayi.kajri rai ki sari property & cheeze bhi usi ko mili.iske alawe har saal uske account me tax dene ke baad Rs.5 crore jama hote so alag.
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1 Mahine baad
avantipur ke us sabse posh ilake ki vo sabse shandar imarat thi,jiske bahar khada vo budha guard se bahas kar raha tha.us vishal,aalishan bungle ke name plate pe rai villa ke neeche 1 naam chamak raha tha-Reema Saxena.
"..par baba,mera yakeen karo,madam abhi ghar pe nahi hain,bahar gayi hain."
"main kuchh nahi janta.bina mile main nahi jaoonga.",tabhi horn ki aavaz aayi to dono ne ghum ke dekha,1 badi si chamchamati car khadi thi,"..kinare ho,baba.dekho,madam ab aayi hain"
car andar dakhil hui to us budhe ne dekha ki jis se vo milna chahta tha vo car ke andar hi hai.jab tak vo use aavaz deta car gate ke andar ja chuki thi.budha vaise hi khada tha,"baba.are o baba!pehle to milne ki rat lagaye the ab kya ho gaya?chalo madam ne tumhe dekh liya tha,bula rahi hain."
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"dadda!",reema daud kar gayi & Bhushan ke pair chhu liye,"kaise hain aap?shadi thik se nipat gayi?"
"TADAK...!",bhushan ne reema ko 1 karara tamacha jad diya,"tumhe paiso ki itni hawas thi.bolo kyu mara mere malik ko & jhuth kyu kaha ki tum unki bahu ho jabki ravi bhaiyya ki to shadi hi nahi hui thi?"
reema ne gaal pe hath rakhe 1 feeki hansi hansi,"..dadda!aap mujhe dhokhebaaz samajhte hain na?to suniye main batati hu aapko aapke malik ki asliyat...
koi 2 ghante baad reema ki dastan khatam hui to bhushan bas munh khole uski taraf dekh raha tha.reema ne us se kuchh bhi nahi chhipaya-apna anath hona.ravi ke janam ki kahani,uske & ravi ka pyar & shadi,uske sasur & jeth ki makkari bhari sazishen & vo baat jo use pita saman dadda ko batate hue bahut sharm aayi-apne jeth & sasur se jismani tallukat banane ki baat.
thodi der tak kamre me sannatta chhaya raha.fir bhushan uth khada hua,"..mujhe maaf kar do beeti,maine..maine tum pe hath uthaya..",vo hath jode khada tha.
"nahi,dadda.ye thappad aapki vafadari & imandari ka saboot tha.."
"fir bhi,beti mujhe maaf kardo..achha...ab main chalta hu..",bhushan ghum kar jane laga.
"dadda.maine aapke samne apni puri zindagi ki kahani kah di.kuchh bhi nahi chhupaya.dadda,mere paas sab kuchh hai.kuchh dino ke liye hi sahi 1 bahut hi achhe insan ke pyar ka bhi ehsas kiya hai,uski patni banke..par kabhi bhi mujhe pita ka pyar nahi mila....",uska gala bhar aaya tha & aankhe chhal aayi thi,"..dadda,kya aap..mujhe vo pyar denge?"
"beti...",bhushan bas itna hi kah paya kyuki age uski bhi aankho se aansoo behne lage the.reema daud ke uske gale lag gayi & dono phut-2 ke rone lage par is bar dukh ke nahi khushi ke aansoo the.
THE END
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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