Monday, April 5, 2010

सेक्सी कहानियाँ मेरी निशा (प्यारी दीदी) --3

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मेरी निशा (प्यारी दीदी) पार्ट--3

थोडी देर बाद मेरा सर एकदम से भारी सा हो रहा था और मुझसे हिला भी नहीं जा रहा था मुझे हरकत करते देख दीदी भागी हुई आई और बोली लेटे रहो तुम बेहोश हो गए थे तुम्हे दर्द बहुत हो रहा था में ऐसे ही लेता रहा और दीदी को देखता रहा में बोला अब तो मुझे दर्द नहीं हो रहा है अब में उठ सकता हूँ तो दीदी बोली नहीं मैंने तुम्हे पैन किल्लर दिया हुआ है और खून बहुत निकलने की वजह से कमजोरी भी बहुत है अचानक मुझे पेसाब करने की इच्छा हुई और मेरे लैंड महाराज सर उठाने लगे जब मैंने नीचे देखा तो मेरा पजामा निकला हुआ था और में केवल कुरते में था अचानक कुरते में टेंट सा बन गया जो सायद दीदी ने भी देख लिया था दीदी मेरे पैरो की और खड़ी थी और टेंट बनने की वजह से कुरता थोडा ऊपर हो गया और में यकीनन कह सकता हूँ की दीदी को मेरे बाल दिखने लगे हूंगे दीदी बोली में तुम्हारे लिए हल्दी वाला दूध लेके आती हूँ और मैंने झट से कुरते को नीचे खीचा दीदी यह पूछने के लिए पलटी की मुझे और कुछ तो नहीं चाहिए और सायद उन्होंने मुझे मेरे लौडे को ठीक करते देख लिया और मुस्कुरा के बाहर निकलने लगे और इधर में लंड महाराज को सुलाने की कोशिस करने लगा लेकिन मेरी हर कोशिस पैर वो फुफकार मारने लगा इतने में दीदी आ गयी और मुझे बोली लो दूध पी लो अनायास ही मेरा चेहरा उनके मस्त गोल गोल अनारो की और हो गया दीदी का ध्यान मेरे टेंट की और ही था दीदी को इस तरह मेरे कुरते की और देखता हुआ पाकर कुरते के नीच हलचल सी होने लगी और इस हलचल को देखकर दीदी घबरा सी गयी और हलचल को रूकती हुई न पाकर में उठने की कोशिश करने लगा अचानक दीदी बोली लेटे रहो उठो मत में बोला दीदी मुझे बाथरूम आ रहा है दीदी नीचे की और झुकी और मेरे हाथ को अपने कंधे के ऊपर रख लिया जैसे ही दीदी झुकी तो उनके दो अनार मेरे आँखों के सामने आ गए में उनके बीच की गहरी खाई को नीचे तक देख पा रहा था दीदी मुझे अपना सहारा देखर बाथरूम की और ले जाने लगी बाथरूम में ले जाकर दीदी दूसरी और मुह करके खड़ी हो गयी में पेसाब करने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरा लंड इतना टाइट था की पेसाब निकल ही नहीं रहा था मैंने दीदी से कहा की दीदी आप बाहर चली जाओ दीदी एक बार घूमी और मेरे और देखा फिर कुरते के नीचे उतान लिए हुए मेरे लौडे को देखा और मुस्कुरा के बाहर चली गई उनके जाने के बाद में थोडा सामान्य हुआ और बाथरूम करके बाहर आया और हदबदाकर गिरने ही वाला था की दीदी एकदम से मुझे गिरने से बचाने के लिए आगे आई और मेरा हाथ सीधा दीदी के मम्मो पर पड़ा सायद जोर से पड़ा होगा दीदी एकदम से सीत्कार उठी में तो जैसे धन्य ही हो गया था उनके मस्त गोल गोल अनार जैसे सख्त मम्मे को छु कर दीदी मुझे सहारा देखर बेद पर लिटा दिया

आज पहली बार दीदी के उन्चुए अनारो के छुने के सुखद अहसास के बारे में सोचता सोचता जाने में कब सो गया शाम को लेट उठा उठने पर अहसास हुआ की जख्म में दर्द काफी है इतने में निशा दीदी आई और बोली लेटे रहो दीदी के हाथ में खाना था और बोली खाना खा लो मैंने खाना खाया और दीदी को बोला दीदी बहुत दर्द हो रहा है दीदी ने मेरी और गौर से देखा और फिर थोडी देर में एक इंजेक्शन ले कर आई और मुझे लगा दिया जाने कब में सो गया

जब आँख खुली तो देखा सुबह हो चुकी थी में उठने को हुआ तो मेरा हाथ साथ में रखी टेबल पर रखे ग्लास से जा टकराया आवाज सुनकर दीदी भागी हुई आई और हे भगवान् में क्या देखता हूँ दीदी टावेल में थी सायद नहा के निकली थी निशा दीदी बोली क्या हुआ मैंने कहा कुछ नहीं फ्रेश होने के लिए उठ रहा था की ग्लास पर हाथ लग गया तो निशा दीदी ने मुझे अपना सहारा दिया उनके बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और मम्मे ऐसे लग रहे थे मानो कह रहे हो कब छुओगे हमे और और जुदाई बर्दास्त नहीं होती मसल डालो हमे दीदी मुझे अंदर छोड़ कर बिना कहे ही बाहर आ गयी सायद उन्हें कल की बात याद आ गयी थोडी देर बाद में बाहर निकला तो दीदी आज बाहर ही खड़ी थी दीदी बोली लाओ अपना कुरता निकाल दो में तुम्हे गीले तोलिये से पुछ देती हूँ तो मुझे अहसास हुआ की में अभी भी सिर्फ कुरते में ही हूँ में बेड पर बैठ गया दीदी सायद मेरा संसय समझ गयी थी वह दो तोलिये ले के आई एक को मेरी जांघो पैर रखा और दुसरे को गीला करने चली गयी में तोलिये को अपनी गोद में फलाते हुए कुरते को निकला दीदी ने मेरे बदन को अची तरह से गीले तोलिये से पुछा दीदी के हाथो से स्पर्स से मेरा रोम रोम सिहर सा उठा दीदी जब तोलिये को मेरे पेट के पास फिराने लगी तो मुझे एक सुखद सा अहसास होने लगा और महाशय जी अंगडाई सी लेने लगे आप समझ गए होंगे कोन से महासय जी की बात में कर रहा हूँ जी हा मेरे लंड महाराज जी दीदी अभी भी तोलिये को लपेटे हुए थी अचानक मेरी निगाह उनके ब्रा पैर पड़ी और मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी अरे यारो ये तो वही ब्रा थी जो मैं ले कर आया था

निशा दीदी ने मुझे कुरता पहनाया और मेरे सामने ही कुर्सी डाल कर बैठ गई मेरी ड्रेसिंग करने के लिए दीदी जब ड्रेसिंग करने लगी तो मुझे दर्द का अहसास होने लगा और मैंने दीदी की जांघो को कास कर पकड़ लिया वो इतनी चिकनी थी मानो मक्खन की टिकिया हो नहीं नहीं मानो इन पैर जो फिसलेगा वो यही का होकर रह जाएगा ड्रेसिंग कर के दीदी उठने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और उसपर किस करने लगा दीदी बोली यह क्या है में बोला दीदी थैंक्स आप ने मेरी कितनी हेल्प की और में पागलो की तरह दीदी के हाथो पर किस करने लगा दीदी फिर वही मेरे सामने बैठ गई दीदी आज कुछ नोर्मल थी दीदी ने फिर वही बात छेड़ दी बता न तू अपनी गर्लफ्रेंड से कितना फ्री था अब ज्यादा भोला बन्ने का नाटक मेरे आगे मत कर में देख चुकी हूँ तू कितना भोला है में दीदी से नजरे चुराने लगा दीदी बोली बोलेगा भी या नाटक ही करता रहेगा दीदी ने मेरे हाथो को अपने हाथो में लेकर अपनी गोद में रख दिए उनकी जांघो की चूँ से मेरे अंदर एक चिंगारी सी दोड़ने लगी एक सुखद सा अहसास सा होने लगा ऐसे लगा जैसे अपनी मंजिल बहुत पास है में बोला दीदी बस उसकी जांघो को छु लेता था दीदी को जैसे विस्वास न हुआ और नाराज सा होते हुए बोली अगर तुझे नहीं बताना तो मत बता मैं तेरी होती कौन हूँ दीदी ने फिर वही टीस सी मारी दीदी अछि तरह जानती थी मैं उनसे कितना प्यार करता हूँ और उनकी एकपल की भी नाराजगी बर्दास्त नहीं कर सकता मेरे मुँह से झट से निकल गया दीदी सिर्फ उसके मुम्मे और चुततर को छुआ है ये सब मेरे मुह से कैसे निकल गया मैं भी खुद हैरान था दीदी यह सुन कर मुस्कुराने लगी और यह विजयी मुस्कान उनके चेहरे पे ऐसे लग रही थी मानो पता नहीं कोन सा गढ़ जीत लिया हो मेरी नजरे यह बोलकर झुक गयी थी दीदी बोली सिर्फ छुआ था मैंने नजरे झुकाए झुकाए कहा नहीं उनको खूब दबाया भी था और उसके हूठो को किस (चूसा) भी था दीदी ने मेरे बालो को सहलाया और उठ कर जाने लगी उनको जाते देख मैं हरान रह गया उनके चुततर ऐसे हिल रहे थे मानो जी कर रहा था अभी पीछे जा कर अपना लंड उनमे पेल दूं लेकिन उनकी चाल को देख कर ऐसा भी ehsaas हुआ मानो एक garv सा था सायद garv उस बात का जो वो jaanna chahti थी जान लिया हो

कुछ देर बाद दीदी मेरे रूम में आई और मुझे दर्द से टसकता हुआ देखा में अपना पजामा पहन चूका था इसलिए उन्हें मेरे साथ बैठने में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई और मेरे साथ बैठ गई और मेरे बालो में अपने हाथ फेरने लगी उनके नर्म मुलायम स्पर्श से मुझे कुछ सुकून सा मिलने लगा और कुछ देर बाद हम इधर उधर की बाते करने लगे थोडी देर बाद मैंने हिम्मत करके पूछा दीदी आप से एक बात पूछू दीदी कुछ देर मेरे चेहरे को गौर से देखा और बोली पुछो मैंने दीदी को कहा दीदी मैंने आपको एक लड़के के साथ होटल में देखा था यह सुनते ही दीदी का चेहरा पीला पड़ गया और उनके मुह से सिर्फ में . . . . में . . .वो .वो में वो ..... तो में ..... में ही निकल रहा था में उन्हें कोम्फिर्ट करने के लिए बोला दीदी रहने दो अगर आप नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं ... मेरी बात सुनकर दीदी थोडा नोर्मल हुई और पुछा कब देखा था तो मैंने उन्हें उस दिन होटल वाली बात बता दी पता नहीं क्यों दीदी के चेहरे पे एक सुकून सा दिखाई दिया और वो बोली यश एक्चुअली में तुम्हे पहले ही बताना चाहती थी वो मेरे ही हॉस्पिटल में है उस दी जिद करने लगा लंच की और वह उसने मुझे प्रपोस भी किया वह मुझसे साडी करना चाहता है दीदी ने मुझे कहा में समझ नहीं पा रही थी की तुम्हे कैसे बताऊ इसी लिए मैं तुम्हे बार बार तुम्हारी गर्लफ्रेंड के बारे में पुच रही थी की सायद तुम मेरे से थोडा फ्री होगे और मुझे भी मेरे बॉय फ्रेंड के बारे में पूछोगे में इसीलिए तो बार बार तुम्हारे आगे तोलिये में घूम रही थी की सायद तुम मुझे देख कर अपनी गर्लफ्रेंड को याद करो और मुझसे गर्ल फ्रेंड की बात करो और में तुम्हे इस बारे में बताऊँ यह सुन कर में जैसा सीधा आसमान से जमीन पैर गिरा और दीदी की और देखने लगा इस समय दीदी मेरे बाजू में लेती हुई थी मेरे कंधे पर अपना सर रखकर और उनके चेहरे को देख कर लगा की जैसे अब किसी से डरने की कोई बात नहीं है अब सब ठीक हो जाएगा अगर कुछ गड़बड़ हुई तो मैं दीदी का ही साथ दूंगा दीदी ने अपनी आँखे बंद कर राखी थी और वो बला की खूबसूरत लग रही थी चेहरा इतना मासूम लग रहा था की एब बार तो मुझे ग्लानी सी महसूस होने लगी और मुझे हर वो बात याद आने लगी जब दीदी ने मेरी हेल्प की थी और में एकटक उनके चेहरे की और देखता रहा काफी सुकून सा मिल रहा था उन्हें, अपने दिल की बात मुझे बता कर मैंने दीदी के माथे को चूम लिया दीदी ने एक बार आँखे खोल कर मुझे देखा और मुस्कुरा के दोबारा आँखे बंद कर ली में इसी तरह बार बार निशा दीदी के माथे को चूमता रहा और जाने कब सो गया
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj

































































































































































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